Quote of the day-
The thing always happens that you really believe in; and the belief in a thing makes it happen.
----Frank Loyd Wright
सुबहकी चाय लेते हूए गिब्सन ब्रायनके घर उसके सामने बैठा हूवा था. ब्रायनके सरको बंधे बॅन्डेजकी तरफ देखकर गिब्सनको रातकी घटना याद आ गई. उसे हसींभी आ रही थी और ब्रायनके सरको अच्छा खांसा जोरसे फटका बैठा था इसका दुखभी लग रहा था. अपनी हंसी चेहरेपर ना आए इसकी खबरदारी लेते हूए उसने गंभीर होकर ब्रायनको पुछा, '' अब ठिक है ना ?''
ब्रायनने सिर्फ हांमे सर हिलाया.
थोडी देर कोई कुछ नही बोला.
'' तुमने कभी किसीको उस हवेलीमें वास्तव्य करते हूए देखा ?'' गिब्सनने पुछा.
उसके दिमागमें अबभी उस हवेलीकेही विचार घुम रहे थे.
'' नही... लेकिन लोगोंका कहना है की एक बुढा आदमी उस हवेलीमे रहता था.... मतलब काफी साल पहलेकी बात है ...'' ब्रायन बोल रहा था.
'' उनके अनुसार गांवमें किसीसेभी वह बात नही करता था... कोई कहता था की वह शहरसे आया... लेकिन पक्का किसीकोभी कुछ मालूम नही था... '' ब्रायनने आगेकी जानकारी बताई.
'' फिर अब कहां है वह ?'' गिब्सनने पुछा.
'' नही ... किसीकोभी मालूम नही ... मेरे पिताजी कहतेथे की वह भूत होगा... क्योंकी वह गायब होनेके बाद किसीकोभी उसकी लाश या कुछभी नही मिला... '' ब्रायनने कहा.
'' भूत? ... तुम्हारा भूतोंपर विश्वास है?'' गिब्सनने पुछा.
'' मुझे लगता है वहभी ऐसेही उस ब्लॅकहोलमें गायब हुवा होगा '' ब्रायनने कहा.
गिब्सन फिरसे अपने विचारोंकी दुनियामें चला गया और एकदम कुछतो खयालमें आये जैसे उसने पुछा, '' वह कुंआ कब खोदा होगा इसका कोई अनुमान?''
'' लोक कहते है की वह आया और उसने खुद अकेलेही वह कुंआ खोदा ... उसके सनकी और अनोखे व्यवहारकी वजहसे लोग उसे घबराते थे....'' ब्रायनने कहा.
इतनेमें ब्रायनका लगभग सात-आठ सालका लडका फ्रॅंक बाहरसे दौडते हुए वहा आ गया. लडकेका रंग भलेही काला हो लेकिन वह चेहरेसे एकदम क्यूट था. गिब्सनने बिचमें खडे होकर उसे रोका,
'' हॅलो क्यूटी ... क्या नाम है तुम्हारा ?''
उस लडकेने अपने पिताकी तरफ देखा. उसके पिताने इशारेसेही हामी भर दी. उस लडकेने शरमाते हूए इधर उधर देखते हूए धीमें स्वरमें अपना नाम बताया, '' फ्रॅंक ''
'' अरे वा... अच्छा नाम है '' गिब्सन उसका गाल थपथपाते हूए बोला. .
अब गिब्सनने अपने पॅंन्टके जेबसे 'वह' टेनिस बॉल निकाला और फ्रॅंकको दिखाया.
'' फ्रॅंक ... यह बॉल तुम्हे कहा मिला ?'' गिब्सनने पुछा.
अचानक उस लडकेके चेहरेपर डर दिखने लगा. उसने घबराकर अपने पिताकी तरफ देखा.
'' डरो नही ...तुम्हारे पिताजी कुछ नही करेंगे '' गिब्सनने उसका डर मिटानेकी कोशीश की.
'' बोलना ... वह अंकल क्या पुछ रहे है .... कहा मिला वह बॉल?'' ब्रायनने उसे गुस्सेसे, कडे स्वरमें पुछा.
गिब्सनने इशारेसेही ब्रायनको शांत रहनेके लिए कहा. वह फ्रॅंकके पास गया और उसके सामने खडा होगया. हलकेही फ्रॅंकके कंधेपर हाथ रखकर वह उसके सामने घूटने टेककर बैठ गया. गिब्सनने उसकी मासूम आंखोमे देखा, उसके छोटे छोटे हाथ अपने हाथमें लेकर थपथपाते हूए पुछा,
'' तूम मुझे उस जगहपर ले जाओगे ?''
फ्रॅंक भलेही डरा हूवा था फिरभी उसके चेहरेपर हामी दिख रही थी.
उपन्यास - ब्लैकहोल (संपूर्ण)Black Hole - Hindi horror, Novel
Re: उपन्यास - ब्लैकहोल (संपूर्ण)Black Hole - Hindi horror, N
Inspirational thoughts -
There is only one success--to be able to spend your life in your own way.
--- Christopher Morley
वह हवेली गिब्सनको चैनसे बैठने नही दे रही थी. क्योंकी आज रात फिरसे गिब्सन उस हवेलीमें आया था. हवेलीके अंदर उसे एक जगह एक बडा पत्थर दिखाई दिया. उसने कुछ क्षण उस पत्थरकी तरफ और उस पत्थरके इर्द गिर्द देखा और पुरी ताकदके साथ वह उस पत्थरको वहांसे हटानेमें जुट गया. जैसेही वह पत्थर वहांसे थोडा खिसक गया उसे पत्थरके पिछे कुछ खाली जगह दिखाई दी और उसका चेहरा खुशीसे दमकने लगा. उसका अंदाजा सही निकला था. वह पत्थर वहांसे पुरी तरह हटातेही उसे वहां अंदर जाता हूवा एक काला अंधेरेसे भरा संकरा रास्ता दिखाई दिया. उसने अपने पासके टॉर्चसे अंदर रोशनी डाली. अंदर एक गुढ और पुरानी गुफा दिखने लगी. अपने टॉर्चकी रोशनी डालते हूए वह अंदर उस गुंफामें जाने लगा.
गुंफाके अंदर जातेही उसने अपने टॉर्चकी रोशनी इधर उधर घुमाई. उस गुंफामें उसे अलग अलग भौतिकशास्त्रके औजार और उपकरण इधर उधर फैले हूए दिखाई दिये. सारे उपकरण और औजारोंपर धुल जमी हूई थी. गुंफामें सब तरफ कागजके टूकडे और कोयलेसे निकाले हूए चित्र इधर उधर फैले हूए थे. गुफांमे एक कोनेमें रखी हूई उसे एक रेतकी घडी दिखई दी, जिसमें रेत बहुत धीमेसे अबभी बह रही थी. वहां रखे उपकरणोंपर जमें धुलसे साफ था की वे काफी दिनोसे इस्तेमाल नही किये गए थे और ना छुए गए थे. गिब्सन उस गुफामें रखी चिजोंको टालता हूवा सावधानीपुर्वक एक तरफसे दुसरी तरफ पहूंच गया.
गिब्सन उस गुंफाकी एक दिवारपर टार्चके रोशनीमें गौरसे देखने लगा. उसे उस धुलसे मलिन दिवारपर अस्पष्टसा कुछ लिखा दिखाई दिया. धुलकी वजहसे क्या लिखा था यह पहचानमें नही आ रहा था. इसलिए गिब्सनने वहांकी धुल साफ की. दिवारपर कुछ अक्षर दिखने लगे, लिखा था, '' टाईम इज मनी..'. उसके सामनेभी कुछ अस्पष्टसा लिखा दिखाई दे रहा था इसलिए गिब्सनने दिवारपर आगे जमीभी धुल साफ कर दी. सामने लिखा था, ''... ऍन्ड स्पेस इज ऍन ऍसेट ''
'' टाईम इज मनी ऍन्ड स्पेस इज ऍन ऍसेट'' गिब्सको पुरे वाक्यमें कुछ अर्थ छिपा दिखाई देने लगा.
गिब्सन वह दिवारपर लिखा पढनेके बाद दुसरी तरफ मुडा. इतनेमें उसके सरपर कुछ गिर गया. घबराकर वह दो कदम पिछे हट गया. टॉर्चके रोशनीमें उसने देखा तो पुराने, कही कही फटे कागजोंका एक बडासा बंडल निचे जमिनपर गिरा था. वे पुराने कागज जिर्ण होकर पिले पिले हो गए थे. उसने वह बंडल उठाया और वह एक एक कागज पलटकर देखने लगा. उन कागजोपर कुछ गणिती सुत्र लिखे हूए थे तो कही कही कुछ चित्र निकाले हूए थे. गिब्सन अब वह कागजाद गौरसे पढने लगा. धीरे धीरे उसके चेहरेपर कुछ मिलनेकी खुशी झलकने लगी. जैसे जैसे वह आगे पढने लगा, उसका चेहरा औरही खिलने लगा. धीरे धीरे उसका चेहरा इतना जादा खुश दिखने लगा की वह पागल तो नही हूवा ऐसा किसीको संदेह हो.
गिब्सन उस कुंएके एकदम किनारे खडा था. इतना नजदिक की उसे उस कुंएमें गिरनेकाभी डर नही लग रहा था. उसके हाथमें अबभी वह कागजाद थे. उसने और सामने जाकर एकबार कुंएमें झांककर देखा.
दो कदम पिछे आकर वह फिरसे टॉर्चके रोशनीमें वह कागजाद उलट पुलटने लगा. उसके चेहरेपर फिरसे वह पागलोंसी मुस्कुराहट फैलने लगी.
There is only one success--to be able to spend your life in your own way.
--- Christopher Morley
वह हवेली गिब्सनको चैनसे बैठने नही दे रही थी. क्योंकी आज रात फिरसे गिब्सन उस हवेलीमें आया था. हवेलीके अंदर उसे एक जगह एक बडा पत्थर दिखाई दिया. उसने कुछ क्षण उस पत्थरकी तरफ और उस पत्थरके इर्द गिर्द देखा और पुरी ताकदके साथ वह उस पत्थरको वहांसे हटानेमें जुट गया. जैसेही वह पत्थर वहांसे थोडा खिसक गया उसे पत्थरके पिछे कुछ खाली जगह दिखाई दी और उसका चेहरा खुशीसे दमकने लगा. उसका अंदाजा सही निकला था. वह पत्थर वहांसे पुरी तरह हटातेही उसे वहां अंदर जाता हूवा एक काला अंधेरेसे भरा संकरा रास्ता दिखाई दिया. उसने अपने पासके टॉर्चसे अंदर रोशनी डाली. अंदर एक गुढ और पुरानी गुफा दिखने लगी. अपने टॉर्चकी रोशनी डालते हूए वह अंदर उस गुंफामें जाने लगा.
गुंफाके अंदर जातेही उसने अपने टॉर्चकी रोशनी इधर उधर घुमाई. उस गुंफामें उसे अलग अलग भौतिकशास्त्रके औजार और उपकरण इधर उधर फैले हूए दिखाई दिये. सारे उपकरण और औजारोंपर धुल जमी हूई थी. गुंफामें सब तरफ कागजके टूकडे और कोयलेसे निकाले हूए चित्र इधर उधर फैले हूए थे. गुफांमे एक कोनेमें रखी हूई उसे एक रेतकी घडी दिखई दी, जिसमें रेत बहुत धीमेसे अबभी बह रही थी. वहां रखे उपकरणोंपर जमें धुलसे साफ था की वे काफी दिनोसे इस्तेमाल नही किये गए थे और ना छुए गए थे. गिब्सन उस गुफामें रखी चिजोंको टालता हूवा सावधानीपुर्वक एक तरफसे दुसरी तरफ पहूंच गया.
गिब्सन उस गुंफाकी एक दिवारपर टार्चके रोशनीमें गौरसे देखने लगा. उसे उस धुलसे मलिन दिवारपर अस्पष्टसा कुछ लिखा दिखाई दिया. धुलकी वजहसे क्या लिखा था यह पहचानमें नही आ रहा था. इसलिए गिब्सनने वहांकी धुल साफ की. दिवारपर कुछ अक्षर दिखने लगे, लिखा था, '' टाईम इज मनी..'. उसके सामनेभी कुछ अस्पष्टसा लिखा दिखाई दे रहा था इसलिए गिब्सनने दिवारपर आगे जमीभी धुल साफ कर दी. सामने लिखा था, ''... ऍन्ड स्पेस इज ऍन ऍसेट ''
'' टाईम इज मनी ऍन्ड स्पेस इज ऍन ऍसेट'' गिब्सको पुरे वाक्यमें कुछ अर्थ छिपा दिखाई देने लगा.
गिब्सन वह दिवारपर लिखा पढनेके बाद दुसरी तरफ मुडा. इतनेमें उसके सरपर कुछ गिर गया. घबराकर वह दो कदम पिछे हट गया. टॉर्चके रोशनीमें उसने देखा तो पुराने, कही कही फटे कागजोंका एक बडासा बंडल निचे जमिनपर गिरा था. वे पुराने कागज जिर्ण होकर पिले पिले हो गए थे. उसने वह बंडल उठाया और वह एक एक कागज पलटकर देखने लगा. उन कागजोपर कुछ गणिती सुत्र लिखे हूए थे तो कही कही कुछ चित्र निकाले हूए थे. गिब्सन अब वह कागजाद गौरसे पढने लगा. धीरे धीरे उसके चेहरेपर कुछ मिलनेकी खुशी झलकने लगी. जैसे जैसे वह आगे पढने लगा, उसका चेहरा औरही खिलने लगा. धीरे धीरे उसका चेहरा इतना जादा खुश दिखने लगा की वह पागल तो नही हूवा ऐसा किसीको संदेह हो.
गिब्सन उस कुंएके एकदम किनारे खडा था. इतना नजदिक की उसे उस कुंएमें गिरनेकाभी डर नही लग रहा था. उसके हाथमें अबभी वह कागजाद थे. उसने और सामने जाकर एकबार कुंएमें झांककर देखा.
दो कदम पिछे आकर वह फिरसे टॉर्चके रोशनीमें वह कागजाद उलट पुलटने लगा. उसके चेहरेपर फिरसे वह पागलोंसी मुस्कुराहट फैलने लगी.
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Famous quotes -
An eye for eye only ends up making the whole world blind.
--- Mahatma Gandhi
स्टेलाके घरकी बेल बज गई. उसने सामने जाकर दरवाजा खोला तो दरवाजेमें गिब्सन खडा था. वह दरवाजा खोलनेके बाद उसकी तरफ कोई खास ध्यान ना देते हूए सिधा घरमें घुस गया. स्टेला उसकी तरफ लगातार देख रही थी. उसका चेहरा मलिन और दाढी के बाल दो चार दिनके बढे हूए दिख रहे थे.
'' कहां थे ?'' स्टेलाने पुछा.
गिब्सन कुछ नही बोला.
'' ना फोन ना कोई संदेशा '' वह आगे बोली.
फिरभी गिब्सन उससे कुछ ना बोलते हूए घरमें जा रहा था.
'' मै आपसे बात कर रही हूं ... दिवारोंसे नही '' वह चिढकर बोली.
फिरभी वह कुछ बोला नही.
'' गिब्सन प्लीज... मै तुमसे बात कर रही हूं '' वह उसके रास्तेमें खडी होते हूए बोली.
वह रुक गया, लेकिन उसकी तरफ ना देखते हूए बोला, '' मुझे लगता है हम इस बारेंमें बादमें कभी बात करें तो अच्छा होगा.... फिलहाल मै जल्दीमें हूं ''
गिब्सन बेडरुममें घुस गया. स्टेला वह बेडरूममें जानेतक उसे घूरती रही.
स्टेलाको उसके इस तरहके बर्तावका आश्चर्य लग रहा था. वह इससे पहले कभी ऐसा किसी अजनबीकी तरह पेश नही आया था.
स्टेला किचनमें ब्रेकफास्ट बनानेमें व्यस्त थी. उसने पॅनके किनारे हलकेही एक अंडा टकराकर तोडा और अंदरके बलकको पॅनपर उंडेलते हूए पॅनपर फैलाया. इतनेमें उसे सामनेके दरवाजेका आवाज आ गया. उसने अपना ऑम्लेट बनाना रोका.
गिब्सन बाहर तो नही गया ?...
लेकिन वह ऐसे कैसे बिना बोले बाहर जा सकता है ?..
वह किचनका काम वैसाही आधा अधूरा छोडकर सामनेके दरवाजेके तरफ लपकी.
जाते हूए उसे बेडरुमका दरवाजा खुला दिखा और बेडरुममें निचे जमीनपर एक कोयलेसे निकाला हूवा चित्र पडा हूवा दिखाई दिया. उसने जाकर वह चित्र उठा लिया. जैसेही वह वह कागज लेकर खडी हो गई, बेडरुममें टेबलपर रखे किसी चिजने उसका ध्यान आकर्षीत किया. एक बडी चिख उसके मुंहसे निकल गई. किसी जानवरकी खोपडी टेबलपर रखी हूई थी. वह तुरंत बाहर आगई और सामने दरवाजेकी तरफ लपक पडी. उसे गिब्सन अपने कारकी तरफ जाता हूवा दिखाई दिया. स्टेला लगभग दौडते हूएही उसके पास पहूंच गई.
'' कहां जा रहे हो ? ... और बेडरुममें वह टेबलपर क्या रखा हूवा है ?...'' उसने सांस फुले हालमें पुछा.
फिरभी गिब्सन कारकी तरफ कुछ ना बोलते हूए चलता रहा.
'' गिब्सन ... कुछ तो बोलो '' वह चिढकर बोली.
गिब्सन एकदम रुक गया.
'' मै अभी आया...'' वह उसकी तरफ मुडकर बोला और फिरसे अपनी कारकी तरफ चलने लगा.
अचानक जब स्टेलाका जमिनकी तरफ ध्यान गया उसका मुंह आश्चर्यसे खुलाकी खुलाही रह गया.
उसने देखा की सुबहके धूपमें आंगनमें कारका साया तो दिख रहा था लेकिन... लेकिन... गिब्सनका साया नही दिख रहा था. उसके शरीरसे एक डरकी सिरहन दौड गई. ऐसा तो वह पहली बार देख रही थी. उसे बोलना था लेकिन उसकी जुबान नही चल रही थी. अचानक कुछ पलमेंही उसका पुरा बदन पसिना पसिना हो गया. उसने फिरसे एकबार उसकी तरफ देखा और फिरसे जमीनकी तरफ देखा. सचमुछ उसका साया नही दिख रहा था.
इतनी देरमें गिब्सन कारमें घुस गया, कारका दरवाजा जोरसे अंदर खिंचकर बंद कर लिया और कार शुरु की.
जब स्टेला उसे लगे हादसे उभर गई, उसने आवाज दिया, '' गिब्सन''
लेकिन उसका ध्यान उसकी तरफ कहा था. वह तो अपनेही विचारोंमे खोया था. वह दौडते हूए उसके पास जाने लगी इतनेमें उसकी कार दौडने लगी.
'' गिब्सन सुन ...'' वह जा रहे कारके पिछे दौडते हूए पिछेसे आवाज दे रही थी.
लेकिन उसकी कार अब तेजीसे दौडने लगी.
'' गिब्सन '' उसने जोरसे एकबार आवाज दिया और वह रास्तेपरही रुक गई.
थोडीही देरमें कार उसकी नजरोंसे ओझल हो गई.
आज आधी रातको फिरसे गिब्सन उस कुंएके पास आ गया. कुंएके किनारे खडे होकर उसने उसके टॉर्चकी रोशनी कुंएमें डाली. सब कुछ कैसा काला काला अंधकारमय था. ...अंत तक... लेकिन हां ... अगर उसे कोई अंत हो तो! दो कदम वह कुंएसे पिछे हट गया और अचानक उसने कुंएमें छलांग लगाई. ना आवाज .. ना कुछ... सिर्फ सन्नाटा... काले कुंएमें अंधेरेको चिरता हूवा भयानक सन्नाटा...
क्रमश:...
An eye for eye only ends up making the whole world blind.
--- Mahatma Gandhi
स्टेलाके घरकी बेल बज गई. उसने सामने जाकर दरवाजा खोला तो दरवाजेमें गिब्सन खडा था. वह दरवाजा खोलनेके बाद उसकी तरफ कोई खास ध्यान ना देते हूए सिधा घरमें घुस गया. स्टेला उसकी तरफ लगातार देख रही थी. उसका चेहरा मलिन और दाढी के बाल दो चार दिनके बढे हूए दिख रहे थे.
'' कहां थे ?'' स्टेलाने पुछा.
गिब्सन कुछ नही बोला.
'' ना फोन ना कोई संदेशा '' वह आगे बोली.
फिरभी गिब्सन उससे कुछ ना बोलते हूए घरमें जा रहा था.
'' मै आपसे बात कर रही हूं ... दिवारोंसे नही '' वह चिढकर बोली.
फिरभी वह कुछ बोला नही.
'' गिब्सन प्लीज... मै तुमसे बात कर रही हूं '' वह उसके रास्तेमें खडी होते हूए बोली.
वह रुक गया, लेकिन उसकी तरफ ना देखते हूए बोला, '' मुझे लगता है हम इस बारेंमें बादमें कभी बात करें तो अच्छा होगा.... फिलहाल मै जल्दीमें हूं ''
गिब्सन बेडरुममें घुस गया. स्टेला वह बेडरूममें जानेतक उसे घूरती रही.
स्टेलाको उसके इस तरहके बर्तावका आश्चर्य लग रहा था. वह इससे पहले कभी ऐसा किसी अजनबीकी तरह पेश नही आया था.
स्टेला किचनमें ब्रेकफास्ट बनानेमें व्यस्त थी. उसने पॅनके किनारे हलकेही एक अंडा टकराकर तोडा और अंदरके बलकको पॅनपर उंडेलते हूए पॅनपर फैलाया. इतनेमें उसे सामनेके दरवाजेका आवाज आ गया. उसने अपना ऑम्लेट बनाना रोका.
गिब्सन बाहर तो नही गया ?...
लेकिन वह ऐसे कैसे बिना बोले बाहर जा सकता है ?..
वह किचनका काम वैसाही आधा अधूरा छोडकर सामनेके दरवाजेके तरफ लपकी.
जाते हूए उसे बेडरुमका दरवाजा खुला दिखा और बेडरुममें निचे जमीनपर एक कोयलेसे निकाला हूवा चित्र पडा हूवा दिखाई दिया. उसने जाकर वह चित्र उठा लिया. जैसेही वह वह कागज लेकर खडी हो गई, बेडरुममें टेबलपर रखे किसी चिजने उसका ध्यान आकर्षीत किया. एक बडी चिख उसके मुंहसे निकल गई. किसी जानवरकी खोपडी टेबलपर रखी हूई थी. वह तुरंत बाहर आगई और सामने दरवाजेकी तरफ लपक पडी. उसे गिब्सन अपने कारकी तरफ जाता हूवा दिखाई दिया. स्टेला लगभग दौडते हूएही उसके पास पहूंच गई.
'' कहां जा रहे हो ? ... और बेडरुममें वह टेबलपर क्या रखा हूवा है ?...'' उसने सांस फुले हालमें पुछा.
फिरभी गिब्सन कारकी तरफ कुछ ना बोलते हूए चलता रहा.
'' गिब्सन ... कुछ तो बोलो '' वह चिढकर बोली.
गिब्सन एकदम रुक गया.
'' मै अभी आया...'' वह उसकी तरफ मुडकर बोला और फिरसे अपनी कारकी तरफ चलने लगा.
अचानक जब स्टेलाका जमिनकी तरफ ध्यान गया उसका मुंह आश्चर्यसे खुलाकी खुलाही रह गया.
उसने देखा की सुबहके धूपमें आंगनमें कारका साया तो दिख रहा था लेकिन... लेकिन... गिब्सनका साया नही दिख रहा था. उसके शरीरसे एक डरकी सिरहन दौड गई. ऐसा तो वह पहली बार देख रही थी. उसे बोलना था लेकिन उसकी जुबान नही चल रही थी. अचानक कुछ पलमेंही उसका पुरा बदन पसिना पसिना हो गया. उसने फिरसे एकबार उसकी तरफ देखा और फिरसे जमीनकी तरफ देखा. सचमुछ उसका साया नही दिख रहा था.
इतनी देरमें गिब्सन कारमें घुस गया, कारका दरवाजा जोरसे अंदर खिंचकर बंद कर लिया और कार शुरु की.
जब स्टेला उसे लगे हादसे उभर गई, उसने आवाज दिया, '' गिब्सन''
लेकिन उसका ध्यान उसकी तरफ कहा था. वह तो अपनेही विचारोंमे खोया था. वह दौडते हूए उसके पास जाने लगी इतनेमें उसकी कार दौडने लगी.
'' गिब्सन सुन ...'' वह जा रहे कारके पिछे दौडते हूए पिछेसे आवाज दे रही थी.
लेकिन उसकी कार अब तेजीसे दौडने लगी.
'' गिब्सन '' उसने जोरसे एकबार आवाज दिया और वह रास्तेपरही रुक गई.
थोडीही देरमें कार उसकी नजरोंसे ओझल हो गई.
आज आधी रातको फिरसे गिब्सन उस कुंएके पास आ गया. कुंएके किनारे खडे होकर उसने उसके टॉर्चकी रोशनी कुंएमें डाली. सब कुछ कैसा काला काला अंधकारमय था. ...अंत तक... लेकिन हां ... अगर उसे कोई अंत हो तो! दो कदम वह कुंएसे पिछे हट गया और अचानक उसने कुंएमें छलांग लगाई. ना आवाज .. ना कुछ... सिर्फ सन्नाटा... काले कुंएमें अंधेरेको चिरता हूवा भयानक सन्नाटा...
क्रमश:...