“हवालात मैं चुद गई” – चुद गयी , झड़ गयी , लुट गयी ! !
Re: “हवालात मैं चुद गई” – चुद गयी , झड़ गयी , लुट गयी ! !
मैन दारु के झटके खाती हूई अपने हाथ से अपना सीर पकड़े हुये थी. अपना बचाव भी नही कर पा रही थी. तभी दुसरे हाथ से थानेदार ने मेरे पेट्तिकोअत के नाडे को झटके से खोल दीया. मैन मानो नींद से जाग उठी. ना जाने कितनी ताक़त आयी होगी मुझ में जो थानेदार को अपने ऊपर से नीचे गीरा कर उठकर भागने लगी. लेकीन अफ्शोश. खुला हुआ पेट्तिकोअत मेरी टांगों में फँस गया और मुहं के बल धदम से जा गीरी. मेरी रही-सही सारी ताकत खतम हो गयी.
थानेदार ग़ुस्से में ब्ड्ब्डाता हुवा और गाली देता हुवा मेरे बालों को झटके देते हुये मुझे उठाया, “साली मादरचोद. मेरे को धक्का देती है साली. रंडी. अब मैन देता हूँ तेरे को मेरे लंड का धक्का.. साली छीनल. मेरे को धक्का देती है. अब देखता हूँ कैसे बचती है चुदने से..”
उसने मुझे बलों पकड़ कर मेरे चहरे को अपनी और घुमा कर मेरे गलों और मेरे होंठों को चूमने लगा. मैन २-३ मिनुतेस बाद फीर कसमसाई और छुडाने की कोशीश करने लगी. लेकीन उसने मुझे अपनी गिरफ्त में रखा और मेरे अनार जैसे कड़क मुम्मो को अपने मुहं में दबा कर चूसने लगा. अब वोह दांतो से मेरे प्यारे-प्यारे गोरे-गोरे मुममो को कटने लगा. जैसे काटा वैसे ही मेरी चीख निकली. लेकीन उसे क्या परवाह थी. थोडी देर में मेरे एक मुम्मे पर जोर से काट खाया तोः मेरी जोरदार चीख़ निकल गयी.
“चुप. आवाज़ नही. अबके चीखी ना तोः पुरा तेरा काट के अलग कर दूंगा, साली रांड,” कड़क आवाज़ में बोला थानेदार….!!!
सहमकर चुप हो गयी मैन लेकीन सिस्कियां आ रही थी. थानेदार ने मुझे पकड़ कर नीचे सुला दीया और अपनी पैंट खोल दीया. अब वोह भी सिर्फ़ अंडरवियर मैं और मैन भी अंडरवियर में. उसने नीचे झुकते हुये मेरा अंडरवियर एक झटके में नीचे खींचा तोः वोह घुटने पर जा कर अटक गया. फीर मेरी टांगो को ऊपर कर उसे बहार निकाल फेंका. अब थानेदार मेरे पुरे नंगे जिस्म को उपर से नीचे देखता हुआ अपने हाथ से अपने अंडरवियर में पड़े अपने लंड को दबाने लगा.
“उफ़. क्यया जवानी है तेरी. एक मरद से नही संभल सकती ऐसी जवानी. कितने मर्दो को अपनी जवानी का रुस पिलाया है तुने,” नशे मैं झूमता हुवा अपने लंड को दबाता हुवा बोल रहा था थानेदार.
मैन चुप चाप पडी उसको देख रही थी. दारु की वजह से सीर घूम रहा था. आंखें बार-बार खुल बंद हो रही थी.
उसने अपना अंडरवियर निकला और उसका लंड खुली हवा मैं सांस लेने लगा. उसका लंड मेरे श्याम या कहूं मेरे पुराने यारों जीतना ही लुम्बा था यानी बीतते से बड़ा लेकीन मोटा पुरा ग्हधे की तरह था…..!!!
थानेदार घुटनों के बल बैठकर मेरे नंगे सुलगते जिस्म को ऊपर से नीचे चाटने लगा. उसकी जीभ की हरकत और दारु का नशा मेरी रही सही ना-नुकर को भी बंद कर दीया. वोह अपनी जीभ से मेरे गालों, गर्दन, मुममो, मेरा पेट, मेरी चूत और मेरी जांघों को ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर चाट रहा था. लगता था की कई लड़कियों को इसी तरह थाने मैं चोद-चोद कर परफेक्ट खिलाडी बन चूका है. फीर अपनी जीभ को मेरी चूत के पास ला कर अपने लंड को मेरे गालों पर रगड़ने लगा.
“मुहं मैं ले इसको,” थानेदार गरजा.
“किसको?”
“अबे साली नखरे नही दीखा. ले मुहं मैं मेरे लाव्दे को.” और मेरे मुहं मैं अपने लंड के सुपाङा को फंसा दीया.
मोटा लंड कैसे जाता मेरे मुहं मैं.
“ले साली मुहं मैं. खबरदार अगर तुने इसको दांत गद्य तोः..” थानेदार ने हिदयात भी देर दी.
मैन नशे मे अपने मुहं को पूरा खोली और उसका लंड मेरे अंदर जा कर फँस गया. तभी थानेदार लंड को अंदर जाते देख मेरी चूत के दाने को मसलन शुरू कर दीया और अपनी जीभ से मेरे चूत के lips को चाटना. मेरे जिस्म मैं हलचल मचल गयी. अगर लंड मुहं मैं नहीं होता तोः यकीनन मेरी सिस्कारी निकल पड़ती. अब दोनो ६९ पोसिशन मैं एक दुसरे के लंड और चूत को चूस और चाट रहे थे.
तभी थानेदार उठा और मेरी दोनो टांगो को घुटने से मोड़कर मेरी जांघों को फैला दीया और अपना मूसल मेरी चूत के दरवाजे पर रख दीया. मुझ मैं दारु के नशा अपनी पूरी रवानी पर था और लंड अपनी पूरी जवानी पर. उसने अपना थूक अपने लंड के सुपाङा पर लगाया और एक करारा झटका दीया.
सेर्र्र्र्र्र्र…… अध लंड अंदर.
जोर की चीख़ नीक्ली मेरी. ऐसे मूसल लंड से पहली बार साबका पड़ा था मेरी चूत का. लेकीन थानेदार को इससे क्यया. उसने मेरे मुम्मे एक हाथ से और एक टांग को दुसरे हाथ से और फीर एक जोरदार झटका.
थानेदार ग़ुस्से में ब्ड्ब्डाता हुवा और गाली देता हुवा मेरे बालों को झटके देते हुये मुझे उठाया, “साली मादरचोद. मेरे को धक्का देती है साली. रंडी. अब मैन देता हूँ तेरे को मेरे लंड का धक्का.. साली छीनल. मेरे को धक्का देती है. अब देखता हूँ कैसे बचती है चुदने से..”
उसने मुझे बलों पकड़ कर मेरे चहरे को अपनी और घुमा कर मेरे गलों और मेरे होंठों को चूमने लगा. मैन २-३ मिनुतेस बाद फीर कसमसाई और छुडाने की कोशीश करने लगी. लेकीन उसने मुझे अपनी गिरफ्त में रखा और मेरे अनार जैसे कड़क मुम्मो को अपने मुहं में दबा कर चूसने लगा. अब वोह दांतो से मेरे प्यारे-प्यारे गोरे-गोरे मुममो को कटने लगा. जैसे काटा वैसे ही मेरी चीख निकली. लेकीन उसे क्या परवाह थी. थोडी देर में मेरे एक मुम्मे पर जोर से काट खाया तोः मेरी जोरदार चीख़ निकल गयी.
“चुप. आवाज़ नही. अबके चीखी ना तोः पुरा तेरा काट के अलग कर दूंगा, साली रांड,” कड़क आवाज़ में बोला थानेदार….!!!
सहमकर चुप हो गयी मैन लेकीन सिस्कियां आ रही थी. थानेदार ने मुझे पकड़ कर नीचे सुला दीया और अपनी पैंट खोल दीया. अब वोह भी सिर्फ़ अंडरवियर मैं और मैन भी अंडरवियर में. उसने नीचे झुकते हुये मेरा अंडरवियर एक झटके में नीचे खींचा तोः वोह घुटने पर जा कर अटक गया. फीर मेरी टांगो को ऊपर कर उसे बहार निकाल फेंका. अब थानेदार मेरे पुरे नंगे जिस्म को उपर से नीचे देखता हुआ अपने हाथ से अपने अंडरवियर में पड़े अपने लंड को दबाने लगा.
“उफ़. क्यया जवानी है तेरी. एक मरद से नही संभल सकती ऐसी जवानी. कितने मर्दो को अपनी जवानी का रुस पिलाया है तुने,” नशे मैं झूमता हुवा अपने लंड को दबाता हुवा बोल रहा था थानेदार.
मैन चुप चाप पडी उसको देख रही थी. दारु की वजह से सीर घूम रहा था. आंखें बार-बार खुल बंद हो रही थी.
उसने अपना अंडरवियर निकला और उसका लंड खुली हवा मैं सांस लेने लगा. उसका लंड मेरे श्याम या कहूं मेरे पुराने यारों जीतना ही लुम्बा था यानी बीतते से बड़ा लेकीन मोटा पुरा ग्हधे की तरह था…..!!!
थानेदार घुटनों के बल बैठकर मेरे नंगे सुलगते जिस्म को ऊपर से नीचे चाटने लगा. उसकी जीभ की हरकत और दारु का नशा मेरी रही सही ना-नुकर को भी बंद कर दीया. वोह अपनी जीभ से मेरे गालों, गर्दन, मुममो, मेरा पेट, मेरी चूत और मेरी जांघों को ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर चाट रहा था. लगता था की कई लड़कियों को इसी तरह थाने मैं चोद-चोद कर परफेक्ट खिलाडी बन चूका है. फीर अपनी जीभ को मेरी चूत के पास ला कर अपने लंड को मेरे गालों पर रगड़ने लगा.
“मुहं मैं ले इसको,” थानेदार गरजा.
“किसको?”
“अबे साली नखरे नही दीखा. ले मुहं मैं मेरे लाव्दे को.” और मेरे मुहं मैं अपने लंड के सुपाङा को फंसा दीया.
मोटा लंड कैसे जाता मेरे मुहं मैं.
“ले साली मुहं मैं. खबरदार अगर तुने इसको दांत गद्य तोः..” थानेदार ने हिदयात भी देर दी.
मैन नशे मे अपने मुहं को पूरा खोली और उसका लंड मेरे अंदर जा कर फँस गया. तभी थानेदार लंड को अंदर जाते देख मेरी चूत के दाने को मसलन शुरू कर दीया और अपनी जीभ से मेरे चूत के lips को चाटना. मेरे जिस्म मैं हलचल मचल गयी. अगर लंड मुहं मैं नहीं होता तोः यकीनन मेरी सिस्कारी निकल पड़ती. अब दोनो ६९ पोसिशन मैं एक दुसरे के लंड और चूत को चूस और चाट रहे थे.
तभी थानेदार उठा और मेरी दोनो टांगो को घुटने से मोड़कर मेरी जांघों को फैला दीया और अपना मूसल मेरी चूत के दरवाजे पर रख दीया. मुझ मैं दारु के नशा अपनी पूरी रवानी पर था और लंड अपनी पूरी जवानी पर. उसने अपना थूक अपने लंड के सुपाङा पर लगाया और एक करारा झटका दीया.
सेर्र्र्र्र्र्र…… अध लंड अंदर.
जोर की चीख़ नीक्ली मेरी. ऐसे मूसल लंड से पहली बार साबका पड़ा था मेरी चूत का. लेकीन थानेदार को इससे क्यया. उसने मेरे मुम्मे एक हाथ से और एक टांग को दुसरे हाथ से और फीर एक जोरदार झटका.
Re: “हवालात मैं चुद गई” – चुद गयी , झड़ गयी , लुट गयी ! !
सेर्र्र्र्र्र्र…… पूरा लंड अंदर.
मेरी बोलती बंद हो गयी. थानेदार ने अब मेरी दोनो टांगो को पकड़ कर दादा-दादा धक्के मरने शुरू कर दीये. इन धक्कों के साथ मेरी सिस्कारियां भी शुरू हो गयी.
“धीरे… धीरे… जोरसे धक्क्का ना मरो… अह्ह्ह… फट जायेगी… मेरी चूत…प्यार से चोदो… देखो थोडा धीरे… तुम्हारा लंड बड़ा मूसल है… गधे जैसे लंड से गधे जैसे नही चोदो मुझे… उफ्फ्फ… अह्ह्ह…” मेरे मुहं से ना जाने कहां से लंड, चूत जैसे words नीक्लने लगे. यह उसकी झन्नाटेदार चुदाई का ही असर था.
“साली.. कितने मर्दो को खा चुकी.. फीर भी कहती है धीरे. धीरे.. रांड. खा मेरे धक्के.. आज से तेरी चूत मैं ही चोदुंगा रोज.. मेरा लंड तेरी चूत का सारा कास-बल नीकाल देगा.. चुदाई क्यया होती है ये तुझे मेरा लंड ही बतायेगा.. चुदा. चुदा.” थानेदार जमकर धक्के मरते हुये मेरी चूत मैं अपना लंड पेलता रहा.
Full speed. जमकर चुदाई. येही चली १५-२० मिनट तक. मेरी चूत इस बीच अपने पानी से भरपूर गीली हो चुकी थी. जिससे उसके मूसल लंड को भी आराम से ले रही थी और मज़ा भी ख़ूब आने लगा.
“है. है. क्यया चोद रहे हो थानेदार.. ख़ूब जबर्दुस्त लंड है तेरा.. ओह्ह. मेरा पानी निकला.. निकला.. निकलाआया.” यह कहकर मेरी चूत अन्पा पानी उसके लंड पर बरसाने लगी. लेकीन उसके धक्के दारु के नशे मैं और बढते गए. मेरी चूत का पानी उसके लंड के नशे को और बढ़ा दीया लगता था. लेकीन मेरे पानी नीक्लने से मेरी जकदन कमजोर हो गयी तोः उसने अपना लंड बहार निकल दीया.
उसका लंड और मोटा लग रहा था. मानो मेरी चूत का सारा पानी उसकी पिचकारी मैं चला गया हो.उसने खडे हो कर मुझे बैठा दीया और मेरे मुहं मैं अपना लंड ठूंस दीया. उसके लंड से मेरी चूत की स्मेल आ रही थी. लेकीन मुझे उस समय उसके जैसा लंड कीसी मिठाई से कम नही लग रहा था. सो मैंने गुप्प से अपने मुहं मैं लेकर चूसना शुरू कर दीया. ५-७ मिनट मैं उसने अपना लंड बाहर नीकाल लीया. तोः मुझे लगा वोह अब झड़ने वाला है. लेकीन मैं गलत साबीत हूई. उसने मुझे doggy स्टाइल मैं कर मेरी चूत मैं अपना लंड पीछे से दाल दीया और चोदने लगा.
थानेदार ने २५-३० धक्कों के अपना लंड बहार नीकाला और मेरी चूत मैं अपनी दो अंगुली फंसा कर उसकी सारी मलाई अपनी अंगुली मैं लपेट ली और लंड पर चीपुद्ने लगा. मैं कुछ सोच पाती उससे पहले उसने अपने लंड को मेरी गांड के छेद मैं फंसा कर एक जोर दार झटका मारा. मेरी चीख़ निकल पडी.
यह चीख़ अब तक की मेरी सबसे जोरदार थी. मेरी आँखों से आंसू थमने को नाम ही नही ले रहे थे. मैं चीखती हूई उससे गलियन देने लगी, “आरे साले गांडू….. फाड़ दी मेरी गांड…….!!! आरे क्यो मारी. नीकाल मेरी गांड से. लंड को नीकाल मादरचोद……….. बहन की गांड मैं दे ऐसे मूसल लंड को॥
अपनी माँ की गांड मैं दे अपने लंड को.. नीकाल गांडू.. मर जाऊंगी मैं..
नीकाल अपने लाव्डे को.. फट गैईई…………..”
लेकीन थानेदार ने मेरे बालों को कास-कास कर पकड़ते हुये मेरी गांड मारनी चालू रखी. मेरी गांड मैं भयंकर दर्द हो रहा था. उसने स्पीड कम की फीर बढ़ायी फीर कम कर दी. इस तरह मुझे कुछ आराम मीला. हल्का-हल्का दर्द हो रहा था. लेकीन हल्का-हल्का मज़ा भी आ रहा था. उसने स्पीड बढ़ायी तोः मज़ा भी बढ गया. फीर उसने अपने लंड को बहार नीकला और उसी पोसिशन मैं मेरी चूत मैं फीर से दाल दीया.
गांड मैं दरद तोः नही था. साथ ही अब चूत मैं लंड के जाते ही पुरे बदन मैं चुदाई का नशा छाने लगा. तभी थानेदार ने अपने धक्को की फुल्ल स्पीड करते हुये अपनी पिचकारी छोड़नी चालू कर दी. उसका फव्वारा धुच से मेरी चूत के अंदर जा रहा था जिससे मेरी चूत भी झड़ने लगी. दोनो निढाल हो कर हवालात की जमीन पर लेट गए.
मैं बुद्बुदाई, “वाकई मैं तुम्हारा लंड कमाल का है. आज तक कीसी ने भी मुझे ऐसा नही चोदा.”
थानेदार ने लेटे लेटे ही जवाब दीया, “अब मौका मिलने पर इससे जोरदार चोदुंगा तुझे. आज तो हवालात था लेकीन कभी बिस्तर पर मुझसे चुदोगी ना बड़ा ही मज़ा आएगा तुझे.”
“मैं इंतज़ार करूंगी,” मैंने उसके होंठों को चूमते हुये कहा.
थानेदार मेरे दोनो मुममो को चूमता हुवा उठा. मेरे ब्लौस और चोली को मेरे पास फेंका और अपने कपडे पहनने लगा. मैं कह्राती हूई उठी. अब दारु का नशा कम हो चूका था. लेकीन चुदाई की मस्ती छायी हूई थी. उठी तोः कदम लाद्खादा रहे थे. गांड पहली बार कीसी ने मारी थी वोह भी मूसल लंड से. चलने के लीये दोनो टांगो को थोडा चौड़ा करना पड़ रहा था जीसे देखकर थानेदार हंसने लगा. मेरे कपडे पहनते ही उसने पोलीस स्टेशन का गेट खोल दीया. मुझे हवालात मैं ही नींद आ गयी.
मेरी बोलती बंद हो गयी. थानेदार ने अब मेरी दोनो टांगो को पकड़ कर दादा-दादा धक्के मरने शुरू कर दीये. इन धक्कों के साथ मेरी सिस्कारियां भी शुरू हो गयी.
“धीरे… धीरे… जोरसे धक्क्का ना मरो… अह्ह्ह… फट जायेगी… मेरी चूत…प्यार से चोदो… देखो थोडा धीरे… तुम्हारा लंड बड़ा मूसल है… गधे जैसे लंड से गधे जैसे नही चोदो मुझे… उफ्फ्फ… अह्ह्ह…” मेरे मुहं से ना जाने कहां से लंड, चूत जैसे words नीक्लने लगे. यह उसकी झन्नाटेदार चुदाई का ही असर था.
“साली.. कितने मर्दो को खा चुकी.. फीर भी कहती है धीरे. धीरे.. रांड. खा मेरे धक्के.. आज से तेरी चूत मैं ही चोदुंगा रोज.. मेरा लंड तेरी चूत का सारा कास-बल नीकाल देगा.. चुदाई क्यया होती है ये तुझे मेरा लंड ही बतायेगा.. चुदा. चुदा.” थानेदार जमकर धक्के मरते हुये मेरी चूत मैं अपना लंड पेलता रहा.
Full speed. जमकर चुदाई. येही चली १५-२० मिनट तक. मेरी चूत इस बीच अपने पानी से भरपूर गीली हो चुकी थी. जिससे उसके मूसल लंड को भी आराम से ले रही थी और मज़ा भी ख़ूब आने लगा.
“है. है. क्यया चोद रहे हो थानेदार.. ख़ूब जबर्दुस्त लंड है तेरा.. ओह्ह. मेरा पानी निकला.. निकला.. निकलाआया.” यह कहकर मेरी चूत अन्पा पानी उसके लंड पर बरसाने लगी. लेकीन उसके धक्के दारु के नशे मैं और बढते गए. मेरी चूत का पानी उसके लंड के नशे को और बढ़ा दीया लगता था. लेकीन मेरे पानी नीक्लने से मेरी जकदन कमजोर हो गयी तोः उसने अपना लंड बहार निकल दीया.
उसका लंड और मोटा लग रहा था. मानो मेरी चूत का सारा पानी उसकी पिचकारी मैं चला गया हो.उसने खडे हो कर मुझे बैठा दीया और मेरे मुहं मैं अपना लंड ठूंस दीया. उसके लंड से मेरी चूत की स्मेल आ रही थी. लेकीन मुझे उस समय उसके जैसा लंड कीसी मिठाई से कम नही लग रहा था. सो मैंने गुप्प से अपने मुहं मैं लेकर चूसना शुरू कर दीया. ५-७ मिनट मैं उसने अपना लंड बाहर नीकाल लीया. तोः मुझे लगा वोह अब झड़ने वाला है. लेकीन मैं गलत साबीत हूई. उसने मुझे doggy स्टाइल मैं कर मेरी चूत मैं अपना लंड पीछे से दाल दीया और चोदने लगा.
थानेदार ने २५-३० धक्कों के अपना लंड बहार नीकाला और मेरी चूत मैं अपनी दो अंगुली फंसा कर उसकी सारी मलाई अपनी अंगुली मैं लपेट ली और लंड पर चीपुद्ने लगा. मैं कुछ सोच पाती उससे पहले उसने अपने लंड को मेरी गांड के छेद मैं फंसा कर एक जोर दार झटका मारा. मेरी चीख़ निकल पडी.
यह चीख़ अब तक की मेरी सबसे जोरदार थी. मेरी आँखों से आंसू थमने को नाम ही नही ले रहे थे. मैं चीखती हूई उससे गलियन देने लगी, “आरे साले गांडू….. फाड़ दी मेरी गांड…….!!! आरे क्यो मारी. नीकाल मेरी गांड से. लंड को नीकाल मादरचोद……….. बहन की गांड मैं दे ऐसे मूसल लंड को॥
अपनी माँ की गांड मैं दे अपने लंड को.. नीकाल गांडू.. मर जाऊंगी मैं..
नीकाल अपने लाव्डे को.. फट गैईई…………..”
लेकीन थानेदार ने मेरे बालों को कास-कास कर पकड़ते हुये मेरी गांड मारनी चालू रखी. मेरी गांड मैं भयंकर दर्द हो रहा था. उसने स्पीड कम की फीर बढ़ायी फीर कम कर दी. इस तरह मुझे कुछ आराम मीला. हल्का-हल्का दर्द हो रहा था. लेकीन हल्का-हल्का मज़ा भी आ रहा था. उसने स्पीड बढ़ायी तोः मज़ा भी बढ गया. फीर उसने अपने लंड को बहार नीकला और उसी पोसिशन मैं मेरी चूत मैं फीर से दाल दीया.
गांड मैं दरद तोः नही था. साथ ही अब चूत मैं लंड के जाते ही पुरे बदन मैं चुदाई का नशा छाने लगा. तभी थानेदार ने अपने धक्को की फुल्ल स्पीड करते हुये अपनी पिचकारी छोड़नी चालू कर दी. उसका फव्वारा धुच से मेरी चूत के अंदर जा रहा था जिससे मेरी चूत भी झड़ने लगी. दोनो निढाल हो कर हवालात की जमीन पर लेट गए.
मैं बुद्बुदाई, “वाकई मैं तुम्हारा लंड कमाल का है. आज तक कीसी ने भी मुझे ऐसा नही चोदा.”
थानेदार ने लेटे लेटे ही जवाब दीया, “अब मौका मिलने पर इससे जोरदार चोदुंगा तुझे. आज तो हवालात था लेकीन कभी बिस्तर पर मुझसे चुदोगी ना बड़ा ही मज़ा आएगा तुझे.”
“मैं इंतज़ार करूंगी,” मैंने उसके होंठों को चूमते हुये कहा.
थानेदार मेरे दोनो मुममो को चूमता हुवा उठा. मेरे ब्लौस और चोली को मेरे पास फेंका और अपने कपडे पहनने लगा. मैं कह्राती हूई उठी. अब दारु का नशा कम हो चूका था. लेकीन चुदाई की मस्ती छायी हूई थी. उठी तोः कदम लाद्खादा रहे थे. गांड पहली बार कीसी ने मारी थी वोह भी मूसल लंड से. चलने के लीये दोनो टांगो को थोडा चौड़ा करना पड़ रहा था जीसे देखकर थानेदार हंसने लगा. मेरे कपडे पहनते ही उसने पोलीस स्टेशन का गेट खोल दीया. मुझे हवालात मैं ही नींद आ गयी.
Re: “हवालात मैं चुद गई” – चुद गयी , झड़ गयी , लुट गयी ! !
सुबह श्याम की आवाज सुनकर मेरी आंखें खुली. श्याम ने मुझे उठे हुये देख कर कहा, “डरो नही. अब कुछ तकलीफ नही होगी. वोह रंगीला ने जान्भुझ्कर मेरा नाम लीया था. लेकीन असली कातील खुद रंगीला ही था. पोलीस ने उसको पकड़ लीया है. अब घर चलो.”
थानेदार मुझे देखकर मुस्करा रहा था. मैं मन् ही मन् सोच रही थी की हाँ अब तकलीफ नही होगी पर कीसे. थानेदार के मूसल लंड को या मेरी रसीली चूत को……..!!!!!
थानेदार मुझे देखकर मुस्करा रहा था. मैं मन् ही मन् सोच रही थी की हाँ अब तकलीफ नही होगी पर कीसे. थानेदार के मूसल लंड को या मेरी रसीली चूत को……..!!!!!