उसके गोरे बदन पर मस्तानी चूचियों पर काले रंग का ब्रा..
मैंने जल्दी से ब्रा को बिना खोले ऊपर की तरफ़ उठा दिया, वो सोफे पर पीछे झुक गई जिससे उसके फूले हुए गदराये स्तन और उभर आए थे। मैंने उसकी चूची पर चूमा और उसके मुँह सेसी. .सी.. स्..स्.. स्. आह.. ऐसी कराहें निकलने लगी..
उसकी लाजवाब चूचियां मेरे सामने थी जिनके मैं सपने देखा करता था..
मैंने उसके गालों पर फ़िर से चूमते हुए उसके कान में कहा,”रागिनी मैं तुम्हें प्यार करता हूँ.. मुझे आज मत रोकना प्लीज़ !”
उसने कुछ कहा नहीं.. वो सोफे पर और पीछे झुक गई.. उसने अपने स्तन और ऊपर कर दिए.. उसके स्तन अभी भी सख्त थे.. किसी रबर की गेंद की तरह. उसके स्तन का साइज़ 36 डी होगा, यह मैंने उन्हें हाथ में ले कर जाना..
अब मैंने पीछे हाथ ले जाकर उसके ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा के खुलते ही उसने अपने दोनों हाथों से अपने स्तनों को ढकना चाहा लेकिन मैंने उसके हाथ पकड़ लिए। मैं उसके नायाब खजाने को देखना चाह रहा था.. उसका गोरा बदन.. एकदम चिकना.. हाथ रखते ही हाथ फिसल जाता.. इतना चिकना बदन किसी का हो सकता है .. यह सोच कर ही मेरी मस्ती सातवें आसमान पर पहुँचने लगी.. ये नरम गदराया जिस्म मेरे सामने है .. इसकी चूत कितनी नरम होगी.. कितनी मजेदार नज़ारा होगा.. उफ़.. ये ख्याल इंच दर इंच मेरे लंड की लम्बाई और मोटाई को और बढ़ा रहे थे।
कहा,”रागिनी, मुझे इन्हें जी भर के देखने और प्यार करने दो..
कहते हुए मैंने उसके गुलाबी चुचूक को हाथ लगाया, मसला.. वो अब कड़क होने लगे थे.. उसके मुँह से आउच.. की आवाज़ निकली..
मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचा.. वो सीधे मेरे कंधे पर सर टिका कर मेरे गालों को चूमने लगी… मेरे हाथ की उँगलियाँ उसकी चूचियों पर भ्रमण कर रही थी. .. उसकी साँस बहुत तेज़ हो रही थी.. उसकी साड़ी का आँचल अब ज़मीन पर पड़ा था।
“संजय अभी अगर कोई आ जाए और हमें इस तरह देख ले तो? क्या होगा ? बोलो !
“फिकर मत करो इतनी सुबह कोई नहीं आयेगा ! और फ़िर मैंने बाहर का दरवाज़ा अच्छे से बंद कर दिया है इसलिए अगर कोई आयेगा तो उसे वैसे ही दरवाजे से वापस जाना होगा।” कहते हुए अब मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके होंठों पर एक लंबा चुम्बन लिया..
उसने भी अब मेरा साथ दिया.. उसकी साँस फूलने से उसने मुझे धकेला और बहुत ही सेक्सी नज़र से देखा..
आह क्या दिख रही थी वो.. गोल गोल गोरे गोरे उरोज.. एकदम तने हुए और गुलाबी चुचूक…
मैंने अपनी बनियान निकाल दी। मेरे बालों से भरे सीने में उसके गुलाबी स्तनाग्र रगड़ने खाने लगे…
उसने मेरी तरफ़ देखा और कहा,”तुम बहुत बदमाश हो ! एक दम गंदे !” और फ़िर मेरे सीने से लग गई..
वो अपनी चूचियों को मेरे नज़रों से छुपाने की कोशिश कर रही थी, मैंने उसे थोड़ा परे किया और अब मैंने अपना चेहरा उसकी चूचियों पर रखा और उसके निपल मुँह में लिया. दुसरे को उँगलियों से मसल रहा था..
उसने मेरा सर जोर से अपनी छाती पर दबाया.. और “आह्ह..बस..उफ़.. संजय..” करने लगी..
लेकिन मुझे तो नशा हो रहा था.. उसके मदमस्त स्तन.. चूसने में मुझे किसी शहद या मिठाई से ज्यादा मीठापन महसूस हो रहा था.. मैं अब जोर से चूसने लगा.. मैंने हल्के से उसके बाएँ निपल में काट लिया ..ऊईई…उफ्फ्फ्फ़…बस संजय.. रुक जाओ.. अब और नहीं..” कहते हुए वो उठने लगी।
मैंने उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा,”नहीं रागिनी मुझे मत रोको प्लीज़.. मुझे आज मेरे सपनो की रानी को जी भर कर प्यार करने दो !”
और मैं फ़िर से उसके निपल मुँह में लेकर एक एक कर चूसने लगा।
“आआआआआह्ह्ह..हाँ..संजय.. जोर से… उफ़. बहुत अच्छा लग रहा है..” कहते हुए मेरे सर को अपने सीने पर दबाने लगी।
मैंने अब उसकी साड़ी को निकालना शुरू किया.. वो उठने लगी..मैंने साड़ी निकाल कर फेंक दी.. अब वो सिर्फ़ पेटीकोट में थी… कमर पर थोड़ा गदरायापन था. उसकी नाभि बहुत गहरी थी. मैंने उसकी नाभि पर हाथ फेरा… वो मचल उठी.. मैंने फ़िर से उसके गालों को चूमा.. फ़िर उसके कान पर गीली जीभ फेरी.. वो उछल पड़ी.. मैं चाहता था कि उसके उछलने से उसकी चूचियाँ भी उछलें .. लेकिन नही.. वो तो जैसे उसके सीने पर चिपकी हुई थी.. जैसे किसी मूर्ति के स्तन हो ! एकदम सख्त.. !
दोस्तों आप सोच सकते हो मेरी क्या हालत हो रही थी उसके इस रूप को देख कर…
उसके निपल मानो स्ट्राबेरी हों इस तरह गुलाबी से लाल हो रहे थे… मेरे चूसने से और कड़क हो गए थे.. मैंने उसके एक स्तन को पंजे से पकड़ा और ज्यादा से ज्यादा मुँह के अन्दर लेकर चूसने लगा… आह..आह.. ओह्ह.. संजय.. उफ़.. तुम बहुत बदमाश हो.. आह.. उफ़.. मुझे क्या हो रहा..इश..इश्ह.. कहते हुए वो अपनी दोनों जांघों को रगड़ने लगी.. संजय.. क्या कर रहे हो.. आ..आह्ह..बस.. हाँ दबाओ.. चूसो.. और उसने एक हाथ से अपनी चूची पकड़ी और मेरे मुँह में डालने लगी…. उसके पैर उसी तरह हिल रहे थे.. वो अपने चूतड़ ऊपर कर रही थी.. और अचानक उसने मुझे जोर से भींच लिया.. और आह्ह..आह्ह.. आह… करते हुए अपने पैरों को पूरा लंबा कर दिया..
बीवी की सहेली - hindi sex story (Desi kahani)
Re: बीवी की सहेली - hindi sex story (Desi kahani)
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A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.
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Re: बीवी की सहेली - hindi sex story (Desi kahani)
मैं समझ गया कि वो झड़ गई है..
अब उसको मैंने फ़िर से होंठो से चूमना शुरू किया.. और चूमते हुए मैंने उसके हाथों को ऊपर उठाया और अपना मुँह उसकी बगल में घुसाया.. ओह्ह.. उसके बगल की वो मादक खुशबू.. पसीने और पाऊडर की मिली-जुली खुशबू.. मैंने उसे सूंघा और फ़िर जीभ फेरते हुए चाटने लगा।
उसे गुदगुदी होने लगी..
मैंने दोनों बगलों को करीब दस मिनट तक चाटा.. वो मचलती रही..
फ़िर मैं दुबारा उसके स्तनों पर आ गया.. इस बार मैं पूरे स्तन को हथेली में लेता और निपल समेत जितना मुँह में ले सकता, उतना मुँह में लेता और चूसता.. दोनों चूचियाँ अब लाल हो चुकी थी, दबाने से नीले निशान दिख रहे थे.. मैंने जहाँ जहाँ दांत लगाये, वहां पर दांतों के निशान भी पड़ गए थे…
रागिनी सिर्फ़ आह.. ओह्ह.. कर रही थी.. मैं उसकी पतली कमर को सहलाता.. पेट पर हाथ फेरता.. अब मैं नीचे पेट की तरफ़ आया.. जैसे ही गोरे पेट पर चूमा.. वो थोड़ी उछल पड़ी.. मैंने अपने दोनों हाथ उसके चूतड़ के नीचे डाल दिए। उसके चूतड़ किसी कुंवारी लड़की जैसे सख्त थे.. लेकिन उस सख्ती में एक मुलामियत का अहसास था… मैंने उन्हें दबाते हुए मेरी जीभ उसकी नाभि पर गोलाई में घुमाना शुरू किया.. अब वो फ़िर से बेचैन होने लगी थी.. ओह्ह संजय.. बहुत बदमाश हो तुम.. उफ़ नहीं.. बस.. मैं.. मर जाउंगी.इ.इ.इ.इ.” और वो थोड़ा उठ कर बैठ गई..
मैंने जल्दी से उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए और चूमने लगा.. अब वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी… मैंने अपनी जीभ उसके मुँह के अन्दर डाल दी.. फ़िर उसकी जीभ मुँह में लेकर चूसने लगा.. मुझे मालूम था कि अब रागिनी भी गरम हो चुकी है फ़िर से..
मैंने उसके चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ा.. उसकी चूचियों को देखते हुए मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर चिपका दिए.. और जोरों से चूसने लगा.. उसके मुँह से उम् ऽऽ उम् आह की आवाज़ निकलने लगी.. मेरे हाथ स्तनों पर थे.. मैंने मेरे होंठ फ़िर से उसके निपल पर रखे ..उसका हाथ मेरे बालों में घूम रहा था.. इस पोज़ में मुझे थोड़ी दिक्कत हो रही थी. मैंने उसे सोफे के किनारे पर पैर लटका कर बिठाया और मैं नीचे ज़मीन पर घुटनों के बल बैठ गया.. इस तरह बैठने से उसकी चूंचिया ठीक मेरे होंठो के सामने आ गई। मैंने दोनों चूचियों को अपनी हथेलियों में भर लिया और उसके निपल मुँह में लिए.. कभी कभी मैं उसकी कमर को भी सहला देता था.. मैंने नीचे सर झुकाया तो मैंने देखा उसका पेटीकोट सामने से गीला हो रहा है.. मैं अपना मुँह नीचे की तरफ़ लाया उसके पेट पर से होते हुए उसके दोनों जांघों के बीच में मैंने सर रखा और नाभि का चुम्बन लेते हुए उसकी जांघों को हाथों से फैलाया.. पेटीकोट का कपड़ा पूरा फ़ैल गया।
मेरे होंठ उसकी जांघों पर पहुंचे पेटीकोट के ऊपर से ही.. पैर फैला देने से मुझे उसकी उभरी हुई चूत का आभास मिल रहा था. मैंने बहुत हलके से उस उभार पर होंठ रखे और “पुच्च..पुच्च.” किया.. वो सिहर उठी.. अपनी जांघ सिकोड़ने लगी।
अब मैंने उसका पेटीकोट निकलने का निश्चय किया और उसकी डोरी पर हाथ रखा। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया,”नहीं संजय.. ये मत करो.. प्लीज़, अपनी बीवी और मेरे पति के बारे में सोचो.. यह ग़लत है.. हम उनसे दगाबाजी कर रहे हैं .. रुक जाओ संजय !”
उसने मुझे रोकने का एक असफल प्रयत्न किया और उठ कर खड़ी होने लगी।
“रागिनी, अब बहुत देर हो चुकी है.. तुम भी जानती हो कि अब हम दोनों के लिए रुकना नामुमकिन है.. अब इस मौके का फायदा उठाओ और मजा लो.. इसी में दोनों की भलाई है !” कहते हुए मैंने उसे पकड़ा और उसके पेटीकोट का नाडा खींच दिया.
अब उसको मैंने फ़िर से होंठो से चूमना शुरू किया.. और चूमते हुए मैंने उसके हाथों को ऊपर उठाया और अपना मुँह उसकी बगल में घुसाया.. ओह्ह.. उसके बगल की वो मादक खुशबू.. पसीने और पाऊडर की मिली-जुली खुशबू.. मैंने उसे सूंघा और फ़िर जीभ फेरते हुए चाटने लगा।
उसे गुदगुदी होने लगी..
मैंने दोनों बगलों को करीब दस मिनट तक चाटा.. वो मचलती रही..
फ़िर मैं दुबारा उसके स्तनों पर आ गया.. इस बार मैं पूरे स्तन को हथेली में लेता और निपल समेत जितना मुँह में ले सकता, उतना मुँह में लेता और चूसता.. दोनों चूचियाँ अब लाल हो चुकी थी, दबाने से नीले निशान दिख रहे थे.. मैंने जहाँ जहाँ दांत लगाये, वहां पर दांतों के निशान भी पड़ गए थे…
रागिनी सिर्फ़ आह.. ओह्ह.. कर रही थी.. मैं उसकी पतली कमर को सहलाता.. पेट पर हाथ फेरता.. अब मैं नीचे पेट की तरफ़ आया.. जैसे ही गोरे पेट पर चूमा.. वो थोड़ी उछल पड़ी.. मैंने अपने दोनों हाथ उसके चूतड़ के नीचे डाल दिए। उसके चूतड़ किसी कुंवारी लड़की जैसे सख्त थे.. लेकिन उस सख्ती में एक मुलामियत का अहसास था… मैंने उन्हें दबाते हुए मेरी जीभ उसकी नाभि पर गोलाई में घुमाना शुरू किया.. अब वो फ़िर से बेचैन होने लगी थी.. ओह्ह संजय.. बहुत बदमाश हो तुम.. उफ़ नहीं.. बस.. मैं.. मर जाउंगी.इ.इ.इ.इ.” और वो थोड़ा उठ कर बैठ गई..
मैंने जल्दी से उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए और चूमने लगा.. अब वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी… मैंने अपनी जीभ उसके मुँह के अन्दर डाल दी.. फ़िर उसकी जीभ मुँह में लेकर चूसने लगा.. मुझे मालूम था कि अब रागिनी भी गरम हो चुकी है फ़िर से..
मैंने उसके चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ा.. उसकी चूचियों को देखते हुए मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर चिपका दिए.. और जोरों से चूसने लगा.. उसके मुँह से उम् ऽऽ उम् आह की आवाज़ निकलने लगी.. मेरे हाथ स्तनों पर थे.. मैंने मेरे होंठ फ़िर से उसके निपल पर रखे ..उसका हाथ मेरे बालों में घूम रहा था.. इस पोज़ में मुझे थोड़ी दिक्कत हो रही थी. मैंने उसे सोफे के किनारे पर पैर लटका कर बिठाया और मैं नीचे ज़मीन पर घुटनों के बल बैठ गया.. इस तरह बैठने से उसकी चूंचिया ठीक मेरे होंठो के सामने आ गई। मैंने दोनों चूचियों को अपनी हथेलियों में भर लिया और उसके निपल मुँह में लिए.. कभी कभी मैं उसकी कमर को भी सहला देता था.. मैंने नीचे सर झुकाया तो मैंने देखा उसका पेटीकोट सामने से गीला हो रहा है.. मैं अपना मुँह नीचे की तरफ़ लाया उसके पेट पर से होते हुए उसके दोनों जांघों के बीच में मैंने सर रखा और नाभि का चुम्बन लेते हुए उसकी जांघों को हाथों से फैलाया.. पेटीकोट का कपड़ा पूरा फ़ैल गया।
मेरे होंठ उसकी जांघों पर पहुंचे पेटीकोट के ऊपर से ही.. पैर फैला देने से मुझे उसकी उभरी हुई चूत का आभास मिल रहा था. मैंने बहुत हलके से उस उभार पर होंठ रखे और “पुच्च..पुच्च.” किया.. वो सिहर उठी.. अपनी जांघ सिकोड़ने लगी।
अब मैंने उसका पेटीकोट निकलने का निश्चय किया और उसकी डोरी पर हाथ रखा। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया,”नहीं संजय.. ये मत करो.. प्लीज़, अपनी बीवी और मेरे पति के बारे में सोचो.. यह ग़लत है.. हम उनसे दगाबाजी कर रहे हैं .. रुक जाओ संजय !”
उसने मुझे रोकने का एक असफल प्रयत्न किया और उठ कर खड़ी होने लगी।
“रागिनी, अब बहुत देर हो चुकी है.. तुम भी जानती हो कि अब हम दोनों के लिए रुकना नामुमकिन है.. अब इस मौके का फायदा उठाओ और मजा लो.. इसी में दोनों की भलाई है !” कहते हुए मैंने उसे पकड़ा और उसके पेटीकोट का नाडा खींच दिया.
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