भागादौड़ी मैं चुदाई के लिए समय कहा से मिलता.
पिछले एक साल से मेरी जिन्दगी भागदौड़ वाली हो गई थी, क्यूंकि मैं रहेता अहमदाबाद में था और मुझे वापी में जॉब मिली थी. मेरी बीवी को यहाँ की फेक्ट्री से भरे इलाके में रहेना जरा भी अच्छा नहीं लगता था, उसे यहाँ की पोल्युतेड हवा से एलर्जी सा हो जाता था.वोह अहमदाबाद रहेती थी और मैं हर हफ्ते मैं शनिचर की शाम को अहमदाबाद चला जाता था और सोमवार को वापस वापी आ जाता था. सच बताऊँ तो मेरी सेक्स लाइफ पूरी खराब हो चुकी थी क्यूंकि मुझे घर पहुँचने पर इतनी थकान लगती की मैं जाके सीधा सो जाता था. सन्डे पूरा शोपिंग में जाता था. साली चूत चूत के लिए मोहताज हो गया था मैं तो. मैं एक चूत की तलाश में था जो मेरे लंड को ठंडक दे सके.
कुछ महीने ऐसे ही बीतें, तभी मेरी दोस्ती अकाउंट डिपार्टमेंट के मिस्टर महेता से हुई, हम लोग साथ मिल के शराब पीते थे. बात बात मैं मैंने उन्हें अपने लंड की भूख के बारे में बताया. उन्होंने मुझे शराब की चुस्कियों के साथ कहा की यहाँ जीआईडीसी में एक आंटी हैं जो चुदाई तो नहीं करने देती लेकिन 200 रूपये में तुम उसको मुहं में अपना लौड़ा दे सकते हो, और चूसने के वक्त आप उसके बूब्स और चूत से खेल जरुर सकते हैं. मैंने सोचा, क्या रंडी…..नहीं नहीं….मेरा मन पहले मुझे मना करने लगा लेकिन मैंने दो दिन बाद मिस्टर महेता से इस आंटी का एड्रेस मांग लिया. मिस्टर महेता के दिए नंबर पे मैंने फोन लगाया, साला मुझे तो रंडी और वेश्या से बात करना भी नहीं आता था. मसामने कोई 40 साल की आंटी ने फोन उठाया, “हल्लो, किसका कौन?”
मैंने कहा, “मैं, गिरीश, मुझे नंदिनी आंटी का काम था.”
“हाँ, बोलो मैं नंदिनी ही बोल रही हूँ.”
“मुझे आपका नंबर मिस्टर महेता ने दिया हैं, स्टार ब्रश वाले.”
“अच्छा, रेट बताया हैं उसने आपको और यह भी बताया होगा की क्या करती हूँ और क्या नहीं करने देती.”
“हाँ, सब बताया हैं. लेकिन आप कहाँ मिलेंगी.”
“जीआईडीसी के पीछे सुंदर सोसायटी में आ जाना, हाउस नंबर 32.”
शाम को घर आके मैंने नहाके लंड के आसपास के बाल साफ़ किये. मेरे लिए यह नया अनुभव होने वाला था क्यूंकि मैंने आजतक कभी किसीको अपना लंड नहीं चुसाया था. मेरी बीवी तो हाथ में लौड़ा पकड़ने से भी कतराती थी. मैंने अभी तक कई बीपी फिल्म्स में भी ब्लोजोब देखी थी और लंड की चुसाई के वक्त होने वाली सिसकियाँ और आह आह से मुझे लगता था की यह सच में एक अच्छा सेक्स अनुभव होगा लेकिन किया मैने कभी नहीं था. सोसायटी में पहुँच के मुझे घर ढूंढने में मुश्किल नहीं हुई. मैंने इधर उधर देखा, मुझे कोई नहीं देख रहा था. वैसे भी मुझे अपने कंपनी के बहार, दूधवाले और किराने वाले के अलावा शायद ही कोई जानता था. मैंने बेल बजाई, एक आधेड़ उम्र की स्त्री ने दरवाजा खोला….उसकी उम्र 40 के करीब थी और उसने टी-शर्ट और जिन्स पहनी हुई थी. यही शायद नंदिनी थी.
मुझे देख उसने बोला, “हाँ बोलो.”
मैंने कहाँ, “नंदिनी जी? मैंने फोन किया था….!”
“अच्छा, महेता वाला बंदा”
“हाँ हाँ”
दरवाजा उसने पूरा खोल दिया और मुझे अंदर लिया. मैं सोफे के उपर बैठा और वोह अंदर अपनी बड़ी बड़ी गांड को हिलाते हुए आई.उसने मेरी तरफ देखा और बोली, “शादीसूदा हैं की कुंवारा.”
मैंने कहाँ, “शादीसुदा हूँ लेकिन मेरी बीवी अहमदाबाद में रहेती हैं.”
“चल पेंट उतार जल्दी, मुझे भी बहार जाना हैं थोड़ी देर मैं.” नंदिनी सीधे ही पॉइंट पर आ गई. मुझे सच बताऊँ तो इसके सामने पेंट खोलने में हिचकिचाहट हो रही थी.नंदिनी शायद मेरी झिझक समझ गई और उसने निचे बैठ के मेरी पेंट की क्लिप खोल डाली. मेरा लंड कब से कड़ा हुआ था.उसने लंड को बहार करने के लिए पेंट और चड्डी उतार दी. पेंट नंदिनी आंटी ने पूरी उतार दी और अंडरवेर को उसने घुटनों तक ला के छोड़ दिया. उसके हाथ मेरे लंड की उपर चलने लगी और साथ में उसकी खनकती चार चूड़िया संगीत देने लगी. लौड़े को थोडा हिलाते ही वोह पुरे तान में आ गया और उसकी लम्बाई पूरी तरह बढ़ गई. मुझे उसके लंड को मसलने से एक अलग ही मजा आ रही थी. उसके हाथ लौड़े के गोटो को भी मसल रही थी. उसके हाथ में साला जादू था क्यूंकि मैं कभी भी बीवी के अलावा किसी लड़की या रंडी के साथ सेक्सुअली इन्वोल्ड नहीं हुआ था, और मेरे हिसाब से मुझे शरम आनी चाहिए थी. लेकिन मैं तो सोफे के उपर दोनों हाथ लम्बा के लंड को हिलता देखने लगा.
अब लंड चूस भी लो आंटी
नंदिनी आंटी ने लौड़े को मस्त मसाला और मेरा मन कहे रहा था की आंटी अब लौड़े को चूस भी लो. मुझे कुछ कहने की हालाकि जरूरत नहीं पड़ी क्यूंकि आंटी ने अपना मुहं खोला और अपने मुहं में पूरा के पूरा लौड़ा भर लिया. उसकी जबान बंध मुहं में ही लौड़े के उपर घुमने लगी. नंदिनी आंटी लौड़े को जबान से मस्त उत्तेजना दे रही थी. मेरी हालत बहुत ख़राब होने लगी थी, मैंने दोनों हाथसे सोफे को दबाया था और मुझे मिल रहा पहला ब्लोजोब बहुत ही खुबसूरत था. नंदिनी ने अब लंड को बहार निकाला और वोह उस चिकने लौड़े को हलाने लगी. तभी मुझे मिस्टर महेता की बात याद आई के मैं चुदाई के अलावा उसे टच कर सकता था. मैंने अपना हाथ बढाया और नंदिनी आंटी के स्तन को दबाने लगा. उसने अंदर मस्त मुलायम ब्रा पहनी हुई थी क्यूंकि मेरा हाथ उसके उपर रखते ही फिसलने लगा था. मैं जोर जोर से उसके चुंचो को दबाने लगा. नंदिनी आंटी ने वापस लंड को अपने मुहं में भर लिया और उसको फिर से दबा दबा के चूसने लगी.
आंटी के मुहं को वीर्य से भर दिया
नंदिनी आंटी लौड़े को और जोर जोर से चूस रही थी और साथ में बिच में उसे बहार निकाल कर हिला भी देती थी.मेरा लौड़ा इतना उत्तेजित पहले कभी नहीं हुआ था, अभी मुझे पता चला की बीपी फिल्मो में चुदाई से पहले लौड़ा चूसने की क्रिया क्यूँ बताते हैं, शायद यही वह क्रिया हैं जिस से लौड़ा सब से ज्यादा उत्तेजित होता हैं. मैंने आंटी के स्तन को और भी जोर से दबाएँ और मुझे बहुत मजा आने लगा था. तभी मुझे लगा की जैसे मेरे पुरे लंड के अंदर करंट लगा हो और पूरा खून लौड़े की तरफ बहने लगा हो. आंटी और भी जोर से लौड़े को चूस रही थी. उसने झडप से लंड को बहार निकाला और एक दो बार जोर से हिला के वापस मुहं में रख दिया. मेरे लौड़े से वीर्य की पिचकारी छूटने लगी और आंटी का मुहं पूरा के पूरा वीर्य से भर गया. मुझे लगा की यह आंटी वीर्य पी लेगी लेकिन उसने खड़े हो के वीर्य को बेसिन में थूंक के नल चालू किया. मेरे लाखो बच्चे गटर में बहने लगे. मैंने चड्डी और पेंट पहन ली. आंटी को मैंने 200 के बदले 250 रूपये दे दियें.
नंदिनी आंटी के वहाँ मेरा आना जाना इस घटना के बाद नियमित सा हो गया हैं. आंटी मुझे अभी भी चूत का मजा तो नहीं देती लेकिन उसके लंड चूसने की स्टाइल ही इतनी अच्छी हैं की मुझे उसकी चूत लेनी भी नहीं हैं…वोह मेरा लौड़ा ऐसे ही चूसती रहे काफी हैं….!!!
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A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.
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