राबिया का बेहेनचोद भाई--14
. हाए !!! नही....फिर कहा मौका मिलेगा.....चूत की फाक में पैंटी के उपर से उंगली चलाया.....बदन में बिजली दौड़ गई.....इठलाते शरमाते हुए बोली.... हाए !!! भाई हाथ हटाओ......कहते हुए अपने हाथ को फ्रॉक के उपर से भाई की हाथ पर रख दिया.....भाई मेरी गर्दन चूमता बोला....क्या हुआ.... हाए !!! यहा नही.....यहा से हाथ हटाओ......खाली हाथ ही तो रखा है..... हाए !!! नही अपने इज़ारबंद खोलने के बहाने भी हाथ लगाया था.....क्यों यहा हाथ लगाने से कुछ होता है....धत ! मार दूँगी.....बता ना कुछ होता है क्या.....धत !...बेशरम.....दिल करता होगा... हाए !!! नही नीचे बैठने दो.....कहते हुए मैने नीचे उतरने की कोशिश की......भाई एक हाथ से चूत को सहलाता दूसरी हथेली बाहर निकाल मेरी कमर पकड़ रोकता हुआ.....मुँह को कान के पास सटा सरगोशी करता बोला....क्यों ज़यादा चुभ रहा... हाए !!! धत !....मैं शरमाई....छोड़ो .....
वैसे तूने बताया नही क्या चुभ रहा है.....इससस्स....भाई... हाए !!! बता ना क्या चुभ.... हाए !!! गंदे....अच्छा चल मैं बताऊँ ....उ हू...बहुत बदमाश....बता दूँ....मैं शरमाती इठलाती सिसकी... हाए !!!... भाई सरगोशी करते कान में बोला..... लं .......न्ड....उफफफफ्फ़.... बेशरम्म...म्मममम.....धत !...बोलते हुए मैने अपना चेहरा अपनी हथेली में छुपा लिया.....भाई हाथ आगे ला मेरी हथेली को हटाता बोला.....अब बता क्या चुभ... हाए !!! इसस्स्सस्स...बहुत बेशरम हो भाई आप.....भाई हल्के से मेरे गालो को चूमता बोला....तू जानती थी इसका नाम....मैं शरमाई... हाए !!!....बता ना....जानती थी....तेरी सहेलियों ने तो बताया होगा.....मैं शरमाई अपने निचले होंठों को दांतो तले दबाया...इसस्स्स्सस्स गंदे भाई..... हाए !!! चल बोल के दिखा ना....भाई का क्या चुभ रहा है.... हाए !!! नही.....शरमाती रह जाएगी....जिंदगी का कुछ मज़ा नही ले पाएगी... हाए !!! मुझे शर्म आती है....बोल ना प्लीज़ रबिया.....प्लीज़....मैं धीरे से अपने चेहरे को हाथो से धकते कहा.....मेरे से नही होगा......कोशिश तो कर.....चूत के होंठों पर उंगली चलाया..... हाए !!! नही पहले वहा से हाथ हटाओ......पहले बोल के दिखा क्या चुभ रहा है......
अफ ...मानोगे नही.....मान जाओ मेरे अच्छे भाईजान......मान जा ना मेरी गुड़िया रानी.....मेरी खूबसूरत परी ....कहते हुए भाई ने गर्दन आगे कर मुझे देखा.....उफफफफ्फ़.....आप मुझे मत देखो.....आँखे बंद करो....ले कर लिया... हाए !!! बोल दूँ....हा बोल....इसस्स्सस्स... लं....न्ड....भाई एक दम खुशी से उछल पड़ा....गोद में और ज़ोर से कस पेट पर रखी हथेली को सीधा मेरी राईट चूंची पर रख दबाते हुए....दबोच कर मुझे बाहों में कस लिया..... हाए !!! मेरी जानेमन....मेरी गुड़िया रानी....तेरी अदाए...एक बार और बोल के... हाए !!! धत !... हाए !!! एक बार....नही....प्लीज़.....उफफो भाई....भाई ने मेरे गाल को चूम लिया... हाए !!! बता ना....थोड़ा झुझलाहट भरी मुस्कुराहट के साथ बोली....दुबारा मत बोलना....ठीक है नही बोलूँगा....मैं धीरे से बोली... लं......न्ड.....भाई और ज़ोर से कसता.....राईट चूची अपनी पूरी मुट्ठी में कस.....ज़ोर से मसल दिया.....भाई की चूची वाली हथेली पर अपनी हथेली रखते हुए....मैं एकदम दर्द और मज़े से सिसक उठी.....अफ भाई दर्द......उफ़फ्फ़....छोड़ो .....मेरे चिल्लाने पर चूची पर पकड़ ढीला कर दिया.....पर हटाया नही.....अब उसका एक हाथ मेरी चूची पर और एक हाथ मेरी चूत पर था.....दोनो हाथ शरारत कर रहे थे......
चूत को सहला रहा था और चूचियों को धीरे धीरे मसल रहा था.....मैं सिसकती हुई बोली.... हाए !!! अब हाथ हटाओ....मैने बोल दिया.....भाई शरारत करता बोला.... हाए !!! कौन सा हाथ नीचे वाला....या....उपर..... मैने तड़प कर चूची वाले हाथ को हटने की कोशिश करने का नाटक करती बोली.....दोनो....नीचे वाला और.... हाए !!!....भाई ने चूची को हल्के से दबाया... हाए !!! छोड़ो ....हाथ हटाओ......भाई ने चूत वाले हाथ को हटा पेट पर रखा.....मैं इठलाती बोली....उपर वाला भी....भाई मेरी गाल को चूमता बोला....कही पर तो रखने दे....नही आप बहुत बदमाश हो....दर्द होता है मुझे......अच्छा अब धीरे से दबाऊंगा ठीक है...... हाए !!! धत !...मैं दबाने को थोड़ी बोल रही हू....फिर क्या बोल रही है मेरी गुलबदन बहना.... हाए !!! बदमाश मैं....हाथ हटाने को बोल रही हू.....तूने ही कहा की मैने ज़ोर से दबा दिया है....दर्द होता है तुझे......हा कहा था पर......बीच में काट ता बोला....
ठीक है मैं धीरे धीरे मसलूंगा....अपनी गुड़िया रानी को दर्द नही दूँगा....... हाए !!! धत ! आप ना भाई बात से बात निकालते हो.....मैने कब कहा की धीरे से दबाओ मेरा सी..ना....भाई ने अपने दूसरे हाथ को पेट से हटा लेफ्ट चूची पर रखा.....मैं चौंक कर वहा हाथ ले गई......ये क्या.....वो कान में सरगोशी करते बोला.....थोड़ा सा दबाने दे ना.....नही हाए !!! हाथ हटाओ....मुझे कुछ .... हाए !!! रबिया प्लीज़....देख ना नीचे से हाथ हटा दिया है....खाली उपर ही तो रखा है... हाए !!! नही भाई....छोड़ो .....उफ़ !!!....भाई मुझे कपकपि लग रही है.....एक तरीके से ग्रीन सिग्नल दिया की....दबाओ मज़ा आ रहा है....कपकपि क्यों लग रही है... हाए !!! पता नही कैसा-कैसा लग रहा है.....उफफफफ्फ़.....अजीब सा लग रहा है.....चूची के निपल को फ्रॉक के उपर से हल्के हाथो से चुटकी में पकड़ बोला.... हाए !!! अजीब सा क्यों कर लग रहा है.... हाए !!! मुझे नही पता....भाई प्लीज़ हाथ हटाओ...उफफफ्फ़.....कहती हुई मैने अपनी आँखे बंद कर ली.....मेरी साँसे तेज चल रही थी....दोनो पैर फैला.....मैं गोद में मचलने लगी....और पीछे पलट भाई की छाती में अपना मुँह छुपा उसको कस कर पकड़ लिया.....मेरा दिल तेज़ी से धड़क रहा था.....ये पहली बार था किसी लड़के ने मेरी आनच्छुई चूचियों को अपनी हथेली में लेकर मसला था.....सहेली की हथेली और यार की हथेली का फ़र्क समझ में आ रहा था..... कुछ लम्हे तक हम दोनों चुप रहे.....मैं उसकी छाती से चिपकी रही......तभी वो धीरे से बोला..... रबिया....हू.....मज़ा आया दबवाने में.... हाए !!!...बोल ना......कितना नखड़ा करती है....उसकी छाती से चेहरा उठा....मुस्कुराती....गाल गुलाबी करती....गर्दन झुकाए मैं सीधी बैठ गई....और अपने बालो को ठीक किया....भाई फिर से पुछा ....बोल ना...अच्छा लगा ना... हाए !!! मैं नही जानती....क्यों अभी तो बोल रही थी अजीब सा... हाए !!! धत !...मुझे आपके इरादे अच्छे नही लगते....क्यों मैने क्या किया..... हाए !!! नही....आप कुछ कर दोगे... हाए !!! मैं क्या कर दूँगा....मुझे हसी आ गई....पीछे पलट भाई की छाती पर मुक्का मारती बोली....ज्यादा बनो मत.....आज आपने सारी हादे पार कर दी....
उफ़फ्फ़ रब्बा....भाई कितने बेशरम.....मज़ा लेने के लिए तो बेशर्मी तो करनी ही पड़ती है....कहते हुए भाई ने मुझे बाहों में भरा....धत ! आजकल आप बहुत मज़ा लेने के चक्कर में.....सिर पर चुम्मि लेते हुए बोला......तू भी ना रबिया.....यही तो उमर है अपनी.....अच्छा चल एक बात बता....ईमानदारी से....किसका निकाह पहले होगा.....तेरा या मेरा... हाए !!! आपका...चल झूठी....सच्ची सच्ची बोल.... हाए !!! मेरा....हा पर कब होगा ये ठीक नही....भाई समझाने वाले अंदाज में बोला....और कैसे लड़के से होगा....मैं गोद में बैठे भाई की तरफ मुड़ गई....थोड़ा शरमाते....होंठों पर मुस्कुराहट लिए उसकी बातो को सुनने लगी......किस खानदान में होगा....इसका पता नही...क्यों है ना....हा भाई....तेरे जैसी खूबसूरत परी के लायक लड़का खोजना कितना मुश्किल है....ये तू नही जानती... हाए !!! धत ! भाई....फिर उसके बाद मेरा नंबर कब आएगा....कुछ आता पता ही नही..... हाए !!! अम्मी से जल्दी करने के लिए बोल.....
अम्मी किसकी सुनती है.....उसका प्लान तो मुझे विलायत भेजने का है....खैर छोड़ ये बाते....मैं तो ये कह रहा था की....अगर हम अपनी उमर के हिसाब से इस जिंदगी के बाहर को नही लूटेंगे तो.....दुनियावी दौड़ में पिछड़ जाएँगे......क्यों है....ना.....हा भाई पर.....भाई चालाकी से चुदाई के मज़े को तरक्की से ज़ोर रहा था.....पर क्या.....हम दोनो भाई बेहन है.....हम कैसे आपस में.....सारी दुनिया के लोग करते है....सुल्ताना ने तो खुद अपने छोटे भाई को फसाया था.....फिर हम ज्यादा कुछ नही करेंगे....ज्यादा आगे नही बढ़ेंगे.... हाए !!! लेकिन अगर किसी को पता चल गया तो..... किसी को पता ना चले इसलिए तो हम आपस में करेंगे.....अगर किसी बाहर वाले के साथ करेंगे तभी तो लोगो को पता चलेगा....क्यों बाहर वाले के साथ ज़्यादा ख़तरा है की नही.....हा भाई वो तो है.....फिर इस बारे शहर में ज्यादा लोग हमे जानते भी नही......हा भाई.....फिर हम लोगो के बीच चुप्पी च्छा गई.....
जैसे हम दोनो सोच रहे हो आगे बढ़े या नही.....जबकि दोनो तैयार बैठे थे आगे बढ़ने के लिए....भाई तैयार बैठा था मेरी अपना लंड पेलने के लिए....और मैं तो ना जाने कब से तैयार बैठी थी अपनी चूत चुदाने के लिए....कुछ लम्हे बाद मैं धीरे से बोली.....सच में सुल्ताना ने खुद ही अपने छोटे भाई को फसाया था.....और क्या....बड़ा खूबसूरत था उसका भाई.... हाए !!! वो खुद भी तो बहुत खूबसूरत थी....आपने उसके साथ कुछ .....नही यार मौका ही नही मिला जब तक बात आगे बढ़ाती तब तक......बड़ा अफ़सोस हुआ होगा आपको.....मैं थोड़ा हस्ती हुई बोली......क्या कर सकते है.....भाई मुँह बिचकाते बोला.....पर भाई आपको उसके और उसके भाई का पता कैसे चला......अरी बताया नही था तुझे.....मेरा दोस्त है ना जावेद....हा वही जो चस्मा लगता है.....हा वो अपनी बाजी को करता है ना.... हाए !!!....देखने से दोनो भाई-बेहन कितने शरीफ लगते है मैं बोली.....भाई हँसता हुआ बोला.....देखने से सब शरीफ लगते है......उसकी बाजी ना सुल्ताना की दोस्त है......अब दोनो ने एक दूसरे को शायद अपने राज बता रखे होंगे या पता नही क्या चक्कर था......
पहले तो मुझे यकीन नही हुआ मगर फिर......हा भाई मुझे भी ऐसे क़िस्सो पर यकीन नही होता था पहले......मैं अब पूरी तरह से खुल जाना चाहती थी.....अब भाई को रोकने की जगह ऐसा दिखना था जैसे उसने मुझे राज़ी कर लिया है......और बातो बातो में अपनी चूत में उसका लंड जल्द से जल्द ले लेना है.....बात को आगे बढ़ाती बोली.......वहा अपने शहर में मेरी सहेलियाँ भी बतलाती थी.......कौन....एक तो आयशा थी फिर सादिया और भी थी.....आयशा और सादिया तो दोनो अपने बड़े भाई के साथ..... हाए !!! मुझे तो यकीन नही होता था.....सादिया ने तो अपने बड़े और छोटे दोनो भाइयों को फसा....फिर यहाँ आकर फ़रज़ाना को जब अपना सीने मसलवाते देखा तो.......भाई ने मुझे बाहों में कसा और फिर से अपना हाथ मेरी चूचियों पर रख कहा......
वही तो मैं कहता हूँ.......सारी दुनिया कर रही है.....आजकल कल का फैशन बन गया है.....बाहर इतने ख़तरे है की.....घर में करने में ही समझदारी है......हा भाई....चूची को थोड़ा और उभरा....भाई ने थोड़ा और कस कर दबाया......छोड़ ना क्या इनकी बाते.....दूसरो की बातो में क्यों वक़्त जाया करे.....हम अपना... हाए !!! भाई...लेकिन.....अब लेकिन वेकीन कुछ नही.....सीने मसला था तो मज़ा आया था ना.... हाए !!!....बता ना... हाए !!! हा....भाई ने कस कर चूची को पकड़ा.....भाई धीरे....भाई ने पकड़ ढीली की और हल्के हाथो से मसलता बोला.... हाए !!! ऐसे ही बताएगी तभी तो.... हाए !!! भाई....इससस्स....मैं सिसकी......अच्छा लग रहा है ना...कितने गठीले मम्मे है तेरे.. हाए !!! कच्चे अमरुद के जैसे.... हाए !!! भाई ईईईईस !!.....मज़ा आ रहा है ना.....मैं सिसकती बोली... हाए !!! हू...
राबिया का बेहेनचोद भाई
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Re: राबिया का बेहेनचोद भाई
फ़रज़ाना ऐसे ही मसलवा रही थी ना....हा भाई हाए !!!....जब तूने देखा तो तेरे भी दिल में आया होगा.... हाए !!! क्या....की कोई तेरी भी मसल... हाए !!! भाई...धत !... हाए !!! बता ना.... हाए !!! भाई....जानती है जब डिस्को में हम चिपक कर... हाए !!! हा.....हा उस दिन ना तेरा सीने जब मेरी छाती से लगा.... हाए !!! इसस्सस्स.....बदमाश....याद ना दिलाओ....क्यों मज़ा आया था ना... हाए !!! भाई...बहुत मज़ा.... हाए !!! तब से तड़प रहा था....कब अपनी प्यारी गुड़िया रानी के मम्मे.... हाए !!! इसस्स....गंदे भाई.....बेशरम... हाए !!! मुझे पता भी नही था....मेरा बड़ा भाई मेरे सीने पर....गंदी नज़र रख... हाए !!!.....भाई हँसता हुआ मेरी चूचियाँ और कस के दबाते हुए मसल....मेरी चूची के नोक को रबर की तरह से पकड़ आगे की तरफ खींचते बोला.... हाए !!! मेरी प्यारी बाहेना.....तू है ही इतनी खूबसूरत....तेरे ये मम्मे... हाए !!! अल्लाह....कयामत है....कयामत.... हाए !!! ईिइइइइ....इसस्सस्स भाई धीरे....तभी भाई लेफ्ट चूची पर से हाथ हटा मेरी रानों के बीच ले गया....
स्कर्ट के उपर से मेरी लालपरी के उपर रख दबाते हुए.... मेरी अनछुई फाको वाली कली को अपनी मुट्ठी में क़ैद करने की कोशिश की.....मैं एकदम से तड़प उठी... हाए !!! कर मचलते हुए.....भाई के हाथ के उपर हाथ रख सिसकी... हाए !!! भाई यहाँ नही.....थोड़ा बहुत नखड़ा तो ज़रूरी था ना... हाए !!! क्या हुआ मेरी बन्नो... हाए !!! नही यहाँ से हाथ हटाओ..... हाए !!! यही तो असल मज़ा है गुड़िया ... हाए !!! नही भाई....आप ने कहा था ज्यादा आगे नही बढ़ेंगे.... हाए !!! पर मैं कहा कुछ कर रहा हू.... हाए !!! नही आप छू... हाए !!! छुने से कुछ नही होता मेरी बहेना.....इतनी बड़ी हो गई....इतनी समझदार हो कर..... हाए !!! छुने दे ना.... हाए !!! भाई पर असल ख़तरा तो.... हाए !!! ख़तरा तो तभी है जब मैं अंदर... हाए !!! धत ! चुप करो....ये लो अब बोलती है...चुप करो....जानती सब है मगर.... हाए !!! ज़रा देखने दे ना छू कर....कैसा....होता है.... हाए !!! धत !....नही....प्लीज़ मैने आजतक नही छुआ... हाए !!! धत !...झूठे..... हाए !!! सच कह रहा हू किसी की नही.....क्यों आपकी सहेली....कौन सुल्ताना...हा उसकी तो....नही यार कहा आज तक किसी की नही.....सुल्ताना ने हाथ ही नही रखने दिया.....खाली सीने एक दो बार छुआ.....
हाए !!! उसका सीने मसला....हा एक दो बार.... हाए !!! कैसा था उसका.....तेरे से बड़ा था... हाए !!! पर उसकी उमर ज्यादा.....हा पर तेरे जीतने सख़्त नही....उसका गुलगुला सा था....तेरे तो अफ...क्रिकेट के बॉल सरीखे... हाए !!! धत ! चुप करो बेशरम....अच्छा ठीक है....पर छुने दे ना.... हाए !!! सच किसी की नही.....सच्ची मेरी प्यारी....अच्छा एक बात पुछू... हाए !!! क्या......कैसी होती है ये नीचे वाली....धत !.....मार दूँगी.... हाए !!! बता ना.....भाई भी कम नाटकबाज नही था.....इतना नादान तो था नही की उसे पता नही हो की चूत कैसी होती है......मैं मचलती हुई बोली... हाए !!! धत !....इतना सब कुछ जानते हो और.....जानता तो हू....मगर कभी देखा नही है.... हाए !!! बता ना कैसा... हाए !!! धत !...बेशरम.....अभी दो मिनिट पहले तो वहा पर हाथ लगा रखा था.... हाए !!! देख मैने अपने वाले का तो नाम भी बता दिया....फिर अपनी हथेली को फैला...इशारा करता हुआ धीरे से बोला.... हाए !!! देख....मेरा लंड ना इतना बड़ा है.....लंबा सा....बेलन के जैसा.... हाए !!! इसस्स...बेशरम....गंदे.....बदमाश....
उफफफफ्फ़ ....कितने गंदे... हाए !!! आपको ज़रा भी शर्म....अब शरम का क्या करना....देख मैने तो अपने वाले का नाम भी बता दिया... हाए !!! छुने दे.... हाए !!! नही....जिद ना करो.... हाए !!! कैसा होता है ये तो बता दे....मैं शरमाती गाल लाल करती बोली... हाए !!! मुझे शर्म आती है... हाए !!! प्लीज़ बता ना.....मैं धीरे से बोली बता दूँ... हाए !!! हा....फिर मैने दोनो हतेली की उंगलिओ को ज़ोर कर चूत का तिकोना बना दिखाते हुए कहा... हाए !!! ऐसा....फिर झट से हाथ अलग कर लिया.....भाई जोश में आ मुझे दबोचता सिसका... हाए !!! ऐसा.....मैं मचलती हुई बोली... हाए !!! हा... हाए !!! रबिया तूने मेरी बेकरारी और बढ़ा दी.... हाए !!! मैने क्या किया सब तो आप खुद ही करते हो.... हाए !!! रबिया..बड़ी तम्माना थी दिल में....किसी की छू के देखे.... हाए !!! छुने दे.. हाए !!! नही भाई.... हाए !!! रबिया मेरी प्यारी बेहन एक साथ दोनो जगह छुने से ज़यादा मज़ा आएगा....देख.....कहते हुए भाई ने झट से मेरी स्कर्ट के अंदर हाथ घुसा रानों के बीच सीधा चूत पर हाथ रख दिया.....मैं तड़प कर मचली....भाई के हाथो के उपर हाथ रख....रानों को कसने की कोशिश की पर उसने....फाको के बीच पैंटी के उपर से उंगली चलते हुए मेरी चूची को दबाया....
पूरा बदन सनसना गया.....जवानी के इस अनोखे मज़े का स्वाद पहली बार किसी लड़के के साथ ले रही थी....उपर से सगे भाई के साथ जिस्मानी लुत्फ़ उठाने की गुनाह का लज़्ज़त भी बड़ा अनोखा मज़ा दे रहा था......मेरी आँखे नशीली हो बंद होने लगी....मैने सिसक कर अपने चेहरे को भाई की छाती में च्छुपाया.....भाई बारी बारी से दोनो चूंचीयों को मसलते....चूत की फाको में धीरे धीरे उंगली चला रहा था....मेरी पतली सी छापे वाली चड्डी....के उपर से उसकी उंगलियों की सरसराहट का अहसास...चूत की अनछुई और अनचुदी फाको के उपर पुरकशिश महसूस हो रही थी.....तभी भाई सरगोशी करते बोला... हाए !!! रबिया....बन्नो....हू...अच्छा लग रहा है....मैने अपना चेहरा उसकी छाती में और ज़यादा घुसेड़ा .... हाए !!! बता ना....मैं सिसकती हुई बोली... हाए !!! भाई सीई....उफफफ्फ़....अच्छा लग रहा है ना.... हाए !!! भाई आपके हाथो में जादू.....मैं कहता था ना...नीचे असल मज़ा.... हाए !!! हा भाई.....पर ज़यादा आगे नही.... हाए !!! मुझे ख्याल है मेरी गुड़िया .....
मैं अपनी गुड़िया को ख़तरे में नही पड़ने दूँगा.....चूत सहलाने और चूचियों के मुस्सल्सल मसले जाने से.....मेरा जिस्म दहक उठा.....मेरी चूत पानी छोड़ने लगी....मैं सिसक उठी.... हाए !!! भाई....इसस्स्सस्स......उफफफफफ्फ़.....भाई मेरी तड़प को देख और ज़ोर से मेरी चूची को दबाने मसलने लगा.....मेरी चूत की फाको को सहलाना छोड़....पूरी चूत को अपनी मुट्ठी में दबोच लिया.....उईईईई....आम...ममिईिइ.....सीईईई...भाई ही....छोड़ो .....पर भाई ने अपने गर्दन आगे बढ़ा मेरी कान के लाउ को अपने होंठों को बीच दबा चूसना शुरू कर दिया......चूत को सहलाते हुए हाथ को......रानों के ज़ोर तक ले गया और.....पैंटी के किनारे से अपनी उंगली अंदर घुसा दी.....मैं अब ना तो कुछ बोलना चाह रही थी ना ही उसे रोकना चाह रही थी......दोनो रानों को फैला.....चूची मसलवाते भाई की छाती में चेहरा घुसेड़े अपना मज़ा लूटना चाहती थी.....भाई ने चूत के होंठों तक अपनी उंगली पहुचा दी.....अब उसकी उंगली मेरी नंगी चूत के उपर थी.....थोड़ी देर तक टटोलने और झांटों पर उंगली फेरने के बाद.....उसको मेरी चूत के छेद और फाको का अंदाज लग गया....
मेरी नंगी फाको पर उंगली चलते हुए मेरी चूचियों को बारी बारी से अदल बदल कर दबाने लगा.....मैं सिसक रही थी.....सनसनी की वजह से अपनी जांघें सिकोड़ रही थी.....भाई बार बार मेरी जाँघों को दूसरे हाथ से खोल देता.....वापस हाथ को चूची पर ले जाकर....दोनो चूंचीयों को बारी बारी से मसलते.....चूत की फाकॉ के बीच अपनी आग लगाने वाली उंगलियों को रगड़ रहा था.....मेरी आँखे इस अनोखे मज़े को पा बंद होने लगी....तभी भाई ने चूची पर से अपनी हथेली हटा मेरे सिर को पकड़ा....मुझे अहसास भी नही हुआ....कब उसने अपने गर्म होंठ मेरे तपते लबो से चिपका दिए.....मेरी नाज़ुक गुलाबी होंठों को अपने होंठों के बीच ले चूसने लगा....मैं भी अब अपने आप को रोकना नही चाहती थी......बगैर किसी नाज़-नखड़े के होंठों के बीच अपनी होंठों को दे दिया....नीचे भाई की उंगलियाँ मेरी बुर की कुँवारी होंठों के साथ छेड़ छाड़ कर रही थी.... उपर और नीचे दोनो जगह की होंठों के साथ एक साथ शरारत का मज़ा अनोखा था....भाई दोनो होंठों को अपने होंठों के बीच दबा चूसने लगा.....मैने अपनी जीभ को भाई के मुँह में धकेला.....उसने लपक कर पूरा मुँह खोल....जीभ को होंठों के बीच दबा.....चूसना शुरू कर दिया.....
थोड़ी देर बाद मेरी होंठों के बीच अपने जीभ को तेल कर.....चारो तरफ घुमाते हुए....मेरी गुलाबी होंठों को रस को इतनी ज़ोर से चूसा की बस मेरी तो जान निकल गई.... हाए !!!........होंठों के चुसाई के अनोखे लज़्ज़त ने हम दोनो को कुछ लम्हो तक उलझाए रखा....मैं बेजार हो चुकी थी....थोड़ी देर बाद जब भाई ने अपने होंठों को मेरे लबो से अलग किया तो......हम दोनो की साँस उखड़ चुकी थी.....मैने अपनी आँखे खोली.....भाई का चेहरा एक दम लाल पड़ गया था.....सीधा मेरी आँखो में देखता एक बेशर्म मुस्कराहट के साथ बोला.....कैसा लगा मेरी गुड़िया .... हाए !!!....सीई.....भाई... हाए !!! मेरी जान....मेरी प्यारी बहन .....तेरे होंठ नही शहद के प्याले है.....
उफफफफ्फ़ ....कहते हुए एक और हल्की चुम्मि.....अपनी सांसो काबू में करते मैने शर्मा कर.. हाए !!! किया और.....अपना चेहरा उसकी छाती में छुपा लिया.....भाई ने तब तक दूसरा हाथ मेरी फ्रॉक के नीचे घुसा दिया.....एक हाथ से मेरी पैंटी की म्यानी को अलग करते हुए.....मेरी चूत को पूरा नंगा कर दिया.....मैं रान सिकोड़ते हुए....सिसकी....मगर उसने मजबूती से अपने दूसरे हाथ की बीच वाली उंगली को सीधा मेरी चूत के फूल सरीखे छेद पर लगा....हल्का सा दबा दिया....उसकी उंगली का एक पोर मेरी बुर के अंदर घुस गया.....मैं सिसक उठी.... हाए !!! भाई ये क्या.....उंगली है बन्नो....कोई मेरा लं....कहते हुए उसने थोड़ा और दबाया.....मेरी कसी हुई फुद्दी में उसकी आधी उंगली घुस गई.....मैने बेसुध हो....रानों को उसकी हाथो पर कस लिया.....सिसियाती हुई बोली... हाए !!! भाई उफफफफ्फ़...ये क्या कर रहे हो....उफफफफ्फ़ बहुत.....छी....... हाए !!! मेरी प्यारी....अभी सही हो जाएगा मेरी डार्लिंग बहना....देख कितना मज़ा आ रहा होगा.....खाली उंगली ही तो डाल रहा....ले...थोड़ा और....कहते हुए कच से उंगली निकाल....वापस फिर से चूत में घुसेड़ दिया....रान कसने से चूत कस गई थी....उंगली भी मुश्किल से जा रही थी.....
हल्के दर्द का अहसास हुआ.....मैं सिसकी.. हाए !!! भाई दर्द..... हाए !!! कभी उंगली नही डाला...खुद से.. हाए !!! धत्त्त....मैं ऐसे...काम....नही....उफ़फ्फ़....भाई दर्द....रान को फैला ना...आराम से जाएगा.....मज़े की पानी छोड़ रही है....देख.....उंगली निकाल उस पर लगे पानी को दिखता बोला... हाए !!! सस्स्सिईईईई...धत !....तभी भाई ने उंगली पर लगे पानी को अपने होंठों के पास ला जीभ निकाल चाट लिया.... हाए !!! ये क्या भाई....उफफफ्फ़....मेरी प्यारी का रस है....छी गंदे....ऐसे कैसे बर्बाद कर दूँ... हाए !!! मेरी बहन का रस भरी जवानी का पहला रस.....उफ़फ्फ़...मजेदार...कहते हुए उसने फिर से चूत में उंगली पेल दी....गोद में बैठे बैठे ही मैने सारा काम करवा लिया था....चूंची मसलवाने से लेकर चूत में उंगली डलवाने तक.....भाई को बिना चूत दिखाए....एक तरह से उस से फुद्दी चुदवा रही थी....मैने अपनी रानों को ढीला किया तो....भाई ने सक-सक करते हुए चार पच बार लगातार...बुर में उंगली अंदर बाहर किया.....मेरा पूरा बदन ऐंठ गया....रान फैलाए बुर में उंगली डलवाने लगी....
नशा इतना बढ़ गया की....मुँह से सिर्फ़ गुगीयाने की आवाज़ निकल रही थी.....भाई गाल चूमता....गर्दन आगे बढ़ा होंठों पर चुम्मिया लेता....गाँड में लंड चुभाता हुआ....कच-कच उंगली पेल रहा था.....बहन की अनचुदी कसी हुई फुद्दी उसकी उंगली को लपक कर दबोच रही थी
....तभी अचानक दर्द का अहसास हुआ....उईईइ.....भाईजान....धीरे....मेरी संकरी चूत के मुँह पर भाई की दो उंगलियों ने ठोकर मारी थी.....तभी ये दर्द....उफ़फ्फ़.....उसने अपनी दो उंगलियाँ एक साथ मेरी बुर में घुसरेने की कोशिश....किसी जवान मर्द की दो उंगलियाँ लड़की की उंगली से तो मोटी ही होंगी....मेरी चूत को एक उंगली की आदत थी....पर भाई ने दो उंगालियाँ....मैं सिसक उठी... हाए !!! भाई....हटो....भाई समझदार निकला...
झट से दो की जगह एक उंगली पेल...अपने अंगूठे को मेरी चूत के पिस्ते पर लगा दिया.....उंगली से बुर चोदते हुए वो मेरी टीट को मसलने लगा....दर्द की जगह बदन में सनसनी की तेज लहर दौड़ गई....भाई ने उंगली की रफ़्तार बढ़ा दी....मैं गाँड को गोद में खड़े लंड पर रगड़ते हुए....उचका उचका कर....उंगली कच-कच ले रही थी.....आँखे बंद.....पर नशे से भारी....लग रहा था जैसे....मेरा निकल जाएगा....टीट मसलने की वजह से कुछ ज्यादा ही.... हाए !!! भाई सीईईईई.... उफफफफफफ्फ़..... आप.... उफफफफ्फ़.... ये क्या......उफ़ !!!....मैने भाई के हाथ को कंधे के पास पकड़ लिया....चेहरा उस तरफ घुमा....कंधे पर दाँत गड़ाए.......सस्स्सिईईई... करती.... झड़ने लगी....
मेरी आँखे बंद थी......साँस फूल चुका था.....गहरी साँसे लेते भाई के कंधे को पकडे...उसकी छाती में मुँह च्छुपाए.....बैठी रही.....भाई चुप चाप हल्के हल्के मेरे सिर और बालो को चूम रहा था.....कमरे में हम दोनों की तेज चलती सांसो के अलावा और कोई आवाज़ नही आ रही थी.....तभी भाई बोला..... रबिया.... रबिया....अपनी बंद आँखो को खोलते....धीरे से अपने सिर को उठा भाई का मुस्कुराता चेहरा देखा और.....वो सीधा मेरी आँखो में झाँक रहा था.....जल्दी से मुँह घुमा.....शरमाती अपने चेहरे को झुका झट से उसकी गोद से उठ खड़ी हो गई....भाई ने हाथ पकड़ लिया....क्या हुआ कहा जा रही है....शरमाती....नज़रे झुखाए....हल्के से हाथो को खींचती बोली... हाए !!! गुसल....भाई ने हाथ छोड़ दिया....आँखो के कोनो से देखा.....पाजामे में भाई का लंड तंबू बना रहा था.....
बाथरूम में कमोड पर बैठते हुए पैंटी उतार....झुक कर अपनी नीचे की सहेली को देखा.....पहली बार किसी लड़के का हाथ लगवा.....अभी तक झंझना रही थी.....भाई की उंगली से चुदी....मेरी गुलाबी सहेली....अपना रंग बदल गुलाबी से लाल हो गई थी.....भाई ने मुट्ठी में भर मसाला था.....चूत का उपर का हिस्सा थोड़ा सा और उभर गया था....लगता था जैसे.....टीट अभी भी खड़ी थी....हाथ लगा कर देखा.....उफ़फ्फ़....एक दम गरम....टीट पर हाथ रखे छलछला कर मूतना शुरू कर दिया....पहली बार इतनी तेज धार के साथ मूत रही थी....बदन में मीठी सी लहर दौड़ रही थी..... छलछला कर मूतने के बाद....धीरे से पैंटी को खींच उपर किया....आगे के प्लान के बारे में सोचते....अपनी सहेली और हाथो को धो कर....बाहर निकली....भाई अभी भी नीचे बैठा....टीवी देख रहा था.....डाइनिंग टेबल के पास रखे टवल से हाथ पोचहते धीरे से बोली....भाई मैं सोने जा रही हू....भाई जल्दी से पलटा....अरे रुक ना....प्लीज़ मैं इंतेज़ार कर रहा था....यहा आ ना....अब क्या है भाई....सोने जाने दो...
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Re: राबिया का बेहेनचोद भाई
राबिया का बेहेनचोद भाई--15
. मैं तो यही चाहती थी की...भाई अब मेरे साथ मेरे कमरे मे आए...और मुझे चोद दे...फिर भी मई थोड़ा सा नखड़ा करते हुए बोली.. हाए !!! भाई...क्यू परेशन करते हो....जो करना थॉ ओ तुमने कर लिया ना...अब क्या है...मुझे नींद आ रही है.. हाए !!! मेरी गुड़िया ...तू अब इतनी भी नासमझ नही है...आ ना एक बार...भाई ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी ऊपर खींचा...मई भी...थोड़ा नाटक करते हुए उसके...खड़े लंड से अपनी गाँड सटा कर खड़ी हो गयी....उफफफ्फ़...उसका लंड अभी भी खड़ा था...बहुत गरम...मेरी गाँड की दरारों मे घुस जाना चाहता था... हाए !!! भाई...क्या करते हो....कल कॉलेज भी जाना है...सोने दो ना... हाए !!! मेरी प्यारी गुड़िया ...कहते हुए भाई ने मेरी एक चूंची को पकड़ मसलने लगा....उफफफफ्फ़....एक बार झड़ जाने के बाद भी जैसे मेरा बदन सनसनाने लगा था...मेरी बुर मे फिर कुछ होने लगा...
उफफफ्फ़...भाई क्या करते हो...मुझे कुछ होता है...क्या होता मेरी गुड़िया को....अपने एकक हाथ को मेरी रानों पर ले जाते हुए बोला...धत्त भाई...आप भी ना..बड़े बेशरम हो.. हाए !!! मेरी जान..मेरी प्यारी गुड़िया ...बता ना क्या होता है...उफ़फ्फ़..तुम भी ना...भाई मेरी पैंटी के उपर से मेरी बुर को सहलाने लगा...उफ़फ्फ़..भाई..नीचे कुछ हो रहा है.. हाए !!!...क्या हो रहा है..ज़रा देखु तो...और भाई ने बेशर्मी की हद पर करते हुए मेरी पैंटी को नीचे खींच वही बैठ गया....और गौर से मेरी लाल हो चुकी सहेली के फांको को फैला कर देखने लगा.. हाए !!!....भाई...क्या कर रहे हो...मेरा पूरा बदन काँपने लगा था....मेरी आँखे बंद हो गयी थी..
भाई ने मेरी बुर के फांको को फैला के चुम्मी ले ली.. हाए !!!...मेरे मूह से मस्ती की सिसकारी निकल गयी....भाई को भी अब ये एहसास हो गया था की मै भी मदहोश हो गयी हूँ.. हाए !!! मेरी प्यारी गुड़िया ..कैसा लग रहा है....उफ़फ्फ़ भाई...अब मैने भी बेशरम बनने का फ़ैसला कर लिया था...मेरी जवानी मे आग लग गयी थी... अब भी अपनी फुद्दी को भाई के लंड से पेलवना चाहती थी.. हाए !!!...भाई...बहुत अचााआअ.....आअहह....अब भाई मेरी लाल गुलाबी बुर पर चुम्मी लेता रहा...और मस्ती से पागल हुए जा रही थी.... ही भाई..छोड़ो ना...मेरी गुड़िया अभी तो तुम कह रही थी.... अच्छा लग रहा है अब...उफ़फ्फ़...कुछ हो जाएगा...अम्मी क्या कहेगी.. मस्ती से लाल होते हुए...भाई से अपनी बुर को सहलवते कहा...
हाए !!!.. मेरी रबिया...अम्मी को कुछ ..पता नही चलेगा...वो कैसे जानेगी.. हाए !!! भाई..फिर भी..कुछ मत बोलो मेरी प्यारी गुड़िया ...देखो..तुम्हारी चूत ...कैसे..पानी छोड़ रही है..अया..मै तो गंगना उठी...भाई ने अपना मूह मेरी नंगी बुर पे रख दी.....मेरा पूरा बदन...सनसना गया...बदन ऐंठ ने लगा.. हाए !!! भाई...और मैने भाई के सर को...पकड़ ...अपनी लाल बुर पे ज़ोर से दबा दिया...भाई के मूः से आहह निकल गया...आआहह..मेरी प्यारी गुड़िया ..तेरी बुर कितनी अच्छी लग रही है....उफ़फ्फ़..भाई तुम बेशरम हो गये हो...बहन की ...क्या बहन की मेरी रबिया.. हाए !!!...शरम आती है...उन्ह..अब छोड़ो ना शरम...बोलो ना...प्लीज़...क्या बहन की....
उफ़फ्फ़ भाई..तुम भी ना...हाँ क्या..बोलो ना मेरी प्यारी गुड़िया ...आआहह..भाई..मेरी बुर.. ..मैने शर्माते हुए कहा...भाई की साँसे ज़ोर से चलने चल रही थी...वो..हानफते हुए बोला..हाँ बता ना मेरी जान.. हाए !!! ..भाई..ये मै बहन से जान कब बन गयी...श..मेरी बहन..अब तो तू मेरी जान हे नही सब कुछ बनेगी...हन बोल ना क्या हुआ तेरी बुर को..और भाई ने...मेरी बुर को चाटना शुरू कर दिया...उफ़फ्फ़..मै तो पागल होकर..शर्मो हया छोड़ ..भाई के सख़्त लंड..को...उसके कपडे के उपर से पकड़ मसलने लगी...भाई मेरी बुर को कुत्टो की तरह चाट रहा था. हाए !!!..भाई ...ये क्या गंदा काम कर रहे हो...मूतने की जगह..अरी छोड़ ना..मेरी जान..भाई अब बार बार मुझे जान बोलने लगा..था...देख तेरी बुर का जाएका कितना अच्छा और खट्टा लग रहा है...
मेरी रबिया जान...कहते हुए भाई ने मेरी बुर को बुरी तरह चूसना शुरू कर दिया.. हाए !!! भाई..मर डालोगे क्या अपनी बहन को...तेरी जैसी परी को मारने से पहले मै खुद न मर जाऊं ...आअहह..कितनी प्यारी बुर है....मैने भी भाई के कपड़ों को खींचना शुरू कर दिया..भाई समझदार था...उसने झट..अपना कपड़ा निकाल...अपने मूसल जैसे तने हुए लौड़े को मेरे सामने खोल....खड़ा हो गया...और मेरे भी कपडे खोलने लगा...मैने थोड़ा शरमाते हुए..अपना मूह दूसरी तरफ कर लिया.. हाए !!!...रबिया जान..देखो ना..इसको पकड़ो ना..ऐसे.. शरमाओगी तो.. हाए !!! भाई..धत्त..क्या करते हो..और मैने तिरछी निगाहों से उसके बड़े लौड़े को देखा..मेरा पूरा बदन ..जैसे झंझना गया..
भाई ने मुझे नंगा कर दिया...मेरी बुर को घूरता हुआ बोला. हाए !!!..जान..क्या बुर है तेरी...धत्त भाई..बहन की बुर के बारे मे ऐसे बेशर्मी से बोलते हो.. हाए !!!..जान..अब शरम छोड़ो ना...और मेरी तनी हुई खूबसरत गोरी चूंचीयों को मसलते हुए..मेरा हाथ पकड़ कर..अपने सख़्त लौड़े पर रख दिया...उफफफ्फ़..कितना गरम और लोहे की तरह सख़्त था..भाई का..लंड...वो मेरी हाथ मे फुदक रहा था...भाई..ने एक हाथ मेरी बुर पर ले जाकर सहलाते हुए बोला.. हाए !!!..जान तुम भी...सहलाओ.. हाए !!!..भाई..शरम आती है..मैने अपने हाथ की पकड़ उसके..लंड पर बढ़ा दिया....
आअहह...भाई..सिसकारी भरते हुए बोला...हाँ जान बस..ऐसे हे...थोड़ा सहलाओ..प्यार करो ना...मेरी साँसे उखड़ने लगी थी...मैने भाई के सख़्त लोहे को पकड़...आगे पीछे करना शुरू कर दिया...भाई..आँखे बंद कर...सिसक रहा था...तभी...भाई नीचे घुटनो के बल बैठ मेरी बुर को...फिर से चाटने लगा...आअहह...उउउफ़फ्फ़..भाई...आअहह...मत करो...तभी भाई ने..अपनी एक उंगली मेरी बुर मे डाल दी..और मेरी बुर को पेलने लगा....उन्ह...भाई... मार डालोगे क्या....क्यू तेरी सहेली फ़रज़ाना चुदने से मर गयी थी...आहह...भाई..
भाई ने मुझे उठा कर सोफे पर बिठा दिया..और अपना लंड..मेरे मूह के पास ला ...मेरी चूचियों को मसलता हुआ...बोला. हाए !!!..रबिया..मेरी प्यारी बहन...लो ना इसको.. हाए !!! भाई..किसको...आहह...इतना..अंजान ना बनो..लो ना..क्या भाई...लंड.. हाए !!! अल्ला..क्या कहते हो भाई..कुछ तो शरम करो...अब शर्म छोड़ ..देख..तू भी नंगी है..और मै भी..अब कैसी शरम...ले लंड को..और चूस ना...धत्त भाई...ये तो गंदा है..जब की मन मे मेरी यही इच्छा हो रही थी की कब...भाई मेरे मूह मे अपना सख़्त लंड डाल कर मेरे मूह को चोद दे.. हाए !!!..रबिया...लो ना जान..और भाई ने लंड..मेरे गुलाबी होंठो के बीच..रख दिया...मैने भी अपनी गुलाबी होंठों की पंखुड़ियों मे भाई के खड़े लौड़े को दबा ....उसके चिकने फूले ...सुपाड़े पर हलके से जीभ चलाई...आआहह...मेरी प्यारी बहना..भाई के मूह से...सिसकारी निकल गयी.
मै उसके लंड..को आँखे नचा कर..गाल गुलाबी करते...रंडी की तरह चूसने लगी..आख़िर..रंडी मा की बेटी हूँ..भाई सिसकते हुए...मेरे बालों पर हाथ फिरता..कभी..मेरी चूंचीयों को मसल देता...मेरी साँसे भी..लौड़ा चूसते....उखड़ने लगी थी...फिर मुझे पीछे धकेल सोफे पर गिरा, मेरी गोरी टॅंगो के बीच बैठ.....दोनो हाथो से मेरी दोनो चूचियों को अपनी हथेली में भर मसल दिया.....उफफफ्फ़....छोड़ों.... ना भाई..इतने ज़ोर से मसलते हो...
पर उसने अनसुना कर दिया....अपना चेहरा झुकते हुए मेरे होंठों को अपने होंठों में भर मेरी चूचियों को और कस कस कर मसलने लगा.....मैं उसे पीछे धकेल तो रही थी मगर पूरी ताक़त से नही....वो लगातार मसले जा रहा था.....मैं भी इस मस्त खेल का मज़ा लेना चाहती थी.....देखना था की भाई अपनी गरम बहन की बुर की प्यास कैसे बुझता है......कुछ लम्हो के बाद ऐसा लगा जैसे जाँघो के बीच सुरसुरी हो रही है......मुझे एक अजीब सा मज़ा आने लगा......मैने उसको धखेलना बंद कर दिया...... मेरे हाथ उसके सिर के बालो में घूमने लगे.....तभी उसने मेरे होंठों को छोड़ दिया....हम दोनो हाँफ रहे थे....वो अभी भी हल्के हल्के मेरी छातियों को सहला रहा था.....मुस्कुराते हुए अपनी आँखो को नचाया जैसे पूछ रहा हो क्यों कैसा लगा....मेरे चेहरे पर शर्म की लाली दौड़ गयी......उसकी समझ में आ गया....
मेरी आँखे मेरे मज़े को बयान कर रही थी......नीचे झुक मेरे होंठों को चूमते, मेरी कानो में सरगोशी करते बोला......ऐसे होता है ये खेल......कुछ पल तक हम ऐसे हे गहरी साँसे लेते रहे.....मेरे चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट और शर्म की लाली फैली हुई थी..... मै भाई के लंड को हाथ से पकड़ सहलाने लगी.....भाई ने फिर से मेरी दोनो चूंचीयों को दबोच लिया और बोला.... हाए !!! मेरी गुड़िया तूने आज मेरी आग भड़का दी.....अब पूरा खेल खेलेंगे......कहते हुए वो ज़ोर ज़ोर से मेरे होंठों और गालो को चूमने चाटने लगा....मुझे फिर से मज़ा आने लगा....और मैं भी उकसा साथ देने लगी......हम दोनो आपस में एक दूसरे से लिपट गये....
एक दूसरे के होंठों को चूस्ते हुए पूरे सोफे पर लुढ़क रहे थे....तेज चलती सांसो की आवाज़ कमरे में गूज़्ने लगी....दोनो के दिल की धरकन रेलगाड़ी की तरह दौड़ रही थी.....भाई मेरी गालो को ज़ोर से काट ते हुए चीखा... हाए !!! रबिया तेरे गाल... काट लूँगा....बहुत बक बक करती है....देखे तेरी चूत में कितनी खुजली.....कहते हुए वो अपनी कमर को नाचते हुए मेरी कमर से चिपका रगड़ने लगा....उफ़फ्फ़..भाई का गरम ..सख़्त लंड मेरी बुर को टच करने लगा ....उसके लंड की रगड़ाई का अहसास मुझे अपनी चूत पर महसूस हो रहा था.....मैं भी उसको नोचने लगी....उसके होंठों को अपनी दाँत से काट ते हुए हाथो को उसके चूतड़ों पर ले गई....चूतड़ों के गुन्दाज़ माँस को अपनी हथेली में भर कर मसलती.....दोनो चूतड़ों को बीच उसकी गाँड की दरार में उपर से नीचे तक अपनी हथेली चला रही थी....हम दोनों बेकाबू हो चुके थे..... मेरी धडकनें और तेज़ हो गयी........एक हाथ से वो भी मेरे मांसल चूतड़ों की गहराइयों मे उंगली चला रहा था......चूची अब भी उसके मुँह में थी.....मैं तड़प रही थी.....मेरी जवानी में आग लग चुकी थी.......मेरे हाथ पैर काँप रहे थे....सुलगते जिस्म ने बेबस कर दिया.....
कुछ देर तक इसी तरह चूसते रहने के बाद....उसने होठों को अलग किया......मेरी साँसें रुकती हुई लग रही थी......थोड़ी राहत महसूस हुई....उउफफफफ्फ़... .भाई ये कौन सा खेल है....मैं मर जाउंगी....मैं बेकाबू होती बोली.....पूरा जिस्म सुलग रहा है.....क्यों बेताब होती है...मेरी गुलबदन बहना....तेरे सुलगते जिस्म की आग को अभी ठंडा किए देता हू.....उसने फिर से मेरे होंठों को अपने होंठों के आगोश में ले लिया.....बदन की आग फिर से सुलग उठी.....होंठों और गालो को चूसते हुए धीरे धीरे नीचे की चूचियों को चूमने के बाद मेरे पेट पर अपनी जीभ फिरते हुए नीचे बढ़ता चला गया....गुदगुदी और सनसनी की वजह से मैं अपने बदन को सिकोड़ रही थी......जाँघो को भीच रही थी....तभी उसने अपने दोनो हाथो से मेरी जाँघो को फैला दिया.....ये पहला मौका था किसी मर्द ने मेरी जाँघो को ऐसे खोल कर फैला दिया था.......आदतन मैने अपनी हथेली से चूत ढकने की कोशिश की......भाई ने हथेली को एक तरफ झटक दिया.....मैने गर्दन उठा कर देकने की कोशिश की....भाई मेरी खुली जाँघो के बीच बैठ चुका था....अफ ये क्या कर रहे हो भाई... हाए !!! ज़रा भी शरम नही.....
वो एकदम बेकाबू हो चुका था...मेरी तरह...उसका सख़्त लंड मेरे मूह को सटा सट चोद रहा था......हम सोफे पर एक दूसरे से उल्टी दिशा मे लेटे हुए थे....उसने मेरी चूंची के निपल को ज़ोर से दबाते हुए अपनी एक उंगली मेरी चूत में पेल दी....अचानक उसके निपल दबाने और बुर में उंगली पेलने से मेरी चीख निकल गई....मैने भी उसके लंड को ज़ोर से चोसा और सुपाड़े को हल्के से कटा.......पर शायद वो कुछ ज़्यादा हे उत्तेजित था.....भाई भी कच कच मेरी बुर में उंगली पेल रहा था....तभी उसने कहा... हाए !!! गुड़िया तेरी चूत तो मज़े का पानी फेंक रही है...सीईईई....चल लेट जा जानेमन....तेरी रसीली बुर का रस....कहते हुए उसने मुझे पीछे धकेला....मेरे मूह से अपना लंड निकाला और थोड़ा पीछे खिसक मेरी चूत के उपर झुकता चला गया...
मैं समझ गई की अब मेरी चूत चाटेगा....दोनो जाँघो को फैला मैं उसको होंठों का बेसब्री से इंतेज़ार करने लगी.....ज़ुबान निकाल चूत के उपरी सिरे पर फिरते हुए.....लाल नुकीले टीट से जैसे ही उसकी ज़ुबान टकराई....मेरी साँसे रुक गई....बदन ऐंठ गया....लगा जैसे पूरे बदन का खून चूत की तरफ दौड़ लगा रहा है.....सुरसुरी की लहर ने बदन में कपकपि पैदा कर दी....मैं आँखे बंद किए इस अंजाने मज़े का रस चख रही थी....तभी उसने टीट पर से अपनी ज़ुबान को हटा....एक कुत्ते की तरह से मेरी चूत को लपर लपर चाटना शुरू कर दिया....वो बोलता भी जा रहा था... हाए !!! क्या रबड़ी जैसी चूत है....सीईईईईईई....चूत मरानी कितना पानी छोड़ रही है....लॅप लॅप करते हुए चाट रहा था....मेरी तो बोलती बंद थी....
ज़ुबान काम नही कर रहा था....मज़े के सातवे आसमान पर उड़ते हुए मेरे मुँह से सिर्फ़ गुगनाने और सिसकारी के सिवा कोई और आवाज़ नही निकल रही थी....उसने मेरी चूत के दोनो फांको को चुटकी में पकड़ फैला दिया....मैने गर्दन उठा कर देखा....मेरी बुर की गुलाबी छेद उसके सामने थी....जीभ नुकीला कर चप से उसने जब चूत में घुसा अंदर बाहर किया तो....मैं मदहोश हो उसके सिर के बालो को पकड़ अपनी बुर पर दबा चिल्ला उठी....चूक चुस्स्स्स्सस्स हीईीईईईईईईई कभी सीईईईईईईईईईईईईईईईईई.... हाए !!!....भाई....ये क्या कर रहे हो.......उईईईई....मेरी जान लेगा....पहले क्यों नही........उईईई.....सीईईईई.....चूस्स्स्स्सस्स....चा... आअट ... हाए !!! मेरी बुर में जीभ.....ओह अम्मी.... हाए !!!ईिइ....मेरी अच्छा भाई......बहुत मज़ा.....उफफफ्फ़ चााअटतत्त.....मेरी तो निकल....मैं गाइिईईईईईई...
मेरी सिसकयारी और कराहों को बिना तब्बाज़ो दिए वो लगातार चाट रहा था....चूत में कच कच जीभ पेल रहा था.....मैं भी नीचे से कमर उचका कर उसकी ज़ुबान अपनी चूत में ले रही थी...तभी उसने चूत की दरार में से जीभ निकाल लिया और मेरी तरफ देखता हुआ बोला......है ना जन्नत का मज़ा.....अपनी सिसकियों के बीच मैने हा में गर्दन हिला दिया....मेरी अधखुली आँखो में झांकती उसने अपनी दो उंगलियाँ अपने मुँह के अंदर डाली और अपने थूक से भिगो कर बाहर निकाल लिया....इस से पहले की मैं कुछ समझ पाती....अपने एक हाथ से मेरी चूत की फांको को चिदोर....अपनी थूक से भीगी दोनो उंगालियाँ मेरी बुर के गुलाबी छेद पर लगा.....कच से पेल दिया....उईईईई.......मर गई.....मेरी चीख निकल गई....अपने हाथ से मैं ज़यादा से ज़यादा एक उंगली डालती थी.....भाई ने बिना आगाह किए दो उंगलियाँ मेरी चूत की संकरी गली में घुसेड़ दी थी....
उस पर मेरे चीखने का कोई असर नही था....उल्टा मेरी आँखो में झँकता अढ़लेता हुआ...अपने दाँत पर दाँत बैठाए पूरे ताक़त के साथ कच कच कर मेरी चूत में उंगली पेले जा रहा था.... ऊऊउउउईई....आअहह... ..सस्स्सिईईई... .भाई...अब अपना लंड मेरी बुर मे डाल मुझे चोद दो...मस्ती और मदहोशी मे मै ....ना जाने कैसे ये बोल गयी....भाई ने मेरी बुर से उंगली निकाल मेरी टाँगों को चौड़ी...करते हुए...मेरी टाँगों के बीच बैठ ....अपने लंड के फूले सुपाड़े को मेरी लपलपाति बुर के गुलाबी छेड़ पर...रख..रगड़ने लगा....उफफफ्फ़...उईईइ..अम्मी.....सनसनी से...मेरा पूरा बदन...कंपकपा रहा था...
मेरी बुर पर लंड को...रगड़ते हुए...पूछा...मेरी जान कैसा लग रहा है.. हाए !!! भाई अब मत पूछो ...पेल डालो अपनी बहन की बुर.. ...उईईइ...बहुत जल रही है...अचानक बात करते...भाई ने कच से जोरदार झटका..देते हुए...मेरी ...बुर मे अपने लंड को पेल दिया...उईईईईईई अम्मी...मै मरररर गयी.. हाए !!!..भाई...निकालो...मै दर्द से बिलबिला उठी...लग रहा था..कोई सख़्त लोहे का गरम रोड मेरी बुर को चीरता हुआ घुस गया है...बस मेरी प्यारी गुड़िया ...कुछ नही ...और भाई...मेरे उपर लेट ...मेरे निप्पल को मूह मे ले कर चूसने लगा..और एक हाथ मेरी चूतड़ों के नीचे दल...दरारों मे उंगली डाल चलाने लगा...कुछ हे देर मे..मेरा दर्द.. गायब सा हो गया...भाई मेरे होंठों को अपने होंठों मे दबा...चूस रहा था...की फिर मै..दरद से बिलबिला उठी...उसने बिना आगाह किया...मेरे होंठो को अपने मयह मे दबाए...ना जाने कब अपना चूतड़ उठा..एक ज़ोर का झटका मार..मेरी बुर को अपने पूरे लंड पेल दिया...मै..बोल नही पा रही थी..
बस मेरे मूह से गु गु की आवाज़ निकाल रही थी...भाई ने मेरे होंठो को चूसना जारी रखा..और एक हाथ से मेरी चूची को मसल रहा था...कुछ देर..मे मुझे खुद मस्ती का एहसास होने लगा...मै...अपने मस्त गोल चूतड़ों को उठाए लगी....भाई भी अब..अपने लंड को धीरे धीरे..मेरी बुर मे अंदर बाहर करने लगा....आआहह...भाई...करो...पूरा अन्दर तक ..हम दोनों की तेज सांसो से...गूँज रहा था...पेलाई जोरो से चालू थी...भाई..अब मेरी कमर को पकड़ मेरी बुर मे सटा सट..अपना लंड पेले जा रहा था...मै अपने गाँड को उठा उठा..कर गोल गोल नाचती...उसके हर धक्के का जबाब दे रही थी...
ही मेरी गुड़िया कैसा लग रहा है.. हाए !!! भाई...उईईई...पेलते रहो...अपनी बहन के बुर को...जब तक हम यहाँ हैं ....रोज चोदना मेरी इस कुतिया को...बहुत खुजली करती है साली...आअहह....ज़ोर से चोदा ना...मै रंडिओ की तरह..बड़बड़ा रही थी..भाई भी कस कस के कुछ कुछ मेरी बुर को पेल रहा था....ह..भाई..मै अपने गाँड को खूब गोल गोल घुमा ...उसके लंड को अपन्नी बुर की गहराइयों तक ले रही थी..उईईई...अम्म्मि....मेरी रंडी अम्मी...देख...आज तेरी बेटी भी अपने भाई के लंड को अपनी बुर मे ले ही लिया...मैने मन मे बड़बड़या....
है भा.....उईईईईईईईई..... मेरी......छूटने ....वालीइीई....हुउऊउ....सीईए.. .भैईई....छोद्द्द्द्द्द्दद्ड....मैं गाइिईई और मै झड़ गई....मुझे अहसास हुआ जैसे मैं हवा में उड़ रही हू....मेरी आँखे बंद हो गई...कमर अब भी धीरे धीरे उछल रही थी...पर एक अजीब सा सुकून महसूस हो रहा था.... बदन की सारी ताक़त जैसे ख़तम चुकी....ऐसा लग रहा था...हम दोनो पसीने से भर चुके थे....भाई अब भी अपने लंड से कच कच मेरी बुर को मार रहा था...उसके धक्के तेज होते जा थे...आहह...मेरी गुड़िया ...मैईईईईईई...भीईीईई..... करते हुए भाई... फच्च फच्च करते हुए मेरी बुर मे हे झड़ने लगा...उसका वीर्य..जैसे मेरी बुर मे..लग रहा था की...पानी की गरम धार..गिर रही हो...मुझे एक सुखद एहसास हो रहा था..
भाई भी झड़ कर मेरे उपर लेट... कुत्ते की तरह हाँफ रहा था और मै भी....कुछ देर हम...वैसे हे पड़े रहे...फिर मैने भाई को अपने उपर से धकेला...और उठ कर बैठ गयी...मेरी बुर से..रस..टपक रहा था..जो शाएद मेरा और भाई...दोनो का था..मैने झुक कर अपनी बुर का..मुआयना किया...वो काफ़ी सूज गयी थी..लाल...खून जैसी...और वीर्य भी सफेद की जगह लाल और मटमैला हो गया था..मेरी बुर.. .फट चुकी थी...अचानक भाई उठ कर मेरी टाँगों के बीच अपना मूह कर मेरी सूजी हुई बुर को हाथ से फैला कर देखने लगा..
मुझे शरम आ रही थी...लेकिन भाई को इस तरह से अपनी बुर को देखता...देख बहुत अच्छा लग रहा था...तभी भाई अपनी जीभ निकाल मेरी बुर को चाटने लगा.. हाए !!! भाई अब के...मेरी गुड़िया का बुर.. .इतना सुंदर लग रहा की ...मै चाट कर सॉफ करूँगा...भाई..भी बेशर्म हो चुका था..भाई...मुझे पेशाब करना है..भाई मेरी बुर चोद कर हट गया.. मैंने उठने की कोशिश की...लेकिन..उठ नही जा रहा था..भाई ने मुझे अपनी बाहों मे उठाया और...बाथरूम मे गया...मै उसके सामने हे छर्र छर्र कर मूतने लगी....और भाई भी एक तरफ अपने झूलते लंड से मूत रहा था.
उस रात के बाद हम दोनो ना जाने कितनी रातें...चुदाई की.....मेरी बेकाबू जवानी का ये हाल था की मैने अपने भाई को अपनी रण्डीपना दिखा कर फसा हे लिया और शादी तक चुदवाती रही....अब भी मयके आने पर भाई के लंड को अपनी बुर मे ज़रूर लेती हूँ.... इस बीच..अम्मी, मामू..सबको पता चल चुका था की हुम लोग क्या करते हैं..और इस खेल मे वो भी शामिल हो गये थे......
. मैं तो यही चाहती थी की...भाई अब मेरे साथ मेरे कमरे मे आए...और मुझे चोद दे...फिर भी मई थोड़ा सा नखड़ा करते हुए बोली.. हाए !!! भाई...क्यू परेशन करते हो....जो करना थॉ ओ तुमने कर लिया ना...अब क्या है...मुझे नींद आ रही है.. हाए !!! मेरी गुड़िया ...तू अब इतनी भी नासमझ नही है...आ ना एक बार...भाई ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी ऊपर खींचा...मई भी...थोड़ा नाटक करते हुए उसके...खड़े लंड से अपनी गाँड सटा कर खड़ी हो गयी....उफफफ्फ़...उसका लंड अभी भी खड़ा था...बहुत गरम...मेरी गाँड की दरारों मे घुस जाना चाहता था... हाए !!! भाई...क्या करते हो....कल कॉलेज भी जाना है...सोने दो ना... हाए !!! मेरी प्यारी गुड़िया ...कहते हुए भाई ने मेरी एक चूंची को पकड़ मसलने लगा....उफफफफ्फ़....एक बार झड़ जाने के बाद भी जैसे मेरा बदन सनसनाने लगा था...मेरी बुर मे फिर कुछ होने लगा...
उफफफ्फ़...भाई क्या करते हो...मुझे कुछ होता है...क्या होता मेरी गुड़िया को....अपने एकक हाथ को मेरी रानों पर ले जाते हुए बोला...धत्त भाई...आप भी ना..बड़े बेशरम हो.. हाए !!! मेरी जान..मेरी प्यारी गुड़िया ...बता ना क्या होता है...उफ़फ्फ़..तुम भी ना...भाई मेरी पैंटी के उपर से मेरी बुर को सहलाने लगा...उफ़फ्फ़..भाई..नीचे कुछ हो रहा है.. हाए !!!...क्या हो रहा है..ज़रा देखु तो...और भाई ने बेशर्मी की हद पर करते हुए मेरी पैंटी को नीचे खींच वही बैठ गया....और गौर से मेरी लाल हो चुकी सहेली के फांको को फैला कर देखने लगा.. हाए !!!....भाई...क्या कर रहे हो...मेरा पूरा बदन काँपने लगा था....मेरी आँखे बंद हो गयी थी..
भाई ने मेरी बुर के फांको को फैला के चुम्मी ले ली.. हाए !!!...मेरे मूह से मस्ती की सिसकारी निकल गयी....भाई को भी अब ये एहसास हो गया था की मै भी मदहोश हो गयी हूँ.. हाए !!! मेरी प्यारी गुड़िया ..कैसा लग रहा है....उफ़फ्फ़ भाई...अब मैने भी बेशरम बनने का फ़ैसला कर लिया था...मेरी जवानी मे आग लग गयी थी... अब भी अपनी फुद्दी को भाई के लंड से पेलवना चाहती थी.. हाए !!!...भाई...बहुत अचााआअ.....आअहह....अब भाई मेरी लाल गुलाबी बुर पर चुम्मी लेता रहा...और मस्ती से पागल हुए जा रही थी.... ही भाई..छोड़ो ना...मेरी गुड़िया अभी तो तुम कह रही थी.... अच्छा लग रहा है अब...उफ़फ्फ़...कुछ हो जाएगा...अम्मी क्या कहेगी.. मस्ती से लाल होते हुए...भाई से अपनी बुर को सहलवते कहा...
हाए !!!.. मेरी रबिया...अम्मी को कुछ ..पता नही चलेगा...वो कैसे जानेगी.. हाए !!! भाई..फिर भी..कुछ मत बोलो मेरी प्यारी गुड़िया ...देखो..तुम्हारी चूत ...कैसे..पानी छोड़ रही है..अया..मै तो गंगना उठी...भाई ने अपना मूह मेरी नंगी बुर पे रख दी.....मेरा पूरा बदन...सनसना गया...बदन ऐंठ ने लगा.. हाए !!! भाई...और मैने भाई के सर को...पकड़ ...अपनी लाल बुर पे ज़ोर से दबा दिया...भाई के मूः से आहह निकल गया...आआहह..मेरी प्यारी गुड़िया ..तेरी बुर कितनी अच्छी लग रही है....उफ़फ्फ़..भाई तुम बेशरम हो गये हो...बहन की ...क्या बहन की मेरी रबिया.. हाए !!!...शरम आती है...उन्ह..अब छोड़ो ना शरम...बोलो ना...प्लीज़...क्या बहन की....
उफ़फ्फ़ भाई..तुम भी ना...हाँ क्या..बोलो ना मेरी प्यारी गुड़िया ...आआहह..भाई..मेरी बुर.. ..मैने शर्माते हुए कहा...भाई की साँसे ज़ोर से चलने चल रही थी...वो..हानफते हुए बोला..हाँ बता ना मेरी जान.. हाए !!! ..भाई..ये मै बहन से जान कब बन गयी...श..मेरी बहन..अब तो तू मेरी जान हे नही सब कुछ बनेगी...हन बोल ना क्या हुआ तेरी बुर को..और भाई ने...मेरी बुर को चाटना शुरू कर दिया...उफ़फ्फ़..मै तो पागल होकर..शर्मो हया छोड़ ..भाई के सख़्त लंड..को...उसके कपडे के उपर से पकड़ मसलने लगी...भाई मेरी बुर को कुत्टो की तरह चाट रहा था. हाए !!!..भाई ...ये क्या गंदा काम कर रहे हो...मूतने की जगह..अरी छोड़ ना..मेरी जान..भाई अब बार बार मुझे जान बोलने लगा..था...देख तेरी बुर का जाएका कितना अच्छा और खट्टा लग रहा है...
मेरी रबिया जान...कहते हुए भाई ने मेरी बुर को बुरी तरह चूसना शुरू कर दिया.. हाए !!! भाई..मर डालोगे क्या अपनी बहन को...तेरी जैसी परी को मारने से पहले मै खुद न मर जाऊं ...आअहह..कितनी प्यारी बुर है....मैने भी भाई के कपड़ों को खींचना शुरू कर दिया..भाई समझदार था...उसने झट..अपना कपड़ा निकाल...अपने मूसल जैसे तने हुए लौड़े को मेरे सामने खोल....खड़ा हो गया...और मेरे भी कपडे खोलने लगा...मैने थोड़ा शरमाते हुए..अपना मूह दूसरी तरफ कर लिया.. हाए !!!...रबिया जान..देखो ना..इसको पकड़ो ना..ऐसे.. शरमाओगी तो.. हाए !!! भाई..धत्त..क्या करते हो..और मैने तिरछी निगाहों से उसके बड़े लौड़े को देखा..मेरा पूरा बदन ..जैसे झंझना गया..
भाई ने मुझे नंगा कर दिया...मेरी बुर को घूरता हुआ बोला. हाए !!!..जान..क्या बुर है तेरी...धत्त भाई..बहन की बुर के बारे मे ऐसे बेशर्मी से बोलते हो.. हाए !!!..जान..अब शरम छोड़ो ना...और मेरी तनी हुई खूबसरत गोरी चूंचीयों को मसलते हुए..मेरा हाथ पकड़ कर..अपने सख़्त लौड़े पर रख दिया...उफफफ्फ़..कितना गरम और लोहे की तरह सख़्त था..भाई का..लंड...वो मेरी हाथ मे फुदक रहा था...भाई..ने एक हाथ मेरी बुर पर ले जाकर सहलाते हुए बोला.. हाए !!!..जान तुम भी...सहलाओ.. हाए !!!..भाई..शरम आती है..मैने अपने हाथ की पकड़ उसके..लंड पर बढ़ा दिया....
आअहह...भाई..सिसकारी भरते हुए बोला...हाँ जान बस..ऐसे हे...थोड़ा सहलाओ..प्यार करो ना...मेरी साँसे उखड़ने लगी थी...मैने भाई के सख़्त लोहे को पकड़...आगे पीछे करना शुरू कर दिया...भाई..आँखे बंद कर...सिसक रहा था...तभी...भाई नीचे घुटनो के बल बैठ मेरी बुर को...फिर से चाटने लगा...आअहह...उउउफ़फ्फ़..भाई...आअहह...मत करो...तभी भाई ने..अपनी एक उंगली मेरी बुर मे डाल दी..और मेरी बुर को पेलने लगा....उन्ह...भाई... मार डालोगे क्या....क्यू तेरी सहेली फ़रज़ाना चुदने से मर गयी थी...आहह...भाई..
भाई ने मुझे उठा कर सोफे पर बिठा दिया..और अपना लंड..मेरे मूह के पास ला ...मेरी चूचियों को मसलता हुआ...बोला. हाए !!!..रबिया..मेरी प्यारी बहन...लो ना इसको.. हाए !!! भाई..किसको...आहह...इतना..अंजान ना बनो..लो ना..क्या भाई...लंड.. हाए !!! अल्ला..क्या कहते हो भाई..कुछ तो शरम करो...अब शर्म छोड़ ..देख..तू भी नंगी है..और मै भी..अब कैसी शरम...ले लंड को..और चूस ना...धत्त भाई...ये तो गंदा है..जब की मन मे मेरी यही इच्छा हो रही थी की कब...भाई मेरे मूह मे अपना सख़्त लंड डाल कर मेरे मूह को चोद दे.. हाए !!!..रबिया...लो ना जान..और भाई ने लंड..मेरे गुलाबी होंठो के बीच..रख दिया...मैने भी अपनी गुलाबी होंठों की पंखुड़ियों मे भाई के खड़े लौड़े को दबा ....उसके चिकने फूले ...सुपाड़े पर हलके से जीभ चलाई...आआहह...मेरी प्यारी बहना..भाई के मूह से...सिसकारी निकल गयी.
मै उसके लंड..को आँखे नचा कर..गाल गुलाबी करते...रंडी की तरह चूसने लगी..आख़िर..रंडी मा की बेटी हूँ..भाई सिसकते हुए...मेरे बालों पर हाथ फिरता..कभी..मेरी चूंचीयों को मसल देता...मेरी साँसे भी..लौड़ा चूसते....उखड़ने लगी थी...फिर मुझे पीछे धकेल सोफे पर गिरा, मेरी गोरी टॅंगो के बीच बैठ.....दोनो हाथो से मेरी दोनो चूचियों को अपनी हथेली में भर मसल दिया.....उफफफ्फ़....छोड़ों.... ना भाई..इतने ज़ोर से मसलते हो...
पर उसने अनसुना कर दिया....अपना चेहरा झुकते हुए मेरे होंठों को अपने होंठों में भर मेरी चूचियों को और कस कस कर मसलने लगा.....मैं उसे पीछे धकेल तो रही थी मगर पूरी ताक़त से नही....वो लगातार मसले जा रहा था.....मैं भी इस मस्त खेल का मज़ा लेना चाहती थी.....देखना था की भाई अपनी गरम बहन की बुर की प्यास कैसे बुझता है......कुछ लम्हो के बाद ऐसा लगा जैसे जाँघो के बीच सुरसुरी हो रही है......मुझे एक अजीब सा मज़ा आने लगा......मैने उसको धखेलना बंद कर दिया...... मेरे हाथ उसके सिर के बालो में घूमने लगे.....तभी उसने मेरे होंठों को छोड़ दिया....हम दोनो हाँफ रहे थे....वो अभी भी हल्के हल्के मेरी छातियों को सहला रहा था.....मुस्कुराते हुए अपनी आँखो को नचाया जैसे पूछ रहा हो क्यों कैसा लगा....मेरे चेहरे पर शर्म की लाली दौड़ गयी......उसकी समझ में आ गया....
मेरी आँखे मेरे मज़े को बयान कर रही थी......नीचे झुक मेरे होंठों को चूमते, मेरी कानो में सरगोशी करते बोला......ऐसे होता है ये खेल......कुछ पल तक हम ऐसे हे गहरी साँसे लेते रहे.....मेरे चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट और शर्म की लाली फैली हुई थी..... मै भाई के लंड को हाथ से पकड़ सहलाने लगी.....भाई ने फिर से मेरी दोनो चूंचीयों को दबोच लिया और बोला.... हाए !!! मेरी गुड़िया तूने आज मेरी आग भड़का दी.....अब पूरा खेल खेलेंगे......कहते हुए वो ज़ोर ज़ोर से मेरे होंठों और गालो को चूमने चाटने लगा....मुझे फिर से मज़ा आने लगा....और मैं भी उकसा साथ देने लगी......हम दोनो आपस में एक दूसरे से लिपट गये....
एक दूसरे के होंठों को चूस्ते हुए पूरे सोफे पर लुढ़क रहे थे....तेज चलती सांसो की आवाज़ कमरे में गूज़्ने लगी....दोनो के दिल की धरकन रेलगाड़ी की तरह दौड़ रही थी.....भाई मेरी गालो को ज़ोर से काट ते हुए चीखा... हाए !!! रबिया तेरे गाल... काट लूँगा....बहुत बक बक करती है....देखे तेरी चूत में कितनी खुजली.....कहते हुए वो अपनी कमर को नाचते हुए मेरी कमर से चिपका रगड़ने लगा....उफ़फ्फ़..भाई का गरम ..सख़्त लंड मेरी बुर को टच करने लगा ....उसके लंड की रगड़ाई का अहसास मुझे अपनी चूत पर महसूस हो रहा था.....मैं भी उसको नोचने लगी....उसके होंठों को अपनी दाँत से काट ते हुए हाथो को उसके चूतड़ों पर ले गई....चूतड़ों के गुन्दाज़ माँस को अपनी हथेली में भर कर मसलती.....दोनो चूतड़ों को बीच उसकी गाँड की दरार में उपर से नीचे तक अपनी हथेली चला रही थी....हम दोनों बेकाबू हो चुके थे..... मेरी धडकनें और तेज़ हो गयी........एक हाथ से वो भी मेरे मांसल चूतड़ों की गहराइयों मे उंगली चला रहा था......चूची अब भी उसके मुँह में थी.....मैं तड़प रही थी.....मेरी जवानी में आग लग चुकी थी.......मेरे हाथ पैर काँप रहे थे....सुलगते जिस्म ने बेबस कर दिया.....
कुछ देर तक इसी तरह चूसते रहने के बाद....उसने होठों को अलग किया......मेरी साँसें रुकती हुई लग रही थी......थोड़ी राहत महसूस हुई....उउफफफफ्फ़... .भाई ये कौन सा खेल है....मैं मर जाउंगी....मैं बेकाबू होती बोली.....पूरा जिस्म सुलग रहा है.....क्यों बेताब होती है...मेरी गुलबदन बहना....तेरे सुलगते जिस्म की आग को अभी ठंडा किए देता हू.....उसने फिर से मेरे होंठों को अपने होंठों के आगोश में ले लिया.....बदन की आग फिर से सुलग उठी.....होंठों और गालो को चूसते हुए धीरे धीरे नीचे की चूचियों को चूमने के बाद मेरे पेट पर अपनी जीभ फिरते हुए नीचे बढ़ता चला गया....गुदगुदी और सनसनी की वजह से मैं अपने बदन को सिकोड़ रही थी......जाँघो को भीच रही थी....तभी उसने अपने दोनो हाथो से मेरी जाँघो को फैला दिया.....ये पहला मौका था किसी मर्द ने मेरी जाँघो को ऐसे खोल कर फैला दिया था.......आदतन मैने अपनी हथेली से चूत ढकने की कोशिश की......भाई ने हथेली को एक तरफ झटक दिया.....मैने गर्दन उठा कर देकने की कोशिश की....भाई मेरी खुली जाँघो के बीच बैठ चुका था....अफ ये क्या कर रहे हो भाई... हाए !!! ज़रा भी शरम नही.....
वो एकदम बेकाबू हो चुका था...मेरी तरह...उसका सख़्त लंड मेरे मूह को सटा सट चोद रहा था......हम सोफे पर एक दूसरे से उल्टी दिशा मे लेटे हुए थे....उसने मेरी चूंची के निपल को ज़ोर से दबाते हुए अपनी एक उंगली मेरी चूत में पेल दी....अचानक उसके निपल दबाने और बुर में उंगली पेलने से मेरी चीख निकल गई....मैने भी उसके लंड को ज़ोर से चोसा और सुपाड़े को हल्के से कटा.......पर शायद वो कुछ ज़्यादा हे उत्तेजित था.....भाई भी कच कच मेरी बुर में उंगली पेल रहा था....तभी उसने कहा... हाए !!! गुड़िया तेरी चूत तो मज़े का पानी फेंक रही है...सीईईई....चल लेट जा जानेमन....तेरी रसीली बुर का रस....कहते हुए उसने मुझे पीछे धकेला....मेरे मूह से अपना लंड निकाला और थोड़ा पीछे खिसक मेरी चूत के उपर झुकता चला गया...
मैं समझ गई की अब मेरी चूत चाटेगा....दोनो जाँघो को फैला मैं उसको होंठों का बेसब्री से इंतेज़ार करने लगी.....ज़ुबान निकाल चूत के उपरी सिरे पर फिरते हुए.....लाल नुकीले टीट से जैसे ही उसकी ज़ुबान टकराई....मेरी साँसे रुक गई....बदन ऐंठ गया....लगा जैसे पूरे बदन का खून चूत की तरफ दौड़ लगा रहा है.....सुरसुरी की लहर ने बदन में कपकपि पैदा कर दी....मैं आँखे बंद किए इस अंजाने मज़े का रस चख रही थी....तभी उसने टीट पर से अपनी ज़ुबान को हटा....एक कुत्ते की तरह से मेरी चूत को लपर लपर चाटना शुरू कर दिया....वो बोलता भी जा रहा था... हाए !!! क्या रबड़ी जैसी चूत है....सीईईईईईई....चूत मरानी कितना पानी छोड़ रही है....लॅप लॅप करते हुए चाट रहा था....मेरी तो बोलती बंद थी....
ज़ुबान काम नही कर रहा था....मज़े के सातवे आसमान पर उड़ते हुए मेरे मुँह से सिर्फ़ गुगनाने और सिसकारी के सिवा कोई और आवाज़ नही निकल रही थी....उसने मेरी चूत के दोनो फांको को चुटकी में पकड़ फैला दिया....मैने गर्दन उठा कर देखा....मेरी बुर की गुलाबी छेद उसके सामने थी....जीभ नुकीला कर चप से उसने जब चूत में घुसा अंदर बाहर किया तो....मैं मदहोश हो उसके सिर के बालो को पकड़ अपनी बुर पर दबा चिल्ला उठी....चूक चुस्स्स्स्सस्स हीईीईईईईईईई कभी सीईईईईईईईईईईईईईईईईई.... हाए !!!....भाई....ये क्या कर रहे हो.......उईईईई....मेरी जान लेगा....पहले क्यों नही........उईईई.....सीईईईई.....चूस्स्स्स्सस्स....चा... आअट ... हाए !!! मेरी बुर में जीभ.....ओह अम्मी.... हाए !!!ईिइ....मेरी अच्छा भाई......बहुत मज़ा.....उफफफ्फ़ चााअटतत्त.....मेरी तो निकल....मैं गाइिईईईईईई...
मेरी सिसकयारी और कराहों को बिना तब्बाज़ो दिए वो लगातार चाट रहा था....चूत में कच कच जीभ पेल रहा था.....मैं भी नीचे से कमर उचका कर उसकी ज़ुबान अपनी चूत में ले रही थी...तभी उसने चूत की दरार में से जीभ निकाल लिया और मेरी तरफ देखता हुआ बोला......है ना जन्नत का मज़ा.....अपनी सिसकियों के बीच मैने हा में गर्दन हिला दिया....मेरी अधखुली आँखो में झांकती उसने अपनी दो उंगलियाँ अपने मुँह के अंदर डाली और अपने थूक से भिगो कर बाहर निकाल लिया....इस से पहले की मैं कुछ समझ पाती....अपने एक हाथ से मेरी चूत की फांको को चिदोर....अपनी थूक से भीगी दोनो उंगालियाँ मेरी बुर के गुलाबी छेद पर लगा.....कच से पेल दिया....उईईईई.......मर गई.....मेरी चीख निकल गई....अपने हाथ से मैं ज़यादा से ज़यादा एक उंगली डालती थी.....भाई ने बिना आगाह किए दो उंगलियाँ मेरी चूत की संकरी गली में घुसेड़ दी थी....
उस पर मेरे चीखने का कोई असर नही था....उल्टा मेरी आँखो में झँकता अढ़लेता हुआ...अपने दाँत पर दाँत बैठाए पूरे ताक़त के साथ कच कच कर मेरी चूत में उंगली पेले जा रहा था.... ऊऊउउउईई....आअहह... ..सस्स्सिईईई... .भाई...अब अपना लंड मेरी बुर मे डाल मुझे चोद दो...मस्ती और मदहोशी मे मै ....ना जाने कैसे ये बोल गयी....भाई ने मेरी बुर से उंगली निकाल मेरी टाँगों को चौड़ी...करते हुए...मेरी टाँगों के बीच बैठ ....अपने लंड के फूले सुपाड़े को मेरी लपलपाति बुर के गुलाबी छेड़ पर...रख..रगड़ने लगा....उफफफ्फ़...उईईइ..अम्मी.....सनसनी से...मेरा पूरा बदन...कंपकपा रहा था...
मेरी बुर पर लंड को...रगड़ते हुए...पूछा...मेरी जान कैसा लग रहा है.. हाए !!! भाई अब मत पूछो ...पेल डालो अपनी बहन की बुर.. ...उईईइ...बहुत जल रही है...अचानक बात करते...भाई ने कच से जोरदार झटका..देते हुए...मेरी ...बुर मे अपने लंड को पेल दिया...उईईईईईई अम्मी...मै मरररर गयी.. हाए !!!..भाई...निकालो...मै दर्द से बिलबिला उठी...लग रहा था..कोई सख़्त लोहे का गरम रोड मेरी बुर को चीरता हुआ घुस गया है...बस मेरी प्यारी गुड़िया ...कुछ नही ...और भाई...मेरे उपर लेट ...मेरे निप्पल को मूह मे ले कर चूसने लगा..और एक हाथ मेरी चूतड़ों के नीचे दल...दरारों मे उंगली डाल चलाने लगा...कुछ हे देर मे..मेरा दर्द.. गायब सा हो गया...भाई मेरे होंठों को अपने होंठों मे दबा...चूस रहा था...की फिर मै..दरद से बिलबिला उठी...उसने बिना आगाह किया...मेरे होंठो को अपने मयह मे दबाए...ना जाने कब अपना चूतड़ उठा..एक ज़ोर का झटका मार..मेरी बुर को अपने पूरे लंड पेल दिया...मै..बोल नही पा रही थी..
बस मेरे मूह से गु गु की आवाज़ निकाल रही थी...भाई ने मेरे होंठो को चूसना जारी रखा..और एक हाथ से मेरी चूची को मसल रहा था...कुछ देर..मे मुझे खुद मस्ती का एहसास होने लगा...मै...अपने मस्त गोल चूतड़ों को उठाए लगी....भाई भी अब..अपने लंड को धीरे धीरे..मेरी बुर मे अंदर बाहर करने लगा....आआहह...भाई...करो...पूरा अन्दर तक ..हम दोनों की तेज सांसो से...गूँज रहा था...पेलाई जोरो से चालू थी...भाई..अब मेरी कमर को पकड़ मेरी बुर मे सटा सट..अपना लंड पेले जा रहा था...मै अपने गाँड को उठा उठा..कर गोल गोल नाचती...उसके हर धक्के का जबाब दे रही थी...
ही मेरी गुड़िया कैसा लग रहा है.. हाए !!! भाई...उईईई...पेलते रहो...अपनी बहन के बुर को...जब तक हम यहाँ हैं ....रोज चोदना मेरी इस कुतिया को...बहुत खुजली करती है साली...आअहह....ज़ोर से चोदा ना...मै रंडिओ की तरह..बड़बड़ा रही थी..भाई भी कस कस के कुछ कुछ मेरी बुर को पेल रहा था....ह..भाई..मै अपने गाँड को खूब गोल गोल घुमा ...उसके लंड को अपन्नी बुर की गहराइयों तक ले रही थी..उईईई...अम्म्मि....मेरी रंडी अम्मी...देख...आज तेरी बेटी भी अपने भाई के लंड को अपनी बुर मे ले ही लिया...मैने मन मे बड़बड़या....
है भा.....उईईईईईईईई..... मेरी......छूटने ....वालीइीई....हुउऊउ....सीईए.. .भैईई....छोद्द्द्द्द्द्दद्ड....मैं गाइिईई और मै झड़ गई....मुझे अहसास हुआ जैसे मैं हवा में उड़ रही हू....मेरी आँखे बंद हो गई...कमर अब भी धीरे धीरे उछल रही थी...पर एक अजीब सा सुकून महसूस हो रहा था.... बदन की सारी ताक़त जैसे ख़तम चुकी....ऐसा लग रहा था...हम दोनो पसीने से भर चुके थे....भाई अब भी अपने लंड से कच कच मेरी बुर को मार रहा था...उसके धक्के तेज होते जा थे...आहह...मेरी गुड़िया ...मैईईईईईई...भीईीईई..... करते हुए भाई... फच्च फच्च करते हुए मेरी बुर मे हे झड़ने लगा...उसका वीर्य..जैसे मेरी बुर मे..लग रहा था की...पानी की गरम धार..गिर रही हो...मुझे एक सुखद एहसास हो रहा था..
भाई भी झड़ कर मेरे उपर लेट... कुत्ते की तरह हाँफ रहा था और मै भी....कुछ देर हम...वैसे हे पड़े रहे...फिर मैने भाई को अपने उपर से धकेला...और उठ कर बैठ गयी...मेरी बुर से..रस..टपक रहा था..जो शाएद मेरा और भाई...दोनो का था..मैने झुक कर अपनी बुर का..मुआयना किया...वो काफ़ी सूज गयी थी..लाल...खून जैसी...और वीर्य भी सफेद की जगह लाल और मटमैला हो गया था..मेरी बुर.. .फट चुकी थी...अचानक भाई उठ कर मेरी टाँगों के बीच अपना मूह कर मेरी सूजी हुई बुर को हाथ से फैला कर देखने लगा..
मुझे शरम आ रही थी...लेकिन भाई को इस तरह से अपनी बुर को देखता...देख बहुत अच्छा लग रहा था...तभी भाई अपनी जीभ निकाल मेरी बुर को चाटने लगा.. हाए !!! भाई अब के...मेरी गुड़िया का बुर.. .इतना सुंदर लग रहा की ...मै चाट कर सॉफ करूँगा...भाई..भी बेशर्म हो चुका था..भाई...मुझे पेशाब करना है..भाई मेरी बुर चोद कर हट गया.. मैंने उठने की कोशिश की...लेकिन..उठ नही जा रहा था..भाई ने मुझे अपनी बाहों मे उठाया और...बाथरूम मे गया...मै उसके सामने हे छर्र छर्र कर मूतने लगी....और भाई भी एक तरफ अपने झूलते लंड से मूत रहा था.
उस रात के बाद हम दोनो ना जाने कितनी रातें...चुदाई की.....मेरी बेकाबू जवानी का ये हाल था की मैने अपने भाई को अपनी रण्डीपना दिखा कर फसा हे लिया और शादी तक चुदवाती रही....अब भी मयके आने पर भाई के लंड को अपनी बुर मे ज़रूर लेती हूँ.... इस बीच..अम्मी, मामू..सबको पता चल चुका था की हुम लोग क्या करते हैं..और इस खेल मे वो भी शामिल हो गये थे......