पहली बार मोटा लंड लिया
मेरा नाम कमला है। अभी मेरी उम्र 26 साल की है। अभी तक कुवारीं हूँ। लेकिन इसका मतलब ये नहीं की मेरी चूत भी कुवारी हैं। ये तभी चुद गयी थी जब मेरी उम्र ** साल भी नहीं हुई थी।
तब मै आठवीं कक्षा में पढ़ती थी। उस दिन घर में मेरी मम्मी भी नहीं थी। मै और मेरा भाई जो कि मुझसे 5 साल छोटा था घर पर अकेले थे। उस दिन स्कूल की छुट्टी थी। इसलिए मै घर के काम कर रही थी। मेरा छोटा भाई पड़ोस में खेलने चला गया था। मै बाथरूम में नहाने चली गयी। अपने सारे कपडे मैंने हॉल में ही छोड़ दिए और नंगी ही बाथरूम में चली गयी। क्यों कि घर में तो कोई था नहीं इसलिए किसी के देखने का कोई भय भी नहीं था।
बाथरूम में आराम से मै अपने चूत को सहलाने । सहलाते सहलाते अपने चूत में ऊँगली डाल ली। पूरी ऊँगली अन्दर चली गयी। बड़ा ही मज़ा आया। अन्दर चूत में ऊँगली का स्पर्श साफ़ महसूस हो रहा था। मै अपने ऊँगली को चूत में घुमाने लगी। मुझे लगा कि शायद चूत में अभी भी बहूत जगह इसमें खाली है। मैंने बाथरूम में रखा हुआ पुराना टूथब्रुश लिया और उलटे सिरे से पकड़ कर अपने बुर में डाल लिया।
मै नीचे जमीन पर बैठ गयी और अपनी दोनों टांगो को पूरी तरह फैला दिया। इस से मुझे अपने बुर में ब्रश डालने में काफी आसानी हुई। अब मुझे बहूत ही मज़ा आने लगा। इतना मज़ा आ रहा था कि पेशाब निकलने लगा। करीब आधे घंटे तक मैंने अपने चूत में कभी शेम्पू तो कभी नारियल तेल डाल डाल के मज़ा लेती रही। और ब्रश से चूत की सफाई भी करती रही। थोड़े देर के बाद मै नहा कर वापस अपने कमरे में आ गयी। थोड़ी देर के बाद मेरा छोटा भाई भी बाहर से आ गया।
उसी शाम में मेरी मम्मी के दूर के रिश्ते में भाई लगने वाले एक रिश्तेदार मेरे यहाँ आ धमका । उसकी उम्र रही होगी कोई 28-29 साल की। उनको मेरी मम्मी से कुछ काम था। लेकिन मम्मी तो कल शाम में आने वाली थी। मैंने मम्मी को फोन कर के उसके बारे में बताया तो मम्मी बोली आज रात को उसे अपने घर में ही रुकने के लिए बाहरी कमरा दे देना।
रात को खाना पीना खा कर सभी चुपचाप सो गए। रात 11 बजे मुझे पिशाब लग गया। मै बाथरूम गयी तो मुझे फिर से वही सुबह में चूत में ब्रश डालने वाली घटना याद आ गयी। मुझे फिर से अपने बुर में ब्रश डालने का मन करने लगा। मैंने अपने सारे कपडे खोल कर अपने बुर में ब्रश डाल कर मज़े लेने लगी। मुझे अपने बाथरूम का दरवाजा बंद करने का भी याद नहीं रहा। मै दीवार की तरफ मुह कर के अपने चूत में ब्रुश डाल कर मज़े ले रही थी। मेरे मूह से मस्ती भारी अवाइज़ें निकल रही थी।
तभी पीछे से आवाज आई- ये क्या कर रही हो कमला ?
ये सुन कर मै चौंक गयी। मैंने पलट कर देखा तो मेरा कज़िन रवि ठीक मेरे पीछे खडा था। वो सिर्फ एक तौलिया पहने हुए था.
मैंने कहा - आप यहाँ क्या कर रहे हैं ?
वो बोला- मुझे पिशाब लगा था इसलिए मै यहाँ आया था तो देखा कि तुम कुछ कर रही हो।
मै अब क्या कहूं क्या नहीं? हड़बड़ी में मैंने कह दिया - देखते नहीं ये साफ़ कर रही हूँ। इसकी सफाई भी तो जरूरी है न? वैसे तुम यहाँ पिशाब करने आये हो ना तो करो और जाओ।
उसने कहा - मै तो यहाँ पिशाब करने आया था ।
मैंने कहा - ठीक है तुम तब तक पिशाब करो मै अपना काम कर रही हूँ।
दरअसल मै उसकी लंड देखना चाहती थी। सोच रही थी कि जब इसने मेरा चूत देख लिया है तो मै भी इसके लंड को देख कर हिसाब बराबर कर लूं।
रवि - तुम यहीं रहोगी?
मैंने कहा- हाँ। तुम्हे इस से क्या? ये मेरा घर है । मै कहीं भी रहूँ।
उसने कहा- ठीक है।
और रवि ने अपना तौलिया खोल दिया । और पूरी तरह से नंगा हो गया। मुझे सिर्फ उसकी लंड देखना था। रवि का लंड मेरे अनुमान से कहीं बड़ा और मोटा था। रवि का लंड किसी मोटे सांप की तरह झूल रहा था। वो मेरे सामने ही कमोड पर बैठ गया। उस ने अपने लंड को पकड़ा और उस से पेशाब करने लगा। यह देख मै बहूत आश्चर्यचकित थी कि इतने मोटे लंड से कितना पिशाब निकलता है? पिशाब करने के बाद उसने अपने लंड को झाड़ा और सहलाने लगा।
रवि ने कहा - तुम अपने चूत की सफाई ब्रश से करती हो?
मैंने कहा - हाँ.
रवि - क्या तुम अपने चूत के बाल भी साफ़ करती हो?
मैंने कहा - चूत के बाल? मेरे चूत में बाल तो नहीं हैं.
रवि - चूत के अन्दर नहीं चूत के ऊपर बाल होते हैं .जैसे मेरे लंड के ऊपर बाल है ना उसी तरह.
कह कर रवि अपने लंड के बाल को खींचने लगा.
मैंने पूछा - तुम्हारे लंड पर ये बाल कैसे हो गए हैं?
रवि बोला - जब तुम बड़ी हो जाओगी तो तुम्हारे चूत पर भी बाल हो जायेंगे।
मैंने कहा – रवि, तुम्हारा लंड तो इतना बड़ा है कि लटक रहा है। क्या मेरा बुर भी बड़ा होने पर इतना ही बड़ा और लटकने लगेगा?
वो हंस के बोला- अरे नहीं पगली, भला बुर भी कहीं लटकता है? हाँ वो कुछ बड़ा हो जायेगा। फिर बोला- तुम एक जादू देखोगी? अगर तुम मेरे इस लंड को छुओगी तो ये कैसे और भी बड़ा और खड़ा हो जाएगा।
मुझे बहूत ही आश्चर्य हुआ ।
मैंने कहा - ठीक है। दिखाओ जादू .
रवि कमोड पर से उठ गया। और मेरे पास आ गया। रवि ने अपने लंड को अपने हाथों से पकड़ कर कहा - अब इसको छुओ।
मैंने उसके लंड को पकड़ लिया। ऐसा लग रहा था कि कोई गरम सांप पकड़ लिया हो। रवि ने मेरे हाथ को अपने हाथ से दबाया और अपने लंड को घसवाने लगा। थोड़ी ही देर में मैंने देखा कि रवि की लंड सांप से किसी लकड़ी के टुकड़े जैसा बड़ा हो गया, एकदम कड़ा और बड़ा। उसे बड़ा ही आनंद आ रहा था। रवि ने अचानक मेरा हाथ छोड़ दिया। लेकिन मै रवि के लंड को घसती ही रही। थोड़ी देर में देखा रवि के लंड से चिपचिपा सा पानी निकल रहा था जो शेम्पू की तरह था। वो कराहने लगा.
मैंने कहा - रवि ये क्या है?
रवि बोला - हाय कमला, ये लंड का पानी है। बड़ा ही मज़ा आता है। तू भी अपने चूत से ऐसा ही पानी निकालेगी तो तुझे भी बड़ा मज़ा आयेगा.
मैंने कहा - लेकिन कैसे?
रवि बोला - आ इधर मै तुझे बता देता हूँ.
मैंने कहा - ठीक है , बता दो।
रवि ने मुझे कमोड पर बैठा दिया और मेरी दोनों टांगों को फैला दिया। रवि मेरे बुर को अपने मुह से चूसने लगा। मुझे बहूत ही अच्छा लग रहा था। रवि ने मेरी बुर में अपनी जीभ डाल दी। मेरे से रहा नहीं गया और मेरे बुर से पिशाब निकलने लगा। लेकिन वो हटा नहीं और पेशाब पीने लगा। मै तो एक दम पागल सी हो गयी। उस समय तो मेरी चूची भी नहीं निकली थी। लेकिन रवि मेरी निपल को ऐसे मसल रहा था लगा मानो वो मेरी चूची मसल रहा है। पेशाब हो जाने के बाद भी रवि मेरे बुर को चूसता रहा।
फिर अचानक रवि बोला - आ नीचे लेट जा ।
मैंने कहा - क्यों?
रवि बोला - अरे आ ना. तुझे और मस्ती करना बताता हूँ.
मै चुपचाप बाथरूम के फर्श पर लेट गयी। फर्श पर मेरे ही पिशाब पड़े हुए थे। रवि ने मेरे दोनों पैरों को उठा कर अपने कंधे पर रख दिया और मेरे बुर में ऊँगली डाल कर ऊँगली को बुर में घुमाने लगा। मुझे मज़ा आ रहा था।
रवि बोला - अरे तेरा बुर तो बहूत बड़ा है। ये ब्रश से थोड़े ही साफ़ किया जाता है? आ इसकी मै सफाई अपने लंड से कर देता हूँ।
मैंने कहा - अच्छा रवि, लेकिन ठीक से करना।
रवि ने कहा - हाँ कमला , देखना कैसी सफाई करता हूँ.
उसने बगल से नारियल तेल लिया और मेरे चूत के अन्दर उड़ेल कर उंगली डाल कर मेरी चूत का मुठ मारने लगा.
मस्ती के मारे मेरी तो आँखे बंद थी. रवि ने पहले एक उंगली डाली. फिर दो और फिर तीन उंगली डाल कर मेरे चूत को चौड़ा कर दिया. थोड़ी ही देर में रवि ने मेरे चूत के छेद पर अपना लंड रखा। और अन्दर घुसाने की कोशिश करने लगा। मुझे हल्का सा दर्द हुआ तो मै कराह उठी।
रवि रुक गया और बोला क्या हुआ कमला ?
मैंने कहा - रवि तेरा लंड बहूत बड़ा है। ये मेरी बुर में नहीं घुसेगा।
रवि बोला - रुक जा कमला . तू घबरा मत. बस मेरे लंड को देखती रह.
हालांकि मेरी हिम्मत नहीं थी कि इतने मोटे लंड को अपनी बुर में घुसवा लूं लेकिन मै भी मज़े लेना चाहती थी। इसलिए मैंने कुछ नहीं कहा। अब रवि ने मेरे बुर के छेद पर अपना लंड रखा और धीरे धीर रुक रुक कर अपने लंड को मेरे बुर में घुसाने लगा। मुझे थोडा दर्द तो हो रहा था लेकिन तेल कि वजह से ज्यादा दर्द नहीं हुआ। रवि ने पूरा लंड मेरे बुर में डाल दिया। मुझे बहूत आश्चर्य हो रहा था कि इतना मोटा और बड़ा लंड मेरे छोटे से बुर में कैसे चला गया। रवि मेरी बुर में अपना लंड डाल कर थोड़ी देर रुका रहा।
फिर रवि बोला- दर्द तो नहीं कर रहा ना?
मैंने कहा- थोडा थोडा ।
फिर रवि ने थोडा सा लंड को बाहर निकाला और फिर धीरे से अन्दर कर दिया। मुझे मज़ा आने लगा। रवि धीरे धीरे यही प्रक्रिया कई बार करता रहा। अब मुझे दर्द नहीं कर रहा था। थोड़ी देर के बाद रवि ने अचानक मेरे बुर को जोर जोर से धक्के मरने लगा।
मैंने पूछा – रवि, ये क्या कर रहे हो?
रवि बोले- तेरे बुर की सफाई कर रहा हूँ।
मुझे आश्चर्य हुआ- अच्छा ! तो इस को सफाई कहते है?
रवि बोला - हाँ मेरी जान. ये चूत की सफाई भी है और चुदाई भी.
मैंने कहा – रवि, तो क्या तुम मुझे चोद रहे हो?
रवि बोला - हाँ. कैसा लग रहा है कमली?
मैंने कहा - रवि अच्छा लग रहा है.
रवि बोला - पहले किसी को चुदवाते हुए देखा है?
मैंने कहा - देखा तो नहीं है रवि, लेकिन अपने स्कूल में सीनियर सेक्शन की लड़कियों के बारे में सूना है कि वो अपने दोस्तों से चुदवाती हैं. तभी से मेरा मन भी कर रहा था कि मै भी चुदवा लूं. लेकिन मुझे पता ही नही था कि कैसे चुदवाऊं?
रवि बोला - अब पता चल गया ना?
मैंने कहा - हाँ रवि.
थोड़ी देर में रवि ने मुझे कस के अपनी बाहों में पकड़ लिया और अपनी आँखे बंद कर के कराहने लगा। मुझे अपने चूत में गरम गरम सा कुछ महसूस हो रहा था।
मैंने पूछा - क्या हुआ रवि? मेरे चूत में गरम सा क्या निकाला आपने?
रवि बोला - कुछ नहीं मेरी जान कमली . वो मेरे लंड से माल निकल गया है।
थोड़ी देर में रवि ने मेरे चूत से से अपना लंड निकाला और खड़ा हो गया। मैंने अपने चूत की तरफ देखा कि इस से खून निकल रहा था. मै काफी डर गयी और रवि को बोली - रवि, ये खून जैसा क्या निकल गया मेरे चूत से?
हालांकि रवि जानता था कि मेरी चूत की झिल्ली फट गयी है. लेकिन उसने झूठ का कहा - अरे कुछ नहीं. ये तो मेरा माल है. जब पहली बार कोई लड़की चुदवाती है तो उसके चूत में माल जा कर लाल हो जाता है. आ इसे साफ़ कर देता हूँ।
मै थोड़ा निश्चिंत हो गयी.
फिर हम दोनों ने एक साथ स्नान किया. उस ने मुझे अच्छी तरह से पूरा नहला - धुला कर सब साफ़ कर दिया. और फिर हम दोनों अपने अपने कपडे पहन कर अपने अपने कमरे में चले गए।
सुबह जब मेरा छोटा भाई स्कूल चला गया तो मै उसे चाय देने गयी.
रवि ने मुझसे कहा - कैसी हो कमला कमली ?
मैंने कहा - ठीक ही हूँ.
रवि ने कहा - तेरी चूत में दर्द तो नही है ना?
मैंने कहा - दर्द तो है लेकिन हल्का हल्का. कोई दिक्कत तो नहीं होगी ना रवि?
रवि ने कहा - अरे नहीं कमली. पहली बार तुने अपने चूत में लंड लिया था न इसलिए ऐसा लग रहा है. और देख.. किसी को कल रात के बारे में मत बताना। नहीं तो तुझे सब गन्दी लड़की कहेंगे।
मैंने कहा - ठीक है, लेकिन एक शर्त है.
रवि बोला- क्या?
मैंने कहा - एक बार फिर से मेरी बुर की सफाई करो लेकिन इस बार बाथरूम में नहीं बल्कि इसी कमरे में।
रवि बोला - ठीक है आ जा।
और मैंने उसके कमरे का दरवाजा लगा कर फिर से अपनी चूत चुदवाई। वो भी 2 बार । वो भी बिलकूल फ्री में।
दोपहर में मम्मी आ गयी. मम्मी के आने के बाद भी वो मेरे यहाँ अगले पांच दिन जमा रहा. इस पांच दिन में मैंने आठ बार अपनी चूत उस से साफ़ करवाई। रवि "लॅंडधारी" का लंड सच में बेहद लाजवाब था .... इतने मोटे लंड का मज़ा ही कुछ और होता है।
दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको ,
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ऋतु भाभी और कम्मो
दोस्तो, मेरा नाम रविराम है, दोस्त मुझे रवि के नाम से बुलाते हैं। मेरा लंड 9 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा है जिसके अन्दर जाये, उसकी चूत का भोंसड़ा बना कर ही बाहर आये। आज तक मैंने 15 से भी अधिक कुवांरियों की सील तोड़ी है।
यह मेरी जीवन की एक सच्ची घटना है जो मेरी एक दूर की भाभी ऋतु और मेरी एक फिर गर्लफ्रैंड कम्मो के साथ की घटना है। जब मैंने अपनी पढ़ाई के लिए कॉलेज में दाखिला लिया, उस समय मेरी उमर ** साल की थी, मेरे को तब तक चोदने और चुदाने के बारे में थोड़ा ही ज्ञान था, कभी किसी के साथ अच्छे से सेक्स नहीं किया था। मेरी क्लास में वैसे तो बहुत सी लड़कियाँ थी पर मेरे को कोई भी नहीं भाती थी।
मुझे कॉलेज ऑफ़ आर्किटेक्चर में दाखिला मिला था इस लिए पढ़ने का बहुत शौक था और मैं हमेशा ही अपनी पढ़ाई पर बहुत ध्यान देता था, सारे टीचर मेरे से खुश रहते थे, इसी बात के कारण लड़कियाँ धीरे-2 मेरे पास आने लगी और मेरी उनसे अच्छी दोस्ती हो गई।
उनमें से एक लड़की का नाम कम्मो था जो देखने में बहुत सुंदर थी, उसकी उम्र 26 साल, पतली नाजुक कमर, चेहरे पर हमेशा सुकून दिखाई देता था, वो भी मेरे तरह क्लास में अच्छे से काम करती थी। मेरी और कम्मो की अच्छी दोस्ती हो गई पर मैंने उसे कभी भी सेक्स की नजरों से नहीं देखा। जिगरी दोस्त की तरह हम एक दूसरे से खुल कर बात करते और सलाह मशवरा लेते।
एक बार वो जब कैंटीन में बैठी हुई थी, उस दिन वो मिनी स्कर्ट और टी-शर्ट पहन कर आई थी, क्या मस्त लग रही थी। मैं उसके पास गया और उससे बात करने लगा तभी उसकी पेंसिल नीचे हाथ से छूट कर गिर गई जिसे उठाने के लिए जब वो नीचे की तरफ झुकी तो मेरी नजर उसके वक्ष पर चली गई क्योंकि उसने ढीली ढाली सी टी-शर्ट पहनी थी, छोटे-2 संतरे के जैसे थे जिसे देख कर मेरा भारी और लंबा-मोटा लण्ड खड़ा हो गया। मैंने किसी तरह से अपने लण्ड को उससे छुपाने की कोशिश की । पर मेरा इतना मोटा और लंबा लंड भला कहाँ छुपने वाला था । उसने मेरे इस हलचल को देख लिया पर कुछ नहीं बोली। लेकिन तोड़ा सा मुस्करा दी/ उसके बाद मैं उसकी तरफ ज्यादा ध्यान देने लगा।
एक दिन जब वो क्लास में अकेली बैठी थी, मैंने देखा कि उसके साथ कोई नहीं है, मैंने सोचा, अच्छा मौका है बोल दे, नहीं तो फिर कभी नहीं बोले पाएगा।
मैं गया और कुछ सोचे समझे बिना जाकर बोला- कम्मो , मैं तुमसे प्यार करता हूँ, तुमको हमेशा अपने साथ महसूस करता हूँ, मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकता !
यह सुन कर वो खड़ी हुई और मेरे गाल पर एक थप्पड़ मारा।
मैं चौंक गया, यह मैंने क्या कह दिया !?!
उसने बोला- इतने दिन बाद बोला, पहले नहीं बोल सकते थे? मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ !
मेरा दिल खुश हो गया। अब मैं उसे अपने कमरे में भी लाने लगा। उसने न जाने कितनी बार मेरे लौड़े को ठीक से देखा और मैंने भी न जाने कितनी बार उसकी चूत देखी और चौड़ा करके भी देखा पर इसके बावजूद हमारे दिल में चुदाई का ख्याल नहीं आया। मुठ मारने में भी उसने कई बार मदद की, मैंने भी उसकी मदद की है, हाथ से कई बार उसकी दाना मसल कर ठंडा किया है।
इस बार मैंने उससे अपने गाँव में छुट्टी बिताने के लिए मना लिया। इम्तिहान ख़त्म होने क बाद हम गाँव पहुँचे, हम दोनों का अच्छा खुश-आमदीद हुआ।
मेरे घर में मेरे पापा , मम्मी और एक छोटा भाई !
मेरा एक चचेरा भाई अनिल है जो मेरे से कई साल बड़ा है फिर भी मेरा पक्का दोस्त है। एक साल पहले उसकी शादी हुई थी ऋतु भाभी से, भाभी मेरी उम्र की हैं।
इस बार गर्मी बहुत ही तेज थी, सब लोग घर पर खाना खाकर दोपहर को सोये हुए थे, एक मैं था क़ि मुझे नींद नहीं आ रही थी, कम्मो का भी यही हाल था, वो बोली- चलो रवि, ऋतु भाभी के घर चलें, भाभी और भैया के साथ ताश खेलेंगे।
हम भाभी के घर गए, भाभी घर का काम कर रही थी और अनिल कहीं दिखाई नहीं दे रहा था, मैंने पूछा- भाईजान कहाँ हैं? सो रहे हैं क्या?
भाभी बोली- क्यों मैं नहीं हूँ क्या? भैया बिना काम काम नहीं चलेगा?
कम्मो - क्यूँ न चलेगा? हमने सोचा चलो भाभी के घर जाकर ताश खेलें !
भाभी उदास हो कर बोली- वो तो रात होने तक नहीं आयेंगे।
मैं- कहाँ गए हैं इतनी धूप में?
ऋतु- मैंने नहीं भेजा, अपने आप गए हैं।
कम्मो - कहाँ गए हैं?
ऋतु- और कहाँ? वो भले उनके खेत भले।
कम्मो - क्या बात है भाभी? उदास क्यूँ हो? झगड़ा हो गया है क्या?
ऋतु- जाने भी दीजिये। यह तो हर रोज की बात है, आप जान कर क्या करेंगी?
कम्मो ने उनके कंधे पर हाथ रखा और पूछा- क्या बात है, बता दो? कम से कम दिल हल्का हो जायेगा, हम से कुछ हो सके तो वो भी करेंगे। बोलो, क्या बात है? मार पीट करते हैं?
मैंने कहा- हाँ भाभी, क्या बात है?
इतना सुन कर भाभी कम्मो के गोद में सर रख कर रो पड़ी। मैंने उनकी पीठ सहला कर सांत्वना दी, मैंने कम्मो से पानी लाने को कहा।
कम्मो उठ कर पानी लेने गई। मैंने ऋतु भाभी के चहरे को अपने हाथों में लिया, इतनी मासूम लग रही थी वो !
कम्मो के आने से पहले मैंने उनके कान में पूछ लिया- भाभी, भाई तुम्हें रोज चोदता है या नहीं?
भाभी शरमा कर बोली- आज बीस दिन हुए !
कम्मो ने सुन लिया, पूछने लगी- किसके 20 दिन हुए?
मैं- तू नहीं समझेगी, छोटी है, बाद में बताऊँगा।
ऋतु भाभी को पानी देकर कम्मो ने अपने उरोजों के नीचे हाथ रख कर ऊपर उठाये और बोली- देखो, मैं छोटी दिखती हूँ भाभी? ऋतु के होंठों पर हंसी आ गई, उन्होंने कहा- नहीं कम्मो , तुम्हारे तो मेरे से बड़े हैं, मैं कह रही थी कि 20 दिन से अनिल ने मेरे से बात नहीं की है।
कम्मो के स्तन वाकई बड़े थे, वो 20 साल की ही थी मैंने सोचा खुला ही बोलने में कोई हर्ज़ नहीं है, मैंने कहा- भाभी का मतलब है कि 20 दिन से भैया ने उसे नहीं चोदा है।
कम्मो अवाक् रह गई, फिर बोली- रवि...?!!
मैं- भाभी, तू शुरू से बता, क्या हुआ?
कम्मो - रवि, तुम सब कैसे पूछते हो?
ऋतु पहले शरमाई फिर बोली- तुम्हारे भैया के अलावा मेरे को आज तक किसी ने छुआ तक नहीं ! तुम्हारे भैया ने पहली बार चो... !! वो किया सुहागरात को। मुझे दर्द हुआ, खून निकला वो सब उन्होंने देखा था।
मैं- अब मारपीट करते हैं?
ऋतु- मारपीट कर लेते तो अच्छा होता ! यह तो सहा नहीं जाता ! सुबह होते ही खेत में चले जाते हैं, दोपहर को नौकर को भेज कर खाना मंगा लेते हैं। रात को आते हैं तो खाना खाकर चुपचाप सो जाते हैं और झट पट वो किया या नहीं किया। करके करवट बदल कर सो जाते हैं। न बात न चीत ! मैं कुछ पूछूं तो ना जवाब। क्या करूँ? अब तो वो करना भी बंद कर दिया है। कभी कभी रात को नहीं आते तो मुझे डर लगता है, उन्हें कुछ हो तो नहीं गया?
इतना कहते हुए वो रो पड़ी और मेरे कंधे के ऊपर सर रख कर रोने लगी। मैं धीरे-2 उनकी पीठ सहलाने लगा, कम्मो की आँख में भी आंसू भर आये।
थोड़ी देर बाद भाभी शांत हो गई, उसका चेहरा उठा कर मैंने आँसू पौंछे। इतनी मासूम लग रही थी, मैंने उनके गाल एक चुम्मा ले लिया। मेरा कारनामा देख कर कम्मो ने दूसरे गाल पर चूम लिया। मैं कुछ सोचूं, इससे पहले मेरे होंठ ऋतु के होंठों से लग गए।
लगता है अनिल ने भाभी को सेक्स करना नहीं सिखाया था, जैसे ही मैंने जीभ से उसके होंठ चाटने चालू किये, वह छटपटाने लगी। लेकिन मैंने उसे छोड़ा नहीं, उसके मुंह में जीभ डाल कर चारों तरफ घुमाई और उसके होंठ चूसे।
कम्मो गौर से देख रही थी।
पाँच मिनट बाद चुम्बन छूटा। हम दोनों के मुँह थूक से गीले हो गए थे, उसका चेहरा लाल हो गया था।
कम्मो बोली- रवि, मुझे कुछ कुछ हो रहा था तुम दोनों को देख कर !
अब ऋतु ने कम्मो का का चेहरा पकड़ लिया और उसके मुँह से मुँह चिपका दिया।
इस वक्त कम्मो की बारी थी, ऋतु ने भी वैसा किया, जैसा मैंने किया था। उन दोनों को देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा। उस चूमाचाटी के दौरान मैंने अपना हाथ ऋतु की छातियों पर रख दिया, मैंने उरोजों को दबाया और मसला भी। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया पर हटाया नहीं, वो चुदवाने के लिए तैयार हो रही थी, फिर भी तसल्ली के लिए मैंने पूछा- भाभी, बीस दिन से भूखी हो, आज हो जाये।
कम्मो चुम्बन छोड़ कर बोली- रवि, तू तो भाभी को चो...च.. सम्भोग.. हाय हाय वो करने वाले हो?
मैं- अगर देख न सको तो चली जाना।
ऋतु- ना ना, तुम यहीं रहना !
अब कम्मो ने वो करना चालू किया जो सोचा न था, अचानक वो मेरे ऊपर टूट पड़ी और चूसना चालू कर दिया, पहले तो मेरे को हिचकिचाहट हुई, वो मेरी गर्ल फ्रेंड थी जिसने इस कदर कभी नहीं किया था, अब मैंने मुड़ कर न देखा मैंने कस कर उसे चूम लिया।
कम्मो के होंठ इतने कोमल और रसीले होंगे, मैंने सोचा न था। ऋतु के चूचे छोड़ कर मैंने नहा को पकड़ लिया, जब तक चुम्बन चला मैंने कम्मो के चूचे सहलाये।
जैसे ही चुम्बन छूटा, कम्मो बोली- क्या भाभी के सामने ही करेगा?
चारपाई छोटी थी, ऋतु ने फटाफट जमीन पर बिस्तर बिछाया।
छोटी सी चोली में ऋतु के चूचे छिप नहीं रहे थे, मैंने एक एक कर के चोली के रे बटन खोल दिए, उसने अपनी चोली निकाल दी, ऋतु अब ब्रा में थी।
चोली हटाते ही ऋतु के चूचे मेरे हाथ में कैद हो गए, मैंने धीरे से उसे लिटाया, आगे झुक कर फिर कम्मो भाभी को चूमने लगी, एक हाथ से चूचे से पकड़ा और दूसरा हाथ पेट से नीचे उतार दिया, ऋतु के चूचे मेरे हाथ से बड़े थे समां न सके लेकिन निप्पल छोटे थे उस वक्त सारा सामान कड़ा हो गया था, मैंने एक निप्पल चिमटी की तरह से पकड़ा और दूसरा मुँह में लेकर चूसने लगा।
उस वक्त ऋतु का हाथ धीरे से फिसल कर मेरे लंड पर पहुंचा, मेरे मोटे लंड को हाथ में भर कर दबा दिया, चुम्बन छोड़ कर बोली- देवर जी, कहाँ छुपा कर रखा था? ऐसे खजाने को छुपा कर रखना पाप है, मैं तुम्हें माफ़ नहीं करुँगी।
उसने मेरी पैंट खोला और हाथ डाल कर खड़े लंड को बाहर निकाला, कम्मो ने झट से मेरा लण्ड पकड़ लिया और बोली- बहुत सख्त है लंड आज तो !
अब कम्मो ने भी अपने कपड़े उतार दिए। अब मेरे सामने दो जोड़ी नंगी चूचियाँ थी, मैं क्या करता, चूचियाँ मेरी कमजोरी हैं, भाभी के चूचे कम्मो से बड़े थे और कम्मो के थोड़े छोटे थे। कम्मो के स्तन पूरी तरह गोल गोल और सफ़ेद थे, चूचे के ऊपर बादामी रंग के छोटी निप्पल थी, मैंने उंगली से निप्पल को छुआ।
इस दरमियान भाभी मेरा लंड मुठिया रही थी। उसने अब अपनी सलवार ढीली की और उसको नीचे करके उतार कर बोली- अब चालू हो जाओ !
भाभी ने जांघे चौड़ी करके ऊपर उठा ली। उत्तेजना से सूजी हुई चूत देख कर मेरा लंड और तन गया, मैं बीच में आ गया, लंड को पकड़ कर चूत के चारों तरफ घुमाया, सब गीला और चिकना था क्योंकि चूत बहुत गीली थी। दिक्कत यह थी कि मुझे सही से पता नहीं था कि लंड कहाँ घुसता है, चूत का मुँह कहाँ होता है।
मैंने ऐसे ही धक्के लगाने चालू कर दिए लकड़ी की तरह इधर उधर टकराया, फिसल गया लेकिन चूत का मुँह नहीं मिला।
मुझे लगा कि मैं चोदे बिना ही झड़ने वाला हूँ, आज तक मैं यह समझ नहीं पाया था कि लड़कियों को बिना बताये सेक्स का पता कैसे चल जाता है।
शर्म की मरी भाभी दोनों हाथो से चेहरा छुपा कर लेटी रही, कम्मो ने लंड को पकड़ कर सही ठिकाने में रख दिया और मैंने एक जोरदार धक्का मारा, पूरा लण्ड चूत में अंदर तक उतर गया, कम्मो गौर से लण्ड को चूत में घुसते देख रही थी।
चूत की मखमली दीवारों से लंड चिपक सा गया, लंड ने तीन चार ठुमके लगाये और चूत ने सिकुड़ कर जवाब दिया। मेरी उत्तेजना भी काफी बढ़ गई थी।.
अकेला सुपारा अन्दर रह जाता, मैंने अपना लंबा और मोटा लंड बाहर खींचा और फिर एक झटके से अन्दर घुसा दिया। दो चार ऐसे धक्के मारे तो लंड और तन गया, ऋतु के सर से लेकर पैर तक सारे अंग लंड के आनन्द से किलकारियाँ मारने लगे। मैं दनादन ऋतु को चोद रहा था और वो कूल्हे उछाल कर जवाब दे रही थी।
मैं झड़ने के नजदीक पहुँच गया पर भाभी चुदवाए जा रही थी, झड़ने का नाम नहीं ले रही थी।
कम्मो फिर काम आ गई, उसने भाभी की भोंस पर हाथ रखा, अंगूठे और उंगली से क्लोटोरिस पकड़ कर खींची, मसली और बेरहमी से रगड़ डाली, तुरंत भाभी के नितम्ब डोल पड़े।
अब वो कमर के झटके लगाने लगी, उसकी चूत ने ऐसे लंड चूसा कि मेरा बांध टूट गया, वीर्य की फचाफच पिचकारियाँ मार कर मैं झड़ गया और मेर साथ भाभी भी झड़ गई।
थोड़ी देर तक मैं भाभी के बदन पर पड़ा रहा, फ़िर लंड निकाल कर सफाई कने लगा। पेशाब जोर की लगी थी, झड़ने पर भी लंड झुका नहीं था।
लंड पर ठंडा पानी डाला, धोया पानी में डुबोया तब कहीं जाकर पेशाब निकली।
कमरे में आया और तो देखा तो दंग रह गया दोनों आपस में लिपटी पड़ी थी, कम्मो अपनी टाँगें उठाए पड़ी थी, ऋतु उसके ऊपर थी और मर्द की तरह धक्के मार कर चूत से चूत रगड़ रही थी। वो दोनों अपनी चुदाई में मस्त थी, मेरा आने की उन्हें खबर न हुई।
मैं जाकर सामने बैठ गया ताकि दोनों की चूत आसानी से दिखाई दे।
कम्मो जोर जोर से कूल्हे उछाल रही थी और भाभी को जोर लगाने को कह रही थी लेकिन ऋतु के झटके धीमे पड़ने लगे। मैं जाकर कम्मो के पीछे बैठ गया और अपनी टाँगें चौड़ी की तब लंड कम्मो की चूत तक पहुँच सका। आगे बढ़ कर मैंने भाभी के स्तन थाम लिए। भाभी ने कहा- अच्छा हुआ जो तुम आ गए ! संभालो अपनी गर्लफ्रेंड को !
और वो जाने लगी।
मैंने हाथ पकड़ लिया और कहा- अभी मत जाओ। हम तीनों मिल कर चुदाई करेंगे।
वैसे भी कुँवारी लड़की को चोदने के ख्याल से लंड कुछ टाइट हो गया। मैंने लंड भाभी की चूत में फिर से डाल दिया, वो कुछ कहे, इससे पहले मैंने चार पाँच धक्के मार ही लिए। लंड अब और खड़ा हो गया। मैंने भाभी की चूत से लंड निकाला, मेरा लंड भाभी की चूत के रस से चमक रहा था, एक झटके से कम्मो की चूत का मूह खोला और अपना लंड डाल दिया। मेरा लंबा और मोटा लंड कम्मो की छूट के अंदर जड़ तक जा कर फस गया था, मेरे लंड ने कम्मो की छूट की झिल्ली के टुकड़े कर दिए थे
झिल्ली फटते ही कम्मो चीख उठी लेकिन भाभी ने उसके लबों को अपने मुँह में लेकर दबोच लिया। अब मैंने लंड को चूत में दबाये रखा और खड़ा हो गया। तब कम्मो को पता चला कि उसकी चूत की झिल्ली फट गई है, वो बोली- रवि तुमने यह क्या किया? बहुत दर्द हो रहा है।
भाभी ने कम्मो के नीचे दो तकिये लगाये और कहा- जो होना था, वो हो गया, अब देखना लंड तुम्हारी चूत में कैसे ठीक बैठता है। दर्द की फिकर मत कर, अभी चला जायेगा ! रवि जरा रुको !
लंड को चूत में दबाये रख मैंने कहा- कम्मो तेरी यही इच्छा थी, सच बता?
फिर कम्मो ने अपना चेहरा ढक लिया और सर हिला कर हाँ कहा, उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। वो देख कर लंड ने ठुमका लगाया और ज्यादा चौड़ा होकर चूत को और भी चौड़ा कर डाला।
'उ इ इ इ !' कर कम्मो फिर से चिल्ला उठी।
मैंने उसके मुंह को चूम कर कहा- यह आखिरी दर्द है। अब कभी नहीं दुखेगा।
लण्ड को दो इंच बाहर निकाला और फिर घुसा कर पूछा- दर्द हुआ?
इस बार उसने न कहा।
"अब नीचे देख, क्या होता है?"
वो देखती रही और मैंने आराम से लंड निकाला, जब सिर्फ़ सुपारा चूत में रह गया, तब रुका।
झिल्ली का खून और चूत के रस से गीला लंड देख कर कम्मो बोली- तेरा इतना बड़ा तो कभी न था? कब बढ़ गया?
"मैंने भी तेरी भोंस इतनी खुली हुई नहीं देखी !"
भाभी- चुदाई के वक्त लंड और चूत का आकार बदल जाता है, वैसे भी तुम्हारे भाई का 6 इंच का है लेकिन जब चोदते हैं तो सात इंच जैसा दीखता है।
मैं- अच्छा ! तैयार रहना ! लण्ड फिर से चूत में जा रहा है, दर्द हो तो बताना !
आसानी से पूरा लंड कम्मो की चूत में घुस गया, जब क्लिटोरिस दब गई तो कम्मो ने कहा- बड़ी गुदगुदी होती है।
मैंने कूल्हे मटका कर क्लिटोरिस को रगडा, कम्मो के नितम्ब भी हिल पड़े, वो बोली- सी सी इ अई ! इह, मुझे कुछ हो रहा है !
अब मुझे तसल्ली हो गई कि अब कम्मो की चूत तैयार है, मैंने धीरे चोदना चालू किया। भाभी झुक कर कम्मो को चूमने लगी। मैंने धीरे धीरे रफ़्तार बढ़ाई। कम्मो भी कूल्हे उछाल कर जवाब दे रही थी।
कम्मो ने अपने पैरों से मेरी कमर को जकड़ लिया, मैं दनादन चोदे जा रहा था। पूरे कमरे में फ़चा...फ़च.... फ़चा...फ़च.... की आवाज़ें गूँज रही थी
दस मिनट तक चुदने के बाद कम्मो अचानक से बोल उठी- ओ ओ ओ इईईइ औ !
वो झटपटाने लगी, मेरे बदन पर कई जगह उसने नाख़ून गड़ा दिए, कमर के झटके ऐसे लगाये कि लंड चूत से बाहर निकल निकल कर वापिस घुस रहा था। लण्ड पर चूत ऐसे सिकुड़ी जैसे किसी ने मुट्ठी से जकड़ लिया हो। मेरा लंड तन कर लोहा हो गया, चूत में आते जाते सुपारा टकरा रहा था जैसे मुट्ठ मारते हैं।
और कम्मो भी सातवें आसमान की सैर कर रही थी। तभी मैं झड़ गया और झटके से छोड़ते हुए लंड ने वीर्य की पिचकारी मारी। एक एक पिचकारी के साथ लण्ड से बिजली का करंट निकल कर सारे बदन में फ़ैल जाता था।
हम दोनों शिथिल हो कर ढल पड़े। थोड़ी देर अब कम्मो के ऊपर गिर कर पड़ा रहा, लग रहा था कि अब मेरे शरीर से जैसे जान ही निकल गई हो ! हम दोनों शांत हो चुके थे।
कम्मो की चूत पावरोटी की तरह फूल गई थी वो खड़ी नहीं हो पा रही थी। मैंने उसे गोदी में उठाया और बाथरूम में ले जाकर एक दूसरे को साफ़ किया और फिर नहा धोकर बाहर आए।
भाभी ने तब तक नाश्ता बना दिया था।
हम तीनों के चेहरे पर अब मुस्कान थी, भाभी भी अब बहुत खुश नजर आ रही थी।
अब तो में भाभी जब भी याद करती, मैं उनके सेवा के लिए चला जाता था ....
अब मेरे पास दो दो हसीनाएे थी…. मेरी जिंदगी मज़े से कट रही थी….।
दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको ,
कहानी पड़ने के बाद अपना विचार ज़रुरू दीजिएगा ...
दोस्तो, मेरा नाम रविराम है, दोस्त मुझे रवि के नाम से बुलाते हैं। मेरा लंड 9 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा है जिसके अन्दर जाये, उसकी चूत का भोंसड़ा बना कर ही बाहर आये। आज तक मैंने 15 से भी अधिक कुवांरियों की सील तोड़ी है।
यह मेरी जीवन की एक सच्ची घटना है जो मेरी एक दूर की भाभी ऋतु और मेरी एक फिर गर्लफ्रैंड कम्मो के साथ की घटना है। जब मैंने अपनी पढ़ाई के लिए कॉलेज में दाखिला लिया, उस समय मेरी उमर ** साल की थी, मेरे को तब तक चोदने और चुदाने के बारे में थोड़ा ही ज्ञान था, कभी किसी के साथ अच्छे से सेक्स नहीं किया था। मेरी क्लास में वैसे तो बहुत सी लड़कियाँ थी पर मेरे को कोई भी नहीं भाती थी।
मुझे कॉलेज ऑफ़ आर्किटेक्चर में दाखिला मिला था इस लिए पढ़ने का बहुत शौक था और मैं हमेशा ही अपनी पढ़ाई पर बहुत ध्यान देता था, सारे टीचर मेरे से खुश रहते थे, इसी बात के कारण लड़कियाँ धीरे-2 मेरे पास आने लगी और मेरी उनसे अच्छी दोस्ती हो गई।
उनमें से एक लड़की का नाम कम्मो था जो देखने में बहुत सुंदर थी, उसकी उम्र 26 साल, पतली नाजुक कमर, चेहरे पर हमेशा सुकून दिखाई देता था, वो भी मेरे तरह क्लास में अच्छे से काम करती थी। मेरी और कम्मो की अच्छी दोस्ती हो गई पर मैंने उसे कभी भी सेक्स की नजरों से नहीं देखा। जिगरी दोस्त की तरह हम एक दूसरे से खुल कर बात करते और सलाह मशवरा लेते।
एक बार वो जब कैंटीन में बैठी हुई थी, उस दिन वो मिनी स्कर्ट और टी-शर्ट पहन कर आई थी, क्या मस्त लग रही थी। मैं उसके पास गया और उससे बात करने लगा तभी उसकी पेंसिल नीचे हाथ से छूट कर गिर गई जिसे उठाने के लिए जब वो नीचे की तरफ झुकी तो मेरी नजर उसके वक्ष पर चली गई क्योंकि उसने ढीली ढाली सी टी-शर्ट पहनी थी, छोटे-2 संतरे के जैसे थे जिसे देख कर मेरा भारी और लंबा-मोटा लण्ड खड़ा हो गया। मैंने किसी तरह से अपने लण्ड को उससे छुपाने की कोशिश की । पर मेरा इतना मोटा और लंबा लंड भला कहाँ छुपने वाला था । उसने मेरे इस हलचल को देख लिया पर कुछ नहीं बोली। लेकिन तोड़ा सा मुस्करा दी/ उसके बाद मैं उसकी तरफ ज्यादा ध्यान देने लगा।
एक दिन जब वो क्लास में अकेली बैठी थी, मैंने देखा कि उसके साथ कोई नहीं है, मैंने सोचा, अच्छा मौका है बोल दे, नहीं तो फिर कभी नहीं बोले पाएगा।
मैं गया और कुछ सोचे समझे बिना जाकर बोला- कम्मो , मैं तुमसे प्यार करता हूँ, तुमको हमेशा अपने साथ महसूस करता हूँ, मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकता !
यह सुन कर वो खड़ी हुई और मेरे गाल पर एक थप्पड़ मारा।
मैं चौंक गया, यह मैंने क्या कह दिया !?!
उसने बोला- इतने दिन बाद बोला, पहले नहीं बोल सकते थे? मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ !
मेरा दिल खुश हो गया। अब मैं उसे अपने कमरे में भी लाने लगा। उसने न जाने कितनी बार मेरे लौड़े को ठीक से देखा और मैंने भी न जाने कितनी बार उसकी चूत देखी और चौड़ा करके भी देखा पर इसके बावजूद हमारे दिल में चुदाई का ख्याल नहीं आया। मुठ मारने में भी उसने कई बार मदद की, मैंने भी उसकी मदद की है, हाथ से कई बार उसकी दाना मसल कर ठंडा किया है।
इस बार मैंने उससे अपने गाँव में छुट्टी बिताने के लिए मना लिया। इम्तिहान ख़त्म होने क बाद हम गाँव पहुँचे, हम दोनों का अच्छा खुश-आमदीद हुआ।
मेरे घर में मेरे पापा , मम्मी और एक छोटा भाई !
मेरा एक चचेरा भाई अनिल है जो मेरे से कई साल बड़ा है फिर भी मेरा पक्का दोस्त है। एक साल पहले उसकी शादी हुई थी ऋतु भाभी से, भाभी मेरी उम्र की हैं।
इस बार गर्मी बहुत ही तेज थी, सब लोग घर पर खाना खाकर दोपहर को सोये हुए थे, एक मैं था क़ि मुझे नींद नहीं आ रही थी, कम्मो का भी यही हाल था, वो बोली- चलो रवि, ऋतु भाभी के घर चलें, भाभी और भैया के साथ ताश खेलेंगे।
हम भाभी के घर गए, भाभी घर का काम कर रही थी और अनिल कहीं दिखाई नहीं दे रहा था, मैंने पूछा- भाईजान कहाँ हैं? सो रहे हैं क्या?
भाभी बोली- क्यों मैं नहीं हूँ क्या? भैया बिना काम काम नहीं चलेगा?
कम्मो - क्यूँ न चलेगा? हमने सोचा चलो भाभी के घर जाकर ताश खेलें !
भाभी उदास हो कर बोली- वो तो रात होने तक नहीं आयेंगे।
मैं- कहाँ गए हैं इतनी धूप में?
ऋतु- मैंने नहीं भेजा, अपने आप गए हैं।
कम्मो - कहाँ गए हैं?
ऋतु- और कहाँ? वो भले उनके खेत भले।
कम्मो - क्या बात है भाभी? उदास क्यूँ हो? झगड़ा हो गया है क्या?
ऋतु- जाने भी दीजिये। यह तो हर रोज की बात है, आप जान कर क्या करेंगी?
कम्मो ने उनके कंधे पर हाथ रखा और पूछा- क्या बात है, बता दो? कम से कम दिल हल्का हो जायेगा, हम से कुछ हो सके तो वो भी करेंगे। बोलो, क्या बात है? मार पीट करते हैं?
मैंने कहा- हाँ भाभी, क्या बात है?
इतना सुन कर भाभी कम्मो के गोद में सर रख कर रो पड़ी। मैंने उनकी पीठ सहला कर सांत्वना दी, मैंने कम्मो से पानी लाने को कहा।
कम्मो उठ कर पानी लेने गई। मैंने ऋतु भाभी के चहरे को अपने हाथों में लिया, इतनी मासूम लग रही थी वो !
कम्मो के आने से पहले मैंने उनके कान में पूछ लिया- भाभी, भाई तुम्हें रोज चोदता है या नहीं?
भाभी शरमा कर बोली- आज बीस दिन हुए !
कम्मो ने सुन लिया, पूछने लगी- किसके 20 दिन हुए?
मैं- तू नहीं समझेगी, छोटी है, बाद में बताऊँगा।
ऋतु भाभी को पानी देकर कम्मो ने अपने उरोजों के नीचे हाथ रख कर ऊपर उठाये और बोली- देखो, मैं छोटी दिखती हूँ भाभी? ऋतु के होंठों पर हंसी आ गई, उन्होंने कहा- नहीं कम्मो , तुम्हारे तो मेरे से बड़े हैं, मैं कह रही थी कि 20 दिन से अनिल ने मेरे से बात नहीं की है।
कम्मो के स्तन वाकई बड़े थे, वो 20 साल की ही थी मैंने सोचा खुला ही बोलने में कोई हर्ज़ नहीं है, मैंने कहा- भाभी का मतलब है कि 20 दिन से भैया ने उसे नहीं चोदा है।
कम्मो अवाक् रह गई, फिर बोली- रवि...?!!
मैं- भाभी, तू शुरू से बता, क्या हुआ?
कम्मो - रवि, तुम सब कैसे पूछते हो?
ऋतु पहले शरमाई फिर बोली- तुम्हारे भैया के अलावा मेरे को आज तक किसी ने छुआ तक नहीं ! तुम्हारे भैया ने पहली बार चो... !! वो किया सुहागरात को। मुझे दर्द हुआ, खून निकला वो सब उन्होंने देखा था।
मैं- अब मारपीट करते हैं?
ऋतु- मारपीट कर लेते तो अच्छा होता ! यह तो सहा नहीं जाता ! सुबह होते ही खेत में चले जाते हैं, दोपहर को नौकर को भेज कर खाना मंगा लेते हैं। रात को आते हैं तो खाना खाकर चुपचाप सो जाते हैं और झट पट वो किया या नहीं किया। करके करवट बदल कर सो जाते हैं। न बात न चीत ! मैं कुछ पूछूं तो ना जवाब। क्या करूँ? अब तो वो करना भी बंद कर दिया है। कभी कभी रात को नहीं आते तो मुझे डर लगता है, उन्हें कुछ हो तो नहीं गया?
इतना कहते हुए वो रो पड़ी और मेरे कंधे के ऊपर सर रख कर रोने लगी। मैं धीरे-2 उनकी पीठ सहलाने लगा, कम्मो की आँख में भी आंसू भर आये।
थोड़ी देर बाद भाभी शांत हो गई, उसका चेहरा उठा कर मैंने आँसू पौंछे। इतनी मासूम लग रही थी, मैंने उनके गाल एक चुम्मा ले लिया। मेरा कारनामा देख कर कम्मो ने दूसरे गाल पर चूम लिया। मैं कुछ सोचूं, इससे पहले मेरे होंठ ऋतु के होंठों से लग गए।
लगता है अनिल ने भाभी को सेक्स करना नहीं सिखाया था, जैसे ही मैंने जीभ से उसके होंठ चाटने चालू किये, वह छटपटाने लगी। लेकिन मैंने उसे छोड़ा नहीं, उसके मुंह में जीभ डाल कर चारों तरफ घुमाई और उसके होंठ चूसे।
कम्मो गौर से देख रही थी।
पाँच मिनट बाद चुम्बन छूटा। हम दोनों के मुँह थूक से गीले हो गए थे, उसका चेहरा लाल हो गया था।
कम्मो बोली- रवि, मुझे कुछ कुछ हो रहा था तुम दोनों को देख कर !
अब ऋतु ने कम्मो का का चेहरा पकड़ लिया और उसके मुँह से मुँह चिपका दिया।
इस वक्त कम्मो की बारी थी, ऋतु ने भी वैसा किया, जैसा मैंने किया था। उन दोनों को देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा। उस चूमाचाटी के दौरान मैंने अपना हाथ ऋतु की छातियों पर रख दिया, मैंने उरोजों को दबाया और मसला भी। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया पर हटाया नहीं, वो चुदवाने के लिए तैयार हो रही थी, फिर भी तसल्ली के लिए मैंने पूछा- भाभी, बीस दिन से भूखी हो, आज हो जाये।
कम्मो चुम्बन छोड़ कर बोली- रवि, तू तो भाभी को चो...च.. सम्भोग.. हाय हाय वो करने वाले हो?
मैं- अगर देख न सको तो चली जाना।
ऋतु- ना ना, तुम यहीं रहना !
अब कम्मो ने वो करना चालू किया जो सोचा न था, अचानक वो मेरे ऊपर टूट पड़ी और चूसना चालू कर दिया, पहले तो मेरे को हिचकिचाहट हुई, वो मेरी गर्ल फ्रेंड थी जिसने इस कदर कभी नहीं किया था, अब मैंने मुड़ कर न देखा मैंने कस कर उसे चूम लिया।
कम्मो के होंठ इतने कोमल और रसीले होंगे, मैंने सोचा न था। ऋतु के चूचे छोड़ कर मैंने नहा को पकड़ लिया, जब तक चुम्बन चला मैंने कम्मो के चूचे सहलाये।
जैसे ही चुम्बन छूटा, कम्मो बोली- क्या भाभी के सामने ही करेगा?
चारपाई छोटी थी, ऋतु ने फटाफट जमीन पर बिस्तर बिछाया।
छोटी सी चोली में ऋतु के चूचे छिप नहीं रहे थे, मैंने एक एक कर के चोली के रे बटन खोल दिए, उसने अपनी चोली निकाल दी, ऋतु अब ब्रा में थी।
चोली हटाते ही ऋतु के चूचे मेरे हाथ में कैद हो गए, मैंने धीरे से उसे लिटाया, आगे झुक कर फिर कम्मो भाभी को चूमने लगी, एक हाथ से चूचे से पकड़ा और दूसरा हाथ पेट से नीचे उतार दिया, ऋतु के चूचे मेरे हाथ से बड़े थे समां न सके लेकिन निप्पल छोटे थे उस वक्त सारा सामान कड़ा हो गया था, मैंने एक निप्पल चिमटी की तरह से पकड़ा और दूसरा मुँह में लेकर चूसने लगा।
उस वक्त ऋतु का हाथ धीरे से फिसल कर मेरे लंड पर पहुंचा, मेरे मोटे लंड को हाथ में भर कर दबा दिया, चुम्बन छोड़ कर बोली- देवर जी, कहाँ छुपा कर रखा था? ऐसे खजाने को छुपा कर रखना पाप है, मैं तुम्हें माफ़ नहीं करुँगी।
उसने मेरी पैंट खोला और हाथ डाल कर खड़े लंड को बाहर निकाला, कम्मो ने झट से मेरा लण्ड पकड़ लिया और बोली- बहुत सख्त है लंड आज तो !
अब कम्मो ने भी अपने कपड़े उतार दिए। अब मेरे सामने दो जोड़ी नंगी चूचियाँ थी, मैं क्या करता, चूचियाँ मेरी कमजोरी हैं, भाभी के चूचे कम्मो से बड़े थे और कम्मो के थोड़े छोटे थे। कम्मो के स्तन पूरी तरह गोल गोल और सफ़ेद थे, चूचे के ऊपर बादामी रंग के छोटी निप्पल थी, मैंने उंगली से निप्पल को छुआ।
इस दरमियान भाभी मेरा लंड मुठिया रही थी। उसने अब अपनी सलवार ढीली की और उसको नीचे करके उतार कर बोली- अब चालू हो जाओ !
भाभी ने जांघे चौड़ी करके ऊपर उठा ली। उत्तेजना से सूजी हुई चूत देख कर मेरा लंड और तन गया, मैं बीच में आ गया, लंड को पकड़ कर चूत के चारों तरफ घुमाया, सब गीला और चिकना था क्योंकि चूत बहुत गीली थी। दिक्कत यह थी कि मुझे सही से पता नहीं था कि लंड कहाँ घुसता है, चूत का मुँह कहाँ होता है।
मैंने ऐसे ही धक्के लगाने चालू कर दिए लकड़ी की तरह इधर उधर टकराया, फिसल गया लेकिन चूत का मुँह नहीं मिला।
मुझे लगा कि मैं चोदे बिना ही झड़ने वाला हूँ, आज तक मैं यह समझ नहीं पाया था कि लड़कियों को बिना बताये सेक्स का पता कैसे चल जाता है।
शर्म की मरी भाभी दोनों हाथो से चेहरा छुपा कर लेटी रही, कम्मो ने लंड को पकड़ कर सही ठिकाने में रख दिया और मैंने एक जोरदार धक्का मारा, पूरा लण्ड चूत में अंदर तक उतर गया, कम्मो गौर से लण्ड को चूत में घुसते देख रही थी।
चूत की मखमली दीवारों से लंड चिपक सा गया, लंड ने तीन चार ठुमके लगाये और चूत ने सिकुड़ कर जवाब दिया। मेरी उत्तेजना भी काफी बढ़ गई थी।.
अकेला सुपारा अन्दर रह जाता, मैंने अपना लंबा और मोटा लंड बाहर खींचा और फिर एक झटके से अन्दर घुसा दिया। दो चार ऐसे धक्के मारे तो लंड और तन गया, ऋतु के सर से लेकर पैर तक सारे अंग लंड के आनन्द से किलकारियाँ मारने लगे। मैं दनादन ऋतु को चोद रहा था और वो कूल्हे उछाल कर जवाब दे रही थी।
मैं झड़ने के नजदीक पहुँच गया पर भाभी चुदवाए जा रही थी, झड़ने का नाम नहीं ले रही थी।
कम्मो फिर काम आ गई, उसने भाभी की भोंस पर हाथ रखा, अंगूठे और उंगली से क्लोटोरिस पकड़ कर खींची, मसली और बेरहमी से रगड़ डाली, तुरंत भाभी के नितम्ब डोल पड़े।
अब वो कमर के झटके लगाने लगी, उसकी चूत ने ऐसे लंड चूसा कि मेरा बांध टूट गया, वीर्य की फचाफच पिचकारियाँ मार कर मैं झड़ गया और मेर साथ भाभी भी झड़ गई।
थोड़ी देर तक मैं भाभी के बदन पर पड़ा रहा, फ़िर लंड निकाल कर सफाई कने लगा। पेशाब जोर की लगी थी, झड़ने पर भी लंड झुका नहीं था।
लंड पर ठंडा पानी डाला, धोया पानी में डुबोया तब कहीं जाकर पेशाब निकली।
कमरे में आया और तो देखा तो दंग रह गया दोनों आपस में लिपटी पड़ी थी, कम्मो अपनी टाँगें उठाए पड़ी थी, ऋतु उसके ऊपर थी और मर्द की तरह धक्के मार कर चूत से चूत रगड़ रही थी। वो दोनों अपनी चुदाई में मस्त थी, मेरा आने की उन्हें खबर न हुई।
मैं जाकर सामने बैठ गया ताकि दोनों की चूत आसानी से दिखाई दे।
कम्मो जोर जोर से कूल्हे उछाल रही थी और भाभी को जोर लगाने को कह रही थी लेकिन ऋतु के झटके धीमे पड़ने लगे। मैं जाकर कम्मो के पीछे बैठ गया और अपनी टाँगें चौड़ी की तब लंड कम्मो की चूत तक पहुँच सका। आगे बढ़ कर मैंने भाभी के स्तन थाम लिए। भाभी ने कहा- अच्छा हुआ जो तुम आ गए ! संभालो अपनी गर्लफ्रेंड को !
और वो जाने लगी।
मैंने हाथ पकड़ लिया और कहा- अभी मत जाओ। हम तीनों मिल कर चुदाई करेंगे।
वैसे भी कुँवारी लड़की को चोदने के ख्याल से लंड कुछ टाइट हो गया। मैंने लंड भाभी की चूत में फिर से डाल दिया, वो कुछ कहे, इससे पहले मैंने चार पाँच धक्के मार ही लिए। लंड अब और खड़ा हो गया। मैंने भाभी की चूत से लंड निकाला, मेरा लंड भाभी की चूत के रस से चमक रहा था, एक झटके से कम्मो की चूत का मूह खोला और अपना लंड डाल दिया। मेरा लंबा और मोटा लंड कम्मो की छूट के अंदर जड़ तक जा कर फस गया था, मेरे लंड ने कम्मो की छूट की झिल्ली के टुकड़े कर दिए थे
झिल्ली फटते ही कम्मो चीख उठी लेकिन भाभी ने उसके लबों को अपने मुँह में लेकर दबोच लिया। अब मैंने लंड को चूत में दबाये रखा और खड़ा हो गया। तब कम्मो को पता चला कि उसकी चूत की झिल्ली फट गई है, वो बोली- रवि तुमने यह क्या किया? बहुत दर्द हो रहा है।
भाभी ने कम्मो के नीचे दो तकिये लगाये और कहा- जो होना था, वो हो गया, अब देखना लंड तुम्हारी चूत में कैसे ठीक बैठता है। दर्द की फिकर मत कर, अभी चला जायेगा ! रवि जरा रुको !
लंड को चूत में दबाये रख मैंने कहा- कम्मो तेरी यही इच्छा थी, सच बता?
फिर कम्मो ने अपना चेहरा ढक लिया और सर हिला कर हाँ कहा, उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। वो देख कर लंड ने ठुमका लगाया और ज्यादा चौड़ा होकर चूत को और भी चौड़ा कर डाला।
'उ इ इ इ !' कर कम्मो फिर से चिल्ला उठी।
मैंने उसके मुंह को चूम कर कहा- यह आखिरी दर्द है। अब कभी नहीं दुखेगा।
लण्ड को दो इंच बाहर निकाला और फिर घुसा कर पूछा- दर्द हुआ?
इस बार उसने न कहा।
"अब नीचे देख, क्या होता है?"
वो देखती रही और मैंने आराम से लंड निकाला, जब सिर्फ़ सुपारा चूत में रह गया, तब रुका।
झिल्ली का खून और चूत के रस से गीला लंड देख कर कम्मो बोली- तेरा इतना बड़ा तो कभी न था? कब बढ़ गया?
"मैंने भी तेरी भोंस इतनी खुली हुई नहीं देखी !"
भाभी- चुदाई के वक्त लंड और चूत का आकार बदल जाता है, वैसे भी तुम्हारे भाई का 6 इंच का है लेकिन जब चोदते हैं तो सात इंच जैसा दीखता है।
मैं- अच्छा ! तैयार रहना ! लण्ड फिर से चूत में जा रहा है, दर्द हो तो बताना !
आसानी से पूरा लंड कम्मो की चूत में घुस गया, जब क्लिटोरिस दब गई तो कम्मो ने कहा- बड़ी गुदगुदी होती है।
मैंने कूल्हे मटका कर क्लिटोरिस को रगडा, कम्मो के नितम्ब भी हिल पड़े, वो बोली- सी सी इ अई ! इह, मुझे कुछ हो रहा है !
अब मुझे तसल्ली हो गई कि अब कम्मो की चूत तैयार है, मैंने धीरे चोदना चालू किया। भाभी झुक कर कम्मो को चूमने लगी। मैंने धीरे धीरे रफ़्तार बढ़ाई। कम्मो भी कूल्हे उछाल कर जवाब दे रही थी।
कम्मो ने अपने पैरों से मेरी कमर को जकड़ लिया, मैं दनादन चोदे जा रहा था। पूरे कमरे में फ़चा...फ़च.... फ़चा...फ़च.... की आवाज़ें गूँज रही थी
दस मिनट तक चुदने के बाद कम्मो अचानक से बोल उठी- ओ ओ ओ इईईइ औ !
वो झटपटाने लगी, मेरे बदन पर कई जगह उसने नाख़ून गड़ा दिए, कमर के झटके ऐसे लगाये कि लंड चूत से बाहर निकल निकल कर वापिस घुस रहा था। लण्ड पर चूत ऐसे सिकुड़ी जैसे किसी ने मुट्ठी से जकड़ लिया हो। मेरा लंड तन कर लोहा हो गया, चूत में आते जाते सुपारा टकरा रहा था जैसे मुट्ठ मारते हैं।
और कम्मो भी सातवें आसमान की सैर कर रही थी। तभी मैं झड़ गया और झटके से छोड़ते हुए लंड ने वीर्य की पिचकारी मारी। एक एक पिचकारी के साथ लण्ड से बिजली का करंट निकल कर सारे बदन में फ़ैल जाता था।
हम दोनों शिथिल हो कर ढल पड़े। थोड़ी देर अब कम्मो के ऊपर गिर कर पड़ा रहा, लग रहा था कि अब मेरे शरीर से जैसे जान ही निकल गई हो ! हम दोनों शांत हो चुके थे।
कम्मो की चूत पावरोटी की तरह फूल गई थी वो खड़ी नहीं हो पा रही थी। मैंने उसे गोदी में उठाया और बाथरूम में ले जाकर एक दूसरे को साफ़ किया और फिर नहा धोकर बाहर आए।
भाभी ने तब तक नाश्ता बना दिया था।
हम तीनों के चेहरे पर अब मुस्कान थी, भाभी भी अब बहुत खुश नजर आ रही थी।
अब तो में भाभी जब भी याद करती, मैं उनके सेवा के लिए चला जाता था ....
अब मेरे पास दो दो हसीनाएे थी…. मेरी जिंदगी मज़े से कट रही थी….।
दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको ,
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Re: हिन्दी में मस्त कहानियाँ
सेक्सी प्रोफेसर सलमा
मेरे क्लास में एक नई प्रोफेसर आई थी उसका ट्रान्सफर किसी दुसरे शहरसे हुआ था उसकी उमर 33-34 साल थी उसके शादी के 5 साल हो गए थे पर उसको कोई बच्चानहीं हुआ था. उसका पति प्राइवेट नौकरी में था और वो अक्सर टूर पर रहता था. (कितना बेडलक था उसका, घर में फटके जैसे बीवी चूत फैला के सोती होंगी और वो होटलों में गांड अकेला सोता होगा) मेरी प्रो...फेसर सलमा का पति बाहर आफिस के काम के सिलसिले में बाहर गया हुआ था. सलमा को एक खाली मकान की जरुरत थी जिसे वो किराये पर लेना चाहती थी, कॉलेज ज्वाइन करने के बाद वो होटल में रहरही थी. हमारे पड़ोस में एकखाली मकान नया बना था जो काफ़ी अच्छा और हवादार था। जब मेम ने मुझसे पूछा तो मैने उस खाली मकान के बारे में और उस मकान का पताबता दिया. अगले दिन सलमा मेरे साथ घर आई और मकान देखने मेरी मां को साथ लेकर चली गई
मेरे घर के बाजू में मैंने मेडम को मकान किराये पे दिलवाया
मेडम को मकान काफ़ी अच्छा लगा और किराया भी काफ़ी ठीक -ठाक था, सो सलमा ने मकान मालिक को आने वाले महीने में शिफ्ट करुँगी कहा और एडवांस में किराया दे दिया. जून महीने की पहलीतारीख को सलमा अपने सामान के साथ आई और उस मकान में शिफ़्ट कर गई. मेडम का हमारे पड़ोस में आने के बाद हमारे यहाँ कुछ ज्यादा ही आना -जाना हो गया,धीरे-धीरे उसने मेरी मां से दोस्ती कर ली. एक दिन मेडम ने मेरी माँ को कहा कीमुझे कुछ सब्जेक्ट में ज्यादा पढ़ाई की जरुरत है और वो मुझे पढ़ा देगी और ट्यूशन फीस भी नहीं लेगी, बस मेरी मां को और क्या चहिये था. मेडम अब मुझे घर पर पढने आने के लिए बोल दिया और मैं जाने लगा, मैं वहां पढने वाला अकेला ही
पहले ही दिन ट्यूशन पढने मैं उसके घर गया तो देखा किउसने ढीली टॉप और जीन्स पहन रखा था, लग रहा था उसने टॉप के अंदर ब्रा भी नहीं पहनी थी और टॉप का बटन भी खुला हुआ था. मेडम ने मुझे पढने के लिए दिया और मेरे सामने बैठ कभी-कभी वो अपनी चूचियां अपने हाथ ठीक करती रहती थी ,उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों जैसे बाहर आने के लिए मचल रही होमैं उसकी ये सब देख कर के मस्ती में भर जाता और मन में हो रहा था कि मैं सलमा की मस्त चूचियां दबा दूं और उसकी चूत में लंड दे दूँपर ऐसा करने की हिम्मत नहीं हो रही थी. मेरा लंड तन कर मुसल की तरह सख्त हो गया था और मेरी पैंट से बाहर निकलने को मचल रहा था,पर मैं मैडम को कुछ कह नहींपा रहा था. कोई २ घंटे पढ़ाने के बाद मेडम ने मुझे कहा उदित तुम अपनी माँ से पूछ कर आ जाओ मैं सोच रही थी की तुम यहीं सो जाते तो अच्छा रहता. मैंने कहा ठीक है मैडम मैं माँ सेपूछ कर आता हु ,जब मैं चलने लगा तो मेडम ने कहा उदित तुम रहने दो यहीं रुको ,मैंही पूछ कर आती हूं.
तभी मैंने मेडम के चुंचे उनके टॉप के अंदर से देखे, मेरा मन बहुत सेक्सी हुआ था. मेडम ने देखा की मैं उनके चुंचे देख लिये हैं, वोह हंसी और बोली, घबरा मत उदित…मैं तेरी माँ को बोलके आती हूँ फिर खोल के देख लेना…ओह तो इसका मतलब मेडम ने इसीलिए यह सब नाटक रचा हुआ था
सलमा ने साडी पहना और मेरे यहाँ चली गई. काफी देर बाद वो मेरा पैजामा और शर्ट ले कर आ गई. मेरे घर से आते ही सलमा ने कहा- यार तेरी माँ तो कपडे दे ही नहीं रही थी वो बोल रही थी की उदित केवलपैजामा और बनियान में सोता है ,फिर भी मैं तेरी माँ से बोल कर तेरा पैजामा और शर्ट ले आई ताकि हमदोनो के बारे में किसी को कोई शकन हो. सलमा अपने कपडे खोलनेलगी उसने अपनी साडी और ब्लाउज को खोल लिया ,अब वो पेटीकोट और ब्रा में थी. पेटीकोट में उसकी भरी हुई चौड़ी गांड देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा , मैंने हिम्मत करके सलमा से बोला -मैडम जब मेरे सामने आप अपना कपडा खोलती हो तो लगता है मैं आपका ही पति हूँ.
तो सलमा मैडम ने कहा- तो तुम मुझे अपनी पत्नी की तरह समझ कर इस्तेमाल क्यों नहीं करते. फिर क्या था इतना सुनते ही मैंने सलमा मैडम की मस्त गोल-मटोल चुन्चियों को पीछे से ही पकड़ कर मसलने और दबाने लगा. इधर मेरा 8 इंच का मुसल लंड खड़ा हो करमैडम की चौड़ी भरी हुई गांड में पेटीकोट के उपर से ही घुसा जा रहा था. चुंचियां दबाते हुए मैंनेउसकी गर्दन पर किस करना शुरू कर दिया इससे सलमा सिसक उठी और बोली -और जोर से मसलो. मैं उसकी चुंचियां जोर-जोर से रगड़ने लगा और उसने अपनी मस्त भरी भड़कम गांड का पूरा दबाव मेरे खड़े लंड पर डाल दिया. मैं सलमा के ब्रा को उपर सडरका कर उसकी नंगी चुन्चियों को एक हाथ से दबाने लगा और दुसरे हाथ से उसके पेटीकोट को उठा कर उसके चूत पर ले गया, उसकी चूत बिलकुल चिकनी थी और गीली भी.
मेरा लंड रह-रह कर उसकी गांड में घुस रहा था. मेडम अचानक मेरे से अलग हो गई औरपैजामा में हाथ डाल कर मेरे लंड को बाहर निकल लिया, लंड देखते ही बोल पड़ी- ये तो किसी गधे के लंड जैसा है मेरी छोटी सी चूत को तो फाड़ कर रख देगा. मैं बोला मैडम आप चिंता मत कीजिये मैं आपकी प्यारी सी चूत को आराम से चोदुंगा,मैडम मेरी तरफ कातिल निगाहों से देखने लगी और मेरे लंड को अपने मुलायम हाथों से सहलाने लगी, सहलाते-सहलाते उसने अपने जीभ से मेरे लंड का सुपाड़ा चाटने लगी. कुछ देर चाटने के बाद उसने मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया और किसी लोलीपोप की तरह उसे चूसने लगी, लंड चूसते-चूसते वो मेरी तरफ भी आँख उठा कर देखती थी मैंतो आनन्द के सागर में गोते लगा रहा था मन कर रहा था ये समय कभी खत्म ही न हो. वो काफी देर तक मेरा लंड चुसती रही और मैं सिसकियाँ लेता हुआ उसके मुंह में ही झड गया, वो सारा का सारा पानी पी गई औरलंड के उपर लगे बचे-कुचे वीर्य को चाट कर लंड साफ करदिया.
मेडम अपने बाकि बचे हुए कपडे पेटीकोट और ब्रा को खोल कर बिल्कुल नंगी हो गई और मेरे पैजामा को खींच कर मुझे भी नंगा कर कर दिया. उसकी नजर जैसे ही मेरे लंड पर पड़ी वो हसने लगी मेरा लंड सिकुड़ कर आधा हो गया था. वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने बेड पर ले गई ,बेड पर वो खुद लेट गई और मुझे भी अपने बगल में सुला लिया और अपने निप्पल को मेरे मुंह में डाल कर बोली चुसो मेरी जान. मैं उसके चुन्चों को पकड़कर चूसने लगा वो मेरे जांघ पर अपना पैर चढ़ा कर मेरे गांड को पकड़ कर अपने दबा लिया जिससे मेरा लंड उसकी चूत में सट रहा था. अब वो अपने हाथों से मेरा गांड और पीठ सहलाने लगी. कुछ देर बाद वो69 की पोजीशन में आकर मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी और अपनी चिकनी चूत को मेरे मुंह पर लगा दिया.
मैं उसकी चूत को फैला कर कुछ देर तक सूँघता रहा क्या मदमस्त सुगंध थी उसके चूत की और फिर उसके गुलाबी छेद को चूसने-चाटने लगा. उसके चूत से पानी बहने लगा और मेरा भी लंड अकड़ गया ,तभी सलमा अपने मुंह से मेरा लंड निकल कर चित हो कर लेट गई और मुझसे कहा -आओ जान अपना गधे जैसा लंड मेरी चूत में डाल दो. मैंने अपना मुसल लंड उसकी गीली चूत पर रखा और कुछ देर चूत पर रगड़ने के बाद सीधा एक ही झटके मेंअंदर पेल दिया. लंड के अंदरजाते ही वो दर्द से बिलबिला उठी और चीख पड़ी. मैं थोड़ी देर रुक गया जब सलमा के चूत का दर्द कम हो गया तो धीरे-धीरे धक्का मार कर चोदने लगा. सलमा को अब चुदने में मज़ा आ रहा थावो अपनी भरी हुई गांड उछाल-उछाल कर चुदवा रही थी और सिसकियाँ लेते हुए बोल रही थी -उदित मजा आ रहा है जोर से चोदो प्लीज,और चोदो ,
मैं उसको चोद रहा था मुझे लग रहा था सलमा की चूत में मेरा लंड और मोटा हो गया हैहम दोनो पसीने में भींग गए थे और जोर-जोर से सिसकी भर रहे थे, मुझे तो लग रहा था ये रात कभी ख़त्म न हो और मैं जन्नत की शैर करता रहूँ. अब तक की चुदाई में वो 2 बार झड़ गई थी, तभी मैंने अपना लंड तेजी से उसकी चूत से निकाल कर उसके मुंह में डाल दिया और वो उसे चूसने लगी. कुछ देर लंडचुसाने के बाद मैंने उसको पलट कर घोड़ी बन जाने को कहा उसने वैसा ही किया. अब मैं उसके भारी चुतडों को हाथ से फैलाने को कहा, उसनेअपने दोनों हाथों से अपनी चूतडों को फैला लिया अब मुझे उसका चूत दिखाई दे रहा था मैंने सीधा उसके चूत में लंड गाड दिया और जोर -जोर से धक्का मार कर चोदने लगा. कुछ देर ऐसे ही चोदने के बाद मैं झड़ गया. मेरे झड़ते ही वो बेड पर लेट गई और मैं भी उसके उपर, उसकी चूत में लंड डाले ही लेट गया कुछ देर में मेरा लंड उसके चूत से सिकुड़ कर बाहर निकल गया और वो मेरे होठों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी.
मेरे क्लास में एक नई प्रोफेसर आई थी उसका ट्रान्सफर किसी दुसरे शहरसे हुआ था उसकी उमर 33-34 साल थी उसके शादी के 5 साल हो गए थे पर उसको कोई बच्चानहीं हुआ था. उसका पति प्राइवेट नौकरी में था और वो अक्सर टूर पर रहता था. (कितना बेडलक था उसका, घर में फटके जैसे बीवी चूत फैला के सोती होंगी और वो होटलों में गांड अकेला सोता होगा) मेरी प्रो...फेसर सलमा का पति बाहर आफिस के काम के सिलसिले में बाहर गया हुआ था. सलमा को एक खाली मकान की जरुरत थी जिसे वो किराये पर लेना चाहती थी, कॉलेज ज्वाइन करने के बाद वो होटल में रहरही थी. हमारे पड़ोस में एकखाली मकान नया बना था जो काफ़ी अच्छा और हवादार था। जब मेम ने मुझसे पूछा तो मैने उस खाली मकान के बारे में और उस मकान का पताबता दिया. अगले दिन सलमा मेरे साथ घर आई और मकान देखने मेरी मां को साथ लेकर चली गई
मेरे घर के बाजू में मैंने मेडम को मकान किराये पे दिलवाया
मेडम को मकान काफ़ी अच्छा लगा और किराया भी काफ़ी ठीक -ठाक था, सो सलमा ने मकान मालिक को आने वाले महीने में शिफ्ट करुँगी कहा और एडवांस में किराया दे दिया. जून महीने की पहलीतारीख को सलमा अपने सामान के साथ आई और उस मकान में शिफ़्ट कर गई. मेडम का हमारे पड़ोस में आने के बाद हमारे यहाँ कुछ ज्यादा ही आना -जाना हो गया,धीरे-धीरे उसने मेरी मां से दोस्ती कर ली. एक दिन मेडम ने मेरी माँ को कहा कीमुझे कुछ सब्जेक्ट में ज्यादा पढ़ाई की जरुरत है और वो मुझे पढ़ा देगी और ट्यूशन फीस भी नहीं लेगी, बस मेरी मां को और क्या चहिये था. मेडम अब मुझे घर पर पढने आने के लिए बोल दिया और मैं जाने लगा, मैं वहां पढने वाला अकेला ही
पहले ही दिन ट्यूशन पढने मैं उसके घर गया तो देखा किउसने ढीली टॉप और जीन्स पहन रखा था, लग रहा था उसने टॉप के अंदर ब्रा भी नहीं पहनी थी और टॉप का बटन भी खुला हुआ था. मेडम ने मुझे पढने के लिए दिया और मेरे सामने बैठ कभी-कभी वो अपनी चूचियां अपने हाथ ठीक करती रहती थी ,उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों जैसे बाहर आने के लिए मचल रही होमैं उसकी ये सब देख कर के मस्ती में भर जाता और मन में हो रहा था कि मैं सलमा की मस्त चूचियां दबा दूं और उसकी चूत में लंड दे दूँपर ऐसा करने की हिम्मत नहीं हो रही थी. मेरा लंड तन कर मुसल की तरह सख्त हो गया था और मेरी पैंट से बाहर निकलने को मचल रहा था,पर मैं मैडम को कुछ कह नहींपा रहा था. कोई २ घंटे पढ़ाने के बाद मेडम ने मुझे कहा उदित तुम अपनी माँ से पूछ कर आ जाओ मैं सोच रही थी की तुम यहीं सो जाते तो अच्छा रहता. मैंने कहा ठीक है मैडम मैं माँ सेपूछ कर आता हु ,जब मैं चलने लगा तो मेडम ने कहा उदित तुम रहने दो यहीं रुको ,मैंही पूछ कर आती हूं.
तभी मैंने मेडम के चुंचे उनके टॉप के अंदर से देखे, मेरा मन बहुत सेक्सी हुआ था. मेडम ने देखा की मैं उनके चुंचे देख लिये हैं, वोह हंसी और बोली, घबरा मत उदित…मैं तेरी माँ को बोलके आती हूँ फिर खोल के देख लेना…ओह तो इसका मतलब मेडम ने इसीलिए यह सब नाटक रचा हुआ था
सलमा ने साडी पहना और मेरे यहाँ चली गई. काफी देर बाद वो मेरा पैजामा और शर्ट ले कर आ गई. मेरे घर से आते ही सलमा ने कहा- यार तेरी माँ तो कपडे दे ही नहीं रही थी वो बोल रही थी की उदित केवलपैजामा और बनियान में सोता है ,फिर भी मैं तेरी माँ से बोल कर तेरा पैजामा और शर्ट ले आई ताकि हमदोनो के बारे में किसी को कोई शकन हो. सलमा अपने कपडे खोलनेलगी उसने अपनी साडी और ब्लाउज को खोल लिया ,अब वो पेटीकोट और ब्रा में थी. पेटीकोट में उसकी भरी हुई चौड़ी गांड देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा , मैंने हिम्मत करके सलमा से बोला -मैडम जब मेरे सामने आप अपना कपडा खोलती हो तो लगता है मैं आपका ही पति हूँ.
तो सलमा मैडम ने कहा- तो तुम मुझे अपनी पत्नी की तरह समझ कर इस्तेमाल क्यों नहीं करते. फिर क्या था इतना सुनते ही मैंने सलमा मैडम की मस्त गोल-मटोल चुन्चियों को पीछे से ही पकड़ कर मसलने और दबाने लगा. इधर मेरा 8 इंच का मुसल लंड खड़ा हो करमैडम की चौड़ी भरी हुई गांड में पेटीकोट के उपर से ही घुसा जा रहा था. चुंचियां दबाते हुए मैंनेउसकी गर्दन पर किस करना शुरू कर दिया इससे सलमा सिसक उठी और बोली -और जोर से मसलो. मैं उसकी चुंचियां जोर-जोर से रगड़ने लगा और उसने अपनी मस्त भरी भड़कम गांड का पूरा दबाव मेरे खड़े लंड पर डाल दिया. मैं सलमा के ब्रा को उपर सडरका कर उसकी नंगी चुन्चियों को एक हाथ से दबाने लगा और दुसरे हाथ से उसके पेटीकोट को उठा कर उसके चूत पर ले गया, उसकी चूत बिलकुल चिकनी थी और गीली भी.
मेरा लंड रह-रह कर उसकी गांड में घुस रहा था. मेडम अचानक मेरे से अलग हो गई औरपैजामा में हाथ डाल कर मेरे लंड को बाहर निकल लिया, लंड देखते ही बोल पड़ी- ये तो किसी गधे के लंड जैसा है मेरी छोटी सी चूत को तो फाड़ कर रख देगा. मैं बोला मैडम आप चिंता मत कीजिये मैं आपकी प्यारी सी चूत को आराम से चोदुंगा,मैडम मेरी तरफ कातिल निगाहों से देखने लगी और मेरे लंड को अपने मुलायम हाथों से सहलाने लगी, सहलाते-सहलाते उसने अपने जीभ से मेरे लंड का सुपाड़ा चाटने लगी. कुछ देर चाटने के बाद उसने मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया और किसी लोलीपोप की तरह उसे चूसने लगी, लंड चूसते-चूसते वो मेरी तरफ भी आँख उठा कर देखती थी मैंतो आनन्द के सागर में गोते लगा रहा था मन कर रहा था ये समय कभी खत्म ही न हो. वो काफी देर तक मेरा लंड चुसती रही और मैं सिसकियाँ लेता हुआ उसके मुंह में ही झड गया, वो सारा का सारा पानी पी गई औरलंड के उपर लगे बचे-कुचे वीर्य को चाट कर लंड साफ करदिया.
मेडम अपने बाकि बचे हुए कपडे पेटीकोट और ब्रा को खोल कर बिल्कुल नंगी हो गई और मेरे पैजामा को खींच कर मुझे भी नंगा कर कर दिया. उसकी नजर जैसे ही मेरे लंड पर पड़ी वो हसने लगी मेरा लंड सिकुड़ कर आधा हो गया था. वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने बेड पर ले गई ,बेड पर वो खुद लेट गई और मुझे भी अपने बगल में सुला लिया और अपने निप्पल को मेरे मुंह में डाल कर बोली चुसो मेरी जान. मैं उसके चुन्चों को पकड़कर चूसने लगा वो मेरे जांघ पर अपना पैर चढ़ा कर मेरे गांड को पकड़ कर अपने दबा लिया जिससे मेरा लंड उसकी चूत में सट रहा था. अब वो अपने हाथों से मेरा गांड और पीठ सहलाने लगी. कुछ देर बाद वो69 की पोजीशन में आकर मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी और अपनी चिकनी चूत को मेरे मुंह पर लगा दिया.
मैं उसकी चूत को फैला कर कुछ देर तक सूँघता रहा क्या मदमस्त सुगंध थी उसके चूत की और फिर उसके गुलाबी छेद को चूसने-चाटने लगा. उसके चूत से पानी बहने लगा और मेरा भी लंड अकड़ गया ,तभी सलमा अपने मुंह से मेरा लंड निकल कर चित हो कर लेट गई और मुझसे कहा -आओ जान अपना गधे जैसा लंड मेरी चूत में डाल दो. मैंने अपना मुसल लंड उसकी गीली चूत पर रखा और कुछ देर चूत पर रगड़ने के बाद सीधा एक ही झटके मेंअंदर पेल दिया. लंड के अंदरजाते ही वो दर्द से बिलबिला उठी और चीख पड़ी. मैं थोड़ी देर रुक गया जब सलमा के चूत का दर्द कम हो गया तो धीरे-धीरे धक्का मार कर चोदने लगा. सलमा को अब चुदने में मज़ा आ रहा थावो अपनी भरी हुई गांड उछाल-उछाल कर चुदवा रही थी और सिसकियाँ लेते हुए बोल रही थी -उदित मजा आ रहा है जोर से चोदो प्लीज,और चोदो ,
मैं उसको चोद रहा था मुझे लग रहा था सलमा की चूत में मेरा लंड और मोटा हो गया हैहम दोनो पसीने में भींग गए थे और जोर-जोर से सिसकी भर रहे थे, मुझे तो लग रहा था ये रात कभी ख़त्म न हो और मैं जन्नत की शैर करता रहूँ. अब तक की चुदाई में वो 2 बार झड़ गई थी, तभी मैंने अपना लंड तेजी से उसकी चूत से निकाल कर उसके मुंह में डाल दिया और वो उसे चूसने लगी. कुछ देर लंडचुसाने के बाद मैंने उसको पलट कर घोड़ी बन जाने को कहा उसने वैसा ही किया. अब मैं उसके भारी चुतडों को हाथ से फैलाने को कहा, उसनेअपने दोनों हाथों से अपनी चूतडों को फैला लिया अब मुझे उसका चूत दिखाई दे रहा था मैंने सीधा उसके चूत में लंड गाड दिया और जोर -जोर से धक्का मार कर चोदने लगा. कुछ देर ऐसे ही चोदने के बाद मैं झड़ गया. मेरे झड़ते ही वो बेड पर लेट गई और मैं भी उसके उपर, उसकी चूत में लंड डाले ही लेट गया कुछ देर में मेरा लंड उसके चूत से सिकुड़ कर बाहर निकल गया और वो मेरे होठों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी.