जुली को मिल गई मूली compleet

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 31 Oct 2014 10:25

मैने अपने ब्लाउज के उपर के हुक खुद ही खोल कर, उनका हाथ पकड़ कर अपनी नंगी चुचियों पर रखा. उनको ये बहुत पसंद आया कि मैं अपनी ब्रा उतार चुकी हूँ. वो कुछ देर तक तो मेरी नंगी चुचियों से, मेरी तनी हुई निप्पल से खेलते रहे और फिर उन्होने अपना हाथ नीचे, मेरी फुददी की तरफ बढ़ाया. मैं थोड़ा आगे हो कर, अपनी टाँगें चौड़ी कर के कुछ इस तरह बैठ गई की उनका हाथ आराम से मेरी चूत तक पहुँच सके. मैने अपनी साड़ी और पेटिकोट कुछ ऐसे उपर किया ताकि और कोई दूसरा मेरी चड्डी को ना देख पाए मगर मेरे पति अपनी उंगली मेरी चूत मे डाल सकें. मेरे पति ने बहुत ही होशियारी से और बहुत ही क़ाबलियत से मेरी पहनी हुई चड्डी की साइड से अपनी उंगली मेरी गीली चूत के मूह तक ले गये. मेरी चूत तो जैसे टपक टपक कर उनको चोद्ने का निमंत्रण दे रही थी. उन्होने अपनी उंगली मेरी चूत के होठों के बीच मे डाल कर उसे उपर की ओर बढ़ाना शुरू किया और वो मेरी चूत के दाने तक पहुँच गये. मेरी चूत के दाने पर उनकी उंगली घूमती रही और ये सब बड़े आराम से हो रहा था क्यों कि मेरी चूत तो पहले से ही काफ़ी गीली थी और उनको अपनी उंगली मेरी फुददी मे घुमाने मे कोई दिक्कत नही हो रही थी.

मैं तो पहले से ही काफ़ी गरम थी जब से आंजेलीना से मिली थी, और इस वजह से मुझे झड़ने मे ज़्यादा वक़्त नही लगा. थोड़ी ही देर मे मैं झाड़ गई और उनकी मेरी चूत मे घूमती हुई उंगली को मैने अपनी चूत मे ही जाकड़ लिया.

मैं उनका लंड पकड़ कर दबा रही थी, हिला रही थी, मसल रही थी. पर मैने इस बात का पूरा ध्यान रखा कि कहीं उनके लंड का लंड रस ना निकल जाए. और वैसे भी मुझे पता है कि उनके लंड से पानी निकलने मे काफ़ी वक़्त लगता है. मैने तो उनको नही झाड़ा, पर मैं तो झाड़ चुकी थी. लेकिन मुझे ये बताते हुए बड़ी खुशी हो रही है की उन्होने मेरी चूत मे उंगली कर के, सिनिमा ख़तम होने तक मुझे दोबारा झाड़ दिया था. सिनिमा हॉल मे सब लोग सिनिमा देखने मे मगन थे और किसी को भी पता नही चला की एक जवान और सेक्सी जोड़ा सिनिमा का दोहरा मज़ा ले रहा है. हम सिनिमा का मज़ा भी ले रहे थे और अपनी सेक्सी हरकतों की वजह से चुदाई का मज़ा भी ले रहे थे. जब सिनिमा ख़तम होने आई तो हमने अपने आप पर काबू किया और अपने अपने कपड़े ठीक करते हुए, शरीफ मियाँ – बीबी की तरह अपनी अपनी कुर्सी पर सीधे बैठ गये. एक मर्द – औरत का जोड़ा, जो हमसे कुछ सीट पीछे बैठा हुआ था, हमारी तरफ देखा रहा था. वो लोग ज़रूर ये सोच रहे होंगे कि हमने वहाँ कुछ ऐसा किया था जिस पर उनकी नज़र नही पड़ी थी.

सिनिमा देख कर हम घर पहुँचे. रात का खाना मैने अपने सास ससुर और पति के साथ खाया और खाना खाने के बाद मेरे सास ससुर तो सोने चले गये और मैं अपने बेड रूम मे अपने पति का इंतज़ार करने लगी. मेरे पति अपने किसी दोस्त से मिलने के लिए बाहर गये थे. मैने अपनी एक सेक्सी नाइटी पहनी हुई थी जिसके अंदर मैने ब्रा और चड्डी नही पहनी थी. रात को करीब 11 बजे मेरे पति आए और आते ही उन्होने मुझे अपनी बाहों मे भर लिया और मुझे चूमने लगे.

उनका हाथ घूमता हुआ मेरी जाँघो पर और उसके बाद मेरी गंद की दरार तक पहुँचा. उनको तुरंत ही पता चल गया कि नाइटी के अंदर मैने कुछ नही पहना है. उन्होने मेरी गंद की गोलाईयों को दबाया तो मुझे बहुत आनंद आया. मुझे लग रहा था जैसे मैं अभी अभी जवान हुई हूँ और मैने अपने सेक्सी बदन को उनके सेक्सी बदन से चिपका दिया. उन्होनेमुझे अपने आप से अलग किया, मेरी नाइटी को नीचे से पकड़ा और एक झटके मे उसे मेरे बदन से उतार फेंका. मैं उनके सामने पूरी तरह नंगी खड़ी थी और मेरी चुचियाँ, मेरी तनी हुई निप्पल्स, दब्वाने, मसलवाने और चुसवाने के किए पूरी तरह तय्यार थी. मैं भी चुद्वाने के लिए तय्यार थी क्यों की मेरी नटखट चुड़क्कड़ चूत जम कर चुद्वाने के लिए मरी जा रही थी. तुरंत ही वो मेरी तनी हुई निप्पल को अपने मूह मे ले कर चूसने लगे तो मेरी पहले से गीली फुददी और भी गीली हो गई. जल्दी ही उन्होने मुझे उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया. मैने उनकी टी-शर्ट के दोनो बटन खोल कर उनकी टी-शर्ट को उनके बदन से अलग कर दिया. उनकी चौड़ी और नंगी छाती पर हाथ घूमाते हुए मैने उनकी निप्पल को अपनी उंगलियों के बीच ले कर मसल दिया तो वो उच्छल पड़े. फिर मैने उनकी बेल्ट खोल कर उनकी पॅंट को भी खोल दिया. उन्होने अपनी पॅंट को अपने पैरों से निकाल दिया. मैने देखा कि उनका लॉडा खड़ा हुआ है और उनकी चड्डी मे तंबू मे बंबू की तरह लग रहा है. मैने ज़मीन पर बैठते हुए उनकी चड्डी पकड़ कर नीचे खींच ली. उनका प्यारा सा, तना हुआ, मज़बूत, सख़्त, लंबा, मोटा और तन्ततनाता हुआ चुदाई का औज़ार, उनका लंड मेरी आँखों के सामने था. मैने जब उनके लौडे को हाथ लगाया तो वो हमेशा की तरह लोहे के डंडे जैसा सख़्त था.

पहली कोशिश मे मैं उनके खड़े हुए मोटे और लंबे लौडे का सिर्फ़ सूपड़ा ही अपने मूह मे ले पाई. मैने आगे हो कर उनका लंड थोड़ा और अपने मूह मे लिया और उसे चूसने लगी. अपने हाथ से मैने उनके लंड का मेरे मूह से बाहर नीचे का हिस्सा पकड़ और हिलना शुरू किया. बीच बीच मे मैं उनके लंड के नीचे लटकती गोलियों को भी सहला रही थी. उन्होने मुझे पकड़ कर खड़ी करना चाहा मगर मैं तो उनका लंड चूसने का मज़ा लेना चाहती थी इसलिए मैं उनके लौडे को चुस्ती रही, चाट ती रही, हिलाती रही. अब उन्होने जैसे आगे पीछे हो कर मेरे मूह को ही चोद्ना शुरू कर दिया था. उनके लौडे का आगे का भाग मेरे मूह मे अंदर बाहर हो रहा था और हम दोनो मुख मैथून का मज़ा लेने लगे. कुछ देर बाद उन्होने मुझे पकड़ कर खड़ी कर दिया और मुझे ले कर फिर से बिस्तर मे आ गये.


raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 31 Oct 2014 10:25

मुझे बिस्तर पर पीठ के बल लिटा कर उन्होने मेरी टाँगें चौड़ी की और अपना मूह मेरी सॉफ सुथरी, बिना बालों वाली सफाचट और बहती चूत पर रख दिया.

मेरी चूत के होठों को अपनी उंगलियों से खोल कर उन्होने अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर डाल दी. वो अपनी जीभ मेरी चूत मे डाल कर अपनी जीभ से मेरी चूत को चोद्ने लगे. मुझे लग रहा था जैसे कोई बच्चा अपनी नुन्नि से मुझे चोद रहा है. मेरी चूत से जैसे रस की नदी बहने लगी और वो मेरी चूत से निकले रस का रस पान कर रहे थे. मैं अपने आप को स्वर्ग मे महसूस कर रही थी. मुझे तो लगता है जितना अच्छी तरह मेरे पति मुझे अपने लौडे से चोद्ते हैं, उतनी ही अच्छी तरह अपनी जीभ से भी चोद्ते हैं. मैं तो जैसे हवा मे उड़ी जा रही थी.

वो अपनी जीभ किसी लंड की तरह मेरी चूत मे अंदर बाहर कर रहे थे और मैं मज़े लेती हुई झड़ने की तरफ बढ़ने लगी. मेरा बदन अकड़ने लगा और पूरे बदन मे जैसे आग लग गई. मुझे लग रहा था जैसे मेरे बदन का सारा खून मेरी चुचियों और मेरी चूत की तरफ दौड़ रहा है. एक पल को तो लगा जैसे मेरी चूत मे धमाका होने वाला है और मैं एक झटके के साथ झाड़ गई. बहुत ही ज़ोर से झड़ी थी मैं और मेरी चूत से निकलने वाले सारे रस को मेरे पति पीते जा रहे थे. कुछ देर बाद मेरी चूत पूरी तरह चाट कर वो मेरे उपर आए. उनका सख़्त लॉडा मेरे पेट और चूत के बीच मुझे गढ़ने लगा. मैने अपना हाथ नीचे कर के उनका लंड पकड़ कर जोश मे ज़ोर से दबा दिया. मेरे पति का लंड बहुत ही सख़्त है जब भी उनका लंड खड़ा होता है, उनके लंड का गुलाबी सूपड़ा बाकी लंड के मुक़ाबले मे मोटा हो जाता है.

उन्होने मेरी गंद के नीचे एक तकिया लगाया और वो मुझे चोद्ने के लिए पूरी तरह तय्यार हो गये. मैने अपनी टाँगें और चौड़ी कर ली और वो मेरी टाँगों के बीच मे अपना लंड अपने हाथ मे ले कर मुझे चोद्ने के लिए बैठ गये. उन्होने मुझ से कहा कि वो धीरे धीरे चोदेन्गे, मगर मैने कहा कि मुझे धीरे धीरे नही, जोरदार चुदाई चाहिए. उन्होने अपने लंड के सुपाडे को मेरी चूत के मूह पर लगाया और एक धक्का मारा. मेरी चूत ने अपना मूह खोल कर उनके लंड का स्वागत किया. हल्का सा दर्द ज़रूर हुआ जैसे हमेशा होता है क्यों की उनका लंड सचमुच काफ़ी बड़ा, लंबा और मोटा है.

वो धीरे धीरे धक्के लगते हुए अपने लंबे चौड़े लंड को मेरी चूत मे घुसते गये और मेरी चूत की अंदर की दीवारें उनके लंड को रास्ता देने लगी. अब जब उन्होने अपना लंड थोड़ा बाहर निकाल कर अपने लंड का एक जोरदार धक्का मेरी चूत मे लगाया तो उनका आधा लंड मेरी गीली चूत मे उतर गया. और इसी तरह कुछ हे देर मे, अपने लंड को मेरी चूत मे अंदर बाहर करते, धक्के लगाते हुए उन्होने अपना पूरे का पूरा लंबा लंड मेरी चूत मे घुसा दिया. मेरी नन्ही सी दिखने वाली चूत उनके पूरे लंड को अपने अंदर ले चुकी थी.

अब उन्होने बाक़ायदा मेरी चुदाई शुरू कर दी थी. उनका लंड मेरी चूत मे अंदर बाहर हो कर मुझे चोद रहा था और मेरी मस्तानी चूत उनके लंड को जैसे खा कर, उगल कर चुद्वाने लगी. उनका मोटा लंड मेरी चूत की अन्द्रुनि दीवारों से रगड़ खा कर मुझे मस्त किए जा रहा था. उनका लंड मेरी चूत के सब से आख़िर के हिस्से से टकरा कर वापस आ रहा था और बार बार यही कर रहा था. कड़क लंड की मज़ेदार चुदाई कुछ ऐसी थी कि मैं फिर से झाड़ गई. उनका लंड मेरे चूत से गीला हो चुका था और मेरी चूत की कोने से, उनके लंड के अंदर बाहर होने से, मेरी चूत का रस बाहर निकलने लगा. हालाँकि मैं झाड़ चुकी थी पर मैने उनको रुकने नही दिया. मेरे पति मुझे लगातार, बिना रुके चोदे चले जा रहे थे. उनके लंबे और मोटे लंड को अब मेरे झड़ने से, मेरी चूत पूरी तरह गीली होने से, अंदर बाहर होने मे आसानी हो रही थी और हम दोनो को ही चोद्ने और चुद्वाने का मज़ा आने लगा. उनके चोद्ने की रफ़्तार बढ़ती जा रही थी और मैं तो जैसे उनसे चुद्वा कर जिंदगी के मज़े ले रही थी. मेरे बदन मे फिर से हलचल होने लगी और मैं एक बार फिर झड़ने के रास्ते पर बढ़ने लगी. मेरे मूह से निकलने वाली आवाज़ों को मैं रोक नही पा रही थी. मेरी बेचैनी देख कर उन्होने चोद्ने की रफ़्तार बढ़ाई और जल्दी जल्दी मुझे चोद्ने लगे. मैं तो झाड़ते ही जैसे ज़ोर से चिल्ला ही पड़ी और वो मुझे लगातार चोदे जा रहे थे. अंदर बाहर…… अंदर बाहर……. उनका मस्ताना लॉडा मेरी चूत मे घूम रहा था, मेरी चूत मे आ जा रहा था और उनके चोद्ने की रफ़्तार तूफ़ानी हो चुकी थी. एक बार तो मैं उनकी जीभ से चुद्वा कर झाड़ चुकी थी और दो बार उनके लंड को अपनी चूत मे ले कर चुद्वाते हुए झाड़ चुकी थी पर उनके लंड से अभी तक पानी नही निकला था. मैं भी चाहती थी कि जल्दी ही उनके लंड का पानी निकले ताकि उनको भी चुदाई का आनंद आए. अचानक मैने महसूस किया कि मेरी चूत मे अंदर बाहर होते, मुझे चोद्ते, उनके लंड का सूपड़ा बड़ा होता जा रहा है तो मैं समझ गई कि वो भी अपने झड़ने से ज़्यादा दूर नही है. मैं एक बार फिर, अपने पति से चुद्वाते हुए झड़ने को तयार थी और मेरी गंद अपने आप ही उपर होने लगी. मैं एक झटके से झाड़ गई और मुझे लगा कि मेरी चूत के अंदर, आख़िरी हिस्से पर कुछ ज़ोर से टकराया है. ये तो उनके लंड से निकले लंड रस की तेज धार थी जो मेरी चूत को भरती जा रही थी. मैने अपनी टाँगों से उनकी गंद को कस कर जाकड़ लिया और उनका लंड अपने प्रेम के पानी की बरसात मेरी चूत मे करता हुआ मेरी चूत को भरता जा रहा था. मेरी गंद के नीचे लगा तकिया भी गीला होने लगा था. हम दोनो वैसे ही, एक दूसरे से चिपते हुए बिस्तर पर पड़े थे जैसे एक दूसरे के अंदर घुस जाएँगे. जब उनका लॉडा मेरी चूत मे नरम पड़ने लगा तो वो मेरे उपर से उठ कर मेरी बगल मे सो गये.

raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 31 Oct 2014 10:26

फिर उन्होने मुझे अपनी बाहों मे उठाया और मुझे बाथरूम मे ला कर फव्वारे के नीचे खड़ा कर्दिया और मुझे नहलाने लगे. उन्होने मेरी चुचियाँ दबाई, चुचियाँ मसली और अपना हाथ मेरी टाँगों के बीच मे ले जा कर मेरी चूत को धोया और मैने भी उनके लंड को पकड़ कर धोया. एक दूसरे के नंगे बदन को तौलिए से पूंछ कर हम वापस अपने बिस्तर पर आए और हमेशा की तरह नंगे, एक दूसरे को बाहों मे ले कर सो गये.

अगले दिन सुबह, मेरे सास ससुर नाशता करने के बाद एक रिश्तेदार से मिलने चले गये और घर पर सिर्फ़ मैं और मेरे पति ही रह गये. आप को तो पता है कि जब भी हम दोनो अकेले होते है, हमारे अंदर चुदाई का कीड़ा मचलने लगता है.

मेरे सास ससुर के जाने के बाद मैने घर के कुछ ज़रूरी काम निपटाए और दोपहर का खाना बनाया. मेरे पति भी किसी काम से बाहर गये थे पर जल्दी ही वापस आ गये. जितना बड़ा चुदाई का कीड़ा मेरी चूत मे है, उतना ही बड़ा चुदाई का कीड़ा उनके लंड मे भी है. मैने टेबल पर खाना लगाया और उनको खाना खाना खाने के लिए बुलाया.

वो रसोई मे आए और मुझ से लिपट गये, उनके हाथ मेरी गंद पर फिरने लगे. जिस तरह से वो मेरी गंद दबा रहे थे और सहला रहे थे उस से मैं समझ गई कि आज वो मेरी गोल गोल गंद मारने वाले हैं. मैं तो जैसे तय्यार ही थी. मेरे पति बेड रूम मे गये और जब वापस आए तो उनके हाथ मे वही, बिना सुई वाला, लंबी नली वाला इंजेक्षन था. यहाँ मैं अपने नये पाठकों को बताना चाहती हूँ कि वो बिना सुई का, लंबी नली का इंजेक्षन ऐसी दवा से भरा हुआ था जो गंद को सॉफ करके उसे मुलायम बनाता है ताकि बिना निरोध के ही गंद मारने और गंद मरवाने का मज़ा लिया जा सके. हमने वो दवा युरोप मे अपने हनीमून के दौरान खरीदी थी. उन्होने मेरे कपड़े उतार कर मुझे नंगी किया और उस इंजेक्षन की लंबी नली मेरी गंद मे घुसा कर मेरी गंद मे दवा को खाली कर दिया. कुछ देर इंतज़ार करने के बाद, हमेशा की तरह, मेरी गंद मे गई दवा अपना रंग दिखाने लगी और मुझे गंद के अंदर गुदगुदी सी और हलचल महसूस होने लगी. समय आ गया था कि मैं टाय्लेट सीट पर बैठ कर अपनी गंद की सफाई करूँ. मैं बाथरूम की तरफ दौड़ी ताकि अपनी गंद सॉफ करके उसे मरवाने के लिए पूरी तरह तय्यार कर सकूँ. मैं बता दूं कि वो दवा ना केवल गंद को अंदर से पूरी तरह सॉफ करती है बल्कि गंद को अंदर से चिकना भी बनती है ताकि मर्द का मोटा और लंबा लंड गंद मे ले कर गंद मरवाने का पूरा मज़ा लिया जा सके. ये दवा गंद मे डाल कर गंद सॉफ करने के बाद मेरे पति को अपने लॉड पर निरोध लगाने की ज़रूरत नही पड़ती क्यों कि ये दवा गंद को पूरी तरह सॉफ और कीटाणु मुक्त कर देती है.

मैं बाथरूम से बाहर आई. मेरे पति भी अपने सभी कपड़े उतार कर मेरी गंद मारने के लिए तय्यार थे. उन्होने मुझे रसोई के फर्श पर घोड़ी बनाया और अपने खड़े लंड पर गंद मरवाने के सामान के साथ आई क्रीम लगाई. थोड़ी क्रीम उन्होने मेरी गंद के छेद पर भी लगाई और अपनी उंगली मेरी गंद के छेद मे अंदर बाहर करके क्रीम को मेरी गंद के अंदर भी लगाया. अब हम दोनो तय्यार थे, वो मेरी गंद मारने के लिए और मैं गंद मरवाने के लिए. उन्होने अपना लंबा और मोटा चुदाई का औज़ार, सख़्त लंड मेरी गंद के छेद पर रखा और थोड़ा ज़ोर लगाया तो उनके लंड का अगला भाग, सूपड़ा मेरी गंद मे घुस गया. मेरी गंद का छेद उनके लंड की मोटाई के अनुसार फैलने लगा और मैने अपने दाँत भींच लिए क्यों कि उनके लंबे और मोटे लौडे के सामने मेरी गंद का छेद बहुत छ्होटा है. उनके लंड की मोटाई की वजह से मुझे गंद मरवाने मे शुरू मे हमेशा थोड़ा दर्द होता है.

Post Reply