ड्राइवर ने एक ज़ोर दर झटका मारा और उसका लिंग पिंकी की योनि में घुस्स गया.
“उउउउउउउय्य्य्य्य्य्यी
ईईईईईईईईईईई…..म्म्म्ममममन….न्न्ननननननननननननणणन् नूऊऊ…………..मर गयी, तुम कोई काम आराम से नही कर सकते क्या, अब मैं चुपचाप कर तो रही हूँ” ------- पिंकी ने दर्द से चील्लने के बाद कहा.
“ःह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हुउउउउउउम्म्म्म्म्म्म्म……हह…सॉरी मेंसाब् थोड़ा जोश में आ गया था” ---- ड्राइवर अपनी सांसो को थाम कर बोला.
“आअहह ….कितना गया है” ------ पिंकी ने आँखे बंद करके पूछा.
“आपको नही पता क्या मेंसाब्…हे.हे..हे” --- ड्राइवर ने हंसते हुवे पूछा.
“पता होता तो तुमसे पूछती क्या मैं” ---- पिंकी गुस्से में बोली.
“ह्म….. आपकी चूत में पूरा जा चुका है, मेंसाब्” ---- ड्राइवर बेशर्मी से बोला.
“आआअहह…..तुमने एक दम से पूरा डाल दिया ??…. स्टुपिड कहीं के” ---- पिंकी ने दर्द से कराह कर कहा
“सॉरी मेंसाब् अपने आप फिसल गया..हे हे” ---- ड्राइवर बेशर्मी से हंसते हुवे बोला.
“फिसल गया बोलता है, जानवर कहीं का” ----- पिंकी गुस्से में बोली.
ड्राइवर ने आगे बढ़ कर पिंकी के होंटो पर अपने होन्ट रख दिए
“म्म्म्मममम..ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ ये क्या कर रहे हो…..एम्म हटो…मेरे मूह में पान जा रहा है…छी……” ----- पिंकी ने छटपटाते हुवे कहा.
पर ड्राइवर बार बार मोका देख कर उशके होंटो को चूमता रहा.
“कितने गंदे हो तुम, कितनी बदबू आ रही है तुम्हारे मूह से, और उपर से ये पान छी दुबारा मुझे किस मत करना” ---- पिंकी गुस्से में बोली
“किस तो मैं करता रहूँगा मेंसाब्,आपके रसीले होंटो की कब से प्यास है मुझे” --- ड्राइवर हंसते हुवे बोला
ये कह कर ड्राइवर ने फिर से पिंकी के होंटो को अपने होंटो में दबा लिया और दबा दबा कर पिंकी के होंटो को चूसने लगा.
पिंकी छटपटाती रही पर ड्राइवर ने उशके होंटो को नही छ्चोड़ा
अचानक मैने देखा कि ड्राइवर उपर नीचे हिल रहा है. उसने पिंकी की मारनी शुरू कर दी थी
पिंकी उशके नीचे दबी जा रही थी, आख़िर वो ड्राइवर भारी भरकम जो था. ऐसा लग रहा था जैसे कि उशके उपर कोई हाथी चढ़ गया हो.
पर ऐसा नही लग रहा था कि उशे अब कोई दर्द हो रहा है, हां पर वो ड्राइवर के मोटे शरीर से ज़रूर परेशान दीख रही थी.
“मैं दबी जा रही हूँ, थोड़ी देर हट जाओ, बाद में कर लेना” ----- पिंकी ने हांपते हुवे कहा.
“ऐसा करते है, आप घूम जाओ मैं पीछे से डाल कर मारूँगा, तब आप पर, मेरे शरीर का बोझ नही पड़ेगा” ------ ड्राइवर भी हांपते हुवे बोला.
ये कह कर ड्राइवर ने पिंकी के होल से अपना पेनिस निकाल लिया और पिंकी को कहा, “घूम जाओ मेडम, ये पोज़िशन ठीक रहेगी, मैं तो अक्सर अपनी बीवी की ऐसे ही मारता हूँ”
“मैं तुम्हारी बीवी नही हूँ समझे जो मुझ पर हूकम चलाओगे” ------ पिंकी ने गुस्से में कहा.
“हूकम नही चला रहा मेंसाब्, मैं तो रिक्वेस्ट कर रहा था, ये पोज़िशन आपके भले के लिए ही बोल रहा हूँ” ----- ड्राइवर हैरानी भरे शब्दो में बोला.
“ह्म…..ठीक है, पर आराम से डालना ओके, कही फिर से जोश में आ जाओ” ----- पिंकी ने ड्राइवर को डाँटते हुवे कहा.
“जी मेंसाब् बिल्कुल प्यार से डालूँगा आप चिंता मत करो….हे..हे..” ------- ड्राइवर ने हंसते हुवे कहा.
“पिग कही का” --- पिंकी ने धीरे से कहा और उशके सामने घूम कर डॉगी स्टाइल में आ गयी.
ड्राइवर पिंकी के नितंबो को फैला कर रुक गया और उशके नितंबो को ध्यान से देखते हुवे बोला, “अरे मेंसाब्, ये आपके पीछले होल पर सफेद सफेद सा क्या लगा है… ह्म ….हे..हे..हे… …लगता है सुरेश बाबू आपकी गांद मार कर गये है, पर इतनी छोटी सी गांद में उन्होने लॉडा कैसे घुस्सा दिया, क्या आपको दर्द नही हुवा” ?.
“देखो तुम अपने काम से मतलब रखो, ठीक है, वरना मैं आगे कुछ नही करने दूँगी” ---- पिंकी ने पीछे मूड कर ड्राइवर की और देखते हुवे कहा.
“ओह सॉरी जी, आप तो बात बात पर बुरा मान जाते हो” --- ड्राइवर नौटंकी करते हुवे बोला.
उसने अपना लिंग हाथ में लिया और पिंकी के होल पर रख कर एक ज़ोर दार शॉट मारा
“उउउउउय्य्य्य्य्यीईईईईई…..म्म्म्ममममम….तुम नही सुधरोगे, जानवर, जंगली…पिग…आंड व्हाट नोट….” ---- पिंकी झल्लते हुवे बोली.
“मेरी ग़लती नही है मेंसाब् आपकी चूत में लॉडा अपने आप फिसल जाता है, बहुत चिकनी हो आप…” ---- ड्राइवर हंसते हुवे बोला
“शूट उप यू पिग” ----- पिंकी ज़ोर से बोली.
“ये सुवर आज आपकी आछे से लेगा मेंसाब्….हुउऊम्म्म्म…” ये कह कर ड्राइवर ने एक दम से ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए.
“र्र्ररर…रूको…. ये क्या कर रहे हो आराम से करो मैं गिर जाउन्गि” ----- पिंकी हांपते हुवे बोली.
“गिरने नही दूँगा आपको मेंसाब् आपकी चूत में मेरा लॉडा फँसा हुवा है, फेविकोल का जोड़ है टूटेगा नही..हे..हे” --- ड्राइवर बेशर्मी से हंसते हुवे बोला.
ड्राइवर लगातार बिना रुके पिंकी के अंदर अपना पेनिस रगड़ता रहा और पिंकी आआहह..ऊऊहह कर के चील्लति रही.
छोटी सी भूल compleet
Re: छोटी सी भूल
अचानक ड्राइवर रुक गया.
वो ऐसी पोज़िशन में रुका था जीशमें क़ि पिंकी के अंदर उसका कोई एक इंच ही डाला हुवा था.
उसने अपने मूह को पिंकी के अशोल के ठीक उपर किया और वाहा उपर से ही धीरे से थूक दिया. थूक सीधा पिंकी के अशोल पर गिर गया. पिंकी को शायद इस बात का पता नही चला.
“हह…..हह” पिंकी की साँसे तेज तेज चल रही थी.
वो बोली, “ठीक है…हो गया ना तुम्हारा”
“नही मेंसाब् अभी कहा, अभी तो शुरूवात की है, ये सफ़र तो लंबा चलेगा” ------ ड्राइवर बोला.
ये कह कर ड्राइवर फिर से पिंकी की ज़ोर-ज़ोर से मारने लगा.
“ऊऊहह…..जल्दी करो, मुझे घर भी जाना है” ---- पिंकी हांपते हुवे बोली.
“आआहह …..ऊऊहह…चली जाना मेंसाब् इतनी भी क्या जल्दी है, आछे से मार तो लेने दो, मेरे पास तो यही दिन है. सुरेश बाबू को तो दिन, रात देती हो, मेरे टाइम पे घर जाना है” ------ ड्राइवर आहें भरते हुवे बोला.
“शूट उप यू पिग” ---- पिंकी ने गुस्से में कहा.
“शूट उप यू पिग, शूट उप यू पिग, आपको कुछ और नही आता क्या” --- ड्राइवर ने पिंकी से पूछा.
ये कह कर ड्राइवर ने अचानक पिंकी की योनि से अपना लिंग निकाल लिया और इस से पहले की पिंकी कुछ समझ पाती उसने पेनिस को उशके अशोल पर रखा, और ज़ोर से धकक्का मार कर उशके अशोल में अपना लिंग घुस्सा दिया.
“ऊउउउय्य्य्य्य्य्यीईईईईई……मर गयी…..ये क्या किया…. ओह्ह्ह नो…… तुमने… यू डर्टी अग्ली पिग निकालो जल्दी ….आअहह…नो” पिंकी दर्द से चील्लते हुवे बोली.
“रुकिये मेंसाब् थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगा” ----- ड्राइवर ने पिंकी को दिलासा देते हुवे कहा.
“देखो मुझे यहा से बिल्कुल अछा नही लगता, तुम जल्दी निकाल लो…मुझे दर्द हो रहा है…उउउउह्ह्ह्ह्ह माआ” पिंकी कराहते हुवे बोली.
“सुरेश बाबू भी तो गांद मार के गये है, फिर मैं क्यो नही मार सकता” ----- ड्राइवर एक हल्का सा धक्का लगा कर बोला.
“ ऊहह यू डर्टी अनिमल, टेक इट आउट” ---- पिंकी ने चील्ला कर कहा.
“मुझे कुछ समझ नही आया मेंसाब्, अँग्रेज़ी उपर से निकल गयी” ----- ड्राइवर ने मुश्कूराते हुवे कहा.
ये कह कर ड्राइवर पिंकी के अशोल में ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा. उसे शायद पिंकी के दर्द की कोई परवाह नही थी.
पिंकी ड्राइवर के धक्को को नही सह पाई और बेड पर सीधी गिरती चली गयी और उसके साथ साथ ड्राइवर भी उसके उपर गिरता चला गया.
अब पिंकी सीधी पेट के बाल लेती हुई थी और ड्राइवर उशके अशोल में लिंग डाले हुवे अपना भारी भरकम शरीर लिए उशके उपर पड़ा था.
ड्राइवर ने उसी पोज़िशन में पिंकी के अशोल की रगड़ चालू कर दी.
पिंकी ज़ोर से चील्लयि, “हट जाओ, कुत्ते कामीने कहीं के मैं दब गयी हूँ, मेरा दम घुता जा रहा है.”
पर ड्राइवर ने उसकी बात पर ध्यान नही दिया और तेज़ी से अपने धक्के मारने में लगा रहा.
“ऊओह… बहुत टाइट गांद है, लॉडा बड़ी मुश्किल से अंदर बाहर हो रहा है, लगता है सुरेश बाबू ने आपकी अभी आछे से गांद नही मारी. पर मेंसाब् अब आप चिंता मत करो इशके बाद आपकी गांद खुल जाएगी…हे..हे…..हो..हो….और आप बाद में मज़े से गांद में ले पाओगि.” ---- ड्राइवर बेशर्मी से हंसते हुवे बोला.
“चुप करो कुत्ते कहीं के, तुम्हे ज़रा भी तमीज़ नही है, और जल्दी हटो, मैं दबी जा रही हूँ.” ---- पिंकी गुस्से में बोली.
पर ड्राइवर अपना काम किए बिना हटने वाला नही था.
वो पिंकी के अशोल को काफ़ी देर तक फक करता रहा
“आआआअहह…….ऊऊहह ये गया आपकी गांद में मेरे गन्ने का रश मेंसाब्” ----- ड्राइवर ने आँखे बंद करके कहा. ‘वो अपने ऑर्गॅज़म में डूब गया था’.
ड्राइवर पिंकी के उपर से हट गया और अपने लिंग को देखते हुवे बोला, “मेंसाब् यकीन नही होता कि ये इतना बड़ा लॉडा आपकी छोटी सी गांद में घुसा हुवा था…हे..हे..हो..हो”
“दफ़ा हो जाओ यहा से अब वरना में तुम्हारी जान ले लूँगी” ---- पिंकी उशी हालत में पड़े पड़े बोली.
“थॅंकआइयू मेंसाब् आपने बहुत आछे से मरवाई है, कभी दुबारा मन करे तो मुझे याद कर लीजीएगा, बंदा हज़ीर हो जाएगा, सुरेश बाबू से ज़्यादा खुस रखूँगा में आपको” ---- ड्राइवर ने पिंकी के नितंबो को ठप-थपाते हुवे कहा.
“हाथ दूर रखो मुझ से अब, और अपने रास्ते जाओ समझे… डर्टी…. स्कम…पिग” ----- पिंकी ने गुस्से में कहा.
ड्राइवर ने अपने कपड़े पहन लिए और पिंकी को ज़ोर लगा कर सीधा किया और उसके होंटो पर ज़बरदस्ती किस करने लगा
“ऊउउउह्ह्ह हटो…एम्म तुम जाते हो की नही… जानवर…जंगली..” ---- पिंकी ड्राइवर को हटाते हुवे बोली.
“जेया रहा हूँ मेंसाब् बस आपको जाते जाते नमस्ते कर रहा था” ---- ड्राइवर ने कहा.
ड्राइवर वाहा से चला गया और पिंकी दौड़ कर टाय्लेट में घुस्स गयी.
मनीष फॉरन पर्दे के पीछे से बाहर आ गया और उसने मुझे भी इशारा किया कि जल्दी से चुपचाप मेरे पीछे पीछे आ जाओ.
वो ऐसी पोज़िशन में रुका था जीशमें क़ि पिंकी के अंदर उसका कोई एक इंच ही डाला हुवा था.
उसने अपने मूह को पिंकी के अशोल के ठीक उपर किया और वाहा उपर से ही धीरे से थूक दिया. थूक सीधा पिंकी के अशोल पर गिर गया. पिंकी को शायद इस बात का पता नही चला.
“हह…..हह” पिंकी की साँसे तेज तेज चल रही थी.
वो बोली, “ठीक है…हो गया ना तुम्हारा”
“नही मेंसाब् अभी कहा, अभी तो शुरूवात की है, ये सफ़र तो लंबा चलेगा” ------ ड्राइवर बोला.
ये कह कर ड्राइवर फिर से पिंकी की ज़ोर-ज़ोर से मारने लगा.
“ऊऊहह…..जल्दी करो, मुझे घर भी जाना है” ---- पिंकी हांपते हुवे बोली.
“आआहह …..ऊऊहह…चली जाना मेंसाब् इतनी भी क्या जल्दी है, आछे से मार तो लेने दो, मेरे पास तो यही दिन है. सुरेश बाबू को तो दिन, रात देती हो, मेरे टाइम पे घर जाना है” ------ ड्राइवर आहें भरते हुवे बोला.
“शूट उप यू पिग” ---- पिंकी ने गुस्से में कहा.
“शूट उप यू पिग, शूट उप यू पिग, आपको कुछ और नही आता क्या” --- ड्राइवर ने पिंकी से पूछा.
ये कह कर ड्राइवर ने अचानक पिंकी की योनि से अपना लिंग निकाल लिया और इस से पहले की पिंकी कुछ समझ पाती उसने पेनिस को उशके अशोल पर रखा, और ज़ोर से धकक्का मार कर उशके अशोल में अपना लिंग घुस्सा दिया.
“ऊउउउय्य्य्य्य्य्यीईईईईई……मर गयी…..ये क्या किया…. ओह्ह्ह नो…… तुमने… यू डर्टी अग्ली पिग निकालो जल्दी ….आअहह…नो” पिंकी दर्द से चील्लते हुवे बोली.
“रुकिये मेंसाब् थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगा” ----- ड्राइवर ने पिंकी को दिलासा देते हुवे कहा.
“देखो मुझे यहा से बिल्कुल अछा नही लगता, तुम जल्दी निकाल लो…मुझे दर्द हो रहा है…उउउउह्ह्ह्ह्ह माआ” पिंकी कराहते हुवे बोली.
“सुरेश बाबू भी तो गांद मार के गये है, फिर मैं क्यो नही मार सकता” ----- ड्राइवर एक हल्का सा धक्का लगा कर बोला.
“ ऊहह यू डर्टी अनिमल, टेक इट आउट” ---- पिंकी ने चील्ला कर कहा.
“मुझे कुछ समझ नही आया मेंसाब्, अँग्रेज़ी उपर से निकल गयी” ----- ड्राइवर ने मुश्कूराते हुवे कहा.
ये कह कर ड्राइवर पिंकी के अशोल में ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा. उसे शायद पिंकी के दर्द की कोई परवाह नही थी.
पिंकी ड्राइवर के धक्को को नही सह पाई और बेड पर सीधी गिरती चली गयी और उसके साथ साथ ड्राइवर भी उसके उपर गिरता चला गया.
अब पिंकी सीधी पेट के बाल लेती हुई थी और ड्राइवर उशके अशोल में लिंग डाले हुवे अपना भारी भरकम शरीर लिए उशके उपर पड़ा था.
ड्राइवर ने उसी पोज़िशन में पिंकी के अशोल की रगड़ चालू कर दी.
पिंकी ज़ोर से चील्लयि, “हट जाओ, कुत्ते कामीने कहीं के मैं दब गयी हूँ, मेरा दम घुता जा रहा है.”
पर ड्राइवर ने उसकी बात पर ध्यान नही दिया और तेज़ी से अपने धक्के मारने में लगा रहा.
“ऊओह… बहुत टाइट गांद है, लॉडा बड़ी मुश्किल से अंदर बाहर हो रहा है, लगता है सुरेश बाबू ने आपकी अभी आछे से गांद नही मारी. पर मेंसाब् अब आप चिंता मत करो इशके बाद आपकी गांद खुल जाएगी…हे..हे…..हो..हो….और आप बाद में मज़े से गांद में ले पाओगि.” ---- ड्राइवर बेशर्मी से हंसते हुवे बोला.
“चुप करो कुत्ते कहीं के, तुम्हे ज़रा भी तमीज़ नही है, और जल्दी हटो, मैं दबी जा रही हूँ.” ---- पिंकी गुस्से में बोली.
पर ड्राइवर अपना काम किए बिना हटने वाला नही था.
वो पिंकी के अशोल को काफ़ी देर तक फक करता रहा
“आआआअहह…….ऊऊहह ये गया आपकी गांद में मेरे गन्ने का रश मेंसाब्” ----- ड्राइवर ने आँखे बंद करके कहा. ‘वो अपने ऑर्गॅज़म में डूब गया था’.
ड्राइवर पिंकी के उपर से हट गया और अपने लिंग को देखते हुवे बोला, “मेंसाब् यकीन नही होता कि ये इतना बड़ा लॉडा आपकी छोटी सी गांद में घुसा हुवा था…हे..हे..हो..हो”
“दफ़ा हो जाओ यहा से अब वरना में तुम्हारी जान ले लूँगी” ---- पिंकी उशी हालत में पड़े पड़े बोली.
“थॅंकआइयू मेंसाब् आपने बहुत आछे से मरवाई है, कभी दुबारा मन करे तो मुझे याद कर लीजीएगा, बंदा हज़ीर हो जाएगा, सुरेश बाबू से ज़्यादा खुस रखूँगा में आपको” ---- ड्राइवर ने पिंकी के नितंबो को ठप-थपाते हुवे कहा.
“हाथ दूर रखो मुझ से अब, और अपने रास्ते जाओ समझे… डर्टी…. स्कम…पिग” ----- पिंकी ने गुस्से में कहा.
ड्राइवर ने अपने कपड़े पहन लिए और पिंकी को ज़ोर लगा कर सीधा किया और उसके होंटो पर ज़बरदस्ती किस करने लगा
“ऊउउउह्ह्ह हटो…एम्म तुम जाते हो की नही… जानवर…जंगली..” ---- पिंकी ड्राइवर को हटाते हुवे बोली.
“जेया रहा हूँ मेंसाब् बस आपको जाते जाते नमस्ते कर रहा था” ---- ड्राइवर ने कहा.
ड्राइवर वाहा से चला गया और पिंकी दौड़ कर टाय्लेट में घुस्स गयी.
मनीष फॉरन पर्दे के पीछे से बाहर आ गया और उसने मुझे भी इशारा किया कि जल्दी से चुपचाप मेरे पीछे पीछे आ जाओ.
Re: छोटी सी भूल
मैं तो कब से वाहा से निकालने का सोच रही थी, वाहा खड़े खड़े मेरे पाँव दुखने लगे थे.
हम चुपचाप 102 से निकल कर 103 में आ गये
103 में आकर हमने चैन की साँस ली. पर मैं मनीष से नज़रे नही मिला पा रही थी. क्योंकि मनीष ने भी मेरे साथ साथ सब कुछ देखा था.
उस दिन शाम को मैने सुरेश को फोन करके घर आने को कहा.
मैने पिंकी को फोन करके उसे भी वही बुला लिया. वो आने से मना कर रही थी. कह रही थी मुझे कुछ अछा महसूष नही हो रहा है. पर मैने उशे आने के लिए मना ही लिया.
मैने अपने ख़ास ख़ास रिस्तेदारो को भी फोन करके बुला लिया.
सभी लोग 8:30 बजे तक घर पहुँच गये थे.
सभी के सामने मैने सुरेश(महेश) की चप्पल से खूब धुनाई की और सभी को उसकी शादी के बारे में बताया.
बाकी के लोगो ने भी उशे खूब मारा.
और तो और मैने उसे पिंकी से भी पितवाया.
दरअसल, मैने वाहा किसी को पिंकी और सुरेश के रिस्ते के बारे में नही बताया था. मैं नही चाहती थी कि पिंकी की बदनामी हो. पिंकी से मैने उसे इसलिए पितवाया क्योंकि उसने पिंकी को ड्राइवर के साथ करने के लिए मजबूर किया था.
पिंकी के चेहरे से यही लग रहा था कि वो उसे नही मारना चाहती, पर मैने खुद वाहा खड़े होके उसके हाथ में चप्पल दी और सुरेश की पिंकी के हाथो धुनाई करवाई.
पिंकी को मैने कुछ नही बताया कि मुझे उशके बारे में पता है कि नही. दरअसल मैने उसे बच्ची समझ कर माफ़ कर दिया. वैसे भी उसे उशके किए की सज़ा मिल चुकी थी.
मैने दीप्ति से कहा, “ह्म्म्म……. बहुत अछा किया तुमने सुरेश की धुनाई करके, वो इशी लायक था”
तभी नेहा बीच में बोल पड़ी, अछी सज़ा मिली दोनो को, वो इशी लायक थे. अरे तुम्हे पता है उस अशोक को भी भगवान ने उसके किए की सज़ा दे दी है.
मैं ये बात सुन कर चोंक गयी
मैने नेहा से पूछा, तुम्हे कैसे पता चला.
वो बोली, किसी ने मुझे बताया है.
दीप्ति ने नेहा से पूछा, “क्या बताया है”
“वो पोलीस एनकाउंटर में मारा गया, उसके साथ 2 लड़को की भी मौत हुई है” --- नेहा ने दीप्ति की और देखते हुवे कहा.
मैने मन ही मन में कहा, “बिल्लू और राजू”
तभी अचानक नेहा का मोबाइल बज उठा और वो एक्सक्यूस मी कह कर कमरे से बाहर चली गयी.
दीप्ति धीरे से बोली, तो तुम ठीक कह रही थी, वो सभी मारे गये है.
मैने कहा, “हां पर तुम मेरी कहानी नेहा को मत शुनाना, मैं ये बात किसी को नही बताना चाहती, तुम्हे इसलिए बताया क्योंकि तुम मेरी बेस्ट फ्रेंड हो”
“अरे ये भी क्या कहने की बात है” --- दीप्ति मेरी और देखते हुवे बोली.
तभी नेहा अंदर आ गयी और बोली, “यार मुझे जाना होगा, अछा लगा तुम दोनो से इतने दीनो बाद मिल कर, फिर कभी फ़ुर्सत में मिलेंगे”
हम दोनो ने नेहा को बाहर तक उसकी कार तक सी ऑफ किया और वापस अंदर मेरे कमरे में आ गये.
“यार ये बताओ क्या सोचा तुमने फिर” --- दीप्ति ने मुझ से पूछा
“किस बारे में” ---- मैने उल्टा सवाल किया
“अरे वही कि संजय और विवेक बिल्लू को कैसे जानते है” ---- दीप्ति ने कहा
“यार अब तो कन्फर्म हो गया कि वो सभी मारे जा चुके है, मुझे नही लगता कि ये सब जान कर हमें कुछ हाँसिल हो पाएगा” ---- मैने गहरी साँस ले कर कहा.
“तुम्हे याद है, वो बिल्लू तुम्हे संजय को सब कुछ बताने को कह रहा था, आख़िर वो ऐसा क्यो चाहता था” ?? दीप्ति ने मुझ से पूछा
“मैने कहा, मुझे नही पता दीप्ति और ना ही मुझ में ये सब जान-ने की हिम्मत बाकी है, जितना मैं पिछली बातो को याद करूँगी उतना ही घुट घुट कर जीयुन्गि, अछा यही है कि मैं सब कुछ भूल कर एक नयी शुरूवात करूँ, संजय शायद मुझे ना अपनाए पर मेरा बेटा चिंटू तो है ना, उशके लिए तो मुझे जीना ही है”---- मैने दीप्ति से कहा
“यार मैं तुम्हारी दोस्त हूँ, मुझे बार बार कुछ गड़बड़ लग रही है, प्लीज़ कुछ करो ना, सच जान-ने में कोई बुराई नही है” ---- दीप्ति ने मुझे कन्विन्स करते हुवे कहा.
“बुराई है दीप्ति, पाप मैं खुद करूँ और जाशूस अपने पति के पीछे लगा दूं, ये कहा की इंशानियत है, मैं ऐसा नही कर सकती” --- मैने दीप्ति की ओर देखते हुवे कहा.
“अगर ये काम मैं अपनी तरफ से मनीष को दे दूं तो तुम्हे कोई ऐतराज तो नही” ??
“ह्म्म…. दीप्ति तुम क्यों ये सब जान-ना चाहती हो” --- मैने पूछा
“क्योंकि मेरा मन बार बार कह रहा है कि कहीं ना कहीं बहुत बड़ी गड़बड़ ज़रूर है. मैं ये नही कह रही कि संजय ग़लत है, मैं भी उशे जानती हूँ, पर पता नही क्यों मेरा मन कह रहा है कि इस राज की गहराई तक जाना ज़रूरी है” ------ दीप्ति ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा.
“ह्म्म… ठीक है, तुम सारी कहानी जान चुकी हो, करलो जो करना है, पर मेरा नाम कहीं नही आना चाहिए, संजय को पता चल गया तो उन्हे बहुत बुरा लगेगा, मैं उन्हे और कोई दुख नही देना चाहती.
“थॅंकआइयू वेरी मच ऋतु, दट’स लाइक ए ब्रेव ओल्ड ऋतु..हे हे” ---- दीप्ति मुश्कूराते हुवे बोली
मैं भी उसकी बात सुन कर हंस पड़ी
क्रमशः .............................................
हम चुपचाप 102 से निकल कर 103 में आ गये
103 में आकर हमने चैन की साँस ली. पर मैं मनीष से नज़रे नही मिला पा रही थी. क्योंकि मनीष ने भी मेरे साथ साथ सब कुछ देखा था.
उस दिन शाम को मैने सुरेश को फोन करके घर आने को कहा.
मैने पिंकी को फोन करके उसे भी वही बुला लिया. वो आने से मना कर रही थी. कह रही थी मुझे कुछ अछा महसूष नही हो रहा है. पर मैने उशे आने के लिए मना ही लिया.
मैने अपने ख़ास ख़ास रिस्तेदारो को भी फोन करके बुला लिया.
सभी लोग 8:30 बजे तक घर पहुँच गये थे.
सभी के सामने मैने सुरेश(महेश) की चप्पल से खूब धुनाई की और सभी को उसकी शादी के बारे में बताया.
बाकी के लोगो ने भी उशे खूब मारा.
और तो और मैने उसे पिंकी से भी पितवाया.
दरअसल, मैने वाहा किसी को पिंकी और सुरेश के रिस्ते के बारे में नही बताया था. मैं नही चाहती थी कि पिंकी की बदनामी हो. पिंकी से मैने उसे इसलिए पितवाया क्योंकि उसने पिंकी को ड्राइवर के साथ करने के लिए मजबूर किया था.
पिंकी के चेहरे से यही लग रहा था कि वो उसे नही मारना चाहती, पर मैने खुद वाहा खड़े होके उसके हाथ में चप्पल दी और सुरेश की पिंकी के हाथो धुनाई करवाई.
पिंकी को मैने कुछ नही बताया कि मुझे उशके बारे में पता है कि नही. दरअसल मैने उसे बच्ची समझ कर माफ़ कर दिया. वैसे भी उसे उशके किए की सज़ा मिल चुकी थी.
मैने दीप्ति से कहा, “ह्म्म्म……. बहुत अछा किया तुमने सुरेश की धुनाई करके, वो इशी लायक था”
तभी नेहा बीच में बोल पड़ी, अछी सज़ा मिली दोनो को, वो इशी लायक थे. अरे तुम्हे पता है उस अशोक को भी भगवान ने उसके किए की सज़ा दे दी है.
मैं ये बात सुन कर चोंक गयी
मैने नेहा से पूछा, तुम्हे कैसे पता चला.
वो बोली, किसी ने मुझे बताया है.
दीप्ति ने नेहा से पूछा, “क्या बताया है”
“वो पोलीस एनकाउंटर में मारा गया, उसके साथ 2 लड़को की भी मौत हुई है” --- नेहा ने दीप्ति की और देखते हुवे कहा.
मैने मन ही मन में कहा, “बिल्लू और राजू”
तभी अचानक नेहा का मोबाइल बज उठा और वो एक्सक्यूस मी कह कर कमरे से बाहर चली गयी.
दीप्ति धीरे से बोली, तो तुम ठीक कह रही थी, वो सभी मारे गये है.
मैने कहा, “हां पर तुम मेरी कहानी नेहा को मत शुनाना, मैं ये बात किसी को नही बताना चाहती, तुम्हे इसलिए बताया क्योंकि तुम मेरी बेस्ट फ्रेंड हो”
“अरे ये भी क्या कहने की बात है” --- दीप्ति मेरी और देखते हुवे बोली.
तभी नेहा अंदर आ गयी और बोली, “यार मुझे जाना होगा, अछा लगा तुम दोनो से इतने दीनो बाद मिल कर, फिर कभी फ़ुर्सत में मिलेंगे”
हम दोनो ने नेहा को बाहर तक उसकी कार तक सी ऑफ किया और वापस अंदर मेरे कमरे में आ गये.
“यार ये बताओ क्या सोचा तुमने फिर” --- दीप्ति ने मुझ से पूछा
“किस बारे में” ---- मैने उल्टा सवाल किया
“अरे वही कि संजय और विवेक बिल्लू को कैसे जानते है” ---- दीप्ति ने कहा
“यार अब तो कन्फर्म हो गया कि वो सभी मारे जा चुके है, मुझे नही लगता कि ये सब जान कर हमें कुछ हाँसिल हो पाएगा” ---- मैने गहरी साँस ले कर कहा.
“तुम्हे याद है, वो बिल्लू तुम्हे संजय को सब कुछ बताने को कह रहा था, आख़िर वो ऐसा क्यो चाहता था” ?? दीप्ति ने मुझ से पूछा
“मैने कहा, मुझे नही पता दीप्ति और ना ही मुझ में ये सब जान-ने की हिम्मत बाकी है, जितना मैं पिछली बातो को याद करूँगी उतना ही घुट घुट कर जीयुन्गि, अछा यही है कि मैं सब कुछ भूल कर एक नयी शुरूवात करूँ, संजय शायद मुझे ना अपनाए पर मेरा बेटा चिंटू तो है ना, उशके लिए तो मुझे जीना ही है”---- मैने दीप्ति से कहा
“यार मैं तुम्हारी दोस्त हूँ, मुझे बार बार कुछ गड़बड़ लग रही है, प्लीज़ कुछ करो ना, सच जान-ने में कोई बुराई नही है” ---- दीप्ति ने मुझे कन्विन्स करते हुवे कहा.
“बुराई है दीप्ति, पाप मैं खुद करूँ और जाशूस अपने पति के पीछे लगा दूं, ये कहा की इंशानियत है, मैं ऐसा नही कर सकती” --- मैने दीप्ति की ओर देखते हुवे कहा.
“अगर ये काम मैं अपनी तरफ से मनीष को दे दूं तो तुम्हे कोई ऐतराज तो नही” ??
“ह्म्म…. दीप्ति तुम क्यों ये सब जान-ना चाहती हो” --- मैने पूछा
“क्योंकि मेरा मन बार बार कह रहा है कि कहीं ना कहीं बहुत बड़ी गड़बड़ ज़रूर है. मैं ये नही कह रही कि संजय ग़लत है, मैं भी उशे जानती हूँ, पर पता नही क्यों मेरा मन कह रहा है कि इस राज की गहराई तक जाना ज़रूरी है” ------ दीप्ति ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा.
“ह्म्म… ठीक है, तुम सारी कहानी जान चुकी हो, करलो जो करना है, पर मेरा नाम कहीं नही आना चाहिए, संजय को पता चल गया तो उन्हे बहुत बुरा लगेगा, मैं उन्हे और कोई दुख नही देना चाहती.
“थॅंकआइयू वेरी मच ऋतु, दट’स लाइक ए ब्रेव ओल्ड ऋतु..हे हे” ---- दीप्ति मुश्कूराते हुवे बोली
मैं भी उसकी बात सुन कर हंस पड़ी
क्रमशः .............................................