मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानीcompleet

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raj..
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Re: मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानी

Unread post by raj.. » 20 Dec 2014 15:12

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गतान्क से आगे.....................

मे बाबू जी की आँखों मे देख रही थी. बाबू जी ने मेरी आँखों को देखते हुए अपनी कमर को नीचे की तरफ धकेला. बाबू जी के लंड का सुपाड़ा एक ही बार मे मेरी चूत की दीवारों को फेलाता हुआ पूरा का पूरा अंदर घुस्स गया. टाँगें कंधों के ऊपेर होने के कारण इस बार पूरा का पूरा लंड अंदर घुस्स चुका था. और बदन मे दर्द की लहर दौड़ गयी. इस पोज़िशन मे बाबू जी का लंड सीधा मेरी बच्चेदानी से जा टकराया था. और मेरी बच्चे दानी के मुँह को बाबू जी के लंड का सुपाडे ने दबा दिया था.

मे: अहह बाबू जीईए दर्द हूऊ रहा हाईईइ धीरीईए.

अभी: कोई बात नही मेरे रानी. थोड़ी देर मे तेरा दर्द ठीक हो जाएगा.

और बाबू जी ने तेज़ी से अपनी कमर को हिलाते हुए मेरी चूत को अपने लंड से चोदना चालू कर दिया. लंड बार-2 बाहर निकल कर अंदर जाता और मेरी बच्चेदानी के मुँह पर चोट करता. मे मस्ती मे एक दम से चोदु हो गयी. और बाबू जी के लंड पर अपनी गांद को ऊपेर की तरफ पटककने लगी.

जैसे ही बाबू जी का लंड मेरी चूत के गहराईयो मे उतरता. बाबू जी की जांघे मेरे चुतड़ों पर टकरा जाती. और ठप-2 की आवाज़ करने लग जाती. मे चुदाई के दौरान नयी -2 आवाज़ों को सुन कर शर्मा जाती. बाबू जी की जांघे मेरी गांद पर चोट कर रही थी. जैसे कोई मेरी गांद पर थप्पड़ मार रहा हो.

बाबू जी अब पूरे जोश मे आकर तेज़ी से धक्के लगा रहा थे. लंड तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था. जिसके कारण बेड भी छुन चूं की आवाज़ करते हुए हिल रहा था.

मे; अहह बाबू जीई चोदो मेरीए भोसदिईई कूऊव अहह बाबू जीईए कस कस के चोदो और जोर्र्र्ररर से बाबू जीईए. और जोर्र सीईए आह मेरीए चूत्त्त का भोसड़ा बना दो ह बाबू जीईई

फिर बाबू जी ने मेरी टाँगों को अपने कंधों से नीचे उतार दिया. और मुझे उल्टा कर दिया. मे अब बाबू जी के सामने अपने दोनो हाथों और घुटनो के बल थी. बाबू जी ने एक हाथ से मेरे चुतड़ों को फैला कर मेरी चूत के छेद पर अपने लंड के सुपाडे को टिका दिया. जब-2 बाबू जी के लंड का गरम सुपाड़ा मेरी चूत पर लगता मेरे मुँह से आह निकल जाती. और मुझे सुख की अनुभूती होती.

लंड के सुपाडे को चूत पर टिकाने के बाद बाबू जी ने मेरे चुतड़ों को कस के पकड़ लिया. और एक ज़बरदस्त धक्का मारा. लंड का सुपाड़ा फिर से मेरी चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ अंदर घुस्स गया. और मेरे मुँह से आहह निकल गयी.

इससे पहले कि मुझे साँस लेने का मोका मिलता. बाबू जी ने ताबडतोड़ धक्को के साथ अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत मे उतार दिया.. और मेरे चुतड़ों को दोनो तरफ फैला कर अपनी कमर हिला -2 कर मेरी चूत मे अपना मुन्सल सा लंड अंदर बाहर करने लगे. रूम मे फिर से ठप-2 और मेरी कामुक सिसकारियो की आवाज़े गूंजने लगी.

मे: ( अपनी चूत को पीछे की तरफ बाबू जी के लंड पर पटक-2 कर मारते हुए) आ आह आ ओह ओह्ह्ह बाबू जीईईई बड़ाा मज्जा एयेए रहा हाईईईई. और्र्रर ज़ोर सीए चोदो. ह बाबू जीई आपकाा लौदााअ बड़ा मोटाआ हाई. मेरीए चूत्त्त फॅट गयी ओह बाबू जीईई और तेज़ी सीए पेलूऊ ना.

बाबू जी ने धक्के लगाने बंद कर दिए थे. और बस मेरे चुतड़ों को दोबच-2 कर मसल रहे थे. और मे अपनी चूत को पीछे की ओर पटक-2 कर बाबू जी के लंड को अपनी चूत मे लेकर चुदवा रही थी. मे फिर से झड़ने के करीब थी.

मे: ह बाबू जीईई रुक क्योंन्नणणन् गयी अहह चोदो नाअ मेन्णन्न् झदें वाली हुन्न्ञणणन् अहह बाबू जीई पेलोन्न्न अहह क्यों रुकीए हू

बाबू जी मेरी बातों को सुन कर जोश मे आ गये. और मेरी कमर को पकड़ कर ज़बरदस्त झटके मारने लगे. बाबू जी के मोटे लंड ने मेरी चूत की दीवारों को हिला कर रख दिया था. और कुछ ही धक्को मे मेरी चूत ने अपना पानी उगलना चालू कर दिया.

फिर बाबू जी ने एक ज़ोर दार धक्का मारा. बाबू जी के लंड का मोटा सुपाड़ा मेरी बच्चे दानी के मुँह पर जाकर सॅट गया.

और बाबूजी जी के लंड के सुपाडे से गरम-2 वीर्ये की पिचकारिया निकलने लगी. और मेरी बच्चेदानी को भरने लगी. बाबू जी के गरम वीर्ये को अपनी बच्चेदानी मे भरता हुआ महसूस करके मे सन्तुस्त हो गयी. थोड़ी देर ऐसे ही बाबू जी ने अपने लंड को डाले रखा. जैसे ही बाबू जी का लंड थोड़ा डीला पड़ा. बाबू जी ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया. और बेड पर पीठ के बल लेटते हुए तेज़ी से साँसे लेने लगी.

मे इस ज़बरदस्त चुदाई से बहुत थक गयी. तो और मुस्किल से दो घंटे ही सो पाई थी. मेने अपने दोनो के ऊपेर रज़ाई को खींचा. और बाबू जी के साथ सॅट कर उनकी तरफ करवट करके लेट गयी. मे प्यार से बाबू जी के चेस्ट के बालों मे अपनी उंगलयों को घुमाने लगी. फिर मुझे पता नही कब नींद आ गयी

raj..
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Re: मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानी

Unread post by raj.. » 20 Dec 2014 15:13

अब आगे के स्टोरी रचना की ज़ुबानी फिर से शुरू होती है.

मे रात भर अपनी बेटी नेहा की चुदाई का खेल देख-2 कर गरम होती रही. और अपनी चूत की आग को अपनी उंगली करके ठंडा करने की कोशिस करती रही. पर कहाँ बाबू जी का 8 इंच का लौदा और कहाँ मेरी पतली सी छोटी सी उंगली. मे सारी रात तड़पति रही. सुबह के 3 बजे मे सो गयी.

अगली सुबह मे 10 बजे तक सोती रही . जब मेरी नींद खुली. तो मेने अपने आस पास देखा. मे अभी के साथ वाले रूम मे थी. मेरी सलवार बेड के नीचे फर्श पर गिरी हुई थी. और पॅंटी बेड के एक कोने मे. सुबह मुझे यकीन नही हो रहा था. कि नेहा की बाबू जी ने इतनी जबरदस्त चुदाई की है. मे वैसे ही बेड पर खड़ी हो गयी. और उसे छेद मे से झाँकने लगी.

नेहा बाबू जी के साथ चिपकी हुई सो रही थी. मे सुबह-2 गरम हो कर अपना मूड खराब नही करना चाहती थी. मेने अपनी पॅंटी उठाई और पहन कर बेड से नीचे उतर कर अपनी फर्श पर पड़ी सलवार को उठा कर पहनने लगी.

सलवार पहन कर मे बाहर आ कर बाथरूम चली गयी. फ्रेश होने के बाद मे नहाने लगी. और नहा कर किचन मे आ गयी. टाइम काफ़ी हो गया था. इसलिए सोचा पहले नाश्ता बना लूँ. फिर चाइ बना कर बाबू जी और नेहा को उठाती हूँ.

मे नाश्ता बनाने लगी. नाश्ता बनाते समय भी मेरे दिमाग़ मे रात को हुई नेहा की चुदाई के सीन ही नज़र आ रहे थे. ना चाहते हुए भी मेरी चूत मे खुजली होने लगी. पर फिर मेने अपने सर को झटका और नाश्ता बनाने लगी. नाश्ता बनाने के बाद मेने चाइ बना कर कप्स मे डाली और अभी के रूम के तरफ गयी. रूम के डोर के पास पहुच कर मेने डोर क्नॉक किया. मुझे पता था. कि नेहा और अभी दोनो अंदर नंगें है. और उन्हें डोर खोलने मे टाइम लगेगा. कुछ मिनिट बाद मेने फिर से डोर नॉक किया

और थोड़ी देर बाद नेहा ने डोर खोला. नेहा के बॉल बिखरे हुए थे. और उसके होंटो पर दाँतों से काटने के निशान भी थे. मुझे नेहा की हालत पर थोड़ा सा तरस आ गया. मेने नेहा के गाल पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोला.

मे: उठ गयी बेटा.

नेहा: जी माँ.

मे: जा बातरूम हो आ. और फ्रेश हो जा. मेने चाइ बना दी है. और नाश्ता भी पहले नहा ले. फिर मे तुझे चाइ नाश्ता देती हूँ.

नेहा: (मुझसे नज़रें मिलाए बिना) ठीक है मा.

और नेहा बाथरूम मे चली गयी. और मे रूम मे अंदर चली गयी. अभी रज़ाई ओढ़ बेड के रेस्ट सीट से पीठ टिका कर बैठा हुआ था. मुझे देखते ही उसके होंटो पर मुस्कान आ गयी. और मे भी शर्मा कर मसूकुराने लगी.

मेने चाइ की ट्रे को टेबल पर रखा. और अभी के पास जाकर बेड पर बैठ गयी.

अभी: क्यों देखा कैसे नेहा मेरे लंड पर अपनी चूत पटक रही थी. क्यों मज्जा आया.

मे: (उदास सा मुँह बनाते हुए) किया बाबू जी कहाँ मज़ा आया. इधर आप और नेहा चुदने का मज्जा ले रही थी. उधर मे अपनी चूत मे उंगली ले कर चूत की आग बुझाने की कॉसिश कर रही थी.

अभी: अर्रे मेरी रानी नाराज़ क्यों हो रही हूँ. मे तुम दोनो की चूत के खुजली मिताउन्गा ना. अब आगे देखना नेहा और तुम दोनो दिन भर मेरा लंड अपनी चूत मे लेकर रहना. ठीक है

ये कहते हुए बाबू जी मेरे खुले हुए बालों को पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया. मे बेड पर आ गये.


raj..
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Re: मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानी

Unread post by raj.. » 20 Dec 2014 15:14

अभी: (मेरे चुतड़ों को मेरी सलवार के ऊपेर से मसलते हुए) कहे तो अभी तेरी चूत की खुजली मिटा दूं.

मे: (मुँह बनाते हुए) रहने दो बाबू जी. अब उसकी चूत के खुजली मिटाते रहना.

अभी: ( मेरे होंटो को अपने दाँतों से काटते हुए) साली क्यों जल रही है. नखरे तो ऐसे कर रही है. जैसे बिना लंड के जिंदगी गुजर लेगी.

मे: आह बाबू जी कात्त्त्त क्यों रही हो उस बेचारी के फूल जैसे होंटो को कितनी बेदर्दी से चबाया है आप ने. निशान पर गया है उसके होंटो पर.

अभी: तू किया हुआ. ऐसे ही एक निशान तेरे होंटो पर भी बना देता हूँ. (मेरे चुतड़ों को ज़ोर से मसलते हुए)

मे: उईमा क्या कर्र रहूऊ बाबू जीए. नेहा आ गयी तो.

अभी: अच्छा आ गये तो क्या हो जाए गा.

मे: छोड़ो ना बाबू जी अभी नहा कर आई हूँ . फिर से इतनी सर्दी मे नहाना पड़ेगा.

और अभी ने मुझे छोड़ दिया. और उठ कर अपना अंडरवेर और शॉर्ट्स पहन कर बाथरूम मे चला गया.

अभी: (बाथरूम से आवाज़ लगाते हुए) रचना चाइ वापिस ले जाओ. मे नहा लेता हूँ. बाद मे नाश्ते के साथ ही पीएँगे.

मेने चाइ की ट्रे उठा ली. और किचन मे आ गयी. और नाश्ते को डिन्निंग टेबल पर लगाने लगी15- 20 मिंट मे नेहा और अभी भी नहा कर बाहर आ गये. अभी डिन्निंग टेबल पर बैठ कर नाश्ता करने लगा. और मे और नेहा अपने रूम मे बैठ कर नाश्ता करने लगी. नेहा मुझसे नज़रें नही मिला रही थी. नाश्ता करने के बाद अभी घर से बाहर चला गया. शायद उसे कोई काम था.

अभी दोपहर को आने के लिए बोल गया था. इस लिए मे और नेहा 12 बजे तक काम निपटा कर सो गये.इस दौरान नेहा ने मुझेसे कोई बात नही की. शायद वो झीजक रही थी. 2 घंटे सोने के बाद मे और नेहा उठ कर दोपहर के खाने की तैयारी करने लगी. करीब 2:30 पर डोर बेल बजी. मेने गेट खोला तो सामने अभी खड़ा था. उसके हाथ मे आज भी बहुत से कॅरी बॅग्स थे. शायद वो आज फिर से शॉपिंग करके आया था.

अभी अंदर आ गया. मेने गेट बंद कर दिया. और किचन मे चली गयी. थोड़ी देर बाद अभी किचन मे आया.

अभी: खाना बन गया क्या. बहुत जोरों से भूक लगी है.

मे: हां बाबू जी बस 10 मिनट मे तैयार हो जाएगा.

किचन मे दोनो तरफ सेलफ्स थी. नेहा मेरे पीछे वाली सेल्फ़ पर सलाद काट रही थी. अभी नेहा के पीछे जाकर उससे सॅट कर खड़ा हो गया. मे अपने फेस को पीछे करके चोर नज़रों से अभी और नेहा को देख रही थी.

अभी ने नेहा के चुतड़ों को पकड़ कर मसल दिया. नेहा एक दम से कसमसा गयी. और इधर उधर होने लगी. फिर नेहा ने इशारे से अभी को मेरे माजूदगी होने का बताया. पर अभी ने सर झटक दिया. जैसे कह रहा हो मुझे कोई परवाह नही. और अभी नेहा के चुतड़ों को अपने दोनो हाथों मे थमने मसलने लगा. नेहा अभी के आगे खड़ी कसमसा रही थी.

पर अभी बिना किसी बात के परवाह किए बिना नेहा के चुतड़ों को उसकी सलवार के ऊपेर से मसले जा रहा था. मेने अपने फेस को घुमा लिया. और कुक्कर मे सब्जी को देखने लगी. तभी अचनाक नेहा के मुँह से आह निकल गयी. मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा. जैसे ही मेने दोबारा पीछे मूड कर देखा तो.अभी ने अपना एक हाथ आगे लेजा कर उसकी सलवार के अंदर घुसाया हुआ था. और सलवार के अंदर से उसकी चूत को मसल रहा था.

ये सब देख कर मेरी चूत मे भी कुलबुलाहट होने लगी. अब खाना तैयार हो चुका था. मेने गॅस स्टोव बंद किया. और बाहर आ गयी. और अपने रूम मे जाकर पर्दे के पीछे से अंदर झाँकने लगी.

नेहा: (कसमसाते हुए) बाबू जी मा देख लेगी.

अभी: देखने दो साली को. तू कहे तो उसे तेरे सामने लाकर यहीं चोद दूं.

नेहा: नही बाबू जी. रहने दो. छोड़ो ना.

अभी: अच्छा ठीक चल मेरे रूम मे चल. देख मे बाजार से तेरे ले किया क्या लाया हूँ. और तेरे मा के लिए भी. जा उसे भी बुला ला.

और ये कह कर अभी अपने रूम मे चला गया. अभी के जाने के बाद नेहा ने अपने सलवार के ढीले हो चुके नाडे को कमीज़ को ऊपेर करके खोला और उसे ठीक से बंद करने लगी. फिर थोड़ी देर बाद नेहा बाहर आ गयी. मे जल्दी से पलंग पर बैठ गयी.

नेहा: (रूम के अंदर आते हुए) मा बाबू जी बुला रहे हैं.

मे : (उठाते हुए) चलो.

मे और नेहा अभी के रूम मे आ गये. हम को देख कर अभी मुस्कुराते हुए बोला.

अभी: देखो मे तुम दोनो के लिए क्या लाया हूँ.

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