रश्मि एक सेक्स मशीन compleet
Re: रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -64
गतान्क से आगे...
एक एक करके मेरे ब्लाउस के सारे बटन्स खुल कर अलग हो गये. उन्हों ने मेरे ब्लाउस को बदन से खींच कर अलग कर दिया. इसमे मैने भी उनकी सहयता की. ब्लाउस को अलग होने के बाद फर्श पर डाल दिया गया. अब मैण सिर्फ़ ब्रा पहने उनके सामने खड़ी थी.
उन्हों ने अपनी उंगलियाँ मेरे ब्रा के स्ट्रॅप मे फँसा कर अपनी ओर खींच कर छ्चोड़ दिया. फिर अपना सिर नीचे झुका कर ब्रा के उपर से उभरे मेरे दोनो निपल्स को अपनी जीभ से चटा. जिससे मेरे निपल्स और ज़्यादा बड़े बड़े हो गये एवं उनके चाटने की वजह से मेरी ब्रा के वो हिस्से गीले हो कर निपल्स से चिपक गये थे. वो मेरे दोनो स्तनो को अपने हाथों से उठा कर काफ़ी देर तक चूमते रहे.
जैसे ही उन्हों ने मुझे छ्चोड़ा मैं उनके सीने से वापस लग गयी. मैं अपने ब्रा मे कसे दोनो स्तन उनकी नग्न छाती पर दबा कर रगड़ने लगी.
“ आपको प्यारे लगे?” मैने उनसे पूचछा. वो मेरी बात का जवाब अपने चिरपरिचित मुस्कुराहट सी दिए.
“ स्वामी जी ये दोनो आपके लिए ही हैं. आप इनका जैसे चाहे वैसे इस्तेमाल करो. मैं आपसे कोई शिकायत नही करूँगी. आप इन्हे जी भर कर प्यार करना. इनको बस आपके होंठों का इंतेज़ार हैं.” कह कर मैने उनके हाथों को उठा कर अपने स्तन पर वापस रख दिए. उन्हों ने दोनो स्तनो को हल्के हल्के से सहलाना शुरू किया.
“ ये दोनो तुम्हारे खजाने हैं. तुम नही जानती कि इनकी क्या वॅल्यू हैं. किसी को भी तुम इनका एक झलक दिखा कर अपना गुलाम बना सकती हो.” वो बोलते बोलते मेरे स्तन युगल को मसल्ते जा रहे थे. मुझे उनकी हरकतों मे बहुत मज़ा आ रहा था.
“ ये अभी खाली हैं. इनमे आप रस भर दो फिर देखना ये कितने खूबसूरत हो जाएँगे. इनकी साइज़ आपसे सम्हाले नही संहलेंगे. तब इनको अपने मुँह से लगा कर खूब रस पीना.” मैने उनके बालों मे अपनी उंगलियाँ फिराई. फिर उनके सीने पर उगे घने बालों को अपने होंठों से सहलाया. मैं अपनी जीभ से उनके मटर के दाने सरीखे उभरे हुए निपल्स को चाटने लगी. अपने दाँतों से उनके सीने पर कई जगह निशान भी बना दिए थे.
उन्हों ने मेरे कंधे पर अपने हाथ रख कर मेरी ब्रा के दोनो स्ट्रॅप्स नीचे उतार दिए. मैने पीछे मूड कर अपने ब्रा का हुक उनकी ओर किया. उन्हो ने मेरे ब्रा के हुक को खोल दिया तो मैं वापस उनकी ओर मूड कर खड़ी हो गयी. मैने अपने दोनो बाँहें सिकोड कर अपने ब्रा को नीचे गिर जाने से रोक रखा था. मैं ये अवसर स्वामी जी को ही देना चाहती थी. उन्हों ने मेरी बाँहों को थोडा अलग किया तो मेरी ब्रा किसी तिरस्कृत छिल्के की तरह मेरे बदन से अलग हो कर पैरो पर गिर पड़ी.
उनके सामने मेरे बड़े बड़े स्तन अब बिल्कुल नग्न हो कर उन्हे प्यार का आमंत्रण दे रहे थे. उन्हों ने मेरे स्तनो को देख कर इस तरह अपने होंठों पर अपनी जीभ फिराई मानो उनके सामने उनका कोई मनपसंद व्यंजन रखा हुआ हो.
उन्हों ने मेरे दोनो स्तनो को अपनी दो उंगलियों से बहुत हल्के से च्छुआ और हल्के हल्के च्छुअते हुए उनको नीचे की ओर बढ़ते हुए निपल्स तक ले गये. उन्हों ने अपनी उंगलियों से मेरे दोनो निपल्स को हल्के हल्के से प्रेस किया. फिर उंगलियों और अंगूठे के बीच दोनो निपल्स को लेकर बहुत हल्के से सहलाने लगे.
मेरे दोनो निपल्स उत्तेजित होकर इतने बड़े बड़े भी हो सकते हैं ये मुझे पहली बार पता चला था. यहाँ तक की निपल्स के चारों ओर फैले गोल गोल काले दायरे मे पिंपल्स की तरह कुच्छ दाने भी उभर आए थे. मेरा सिर पीछे की ओर धूलक गया था.
उन्हों ने अपने होंठ एक निपल के इर्दगिर्द रख कर उसे किस बच्चे की तरह चूसने लगे. चूसने के साथ साथ वो अपने पंजे से मेरे उस स्तन को मसल्ते भी जा रहे थे मानो उसके अंदर से दूध निकालना चाहते हों. जिस वक़्त वो एक निपल को चूस रहे थे उस वक़्त वो अपने दूसरे पंजे की उंगलियों से मेरे दूसरे निपल को कुरेद रहे थे जिससे उसमे उत्तेजना की कमी आकर उसका आकर छ्होटा ना हो जाए. एक निपल को जी भर चूसने के बाद उन्हों ने वही क्रिया दूसरे निपल के साथ भी दोहराई.
स्वामी जी की हरकतों से मैं उत्तेजना के चरम पर पहुँच गयी थी. मैने उनके सिर को अपने दोनो सीने के बीच दबा लिया. वो अपनी जीभ को वहाँ फिराने लगे और मैं अपनी उत्तेजना को सम्हालने मे विफल होकर उस अवस्था मे ही झाड़ गयी.
काफ़ी देर तक उन्हों ने मुझे इस तरह प्यार करने के बाद मुझे घुमा कर खड़ा कर दिया. अब उनके होंठ मेरी नगी पीठ पर फिर रहे थे. मेरी रीढ़ की हड्डी पर नीचे से उपर की ओर उठते हुए उनके होंठ मेरे बालों के जड़ तक जा पहुँचे.
मेरा बदन सिहरन से काँप रहा था. मैं दीवार से सहारा ले कर खड़ी हो गयी. मैने अपने सिर को सामने की ओर झुका लिया था और बालों को को अपने कंधे के उपर से सामने की ओर कर लिया था जिससे उनके प्यार के खेल मे किसी तरह की बाधा ना आए.
मैं उत्तेजना मे अपने स्तनो को अपने ही हाथों से मसल्ने लगी. जब इससे भी ज़्यादा संतुष्टि नही मिली तो स्वामी जी के हाथों को अपने हाथों से पकड़ कर अपने दोनो स्तनो पर रख कर उन्हे दबाया. मेरे इशारे को समझ कर, मेरे मन की स्थिति को समझ कर वो अपने हाथों से मेरे दोनो स्तनो को मसल्ने लगे.
वो होल होल मेरे कंधों पर अपने दाँत गाढ़ने लगे. मेरे दोनो हाथों को उन्हों ने सिर के उपर उठा दिया और मेरी बगलों को अपनी जीभ से सहलाने लगे थे. उनकी जीभ जब मेरे बगलों की नाज़ुक त्वचा को छुति तो मेरा पूरा बदन काँपने लगता.
उन्हों ने अब मेरी सारी बदन से अलग कर दी तो मैने उन्हे किसी तरह का मौका दिए बगैर अपने पेटिकोट के नारे को खींच कर ढीला कर दिया. मेरा पेटिकोट पैरों से सरकता हुया फर्श पर गिर गया.
स्वामी जी ने दोबारा मुझे सीधा किया और अपनी नज़रों से मुझे निहारने लगे. मैं उस वक़्त सिर्फ़ एक छ्होटी सी पॅंटी मे थी. जो बड़ी मुश्किल से मेरे टाँगों के बीच के खजाने को उनकी नज़रों से बचाने की कोशिश कर रहा था.
वो मेरे सामने घुटने के बल बैठ गये और मेरी योनि को मेरी पॅंटी के उपर से चूमने लगे. फिर अपने दाँतों से मेरी योनि के सामने के उभार को हल्के हल्के से काटने लगे. मेरी योनि को ढके कपड़े को एक ओर खींचा और अपनी जीभ मेरी योनि पर फिराई. फिर दोनो हाथों की उंगलिया मेरी पॅंटी के बॅंड मे फँसा कर उसे नीचे उतार दिया.
अब मैं बिल्कुल नग्न स्थिति मे आ गयी थी. वो मेरे सामने बैठ कर मेरी जांघों को मेरे, जांघों के बीच मेरी योनि को प्यार करने लगे. उन्हों ने मेरे एक पैर को उठा कर अपने कंधे पर रख लिया और अपनी जीभ से मेरी योनि के उपर सहलाने लगे. फिर अपनी उंगलियों से मेरी योनि को फैला कर अंदर अपनी जीभ से चाता. मेरी योनि के बाहर उभरे क्लाइटॉरिस को वो अपनी जीभ से सहलाने लगे. जैसे ही मेरी क्लिट को उन्हों ने अपने दाँत से हल्के से दबाया मैं उत्तेजना मे उच्छल पड़ी.
स्वामी जी ने मुझे पीछे घुमाया और मेरे नितंबों को जगह जगह पर दांतो से काटने लगे. मेरे नितंबों को फैला कर मेरे गुदा को भी उन्हों ने चूम लिया. उनकी उंगलिया मेरे जिस्म पर थिरक रही थी. वो मेरे जिस्म पर पता नही कहाँ कहाँ दबा रहे थे कि मैं उत्तेजना से तड़पने लगती. वो अक्कुप्रेससोर के अच्छे ग्याता थे. उन्हे मालूम था कि कहाँ कहाँ और किस तरह किसी महिला को दबाने और छूने से महिला की उत्तेजना अपने चरम पर पहुँच जाती है.
मैं और उनकी हरकतों को सहन नही कर पाई. मैने खींच कर उन्हे ज़मीन पर से उठाया. वो मेरा हाथ पकड़ कर अपने बिस्तर पर ले गये.
“ देवी आज तुम्हारी दूसरी सुहागरात है. आज से हफ्ते भर के लिए तुम मेरी बंदिनी होकर रहोगी. इसे तुमने अपनी इच्च्छा से स्वीकार किया है. आओ इन सात दिनो मे हम एक पूरी जिंदगी जी लें.” स्वामीजी के होंठों से प्यार भरी बातें सुन कर मैं निहाल हो गयी.
मैने उनका जवाब मुस्कुरा कर दिया. और उनसे कहा, “ स्वामी आज आपके पास आकर मैने प्यार का सही मतलब जाना है. सेक्स के खेल इतने हसीन और इतने मजेदार हो सकते हैं ये मैने आज जाना है. आज तक मैं इन सब से अंजान थी. आज आपके चर्नो मे आकर मैने प्रेम का सही मतलब सीखा है.” मैने उनकी आँखों मे झाँकते हुए कहा.
उन्हों ने मुझे बिस्तर पर लेटने का इशारा किया मगर मैं ऐसा नही चाहती थी. मैने उन्हे बिस्तर पर लेटने का इशारा किया.
“ एक तरफ़ा प्यार अच्च्छा नही होता. हर किसी को अपना हूनर दिखाने का पूरा मौका मिलना चाहिए. अब आप बिस्तर पर लेट जाइए. आप ने जितना प्यार मुझे किए है उसे आपको लौटाने की अब मेरी बारी है.” मैने उनसे कहा.
वो मुस्कुराते हुए बिस्तर पर लेट गये. मैने उनके कमर पर बँधी तहमद को खोल कर उनके बदन से अलग कर दिया.
“ सुहाग रात को मर्द को कोई भी कपड़ा पहनने की मनाही होती है. मैं तो आपकी बंदिनी हो गयी मगर आप भी अपना पूरा जोश, पूरा प्यार मुझ पर ही न्योचछवर करोगे.” मैने हंसते हुए उनको धक्का दिया तो वो मेरे इस अचानक वार से सम्हाल नही पाए हौर बिस्तर पर गिर पड़े. मैं कूद कर उनके सीने पर सवार हो गयी. हम दोनो ही बिल्कुल नंगे थे मगर शर्मो हया का कही डोर दूर तक नामो निशान नही था. ऐसा लग रहा था मानो दोनो एक दूसरे को कई जन्मो से जानते हों.
मैने अपनी दोनो हथेलिया उनके कंधों पर रख कर उन्हे बिस्तर पे दबा दिया.
“ अब आप बिल्कुल नही हिलोगे. बस ऐसे ही लेते रहना. नही तो मैं आपको काट खाउन्गी. आपने मुझे इतना उत्तेजित कर दिया है कि मैं कुच्छ भी कर सकती हूँ. मुझे दीवाना बना दिया है आपने. ओफफफफ्फ़……प्यार करना तो कोई आपसे सीखे. पता नही आप कहाँ कहाँ दबा रहे थे और मुझे ऐसा लग रहा था मानो जिस्म की गर्मी से मैं जल कर रह जाउन्गी…” मैं पागलों की तरह उनके चेहरे को चूमने लगी. ऐसा करते वक़्त मेरे झूलते स्तन उनकी छाती को सहला रहे थे. वो अपनी उंगलियों से मेरे तने हुए निपल्स को छेड़ रहे थे.
क्रमशः............
Re: रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -65
गतान्क से आगे...
मैने उनके होंठों पर अपने दाँत गढ़ा दिए. मैने उनके पूरे चेहरे को अपनी जीभ से चाट लिया था. मैं अब कुच्छ नीचे खिसक कर उनके सीने पर अपने होंठ फिराने लगी. मैं उनके निपल्स को अपने दाँतों के बीच दबा कर हल्के हल्के से कुरेदने लगी.
उनके घने बालों से भरे सीने पर अपने होंठ और गाल रगड़ रही थी तो मुझे इतना मज़ा आ रहा था जिसकी मैने कभी कोई कल्पना भी नही की थी.
मैं अपनी जीभ उनके सीने पर फिराते हुए मैं नीचे की ओर झुक कर उनके नाभि के इर्द गिर्द अपने होंठ फिराने लगी. मेरी हरकतों से वो भी काफ़ी उत्तेजित हो गये थे. उनकी उत्तेजना का पता मेरे स्तनो पर पड़ रहे उनके हाथों के दबाव से चल रहा था. पहले वो मेरे स्तनो को बड़े प्यार से सहला रहे थे मगर अब उनकी हथेलिया मेरे स्तनो को बुरी तरह मसल्ने लगी थी.
मैं अपनी जगह पर घूम गयी. अब मेरा चेहरा उनके पैरों की तरफ था. मैं उनकी टाँगों के उपर झुक कर उनके पैरों को चूमने लगी अपनी जीभ उनके पैरों पर फिराने लगी. मैं उनके अंगूठे को और उनके पैरों की उंगलियों को चूस रही थी. फिर मैने उनकी टाँगों पर अपने जीभ फिराई. उनकी जांघों पर मैं अपने दाँत गाढ़ने लगी. जगह जगह पर मैने अपने दांतो के निशान छ्चोड़ दिए.
उनका तना हुआ लंड मेरी जांघों के बीच रगड़ खा रहा था. उनका लंड इतना लंबा और मोटा था कि जब मैं उन्हे प्यार करने झुकती तो उनका लंड मेरे स्तनो को ठोकर मारने लगता.
मैने वापस घूम कर उनके चेहरे की ओर अपना चेहरा कर लिया. मगर इस बार मैं उनकी टाँगों पर बैठी थी. मैं नीचे झुक कर उनके लिंग को चूमने लगी. मैने उनके लंड के उपर का चमड़ा नीचे की और सरकाया तो उनका लंड के उपर का सूपड़ा बाहर निकल आया. ऐसा लग रहा था मानो की जांघों के बीच कोई मीनार खड़ा हो.
मैने उनके लंड के ठीक उपर झूलते मेरे स्तनो को अपने हाथों से थामा और उनके लिंग को अपने दोनो स्तनो के बीच रख कर भींच दिया. फिर मैं उसी अवस्था मे अपनी कमर को आगे पीछे करने लगी.
उनका लिंग बार बार मेरे स्तनो के बीच के दरार से पल भर के लिए झाँकता और फिर उनकी गहराईयों मे खो जाता. जब उनका लंड मेरे स्तनो के उपर निकल कर आता तो मैं अपनी जीभ निकाल कर उनके सूपदे को चाटने लगती. स्वामी जी काफ़ी उत्तेजित हो चुके थे. वो बार बार मेरी पतली कमर मेरे स्तनो पर और मेरी जांघों के बीच सहलाने लगते थे.
कुच्छ देर तक इसी तरह उनके लिंग को अपने उरजों से चोदने के बाद मैने उनके लंड को चाटना शुरू किया. वो अपनी कमर को बिस्तर से उठा कर मुझे अपने जुनून का इशारा दे रहे थे. वो चाह रहे थे कि मैं उनके लंड को अपने मुँह मे भर कर प्यार करूँ. मैने उनको ज़्यादा परेशान नही किया और कुच्छ देर बाद उनके लिंग को अपने मुँह मे भर कर चूसने लगी. वो उत्तेजित हो कर मेरे सिर को अपने लंड पर दाब रहे थे. उन्हों ने जैसे ही मेरे सिर को अपने लंड मे दाबा तो उनका लंड मेरे मुँह से होकर मेरे गले तक उतर गया. मैं साँस लेने के लिए छॅट्पाटा उठी. मैने अब उनके लिंग को ज़्यादा अंदर तक नही लेने का ठान लिया. मैं उनके लंड को अपने मुँह मे अंदर बाहर कर रही थी.
उनका लंड इतना मोटा था की मुझे उसको अपने मुँह मे लेने के लिए अपने जबड़ों को पूरा खोलना पड़ रहा था. थोड़ी ही देर मे मेरे जबड़े दुखने लगे तो मैने अपने सिर को उठाया. अब मैं अपनी जीभ से उनके मोटे मोटे अंडकोषों को चाटने लगी. वो इतने उत्तेजित हो गये थे की उनके मुँह से अब सिसकारियाँ निकल रही थी.
“ स्वामी….आअपकाअ ईए बहुत बड़ाअ हाईईइ. मुझे विस्वास नही है कि मैं इसे झेल भी पाउन्गी…..या नही.” मैने
जब उनसे और नही रहा गया तो उन्हों ने मुझे बिस्तर पर पटक दिया. और मुझ पर टूट पड़े. मैं उनकी हालत पर खिलखिला उठी. उन्हों ने मेरी योनि के उपर बने क्लाइटॉरिस को अपनी उंगलियों से छेड़ दिया. मैं उनकी इस हरकत से लगभग उच्छल पड़ी. मगर मेरे स्तनो को दबे हुए उनके मुँह ने मुझे बिस्तर से उठने नही दिया.
“ ऊऊहह स्वाअमीज़ी….मेरे साआमिी….मेरीई…..आआआहह….क्यूऊन….. सातआटीए हूऊऊ……उफफफफ्फ़ माआ….आब तूओ आजा” मैं च्चटपटाने लगी.
मैं बिस्तर पर चित लेटी हुई थी. वो मेरे स्तनो को छ्चोड़ कर उठे. उन्हों ने अपने दोनो हाथों से मेरी टाँगें थाम ली और उन्हे छत की ओर उठा दिया. फिर उन्हों ने अपने दोनो हाथ अलग कर मेरी टाँगों को फैलाया. मैने भी बिना किसी विरोध के अपनी टाँगों को फैला दिया. मेरी योनि उनकी नज़रों के सामने थी. मैं भी उत्तेजना मे फूँक रही थी. मैं उनकी ओर अपनी कमर को उठा कर उनको अगले खेल के लिए इशारा कर रही थी.
“ देवी इस रति क्रीरा मे जो खिलाड़ी जितना वॉर्म अप होता है उसे खेल मे उतना ही मज़ा आता है.” स्वामी जी ने कहा.
“ गर्म? स्वामी जी मैं तो गर्मी से फूँक रही हूँ अब आ जाओ नही तो मैं पागल हो जाउन्गी.” मैने कराहते हुए कहा, “ ये देखो……” उत्तेजना की वजह से मेरी योनि से काम रस का निकलना बंद होने का ही नाम नही ले रहा था. दोनो जंघें गीली हो रही थी. मैने अपने हाथों को उन पर फिराते हुए स्वामी जी को दिखाया, “ देखो मेरे बदन का सारा खून आज वीर्य बन कर बाहर निकला जा रहा है. अब अगर अपने मुझे जल्दी संतुष्ट नही किया तो मैं मर ही जाउन्गी.”
मेरी बात सुन कर स्वामी जी हंस पड़े. उन्हों ने बगल के टेबल पर रखी एक शीशी खोल कर उस मे से कुच्छ पिया और वापस बॉटल वहीं रख दी. मैं जिगयसा भरी नज़रों से उनकी तरफ देख रही थी.
“ ये सब मेरी बरसों की मेहनत का नतीजा है. ये दुर्लभ जड़ी बूटियों का रस है जिसे पीने के बाद आदमी वियाग्रा को भी मात दे सकता है. देखना अब ये तुम्हे कितने खेल दिखाता है.” कह कर उन्हों ने अपने तने हुए लंड को सहलाते हुए कहा.
“ स्वामी जी मुझे भी कुच्छ दो. मैं भी आपका बराबर साथ देना चाहती हूँ. सुबह से मैं इतना थक गयी हूँ कि आपको पूरा मज़ा नही दे पाउन्गी.”
स्वामी जी ने उस बॉटल से कुच्छ बूंदे मेरे मुँह मे भी दी. अजीब सा कसैला स्वाद था पूरा मुँह एक बार कड़वा हो गया. मैं वापस अपने पैरों को फैलाए लेट गयी. स्वामी जी मेरे पैरों के बीच अपने घटनो के बल बैठे हुए थे. उन्हों ने मेरे पैर अपने कंधो पर रख दिए. इस अवस्था मे उनका विशाल लंड मेरी योनि और नितंबो के बीच ठोकर मारने लगा.
उन्होने दो मोटे मोटे तकिये उठा कर मेरी कमर के नीचे रख दिए जिससे मेरी कमर बिस्तर से एक फुट के करीब उपर उठ गयी.
मैने अपने हाथों से अपनी योनि की फांकों को अलग कर उनके लंड को थाम कर उनके बीच किया. वो उस वक़्त मेरी जांघों को सहला रहे थे. मेरे घुटनो को चूम रहे थे. मुझे इस अवस्था मे अपनी टपकती हुई चूत साफ दिखाई दे रही थी. मैने देखा की मेरी योनि के गीले होंठ उत्तेजना मे काँप रहे थे. जैसे ही उनके लंड को बीच मे रख कर मैने अपनी उंगलियों को योनि की फांको पर से हटाया तो दोनो उनके लंड से ऐसे चिपक गयी मानो किसी भूखे बच्चे को दूध की बॉटल मिल गयी हो.
उन्हों ने अपने लिंग को मेरी योनि मे दबाया. मेरी योनि का मुँह चौड़ा होने लगा. उनके लिंग को अंदर लेने के लिए मेरी योनि ऐसे खुल गयी थी मानो उसमे पूरा हाथ चला जाए. उनके लंड के सामने का सूपड़ा काफ़ी मोटा था मुझे पल भर को तकलीफ़ हुई उसे लेने मे. मेरी योनि इतनी गीली हो चुकी थी की अब अगर मुझे गधे का लंड भी लेना पड़ता तो मुझे कोई तकलीफ़ नही होती.
“ आअहह…” मेरे मुँह से एक कराह निकली और उनके लंड का सिरा मेरी योनि के होंठों को चीरता हुआ अंदर प्रवेश कर गया.
“ आआहह….गुरुजिइइई….ध्ीएरए….ध्ीएरए…..तोड़ाआ धीरे करूऊ…..काफ़िई दाअर्द हाईईईई……” मैं उनसे रिक्वेस्ट करने लगी.
एक एक इंच करके उनका लंड अंदर जा रहा था. उन्हों ने भी एक दम से पूरा अंदर कर देने मे जल्दी नही दिखाई. मैं भी उनके लंड को अपने योनि की दीवारों से सहला कर उत्तेजित हो रही थी. मेरी योनि उपर की ओर उठी होने की वजह से उनके लिंग का अंदर जाना अच्छि तरह दिख रहा था. मैने अपनी दो उंगलियों को वी की शेप मे योनि की होंठों पर रख कर उनके लंड के सरकने का अहसास कर रही थी.
उन्हों ने पूरा अंदर डालने से पहले दो बार बाहर भी खींचा और दोबारा अगले ही पल वापस उतना ही अंदर डाल दिया. धीरे धीरे उनका पूरा लिंग मेरी नज़रों से ओझल हो गया. मैने अपनी हथेली पर उनके लिंग के जड़ को महसूस किया. मैने उनकी आँखों मे झाँका.
“ पूरा अंदर है. मज़ा आया?” उन्हों ने पूछा.
“एम्म….बहुऊट” मैं मुस्कुरा दी,” ओफफफफ्फ़….कितनाअ बड़ाअ हाई आपकाअ…..ल्ाअग रहाआ था की मुँह सी बाआहर निकाल आईईगा……”
“ हहाआहा….कैसा लगा? माअजा टू आयाअ ना?”
“ बोहूऊओट…..आअपँे तूओ मुझीए अपणीी ब्ाअंड्ी बनाअ लिय्ाआ हाईईईईईईई”
अब उन्हों ने अपने दोनो हाथों को मेरे कंधो के दोनो ओर रख कर सहारा लेते हुए अपने लिंग को बाहर खींचना शुरू किया. मैने अपनी योनि की दीवारों को उनके लंड पर दाब दिया था. उनका लंड बाहर जाते हुए भी इतना मज़ा दे रहा था कि मज़ा आ गया.
“ उम्म्म……कुच्छ देर अंदर ही रहनी देतीए…जीए भार कार स्वाआद तो लेनी देते…..हााहह” मैं उत्तेजना मे बड़बड़ा रही थी.
उन्हों ने अपने लिंग को लगभग पूरा खींच कर बाहर निकाला. यहाँ तक की लंड के सामने का सूपड़ा भी बाहर निकाल लिया. और अगले ही पल दोबारा पूरे जोश के साथ अपने लिंग को मेरी योनि मे जड़ तक घुसा दिया. मेरी आँखे अत्यधिक आनंद से बंद हो गयी और मुँह खुल गया था. हर धक्के के साथ ऐसा लगता मानो फेफड़े की सारी हवा निकली जा रही हो.
क्रमशः............
गतान्क से आगे...
मैने उनके होंठों पर अपने दाँत गढ़ा दिए. मैने उनके पूरे चेहरे को अपनी जीभ से चाट लिया था. मैं अब कुच्छ नीचे खिसक कर उनके सीने पर अपने होंठ फिराने लगी. मैं उनके निपल्स को अपने दाँतों के बीच दबा कर हल्के हल्के से कुरेदने लगी.
उनके घने बालों से भरे सीने पर अपने होंठ और गाल रगड़ रही थी तो मुझे इतना मज़ा आ रहा था जिसकी मैने कभी कोई कल्पना भी नही की थी.
मैं अपनी जीभ उनके सीने पर फिराते हुए मैं नीचे की ओर झुक कर उनके नाभि के इर्द गिर्द अपने होंठ फिराने लगी. मेरी हरकतों से वो भी काफ़ी उत्तेजित हो गये थे. उनकी उत्तेजना का पता मेरे स्तनो पर पड़ रहे उनके हाथों के दबाव से चल रहा था. पहले वो मेरे स्तनो को बड़े प्यार से सहला रहे थे मगर अब उनकी हथेलिया मेरे स्तनो को बुरी तरह मसल्ने लगी थी.
मैं अपनी जगह पर घूम गयी. अब मेरा चेहरा उनके पैरों की तरफ था. मैं उनकी टाँगों के उपर झुक कर उनके पैरों को चूमने लगी अपनी जीभ उनके पैरों पर फिराने लगी. मैं उनके अंगूठे को और उनके पैरों की उंगलियों को चूस रही थी. फिर मैने उनकी टाँगों पर अपने जीभ फिराई. उनकी जांघों पर मैं अपने दाँत गाढ़ने लगी. जगह जगह पर मैने अपने दांतो के निशान छ्चोड़ दिए.
उनका तना हुआ लंड मेरी जांघों के बीच रगड़ खा रहा था. उनका लंड इतना लंबा और मोटा था कि जब मैं उन्हे प्यार करने झुकती तो उनका लंड मेरे स्तनो को ठोकर मारने लगता.
मैने वापस घूम कर उनके चेहरे की ओर अपना चेहरा कर लिया. मगर इस बार मैं उनकी टाँगों पर बैठी थी. मैं नीचे झुक कर उनके लिंग को चूमने लगी. मैने उनके लंड के उपर का चमड़ा नीचे की और सरकाया तो उनका लंड के उपर का सूपड़ा बाहर निकल आया. ऐसा लग रहा था मानो की जांघों के बीच कोई मीनार खड़ा हो.
मैने उनके लंड के ठीक उपर झूलते मेरे स्तनो को अपने हाथों से थामा और उनके लिंग को अपने दोनो स्तनो के बीच रख कर भींच दिया. फिर मैं उसी अवस्था मे अपनी कमर को आगे पीछे करने लगी.
उनका लिंग बार बार मेरे स्तनो के बीच के दरार से पल भर के लिए झाँकता और फिर उनकी गहराईयों मे खो जाता. जब उनका लंड मेरे स्तनो के उपर निकल कर आता तो मैं अपनी जीभ निकाल कर उनके सूपदे को चाटने लगती. स्वामी जी काफ़ी उत्तेजित हो चुके थे. वो बार बार मेरी पतली कमर मेरे स्तनो पर और मेरी जांघों के बीच सहलाने लगते थे.
कुच्छ देर तक इसी तरह उनके लिंग को अपने उरजों से चोदने के बाद मैने उनके लंड को चाटना शुरू किया. वो अपनी कमर को बिस्तर से उठा कर मुझे अपने जुनून का इशारा दे रहे थे. वो चाह रहे थे कि मैं उनके लंड को अपने मुँह मे भर कर प्यार करूँ. मैने उनको ज़्यादा परेशान नही किया और कुच्छ देर बाद उनके लिंग को अपने मुँह मे भर कर चूसने लगी. वो उत्तेजित हो कर मेरे सिर को अपने लंड पर दाब रहे थे. उन्हों ने जैसे ही मेरे सिर को अपने लंड मे दाबा तो उनका लंड मेरे मुँह से होकर मेरे गले तक उतर गया. मैं साँस लेने के लिए छॅट्पाटा उठी. मैने अब उनके लिंग को ज़्यादा अंदर तक नही लेने का ठान लिया. मैं उनके लंड को अपने मुँह मे अंदर बाहर कर रही थी.
उनका लंड इतना मोटा था की मुझे उसको अपने मुँह मे लेने के लिए अपने जबड़ों को पूरा खोलना पड़ रहा था. थोड़ी ही देर मे मेरे जबड़े दुखने लगे तो मैने अपने सिर को उठाया. अब मैं अपनी जीभ से उनके मोटे मोटे अंडकोषों को चाटने लगी. वो इतने उत्तेजित हो गये थे की उनके मुँह से अब सिसकारियाँ निकल रही थी.
“ स्वामी….आअपकाअ ईए बहुत बड़ाअ हाईईइ. मुझे विस्वास नही है कि मैं इसे झेल भी पाउन्गी…..या नही.” मैने
जब उनसे और नही रहा गया तो उन्हों ने मुझे बिस्तर पर पटक दिया. और मुझ पर टूट पड़े. मैं उनकी हालत पर खिलखिला उठी. उन्हों ने मेरी योनि के उपर बने क्लाइटॉरिस को अपनी उंगलियों से छेड़ दिया. मैं उनकी इस हरकत से लगभग उच्छल पड़ी. मगर मेरे स्तनो को दबे हुए उनके मुँह ने मुझे बिस्तर से उठने नही दिया.
“ ऊऊहह स्वाअमीज़ी….मेरे साआमिी….मेरीई…..आआआहह….क्यूऊन….. सातआटीए हूऊऊ……उफफफफ्फ़ माआ….आब तूओ आजा” मैं च्चटपटाने लगी.
मैं बिस्तर पर चित लेटी हुई थी. वो मेरे स्तनो को छ्चोड़ कर उठे. उन्हों ने अपने दोनो हाथों से मेरी टाँगें थाम ली और उन्हे छत की ओर उठा दिया. फिर उन्हों ने अपने दोनो हाथ अलग कर मेरी टाँगों को फैलाया. मैने भी बिना किसी विरोध के अपनी टाँगों को फैला दिया. मेरी योनि उनकी नज़रों के सामने थी. मैं भी उत्तेजना मे फूँक रही थी. मैं उनकी ओर अपनी कमर को उठा कर उनको अगले खेल के लिए इशारा कर रही थी.
“ देवी इस रति क्रीरा मे जो खिलाड़ी जितना वॉर्म अप होता है उसे खेल मे उतना ही मज़ा आता है.” स्वामी जी ने कहा.
“ गर्म? स्वामी जी मैं तो गर्मी से फूँक रही हूँ अब आ जाओ नही तो मैं पागल हो जाउन्गी.” मैने कराहते हुए कहा, “ ये देखो……” उत्तेजना की वजह से मेरी योनि से काम रस का निकलना बंद होने का ही नाम नही ले रहा था. दोनो जंघें गीली हो रही थी. मैने अपने हाथों को उन पर फिराते हुए स्वामी जी को दिखाया, “ देखो मेरे बदन का सारा खून आज वीर्य बन कर बाहर निकला जा रहा है. अब अगर अपने मुझे जल्दी संतुष्ट नही किया तो मैं मर ही जाउन्गी.”
मेरी बात सुन कर स्वामी जी हंस पड़े. उन्हों ने बगल के टेबल पर रखी एक शीशी खोल कर उस मे से कुच्छ पिया और वापस बॉटल वहीं रख दी. मैं जिगयसा भरी नज़रों से उनकी तरफ देख रही थी.
“ ये सब मेरी बरसों की मेहनत का नतीजा है. ये दुर्लभ जड़ी बूटियों का रस है जिसे पीने के बाद आदमी वियाग्रा को भी मात दे सकता है. देखना अब ये तुम्हे कितने खेल दिखाता है.” कह कर उन्हों ने अपने तने हुए लंड को सहलाते हुए कहा.
“ स्वामी जी मुझे भी कुच्छ दो. मैं भी आपका बराबर साथ देना चाहती हूँ. सुबह से मैं इतना थक गयी हूँ कि आपको पूरा मज़ा नही दे पाउन्गी.”
स्वामी जी ने उस बॉटल से कुच्छ बूंदे मेरे मुँह मे भी दी. अजीब सा कसैला स्वाद था पूरा मुँह एक बार कड़वा हो गया. मैं वापस अपने पैरों को फैलाए लेट गयी. स्वामी जी मेरे पैरों के बीच अपने घटनो के बल बैठे हुए थे. उन्हों ने मेरे पैर अपने कंधो पर रख दिए. इस अवस्था मे उनका विशाल लंड मेरी योनि और नितंबो के बीच ठोकर मारने लगा.
उन्होने दो मोटे मोटे तकिये उठा कर मेरी कमर के नीचे रख दिए जिससे मेरी कमर बिस्तर से एक फुट के करीब उपर उठ गयी.
मैने अपने हाथों से अपनी योनि की फांकों को अलग कर उनके लंड को थाम कर उनके बीच किया. वो उस वक़्त मेरी जांघों को सहला रहे थे. मेरे घुटनो को चूम रहे थे. मुझे इस अवस्था मे अपनी टपकती हुई चूत साफ दिखाई दे रही थी. मैने देखा की मेरी योनि के गीले होंठ उत्तेजना मे काँप रहे थे. जैसे ही उनके लंड को बीच मे रख कर मैने अपनी उंगलियों को योनि की फांको पर से हटाया तो दोनो उनके लंड से ऐसे चिपक गयी मानो किसी भूखे बच्चे को दूध की बॉटल मिल गयी हो.
उन्हों ने अपने लिंग को मेरी योनि मे दबाया. मेरी योनि का मुँह चौड़ा होने लगा. उनके लिंग को अंदर लेने के लिए मेरी योनि ऐसे खुल गयी थी मानो उसमे पूरा हाथ चला जाए. उनके लंड के सामने का सूपड़ा काफ़ी मोटा था मुझे पल भर को तकलीफ़ हुई उसे लेने मे. मेरी योनि इतनी गीली हो चुकी थी की अब अगर मुझे गधे का लंड भी लेना पड़ता तो मुझे कोई तकलीफ़ नही होती.
“ आअहह…” मेरे मुँह से एक कराह निकली और उनके लंड का सिरा मेरी योनि के होंठों को चीरता हुआ अंदर प्रवेश कर गया.
“ आआहह….गुरुजिइइई….ध्ीएरए….ध्ीएरए…..तोड़ाआ धीरे करूऊ…..काफ़िई दाअर्द हाईईईई……” मैं उनसे रिक्वेस्ट करने लगी.
एक एक इंच करके उनका लंड अंदर जा रहा था. उन्हों ने भी एक दम से पूरा अंदर कर देने मे जल्दी नही दिखाई. मैं भी उनके लंड को अपने योनि की दीवारों से सहला कर उत्तेजित हो रही थी. मेरी योनि उपर की ओर उठी होने की वजह से उनके लिंग का अंदर जाना अच्छि तरह दिख रहा था. मैने अपनी दो उंगलियों को वी की शेप मे योनि की होंठों पर रख कर उनके लंड के सरकने का अहसास कर रही थी.
उन्हों ने पूरा अंदर डालने से पहले दो बार बाहर भी खींचा और दोबारा अगले ही पल वापस उतना ही अंदर डाल दिया. धीरे धीरे उनका पूरा लिंग मेरी नज़रों से ओझल हो गया. मैने अपनी हथेली पर उनके लिंग के जड़ को महसूस किया. मैने उनकी आँखों मे झाँका.
“ पूरा अंदर है. मज़ा आया?” उन्हों ने पूछा.
“एम्म….बहुऊट” मैं मुस्कुरा दी,” ओफफफफ्फ़….कितनाअ बड़ाअ हाई आपकाअ…..ल्ाअग रहाआ था की मुँह सी बाआहर निकाल आईईगा……”
“ हहाआहा….कैसा लगा? माअजा टू आयाअ ना?”
“ बोहूऊओट…..आअपँे तूओ मुझीए अपणीी ब्ाअंड्ी बनाअ लिय्ाआ हाईईईईईईई”
अब उन्हों ने अपने दोनो हाथों को मेरे कंधो के दोनो ओर रख कर सहारा लेते हुए अपने लिंग को बाहर खींचना शुरू किया. मैने अपनी योनि की दीवारों को उनके लंड पर दाब दिया था. उनका लंड बाहर जाते हुए भी इतना मज़ा दे रहा था कि मज़ा आ गया.
“ उम्म्म……कुच्छ देर अंदर ही रहनी देतीए…जीए भार कार स्वाआद तो लेनी देते…..हााहह” मैं उत्तेजना मे बड़बड़ा रही थी.
उन्हों ने अपने लिंग को लगभग पूरा खींच कर बाहर निकाला. यहाँ तक की लंड के सामने का सूपड़ा भी बाहर निकाल लिया. और अगले ही पल दोबारा पूरे जोश के साथ अपने लिंग को मेरी योनि मे जड़ तक घुसा दिया. मेरी आँखे अत्यधिक आनंद से बंद हो गयी और मुँह खुल गया था. हर धक्के के साथ ऐसा लगता मानो फेफड़े की सारी हवा निकली जा रही हो.
क्रमशः............
Re: रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -66
गतान्क से आगे...
उसके बाद शुरू हुआ धक्कों का सिलसिला. लगातार और बिना कोई रफ़्तार मे कमी आए वो लगभग बीस मिनिट तक मेरे बदन के उपर दंड पेलते रहे. ऐसा लग रहा था मानो वो कोई हाड़ माँस के व्यक़्ति ना हो कर सेक्स की मशीन हों.
इस दौरान हम दोनो ही पसीने से लटपथ हो गये थे. ए.सी. से कमरा बिल्कुल ठंडा था मगर वो भी हमारी गर्मी कम करने मे असमर्थ हो रहा था. बीस मिनिट बाद वो रुके और अपने लंड को मेरी योनि से खींच कर बाहर निकला. उनका लंड मेरे योनि रस से पूरा भीगा हुआ था. उससे चासनी की तरह कर्मस तार बनाते हुए टपक रहा था. मैने अपनी आँखें खोली. अब वो मेरी बगल मे लेट गये और मुझे दूसरी तरफ करवट लेने के लिए कहा.
मैने दाई तरफ करवट ले कर अपनी पीठ उनकी ओर कर दी. मैने अपनी टाँगो को छाती से लगा लिया और अपने नितंबों को उनकी ओर थेल दिया. वो मेरी पीठ से चिपक गये और पीच्चे से मेरी योनि मे अपना लंड डाल कर धक्के मरने लगे. अब हम दोनो अगल बगल लेटे हुए थे. वो पीछे की ओर से मुझे धक्के मार रहे थे. साथ साथ मेरे दोनो स्तनो को अपनी मुट्ठी मे भर कर मसल्ते जा रहे थे.
इस तरह उन्हे काफ़ी आराम मिल रहा था क्योंकि मेहनत कम करनी पड़ रही थी धक्के लगाने मे. वो उसी तरह पाँच दस मिनिट तक धक्के लगाते रहे. उनके धक्को मे कुच्छ शिथिलता आ गयी थी वो अब ख़तम हो गयी.
कुच्छ देर तक इस तरह करने के बाद वो वापस पूरे जोश मे आ गये. उन्हों ने मुझे उठा कर चौपाया बनाया. मैं तीन तकियों को एक के उपर एक रख कर उन्हे अपने पेट के नीचे रख कर अपने उपरी शरीर को बिस्तर पर लिटा दिया. इस तरह मेरे नितंब उँचे हो गये. मैं बिना किसी सहारे के भी अब चौपाया बनी हुई थी. उन्हों ने मेरे पीछे आकर मेरी योनि मे अपना लंड डाल दिया. उसके बाद दनादन धक्कों की बोच्चार शुरू हो गयी. हर धक्के के साथ मैं बुरी तरह हिल रही थी. मेरे रेशमी घने बाल मेरे पूरे चेहरे को ढँक लिए थे मैं उत्तेजना मे अपने दोनो पंजे गद्दे मे गढ़ा कर मुत्ठियों मे भर रखी थी और दाँतों मे एक तकिये को भींच रखा था. वो मेरे पीछे घुटनो के बल बैठ कर अगले पाँच मिनिट तक बिना रुके धक्के मारते रहे. फिर वो खड़े होकर अपने पैरों को घुटनो से मोड़ लिया और अपने दोनो हाथ मेरी पीठ पर रख कर धाकी लगाने लगे.इस वक़्त उनका लिंग मेरी योनि मे उपर से अंदर घुस रहा था. पता ही नही चल रहा था कितनी देर तक वो इस तरह मुझे चोद्ते रहे.
कुच्छ देर तक इसी तरह चोद्ते रहने के बाद उन्हों ने अपने लिंग को वापस बाहर निकाला. फिर उन्हों ने मुझे उसी अवस्था मे बिस्तर के किनारे तक खींच लिया. मैं अब बिस्तर के एक दम किनारे अपने घुटनो को टीका कर चौपाया बनी हुई थी.
अब वो ज़मीन पर खड़े हो गये. इस अवस्था मे मेरी योनि उनके लंड के लेवेल पर थी. वो खड़े हो कर मेरी योनि मे एक ही धक्के मे वापस अपने लिंग को डाल कर पूरी ताक़त से दस मिनिट तक मुझे झींझोड़ते रहे. इतनी देर से लगातार चोदने के बाद भी उनके लिंग मे थोड़ा सा भी ढीलापन नही आया था. उनका लिंग अभी तक मेरी योनि को फैला रखा था. इस पोज़िशन मे लिंग सबसे ज़्यादा अंदर तक घुस रहा था. मुझे अपनी योनि मे उनके लिंग का अहसास सातवें आसमान पर चढ़ा रहा था.
पंद्रह मिनिट तक बिना किसी शिथिलता के लगातार पूरे जोश से धक्का लगाना उनकी उम्र मे किसी के वश का नही होता. ऐसा लग रहा था की उनकी उम्र मानो घट कर आधे से भी कम रह गयी हो. मैं अब तक तीन बार स्खलित हो चुकी यही मगर उनका एक बार भी स्खलन नही हुआ था.
मैं तो हाँफने लगी थी मगर वो लगातार धक्के मारे जा रहे थे. पंद्रह मिनिट बाद वो रुके और अपना लिंग बाहर खींचा उनके लिंग से मेरा वीर्य टपक रहा था.
“ मज़ा नही आ रहा है. बहुत ज़्यादा गीली हो गयी है. चल इसे साफ कर.” उन्हों ने अपने लंड की ओर इशारा किया.
“ मज़ा नही आ रहा है? इधर मेरी जान निकाल कर रख दी और आपको मज़ा नही आ रहा है. ऑफ कितना बड़ा है आपका. जैसा आपका लंड वैसा ही आपकी ताक़त. मैं तो हार गयी आपके जोश के सामने.” मैने उनके हाथ से कपड़ा ले कर उनके लिंग को पोन्छ्ते हुए कहा.
“ अब अपनी योनि को भी साफ कर. जितना सूखा रहेगा घिसाई का उतना ही अहसास होगा और घिसाई मे ही तो मज़ा है.” स्वामी जी ने कहा.
मैने उस कपड़े से अपनी योनि को भी साफ किया. स्वामी जी वापस बिस्तर पर उठ कर लेट गये.
“ चाल आजा अब तू अपना हूनर दिखा.” उनका खड़ा लंड मुझे आमंत्रण दे रहा था. मैं उठ कर उनके पास आइ. और मैने उनके लंड को अपनी मुट्ठी मे भर कर दो बार सहलाया. फिर अपनी जीभ निकाल कर पूरे लंड पर उपर से नीचे तक चाटने लगी. उनके लिंग को चाटते हुए मुझे अपने ही वीर्य का स्वाद मिल रहा था. मैने अपने दोनो होंठों को गोल किया और उन्हे उनके लिंग के उपर लगा दिया. फिर अपनी जीभ को हल्की सी निकाल कर उनके लिंग के उपर के छेद को छेड़ने लगी. उनके उस छेद से गढ़ा गाढ़ा प्रेकुं निकल रहा था जिसे मैं चाट कर सॉफ कर रही थी.
“ नही और नही…वरना मेरा स्खलन बाहर ही हो जाएगा.” स्वामी जी ने कहा.
“ बस कुच्छ देर और रोक लो. मुझे इस मूसल को कुच्छ और प्यार कर लेने दो. “ मैने कहा. मैने अपना मुँह खोला और उनके लंड को अपने मुँह मे भर कर चूसने लगी. जब उनका लंड झटके खाने लगा तो मैने उसे मुँह से निकाल लिया जिससे उत्तेजना कुच्छ कम हो जाए.
फिर मैने उठ कर उनकी कमर के दोनो ओर अपने घुटने रख कर उनके लिंग को अपनी हाथों से थामा. फिर एक हाथ से अपनी योनि का मुँह खोला और दूसरे हाथ से उनके लंड को अपनी योनि पर सेट किया. सूख जाने के कारण कुच्छ देर लगी उनके लिंग को सही जगह पर सेट करने मे.
फिर मैं उनके उपर झुक कर अपनी दोनो हथेलिया उनके सीने पर रख कर उनके सीने पर उगे घने बालों को सहलाने लगी. साथ साथ अपनी कमर को उनके लिंग पर नीचे करे लगी. उसके लंड को एक झटके मे ना लेकर धीरे धीरे अंदर करने लगी.
मेरी योनि और उनका लंड दोनो सूखे होने की वजह से उनका लंड लंड मेरी योनि की दीवारों को घिसता हुआ अंदर जा रहा था. ऐसा लग रहा था मानो किसी खुरदूरी चीज़ से मेरी योनि की दीवारों को घिसा जा रहा हो. योनि मे वापस दर्द की लहर उठने लगी. जब उनका लंड पूरा अंदर हो गया तो मैने स्वामी जी की तरफ देखा.
“ मज़ा आ गया जब तक लिंग को योनि के साथ रगडे जाने का अहसास ना हो तब तक मज़ा ही नही आता है. आज के लोग कॉंडम लगा कर पता नही कैसे मज़ा ले पाते हैं. असली मज़ा तो बदन से बदन का मिलन ही देता है.” स्वामी जी ने मेरी लटकते हुए स्तनो को अपने हाथों से सहलाया. मैं अब उनके लंड पर अपनी योनि को आगे पीछे करने लगी. अब धीरे धीरे दर्द कम होकर वापस मज़ा आने लगा.
मैं भी घने बालों मे छिपी उनकी छतियो को सहलाने लगी. मैं अपने दोनो हाथों से उन्हे मसल रही थी. वो मेरे स्तनो को मसले जा रहे थे और मैं उनके. मैं उनके लंड पर धक्के देती देती नीचे झुकी और उनके सीने को चूमने लगी. अपनी जीभ से उनके मटर के दाने जैसे उभरे निपल्स को छेड़ने लगी.
“ आपकी चूचियो का साइज़ भी लाजवाब है. मानो तेरह साल की किसी बच्ची के स्तन हों.” मैने उनकी छातियो पर अपने दाँत गढ़ाते हुए कहा.
“हाहाहा…..लेकिन कुच्छ भी करो. कितनी भी मेहनत करो इनमे रस नही आएगा.” स्वामी जी ने कहा.
“ अच्च्छा? लेकिन कोशिश करने मे क्या बुराई है. कोशिश तो कर ही सकते हैं.” मैने उन्हे छेड़ते हुए कहा. मैं उनकी एक छाती को अपने मुँह मे भर कर चूसने लगी जिस तरह उन्हों ने मेरे स्तनो को चूसा था.
मैं अपनी योनि के मुस्सलेस से उनके लिंग को बुरी तरह जाकड़ रखी थी. और ज़ोर ज़ोर से अपनी कमर को उपर नीचे कर उनके लिंग को दूह रही थी. पाँच मिनिट्स तक इसी तरह चोदने के बाद मैं अपने घुटनो को मॉस कर उनके लिंग पर उकड़ू होकर बैठ गयी. और अपने घुटनो पर अपने दोनो हाथों को रख कर उनके लंड को वापस घिसने लगी. वो मेरे हमलों से अपना बचाव नही कर पाए और कुच्छ ही देर मे उन्हों ने मुझे अपने लंड से उठा कर बिस्तर पर पटक दिया और वापस मेरे उपर आकर अपने लिंग को जड़ तक मेरी योनि मे डालकर मेरे एक स्तन पर अपने दाँत गढ़ा दिए. मैने भी अपनी टाँगों का हार उनके कमर के इर्दगिर्द डाल दिया और उन्हे अपनी बाँहों मे जाकड़ कर अपने नाख़ून उनकी पीठ पर गढ़ा दिए.
उनके लिंग से वीर्य की धार फूट पड़ी. मेरे लिए उनका इशारा ही काफ़ी था. मैं चौथी बार उनके साथ ही झाड़ गयी.
मेरी कोख के हर कोने को उन्हों ने लबालब भर दिया. इतना वीर्य निकला उनके लंड से की जब उनका लिंग ढीला होकर बाहर निकला तो उनके लिंग के साथ साथ ढेर सारा वीर्य मेरी योनि से छलक कर बाहर निकल्ने लगा. मलाई की तरह उनका वीर्य मेरी योनि से बाहर निकल कर दोनो नितंबों के बीच से बहता हुया नीचे चादर पर ढेर हो रहा था.
हम दोनो लेटे हुए एक दूसरे को चूम रहे थे, चाट रहे थे.
हम दोनो बिस्तर पर लेटे किसी नये जोड़े की तरह चूमा चॅटी मे व्यस्त थे. स्वामी जी सेक्स के मामले मे इतने निपुण थे की उनके पास आकर कठोर से कठोर महिला भी अपने जिस्म पर से काबू खो बैठती थी.
उनको किसी महिला के जिस्म मे कौन कौन से पायंट्स होते हैं जिनको छेड़ने से पूरे जिस्म मे करेंट दौड़ जाता था, के बारे मे पूरी जानकारी थी. इसलिए किसी महिला को अपने वश मे कर लेना उनके लिए सिर्फ़ चुटकी भर का काम था. उनकी आँखों मे, उनके होंठों मे उनके जिस्म मे इतनी तीव्र सम्मोहन शक्ति थी कि अगर कोई महिला एक बार उनके संपर्क मे आती तो जिंदगी भर के लिए उनकी गुलाम बन कर रह जाती. मैं भी उनकी गुलाम बन कर रह गयी थी.
क्रमशः............
गतान्क से आगे...
उसके बाद शुरू हुआ धक्कों का सिलसिला. लगातार और बिना कोई रफ़्तार मे कमी आए वो लगभग बीस मिनिट तक मेरे बदन के उपर दंड पेलते रहे. ऐसा लग रहा था मानो वो कोई हाड़ माँस के व्यक़्ति ना हो कर सेक्स की मशीन हों.
इस दौरान हम दोनो ही पसीने से लटपथ हो गये थे. ए.सी. से कमरा बिल्कुल ठंडा था मगर वो भी हमारी गर्मी कम करने मे असमर्थ हो रहा था. बीस मिनिट बाद वो रुके और अपने लंड को मेरी योनि से खींच कर बाहर निकला. उनका लंड मेरे योनि रस से पूरा भीगा हुआ था. उससे चासनी की तरह कर्मस तार बनाते हुए टपक रहा था. मैने अपनी आँखें खोली. अब वो मेरी बगल मे लेट गये और मुझे दूसरी तरफ करवट लेने के लिए कहा.
मैने दाई तरफ करवट ले कर अपनी पीठ उनकी ओर कर दी. मैने अपनी टाँगो को छाती से लगा लिया और अपने नितंबों को उनकी ओर थेल दिया. वो मेरी पीठ से चिपक गये और पीच्चे से मेरी योनि मे अपना लंड डाल कर धक्के मरने लगे. अब हम दोनो अगल बगल लेटे हुए थे. वो पीछे की ओर से मुझे धक्के मार रहे थे. साथ साथ मेरे दोनो स्तनो को अपनी मुट्ठी मे भर कर मसल्ते जा रहे थे.
इस तरह उन्हे काफ़ी आराम मिल रहा था क्योंकि मेहनत कम करनी पड़ रही थी धक्के लगाने मे. वो उसी तरह पाँच दस मिनिट तक धक्के लगाते रहे. उनके धक्को मे कुच्छ शिथिलता आ गयी थी वो अब ख़तम हो गयी.
कुच्छ देर तक इस तरह करने के बाद वो वापस पूरे जोश मे आ गये. उन्हों ने मुझे उठा कर चौपाया बनाया. मैं तीन तकियों को एक के उपर एक रख कर उन्हे अपने पेट के नीचे रख कर अपने उपरी शरीर को बिस्तर पर लिटा दिया. इस तरह मेरे नितंब उँचे हो गये. मैं बिना किसी सहारे के भी अब चौपाया बनी हुई थी. उन्हों ने मेरे पीछे आकर मेरी योनि मे अपना लंड डाल दिया. उसके बाद दनादन धक्कों की बोच्चार शुरू हो गयी. हर धक्के के साथ मैं बुरी तरह हिल रही थी. मेरे रेशमी घने बाल मेरे पूरे चेहरे को ढँक लिए थे मैं उत्तेजना मे अपने दोनो पंजे गद्दे मे गढ़ा कर मुत्ठियों मे भर रखी थी और दाँतों मे एक तकिये को भींच रखा था. वो मेरे पीछे घुटनो के बल बैठ कर अगले पाँच मिनिट तक बिना रुके धक्के मारते रहे. फिर वो खड़े होकर अपने पैरों को घुटनो से मोड़ लिया और अपने दोनो हाथ मेरी पीठ पर रख कर धाकी लगाने लगे.इस वक़्त उनका लिंग मेरी योनि मे उपर से अंदर घुस रहा था. पता ही नही चल रहा था कितनी देर तक वो इस तरह मुझे चोद्ते रहे.
कुच्छ देर तक इसी तरह चोद्ते रहने के बाद उन्हों ने अपने लिंग को वापस बाहर निकाला. फिर उन्हों ने मुझे उसी अवस्था मे बिस्तर के किनारे तक खींच लिया. मैं अब बिस्तर के एक दम किनारे अपने घुटनो को टीका कर चौपाया बनी हुई थी.
अब वो ज़मीन पर खड़े हो गये. इस अवस्था मे मेरी योनि उनके लंड के लेवेल पर थी. वो खड़े हो कर मेरी योनि मे एक ही धक्के मे वापस अपने लिंग को डाल कर पूरी ताक़त से दस मिनिट तक मुझे झींझोड़ते रहे. इतनी देर से लगातार चोदने के बाद भी उनके लिंग मे थोड़ा सा भी ढीलापन नही आया था. उनका लिंग अभी तक मेरी योनि को फैला रखा था. इस पोज़िशन मे लिंग सबसे ज़्यादा अंदर तक घुस रहा था. मुझे अपनी योनि मे उनके लिंग का अहसास सातवें आसमान पर चढ़ा रहा था.
पंद्रह मिनिट तक बिना किसी शिथिलता के लगातार पूरे जोश से धक्का लगाना उनकी उम्र मे किसी के वश का नही होता. ऐसा लग रहा था की उनकी उम्र मानो घट कर आधे से भी कम रह गयी हो. मैं अब तक तीन बार स्खलित हो चुकी यही मगर उनका एक बार भी स्खलन नही हुआ था.
मैं तो हाँफने लगी थी मगर वो लगातार धक्के मारे जा रहे थे. पंद्रह मिनिट बाद वो रुके और अपना लिंग बाहर खींचा उनके लिंग से मेरा वीर्य टपक रहा था.
“ मज़ा नही आ रहा है. बहुत ज़्यादा गीली हो गयी है. चल इसे साफ कर.” उन्हों ने अपने लंड की ओर इशारा किया.
“ मज़ा नही आ रहा है? इधर मेरी जान निकाल कर रख दी और आपको मज़ा नही आ रहा है. ऑफ कितना बड़ा है आपका. जैसा आपका लंड वैसा ही आपकी ताक़त. मैं तो हार गयी आपके जोश के सामने.” मैने उनके हाथ से कपड़ा ले कर उनके लिंग को पोन्छ्ते हुए कहा.
“ अब अपनी योनि को भी साफ कर. जितना सूखा रहेगा घिसाई का उतना ही अहसास होगा और घिसाई मे ही तो मज़ा है.” स्वामी जी ने कहा.
मैने उस कपड़े से अपनी योनि को भी साफ किया. स्वामी जी वापस बिस्तर पर उठ कर लेट गये.
“ चाल आजा अब तू अपना हूनर दिखा.” उनका खड़ा लंड मुझे आमंत्रण दे रहा था. मैं उठ कर उनके पास आइ. और मैने उनके लंड को अपनी मुट्ठी मे भर कर दो बार सहलाया. फिर अपनी जीभ निकाल कर पूरे लंड पर उपर से नीचे तक चाटने लगी. उनके लिंग को चाटते हुए मुझे अपने ही वीर्य का स्वाद मिल रहा था. मैने अपने दोनो होंठों को गोल किया और उन्हे उनके लिंग के उपर लगा दिया. फिर अपनी जीभ को हल्की सी निकाल कर उनके लिंग के उपर के छेद को छेड़ने लगी. उनके उस छेद से गढ़ा गाढ़ा प्रेकुं निकल रहा था जिसे मैं चाट कर सॉफ कर रही थी.
“ नही और नही…वरना मेरा स्खलन बाहर ही हो जाएगा.” स्वामी जी ने कहा.
“ बस कुच्छ देर और रोक लो. मुझे इस मूसल को कुच्छ और प्यार कर लेने दो. “ मैने कहा. मैने अपना मुँह खोला और उनके लंड को अपने मुँह मे भर कर चूसने लगी. जब उनका लंड झटके खाने लगा तो मैने उसे मुँह से निकाल लिया जिससे उत्तेजना कुच्छ कम हो जाए.
फिर मैने उठ कर उनकी कमर के दोनो ओर अपने घुटने रख कर उनके लिंग को अपनी हाथों से थामा. फिर एक हाथ से अपनी योनि का मुँह खोला और दूसरे हाथ से उनके लंड को अपनी योनि पर सेट किया. सूख जाने के कारण कुच्छ देर लगी उनके लिंग को सही जगह पर सेट करने मे.
फिर मैं उनके उपर झुक कर अपनी दोनो हथेलिया उनके सीने पर रख कर उनके सीने पर उगे घने बालों को सहलाने लगी. साथ साथ अपनी कमर को उनके लिंग पर नीचे करे लगी. उसके लंड को एक झटके मे ना लेकर धीरे धीरे अंदर करने लगी.
मेरी योनि और उनका लंड दोनो सूखे होने की वजह से उनका लंड लंड मेरी योनि की दीवारों को घिसता हुआ अंदर जा रहा था. ऐसा लग रहा था मानो किसी खुरदूरी चीज़ से मेरी योनि की दीवारों को घिसा जा रहा हो. योनि मे वापस दर्द की लहर उठने लगी. जब उनका लंड पूरा अंदर हो गया तो मैने स्वामी जी की तरफ देखा.
“ मज़ा आ गया जब तक लिंग को योनि के साथ रगडे जाने का अहसास ना हो तब तक मज़ा ही नही आता है. आज के लोग कॉंडम लगा कर पता नही कैसे मज़ा ले पाते हैं. असली मज़ा तो बदन से बदन का मिलन ही देता है.” स्वामी जी ने मेरी लटकते हुए स्तनो को अपने हाथों से सहलाया. मैं अब उनके लंड पर अपनी योनि को आगे पीछे करने लगी. अब धीरे धीरे दर्द कम होकर वापस मज़ा आने लगा.
मैं भी घने बालों मे छिपी उनकी छतियो को सहलाने लगी. मैं अपने दोनो हाथों से उन्हे मसल रही थी. वो मेरे स्तनो को मसले जा रहे थे और मैं उनके. मैं उनके लंड पर धक्के देती देती नीचे झुकी और उनके सीने को चूमने लगी. अपनी जीभ से उनके मटर के दाने जैसे उभरे निपल्स को छेड़ने लगी.
“ आपकी चूचियो का साइज़ भी लाजवाब है. मानो तेरह साल की किसी बच्ची के स्तन हों.” मैने उनकी छातियो पर अपने दाँत गढ़ाते हुए कहा.
“हाहाहा…..लेकिन कुच्छ भी करो. कितनी भी मेहनत करो इनमे रस नही आएगा.” स्वामी जी ने कहा.
“ अच्च्छा? लेकिन कोशिश करने मे क्या बुराई है. कोशिश तो कर ही सकते हैं.” मैने उन्हे छेड़ते हुए कहा. मैं उनकी एक छाती को अपने मुँह मे भर कर चूसने लगी जिस तरह उन्हों ने मेरे स्तनो को चूसा था.
मैं अपनी योनि के मुस्सलेस से उनके लिंग को बुरी तरह जाकड़ रखी थी. और ज़ोर ज़ोर से अपनी कमर को उपर नीचे कर उनके लिंग को दूह रही थी. पाँच मिनिट्स तक इसी तरह चोदने के बाद मैं अपने घुटनो को मॉस कर उनके लिंग पर उकड़ू होकर बैठ गयी. और अपने घुटनो पर अपने दोनो हाथों को रख कर उनके लंड को वापस घिसने लगी. वो मेरे हमलों से अपना बचाव नही कर पाए और कुच्छ ही देर मे उन्हों ने मुझे अपने लंड से उठा कर बिस्तर पर पटक दिया और वापस मेरे उपर आकर अपने लिंग को जड़ तक मेरी योनि मे डालकर मेरे एक स्तन पर अपने दाँत गढ़ा दिए. मैने भी अपनी टाँगों का हार उनके कमर के इर्दगिर्द डाल दिया और उन्हे अपनी बाँहों मे जाकड़ कर अपने नाख़ून उनकी पीठ पर गढ़ा दिए.
उनके लिंग से वीर्य की धार फूट पड़ी. मेरे लिए उनका इशारा ही काफ़ी था. मैं चौथी बार उनके साथ ही झाड़ गयी.
मेरी कोख के हर कोने को उन्हों ने लबालब भर दिया. इतना वीर्य निकला उनके लंड से की जब उनका लिंग ढीला होकर बाहर निकला तो उनके लिंग के साथ साथ ढेर सारा वीर्य मेरी योनि से छलक कर बाहर निकल्ने लगा. मलाई की तरह उनका वीर्य मेरी योनि से बाहर निकल कर दोनो नितंबों के बीच से बहता हुया नीचे चादर पर ढेर हो रहा था.
हम दोनो लेटे हुए एक दूसरे को चूम रहे थे, चाट रहे थे.
हम दोनो बिस्तर पर लेटे किसी नये जोड़े की तरह चूमा चॅटी मे व्यस्त थे. स्वामी जी सेक्स के मामले मे इतने निपुण थे की उनके पास आकर कठोर से कठोर महिला भी अपने जिस्म पर से काबू खो बैठती थी.
उनको किसी महिला के जिस्म मे कौन कौन से पायंट्स होते हैं जिनको छेड़ने से पूरे जिस्म मे करेंट दौड़ जाता था, के बारे मे पूरी जानकारी थी. इसलिए किसी महिला को अपने वश मे कर लेना उनके लिए सिर्फ़ चुटकी भर का काम था. उनकी आँखों मे, उनके होंठों मे उनके जिस्म मे इतनी तीव्र सम्मोहन शक्ति थी कि अगर कोई महिला एक बार उनके संपर्क मे आती तो जिंदगी भर के लिए उनकी गुलाम बन कर रह जाती. मैं भी उनकी गुलाम बन कर रह गयी थी.
क्रमशः............