गन्ने की मिठास--38
गतान्क से आगे......................
मैने सोचा अब क्या करू, तभी चंदा की नज़र मुझ पर पड़ गई और मैने उसे चुप रहने का इशारा करते हुए
उसे चुपके से अपने पास बुला लिया और फिर उससे मैने पुछा तेरे बाबा कहाँ है,
चंदा- वह तो रामू भैया के साथ तालाब की ओर गये है और कह रहे थे कि आपसे मिलने जा रहे है, मैने
पुछा क्या रामू की तबीयत ठीक हो गई है तब चंदा ने कहा हाँ रामू भैया अब बिल्कुल ठीक है, मैं उल्टे पाँव
तालाब की ओर चल दिया तब मुझे दोनो एक पेड़ के नीचे बैठे नज़र आ गये और मैं उनके पास पहुच गया,
हरिया- आइए बाबूजी, कल तो आप बिना मिले ही चले गये मैं कितनी देर तक आपकी राह देखता रहा,
राज- अरे हरिया दोस्त कल बगीचे मे ही बहुत देर हो गई थी और मैने सोचा अब तुम्हे क्यो परेशान करू इसलिए
मैं सीधे घर चला गया था,
हरिया- मुस्कुराते हुए फिर बाबू जी कल तो आपको मज़ा आ गया होगा
राज- हाँ हरिया कल जैसा मज़ा तो भूल नही सकता हू वाकई बहुत मज़ा आया मुझे संगीता को चोद कर,
रामू- बाबूजी हमे भी अपनी बहन निम्मो को चोदने मे बड़ा मज़ा आता था,
हरिया- हमे भी बाबूजी तरह तरह की औरतो को चोदने मे बड़ा मज़ा आता है,
राज- हरिया और रामू तुम दोनो को मेरे लिए एक काम करना होगा,
हरिया- आप बोलिए तो सही बाबूजी हम दोनो आपके लिए हमेशा तैयार है, क्यो रामू
रामू- बिल्कुल काका, बोलिए बाबूजी क्या बात है,
राज- तो फिर मेरी बात बड़े ध्यान से सुनना और जो मैं कह रहा हू उसमे ज़रा भी चूक नही होनी चाहिए एक बार
यह प्लान सक्सेस हो गया फिर तो मज़ा आ जाएगा और फिर मैने उन दोनो को बड़े बारीकी से अपने प्लान के बारे मे
सभी बाते समझा कर मैं वहाँ से वापस घर आ गया घर आने के बाद मैने कुच्छ ज़रूरी काम निपटाने के
बाद अगले दिन मैं सुबह सुबह साइट पर जाने से पहले सीधे अपने नौटंकी वाले दोस्त राजन के पास पहुच गया,
राजन- क्या बात है राज बहुत दिनो बाद दोस्त की याद आई है ज़रूर साले कुच्छ काम होगा मुझसे,
राज- अबे बिना काम के भला मैं तुझे क्यो परेशान करने लगा,
राजन- चल अब ज़्यादा होशियारी मत दिखा और मुद्दे की बात कर जिसके लिए तू यहाँ आया है,
राज- यार राजन मुझे एक दिन के लिए दो जोड़े वह ड्रेस चाहिए जिन्हे पहन कर तू डाकू बनता है और साथ मे तेरी
वह नकली बंदूक भी चाहिए,
राजन-अबे तू कोई फिल्म तो नही बना रहा है पहले साधु के कपड़े ले गया अब डाकू के कपड़े लेने आया है लगता
है तू साधु और डाकू नाम की फिल्म बना रहा है,
राज- हस्ते हुए अरे नही यार बस यह समझ ले थोड़ी सी आक्टिंग हमे भी करने का मन कर रहा है बस तू जल्दी
से सारा समान निकाल दे, उसके बाद राजन ने मुझे जो जो समान की ज़रूरत थी वह निकाल कर दे दिया,
वहाँ से मैं साइट पर पहुच गया और फिर सीधे हरिया और रामू के खेतो मे जा पहुचा उसके बाद मैने सभी
समान हरिया और रामू को देते हुए उन्हे सारी बाते समझाने लगा,
हरिया- एक बात समझ मे नही आ रही बाबूजी, इतना सब करने के बजाय आप अपने घर मे ही अपनी मम्मी को
फसा कर चोदने की कोशिश क्यो नही कर रहे है, क्यो कि जो आइडिया आप बता रहे है वह थोड़ा कठिन है,
राज- देखो हरिया मैं अच्छी तरह जानता हू मेरी मम्मी सीधी तरह अपनी चूत नही मरवाने वाली है इसलिए
हमे यह करना ही पड़ेगा, तुम लोग ठीक समय पर पहुच जाना और अच्छी आक्टिंग करना, प्लानिन्नग मेरी
ख़तरनाक ज़रूर थी लेकिन थी सटीक, जैसे तैसे मैने दिन काटा और फिर अपने घर पहुच गया,
गन्ने की मिठास compleet
Re: गन्ने की मिठास
रात को मैं और संगीता छत पर खड़े होकर बाते कर रहे थे और संगीता को मस्ती सूझ रही थी और उसने लूँगी
मे हाथ डाल कर मेरे लंड को मसल्ते हुए कहा
संगीता- भैया कितने दिनो से तुमने मुझे पूरी नंगी करके चोदा नही है, और फिर बच्चो जैसा मूह बना कर
कहने लगी आपको ज़रा भी ख्याल नही है अपनी बहन का, मैने उसके गालो को खिचते हुए उसके मोटे मोटे दूध
को मसल्ते हुए कहा,
राज- मेरी रानी कल से तुझे मैं घर मे ही चोदुन्गा, कल से तू चाहे जब अपने भैया का लंड ले सकती है
संगीता- उच्छल कर मुझे चूमती हुई वाह भैया पर ऐसा क्या करने वाले हो कि हमे मम्मी का भी डर नही
रहेगा,
राज- मेरी रानी कल से हम चुदाई करेगे लेकिन बिना डर के और फिर मैने संगीता के रसीले होंठो को अपने मूह
मे भर कर चूस्ते हुए उसके मोटे मोटे दूध को खूब कस कस कर दबाना शुरू कर दिया, संगीता ने मुझसे
जानने की कोशिश की लेकिन मैने उसे बाद मे बताने का कह कर टाल दिया और फिर मैं मम्मी के रूम मे जाने
लगा,
मेरी तो हालत ऐसी थी कि मेरा लंड सिर्फ़ मम्मी का सुंदर चेहरा देख कर ही खड़ा होने लगा था फिर अभी
तो मम्मी मेरे सामने ही खड़ी थी,
रति- आ राज वहाँ क्यो खड़ा है बेटे,
मैं मोम के पास गया और उनके सामने बिस्तेर पर बैठ गया वह आराम से तकिये पर सर रख कर लेटी हुई थी,
मैने मम्मी के एक पेरो की गोरी पिंडलियो को पकड़ कर कहा, मम्मी कल सुबह आप रेडी हो जाना मैं आपको
भी अपनी साइट दिखाना चाहता हू, बहुत अच्छी जगह है आप बहुत खुश होगी वहाँ जाकर,
और फिर मैने उनकी
पिंदलियो को दबाते हुए कहा, क्या कहती है बोलिए,
रति- मुश्कूराते हुए, क्या बात है तुझे आज कल अपनी मम्मी का बड़ा ख्याल रहता है, मुझे भी ऐसी जगहो पर
घूमना खूब अच्छा लगता है जहा खेत, छ्होटे मोटे जंगल और बाग बगीचे हो, कल हम वहाँ ज़रूर जाएगे
बेटा, लेकिन राज यह बता कल मैं कपड़े कौन से पहनु,
मम्मी की यह बात सुन कर मैने मन मे सोचा मेरी रानी चाहे जो कपड़े पहन लेना उतारना तो है ही और फिर
मैने मम्मी को कहा आप जो भी पहन लो मम्मी चलेगा क्योकि गाँव मे इतने लोग आपको नही दिखाई देंगे,
मे हाथ डाल कर मेरे लंड को मसल्ते हुए कहा
संगीता- भैया कितने दिनो से तुमने मुझे पूरी नंगी करके चोदा नही है, और फिर बच्चो जैसा मूह बना कर
कहने लगी आपको ज़रा भी ख्याल नही है अपनी बहन का, मैने उसके गालो को खिचते हुए उसके मोटे मोटे दूध
को मसल्ते हुए कहा,
राज- मेरी रानी कल से तुझे मैं घर मे ही चोदुन्गा, कल से तू चाहे जब अपने भैया का लंड ले सकती है
संगीता- उच्छल कर मुझे चूमती हुई वाह भैया पर ऐसा क्या करने वाले हो कि हमे मम्मी का भी डर नही
रहेगा,
राज- मेरी रानी कल से हम चुदाई करेगे लेकिन बिना डर के और फिर मैने संगीता के रसीले होंठो को अपने मूह
मे भर कर चूस्ते हुए उसके मोटे मोटे दूध को खूब कस कस कर दबाना शुरू कर दिया, संगीता ने मुझसे
जानने की कोशिश की लेकिन मैने उसे बाद मे बताने का कह कर टाल दिया और फिर मैं मम्मी के रूम मे जाने
लगा,
मेरी तो हालत ऐसी थी कि मेरा लंड सिर्फ़ मम्मी का सुंदर चेहरा देख कर ही खड़ा होने लगा था फिर अभी
तो मम्मी मेरे सामने ही खड़ी थी,
रति- आ राज वहाँ क्यो खड़ा है बेटे,
मैं मोम के पास गया और उनके सामने बिस्तेर पर बैठ गया वह आराम से तकिये पर सर रख कर लेटी हुई थी,
मैने मम्मी के एक पेरो की गोरी पिंडलियो को पकड़ कर कहा, मम्मी कल सुबह आप रेडी हो जाना मैं आपको
भी अपनी साइट दिखाना चाहता हू, बहुत अच्छी जगह है आप बहुत खुश होगी वहाँ जाकर,
और फिर मैने उनकी
पिंदलियो को दबाते हुए कहा, क्या कहती है बोलिए,
रति- मुश्कूराते हुए, क्या बात है तुझे आज कल अपनी मम्मी का बड़ा ख्याल रहता है, मुझे भी ऐसी जगहो पर
घूमना खूब अच्छा लगता है जहा खेत, छ्होटे मोटे जंगल और बाग बगीचे हो, कल हम वहाँ ज़रूर जाएगे
बेटा, लेकिन राज यह बता कल मैं कपड़े कौन से पहनु,
मम्मी की यह बात सुन कर मैने मन मे सोचा मेरी रानी चाहे जो कपड़े पहन लेना उतारना तो है ही और फिर
मैने मम्मी को कहा आप जो भी पहन लो मम्मी चलेगा क्योकि गाँव मे इतने लोग आपको नही दिखाई देंगे,
Re: गन्ने की मिठास
रति- फिर भी राज तुझे क्या अच्छा लगता है तू बता दे मैं वही पहन लेती हू,
राज- ओके मम्मी आप साडी और ब्लौज पहन कर चलो
रति- ओके यह ठीक रहेगा,
चूँकि संगीता रात को मम्मी के साथ ही सोती थी इसलिए उसे रात मे भी चोदना मुश्किल रहता था रात जैसे तैसे
कटी और सुबह मैं जल्दी से तैयार हो गया और उधर मम्मी तो बिल्कुल लाल साडी और ब्लौज मे दुल्हन की तरह नज़र
आ रही थी, मम्मी ने संगीता को घर मे ही रहने की हिदायत देते हुए मेरी बाइक पर बैठ कर मेरे साथ चल
दी,
सीट पर बिल्कुल जगह नही थी मम्मी के भारी चूतादो ने पूरी गाड़ी की सीट को कवर कर लिया था, मम्मी जब
बैठी थी तो आधी मेरे उपर ही टिकी हुई थी और उनके जिस्म से एक बड़ी चुदास वाली गंध आ रही थी और उनके
मुलायम बदन के स्पर्श से मैं काफ़ी अच्छा महसूस कर रहा था,
हम मज़े मे चलते हुए आ रहे थे जब मैं रोड से नीचे गाँव का कच्चा रास्ता चालू हुआ तो वह आम के
बड़े से बगीचे जहाँ संगीता चुदी थी उसी बगीचे मे काफ़ी सन्नाटा था और मैं अपनी बाइक बड़े धीरे चलाते
हुए चला जा रहा था मा भी सामने देख रही थी इतने मे सामने के पेड़ से दो आदमी हमारे सामने कूदे और
मैने बाइक रोक दी और मम्मी एक दम से नीचे उतर गई, सामने हरिया और रामू डाकू वाला भेष बना कर
बंदूक लिए खड़े थे हरिया तो शकल से ही डकैत नज़र आ रहा था,
हरिया ने मेरे गले पर बंदूक की नली अड़ा दी और कहने लगा,
हरिया- क्यो बे लोंडे इस मस्त लोंड़िया को ले कर कहाँ जंगल मे चला जा रहा है,
राज- इज़्ज़त से बोलो वह मेरी मा है
हरिया- बहुत खराब मूह बना कर, अबे साले हमे चोदना सिखाता है ज़रा सी उंगली दबा दी तो दो मिनिट मे
तोहरी गर्दनिया मे होल बन जाएगा, और फिर हरिया ने रामू की ओर देख कर, क्यो करिया मोड़ दे अपनी उंगली,
रामू- ज़्यादा टे टे करे सरदार तो मोड़ दो, साले यही ढेर हो जाएगे,
रति- कौन हो तुम लोग और क्या चाहते हो,
मम्मी काफ़ी डर रही थी और मुझसे बिल्कुल सॅट कर मुझे पकड़ कर खड़ी थी,
हरिया- ठहाका लगा कर हस्ते हुए रामू की ओर देख कर उसकी पीठ मे मारते हुए, अरे करिया देख ये मस्तानी
लोंड़िया कैसे हमसे मज़ाक कर रही है, साली के सामने डाकू खड़ा है और यह पुच्छ रही है कौन हो तुम हा हा
हा हा हा .........हा ....
राज- देखो सरदार हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है हमारे पास तो धन दोलत भी नही है हमे जाने दो,
हरिया- देख लोंडे हम डाकू ज़रा अलग किसम के है, हमे तुझे लूटना होता तो अब तक धाय से गोली दाग कर लूट
कर चले जाते बट का है ना हम आदमी ज़रा दूजे किसम के है, हमे तुम यह बता दो कि इस गदराए माल को लेकर
कहाँ जा रहे हो,
राज- ओके मम्मी आप साडी और ब्लौज पहन कर चलो
रति- ओके यह ठीक रहेगा,
चूँकि संगीता रात को मम्मी के साथ ही सोती थी इसलिए उसे रात मे भी चोदना मुश्किल रहता था रात जैसे तैसे
कटी और सुबह मैं जल्दी से तैयार हो गया और उधर मम्मी तो बिल्कुल लाल साडी और ब्लौज मे दुल्हन की तरह नज़र
आ रही थी, मम्मी ने संगीता को घर मे ही रहने की हिदायत देते हुए मेरी बाइक पर बैठ कर मेरे साथ चल
दी,
सीट पर बिल्कुल जगह नही थी मम्मी के भारी चूतादो ने पूरी गाड़ी की सीट को कवर कर लिया था, मम्मी जब
बैठी थी तो आधी मेरे उपर ही टिकी हुई थी और उनके जिस्म से एक बड़ी चुदास वाली गंध आ रही थी और उनके
मुलायम बदन के स्पर्श से मैं काफ़ी अच्छा महसूस कर रहा था,
हम मज़े मे चलते हुए आ रहे थे जब मैं रोड से नीचे गाँव का कच्चा रास्ता चालू हुआ तो वह आम के
बड़े से बगीचे जहाँ संगीता चुदी थी उसी बगीचे मे काफ़ी सन्नाटा था और मैं अपनी बाइक बड़े धीरे चलाते
हुए चला जा रहा था मा भी सामने देख रही थी इतने मे सामने के पेड़ से दो आदमी हमारे सामने कूदे और
मैने बाइक रोक दी और मम्मी एक दम से नीचे उतर गई, सामने हरिया और रामू डाकू वाला भेष बना कर
बंदूक लिए खड़े थे हरिया तो शकल से ही डकैत नज़र आ रहा था,
हरिया ने मेरे गले पर बंदूक की नली अड़ा दी और कहने लगा,
हरिया- क्यो बे लोंडे इस मस्त लोंड़िया को ले कर कहाँ जंगल मे चला जा रहा है,
राज- इज़्ज़त से बोलो वह मेरी मा है
हरिया- बहुत खराब मूह बना कर, अबे साले हमे चोदना सिखाता है ज़रा सी उंगली दबा दी तो दो मिनिट मे
तोहरी गर्दनिया मे होल बन जाएगा, और फिर हरिया ने रामू की ओर देख कर, क्यो करिया मोड़ दे अपनी उंगली,
रामू- ज़्यादा टे टे करे सरदार तो मोड़ दो, साले यही ढेर हो जाएगे,
रति- कौन हो तुम लोग और क्या चाहते हो,
मम्मी काफ़ी डर रही थी और मुझसे बिल्कुल सॅट कर मुझे पकड़ कर खड़ी थी,
हरिया- ठहाका लगा कर हस्ते हुए रामू की ओर देख कर उसकी पीठ मे मारते हुए, अरे करिया देख ये मस्तानी
लोंड़िया कैसे हमसे मज़ाक कर रही है, साली के सामने डाकू खड़ा है और यह पुच्छ रही है कौन हो तुम हा हा
हा हा हा .........हा ....
राज- देखो सरदार हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है हमारे पास तो धन दोलत भी नही है हमे जाने दो,
हरिया- देख लोंडे हम डाकू ज़रा अलग किसम के है, हमे तुझे लूटना होता तो अब तक धाय से गोली दाग कर लूट
कर चले जाते बट का है ना हम आदमी ज़रा दूजे किसम के है, हमे तुम यह बता दो कि इस गदराए माल को लेकर
कहाँ जा रहे हो,