हे भगवान! एक ही आदमी के कारण, चुदाई की प्यासी दो औरतें आपस मे लेज़्बीयन चुदाई कर के अपनी अपनी चुदाई की प्यास बुझाती है और उसमे से एक को तो पता भी नही है कि उसका पति उसकी लेज़्बीयन चुदाई की साथी को भी चोद्ता है. उसने मुझे बताया कि जब भी मंजीत सिंग ऑफीस के काम से बाहर जाता है तो वो नीता को अपनी पत्नी तनु के साथ रहने को कहता है ताकि तनु घर मे अकेली ना रहे और उसका मन लगा रहे.
वो दोनो रात को एक ही बिस्तर पर सोती थी और उन दोनो मे लेज़्बीयन चुदाई का सिलसिला तब शुरू हुआ जब एक रात को नींद मे ही दोनो ने एक दूसरी को अपनी बाहों मे लिया था. अब वो तनु के साथ बहुत खुश है और तनु भी उसके साथ बहुत खुश है. उसने मुझ से पूछा कि क्या मैने भी कभी लेज़्बीयन चुदाई की है? मैने उस को सच सच बताया कि मैने भी लेज़्बीयन चुदाई कई बार की है. मेरे मूह से मेरा कबूलनामा सुन कर वो बहुत खुश हो गई और उसकी आँखों मे मैने प्यार की चमक सॉफ सॉफ देखी. शायद मेरी तरह, जैसे मैं उसके साथ लेज़्बीयन चुदाई करना चाहती थी, वो भी मेरे साथ लेज़्बीयन चुदाई के लिए बेचैन थी. और मेरे लिए ये बहुत अच्छी बात थी.
मुझे बहुत आस्चर्य हुआ जब अचानक वो अपनी जगह से उठकर मेरे पास आई और मेरे मेरे गुलाबी गालों पर हाथ फेरने लगी और उस की उंगलियाँ मेरे होठों पर रेंगने लगी. तो उसने शुरुआत कर दी थी. मुझे पहल करने की कोई ज़रूरत नही पड़ी, उसने खुद ही पहल कर दी थी. मैने उसको रोकने की कोई कोशिश नही की. वो मुझे प्यार करती जा रही थी और उसने मुझे बताया कि जब से उसने मुझे पहली बार देखा था, तब से ही वो मुझे प्यार करने लग गई थी और वो कई दिनो से ऐसे ही किसी मौके की तलाश मे थी जब वो मेरे साथ लेज़्बीयन प्यार करे. तो आग दोनो तरफ बराबर लगी थी. मैं तो ये जान कर बहुत खुश हो गई थी. मैने अपने आप को उसकी बाहों मे ढीला छ्चोड़ दिया था और मैं गरम होने लगी. उसने मेरे होठों पर चुंबन दिया तो मैने उसका चुंबन मे पूरा साथ दिया. प्यार और चुदाई के जोश मे उसने मुझे कस कर अपनी बाहों मे ले लिया तो मैने भी उसके सेक्सी बदन को जाकड़ लिया.
उसके हाथ मेरे सेक्सी बदन को टटोलने लगे. बार बार उसके हाथ मेरी पीठ पर घूमते हुए मेरी गोल गोल गंद को दबाने लगे. उसने मेरे कान मेफुसफुसा कर कहा कि आज का दिन उसके लिए हमेशा याद रहने वाला दिन है. मैं भी उसकी प्यार की गर्मी मे पिघलती जा रही थी. मैं भी गरम होने लगी और मैने उस के गालों को चूमा, उसके कंधों पर हाथ फिराया, जहाँ जहाँ संभव हो सकता था उसके पूरे बदन पर हाथ फिराया. नीता ने कहा कि जब से उसने मुझे पहली बार देखा था, तब से वो इस मौके की तलाश मे थी कि मेरे साथ प्यार करे और आज उसकी तम्मन्ना पूरी हो गई थी. इसका मतलब वो भी उतनी ही बेकरार थी जितनी मैं बेकरार थी उसके साथ लेज़्बीयन चुदाई करने को. हम दोनो ने एक दूसरी को बेकरारी से चूमना शुरू कर दिया था.
उस ने सलाह दी कि सबसे पहले हम को अपने कपड़ों से आज़ाद हो जाना चाहिए. हाँ दोनो मेरे बेडरूम मे आई और हम ने ऐसा ही किया. उसने मेरा गाउन मेरी सेक्सी बदन से अलग कर दिया, मैने तो पहले से ही अपने गाउन के अंदर कुछ नही पहना था और मैं जान गई थी कि वो भी अपने कपड़ों के अंदर ब्रा और चड्डी नही पहने हुई है. मैने भी उसका टॉप और स्कर्ट उसके बदन से अलग कर दिया. अब हम दोनो एक दूसरी के सामने पूरी तरह नंगी खड़ी थी और हम एक दूसरी के नंगे सेक्सी बदन को निहारने लगे.
जब मेरे पति मुझे चोद्ते हैं तो ज़्यादातर मैं चुदाई मे बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती हूँ और ज़्यादातर लगता है जैसे मैं उनको चोद रही हूँ. मगर पता नही क्यों, इस बार मैं चाहती थी कि नीता का मेरी चुदाई मे मैन रोल हो. वो जैसे चाहे मेरे बदन से खेले, चाहे जैसे मुझे चोदे. नीता भी यही चाहती थी. उस ने मुझे बिस्तर पर लिटाया और और मेरे सेक्सी बदन को उपर से नीचे चाटने लगी जैसे बहुत प्यासी हो, बहुत भूखी हो. मैं चाहती थी की वो मुझे चुंबन दे ताकि हम एक दूसरे के मूह का स्वाद ले सकें. इसलिए मैने उसे अपने उपर खींच लिया और उस के होठों पर अपने होंठ रख दिए. मैने अपनी जीभ उसके मूह मे घुसा दी और मैने जैसे चूस्ते हुए उसके रसीले होठों को काट ही लिया. उस ने भी अपनी मीठी जीभ मेरे मूह मे डाल दी तो मैने उसकी जीभ को बहुत चूसा. वो मेरे उपर लेटी हुई थी और हम चुंबन कर रहे थे तो मैने अपने हाथ उसकी नंगी पीठ पर घुमाए और इस तरह मेरे हाथ उसकी नंगी, गोल गोल, प्यारी गंद पर पहुँचे. उस की कड़क चुचियाँ मेरी चुचियों को दबा रही थी. उसने थोड़ा उपर हो कर, चुंबन जारी रखते हुए ही मेरी चुचियों को अपने हाथों मे ले कर मसल दिया. उसने मेरी तनी हुई निप्पल्स को भी मसला. उसकी चूत बिल्कुल मेरी चूत के उपर थी. उसने मेरी टाँगों मे अपनी टाँगें फसा कर, अपनी गंद हिला कर अपनी चूत को मेरी चूत पर दबाया. लगता था जैसे हम दोनो की चूत आपस मे गले मिल रही हो. वो अपनी चूत को मेरी चूत से रगड़ने लगी. इस तरह हम दोनो की चूत का दाना एक दूसरी की चूत से कई बार मसला गया. हम दोनो की चूत से रस निकलने लगा था.
जुली को मिल गई मूली compleet
Re: जुली को मिल गई मूली
मैने जोश मे उसे नीचे गिरा कर उस पर सॉवॅर हो गई. मैने उसकी एक निप्पल को अपने मूह मे लिया और उसको किसी बच्चे की तरह चूसने लगी. उसका एक हाथ नीचे, हमारे बीच से, मेरी चूत तक पहुँचा और वो मेरी बिना बालों वाली फुददी पर हाथ फिराने लगी. मैने भी अपनी गंद उपर कर के उसका साथ दिया ताकि वो आराम से मेरी चूत पर हाथ फिरा सके. अचानक, उसने मेरी चूत के दाने को अपनी दो उंगलियों के बीच ले कर मसल दिया तो मेरे सारे बदन मे जैसे बिजली सी दौड़ गई. मेरे मूह से सिसकियाँ निकलने लगी, अजीब अजीब सी आवाज़ें निकलने लगी क्यों कि मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मेरा कोई भी बस अपने आप पर नही चल रहा था. नीता एक पर्फेक्ट चुड़क्कड़ थी. लेज़्बीयन चुदाई मे मास्टर थी वो. मैं अपने आप को रोक नही सकी और मैने नीता को नीचे पटक कर उस के उपर सवार हो गई. मैने उसकी गर्दन पर, चुचियों पर, पेट पर, उसके पूरे सेक्सी और नंगे बदन को चुंबन से भर दिया और मैं इसी तरह उसके बदन को चूमती हुई उसकी रसीली चूत तक पहुँची. नीता ने मुझे पकड़ कर घुमा दिया और हम दोनो 69 की पोज़िशन मे आ गई. मेरी चूत उसके मुँह के सामने थी और उसने मेरी गंद पकड़ कर मेरी रसीली फुद्दि को अपने मूह पर रखा लिया. मैं भी अपनी चूत उसके मूह पर रख कर अपनी गंद हिलाने लगी. और मैने जैसे ही अपनी जीभ उसकी फड़कती हुई चूत के बाच मे डाली, उसके बदन मे भी जैसे बिजली सी दौड़ गई. मैने उसके चूत के होठों को सॉफ सॉफ काँपते हुए महसूस किया. उसकी नन्ही सी चूत भी मेरी चूत की तरह पूरी तरह गीली हो चुकी थी और उस मे से रस बाहर निकल रहा था. यहाँ मैं आप को एक बात और बता दूं कि उसकी चूत पर भी मेरी चूत की तरह बाल बिल्कुल भी नही थे. शायद वो भी मेरी तरह अपनी चूत को हमेशा सफाचट रखती थी.
हम दोनो के सिर एक दूसरी की चूत के बीच मे घुसे हुए थे और हम दोनो ही एक दूसरी की चूत को बहुत ही प्यार से चाट रहे थे, चूस रहे थे. बीच बीच मे हम दोनो ही साँस लेने की लिए अपना अपना सिर उठा रही थी लेकिन ना तो मेरी चूत से उसकी जीभ बाहर निकली और ना ही उसकी चूत से मेरी जीभ बाहर निकली.
वो मेरी चूत चाट रही थी और मैं उसकी चूत चाट रही थी. वो मेरी गंद पर हाथ फिरा रही थी और मैं उसकी गंद पर हाथ फिरा रही थी. मैं कुछ ही देर मे झाड़ गई थी और जैसे मेरी चूत उस के मूह पर घूम रही थी, उस से मुझे पता चल रहा था कि मेरी चूत का रस उस के पूरे मूह पर लगा हुआ था. मैं तो जैसे अपनी जीभ उसकी चूत मे डाल कर किसी मर्द के लौडे की तरह अंदर बाहर कर के उसकी चूत को चोद रहे थी. वो भी अपनी गंद उठा उठा कर मज़े से चुद्वा रही थी. मैने भी इसी तरह उस को चोद चोद कर झाड़ दिया था और उसके चूत रस का स्वाद लेने लगी.
हम दोनो ही झाड़ चुकी थी और हम दोनो की तमन्ना पूरी हो गई थी क्यों कि हम दोनो ही एक दूसरी के साथ काफ़ी दिनों से लेज़्बीयन चुदाई करना चाहती थी और आज हमारी कामना पूरी हो गई थी, हम दो नो बहुत खुश थी और संतुष्ट भी थी. हमने एक दूसरी के सेक्सी और नंगे बदन को अपनी बाहों मे लिए झड़ने का मज़ा लिया.
लेकिन पता नही क्यों, शायद ये सोच कर कि पता नही दुबारा नीता के साथ लेज़्बीयन चुदाई करने का मौका कब मिले, मैं नीता के साथ और भी लेज़्बीयन चुदाई करना चाहती थी. मेरे पास अभी पूरा मौका था. नीता मेरी बाहों मे थी, मेरे पति देर से आने वाले थे और तनु भी अभी तक नही लौटी थी. और मैं मौके का फ़ायदा उठाना अच्छी तरह जानती हूँ.
मैने अपनी एक उंगली नीता की बहती चूत मे डाल कर गीली की और उसकी चूत का रस उसकी गंद के दरवाजे पर लगाया. वैसे भी उसकी चूत से निकलता रस उस की गंद की ओर बह रहा था. जब उस की गंद का छेद पूरा गीला और चिकना हो गया तो मैने अपनी बीच की उंगली उसके चिकने गंद के छेद पर रखी और उसकी गंद मे दबाई. वो तो हवा ने उच्छल गई जब मेरी उंगली का अगला हिस्सा उसकी गंद मे घुसा. उस ने मुझ से कहा कि उसको ये बहुत अच्छा लग रहा है. उस ने बताया कि आज किसी ने पहली बार उसकी गंद मे उंगली डाली है. इस से पहले ना तो उसने खुद कभी अपनी गंद मे उंगली डाली, ना ही तनु ने कभी उसकी गंद मे उंगली डाली और ना ही कभी तनु के पति मंजीत सिंग ने उसको चोद्ते हुए कभी उसकी गंद को किसी भी तरीके से इस्तेमाल किया था. उसकी हिलती हुई गंद बता रही थी कि उसको कितना मज़ा आ रहा है.
हम दोनो के सिर एक दूसरी की चूत के बीच मे घुसे हुए थे और हम दोनो ही एक दूसरी की चूत को बहुत ही प्यार से चाट रहे थे, चूस रहे थे. बीच बीच मे हम दोनो ही साँस लेने की लिए अपना अपना सिर उठा रही थी लेकिन ना तो मेरी चूत से उसकी जीभ बाहर निकली और ना ही उसकी चूत से मेरी जीभ बाहर निकली.
वो मेरी चूत चाट रही थी और मैं उसकी चूत चाट रही थी. वो मेरी गंद पर हाथ फिरा रही थी और मैं उसकी गंद पर हाथ फिरा रही थी. मैं कुछ ही देर मे झाड़ गई थी और जैसे मेरी चूत उस के मूह पर घूम रही थी, उस से मुझे पता चल रहा था कि मेरी चूत का रस उस के पूरे मूह पर लगा हुआ था. मैं तो जैसे अपनी जीभ उसकी चूत मे डाल कर किसी मर्द के लौडे की तरह अंदर बाहर कर के उसकी चूत को चोद रहे थी. वो भी अपनी गंद उठा उठा कर मज़े से चुद्वा रही थी. मैने भी इसी तरह उस को चोद चोद कर झाड़ दिया था और उसके चूत रस का स्वाद लेने लगी.
हम दोनो ही झाड़ चुकी थी और हम दोनो की तमन्ना पूरी हो गई थी क्यों कि हम दोनो ही एक दूसरी के साथ काफ़ी दिनों से लेज़्बीयन चुदाई करना चाहती थी और आज हमारी कामना पूरी हो गई थी, हम दो नो बहुत खुश थी और संतुष्ट भी थी. हमने एक दूसरी के सेक्सी और नंगे बदन को अपनी बाहों मे लिए झड़ने का मज़ा लिया.
लेकिन पता नही क्यों, शायद ये सोच कर कि पता नही दुबारा नीता के साथ लेज़्बीयन चुदाई करने का मौका कब मिले, मैं नीता के साथ और भी लेज़्बीयन चुदाई करना चाहती थी. मेरे पास अभी पूरा मौका था. नीता मेरी बाहों मे थी, मेरे पति देर से आने वाले थे और तनु भी अभी तक नही लौटी थी. और मैं मौके का फ़ायदा उठाना अच्छी तरह जानती हूँ.
मैने अपनी एक उंगली नीता की बहती चूत मे डाल कर गीली की और उसकी चूत का रस उसकी गंद के दरवाजे पर लगाया. वैसे भी उसकी चूत से निकलता रस उस की गंद की ओर बह रहा था. जब उस की गंद का छेद पूरा गीला और चिकना हो गया तो मैने अपनी बीच की उंगली उसके चिकने गंद के छेद पर रखी और उसकी गंद मे दबाई. वो तो हवा ने उच्छल गई जब मेरी उंगली का अगला हिस्सा उसकी गंद मे घुसा. उस ने मुझ से कहा कि उसको ये बहुत अच्छा लग रहा है. उस ने बताया कि आज किसी ने पहली बार उसकी गंद मे उंगली डाली है. इस से पहले ना तो उसने खुद कभी अपनी गंद मे उंगली डाली, ना ही तनु ने कभी उसकी गंद मे उंगली डाली और ना ही कभी तनु के पति मंजीत सिंग ने उसको चोद्ते हुए कभी उसकी गंद को किसी भी तरीके से इस्तेमाल किया था. उसकी हिलती हुई गंद बता रही थी कि उसको कितना मज़ा आ रहा है.
Re: जुली को मिल गई मूली
अब तो उसने भी मेरी गंद मे अपनी उंगली डाल दी थी. मैने महसूस किया कि उसको मेरी गंद के छेद मे उंगली घुसने मे ज़्यादा परेशानी नही हुई क्यों कि मेरी गंद का छेद उसकी गंद के छेद से बड़ा था. शायद अपने पति से नियमित रूप से गंद मरवाने के कारण मेरी गान्ड का छेद थोड़ा खुला हुआ था और मेरी गंद को मरवाने की आदत थी. उसकी गंद का छेद बहुत छ्होटा और टाइट था. मेरी उंगली का केवल अगला हिस्सा ही उसकी गंद मे घुसा था और उसने अपनी गंद भींच ली थी. मैने नीता से कहा कि वो अपनी गंद का छेद ढीला छोड़े ताकि मेरी उंगली आराम से उसकी गंद मे आ जा सके. उसने जब अपनी गंद को थोड़ा ढीला किया तो मेरी उंगली उसकी गंद के अंदर तक घुस गई और मैं अपनी उंगली को उसकी गंद मे अंदर बाहर करते हुए उसकी रेशमी गंद को चोद्ने लगी, उसकी गुलाबी गंद मारने लगी. मुझे तो गंद मरवाने का पहले से ही काफ़ी अनुभव था, इसलिए मैने तो अपनी गंद ढीली छोड़ी हुई थी और नीता आराम से अपनी उंगली से मेरी गंद मार रही थी. नीता जिस तरह मेरी गंद मे अपनी उंगली डाल कर मेरी गंद मार रही थी, मुझे लग रहा था जैसे कोई बच्चा अपने पतले लंड से मेरी गंद मार रहा हो. उसकी गंद मे अपनी बीच की उंगली घुमाते हुए मैने अपने अंगूठे को उसकी गीली चूत के बीच मे रखा. अब मेरे लिए उसकी गंद मे उंगली डाल कर उसकी गंद मारना और अपनी अंगूठे से उसके चूत के दाने को मसलना बहुत आसान था. नीता को दोहरा मज़ा आने लगा था जो उसके हिलने डुलने से सॉफ सॉफ पता चल रहा था. उसने भी मेरी नकल करते हुए ऐसा ही किया. वो भी अपनी उंगली से मेरी गंद मार रही थी और अपने अंगूठे से मेरी चूत का दाना मसल रही थी. मुझे भी चूत चुद्वाने और गंद मरवाने का दोहरा मज़ा एक साथ आने लगा. हम दोनो की चूत से फिर एक बार रस की नदी बहने लगी.
इस तरह हम दोनो ही एक दूसरी से चुद्वाती हुई और एक दूसरी को चोद्ति हुई, चूत और गंद मे उंगली लेती हुई तथा चूत और गंद मे उंगली देती हुई अपने अपने झड़ने की तरफ बढ़ने लगी. जैसे जैसे हम अपने अपने झड़ने के करीब आने लगी, वैसे वैसे हमारी उंगली की रफ़्तार गंद मे, और हमारे अंगूठे की रफ़्तार चूत का दाना मसल्ने मे बढ़ती गई. मेरी उंगली तेज़ी से नीता की रेशमी गंद मे तूफ़ानी रफ़्तार से अंदर बाहर हो रही थी और साथ ही साथ उसी रफ़्तार से मैं अपने अंगूठे से उसकी चूत का दाना मसल रही थी. नीता भी मेरी चूत और गंद के साथ ऐसा ही कर रही थी और जल्दी ही हम दोनो एक बार फिर झाड़ गई. इस बार हम दोनो ही जोरदार तरीके से झड़ी थी, शायद दोहरी चुदाई की वजह से.
हम दोनो दो बार जोरदार तरीके से झाड़ कर पास पास लेटी हुई एक दूसरी की आँखों मे देखने लगी और हम दोनो ही संतुष्ट हो कर मुस्करा रही थी.
उसने मुझे बताया कि मेरा अपनी उंगली से उसकी गंद मारना उसको बहुत पसंद आया, क्यों कि आज से पहले वो नही जानती थी कि गंद मरवाने मे भी इतना मज़ा आता है. उसने मुझ से पुछा कि क्या उसके साथ लेज़्बीयन चुदाई मे मुझे मज़ा आया? मैने उसको सच सच बताया कि मुझे भी उसके साथ बहुत मज़ा आया.
थोड़ी देर बाद उसने कहा कि वो मूतने के लिए बाथरूम जाना चाहती है. मुझे भी मूतना था, इसलिए हम साथ साथ बाथरूम गये और हम ने साथ साथ मूता. फिर हमने एक दूसरे का बदन साबुन और पानी से सॉफ किया ताकि हम फ्रेश हो जाएँ. हम दोनो ने अपने अपने सेक्सी बदन पर खुसबू लगाई.
एक दूसरी को बाहों मे लिए हम वापस बेडरूम मे आ गये. हम दोनो ही एक बार और इस लेज़्बीयन चुदाई के खेल को खेलना चाहते थे. मेरी रोज़ चुद्वाने वाली चूत के लिए नीता की जीभ थोड़ी कम पड़ रही थी. मैं रसोई मे गई और फ्रिड्ज से एक ककड़ी ले आई. ये ककड़ी करीब एक फुट लंबी और 3 इंच मोटी थी. नीता की आँखें उस ककड़ी को देखते ही चौड़ी हो गई क्यों कि वो जानती थी कि इस का क्या इस्तेमाल होने वाला है.
मैने ककड़ी का एक हिस्सा उसकी चूत मे धीरे धीरे घुसाया और दूसरा हिस्सा मेरी अपनी चूत मे डाला. अपनी अपनी चूत मे उस ककड़ी के दोनो हिस्से डाले हमारी चूत पास पास आ गई. हम ने एक दूसरी को पकड़ा और आपस मे चुंबन लेते हुए अपनी अपनी गंद हिलाने लगी. ह्म ने कई बार एक दूसरी की चुचियों को भी दबाया और मसला. हम दोनो की गंद आगे पीछे होने लगी और ककड़ी हम दोनो की चूत मे अंदर बाहर होने लगी. वो ककड़ी हम दोनो का ही लॉडा बन गई. नीता जैसे अपनी लौडे से मेरी चूत चोद रही थी और मैं अपने लौडे से नीता की चूत चोद रही थी. ह्म एक दूसरी को चोद रही थी और साथ ही साथ एक दूसरी से चुद्वा भी रही थी. हमारी दोनो की गंद हिलती जा रही थी और ककड़ी हम दोनो की चूत मे अंदर बाहर हो रही थी. ककड़ी से चुद्वाने मे लंड से चुद्वाने का मज़ा आ रहा था. इसी तरह चोद्ति और चुद्वाती हुई हम दोनो एक बार फिर अपनी चुदाई की मंज़िल पर पहुँच गई. काफ़ी देर तक हम आपस मे लिपटी हुई, ककड़ी को अपनी चूत मे घुसाए बैठी रही.
फिर हमने अपनी अपनी चूत से ककड़ी बाहर निकाली और खड़ी हो गई. हम दोनो ही बहुत थक चुकी थी और हम दोनो को ही एक एक कप कॉफी की ज़रूरत थी.
इस तरह हम दोनो ही एक दूसरी से चुद्वाती हुई और एक दूसरी को चोद्ति हुई, चूत और गंद मे उंगली लेती हुई तथा चूत और गंद मे उंगली देती हुई अपने अपने झड़ने की तरफ बढ़ने लगी. जैसे जैसे हम अपने अपने झड़ने के करीब आने लगी, वैसे वैसे हमारी उंगली की रफ़्तार गंद मे, और हमारे अंगूठे की रफ़्तार चूत का दाना मसल्ने मे बढ़ती गई. मेरी उंगली तेज़ी से नीता की रेशमी गंद मे तूफ़ानी रफ़्तार से अंदर बाहर हो रही थी और साथ ही साथ उसी रफ़्तार से मैं अपने अंगूठे से उसकी चूत का दाना मसल रही थी. नीता भी मेरी चूत और गंद के साथ ऐसा ही कर रही थी और जल्दी ही हम दोनो एक बार फिर झाड़ गई. इस बार हम दोनो ही जोरदार तरीके से झड़ी थी, शायद दोहरी चुदाई की वजह से.
हम दोनो दो बार जोरदार तरीके से झाड़ कर पास पास लेटी हुई एक दूसरी की आँखों मे देखने लगी और हम दोनो ही संतुष्ट हो कर मुस्करा रही थी.
उसने मुझे बताया कि मेरा अपनी उंगली से उसकी गंद मारना उसको बहुत पसंद आया, क्यों कि आज से पहले वो नही जानती थी कि गंद मरवाने मे भी इतना मज़ा आता है. उसने मुझ से पुछा कि क्या उसके साथ लेज़्बीयन चुदाई मे मुझे मज़ा आया? मैने उसको सच सच बताया कि मुझे भी उसके साथ बहुत मज़ा आया.
थोड़ी देर बाद उसने कहा कि वो मूतने के लिए बाथरूम जाना चाहती है. मुझे भी मूतना था, इसलिए हम साथ साथ बाथरूम गये और हम ने साथ साथ मूता. फिर हमने एक दूसरे का बदन साबुन और पानी से सॉफ किया ताकि हम फ्रेश हो जाएँ. हम दोनो ने अपने अपने सेक्सी बदन पर खुसबू लगाई.
एक दूसरी को बाहों मे लिए हम वापस बेडरूम मे आ गये. हम दोनो ही एक बार और इस लेज़्बीयन चुदाई के खेल को खेलना चाहते थे. मेरी रोज़ चुद्वाने वाली चूत के लिए नीता की जीभ थोड़ी कम पड़ रही थी. मैं रसोई मे गई और फ्रिड्ज से एक ककड़ी ले आई. ये ककड़ी करीब एक फुट लंबी और 3 इंच मोटी थी. नीता की आँखें उस ककड़ी को देखते ही चौड़ी हो गई क्यों कि वो जानती थी कि इस का क्या इस्तेमाल होने वाला है.
मैने ककड़ी का एक हिस्सा उसकी चूत मे धीरे धीरे घुसाया और दूसरा हिस्सा मेरी अपनी चूत मे डाला. अपनी अपनी चूत मे उस ककड़ी के दोनो हिस्से डाले हमारी चूत पास पास आ गई. हम ने एक दूसरी को पकड़ा और आपस मे चुंबन लेते हुए अपनी अपनी गंद हिलाने लगी. ह्म ने कई बार एक दूसरी की चुचियों को भी दबाया और मसला. हम दोनो की गंद आगे पीछे होने लगी और ककड़ी हम दोनो की चूत मे अंदर बाहर होने लगी. वो ककड़ी हम दोनो का ही लॉडा बन गई. नीता जैसे अपनी लौडे से मेरी चूत चोद रही थी और मैं अपने लौडे से नीता की चूत चोद रही थी. ह्म एक दूसरी को चोद रही थी और साथ ही साथ एक दूसरी से चुद्वा भी रही थी. हमारी दोनो की गंद हिलती जा रही थी और ककड़ी हम दोनो की चूत मे अंदर बाहर हो रही थी. ककड़ी से चुद्वाने मे लंड से चुद्वाने का मज़ा आ रहा था. इसी तरह चोद्ति और चुद्वाती हुई हम दोनो एक बार फिर अपनी चुदाई की मंज़िल पर पहुँच गई. काफ़ी देर तक हम आपस मे लिपटी हुई, ककड़ी को अपनी चूत मे घुसाए बैठी रही.
फिर हमने अपनी अपनी चूत से ककड़ी बाहर निकाली और खड़ी हो गई. हम दोनो ही बहुत थक चुकी थी और हम दोनो को ही एक एक कप कॉफी की ज़रूरत थी.