मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानीcompleet

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raj..
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Re: मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानी

Unread post by raj.. » 21 Dec 2014 16:27

मे: नही बाबू जीए इसे ना उतारो. वैसे ही कर लो. नेहा आ जाएगी.

अभी: चुप साली बेहन की लोदी. मुझसे ज़ुबान ना लड़ा. चल अपने हाथ ऊपेर कर.

मेने ना चाहते हुए भी अपने हाथों को ऊपेर कर दिया. और अभी ने मेरी कमीज़ को निकाल कर नीचे फेंक दिया. और मुझे मेरे बालों से पकड़ कर मुझे खड़ा कर दिया.

मे: अहह बाबू जीए क्या कर रहे हो. दर्द हो रहा है.

अभी ने मुझे खड़ा करके मुझे घुमा दिया. अब मेरी पीठ अभी की तरफ थी. अभी ने मेरी ब्रा के हुक्स खोल दिए. और ब्रा को निकाल कर कमीज़ के ऊपेर फेंक दिया. और फिर से मुझे घुमा कर सीधा करके दीवार से सटा दिया.

अभी मेरी तरफ देख कर मुस्करा रहा था. मेरी साँसें बहुत तेज़ी से चल रही थी. उतेज्ना के मारे मेरे निपल तन कर कड़े हो चुके थे. और मेरी चुचिया मेरी तेज़ी से साँस लेने के कारण फूल कर ऊपेर नीचे हो रही थी.

अभी किसी भूखे जानवर की तरहा मुझ पर टूट पढ़ा. और मेरी चुचियो को अपने दोनो हाथों से मसलते हुए. एक चुचि को मुँह मे लेकर चूसने लगा. और मेरे निपल को अपने दाँतों से धीरे-2 काटने लगा.

मे: अहह बाबू जीए दर्द्द्द कर रहा हाीइ. ह माआ ओह सीईईईईईईईई ससिईईईईईई अहह बाबू जीईई

मेरी चूत मे आग बढ़ती जा रही थी. और चूत पानी छोड़-2 कर सलवार को गीला कर रही थी. मेरा दिल कर रहा था. कि बाबू जी मुझे अभी पटक कर चोद दे. पर बाबू जी के दिमाग़ मे शायद कुछ और ही चल रहा था. बाबू जी ने मेरी चुचियो को छोड़ कर मेरे नाडे को पकड़ लिया. और एक दम से खींच दिया. जिससे मेरी सलवार का नाडा जबरन से बाहर आ गया. और मेरी सलवार खिसक कर मेरे जाँघो पर आ गयी.

बाबू जी ने हाथ मे नाडे को लिए हुए. अपने अंडर वेर को ऊपेर कर लिया. और झुक कर मेरी सलवार ब्रा और बेड शीट को उठा लया. और बाहर के तरफ जाने लगे. मे तेज़ी से हन्फते हुए बाबू जी को देख रही थी. बाबू जी मेरी चूत की आग को बढ़का कर मुझे बिना चोदे ही जा रहे थे.

मे: क्या हुआ बाबू जी कहाँ जा रहे हो. मुझे कपड़े तो दे दो.

अभी: (पीछे मूड कर) रुक ज़रा अभी आता हूँ नेहा को लेकर.

मे बाबू जी की बात को सुन कर एक दम से घबरा गयी. मे ऊपेर से बिल्कुल नंगी थी. और मेरी सलवार मे नाडा नही था. मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा था. कि मे क्या करूँ. मे ऐसी हालत मे बाहर भी नही जा सकती थी. मेने जल्दी से बाथरूम का डोर बंद कर दिया. पर शायद अभी को पता था. डोर को मे बंद तो कर सकती थी पर. डोर को मे कोई लॉक या चितकिनी नही थी.

अब मे पूरी तरहा से मजबूर हो चुकी थी. मेरा दिल बहुत तेज़ी से धड़क रहा था. और ये सोच रही थी. कि अब आगे क्या करूँ. फिर थोड़ी देर बाद मुझे कदमों के आहट सुनाई दी. मे एक दम से घबरा गयी. और दीवार की तरफ मूह कर एक हाथ से अपनी बिना नाडे की सलवार को पकड़ लिया और दूसरे हाथ से अपनी 38 साइज़ की चुचियो को छुपाने की कॉसिश करने लगी. फिर डोर खुला और मेरे दिल की धड़कन थम गयी.

मेने कनखियो से पीछे देखा. अभी नेहा को अपनी बाहों मे उठाए हुआ था. नेहा उसकी चेस्ट मे अपने फेस को छुपाए हुए कसमसा रही थी. अभी ने नेहा को नीचे उतारा और एक पल के लिए मेरी तरफ देखा. नेहा भी मेरे तरहा घबराई हुई थी. अभी ने एक पल के लिए मेरी तरफ देखा. मेरी पीठ अभी और नेहा की तरफ थी.फिर अभी ने नेहा को हाथ से पकड़ कर मेरे साथ खड़ा कर दिया. नेहा का बदन एक साइड से मुझसे टच हो रहा था. नेहा भी मेरी तरहा तेज़ी से साँसें ले रही थी. और उसकी पीठ भी मेरी तरहा अभी की तरफ थी.

मे अपने दिल की धड़कनो को रोके हुए आने वाले पलों का इंतजार कर रही थी. कि अब अभी क्या करने वाला है. फिर अभी बिल्कुल हम दोनो के पीछे आ कर खड़ा हो गया. और मेरे और नेहा के चुतड़ों पर अपना एक-2 हाथ रख कर मसलने लगा. मेरी सलवार के ऊपेर से और नेहा की नाइटी के ऊपेर से. मेने नेहा की तरफ देखा. नेहा मेरी तरफ देख रही थी. जैसे ही मेरी नज़रें नेहा से मिली. नेहा ने अपनी आँखों को बंद कर लिया. नेहा के होन्ट कांप रहे थे.

अभी ने हम दोनो के चुतड़ों को मसलते हुए. नेहा की नाइटी को ऊपेर उठा दिया. और उसकी वशेप पॅंटी के अंदर से हाथ डाल कर उसके चुतड़ों को मसल दिया. नेहा एक दम से कसमसा गयी. और उसके मुँह से घुटि हुई ह सीईइ की आवाज़ निकल गयी. नेहा ने अपने होंटो को दाँतों मे भीच लिया. फिर अभी ने मेरी सलवार को अपनी मुथि मे पकड़ कर नीचे की तरफ ज़ोर से खींच दिया.

सलवार मेरे हाथ से छूट गयी. और मेरे पैरो मे आकर फर्श पर धूल चाटने लगी. अब मे अपनी गांद को बाहर निकाले अभी के सामने खड़ी थी. अभी ने अपना हाथ मेरे से हटा लिया. और नेहा की पॅंटी को दोनो तरफ से पकड़ कर नीचे करना चालू कर दिया. नेहा कुछ नही बोल रही थी. उसका पूरा बदन कांप रहा था. नेहा की पॅंटी को अभी ने निकाल कर फेंक दिया. और मेरी तरफ देखने लगा.

मेरी हालत भी नेहा के जैसी थी. मेरे हाथ पैर भी कांप रहे थे. अभी बिल्कुल मेरे पीछे आ गया. और नीचे चादर को रख कर उस पर घुटनो के बल बैठ गया. मे अपनी साँसों को रोके हुए. अभी की अगली हरकत का इंतजार कर रही थी. ना चाहते हुए भी मे गरम होती जा रही थी.


raj..
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Re: मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानी

Unread post by raj.. » 21 Dec 2014 16:28

फिर अभी ने अपने दोनो हाथों से मेरे चुतड़ों को पकड़ कर फैला दिया. मेने अपनी आँखों को बंद कर लिया. तभी अचानक मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी. क्योंकि अभी ने मेरे चुतड़ों को फैला कर अपनी जीभ मेरी चूत के छेद पर लगा दी थी. और जीभ से मेरी चूत के छेद को चाट रहा था.

मे: अहह ओह बाबू जीईए नहिी रुक्क जाऊ मुझे बहुत शरम एयाया रही है आह ओह माआअर डाला बाबू जीईईई ओह रुक जाओ मे अपपकीए अग्गे हाथ श अहह उंघह उंघह हाथ जोड़ती हुन्न्ञन् अहह बाबू जीई.

मेरे पूरी बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी. मेरे हाथ पैर उतेज्ना के मारे काँपने लगे. चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया. और बाबू जी का लंड लेने के लिए मचलने लगी.

अभी: बोल चूत मे लंड चाहिए.

मे: (कांपति हुई धीमी आवाज़ मे) नही बाबू जी छोड़ दूओ आह

अभी ने मेरे चुतड़ों को छोड़ दिया. और फिर नेहा के पीछे आ गया. जैसे ही अभी ने नेहा के चुतड़ों को पकड़ा नेहा एक दम से कांप उठी. और दीवार पर अपने नाख़ून को गढ़ाने लगी. अभी ने नेहा के चुतड़ों को पकड़ दोनो तरफ से फैला दिया. और अपनी जीभ को बाहर निकाल कर उसके फेले हुए चुतड़ों के बीच मे अपना मुँह लगा दिया.

जैसे ही अभी की जीभ नेहा की चूत से लगी. नेहा एक दम से तिलमिला उठी. उसका पूरा बदन तेज़ी काँपते हुए हिलने लगा. नेहा ने अपने दाँतों को होंटो मे भींच लिया. और अपनी सिसकारियो को रोकने की कॉसिश करने लगी. नेहा के गोरे गाल ऐसे लाल हो चुके थे. जैसे उसके गाल्लों मे खून उतर आया हो. नीचे अभी नेहा की चूत को अपनी जीभ से बिना रुके चाते जा रहा था. आख़िर नेहा कब तक अभी की जीभ को अपनी चूत के छेद पर बर्दास्त करती. नेहा लगभग चिल्लाते हुए सिसकारिया भरने लगी.

नेहा: नही बाबू जीईई बुसस्स कारूव ह ऑश ओह बाबू जीईए कुचह हो रहा है. आह आह उंह सीईईईईई बाबू जीईई हट जाओ नाअ ह बाबू जीई बहुतटत्त गुड गुदगुदी हो रही हाईईइ अहह

अभी: (नेहा की चूत से मुँह हटाते हुए) बोल फिर मेरा लंड चूत मे लेगी.

पर नेहा ने अभी की बात जवाब नही दिया. और तेज़ी से साँसे लेते हुए. दीवार से सटी रही.

नेहा को कुछ ना बोलता देख अभी खड़ा हो गया. और मेरे पैरो से सलवार निकाल कर एक तरफ फेंक दी. मे और नेहा दोनो साथ-2 खड़े थे. नेहा का हाथ मेरी बाजू पर टच हो रहा था. मेरे पैरो से सलवार निकालने के बाद अभी ने मेरी जाँघो को अपने हाथों से फैला दिया. और अपने घुटनो को थोड़ा सा मोड़ कर झुक गया. और अपने लंड के मोटे सुपाडे को मेरी चूत के छेद पर पीछे से लगा दिया. जैसे ही मेरी चूत के छेद पर अभी के लंड का गरम सुपाड़ा लगा. मेरी चूत मे सरसरहट होने लगी.

और चूत की फाँकें अभी के लंड के सुपाडे पर कस्के लंड को अंदर की तरफ तरफ धकेलने की कॉसिश कर रही थी. अभी ने मुझे कंधों से पकड़ कर आगे से झुका दिया. जिससे मेरी गांद पीछे से बाहर आ गयी. और चूत खुल कर बाहर आ गयी. अभी ने मेरी चुचियो को पकड़ कर ज़ोर दार धक्का मारा. लंड का सुपाड़ा मेरी चूत की दीवारों को फेलाता हुआ अंदर घुस्स गया. जैसे ही अभी के लंड के सुपाडे को मेरी चूत की दीवारों ने कसा. मेरी चूत को थोड़ी ठंडक मिल गयी. और जैसे कोई प्यासा पानी मिलने के बाद ठंडी आह भरता है. वैसे ही अहह मेरे मुँह से निकल गयी.

मेने अपने हाथों को दीवार पर सटा दिया. अभी ने फिर से एक और जोरदार धक्का मारा अभी का लंड पूरा का पूरा मेरी चूत मे समा गया. और मेरी बच्चे दानी से जा टकराया.

अभी: बोल चोदु कि नही जल्दी बोल नही तो अभी लंड बाहर निकाल लूँगा.

मे: (बहुत ही धीमी आवाज़ मे) हां बाबू जीईए ह

अभी: क्या बोला ज़ोर से बोल.

मुझे पता था कि अभी ये सब जान बुझ कर रहा है. और वो मेरे मुँह से हां निकलवा कर नेहा को सुनाना चाहता है.

मे: (इस बार उँची आवाज़ मे) ह बाबू जीई चोदो मुझे

बाबू जी ने मेरी चुचियो से हाथों को हटा लिया. और नेहा को खींच कर मुझसे एक दम सटा दिया.. नेहा की नाइटी उसकी कमर तक चढ़ि हुई थी. अभी ने अपना एक हाथ नेहा के चुतड़ों के नीचे से लेजा कर नेहा की चूत पर रख दिया. और धीरे-2 नेहा की चूत को सहलाने लगा..

नेहा भी तेज़ी से साँसे लेते हुए धीरे-2 सिसकारिया भरने लगी. और अभी ने अपने लंड को सुपाडे तक मेरी चूत से बाहर निकाल लिया. और वहीं रुक गया.

अभी: चल अब अपनी चूत को मेरे लंड पर पटक.

मे किसी बेशरम रंडी की तरहा नेहा के सामने अपनी चूत को कमर आगे पीछे करके बाबू जी के लंड पर पटकने लगी. दूसरी तरफ अभी नेहा की चूत मे अपनी उंगली आगे पीछे करके अंदर बाहर कर रहा था. नेहा की सिसकारिया उँची होती जा रही थी.

क्रमशः.................


raj..
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Re: मजबूरी--हालत की मारी औरत की कहानी

Unread post by raj.. » 21 Dec 2014 16:28

33

gataank se aage.....................

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Abhi neha ko muskara kar dekhan laga. Aur neha ke hathon ko uske face se hatate hue bola.

Abhi: kiya hua sharma kyon rahi ho. Yahan koi bahar wala to nahi hai. kyon Rachna me sahi keh raha hun na.

Me: (ek dum se chonkte hue) jee babu jee.

Aur neha ke hathon ko uske face se hata kar abhi ne uski kamar me apna hath daal kar use apen se sata liya.

Abhi: neha tum sach me aaj bahut sexy lag rahi ho. Chalo khanna khate hain.

Neha: (mere taraf terichi nazron se dekhate hue) mujhe chodo babu jee.

Abhi: nahi aaj tum mere godh me baith kar mujhe khanna khilogee.

Neha ne mere taraf dekhate hue ishhar kiya. Me sar ko jhukye plate me dekh rahi thee. Par beech-2 me tirchi nazron se dekh rahi thee.

Abhi: kyon Rachna. Dekho na mee iske liye ketini mehange gifts lekar aya hun. Isse mujhe apen hathon se khanna khilana chahye na.

Me: (me ab abhi ko kiya keh sakti thee.) jee babu jee.

Aur neha chup chap abhi ke godh me baithi hui abhi ko apen hathon se khanna khilaen lagee. Abhi neha ke jaangho ko dheere-2 sahla raha tha. neha ke gaal ek dum lal ho chuke thee. Wo apni nazron ko utha nahi paa rahi thee. Jaise taise mere khanna khatam kiya. Aur apni plate ko utha kar kitchen me aa gaye. Neha aur abhi ne bhee khanna kha liya tha. ab mujhe kapdho ko dhona tha. so me kapde ko lekar bahar wale bathroom me aa gaye. Bahar ka bathroom kafi bada tha.

Me kapde dhone lagee. Neha apen room me thee. Aur abhi apen papa se net par baat kar raha tha. mee kareeb-2 sare kapde dho laye the. Bus jo kapde mene pehane the. Wo geele ho chuke the. Mene socha pehle kapdho ko chat par sukhane ke liye daal kar ati hun. Phir pehni hui salwar kameez ko dho kar doosre kapde pehan lunge. Aur sath me naha bhee lunge. Mee ooper kapde sukhane ke liye daal aye. Aur khali balti (bucket) ko rakhen ke liye bathroom me aa gaye.

Me: (apen aap se ) aaj to bahut thak gaye hun. Chalo doosre kapde la kar naha leti hun.

Jaise hee me bathroom se room me kapde lene ke liye nikli. To abhi bathroom ke bahar khada tha. abhi ne mujhe wapis bathroom me dhekl diya. Uske hath me kal wali raat wali bed sheet thee.

Abhi: isse nahi dhyoa. Dekh na issme neha ke choot ka khoon aur kaam ras laga hua hai. neha ke choot bhee tere jaise bahut pani uglti hai saali.

Me abhi ke baat ko sun kar ek dum se sharma gaye. Aur abhi ke hath se bed sheet lekar neeche farash par rakh dee.

Me: babu jee abhee dho deti hun.

Aur ye keh kar me bathroom se bahar jane lagee. Jaise hee me agge badhi. Abhi ne mera hath pakad liya. Aur mujhe apen se chipka liya. Abhi ke tana hua lund mere salwar ke ooper se mere chutdon par ragar khane laga. Abhi ne mere chuchiyo ko apen hathon me lekar jor se masal diya.

Me: ahhh babu jeee kiya kar rahe ho ahhhh nehaaa idharrrr aa jayee gee.

Par abhi ne mere bat par dhayn nahi diya. Aur mere chuhyon ko maslen laga. Me masti me aa kar ahhhh ohhhhh kar rahi thee. Par ye bhee dar tha ke neha idhar naa aa jaye. Phirr tabhi abhi ne mujhe apni taraf ghumaya. Aur bed sheet ke taraf ishara karte hue.

Abhi: chal iss par ghutno ke bal baith.

Ye kehthe hue abhi ne apna payjama utar diya. Aur taang diya.. phir abhi ne apen underwear ko apen ghutno tak neeche kar diya. Abhi ke tana hua munsal sa mota lund dekh mere choot me khujli hone shuru ho gaye. Me kal raat se neha ke chudai dekh rahi thee. Aur mere choot apne ansoos baha kar mujhe kos rahi thee.

Maien bed sheet ko farash par theek se bicha kar abhi ke samne ghutno ke bal baith gaye. Aur abhi ke lund ko hath me lekar uski chamdi peeche karke gulabi supaaDe ko bahar nikal liya. Abhi ke lund ke gulabi supaaDe ko dekhate hee mere choot ne pani chodna chalu kar diya.

Aur mene abhi ke lund ke supaaDe ko munh khol kar munh me le liya. Aur apen honto ko lund ke supaaDe par kas ke chusne lagee. Abhi ne mere khule hue balon ko kas ke pakad liya. Aur apni kamar ko hila-2 kar mere munh me apne mote lund ko andar bahar karne laga. Mere munh se putch-2 ke awaz aane lagee.

Abhi: ahhhhhhh raaand aur jorrr seee chusssss ahhhhh bahut majjaa aa raha hai.

Me abhi ke baton ko sun kar garam hone lagee. Aur abhi ke lund ko munh me aur teji se chusne lagee. Abhi ke lund ek dum lohe ke rod ke tarhan sakht ho chuka tha. abhi ne apni kamar ko peeche karke apen lund ko mere munh se bahar nikal liya. Aur jhuk kar mere kameez ko dono taraf se pakad kar ooper uthana chalu kar diya.

Me: nahi babu jeee isse na utaro. Waise hee kar lo. Neha aa jayegee.

Abhi: chup saali behan ki lodi. Mujhese juban na lada. Chal apen hath ooper kar.

Mene na chathe hue bhee apen hathon ko ooper kar diya. Aur abhi ne mere kameez ko nikal kar neeche phenk diya. Aur mujhe mere balon se pakad kar mujhe khada kar diya.

Me: ahhhhhhhh babu jeee kiya kar rahe ho. Dard ho raha hai.

Abhi ne mujhe khada karke mujhe ghuma diya. Ab mere peeth abhi ke taraf thee. Abhi ne mere bra ke hooks khol daye. Aur bra ko nikal kar kameez ke ooper phenk diya. Aur phir se mujhe ghuma kar seedha karke diwar se sata diya.

Abhi mere taraf dekh kar muskara raha tha. mere sansen bahut teji se chal rahi thee. Utejna ke maare mere nipple tan kar kade ho chuke thee. Aur mere chuchiya mere teji se saans lene ke karan phol kar ooper neeche ho rahi thee.

Abhi kisi bhookhe janwar ke tarhan muj par toot padha. Aur mere chuchiyo ko apen dono hathon se maslte hue. Ek chuchi ko munh me lekar chusne laga. Aur mere nipple ko apen danton se dheere-2 katen laga.

Me: ahhhhh babu jeee darddd kar raha haiii. Ahhhh maaaa ohhhhh siiiiiiiiii ssiiiiiiii ahhhhhh babu jeeeeee

Mere choot me aaga badhati jaa rahi thee. Aur choot pani chod-2 kar salwarko geela kar rahi thee. Mera dil kar raha tha. ki babu jee mujhe abhee patak kar chod deen. Par babu jee ke dimag me shayda kuch aur hee chal raha tha. babu jee ne mere chuchiyo ko chod kar mere nade ko pakad liya. Aur ek dum se kheench diya. Jisse mere salwar ka nada jabaran se bahar aa gaya. Aur mere salwar khisk kar mere jaangho par aa gaye.

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