रश्मि एक सेक्स मशीन compleet

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raj..
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Re: रश्मि एक सेक्स मशीन

Unread post by raj.. » 09 Dec 2014 20:21



रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -73

गतान्क से आगे...

“ दीदी लाओ हम दोनो तुम्हारे आगे और पीछे आछे से तेल लगा देते हैं जिससे उनका खंबे जैसा लंड अंदर जाते समय ज़्यादा दर्द नही हो.” दोनो ने अपने लबादे की जेब से तेल की बॉटल्स निकाल कर हम दोनो के पास आ गयी.



“ तुम लोगों को पहले कर देना चाहिए था इस हालत मे अगर तेल लगाओगी तो हमारी पॅंटी के फूल खराब हो जाएँगे.” दिशा ने कहा.



“ दीदी आप किसी को कहना मत ये हम किसी की आग्या के बिना ही कर रहे हैं. स्वामी जी का आदेश है कि इस तरह का कुच्छ भी नही किया जाय. जब लड़कियों को दर्द होतो हाई तब मर्द मे ज़्यादा जोश आता है.”



“ ठीक है हम नही बताएँगी. लेकिन…”



“ आप घबराओ नही. इसमे एक हुक लगा है जिसे खोलते ही पॅंटी खुल जाती है. कह कर उन्दोनो ने हमारी पॅंटी ढीली कर हम दोनो की योनिके अंदर अच्छे से तेल मलने लगी.



“ सोना इनकी गांद मे भी तेल चुपद दे. इन विदेशियों का कोई भरोसा ही नही रहता कब कौन सा च्छेद पसंद आ जाए.” एक ने दूसरी को कहा. फिर दोनो ने हमारी गुदा के अंदर भी अच्छे से तेल चुपद दिया.



फिर दोनो ने हमारी पॅंटी वापस पहना दी. अभी पाँच ही मिनिट हुए होंगे कि दरवाजे पर किसी ने खटखटाया. सोना ने जाकर दरवाजा खोला. स्वामी जी खुद अंदर आए. उन्हे देखते ही हम दोनो खड़े हो गये. उन्हों ने हमे उपर से नीचे तक निहारा तो उनके होंठों पर मुस्कान उभर आइ.



“ अद्भुत शृंगार किया है तुम दोनो ने. इन शकुंतालाओं को देख कर अच्छे अच्छे शांतानु गश खा जाएँगे फिर ये तो विदेशी ठहरे. इन्हे तो कोई जगह मिलनी चाहिए अपनी उत्तेजना को शांत करने के लिए. बस दो पाँच मिनिट मे आते ही होंगे. तुम लोग तैयार हो ना.”



“ जी गुरुजी” हम दोनो ने कहा.



वो हमे वहीं छ्चोड़ कर कमरे से बाहर निकल गये. पाँच मिनिट मे ही हमे एक आदमी ने आकर सूचना दी कि अतिथि आ चुके हैं.



जैसा की पहले से तय था हम दोनो अपने हाथों मे एक एक तश्तरी मे एक एक सुराही मे सुगंधित पानी ले कर हम अतिथि कक्ष मे प्रवेश किए.



हम दोनो उस गेट उप मे खूब इठला कर चल रही थी. कमरे मे स्वामी जी एक उँचे आसान पर विराजमान थे. सेवक राम जी उनकी बगल मे बैठे थे और दोनो नीग्रो उनके दूसरी ओर बैठे थे.



स्वामी जी ने हमे उनकी ओर इशारा किया तो हम दोनो उनके नज़दीक जा कर उनके पैरों के पास ज़मीन पर बैठ गयी. उनके सामने तश्तरी रख कर उनके पैरों को उठा कर उन तश्तरियों पर रख कर सुराही के सुगंधित पानी से हमने उनके पैरों को धोया. दोनो हमे बड़ी गहरी नज़रों से निहार रहे थे. उनके चेहरे से ऐसा लग रहा था कि अगर अभी वहाँ स्वामी जी और सेवकराम जी मौजूद ना होते तो वो दोनो हम पर किसी भूखे भेड़िए की तरह टूट पड़ें.



हम दोनो ने उनके पैरों को अपने साथ लाए मुलायम कपड़ों से पोंच्छा.



स्वामी जी हमारे साथ उनका इंट्रोडक्षन कराते हुए कहा, “ ये दोनो हमारे आश्रम के मठाधीश बनने वाले हैं. ये दोनो नैरोबी मे एक बहुत बड़ा आश्रम खोलने वाले है . वहाँ का काम शुरू हो चुक्का है और कुच्छ महीनो मे सारा काम पूरा हो जाएगा. मिस्टर. मिचेल आंड मिस्टर. ब्लॅक दीज़ आर और क्लोसेस्ट डिसाइपल्स म्र्स दिशा आंड म्र्स. रश्मि. दिश और रश्मि हमारे इन अतिथियों का पूरे दिल से स्वागत करो. ये दोनो हमारे आश्रम का प्रचार देश से बाहर भी करेंगे.”



हम दोनो सारा समान समेत कर कमरे से बाहर निकल आए बाहर दरवाजे पर ही कई युवक युवतियाँ हमारा इंतेज़ार करते हुए मिल गये. उन्हों ने हमारे हाथों मे एक एक ट्रे पकड़ा दी जिसमे वही वही नशीला शरबत और कुच्छ उत्तेजक करने वाली जड़ी बूटियों से बने व्यंजन रखे हुए थे. हम दोबारा उस कमरे मे पहुँचे.



हम दोनो उनकी गोद मे बैठ कर उनको खिलाने पिलाने लगी. दोनो उस वक़्त हमारे बदन को सहला रहे थे. जब उन्हों ने अपना नाश्ता ख़त्म किया तो हम दोनो ने एक दूसरे को देख कर अपना अगला वॉर तय किया.



हम दोनो उठ कर उनके वस्त्र ढीले करने लगे. इस कार्य मे वो भी हमे सहयता कर रहे थे. स्वामी जी और सेवकराम जी गहरी नज़रों से हमे देख रहे थे. उनकी उपस्थिति मे हम चारों ही खुल कर खेल नही पा रहे थे. एक हिचकिचाहट सी महसूस कर रहे थे हम चारों.



कुच्छ ही देर मे दोनो बिल्कुल नग्न हो गये. जब हमने उनके टाँगों के जोड़ पर लटकते उनके हथियार देखे तो हमारी तो साँस ही रुक गयी. दोनो के लंड आधे जागृत अवस्था मे 6 इंच से ज़्यादा लंबे थे और उनका घेर अच्छे मर्दों को शर्म से पानी पानी कर देने के काबिल था.



हमारी झिझक देख कर स्वामी जी मुस्कुरा कर हमे सांत्वना देने लगे.



“ देवी हथियार जितना तगड़ा होता है मज़ा उतना ही ज़्यादा आता है. औरतों की योनि की बनावट ही ऐसी होती है कि उसे जितना चाहे फैला सकते हो. कोई फ़र्क नही पड़ता कि उसमे घुसने वाला लंड कितना लंबा या कितना मोटा है.”



“ मगर.. स्वामी…..हर चीज़ की एक हद होती है उससे ज़्यादा बड़ा करने की कोशिश मे वो फट सकती है. स्वामी इनके लंड तो इतने लंबे हैं की मुँह से निकल आएँगे.” दिशा ने कहा.



“ हाहाहा….देवी ये सब बोलने की बातें हैं. ऐसा कुच्छ नही होगा….इन नीग्रो पुरुषों की बीवियाँ नही होती क्या. वो भी तो इन्हे मज़े से झेल लेती हैं.”



“ मगर स्वामी उनके बदन की बनावट ही ऐसी होती है. और उन्हे ऐसे लंड लेने की शुरू से ही आदत हो जाती है.” मैने कहा



“ घबराओ नही देवी तुम लोगों को भी ऐसे लिंग की आदत बहुत जल्दी ही हो जाएगी. तभी तो तुम लोगों को हम अपने साथ इनके आश्रम ले जाएँगे.” स्वामी जी ने कहा.



उन दोनो ने वापस अपना अपना आसान ग्रहण कर लिया. दोनो ने हमारी हथेलिया पकड़ कर हमे अपनी गोद मे खींच लिया. फिर दोनो के होंठ हमारे होंठों से चिपक गये. उनके काले और खुरदुरे होंठ से अपने नाज़ुक होंठ लगते हुए बहुत अजीब सा लग रहा था.



मेरे साथ वाले ने मेरे होंठों को अपने होंठों से सहलाते हुए मेरे स्तनो को सहलाना शुरू कर दिया. उसने अपने होंठों को मेरे होंठो पर दबा कर अपने होंठों को अलग किया तो उनके साथ चिपके मेरे होंठ भी खुल गये. उसकी जीभ मेरे मुँह मे घुस गयी और मेरे मुँह मे घूमने लगी. उसकी ज़ुबान और सांसो से एक अजीब तरह की बदबू आ रही थी. उसने मुझे खींच कर अपने लोहे जैसे सीने पर दाब दिया.



मैने देखा कि दिशा के सीने पर से फूलों वाली ब्रा मिचेल नोच कर अलग कर चुक्का है. वो उसके स्तनो को बेरहमी से मसल मसल कर उसके दूध की धार अपने मुँह पर और अपने चेहरे पर डाल रहा था. उसका दूध चट्टान जैसे सख़्त चेहरे पर गिर कर पतली धार के रूप मे बहता हुआ उसके सीने के उपर गिर रहा था. फिर वहाँ से फिसलते हुए नीचे जांघों के जोड़ पर बने जंगल मे घुस कर गायब हो जा रहा था.

क्रमशः............


raj..
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Re: रश्मि एक सेक्स मशीन

Unread post by raj.. » 09 Dec 2014 20:22

रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -74

गतान्क से आगे...


उसने दिशा को अपनी गोद से ज़मीन पर उतार कर उसे अपने सामने घुटनो पर बैठाया और उसके स्तनो को खींच कर अपने लंड के सामने लाकर उन्हे दूहने लगा. उसके स्तनो से निकलती दूध मे अपने लंड को धोने लगा. उसके चेहरे पर उत्तेजना के भाव सॉफ सॉफ नज़र आ रहा था.



स्वामी जी और सेवक राम जी उठ कर उस कमरे से बाहर निकल गये. हम चारों अब उस कमरे मे बच गये थे.



मेरे साथी जिसका नाम ब्लॅक था उसने मुझे अपनी गोद से उठा कर अपने सामने खड़ा किया और मेरे रूप को निहारने लगा. मैं उसकी नज़रो की तपन से उत्तेजित होती जा रही थी. मैने उसके सिर को अपनी हथेलियों मे थामा और उसे अपने दोनो उरजों के बीच दबा लिया. वो मेरे दोनो स्तनो के बीच की घाटी को अपनी जीभ से चाटने लगा.



फिर ब्लॅक मेरे एक निपल को अपने होंठों के बीच लेकर चूसने लगा. मेरे पूरे बदन मे एक सिरसिराहट दौड़ने लगी. मैने अपनी हथेलियों से उसके सिर को अपने स्तनो पर भींच दिया. उसके सिर पर उगे नन्हे घुंघराले बालों को मे अपनी उंगलियों से सहलाने लगी.



तभी कमरे की लाइट्स कम हो गयी और केवल एक नाइट बल्ब हल्की सी नीली रोशनी बिखेर रहा था. मिचेल ने दिशा को अपने घुटनो के बीच बिठा लिया और अपने लंड को उसके होंठों पर रगड़ने लगा. उसका लंड धीरे धीरे जोश मे आ चुक्का था. उसके लिंग का साइज़ देख कर दिशा के चेहरे पर असमंजस के भाव उभर आए थे. उसका लंड एक फुट के करीब लंबा और ढाई इंच की आस पास मोटा होगा.



उसके लंड के उपर का हिस्सा भी किसी टेन्निस बॉल से क्या कम होगा. उसका साइज़ देख कर दिशा की घिग्घी बँध गयी. वो मेरी ओर सकपका कर देखने लगी.



उसने मिचेल के ज़ोर देने पर अपने होंठ कुच्छ अलग किए. मगर उस विशाल के लंड को अंदर लेने मे ही उसके होंठ फट जाने थे. कितना भी दोनो ज़ोर लगा लेते मगर एक चौथाई से ज़्यादा इतना मोटा लंड अंदर जा ही नही सकता था. और अगर ज़ोर ज़बरदस्ती करता तो दिशा मर ही जाती.



उसने दिशा के सिर को बालों से पकड़ा और अपने लिंग पर दबाने लगा. मगर दिशा मुँह नही खोल रही थी तो वो ज़बरदस्ती करने लगा. दिशा के विरोध से उसके चेहरे पर कठोरता उभरने लगी. उसकी आँखों मे लाल डोर तैरने लगे थे.



मिचेल ने गुस्से से दिशा के सिर को एक ज़ोर से झटका दिया तो दिशा दर्द से कराह उठी. उसके कुच्छ बालों के टूटने की हल्की सी आवाज़ भी आई.



मिचेल ने दिशा के दोनो निपल्स पकड़ कर इतनी ज़ोर से उमेटा की दिशा अपने जबड़ों को खोलने को विवश हो गयी. उसके मुँह के खुलते ही मिचेल ने अपने लिंग को उसके मुँह मे पेल दिया. बड़ी मुश्किल से उसके लंड का सिर सामने का हिस्सा अंदर घुस पाया. इतने मे ही दिशा के मुँह से दर्द भरी चीख निकल गयी. उसने मिचेलके लंड को अपनी मुट्ठी मे भर कर आगे जाने से रोका.



उसने सिर्फ़ लंड के सूपदे को मुँह मे डाल रखा था और वो उसे अपने होंठों से अपनी जीभ से ऐसे चूस रही थी मानो सॉफ्टी चख रही हो.



उधर ब्लॅक ने मुझे संपूर्ण निवस्त्र करके खुद भी एक दम नग्न हो चुका था. उसने मुझे अपनी गोद मे बिठा लिया था और मेरे दोनो स्तनो से खेल रहा था. कभी उन्हे भींचता तो कभी किसी चूचक को मुँह मे भर लेता और चूसने लगता. उसके बार बार चूसे जाने से मेरे दोनो निपल्स फूल कर काफ़ी बड़े बड़े हो गये थे. मेरे दोनो स्तन भी उत्तेजना मे सख़्त हो चुके थे. उसका लंड मेरे जाँघ से सटा हुया झटके खा रहा था.



ब्लॅक का लंड तो मिचेल से भी तगड़ा था. किसी आदमी के इतने बड़े लंड भी होते हैं मैने पहली बार जाना था. दोनो के लंड गधे की तरह हाथ हाथ भर लंबे थे. लंबाई तो दोनो की लगभग एक जैसी थी मगर ब्लॅक का लिंड इतना मोटा था कि देख कर ही मेरी घिग्घी बँध गयी थी. पता नही ये जब अंदर जाएगा तो मेरी नाज़ुक सी योनि की कैसी दुर्गति बनेगी?



ब्लॅक सोफे पर से खुद उठा और मुझे खींच कर उस पर बिठा दिया. फिर मेरे सामने वो ज़मीन पर बैठ गया. उसने मेरी दोनो टाँगे उठा कर अपने कंधों पर रख दी. फिर झुक कर मेरी योनि को चाटने लगा. मेरे मुँह से सिसकारियाँ फूटने लगी. मेरे पूरे बदन पर छींटियाँ दूड़ने लगी. मेरी गोरी गोरी जांघों के बीच उसका बिल्कुल काला चेहरा बड़ा ही रोमॅंटिक लग रहा था.



मैने अपने दोनो हाथों से उसके सिर को पकड़ कर अपनी योनि पर दाबने लगी. मैं सोफे पर ही आगे की ओर सरक आइ. उसकी खुरदूरी लाल लाल लपलपाति जीभ मेरी योनि मे घुस कर मुझे उत्तेजना के शिखर पर ले जा रही थी.



तभी दोनो ने आपस मे कुच्छ बात की. फिर ब्लॅक ने दिशा को खींच कर अपने लंड के उपर सटा कर चूसने का इशारा किया. दिशा ज़मीन पर लगभग लेटी हुई ब्लॅक के लंड को अपनी जीभ से चाट रही थी. मिचेल उठा और सोफे के पास खड़ा होकर मेरे सिर को बालों से पकड़ कर अपने लंड पर दबाया. मैने भी अपना मुँह खोल कर जितना हो सकता था उतना लंड मुँह मे डाल कर चूसने लगी.



अब मैं दो दो साथियों से एक साथ मज़ा ले रही थी. एक मेरी चूत चाट रहा था तो दूसरा मेरे साथ मुख मैथुन मे व्यस्त था. कुच्छ देर तक मुझे इस तरह उत्तेजित करने के बाद दोनो एक साथ दिशा पर टूट पड़े. वैसी ही हालत दिशा की भी हो गयी थी.



दिशा उत्तेजना मे कराह रही थी. फिर हम चारों ज़मीन पर बिछे कालीन पर ही एक दूसरे से गुत्थम गुत्था हो गये. चारो एक पार्ट्नर्स बदल बदल कर दूसरे के साथ खेल रहे थे.



जब हम चारों उत्तेजना के चरर्म पर पहुँच गये तो हम दोनो महिलाएँ बिना किसी सोच विचार के उनके लिंग अपनी योनियों मे लेने के लिए च्चटपटाने लगे. हम उनके लिंग को अपनी चूत की तरफ खींचने लगे. सबसे पहले मिचेल ने दिशा को कालीन पर लिटाया और उसकी टाँगे अपने हाथों मे थाम कर एक दूसरे से अलग कर जितना हो सकता था उतना फैलाया.



दिशा सोफे के कुशन को अपनी मुत्ठियों मे भर कर आख़िरी खेल का इंतेज़ार करने लगी. दिशा की फैली हुई चूत से रस टपक रहा था. मिचेल उसकी योनि से निकलते हुए लिसलिसे रस को अपनी उंगलियों से अपने लंड पर लगाने लगा. उसका लंड दिशा के रश से भीग कर काले नाग की तरह चमक रहा था.



उस वक़्त मैं ब्लॅक की ओर से ध्यान हटा कर एक तक दोनो के संभोग को देखने लगी.

ब्लॅक मौके का फयडा उठा कर अपनी दो मोटी मोटी उंगलियाँ मेरी योनि मे डाल कर उन्हे मेरे योनि रस मे डुबो कर चाट रहा था.



उधर मिचेल ने दिशा की योनि को चौड़ा किया और अपने लिंग के मोटे सूपदे को उसके योनि द्वार पर रख कर धीरे धीरे अपनी कमर को उसकी ओर बढ़ाने लगा. मैने देखा कि दिशा की योनि ख़तरनाक तरीके से खुल गये थे उसके लिंग को समाने के लिए. मगर इस पर भी ब्लॅक की पहली कोशिश कामयाब नही हो पाई और उसका लंड दिशा की योनि मे जगह बनाने मे नाकामयाब हो कर नीचे की ओर फिसल गया.



“ हुउऊउन्ह….” मिचेल ने एक नाराज़गी भरी हुंकार भारी और दोबारा अपने लंड को पकड़ कर दिशा की योनि की दोनो फांकों के बीच लगाया. उसका लिंग मेरी कलाई से भी मोटा था. वो किसी क्रिकेट के बॅट के हॅंडल की तरह लग रहा था.



दिशा ने अपनी जांघों को और फैलाया और अपने दोनो हाथों की उंगलियों से अपनी योनि की फांको को मिचेल के लिंग को जगह देने के लिए फैलाया. मिचेल ने वापस अपने लिंग को दिशा के योनि के मुहाने पर रख कर अपनी कमर को एक तेज धक्का दिया.



“ आआआआआः………..म्‍म्माआआआआर डाालाअ.” की आवाज़ दिशा के मुँह से निकली और वो इस तरह च्चटपटाई मानो किसी बकरे को जिबह किया जा रहा हो. उसका मुँह खुला का खुला रह गया. आँखे पथ्रा गयी और बदन ढीला पड़ गया. मिचेल उसकी हालत देख कर 5-10 सेकेंड उसी अवस्था मे रुका. कुच्छ पल बाद दिशा के बदन मे हलचल हुई और वो गला फाड़ कर चीख उठी.



“ बचााओ….माअर डााला…ऊऊहह राआष्मिईीईईईई……. बचााअ….. मुझीई….आअज्जज टूऊ ईीई मार डालेनगीए” दिशा गला फाड़ कर चीख उठी. उसकी आवाज़ सुन कर मेरे रोंगटे खड़े हो गये.

क्रमशः............


raj..
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Re: रश्मि एक सेक्स मशीन

Unread post by raj.. » 09 Dec 2014 20:23


रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -75

गतान्क से आगे...

दोनो अपनी भाषा मे कुच्छ कह कर हंस रहे थे. दोनो हबशियों का लंड ऐसा लग रहा था मानो आज हम को मार कर ही दम लेने वाले हैं. मेरे साथ वाला हंसते हुए और बुरा लगता था. उसने मुझे दिशा की बगल मे चौपाया बनाया.



ब्लॅक ने मेरी योनि को अपनी उंगलियों से चौड़ा किया. मैने एक नज़र दिशा पर डाली. दिशा की आँखें उल्टी हुई थी और उसका मुँह खुला हुआ था. मैने देखा की मिचेल का लंड तीन चौथाई उसकी योनि मे घुस चुक्का था. मिचेल बहुत ही आराम से एक एक इंच करके अपने लंड को उसकी योनि मे सरकता जा रहा था.



तभी ब्लॅक के सूपदे का स्पर्श अपने नितंबों के बीच पाकर मैं अपनी आँखें बंद कर और अपने जबड़ों को भींच कर अपनी बारी का इंतेज़ार करने लगी, जैसे ही उसके लंड ने मेरी योनि को च्छुआ “हा” की आवाज़ मेरे मुँह से निकली और मैं उसके अगली हरकत के बारे मे सोच कर सिहर उठी.



तभी ब्लॅक ने अपनी उंगलियों से मेरी योनि की फांको को फैला कर उसके बीच अपने लंड को फँसा कर मेरी कमर को अपने दोनो हाथों से थामा और एक झटके से अपनी कमर को आगे की ओर धकेला. उसके लंड ने एक ज़ोर की चोट मेरी योनि पर किया. मेरे मुँह से एक “आअहह” निकल गयी मगर उसका लंड आगे बढ़ने मे नाकामयाब होकर वो नीचे की ओर फिसल गया.



ब्लॅक ने वापस अपनी दोनो हथेलियों की दो-दो मोटी मोटी उंगलियाँ मेरी चूत मे डाल कर उन्हे मेरे योनि रस से भिगो लिया और उन उंगलियों से वो चिकना रस कुच्छ अपने लंड पर और कुच्छ मेरी चूत के होंठों पर लगा दिया. उसने अपनी हथेली पर थूक कर उससे भी अपने लंड को गीला किया.



उसने अपनी उंगलियों से मेरी क्लाइटॉरिस को छेड़ना शुरू किया तो मेरे बदन मे करेंट सा दौड़ने लगा. पूरे बदन मे सेक्स की आग सी लग गयी थी. वो जितना मेरे क्लाइटॉरिस को छेड़ता जाता मेरे बदन मे सेक्स की भूख उतनी ही बढ़ती जा रही थी. मैं पूरी तरह सेक्स मे पागल हो रही थी. मेरी चूत मे एक अजीब से सिहरन हो रही थी. लग रहा था बस कोई मेरी योनि को रगड़ रगड़ कर मेरी खुजली को शांत कर दे.



“आआआअहह….एम्म….ऊऊऊ…..” मैं जो अब तक दर्द से छॅट्पाटा रही थी अब उत्तेजना से छॅट्पाटेने लगी.



“ऊऊओह….फुउककककक…..मीईए…..फुक्ककककक….मीईए……हाआअर्द” मैं उत्तेजना मे पागल हो रही थी.



उसे मेरी हालत देख कर मज़ा आ रहा था. वो और भी तेज़ी से मेरी क्लाइटॉरिस को मसल्ने लगा. मैं उसके हाथ को वहाँ से हटाना चाहती थी मगर उसके आगे मेरी क्या चलती. मुझे पूरी तरह उत्तेजित कर वो वापस मेरी योनि को चौड़ा कर उसके मुँह पर अपने लंड को सेट कर एक ज़ोर दार धक्का मारा.



“ आआअहह……माआआ……माआर गइईए….” एक दर्द भरी चीख मेरे होंठों से निकली और मैं भरभरा कर कालीन पर गिर गयी. कोई कितना भी उत्तेजित हो लेकिन जब उसे किसी आरी से काटा जाता है तब वो उस दर्द के आगे सब भूल जाता है. कुच्छ वैसी हालत मेरी भी थी.



ब्लॅक ने मेरे कमर के इर्दगिर्द अपनी बाँहों का घेरा डाला और मुझे कमर से पकड़ कर उपने लिंग से हटने नही दिया. मेरी कमर उसके लंड से सटी हुई थी और बाकी का पूरा बदन नीचे कालीन पर पसरा हुया था. मैने सोफे से एक कुशन खींच कर अपने सिर के नीचे दबा रखा था. मेरा चेहरा कुशन मे घुसा हुआ था और मैने अपनी योनि से उठ रहे दर्द को बर्दास्त करने के लिए उस कुशन को अपने दाँतों से भींच रखा था.



मैने अपनी एक हथेली को उसके लंड पर लगा कर स्थिति का जाएजा लिया तो पाया कि अभी उसके लंड के उपर का सूपड़ा ही अंदर घुस पाया है. मैने महसूस किया कि मेरी योनि का मुँह और दीवारें बड़े ही ख़तरनाक हद तक फैल चुकी थी. पता नही नीग्रो महिलयाएँ इनके लंड को किस तरह झेलती होंगी मगर हम नाज़ुक भारतिया महिलाओं के लिए तो चूत का भरता बनवाने से कम काम नही था.



मेरी बगल मे दिशा भी लूटी पिटी हालत मे बेजान सी कालीन पर पसरी हुई थी. मिचेल पूरे जोश से उसकी चूत मे अपने मूसल लंड से ठोक रहा था. दिशा के चेहरे पर दर्द की रेखाएँ सॉफ दिख रही थी. इस तरह का संभोग हम औरतों के लिए तो किसी रेप से कम नही होता है. इसमे सिर्फ़ मर्द एंजाय करता है और हमारे लिए नीचे पड़े पड़े अपने बदन की दुर्गति बनवाने के अलावा कुच्छ नही बचता है.



मिचेल पूरे जोश के साथ दिशा की चूत मे धक्के लगा रहा था. दिशा के मुँह से “ आअहह….आआहह…एम्म्म..आआ…न्‍न्‍णणन्” जैसी दर्द भरी सिसकारियाँ निकल रही थी.



ब्लॅक ने भी धीरे धीरे अपने लिंग को मेरी योनि के अंदर सरकाना शुरू कर दिया. उसके लंड का आकार इतना बड़ा था की मेरी योनि के अंदर की दीवारों को बुरी तरह रगड़ता हुया वो एक एक मिल्लिमेटेर बड़ी मुश्किल से आगे सरक पा रहा था. हर धक्के के साथ उसका लंड मेरी योनि मे अपना रास्ता बनाता हुया कुच्छ अंदर सरक जाता.



लगभग एक चौथाई लंड अंदर डालने के बाद वो रुका. फिर उसने अपने लंड को बाहर खींचना शुरू किया तो ऐसा लगा मानो मेरी कोख को भी अपने साथ हो बाहर खींच लेगा. मैं दर्द से च्चटपटा उठी.



“ अयाया…. ब्लॅक…..डियर….प्लीईएसए….प्ल्ीआसए गूऊ स्लूव्व…….प्लीईआसीए आह दीएआर ….. लिट्टली मोर टेंडरलीयी…..ऊऊओह माआ…..ौउुउउ आआर….गूऊंग तूओ तीएआर मईए इंटो हाअलफ……वित थाआत पोले ऊफ़ यूऔरर्स” मैने अपनी एक हथेली उसके सीने पर रख कर उसे धीरे धीरे करने को कहा.



“ यू…..लाइक….मी….टूल?” ब्लॅक ने मुझसे पूछा.



“ईएआआह….बट…बट इट ईईईीीसस टूऊ बीईईइग…..टूऊओ हुगी. इट इस गोननाअ कीईल्ल्ल मीई” मैने उसे अपनी तकलीफ़ बताई.



उसका लंड लगभग बाहर निकल आया था सिर्फ़ उसके आगे का टोपा ही अब मेरी योनि के अंदर फँसा हुआ था. उसने वापस मेरी क्लाइटॉरिस को छेड़ना शुरू किया.



“ नूऊओ….ब्लाअक्क…..नूऊ…..ंूओत तेरे…..” मैने उसकी उंगलियों को वहाँ से हटाने की एक और असफल कोशिश की मगर वो तो मुझे सेक्स मे पागल कर देना चाहता था जिससे मैं उसके उस तगड़े लंड की अभ्यस्त हो जाऊ.



तभी उन्हों ने पूरी ताक़त से एक ज़ोर दार झटका मारा तो मैं दर्द से लगभग रोने लगी.



“आआअहह….” मैं चीख उठी थी, “माआआ……आआआआः……..हाााई माअर गइईए………”



मैने उसके लंड को अपनी उंगलियों से छ्छूना चाहा तो पाया कि उसका लंड लगभग जड़ तक मेरी योनि के अंदर घुस चुक्का था. उसकी झाँते मेरे काम रस से भीगी हुई थी. वो उसी अवस्था मे कुच्छ देर तक रुका जिससे मैं उसके उस मोटे खंबे समान लंड की अभ्यस्त हो जाऊ.



मेरा पूरा बदन झटके खा रहा था. मैं उसकी पकड़ से निकल जाना चाहती थी. मगर मैं उसकी मजबूत पकड़ से छ्छूटना तो दूर हिल भी नही पा रही थी.



अब तक सब कुच्छ डीहरे धीरे चल रहा था इसलिए मैं बदन मे उठते हुए दर्द को सह पाने मे समर्थ थी. वो लगता है औरतो के साथ संभोग करने मे एक्सपर्ट था इसलिए उसने मेरी योनि मे इतनी आग लगा दी थी की मैं अपने बदन मे उठ रहे दर्द की परवाह किए बिना उससे चुदवाने के लिए तैयार थी. उस वक़्त तो मेरी हालत ये थी की वो मेरी चुदाई के बदले अगर मेरे जिस्म की बोटी बोटी भी नोच देता तो भी मैं उफ्फ नही करती.



उसने मेरी कमर को पकड़ कर अब धक्के देना शुरू कर दिया. उसके धक्कों की रफ़्तार धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी. मैं उसके साथ संभोग करते हुए अपने सिर को बुरी तरह झटक रही थी. मेरी आँखों के आगे एक ढुंधह सी च्छा रही थी. मेरा बदन अचानक एन्थ्ने लगा और कुच्छ ही धक्कों मे मेरी योनि के भीतर रस की बरसात हो गयी.



मेरा बदन झड़ने के बाद एक दम ढीला पद गया. मुझे आस्स पास कुच्छ भी नही दिख रहा था. लेकिन उसकी रफ़्तार बढ़ती ही जा रही थी. काफ़ी देर तक संभोग करवाने के बाद मैं नॉर्मल होने लगी. वापस मेरे जिस्म मे उत्तेजना फैलने लगी. अब दर्द भी कम हो चुक्का था. मुझे उसी पोज़ मे लगभग पंद्रह मिनिट तक चोद्ता रहा.



काफ़ी देर बाद जब मैं नॉर्मल हुई तो मैने देखा कि मेरी बगल मे मिचेल नीचे कालीन पर पसरा हुया है और दिशा उसके लिंग पर चढ़ाई कर रही थी. वो मिचेल के लिंग पर उपर नीचे हो रही थी. उसकी हथेलिया मिचेल के सीने पर टिकी हुई थी. उसका चेहरा अब उत्तेजना मे तमतमा रहा था. जिससे लगता था कि अब वो मिचेल के उस बेस बॉल के बॅट जैसे लंड को लेने की अभ्यस्त हो चली थी. तभी वो चीखने लगी,



“आआअहह…..फुउूउक्क….मीई….फुऊूक्ककक मीई हाआऐययईईईईई….आआआहह… क्य्ाआअ…..लुउउन्ड हाईईईई….. आअज्ज टूऊओ गलीई सी हिी निक्ाअल कार मानेगाआ… आज कीए बाद…भूसदाअ बान जाईगाआ…. ऊऊऊहह मिईियचीईएल्ल्ल्ल्ल…..ईईइ आमम्म कूम्म्म्मिईईईंगग…….” और वो झड़ने लगी. मिचेल ने अपनी कमर कालीन से एक फुट उपर उठा दी और दिशा के दोनो स्तनो को अपनी काली मोटी उंगलियों मे दबोच कर इतनी बुरी तरह मसल्ने लगा कि दोनो स्तन सुर्ख लाल हो गये. वो भी दिशा के साथ ही झाड़ गया.



ब्लॅक ने मुझे किसी गुड़िया की तरह उठा कर कालीन पर पीठ के बल पटक दिया और मेरे दोनो टाँगों को अपने हाथों से थाम कर छत की ओर उठा दिया. मैने अपने हाथों से सोफे के पयों को पकड़ लिया.



मुझे उस हालत मे थाम कर मेरी योनि के मुँह पर अपने लंड को सटा कर एक ही धक्के मे अपने पूरे लंड को अंदर पेल दिया. मैने अपनी टाँगों को जितना हो सकता था फैला दिया था.



“आआआआहह…..क्य्ाआ करती हूऊऊ……..यूऔू आअरए गोयिंग तूओ किल्ल मीई” मैं दर्द से चीखते हुए उसके सीने पर मुक्के बरसाने लगी. मगर उस दैत्य के बदन पर तो वो फूलों सरीखे लग रहे थे. वो हंस रहा था और मेरी योनि को फाड़ डालने के लिए धक्के पर धक्के लगाता जा रहा था. मैं अपने बदन को राहत देने के लिए उसके अत्याचार से च्छुतकारा पाने के लिए च्चटपटाना चाहती थी मगर मेरी ये कोशिश उसे कुच्छ और इशारा कर रही थी.



वो समझ रहा था कि मई उत्तेजना मे कसमसा रही हूँ. वो और जोश से मेरी योनि को रोन्दने लगता. मैने अपने आप को उपर वाले के हवाले छ्चोड़ दिया. जब बचने की कोई उम्मीद नही दिखी तो मैने अपने बदन को ढीला छ्चोड़ दिया. जिससे तूफान आकर गुजर जाए.


क्रमशः............

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