जुली को मिल गई मूली compleet

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raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 06 Nov 2014 14:30

हम दोनो नंगी ही, बिना कपड़े पहने रसोई मे आई और मैं कॉफी बनाने लगी. जब तक कॉफी बनती रही, हम आपस मे चुचियों से, गंद से खेलते रहे. कॉफी पीते हुए हम ने अपने अपने मूह मे कॉफी ले कर एक दूसरी का चुंबन लिया और हमरी दोनो की कॉफी हमारे मूह मे मिल गई. अलग अलग हो कर हम ने अपना कॉफी का घूँट पिया तो पता नही था कि उसमे कितनी नीता के मूह की कॉफी थी और कितनी मेरे मूह की कॉफी थी. कॉफी ख़तम करने के बाद नीता मेरे सामने खड़ी हो गई और अपनी निप्पल्स को मेरी निप्पल्स से रगड़ा. हम दोनो की ही दोनो निप्पल्स फिर से सख़्त हो गई.

मैने घड़ी देखी तो रात के 8.45 हो चुके थे. तो समय हो गया था कपड़े पहन ने का. हम दोनो वापस मेरे बेड रूम मे आई. मैने अपना गाउन पहना और नीता ने अपने कपड़े पहने. पहले की तरह, ना तो मैने मेरे गाउन के नीचे ब्रा और चड्डी पहनी थी और ना ही नीता ने अपने कपड़ों के नीचे ब्रा और चड्डी पहनी थी. क्यों कि हम दोनो ही जानती थी कि चुदाई अभी बाकी है.

मैं अपने पति के आने के बाद उनसे चुद्वाने को तय्यार थी और नीता तनु के साथ फिर से लेज़्बीयन चुदाई करने को तय्यार थी.

नीता ने उम्मीद जताई कि हम फिर से जल्दी ही मिलेंगी और फिर से यही लेज़्बीयन चुदाई करेंगी. मैने भी उसकी उम्मीद से अपनी उम्मीद मिलाई. मैने उस से कहा कि मैं दिन मे अकेली ही रहती हूँ और जब भी उसको मौका मिले, वो मेरे घर आ सकती है. नीता ने मुझ से कहा कि मैं तनु को कुछ नही बताऊ. उसने और मैने दोनो ने ये उम्मीद लगाई कि वो दिन जल्दी ही आएगा जब मैं, नीता और तनु, तीनो एक साथ लेज़्बीयन चुदाई करेंगी और मैने नीता से वादा किया कि तब तक तनु को हमारे संबंधों का पता नही चलेगा.

हम ने जैसे ही बाहरी कमरे मे कदम रखा, दरवाजे की घंटी बजी. मैने दरवाजा खोला तो सामने तनु खड़ी थी. मैने तनु को अंदर आने को कहा तो वो अंदर आई. उसने मुझे धन्यवाद दिया और सॉरी भी कहा कि उसको अचानक अपने किसी रिश्तेदार को देखने हॉस्पिटल जाना पड़ा. उसने मुझे फिर से धन्यवाद दिया कि मैने नीता को इतनी देर तक अपने घर मे रखा. ( उस बेचारी को क्या पता कि इतनी देर मे हमने क्या कुछ किया) उस ने मुझे बताया कि उसका पति बाहर गया हुआ है और कल शाम को आएगा और नीता रात को उसके साथ ही, उसके घर मे रहेगी. (मैं तो जानती थी कि रात को दोनो क्या करने वाली है) नीता ने मुस्करा कर मुझ से विदा ली और अपना बेग उठाकर तनु के साथ चली गई.

मैने उनके जाने के बाद दरवाजा बंद किया और अपने पति को फोन किया. उन्होने बताया कि वो घर के रास्ते मे है. मैं अब अपने पति के साथ असली चुदाई का खेल खेलने के लिए, उनसे मज़ेदार चुदाई करवाने को तय्यार थी. मुझे पता था की घर के अंदर आते ही सबसे पहले वो मुझे चोदेन्गे.

और सच कहूँ तो मैं खुद ही चाहती कि नीता के साथ चूत चूत का प्यार करने के बाद अब मुझे मेरे पति की ज़रूरत थी और मैं उनका जानदार, शानदार, कड़क, गरम, सख़्त, लंबा और मोटा लॉडा अपनी चूत मे ले कर चुद्वाना चाहती थी.

क्रमशः..........................


raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 08 Nov 2014 08:46

जुली को मिल गई मूली-25

गतान्क से आगे.....................

मैं एक बार फिर से गोआ मे थी अपने पति के साथ. इस बार हम अपना क्रिस्मस और नया साल अपने माता पिता और अपने सास ससुर के साथ मनाने आए थे. मैं अपने गोआ मे आने के बाद पहले दो दिन अपने ससुराल मे रही थी और फिर दो दिनो के लिए अपने मा बाप के घर आई थी.

हम सब ने हँसी खुशी से क्रिस्मस और नया साल मनाया. दो / तीन दिन बाद हमको देल्ही लौटना था.

यहाँ ना तो ज़्यादा ठंड थी और ना ही ज़्यादा गर्मी. मैं अपनी कार मे मेरे माता पिता के घर से अपने ससुराल आ रही थी. मेरे सास ससुर दोपहर का खाना खा कर मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे. मुझ से कुछ देर बातें करने के बाद वो अपने बेडरूम मे आराम करने चले गये. उनके अपने बेडरूम मे जाने के बाद जैसे ही मैं अपने बेड रूम मे पहुँची, मैने दरवाजा अंदर से बंद कर के सब से पहला काम जो किया वो ये था कि मैने अपने सेक्सी बदन के सारे कपड़े उतार फेंके. रूम मे ए.सी. चालू था जिस से मुझे बहुत राहत मिल रही थी. मैने अपने नंगे और सेक्सी बदन को आईने मे देखा तो मुझे अपने आप पर गर्व होने लगा की मेरे पास इतना शानदार सेक्सी बदन है. ठंडी हवा के मेरे बदन से टकराने की वजह से मेरे रोएँ खड़े हो गये थे और मेरी चुचियों की निप्पल्स भी सख़्त हो कर खड़ी हो गई थी. मेरे पति सुबह से बाहर अपने दोस्तों के पास थे और जैसी की मेरी उन से फोन पर बात हुई थी, वो शाम को मुझे समुंदर किनारे मिलने वाले थे. हालाँकि हमारा प्रोग्राम शाम को वहाँ मिलने का था ताकि हम साथ मे समुंदर मे तैरने का आनंद ले सकें और दूसरे सेक्सी जोड़ों की तरह वहाँ प्यार कर सकें. मैने पहले नहाने का निस्चय किया और घर मे अकेली बैठने के बजाय मैने दोपहर बाद, अपने प्रोग्राम से पहले ही समुंदर किनारे जाने का निस्चय किया ताकि मैं वहाँ के खूबसूरत मौसम का पूरा आनंद ले सकूँ. नहाने के बाद मैने अपने कपड़े पहने, अपने बीच बॅग को पॅक किया और अपनी कार मे बैठ कर समुंदर की तरफ रवाना हो गई.

जैसे ही मैं हाइवे पर पहुँची, मैने अपनी कार का ए.सी. बंद किया और कार के शीशे खोल कर बाहर की खुली हवा का आनंद लेने लगी.

उस वक़्त सड़क पर ज़्यादा भीड़ भाड़ नही थी. मैने कार मे गाने की सी.डी. लगाई और आराम से कार चलाने लगी. ज़्यादा गर्मी नही थी और दौड़ती कार मे तो वैसे भी गर्मी नही लग रही थी. बाहर की ठंडी हवा मुझे आनंद देने लगी. पतले कपड़े का टॉप जो मैं पहने हुए थी, वो तेज हवा के कारण मेरे बदन से चिपक सा गया था. मैने अपना एक हाथ अपनी टाँगों के बीच मे डाल कर, अपनी फुद्दि पर फिराया और उसको थपथपाया. शायद मैं गरम हो रही थी. मैने हल्के से फिर एक बार अपने चड्डी के उपर से ही अपनी चूत पर हाथ फिराया और हल्के से चूत के दाने को मसला. मैं सचमुच गरम हो चली थी.

मेरे अंदर की जो शरारती लड़की थी, वो इस तरह चलती कार मे ऐसा ही करती थी. मैं धीरे धीरे गरम होती जा रही थी और जल्दी से जल्दी पहले से निस्चित की गई जगह पर, एक निज़ी क्लब के सामुद्री किनारे पर पहुँच कर, अपने पति का इंतज़ार करते हुए, वक़्त का सही इस्तेमाल करना चाहती थी.

मैने कार की गति बढ़ाई. मेरे रेशमी बाल हवा मे उड़ते हुए मेरे चेहरे से खेलने लगे. हालाँकि बाहर थोड़ी धूप थी, पर मैं जानती थी की धूप इतनी तेज नही और धीरे धीरे कम ही होने वाली है.

आधे घंटे से भी कम समय मे मैं वहाँ पहुँच गई थी. क्लब के मैन गेट से अंदर आने के बाद मैन पार्किंग की ओर बढ़ी. उस वक़्त पार्किंग करीब करीब खाली थी और मैने अपनी सुविधा के अनुसार अपनी कार पार्क की. मैने कार पर करने बाद अपना बेग उठाया और कार लॉक की.

क्यों कि अभी वहाँ पर कुछ भीड़ नही थी, इसलिए मुझे लग रहा था कि मुझे सही जगह, एकांत वाली जगह मिलने मे कोई परेशानी नही होगी.


raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 08 Nov 2014 08:47

मैं समुंदर के किनारे किनारे चलती हुई आगे बढ़ रही थी. समुंदर की लहरों का पानी मेरे पैरों से टकरा रहा था, उनको गीला कर रहा था और ठंडा कर रहा था. मैं सही जगह की तलाश मे आगे चलती गई और किनारे पर कुछ चट्टानों के पास आ गई. ये एक अच्छी जगह थी जहाँ सूरज की धूप नही आ रही थी और उन चट्टानों के बीच मे किसी की भी नज़र मुझ पर नही पड़ सकती थी. बहुत सही जगह थी. आस पास कोई नही था. मैने अपनी बेग खोल कर उस मे से एक चद्दर निकाली और चट्टानों के बीच, समुंदर की रेत पर वहाँ बिच्छा दी. मैने अपने टॉप के बटन खोले और टॉप को अपने हाथों के बीच से निकाल कर नीचे गिर जाने दिया. मैने अपनी ब्रा भी उतारी तो मेरी गोरी गोरी, गोल गोल चुचियाँ दिन के उजाले मे चमक उठी. मैने अपनी बिकिनी ब्रा पहनी जिस के पीछे मेरी चुचियाँ काफ़ी हद तक छुप गई. फिर मैने अपना स्कर्ट उतारा और बिकिनी की चड्डी निकालने के लिए अपनी बेग पर झुकी. समुंदर की तेज हवा मेरे पैरों के बीच से निकली, मेरी गोल गोल गंद से टकराई और मेरी थोड़ी से गीली हो चुकी चड्डी से टकराई तो मुझे बहुत अच्छा लगा. फिर मैने अपनी रेग्युलर पह्न ने वाली चड्डी उतारी और उस की जगह बिकिनी वाली चड्डी पहन ली. अपने बदन पर से उतारे कपड़ो को मैने अपनी बेग मे रखा और बिच्चाई हुई चद्दर पर बैठ कर अपने सेक्सी बदन पर, जहाँ जहाँ मेरा हाथ पहुँच रहा था, वहाँ वहाँ पर बीच क्रीम लगाई. मैने अपने मोबाइल पर एक सेक्सी गाना लगाया और पानी की बॉटल खोल ली.

जल्दी ही मैं थोड़ी बोर हो गई और मैने समुंदर मे तैरने का मन बनाया. अपने चाहने वालों को मैं बता दूं कि मैं एक अच्छी तैराक हूँ. मैं तैरती हुई समुंदर मे काफ़ी अंदर तक गई और अपने बदन को ढीला छ्चोड़ दिया तो किनारे की तरफ आती लहरों ने मुझे वापस किनारे पर पहुँचा दिया. उस समय मेरी नज़र अपने पति पर नही पड़ी थी जो चट्टानों के पीछे खड़े हो कर मुझे देख रहे थे. ( मुझे मेरे पति ने बाद मे बताया था कि वो भी वहाँ जल्दी पहुँच गये थे और उन्होने मुझे कार से उतरते हुए देखा था.) मेरे पति मुझे चट्टानों के पीछे से देख रहे थे और मैं बे खबर थी. तैरते हुए मेरे हाथ पानी से बाहर आते तो मेरी चुचियाँ पानी की सतह से टकरा रही थी. कुछ देर तैर कर मैं पानी से बाहर आ गई. अपने बदन पर लगाई गई बीच क्रीम की वजह से पानी मेरे बदन पर टिक नही पा रहा था और मैने अपने सिर को झटक कर अपने बालों का पानी झटक दिया था. और मैं वापस अपनी जगह पर, चद्दर पर आ गई थी.

मैने इधर उधर देखा तो मुझे कोई भी नज़र नही आया. मैने अपनी गीली बिकिनी, ब्रा और चड्डी दोनो, अपने बदन से उतारी और उनको सूखने के लिए फैला दिया. अपने पति की उपस्थिति से अंजान, मैं पूरी तरह नंगी थी और मैं वहाँ चद्दर पर नंगी ही बैठ कर अपने बदन पर फिर से क्रीम लगाने लगी. मुझे तब पता नही था कि मेरे पति मुझे देख रहे हैं.

अपने नंगे और सेक्सी बदन पर क्रीम लगाते हुए, अपने बदन पर अपने ही हाथ फिराने से मैं गरम होने लगी. क्रीम लगाते लगाते मैने खुद ही अपनी तनी हुई निप्पल को अपनी उंगलियों के बीच ले कर मसल दिया. मैं खुद ही अपनी चुचियाँ दबाने लगी और आँखें बंद कर के खुद के ही सेक्सी बदन से खेलने लगी.

आस पास कोई नही था और मुझे पता नही था कि मेरे पति मुझे चट्टानों के पीछे से देख रहे हैं. मुझे आनंद आने लगा और मेरे मूह से आवाज़ें निकालने लगी. जल्दी ही मेरा हाथ अपने बदन पर घूमता हुआ मेरी फुददी तक पहुँचा. मैने अपने एक हाथ से अपनी रसीली चूत का मूह खोला और अपने दूसरे हाथ की उंगलियाँ अपनी चूत के दाने पर गोल गोल घुमाने लगी. धीरे धीरे मेरी उंगलियों की रफ़्तार बढ़ने लगी और जैसे जैसे मैं झड़ने के करीब आने लगी, वैसे वैसे मेरी उंगलियाँ मेरी अपनी ही चूत पर ज़ोर ज़ोर से, जल्दी जल्दी घूमने लगी.

चट्टानों के पीछे खड़े मेरे पति मुझे बड़े प्यार से देख रहे थे. उन्होने कभी भी मुझे अपनी खुद की चूत मे उंगली करते हुए नही देखा था. कभी ज़रूरत ही नही पड़ी थी कि मैं उनके सामने अपनी चूत मे उंगली डालूं. उनका लॉडा जो है मेरी प्यास बुझाने के लिए जब वो मेरे पास होते हैं. उन के लिए मुझे हस्त्मैथून करते हुए देखने का ये पहला उर शानदार मौका था. उन्होने मुझे कई बार नंगी देखा है, वो मेरे बदन के हर हिस्से से वाकिफ़ है, उन्होने बार बार मेरे बदन के हर हिस्से को, मेरे हर अंग को बड़े ध्यान से देखा है, पर अपनी सुंदर, सेक्सी पत्नी को नंगे, समुंदर के किनारे, हस्त्मैथून करते हुए, चट्टानो के पीछे छुप कर देखना एक अलग ही नज़ारा था. मेरी दो तनी हुई गोल गोल चुचियाँ, मेरी रेशमी सफाचट फुददी, मेरी गोल गोल मस्तानी गंद और मेरा पेट, सभी मेरी फूलती हुई साँसों के साथ, मेरे चलते हाथों के साथ काँप रहे थे, हिल रहे थे. मेरे हाथों का जादू मेरी फुददी पर चल रहा था. मेरे फैले हुए पैर अपनी जगह टिक नही पा रहे थे और मेरी उंगलियाँ अपना कमाल मेरी अपनी रसीली फुददी पर दिखा रही थी. मेरे पति से अब रहा नही गया. वो मुझे अपनी खुद की ही चूत मे उंगली करते हुए, मुझे हस्त मैथून करते हुए और पास से देखना चाहते थे और वो धीरे धीरे मेरी ओर बढ़े.

लेकिन उनके अपने पास आने के पहले ही मेरे मूह से आनंद की एक चीख सी निकली और मैं झाड़ गई. मैने अपनी टाँगें कस कर भींच ली और मैं अपने झड़ने का मज़ा लेने लगी.

मुझे नही पता कि मैं कितनी देर ऐसे ही लेटी रही. शायद अधिक देर तक नही. क्यों कि अचानक मैने अपने पीछे किसी का साया महसूस किया. मैने ज़्यादा ध्यान नही दिया, मुझे लगा कि बादल का कोई टुकड़ा सूरज के सामने आया है और ये उसका ही साया है. मुझे नही पता था कि वो साया मेरे पति का है जो मेरी सारी कारगुजारी देख चुके हैं.

सागर किनारे, चूत पुकारे, लेकिन मुझे पता नही था कि पति भी निहारे.

पूरी तरह झड़ने का मज़ा लेने के बाद, मैं अपनी बाहें फैला कर, अपनी टाँगें चौड़ी कर के लेट गई और अपनी आँखें बंद किए लंबी लंबी साँसें लेने लगी. मेरे पति मेरे काफ़ी करीब आ चुके थे और मैं इस से अंजान थी. वो मेरी सफाचट, गीली चूत को बहुत नज़दीक से देख पा रहे थे. वो मुझे चोद्ने के लिए पूरी तरह तय्यार थे. वो मेरे फैलाए हुए पैरों के बीच मे, अपने घुटनों पर बैठ गये. अपने पति की मौजूदगी से पूरी तरह से अंजान, मैं हिली भी नही, सिर्फ़ मेरे घहरी गहरी साँसें लेने की वजह से मेरी गंद ज़रूर एक दो बार उपर नीचे हुई थी और मेरी चुचियाँ मेरी हर साँस के साथ उपर नीचे हो रही थी.

उन्होने ज़रा भी हिचकिचाहट नही दिखाई. अब तक वो खुद भी मेरी तरह नंगे हो चुके थे. उन्होने अपने तैरने वाली चड्डी मेरी बिछाई गई चद्दर के किनारे उतार फेंकी थी. उन्होने अपने एक उंगली मेरी गीली चूत पर धीरे से फिराई.


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