रश्मि एक सेक्स मशीन compleet

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raj..
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Re: रश्मि एक सेक्स मशीन

Unread post by raj.. » 09 Dec 2014 20:24

रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -76

गतान्क से आगे...


उसके लिए तो मानो समय रुक सा गया था. वो मुझे एक रफ़्तार से चोदे जा रहा था. आधे घंटे तक एक रफ़्तार से चोदने के बाद भी उसकी रफ़्तार मे उसके जोश मे कोई कमी नही आए. वो लगातार मुझे बिना किसी रहम के इस तरह चोद रहा था जैसे मैं कोई हाड़ माँस की बनी ना हो कर कोई बेजान गुड़िया हू.



मेरा पूरा बदन फोड़े के समान दुखने लगा था. काफ़ी देर तक मुझे इसी अवस्था मे चोदने के बाद उसने मेरी टाँगो को छ्चोड़ दिया तो मुझे कुच्छ राहत महसूस हुई. मुझे उसी हालत मे चोद्ते हुए उसका किसी दैत्य के समान बदन मेरे फूल से बदन के उपर पसर गया. वो अपने दोनो हथेलियों मे मेरे दोनो स्तनो को थाम कर किसी आटे के गोले की तरह मथने लगा.



ब्लॅक ने अब मुझे उल्टा कर वापस घुटनो और हथेलियों के बल पर चौपाया बना दिया. उस अवस्था मे उसने अपने लिंग को मेरी योनि से सटा कर मेरे नितंबों से सॅट गया.



मिचेल दिशा से अलग हो कर मेरे पास आया और मेरे सिर को बालों से पकड़ कर अपने लिंग पर दबाने लगा. मैं मुँह नही खोलना चाहती थी मगर उस विशाल काय राक्षस के सामने मेरी क्या चलती. उसने मेरे निपल्स को पकड़ कर इतनी ज़ोर से उमेटा की मुझे तो दिन मे ही तारे नज़र आने लगे. मैने उनका विरोध करने का इरादा छ्चोड़ कर उनकी इच्छाओं को पूरा करने मे ही अपनी भलाई मानी.



मैने अपना मुँह खोल दिया. मिचेल ने अपने ढीले पड़े लंड को मेरे मुँह मे डाल दिया. मैं समझ गयी कि मुझे क्या करना था. मैं उसके लंड को अपनी हथेलियों से थाम कर चूसने लगी.



उसके लंड से उसके वीर्य और दिशा के वीर्य का मिला जुला स्वाद आ रहा था.मैं उसके लंड को चूसने लगी तो कुच्छ ही देर मे उसका लंड तन कर खड़ा हो गया मैं समझ गयी कि अब ये हम दोनो मे से किसी की योनि को रगड़ कर चौड़ा करने के लिए फिर से तैयार हो चुका है.



उसके लिंग को अब मुँह मे लेने मे मुझे परेशानी होने लगी थी. मगर वो मेरे मुँह को मेरी योनि मान कर धक्के लगाने लगा था. मुझे लगा की आज उसका वो खंबे जैसा लंड मेरे मुँह को चीर डालेगा.



दिशा से भी किसी तरह के मदद की उम्मीद नही कर सकती थी. वो तो मिचेल की चुदाई के बाद किसी बेजान माँस के लोतड़े की तरह बिना किसी हरकत के पड़ी हुई थी. दोनो मुझे इतनी बुरी तरह ठोक रहे थे कि मैं बेहोशी के अंधकार मे डूबने लगी ये देख कर मिचेल ने एक ज़ोर का थप्पड़ मेरे गाल पर मारा तो मैं होश मे आई. उसके थप्पड़ से मेरा होंठ फट गया था और गाल ऐसे सूज गया मानो मेरी किसी ने जम कर पिटाई की हो. ब्लॅक मुझ पर झुक कर होंठ से रिस्ते खून को चाटने लगा. दोनो ऐसे बर्ताव कर रहे थे मानो जंगल से आए हुए दो दरिंदे हों.



लगभग आधे घंटे तक दोनो हैवनो ने मुझे बुरी तरह तोड़ मरोड़ कर रख दिया था. मैं बुरी तरह थक गयी थी. मेरे बदन का एक एक पोर दुख रहा था. तभी अचानक ब्लॅक ने मेरे बालों को अपनी मुट्ठी मे भर कर उपर खींचा तो मैं दर्द से बिलबिलाते हुए अपने सिर को उपर किया जिससे मेरे मुँह के अंदर घुसा मिचेल का लंड बाहर निकल आया.



मिचेल ने मेरे बालों को ब्लॅक की मुट्ठी से निकाल लिया. मिचेल की उत्तेजना अपनी चरमोत्कर्ष पर थी. उसने अब नीचे झुक कर मेरे दोनो झूलते हुए स्तनो को अपनी मुट्ठी मे थामते हुए मेरी पीठ से सॅट गया. वो मेरे दोनो स्तनो को इतनी ज़ोर से मसला की मैं दर्द से बिलबिला उठी. मई दर्द से बचने के लिए और ब्लॅक की गिरफ़्त से बचने के लिए उसकी कलाई मे अपने दाँत गढ़ा दिए.



ब्लॅक की कलाई से हल्का हल्का खून रिसने लगा मगर ब्लॅक को तो मानो किसी दर्द का अहसास ही नही हो रहा था.



उसने अपना मोटा लंड मेरी योनि मे ठोक दिया और एक हाथ से मेरी कमर को पूरे ताक़त से अपने लंड पर दबाए रखा. दूसरे हाथ से मेरे एक स्तन को बुरी तरह से नोच दिया. वो उसी अवस्था मे लगभग दो मिनिट तक रुक कर ढेर सारा वीर्य मेरी योनि मे उधेल दिया. मैं दर्द और थकान से हाँफ रही थी. मेरी चूचियाँ हर साँस के साथ बुरी तरह उपर नीचे हो रही थी.



मेरी बाँहें मेरे जिस्म का वजन ज़्यादा देर तक सम्हाल नही पाई और मैं मुँह के बल कालीन पर गिर पड़ी. मेरा चेहरा कुशन मे धंस चुक्का था. ब्लॅक मेरे जिस्म से सटे रहने की कोशिश मे लड़खड़ा कर मेरे जिस्म पर ही गिर गया. मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे फेफड़ों से सारी हवा निकल गयी हो और एक आध हड्डी अपनी जगह से खिसक गयी हो.



“ आआहह…..” मेरे मुँह से एक ज़ोर की साँस छ्छूट गयी.

क्रमशः............


raj..
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Re: रश्मि एक सेक्स मशीन

Unread post by raj.. » 09 Dec 2014 20:24


रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -77

गतान्क से आगे...

मेरी बाँहें मेरे जिस्म का वजन ज़्यादा देर तक सम्हाल नही पाई और मैं उन्ही के बल कालीन पर गिर पड़ी. मेरा चेहरा कुशन मे धँस चुक्का था. ब्लॅक मेरे जिस्म से सटे रहने की कोशिश मे लड़खड़ा कर मेरे जिस्म पर ही गिर गया. मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे फेफड़ों से सारी हवा निकल गयी हो और एक आध हड्डी अपनी जगह से खिसक गयी हो.

" आआहह….." मेरे मुँह से एक ज़ोर की साँस छ्छूट गयी.

कुच्छ देर तक ब्लॅक मेरे बदन पर यूँ ही पसरा रहा. फिर दो मिनिट बाद ही दोनो इस तरह उठे मानो कुच्छ हुआ ही ना हो. इधर हम दोनो की हालत तो ऐसी हो रही थी मानो कबड्डी खेल कर लौटी हों.

दोनो अब दिशा की ओर झपते. दिशा कुच्छ भी नही कर सकी वो वैसी ही पड़ी रही. बस मुँह से एक बार विरोध मे " नाअ…." निकला.

दोनो जानवरों की तरह उस पर टूट पड़े. दिशा को कुच्छ करने की ज़रूरत ही नही पड़ी. वो बस हाँफ रही थी. और लंबी लंबी साँसे ले रही थी.

दोनो ने उसे किसी मोम के पुतले की तरह उठा लिया. ब्लॅक पीठ के बल लेट गया उसका तननाया हुआ लंड छत की ओर खड़ा था. मिचेल ने दिशा को कमर से पकड़ कर मिचेल के लंड के उपर सेट हवा मे उठा रखा था. ब्लॅक दिशा की हालत देखते हुए हँसने लगा और हंसते हुए अपने लंड को अपनी एक हथेली से थामा. उसने हथेली से उसने दिशा की योनि की फांको को फैलाया.

" ह्म्‍म्म्म" उसने एक आवाज़ निकली और मिचेल ने अपने हाथों को ढीला कर दिया. दिशा अपने जिस्म के बोझ से ब्लॅक के तने लंड पर बैठती चली गयी.

" आआअहह…." दिशा के मुँह से एक कराह निकली. वो उसके लंड से उठने को हुई तो मिचेल ने उसके कंधों पर अपने हाथों का दबाव डाल कर उठने नही दिया. दिशा उसके लिंग पर बैठ चुकी थी. दिशा ने अपने एक हाथ को अपनी जांघों के बीच कर ब्लॅक के लिंग को टटोला. उसे विस्वास हो गया की उसकी योनि ब्लॅक के लंड को पूरी तरह निगल चुकी थी.

" उफ़फ्फ़….." उसके मुँह से एक आवाज़ निकली और मेरी तरफ देखा. मैं उसके पास ही लेटे लेटे लंबी साँसे ले रही थी.

ब्लॅक ने उसके दोनो निपल्स को अपने लोहे के समान सख़्त उंगलियों से पकड़ कर अपनी ओर इतनी ज़ोर से खींचा की दिशा की आँखों मे आँसू आ गये. वो ब्लॅक के जिस्म से सॅट गयी.

"आआआहह….नूऊऊऊओ……प्लीईई" दिशा दर्द से कराह उठी. उसके ब्लॅक के जिस्म पर झुकते ही मिचेल ने अपनी उंगलियों को दिशा के गुदा द्वार पर फिराया और अपनी एक मोटी उंगली को दिशा के गुदा मे डाल दिया.

दिशा उसकी अगली हरकत को भाँप कर छॅट्पाटा उठी. ब्लॅक ने उसके फूल से जिस्म को अपनी फौलाद समान बाजुओं मे कस कर पकड़ लिया. मिचेल ने अपनी हथेली पर धीर सारा थूक डाल कर उसे दिशा के गुदा द्वार पर लगाया और फिर अपने खंबे की तरह तने लंड को उसके गुदा द्वार पर लगा कर एक झटका दिया मगर मिचेल का लंड आधा इंच भी भीतर नही गया.

" ऊऊऊओह…….माआआ…..प्लीईआसए……. नूऊओ…… नूऊऊ नोट तीएरीए……." दिशा चीख रही थी. लेकिन उन दोनो को उसकी चीखों से कोई लेना देना नही था.

मिचेल ने अपने लंड को दोबारा सेट कर के फिर से एक ज़ोर दार झटका दिया. दिशा की आँखें फटी की फटी रह गयी. उसका मुँह खुला हुआ था और मुँह से " हर्र्ररर….हाअरररर" जैसी आवाज़ें निकल रही थी. इस बार भी मिचेल का लंड उसकी गांद मे नाम मात्र ही घुस पाया था.

मिचेल ने फिर से अपने लंड को खींच कर बाहर निकाला और अपने दोनो हाथों से उसके नितंबों को अलग कर दो उंगलियों को दिशा के गुदा मे डाल कर चौड़ा किया जिससे उसकी गांद कुच्छ खुल गयी. ऐसे पोज़िशन मे उसने अपने लंड को दिशा के गांद के छेद मे लगा कर अपनी कमर से एक और झटका दिया. उसका झटका इतना ज़ोर दार था कि दिशा और उसके नीचे लेती ब्लॅक दोनो ही कुच्छ इंच आगे खिसक गये. मिचेल के लंड का किसी टेन्निस की बाल जैसा सूपड़ा दिशा के गुदा मे घुस चुक्का था.

" माआअरर्ररर डााअलाआ………….आआआआआहह……….." दिशा किसी जिबह किए जा रहे जानवर की तरह छॅट्पाटा उठी और फिर एक दम से शांत हो गयी. वो बेहोश हो चुकी थी.

" फक…..दिस होर हॅज़ फेनटेड." मिचेल ने ब्लॅक को कहा, " ब्रिंग दिस बिच टू कनससनेस अगेन."

ब्लॅक ने दिशा के गाल पर दो ज़ोर दार थप्पड़ लगाए जिससे दिशा वापस होश मे आ गयी. होश मे आते ही दिशा दर्द से रोने लगी. उन हबशियों का मूसल के समान लंड चूत मे लेने का सोच कर ही डर से रोंगटे खड़े हो जाते थे फिर दिशा तो मिचेल के लंड को अपने गुदा मे झेल रही थी.

" प्लीज़…….उफफफ्फ़…..प्लीज़…..टके युवर शाआफ़्ट आउट….आआआहह ई आम ंूओत….. उउउस्सेद तो सच आ ह्यूज शॅफ्ट इन मी अरसे………प्लीईआसए हाअवे सूओमे मेर्स्यययी ओं मीईए………..माआ…..आआअज ये मुझे माअर डालींगे."

उन दरिंदों को उसकी चीखों से और उसके तड़प से कोई लेना देना नही था. वो दोनो दिशा की हालत पर दरिंदों की तरह हंस रहे थे. मिचेल ने दिशा को किसी रंडी की तरह ठोकना शुरू किया. अपने हाथों से उसकी गर्देन को ब्लॅक के चेहरे पर दाब दिया और उसके गुदा मे अपना लंड पेलने लगा. दिशा हर धक्के के साथ कराह उठती थी. वो दर्द से ज़ोर ज़ोर से चीख रही थी. मगर उसकी चीखों पर रहम खाने वाला कोई नही था. उसकी चीखें उस साउंड प्रूफ कमरे मे घुट कर दम तोड़ रही थी.

दोनो दिशा को अप्राकृतिक तरीके से आधे घंटे तक चोद्ते रहे. दोनो पंद्रह मिनिट तक इसी तरह उसे ठोकने के बाद अपनी अपनी जगह बदल लिए. अब मिचेल का लंड दिशा की चूत मे धँसा हुआ था तो ब्लॅक उसकी गंद मे अपना मोटा लंड डाल कर धक्के मार रहा था.

आधे घंटे की चुदाई के बाद दोनो ने अपना अपना रस दिशा के दोनो च्छेदों मे भर दिया. दोनो पाँच मिनट तक लेटे आराम करते रहे फिर अब दोनो मुझे पर टूट पड़े. ऐसा लग रहा था मानो दोनो हाड़ माँस के नही बल्कि लोहे के बने हों. पूरी रात हम दोनो को चोद चोद कर अधमरा कर डाला लेकिन दोनो के जोश मे कभी भी रत्ती भर भी शिथिलता नही आए.

दस पंद्रह मिनिट आराम करने के बाद तो दोनो वापस आधे घंटे की ठुकाई के लिए तैयार हो जाते थे. हम दो नाज़ुक महिलाएँ उनकी बर्बरता ना झेल पा रही थी. कई बार हम दोनो बेहोश हो जाती थी तो भी वो हमे वापस होश मे लाकर ठोकते थे. रात भर मे तो दोनो ने हमे हिलने डुलने के भी काबिल नही रहने दिया.

मैं तो उनकी ज़्यादती झेलती झेलती इतनी थक चुकी थी की ऐसी हालत मे भी मैं नींद की आगोश मे चली गयी. लेकिन उन्हों ने मुझे वापस जगा दिया. ऐसा लग रहा था कि रात ख़तम ही नही होगी और सुबह तक हम जिंदा नही बचेंगे.

लेकिन दोनो ही चीज़ें नही हुई. सुबह भी हुई और हम पूरे होशो हवस मे पड़े थे. पूरे दिन हम दर्द से कराहती रही. आस्रम की दूसरी महिलाओं ने हमारी भरपूर सेवा की. स्वामी जी भी काफ़ी देर तक हमारे सिरहाने बैठ कर हमे प्यार से सहलाते रहे.

आश्रम के डॉक्टर ने भी हमे चेक किया और हम दोनो कॉसेडाटिव का इंजेक्षन दिया. ऐसा लग रहा था जैसे दोनो छेदो मे किसी ने ब्लेड से चीरा लगाया हो. दोनो के बदन पर कई कई जगह नीले नीले निशान पड़ गये थे. दोनो के स्तन और निपल इतने दुख रहे थे कि पूरे दिन हम ब्रा नही पहन पाए.

उसके बाद अगले दिन हम वहाँ से वापस चले आए. दिशा से मैं इतनी घुल मिल गयी थी को दोनो बिच्छाड़ते समय आपस मे लिपट कर खूब रोए. हमने जल्दी ही मिलने का एक दूसरे से वादा किया.

देवेंदर जी और मेरे पति जीवन कहाँ व्यस्त रहे पता ही नही चल पाया. क्योंकि दोनो एक दो बार से ज़्यादा हमे नही दिखे. ज़रूर रजनी या किसी और महिला को उनको व्यस्त रखने का दयित्व दिया गया होगा. दरअसल हम दोनो औरतें ही इतनी व्यस्त रही की कुच्छ और सोचने का वक़्त ही नही मिला. जीतने समय हम आश्रम मे रहे उसमे से ज़्यादातर वक़्त हमने छत देखते हुए गुज़ारी.

हमारा कार्यक्रम इतना व्यस्त था कि हम एक दूसरे के पति से ज़्यादा घुल मिल ही नही पाए. हमने वादा किया की अगली मुलाकात सिर्फ़ हम चारों की होगी और हम चारों एक दूसरे के ज़्यादा अंतरंग होने की कोशिश करेंगे.

हम चारों ने अलविदा कहने से पहले घंटे भर साथ साथ बिताए. उनका साथ बहुत अच्च्छा लगा. दिशा से तो बहुत ही घुल मिल गयी थी. उनके हज़्बेंड से मिल कर भी बहुत अच्च्छा लगा. बहुत हँसमुख स्वाभाव के आदमी थे. हर बात को मजाकिया तौर पर लेना उनकी आदत थी.

तभी बस वहाँ पहुँच गयी. हमारा सामान बस मे चढ़ाया जाने लगा. हम चारों एक दूसरे के पार्ट्नर्स मे ऐसे व्यस्त थे मानो कितने सालों की पहचान हो.

बस मे चढ़ने से पहले दिशा मुझसे लिपट गयी. फिर उसने मुझे देवेंदर जी की ओर इशारा किया. देवेंदर जी ने भी मुझे अपनी बाँहों मे खींच लिया. मेरे उभार उनके सख़्त सीने पर दब गये. उन्हों ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर अलविदा कहा.

" अगली बार तुम्हे जी भर कर देखूँगा इन कपड़ों के बिना." उन्हों ने मेरे कानो मे धीरे से कहा.

" मुझे भी आपका इंतेज़ार रहेगा. जल्दी आना. देखो शायद यही सब बातें वो दोनो भी कर रहे हैं." कह कर मैने दिशा और जीवन की ओर इशारा किया. वो दोनो भी आलिंगन बद्ध खड़े एक दूसरे को प्यार कर रहे थे.

तभी किसी शिष्या ने बस छ्छूटने की सूचना दी तो हम बस पर चढ़ गये. वापसी मे जीवन ने बहुत एंजाय किया पूरे रास्ते वो महिलाओं के नग्न बदन से लिपटे रहे. उन्हों ने सेक्स को तरह तरह से एंजाय किया.
क्रमशः.......

raj..
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Re: रश्मि एक सेक्स मशीन

Unread post by raj.. » 09 Dec 2014 20:25

रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -78

गतान्क से आगे...
मैं इतनी थॅकी हुई थी की ज़्यादा खेल नही पाई. स्वामी जी ने एक बार ज़रूर चोदा मुझे मगर मेरा एक एक अंग दर्द कर रहा था इसलिए मैने जल्दी ही हथियार डाल दिए.

मैं भी पूरी यात्रा मे नंगी ही रही. लेकिन सहवास से दूर ही रही. मेरी कमर और योनि बुरी तरह दुख रही थी. स्वामी जी निराश ना हो जाएँ ये सोच कर मैने उन्हे मना नही किया मगर उनके अलावा और किसी के साथ सॅभॉग से बचती रही. अधिकतर समय मैने सोते हुए बिताया. स्वामी जी ने भी सबको निर्देश दे रखा था की मेरे आराम मे कोई खलल ना डाले.

पहले उन्हों ने हमे लनोव मे घर पर छ्चोड़ा फिर बस आश्रम की ओर चली गयी. हम पर थकान हावी थी इसलिए पूरा दिन सिर्फ़ सोते हुए ही गुजरा. जीवन ने बिस्तर पर लेट कर मुझे अपने आलिंगन मे ले कर खूब प्यार किया.

" कैसी रही यात्रा खूब मज़े किए होगे?" मैने उनके होंठों को अपने दाँतों से चबाते हुए पूच्छा.

" होंठों को छ्चोड़ॉगी तभी तो बताउंगा." उन्हों ने मुझे हटाते हुए कहा.

" अच्च्छा?.....अब मुझे अपने से दूर भी करने लगे हो. क्यों कौन सी भा गयी?" मैने उनके सीने पर अपने दाँत गढ़ाते हुए पूचछा.

" दोनो ही एक से बढ़कर एक थी…..मज़ा आ गया….दोनो ऐसी एक्सपर्ट थी कि क्या बताऊ. मुझे गणना समझ कर चूस लिया दोनो ने. मुझे तो कोई मेहनत नही करनी पड़ी दोनो ने ही चोदा मुझे. "

" हाहाहा….दोनो महिलाओं ने आपका रेप कर दिया और आप बड़े महारती बनते थे औरतों ने चूस के रख दिया ना सारी हेकड़ी?" मैं उन्हे छेड़ रही थी.

" मेडम शेर वही होता है जिसका लंड हर वक़्त तैयार रहे. बिल्कुल एवरेडी की तरह. ज़रा सा घिसो और जिन्न तैयार." उन्हों ने मेरी हथेली अपने खड़े हो रहे लिंग पर रख कर दबाया.

" अच्च्छा तो फिर चलो मुझसे कबड्डी खेलने को तैयार हो जाओ. आज नही छ्चोड़ूँगी तुम्हे." कह कर मैं उनके उपर सवार हो गयी. और उनकी शर्ट के दोनो पल्लों को पकड़ कर पूरी ताक़त से एक झटका दिया. शर्ट के बटन्स पाट-पाट की आवाज़ के साथ इधर उधर उच्छल उच्छल कर गिरने लगे. उनका शर्ट सामने से पूरा खुल चुका था.

उन्हों ने भी जोश मे आकर मेरे गाउन को गिरेबान से पकड़ कर फाड़ डाला. उन्हों ने मेरे दोनो स्तनो को थाम लिया और उन्हे मसल्ने लगे. मेरे स्तनो को लोगों ने इतनी बेदर्दी से मसला था क़ि जीवन के हाथ लगते ही वो किसी फोड़े की तरह दुखने लगे और मेरे होंठों से दर्द भरी "आआहह" निकल गयी.

"क्या हुआ?" जीवन ने पूछा.

" बहुत दुख रहा है. छ्छूने से ही दर्द कर रहा है." मैने उनसे कहा.

" कैसे? क्या हो गया है?"

" तुम दूसरी औरतों को चोदोगे तो तुम्हारी बीवी की भी तो किसी और से चुदाई होगी. लोगों ने इतनी बुरी तरह इन चूचियो को मसला की ब्लाउस पहनने मे भी दर्द हो रहा है. दोनो स्तन सूज गये हैं और निपल्स पर तो हल्का घाव भी हो गया है. प्लीज़ कुच्छ दिन इन्हे मत च्छुओ. बाद मे अपने मन का कर लेना. बस दो तीन दिन रुक जाओ. प्लीज़...मेरे सोना..." मैने जीवन से मिन्नतें की.

"अच्च्छा इतनी देर से मेरी खिंचाई हो रही थी और मेडम खुद जम कर कबड्डी खेल कर आई है. इस बारे मे कुच्छ भी नही बताया मुझे." जीवन ने मुझे कंधों से पकड़ कर अपनी ओर खींचा और मेरे होंठों को चूमने लगे.

" क्यों बटाऊ? औरतों से कभी सेक्स के बारे मे पूच्छा जाता है क्या. मर्द तो होते ही निर्लज्ज हैं सो अपनी चुदाई की दास्तान चटखारे ले लेकर सुनाने मे उन्हे मज़ा आता है.

मैने उनके गालों पर अपने दाँत गढ़ा दिए और अपना हाथ नीचे ले जाकर उनके पॅंट के बटन्स और ज़िप खोल कर उनका तननाया हुआ लंड बाहर निकाला. फिर एक झटके से अपने बदन से इकलौते फटे हुए गाउन को निकाल कर दूर फेंक दिया. फिर अपने हाथों से उनके लंड को अपनी योनि पर सेट करके उनकी कमर पर धम से बैठ गयी. उनका लिंग अंदर जाते ही मेरी तीस्ती हुई चूत को आराम मिला. मैने अपनी दोनो हथेलिया उनके सीने पर रख दी और बहुत धीरे धीरे अपनी योनि को उनके लिंग पर उपर नीचे करने लगी.

मैने अपनी योनि के मसर्ल्स से उनके लिंग को भींच रखा था जिससे उनको भी भरपूर मज़ा आए. कुच्छ ही देर मे दोनो उत्तेजना मे फूँकने लगे तो मैने अपने कमर की स्पीड बढ़ा दी. अचानक मेरे जिस्म मे बिजलियों से दौड़ने लगी. मैने अपने नाख़ून उनके सीने पर गढ़ा दिए और उनके सीने को नोच डाला. अपने दाँतों को भी उनके कंधे पर गढ़ा दिए. मेरी योनि से रस की फुहार छ्छूटने लगी.

कुच्छ ही पल बाद मैं उनके सीने पर बेजान सी लुढ़क गयी और ज़ोर ज़ोर से हाँफने लगी. जीवन ने मुझे बिस्तर पर गिरा दिया और खुद मेरे उपर सवार हो गये.

" बस आज रहने दो....बुरी तरह थक गयी हूँ. इतना चूड़ी हूँ इन कुच्छ दिनो मे की चलने फिरने मे ही मेरी जान निकल जाती है. मैं भागे थोड़े ही जा रही हूँ. दो दिन ठहरो फिर चाहो तो पूरे दिन मुझे बिस्तर से मत उठने देना." मैने गिड़गिदते हुए कहा.

" अच्च्छा खुद का तो निकल गया अब मुझे प्यासा छ्चोड़ रही हो. तुम्हे कोई हरकत करने की ज़रूरत नही है. बदन को हल्का कर के चुप चाप लेटी रहो. मुझे अपनी गर्मी शांत कर लेने दो फिर छ्चोड़ दूँगा." कह कर वो अपने लिंग को मेरी योनि मे अंदर बाहर करने लगे. मैने दर्द से अपने होंठ दाँतों के बीच दबा लिए.

" प्लीज़ जल्दी निकालो अपना रस." मैने कहा.

" मुझे बताओ क्या क्या हुया था तुम्हारे साथ फिर देखना उत्तेजना मे कितनी जल्दी झाड़ जाएगा मेरा." उन्हों ने कहा.

" बाप रे क्या लंड थे उन नीग्रोस के. एक एक हाथ लंबे और इतने मोटे." मैने अपने हाथों से इशारा कर उन्हे दिखाया.

" जब अंदर ठोकते तो लगता मानो मुझे टाँगों से फाड़ कर दो टुकड़े कर देगा. ऐसा लगता मानो मुँह की तरफ से बाहर निकल आएगा. जान ही निकल कर रख दी थी उन लोगों ने. दिशा का भी यही हाल था. उनसे चुड ने के बाद तो हम दोनो से सुबह बिस्तर से उठा भी नही जा रहा था. रजनी और उसके साथ की लड़कियों ने घंटों भर हम दोनो की योनि की सिकाई की और पेन किलर्स खिलाया तब हम दोनो की उठने जैसी हालत हुई थी. दिशा की चूत तो फाड़ ही डाली थी उन दोनो ने. उस से खून टपका था" मेरे इतना सुनते ही जीवन अपने उपर कंट्रोल नही रख पाया और उसके लिंग से वीर्य की धार से मेरी योनि भर गयी.

फिर हम दोनो एक दूसरे से लिपट कर उसी हालत मे सो गये.


घर वापस लौटने के बाद अचानक मुझे एक प्रॉजेक्ट पर नेपाल भेज दिया गया . मुझे अपना काम ख़त्म करने मे दो महीने लग गये. इस बीच मैं आश्रम और उसके उन्मुक्त महॉल से दूर ही रही.

वहाँ प्रेस की तरफ से एक कार और ड्राइवर का इंटेज़ाम किया गया था. नेपाली ड्राइवर का नाम था तेजस थापा. तेजस बहुत ही स्मार्ट लड़का था. लड़का ही कहना चाहिए 20-22 साल का गबरू जवान था. देखने मे किसी आम नेपाली की तरह था मगर हॅटा कट्ता और छह फुट के करीब लंबा था. उसकी मुस्कुराहट इतनी प्यारी थी की किसी भी लड़की का दिल जीत सकती थी.

मुझे वो पहली नज़र मे ही भा गया था. मगर मैं उसे ज़्यादा लिफ्ट नही देना चाहती थी. क्योंकि मैं जानती थी किसी मर्द को लिफ्ट देने का अंत बिस्तर पर ख़त्म होता है और मैं किसी स्कॅंडल से दूर ही रहना चाहती थी.

ये और बात है कि तेजस मुझ पर डोरे डालने की भरपूर कोशिश करता था.

जहाँ भी मुझे जाना होता वो साथ जाता. मैने अक्सर देखा था कि वो अपने कार का बाक्व्यू मिरर मेरी चूचियो पर फोकस करके रखता था. मैं उसे और उकसाने के लिए जॅकेट और टी-शर्ट पहनती थी. टी शर्ट के भीतर कुच्छ नही पहनती थी. जब मैं कार मे बैठती तो अपने जॅकेट की ज़िप खोल देती थी. टी शर्ट्स टाइट होने की वजह से स्तनो के ऊपर चंदे की तरह चिपक जाती थी. टी शर्ट के उपर से मेरे दोनो स्तन और निपल्स सॉफ नज़र आते थे. ब्रा मे कसे नही होने की वजह से कार के हर झटके के साथ मेरे स्तन डॅन्स करने लगते थे. उनकी हरकतों को देख कर मैं दावे के साथ कह सकती हूँ की उसका लंड चुप नही बैठ पाता होगा.

मुझे तो हर वक़्त यही डर लगा रहता था कि वो मेरे स्तनो को देखने के चक्कर मे उन पहाड़ी रास्तों पर कार का बॅलेन्स ना खो बैठे नही तो हम दोनो की हड्डियों का भी किसी को पता नही चल पाता.

हम दोनो ढेर सारी बातें करते रहते थे. कई बार हमारी बातें रोमॅंटिक और अंतरंग हो जाती थी. कई बार हम एक दूसरे के पर्सनल जीवन मे भी झाँकने लगते थे. वहाँ रहने के दौरान हम काफ़ी घुल मिल गये थे.

उसकी शादी भी हो चुकी थी. उनके यहाँ बचपन मे ही शादियाँ हो जाती थी. उसने एक बार अपनी से भी मुझे मिलवाया. किसी सुंदर गुड़िया की तरह लगती थी. उसकी पत्नी
क्रमशः.......

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