सबाना और ताजीन की चुदाई compleet

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raj..
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Re: सबाना और ताजीन की चुदाई

Unread post by raj.. » 01 Nov 2014 21:58



फिर वो उठी और जगबीर के लंड को चूम चाटकार सॉफ कर दिया.
"चलो में भी बाथरूम में जाकर सॉफ हो जाती हूँ. तब तक शायद शबाना और प्रताप का भी काम हो जाएगा." यह सुनकर जगबीर को ध्यान आया कि वो दोनों भी दूसरे कमरे में मज़े ले रहे हैं.

जगबीर उठकर सीधे दूसरे कमरे में गया, दरवाज़ा बंद था. उसने दरवाज़े को धक्का दिया, वो खुल गया. अंदर से बंद करना भूल गयी थी शबाना.

शबाना की दोनों टाँगें हवा में तार रही थी और प्रताप उसके ऊपर चढ़कर धक्के लगा रहा था शबाना की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थी और प्रताप के धक्के रफ़्तार पकड़ रहे थे, अचानक शबाना ने अपने पैर बेड पर रखे और ज़ोर से अपनी गंद हवा में उठा दी, उसकी मस्ती चरम पर पहुँच रही थी और वो झड़ने वाली थी. उसने नीचे से प्रताप के लंड पर ज़ोरों से झटके देने शुरू कर दिए, जैसे उस लंड को अपनी चूत में दबाकर खा जाएगी. उधर प्रताप के भी धक्के तेज़ होने लगे.
तभी प्रताप ने धक्के रोके और शबाना को उठाकर अपने ऊपर बिठा लिया, शबाना की चूत में लंड घुसा हुआ था और वो प्रताप के ऊपर बैठी थी, प्रताप ने उसकी गंद के नीचे अपने हाथ रखे और उसे उठाकर उसकी चूत में लंड के धक्के लगाने लगा, शबाना का पूरा वज़न उसके लंड पर था और जैसे उसकी चूत में हथौड़े चल रहे थे, उसकी सिसकारिया और तेज़ हो गयी और अब वो आवाज़ों में बदल गई थी. प्रताप ने उसे ऐसे वक़्त में पलट दिया था जब उसकी चूत में बरसात होने वाली थी, इसलिए उत्तेजना बिल्कुल चरम पर थी उसकी, ऐसा लग रहा था जैसे रेगिस्तान में बारिश वाले बादल आए और अचानक छेंट गये.

जगबीर का लंड फिर खड़ा हो गया यह सब देख कर और वो सीधे अंदर घुस गया. प्रताप ने उसे देख लिया पर वो रुका नहीं. शबाना को पता नहीं था कि जगबीर अंदर आ चुका है. जगबीर सीधे शबाना के पीछे जाकर खड़ा हो गया, और शबाना के गले को चूमने लगा. शबाना बिल्कुल चौंक गई, मगर उसकी हालत ऐसी नहीं थी कि वो कुच्छ कर पाती, तभी जगबीर ने पीछे से हाथ डालकर उसके मम्मे पकड़ लिए और पीछे से उसकी पीठ को बेतहाशा चूमते हुए उसके मम्मों को दबाने लगा. फिर शबाना को उसने धक्का दिया और वो सीधे प्रताप की छाती से चिपक गई, उसकी चूत में प्रताप का लंड घुसा हुआ था और अब भी प्रताप उसे उच्छाल रहा था, तभी जगबीर नीचे झुका और शबाना की गंद चाटने लगा. शबाना को जैसे करेंट सा लगा, लेकिन एक अजीब सी चमक आ गई उसकी आंघों में. जगबीर उसकी गंद को चाते जा रहा था, शबाना की चूत का पानी गंद तक आ चुका था और जगबीर ने उसकी गंद में उंगली डालना शुरू कर दिया. शबाना तो जैसे एकदम पागल हो गई, अब वो डबल मज़ा लेने के पूरे मूड में आ गयी थी.

raj..
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Re: सबाना और ताजीन की चुदाई

Unread post by raj.. » 01 Nov 2014 21:59

यूँ तो प्रताप भी उसकी गंद मार चुका था, लेकिन गंद और चूत दोनों में एक साथ लंड की बात सोचकर ही उसकी उत्तेजना और बढ़ गई. अब जगबीर ने अपना मुँह हटाया और अपना लंड शबाना की गंद पर रख दिया और धीरे धीरे दबाव बढ़ने लगा. शबाना ने प्रताप को रुकने का इशारा किया, वो महसूस करना चाहती थी, जगबीर के लंड को अपनी गंद में घुसते हुए, हर चीज़ का पूरा मज़ा लेती थी वो. आराम से, कोई जल्दी नहीं थी उसे. हर चीज़ का पूरे इतमीनान से इस्तेमाल करती थी. आहा, मज़ा आ रहा था, चूत में लंड घुसा हुआ था, और गंद में भी लंड का प्रवेश होने वाला था. शबाना ने प्रताप को इशारा किया - "जगबीर आराम से धीरे धीरे डालना, पूरा मज़ा लेकर - पूरे इतमीनान से" प्रताप ने कहा. शबाना को चुदाई करवाते वक़्त बोलना पसंद नहीं था, वो सिर्फ़ आँखें बंद करके मज़े लेना चाहती थी. वो भी आराम से, यही वजह थी कि वो काफ़ी देर तक चुदाई करती थी.

अब जगबीर का लंड पूरा शबाना की गंद में घुस चुका था और उसने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए, उसके धक्कों के साथ ही शबाना भी आगे पीछे होने लगी और उसकी चूत में घुसा लंड भी अपने आप अंदर बाहर होने लगा. शबाना जैसे जन्नत में पहुँच गई. उसने कभी नहीं सोचा था वो एक साथ दो लंड खाएगी और उसमें इतना शानदार मज़ा आएगा. प्रताप ने भी धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए. अब शबाना की गंद और लंड दोनों में लंड घुसे हुए थे और वो चुदाई के आसमान पर थी, उसकी आँखें बंद हो गई और उसकी सिसकारियाँ फिर शुरू हो गई, वो अपनी कोहनी का सहारा लेकर झुक गई और अपनी गंद धीरे धीरे हिलने लगी, फिर रुक गई. प्रताप ने उसे रोक लिया "आज बस लेटी रहो, हम तुम्हें ऐसे ही पूरा हिला देंगे जानेमन" - अब प्रताप और जगबीर ने अपने धक्के तेज़ कर दिए और शबाना जैसे दो लंडो पर बैठी उच्छल रही थी. सी-सॉ के गेम की तरह, कभी पलड़ा यहाँ भरी तो कभी वहाँ भरी. प्रताप ने ठीक कहा था, उसे हिलने की भी ज़रूरत नहीं थी. अब उसकी आवाज़ें तेज़ होने लगी और उसकी चूत और गंद में फिर हथोदे चलने लगे. तभी उसकी चीख सी निकली और उसकी चूत से झरने फुट पड़े, और उसकी गंद में जैसे किसी बे गरम गरम चाशनी भर दी हो. जगबीर भी चूत गया था - और प्रताप भी. जगबीर भी शबाना के ऊपर ही सो गया, उसका लंड अब भी शबाना की गंद में था.

raj..
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Re: सबाना और ताजीन की चुदाई

Unread post by raj.. » 01 Nov 2014 22:00



कुच्छ देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद शबाना ने अपने कंधे उचकाय. जगबीर ने अपना लंड उसकी गंद से निकाला और बाथरूम में घुस गया. शबाना ने प्रताप का लंड चाट कर साफ किया और उसके पास ही लेट गई.

रात के दो बज रहे थे. "कैसा लगा शाब्बो" "एक पर एक तुम्हें नहीं, मुझे मिला है", फिर दोनों हँसने लगे. "लेकिन, जगबीर भरोसे का आदमी तो है ना ?" "जानू, एकदम पक्का भरोसे का है, और वो सरदार है. तुम बिल्कुल बेफ़िक्र रहो, वो उनमें से नहीं है जो तुम्हें परेशान या बदनाम करेगा." "बस में यही चाहती हूँ."

तभी जगबीर बाहर आ गया. शबाना उठी और बाथरूम में घुस गई.

"यार यह तो उम्मीद से दुगना हो गया !!" "हां लेकिन ध्यान रहे किसी को पता ना चले, अच्छे घर की हैं यह." "जानता हूँ यार, किसी को बताकर क्या मुझे अपना ही खाना बिगाड़ना है ? और मेरी बीवी को पता चलेगा तो मेरी खुद शामत आ जाएगी. वाहे गुरु की दया है हम क्यों किसी को तकलीफ़ में डालेगे यार ! सबकुच्छ तो है अपने पास". बाथरूम में नहाती हुई शबाना यह सुनकर आश्वस्त भी हुई और खुश भी.

"क्या कर रहे हो दोनों ? शबाना कहाँ है ? और जगबीर तुमने कपड़े नहीं पहने ? क्या यहाँ भी मज़े किए हैं ?" ताज़ीन की आवाज़ थी यह.
"दो दो जगह मज़े करें ऐसी किस्मत प्रताप की ही है, हमारी नहीं. जल्दी क्या है डार्लिंग पहन लेंगे, वहाँ तुम बाथरूम में हो, और यहाँ पर शबानाजी - जाएँ तो जाएँ कहाँ ?"
"अब तो बाथरूम खाली है, जाओ." जगबीर निकल गया.

शबाना समझ गई, सरदार बात का पक्का है, उसने ताज़ीन को भनक भी नहीं लगने दी कि शबाना ने प्रताप का लंड अपनी चूत में तो जगबीर का लंड अपनी गंद में घुस्वाया था.

शबाना की गंद और चूत दोनों की खुजली एक साथ शांत हो गयी थी. वो अब भी मस्तिया रही थी और उसे लग रहा था जैसे अब भी उसकी चूत में प्रताप का और गंद में जगबीर का लंड घुसा हुआ है और वो चुदाई करवा रही है.

उसने झटपट अपनी चूत और गंद की खबर ली, गाउन पहना और बाहर आ गई. ब्रा पॅंटी पहन कर उसे अपना मूड नहीं खराब करना था. और चूत और गंद को भी तो खुला रखना था, आख़िर इतनी मेहनत हो की थी दोनों ने.

चारों फ्रेश होकर कॉफी पीने बैठे.

तभी एक तस्वीर देख कर जगबीर ने कहा "तो इन महाशय की बीवी हैं आप" "जी हां. यही परवेज़ हैं. क्या आप जानते हैं इनहें ?". "नहीं बस ऐसे ही पूच्छ लिया, क्या वो शहर से बाहर गये हैं ?" "हां, कल शाम को आ जाएँगे"

कॉफी का कप रखते हुए जगबीर ने कहा "ठीक है तो हम चलते हैं, फिर मिलेंगे. अगर आपने याद किया तो."
"अरे इतनी जल्दी क्या है, सुबह के चार बज रहे हैं." ताज़ीन ने कहा "भाईजान तो शाम को आएँगे. सुबह यहीं से नहा धोकर चले जाना"
"अर्रे भाई जिनकी बीवी इतनी खूबसूरत हो, वो जितनी जल्दी हो घर पहुँचना चाहेगा" कहकर हंस दिया जगबीर.
"अच्च्छा तो वो क्या काम छ्चोड़ कर आ जाएगा, शहर से बाहर ही नहीं जाएगा ?" शबाना ने बीच में चुटकी ली
"अर्रे भाई, वो शहर से बाहर जाएगा तो भी यही कहेगा शहर में ही है, हो सकता है परवेज़ सुबह 6 बजे आ जाए, रिस्क क्यों लेना ? "
"चलो ठीक है, वैसे भी सुबह जल्दी ऑफीस जाना है." प्रताप ने सोफे पर से उठते हुए कहा.

शबाना और ताज़ीन ने भी ज़्यादा विरोध नहीं किया.

प्रताप और जगबीर दोनों निकल गये. भाई लोगो कैसी लगी ये मस्ती आपको मुझे ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः................




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