रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -12
गतान्क से आगे....
“स्वामी जी मैं कल सुबह फिर आ जवँगी. बच्चा अभी छ्होटा है इसलिए रात मे इनको मेरे बिना परेशानी होगी.” कह कर मैं उन्हे छ्चोड़ कर बाहर की तरफ मूडी.अंधेरा काफ़ी हो गया था. रास्ता भी सूनसान हो जाता था. मुझे अकेले ड्राइव करके वापस जाना था. इसलिए उनका इस तरह सोचना बहुत स्वाभाविक था.
लेकिन तभी उनके किसी शिष्या ने आकर बताया कि बाहर काफ़ी तेज़ बरसात शुरू हो गयी है. मैं झट से उठ कर बाहर आई तो देखा बरसात काफ़ी तेज हो रही है. मैं अकेली 30किमी सुनसान से होकर वापस जाना था. और रात का वक़्त. कहीं कुच्छ भी हो सकता था.
कुच्छ देर तक मैं बरसात के रुकने का इंतेज़ार करती रही. मगर बरसात रुकने का नाम ही नही ले रही थी. बरसात की तेज़ी देखने के चक्कर मे मैं भी कुच्छ गीली हो गयी. मेरा टी-शर्ट कुच्छ भीग कर मेरे स्तनो पर चिपक गया था. गीले होने के कारण मेरे निपल और स्तन सॉफ सॉफ नज़र आने लगे थे. मैने अपने इन रत्नो को किसी से छिपाने का कोई जतन नही किया. मैने देखा की वहाँ मौजूद मर्द चोरी छिपे मेरे उघदे बदन को निहार रहे थे.
मैं अंदर आ गयी. त्रिलोकनांदजी मुझे वापस आता देखते ही खिल उठे. लेकिन फॉरन अपनेआ प पर काबू करते हुए पूछा,
“क्या हुआ देवी? कैसे वापस चली आए?
“बाहर काफ़ी तेज बरसात हो रही है. इतनी रात मे कैसे जाऊ वही सोच रही हूँ.”
“तुम्हे तो मैं यहाँ रुकने के लिए पहले से ही आमंत्रण दे रहा था. अब देखो उपरवाले का भी यही इरादा है. इतनी रात को तुम्हारा इतनी दूर अकेले जाना ख़तरे से खाली नही है.” उन्हों फ़ौरन रजनी को बुलाया.
" इनके भोजन और ठहरने की व्यवस्था कर दो" रजनी ने मुस्कुरा कर मुझे अपने साथ आने का इशारा किया. मैं उसके साथ साथ अपने कमरे मे आ गयी. उसने एक उसी तरह का गाउन जैसा कि उसने पहन रखा था मुझे लाकर दिया.
“चलो कपड़े बदल लो.” उसने कहा और वो मुझे लेकर बाथरूम मे आ गयी. बाथरूम की एक दीवार पर लंबा चौड़ा आईना लगा हुआ था. जो ज़मीन से शुरू हो कर छत तक जाता था. इतने बड़े आईने को देख कर मुझे कुच्छ अजीब सा लगा. लेकिन मैने कुच्छ पूछना सही नही समझा. वो तो बाद मे पता चला कि वो एक वन साइडेड मिरर था. जिसके दूसरी तरफ से बाथरूम के अंदर का सारा द्रिश्य सॉफ दिखता था. उस तरफ कोई दीवार नही थी और उस आईने के पीछे कोई भी खड़े होकर बाथरूम के अंदर का सबखुच्छ सॉफ देख सकता था. इसके लिए बाथरूम मे काफ़ी तेज रोशनी की हुई थी. जिससे अंदर का नज़ारा सॉफ सॉफ बाहर से दिखे.
"अपने कपड़े उतार कर इसे पहन लो." मेरा चेहरा उसकी ओर था और आईना
मेरे पीछे की ओर था. मुझे मालूम नही था कि आईने की ओर कुच्छ मर्द खड़े मेरे नग्न होने का इंतेजार कर रहे थे. मैने अपनी टी-शर्ट को पकड़ कर अपने बदन
से अलग कर दिया. मेरे गोरे बदन पर तने हुए 38 साइज़ के बूब्स देख कर रजनी की आँखों मे एक चमक आ गयी. मैं उसके सामने टॉपलेस खड़ी थी.
"तुम बहुत खूब सूरत हो" उसने मेरे बूब्स को हल्के से छुते हुए उसने कहा. उसने मेरे निपल्स को अपनी उंगलियों से हल्के से प्रेस किया. फिर पूरे स्तनो पर हल्के हल्के से अपनी हथेली फिराई. फिर उसने मेरी जीन्स की तरफ इशारा किया.
मैने अपने जीन्स को खोल कर अपने पैरों के नीचे सरका दिया. उसे अपने बदन से अलग कर के रजनी को थमा दिया. अब मैं सिर्फ़ एक छ्होटी सी पॅंटी पहने खड़ी थी. बदन पर और कोई कपड़ा नही था. फिर मैने उसके हाथ मे थामे गाउन को लेने की कोशिश की तो उसने अपने हाथ को दूर कर दिया.
"नही मैने कहा था सारे वस्त्र खोल दीजिए. इसे पहनते समय शरीर पर और कोई अपवित्र वस्त्र नही रहना चाहिए. ये पवित्र कपड़ा है इसे बड़े आदर से पहनना चाहिए." उसने मेरे बदन पर मौजूद एक मात्र पॅंटी की इलास्टिक की तरफ हाथ बढ़ाया.
"अपनी पॅंटी को धीरे धीरे नीच करते हुए पीछे घूमो" कह कर वो आईने वाली दीवार की तरफ चली गयी. मुझे तो समझ मे नही आया कि वो ऐसा करने क्यों कह रही है. मैं चुप चाप उसने जो कहा थॉ वो करने लगी. मुझे सपने मे भी किसी ग़लत इरादे का कोई गुमान नही था. मुझे क्या पता था कि इस तरह से मैं दीवार के उस तरफ मौजूद लोगों के लिए हॉट स्ट्रिपटीज़ कर रही थी. मैं ने आईने के तरफ घूम कर नीचे झुकते हुए अपने पैरों से अपनी पॅंटी को निकाल दिया.
"अब सीधी खड़ी हो जाओ." मैं सीधी हो गयी. बिल्कुल नग्न.
"वाउ क्या शानदार बदन है आपका." कह कर उसने मेरी योनि के उपर अपना हाथ फिराया. मैं उसकी हरकतों से मुस्कुरा उठी. फिर मैने उसके हाथों से वो किमोना लेकर बदन पर चढ़ा लिया. उसे अपनी कमर पर कस कर बाँध लिया.
हम बाहर आ गये. रात भोजन करके मैने जीवन को फोन किया कि मुझे रात को यहाँ रुकना पड़ रहा है. इसलिए बच्च्चे का ख्याल रखे. सासू जी को भी मैने अपनी मजबूरी बताई. मेरी सासू बहुत समझदार महिला हैं. उन्होने भी मेरे फ़ैसले का समर्थन किया.
फिर मैं अपने कमरे मे आ गयी. कमरा बहुत शानदार था. नर्म बिस्तर पर बिच्छा सफेद रेशमी चादर महॉल को और एग्ज़ोटिक बना रहा था. कमरे मे एक साइड डोर भी था
जो की दूसरी तरफ से बंद था. उसमे मेरे कमरे की तरफ से बंद करने के लिए कोई कुण्डी नही थी. एरकॉनडिशनर की ठंडी हवा कमरे को ज़्यादा नशीला बना रहा था.
मैं बिस्तर पर लेट गयी. भोजन करने के बाद मुझे एक ग्लास भर कर कोई जूस दिया गया था. पता नही उसकी वजह से या वहाँ के मदमस्त महॉल की वजह से मेरा बदन गर्म होने लगा. मुझे जीवन की कमी खलने लगी. टाँगों के बीच सिहरन सी फैलने लगी थी. मैं अपने हाथों से अपने स्तनो को दबाने लगी.
मैं उठी और एक ग्लास ठंडा पानी पीया. मैने कमरे मे जल रहे नाइट लॅंप को ऑफ कर दिया. फिर उस किमोना को अपने बदन से अलग कर पूरी तरह नग्न बिस्तर पर लेट गयी और एक सिल्क की चादर अपने बदन पर ओढ़ ली. कुच्छ देर मे मेरा बदन दोबारा कसमसाने लगा. किसी मर्द से चुदाई की भूख जाग रही थी.
मैने अपने हाथ अपनी योनि पर रख दिए और अपनी योनि को उपर से दबाने लगी. मन कर रहा था कोई मुझे आ कर मसल कर रख दे. मेरे निपल्स खड़े हो चुके थे. मैं अपनी उंगलियों के टिप्स मे उन्हे लेकर मसल रही थी. मैने अपनी दो उंगलियाँ अपनी योनि के अंदर बाहर करने लगी. मगर मेरी भूख थी कि बढ़ती ही जा रही थी. नींद आँखों का रास्ता भूल गयी थी. मेरे बदन का एक एक रोम किसी मर्द की चुअन के लिए तड़प रहा था. मैने अपने तकिये को सिर से हटा कर अपनी जांघों के बीच दबा दिया. अपनी दोनो जांघों के बीच उसे दबा कर मैं अपने स्तनो को बुरी तरह मसल्ने लगी मगर मेरी भूख ठंडी ही नही हो रही थी.
इसी तरह बारह बज गये थे. मैने उठ कर नहाने का सोचा. अभी उठने ही वाली थी कि
हल्की सी एक “क्लिक: की आवाज़ आई. मैने अंधेरे मे आवाज़ की दिशा मे देखा. आवाज़ साइड डोर की तरफ से आइ थी. मैने जल्दी से अपने तकिये को ठीक कर अपने बदन को चादर से ओढ़ लिया.
कुच्छ देर तक कोई हरकत नही हुई. फिर मैने देखा बिना आवाज़ के साइड वाला दरवाजा खुल रहा है. मैं चुप चाप चित हो कर लेट गयी. हल्की सी आँखें खोल कर देखा कि कोई इंसान कमरे मे आ रहा है. उसने अंदर आकर दरवाजे को पीछे से बंद कर लिया. वो धीरे धीरे चलता हुआ मेरे बिस्तर के पास आया. उसने अपना हाथ उठा कर मेरे एक
उभार को च्छुआ. जब मेरी तरफ से कोई हरकत नही हुई तो उसने अपने उस हाथ को मेरी एक छाती पर रख दिया. कुच्छ देर तक बिना किसी हरकत के उस हाथ को वहीं पड़े रहने दिया. जब उसे अहसास हो गया कि मैं नींद मे हूँ तो उसने मेरी पूरी छाती को अपने हाथों से दो बार सहलाने के बाद उसे बहुत धीरे से दबाया.
मैं चुपचाप पड़ी थी. अंधेरे मे पता नही चल रहा था कि कमरे मे है कौन. मैं देखना चाहती थी कि वो मुझे गहरी नींद मे समझ कर किस हद तक आगे बढ़ सकता है. मैं तो आइ ही इस मकसद मे थी कि इस आश्रम के बारे मे वो बातें खोज निकालू जो किसी को आज तक पता नही चल पाई हो. मैं तेज तेज साँसे ले रही थी जिससे ये लगे कि मेरी नींद मे कोई खलल नही पड़ा है.
कुच्छ देर तक वो पहले मेरे एक स्तन को फिर दूसरे स्तन को सहलाता रहा. फिर उसने मेरे चादर के किनारे को पकड़ कर उसे उठाया और उसे धीरे धीरे बदन से हटाना
शुरू कर दिया. कुच्छ ही देर मे उसने चादर को मेरे बदन से पूरी तरह अलग कर दिया. अब मैं उस बिस्तर पर बिल्कुल नंगी पड़ी थी चित होकर. मैं हिल नही सकती थी नही तो उस को पता चल जाता कि मैं जाग गयी हूँ. मैं उस आदमी को देखना चाहती थी. उसे पहचानना चाहती थी.
उसने वापस अपना हाथ मेरे नग्न हो चुके निपल पर धीरे से छुआया. उसने मुझे सोया हुआ जान कर अपना हाथ मेरे सिर पर रख कर धीरे धीरे नीचे सरकाना शुरू किया. उसकी हथेली का इतना हल्का टच था मानो बदन पर कोई मोर पंख फिरा रहा हो. हाथ धीरे धीरे सरकता हुआ जब योनि के ऊपर पहुँचा तो मेरा चुप चाप पड़े रहना मुश्किल हो गया. मैं उसकी हरकतों से उत्तेजित हो चुकी थी. कोई भी कितनी ही सख़्त महिला क्यों ना हो जब उसके गुप्तांगों को छेड़ा जाता है तो उसे अपने उपर कंट्रोल करके रखना भारी पड़ने लगता है. मेरे पूरे बदन मे सिहरन सी दौड़ने लगी. टाँगों के बीच के हिस्से मे ऐसी तेज सिरसिराहट हुई कि खुजलाने की तीव्र इच्छा होने लगी. मेरे निपल्स पत्थर की तरह सख़्त हो गये. स्तन भी कस गये.
मेरे होंठों से एक दबी सी सिसकारी निकल गयी. उसने अपना हाथ चोंक कर मेरे बदन से हटा दिया. मैने मानो नींद से जागते हुए कहा "कौन……कौन है" मैं बिस्तर से उठ कर खड़ी हो गयी.
"मैं" एक हल्की सी आवाज़ आई और उसने मुझे खींच कर अपनी बाहों मे भर लिया. मैं भी किसी बेल की तरह उसके बदन से लिपट गयी. मैं उनकी आवाज़ से समझ गयी थी कि आगंतुक स्वामीजी ही हैं. उनका बदन भी पूरी तरह नग्न था. मेरा नंगा बदन उनके चौड़े सीने मे पिस गया. मेरे दोनो बड़े बड़े उरोज उनकी चौड़ी छाती पर दब कर चपते हो गये. दोस्तो कहानी अभी बाकी है पढ़ते रहिए राज शर्मा की कामुक कहानियाँ आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः............
रश्मि एक सेक्स मशीन compleet
Re: रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -13
गतान्क से आगे....
उन्होने मेरे चेहरे को अपने हथेलियों के बीच लेकर उठाया और अपने तपते होंठ मेरे होंठों पर रख कर चूमने लगे. मेरा शरीर तो पहले से ही गर्म हो रहा था, मैं भी उनके चुंबनो का जवाब देने लगी. वो मेरे पूरे चेहरे पर होंठ फिरा रहे थे. मैं भी उनके चेहरे को बेतहासा चूमने लगी. मैं एक शादी शुदा महिला, अपना पति अपना बच्चा, उस वक़्त सब भूल गयी थी. कुच्छ भी याद नही रहा. याद था तो एक आदिम भूख जो मेरे पूरे अस्तित्व पर हावी हो चुकी थी.
उनके होंठ मेरे होंठों को मात रहे थे. मेरे निचले होंठ को उन्होने अपने दाँतों के बीच दबा कर धीरे धीरे काटना शुरू किया. फिर उन्होने अपनी जीभ मेरे मुँह मे डाल दी मैं उनकी जीभ को ऐसे चूस रही थी जैसे वो उनकी जीभ नही कोई आइस्क्रीम हो. मैने अपने दोनो हाथों से अपने स्तनो को पकड़ कर उनकी छाती पर रगड़ दिया. मैं उत्तेजना मे किसी वेश्या की तरह हरकतें कर रही थी. काफ़ी सालों बाद वापस किसी पराए मर्द का चूवान मुझे पागल बना रहा था. हम दोनो ने कुच्छ भी नही कहा बस अपनी हरकतों से एक दूसरे को जाता रहे थे कि हमे क्या चाहिए.
कुच्छ देर तक हम यूँही एक दूसरे को चूमते रहे उसके बाद उसके हाथ बढ़ा कर एक नाइट लॅंप ऑन कर दिया. नाइट लॅंप की नीली हल्की रोशनी वातावरण को और ज़्यादा रोमॅंटिक बना रही थी.
उन्होंने आगे बढ़ कर मेरे नाक पर अपने होंठ रख कर एक चुंबन लिया. फिर होंठ फिसलते हुए मेरे एक निपल पर आकर रुके. उन्हों ने मेरे एक निपल को अपनी उंगलियों के बीच लेकर दबाया तो दूध की एक तेज धार निकल कर उनके सीने पर गिरी. वो खुश हो गये. उन्हों ने अपने दोनो हाथों से मेरे स्तनो को उठाकर तोलने के अंदाज मे देखा. मानो वो देखना चाह रहे हों की अंदर माल कितना भरा है. उन्होने मेरे एक निपल को अपने मुँह मे लेकर ज़ोर से चूसा. मेरे सारे बदन मे एक सिहरन सी दौड़ने लगी और मेरे स्तनो से निकल कर उन फलों का रस उनके मुँह मे जाने लगा. वो मेरे एक निपल को अपने मुँह मे लेकर उससे दूध पी रहे थे और दूसरे निपल को अपनी उंगलियों
मे लेकर खेल रहे थे. एक हाथ से जिस स्तन का निपल उनके मुँह मे था उसी स्तन को मसल कर उसे दूहने की तरह अपने हाथ को जड़ से लेकर अपने मुँह की तरफ खींच रहे थे. मैं अपने सिर को उत्तेजना मे झटकने लगी और उनके सिर को अपने छाती पर ज़ोर से दबाने लगी. एक स्तन का सारा रस पीने के बाद उन्होने दूसरे निपल को मुँह मे ले लिया और उसे भी चूसने लगे. मैने देखा की पहला निपल काफ़ी देर तक चूसने के
कारण काफ़ी फूल गया था. दूसरे ब्रेस्ट का भी सारा दूध दूह कर पीने के बाद मुझे अपने से अलग किया.
मैं उत्तेजना मे अपना हाथ बढ़ा कर अंधेरे मे उनके लिंग को टटोलने लगी. लेकिन हाथ जिस चीज़ से टकराया उसे एक बार अपने हथेली से छू कर मैने घबरा कर अपना हाथ हटा लिया.
उन्होने हाथ बढ़कर बिस्तर के पास लगे बेड लॅंप को ऑन कर दिया. हल्की सी रोशनी कमरे मे फैल गयी. सारे कमरे मे अंधेरा था सिर्फ़ हम दोनो के नग्न बदन चमक रहे थे. उस रोशनी मुझे अपने से अलग कर स्वामी जी ने मेरे नग्न बदन को निहारा..
उन्होने मुझे अपने से एक फुट दूर हटाया और गहरी नज़रों से मुझे सिर से लेकर पैर तक निहारा. मैं उनके सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी. मैने भी उनके नंगे बदन को भूखी नज़रों से निहारा. मेरी नज़र उनके लिंग पर जा कर ठहर गयी. ये किसी आदमी का लिंग है? मैं उनकी जांघों के बीच आधे सोए हालत मे लटकते हुए उनके समान को देख कर चौंक उठी. काफ़ी बड़ा लिंग था. इतना बड़ा लिंग मैने तो कभी किसी का नही देखा था. एक फुट से भी लंबा और मोटा इतना की मेरी कलाई भी उसके सामने पतली थी. मैने अस्चर्य से स्वामी जी की ओर देखा. वो मुझे देख कर मुस्कुरा रहे थे. मैं शर्मा गयी.
गतान्क से आगे....
उन्होने मेरे चेहरे को अपने हथेलियों के बीच लेकर उठाया और अपने तपते होंठ मेरे होंठों पर रख कर चूमने लगे. मेरा शरीर तो पहले से ही गर्म हो रहा था, मैं भी उनके चुंबनो का जवाब देने लगी. वो मेरे पूरे चेहरे पर होंठ फिरा रहे थे. मैं भी उनके चेहरे को बेतहासा चूमने लगी. मैं एक शादी शुदा महिला, अपना पति अपना बच्चा, उस वक़्त सब भूल गयी थी. कुच्छ भी याद नही रहा. याद था तो एक आदिम भूख जो मेरे पूरे अस्तित्व पर हावी हो चुकी थी.
उनके होंठ मेरे होंठों को मात रहे थे. मेरे निचले होंठ को उन्होने अपने दाँतों के बीच दबा कर धीरे धीरे काटना शुरू किया. फिर उन्होने अपनी जीभ मेरे मुँह मे डाल दी मैं उनकी जीभ को ऐसे चूस रही थी जैसे वो उनकी जीभ नही कोई आइस्क्रीम हो. मैने अपने दोनो हाथों से अपने स्तनो को पकड़ कर उनकी छाती पर रगड़ दिया. मैं उत्तेजना मे किसी वेश्या की तरह हरकतें कर रही थी. काफ़ी सालों बाद वापस किसी पराए मर्द का चूवान मुझे पागल बना रहा था. हम दोनो ने कुच्छ भी नही कहा बस अपनी हरकतों से एक दूसरे को जाता रहे थे कि हमे क्या चाहिए.
कुच्छ देर तक हम यूँही एक दूसरे को चूमते रहे उसके बाद उसके हाथ बढ़ा कर एक नाइट लॅंप ऑन कर दिया. नाइट लॅंप की नीली हल्की रोशनी वातावरण को और ज़्यादा रोमॅंटिक बना रही थी.
उन्होंने आगे बढ़ कर मेरे नाक पर अपने होंठ रख कर एक चुंबन लिया. फिर होंठ फिसलते हुए मेरे एक निपल पर आकर रुके. उन्हों ने मेरे एक निपल को अपनी उंगलियों के बीच लेकर दबाया तो दूध की एक तेज धार निकल कर उनके सीने पर गिरी. वो खुश हो गये. उन्हों ने अपने दोनो हाथों से मेरे स्तनो को उठाकर तोलने के अंदाज मे देखा. मानो वो देखना चाह रहे हों की अंदर माल कितना भरा है. उन्होने मेरे एक निपल को अपने मुँह मे लेकर ज़ोर से चूसा. मेरे सारे बदन मे एक सिहरन सी दौड़ने लगी और मेरे स्तनो से निकल कर उन फलों का रस उनके मुँह मे जाने लगा. वो मेरे एक निपल को अपने मुँह मे लेकर उससे दूध पी रहे थे और दूसरे निपल को अपनी उंगलियों
मे लेकर खेल रहे थे. एक हाथ से जिस स्तन का निपल उनके मुँह मे था उसी स्तन को मसल कर उसे दूहने की तरह अपने हाथ को जड़ से लेकर अपने मुँह की तरफ खींच रहे थे. मैं अपने सिर को उत्तेजना मे झटकने लगी और उनके सिर को अपने छाती पर ज़ोर से दबाने लगी. एक स्तन का सारा रस पीने के बाद उन्होने दूसरे निपल को मुँह मे ले लिया और उसे भी चूसने लगे. मैने देखा की पहला निपल काफ़ी देर तक चूसने के
कारण काफ़ी फूल गया था. दूसरे ब्रेस्ट का भी सारा दूध दूह कर पीने के बाद मुझे अपने से अलग किया.
मैं उत्तेजना मे अपना हाथ बढ़ा कर अंधेरे मे उनके लिंग को टटोलने लगी. लेकिन हाथ जिस चीज़ से टकराया उसे एक बार अपने हथेली से छू कर मैने घबरा कर अपना हाथ हटा लिया.
उन्होने हाथ बढ़कर बिस्तर के पास लगे बेड लॅंप को ऑन कर दिया. हल्की सी रोशनी कमरे मे फैल गयी. सारे कमरे मे अंधेरा था सिर्फ़ हम दोनो के नग्न बदन चमक रहे थे. उस रोशनी मुझे अपने से अलग कर स्वामी जी ने मेरे नग्न बदन को निहारा..
उन्होने मुझे अपने से एक फुट दूर हटाया और गहरी नज़रों से मुझे सिर से लेकर पैर तक निहारा. मैं उनके सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी. मैने भी उनके नंगे बदन को भूखी नज़रों से निहारा. मेरी नज़र उनके लिंग पर जा कर ठहर गयी. ये किसी आदमी का लिंग है? मैं उनकी जांघों के बीच आधे सोए हालत मे लटकते हुए उनके समान को देख कर चौंक उठी. काफ़ी बड़ा लिंग था. इतना बड़ा लिंग मैने तो कभी किसी का नही देखा था. एक फुट से भी लंबा और मोटा इतना की मेरी कलाई भी उसके सामने पतली थी. मैने अस्चर्य से स्वामी जी की ओर देखा. वो मुझे देख कर मुस्कुरा रहे थे. मैं शर्मा गयी.
Re: रश्मि एक सेक्स मशीन
“कैसा लगा?” उन्हों ने मुझसे पूछा तो मैने शर्मा कर अपनी नज़रें झुका ली. मैने काँपते हाथों से उनके गथीले लंड को अपनी मुट्ठी मे ले लिया. उनका लिंग काफ़ी गरम हो रहा था. उसका लिंग अब पूरी तरह तना हुआ था. मैं उनकी नज़रों से नज़रें नही मिला पा रही थी. इसलिए अपना सारा ध्यान उनके लिंग पर लगा रखी थी.
"बहुत खूबसूरत हो" स्वामीजी ने मेरे बदन की तारीफ की तो मैं एक दम किसी लड़की की तरह शर्मा गयी. और उनके सीने मे अपना चेहरा छिपा लिया. फिर उन्होने मुझे कंधों से पकड़ कर नीचे की ओर झुकाने लगे. मैं उनके सामने घुटनो के बल
बैठ गयी.
“तुमने बताया नही कि मेरा ये समान कैसा है?” मैने नाइट लॅंप की रोशनी मे पहली बार उनके लिंग को अच्छि तरह देखा. उसे देख कर मेरे मुँह से “हाई….राम” निकल गया.
"काफ़ी बड़ा है गुरुजी ये तो फाड़ कर रख देगा. मैं इसे नही ले पाउन्गी. मेरी फॅट जाएगी."
"अभी से घबरा गयी. इसी लिए तो मैं कह रहा था कि हमारे आश्रम को जाय्न कर लो. जो भी एक बार मेरे संपर्क मे आती है वो जिंदगी भर मुझे छ्चोड़ कर नही जा सकती. उसे उसके बाद और किसी के लिंग से संतुष्टि ही नही मिल पाती.” उन्हों ने मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, “और किसी लिंग से योनि नही फॅट ती है. योनि होती ही ऐसी है कि डंडे के हिसाब से अपना आकार बदल लेती है."
मैं घुटनो के बाल बात कर कुच्छ देर तक अपने चेहरे के सामने उनके लिंग को पकड़ कर आगे पीछे करती रही. जब हाथ को पीछे करती तो उनके लिंग का मोटा सूपड़ा अपने बिल से बाहर निकल आता. उनके लिंग के छेद पर दो बूँद प्रेकुं चमक रही थी. मैने अपनी जीभ निकाल कर उसके लिंग के टिप पर चमकते हुए उनके प्रेकुं को साफ कर दिया. उनके रस का टेस्ट अच्छा लगा. फिर मैने अपनी जीभ उनके लिंग के सूपदे पर फिरानी शुरू कर
दी. मैने उनके लिंग को अपने एक हाथ से पकड़ा और दूसरे हाथ से उसके लिंग के नीचे लटकती गेंदों को सहलाने लगी. मैं उनके लिंग के टोपे को अपनी जीभ से चाते जा रही थी.
वो उत्तेजना मे “आआआअहह ऊओ” करते हुए मेरे सिर को दोनो हाथों से थाम
लिया और अपने लिंग पर दबाने लगा.
"इसे मुँह मे ले" उन्होने कहा मैने अपने होंठों को हल्के से अलग किया तो उसका लिंग सरसरता हुआ मेरी जीभ को रगड़ता हुआ अंदर चला गया. मैने उनके लिंग को हाथों से पकड़ कर गले के अंदर तक जाने से रोका. मगर उन्हों ने मेरे हाथ को अपने लिंग पर से हटा कर मेरे मुँह मे एक ज़ोर का धक्का दिया. मुझे लगा आज मेरे गले को फाड़ता हुआ ये पेट तक जा कर मानेगा. मैं दर्द से च्चटपटा उठी. मेरा दम घुटने लगा था. तभी उन्होने अपने लिंग को खींच कर कुच्छ बाहर निकाला और फिर वापस उसे गले तक डाल दिया. वो मेरे मुँह मे अपने लिंग से धक्के लगाने लगे.
कुच्छ ही देर मे मैं उनकी हरकतों की अभ्यस्त हो गयी. अब मुझे उनका इस तरह मेरे संग सेक्स करना अच्च्छा लगने लगा. कुच्छ ही देर मे मेरा बदन अकड़ने लगा और मेरे निपल्स एकदम तन गये. उन्होने मेरी हालत को समझ कर अपने लिंग से धक्का देने की रफ़्तार बढ़ा दी. मेरी योनि के अंदर कोई बाँध टूट गया और ढेर सारा रस किसी धारा का रूप लेकर बह निकला. मेरा रस योनि से बाहर निकलता हुआ जांघों को गीला करता हुआ
घुटनो को छूने लगा उधर उनके लिंग ने भी मेरे मुँह मे रस की बोछार कर दी. ढेर सारा गाढ़ा गाढ़ा रस मेरे मुँह मे भर गया. मेरे दोनो गाल फूल गये. मैं उतने वीर्य को एक बार मे सम्हल नही पाई और मुँह खोलते ही कुच्छ वीर्य मेरे होंठों से मेरी छातियो पर और नीचे ज़मीन पर गिर पड़ा.
"बहुत खूबसूरत हो" स्वामीजी ने मेरे बदन की तारीफ की तो मैं एक दम किसी लड़की की तरह शर्मा गयी. और उनके सीने मे अपना चेहरा छिपा लिया. फिर उन्होने मुझे कंधों से पकड़ कर नीचे की ओर झुकाने लगे. मैं उनके सामने घुटनो के बल
बैठ गयी.
“तुमने बताया नही कि मेरा ये समान कैसा है?” मैने नाइट लॅंप की रोशनी मे पहली बार उनके लिंग को अच्छि तरह देखा. उसे देख कर मेरे मुँह से “हाई….राम” निकल गया.
"काफ़ी बड़ा है गुरुजी ये तो फाड़ कर रख देगा. मैं इसे नही ले पाउन्गी. मेरी फॅट जाएगी."
"अभी से घबरा गयी. इसी लिए तो मैं कह रहा था कि हमारे आश्रम को जाय्न कर लो. जो भी एक बार मेरे संपर्क मे आती है वो जिंदगी भर मुझे छ्चोड़ कर नही जा सकती. उसे उसके बाद और किसी के लिंग से संतुष्टि ही नही मिल पाती.” उन्हों ने मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, “और किसी लिंग से योनि नही फॅट ती है. योनि होती ही ऐसी है कि डंडे के हिसाब से अपना आकार बदल लेती है."
मैं घुटनो के बाल बात कर कुच्छ देर तक अपने चेहरे के सामने उनके लिंग को पकड़ कर आगे पीछे करती रही. जब हाथ को पीछे करती तो उनके लिंग का मोटा सूपड़ा अपने बिल से बाहर निकल आता. उनके लिंग के छेद पर दो बूँद प्रेकुं चमक रही थी. मैने अपनी जीभ निकाल कर उसके लिंग के टिप पर चमकते हुए उनके प्रेकुं को साफ कर दिया. उनके रस का टेस्ट अच्छा लगा. फिर मैने अपनी जीभ उनके लिंग के सूपदे पर फिरानी शुरू कर
दी. मैने उनके लिंग को अपने एक हाथ से पकड़ा और दूसरे हाथ से उसके लिंग के नीचे लटकती गेंदों को सहलाने लगी. मैं उनके लिंग के टोपे को अपनी जीभ से चाते जा रही थी.
वो उत्तेजना मे “आआआअहह ऊओ” करते हुए मेरे सिर को दोनो हाथों से थाम
लिया और अपने लिंग पर दबाने लगा.
"इसे मुँह मे ले" उन्होने कहा मैने अपने होंठों को हल्के से अलग किया तो उसका लिंग सरसरता हुआ मेरी जीभ को रगड़ता हुआ अंदर चला गया. मैने उनके लिंग को हाथों से पकड़ कर गले के अंदर तक जाने से रोका. मगर उन्हों ने मेरे हाथ को अपने लिंग पर से हटा कर मेरे मुँह मे एक ज़ोर का धक्का दिया. मुझे लगा आज मेरे गले को फाड़ता हुआ ये पेट तक जा कर मानेगा. मैं दर्द से च्चटपटा उठी. मेरा दम घुटने लगा था. तभी उन्होने अपने लिंग को खींच कर कुच्छ बाहर निकाला और फिर वापस उसे गले तक डाल दिया. वो मेरे मुँह मे अपने लिंग से धक्के लगाने लगे.
कुच्छ ही देर मे मैं उनकी हरकतों की अभ्यस्त हो गयी. अब मुझे उनका इस तरह मेरे संग सेक्स करना अच्च्छा लगने लगा. कुच्छ ही देर मे मेरा बदन अकड़ने लगा और मेरे निपल्स एकदम तन गये. उन्होने मेरी हालत को समझ कर अपने लिंग से धक्का देने की रफ़्तार बढ़ा दी. मेरी योनि के अंदर कोई बाँध टूट गया और ढेर सारा रस किसी धारा का रूप लेकर बह निकला. मेरा रस योनि से बाहर निकलता हुआ जांघों को गीला करता हुआ
घुटनो को छूने लगा उधर उनके लिंग ने भी मेरे मुँह मे रस की बोछार कर दी. ढेर सारा गाढ़ा गाढ़ा रस मेरे मुँह मे भर गया. मेरे दोनो गाल फूल गये. मैं उतने वीर्य को एक बार मे सम्हल नही पाई और मुँह खोलते ही कुच्छ वीर्य मेरे होंठों से मेरी छातियो पर और नीचे ज़मीन पर गिर पड़ा.