Hot stori घर का बिजनिस compleet

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The Romantic
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Re: Hot stori घर का बिजनिस

Unread post by The Romantic » 07 Nov 2014 09:47

घर का बिजनिस -11

अरविंद का लण्ड मेरे लण्ड से काफी छोटा था, लेकिन मोटा मेरे जितना ही था। अब वो दीदी की फुद्दी में अंदर-बाहर करने लगा और बोला- “आअह्ह… साली क्या चीज है तू? कितनी गर्मी है तेरी फुद्दी में? उन्नमह…”

दीदी भी अब अपनी गाण्ड को अरविंद के लण्ड की तरफ उछाल रही थी और साथ ही- “आअह्ह जान… मेरी फुद्दी की गर्मी निकाल दो… मजा आ रहा है… थोड़ा तेज़्ज़ ऊओ…”

अरविंद अब दीदी की फुद्दी मारने में अपनी जान लगा रहा था। लेकिन जैसे-जैसे अरविंद अपनी रफ़्तार बढ़ा रहा था, दीदी भी अपनी गाण्ड को उसके लण्ड की तरफ दबाती और साथ ही- “हाँ, अब मजा आ रहा है और तेज़्ज़ करो उन्म्मह…” की आवाज भी करने लगती।

पायल कुछ देर तक ये सब देखती रही और फिर उठकर वाश-रूम की तरफ भाग गई। पायल के वहाँ से इस तेजी से उठते ही मैं समझ गया कि वो बाथरूम में क्या करने गई है लेकिन मैं उसे छोड़कर दीदी की चुदाई देखने में लग गया जहाँ अब अरविंद- “आअह्ह… साली मैं गया…” की आवाज कर रहा था।

लेकिन दीदी- “नहीं, प्लीज़्ज़… अभी नहीं थोड़ा और करो… प्लीज़्ज़… आअह्ह… थोड़ा तेज़्ज़ करो… उन्म्मह…” की आवाज कर रही थी।

लेकिन अरविंद ने दीदी की किसी बात पे भी ध्यान नहीं दिया और दो 3 तेज झटकों के साथ ही दीदी की फुद्दी को अपने पानी से भर दिया और अपना लण्ड दीदी की फुद्दी से बाहर खींच लिया। बगल में बैठ गया और हाँफने लगा।

दीदी क्योंकि अभी फारिग़ नहीं हुई थी इसलिए अपनी फुद्दी में अपनी दो उंगली को घुसाकर तेजी के साथ अंदर-बाहर कर रही थी और आअह्ह… उन्म्मह… की आवाज करते हुये फारिग़ होने की कोशिश कर रही थी।

उस वक़्त मेरा दिल तो कर रहा था कि मैं उठूं और दीदी की फुद्दी में अपना लण्ड घुसाकर उसे ठंडा कर दूँ। लेकिन अभी मैं ऐसा नहीं कर सकता था क्योंकि अभी बाहर के लोग भी यहाँ मौजूद थे। कुछ ही देर में दीदी भी ठंडी हो गई और अपनी आँखें बंद करके लंबी-लंबी सांसें लेने लगी। तभी पायल भी बाथरूम से वापिस आ गई।

कोई 20 मिनट के बाद अरविंद उठा और बोला- “जरा देखो, ये बिनोद अभी तक रूम में क्या कर रहा है? उससे पूछो की जाना नहीं है क्या कि रात यहाँ ही रुकना है और खुद भी उठकर रूम की तरफ चला गया जहाँ उसके कपड़े पड़े हुये थे।

मैं उठा और जाकर दूसरे रूम को खटखटाया।

तो बिनोद ने पूछा- क्या बात है?

तो मैंने उससे कहा- “अरविंद साहब बोल रहे हैं कि अभी बस करो, जाना भी है…”

बिनोद ने कहा- “ठीक है, मैं आता हूँ। तुम चलो…”

और जब मैं वापिस आया तो अरविंद कपड़े पहनकर वापिस आ चुका था और पायल को ₹5000 दे रहा था और बोल रहा था- “अभी ये रख ले कल तेरे पैसे भी दे दूँगा और तुझे भी अपने लण्ड का मजा चखा दूँगा…”

पायल ने मेरी तरफ देखा तो मैंने हाँ में इशारा किया। तो उसने वो पैसे पकड़ लिए और फिर उसने मुझे भी ₹5000 दिए और दीदी को ₹10,000 दिए। तब तक बिनोद भी रूम में से निकल आया था। बिनोद के आते ही अरविंद भी उठ खड़ा हुआ और दोनों फ्लैट से निकल गये और मैं भी उनके साथ गया और जाकर फ्लैट का दरवाजा लाक करके आ गया तो देखा की दीदी अभी तक वैसे ही सोफे पे बैठी अपनी आँखों को बंद किए लंबी-लंबी सांसें ले रही थी और पायल वहाँ नजर नहीं आ रही थी।

मैं समझ गया कि अभी वो बुआ के पास गई होगी।

मैं दीदी के पास आकर बैठ गया और हिम्मत करके दीदी के कंधे पे हाथ रखा और दीदी को अपनी तरफ खींच लिया और बोला- दीदी, आप ठीक हो ना?

दीदी जो कि पहले ही हल्के नशे में थी। आँखों को बिना खोले ही बोली- हाँ भाई, मैं ठीक हूँ।

मेरा लण्ड जो कि दीदी को इस तरह नंगी बैठे देखकर खुद भी नहीं बैठ रहा था कुछ करने के लिए मजबूर कर रहा था और वैसे भी दीदी नशे में थी तो मुझे क्या मना करती? ये ख्याल आते ही मैंने एक हाथ दीदी की गाण्ड पे रख दिया और घुमाने लगा और दूसरा हाथ दीदी की चूचियां पे रख दिया। लेकिन पता नहीं क्यों मेरा दिल नहीं किया और मैं पीछे हट गया।

तभी बुआ ने कहा- “क्यों आलोक? पीछे क्यों हो गये? कर लो जो करना है…”

मैंने कहा- “नहीं बुआ, दीदी अभी नशे में है अभी नहीं जब दीदी नशे में नहीं होंगी तब मैं करूंगा जिससे मुझे और दीदी दोनों को मजा आए…”

बुआ ने हँसते हुये कहा- अगर तब अंजली नहीं मानी तो क्या होगा? हाँ।

मैंने कहा- नहीं बुआ, मैं जानता हूँ कि जब दीदी मेरा लण्ड देखेगी तो मुझे कभी भी मना नहीं करेगी।

बुआ ने कहा- चलो ठीक है, ये बताओ कि खाने के लिए कुछ है या नहीं? बड़ी भूख लग रही है।

मैंने पायल को आवाज दी जो कि बुआ के रूम में ही रुक गई थी और उसके आते ही मैंने बुआ के लिए कुछ खाने के लिए कहा तो वो किचेन से खाना उठा लाई जो कि उसने पहले ही बुआ के लिए रख दिया था और फिर बुआ ने खाना खाया और हम सुबह तक वहाँ ही रहे और फिर घर आ गये। घर आकर मैं अपने रूम में चला गया और कपड़े उतार के एक चादर बाँध ली और सोने के लिए लेट गया।

तभी अम्मी मेरे रूम में आ गई और बोली- “आलोक, ऐसा करो कि मेरे रूम में जाकर सो जाओ आज…”

मैंने कहा- “क्यों अम्मी यहाँ क्या हुआ? सोने दो ना प्लीज़्ज़…”

अम्मी मेरी बात पे हँस पड़ी और बोली- “मेरे रूम में जाने से तुम्हारा ही फायदा है जाओ शाबाश…”

मैं उठकर कपड़े पहनने लगा तो अम्मी ने कहा- आलोक, मेरे रूम में भी तुमने सोना ही है जाओ इसी तरह ही चले जाओ।

मैं अम्मी की बात सुनकर अम्मी के रूम की तरफ चल पड़ा।

और जैसे ही रूम में जाने लगा तो अम्मी ने कहा- “लाइट ओन नहीं करना और जाकर बेड पे लेट जाओ…”

मैं अम्मी की बात पे थोड़ा हैरान भी हुआ लेकिन फिर भी कुछ नहीं बोला और जाकर अम्मी के बेड पे लेट गया तो तब पता चला कि वहाँ कोई और भी था जो कि अपने ऊपर चादर लेकर लेटा हुआ था। क्योंकि मैं अंदर आते वक़्त दरवाजे को बंद कर आया था और पर्दे भी गिरे हुये थे जिसकी वजह से रूम में काफी अंधेरा था जिससे मुझे साफ नजर नहीं आ रहा था। लेकिन इतना नजर तो आ ही रहा था कि मेरे पास बेड पे कोई लेटा हुआ है। मैंने हाथ बढ़ा के उसे हिलाना चाहा तो मेरा हाथ किसी की नरम चूचियों से टकरा गया तो मैं समझ गया कि ये बुआ ही होगी और कोई नहीं हो सकता।

मैंने बुआ के ऊपर से चादर खींच ली और अपना हाथ बुआ की चूचियों की तरफ बढ़ा दिया जो कि चादर के नीचे नंगी ही थीं लेकिन बड़ी सख़्त हो रही थीं। लेकिन बुआ की चूचियों से कुछ छोटी भी थीं। इस बात को महसूस करते ही मैं चौंक गयाि ये कौन है जो यहाँ इस तरह मेरे पास नंगी लेटी हुई है और अम्मी ने भी मुझे इसके पास सोने के लिए बोल दिया है।

अभी मैं लाइट ओन करने का सोच ही रहा था कि वो अचानक मुझे लिपट गई और अपने तपते हुये होंठों को मेरे होंठों पे रख दिया और किस करने लगी। जिससे मैं भी बिना ये जाने कि आखिर ये है कौन? किस करने और चूचियों को दबाने में लग गया।

मैं क्योंकि काफी जोर से उसकी चूचियाों को दबा रहा था जिसकी वजह से उसके मुँह से से- “भाई, आराम से करो ना… प्लीज़्ज़… दर्द होता है इस तरह…”

आवाज सुनते ही मैं खुशी से पागल हो गया क्योंकि वो कोई और नहीं बलकि मेरी बड़ी बहन अंजली ही थी जो कि आज मेरे साथ इस तरह नंगी लेटी हुई थी और मुझसे चुदवाना भी चाहती थी। अब मैं फिर से दीदी को किस करने लगा और साथ ही दीदी की चूचियों को भी मसलने लगा था और दीदी अपने हाथों से मेरे सर को सहला रही थी।

कुछ देर के बाद मैंने दीदी को किस करना बंद कर दिया और दीदी की चूचियों पे अपने मुँह को रख दिया और बारी-बारी से दीदी की चूचियों को दबाने लगा और दीदी के निपल्स को चूसने लगा। अब दीदी मेरे सर को अपनी चूचियां पे दबा रही थी और- “उन्म्मह… भाई…? की आवाज भी करती जा रही थी। अब मैं दीदी की चूचियों से नीचे आया और दीदी के पेट को अपनी जुबान से चाटने लगा और जुबान को दीदी के पेट पे घुमाने लगा और आहिस्ता-आहिस्ता नीचे की तरफ जाने लगा जिससे दीदी और भी ज्यादा मचलने लगी और सिसकियां भरने लगी।

अब मैं दीदी की फुद्दी से थोड़ा ही ऊपर अपनी जुबान को घुमा रहा था। लेकिन दीदी की फुद्दी की तरफ नहीं जा रहा था कि तभी दीदी ने मेरे सर को अपनी फुद्दी की तरफ दबया तो मैंने अपने मुँह को दीदी की फुद्दी की तरफ ले जाने की जगह दीदी की रानों की तरफ आ गया और चाटने और चूमने लगा जिससे दीदी और भी मचलने लगी थी।

जब दीदी ने देखा कि मैं उन्हें जानबूझ के ताटा रहा हूँ तो दीदी ने मेरा सर पकड़ लिया और जबरदस्ती अपनी फुद्दी की तरफ कर दिया और बोली- “भाई, प्लीज़्ज़ यहाँ से चाटो ना…” जैसे ही मैंने दीदी की गिली फुद्दी पे अपनी जुबान घुमाई, दीदी का जिश्म एक बार थोड़ा से अकड़ गया और दीदी के मुँह से- “सस्सीई… आअह्ह… भाई हाँ… इसी तरह यहाँ पे प्लीज़्ज़… ऊओ… भाई इतना मजा…” दीदी की फुद्दी चाटने में मुझे बुआ की फुद्दी से भी ज्यादा मजा आ रहा था जिससे कि मैं दीदी की फुद्दी के अंदर तक अपनी जुबान को घुसाकर चाटने की कोशिश करने लगा, जिससे मेरे साथ दीदी को भी मजा आ रहा था।

दीदी अब मजे की शिद्दत पे थी- “और आअह्ह… भाई, खा जाओ अपनी दीदी की फुद्दी को… रंडी बना दो मुझे… उन्म्मह… ऊओ… अम्मीई, मैं गई…” और इसके साथ ही मेरे मुँह को अपनी फुद्दी के साथ दबा लिया और फारिग़ हो गई…”


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Re: Hot stori घर का बिजनिस

Unread post by The Romantic » 07 Nov 2014 09:48

घर का बिजनिस -12

दीदी के फारिग़ होते ही मैंने दीदी की फुद्दी से निकलने वाला सारा पानी चाट लिया और उठकर दीदी के ऊपर लेट गया और किस करने लगा। दीदी भी मुझे पागलों की तरह किस करने लगी और मेरे साथ लिपटने लगी थी जिससे कि मुझे और भी मजा आने लगा। मैंने इसी तरह लेटे हुये अपने एक हाथ से अपने लण्ड को दीदी की फुद्दी के मुँह पे रख दिया और हल्का सा दबा दिया जिससे मेरे लण्ड का सुपाड़ा दीदी की फुद्दी में घुस गया तो दीदी ने किस करना बंद कर दिया।

मैंने कहा- क्यों दीदी? क्या हुआ? भाई का लण्ड अपनी फुद्दी में नहीं लेना क्या?

दीदी ने मेरे सर को अपने साथ लगा लिया और मेरे कान में बोली- “भाई, मैं तो आप ही की हूँ जो आपका दिल चाहे कर लीजिए। मैं आपको मना नहीं करूंगी…”

दीदी की बात सुनते ही मैंने अपने लण्ड पे दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया जिससे मेरा लण्ड दीदी की फुद्दी में अपना रास्ता बनाता हुआ घुसने लगा।

लण्ड कोई 4” इंच से थोड़ा ज्यादा ही गया था कि दीदी के मुँह से- “भाई, आराम से दर्द हो रहा है…” क्योंकि अरविंद का लण्ड भी कोई 4” से थोड़ा ही बड़ा था जिसकी वजह से दीदी की फुद्दी ने मेरे लण्ड को भी उतनी ही जगह दी थी।

तो मैंने कहा- क्यों दीदी? क्या आप अपने भाई का पूरा लण्ड अपनी फुद्दी में नहीं लोगी?

दीदी ने कहा- “भाई, मैंने आपको मना तो नहीं किया। आज आपका जो दिल चाहे करो लेकिन प्लीज़्ज़ जरा आराम से दर्द होगा…”

मैंने दीदी की बात सुनकर कहा- “दीदी, आप परेशान नहीं हो, मैं आपका भाई हूँ ज्यादा दर्द नहीं दूंगा…” और इसके साथ ही दीदी की टाँगों को दीदी के कंधों की तरफ मोड़ दिया और एक तेज झटका दिया जिससे मेरा लण्ड दीदी की फुद्दी में पूरा घुस गया।

और दीदी के मुँह से- “आऐ… आअम्मीईई… मर गई… ऊओ… भाई, रुक जाओ… मुझे दर्द हो रहा है… अभी हिलना नहीं… प्लीज़्ज़ आअह्ह…”

मुझे अपना लण्ड आगे दीदी की फुद्दी में किसी चीज के साथ टकराता हुआ लग रहा था जिससे मैं समझ गया कि वो दीदी की बच्चेदानी है जिससे मेरा लण्ड टकरा रहा है और दीदी को दर्द हो रहा है। इतना महसूस करते ही कि मेरा लण्ड दीदी की फुद्दी में बच्चेदानी से टकरा रहा है मेरा बुरा हाल हो गया और मुझसे रुकना मुहाल हो रहा था।

दीदी ने हल्की सी आवाज में कहा- भाई, आराम से करना प्लीज़्ज़ जोर नहीं लगाना।

मैंने दीदी के मुँह से ये बात सुनते ही दीदी की फुद्दी में अपने लण्ड को हिलाना शुरू कर दिया जो कि बड़ा ही टाइट होकर अंदर-बाहर हो रहा था जिससे मुझे लग रहा था कि मैं दीदी को ज्यादा देर तक नहीं चोद सकूंगा। मेरी इस प्यार भरी और आराम से होने वाली चुदाई दीदी को भी उतना ही मजा दे रही थी, जितना मजा मुझे आ रहा था। दीदी अपनी गाण्ड को भी मेरी तरफ दबा के मजा ले रही थी।

और साथ ही दीदी सिसकी- “आअह्ह… मेरा भाई… उंन्ह… मजा आ रहा है भाई… बस इसी तरह ही करना… भाई, मेरा होने वाला है… उन्म्मह… भाई, आपके लण्ड ने मुझे अपना दीवाना बना दिया है… भाई, भाई मैं गई…”

इतना बोलते ही दीदी का जिश्म अकड़ गया और तभी मुझे दीदी की फुद्दी में अपने लण्ड को कोई गरम सी चीज महसूस हुई। जिसके बाद मेरा लण्ड दीदी की फुद्दी में आराम से अंदर-बाहर होने लगा और मैं भी दीदी के बाद कोई एक मिनट में ही फारिग़ हो गया और दीदी के साथ लिपट के लेट गया।

कुछ देर मैं इसी तरह दीदी के साथ लिपट के लेटा रहा और जब साइड पे होने लगा तो दीदी ने कहा- “भाई क्या हुआ? लेटे रहो ना इसी तरह…”

मैं- क्यों दीदी? आपको मेरा इस तरह आपके साथ लेटना अच्छा लग रहा है?

दीदी- हूंन… भाई, बहुत अच्छा लग रहा है।

मैं- दीदी, क्या आपको मेरे साथ ज्यादा मजा आया है या उस अरविंद के साथ?

दीदी- भाई, आपको ज्यादा मजा किसके साथ आया? पहले आप बताओ फिर मैं भी बता दूँगी, अम्मी के साथ बुआ के साथ या? (इतना बोलते ही दीदी खामोश हो गई)

मैं- दीदी, सच पूछो तो मजा तो सब के साथ आया लेकिन जो मजा आपने दिया है वो मैं कभी भूल नहीं सकूंगा

दीदी- भाई, मुझे भी आपके साथ मजा आया है दिल करता है कि आप अपने उसको मेरे अंदर इसी तरह घुसाकर लेटे रहो और कभी भी बाहर नहीं निकालो

मैं- “अच्छा दीदी, अभी आप सो जाओ शाम को जाना भी है और नींद भी पूरी होनी चाहिए ना हमारी…”

दीदी- अच्छा भाई, लेकिन आप मेरे साथ इसी तरह लिपट के सो जाओ मुझे अच्छा लगेगा।

मैंने दीदी की बात को मान लिया और इसी तरह लेटा रहा और कब नींद आई पता ही नहीं चला, और अम्मी के हिलाने से ही मेरी आँख खुली देखा तो हम दोनों बहन भाई अभी तक नंगे ही एक साथ बेड पे सो रहे थे।

अम्मी ने हँसते हुये कहा- चलो बेटा 3:00 बज चुके हैं और अब उठकर नहा लो। फिर खाना खाकर तैयार हो जाओ। जाना नहीं है क्या?

मैंने भी हँसते हुये कहा- अच्छा मैं उठ रहा हूँ। और इतना बोलते ही दीदी को अपनी तरफ खींच लिया और एक किस करके दीदी को भी उठा दिया और बोला- “चलो दीदी, 3:00 बज गये हैं जाना नहीं है क्या?

फिर हमने बारी-बारी नहाकर खाना खाया और तैयार हो गये। तो बापू ने मुझे कुछ बोतल शराब भी पकड़ा दी और कहा- “बेटा, ये अपने साथ फ्लैट में ले जाओ…”

फिर हम चारों घर से फ्लैट की तरफ निकल आए और मैं उन सबको फ्लैट में छोड़ कर बाजार की तरफ चला गया और कुछ खाने पीने का सामान लाकर बुआ को पकड़ा दिया, जो कि बुआ ने किचेन में रख दिया। फिर हम वहाँ हाल में ही बैठकर टीवी देखने लगे और इंतजार करने लगे कि बापू कब काल करेंगे और काम शुरू होगा।

पायल काफी टेशन में नजर आ रही थी।

तभी दीदी ने पूछा- पायल क्या बात है? परेशान क्यों हो तुम?

पायल ने दीदी की तरफ देखा और बोली- नहीं दीदी, बस आपको तो पता है कि मेरा पहली बार है इसीलिए थोड़ा दिल घबरा रहा है।

बुआ ने पायल की बात सुनकर उसे अपनी तरफ खींच लिया और कहा- “देख पायल, ये जो काम है ना हर लड़की ने करना ही होता है इसमें क्या डरना? बलकि मजा लो क्योंकि इसमें हर तरफ से अपना ही फायदा है, मजे भी लो और पैसे भी…”

पायल ने बुआ की तरफ देखकर हाँ में सर हिला दिया और कहा- “जी बुआ, आप ठीक कहती हो…”
तभी बापू की काल भी आ गई।

मैंने काल रिसीव की तो बापू ने कहा- “आलोक, तुम बाहर आ जाओ। बिल्डिंग के बाहर ब्लैक प्राडो खड़ी होगी। उसमें दो आदमी होंगे, उन्हें अपने साथ फ्लैट में ले जाओ। ये लोग पायल के साथ ही वक़्त गुजारेंगे…”

मैंने हैरानी से बापू को कहा- “लेकिन बापू, पायल ने तो अभी तक एक के साथ भी नहीं किया है और आपने दो भेज दिए उसके लिए?”

बापू ने कहा- “परेशान नहीं हो… मैं जानता हूँ कि पायल को कुछ नहीं होगा और अगर अरविंद आ जाये तो अंजली को उसके साथ रूम में भेज देना…”

मैंने- “ओके…” कहा और काल कट करके नीचे चला गया, जहाँ गाड़ी में दो लोग बैठे हुये थे। मैं जैसे ही उनके पास गया कि उनमें से एक ने कहा- क्या तुम ही आलोक हो?

मैंने हाँ में सर हिला दिया।

तो उसने कहा- क्या तुम सच में अपनी बहनों को चलाते हो? और तुम्हारी छोटी बहन अभी कुँवारी है?

मैंने कहा- “जी, आप सही जगह पे ही आए हो। आ जाओ फ्लैट में चलते हैं…”

वो लोग गाड़ी में से निकले और बोले- कुछ पीने का इंतजाम भी है या नहीं? अगर नहीं है तो अभी बता दो मैं ड्राइवर को बोल दूँ?

मैंने कहा- नहीं, इसे आप जाने दो, हर चीज यहाँ पहले से ही है आप चलो तो सही।

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Re: Hot stori घर का बिजनिस

Unread post by The Romantic » 07 Nov 2014 09:49

घर का बिजनिस -13

जैसे ही हम फ्लैट में दाखिल हुये तो मुझे पायल नजर नहीं आई। मैंने उनको वहाँ हाल में ही बिठा दिया तो उनमें से एक जिसका नाम फहीम था उसने दूसरे की तरफ देखते हुये कहा- “यार अकबर, ये वाली (दीदी) लगती है… वैसे है कमाल…”

मैंने कहा- “नहीं भाई, आप वाली ये नहीं है… अभी आ जाती है…” और इसके साथ ही दीदी की तरफ देखा।

तो दीदी ने कहा- “जरा वाश-रूम गई है अभी आ जाती है…”

अकबर ने हँसते हुये मेरी तरफ देखा और बोला- “आलोक साब, लगता है कि दो का सुनकर ही तुम्हारी बहन की फटने लगी है…” और दोनों हाहहाहा करके हँसने लगे।

मैंने उनकी किसी बात का बुरा नहीं माना और खामोशी से बैठा रहा कि तभी पायल भी वाश-रूम से आ गई। जिसे देखते ही फहीम सिटी बजाने लगा और बोला- “यार अकबर, माल तो ये भी कम नहीं है साली के मम्मे तो देख?”

अकबर भी पायल को ही घूर रहा था बोला- “नहीं यार, मम्मे छोड़… साली की गाण्ड देख, क्या चीज है? यार लगता है कि इस बार हमारे पैसे सही जगह पे लगे हैं…”

फिर फहीम ने कहा- यार आलोक, जरा कुछ माहौल तो बनाओ ऐसे क्या खाक मजा आएगा?

मैंने पायल की तरफ देखा और बोला- “जाओ अंदर से एक बोतल निकाल लाओ…”

पायल मेरी बात सुनकर रूम में चली गई और शराब की एक बोतल निकाल लाई और साथ में दो गिलास भी ले आई और उनके सामने रख दिए।

बुआ ने दीदी से कहा- चलो अंजली, हम दूसरे रूम में बैठ जाते हैं…” और दोनों वहाँ से चली गई तो अकबर ने पायल को हाथ से पकड़कर अपनी गोदी में बैठा लिया और पायल की चूचियां को मसलने लगा और फहीम शराब गिलासों में डालने लगा।

अकबर ने कहा- “यार आलोक, एक गिलास और ला दो। ये भी हमारे साथ ही पिएगी वरना हमें सही मजा नहीं आएगा…”

मैं उठा और जाकर दो गिलास और उठा लाया जिसमें से एक गिलास में फहीम ने पायल के लिए भी शराब डाल दी जिसे पायल ने पकड़ लिया और बुरा सा मुँह बनाते हुये पी ही गई।

दो-दो पेग लगाकर वो दोनों उठे और पायल को साथ में लेकर रूम में घुस गये। कोई 20 25 मिनट तक रूम से कोई आवाज नहीं आई। लेकिन फिर अचानक पायल की दर्द से डूबी हुई चीख सुनाई दी- “आऐ… प्लीज़्ज़… रुको… भाई मुझे बचाओ… नहीं… प्लीज़्ज़… बस करो और नहीं… मेरी फट गई है… अम्मीईई जीए…”

पायल की इन चीखों की आवाज सुनकर दीदी और बुआ भी अपने रूम से निकल आई और आकर मेरे पास बैठ गई और रूम से आने वाली आवाज़ों को सुनने लगी जो कि अब आहिस्ता-आहिस्ता दर्द की जगह मजे की सिसकियों में बदलती जा रही थीं।

दीदी ने मेरी तरफ देखा और कहा- भाई, पायल इन दोनों को बर्दाश्त कर लेगी क्या?

बुआ ने फौरन ही कहा- “अरे यार, मैंने तुम्हें पहले भी कहा था कि परेशान ना हो पायल आराम से करवा लेगी…”

अब रूम में से- “ससीए… आअह्ह… आराम से करो… उंनमह… हाँ इसी तरह करो… ऊओ… अब अच्छा लग रहा है…” की आवाज आ रही थी जिसे सुनकर दीदी भी काफी गरम हो रही थी।

मैंने अपना हाथ अभी दीदी की रान पे रख ही था कि फ्लैट की बेल बजने लगी जिसे सुनकर मैं चौंक गया और जाकर देखा तो अरविंद साहब ही थे।

मुझे देखते ही हँस पड़े और बोले- मेरी जान कहाँ है? किसी और के साथ तो नहीं लिटा दिया उसे भी?

मैंने कहा- “नहीं सर, ऐसा भला किस तरह हो सकता है। दीदी तो बस आप ही की दीवानी हो गई है। बोल रही थी कि अगर अरविंद साहब नहीं आयेंगे तो मुझे किसी और के साथ कुछ करने के लिए नहीं बोलना…” इतना बोलते-बोलते हम दोनों हाल में आ चुके थे और दीदी भी मेरी बात सुन चुकी थी।

जिसकी वजह से दीदी अरविंद साहब को देखकर मुश्कुराती हुई उठी और उसके सीने से लग गई और बोली- “कसम से, आप नहीं आते ना तो मैं आपसे नाराज हो जाती…” दीदी ने ये बात इस अदा के साथ कही थी कि मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि दीदी इतनी अच्छी आक्टिंग भी कर सकती हैं।

अरविंद दीदी की बात सुनकर खुश हो गया और बोला- “अंजली, मेरा दिल कर रहा है कि मैं तुम्हें एक घर खरीद के दे दूँ जहाँ सिर्फ़ मैं ही तुम्हारे पास आया करूं और तुम्हें कोई भी हाथ ना लगाये…”

दीदी ने कहा- “जान, आप मुझे जहाँ भी रखना चाहो मैं रहूंगी और किसी को भी अपने बदन को हाथ नहीं लगाने दूँगी लेकिन अपने घर वालों को नहीं छोड़ सकती…”

अरविंद ने कहा- “तो इसमें क्या है? बस तुम लोग तैयारी करो 2-3 दिन में ही तुम्हारे नाम से एक घर खरीद लूँगा जहाँ तुम सब रहना। लेकिन वहाँ जो भी हो तुम्हें किसी और के साथ नहीं देख सकूंगा याद रखना…”

दीदी अरविंद की बात सुनते ही उसके साथ बुरी तरह लिपट गई और- आई लोव योउ जान, आप मुझे कितना प्यार करते हो… और इतना बोलते ही उसे किस करने लगी।

बुआ भी दीदी की आक्टिंग से काफी खुश नजर आ रही थी और बुआ ने मुझे आँख मारी और दीदी की तरफ इशारा भी किया जिसको मैं समझ गया और सर झुकाकर मुश्कुरा दिया।

अब अरविंद दीदी को अपने साथ लेकर सोफे पे बैठ गया और शराब की बोतल पकड़कर बोला- “ये क्या भाई? एक ही गिलास है एक और लाओ। हम अपनी जान को अपने हाथों से पिलायेंगे…”

बुआ गिलास के लिए किचन की तरफ गई तो अरविंद ने पहली बार रूम में से आने वाली पायल की- “आअह्ह… इस्स… और थोड़ा जोर से करो… उन्म्मह…” की आवाज़ों को सुना और बोला- जान, लगता है तुम्हारी बहन की सील भी खुल ही गई है?

दीदी ने भी हँसते हुये कहा- हाँ जी, आज ही उसकी भी नथ खुली है।

अब पायल की भी आवाजें आना बंद हो चुकी थी। कुछ देर के बाद मैं उठा और रूम में चला गया जहाँ पायल की चुदाई हो चुकी थी। रूम का नजारा बड़ा ही प्यारा था। रूम में बेड पे बीच में पायल पूरी नंगी लेटी हुई थी और उसकी टांगें खुली हुई थीं और फुद्दी पहली चुदाई और खून की वजह से कुछ लाल और सूजी हुई लग रही थी। अकबर और फहीम उस वक़्त पायल के दायें बायें लेटे हुये लंबी-लंबी सांसें ले रहे थे और पायल की आँखें बंद थीं और वो भी लंबी-लंबी सांस ले रही थी।

एक बार तो मेरा दिल किया कि मैं अभी अपने लपड़े निकाल दूँ और पायल की सूजी हुई फुद्दी में अपना लण्ड घुसा दूँ। लेकिन अभी मैं ऐसा नहीं कर सकता था क्योंकि वो एक साथ दो लण्ड अपनी फुद्दी में ले चुकी थी और उसकी फुद्दी की हालत भी मुझे काफी खराब नजर आ रही थी।

मैंने पायल को हिलाया तो उसने अपनी आँखें खोलकर मेरी तरफ देखा और हल्का सा हँस पड़ी, तो मैंने कहा- चलो उठो, शाबाश… मैं तुम्हें बाथरूम में ले चलूं…”

पायल ने थोड़ी हिम्मत की और उठकर खड़ी हुई तो उसकी टांगें लड़खड़ा गईं। मैंने पायल को अपने हाथों पे उठा लिया जिससे मेरा एक हाथ अपनी छोटी बहन की गाण्ड पे और दूसरा कमर पे आ गया तो मैं उसे इसी तरह बाथरूम में ले गया। जैसे ही बाथरूम में आकर मैंने पायल की तरफ देखा तो वो मेरी तरफ ही देख रही थी और हल्का सा मुश्कुरा रही थी। शायद इसकी कुछ वजह शराब भी थी जो कि पायल ने भी पी हुई थी। मैंने पायल को नीचे उतार दिया और उतातेर वक़्त हल्के से उसकी गाण्ड को दबा दिया।

तो पायल और भी खुश हो गई और बोली- “भाई, दर्द हो रहा है, आप ही मुझे साफ कर दो ना प्लीज़्ज़…”

मैंने फौरन पायल की बात मानी और उसे नीचे लिटा दिया और शलवार को खोल दिया और पीछे होकर अपनी पैंट और शर्ट के बाजू को मोड़ लिया और पायल के जिश्म को अपने हाथों से मल-मल के साफ करने लगा।

पायल ने अपनी टाँगों को भी खोल दिया और बोली- “भाई, जहाँ से मैं गंदी हूँ वहाँ से साफ करो ना…”

मैं पायल की बात से खुश हो गया और जल्दी से साबुन उठाकर पायल की फुद्दी और रानों के साथ पेट को भी मलने लगा। पायल ने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने भाई के हाथों से मजा लेकर सफाई करवाने लगी। अभी मैं पायल के जिश्म पे लगा साबुन साफ कर ही रहा था

कि तभी अकबर भी बाथरूम में घुस आया और बोला- क्या बात है यार? अपनी बहन की खिदमत हो रही है?
मैंने अकबर की बात का कोई जवाब नहीं दिया।

तो उसने फिर कहा- “अच्छी बात है… खिदमत करनी चाहिए क्योंकि इसी की कमाई तो खानी है सारी ज़िंदगी…” और हाहाहाहा करके हँसने लगा।

मैंने जल्दी से पायल को साफ किया और उसी तरह उठाकर रूम में ले आया और बेड पे लिटा दिया और पायल को उसके कपड़े भी दे दिए। पायल ने अपने कपड़े पहन लिए तो अकबर और फहीम भी वाश-रूम से फारिग़ हो चुके थे और फिर उन्होंने पायल को एक किस की और चूचियां को दबाकर वहाँ से निकल गये।

मैं भी उनके साथ ही जाने के लिए रूम में से निकला तो हाल में अरविंद साहब दीदी को डोगी बनाकर चुदाई में लगे हुये थे।

मैंने उन दोनों को फ्लैट के बाहर छोड़ा और फिर से फ्लैट में आ गया और अरविंद के साथ होने वाली दीदी की चुदाई देखने लगा जो कि अब अपने जोरों पे चल रही थी। दीदी उस वक़्त- “आअह्ह… हाँ जान… और तेज करो… उंन्ह… मेरी जान आज तुमने क्या खाया है? फाड़नी है क्या मेरी? उउफफ्फ़…” की आवाज कर रही थी।

अरविंद भी दीदी की गाण्ड को पकड़कर अपने लण्ड को पूरा दीदी की फुद्दी में से निकालता और फिर से पूरी ताकत से घुसा देता और- “हाँ जान… ये ले… ऊओ… मैं आजज्ज तेरी फुद्दी को फाड़कर रख दूँगा… उंनमह…”

दीदी भी उसके हर धक्के के जवाब में अपनी गाण्ड को पूरी ताकत से दबाती और- “हाँ फाड़ दे मेरी फुद्दी… उन्म्मह… भाई इसे बोलो कि जोर से करे… पूरा घुसाकर चोदे मुझे… उन्म्मह… मैं गई जान… आअह्ह… थोड़ा और… उंनमह…” की आवाज के साथ ही दीदी का जिश्म झटके खाने लगा और दीदी की फुद्दी ने पानी छोड़ दिया जिससे दीदी का जनून ठंडा हो गया।

दीदी के फारिग़ होने के बाद अरविंद भी कुछ ही देर में दीदी की फुद्दी में ही फारिग़ हो गया और बगल में होकर लेट गया तो दीदी भी सीधी होकर लेट गई और अपनी फुद्दी को मेरे सामने करके अपनी एक उंगली के साथ मसलने लगी और मुश्कुराने लगी।

उस रात एक बार और दीदी ने अरविंद से चुदवाया और बुआ ने भी दो आदमियों को ठंडा किया और फिर हमने खाना खाया और आराम करने के लिए लेट गये।वो सारा दिन हमें फ्लैट में ही गुजरना था क्योंकि पायल ने वापिस जाने से मना कर दिया था। मैं जब सोकर उठा तो दिन का एक बज चुका था। मैं फौरन नहाने के लिए घुस गया और फिर फ्लैट से करीब ही बनी मार्केट गया और खाने का सामान लेकर वापिस आया तो दीदी जाग चुकी थी और मुझे देखते ही बोली- “चलो अच्छा हुआ भाई कि आप खाने का सामान ले आए…”

मैं- “दीदी जब यहाँ रहना है तो खाना भी बनाना ही पड़ेगा ना…”

दीदी- “हाँ, वो तो है और मेरे लाए हुये सामान को उठाकर देखने लगी और फिर नाश्ते का सामान निकालकर हम दोनों नाश्ता करने लगे।

नाश्ते से फारिग़ हुये ही थे कि मैंने दीदी से कहा- “दीदी, आप अभी तक नहाई नहीं हो क्या?

दीदी- “नहीं भाई, अभी मैं शाम को ही नहा लूँगी…”

मैंने दीदी की गाण्ड की तरफ देखते हुये कहा- चलो दीदी, नाश्ता तो हो गया अब क्या प्रोग्राम है आपका?

दीदी मेरी नजर को समझ गई और बोली- “जो मेरे प्यारे से भाई की मर्ज़ी है, वो ही होगा यहाँ…”

मैंने दीदी को अपनी तरफ खींच लिया और किस करने लगा और साथ ही दीदी के चूचियों को भी दबाने लगा जिससे दीदी भी गरम होने लगी और मुझसे लिपट गई और अपनी जुबान को मेरे मुँह में घुसाकर मेरा साथ देने लगी। दीदी ने उस वक़्त सिर्फ़ एक लूज निक्कर और पतली सी शर्ट ही पहनी हुई थी जिसमें दीदी का जिश्म और भी कयामत नजर आ रहा था।

मैं फौरन अपनी शलवार और कमीज निकालकर नंगा हो गया और दीदी को भी नंगा कर दिया और दीदी की टाँगों को उठाकर बीच में बैठ गया और दीदी की क्लीन फुद्दी को देखने लगा।

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