जूली- नहीं ! आपको कल भी मुझे चोदना है। मेरा दिल भरने तक !
मैं- किसी और ने बुलाया तो?
जूली- उसे भी साथ ले लो ! तुमको तो क्या? पाँचों उंगलियाँ घी में।
फिर हम नंगे ही एक दूसरे की बांहों में हाथ डालकर सो गए। सुबह होते ही हम कपड़े पहनकर नीचे नहाने धोने गए, तैयार हो गए। और फ़िर चाय नाश्ते के लिए गए।
सबने योजना बनाई थी कि आज कोठे में सब रण्डियाँ सिर्फ ब्रेज़ियर और हाफ़ पैंट ही पहनेंगी।
जूली- कल आपका आखिरी दिन है तो वादा करो कि कल दिन भर आप मेरी गोद में लिपटे रहोगे ! और किसी के पास नहीं जाओगे?
मैं- कल का तो मैं बता नहीं सकता।
जूली- नहीं ! आपको कल भी मुझे चोदना है। मेरा दिल भरने तक !
मैं- किसी और ने बुलाया तो?
जूली- उसे भी साथ ले लो ! तुमको तो क्या? पाँचों उंगलियाँ घी में।
फिर हम नंगे ही एक दूसरे की बांहों में हाथ डालकर सो गए। सुबह होते ही हम कपड़े पहनकर नीचे नहाने धोने गए, तैयार हो गए। और फ़िर चाय नाश्ते के लिए गए।
सबने योजना बनाई थी कि आज कोठे में सब रण्डियाँ सिर्फ ब्रेज़ियर और हाफ़ पैंट ही पहनेंगी। साली सबकी सब सेक्सी लग रही थी यहाँ तक कि मौसी भी उसी तरह तैयार हुई।
मौसी- वाह ! आज तो कस्टमर तो चकरा जाएगा कि किसको चोदूँ? सब की सब पटाख़ा लग रही हैं.. कोठे पे कदम रखते ही उसका लौड़ा ऐसा तनेगा कि जो बोले वो पैसे दे देगा। उससे कंट्रोल ही नहीं होगा।
मैं तैयार होकर रोज की तरह पान वाली दुकान के पास जा खड़ा हुआ। तभी मुहल्ले के असली भड़वे भी आ गये और बोले- क्या तुम ही कमाओगे? हम नहीं क्या?
मैं- अरे, हमने कब मना किया?
सब भड़वे- अरे यार जो चुदाई तुम्हारे यहाँ होती है, वो बाकी जगह पर नहीं। ऐसा क्यों?
मैं- हमारे यहाँ सब अपनी मरजी से धंधा करती हैं किसी को उठा कर या फंसा कर नहीं लाया। सब आती हैं किसी गई पुरानी रण्डी की पहचान लेकर। सब कमाती हैं और चली जाती हैं अपनी दुनिया में। हमारे यहाँ सीमा भी इसी तरह आई और अब कमा रही है।
सब बोले- साली, ऐसी हमारे हाथ क्यों नहीं आती? हमें तो मार-मार कर उसे रण्डी बनाना पड़ता है और उस धंधे में मज़ा नहीं।
मैं- हमारे यहाँ के कस्टमर को पूछो कि किसी औरत ने रोते हुए उसको लिया है? वो ना ही बोलेगा। उससे रण्डियाँ बहुत प्यार से पेश आती है और बेताब होकर लौड़ा लेती हैं। ऐसा किसी दूसरे कोठे पर नहीं होता। देखो कल ही बाजू वाले घर में वो लड़कियों को आप लोग बंगला देश और नेपाल से लाये हैं, आप उन्हें मारेंगे, पीटेंगे और फिर वो क्या खुशी से धंधा करेंगी ? नहीं ना ? तो आप लोग ऐसी औरतें ढूँढो जिनको कमाना भी है और पहचान भी छुपानी है ! ऐसी औरतें एक ढूँढो तो हजार मिलेंगी। एक बार वो गई तो जाने दो ! दूसरी उसके पीछे अपने आप आ जाएगी।
सभी भड़वे- हां ! यह सोलह आने सच है। देखते हैं, ऐसी हमारी किस्मत भी है या नहीं?
मैं- एकदम से नहीं मिलेंगी। थोड़ा धीरज रखना पड़ेगा।
इतने में दो लड़के कल्पना के कोठे का पता पूछने लगे।
मैं- हाँ, बोलो कहाँ जाना है?
वो बोले- कल्पना के यहाँ ! वहाँ मस्त-मस्त रण्डियाँ हैं ! बहुत नाम सुना है।
मैं- तो चलो मेरे साथ। कितनी देर तक बैठना है? एक बार चोदने के 500 रुपए होगे और एक घंटे के 1000 रुपए।
वो- नहीं, हमें तो बस एक बार चोदना है, अच्छा लगा तो दूसरी बार पूरी रात के लिए आयेंगे।
बातें करते करते हम कोठे पर आ गए। सभी अन्दर टीवी देख रही थी। मैंने बेल बजाई तो मेरी सारी की सारी सालियाँ बाहर आ गई। उनको इन कपड़ों में देखकर वो दोनों पागल से हो गए और नजदीक जाकर किसको चोदें, इसका विचार करने लगे..
एक ने रानी को और दूसरे ने जूली को चुना और लेकर कमरे में चले गए। धीरे धीरे कोठे पर चोदुओं की भीड़ बढ़ गई। चोदने के लिए कमरे और लड़कियाँ कम पड़ने लगी। सभी रण्डियों ने दो-दो राउंड पूरे किये, उनमें सीमा भी थी।
सीमा मेरे पास आई और बोली- और पाँच घण्टे काम करना है ! और 6-7 लौड़े तो चाहिएँ ही मेरी चूत को।
मैं- मैं कोशिश करता हूँ।
उतने में पहले दिन वाला युवक आया, साथ में एक दोस्त को लाया था।
आते ही युवक- रमेश, जिसकी मैं बात कर रहा था वो यही है सीमा, सीमा आज हम दोनों को एक साथ लेना है।
औरत का जिस्म - hindi sexy story long
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A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.
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Re: औरत का जिस्म - hindi sexy story long
सुनीता- आज आधा घंटे से ज्यादा नहीं लूंगी, मुझे बहुत कस्टमर पटाने हैं।
युवक- चलेगा। दोनों के 1000 रुपए ! है मंजूर?
सुनीता- हाँ चलो अन्दर ! दोनों कपड़े निकालकर बैठो ! और पैसे दो ! मैं पेटी में रख कर आती हूँ।
सुनीता ने अन्दर जाकर बारी-बारी दोनों लड़कों से चुदवाया और कपड़े पहनकर बाहर आई। आते युवक ने उसकी छाती को पकड़ा तो वो गुस्सा हुई।
सुनीता- ए नखरा नहीं करने का ! सिर्फ चोदने के पैसे लिए, छाती को हाथ लगाने का नहीं। उसके पैसे अलग।
युवक- सॉरी, सॉरी।
इतना कहकर चले गए।
बाहर और 5-6 ग्राहक बैठे थे और सभी रण्डियाँ अपना और एक राउंड पूरा करके बाहर आई। उनको देखते ही सारे ग्राहकों ने सिटी मारी और बोले- साली इस कोठे की रंगीनियाँ कुछ अलग ही हैं ! साली आज सब आधे से ज्यादा तो नंगी ही हैं ! ज्यादा तकलीफ नहीं होगी कपड़े निकालने के लिए।
सीमा एक आँख मार कर नीचे झुक कर अपनी छाती हिलाने लगी। इस पर फ़िदा होकर एक नौजवान उसे ले गया। जाहिदा के पास दो कस्टमर गए। सुशी और रानी ने भी कस्टमर लिए।
मौसी- साला कोई मुझे क्यों नहीं लेता? चल राजू, तू ही मेरे भोसड़े में डाल दे अपना लौड़ा। इन रण्डियों की चुदवाने की स्पीड देखकर मुझे भी चुदवाना है।
मैं- चल तो फिर ! फटाफट चोद डालूँ तुझे..
मैंने उस दिन मौसी के हाथ में अपना मस्त लौड़ा दिया तो वो चुदवाने के लिए तैयार हो गई।
मौसी- मेरे कोठे की रण्डियों ने तेरी बहुत तारीफ़ की तो सोचा देखूँ कि कितना सच है?
थोड़ी देर बाद सारी की सारी रण्डियाँ सारे कस्टमर पटा कर बाहर आई। किसी किसी ने तो ऊपर कुछ भी नहीं पहना था और मस्त होकर पंखे के नीचे बैठी थी।
मौसी- इन साली रण्डियों को किसी की शर्म ही नहीं ! अरे यह राजू यहाँ बैठा है ना ? इसकी तो शर्म करो !
जूली- इनसे क्या शर्माना ! मुझे और बाकी रण्डियों को पूरा नंगा देख कर उर चोद चुके हैं हमारे जीजू।
मौसी- ठीक है पर अभी कोई आया तो? कमरे में नंगी हो जाओ बाहर नहीं। बेशर्म कहीं की साली। चलो ब्रेज़ियर तो पहनो ! क्या रे राजू? तेरा लौड़ा नहीं कड़क होता इन को देख कर?
मैं- इनको तो चख लिया अब सिर्फ तू बाकी है..
मैंने पास जाकर मौसी को छुआ तो पता चला वो गर्म हो चुकी थी मेरा हाथ लगते ही !
उसने शरारती अंदाज में देखकर कहा- अभी मुझे दो कस्टमर लेने दे। फिर रात तेरी और मेरी।
मौसी ने दो दो कहते हुए 4 कस्टमर लिए और सुनीता का कोटा भी पूरा हुआ। वो अब थक चुकी थी।
सुनीता- मैं अब नहीं लेने वाली। मैं सोने जाती हूँ।
मौसी- राजू, तू अब मेरे साथ चल।
मैंने उसे गोद में उठाया और उसके कमरे में ले गया और कमरे बन्द किया। उसने एसी चालू किया। थोड़ी देर में कमरे ठण्डा हो गया।
मौसी ने मुझे खींचते हुए अपनी बाहों में लिया और बोली- भड़वे, तेरी तारीफ मैंने सभी रण्डियों से सुनी तो सोचा मैं भी तेरा लौड़ा ले ही लूँ। आज रात मैं सोने वाली नहीं और तुझे भी नहीं सोना।
मैं- हाँ मेरी रण्डियों की रानी। तू क्यूँ बाकी रहेगी ?
मौसी ने मुझे खींचते हुए अपनी बाहों में लिया और बोली- भड़वे, तेरी तारीफ मैंने सभी रण्डियों से सुनी तो सोचा मैं भी तेरा लौड़ा ले ही लूँ। आज रात मैं सोने वाली नहीं और तुझे भी नहीं सोना।
मैं- हाँ मेरी रण्डियों की रानी। तू क्यूँ बाकी रहेगी ? तेरी तो खास खातिरदारी करूँगा। सारे दाँव आजमाऊँगा।
उसने मुझे नंगा किया और खुद कपड़े पहनकर मेरा लौड़ा चूसने लगी।
5 मिनट बाद मौसी- क्या रे? तू मुझे नंगी नहीं करेगा ? कर ना रे !
मैंने उसके सारे कपड़े उतारे, उसका भोसड़ा भूखा-प्यासा था। उसने झट से मेरे मुँह पर अपना भोसड़ा धर दिया। मैंने उसे चाट-चाट कर तड़पा दिया।
मौसी ने लौड़ा मसल मसल कर दुबारा खड़ा किया और दोबारा चोदा उसको।
मौसी- भड़वे, क्या लम्बा लौड़ा है रे ? आज की रात तुम्हारी आखरी रात है। मैं चाहती हूँ कि तुम दोनों और थोड़ा, मतलब दो-एक दिन रुको न? मैं भी जी भर के चुदवा सकूँ और और सीमा को भी मस्त कमाई हो?
मैं- मौसी, आज की रात तुम्हारी। पर हम नहीं रुक सकते ! घर पर राह देखते होंगे।
मौसी- राजू ! रा..जू … आ भड़वे.. क्या तड़पा रहा है?
मैंने उसे खड़ा किया और पीछे से एक टांग उठाकर एक हाथ का सहारा देकर लौड़ा घुसेड़ दिया। थोड़ी देर बाद मैंने उसे पाँच अलग अलग तरीकों से चोदा और आखिर में सीधे लिटा कर पूरा लौड़ा घुसेड़ दिया और चोद डाला।
युवक- चलेगा। दोनों के 1000 रुपए ! है मंजूर?
सुनीता- हाँ चलो अन्दर ! दोनों कपड़े निकालकर बैठो ! और पैसे दो ! मैं पेटी में रख कर आती हूँ।
सुनीता ने अन्दर जाकर बारी-बारी दोनों लड़कों से चुदवाया और कपड़े पहनकर बाहर आई। आते युवक ने उसकी छाती को पकड़ा तो वो गुस्सा हुई।
सुनीता- ए नखरा नहीं करने का ! सिर्फ चोदने के पैसे लिए, छाती को हाथ लगाने का नहीं। उसके पैसे अलग।
युवक- सॉरी, सॉरी।
इतना कहकर चले गए।
बाहर और 5-6 ग्राहक बैठे थे और सभी रण्डियाँ अपना और एक राउंड पूरा करके बाहर आई। उनको देखते ही सारे ग्राहकों ने सिटी मारी और बोले- साली इस कोठे की रंगीनियाँ कुछ अलग ही हैं ! साली आज सब आधे से ज्यादा तो नंगी ही हैं ! ज्यादा तकलीफ नहीं होगी कपड़े निकालने के लिए।
सीमा एक आँख मार कर नीचे झुक कर अपनी छाती हिलाने लगी। इस पर फ़िदा होकर एक नौजवान उसे ले गया। जाहिदा के पास दो कस्टमर गए। सुशी और रानी ने भी कस्टमर लिए।
मौसी- साला कोई मुझे क्यों नहीं लेता? चल राजू, तू ही मेरे भोसड़े में डाल दे अपना लौड़ा। इन रण्डियों की चुदवाने की स्पीड देखकर मुझे भी चुदवाना है।
मैं- चल तो फिर ! फटाफट चोद डालूँ तुझे..
मैंने उस दिन मौसी के हाथ में अपना मस्त लौड़ा दिया तो वो चुदवाने के लिए तैयार हो गई।
मौसी- मेरे कोठे की रण्डियों ने तेरी बहुत तारीफ़ की तो सोचा देखूँ कि कितना सच है?
थोड़ी देर बाद सारी की सारी रण्डियाँ सारे कस्टमर पटा कर बाहर आई। किसी किसी ने तो ऊपर कुछ भी नहीं पहना था और मस्त होकर पंखे के नीचे बैठी थी।
मौसी- इन साली रण्डियों को किसी की शर्म ही नहीं ! अरे यह राजू यहाँ बैठा है ना ? इसकी तो शर्म करो !
जूली- इनसे क्या शर्माना ! मुझे और बाकी रण्डियों को पूरा नंगा देख कर उर चोद चुके हैं हमारे जीजू।
मौसी- ठीक है पर अभी कोई आया तो? कमरे में नंगी हो जाओ बाहर नहीं। बेशर्म कहीं की साली। चलो ब्रेज़ियर तो पहनो ! क्या रे राजू? तेरा लौड़ा नहीं कड़क होता इन को देख कर?
मैं- इनको तो चख लिया अब सिर्फ तू बाकी है..
मैंने पास जाकर मौसी को छुआ तो पता चला वो गर्म हो चुकी थी मेरा हाथ लगते ही !
उसने शरारती अंदाज में देखकर कहा- अभी मुझे दो कस्टमर लेने दे। फिर रात तेरी और मेरी।
मौसी ने दो दो कहते हुए 4 कस्टमर लिए और सुनीता का कोटा भी पूरा हुआ। वो अब थक चुकी थी।
सुनीता- मैं अब नहीं लेने वाली। मैं सोने जाती हूँ।
मौसी- राजू, तू अब मेरे साथ चल।
मैंने उसे गोद में उठाया और उसके कमरे में ले गया और कमरे बन्द किया। उसने एसी चालू किया। थोड़ी देर में कमरे ठण्डा हो गया।
मौसी ने मुझे खींचते हुए अपनी बाहों में लिया और बोली- भड़वे, तेरी तारीफ मैंने सभी रण्डियों से सुनी तो सोचा मैं भी तेरा लौड़ा ले ही लूँ। आज रात मैं सोने वाली नहीं और तुझे भी नहीं सोना।
मैं- हाँ मेरी रण्डियों की रानी। तू क्यूँ बाकी रहेगी ?
मौसी ने मुझे खींचते हुए अपनी बाहों में लिया और बोली- भड़वे, तेरी तारीफ मैंने सभी रण्डियों से सुनी तो सोचा मैं भी तेरा लौड़ा ले ही लूँ। आज रात मैं सोने वाली नहीं और तुझे भी नहीं सोना।
मैं- हाँ मेरी रण्डियों की रानी। तू क्यूँ बाकी रहेगी ? तेरी तो खास खातिरदारी करूँगा। सारे दाँव आजमाऊँगा।
उसने मुझे नंगा किया और खुद कपड़े पहनकर मेरा लौड़ा चूसने लगी।
5 मिनट बाद मौसी- क्या रे? तू मुझे नंगी नहीं करेगा ? कर ना रे !
मैंने उसके सारे कपड़े उतारे, उसका भोसड़ा भूखा-प्यासा था। उसने झट से मेरे मुँह पर अपना भोसड़ा धर दिया। मैंने उसे चाट-चाट कर तड़पा दिया।
मौसी ने लौड़ा मसल मसल कर दुबारा खड़ा किया और दोबारा चोदा उसको।
मौसी- भड़वे, क्या लम्बा लौड़ा है रे ? आज की रात तुम्हारी आखरी रात है। मैं चाहती हूँ कि तुम दोनों और थोड़ा, मतलब दो-एक दिन रुको न? मैं भी जी भर के चुदवा सकूँ और और सीमा को भी मस्त कमाई हो?
मैं- मौसी, आज की रात तुम्हारी। पर हम नहीं रुक सकते ! घर पर राह देखते होंगे।
मौसी- राजू ! रा..जू … आ भड़वे.. क्या तड़पा रहा है?
मैंने उसे खड़ा किया और पीछे से एक टांग उठाकर एक हाथ का सहारा देकर लौड़ा घुसेड़ दिया। थोड़ी देर बाद मैंने उसे पाँच अलग अलग तरीकों से चोदा और आखिर में सीधे लिटा कर पूरा लौड़ा घुसेड़ दिया और चोद डाला।
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Re: औरत का जिस्म - hindi sexy story long
मौसी- मज़ा आया इस हफ्ते ! तुम दोनों मिया बीबी के साथ किए मज़े मैं भूल नहीं सकती।
सुबह होते ही मैं और मौसी बाहर !
आते ही सारी रण्डियों ने ताली बजाकर हमारा स्वागत किया।
जाहिदा- तुमने तो तिजोरी पे ही हाथ मार दिया। बड़े उस्ताद चोदू हो? राजू और एक बार मुझे चोद ना ! भड़वे, क्या मस्त चोदता है तू !
जूली- जीजू, आज मेरी वो सहेली डोना आने वाली है, उसके लिए तगड़ा ग्राहक ढूंढ कर लाना।
मैं- अच्छा फिकर मत करना ! मिल जाएगा कोई ना कोई। पर वो तैयार होगी क्या?
सुनीता- उसकी चिन्ता छोड़ो ! यहाँ के नजारे देखते ही मचल उठेगी। पहले तो मैं भी डरी थी। मगर अब मेरा भोसड़ा हर लौड़े के लिए बेताब रहता है। आखिरी दिन है तो बहुत चुदवाऊँगी। सारी कसर एक ही दिन में पूरी करूंगी। फिर कहाँ ऐसा कर सकूँगी?
इतना कहकर सुनीता ग्राहक का इन्तजार करने लगी। साली पूरी तरह रण्डी ही बन गई थी। भड़काऊ मेकअप, तंग हाफ-पैंट, उस पर बिना बाहों वाली जर्सी जिसमें से उसके गोलों की लकीर दिखाई देती थी। मैं सोच भी नहीं सकता था कि वो मेरी पत्नी है और एक संसारी स्त्री है। वो इतनी मस्ताई थी कि उसने एक एक करके सारी रण्डियों की गाण्ड दबा दी..
करीब 11:30 बजे कोठे सामने एक रिक्शा रुकी। उसमें से जूली और एक खूबसूरत लड़की उतरी। उसकी छाती देखते ही सब समझ गए कि यह डोना ही है जिसके बारे में जूली बात कर रही थी।
मैंने सामान उतारकर अन्दर रख लिया। मैं वहाँ भड़वे का काम करता था तो यह सामान उठाने का काम भी कोई बुरा नहीं लगा। मैंने सामान उठाने के बहाने उसकी गाण्ड को छू ही लिया। साली को पता ही नहीं चला। वो तो बावरी बन गई थी। सोच रही होगी कहाँ फंस गई?
जूली- यह है मेरा ऑफिस, जहाँ मैं काम करती हूँ। और यह मेरी सहेली डोना है जो मेरे जैसे गोवा से ही है.. कल से तुम्हें भी काम करने को मिलेगा। जीजू, इसे अन्दर ले चलो। सारा काम अपने आप सीख लेगी ! बहुत होशियार है यह।
मैं उसे अन्दर ले आया। वहाँ जाहिदा, नीला, रानी सुनीता धंधे के लिए तैयार होकर खड़ी थी.. उन सब में नीला आज बड़ी सेक्सी लग रही थी। उसने नीली साड़ी कस कर पहनी थी और गहरे गले का बिना बाहों वाला ब्लाउज़ पहना था।
उतने में मौसी नीचे आई और बोली- आ री ! तू ही है क्या जूली की सहेली? बहुत तारीफ़ करती थी.. बोलती थी कि मेरी सहेली के आते ही जादू चल जाएगा। देखते हैं, क्या होता है? तुम आराम से बैठो। कोई डर मत रखना। तुम मेरे कमरे में चलो। राजू तुम भी साथ चलो।
डोना डरते डरते मेरे पीछे-पीछे चलने लगी। हम तीनों मौसी के कमरे में पहुँचे। मौसी ने सी सी टीवी चालू किया। नीचे ग्राहक आने लगे थे। कोई रण्डियो के गाल को छू रहा था, कोई उनकी छाती देख रहा था। एक ने सुनीता की गाँड को दबा कर देखा और भाव ताव करके उसे कमरे में ले गया।
मौसी और मैं डोना के चेहेरे के हाव-भाव देख रहे थे। साली सिर्फ़ नौटंकी कर रही थी, असल में वो भी चुदक्कड़ ही होगी और चुदवाने का मौका ढूंढ रही होगी।
इधर सीसी टीवी पर कमरे में सुनीता ने ग्राहक से 500 रुपए लिए, अपने कपड़े उतारे और सीधे से उसका लौड़ा लेकर चुदवाना चालू किया।
यह देखकर डोना बोली- हूं तो जूली के ऑफिस में यह काम होता है? बड़ी शरीफ बनती है गोवा में ! और यह औरत कौन है और कहाँ से आई है? कितनी बेशरम है?
मौसी- अरी, ये सारी रण्डियाँ हैं और यह रण्डी इसकी बीवी है। घूमने निकले और जब दिल्ली आए तो जेब कट गई तो कोई उन्हें पैसे नहीं दे रहा था। फिर पैसे कमाने दोनों मेरे पास आए। उसकी औरत का नाम सीमा है और यह राजू है और इन रण्डियों के लिए कस्टमर लाता है और दलाली के बदले उनको चोदता है। सब इसे जीजू बुलाती है। ये सारी रण्डियाँ कहलाने में शर्म नहीं करती। तुझे भी रण्डी बनना हो तो बोल?
डोना- आपको शर्म नहीं लगती अपनी बीवी से धंधा करवाते?
मैं- अरे बाहर की दुनिया देखी है मैंने और मेरी बीवी ने.. साले सब के सब हवस खोर होते हैं। यहाँ एक अच्छा है कि जिसे भी इच्छा होती है चला आता है, पैसे देकर चोद कर चला जाता है। कोई नौटंकी नहीं। थोड़ी देर तू अकेली इस कमरे में बैठ कर देख कैसे कैसे लोग आते हैं.. पता चलेगा कि लोगों के लौड़े में कितनी आग होती है ! फिर सब मिटाने यहाँ की गलियों में आते हैं। बड़ी-बड़ी पार्टी के कार्यकर्ता भी आते हैं। कल ही यहाँ का नगर-सेवक देर रात आया था और जाहिदा, नीला और सुशी को ले गया था।
सुबह होते ही मैं और मौसी बाहर !
आते ही सारी रण्डियों ने ताली बजाकर हमारा स्वागत किया।
जाहिदा- तुमने तो तिजोरी पे ही हाथ मार दिया। बड़े उस्ताद चोदू हो? राजू और एक बार मुझे चोद ना ! भड़वे, क्या मस्त चोदता है तू !
जूली- जीजू, आज मेरी वो सहेली डोना आने वाली है, उसके लिए तगड़ा ग्राहक ढूंढ कर लाना।
मैं- अच्छा फिकर मत करना ! मिल जाएगा कोई ना कोई। पर वो तैयार होगी क्या?
सुनीता- उसकी चिन्ता छोड़ो ! यहाँ के नजारे देखते ही मचल उठेगी। पहले तो मैं भी डरी थी। मगर अब मेरा भोसड़ा हर लौड़े के लिए बेताब रहता है। आखिरी दिन है तो बहुत चुदवाऊँगी। सारी कसर एक ही दिन में पूरी करूंगी। फिर कहाँ ऐसा कर सकूँगी?
इतना कहकर सुनीता ग्राहक का इन्तजार करने लगी। साली पूरी तरह रण्डी ही बन गई थी। भड़काऊ मेकअप, तंग हाफ-पैंट, उस पर बिना बाहों वाली जर्सी जिसमें से उसके गोलों की लकीर दिखाई देती थी। मैं सोच भी नहीं सकता था कि वो मेरी पत्नी है और एक संसारी स्त्री है। वो इतनी मस्ताई थी कि उसने एक एक करके सारी रण्डियों की गाण्ड दबा दी..
करीब 11:30 बजे कोठे सामने एक रिक्शा रुकी। उसमें से जूली और एक खूबसूरत लड़की उतरी। उसकी छाती देखते ही सब समझ गए कि यह डोना ही है जिसके बारे में जूली बात कर रही थी।
मैंने सामान उतारकर अन्दर रख लिया। मैं वहाँ भड़वे का काम करता था तो यह सामान उठाने का काम भी कोई बुरा नहीं लगा। मैंने सामान उठाने के बहाने उसकी गाण्ड को छू ही लिया। साली को पता ही नहीं चला। वो तो बावरी बन गई थी। सोच रही होगी कहाँ फंस गई?
जूली- यह है मेरा ऑफिस, जहाँ मैं काम करती हूँ। और यह मेरी सहेली डोना है जो मेरे जैसे गोवा से ही है.. कल से तुम्हें भी काम करने को मिलेगा। जीजू, इसे अन्दर ले चलो। सारा काम अपने आप सीख लेगी ! बहुत होशियार है यह।
मैं उसे अन्दर ले आया। वहाँ जाहिदा, नीला, रानी सुनीता धंधे के लिए तैयार होकर खड़ी थी.. उन सब में नीला आज बड़ी सेक्सी लग रही थी। उसने नीली साड़ी कस कर पहनी थी और गहरे गले का बिना बाहों वाला ब्लाउज़ पहना था।
उतने में मौसी नीचे आई और बोली- आ री ! तू ही है क्या जूली की सहेली? बहुत तारीफ़ करती थी.. बोलती थी कि मेरी सहेली के आते ही जादू चल जाएगा। देखते हैं, क्या होता है? तुम आराम से बैठो। कोई डर मत रखना। तुम मेरे कमरे में चलो। राजू तुम भी साथ चलो।
डोना डरते डरते मेरे पीछे-पीछे चलने लगी। हम तीनों मौसी के कमरे में पहुँचे। मौसी ने सी सी टीवी चालू किया। नीचे ग्राहक आने लगे थे। कोई रण्डियो के गाल को छू रहा था, कोई उनकी छाती देख रहा था। एक ने सुनीता की गाँड को दबा कर देखा और भाव ताव करके उसे कमरे में ले गया।
मौसी और मैं डोना के चेहेरे के हाव-भाव देख रहे थे। साली सिर्फ़ नौटंकी कर रही थी, असल में वो भी चुदक्कड़ ही होगी और चुदवाने का मौका ढूंढ रही होगी।
इधर सीसी टीवी पर कमरे में सुनीता ने ग्राहक से 500 रुपए लिए, अपने कपड़े उतारे और सीधे से उसका लौड़ा लेकर चुदवाना चालू किया।
यह देखकर डोना बोली- हूं तो जूली के ऑफिस में यह काम होता है? बड़ी शरीफ बनती है गोवा में ! और यह औरत कौन है और कहाँ से आई है? कितनी बेशरम है?
मौसी- अरी, ये सारी रण्डियाँ हैं और यह रण्डी इसकी बीवी है। घूमने निकले और जब दिल्ली आए तो जेब कट गई तो कोई उन्हें पैसे नहीं दे रहा था। फिर पैसे कमाने दोनों मेरे पास आए। उसकी औरत का नाम सीमा है और यह राजू है और इन रण्डियों के लिए कस्टमर लाता है और दलाली के बदले उनको चोदता है। सब इसे जीजू बुलाती है। ये सारी रण्डियाँ कहलाने में शर्म नहीं करती। तुझे भी रण्डी बनना हो तो बोल?
डोना- आपको शर्म नहीं लगती अपनी बीवी से धंधा करवाते?
मैं- अरे बाहर की दुनिया देखी है मैंने और मेरी बीवी ने.. साले सब के सब हवस खोर होते हैं। यहाँ एक अच्छा है कि जिसे भी इच्छा होती है चला आता है, पैसे देकर चोद कर चला जाता है। कोई नौटंकी नहीं। थोड़ी देर तू अकेली इस कमरे में बैठ कर देख कैसे कैसे लोग आते हैं.. पता चलेगा कि लोगों के लौड़े में कितनी आग होती है ! फिर सब मिटाने यहाँ की गलियों में आते हैं। बड़ी-बड़ी पार्टी के कार्यकर्ता भी आते हैं। कल ही यहाँ का नगर-सेवक देर रात आया था और जाहिदा, नीला और सुशी को ले गया था।
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