दामिनी--7
गतान्क से आगे…………………..
मैने भी जितना फैला सकती अपनी टाँगें फैला दी और आँखें बंद किए करने लगी पापा के लौडे का चूत में अंदर जाने के महसूस का इंतेज़ार ..
उन्होने अपने लंड के सुपाडे को मेरी चूत की मुँह पे टीकाया और बड़े आराम से अंदर एक पुश दिया ... कुछ क्रीम की वजेह से और कुछ पहले से मेरे चूत के अंदर जाने से ..अंदर थोड़ी चूत खूल गयी थी ... उनका लंड फतच से आधा अंदर था ...मैं कराह उठी.."आआह ...ह आय ..दर्द होता है पापा "
पापा आधे में ही रुक गये और वैसे ही पड़े रहे थोड़ी देर ... "हाँ बेटी मैं जानता हूँ ..बस थोड़ा और ...उस के बाद तुम्हें कोई दर्द नहीं होगा ...मेरी स्वीटी स्वीट ..." और मुझे चूमने लगे ..और मेरी टॉप उपर उठा दी ..मेरी चुचियाँ बाहर हो गयीं ...मेरे गोल गोल टाइट चूचियो को हल्के हल्के मसल्ने लगे ..मुझे बहुत अच्छा लग रहा था ...उनके होंठ चूसने और चुचियाँ मसल्ने से मैं अपनी चूत का दर्द भूल गई और इसका मज़ा लेने लगी ...तभी पापा ने एक और पुश दिया अपने लौडे को और लौडा पूरा अंदर था ..मैं चीहूंक उठी उन से चिपक गयी "अया ...हाँ हाआँ पापा अभी दर्द कम हुआ ..पर रूकना मत ..."
अब पापा ने अपना पूरा लौडा बाहर निकाला ...और फिर चूत में टीकाते हुए पेल दिया ..इस बार एक ही झट्के में अंदर था ..दर्द का अहसास ख़त्म था ... मैं आँखें बंद किए थी , मेरा मुँह आधा खुला था जैसा मम्मी का था उस दिन ...मस्ती में ..पापा समझ गये के अब मैं लंड लेने के क़ाबिल हो गयी थी ..अब उनका धक्का और जल्दी और , और ज़ोर पकड़ता जा रहा था ..मैं हर धक्के में खुशी से चीहूंक उठ ती और मेरा मुँह खूल जाता ...
इतनी टाइट चूत शायद पापा ने कभी नहीं ली थी ...उनके चेहरे पर एक अजीब हैरत थी जैसे मेरी चूत का इतनी टाइट होने का उन्हें असचर्या हो ...टाइट होते हुए भी अब बड़े आराम से अंदर उनका लौडा धक्के पे धक्का लगा रहा था ..हर धक्के पर मैं निहाल हो उठती ...
"हाँ ..आ पापा ..बस ऐसे ही हाँ ...और ज़ोर से ...मैं कितना तडपि हूँ पापा ......ऊवू अयाया ..अब तो चोदोगे ना पापा रोज अपनी बेटी को ..?? बोलो ना पापा ,,बोलो ना ..??'"
"हाँ हाँ मेरी रानी बेटी ..मेरी दामिनी ..हाँ ..हाँ " उनका धक्का ज़ोर और ज़ोर पकड़ता जाता ..मेरी टाइट चूत में उनका लंड ऐसे जा रहा था जैसे बंद टाइट मुट्ठी में कोई लंड पेल रहा हो ..मेरी चूतड़ उछाल रही थी ...मेरा मुँह ख़ूलता जाता ...
और फिर मैने पापा को जाकड़ लिया और मेरी चूतड़ उछल रही थी ..अपने आप ...बिना मेरे कोशिश के ..तीन चार उछाल के बाद मैं ढीली पड गयी और पापा भी ""ओओओओओओह हहााअ दामिनी , दामिनी " करते हुए मेरी कुँवारी चूत में अपने लंड से पिचकारी छोड़ना शुरू कर दिया ...ये मेरी चूत में पहली फुहार थी ..कितना प्यारा था ..कितना गर्म पर फिर भी अंदर एक ठंडक का अहेसास ..
पापा एक बच्चे की तरह अपनी बेटी के सीने पर सर रखे हानफते हुए पड़े थे ...मैं उनका सर सहला रही थी ...........
थोड़ी देर बाद पापा की साँसें नॉर्मल हुई ..पर वो वैसे ही लेटे थे मेरे सीने पर ..पर अब उन्होने मेरी चूचियों से खेलना शुरू कर दिया था .हल्के हल्के दबाते जाते और मेरी निपल्स को अपनी उंगलियों से भींचते ...अयाया मैं जैसे हवा में उड़ रही थी ...और कभी कभी दूसरी वाली चूची अपने होंठों से चूस लेते ...मैं मस्ती में सिहर रही थी ..
"अच्छा लग रहा है ना दामिनी..? अब तेरी चूत का क्या हाल है बेटी..? दर्द तो नहीं हो रहा ना..??"
उनके चूचियों से खेलने की वजेह से मैं सारा दर्द भूल चूकि थी और एक नशीले और मदहोशी के सागर में गोते लगा रही थी ..
"नहीं पापा ..बिल्कुल नहीं ..अब मुझे कोई दर्द नहीं है ..आआआः ..ऊवू हाँ पापा चूसो ना मेरी चुचियाँ , और ज़ोर से चूसो ना खा जाओ ना इन्हें ..ऊऊओह .."
ये कहते कहते मैं उन से लिपट गयी ..अपनी टाँगें उनकी कमर के गिर्द रखते हुए उन्हें जाकड़ लिया ..अपने हाथ उनके गले के गिर्द डालते हुए उनका चेहरा अपनी ओर खींच लिया और उनके होंठ चूसने लगी ..जैसे कोई भूखा बच्चा माँ की चुचियाँ चूस रहा हो....उन्होने भी अपने आप को मेरे हवाले कर दिया था ...मैं पागलों की तरह उनके होंठ चूस रही थी , चाट रही थी ..अपनी जीएभ अंदर डाल कर उनकी जीभ चूस रही थी .. हम दोनों एक दूसरे को जैसे खा जाना चाहते थे ... चप ..चाप..पच पूच की आवाज़ आ रही थी..
थोड़ी देर बाद उन्होने अपने को मुझ से अलग किया और मेरी टाँगों के बीच आ गये ..मेरी टाँगें फैला दी उन्होने और अपनी उंगलियों से मेरी चूत फैलाते हुए उसके अंदर देखने लगे ....पापा बस देखते ही जा रहे थे ....मेरी गुलाबी चूत ...गीली चूत ..उनके वीर्य , मेरे रस और कुछ खून के कतरे ....पापा बस देखते जा रहे थे ...
"पापा ..क्या देख रहे हो आप ..मैने इसे कितना संभाल के रखा था आपके लिए ..अच्छी है ना पापा ...??"
पापा ने झूकते हुए मेरी चूत चूम ली ..मैं कांप उठी उनके होंठों के स्पर्श से
"अच्छी .? .दामिनी तेरी चूत में बहुत दम है बेटी ... अभी भी मेरे जैसे मोटे और लंबे लौडे के अंदर जाने के बाद भी कितनी टाइट और फ्रेश है ...अया ..ऐसी चूत रोज नहीं मिलती बिटिया रानी ... मेरी जिंदगी की सब से नायाब चूत है ये...सब से नायाब .... " और उन्होने एक टवल को थोड़ा गीला कर उसे अच्छी तरह पोंछ दिया ....थोड़े बहुत खून के कतरे थे उन्हें भी अच्छी तरह साफ कर दिया ..उनके चूत पोंछने के अहेसास से मैं झूम उठी थी ..मेरा पूरा बदन सिहर उठा था ..मैं कांप रही थी और चूत से फिर पानी रीस रहा था ...
गुलाबी चूत में मोतियों जैसे पानी की बूँदें..पापा रुक नहीं सके ..उन्होने अपना पूरा मुँह मेरी चूत को उंगलियों से फैलाते हुए मेरी चूत में डाल दिया और बुरी तरह चूसने लगे ... उन्होने मेरी चूत की फाँक अपने होंठों से जाकड़ ली थी और चूसे जा रहे थे ....
"अयाया ...ऊऊओ ...माआअँ ...पपाााआअ ...बहुत अच्छा लग रहा है ....ऊऊऊओ "
दामिनी compleet
Re: दामिनी
मैं मज़े में कराह रही थी , मेरे चूतड़ उछल रहे थे ..पापा चूसे जा रहे थे ..पूरे का पूरा रस निगलते जा रहे थे ,जैसे कोई स्ट्रॉ से कोल्ड ड्रिंक सक करता है ..पापा मेरी चूत सक कर रहे थे .... और जीभ भी चूत की पूरी लंबाई तक फिराते जाते ..मैं उछल रही थी ..मेरी जंघें थर थारा रही थी और फिर मैं अपने आप को रोक ना सकी....मेरे चूतड़ एक जोरदार झट्के से उपर उठे और मैं पापा के मुँह में झड़ती गाईए ..झड़ती गयी ..पापा ने भी मेरी चूत को अपने मुँह से लगाए रखा ....पुर का पूरा पानी उनके मुँह में खाली हो रहा था ..और वे पीते जा रहे थे .... आँखें बंद किए ..अपनी बेटी की चूत का पानी ..
पर पापा का लंड मेरी चूत चूसने की मस्ती से एक दम तननाया खड़ा था , इतना कड़ा हो गया था के हिल रहा था ..कडेपन की वाज़ेह से ..और उनके सुपाडे के च्छेद से पानी की बूँदें रीस रहीं थी ...जैसे आइस क्रीम की टॉप से पानी धीरे धीरे पीघलता हुआ रीस्ता है ....मुझ से रूका नहीं गया ..मैने अपनी चूत पापा के मुँह की तरफ कर दी और अपने दोनो हाथों से उनके लंड को जोरों से थामते हुए पहले तो जीभ से सुपाडे को चाट ने लगी फिर पूरे का पूरा लंड मुँह के अंदर ले चूसने लगी ..कभी होठों से चूस्ति ..कभी दाँतों से काट लेती ..पापा उछल रहे थे ...और मेरी चूत फिर से चाटे जा रहे थे , और बीच बीच में उंगलियों से मसल्ते भी जाते ...दोनों एक दूसरे से खेल रहे थे ..पापा कभी कभी अपनी उंगली भी मेरी चूत में घुसेड देते ..मैं चीहूंक उठती ...."अयाया ..हाऐी ..." अब उनकी उंगली बड़े आराम से अंदर जा रही थी . दर्द की जागेह अब मुझे गूद गूदि हो रही थी..पापा तो मेरी लंड चुसाइ से निहाल हो रहे थे ...उनका लंड लगातार पानी छोड़ रहा था , मैं पूरा पानी अंदर ले लेती और पापा चिल्ला रहे थे
""आआआह ..हाँ बेटी चूसो ..चूसो अपने पापा का लंड ..ऊऊहह ऊहह ..."
मैं भी कितनी ख़ूसनसीब थी , जिस लंड से मेरा जन्म हुआ ,उसी को मैं आज चूसे जा रही थी ...ऐसी कल्पना से ही मैं सिहर उठी थी ...मुझे ऐसा आहेसस हुआ मैं खुद को चूस रही हूँ ..मेरी चूत फडक रही थी ....चूत का मुँह अब और खूल गया था ...
मैं अब पापा के लंड को हाथों से थामे रही और चूसना बंद कर दिया ..उनका लंड फडक रहा था .. झट्के खा रहा था ...ऐसे लंड को चूत में लेना ..अयाया ..मज़ा आ जाएगा ...मैं पापा के मुँह से अपनी चूत हटा ली और अपने दोनों पैर पापा के जांघों के दोनों ओर रखे , अपनी चूत उंगलियों से फैलाते हुए उनके तननाए लंड पर बैठ गयी ... इस बार एक ही झट्के में मेरी चूत फिसलती हुई उनके लंड पर उतर गयी ..एक टाइट फिट... मुझे ज़रा भी दर्द नहीं हुआ ..मेरा पूरा बदन मस्ती में झूम उठा ..पापा भी आहें भर रहे थे ...
मैने ताबड़तोड़ धक्के लगाने शुरू कर दिए ..फतच फतच की आवाज़ आ रहही थी ..पापा भी नीचे से चूत में अपने चूतड़ उछाल उछाल कर मेरे धक्कों से धक्का मिलाते पेलते जा रहे थे ..दोनों मस्ती में थे ....मैं अपना सर झटक रही थी पागलों की तरह और धक्के लगाए जा रही थी , मेरी चूत इतनी गीली थी के हर धक्के में पानी चूत कर पापा की जांघों में गिर रहा था ...पापा भी निहाल थे मेरी पागल चुदाई से ..दोनों कराह रहे थे ..दोनों सिसकियाँ ले रहे थे ....
"बेटी ...ऊवू दामिनी बेटी ..मेरी रानी बेटी ....अयाया ..ऊवू मैं गया ..आआआः "
मैं फ़ौरन धक्के लगाना बंद कर दिए और पापा के लंड को अपने मुँह में ले लिया ....और पापा मेरे जीभ के स्पर्श से ही मुँह में झडने लगे ..झाड़ते गये ..मैं उनका वीर्य पीती गयी ...वो झट्के ले ले कर झाड़ रहे थे और मैं उनका पूरे का पूरा वीर्य अपने अंदर ले लिया ...और साथ में मैं भी पापा के गर्म गर्म वीर्य के गर्म अहसास से झड़ती जा रही थी .... सिर्फ़ ये अहस के जिस रस से मैं पैदा हुई आज उसे चूस रही हूँ ..पी रही हूँ ..मेरे बदन के रोंगटे खड़े हो गये थे ..मैं झड़ती जाती ..झड़ती जाती ...
मैं बिल्कुल निढाल हो कर पापा के सीने पर सर रख पडि थी ..लंबी लंबी साँसें ले रही थी ..और पापा मेरे बलों को सहलाते हुए मुझे चूमे जा रहे थे ..चाटे जा रहे थे ...
मैने अपने जीवन का एक बड़ा , मोटा और लंबा पर शायद सब से अहेम कदम आगे ले लिया था...
उस दिन पापा से चुदाई के बाद मेरे कदम ज़मीन पर नहीं पड्ते ..कुछ तो उनकी धक्कम्पेल चुदाई के दर्द के मारे और ज़्यादा , खुशी के चलते . मैं बहुत खुश थी. एक बहुत बड़ा कदम हम ने आगे बढ़ा लिया था ... मेरी चूत के लिए एक बड़ा मुकाम मैने पार कर लिया था ...मैने अपनी कसम पूरी कर ली ....अब मेरी चूत के दरवाज़े खूल गये थे ...अब मुझे और लौन्डो को अंदर लेने में कोई रुकावट नहीं थी ..किसी तरह की कोई हिचकिचाहट नहीं कोई बाधा नहीं.....मैं अपने कसम से आज़ाद थी......ऊह मैं कितना हल्का फील कर रही थी....
पापा तो एक दम रिलॅक्स्ड मूड में लेटे थे ..मैं बाथ रूम गयी और फ्रेश हो कर अपने रूम में लेटी थी, मेरी चाल पहली चुदाई से थोड़ी लड़खड़ा रही थी..एक मीठा सा दर्द था चूत में.
देर शाम को जब भैया आए तो मैं उनसे बुरी तरह चिपक गयी और उन्हें चूमने लगी ...
"भैया ..भैया बताओ ,,बताओ आज मैं इतना खुश क्यूँ हूँ..बताओ ना ....""
"अरे दामिनी सही में ..इतना खुश तो मैने तुझे आज तक नहीं देखा ...ह्म्म्म ज़रा सोचने दो ...पापा ने कोई नयी गिफ्ट दी..??"
"हाँ ...."..मैने अपनी नज़रें झूकाते हुए कहा...
"क्या दी यार...कोई नयी सेक्सी ड्रेस ..??"
"नहीं.... और सोचो ..सोचो मेरे प्यारे भैया ..सोचो .." ये कहते हुए मैं उन से हट ते हुए आगे बढ़ने लगी सोफे पर बैठ ने ..पर मेरी चल में लड़खड़ाहट थी ..मैं ठीक से चल नहीं पा रही थी ...चूत में अब कुछ हल्का सा दर्द महसूस हो रहा था..
भैया थोड़ा घबडाये और पूछा " आरीईई ये क्या ..क्या हुआ तुम्हें ...तुम्हारी चाल ..?? "
मैं उनकी तरफ मुस्कुराते हुए देख रही थी ..और गालों में उनके चिकोटी काट ते हुए कहा
"अरे मेरे भोले भले बूधू भैया ..येई तो है तोहफा पापा का ..मेरी जिंदगी का सब से अज़ीज़ और नायाब तोहफा ..कुछ समझे आप..???"
पर पापा का लंड मेरी चूत चूसने की मस्ती से एक दम तननाया खड़ा था , इतना कड़ा हो गया था के हिल रहा था ..कडेपन की वाज़ेह से ..और उनके सुपाडे के च्छेद से पानी की बूँदें रीस रहीं थी ...जैसे आइस क्रीम की टॉप से पानी धीरे धीरे पीघलता हुआ रीस्ता है ....मुझ से रूका नहीं गया ..मैने अपनी चूत पापा के मुँह की तरफ कर दी और अपने दोनो हाथों से उनके लंड को जोरों से थामते हुए पहले तो जीभ से सुपाडे को चाट ने लगी फिर पूरे का पूरा लंड मुँह के अंदर ले चूसने लगी ..कभी होठों से चूस्ति ..कभी दाँतों से काट लेती ..पापा उछल रहे थे ...और मेरी चूत फिर से चाटे जा रहे थे , और बीच बीच में उंगलियों से मसल्ते भी जाते ...दोनों एक दूसरे से खेल रहे थे ..पापा कभी कभी अपनी उंगली भी मेरी चूत में घुसेड देते ..मैं चीहूंक उठती ...."अयाया ..हाऐी ..." अब उनकी उंगली बड़े आराम से अंदर जा रही थी . दर्द की जागेह अब मुझे गूद गूदि हो रही थी..पापा तो मेरी लंड चुसाइ से निहाल हो रहे थे ...उनका लंड लगातार पानी छोड़ रहा था , मैं पूरा पानी अंदर ले लेती और पापा चिल्ला रहे थे
""आआआह ..हाँ बेटी चूसो ..चूसो अपने पापा का लंड ..ऊऊहह ऊहह ..."
मैं भी कितनी ख़ूसनसीब थी , जिस लंड से मेरा जन्म हुआ ,उसी को मैं आज चूसे जा रही थी ...ऐसी कल्पना से ही मैं सिहर उठी थी ...मुझे ऐसा आहेसस हुआ मैं खुद को चूस रही हूँ ..मेरी चूत फडक रही थी ....चूत का मुँह अब और खूल गया था ...
मैं अब पापा के लंड को हाथों से थामे रही और चूसना बंद कर दिया ..उनका लंड फडक रहा था .. झट्के खा रहा था ...ऐसे लंड को चूत में लेना ..अयाया ..मज़ा आ जाएगा ...मैं पापा के मुँह से अपनी चूत हटा ली और अपने दोनों पैर पापा के जांघों के दोनों ओर रखे , अपनी चूत उंगलियों से फैलाते हुए उनके तननाए लंड पर बैठ गयी ... इस बार एक ही झट्के में मेरी चूत फिसलती हुई उनके लंड पर उतर गयी ..एक टाइट फिट... मुझे ज़रा भी दर्द नहीं हुआ ..मेरा पूरा बदन मस्ती में झूम उठा ..पापा भी आहें भर रहे थे ...
मैने ताबड़तोड़ धक्के लगाने शुरू कर दिए ..फतच फतच की आवाज़ आ रहही थी ..पापा भी नीचे से चूत में अपने चूतड़ उछाल उछाल कर मेरे धक्कों से धक्का मिलाते पेलते जा रहे थे ..दोनों मस्ती में थे ....मैं अपना सर झटक रही थी पागलों की तरह और धक्के लगाए जा रही थी , मेरी चूत इतनी गीली थी के हर धक्के में पानी चूत कर पापा की जांघों में गिर रहा था ...पापा भी निहाल थे मेरी पागल चुदाई से ..दोनों कराह रहे थे ..दोनों सिसकियाँ ले रहे थे ....
"बेटी ...ऊवू दामिनी बेटी ..मेरी रानी बेटी ....अयाया ..ऊवू मैं गया ..आआआः "
मैं फ़ौरन धक्के लगाना बंद कर दिए और पापा के लंड को अपने मुँह में ले लिया ....और पापा मेरे जीभ के स्पर्श से ही मुँह में झडने लगे ..झाड़ते गये ..मैं उनका वीर्य पीती गयी ...वो झट्के ले ले कर झाड़ रहे थे और मैं उनका पूरे का पूरा वीर्य अपने अंदर ले लिया ...और साथ में मैं भी पापा के गर्म गर्म वीर्य के गर्म अहसास से झड़ती जा रही थी .... सिर्फ़ ये अहस के जिस रस से मैं पैदा हुई आज उसे चूस रही हूँ ..पी रही हूँ ..मेरे बदन के रोंगटे खड़े हो गये थे ..मैं झड़ती जाती ..झड़ती जाती ...
मैं बिल्कुल निढाल हो कर पापा के सीने पर सर रख पडि थी ..लंबी लंबी साँसें ले रही थी ..और पापा मेरे बलों को सहलाते हुए मुझे चूमे जा रहे थे ..चाटे जा रहे थे ...
मैने अपने जीवन का एक बड़ा , मोटा और लंबा पर शायद सब से अहेम कदम आगे ले लिया था...
उस दिन पापा से चुदाई के बाद मेरे कदम ज़मीन पर नहीं पड्ते ..कुछ तो उनकी धक्कम्पेल चुदाई के दर्द के मारे और ज़्यादा , खुशी के चलते . मैं बहुत खुश थी. एक बहुत बड़ा कदम हम ने आगे बढ़ा लिया था ... मेरी चूत के लिए एक बड़ा मुकाम मैने पार कर लिया था ...मैने अपनी कसम पूरी कर ली ....अब मेरी चूत के दरवाज़े खूल गये थे ...अब मुझे और लौन्डो को अंदर लेने में कोई रुकावट नहीं थी ..किसी तरह की कोई हिचकिचाहट नहीं कोई बाधा नहीं.....मैं अपने कसम से आज़ाद थी......ऊह मैं कितना हल्का फील कर रही थी....
पापा तो एक दम रिलॅक्स्ड मूड में लेटे थे ..मैं बाथ रूम गयी और फ्रेश हो कर अपने रूम में लेटी थी, मेरी चाल पहली चुदाई से थोड़ी लड़खड़ा रही थी..एक मीठा सा दर्द था चूत में.
देर शाम को जब भैया आए तो मैं उनसे बुरी तरह चिपक गयी और उन्हें चूमने लगी ...
"भैया ..भैया बताओ ,,बताओ आज मैं इतना खुश क्यूँ हूँ..बताओ ना ....""
"अरे दामिनी सही में ..इतना खुश तो मैने तुझे आज तक नहीं देखा ...ह्म्म्म ज़रा सोचने दो ...पापा ने कोई नयी गिफ्ट दी..??"
"हाँ ...."..मैने अपनी नज़रें झूकाते हुए कहा...
"क्या दी यार...कोई नयी सेक्सी ड्रेस ..??"
"नहीं.... और सोचो ..सोचो मेरे प्यारे भैया ..सोचो .." ये कहते हुए मैं उन से हट ते हुए आगे बढ़ने लगी सोफे पर बैठ ने ..पर मेरी चल में लड़खड़ाहट थी ..मैं ठीक से चल नहीं पा रही थी ...चूत में अब कुछ हल्का सा दर्द महसूस हो रहा था..
भैया थोड़ा घबडाये और पूछा " आरीईई ये क्या ..क्या हुआ तुम्हें ...तुम्हारी चाल ..?? "
मैं उनकी तरफ मुस्कुराते हुए देख रही थी ..और गालों में उनके चिकोटी काट ते हुए कहा
"अरे मेरे भोले भले बूधू भैया ..येई तो है तोहफा पापा का ..मेरी जिंदगी का सब से अज़ीज़ और नायाब तोहफा ..कुछ समझे आप..???"
Re: दामिनी
भैया की भौहें सिकूड गयीं ,,उन्होने दिमाग़ पर ज़ोर लगाया और फिर एक दम से चौंकते हुए उन्होने कहा ...
"ओह माइ गॉड ...ओह माइ गॉड .......तो क्या ...??? ओह माइ गॉड ..मतलब मेरी बहना ने अपनी कसम पूरी कर ली ....ऊऊहह ...ईज़ इट दामिनी ..???"
"हाँ भैया..." मैने उनके चौड़े सीने पर अपना मुँह छिपाते हुए कहा "हाँ भैया ....आज मैं पापा से चुद गयी.."
उन्होने मेरा चेहरा उपर उठा लिया , मेरी आँखों में बड़े प्यार से झाँकते हुए कहा ..
" यू आर रियली ग्रेट दामिनी ..ऊऊओ अब मैं भी तुम्हें चोद सकता हूँ ...अयाया मैं भी कितना खुश हूँ आज ...." और मुझे चूमने लगे ..
"अब छोड़ो भी ना भैया ,,मम्मी कभी भी आ सकती हैं ....बाद में मैं आऊँगी ना ...अभी छोड़ो ..ना ..प्ल्ज़्ज़.."
भैया ने मुझे छोड़ दिया पर थोड़ा सीरीयस होते हुए कहा :
"पर लगता है पापा ने बड़ी बेरहमी से तुम्हें चोदा ...तुम्हारी चाल से साफ जाहिर है..बहुत दर्द है क्या ..??"
क्रमशः.…………….
"ओह माइ गॉड ...ओह माइ गॉड .......तो क्या ...??? ओह माइ गॉड ..मतलब मेरी बहना ने अपनी कसम पूरी कर ली ....ऊऊहह ...ईज़ इट दामिनी ..???"
"हाँ भैया..." मैने उनके चौड़े सीने पर अपना मुँह छिपाते हुए कहा "हाँ भैया ....आज मैं पापा से चुद गयी.."
उन्होने मेरा चेहरा उपर उठा लिया , मेरी आँखों में बड़े प्यार से झाँकते हुए कहा ..
" यू आर रियली ग्रेट दामिनी ..ऊऊओ अब मैं भी तुम्हें चोद सकता हूँ ...अयाया मैं भी कितना खुश हूँ आज ...." और मुझे चूमने लगे ..
"अब छोड़ो भी ना भैया ,,मम्मी कभी भी आ सकती हैं ....बाद में मैं आऊँगी ना ...अभी छोड़ो ..ना ..प्ल्ज़्ज़.."
भैया ने मुझे छोड़ दिया पर थोड़ा सीरीयस होते हुए कहा :
"पर लगता है पापा ने बड़ी बेरहमी से तुम्हें चोदा ...तुम्हारी चाल से साफ जाहिर है..बहुत दर्द है क्या ..??"
क्रमशः.…………….