ये कैसा परिवार !!!!!!!!!

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
007
Platinum Member
Posts: 948
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: ये कैसा परिवार !!!!!!!!!

Unread post by 007 » 24 Dec 2014 06:39

विभा: जीजू क्या कर रहे है , बहुत आवाज़ आ रही है

सुरेश: सर्विस कर रहा हूँ क्या है कि रात मैं मशीन ज़्यादा चलाई थी

विभा: कोन सी मशीन, आज कल रात मैं भी काम करने लगे क्या

सुरेश: रात मैं ही तो काम करता हूँ तेरी दीदी की मशीन पर

विभा: जीजू तुम फिर सुरू हो गये

सुरेश: क्या करू यार तुम्हे देख कर रोक न्ही पाता हूँ

विभा: तो पापा ने दी तो है एक अब क्या सब हमारे घर से ही लोगे

सुरेश: पापा ने अच्छी मशीन किसी और को दे दी मुझे ये दी है

विभा: जो मिला उसी मैं खुश रहा करो

सुरेश: यार मैं भी आ जाउ

विभा:छीईईईईईइ......................

ये कह कर विभा बाहर निकल आती है

विभा : आज सनडे है जीजू कहा ले चलेंगे . हम लोगो को PVऱ ले चलिए

सुरेश: ओके चलो तैयार हो जाओ साकेत चलते है

ओके.................................................................

सुरेश रत्ना और विभा तैयार होकर बस स्टॉप पहुचे और देखा तो कोई भी बस न्ही लगी हुई थी. टाइम भी हो रहा था साकेत की दूरी तो केवल 2 किलोमीटर थी लेकिन पैदल जाना मुश्किल था . सुरेश ने पास खड़े ऑटो वाले को बुलाया डेल्ली का ऑटोवाला भी दिलदार आदमी..

सुरेश : ऑटो , खाली हो क्या..

औूतोवला : हाँ भाई साब ब्ताओ कहा तक जाना है अपपको

सुरेश: यार साकेत तक चलना है PVऱ

ऑटो: आइए ...

सुरेश: पैसे बोलो कितने लोगे

औूतोवला : 150 रुपये दे देना भाई साब

सुरेश: यार साकेत यही बगल मे तो है ....150 रुपये..............

ऑटो वाला: पास मैं है तो एसे ही चले जाओ भाई साब

सुरेश: यार 100 ले लेना.चलो..........

ऑटो वाले बड़े गौर से विभा और रत्ना की ओर देखा , और प्यार से मुस्कुराया चलिए बैठिए..

ऑटो वाला भी कोई ड्राइवर न्ही लग रहा था गोरा चितता स्मार्ट था फिर वो ऑटो घुमा कर बोला बैठिए

सुरेश ने पहले रत्ना को बिठाया और फिर विभा की गंद मैं हाथ लगाते हुए बोला कि तुम भी बैठो यार ...नरम गंद पर स्पर्श पाते ही विभा मचल उठी. लेकिन हालत की नज़ाकत समझते हुए खामोश ही थी.

ऑटो वाला विभा और रत्ना को देखकर कुछ ज़्यादा ही मस्ती मैं आ गया था और इसलिए ट्रॅफिक रूल्स की मा चोद्ता चला जा रहा था ना सिग्नल ना ओवर्टेक ना साइड इसी आपाधापी मैं जब साकेत PVऱ सामने दिख रहा था वो एक बार विभा को देख लेने के लिए वो पीछे घूमा और उतनी देर मैं सामने से एक साइकल वाला आ गया जिसके ऑटो वाले ने टक्कर मार दी वाहा बवाल होने लगा और भीड़ बढ़ गई थी लोग ड्राइवर के साथ मारपीट करने लगे थे भीड़ मैं ही मौका उठा कर किसी ने विभा की गंद मैं उंगली डॉल थी . विभा तिलमिला उठी उस उंगली से . लेकिन लड़कियों के लिए जैसे नॉर्मल सी बात थी सुरेश ने किसी तरह उसे भीड़ से छुड़ाया और पिकेट पर बैठे पोलीस वालो को सूचना दी और पोलीस उसे पकड़ के ले गई . फिर सुरेश टिकेट विंडो पर चला गया टिकेट लेने के लिए और बिना किसी प्राब्लम के 3 टिकेट ले आया फिर वो तीनो हॉल मैं पहुचे और अपपनी सीट पर जाकर बैठ गये थोड़ी देर के बाद लाइट्स ऑफ हो गई और सुरेश को जैसे इसका ही इंतज़ार था

रत्ना सबसे किनारे थी फिर सुरेश फिर विभा .. इसलिए सुरेश विभा के साथ क्या कर रहा है ये रत्ना न्ही जान सकती थी और रत्ना के साथ क्या कर रहा है ये विभा को न्ही दिख सकता था हॉल बिल्कुल खाली था गिनती के 9 लोग थे ए++ क्लास मैं जिसमे 3 कपल थे और और 3 ये लोग मूवी स्टार्ट होते ही हॉल मैं डार्कनेस का साम्रज़या छा गया था कपल्स को तो शायद इसी का इंतज़ार था और पूरे हॉल मैं जैसे सब के सब गएब हो गये था कुछ भी न्ही दिख रहा था था लेकिन प्रोजेक्टर की लाइट से जो हल्की सी लाइट हुई थी उसमे रत्ना ने देखा कि सभी सिर अपपस मैं जुड़े थे . रत्ना को समझते देर न्ही लगी कि लोग क्या कर रहे है उसने भी अंधेरे का फ़ायदा उठाया और सुरेश के पॅंट पर हाथ रख दिया सुरेश तो जैसे इसी का वेट कर रहा था उसने रत्ना के हाथ को दबा दिया और दूसरा हाथ विभा के हाथ पर रख दिया. रत्ना ने उत्तेजना मैं भरकर सुरेश की पॅंट की ज़िप खोल दी और अंडरवेर के उपेर से महसूस किया कि सुरेश का पप्पू बहुत उततेज़ीत है उसने धीरे से अंदर हाथ डाला और सहलाने लगी. सुरेश रत्ना के हाथ पर हाथ रख कर उसे सहलाने मैं बिजी था

007
Platinum Member
Posts: 948
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: ये कैसा परिवार !!!!!!!!!

Unread post by 007 » 24 Dec 2014 06:40

रत्ना: सुनिए, लगता है अपपको मज़ा न्ही आ रहा है

सुरेश : क्यों...........

रत्ना: मूवी अच्छी न्ही लग रही है क्या

सुरेश: कोन सी जो तुम दिखा रही हो यार जो पर्दे पर है

रत्ना: मेरी

सुरेश: तुम तो मेरी जान हो लगी रहो मज़ा आ रहा है,

रत्ना: तो अपपना हाथ लाओ ना मुझे

सुरेश: सुरेश ने दाया हाथ रत्ना की जाँघ पर रख दिया और बाया हाथ विभा की हथेली पर शायद इसी को कहते है दोनो हाथ मैं लड्डू..

रत्ना की जंघे बड़े मज़े से सहलाते हुए वो साडी के उपर से ही रत्ना की चूत महसूस करने लगा था ... और स्वर्ग्द्वार तक हाथ पहुचते ही सुरेश के लिंग ने जैसे पिचकारी छ्चोड़ दी क्योंकि रत्ना ने उत्तेजना मैं हाथ ज़्यादा तेज़ कर दिए थे जिससे सुरेश का स्खलन हो गया था. रत्ना ने सुरेश के अंडरवेर से हाथ बाहर निकाला और रुमाल निकाल कर वीर्या को साफ किया . फिर विभा बोली फुसफुसते हुए

विभा: जीजू , ये क्या कर रहे हो

सुरेश: अच्छा न्ही लग रहा है क्या

विभा: दीदी है ना , फिर मेरे पीछे क्यों पड़े हो

सुरेश: दीदी की मैने कितनी बज़ाई है अब ज़यादा मज़ा न्ही आता दीदी मैं

विभा: अरे मुझे मेरे हब्बी के लिए रहने दो न्ही तो क्या फ़ायदा उसे स्टर्ट्टिंग मैं ही मज़ा ना आए तो अब तो कोई दूसरी छ्होटी बहिन भी न्ही है

सुरेश : मज़ाक कर रही हो!!!!!!!!!!

विभा: ये मज़ाक न्ही है जीजू , मन तो मेरा भी बहुत होता है लेकिन क्या करू डर लगता है सादी के बाद पति को क्या दूँगी

सुरेश को लिंक मिल गया कि चिड़िया जाल मैं फँसने को तैयार है ज़रूरत बस चारा डाल कर जाल बिच्छाने की है....

सुरेश: अरे एक 2 बार मैं कुछ न्ही होता समझी और तुम्हे अगर ये मालूम भी ना पड़ा कि क्या होता है सादी के बाद तो क्या करोगी

विभा: रहे दो जीजू, इतनी छ्होटी भी न्ही हूँ , क्या होता है सब जानती हूँ बस करवाया ही तो न्ही है

सुरेश : तो करवा लो ना

विभा: न्ही .जीजू

लेकिन सुरेश को लगा लोहा गरम है और ठीक चोट ना मारी तो दुबारा कुछ न्ही हो पाएगा . सुरेश धीरे धीरे विभा के बूब सहलाने लगा. विभा इनकार तो कर रही थी लेकिन विरोध नाम की कोई चीज़ न्ही थी उसकी ना मैं. इसलिए सुरेश लगा तार सहलाए जा रहा था उसके बूब्स

विभा: दीदी क्या कर रही हो उधर

रत्ना: यहा क्या करने आई हूँ बताओ

विभा: मेरे पास आकर बैठो ना कुछ बात करनी है

रत्ना: अरे तू मूवी देख हम लोग घर पर बात करेंगे

रत्ना के इस जवाब से सुरेश खुश हो गया और उसने प्रेशर बड़ा दिया और धीरे धीरे हाथ उसकी जाँघ पर आ गया ..जाँघ पर हाथ लगते ही विभा पागल हो गई वो गरम तो पहले से ही थी लेकिन जाँघ पर हाथ रखते ही उसने सुरेश का हाथ बढ़ा लिया अप्प्नि जाँघ पर ये सुरेश के लिए ग्रीन सिग्नल था . और सुरेश ने धीरे से विभा की सलवार का नाडा खोल दिया और सलवार के अंदर हाथ डाल कर पॅंटी के उपर से विभा की मोटी फूली हुई पुसी महसूस करने लगा .

007
Platinum Member
Posts: 948
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: ये कैसा परिवार !!!!!!!!!

Unread post by 007 » 24 Dec 2014 06:41

विभा की फूली हुई चूत केउपर जब सुरेश की उंगलियाँ चली तो उसे लगा कि विभा ने कई मोन्थ से अपपनी पुसी शेव न्ही की है उसने धीरे से पॅंटी के उपर से हाथ डालकर उसकी चूत सहलाना स्टार्ट कर दिया चूत इतनी ज़्यादा गीली थी पूरी उंगलियाँ गीली हो गई और . विभा की क्लाइटॉरिस भी बिल्कुल गरम हो गई थी सुरेश के उंगली बाहर निकाली और अपनी नाक के पास लाकर सूँघा महक बहुत मादक ल्गी उसे फिर उसने वो उंगली विभा की नाक के पास लगाई विभा ने भी उसे सूँघा बहुत अच्छी लगी उसे फिर उसने वो उंगली रत्ना की नाक के पास की

रत्ना : कर ली अपपने मन की बस

सुरेश : तुम्हारी बहिन ही तो है क्या मस्त है यार

रत्ना: तुम्हारे मन की पूरी हो गई ना

सुरेश : आइ लव यू

इतना कह कर उसने रत्ना के लिप्स पर किस कर लिया और विभा की चूत पर फिर से हाथ फेरना स्टार्ट कर दिया विभा बहुत ही कोमल थी और एक बार फिर से बह गई .. लेकिन उसे बहुत मज़ा आया फिर वो लोग मूवी बीच मैं ही छ्चोड़ कर घर आ गये ...............

घर आकर रत्ना का मूह फूला हुआ था . विभा को मालूम न्ही था कि सुरेश ने रत्ना की चूत से निकली उंगली रत्ना के दिखाई थी. रत्ना मूह फुलाए हुए सारे काम निपटा रही थी लेकिन विभा को पता ही न्ही था कि दीदी नाराज़ क्यों है लेकिन रात मैं सब लोगो ने खाना खाया और फिर सोने केलिए चले गये....................

रत्ना के चेहरे पर केवल क्रोध ही क्रोध नज़र आ रहा था . पूरे टाइम उसने ना ही विभा और ना ही सुरेश से बात की खाना खाकर वो सोने के लिइए बेड पर लेट गई . जाते जाते विभा को बाते भी न्ही की उसे कहा सोना है . गुस्से की वज़ह से रत्ना रोती भी जा रही थी इसलिए चेहरा चादर के अंदर कर लिया था . और रोते रोते ही रत्ना कब सो गई उसे पता ही न्ही चला . सुरेश भी आकर रत्ना के बगल के बगल मैं लेट गया और विभा रत्ना की साइड लेट गई यानी सुरेश फिर रत्ना फिर विभा . लेकिन सुरेश की फॅंटेसी उसके पास ही थी वो मौका छोड़ना न्ही चाहता था . इसलिए आते हुए वो नीद की 2 टॅब्लेट्स ले आया था चुपके से उसने रत्ना के ग्लास मैं डाली थी इसीलिए रत्ना सो गई थी थोड़ी देर मैं विभा को भी नींद आ गई थी लेकिन सुरेश की आँखो मैं नींद का कोई निशान न्ही था उसने 2 बार धीरे धीरे रत्ना को उठाया लेकिन रत्ना सोती रही. जब उसे कन्फर्म हो गया तो उसने रत्ना को अपपनी जगह सरका कर खुद विभा के बगल मैं लेट गया और लेटने के बाद उसने धीरे धीरे विभा की हथेली सहलाना स्टार्ट कर दिया विभा सोती रही . फिर उसने उसके लिप्स के कई किस किए लेकिन विभा सोती ही रही जब कोई प्रतोरोध न्ही मिला तो सुरेश की हिम्मत थोड़ी बढ़ गई और उसने अपपनी 2 उंगली विभा के नाइट सूट के टॉप मैं डाल कर उसकी गोलाइयाँ सहलाने ल्गा . उसके निप्पल तक पहुचते पहुचते सुरेश पसीने पसीने हो गया था. थोड़ी देर तक सहलाने के बाद उसने अपपना हाथ बाहर निकाला और सूट के उपेर से बूब्स सहलाते हुए उसकी तुम्मी पर हाथ रखा और उसकी गहरी नेवेल को अपपनी उंगली से कुरेदता रहा . फिर अपपनी उंगली मूह मैं डाल कर गीली की और फिर उसकी नेवेल को गीला किया और देर तक संभोग की क्रिया जैसा कुछ करता रहा जैस्से कि नेवेल ना हो कर उसकी योनि हो. करीब 10 मिनूट के अंतराल के बाद उसने अपपना हाथ थोडा और नीचे लाया और धीरे ये विभा के सूट के नाडे को खोल दिया और धीरे धीरे उसकी पॅंटी पर हाथ फेरने लगा लेकिन विभा उसी अवस्था मैं सोती रही . फिर उसने पॅंटी को साइड से खिसकाते हुए अपपनी उंगली अंदर करनी सुरू कर दी जैसे कि वो उंगली ना हो कर उसका लिंग हो. करीब 5 मिनूट के बाद विभा ने उसका हाथ हटा दिया और बोली

विभा: ये क्या बदतमीज़ी है जीजू

सुरेश: मैने कैसी बदतमीज़ी की

विभा: आप ने एसे कैसे इतना सब कर दिया और जबकि दीदी पास मैं ही लेटी है, आप को शरम न्ही आई कि अगर उसकी आँख खुल जाती तो क्या सोचती वो मेरे बारे मैं .

सुरेश : तुम उसकी चिंता मत करो वो न्ही जागेगी. एक बार जब सो जाती है तो सुबह से पहले न्ही उठती है

विभा: लेकिन फिर भी अपपको शरम आनी चाहिए, मज़ाक की हद तक तो ठीक है लेकिन आप तो ये सब करने पर उतारू हो गये

Post Reply