नीतू भाभी का कामशास्त्र
-
- Platinum Member
- Posts: 1803
- Joined: 15 Oct 2014 22:49
Re: नीतू भाभी का कामशास्त्र
मैं ने एक हाथ को नीचे की तरफ ले जाकर भाभी के चूत को छ्छू कर देखना चाहा कि उस की क्या हालत है. अभी तक मैं ने उनके चूत पर थोरा भी ख्याल नही दिया था. पर चूत तो बिल्कुल रसिया गयी थी! भाभी हर वक़्त पेशाब करने के बाद चूत को
धोकर तौलिए से पोछ लेती है, पर लगा कि सिर्फ़ चूमने-चाटने और चुचि के मसलवाने से ही चूत बिल्कुल गीली हो गयी. पिछली चुदाई के कारण चूत की पंखुरियाँ तो फूली हुई थी ही. मैं अब अपने हाथों के बल थोरा उठा और भाभी के उपर आने की तैयारी करने लगा, पर भाभी ने कहा, " ह्म्म्म ……. एक मिनिट रूको ……ह्म्म्म्म …. इस तरह आओ."
भाभी ने अपना सर ड्रेसिंग टेबल के आईने की तरफ घूमकर घोरी बनकर अपने चूतड़ को मेरे सामने कर दिए. उनके चूतड़ की गोलाई देखकर मेरी मस्ती और बढ़ गयी. भाभी के कमर और चूतड़ बहुत ही खूबसूरत थे. वैसे भी छरहरा बदन, पर जब वे बैठती थी, तो उनके चूतड़ का आकर पीछे से देखने वाले को बिल्कुल एक सितार के जैसे लगता होगा. बहुत बड़े चूतड़ नही, सिर्फ़ 34 या 35 इंच के (उन्होने एक दिन मुझे बताया था), पर बेहद चुस्त, और जब वो इस तरह अपने पंजों और घुटनों के बल उकड़ू हुईं तो उनकी चूत बीच में मुस्कुराती हुई बिल्कुल मेरे सामने थी. मैं ने चूतड़ को सहलाया और चूमा. उनकी गांद पर उंगली फेरता रहा. भाभी बोल उठी, "अहह ……. हाआंन्ननननणणन्!", और तभी मैं ने अपने हाथों को नीचे से ले जाकर उनकी चुचियों को दोनो हाथ में लेकर मसल्ने लगा,
और साथ साथ उनकी गांद को चूमने और चाटने लगा. गांद और चूत के बीच के जगह को चाट रहा था. और अपनी ज़ुबान को नोकिला बनाकर कभी गांद के छेद पर फेरता तो कभी चूत के थोरा अंदर घुसेड देता. भाभी की सिसकारियाँ अब और बढ़ने
लगी. "आअहह …….. म्म्म्मममम …… हेन्न्नन्न्न्न …… इसी तरहह ….. हाअन्न्न्न्न्न्न!" चूत तो रसिया गयी थी, और पिच्छली चुदाई के कारण अभी भी कुच्छ कुच्छ फूली हुई थी, और इस लिए मेरे ज़ुबान को अंदर ले लेती थी, पर भाभी के गांद के छेद पर मैं सिर्फ़ थूक मालता रहा. बीच बीच में उनकी गांद कुच्छ और भी सिकुर जाती. भाभी के मुँह से आवाज़ आती रही, "ऊवू ….. हाआंन्णणन् ……" मैं ने एक हाथ को नीचे से चुचि से हटाकर चूतड़ पर लाया, उसको मुँह में लेकर थूक
से गीला करके, भाभी के गांद पर फेरने लगा, और कुच्छ अंदर घेसेदने लगा. भाभी सिसकारी लेती रही, " ऊओह …….. हान्णन्न् …… उंगली डाल दो ……….." मैं ने उंगली को करीबन 1 इंच अंदर डालकर उंसको अंदर बाहर करने लगा. भाभी अब अपनी चूतड़ को घुमाने लगी और मेरे उंगली को अंदर लेती रही. मैं भाभी के चूतड़ चूमता रहा, चाटता रहा. "ऊऊऊः. ….. हाआंन्णणन् ……. इसी तरह ……… ज़्यादा अंदर नही …….. " भाभी के चूतड़ घूमने से मुझे फिर लगा कि अब वो तैयार हो रही हैं, और उन्होने कहा भी, " अब आ जाओ …….. आ जाओ ….. अपने जगह पे ………" पर मैं उनको कुच्छ और मस्ती में लाना चाहता था. इस लिए मैं ने उनकी गांद में उंगली करते हुए ही उनको जांघों को थोरा फैलाकर, अब उनकी चूत में अच्छी तरह से ज़ुबान को घुसेदने लगा. भाभी की सिसकारी ज़ोर्से चलने लगी, "आआहह …….. हाआंणन्न् ……… बहुत गीली हो रही हूँ ………… अब आ जाओ …….. और नही ले सकती ………अब आ भी जाओ ……हाआंन्णणन्!", पर मैं तो उसी तरह एक छेद में उंगली और
दूसरे छेद में ज़ुबान से उनको चोद्ता रहा. मेरा लौदा तो सख़्त और मस्त था ही, पर मुझे भाभी को तड़पने में बहुत मज़ा आ रहा था. मैं ने ज़ुबान को और भी अंदर डालकर उनके चूत को जमकर चाट रहा था, उनके दाने को भी बार बार चाट लेता था, और सब कुच्छ इस तरह की कोई जल्दबाज़ी नही है. भाभी फिर कराह उठी, "ऊऊहह ………उउउम्म्म्मम …….अब पेलो अपना मूसल जैसा लौदा …….. बहुत गीली हो गयी हूँ ……….आआहह!" पर मुझे तो भाभी को चिढ़ाना था, उनको मस्ती से तड़पाना था. मैं उसी तरह उनकी चूत को चूस्ता रहा, और कुच्छ देर के बाद भाभी बोलने लगी, "ऊऊहह …….. अब अंदर नही आओगे…….. तो मैं ऐसे ही झड़ने… …. लगूंगी ……. हााईयईईई!" यह सुनकर मैं ने चूत चाटने का रफ़्तार कुच्छ कर कुच्छ कम कर दिया और भाभी के चुचियों को फिर से मसालने लगा. चूतड़ को चाटना जारी रखा. भाभी का सर अब बिस्तर था, पे उनका चूतड़ अब घूमता ही नही, मेरे मुँह को धकेल रहा था, पर मैं उनकी चुचि के घुंडीयों को ज़ोर्से मसलता रहा, और उनको तड़प्ते देख कर मज़ा ले रहा था. मैं भाभी को जल्दी नही झड़ने देना चाहता था, पर साथ ही अभी उनको मस्ती के उस हद तक ले जाना चाहता था कि वो झड़नेवाली मस्ती के करीब तो हों, पर झदें नही.
कुच्छ देर के बाद नीतू भाभी अपने आप को काबू में नही रख सकी. मेरे चाटने से उनकी चूत में बहुत खलबली मच गयी, और वो ज़ोर्से सिसकारी लेते हुए अपनी चूतड़ को मेरे मुँह पर ज़ोर्से रगड़ते हुए निढाल सी होती गयी. " ऊऊहह
……दैययय्याआ रे दैयययययाआआअ …….आअहह ………हाऐईयईईईईईईईईईईईई रे ………. दैयय्य्ाआआअ ……… मैं तो गयी …………उउफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ………….हूऊऊऊऊ…… आअहह …………हाआाआअन्न्ननननननणणन्!" भाभी ने अपने चूतड़ को बिस्तर गिरा दिया, और सिसकारी लेती ही रही. मैं उसी तरह बिस्तर पर घुटनों के बल बैठे हुए भाभी को देखता रहा. फिर हाँफती रही. मई उनके चूतड़ पर हाथ फेरता रहा, कमर सहलाता रहा. मेरा लौदा सख्ती से बिल्कुल खड़ा था, इस तरह से खड़ा की उसपर
एक बड़े साइज़ के तौलिए को भी आराम से टंगा सकता था.
-
- Platinum Member
- Posts: 1803
- Joined: 15 Oct 2014 22:49
Re: नीतू भाभी का कामशास्त्र
भाभी कुच्छ सुसताने के बाद मेरी तरफ देखी. और मुस्कुराइ. बोली, "बहुत गीली हो गयी हूँ ……. उफफफफ्फ़ ……… कितने दिनों के बाद इतनी गीली हुई हूँ……..!" मेरे लौदे के तरफ देखकर उनकी आँखें चमकने लगी, "इसको देखो ……… कितना ज़ालिम लौदा है
तुम्हारा! …… हाऐईयइ ……… अभी चखती हूँ इसको मज़ा …………कैसा अकड़ कर खरा है ……… अभी इस बच्चू को बताती हूँ…….." और मेरी तरफ आँखों में आँख डालकर बोली, " अभी तुमको बताती हूँ…….. मैं इतनी जल्दी हारनेवाली नही! ……..
हान्न्न्न्न. ……."
अब भाभी फिर अपने चूतड़ को फिर उठाकर घोरी की तरह अपने मुँह के बैठ गयी, और मुझे इशारा किया कि मैं पीछे से चोदना शुरू करूँ. हम ड्रेसिंग टेबल के बिल्कुल सामने बिस्तर पर थे, और हुंदोनो अपनी चुदाई को आयने में सॉफ सॉफ देख रहे थे. भाभी की नज़र भी मेरी तरह आयने पर थी. मैं ने लौदा को चूत के मुँह पर अच्छी तरह से रगड़ते हुए, चोदना शुरू किया. भाभी की सुरंग वाली चूत में बिल्कुल अंदर ले जाकर, मैं ने अपने गांद को सिकुरकर लौदे को थोरा घुमाने लगा. भाभी की मस्ती इस से खूब बढ़ने लगी, और मेरे लौदे के अंदर घुमाने का जवाब उन्होने अपने चूतड़ को उल्टी तरफ से घूमकर दिया. हम इसी तरह कुच्छ धक्के देते रहे, पर आयने के सामने होने कारण, हुंदोनो की नज़र आयने पर बनी रही. चुदाई हो रही थी, पर हमारा ख्याल आयने पर था. कुच्छ देर तक तो हुमलोगो ने इस तरह चुदाई की, पर वैसा मज़ा नही आ रहा था. भाभी अपने चूतड़ को घुमाना छ्चोड़कर, अपने हाथ को पीछे लाकर मेरे लौदा को पकड़कर रोक लिया, और मुझ से कहा, "ऐसे नही मज़ा आ रहा ……..इधर आओ …….. तुम लेतो!"
मैं सर के नीचे दोनो हाथ लेकर लेट गया, और भाभी अपने टाँगों को फैलाकर मेरे सूपदे के नीचे ठीक से पकड़कर अपनी चूत के दाने को सूपदे से रगड़ती रही. फिर अपने कमर को सीधा करके, अपने चुचियों को थोरा उचकते हुए भाभी मेरे लौदे को अपनी चूत में आहिस्ते आहिस्ते, पर बिना रुके हुए, बिल्कुल गहराई में ले लिया. वो अपनी चूतड़ को थोरा इधर-उधर घुमाई , और फिर अपने सर को नीचे कर के देखी की लौदा बिल्कुल जड़ तक गया है, और अपनी चूतड़ अब चलाने लगी. मैं उनकी कमर पकड़ कर उनके थाप को थोरा सपोर्ट दे रहा था, पर भाभी का खुद का कंट्रोल ज़बरदस्त था. "फच ….फच्छ…" की आवाज़ के साथ उनका थाप चलने लगा. चूत इतनी गीली हो गयी थी हर धक्के के साथ मेरे लौदे के जड़ पर कुच्छ रस लग जाती थी. भाभी एक माहिर चक्की चलाने वाली औरत की तरह मेरे लौदे पर बैठकर अपने चूतड़ की चक्की चलाकर मसाला पीस रही थी. ऐसी पीसने वाली जो बिल्कुल महीन मसाला पीस कर ही खुश हो सकती है! मैं नीचे से उनके थाप का जवाब दे रहा था, हर थाप के बाद अपने कमर को उठाकर, थोरा अपना गांद को सिकुरकर, लौदा को पेलते हुए कुच्छ घुमाता था, और फिर भाभी की जानलेवा चक्की! इस तरह कुच्छ देर तक हुंदोनो एक दूसरे के साथ झूला झूलने के हिलोर देते रहे. पर भाभी फिर ज़ोर्से धक्के देने लगी, और चक्की भी उसी रफ़्तार में. उनकी आवाज़ भी बदल रही थी. मैं ने जब देखा कि भाभी एक बार फिर झड़नेवाली हैं, मैं ने अपने लौदा को इस तरह घुसेड़ना शुरू किया कि वो भाभी के दाने को भी रगड़ता अंदर जाए, और उसी तरह रगड़ते हुए बाहर भी आए. भाभी "हाआअंन्न ….
मैं तो फिर झाड़ रही हूवान्न्न्न.. ……!" कहते हुए मेरे छाती पर सर रखकर निढाल हो कर लेट गयी. उनकी चूत मेरे लौदे को दबा रही थी, और मैं अपने लौदे को उनका मज़ा बढ़ने के लिए चूत के अंदर घुमाता रहा. "हाआंन्न ……. ऊऊहह …. हाआऐ रे दैय्य्याआ …….ऊऊहह! ……. हाआंन्नणणन् ……. ऊवूवुउवूवैयीयियी ….. मेरिइईई चूऊऊओट कित्नीईईइ गिलिइीईईई हो रही है.. …..ऊऊओह ……. ह्हयाययीयीयियी रे ….. दैयया ……..ऊऊओह!"
एक गहरी साँस लेकर नीतू भाभी उसी तरह मेरी छाती को पकड़े लेटी रही. पसीना चल रहा था. बाल बिल्कुल खुल गये थे. माथे पर का टीका लिप गया था. साँस फूली हुई थी. पर कुच्छ देर के जी बाद, भाभी एक बाँह के सहारे अपना सर उठाकर
मेरी तरफ देखी, और झूठा गुस्सा दिखाते हुए पूछि," क्यूँ, तुम अपने को बहुत उस्ताद समझने लगे हो? …… मुझे उस तरह से तडपा रहे थे ……कब से मैं झड़ना चाहती थी ….. और तुम …… बार बार ….. मुझे रोक रहे थे ……..उफफफफफफफफफफफ्फ़!"
"आपको अच्छा नही लगा क्या?"
"व्हूऊऊ! …….पागल ……..बहुत मज़ा आया ………बहुत मज़ा करते हो तुम!" वो अपने सर को उठाकर मेरी तरफ देखते हुए बोली. फिर पूछि, " तुम तो नही झाडे हो अभी ना?"
मैं ने सर हिलाकर बताया कि नही.
"मस्ती से झादोगे?"
"हाँ!"
"अच्छा! ……ह्म्म्म्मम …….फिर आओ….. अब झड़ना चाहते हो?
मैं उसी तरह लेटा रहा, पर मैं समझ गया कि अब भाभी कुच्छ शोख अंदाज़ में कुच्छ शुरू करनेवाली हैं. वो अपने दोनो हाथ बिस्तर पर जमाए अपनी चूत को मेरे लौदे पर रखकर धीरे धीरे चूतड़ घुमा रही थी.
"बोलो ….."
"जी……."
वो अपनी शोख और शरारतवाली मुस्कुराहट के साथ पूछि, " क्यूँ ……….झड़ना चाहते हो? ……..हुन्ह ……….बोलो! मुझे तो झड़ने नही दे रहे थे …….और तुम खुद झड़ना चाहते हो! …….. हन्न्नममम ……….बोलो"
" आआहह ……. भाभी…..शायद मैं ……आहह …….समझ नही सका ……. ……..मुझे लगा कि आप को और मज़ा क़राउ!" "हान्णन्न्? ……..तो? …….. भाभी को झड़ने से रोक रहे थे……? …. बोलो!"
" …… इसी लिए …..आअहह ……आपको थोरा रोक रहा था …….आअहह!"
भाभी उपर से तो बहुत कम घूम रही थी, और अभी जोरदार थाप न्ही नही लगा रही, पर अंदर ही अंदर उनकी चूत मेरे लौदा की तरह से दबा रही थी, जैसे चूत के अंदर मेरे लौदा को दूहा जा रहा हो.
`अच्छा ? ……… "थोरा" रोक रहे थे? …… "थोरा" कितना होता है ? . ……अभी बताती हूँ …….तुमको …….!"
भाभी धीरे धीरे चक्की पीसने लगी फिर, पर अभी भी चूत के अंदर लौदे को उसी तरह दबाती रही. मुस्कुराते हुए.
"थोरा…… क्यूँ? "थोरा" कहीं ज़्यादा तो नही हो गया?"
"हो सकता है!"
-
- Platinum Member
- Posts: 1803
- Joined: 15 Oct 2014 22:49
Re: नीतू भाभी का कामशास्त्र
"अच्छा? …….हो सकता है?" यह कटे हुए भाभी ने अपनी चूत को कुच्छ इस तरह घुमाया कि मेरे पूरा सूपदे, जिसकी सख्ती का अंदाज़ा आप लगा सकते हैं, चूत के जकड़न में बिल्कुल दब गया. कभी सूपड़ा जकड़न में दबाता था, कभी लौदे के जड़ का हिस्सा, कभी बीच का हिस्सा. बहुत कम ही हिलाते हुए, भाभी अपने चूत की कमाल दिखा रही थी. और मैं मस्ती के नशे में पागल हो रहा था!
मेरे मुँह से आवाज़ निकालने लगी, "ऊऊहह!"
"क्यूँ ……..सही जगह जकड़ा?"
"हान्न्न ………….भाभी!"
"ओह्ह्ह ……तब तो ठीक है ………जगह मिल गया मुझे!" वो फिर उसी तरह से चूत को सिंकुरने लगी, और मेरा लौदा मस्ती में फिर अकड़ने लगा अंदर, और मुझे फिर अपने गांद को सिंकुर कर काबू में रखना परा अपने आप को. " क्यूँ? …….लगता है कि अब झड़नेवाले हो? …….ह्म्म्म्म?"
`जी…"
`अच्छाा??? ……"
वो फिर अपने केहुनि के सहारे उठकरसर नीचे की तरफ देखा. उनके रस में गीला मेरा लौदा का करीब तीन-चौथाई दिख रहा था, भाभी अपने चूतड़ को उपर उठाई थी. वो अपने चूतड़ को कुच्छ और उठाई, जिस से कि आन सिर्फ़ मेरा सूपड़ा उनके
चूत के अंदर था. उनके चूत का मुँह मेरे सूपदे पर उंगती की तरह बैठा था. भाभी अपनी चूतड़ को उसी जगह, उसी तरह रखी रही, सिर्फ़ मेरे सूपदे को जकड़े हुए. "अभी नहियैयी ….."!
"अच्छाअ? ……..अब बोलो ……"थोरा" रुकोगे?" उसी तरह सिर्फ़ मेरे सूपदे को अब भाभी मद्धम मद्धम रफ़्तार में दबाने लगी. मेरे लौदे में ऐसा महसूस हो रहा था कि भाभी की चूत उसको चूम रही है, चारो तरफ चूस रही है. मैं अब आपने आप को काबू में नही रख सकता था. मैं "आआहह …… भाभिईीईईईईईईईईईईई ……….ऊऊहह'" की सिसकारी लगाने लगा.
भाभी मेरी हालत देख रही थी, पर मेरी मस्ती से वो और भी जोशीला होती जा रही थी. "अभी नहियिइ ……" वो गाने के अंदाज़ में बोलती रही, "अभी नहियीई…." और अपना मुँह मेरे करीब ले आई. फिर वो मेरे लौदे को अंदर लेने लगी, आहिस्ते आहिस्ते. एक
बार में एक इंच से ज़्यादा नही ले रही थी, और हर बार लौदे को एक जकड़न से दबा देती थी. भाभी के कमर का कंट्रोल बहुत ही ज़बरदस्त था, और पूरे लौदे को अंदर लेने के बाद वो एक गहरी साँस ली, और मेरे लौदे के जड़ पर अपने चूत के मुँह को बैठा कर रुकी. हमारे झाँत मिले हुए थे. अब शुरू हुई नीतू भाभी की चक्की फिर से. चूतड़ को घुमाती थी, फिर मेरे चेहरे को देखती कि मेरी क्या हालत हो रही है, और मेरे आँखों में आँखें डाले चूत को अंदर ही अंदर सिकोड कर मेरे लौदे को जाकड़ लेती थी.
मेरा लौदा इन हरकतों से चूत के अंदर ही उचक रहा था, बार बार. मेरा कमर हर बार उपर उठ जाता था.
"अभी झड़ना नही… …." वो फुसफुसकर मुझसे बोली, और फिर थाप देने लगी, मेरे आँखों में मुस्कुराहट के साथ देखते हुए. आहिस्ते से. करीबन दो सेकेंड लगती थी उठने में, और फिर दो सेकेंड बैठने में. "अभी नही झड़ना ….. बहुत मज़ा आ रहा है ……. अभी मज़ा करो! ……. ठीक?"
इसी तरह से करीबन 10 मिनिट तक भाभी मुझको मस्ती करती रही. उनका रफ़्तार बिल्कुल एक जैसा रहा, आंड हर थाप एक जगह से उठाकर बिल्कुल उसी जगह पर पहुँचकर रुकता था. हो सकता है, !0 मियनुट नही, 5 मिनिट ही रहा हो या हो सकता है कि 20 मिनिट तक चला हो. सच पूच्हिए तो मैं होश में था ही नही, मेरे लिए उस वक़्त समय का कोई मतलब नही था. "अभी नहियीईई ……..अभी नहियीईईई ……." भाभी गाते हुए मेरे चेहरे पर उंगली फेर्कर प्यार करती रही. बीच बीच में वो अपने चूतड़ को कुच्छ और नीचे दबा देती थी, और मेरा सूपड़ा उनके बच्चेड़नी के मुँह को छ्छू लेता था, और मैं हर बार मस्ती से सिहर जाता था. मेरे चेहरे को देखते हुए, हर सिहरन पर भाभी की मुस्कुरात और खिल जाती थी.
जब उन्होने देखा की मेरा पूरा बदन अकड़ गया है, वो मेरे चेहरे को चूमने लगी, मेरे आँखों पर, मेरे गर्दन पर, मेरे गाल पर.
"तैयार हो?", उन्होने शरारत से पूचछा.
" जी…." मेरी मस्ती ऐसी थी की मैं अपनी आवाज़ को भी नही पहचान सकता था. लगा जैसे कमरे के किसी और कोने से आवाज़ आई है. मेरे टांग बिल्कुल अकड़ गये थे.
"क्यूँ ….. रस का झोला भर गया है?"
"जी…"
वो उसी तरह थाप देती रही, और मेरे चेहरे को सहला रही थी. उनका चेहरा मेरे मुँह के बिल्कुल पास था.
"बहुत मज़ा आ रहा है………आअहह …….हाअन्न्न्न्न! ……है ना?"
मैं अब कुच्छ नही बोल सका. मेरा बदन इस तरह अकड़ गया था, मेरे लौदे में इस तरह की जलन थी, की मेरे लिए "आहह" कहना भी मुश्क़िल होता. मुझे लगा कि अगर अब मैं जल्दी नही झाड़ा तो पता नही क्या हो जाएगा, शायद मैं पागलों की तरह चिल्लाने ना लगूँ! मेरे मुँह से चीख ना निकलने लगे! पर भाभी इस तरह से चक्की चला रही थी कि मैं इसे भी छ्चोड़ना नही चाहता था. किसी तरह से अपने आपको काबू मे रखे रहा, और सोचता रहा कि भाभी भी क्या कमाल की औरत हैं! क्या
मस्ती लेना जानती हैं! क्या मस्ती करना जानती हैं!
यह सब सोचते हुए ही मुझे लगा कि अब मेरा लौदा काबू में नही रहा. मैं झड़ने लगा. एक फुहारा, फिर दूसरा, तीसरा. ज़ोर्से और पूरी गर्मी के साथ.
भाभी बोली, "हन्ंणणन्!"
मैं ने सोचा, " भाभिईीई ……. तुम भी ……ग़ज़ब की चीज़ हो!", और मैं झाड़ता रहा, झाड़ता रहा. भाभी ने फिर से मुझे उकसाया, "हान्णन्न् ……. हान्ंणणन्!"
मेरे मुँह से सिर्फ़ एक लंबी "आआआआहह" निकल सकी.
नीतू भाभी मुस्कुरा रही थी. मेरे कान के पास मुँह लाकर फुसफुसाई, " अब मज़ा लो …..हाआंन्णणन् ……..!" अब उनके कमर की रफ़्तार धीमी हुई, फिर रुक सी गयी. मेरे लौदे को उसी तरह चूत में रखे हुए, भाभी मेरा चेहरा सहला रही थी. मैं ने अपने आँखें खोले तो देखा की भाभी की चेहरे पर खुशी की चमक थी.
"अब तुमको मज़ा चखाई ना? ……..क्यूँ? कैसा लगा?"
"ऊऊहह," मेरे मुँह से निकली, और मैं ने अपने मूँछ और होंठ पर से पसीने को पोच्छा.
"बोलो ……. कैसा लगा?"
मैं ने चेहरे पर से बाल हटाए, और गहरे साँस लेता रहा. बोला, "मज़ा आया… खूब मज़ा!"
"कितना मज़ा? …… ठीक से बताओ!"