आंटी नें उनके कान में काँपते होठों से कहा आईजी
अब तब तड़पाव. अंकल नें अपना सर नीचे करते हुए पहले
उनके पेट से होते हुए अपने होठ उनकी चूत पर रख दिए
आंटी काँप उठी और फिर अंकल अपनी ज़बान से आंटी की चूत
की दरार को कुरेदने लगे आंटी मदहोश हुई जा रही उनमें
अब ताक़त नही बची थी अंकल नें चूत के दाने को धीरे से
अपने मूह में भर लिया और उसका रस ले
लेकर चूसने लगे आंटी छटपटा रही थी ऊह अब मत तड़पाव
जी अपना लंड पेल दो मेरी चूत में अब नही बर्दाश्त होता
है दिन भर तुम्हारी याद में खुजली मची रहती है इसे जल्दी
से ठंडा करदो ना" अंकल इतनी जल्दी मानने वालों में से
नही थे वो उनके पैरों के बीच से उठे और सीधे लेटी
हुई आंटी के मूह के पास ले जाकर उनके होंठों पर अपना
लंड रगड़ने लगे आंटी नें अपना मूह खोला और अंकल के
गरम सूपदे को अपने ज़बान से चाट लिया.
उनके ऐसा करते ही अंकल सिहर उठे फिर आंटी
मदहोशी में सूपदे पर ज़बान फिराने लगी अंकल मस्ती
में अपना सर उपर करके आँखें बंद कर ली आंटी नें
अब उनके सूपदे को अपने होंठों के बीच ले लिया था और
उसे चूसने लगी थीं अंकल का लंड अब बिल्कुल लोहे की तरह
कड़क कर फूल गया था उन्होनें अपनें लंड को आंटी के मुँह में
में पेल दिया आंटी नें भी उनके लंड को आइस क्रीम की तरह
चूसना शुरू कर दिया आंटी की इस प्रक्रिया से
अंकल बेकाबू हुए जा रहे थे और अपने हाथ पीछे कर
के आंटी की चूचिया मसलना शूरू कर दिया. अंकल
अपना लंड उनके मूह से बाहर निकालते हुए पीछे हटे
और आंटी के होठों को चूम लिया फिर आंटी की टाँगों के पास
आते हुए उनकी टाँगो को उठा कर अपना लंड सीधे आंटी की
चूत की दरारों पद रगड़ना शुरू कर दिया ऊह हुह अंदर
डाल दो ना क्यों तड़पाते हो जल्दी से अंदर डाल दो ना ऐसा मत
करो " अंकल नें चूत की छेद पर अपना लंड
टीकाते हुए अपना लंड धीरे धीरे आंटी की चूत में
डालना शुरू कर दिया हाआँ ऐसे ही हां और अंदर डालो
पूरा अंदर डालो अब अंकल नें पहले अपने सूपदे से ही आंटी
की चूत की चुदाई शूरू कर दी एक धीरे धीरे फिर
अचानक एक ही झटके में पूरा लंड अंदर डाल दिया आंटी
चिहुक उठी अंकल पहले तो धीरे धीरे फिर बाद में अपनी
तेज़ी बढ़ाते हुए आंटी की चुदाई शुरू कर दी मेरी जान
मज़ा आ रहा है कि नही अंकल नेअपना लंड
अंदर बाहर करते हुए पूछा हां जी बहुत मज़ा आ रहा
है आंटी नें सिसकते हुए जवाब दिया " हां ऐसे ही हां
हां और ज़ोर से चोदो मुझे मेरी चूत तुम्हारे लंड का
इंतेज़ार दिन भर करती है जानेमन तुम भी तो दिन भर मेरे
दिमाग़ पर छाई रहती हो डार्लिंग और तुम्हारी चिकनी चूत
मुझे कोई काम ही नही करने देती है लो ना लेलो मेरा लंड
जीतना चाहिए ले लो ये तो तुम्हारा ही है राधिका अंकल नें
कहा फाड़ दो मेरी चूत को ऐसे ही चोद्ते रहो मुझे
आअहह मेरी ह्म अब मैं झदने वाली हूँ हां तुम
रुकना नही ऐसे ही करते रहो मुझे ओफो क्या लंड है
तुम्हारा एक लोहे की तरह रुकता नही हा हां में आई आए
ऑश हाआँ हां " आंटी नें अंकल को कस के भींच लिया था
और झदने लगी थी .अंकल नें अपनी चुदाई जारी रखी थी
कुछ देर वैसे ही चोद्ने के बाद उन्होने आंटी की चूत से
अपना लंड निकाला और आंटी की टाँगों को और उपर करते हुए
अपने लंड से आंटी आंटी की गांद को
रगड़ने लगे फिर उन्होनें अपने हथेली पर थूका और
पहले आंटी के गांद अपने थूक को रगड़ा फिर थोड़ा अपने
लंड पर थूक लगाया और अपने सूपदे को आंटी की गांद
में घुसाने लगे एक आहिस्ता आहिस्ता आंटी की गंद में उनका
लंड फिसलता चला गया अब उनका पूरा लंड आंटी की गांद के
अंदर दाखिल हो चुका था उसी अवस्था में आंटी की टाँगो को
अपने हाथो में फसाए हुए उपर उठाए हुए उनकी
नरम होठों को चूसने लगे फिर धीरे धीरे अपने
लंड को गांद में ही अंदर बाहर करने लगे आंटी
कुन्मुना रही थी मगर भरपूर अंकल का साथ दिए जा रही
थी. वाह क्या गांद है तुम्हारी एक दम माखन की तरह
अंकल नें कहा बहुत अछा लग रहा क्या तुम्हे मज़ा आ रहा
है जानेमा हां मेरे राज्जा बहुत मज़ा आ रहा है तुम्हारे इसी
लंड के लिए तो मैं दिन भर तरसती हूँ आंटी नें जवाब दिया
तो दिन में किसी और लंड का इंतेज़ाम क्यों नही कर लेती डार्लिंग
रात के लिए तो मैं हूँ ही और रात के लिए क्या
ज़िंदगी भर के लिए मैं हूँ लेकिन अगर चाहो तो दिन में
अपने लिए चुप चाप से एक लंड का इंतेज़ाम कर लो अंकल नें
हानफते हुए अपना लंड गांद की चुदाई करते हुए कहा हा
मैं जड़ने वाला हूँ राधिका मेरा निकलने वाला है और ये
कहते हुए उन्होनें आंटी के होंठों को अपने होंठों
में लिया और चूसने लगे उनकी लंड नें अपनी धार छोड़ दी
अनोखे परिवार
Re: अनोखे परिवार
अंकल आँख बंद किए झाड़ते रहे आंटी भी मस्ती में अपनी
आँखें बंद किए हुए उनके वीर्य की धार को अपनी गांद में
महसूस कर रही थी.
उनकी गांद से वीर्य अब बाहर टपकने लगा था . अंकल सुस्त
होकर आंटी के उपर निढाल हो पड़ गये और थोड़ी देर उसी
प्रकार से लेटे रहने के बाद अपना लंड उनकी गांद से
निकलते हुए बेड पर सीधे लेट गये. आंटी उठी और
सीधे बाथरूम की ऑर बढ़ गयी. बाथरूम में अपनी
गांद और चूत की सफाई करते हुए अपने पति की बातों पर गौर
करते हुए सोचने लगी, उन्होनें सोचा कि श्याम नें ये
क्या कह दिया कोई और लंड लंड का इंतेज़ाम कर लूँ दिन के लिए
सफाई करने के बाद वो सीधे बिस्तर पर आ गयी.
अंकल अब भी नंगे ही लेटे हुए थे आंटी नें अपनी नाइटी
पहन ली थी सुनो जी ये तुमने क्यो कहा कि दिन में किसी
और लंड का इंतेज़ाम कर लो आंटी नें उत्सुकता में पूछा
हां डार्लिंग मैं दिन में तुम्हे टाइम नही दे पाता हूँ और
दिन भर तुम तड़पति रहती हो और मैं तुम्हे इतना प्यार करता
हूँ कि मैं तुम्हारी तड़प नही देख सकता अंकल नें कहा
तुम्हे बुरा नही लगेगा अगर कोई और मुझे छुएगा तो आंटी
नें फिर पूछा कैसी बातें करती हो
तुम्हारे दिल पर तो मैं ही राज करूँगा और बात सिर्फ़ चुदाई की
ही तो है अगर तुम तृप्त रहोगी तो तुम भी खुश रहोगी" अंकल
नें कहा और ये सब बेकार की बातें हैं कि चुदाई करना
पाप है हमारे शरीर की अपनी भूख जिसको शांत करना बहुत
ज़रूरी है और रात में तो मैं शांत कर दूँगा मगर दिन
में तुम्हे भूख लगेगी तो क्या तुम उसे शांत नही करोगी
अंकल ने कहा अपने विचारो को खुला रखो और ये सब
दकियानूसी बात अपने दिमाग़ से निकाल दो. राधिका आंटी अब
सोच में पड़ गयी थी उन्हे
कोमल आंटी की बातें याद आ गयी थी उन्होनें करवट
बदलते हुए श्याम अंकल के सीने पर हाथ फेरते हुए
कहा सुनो जी कोमल नें दिन में अपनी चूत की भूख को
शांत करने के लिए लंड ढूँढ लिया है वो जो लड़का हैं
ना पंकज उससे आज दिन में पेल्वा चुकी हैं और मुझे भी
उन्होने 1.30 बजे छत पर बुलवाया है क्या करूँ हां भाई
जाओ बिल्कुल जाओ अगर बात बन जाती है है मुझे कोई ऐतराज नही
मगर हमारे प्यार में कमी नही आनी
चाहिई अंकल ने कहा कैसी बातें करते हो जी क्या तुम्हे
कभी भूल सकती हूँ तुम तो मेरी ज़िंदगी हो" आंटी नें कहा
और अंकल को चूम लिया ठीक है 12 बज चुके हैं मैं 1.30
बजे उपर चली जाउन्गि आंटी नें कहा अंकल अब उठे और
अपने कपड़े पहन कर सोने की कोशिश करने लगे. कोमल
आंटी अपने पति का लंड अपने मूह में लेकर चूस रही
थी. सूरज अंकल का लंड तन कर हिलोरे मार रहा था
kramashah.................
आँखें बंद किए हुए उनके वीर्य की धार को अपनी गांद में
महसूस कर रही थी.
उनकी गांद से वीर्य अब बाहर टपकने लगा था . अंकल सुस्त
होकर आंटी के उपर निढाल हो पड़ गये और थोड़ी देर उसी
प्रकार से लेटे रहने के बाद अपना लंड उनकी गांद से
निकलते हुए बेड पर सीधे लेट गये. आंटी उठी और
सीधे बाथरूम की ऑर बढ़ गयी. बाथरूम में अपनी
गांद और चूत की सफाई करते हुए अपने पति की बातों पर गौर
करते हुए सोचने लगी, उन्होनें सोचा कि श्याम नें ये
क्या कह दिया कोई और लंड लंड का इंतेज़ाम कर लूँ दिन के लिए
सफाई करने के बाद वो सीधे बिस्तर पर आ गयी.
अंकल अब भी नंगे ही लेटे हुए थे आंटी नें अपनी नाइटी
पहन ली थी सुनो जी ये तुमने क्यो कहा कि दिन में किसी
और लंड का इंतेज़ाम कर लो आंटी नें उत्सुकता में पूछा
हां डार्लिंग मैं दिन में तुम्हे टाइम नही दे पाता हूँ और
दिन भर तुम तड़पति रहती हो और मैं तुम्हे इतना प्यार करता
हूँ कि मैं तुम्हारी तड़प नही देख सकता अंकल नें कहा
तुम्हे बुरा नही लगेगा अगर कोई और मुझे छुएगा तो आंटी
नें फिर पूछा कैसी बातें करती हो
तुम्हारे दिल पर तो मैं ही राज करूँगा और बात सिर्फ़ चुदाई की
ही तो है अगर तुम तृप्त रहोगी तो तुम भी खुश रहोगी" अंकल
नें कहा और ये सब बेकार की बातें हैं कि चुदाई करना
पाप है हमारे शरीर की अपनी भूख जिसको शांत करना बहुत
ज़रूरी है और रात में तो मैं शांत कर दूँगा मगर दिन
में तुम्हे भूख लगेगी तो क्या तुम उसे शांत नही करोगी
अंकल ने कहा अपने विचारो को खुला रखो और ये सब
दकियानूसी बात अपने दिमाग़ से निकाल दो. राधिका आंटी अब
सोच में पड़ गयी थी उन्हे
कोमल आंटी की बातें याद आ गयी थी उन्होनें करवट
बदलते हुए श्याम अंकल के सीने पर हाथ फेरते हुए
कहा सुनो जी कोमल नें दिन में अपनी चूत की भूख को
शांत करने के लिए लंड ढूँढ लिया है वो जो लड़का हैं
ना पंकज उससे आज दिन में पेल्वा चुकी हैं और मुझे भी
उन्होने 1.30 बजे छत पर बुलवाया है क्या करूँ हां भाई
जाओ बिल्कुल जाओ अगर बात बन जाती है है मुझे कोई ऐतराज नही
मगर हमारे प्यार में कमी नही आनी
चाहिई अंकल ने कहा कैसी बातें करते हो जी क्या तुम्हे
कभी भूल सकती हूँ तुम तो मेरी ज़िंदगी हो" आंटी नें कहा
और अंकल को चूम लिया ठीक है 12 बज चुके हैं मैं 1.30
बजे उपर चली जाउन्गि आंटी नें कहा अंकल अब उठे और
अपने कपड़े पहन कर सोने की कोशिश करने लगे. कोमल
आंटी अपने पति का लंड अपने मूह में लेकर चूस रही
थी. सूरज अंकल का लंड तन कर हिलोरे मार रहा था
kramashah.................
Re: अनोखे परिवार
अनोखे परिवार--5
कोमल डार्लिंग तुम गजब का चूस्ति हो और चुद्वाती भी बहुत
आछे से हो आह हां ऐसे हो चूस्ति जाओ. सूरज अंकल नें
अपना लंड आंटी की मूह में अंदर बाहर करते हुए कहा
आंटी नें अंकल का लंड अपने मूह से बाहर निकालते हुए
कहा कि चलो जी तुम तो दिन भर गायब रहते हो और मेरी
चूत में जो हलचल मचती है उसकी तो
तुम्हे फिकर ही नही है क्या बात हो गयी जानेमन मैं हर
रात तो तुम्हे जी भर के चोद्ता हूँ ना डार्लिंग नाराज़ मत
हो. अंकल ने आंटी को अपनी तरफ खींचते हुए कहा बस
रात की रात ही तो दिन में भी तो मेरा मन होता है चुदाई का
पर तुम्हे क्या तुम्हे तो सिर्फ़ अपनी सूझती है मेरे बारे
में सोचते ही नही हो" कोमल आंटी नें कहा अर्रे नही
डार्लिंग तुम्हे नही पता मेरा दिन भर कैसे कटता है
तुम्हारे बिना तुम्हारी चूत की यादों में मेरा खड़ा ही
रहता है समझे.
अंकल नें आंटी की चूचियो को मसल्ते हुए कह दिया आह
धीरे से नोच डालोगे क्या मेरी प्यारी चूची को आंटी नें
मचलते हुए कहा क्यो चूत है तेरी रस टपका रही है ला
ज़रा अपना चूत तो चाटने दे मुझे और मत तडपा" अंकल
नें अपना मूह आंटी की चूत की तरफ करते हुए कहा लेलो
तुम्हे कभी रोका है मैने किसी काम के लिए आंटी नें कहा
ह्म वाह क्या मज़ा आ रहा है हाआँ ऐसे हो चॅटो मेरी
चूत को खा जाओ जानेमन खा जाओ पूरा
इसस्सस्स हाआंन्णणन् ऐसे ही हाां केरे दाने को चूसो वाह
क्या चूत चूस्ते हो तुम डार्लिंग आंटी पूरी उतेज्ना में बक
रही थी अंकल रस ले ले कर चूत चाट रहे थे उन्होनें अपनी
एक उंगली अब उनकी चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने
लगे आंटी भी पूरी तरह से मस्ती में आ चुकी थी सुनो जी
अब चोदो मुझे बहुत मन कर रहा है अब नही रहा जाता
मुझसे बहुत तड़पाते हो तुम आंटी नें सिसकारी भरते हुए
कहा और अपनी टाँगे चौड़ी कर दी अंकल भी
पूरे उतावले थे और उन्होनें बैठे हुए अपना कड़क लंड
आंटी के चूत के छेद पर टीकाते हुए अंदर पेल दिया एक ही
बार में पूरा का पूरा लंड आंटी नें अंदर ले लिया था अंकल
अब उनके उपर लेट ते हुए उनके होंठो को चूसने लगे और
अपना लंड धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगे आंटी
मस्ती में ज़ोर ज़ोर से चिल्लाए जा रही थी.
कोमल डार्लिंग तुम गजब का चूस्ति हो और चुद्वाती भी बहुत
आछे से हो आह हां ऐसे हो चूस्ति जाओ. सूरज अंकल नें
अपना लंड आंटी की मूह में अंदर बाहर करते हुए कहा
आंटी नें अंकल का लंड अपने मूह से बाहर निकालते हुए
कहा कि चलो जी तुम तो दिन भर गायब रहते हो और मेरी
चूत में जो हलचल मचती है उसकी तो
तुम्हे फिकर ही नही है क्या बात हो गयी जानेमन मैं हर
रात तो तुम्हे जी भर के चोद्ता हूँ ना डार्लिंग नाराज़ मत
हो. अंकल ने आंटी को अपनी तरफ खींचते हुए कहा बस
रात की रात ही तो दिन में भी तो मेरा मन होता है चुदाई का
पर तुम्हे क्या तुम्हे तो सिर्फ़ अपनी सूझती है मेरे बारे
में सोचते ही नही हो" कोमल आंटी नें कहा अर्रे नही
डार्लिंग तुम्हे नही पता मेरा दिन भर कैसे कटता है
तुम्हारे बिना तुम्हारी चूत की यादों में मेरा खड़ा ही
रहता है समझे.
अंकल नें आंटी की चूचियो को मसल्ते हुए कह दिया आह
धीरे से नोच डालोगे क्या मेरी प्यारी चूची को आंटी नें
मचलते हुए कहा क्यो चूत है तेरी रस टपका रही है ला
ज़रा अपना चूत तो चाटने दे मुझे और मत तडपा" अंकल
नें अपना मूह आंटी की चूत की तरफ करते हुए कहा लेलो
तुम्हे कभी रोका है मैने किसी काम के लिए आंटी नें कहा
ह्म वाह क्या मज़ा आ रहा है हाआँ ऐसे हो चॅटो मेरी
चूत को खा जाओ जानेमन खा जाओ पूरा
इसस्सस्स हाआंन्णणन् ऐसे ही हाां केरे दाने को चूसो वाह
क्या चूत चूस्ते हो तुम डार्लिंग आंटी पूरी उतेज्ना में बक
रही थी अंकल रस ले ले कर चूत चाट रहे थे उन्होनें अपनी
एक उंगली अब उनकी चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने
लगे आंटी भी पूरी तरह से मस्ती में आ चुकी थी सुनो जी
अब चोदो मुझे बहुत मन कर रहा है अब नही रहा जाता
मुझसे बहुत तड़पाते हो तुम आंटी नें सिसकारी भरते हुए
कहा और अपनी टाँगे चौड़ी कर दी अंकल भी
पूरे उतावले थे और उन्होनें बैठे हुए अपना कड़क लंड
आंटी के चूत के छेद पर टीकाते हुए अंदर पेल दिया एक ही
बार में पूरा का पूरा लंड आंटी नें अंदर ले लिया था अंकल
अब उनके उपर लेट ते हुए उनके होंठो को चूसने लगे और
अपना लंड धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगे आंटी
मस्ती में ज़ोर ज़ोर से चिल्लाए जा रही थी.