hindi sex story - किस्से कच्ची उम्र के.....!!!!
Re: hindi sex story - किस्से कच्ची उम्र के.....!!!!
भाग 13
माधवी तो तभी जाग गयी थी जब सागर और प्रियंका एक दूसरे को i love you कह रहे थे। वो प्रियंका को जानती थी की वो कैसी है मगर सागर उसका भाई भी प्रियंका से प्यार करता है ये सुन के वो हैरान थी।उसे समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करे...गुस्सा करे खुश हो या उठ के बैठ जाय और उनकी चोरी पकड़ ले या कुछ और...वो पूरी तरह से असमंजस में थी। पहली बात तो किसी लड़का लड़की को इतने करीब पहली बार देख रही थी और ऊपर से उसकी सबसे अच्छी सहेली और उसका सगा भाई ......ये सब उसे बहोत परेशां कर रहा था।
आखिर वो चुपचाप सोने का नाटक कर सब देखने लगी। जैसे प्रियंका और सागर एक दूसरे से लिपटा चिपटी बढाती गयी वैसे माधवी की बेचैनी भी बढ़ती गयी। वो जो देख रही थी वो सेक्स तो नहीं था पर सेक्स से कुछ कम भी नहीं था। उसके लिए चुदाई मतलब सिर्फ लंड और चूत का खेल था।लेकिन प्रियंका और सागर की किसिंग और लंड चूत को टच करना उसे चाटना चूसना ये सब देख उसे भी उत्तेजना महसूस होने लगी थी।
आज पहली बार उसकी चूत में उसे कुछ हलचल महसूस हुई थी। उसका हाथ अपने आप ही अपनी चूत पे चला गया था।अपनी गीली हो चुकी चूत को सहलाने में उसे एक अलग ही मजा आ रहा था।
जैसे जैसे उन दोनों का खेल आगे बढ़ता गया वैसे वैसे माधवी भी अपनी चूत रगड़ने लगी ....और आखिर में वो पल आया जिसमे उसे लगा वो स्वर्ग में पहोच गयी हो...हवा में उड़ने लगी हो...पांच मिनट तक उसकी चूत धड़ धड़ करती रही।उसकी चूत ऐसे धड़क रही थी जैसे दिल धड़कता है।
उसे इस बात का बिलकुल भी अंदाजा नहीं था की चूत को रगड़ने से इतना आंनद आता है।
सागर के जाने के बाद वो बहोत देर तक सोचती रही। बहोत ही अजीबो गरीब ख़याल उसके मन में आने लगे थे। सोचते सोचते वो कब सो गयी उसे भी पता नहीं चला।
सुबह जब उसकी आँख खुली तो देखा 8 बज गए थे। आज रविवार होने की वजह से माँ ने उसे उठाया नहीं था। उसने देखा प्रियंका भी सो रही है। उसने उसे जगाया।माधवी:- प्रियंका उठ आठ बज गए है...
प्रियंका:- सोने दे ना यार...बहोत नींद आ रही है..
माधवी:- हा नींद तो तुझे आएगी ही..रात को बहोत देर तक जो जग रही थी।प्रियंका:- हा ..नींद ही नही आ रही थी..
माधवी:- मैं उसकी बात नह कर रही...रात जो तू और भैया जो गुल खिला रहे थे उसकी बात कर रही हु....
प्रियंका को ये सुन के झटका सा लगा उसकी नींद एकदम से गायब हो गयी। वो उठ के बैठ गई और माधवी को देखने लगी। माधवी बहोत गुस्से में थी।
प्रियंका:- ये क्या बोल रही है??
माधवी:- चल जादा नाटक मत कर...मैंने सब देख लिया..
प्रियंका:- देख माधवी मैं तुझे आज बताने वाली थी...
माधवी:- रहने दे...मैं सब समझ गयी की तू यहाँ सोने के लिए क्यू आयी?
प्रियंका:- वो तो मैं हमेशा आती हु...हा ये सच है की मुझे सागर से मिलना था इसलिए ...
माधवी:- चल मुझे कुछ नहीं सुनना...तू उठ और चाय नाश्ता कर के निकल यहाँ से...आज के बाद यहाँ कभी मत आना..तेरी मेरी दोस्ती खत्म...प्रियंका ये सुन के रोने जैसी सूरत हो जाती है।उसकी आँखे नम हो जाती है। माधवी ये देख जोर जोर से हँसने लगती है।
माधवी:- ये क्या तू तो सच में डर गयी...पागल मैं तो मजाक कर रही थी। मुझे तुम दोनों के रिश्ते से कोई प्रॉब्लम नहीं है...बल्कि मैं बहोत खुश हु..
प्रियंका:- साली कामिनी...डरा दिया तूने मुझे...प्रियंका माधवी की बालो को पकड़ते हुए कहती है।
माधवी:- आह्ह्ह छोड़ दे वरना माँ बाबा को बता दूंगी...प्रियंका ये सुन के छोड़ देती है।
प्रियंका:- नहीं मेरी माँ ऐसा कुछ मत करना मैं तेरे हाथ जोड़ती हु...
माधवी:- हा ऐसेही हाथ जोड़ के रहना हमेशा वरना तू जानती है मैं क्या कर सकती हु...
प्रियंका:- हा मेरी माँ ऐसेही रहूंगी...
माधवी:-चल अब जल्दी से उठ तैयार हो जा तुझसे बहोत बातें करनी है...
प्रियंका:- किस बारे में...
माधवी:- कल रात के बारे में...
प्रियंका:- हा मुझे भी तुझे बताना है...
दोनों ख़ुशी ख़ुशी कमर समेटने में लग जाती है।
इधर सागर अब तक सो रहा था। प्रभा अपने सुबह के काम निपटा चुकी थी। जसवंत भी अपने कामो में लगा था।
प्रियंका और माधवी चाय नाश्ता करके प्रभा की मदत करने लगती है।
उन दोनों को किचेन में काम करते देख प्रभा कहती है...
प्रभा:- आज तुम दोनों ही बनाओ खाना...मैं थोडा स्टोर रूम की सफाई कर देती हु।सागर उठा नहीं अब तक..
माधवी:- ठीक है माँ..हा अभी तक सो रहा है..प्रियंका को भेज देती हु उसे उठाने..ये सुन के प्रियंका माधवी को चुपके से जोर से चिकोटी काटती है।
प्रभा:- नहीं रहने दो मैं ही उठा देती हु उसे..तुम दोनों जल्दी से खाना बनाओ....तुम्हे पढाई भी तो करनी है।
माधवी:- वो तो हमने कल रात को ही कर ली...और प्रियंका ने तो कुछ जादा ही करली..प्रभा:- मतलब??
माधवी:- अरे माँ बहोत होशियार हो गयी है ये...सिल्याबस के बाहर का भी पढने लगी है आजकल..
प्रभा:- अरे वाह...देख इसे कितनी मेहनती है सिख इससे कुछ..
माधवी:- हा मेहनती तो बहोत है। और कल रात मैंने उसे मेहनत करते हुए देखा...प्रभा को उसकी डबल मीनिंग बातो का मतलब समझ नहीं आता। वो उन दोनों को वाही किचेन में छोड़ के चली जाती है।प्रियंका माधवी का हाथ पकड़ के मरोड़ देती है।
प्रियंका:- कुत्ती कही की...इतनी जुबान कहा से आ गयी आज तेरे मुह में..कामिनी क्या बकवास कर रही थी?? देख तू अभी ऐसी बाते करेगी ना मैं तुझसे कभी बात नहीं करुँगी।
माधवी:- छोड़ ना आह्ह दर्द हो रहा है...ठीक है नहीं करुँगी...लेकिन तू ही सोच अब तेरा मेरा रिश्ता ही ऐसा बन गया है...अब तेरी खिंचाई नहीं करुँगी तो किसकी करुँगी??
प्रियंका:- चुप कर...और काम कर..वो दोनों ऐसेही हंसी मजाक करते हुए काम करने लगते है।इधर प्रभा सागर के रूम में उसे उठाने के लिए आती है। वो जानबुज के सागर को उठाने आयीं थी क्यू की उसे सागर को रिझाना जो था।
प्रभा देखती है की उसके कमरे का दरवाजा खुला था। वो चुप चाप अंदर आती है। सागर बेसुध हो के सो रहा था। प्रभा उसे देखती है। लेकिन वासना में लिप्त होने की वजह से उसकी नजर सीधे उसके लंड पे जाती हैं। सुबह जैसे सब लड़को का लंड थोडा टाइट रहता है वैसेही सागर का लंड टाइट था। उसने उसके पैंट में तम्बू बना रखा था। प्रभा उसे देख के मचलने लगती है। वो उसके और नजदीक जाती है। उसके पैंट पे रात के वीर्य के थोड़े दाग थे।प्रभा:- मन में..हाय स्स्स लगता है कल रात को मुठ मार के सोया है...किसके नाम से मारा होगा?? मीना के या मेरे?? उफ्फ्फ देखो तो सही कैसे खड़ा है अभी भी।प्रभा का मन उसे छूने के लिए ललायित हो उठा था।वो एक बार सागर को देखती है वो गहरी नींद सो रहा था। प्रभा आगे बढ़ के थोडा निचे झुकती है अपनी नाक उसके लंड के नजदीक ले जाके उसको सूँघती है।प्रभा:-उफ्फ्फ क्या खुशबु है अह्ह्ह्ह मेरी तो चूत गीली होने लगी है अह्ह्ह..प्रभा साडी के ऊपर से ही अपनी चूत दबाती है। प्रभा से रहा नहीं जाता वो धीरे से अपने होठ उसके तम्बू बने लंड पे रख देती है।और झट से उसको चूम के खड़ी हो जाती है और सागर का रिएक्शन देखने लगती है। सागर अब भी सो रहा था। प्रभा अब थोडा हिम्मत करके लंड को उंगली से टच करती है। जैसे ही वो उसे टच करती है उसे एक झटका सा लगता है। और सागर को भी थोडा अहसास होता है। वो करवट लेके दूसरी तरफ सो जाता है। प्रभा ये देख के डर जाती है। वो थोडा संभल जाती है और सागर को कमर से पकड़ कर हिलाते हुए उठाने लगती है।इस हड़बड़ाहट में प्रभा के साडी का पल्लू उसके छाती से सरक के हाथो पे आ जाता है।सागर करवट लेके उसकी तरफ मुद के जैसेही आँखे खोलता है तो उसे सीधे प्रभा की ब्लाउज से झांकती उसकी चुचिया दिखाई देती है। ओ थोड़ी देर उन्हेंहि देखते रहता है। प्रभा को जब ये समज आता है की सागर उसकी चुचिया देख रहा है तो वो थोडा शरमा जाती है और अपना पल्लू ठीक करती है।*
प्रभा:-चल उठ जा देख कितने बज रहे है।
सागर:- हा उठता हु..प्रभा उसकी चद्दर समेट में लग जाती है सागर उठ के बाथरूम चला जाता है।थोड़ी देर बाद सागर तैयार हो के हॉल में आता है।प्रियंका और माधवी उसे देख के खुसुर पुसुर खी खी करने लगती है। सागर ये देख के थोडा हैरान हो जाता है।उसे समज नहीं आता की वो कैसे प्रतिक्रिया दे। यही हाल माधवी का भी था। पता नहीं उसे सागर के सामने जाने से शर्म सी महसूस हो रही थी।प्रियंका तो जैसे नयी नवेली दुल्हन की तरह शरमा रही थी। और क्यू ना हो कल की रात उड़ दोनो के लिए सुहागरात जैसेही तो थीपूरा दिन उनकी मस्ती चलती रही।सागर ये जानके बहोत खुश हुआ की माधवी को सब पता चल चूका है और वो भी बहोत खुश है। क्यू की अब उसका रास्ता साफ़ था।आज रात को वो प्रियंका को अपने कमरे में ले जाके उसकी चुदाई कर सकता था।प्रियंका भी इसी खयाल से रोमांचित हो उठी थी। लेकिन प्रभा इसतरह सब घरपे रहने से अपने प्लान पे काम नहीं कर पा रही थी।
लेकिन शाम होते होते सागर और प्रियंका का प्लान भी फेल हो चूका था। प्रियंका के घर पे कुछ मेहमान आ गये थे तो उसे उसकी माँ ने घर बुला लिया उसकी मदत के लिये। दोनों का मूड ख़राब हो गया था।रात को खाना खाने के बाद सब अपने अपने कमरे में जा के सो गए थे। लेकिन जसवंत को छोड़ सब अपने अपने खयालो में डूबे थे। सागर और प्रियंका एक दूसरे के प्रभा सोच रही थी की वो अपनी इच्छा पूरी किस तरह करे। और माधवी कल रात के बारे में सोच रही थी।कल कैसे प्रियंका और सागर एक दूसरे के जिस्म से खेल रहे थे।कैसे सागर प्रियंका की चूत चाट रहा था और प्रियंका भी तो सागर का लंड चूस रही थी। और उनका वो खेल देख उसकी चूत भी गीली हो चुकी थी। कल ही क्या उसकी चूत तो आज भी गीली हो रही थी। उसे आज भी अपनी चूत को सहलाने की उसे रगड़ने की उसमे उंगली डाल के हिलाने की तीव्र इच्छा हो रही थी। और उस इच्छा को वो दबा भी नहीं पा रही थी। वो एक पढ़ाकू और जिज्ञासु लड़की थी। पहले उसे सेक्स को लेके कोई दिलचस्पी नहीं थी।लेकिन अब उसे सब मालुम करने की इच्छा थी। लेकिंन उसे कोई रास्ता सूझ नहीं रहा था।लेकिन उसे पूरा यकीं था की वो कोई ना कोई रास्ता जरूर निकाल लेगी।ये सब सोचते हुए वो अपनी गीली चूत सहला रही थी। वो उसे तब तक सहलाती रही जब तक उसका पानी ना निकल जाय।फिर वो शांति से सो गयी।
दूसरे दिन सुबह ही सागर कॉलेज के लिए निकल गया। जाते वक़्त उसका चेहरा लटका हुआ था।क्यू की उसकी इच्छा अधूरी जो रह गयी थी। और अब उसे 15 20 दिन वापस आने का चांस भी तो नहीं था।
माधवी तो तभी जाग गयी थी जब सागर और प्रियंका एक दूसरे को i love you कह रहे थे। वो प्रियंका को जानती थी की वो कैसी है मगर सागर उसका भाई भी प्रियंका से प्यार करता है ये सुन के वो हैरान थी।उसे समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करे...गुस्सा करे खुश हो या उठ के बैठ जाय और उनकी चोरी पकड़ ले या कुछ और...वो पूरी तरह से असमंजस में थी। पहली बात तो किसी लड़का लड़की को इतने करीब पहली बार देख रही थी और ऊपर से उसकी सबसे अच्छी सहेली और उसका सगा भाई ......ये सब उसे बहोत परेशां कर रहा था।
आखिर वो चुपचाप सोने का नाटक कर सब देखने लगी। जैसे प्रियंका और सागर एक दूसरे से लिपटा चिपटी बढाती गयी वैसे माधवी की बेचैनी भी बढ़ती गयी। वो जो देख रही थी वो सेक्स तो नहीं था पर सेक्स से कुछ कम भी नहीं था। उसके लिए चुदाई मतलब सिर्फ लंड और चूत का खेल था।लेकिन प्रियंका और सागर की किसिंग और लंड चूत को टच करना उसे चाटना चूसना ये सब देख उसे भी उत्तेजना महसूस होने लगी थी।
आज पहली बार उसकी चूत में उसे कुछ हलचल महसूस हुई थी। उसका हाथ अपने आप ही अपनी चूत पे चला गया था।अपनी गीली हो चुकी चूत को सहलाने में उसे एक अलग ही मजा आ रहा था।
जैसे जैसे उन दोनों का खेल आगे बढ़ता गया वैसे वैसे माधवी भी अपनी चूत रगड़ने लगी ....और आखिर में वो पल आया जिसमे उसे लगा वो स्वर्ग में पहोच गयी हो...हवा में उड़ने लगी हो...पांच मिनट तक उसकी चूत धड़ धड़ करती रही।उसकी चूत ऐसे धड़क रही थी जैसे दिल धड़कता है।
उसे इस बात का बिलकुल भी अंदाजा नहीं था की चूत को रगड़ने से इतना आंनद आता है।
सागर के जाने के बाद वो बहोत देर तक सोचती रही। बहोत ही अजीबो गरीब ख़याल उसके मन में आने लगे थे। सोचते सोचते वो कब सो गयी उसे भी पता नहीं चला।
सुबह जब उसकी आँख खुली तो देखा 8 बज गए थे। आज रविवार होने की वजह से माँ ने उसे उठाया नहीं था। उसने देखा प्रियंका भी सो रही है। उसने उसे जगाया।माधवी:- प्रियंका उठ आठ बज गए है...
प्रियंका:- सोने दे ना यार...बहोत नींद आ रही है..
माधवी:- हा नींद तो तुझे आएगी ही..रात को बहोत देर तक जो जग रही थी।प्रियंका:- हा ..नींद ही नही आ रही थी..
माधवी:- मैं उसकी बात नह कर रही...रात जो तू और भैया जो गुल खिला रहे थे उसकी बात कर रही हु....
प्रियंका को ये सुन के झटका सा लगा उसकी नींद एकदम से गायब हो गयी। वो उठ के बैठ गई और माधवी को देखने लगी। माधवी बहोत गुस्से में थी।
प्रियंका:- ये क्या बोल रही है??
माधवी:- चल जादा नाटक मत कर...मैंने सब देख लिया..
प्रियंका:- देख माधवी मैं तुझे आज बताने वाली थी...
माधवी:- रहने दे...मैं सब समझ गयी की तू यहाँ सोने के लिए क्यू आयी?
प्रियंका:- वो तो मैं हमेशा आती हु...हा ये सच है की मुझे सागर से मिलना था इसलिए ...
माधवी:- चल मुझे कुछ नहीं सुनना...तू उठ और चाय नाश्ता कर के निकल यहाँ से...आज के बाद यहाँ कभी मत आना..तेरी मेरी दोस्ती खत्म...प्रियंका ये सुन के रोने जैसी सूरत हो जाती है।उसकी आँखे नम हो जाती है। माधवी ये देख जोर जोर से हँसने लगती है।
माधवी:- ये क्या तू तो सच में डर गयी...पागल मैं तो मजाक कर रही थी। मुझे तुम दोनों के रिश्ते से कोई प्रॉब्लम नहीं है...बल्कि मैं बहोत खुश हु..
प्रियंका:- साली कामिनी...डरा दिया तूने मुझे...प्रियंका माधवी की बालो को पकड़ते हुए कहती है।
माधवी:- आह्ह्ह छोड़ दे वरना माँ बाबा को बता दूंगी...प्रियंका ये सुन के छोड़ देती है।
प्रियंका:- नहीं मेरी माँ ऐसा कुछ मत करना मैं तेरे हाथ जोड़ती हु...
माधवी:- हा ऐसेही हाथ जोड़ के रहना हमेशा वरना तू जानती है मैं क्या कर सकती हु...
प्रियंका:- हा मेरी माँ ऐसेही रहूंगी...
माधवी:-चल अब जल्दी से उठ तैयार हो जा तुझसे बहोत बातें करनी है...
प्रियंका:- किस बारे में...
माधवी:- कल रात के बारे में...
प्रियंका:- हा मुझे भी तुझे बताना है...
दोनों ख़ुशी ख़ुशी कमर समेटने में लग जाती है।
इधर सागर अब तक सो रहा था। प्रभा अपने सुबह के काम निपटा चुकी थी। जसवंत भी अपने कामो में लगा था।
प्रियंका और माधवी चाय नाश्ता करके प्रभा की मदत करने लगती है।
उन दोनों को किचेन में काम करते देख प्रभा कहती है...
प्रभा:- आज तुम दोनों ही बनाओ खाना...मैं थोडा स्टोर रूम की सफाई कर देती हु।सागर उठा नहीं अब तक..
माधवी:- ठीक है माँ..हा अभी तक सो रहा है..प्रियंका को भेज देती हु उसे उठाने..ये सुन के प्रियंका माधवी को चुपके से जोर से चिकोटी काटती है।
प्रभा:- नहीं रहने दो मैं ही उठा देती हु उसे..तुम दोनों जल्दी से खाना बनाओ....तुम्हे पढाई भी तो करनी है।
माधवी:- वो तो हमने कल रात को ही कर ली...और प्रियंका ने तो कुछ जादा ही करली..प्रभा:- मतलब??
माधवी:- अरे माँ बहोत होशियार हो गयी है ये...सिल्याबस के बाहर का भी पढने लगी है आजकल..
प्रभा:- अरे वाह...देख इसे कितनी मेहनती है सिख इससे कुछ..
माधवी:- हा मेहनती तो बहोत है। और कल रात मैंने उसे मेहनत करते हुए देखा...प्रभा को उसकी डबल मीनिंग बातो का मतलब समझ नहीं आता। वो उन दोनों को वाही किचेन में छोड़ के चली जाती है।प्रियंका माधवी का हाथ पकड़ के मरोड़ देती है।
प्रियंका:- कुत्ती कही की...इतनी जुबान कहा से आ गयी आज तेरे मुह में..कामिनी क्या बकवास कर रही थी?? देख तू अभी ऐसी बाते करेगी ना मैं तुझसे कभी बात नहीं करुँगी।
माधवी:- छोड़ ना आह्ह दर्द हो रहा है...ठीक है नहीं करुँगी...लेकिन तू ही सोच अब तेरा मेरा रिश्ता ही ऐसा बन गया है...अब तेरी खिंचाई नहीं करुँगी तो किसकी करुँगी??
प्रियंका:- चुप कर...और काम कर..वो दोनों ऐसेही हंसी मजाक करते हुए काम करने लगते है।इधर प्रभा सागर के रूम में उसे उठाने के लिए आती है। वो जानबुज के सागर को उठाने आयीं थी क्यू की उसे सागर को रिझाना जो था।
प्रभा देखती है की उसके कमरे का दरवाजा खुला था। वो चुप चाप अंदर आती है। सागर बेसुध हो के सो रहा था। प्रभा उसे देखती है। लेकिन वासना में लिप्त होने की वजह से उसकी नजर सीधे उसके लंड पे जाती हैं। सुबह जैसे सब लड़को का लंड थोडा टाइट रहता है वैसेही सागर का लंड टाइट था। उसने उसके पैंट में तम्बू बना रखा था। प्रभा उसे देख के मचलने लगती है। वो उसके और नजदीक जाती है। उसके पैंट पे रात के वीर्य के थोड़े दाग थे।प्रभा:- मन में..हाय स्स्स लगता है कल रात को मुठ मार के सोया है...किसके नाम से मारा होगा?? मीना के या मेरे?? उफ्फ्फ देखो तो सही कैसे खड़ा है अभी भी।प्रभा का मन उसे छूने के लिए ललायित हो उठा था।वो एक बार सागर को देखती है वो गहरी नींद सो रहा था। प्रभा आगे बढ़ के थोडा निचे झुकती है अपनी नाक उसके लंड के नजदीक ले जाके उसको सूँघती है।प्रभा:-उफ्फ्फ क्या खुशबु है अह्ह्ह्ह मेरी तो चूत गीली होने लगी है अह्ह्ह..प्रभा साडी के ऊपर से ही अपनी चूत दबाती है। प्रभा से रहा नहीं जाता वो धीरे से अपने होठ उसके तम्बू बने लंड पे रख देती है।और झट से उसको चूम के खड़ी हो जाती है और सागर का रिएक्शन देखने लगती है। सागर अब भी सो रहा था। प्रभा अब थोडा हिम्मत करके लंड को उंगली से टच करती है। जैसे ही वो उसे टच करती है उसे एक झटका सा लगता है। और सागर को भी थोडा अहसास होता है। वो करवट लेके दूसरी तरफ सो जाता है। प्रभा ये देख के डर जाती है। वो थोडा संभल जाती है और सागर को कमर से पकड़ कर हिलाते हुए उठाने लगती है।इस हड़बड़ाहट में प्रभा के साडी का पल्लू उसके छाती से सरक के हाथो पे आ जाता है।सागर करवट लेके उसकी तरफ मुद के जैसेही आँखे खोलता है तो उसे सीधे प्रभा की ब्लाउज से झांकती उसकी चुचिया दिखाई देती है। ओ थोड़ी देर उन्हेंहि देखते रहता है। प्रभा को जब ये समज आता है की सागर उसकी चुचिया देख रहा है तो वो थोडा शरमा जाती है और अपना पल्लू ठीक करती है।*
प्रभा:-चल उठ जा देख कितने बज रहे है।
सागर:- हा उठता हु..प्रभा उसकी चद्दर समेट में लग जाती है सागर उठ के बाथरूम चला जाता है।थोड़ी देर बाद सागर तैयार हो के हॉल में आता है।प्रियंका और माधवी उसे देख के खुसुर पुसुर खी खी करने लगती है। सागर ये देख के थोडा हैरान हो जाता है।उसे समज नहीं आता की वो कैसे प्रतिक्रिया दे। यही हाल माधवी का भी था। पता नहीं उसे सागर के सामने जाने से शर्म सी महसूस हो रही थी।प्रियंका तो जैसे नयी नवेली दुल्हन की तरह शरमा रही थी। और क्यू ना हो कल की रात उड़ दोनो के लिए सुहागरात जैसेही तो थीपूरा दिन उनकी मस्ती चलती रही।सागर ये जानके बहोत खुश हुआ की माधवी को सब पता चल चूका है और वो भी बहोत खुश है। क्यू की अब उसका रास्ता साफ़ था।आज रात को वो प्रियंका को अपने कमरे में ले जाके उसकी चुदाई कर सकता था।प्रियंका भी इसी खयाल से रोमांचित हो उठी थी। लेकिन प्रभा इसतरह सब घरपे रहने से अपने प्लान पे काम नहीं कर पा रही थी।
लेकिन शाम होते होते सागर और प्रियंका का प्लान भी फेल हो चूका था। प्रियंका के घर पे कुछ मेहमान आ गये थे तो उसे उसकी माँ ने घर बुला लिया उसकी मदत के लिये। दोनों का मूड ख़राब हो गया था।रात को खाना खाने के बाद सब अपने अपने कमरे में जा के सो गए थे। लेकिन जसवंत को छोड़ सब अपने अपने खयालो में डूबे थे। सागर और प्रियंका एक दूसरे के प्रभा सोच रही थी की वो अपनी इच्छा पूरी किस तरह करे। और माधवी कल रात के बारे में सोच रही थी।कल कैसे प्रियंका और सागर एक दूसरे के जिस्म से खेल रहे थे।कैसे सागर प्रियंका की चूत चाट रहा था और प्रियंका भी तो सागर का लंड चूस रही थी। और उनका वो खेल देख उसकी चूत भी गीली हो चुकी थी। कल ही क्या उसकी चूत तो आज भी गीली हो रही थी। उसे आज भी अपनी चूत को सहलाने की उसे रगड़ने की उसमे उंगली डाल के हिलाने की तीव्र इच्छा हो रही थी। और उस इच्छा को वो दबा भी नहीं पा रही थी। वो एक पढ़ाकू और जिज्ञासु लड़की थी। पहले उसे सेक्स को लेके कोई दिलचस्पी नहीं थी।लेकिन अब उसे सब मालुम करने की इच्छा थी। लेकिंन उसे कोई रास्ता सूझ नहीं रहा था।लेकिन उसे पूरा यकीं था की वो कोई ना कोई रास्ता जरूर निकाल लेगी।ये सब सोचते हुए वो अपनी गीली चूत सहला रही थी। वो उसे तब तक सहलाती रही जब तक उसका पानी ना निकल जाय।फिर वो शांति से सो गयी।
दूसरे दिन सुबह ही सागर कॉलेज के लिए निकल गया। जाते वक़्त उसका चेहरा लटका हुआ था।क्यू की उसकी इच्छा अधूरी जो रह गयी थी। और अब उसे 15 20 दिन वापस आने का चांस भी तो नहीं था।
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भाग 14
उस दिन सभी का मुड़ बहोत ख़राब था। लेकिन कुछ दिनों में सब नार्मल हो गया। प्रियंका कभी कभी सागर से फ़ोन पे बात कर लेती थी। प्रभा ने भी अपने आप पे काबू पा लिया था। लेकिन सिर्फ माधवी ही थी जो बहोत बेचैन थी। उसको जो चाहिए था वो उसे मिल नहीं रहा था "सेक्स की जानकारी"। उसने प्रियंका से बात करने की कोशिस की लेकिन प्रियंका आजकल अपने ही धून में रहती थी।उसकी जिज्ञासा बढती जा रही थी। फिलहाल वो राखी का इन्तजार कर रही थी जो कुछ दिनों में आने वाली थी।सिर्फ वो ही नहीं प्रियंका और प्रभा भी उसी बात का इन्तजार कर रही थी। क्यू की सागर जो आने वाला था।लेकिन उन सबको राखी तक इन्तजार करने की जरुरत नहीं पड़ी। सागर की तबियत अचानक ख़राब हो गयी थी। उसे फ़ूड पोइझनिंग हो गया था। जसवंत को खबर मिलते ही वो शहर जा के उसे डॉक्टर को दिखा के घर लेके आ गया। 2 3 दिन में सागर ठीक तो हो गया लेकिन बहोत कमजोर हो गया था। और 4 5 दिन बाद राखी भी आने वाली थी सो उसे घर पे ही रोक लिया।
इसी बिच प्रभा ने एक तिकड़म चलाया जिस के तहत उसने जसवंत को इस बात से मना लिया की वो सागर के साथ जाके शहर में रहे। सागर की बिमारी का बहना बनाके उसने जसवंत को इस बात के लिए मना लिया की वो अपनी सबसे छोटी बहन सुमन को यहाँ गाव ले आये। सुमन जसवंत की सबसे छोटी बहन थी। उसका पति फौज में था। वो अपने सास ससुर देवर देवरानी और अपने एकलौते बेटे के साथ पास के ही गाँव में रहती थी। उसकी उम्र 34 साल थी। उसका बीटा 5th में था।*जसवंत को भी ये सही लगा।वैसे भी वो सोच ही रहा था की अगले साल माधवी को भी शहर भेजे पढने के लिए। उनका एक फ्लैट भी था जो उसने इसी साल किरायदार से खाली करवा लिया था। उसने सोचा की यही सही होगा। सागर को हॉस्टल में भी रहना नहीं पड़ेगा बाहर का खाना भी नहीं खाना पड़ेगा और सुमन के बेटे का एडमिशन वो यही माधवी के स्कूल में करवा लेगा। कुछ महीनो की तो बात है।उसके बाद माधवी भी वही चली जायेगी और वो भी कभी गाँव तो कभी शहर ऐसे करके अपनी खेती का ख्याल भी रख सकता था। जो अगले साल करना था वो अभी कर लेते है।उसने तुरंत ही चंदू के साथ शहर जाके सारी चीजो का बंदोबस्त कर लिया। और सुमन को भी बुलावा भेज दिया।सुमन वैसे भी राखी के लिए आनेवाली ही थी।
सब सेट हो चूका था। लेकिन प्रभा के हिसाब से। प्रियंका और माधवी...खास करके प्रियंका बहोत दुखी थी। क्यू की ऐसे से तो सागर का गाँव आना बंद ही हो जाता। जब उनसे मिलना होगा तब माधवी और जसवंत जा के मिलके आ जाएंगे लेकिन उसका क्या होगा??माधवी थोड़ी दुखी थी क्यू की प्रभा को छोड़ वो कभी अकेली नहीं रही थी। सबके अपने फायदे थे और अपने नुक्सान लेकिन कोई करे भी तो क्या??मुश्किलें तो थी ही लेकिन उनमे से रास्ता निकालना ही तो जिंदगी है।
और माधवी ऐसी मुश्किलो में से रास्ता निकलने में माहिर थी। अब इन मुश्किलो से प्रियंका और अपने लिए कैसे रास्ता बनाएंगी ये तो आने वाला समय ही बता सकता था।राखी के बाद सागर और प्रभा शहर के लिए निकल गए। उन्हें छोड़ने के लिए माधवी और जसवंत भी गए थे। वहा सब सेट था। 3bhk फ्लैट था। सारी सुख सुविधा का इन्तजाम जसवंत ने कर दिया था।माधवी ने खुद के लिए मोबाइल लेने की जिद्द की। प्रभा को भी लगा की उसकी सहूलियत के लिए उसे मोबाइल दिला देना चाहिए। क्यू की अबतक तो वो प्रभा का ही मोबाइल जब उसे जरुरत होती तो इस्तमाल कर लिया करती थी।सागर और माधवी बाजार जाके मोबाइल ले आये। सागर ने प्रियंका के लिए भी एक मोबाइल और सिम ले लिया ताकि वो उससे बाते कर सके। और उसे माधवी को चुपके से प्रियंका को देने को कहा।
एक रात रुक के माधवी और जसवंत गाव वापस आ गए। सुमन ने घर की सारी जिम्मेदारी संभाल ली थी। वो और उसका बेटा पवन गेस्ट रूम में सेट हो गए थे।माधवी ने प्रियंका को मोबाइल दिया तो वो बहोत खुश ही गयी।खुश तो माधवी भी बहोत थी क्यू की उसके पास अब मोबाइल था और इंटरनेट से उसे पढाई से जुडी बहोत सी बाते आसानी से मिलने वाली थी। लेकिन वो उसका इस्तेमाल पढाई से जादा चुदाई की बाते जानने के लिए करने वाली थी।यहाँ प्रभा तो ख़ुशी के मारे फूली नहीं समां रही थी क्यू की अब वो आसानी से और आजादी से सागर के लंड का मजा लें सकती थी। और उसने उस हिसाब से पहले दिन से ही काम करना सुरु कर दिया था। उसे पता था की सागर पहले भी उसे नंगा देख मुठ मार चूका है। उसने उसे ऐसेही अपना जिस्म दिखा दिखा के पागल कर देने का प्रभा का इरादा था। ताकि सागर सामने से आके उसकी चुदाई करे। वो सागर के सामने जानबुज के अपना पल्लू साइड में कर के रखने लगी ताकि सागर को उसकी बड़ी बड़ी चुचिया की झलक मिलती रहे। सागर पहले पहले ध्यान नहीं गया लेकिन प्रभा उसके सामने ऐसी हरकते करती रही तो सागर का ध्यान अपने आप ही उसपे जाने लगा। सागर अब चुपके चुपके उसकी चुचियो को देखने लगा था। उसकी नंगी कमर नंगा पेट देख उसका लंड में तनाव आने लगा था। और जब प्रभा चलती तो उसकी मटकती गांड देख सागर अपना लंड मसले बिना नहीं रह पाता।
इसके लिए वो खुद को डांट भी देता की वो अपनी माँ को देख ऐसी हरकते करता है लेकिन वो जितना नहीं करने की सोचता उतना ही वो प्रभा की और आकर्षित होते जा रहा था। प्रभा ये देख के खुश थी की सागर उसकी और आकर्षित हो रहा है। प्रभा अब थोडा और आगे बढ़ने लगी थी। जब सागर कोल्लेज से घर आता वो उसे गले लगा लेती। वो अपनी चुचिया सागर के छाती पे दबा देती। सागर को पहले ये सब नार्मल लगा लेकिन अब वो जब भी प्रभा के गले लगता तो उसे थोडा और कसके अपनी और खिचता।कभी कभार उसका लंड प्रभा के चूत के आस पास छु जाता। प्रभा का प्लान काम कर रहा था। बात उससे आगे नहीं बढ़ रही थी। सागर अभी भी सिर्फ ऊपर ऊपर के मजे से खुश था। क्यू की प्रभा के मन की बात वो जनता नहीं था। और उसके मन में अपनी माँ की चुदाई का ख्याल अभी तक आया भी नहीं था। क्यू की रोज रात को प्रियंका से फ़ोन पे बात कर अपना पानी निकाल लेता था। प्रियंका भी बहोत मजे लेके अपनी चूत झाड़ लेती थी। वो दोनों बस उस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे जब वो दोनों अपनी इच्छा को पूरा कर सके।
*माधवी भी अब बहोत आगे बढ़ गयी थी। अपनी पढाई खत्म कर वो मोबाइल पे अपनी जिज्ञासा शांत करने में लग जाती। सुरु सुरु में सेक्स से रिलेटेड टॉपिक्स पढती। उसने बहोत दिनों तक सिर्फ वही पढ़ा। फिर धीरे धीरे वो पोर्न साईट पे जाके नंगी फ़ोटो देखने लगी।फ़ोटो में लड़को के लंड देख वो बहोत उत्तेजित हो उठती।लड़कियो की चिकनी चूत और गांड देख वो अपनी चूत और गांड को चिकना करने में लग गयी। उनकी चुचिया देख वो भी सोचती की मैं भी अपनी चुचिया बड़ी करू। और वो फिर अपने हाथो से अपनी चुचिया दबाना उनकी तेल मालिश करना ये सब करने लगी।
फिर माधवी मोबाइल पे चुदाई वाले वीडियो भी देखने लगी। वीडियो देख वो अपनी चूत को रगड़ के पानी निकालने लगी। कभी कभी तो रात में दो तिन बार वो उंगली से चूत की चुदाई करती। कुछ ही दिनों में माधवी बिलकुल बदल गयी थी। अब जब वो किसी लड़के को देखती तो सोचती की इसका लंड कैसा होगा?? कितना बड़ा होगा? ये मुझे चोदेगा क्या?? लेकिन वो सिर्फ सोचती लेकिन रियल में कभी उसने ट्राय नहीं किया और किसीने ट्राय किया तो उसे रेसपोंस भी नहीं दिया। लेकिन इनसब चीजो से उसके अंदर चुदाई के लिए प्यास बढ़ाने का काम जरूर किया था।अब उसकी सेक्स के बारे में जानकारी बहोत हो गयी थी।अब उसे रियल में चुदवाना था लेकिन अपने बाबा के रुतबे और डर के चलते हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी।
ऐसेही 15 दिन गुजर गए थे। प्रभा और सागर एक बार गाँव भी हो आये थे। वहा सब ठीक देख प्रभा को बहोत अच्छा लगा।
प्रियंका प्रभा और माधवी ही नहीं एक और औरत भी थी जो अब चुदाई की प्यासी हो चुकी थी और वो थी सुमन....।
सुमन *ऐसे तो शरीफ औरत थी मगर थी तो औरत ही। उसके भी अरमान थे। वैसे उसका पति फौज में था। वो साल में एक बार महीने भर की छुट्टी लेके आता था। उस वक़्त वो सुमन की जमके चुदाई करता था लेकिन बाकि के दिन तो बेचारी सुमन को अकेले ही काटने पड़ते थे। वहां उसके ससुराल में उसपे बहोत पाबंदिया थी। उस्की सास सौर देवर देवरानी सभी उसपे नजर रखते थे की वो कही फिसल ना जाय। अब मायके में वो आजाद थी। उसके ससुराल वाले उसे भेजना नहीं चाहते थे लेकिन जसवंत के उनपे बहोत अहसान थे। और सुमन के पति ने भी उसे इजाजत दे दी थी उनके पास और कोई चारा नहीं था।
सुमन अपने मायके में एके बड़ी खुश थी। वो अब अपने मर्जी की मालकिन थी। प्रभा नहीं होने के कारण वो अब उस घर की मालकिन थी। माधवी से उसकी हमेशा से ही बहोत बनती थी। वो उसे बहोत प्यार करती थी और माधवी भी अपनी बुआ से बहोत लगाव था। जब भी वो घर पे रहती तो उनका हंसी मजाक में वक़्त निकल जाता था। फिर माधवी अपने पढाई में और मोबाइल में खो जाती और सुमन अपीने बेटे को खाना खिलाना उसकी पढाई और फिर उसे सुलाना इन सब में। दिन भर सुमन अकेले ही घर में रहती थी।
सुरु के 4 5 दिन तो युही नार्मल गुजरे लेकिन तब सब बदल गया जब चंदू की वासना भरी नजर उसपे पड़ी।चंदू *तो था ही कमीना। पहले प्रभा पे उसकी नजर थी और अब सुमन पे। सुमन तो प्रभा से जवान थी और अकेली भी। चंदू जब सुरु सुरु में जसवंत का टिफिन लेने आता था तब सुमन को उसकी नजर का पता नहीं चला। लेकिन उसकी बुरी नियत का पता सुमन को जल्द ही चल गया। चंदू हमेशा उसकी उभरी हुई चुचियो को घूरते रहता। उसकी गांड को देख लंड मसलते रहता। सुमन पहले तो उसे नजरअंदाज करती रही मगर चंदू अब उसे छूने की भी कोशिस करने लगा था।एक तो सुमन बहोत दिनों से प्यासी और ऊपर से किसी मर्द का स्पर्श। उफ्फ्फ वो इससे सिहर उठती। उसे अच्छा भी लगता मगर चंदू था तो गैर मर्द ही।उसने सोचा की उसकी शिकायत वो जसवंत से कर दे मगर उसकी गरीबी को देख उसने खुद ही सोचा की अगर चंदू जादा ही कुछ करेगा तो वो उससे बात कर उसे समझा देगी और अगर फिर भी वो नहीं सुधरा तो फिर जसवंत को बोल देगी।
लेकिन एक दिन ऐसा हुआ की वो खुद ही उससे चुदवाने के लिये तड़प उठी।
एक दिन शाम को घर में गेहू खत्म हो गए थे।जसवंत खेतो से लौटा नहीं था। तो वो खुद ही गोडावून में गेहू लेने चली गयी। वहा जाके देखा तो चंदू वहा गोडावून के बाजू वाली दीवार से सट के पेशाब कर रहा था। सुमन की नजर उसपे पड़ी। सुमन ने देखा चंदू आराम से अपना लंड बाहर निकाल के पेशाब कर रहा था। उसका लंड देख के सुमन सर लेके पाँव तक काँप उठी। उसका लंड खड़ा नहीं था फिर भी काफी बड़ा था। उसके पति का लंड भी अच्छा खासा लंबा और मोटा था मगर चंदू का उससे भी बड़ा था। *चंदू ने तिरछी नजरो से देखा की सुमन उसके लंड को देख रही है और वो उसमे खो सी गयी है। चंदू ने मौके की नजाकत को ताड़ लिया।और अपना लंड हिलाने लगा। ये देख के सुमन के होश उड़ गए। वो वहा से भाग जाना चाहती थी मगर ना जाने कोनसी कशिस थी चंदू के लंड में की वो सब भूल सी गयी। चंदू ने हिला हिला के अपना लंड एकदम कडा कर लिया था। सुमन ये देख के अपने होठो पे जुबान फेरने लगी थी। उसके अंदर के दबे हुए अरमान अब उछल के बाहर आना चाहते थे। तभी किसी तेज आवाज से वो चौकी। उसने खुद को संभाला और वो गोड़ावून के अंदर चली गयी और गेहू की बोरी से गेहू निकालने लगी। चंदू ये देख उसके पीछे पीछे अंदर चला गया। उसे देख सुमन शरमा गयी। चंदू ने उसके चेहरे के भाव पढ़ लिए थे।उसे पता चल गया था की ये मछली फसने वाली है।
चंदू:-अरे दीदी क्या चाहिए?? मुझे कह दिया होता मैं हु ना आपकी सेवा के लिए।
सुमन:- वो गेहू लेने आयीं थी।
चंदू ने आगे बढ़ के सुमन के हाथो से बोरी अपने हाथ में लेली। बोरी लेते वक़्त उसने जानबुज के सुमन के हाथो को छुवा। सुमन को तो जैसे करंट सा लगा।
चंदू ने बोरी लेके सुमन से कहा...
चंदू :- दीदी आप थोडा साइड में हो जाओ मुझे उस्तरफ जाने दो...मैं गेहू बोरी में डाल देता हु...
वहा सारे आनाज रखे होने से बहोत ही कम जगह थी।
सुमन थोड़ी सरक के खड़ी हो गयी। लेकिन वो बहोत ही असमंजस में थी तो वो अपनी गांड चंदू की तरफ कर दी। चंदू ये देख के बहोत खुश हो गया। वो उस पतली सी जगह से निकलने लगा। जैसे ही वो सुमन के पीछे पहोंचा वो जानबुज के *उसपे गिर गया। सुमन वो कैसे गिरा ये देख नहीं पायी। लेकिन चंदू ने इस बात का बहोत फायदा उठा लिया। उसने अपना लंड सुमन के गांड से मस्त रगड़ लिया। सुमन को भी उसके खड़े लंड का अहसास बहोत अच्छेसे हुआ था। उसकी आँखे अपने आप बंद हो गयी। ये सब कुछ ही पलो में हुआ लेकिन उसका जादू सुमन पे चल चूका था। उसका। चेहरा लाल हो गया था।
चंदू:- माफ़ करना दीदी...वो पैर अटक गया था।
सुमन:- कोई बात नहीं...वो निचे देख शरमा के बोली।
चंदू को अब पूरा यकीं हो गया था की सुमन फंस गयी है। लेकिन चंदू बहोत खिलाड़ी था। उसे पता था की जब तक फल पक ना जाय उसे खाना नहीं चाहिए। सुमन वही खड़ी उसे गौर से देखने लगी। उसका लंड तो वो देख ही चुकी थी अब वो उसका कसरती शरीर देख पूरी तरह मोहित हो चुकी थी। चंदू ने बोरी में गेहू दाल दिया था। वो वापस पलटा बोरी का मुह दोनों हातो से पकड़ा और उसके मुह के पास अपना लंड सटा दिया और सुमन से कहने लगा....
चंदू:- दीदी आप इसे पकड़ोगी?? मैं रस्सी से बाँध लेता हु।
सुमन ने देखा की वो पकड़ने के लिए तो बोरी कह रहा है मगर इशारा लंड की तरफ कर रहा था। सुमन ऐसेही मुँहफट और बिनधास्त टाइप की थी। ऐसी डबल मीनिंग वाली बाते उसे जल्द ही समझ आ जाती थी।
सुमन:- हा दो ना पकड़ती हु...कसके पकडू??
चंदू सुमन का रेसपोंस देख मन ही मन खुश होने लगा था।
चंदू:- जैसे आप पकड़ना चाहो वैसे पकड़ो...
सुमन:-कसके पकड़ती हु...कही छूट ना जाय।
चंदू:- आप उसकी चिंता मत करो...मेरा जल्दी नहीं छूटता...
सुमन:- ये सब तो पकड़ने वाले पे होता है...
चंदू:- हा ये भी है...
सुमन आगे बढ़ के निचे बैठ जाती है और बोरी को पकड़ने के लिए हाथ आगे बढ़ाती है। चंदू ये देख अपना लंण्ड और भी आगे करता है। सुमन चंदू की तरफ देखती है और एक नटखट भरी स्माइल के साथ अपना हाथ चंदू के लंड से रगड़ते हुए बोरी को पकड़ लेती है। चंदू सुमन के हाथो का स्पर्श अपने लंड पे पाके मदमस्त हो उठा था। उसे यकीं नहीं हो रहा था की सुमन इतने जल्दी पट जायेगी। वो रस्सी से बोरी को बाँध देता है और कंधे पे उठा लेता है। सुमन बाहर आती है। चंदू भी उसके पीछे पीछे बाहर आ जाता है।
चंदू:- दीदी जरा ताला लगा देना।
सुमन गोडावून बंद करने लगती है। लेकिन वो पुराना लॉक होने से उससे बंद नहीं हो पा रहा था।
सुमन: *जंग लग गया है...चाबी अंदर जा नहीं रही।
चंदू:- हा दीदी ताले के छेद में बहोत दिनों से कोई चाबी नहीं गयी है इसलिए छेद में जंग लग गया है।छेद को पहले ऑइल डाल के गिला करना पड़ेगा तब चाबी आसानी से अंदर चली जायेगि।
सुमन:- हा सच कहा ...काफी दिनों तक ताले में चाबी नहीं जाय तो उसे जंग लग ही जाता है...फिर उसे धीरे से गिला करके अंदर डालना पड़ता है।
चंदू:- हा सच कह रही हो तुम...बिना गिला किये अंदर जाएगा ही नहीं...
सुमन:- लेकिन सिर्फ ताले का छेद ही नहीं...चाबी को भी ऑइल से गिला करना पड़ेगा...तभी काम बनेगा।
चंदू:- हा दीदी वो तो है...लाओ मैं मैं छेद और चाबी दोनों गीली करके लाता हु।
सुमन और चंदू ऐसी बाते करके एक दूसरे को ग्रीन सिग्नल दे रहे थे।सुमन की चूत तो गीली होने लगी थी।
सुमन के अंदर वासान अब पुरे उफान पर थी। अगर चंदू उसे वही गोडावून में चोदना चाहता तो वो वही उससे चुदवा लेती। लेकिन चंदू बहोत चालाक था। उसे पता था की यहाँ ये सब करना जोखिम का काम था क्यू की जसवंत अभी कुछ ही देर में वहा अपने खेती का सामन रखने आने वाला था।
चंदू ताले को ऑइल लगाके ले आया। उसने ताला लगाया और वो दोनों घर आ गए।
उस दिन सभी का मुड़ बहोत ख़राब था। लेकिन कुछ दिनों में सब नार्मल हो गया। प्रियंका कभी कभी सागर से फ़ोन पे बात कर लेती थी। प्रभा ने भी अपने आप पे काबू पा लिया था। लेकिन सिर्फ माधवी ही थी जो बहोत बेचैन थी। उसको जो चाहिए था वो उसे मिल नहीं रहा था "सेक्स की जानकारी"। उसने प्रियंका से बात करने की कोशिस की लेकिन प्रियंका आजकल अपने ही धून में रहती थी।उसकी जिज्ञासा बढती जा रही थी। फिलहाल वो राखी का इन्तजार कर रही थी जो कुछ दिनों में आने वाली थी।सिर्फ वो ही नहीं प्रियंका और प्रभा भी उसी बात का इन्तजार कर रही थी। क्यू की सागर जो आने वाला था।लेकिन उन सबको राखी तक इन्तजार करने की जरुरत नहीं पड़ी। सागर की तबियत अचानक ख़राब हो गयी थी। उसे फ़ूड पोइझनिंग हो गया था। जसवंत को खबर मिलते ही वो शहर जा के उसे डॉक्टर को दिखा के घर लेके आ गया। 2 3 दिन में सागर ठीक तो हो गया लेकिन बहोत कमजोर हो गया था। और 4 5 दिन बाद राखी भी आने वाली थी सो उसे घर पे ही रोक लिया।
इसी बिच प्रभा ने एक तिकड़म चलाया जिस के तहत उसने जसवंत को इस बात से मना लिया की वो सागर के साथ जाके शहर में रहे। सागर की बिमारी का बहना बनाके उसने जसवंत को इस बात के लिए मना लिया की वो अपनी सबसे छोटी बहन सुमन को यहाँ गाव ले आये। सुमन जसवंत की सबसे छोटी बहन थी। उसका पति फौज में था। वो अपने सास ससुर देवर देवरानी और अपने एकलौते बेटे के साथ पास के ही गाँव में रहती थी। उसकी उम्र 34 साल थी। उसका बीटा 5th में था।*जसवंत को भी ये सही लगा।वैसे भी वो सोच ही रहा था की अगले साल माधवी को भी शहर भेजे पढने के लिए। उनका एक फ्लैट भी था जो उसने इसी साल किरायदार से खाली करवा लिया था। उसने सोचा की यही सही होगा। सागर को हॉस्टल में भी रहना नहीं पड़ेगा बाहर का खाना भी नहीं खाना पड़ेगा और सुमन के बेटे का एडमिशन वो यही माधवी के स्कूल में करवा लेगा। कुछ महीनो की तो बात है।उसके बाद माधवी भी वही चली जायेगी और वो भी कभी गाँव तो कभी शहर ऐसे करके अपनी खेती का ख्याल भी रख सकता था। जो अगले साल करना था वो अभी कर लेते है।उसने तुरंत ही चंदू के साथ शहर जाके सारी चीजो का बंदोबस्त कर लिया। और सुमन को भी बुलावा भेज दिया।सुमन वैसे भी राखी के लिए आनेवाली ही थी।
सब सेट हो चूका था। लेकिन प्रभा के हिसाब से। प्रियंका और माधवी...खास करके प्रियंका बहोत दुखी थी। क्यू की ऐसे से तो सागर का गाँव आना बंद ही हो जाता। जब उनसे मिलना होगा तब माधवी और जसवंत जा के मिलके आ जाएंगे लेकिन उसका क्या होगा??माधवी थोड़ी दुखी थी क्यू की प्रभा को छोड़ वो कभी अकेली नहीं रही थी। सबके अपने फायदे थे और अपने नुक्सान लेकिन कोई करे भी तो क्या??मुश्किलें तो थी ही लेकिन उनमे से रास्ता निकालना ही तो जिंदगी है।
और माधवी ऐसी मुश्किलो में से रास्ता निकलने में माहिर थी। अब इन मुश्किलो से प्रियंका और अपने लिए कैसे रास्ता बनाएंगी ये तो आने वाला समय ही बता सकता था।राखी के बाद सागर और प्रभा शहर के लिए निकल गए। उन्हें छोड़ने के लिए माधवी और जसवंत भी गए थे। वहा सब सेट था। 3bhk फ्लैट था। सारी सुख सुविधा का इन्तजाम जसवंत ने कर दिया था।माधवी ने खुद के लिए मोबाइल लेने की जिद्द की। प्रभा को भी लगा की उसकी सहूलियत के लिए उसे मोबाइल दिला देना चाहिए। क्यू की अबतक तो वो प्रभा का ही मोबाइल जब उसे जरुरत होती तो इस्तमाल कर लिया करती थी।सागर और माधवी बाजार जाके मोबाइल ले आये। सागर ने प्रियंका के लिए भी एक मोबाइल और सिम ले लिया ताकि वो उससे बाते कर सके। और उसे माधवी को चुपके से प्रियंका को देने को कहा।
एक रात रुक के माधवी और जसवंत गाव वापस आ गए। सुमन ने घर की सारी जिम्मेदारी संभाल ली थी। वो और उसका बेटा पवन गेस्ट रूम में सेट हो गए थे।माधवी ने प्रियंका को मोबाइल दिया तो वो बहोत खुश ही गयी।खुश तो माधवी भी बहोत थी क्यू की उसके पास अब मोबाइल था और इंटरनेट से उसे पढाई से जुडी बहोत सी बाते आसानी से मिलने वाली थी। लेकिन वो उसका इस्तेमाल पढाई से जादा चुदाई की बाते जानने के लिए करने वाली थी।यहाँ प्रभा तो ख़ुशी के मारे फूली नहीं समां रही थी क्यू की अब वो आसानी से और आजादी से सागर के लंड का मजा लें सकती थी। और उसने उस हिसाब से पहले दिन से ही काम करना सुरु कर दिया था। उसे पता था की सागर पहले भी उसे नंगा देख मुठ मार चूका है। उसने उसे ऐसेही अपना जिस्म दिखा दिखा के पागल कर देने का प्रभा का इरादा था। ताकि सागर सामने से आके उसकी चुदाई करे। वो सागर के सामने जानबुज के अपना पल्लू साइड में कर के रखने लगी ताकि सागर को उसकी बड़ी बड़ी चुचिया की झलक मिलती रहे। सागर पहले पहले ध्यान नहीं गया लेकिन प्रभा उसके सामने ऐसी हरकते करती रही तो सागर का ध्यान अपने आप ही उसपे जाने लगा। सागर अब चुपके चुपके उसकी चुचियो को देखने लगा था। उसकी नंगी कमर नंगा पेट देख उसका लंड में तनाव आने लगा था। और जब प्रभा चलती तो उसकी मटकती गांड देख सागर अपना लंड मसले बिना नहीं रह पाता।
इसके लिए वो खुद को डांट भी देता की वो अपनी माँ को देख ऐसी हरकते करता है लेकिन वो जितना नहीं करने की सोचता उतना ही वो प्रभा की और आकर्षित होते जा रहा था। प्रभा ये देख के खुश थी की सागर उसकी और आकर्षित हो रहा है। प्रभा अब थोडा और आगे बढ़ने लगी थी। जब सागर कोल्लेज से घर आता वो उसे गले लगा लेती। वो अपनी चुचिया सागर के छाती पे दबा देती। सागर को पहले ये सब नार्मल लगा लेकिन अब वो जब भी प्रभा के गले लगता तो उसे थोडा और कसके अपनी और खिचता।कभी कभार उसका लंड प्रभा के चूत के आस पास छु जाता। प्रभा का प्लान काम कर रहा था। बात उससे आगे नहीं बढ़ रही थी। सागर अभी भी सिर्फ ऊपर ऊपर के मजे से खुश था। क्यू की प्रभा के मन की बात वो जनता नहीं था। और उसके मन में अपनी माँ की चुदाई का ख्याल अभी तक आया भी नहीं था। क्यू की रोज रात को प्रियंका से फ़ोन पे बात कर अपना पानी निकाल लेता था। प्रियंका भी बहोत मजे लेके अपनी चूत झाड़ लेती थी। वो दोनों बस उस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे जब वो दोनों अपनी इच्छा को पूरा कर सके।
*माधवी भी अब बहोत आगे बढ़ गयी थी। अपनी पढाई खत्म कर वो मोबाइल पे अपनी जिज्ञासा शांत करने में लग जाती। सुरु सुरु में सेक्स से रिलेटेड टॉपिक्स पढती। उसने बहोत दिनों तक सिर्फ वही पढ़ा। फिर धीरे धीरे वो पोर्न साईट पे जाके नंगी फ़ोटो देखने लगी।फ़ोटो में लड़को के लंड देख वो बहोत उत्तेजित हो उठती।लड़कियो की चिकनी चूत और गांड देख वो अपनी चूत और गांड को चिकना करने में लग गयी। उनकी चुचिया देख वो भी सोचती की मैं भी अपनी चुचिया बड़ी करू। और वो फिर अपने हाथो से अपनी चुचिया दबाना उनकी तेल मालिश करना ये सब करने लगी।
फिर माधवी मोबाइल पे चुदाई वाले वीडियो भी देखने लगी। वीडियो देख वो अपनी चूत को रगड़ के पानी निकालने लगी। कभी कभी तो रात में दो तिन बार वो उंगली से चूत की चुदाई करती। कुछ ही दिनों में माधवी बिलकुल बदल गयी थी। अब जब वो किसी लड़के को देखती तो सोचती की इसका लंड कैसा होगा?? कितना बड़ा होगा? ये मुझे चोदेगा क्या?? लेकिन वो सिर्फ सोचती लेकिन रियल में कभी उसने ट्राय नहीं किया और किसीने ट्राय किया तो उसे रेसपोंस भी नहीं दिया। लेकिन इनसब चीजो से उसके अंदर चुदाई के लिए प्यास बढ़ाने का काम जरूर किया था।अब उसकी सेक्स के बारे में जानकारी बहोत हो गयी थी।अब उसे रियल में चुदवाना था लेकिन अपने बाबा के रुतबे और डर के चलते हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी।
ऐसेही 15 दिन गुजर गए थे। प्रभा और सागर एक बार गाँव भी हो आये थे। वहा सब ठीक देख प्रभा को बहोत अच्छा लगा।
प्रियंका प्रभा और माधवी ही नहीं एक और औरत भी थी जो अब चुदाई की प्यासी हो चुकी थी और वो थी सुमन....।
सुमन *ऐसे तो शरीफ औरत थी मगर थी तो औरत ही। उसके भी अरमान थे। वैसे उसका पति फौज में था। वो साल में एक बार महीने भर की छुट्टी लेके आता था। उस वक़्त वो सुमन की जमके चुदाई करता था लेकिन बाकि के दिन तो बेचारी सुमन को अकेले ही काटने पड़ते थे। वहां उसके ससुराल में उसपे बहोत पाबंदिया थी। उस्की सास सौर देवर देवरानी सभी उसपे नजर रखते थे की वो कही फिसल ना जाय। अब मायके में वो आजाद थी। उसके ससुराल वाले उसे भेजना नहीं चाहते थे लेकिन जसवंत के उनपे बहोत अहसान थे। और सुमन के पति ने भी उसे इजाजत दे दी थी उनके पास और कोई चारा नहीं था।
सुमन अपने मायके में एके बड़ी खुश थी। वो अब अपने मर्जी की मालकिन थी। प्रभा नहीं होने के कारण वो अब उस घर की मालकिन थी। माधवी से उसकी हमेशा से ही बहोत बनती थी। वो उसे बहोत प्यार करती थी और माधवी भी अपनी बुआ से बहोत लगाव था। जब भी वो घर पे रहती तो उनका हंसी मजाक में वक़्त निकल जाता था। फिर माधवी अपने पढाई में और मोबाइल में खो जाती और सुमन अपीने बेटे को खाना खिलाना उसकी पढाई और फिर उसे सुलाना इन सब में। दिन भर सुमन अकेले ही घर में रहती थी।
सुरु के 4 5 दिन तो युही नार्मल गुजरे लेकिन तब सब बदल गया जब चंदू की वासना भरी नजर उसपे पड़ी।चंदू *तो था ही कमीना। पहले प्रभा पे उसकी नजर थी और अब सुमन पे। सुमन तो प्रभा से जवान थी और अकेली भी। चंदू जब सुरु सुरु में जसवंत का टिफिन लेने आता था तब सुमन को उसकी नजर का पता नहीं चला। लेकिन उसकी बुरी नियत का पता सुमन को जल्द ही चल गया। चंदू हमेशा उसकी उभरी हुई चुचियो को घूरते रहता। उसकी गांड को देख लंड मसलते रहता। सुमन पहले तो उसे नजरअंदाज करती रही मगर चंदू अब उसे छूने की भी कोशिस करने लगा था।एक तो सुमन बहोत दिनों से प्यासी और ऊपर से किसी मर्द का स्पर्श। उफ्फ्फ वो इससे सिहर उठती। उसे अच्छा भी लगता मगर चंदू था तो गैर मर्द ही।उसने सोचा की उसकी शिकायत वो जसवंत से कर दे मगर उसकी गरीबी को देख उसने खुद ही सोचा की अगर चंदू जादा ही कुछ करेगा तो वो उससे बात कर उसे समझा देगी और अगर फिर भी वो नहीं सुधरा तो फिर जसवंत को बोल देगी।
लेकिन एक दिन ऐसा हुआ की वो खुद ही उससे चुदवाने के लिये तड़प उठी।
एक दिन शाम को घर में गेहू खत्म हो गए थे।जसवंत खेतो से लौटा नहीं था। तो वो खुद ही गोडावून में गेहू लेने चली गयी। वहा जाके देखा तो चंदू वहा गोडावून के बाजू वाली दीवार से सट के पेशाब कर रहा था। सुमन की नजर उसपे पड़ी। सुमन ने देखा चंदू आराम से अपना लंड बाहर निकाल के पेशाब कर रहा था। उसका लंड देख के सुमन सर लेके पाँव तक काँप उठी। उसका लंड खड़ा नहीं था फिर भी काफी बड़ा था। उसके पति का लंड भी अच्छा खासा लंबा और मोटा था मगर चंदू का उससे भी बड़ा था। *चंदू ने तिरछी नजरो से देखा की सुमन उसके लंड को देख रही है और वो उसमे खो सी गयी है। चंदू ने मौके की नजाकत को ताड़ लिया।और अपना लंड हिलाने लगा। ये देख के सुमन के होश उड़ गए। वो वहा से भाग जाना चाहती थी मगर ना जाने कोनसी कशिस थी चंदू के लंड में की वो सब भूल सी गयी। चंदू ने हिला हिला के अपना लंड एकदम कडा कर लिया था। सुमन ये देख के अपने होठो पे जुबान फेरने लगी थी। उसके अंदर के दबे हुए अरमान अब उछल के बाहर आना चाहते थे। तभी किसी तेज आवाज से वो चौकी। उसने खुद को संभाला और वो गोड़ावून के अंदर चली गयी और गेहू की बोरी से गेहू निकालने लगी। चंदू ये देख उसके पीछे पीछे अंदर चला गया। उसे देख सुमन शरमा गयी। चंदू ने उसके चेहरे के भाव पढ़ लिए थे।उसे पता चल गया था की ये मछली फसने वाली है।
चंदू:-अरे दीदी क्या चाहिए?? मुझे कह दिया होता मैं हु ना आपकी सेवा के लिए।
सुमन:- वो गेहू लेने आयीं थी।
चंदू ने आगे बढ़ के सुमन के हाथो से बोरी अपने हाथ में लेली। बोरी लेते वक़्त उसने जानबुज के सुमन के हाथो को छुवा। सुमन को तो जैसे करंट सा लगा।
चंदू ने बोरी लेके सुमन से कहा...
चंदू :- दीदी आप थोडा साइड में हो जाओ मुझे उस्तरफ जाने दो...मैं गेहू बोरी में डाल देता हु...
वहा सारे आनाज रखे होने से बहोत ही कम जगह थी।
सुमन थोड़ी सरक के खड़ी हो गयी। लेकिन वो बहोत ही असमंजस में थी तो वो अपनी गांड चंदू की तरफ कर दी। चंदू ये देख के बहोत खुश हो गया। वो उस पतली सी जगह से निकलने लगा। जैसे ही वो सुमन के पीछे पहोंचा वो जानबुज के *उसपे गिर गया। सुमन वो कैसे गिरा ये देख नहीं पायी। लेकिन चंदू ने इस बात का बहोत फायदा उठा लिया। उसने अपना लंड सुमन के गांड से मस्त रगड़ लिया। सुमन को भी उसके खड़े लंड का अहसास बहोत अच्छेसे हुआ था। उसकी आँखे अपने आप बंद हो गयी। ये सब कुछ ही पलो में हुआ लेकिन उसका जादू सुमन पे चल चूका था। उसका। चेहरा लाल हो गया था।
चंदू:- माफ़ करना दीदी...वो पैर अटक गया था।
सुमन:- कोई बात नहीं...वो निचे देख शरमा के बोली।
चंदू को अब पूरा यकीं हो गया था की सुमन फंस गयी है। लेकिन चंदू बहोत खिलाड़ी था। उसे पता था की जब तक फल पक ना जाय उसे खाना नहीं चाहिए। सुमन वही खड़ी उसे गौर से देखने लगी। उसका लंड तो वो देख ही चुकी थी अब वो उसका कसरती शरीर देख पूरी तरह मोहित हो चुकी थी। चंदू ने बोरी में गेहू दाल दिया था। वो वापस पलटा बोरी का मुह दोनों हातो से पकड़ा और उसके मुह के पास अपना लंड सटा दिया और सुमन से कहने लगा....
चंदू:- दीदी आप इसे पकड़ोगी?? मैं रस्सी से बाँध लेता हु।
सुमन ने देखा की वो पकड़ने के लिए तो बोरी कह रहा है मगर इशारा लंड की तरफ कर रहा था। सुमन ऐसेही मुँहफट और बिनधास्त टाइप की थी। ऐसी डबल मीनिंग वाली बाते उसे जल्द ही समझ आ जाती थी।
सुमन:- हा दो ना पकड़ती हु...कसके पकडू??
चंदू सुमन का रेसपोंस देख मन ही मन खुश होने लगा था।
चंदू:- जैसे आप पकड़ना चाहो वैसे पकड़ो...
सुमन:-कसके पकड़ती हु...कही छूट ना जाय।
चंदू:- आप उसकी चिंता मत करो...मेरा जल्दी नहीं छूटता...
सुमन:- ये सब तो पकड़ने वाले पे होता है...
चंदू:- हा ये भी है...
सुमन आगे बढ़ के निचे बैठ जाती है और बोरी को पकड़ने के लिए हाथ आगे बढ़ाती है। चंदू ये देख अपना लंण्ड और भी आगे करता है। सुमन चंदू की तरफ देखती है और एक नटखट भरी स्माइल के साथ अपना हाथ चंदू के लंड से रगड़ते हुए बोरी को पकड़ लेती है। चंदू सुमन के हाथो का स्पर्श अपने लंड पे पाके मदमस्त हो उठा था। उसे यकीं नहीं हो रहा था की सुमन इतने जल्दी पट जायेगी। वो रस्सी से बोरी को बाँध देता है और कंधे पे उठा लेता है। सुमन बाहर आती है। चंदू भी उसके पीछे पीछे बाहर आ जाता है।
चंदू:- दीदी जरा ताला लगा देना।
सुमन गोडावून बंद करने लगती है। लेकिन वो पुराना लॉक होने से उससे बंद नहीं हो पा रहा था।
सुमन: *जंग लग गया है...चाबी अंदर जा नहीं रही।
चंदू:- हा दीदी ताले के छेद में बहोत दिनों से कोई चाबी नहीं गयी है इसलिए छेद में जंग लग गया है।छेद को पहले ऑइल डाल के गिला करना पड़ेगा तब चाबी आसानी से अंदर चली जायेगि।
सुमन:- हा सच कहा ...काफी दिनों तक ताले में चाबी नहीं जाय तो उसे जंग लग ही जाता है...फिर उसे धीरे से गिला करके अंदर डालना पड़ता है।
चंदू:- हा सच कह रही हो तुम...बिना गिला किये अंदर जाएगा ही नहीं...
सुमन:- लेकिन सिर्फ ताले का छेद ही नहीं...चाबी को भी ऑइल से गिला करना पड़ेगा...तभी काम बनेगा।
चंदू:- हा दीदी वो तो है...लाओ मैं मैं छेद और चाबी दोनों गीली करके लाता हु।
सुमन और चंदू ऐसी बाते करके एक दूसरे को ग्रीन सिग्नल दे रहे थे।सुमन की चूत तो गीली होने लगी थी।
सुमन के अंदर वासान अब पुरे उफान पर थी। अगर चंदू उसे वही गोडावून में चोदना चाहता तो वो वही उससे चुदवा लेती। लेकिन चंदू बहोत चालाक था। उसे पता था की यहाँ ये सब करना जोखिम का काम था क्यू की जसवंत अभी कुछ ही देर में वहा अपने खेती का सामन रखने आने वाला था।
चंदू ताले को ऑइल लगाके ले आया। उसने ताला लगाया और वो दोनों घर आ गए।
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भाग 15
उस रात सुमन रातभर तड़पती रही।वो महीनो अपने पति से दूर रहती थी लेकिन ऐसी तड़प उसे कभी महसूस नहीं हुई।
दूसरे दिन वो चंदू के आने का बेसब्री से इन्तजार कर रही थी। जैसे ही उसने चंदू की आवाज सुनी वो दौड़ती हुई टिफिन लेके जाने लगी। चंदू बाहर ही खड़ा था। उसने चंदू को आवाज लगा के अंदर बुलाया। इस वक़्त वो घर पे अकेली ही रहती थी। चंदू भी ये बात जनता था।चंदू अंदर गया। टिफिन लेते वक़्त जानबुज के सुमन का हाथ छु लिया। सुमन को अब उससे कोई ऐतराज नहीं था। वो चंदू से चुदवाने का फैसला कर चुकी थी।
वो एकदूसरे को देख मुस्कुराह रहे थे।
चंदू:- आज क्या दिया है टिफिन में??
सुमन:- बैगन का भर्ता है...क्यू ??
चंदू:- कुछ नहीं ऐसेही पूछ रहा हु...
सुमन:-क्यू तुम्हारे टिफिन में क्या है??
चंदू:-कुछ पता नहीं...पूछा नहीं घरवाली से।
सुमन:- तुम्हारा मन है कुछ खाने का तो बता देना अभी बना देती हु...
चंदू:-(उसकी चुचियो को देख) मेरा मन तो बहोत कुछ खाने का है दीदी...
सुमन उसको अपनी चुचियो देख आहे भरते हुए देखा तो उसके शरीर में सुरसुरी सी दौड़ पड़ी।
सुमन:- फिर भी कुछ खास....
चंदू:-खास तो सभी कुछ है...गरीब के लिए जो मिले वो ही सही।
सुमन:-एक अछिसि दावत के बारे में क्या ख्याल है??
चंदू:-फिर तो मजा ही आ जायेगा।
सुमन:- मजा तो बहोत आएगा ...खाने वाले को भी और खिलाने वाली को भी...
चंदू:- फिर कब दोगी....दावत?
सुमन:-तुम्हारा जब मन करे ले लेना....दावत...बस तुम मुझे पहले बता देना...ताकि मैं तैयारी कर के रखु...
चंदू:- मेरा मन तो कर रहा है अभी ले लू...लेकिन अभी मुझे खेतो में काम है...जसवंत भैया राह देख रहे होंगे...
सुमन:- ठीक है जैसा तुम कहो...
चंदू:- जल्दी जल्दी में मजा नहीं आएगा...
सुमन:- हा ये तो सही बात है...जल्दी जल्दी में मजा नहीं आएगा...
चंदू:- बड़ी समझदार हो गयी हो दीदी तुम...
सुमन:-वक़्त और हालात बना देते है...
चंदू को अब पूरा यकीन हो गया था की सुमन अब पूरी तरह से उसके वश में है। वो थोडा आगे बढ़ के सुमन के नजदीक जाता है ...उसकी कमर को पकड़ के अपनी और खीच लेता है। सुमन को भी यही चाहिए था। लेकिन औरत थी थोडा ना नुकुर तो बनाता है।
सुमन:- अह्ह्ह क्या कर रहे हो चंदू...कोई आ जायेगा...दरवाजा खुला है।
चंदू:- स्स्स कोई नहीं आएगा...बड़ी आग लगी है क्या तुझमे??
सुमन:- आह्ह हा आग तो कब से लगी पड़ी है...
चंदू:- क्यू वह ससुराल में कोई नहीं क्या तुम्हारी आग बुझाने वाला??
सुमन:- नहीं ना...इसीलिए तो तड़प रही हु...और तुम हो की..यहाँ पूरी दावत पड़ी है तुम्हारे सामने और तुम्हे खेत जाना है अह्ह्ह्ह
चंदू:-क्या करू ...काम है..थोडा चख तो लू इस दावत का स्वाद कैसा है??
चंदू उसको किस करना चाहता है लेकिन सुमन उसे रोक लेती है।
सुमन:- ऊ..हु...अभी नहीं...कुछ चखने नहीं मिलेगा..
चंदू:- ठीक है...जैसी तुम्हारी मर्जी...मैं देखता हु दोपहर में कुछ काम निकाल के आ पाया तो...
सुमन:- ठीक है मैं इन्तजार करुँगी...
चंदू उसे छोड़ देता है और जाने लगता है।
सुमन:- अह्ह्ह्ह रुको तो सही...सुमन उसका लंड पैंट के ऊपर से पकड़ लेती है। उसके लंड को साइज़ देख उसके मन में गुब्बारे फूटने लगते है। जरा देखु तो सही जिस चमच से दावत खाने वाले हो वो कैसा है??
चंदू:- स्स्स नहीं अब तुम भी इंतजार करो...
सुमन का मन थोडा खट्टा हो जाता है। वो आहे भरते हुए चंदू को वहा से जाते हुए देखने लगती है।
इधर प्रभा के लिए भी कल की रात और आज की सुबह काफी अच्छी रही। कल रात को खाना खाने के बाद सागर और प्रभा हॉल में बैठ के टीवी देख रहे थे। प्रभा की गर्दन और कंधे बहोत दर्द कर रहे थे। बार बार प्रभा अपनी गर्दन को झटका सा दे रही थी। और अपने कंधे अपने हाथो से दबा रही थी। सागर ये देख रहा था।
सागर:- क्या हुआ माँ?? बहोत दर्द है क्या?? मैं दबा दू??
प्रभा को और क्या चाहिए था?? वो तो अपना पूरा बदन उससे दबवाना चाहती थी।
प्रभा:- हा रे बहोत दर्द कर रहा है..यहाँ करने को कुछ ख़ास काम नहीं रहता तो दिनभर लेटे लेटे पूरा बदन अकड़ सा जाता है।
सागर:- ठीक है माँ..मैं अभी आपकी गर्दन और कंधे दबा देता हु।
सागर उठ के सोफे के पीछे जा के प्रभा के कंधे दबाने लगता है। सागर के हाथ का धक्का लगने से प्रभा की साडी का पल्लू नीचे गिर जाता है।सागर को प्रभा की आधे से जादा चुचिया दिखने लगती है। सागर धीरे धीरे प्रभा के कंधे और गर्दन दबा रहा था। मगर उसका पूरा ध्यान प्रभा की चुचियो पे था। जिसका असर ये हुआ की उसका लंड खड़ा होने लगा। प्रभा को उसके लंड का आभास हुआ तो वो अपनी सर सोफे पे पीछे करके टिका देती है। जिससे एक तो सागर को और भी अच्छा view मिलने लगा था और दूसरा प्रभा उसके लंड को सर से दबा सके। लेकिन जैसे ही प्रभा का सर सागर के लंड से टकराता है वो थोडा पीछे हट जाता है। प्रभा ये देख थोड़ी निराश होती है। थोड़ी देर ऐसेही चलते रहता है। प्रभा फिर थोड़ी कसमसाती है और अपने हाथ अपने पेट ले आती है और चुचियो को थोडा ऊपर उठा देती है। सागर को वो उभरी हुई चुचिया देख पागल सा हो जाता है। वो उनको और अच्छेसे देखने के लिए आगे आता है जिससे उसका लंड प्रभा के कान को छूने लगता है। एक तो सागर का लंड और वो प्रभा के सबसे कामुक हिस्से से टच कर रहा था। प्रभा तो उत्तेजना के मारे कापने लगी थी। सागर को जबतक इस बात का अहसास होता है तब्बतक प्रभा थोडा ऊपर खिसक के सागर का लंड अपने गालो से दबाने लगती है। सागर को भी ये सब अब अच्छा लगने लगा था। वो भी धीरे धीरे प्रभा के गाल से अपना लंड रगड़ते हुए मजे लेने लगा। प्रभा का तो मन कर रहा था की अभी उसका लंड पकड़ के चूसने लग जाय लेकिंव चाहती थी की इस मामले में पहल सागर करे....इतना सबकुछ हो रहा था सागर का लंड प्रीकम छोड़ने लगा था। प्रभा को उसकी खुशबु आने लगी थी। वैसे तो प्रभा की चूत भी पानी छोड़ने लगी थी। लेकिन इसके आगे कुछ हो पाता प्रियंका का फ़ोन आने लगता है। सागर ये देख बहाना बनाता है की उसे नींद आ रही है और वो अपने कमरे में चला जाता है। प्रभा उसके जाने से थोड़ी दुखी जरूर होती है लेकिन ये सोच के खुश भी होती है की 15 दिन की उसकी कोशिश अब रंग लाने लगी है। वो भी टीवी बंद करके अपने कमरे में सोने चली जाती है।*
सागर प्रियंका से बात करते हुए अपना पानी निकाल के सोने लगता है लेकिन आज उसे उतना मजा नहीं आया था क्यू की रह रह के उसको प्रभा की याद आ रही थी।
सागर:- उफ्फ्फ सच में माँ बहोत ही सेक्सी है। उनको देख के मेरा अपने आप पे काबू पाना बहोत मुश्किल हो रहा है आजकल। लेकिन माँ को ये समझ नहीं आता क्या की मैं उन्हें देखता रहता हु या वो जानबुज के मुझे दिखाती रहती है...क्या वो मुझसे चुदवाना....नहीं ऐसा कैसे हो सकता है?? क्यू नहीं हो सकता वो प्यासी है वो खुद की उंगली चूत चोदते हुए मैंने देखा है। अगर सच में वो मुझसे चुदवाना चाहती है तो मुझे क्या करना चाहिए?? क्या करना चाहिए मतलब?? अबे गधे अगर वो खुद हो के तुझसे चुदवाना चाहती है तो तुझे क्या प्रॉब्लम है? और वो इतनी हॉट है तेरी तो हर रात सुहागरात में तब्दील हो जायेगी। हा यार ये तो मैंने सोचा ही नहीं। लेकिन मुझे पहले सब कन्फर्म करना चाहिए नहीं तो प्रॉब्लम हो जायेगी। ये सब सोचते सोचते वो सो जाता है।
सुबह जब वो तैयार हो के कॉलेज जाने के लिए तैयार होता है तो प्रभा उसे बाइक पे बाजार छोड़ने को कहती है। प्रभा उसके पीछे बैठ जाती है एयर अपना हाथ उसके पेट पे रख देती है। प्रभा उसकी पीठ पे अपनी चुचिया दबा रही थी। उसका लंड अब प्रभा के छूने भर से भीं खड़ा होने लगा था। वो प्रभा को बाजार छोड़ देता है लेकिन वो प्रभा से कहता है की वो रुकेगा और उसे वापस घर छोड़ देगा। प्रभा उसे जाने को कहती है मगर वो नहीं सुनता। प्रभा मन ही मन खुश होने लगी थी।*
प्रभा जल्दी से शॉपिंग कर लेती है और वापस सागर के बाइक पे बैठ के वापस आने लगते है। सागर जानबुज के लंबा और सुनसान रास्ते से बाइक लेता है। प्रभा ये सब देख के कुछ करने की सोचती है। वो पेट पे रखा हाथ थोडा निचे लेती है। सागर का लंड तो वैसे ही खड़ा था। प्रभा के हाथ का निचला हिस्सा उसके लंड से टच होने लगता है। जब कभी गाडी गड्ढे से होती गुजरती तो झटके के साथ प्रभा का हाथ भी झटके के साथ उसके लंड से टकरा जाता। सागर अब जानबुज स्लो और गड्ढे में से बाइक चला रहा था। प्रभा को ये उसकी चालाकी समझ में आ चुकी थी। वो अब जब भी गाड़ी गड्ढे से जाती वो अपना हाथ सागर के आधे लंड तक ले जाती। इससे सागर को बहोत मजा आ रहा था। और साथ साथ उसे ये भी यकीं हो चला था की माँ जो भी कर रही जानबुज के कर रही है। वो अपनी चूत की प्यास शायद मेरे लंड से बुझाना चाहती है।
प्रभा इससे जादा कुछ करना नहीं चाहती थी। क्यू की किसी की भी नजर उनपे पड़ सकती थी। जितना हुआ था वो उसके लिए बहोत था। और सबसे बड़ी बात तो ये थी की अब उसे सागर की तरफ से भी रेसपोंस मिलने लगा था।
प्रभा की मन की मुराद ना जाने कब पूरी होने वाली थी मगर सुमन की मुराद आज दोपहर में जरूर पूरी होने वाली थी। चंदू ने बहाना बना के जसवंत से छुट्टी ले ही ली। चंदू जल्दी जल्दी गाँव में पहोचा। वो जसवंत के घर पहोचा। उसने देखा की दरवाजा खुला ही था। वो अंदर आया और दरवाजा बंद कर लिया। उसने देखा सुमन किचन में कुछ काम कर रही थी। वो चुपकेसे अंदर गया सुमन की पीठ दरवाजे की तरफ थी वो धीरे धीरे आगे बढ़ा और सुमन को पिछेसे पकड़ लिया। सुमन पहले तो बहोत घबरा गयी लेकिन जब उसने देखा की चंदू है तो वो नार्मल हो गयी।
सुमन:- उफ्फ्फ मैं तो घबरा ही गयी थी...ये क्या तरीका है?? और छोडो मुझे दरवाजा खुला है।
चंदू:-तुम्हे छोड़ने के लिए नहीं पकड़ा है। और दरवाजा मैंने बंद कर लिया है।
सुमन:- कोई आ गया तो??
चंदू:- कोई नहीं आएगा दोपहर में...और आ भी गया तो मैं पीछे के रास्ते से तबेले में चला जाऊँगा।*
सुमन:- ह्म्म्म तू तो सच में आ। गया...
चंदू:- क्यू तू मजाक कर रही थी क्या??
सुमन:- हा..
चंदू:- ठीक है फिर वापस जाता हु मैं...
सुमन:- अरे...चल अब तू आ ही गया है तो...
चंदू:- तो क्या ?? चंदू पिछेसे अपना लंड सुमन की गांड को रगड़ता हुआ बोला।
सुमन:- तो तेरी दावत तुझे खिला ही देती हु।बड़ा उतावला हो रहा है तू खाने के लिए।
चंदू:-स्स्स मुझसे जादा उतावली तो तू हो रही है मुझे खिलाने के लिए। चंदू उसकी गर्दन को चूमता हुआ बोला।
सुमन ने एक हाथ उसके चेहरे को लगाया और दूसरा हाथ से उसका लंड पकड़ के बोली..
सुमन:- स्स्स्स्स् आआअह्ह्ह्ह हा रे सच कहा तूने जबसे तुम्हारे इस मूसल को देखा है अह्ह्ह उसे अंदर लेने के लिए बहोत उतावली हो रही हु उम्म्म्म्म अह्ह्ह्ह
चंदू ने अपने हाथ अब उसकी चुचियो पे रख के उन्हें धीरे धीरे दबाने लगा।
चंदू:- अह्ह्ह्ह सुमन उफ्फ्फ जिस दिन से रम यहाँ आयी हो उस दिन से तुम्हारी इन बड़ी बड़ी चुचियो ने मुझे पागल सा कर दिया है। आज पकड़ में आयी है अह्ह्ह्ह्ह....ऐसा बिल चंदू ने सुमन के मम्मे थोडा जोर से दबा दिए।
सुमन:- अह्ह्ह्ह्ह धीरे ना उफ्फ्फ्फ्फ्फ
चंदू:- अह्ह्ह्ह क्या धीरे ?? तू क्या कुवारी लड़की है जो इतना आह उह्ह कर रही। चंदू ने उसे टर्न किया और उसको कमर से पकड़ के अपना लंड उसकी चूत से सटा दिया और गांड पे हाथ रख के दबाने लगा। तू तो खेली खायी है।
सुमन ने अपने हाथ उसके गले में डाले और एक हल्का सा चांटा उसके गाल पे लगा दिया।
सुमन:- कुवारी नहीं हु लेकिन दर्द तो होता ही है।
चंदू:-आय हाय स्स्स्स ....चंदू ने अपना एक हाथ से हलके से उसके बाल पकडे और वो उसे होठो पे किस करने लगा। सुमन इतना उत्तेजित थी की जैसे ही चंदू ने उसे कीस करना सुरु किया वो जादा आक्रामक होते हुए उसे चूमने लगी। दोनों की अंदर की आग अब ज्वाला बन चुकी थी जो अब बड़ी बड़ी लपटो में तब्दील हो चुकी थी। दोनों एक दूसरे के। *जिस्म को सहलाते हुए एक दूसरे के होठो को चूस रहे थे।चंदू सुमन की जुबान को अपने मुह में भरकर तेज तेज चूस रहा था। उसने सुमन को ऐसेही चूमते हुए वह किचन के टेबल पे बिठा दिया था। वह रखे बर्तन निचे गिर गए थे। मगर अब उनको किसीकी परवाह नहीं थी। सुमन ने अपने पैरो से चंदू जकड कर अपनी चूत पे धक्का देने के लिए उकसा रही थी। चंदू जितना हो सके उतना उसकी चूत पे लंड रगड़ रहा था। उसकी चुचिया मसल रहा था।
सुमन:- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स चंदू अह्ह्ह्ह बहोत दिनों से प्यासी है रे मेरी...अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्*
चंदू :-आज सारी प्यास बुझा दूंगा मेरी जान अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह स्स्स अह्ह्ह्ह जरा अपनी इन बड़ी बड़ी चुचियो से पर्दा तो हटा दो अह्ह्ह्ह
ऐसा बोल के चंदू ने सुमन का ब्लाउज को दोनों साइड से पकड़ा और एक झटका दिया। सुमन का ब्लाउज के बटन टूट के निचे गिर गये।सफ़ेद रंग की ब्रा में उसकी गोरी गोरी चुचियो को देख चंदू पागल सा हो गया। चंदू ने उसकी ब्रा को भी निकाल फेंका। चंदू सुमन की चुचियो को अपने हाथो में भर के कस कस कर दबाने लगा। चंदू का ऐसा आक्रामक रूप देख सुमन की उत्तेजना और भी बढ़ गयी थी।उसे ऐसीही चुदाई पसंद थी।
सुमन:-अह्ह्ह्ह चंदू बहोत मजा आ रहा है उफ्फ्फ्फ्फ़ स्सस्सस्सस
चंदू:- अह्ह्ह्ह स्स्स्स उफ्फ्फ क्या बोबे है तेरे आअह्ह्ह्ह्ह चंदू उसके निप्प्ल्स को बारी चूसने के साथ साथ दबा भी रहा था।
सुमन:- अह्ह्ह्ह चंदू आह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् उफ्फ्फ्फ़ कितने दिनों बाद चुदने वाली हु मैं अह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स चोद दे अह्ह्ह्ह
चंदू:- अह्ह्ह हा अहह आज तो तुझे खूब चोदुंगा अह्ह्ह स्स्स्स आज ही नहीं अब तो तुझे रोज चोदुंगा उफ्फ्फ्फ़ क्या माल है तू स्स्स्स्स् ....अब चंदू ने पेटीकोट नाडा खोल के साड़ी और पेटीकोट एक साथ निकाल फेका।*
दोनों वासना की उस आंधी में इस कदर लिपट गए थे की उन्हें अब किसीकी कोई परवाह नहीं थी।
सुमन:- अह्ह्ह्ह स्स्स्स कमीने मुझे नंगा कर दिया और खुद सारे कपडे पहने खड़ा है अह्ह्ह्ह
सुमन टेबल से निचे उतारी और घुटनो पे बैठ गयी....और चंदू की पैंट खोल के उसकी अंडरवियर के साथ निचे कर दी। सुमन उसका तन हुआ 8 साढ़े 8 इंच लंबा और 2 ढाई इंच मोटा लंड देख ख़ुश हो गयी। उसको मुठ्ठी पे पकड़ के अपने गालो से ओठो से लगाने लगी।
सुमन:- अह्ह्ह्ह क्या मस्त लंड है रे तेरा उफ्फ्फ्फ्फ्फ स्सस्सस्स मेरी चूत का बैंड बजने वाला है आज स्सस्सस्सस जरा देखु तो इसका स्वाद कैसा है??सबका एक जैसा ही होता है या अलग देखु तो जरा अह्ह्ह्ह
चंदू:-देख ले अह्ह्ह्ह स्स्स्स वैसे आजतक कितने लंडो का स्वाद चखा है तूने ??
सुमन:-अह्ह्ह्ह एक ही लंड का अह्ह्ह मेरे पति का...ऐसा बोल के वो चंदू का लंड मुह में भर लेती है ओर चूसने लगती है।
चंदू:- हाय रे क्या मस्त लंड चूसती है तू उफ्फ्फ्फ़...उम्म्म तू भूल रही है मैं इसी गाँव का हु मेरी छिनाल रांड...मुझे सब पता है शादी से पहले उस शरद से तू कितनी चुदी है अह्ह्ह्ह
सुमन चंदू का लंड चूसती हुई उसे उपआह्ह्ह्ह् की आवाज निकाल के लंड के पानी का चटकारा लेते हुए उसकी तरफ देख के...
सुमन:- अह्ह्ह्ह पता है तो पूछता क्यू है अह्ह्ह्ह
और फिर से लंड को मुह में भर लेती है।
चंदू:-अह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् उम्म्म्म्म चूस और चूस अह्ह्ह्ह स्स्स्स....चंदू सुमन का सर पकड़ के उसके मुह में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा।सुमन बड़े चाव से लंड चुस्ती रही।
चंदू:- अह्ह्ह्ह बस कर अब मुह में ही छूट जाएगा अह्ह्ह
चंदू उसे वापस टेबल पे बिठाता है । सुमन पहले ही अपनी अपनी टाँगे खोल के बैठ जाती है। चंदू उसकी चूत में उंगली डालता है और उसके बाल पकड़ के एक कीस करता है।
चंदू:- उम्म्म्म्म तू बिना बोले ही खोल के बैठ गयी है स्सस्सस्स
सुमन:- अह्ह्ह्ह अब डलवाना हैं तो तो खोलना तो पड़ेगा ही।
चंदू:- स्स्स्स हाय रे मर जाउ तेरी इस अदा पे अह्ह्ह
सुमन:- स्स्स्स पहले मेरी चुदाई कर लेना मरने से पहले अह्ह्ह्ह
चंदू:-हा मेरी चुद्दकड़ रानी अह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् जरा मैं भी तू तेरे रस का स्वाद चखु अह्ह्ह
चंदू सुमन के जांघो को पकड़ के चूत में मुह घुसा देता है। चंदू की जुबान और ओठ सुमन की चूत पे जैसे ही छूते है सुमन की उत्तेजना अपनी चरम सिमा पर पहोच जाती है।चंदू खिलाडी था चुदाई के खेल का उसने सुमन को कुछ पलो में झड़ने के लिए मजबूर कर दिया। सुमन ने उसे कस के गले लगा लिया।
सुमन:- अह्ह्ह्ह चंदू उफ़्फ़्फ़्फ़स्सस्स मुझे पता होता की तू सिर्फ चाट के ही मेरी झाड़ सकता है तो सुबह ही चटवा लेती तुझसे अह्ह्ह्ह्ह
चंदू अब सुमन की बाते सुनने के मुड़ में नहीं था। उसने सुमन की चूत पे अपना लंड रखा और धीरे धीरे अंदर डाल दिया।
सुमन:-अह्ह्ह्ह थोडा तो रुक जाते उफ्फ्फ्फ़ अभी तो पानी निकला है मेरा अह्ह्ह स्स्स्स्स् कितना मोटा है रे तेरा अह्ह्ह्ह्ह्ह
चंदू:-अह्ह्ह स्स्स कबसे तड़प रहा था बेचारा अह्ह्ह तेरी चूत में जाने को उफ्फ्फ्फ्फ़ क्या मस्त टाइट चूत है अह्ह्ह्ह
चंदू धीरे धीरे लंड आगे पीछे करने लगा । सुमन आँखे बंद कर उसके लंड का मजा लेने लगी। चंदू अब खच खच सुमन की चूत में लंड पेल रहा था।
उसकी रफ़्तार बहोत बढ़ गयी थी। सुमन भी फिर उत्तेजित हो चुकी थी।
सुमन:- आआआआआआआआआआआ उम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्म धीरे कर कमीने अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ चूत फट गयी है मेरी स्सस्सस्सस
चंदू:- अह्ह्ह्ह्ह्ह चुप कर साली अह्ह्ह्ह चोदने दे मुझे अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बहोत मजा आ रहा है।*
चंदू उसकी बोलती बंद करने के लिए उसे कीस करने लगा। और चुचिया मसलने लगा। निचे चूत में बहोत तेजी से लंड आगे पीछे करने लगा।
चंदू:-अह्ह्ह्ह्ह्ह तेरी चूत की कसावट देख के मेरा तो मन कर रहा है ऐसेही चोदते राहु तुझे अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़
सुमन:-अह्ह्ह्ह्ह मेरा भी यही मन है की तू ऐसेही चोदते रह मुझे अह्ह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़
चंदू ने उसे निचे उतारा और घोड़ी बनाके पीछे से उसकी चूत चोदने लगा। सुमन ऐसी चुदाई में एक बार फिर झड़ चुकी थी।
सुमन:- अह्ह्ह्ह्ह क्या ताकत है रे तुझमे उफ्फ्फ्फ्फ्फ स्स्स्स कब निकलेगा तेरा पानी??
चंदू:- अह्ह्ह्ह मैंने कल ही तो कहा था तुझे मेरा जल्दी छूटता नहीं अह्ह्ह्ह्ह
सुमन:-अह्ह्ह चंदू जल्दी कर उफ्फ्फ्फ़ बहोत देर हो रही है अह्ह्ह्ह्ह्ह माधवी आती ही होगी अह्ह्ह्ह्ह
चंदू:-उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह हा बस हो ही जाएगा अह्ह्ह्ह*
चंदू:-(मन में) अह्ह्ह्ह ऐसे टाइम पे माधवी की याद दिला दी सालिने अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् ये फंस चुकी है अहह अब इसीको सीढ़ी बनाके माधवी की चूत चोदुंगा अह्ह्ह्ह्ह माधवी ही क्यू प्रभा भाभी की भी अह्ह्ह्ह
चंदू को उन दोनों की याद आते ही बहोत उत्तेजित हो गया था। वो और भी तेज अपना लंड चलाने लगा।
सुमन:- अह्ह्ह्ह्ह्ह मर गयी माआआआआअ ऊऊऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हा बहोत अच्छा अह्ह्ह और और ...और चोदो अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ बहोत मजा आ रहा है उम्म्म्म्म्म
चंदू:- अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स हा मेरी छिनाल रांड अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह मेरा होने वाला है अह्ह्ह्ह्ह
सुमन:-अह्ह्ह्ह्ह हा निकाल दे अह्ह्ह्ह अह्ह्ह मेरी चूत में अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
चंदू ने एक झटका मारा और अपना लंड स्यमं की चूत में दबा के झड़ने लगा। चंदू के गरम वीर्य की पिचकारी सुमन अपने अंदर महसूस कर रही थी। वो आखे बंद कर *अपने अंदर रेंगते हुए गरम वीर्य का अनोखा अहसास महसूस कर रही थी। उसके स्पर्श से वो एक बार फिर झड़ गयी थी।
सुमन पलटी और चंदू को एक किस किया और निचे बैठ के चंदू लंड से टपकते वीर्य की बूंदों को चाटने लगी।
उसने चंदू का लंड चाट चाट के पूरा साफ़ कर दिया।
सुमन:- अह्ह्ह्ह चंदू आज की चुदाई मैं कभी नहीं भूलूंगी बहोत मजा आया रे स्स्स्स।
चंदू ने उसे कमर से पकड़ा और अपनि और खीचा उसकी नंगी गांड को दबाते हुए...
चंदू:- उम्म्म मेरी जान ये तो सुरवात है जब तक तू यहाँ है ऐसेही चुदाई करूँगा तेरी अह्ह्ह
चंदू ने घडी देखि 4 बज रहे थे।
चंदू:- अभी और एक घंटा हैं एक बार और चुदाई हो सकती है।....उसने सुमन की गांड में उंगली डालते हुए ....मुझे तो तेरी गांड भी मारनी है।
सुमन:-अह्ह्ह्ह्ह नहीं गांड में बहोत दर्द होता है अह्ह्ह्ह मन तो मेरा भी कर रहा है लेकिन अभी नहीं तुम जाओ...अभी जोखिम नहीं उठाते...
चंदू:- ठीक है ...रात का जुगाड़ हो सके तो करना मस्त रातभर ठुकाई करूँगा तेरी।
सुमन:- देखती हु...फ़ोन कर दूंगी तुझे।
दोनों ने फिर से एक किस किया और अपने कपडे पहन लिए। चंदू पीछे के दरवाजे से निकल गया। सुमन भी *किचन को ठीक करने लगी।
उस रात सुमन रातभर तड़पती रही।वो महीनो अपने पति से दूर रहती थी लेकिन ऐसी तड़प उसे कभी महसूस नहीं हुई।
दूसरे दिन वो चंदू के आने का बेसब्री से इन्तजार कर रही थी। जैसे ही उसने चंदू की आवाज सुनी वो दौड़ती हुई टिफिन लेके जाने लगी। चंदू बाहर ही खड़ा था। उसने चंदू को आवाज लगा के अंदर बुलाया। इस वक़्त वो घर पे अकेली ही रहती थी। चंदू भी ये बात जनता था।चंदू अंदर गया। टिफिन लेते वक़्त जानबुज के सुमन का हाथ छु लिया। सुमन को अब उससे कोई ऐतराज नहीं था। वो चंदू से चुदवाने का फैसला कर चुकी थी।
वो एकदूसरे को देख मुस्कुराह रहे थे।
चंदू:- आज क्या दिया है टिफिन में??
सुमन:- बैगन का भर्ता है...क्यू ??
चंदू:- कुछ नहीं ऐसेही पूछ रहा हु...
सुमन:-क्यू तुम्हारे टिफिन में क्या है??
चंदू:-कुछ पता नहीं...पूछा नहीं घरवाली से।
सुमन:- तुम्हारा मन है कुछ खाने का तो बता देना अभी बना देती हु...
चंदू:-(उसकी चुचियो को देख) मेरा मन तो बहोत कुछ खाने का है दीदी...
सुमन उसको अपनी चुचियो देख आहे भरते हुए देखा तो उसके शरीर में सुरसुरी सी दौड़ पड़ी।
सुमन:- फिर भी कुछ खास....
चंदू:-खास तो सभी कुछ है...गरीब के लिए जो मिले वो ही सही।
सुमन:-एक अछिसि दावत के बारे में क्या ख्याल है??
चंदू:-फिर तो मजा ही आ जायेगा।
सुमन:- मजा तो बहोत आएगा ...खाने वाले को भी और खिलाने वाली को भी...
चंदू:- फिर कब दोगी....दावत?
सुमन:-तुम्हारा जब मन करे ले लेना....दावत...बस तुम मुझे पहले बता देना...ताकि मैं तैयारी कर के रखु...
चंदू:- मेरा मन तो कर रहा है अभी ले लू...लेकिन अभी मुझे खेतो में काम है...जसवंत भैया राह देख रहे होंगे...
सुमन:- ठीक है जैसा तुम कहो...
चंदू:- जल्दी जल्दी में मजा नहीं आएगा...
सुमन:- हा ये तो सही बात है...जल्दी जल्दी में मजा नहीं आएगा...
चंदू:- बड़ी समझदार हो गयी हो दीदी तुम...
सुमन:-वक़्त और हालात बना देते है...
चंदू को अब पूरा यकीन हो गया था की सुमन अब पूरी तरह से उसके वश में है। वो थोडा आगे बढ़ के सुमन के नजदीक जाता है ...उसकी कमर को पकड़ के अपनी और खीच लेता है। सुमन को भी यही चाहिए था। लेकिन औरत थी थोडा ना नुकुर तो बनाता है।
सुमन:- अह्ह्ह क्या कर रहे हो चंदू...कोई आ जायेगा...दरवाजा खुला है।
चंदू:- स्स्स कोई नहीं आएगा...बड़ी आग लगी है क्या तुझमे??
सुमन:- आह्ह हा आग तो कब से लगी पड़ी है...
चंदू:- क्यू वह ससुराल में कोई नहीं क्या तुम्हारी आग बुझाने वाला??
सुमन:- नहीं ना...इसीलिए तो तड़प रही हु...और तुम हो की..यहाँ पूरी दावत पड़ी है तुम्हारे सामने और तुम्हे खेत जाना है अह्ह्ह्ह
चंदू:-क्या करू ...काम है..थोडा चख तो लू इस दावत का स्वाद कैसा है??
चंदू उसको किस करना चाहता है लेकिन सुमन उसे रोक लेती है।
सुमन:- ऊ..हु...अभी नहीं...कुछ चखने नहीं मिलेगा..
चंदू:- ठीक है...जैसी तुम्हारी मर्जी...मैं देखता हु दोपहर में कुछ काम निकाल के आ पाया तो...
सुमन:- ठीक है मैं इन्तजार करुँगी...
चंदू उसे छोड़ देता है और जाने लगता है।
सुमन:- अह्ह्ह्ह रुको तो सही...सुमन उसका लंड पैंट के ऊपर से पकड़ लेती है। उसके लंड को साइज़ देख उसके मन में गुब्बारे फूटने लगते है। जरा देखु तो सही जिस चमच से दावत खाने वाले हो वो कैसा है??
चंदू:- स्स्स नहीं अब तुम भी इंतजार करो...
सुमन का मन थोडा खट्टा हो जाता है। वो आहे भरते हुए चंदू को वहा से जाते हुए देखने लगती है।
इधर प्रभा के लिए भी कल की रात और आज की सुबह काफी अच्छी रही। कल रात को खाना खाने के बाद सागर और प्रभा हॉल में बैठ के टीवी देख रहे थे। प्रभा की गर्दन और कंधे बहोत दर्द कर रहे थे। बार बार प्रभा अपनी गर्दन को झटका सा दे रही थी। और अपने कंधे अपने हाथो से दबा रही थी। सागर ये देख रहा था।
सागर:- क्या हुआ माँ?? बहोत दर्द है क्या?? मैं दबा दू??
प्रभा को और क्या चाहिए था?? वो तो अपना पूरा बदन उससे दबवाना चाहती थी।
प्रभा:- हा रे बहोत दर्द कर रहा है..यहाँ करने को कुछ ख़ास काम नहीं रहता तो दिनभर लेटे लेटे पूरा बदन अकड़ सा जाता है।
सागर:- ठीक है माँ..मैं अभी आपकी गर्दन और कंधे दबा देता हु।
सागर उठ के सोफे के पीछे जा के प्रभा के कंधे दबाने लगता है। सागर के हाथ का धक्का लगने से प्रभा की साडी का पल्लू नीचे गिर जाता है।सागर को प्रभा की आधे से जादा चुचिया दिखने लगती है। सागर धीरे धीरे प्रभा के कंधे और गर्दन दबा रहा था। मगर उसका पूरा ध्यान प्रभा की चुचियो पे था। जिसका असर ये हुआ की उसका लंड खड़ा होने लगा। प्रभा को उसके लंड का आभास हुआ तो वो अपनी सर सोफे पे पीछे करके टिका देती है। जिससे एक तो सागर को और भी अच्छा view मिलने लगा था और दूसरा प्रभा उसके लंड को सर से दबा सके। लेकिन जैसे ही प्रभा का सर सागर के लंड से टकराता है वो थोडा पीछे हट जाता है। प्रभा ये देख थोड़ी निराश होती है। थोड़ी देर ऐसेही चलते रहता है। प्रभा फिर थोड़ी कसमसाती है और अपने हाथ अपने पेट ले आती है और चुचियो को थोडा ऊपर उठा देती है। सागर को वो उभरी हुई चुचिया देख पागल सा हो जाता है। वो उनको और अच्छेसे देखने के लिए आगे आता है जिससे उसका लंड प्रभा के कान को छूने लगता है। एक तो सागर का लंड और वो प्रभा के सबसे कामुक हिस्से से टच कर रहा था। प्रभा तो उत्तेजना के मारे कापने लगी थी। सागर को जबतक इस बात का अहसास होता है तब्बतक प्रभा थोडा ऊपर खिसक के सागर का लंड अपने गालो से दबाने लगती है। सागर को भी ये सब अब अच्छा लगने लगा था। वो भी धीरे धीरे प्रभा के गाल से अपना लंड रगड़ते हुए मजे लेने लगा। प्रभा का तो मन कर रहा था की अभी उसका लंड पकड़ के चूसने लग जाय लेकिंव चाहती थी की इस मामले में पहल सागर करे....इतना सबकुछ हो रहा था सागर का लंड प्रीकम छोड़ने लगा था। प्रभा को उसकी खुशबु आने लगी थी। वैसे तो प्रभा की चूत भी पानी छोड़ने लगी थी। लेकिन इसके आगे कुछ हो पाता प्रियंका का फ़ोन आने लगता है। सागर ये देख बहाना बनाता है की उसे नींद आ रही है और वो अपने कमरे में चला जाता है। प्रभा उसके जाने से थोड़ी दुखी जरूर होती है लेकिन ये सोच के खुश भी होती है की 15 दिन की उसकी कोशिश अब रंग लाने लगी है। वो भी टीवी बंद करके अपने कमरे में सोने चली जाती है।*
सागर प्रियंका से बात करते हुए अपना पानी निकाल के सोने लगता है लेकिन आज उसे उतना मजा नहीं आया था क्यू की रह रह के उसको प्रभा की याद आ रही थी।
सागर:- उफ्फ्फ सच में माँ बहोत ही सेक्सी है। उनको देख के मेरा अपने आप पे काबू पाना बहोत मुश्किल हो रहा है आजकल। लेकिन माँ को ये समझ नहीं आता क्या की मैं उन्हें देखता रहता हु या वो जानबुज के मुझे दिखाती रहती है...क्या वो मुझसे चुदवाना....नहीं ऐसा कैसे हो सकता है?? क्यू नहीं हो सकता वो प्यासी है वो खुद की उंगली चूत चोदते हुए मैंने देखा है। अगर सच में वो मुझसे चुदवाना चाहती है तो मुझे क्या करना चाहिए?? क्या करना चाहिए मतलब?? अबे गधे अगर वो खुद हो के तुझसे चुदवाना चाहती है तो तुझे क्या प्रॉब्लम है? और वो इतनी हॉट है तेरी तो हर रात सुहागरात में तब्दील हो जायेगी। हा यार ये तो मैंने सोचा ही नहीं। लेकिन मुझे पहले सब कन्फर्म करना चाहिए नहीं तो प्रॉब्लम हो जायेगी। ये सब सोचते सोचते वो सो जाता है।
सुबह जब वो तैयार हो के कॉलेज जाने के लिए तैयार होता है तो प्रभा उसे बाइक पे बाजार छोड़ने को कहती है। प्रभा उसके पीछे बैठ जाती है एयर अपना हाथ उसके पेट पे रख देती है। प्रभा उसकी पीठ पे अपनी चुचिया दबा रही थी। उसका लंड अब प्रभा के छूने भर से भीं खड़ा होने लगा था। वो प्रभा को बाजार छोड़ देता है लेकिन वो प्रभा से कहता है की वो रुकेगा और उसे वापस घर छोड़ देगा। प्रभा उसे जाने को कहती है मगर वो नहीं सुनता। प्रभा मन ही मन खुश होने लगी थी।*
प्रभा जल्दी से शॉपिंग कर लेती है और वापस सागर के बाइक पे बैठ के वापस आने लगते है। सागर जानबुज के लंबा और सुनसान रास्ते से बाइक लेता है। प्रभा ये सब देख के कुछ करने की सोचती है। वो पेट पे रखा हाथ थोडा निचे लेती है। सागर का लंड तो वैसे ही खड़ा था। प्रभा के हाथ का निचला हिस्सा उसके लंड से टच होने लगता है। जब कभी गाडी गड्ढे से होती गुजरती तो झटके के साथ प्रभा का हाथ भी झटके के साथ उसके लंड से टकरा जाता। सागर अब जानबुज स्लो और गड्ढे में से बाइक चला रहा था। प्रभा को ये उसकी चालाकी समझ में आ चुकी थी। वो अब जब भी गाड़ी गड्ढे से जाती वो अपना हाथ सागर के आधे लंड तक ले जाती। इससे सागर को बहोत मजा आ रहा था। और साथ साथ उसे ये भी यकीं हो चला था की माँ जो भी कर रही जानबुज के कर रही है। वो अपनी चूत की प्यास शायद मेरे लंड से बुझाना चाहती है।
प्रभा इससे जादा कुछ करना नहीं चाहती थी। क्यू की किसी की भी नजर उनपे पड़ सकती थी। जितना हुआ था वो उसके लिए बहोत था। और सबसे बड़ी बात तो ये थी की अब उसे सागर की तरफ से भी रेसपोंस मिलने लगा था।
प्रभा की मन की मुराद ना जाने कब पूरी होने वाली थी मगर सुमन की मुराद आज दोपहर में जरूर पूरी होने वाली थी। चंदू ने बहाना बना के जसवंत से छुट्टी ले ही ली। चंदू जल्दी जल्दी गाँव में पहोचा। वो जसवंत के घर पहोचा। उसने देखा की दरवाजा खुला ही था। वो अंदर आया और दरवाजा बंद कर लिया। उसने देखा सुमन किचन में कुछ काम कर रही थी। वो चुपकेसे अंदर गया सुमन की पीठ दरवाजे की तरफ थी वो धीरे धीरे आगे बढ़ा और सुमन को पिछेसे पकड़ लिया। सुमन पहले तो बहोत घबरा गयी लेकिन जब उसने देखा की चंदू है तो वो नार्मल हो गयी।
सुमन:- उफ्फ्फ मैं तो घबरा ही गयी थी...ये क्या तरीका है?? और छोडो मुझे दरवाजा खुला है।
चंदू:-तुम्हे छोड़ने के लिए नहीं पकड़ा है। और दरवाजा मैंने बंद कर लिया है।
सुमन:- कोई आ गया तो??
चंदू:- कोई नहीं आएगा दोपहर में...और आ भी गया तो मैं पीछे के रास्ते से तबेले में चला जाऊँगा।*
सुमन:- ह्म्म्म तू तो सच में आ। गया...
चंदू:- क्यू तू मजाक कर रही थी क्या??
सुमन:- हा..
चंदू:- ठीक है फिर वापस जाता हु मैं...
सुमन:- अरे...चल अब तू आ ही गया है तो...
चंदू:- तो क्या ?? चंदू पिछेसे अपना लंड सुमन की गांड को रगड़ता हुआ बोला।
सुमन:- तो तेरी दावत तुझे खिला ही देती हु।बड़ा उतावला हो रहा है तू खाने के लिए।
चंदू:-स्स्स मुझसे जादा उतावली तो तू हो रही है मुझे खिलाने के लिए। चंदू उसकी गर्दन को चूमता हुआ बोला।
सुमन ने एक हाथ उसके चेहरे को लगाया और दूसरा हाथ से उसका लंड पकड़ के बोली..
सुमन:- स्स्स्स्स् आआअह्ह्ह्ह हा रे सच कहा तूने जबसे तुम्हारे इस मूसल को देखा है अह्ह्ह उसे अंदर लेने के लिए बहोत उतावली हो रही हु उम्म्म्म्म अह्ह्ह्ह
चंदू ने अपने हाथ अब उसकी चुचियो पे रख के उन्हें धीरे धीरे दबाने लगा।
चंदू:- अह्ह्ह्ह सुमन उफ्फ्फ जिस दिन से रम यहाँ आयी हो उस दिन से तुम्हारी इन बड़ी बड़ी चुचियो ने मुझे पागल सा कर दिया है। आज पकड़ में आयी है अह्ह्ह्ह्ह....ऐसा बिल चंदू ने सुमन के मम्मे थोडा जोर से दबा दिए।
सुमन:- अह्ह्ह्ह्ह धीरे ना उफ्फ्फ्फ्फ्फ
चंदू:- अह्ह्ह्ह क्या धीरे ?? तू क्या कुवारी लड़की है जो इतना आह उह्ह कर रही। चंदू ने उसे टर्न किया और उसको कमर से पकड़ के अपना लंड उसकी चूत से सटा दिया और गांड पे हाथ रख के दबाने लगा। तू तो खेली खायी है।
सुमन ने अपने हाथ उसके गले में डाले और एक हल्का सा चांटा उसके गाल पे लगा दिया।
सुमन:- कुवारी नहीं हु लेकिन दर्द तो होता ही है।
चंदू:-आय हाय स्स्स्स ....चंदू ने अपना एक हाथ से हलके से उसके बाल पकडे और वो उसे होठो पे किस करने लगा। सुमन इतना उत्तेजित थी की जैसे ही चंदू ने उसे कीस करना सुरु किया वो जादा आक्रामक होते हुए उसे चूमने लगी। दोनों की अंदर की आग अब ज्वाला बन चुकी थी जो अब बड़ी बड़ी लपटो में तब्दील हो चुकी थी। दोनों एक दूसरे के। *जिस्म को सहलाते हुए एक दूसरे के होठो को चूस रहे थे।चंदू सुमन की जुबान को अपने मुह में भरकर तेज तेज चूस रहा था। उसने सुमन को ऐसेही चूमते हुए वह किचन के टेबल पे बिठा दिया था। वह रखे बर्तन निचे गिर गए थे। मगर अब उनको किसीकी परवाह नहीं थी। सुमन ने अपने पैरो से चंदू जकड कर अपनी चूत पे धक्का देने के लिए उकसा रही थी। चंदू जितना हो सके उतना उसकी चूत पे लंड रगड़ रहा था। उसकी चुचिया मसल रहा था।
सुमन:- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स चंदू अह्ह्ह्ह बहोत दिनों से प्यासी है रे मेरी...अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्*
चंदू :-आज सारी प्यास बुझा दूंगा मेरी जान अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह स्स्स अह्ह्ह्ह जरा अपनी इन बड़ी बड़ी चुचियो से पर्दा तो हटा दो अह्ह्ह्ह
ऐसा बोल के चंदू ने सुमन का ब्लाउज को दोनों साइड से पकड़ा और एक झटका दिया। सुमन का ब्लाउज के बटन टूट के निचे गिर गये।सफ़ेद रंग की ब्रा में उसकी गोरी गोरी चुचियो को देख चंदू पागल सा हो गया। चंदू ने उसकी ब्रा को भी निकाल फेंका। चंदू सुमन की चुचियो को अपने हाथो में भर के कस कस कर दबाने लगा। चंदू का ऐसा आक्रामक रूप देख सुमन की उत्तेजना और भी बढ़ गयी थी।उसे ऐसीही चुदाई पसंद थी।
सुमन:-अह्ह्ह्ह चंदू बहोत मजा आ रहा है उफ्फ्फ्फ्फ़ स्सस्सस्सस
चंदू:- अह्ह्ह्ह स्स्स्स उफ्फ्फ क्या बोबे है तेरे आअह्ह्ह्ह्ह चंदू उसके निप्प्ल्स को बारी चूसने के साथ साथ दबा भी रहा था।
सुमन:- अह्ह्ह्ह चंदू आह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् उफ्फ्फ्फ़ कितने दिनों बाद चुदने वाली हु मैं अह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स चोद दे अह्ह्ह्ह
चंदू:- अह्ह्ह हा अहह आज तो तुझे खूब चोदुंगा अह्ह्ह स्स्स्स आज ही नहीं अब तो तुझे रोज चोदुंगा उफ्फ्फ्फ़ क्या माल है तू स्स्स्स्स् ....अब चंदू ने पेटीकोट नाडा खोल के साड़ी और पेटीकोट एक साथ निकाल फेका।*
दोनों वासना की उस आंधी में इस कदर लिपट गए थे की उन्हें अब किसीकी कोई परवाह नहीं थी।
सुमन:- अह्ह्ह्ह स्स्स्स कमीने मुझे नंगा कर दिया और खुद सारे कपडे पहने खड़ा है अह्ह्ह्ह
सुमन टेबल से निचे उतारी और घुटनो पे बैठ गयी....और चंदू की पैंट खोल के उसकी अंडरवियर के साथ निचे कर दी। सुमन उसका तन हुआ 8 साढ़े 8 इंच लंबा और 2 ढाई इंच मोटा लंड देख ख़ुश हो गयी। उसको मुठ्ठी पे पकड़ के अपने गालो से ओठो से लगाने लगी।
सुमन:- अह्ह्ह्ह क्या मस्त लंड है रे तेरा उफ्फ्फ्फ्फ्फ स्सस्सस्स मेरी चूत का बैंड बजने वाला है आज स्सस्सस्सस जरा देखु तो इसका स्वाद कैसा है??सबका एक जैसा ही होता है या अलग देखु तो जरा अह्ह्ह्ह
चंदू:-देख ले अह्ह्ह्ह स्स्स्स वैसे आजतक कितने लंडो का स्वाद चखा है तूने ??
सुमन:-अह्ह्ह्ह एक ही लंड का अह्ह्ह मेरे पति का...ऐसा बोल के वो चंदू का लंड मुह में भर लेती है ओर चूसने लगती है।
चंदू:- हाय रे क्या मस्त लंड चूसती है तू उफ्फ्फ्फ़...उम्म्म तू भूल रही है मैं इसी गाँव का हु मेरी छिनाल रांड...मुझे सब पता है शादी से पहले उस शरद से तू कितनी चुदी है अह्ह्ह्ह
सुमन चंदू का लंड चूसती हुई उसे उपआह्ह्ह्ह् की आवाज निकाल के लंड के पानी का चटकारा लेते हुए उसकी तरफ देख के...
सुमन:- अह्ह्ह्ह पता है तो पूछता क्यू है अह्ह्ह्ह
और फिर से लंड को मुह में भर लेती है।
चंदू:-अह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् उम्म्म्म्म चूस और चूस अह्ह्ह्ह स्स्स्स....चंदू सुमन का सर पकड़ के उसके मुह में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा।सुमन बड़े चाव से लंड चुस्ती रही।
चंदू:- अह्ह्ह्ह बस कर अब मुह में ही छूट जाएगा अह्ह्ह
चंदू उसे वापस टेबल पे बिठाता है । सुमन पहले ही अपनी अपनी टाँगे खोल के बैठ जाती है। चंदू उसकी चूत में उंगली डालता है और उसके बाल पकड़ के एक कीस करता है।
चंदू:- उम्म्म्म्म तू बिना बोले ही खोल के बैठ गयी है स्सस्सस्स
सुमन:- अह्ह्ह्ह अब डलवाना हैं तो तो खोलना तो पड़ेगा ही।
चंदू:- स्स्स्स हाय रे मर जाउ तेरी इस अदा पे अह्ह्ह
सुमन:- स्स्स्स पहले मेरी चुदाई कर लेना मरने से पहले अह्ह्ह्ह
चंदू:-हा मेरी चुद्दकड़ रानी अह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् जरा मैं भी तू तेरे रस का स्वाद चखु अह्ह्ह
चंदू सुमन के जांघो को पकड़ के चूत में मुह घुसा देता है। चंदू की जुबान और ओठ सुमन की चूत पे जैसे ही छूते है सुमन की उत्तेजना अपनी चरम सिमा पर पहोच जाती है।चंदू खिलाडी था चुदाई के खेल का उसने सुमन को कुछ पलो में झड़ने के लिए मजबूर कर दिया। सुमन ने उसे कस के गले लगा लिया।
सुमन:- अह्ह्ह्ह चंदू उफ़्फ़्फ़्फ़स्सस्स मुझे पता होता की तू सिर्फ चाट के ही मेरी झाड़ सकता है तो सुबह ही चटवा लेती तुझसे अह्ह्ह्ह्ह
चंदू अब सुमन की बाते सुनने के मुड़ में नहीं था। उसने सुमन की चूत पे अपना लंड रखा और धीरे धीरे अंदर डाल दिया।
सुमन:-अह्ह्ह्ह थोडा तो रुक जाते उफ्फ्फ्फ़ अभी तो पानी निकला है मेरा अह्ह्ह स्स्स्स्स् कितना मोटा है रे तेरा अह्ह्ह्ह्ह्ह
चंदू:-अह्ह्ह स्स्स कबसे तड़प रहा था बेचारा अह्ह्ह तेरी चूत में जाने को उफ्फ्फ्फ्फ़ क्या मस्त टाइट चूत है अह्ह्ह्ह
चंदू धीरे धीरे लंड आगे पीछे करने लगा । सुमन आँखे बंद कर उसके लंड का मजा लेने लगी। चंदू अब खच खच सुमन की चूत में लंड पेल रहा था।
उसकी रफ़्तार बहोत बढ़ गयी थी। सुमन भी फिर उत्तेजित हो चुकी थी।
सुमन:- आआआआआआआआआआआ उम्मम्मम्मम्मम्मम्मम्म धीरे कर कमीने अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ चूत फट गयी है मेरी स्सस्सस्सस
चंदू:- अह्ह्ह्ह्ह्ह चुप कर साली अह्ह्ह्ह चोदने दे मुझे अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बहोत मजा आ रहा है।*
चंदू उसकी बोलती बंद करने के लिए उसे कीस करने लगा। और चुचिया मसलने लगा। निचे चूत में बहोत तेजी से लंड आगे पीछे करने लगा।
चंदू:-अह्ह्ह्ह्ह्ह तेरी चूत की कसावट देख के मेरा तो मन कर रहा है ऐसेही चोदते राहु तुझे अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़
सुमन:-अह्ह्ह्ह्ह मेरा भी यही मन है की तू ऐसेही चोदते रह मुझे अह्ह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़
चंदू ने उसे निचे उतारा और घोड़ी बनाके पीछे से उसकी चूत चोदने लगा। सुमन ऐसी चुदाई में एक बार फिर झड़ चुकी थी।
सुमन:- अह्ह्ह्ह्ह क्या ताकत है रे तुझमे उफ्फ्फ्फ्फ्फ स्स्स्स कब निकलेगा तेरा पानी??
चंदू:- अह्ह्ह्ह मैंने कल ही तो कहा था तुझे मेरा जल्दी छूटता नहीं अह्ह्ह्ह्ह
सुमन:-अह्ह्ह चंदू जल्दी कर उफ्फ्फ्फ़ बहोत देर हो रही है अह्ह्ह्ह्ह्ह माधवी आती ही होगी अह्ह्ह्ह्ह
चंदू:-उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह हा बस हो ही जाएगा अह्ह्ह्ह*
चंदू:-(मन में) अह्ह्ह्ह ऐसे टाइम पे माधवी की याद दिला दी सालिने अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् ये फंस चुकी है अहह अब इसीको सीढ़ी बनाके माधवी की चूत चोदुंगा अह्ह्ह्ह्ह माधवी ही क्यू प्रभा भाभी की भी अह्ह्ह्ह
चंदू को उन दोनों की याद आते ही बहोत उत्तेजित हो गया था। वो और भी तेज अपना लंड चलाने लगा।
सुमन:- अह्ह्ह्ह्ह्ह मर गयी माआआआआअ ऊऊऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हा बहोत अच्छा अह्ह्ह और और ...और चोदो अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ बहोत मजा आ रहा है उम्म्म्म्म्म
चंदू:- अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स हा मेरी छिनाल रांड अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह मेरा होने वाला है अह्ह्ह्ह्ह
सुमन:-अह्ह्ह्ह्ह हा निकाल दे अह्ह्ह्ह अह्ह्ह मेरी चूत में अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
चंदू ने एक झटका मारा और अपना लंड स्यमं की चूत में दबा के झड़ने लगा। चंदू के गरम वीर्य की पिचकारी सुमन अपने अंदर महसूस कर रही थी। वो आखे बंद कर *अपने अंदर रेंगते हुए गरम वीर्य का अनोखा अहसास महसूस कर रही थी। उसके स्पर्श से वो एक बार फिर झड़ गयी थी।
सुमन पलटी और चंदू को एक किस किया और निचे बैठ के चंदू लंड से टपकते वीर्य की बूंदों को चाटने लगी।
उसने चंदू का लंड चाट चाट के पूरा साफ़ कर दिया।
सुमन:- अह्ह्ह्ह चंदू आज की चुदाई मैं कभी नहीं भूलूंगी बहोत मजा आया रे स्स्स्स।
चंदू ने उसे कमर से पकड़ा और अपनि और खीचा उसकी नंगी गांड को दबाते हुए...
चंदू:- उम्म्म मेरी जान ये तो सुरवात है जब तक तू यहाँ है ऐसेही चुदाई करूँगा तेरी अह्ह्ह
चंदू ने घडी देखि 4 बज रहे थे।
चंदू:- अभी और एक घंटा हैं एक बार और चुदाई हो सकती है।....उसने सुमन की गांड में उंगली डालते हुए ....मुझे तो तेरी गांड भी मारनी है।
सुमन:-अह्ह्ह्ह्ह नहीं गांड में बहोत दर्द होता है अह्ह्ह्ह मन तो मेरा भी कर रहा है लेकिन अभी नहीं तुम जाओ...अभी जोखिम नहीं उठाते...
चंदू:- ठीक है ...रात का जुगाड़ हो सके तो करना मस्त रातभर ठुकाई करूँगा तेरी।
सुमन:- देखती हु...फ़ोन कर दूंगी तुझे।
दोनों ने फिर से एक किस किया और अपने कपडे पहन लिए। चंदू पीछे के दरवाजे से निकल गया। सुमन भी *किचन को ठीक करने लगी।