अनु की मस्ती मेरे साथ compleet

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The Romantic
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Re: अनु की मस्ती मेरे साथ

Unread post by The Romantic » 22 Oct 2014 09:34


"इसे मेरी योनि मे डाल कर मुझे बुरी तरह चोदो." कहकर उसने अपनी
कमर को उठाया फिर उसने मेरे खड़े लिंग को एक हाथ से पकड़ कर
सीधा किया और दूसरे हाथ की उंगलियों से अपनी चूत की फांकों को
अलग कर मेरे लंड के स्वागत मे उन्हे चौड़ा किया. फिर दोनो हाथों की
मिली भगत से मेरे लिंग के सूपदे को अपनी चूत के बीचे मे सेट कर
के अपनी चूत को सम्हलने वाले हाथ को अलग करके अपने सिर को उठाया.
मेरी आँखों मे झँकते हुए उसके चेहरे पर एक विजयी मुस्कान आई
और उसने अपनी कमर को एक तेज झटके से नीचे छ्चोड़ दिया. मेरा लिंग
उसकी चूत की दीवारों की चूमता हुआ अंदर तक धँस गया. उसके मुँह
से एक "आआहह" निकली और वो मेरे लिंग पर बैठ गयी थी.

" उम्म्म्म बहुत प्यारा है ये. अब सारी जिंदगी इसी की बन कर
रहूंगी." कह कर वो मेरे उपर लेट गयी. और बेतहासा मेरे होंठों
को मेरे मुँह को मेरे गालों को चूमने लगी. मैं उसकी नग्न पीठ को
सहला रहा था. उसके रीढ़ की हड्डी के आस पास उत्तेजना और गर्मी से
पसीना छलक आया था. फिर उसने मुझे जम कर चोदना शुरू कर दिया.
करने के लिए मेरे पास कुच्छ नही था. मैं बस नीचे लेते लेते
उसकी चुदाई को एंजाय कर रहा था. कुच्छ देर तक इसी तरह चोदने के
बाद वो चीख उठी, "आआआअहह म्‍म्म्माआआ ह्म्‍म्म्म...उफफफफ्फ़" और
उसका रस मेरे लिंग को भिगोते हुए नीचे की ओर बहने लगा. वो
पसीने से लटपथ मेरे सीने पर लुढ़क गयी. वो मेरे सीने पर
लेते लेते ज़ोर ज़ोर से साआंसें ले रही थी. मैं समझ गया कि वो थक
गयी है. अब कमान को मेरे हाथ मे लेना पड़ेगा.

मैने उसको उठाकर सीधा किया फिर उसे बिस्तर पर लिटा कर उसे उपर
से चोदने लगा. उसके नाख़ून मेरी पीठ पर गड़ गये थे. उनसे शायद
हल्का हल्का खून भी रिस रहा था. उसके पैर मुड़े हुए उसकी कमर को
मेरे धक्कों से मिलाने के लिए हवा मे उच्छल रहे थे. मैं भी उसकी
चूत को आज फाड़ देने के लिए ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहा था. कुच्छ
देर बाद उसने मेरे कमर को अपने टाँगों की कैंची बनाकर उसमे
दबोच लिया और उसका इसी तरह दोबारा स्खलन हो गया. मैने और कुच्छ
देर तक धक्के मार कर जब देखा कि मेरा स्खलन होने वाला है तो
अपने लिंग को बाहर खींचना चाहता था मगर उसने अपनी टाँगों को
सख्ती से मेरे कमर के उपर दबा कर मेरे लिंग को अपनी चूत से बाहर
जाने से रोका. इस अवस्था मे मैं घुटने के बल सीधा हो गया और उसकी
कमर मेरे लिंग से सटी हुई बिस्तर से डेढ़ फुट उपर उठ गयी थी.

" नही मेरी योनि मे ही डालो अपना रस. मुझे भर दो. मेरे पेट पर
अपना हक़ जमालो. उस गंदे पानी को निकाल बाहर कर दो." कह कर उसने
मेरी गर्दन पर अपनी बाँहें डाल कर बिस्तर से अपने पूरे बदन को
उठा दिया. मैने ढेर सारा वीरया पिचकारी के रूप मे उसकी योनि मे
भरने लगा. उसका भी स्खलन साथ साथ हो गया वो चीख रही
थी, " हाआअंन्न हाआँ . ओफफफफ्फ़ भाआर्र दूऊऊ मुझीईए
प्लीईईए.हाआआं इथनाआ डाअलो कीईईईई बाआहार्र ताक छलक
कर गिरीईए. मेरे पूऊरे बदन पर्रर लीईएप चधदूओ अप्नाआ"

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Re: अनु की मस्ती मेरे साथ

Unread post by The Romantic » 22 Oct 2014 09:34


मैं अपने लिंग को उसकी योनि के अंदर ज़ोर से दबाए हुए था. जब तक
मेरा लिंग ढीला हो कर सिकुड नही गया अनु ने मुझे छ्चोड़ा नही.
जैसे ही उसने अपनी टाँगों का कसाव कम किया उसका बदन बिस्तर पर गिर
गया और मैं उसके उपर. उसने मुझे अपनी बाहों के घेरे मे क़ैद कर के
बेतहासा चूमने लगी.

"मेरा ये बदन आज से आपका है. मैं आपकी बीवी भले ही नही हू
लेकिन आपकी गुलाम ज़रूर रहूंगी. आपका पूरा हक़ है मेरे उपर. जब
भी बुलाओगे दौड़ी चली ओंगी." उसने मुझे चूमते हुए कहा.

हम दोनो एक दूसरे से लिपटे हुए कुच्छ देर लेते रहे. फिर वो झपट
कर उठी और मुझे चित करके लिटा कर मेरे लिंग को सहलाने लगी.

"क्या हुआ? मन नही भरा क्या?" मैने पूचछा.

"न्न्ना इतनी जल्दी किसी का मन भरेगा क्या इतने प्यारे लिंग से"

"अनु अब मैं 30 साल का गबरू जवान नही हूँ जो दिन भर खड़ा करके
घूमता रहूँगा. लगता है अबसे मुझे दवाई लेनी पड़ेगी लिंग को
खड़ा रखने की."

" दवाई की ऐसी की तैसी. इस मोटे घोड़े जैसे लिंग को किसी दवा की
क्या ज़रूरत. मेरी तो जान निकाल कर रख दी. दवाई तो आपको नही
मुझे लेनी पड़ेगी नही तो पेट फूला दोगे किसी दिन" उसने कहते हुए
मेरे लिंग को अपने मुँह मे भर लिया और जीभ से उसे सहलाने लगी.
मैं चुपचाप लेता हुआ उसकी हरकतों को निहारने लगा. मुझे भी बहुत
प्यार आ रहा था लेकिन फिर भी वो एक पराई औरत थी. मैं भले ही
अकेला था लेकिन उसका तो हज़्बेंड जीवित था. इसलिए मैं शुरू से ही
उसकी निकट ता से थोड़ा घबरा रहा था. मुझे मालूम था कि इसका अंत
बिस्तर पर ही होना था. लेकिन वो सब कुच्छ भूल चुकी थी. और मुझे
अपने प्रेमी के रूप मे देख रही थी. मेरे हाथ उसकी नग्न पीठ को
सहला रहे थे. मेरा चेहरा उसके बालों के पीछे उसका चेहरा छिप गया था.
मैने उसे अपने हाथों से सामने से हटा दिया जिससे चाँद ओझल ना हो
सामने से. कुच्छ ही देर मे मेरा लिंग वापस हरकत मे आने लगा. वो
अपने सूजे हुए निपल्स को मेरे लिंग से च्छुआ रही थी. बीच बीच मे
उसका चेहरा दर्द से विकृत हो जाता लेकिन अगले ही पल वो दुगने जोश से
अपनी हरकतें जारी रखती.

" अनु अब बस करो तुम्हे दर्द हो रहा है."

" होने दो दर्द.मार जाने दो मुझे. मगर मुझे रोको मत. आज उन
हरमियों ने मेरे अंदर की दबी हुई आग को हवा दी है. मुझे आअज
इतना थका दो कि हिलना भी मुश्किल हो जाए."




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Re: अनु की मस्ती मेरे साथ

Unread post by The Romantic » 22 Oct 2014 09:35

वो मेरे दोबारा खड़े लिंग के उपर चूमती हुई उठी और अपने दोनो
पैरों को फैला कर मेरे लिंग के उपर अपनीचूत को रख कर मुझ पर
बैठ गयी.

"मेरे प्यारे बलम अब मुझे एक बार जम कर चोद दो. मुझे मसल कर
रख दो." कह कर उसने अपने पैरों को मोड और मेरे सीने के उपर
अपने दोनो हाथ रख कर मेरे लिंग पर उठने बैठने लगी. ज़ोर ज़ोर से
उठने बैठने के कारण उसकी बड़ी बड़ी गेंदें उच्छल उच्छल जा रही
थी. उसका सिर पीछे की ओर धूलका हुआ था और वो ज़ोर ज़ोर से आहें
भर रही थी. मैं उसकी चूचियो को बहुत प्यारसे सहला रहा था.

अब तो मैं भी पूरी तरह गर्म हो चुका था. मैं इतना भी बूढ़ा अभी
नही हुआ था कि किसी सेक्स मे पागल औरत को संतुष्ट ना कर सकूँ.
जब मैने देखा कि वो थक चुकी है और उसके धक्कों मे धीमपन आ
चुका है तो मैने उसे अपने उपर से किसी गुड़िया की तरह उठाया और
उसे अपनी बाहों मे लेकर बाथरूम मे घुस गया. मैने शवर ओन कर
दिया और उसे शवर के नीचे दीवार का सहारा लेकर खड़ा किया और
पीछे से धक्के देने लगा. पानी की बूँदें हम दोनो के शरीर को
चूम कर मोतियों की तरह ज़मीन पर फिसल कर गिर रही थी. मैं
काफ़ी देर तक उसे यूँ ही चोद्ता रहा फिर उसने नीचे घुटनो के बल
बैठ कर मेरे लिंग को खींच कर अपने अंदर कर लिया. हम दोनो इसी
तरह कुच्छ देर तक चुदाई करते रहे.

हम दोनो उठे मैने शवर ऑफ कर उसके जिस्म को तौलिए से पोंच्छा.
उसने भी मेरे पुर बदन को तौलिए से पोंच्छ दिया. फिर हम वापस
आने लगे लेकिन वो अपनी जगह से नही हिली. मैने बिना अपनी ज़ुबान को
दर्द दिए उससे इशारों से पूचछा. तो वो लपक कर वापस मेरी बाहों
मे आ गयी और मुझे उसके बदन को गोद मे उठाने का इशारा करने
लगी. मैने उसे वापस गोद मे लेकर बेडरूम मे लाकर सुला दिया.

फिर मैं उसके बदन के उपर लेट गया और अपना चेहरा उसकी योनि पर
रख दिया. इस पोज़िशन मे मेरा लिंग अनु के मुँह के सामने था. उसने
इस मौके को खुशी खुशी लपक लिया. हम दोनो एक दूसरे को चूम और
चाट रहे थे. दोनो की ले ऐसी थी. जब मेरी कमर उपर उठती तो
उसकी कमर नीचे होती फिर एक साथ दोनो एक दूसरे के मुँह पर वॉर
कर देते. साथ साथ हम एक दूसरे के बदन को भी सहलाते जा रहे
थे. इस हरकत ने वापस हम दोनो के बदन मे आग भर दी थी. काफ़ी
देर तक एक दूसरे के अंगों से प्यार करने के बाद हम अलग हुए.

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