माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

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The Romantic
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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 30 Oct 2014 13:42

गतांक आगे ...................

काफी देर तक मैं उसके होंठो को मुँह मे भर कर चूसता रहा और रजनी किसी मूर्ती की तरह अपने होंठो को चुसवाती रही फिर मैंने उसके होंठो पर जीभ फिराना शुरु कर दिया उसके उपरी होंठ पर जीभ फिराता तो कभी निचले होंठ पर तो कभी होंठो के बीच जैसे मैं कोई कुत्ता हूँ और हड्डी चाट रहा हूँ। थोडी देर उसके होंठो के चाटाने के बाद मैंने उस्के होंठो के बीच अपनी जीभ घुसा दी और रजनी ने भी अपने होंठो को खोल कर मेरी जीभ का स्वागत किया और मैंने अपनी जीभ उसके दांतो मे फिरानी शुरु कर दी और उसके और उसकी लार को अपनी जीभ कर समेटने लगा। थोडी देर उसके दांतो पर जीभ फिराने के बाद मैंने उसकी लार को पी लिया। और अपनी जीभ फिर से उसके मुँह मे घुसेड दी रजनी मुझे जो मैं कर रहा था वह करने दे रही थी लगता था उसे इस तरह चुम्बन मे बहुत मजा आ रहा था। मैंने उसके होंठो के नीचे अपनी जीभ फिरानी शुरू कर दी और पहले उसके उपर वाले होंठ को अपने होंठो मे भर लिया और जीभ से उसका होंठ कुरेदने लगा साथ ही साथ अपने होंठो मे दबे उस होंठ की मोटायी का भी अंदाजा मैं लगा रहा था। मैं अपनी जीभ से उसके होंठ को अपने थूक को उसके थूक और लार से मिलाता और फिर उसके होंठ को चूस कर पी जाता बडा ही प्यार भरा चुम्बन था मेरा रजनी को जो मुझे बहुत भा गयी थी। उसका उपरी होंठ चूसने के बाद मैंने उसके नीचले होंठ के साथ भी यही किया और उसके थूक और लार को पीया मेरे लंड को भी थूक पीना बहुत भा रहा था क्योकी वह रजनी के हाथ मे कैद मस्ती मे उछल रहा था।

उसके होंठो का रस अच्छे से चूसने के बाद मैंने रजनी के मुँह मे अपनी जीभ घुसेड दी जिससे मेरी जीभ रजनी की जीभ से जा टकरायी। और हम दोनो आपस मे एक दूसरे की जीभ से जीभ लडाने लगे कभी हम एक दूसरे जीभ को दूसरे जीभ के चारो और घुमाते तो कभी जीभ के नीचे रगडते और फिर जब थूक और लार जमा हो जाता तो चूस कर पी लेते। अब तो रजनी भी जोश मे आ गयी थी और वह भी मेरे मुँह मे अपनी जीभ घुसेड कर मेरी जीभ से मेरा थूक भी पी रही थी। और जब हम दोनो लार चूसते तो एक दूसरे के होंठो को भी मुँह मे भर लेते। रीमा हमारा ये गहरा और लम्बा चुम्बन देख कर गर्म हो रही थी और खुद ही अपनी चूचीयाँ जोर जोर से मसल रही थी। श्याद उसे हमारा कल का चुम्बन याद आ रहा था। रजनी और मैं पागलो की तरह एक दूसरे के होंठ से होंठ भीडा रहे थे। मस्ती की लहर हम दोनो के बदन मै दौड रही थी। ये गहरा चुम्बन हम दोनो के बीच पनप रहे वासना भरे प्यार का संकेत था जो एक अधेड उमर की औरत को मेरे सामने अपनी सारी शर्म भूल कर नग्न होकर चुदवाने को प्रेरित कर रहा था। रजनी की चूत की गर्मी इतनी ज्यादा थी की वह भारतीय नारी अपनी लज्जा छोड कर रंडी बन चुकी थी और जावान मर्दो से चुदाती फिरती थी ताकी वह अपनी गर्म चूत को शांत रख सके और उसको थोडा सकून मिले। हम दोनो करीब दस मिनट तक ऐसे ही एक दूसरे के होंठो को चूसते हुये थूक का आदान प्रदान करते रहे मेरा तो बिल्कुल भी मन नही था रजनी के होंठो को छोडने का पर अपने लंड के हाथो मे विवश था क्योकी अब मेरा लंड मेरे सपनो की रानी रजनी को नग्न रूप के देखने को बेताब था। मैंने आखरी बार रजनी के होंठो को अपने मुँह मे भरा और चूस कर उसे अपने से अलग कर दिया मजा आ गया आपके होंठ चूसने का माँसी आपके होंठ बडे ही रसीले है मन करता है बस इनको चूसता ही रहूँ पूरी दिन पर क्या करे हमारे पास उतना वक्त नंही है इसलिए जल्दी ही आपके होंठो को छोडना पडा।

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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 30 Oct 2014 13:43

मन तो मेरा भी नंही कर रहा था पर क्या करूं अरे तुम दोनो को चुम्बन लेते देख कर तो मेरी हालत भी खराब है देखो कैसे मेरी चूत गीली हो चुकी है लगता है आज तो ये सोफा मेरे रस से भर जायेगा रीमा ने मचलते हुये कहा। चिंता मत करो माँ अगर ये सोफ आपके रस से गीला हो जायेगा तो इस सोफे को चूस कर मैं इसमे से सारा रस पी जाऊंगा। चलो तुम दोनो अपना खेल जारी रखो मैं भी तुम दोनो का मिलन देखने के लिये बेताब हूँ। और तू जल्दी अपना मिलना खत्म करेगी तभी तो तुम दोनो के साथ मजा ले संकूगी चलो अपना खेल जारी रखो। मन तो मेरा बहुत था फिर से रजनी के रसीले होंठो को मुँह मे भर कर चूसू पर मैंने अपने आप को रोक लिया अब मैं रजनी को नंगा करना चाहाता था इसलिये मैं अपने हाथ रजनी की कमीज पर ले गया जिसमे से उसकी भारी मोटी चूचीयाँ झाँक रही थी और मुझसे विनती कर रही थी कपडो के कैद से आजाद करने के लिये। मैंने रजनी के चूचीयो पर हाथ फेरना शुरु कर दिया उसकी मोटी चूचीयो का ज्याजा लेने के बाद मैंने रजनी के कमीज के बटन खोलने शुरु कर दिये दो और बटन खुलने से रजनी के कमीज खुल गयी और उसकी सफेद रंग की ब्रा बिल्कुल साफ नजर आने लगी।

सफेद रंग की ब्रा मे रजनी की काली मोटी चूचीया कैद थी और बहुत ही कातिल सा कट बना रही थी। काला रंग और उस पर सफेद ब्रा बडा ही कातिल संगम था। ब्रा पेडड उन्डरवायर ब्रा थी जिससे उसकी चूचीयाँ और भी उभर कर उपर आ गयी थी और भी मोटी लग रही थी। ब्रा ३/४ कप वाली ब्रा थी। वैसे भी वह ब्रा रजनी की मोटी चूचीयो के लिये बहुत छोटी थी उस पर ३/४ कप होने की वजह से आधी से ज्यादा चूचीयाँ रजनी की ब्रा के बाहर थी। अधखुली कमीज के अंदर ब्रा में कैद चूचीयो का नजारा देख कर मेरा मन मचल उठा था वैसे भी रजनी ने अपने हाथो से मेरे लंड की मुठ मार कर मेरी हालत खराब कर रखी थी। फिर मैंने रजनी की चूची के नंगी भाग को अपने हाथ से छुया और अपनी उंगलियाँ उस पर फिराने लगा। मेरे उंगलियाँ फिराने से रजनी के बदन मे एक सिरहन दौड गयी और बोली ओह्ह क्या कर रहा है बेटा माँसी की चूचीयो को छू कर देख रहा है। हाँ माँसी देख रहा हू की कैसी चूचीयाँ है मुलायम की कडी। अरी मेरे प्यारे बेटे मैं कोई जवान तो हूँ नंही की एक दम कडी होंगी मेरी उम्र के साथ थोडी ढीली हो गयी है पर तेरे जैसे जवान मर्दो के वीर्य की मालिश करती हूँ न इसलिये एक दम ढीली नंही पडी है अभी। लेकिन थोडी ढीली तो पड ही गयी है और मुझे तेरी माँ जैसे रोज रोज लोटे भर वीर्य तो मिलता नंही है चूचीयो के मालिश के लिये नंही तो और भी कडी होती।

अरे माँसी मैं तो बस पूछ रहा था मैं तो बस बडी चूचीयो के दिवाना हूँ वह कडी हो या ढीली इससे मुझे कोई भी फर्क नंही पडता और तुम्हारी बहुत मोटी है और तुम माँ से भी मोटी औरत हो तो मुझे तुम क्यों पंसद नंही आओगी। ओह मेरे लाल तू कितना प्यारा है दीदी बडी बांते बनाता है तेरा ये लाडला किसी भी औरत को अपने प्यार के जाल मे फंसा लेगा हाँ री वह तो मैं जानती ही हूँ वैसे भी इसके जैसे लडको को ये कला तो आती ही है। मैंने थोडी देर रजनी की चूचीयो कर अपनी उंग्लीयाँ और चलायी रजनी धीरे धीरे गर्म होने लगी थी। बडा ही जादू है रे तेरी उंगलियो मे सिर्फ स्पर्श से ही इतनी आग लगा रहा है मेरे बदन मैं तो चूची मर्दन करेगा तो क्या होगा मेरा। माँसी तुम तो बस मजा लो तुम बहुत ही मस्त मोटा माल हो जरा मुझे तुम्हारे इस बदन से प्यार से मिल तो लेने दो। ठीक है कर ले अपने मन की रिश्ता हि ऐसा है तेरा मेरा। मना भी नंही कर सकती तुझको अपनी चूचीयाँ छूने से। रजनी की चूचीयो पर थोडी देर उंगलीयाँ फिराने के बाद मैंने रजनी की कमीज का आखरी बटन भी खोल दिया। ऐसा करने से उसकी ब्रा मैं कैद चूचीयाँ बिल्कुल मेरे सामने आ गयी। सफेद ब्रा मे काली चूचीयाँ बहुत ही गजब ढा रही थी। मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे दो सफेद प्लेट मे दो बडे बडे रसीले तरबूज रखे हों।

और उन दो तरबूजो के बीच सफेद मोतियो के वह माला इस र्दश्य को और भी लुभावना बना रही थी। मैंने रजनी को थोडी देर ऐसे ही निहारा और फिर रजनी की आँखो मे आँखे डाल कर बोला माँसी उठी अब मैं तुम्हारा ये कमीज उतार देता हूँ यह मेरे काम मे बहुत रुकावट डालेगी नंही तो। मैंने कब मना किया उतारने से कह कर रजनी खडी हो गयी और मैंने रजनी की कमीज उतार दी कमीज उतारने पर मुझे रजनी की काँख के बालो के दर्शन हुये। रजनी के काँख के बहुत घने काले बाल थे पर वह थोडे छोटे छोटे काटे हुये थे श्याद क्योकी वह होटल मे काम करती थी और हर कोई काँख के बाल पंसद न करता हो। कमीज उतार कर मैंने दूसरे सोफे पर फेंक दी। रजनी अभी भी मेरे सामने खडी थी खडे होने के वजह से उसकी तंग स्कर्ट थोडी नीचे खिसक गयी थी पर उसकी काली जाँघे अभी भी नंगी थी। मैंने रजनी की चूचीयो पर हाथ रख कर उसे प्यार से सहलाने लगा। रजनी चुप चाप खडी सब कुछ देख रही थी। अब मेरे लिये बर्दाश्त करना बिल्कुल मुश्किल था अब मुझे रजनी की नंगी चूचीयाँ देखनी थी। रजनी की ब्रा का हुक आगे की तरफ था।

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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 30 Oct 2014 13:44

मैंने अपने हाथ रजनी की ब्रा के हुक पर रखे और उसकी ब्रा का हुक खोल दिया रजनी की नजरे मेरे पर ही जमी हुयी थी। ब्रा का हुक खुलते ही ब्रा के दोनो कप जोर से खुल कर रजनी के बगल मे चले गये और रजनी के दोनो तरबूज एक दम मेरे सामने आ गये। उसकी मोटी चूचीयाँ देख कर मेरे तो तन बदन सिहर उठा और मेरी आँखे चूचीयो पर ही जम गयी। रजनी की काली चूचीयाँ थोडी से लटकी हुयी थी। उसके घुडियाँ तन कर खडे हुये थे और काफी बडे थे श्याद १ या १ १/२ इंच होंगे और घुडियो के चारो और घेरा एक दम काला सा था और करीब ४ इंच की चौडायी मे था। ब्रा खुलने से जो चूचीयाँ अभी तक एक दूसरे से चिपकी हुयी थी अजाद होकर अलग हो गयी जैसे किसी कैद मे हो और मैंने उनको उस कैद से आजाद कर दिया हो। मैंने थोडी देर रजनी की चूचीयो को निहारा और फिर अपने हाथ रजनी की चूचीयो के नीचे रख कर उनके भार को अपने हथेली मे ले लिया। रजने की एक एक चूची डेढ दो किलो से कम नंही थी। मस्त चूचीयाँ है तुम्हारी माँसी मुझ बहुत ही पंसद आयी। इनसे खेलने मे बहुत मजा आयेगा। तो खेल न मैंने कब मना किया है खेलूंगा माँसी पर जरा आप के इस अर्धनग्न जिस्म को तो निहार लूँ।

फिर मैंने रजनी की ब्रा को पकड कर उसके बदन से निकाल कर फेंक दिया अब रजनी का उपरी भाग पूरा नंगा था। मैंन रजनी को निहारने लगा रजनी की बाँहे मोटी थी और मेरा मन उन मोटी बाँहो मे समाने का कर रहा था उसकी लटकी हुयी चूचीयाँ मुझे बुला रही थी उसकी घुंडियाँ मेरे होंठो का प्यार पना चाहाती थी। और उसका निकला हुया पेट जिसकी वजह से उसकी नाभी और भी गहरी लग रही थी। उसके इस कातिल बदन मे डूब जाने को जी चाहाता था। रजनी ने अपने हाथो मे अपनी चूचीयाँ उठायी और बोली ले बेटा मैं अपने चूचीयाँ तुझे परोस कर दे रही हूँ आजा भोग ले इनको। मैने पास जाकर रजनी की चूचीयो को चूमना शुरु कर दिया। अपने हाथ रजनी के कूल्हो पर रखे और रजनी की चूचीयो के चूमने लगा फिर मैंने रजनी की एक घुंडी को मुँह मे भरकर चूसना शुरु कर दिया मेरे ऐसा करते ही रजनी मचल उठी ओह मेरे लाल बहुत ही अच्छा चूसते हो तुम तो मेरे पूरे बदन मे करंट दौड गया। थोडी देर एक घुंडी चूस कर मैंने दूसरी घुंडी चूसनी शुरु कर दी। ऐसा करते हुये मैं अपने हाथ फिसला कर रजनी के स्कर्ट में कैद चूतडो पर ले गया। और उसके चूतड पर हाथ फेरने लगा।

जब मैंने रजनी की चूचीयाँ चूसते हुये रजनी के चूतड पर हाथ फेरना शुरु किया तो मुझे ऐसा महसूस हुया की रजनी ने पेंटी पहनी ही नंही है पर जब मैं उसके कुल्हो से खेल रहा था तब मुझे पेंटी का अहसास हुया था इसका मतलब या तो रजनी की कच्छी उसकी गाँड की दरार मे घुस गयी थी या उसके कोई ऐसी पेंटी पहनी थी जो उसके विशालकाय चूतड को छुपा नंही पा रही थी। पर इसका पता हो उसकी स्कर्ट उतार कर ही चल सकता था। मैंने रजनी की घुंडियो को बदल बदल कर चूसना जारी रखा साथ ही उसके चूतड भी दबा रहा था। रजनी ने एक हाथ से मेरे बालो को सहलाना शुरु कर दिया था वह इस तरह अपना प्यार जता रही थी की मैं कितनी अच्छी चूची चूस रहा हूँ और उसको चूची चूसवाने में कितना मजा आ रहा था। उसकी आँखे मस्ती में बिल्कुल बंद थी और उसके मुँह से मस्ती मे करहाने की आवाजे निकल रही थी। ओह दिपक बेटा बहुत अच्छे से खेल रहे हो मेरे बदन से खेलो बेटा और खेलो भोगो मेरे बदन को तेरे लिये ही आज मेरा ये नंगा बदन कर ले मेरे प्यारे अपने मन कि इच्छा पूरी अपनी माँसी के साथ। हाँ बेटा तेरी माँसी को मैंने इसलिये बुलाया है कि तूने कितनी बार मुझसे कहा था कि तुझे मोटी काली औरते पंसद है और जो मजा तूने मुझे कल दिया तो तेरी ये मौसी तेरा ईनाम है रीमा ने कहा। मैं उनकी बांते सुन रहा था पर मैं पूरी तरह से रजनी के बदन से खेलने मे मश्गूल था और उसकी चूतड जोर से मसलते हुये उसकी चूची चूसने का मजा ले रहा था। और रजनी भी मेरे साथ पूरा आंनद उठा रही थी।


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