छोटी सी भूल compleet

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raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 02 Nov 2014 22:39

सिधार्थ मुझे प्यार दे रहा था, और मैं उसे खुद से दूर धकैल रही थी. दर-असल मैं नही चाहती थी कि मेरे जैसी लड़की उसकी जींदगी में आए. वो बहुत अछा है, पर मैं क्या हूँ मई आछे से जानती हूँ. मैं अपनी बाकी की जींदगी का सफ़र अकेले बिताना चाहती हूँ…………. बिल्कुल अकेले.

सिधार्थ के जाने के बाद मैने अपनी मरहम पट्टी की और गरम पानी से नहा कर सो गयी. बहुत देर तक नींद नही आई पर जब आई तो सुबह 11 बजे आँख खुली. मैने उठते ही ऑफीस फोन किया कि मैं आज नही आउन्गि.

…………………………..

डेट 01-02-09

आज सनडे है और मैं घर पर हूँ. शाम का वक्त है और 6 बजने वाले है. पर एक अजीब समश्या आन खड़ी हुई है.

अभी अभी थोड़ी देर पहले डोर बेल बजी थी. मैने दरवाजे पर आकर देखा तो पाया कि किसी ने दरवाजे के नीचे से एक काग़ज़ का टुकड़ा सरका रखा था.

मैने काग़ज़ उठा कर देखा तो उस पर लीखा था

“ऋतु मैं तुम्हे सब कुछ बताना चाहता हूँ, गेट वे ऑफ इंडिया के सामने आ जाओ मैं तुम्हारा इंतेज़ार कर रहा हूँ. प्लीज़ एक बार मेरी बात सुन लो फिर कभी मुझ से बात मत करना. मैं तुम्हारे लिए ही मुंबई आया हूँ. मैं तुम्हारा इंतेज़ार कर रहा हूँ. बस एक बार मिल लो, प्लीज़”………..बिल्लू

मैने काग़ज़ फाड़ कर फेंक दिया है. बिल्लू की कोई भी बात सुन-ने का मेरा कोई इरादा नही है. वैसे भी मनीष सचाई के काफ़ी करीब है.

कल मैने दीप्ति को फोन किया था, उसने मुझे कहा था, “ऋतु, हो सकता है कि बिल्लू जींदा हो क्योंकि उसकी लाश नही मिली है. मनीष के अनुशार अशोक के साथ जो मारे गये है उनमे से एक राजू है और एक अशोक का लड़का दिनेश है”

मैने कहा, “बिल्लू यहा मुंबई में है दीप्ति”

“क्क़..क्या तुम्हे कैसे पता” --- दीप्ति ने हैरानी में पूछा.

मैने दीप्ति को 21 जन्वरी की पूरी घटना सुना दी.

“अरे तुमने तो कमाल कर दिया….. पर ये बात तुम मुझे आज बता रही हो, तुम्हे पता है ना मनीष इसी काम पर लगा है” ---- दीप्ति ने कहा.

“दीप्ति अब मेरा कुछ जान-ने का मन नही है, सॉफ लग रहा है कि बिल्लू की संजय और विवेक से कोई दुश्मनी है और संजय से बदला लेने के लिए उसने मुझे बर्बाद किया है. याद है ना वो खून से लीखी लाइन “डॉक्टर की तो यही सज़ा है पर वकील को हर हाल में मरना होगा” ---- मैने कहा

“वो तो मैं भी समझ रही हूँ, पर क्या तुम नही जान-ना चाहोगी कि बिल्लू क्यो संजय और विवेक के पीछे पड़ा है” ---- दीप्ति ने पूछा

“संजय से मेरा डाइवोर्स हो चुका है दीप्ति और विवेक से मेरा कोई लेना देना नही है. बाकी संजय खुद सब कुछ संभाल लेंगे, बिल्लू उनके पीछे पड़ा है तो पड़ा रहने दो. मैं इस चक्कर में नही पड़ना चाहती” ---- मैने कहा.

“वो तो ठीक है ऋतु, पर मनीष कह रहा था कि बहुत जल्द सचाई हमारे सामने होगी” ---- दीप्ति ने कहा.

इश्लीए मेरा बिल्लू से मिलने का कोई इरादा नही है. सचाई वैसे भी जल्दी ही सामने आ जाएगी.

……………………..

डेट : 2-02-09

आज सुबह की शुरूवात बहुत बुरी तरह हुई. सुबह कोई 8 बजे मैने अपनी खिड़की से बाहर झाँक कर देखा तो पाया कि मेरे फ्लॅट के बिल्कुल सामने सड़क पर बिल्लू खड़ा था.

मुझे खिड़की में देखते ही वो हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया, जैसे की कह रहा हो कि प्लीज़ मुझ से मिल लो.

मैने झट से खिड़की बंद कर दी और ऑफीस के लिए तैयार होने लगी.

शाम को जब घर आई तो फिर से मुझे अपने घर के अंदर दरवाजे के पास एक काग़ज़ मिला

उस पर लिखा था

“मैं बहुत देर तक कल तुम्हारा इंतेज़ार करता रहा, तुम्हे सब कुछ बता कर वापस देल्ही जाना चाहता हूँ, मेरे पास यहा ज़्यादा वक्त नही है. जैसे तैसे यहा किसी फ्रेंड के पास रह रहा हूँ. वो भी अब परेशान होने लगा है. मेरी फाइनान्षियल पोज़िशन ऐसी नही है कि इस सहर में ज़्यादा दिन ठहर पाउ. तुम्हे सब कुछ बता देता तो दिल को तस्सल्ली मिलती. तुम्हे बताए बिना मर गया तो मेरी आत्मा भटकती रहेगी. मेरी जींदगी का कोई भरोसा नही है. किसी भी वक्त मैं मर सकता हूँ, मेरी जान को हर वक्त ख़तरा है. प्लीज़ एक बार मिल लो. मैं तुमसे और कुछ नही चाहता”……………….बिल्लू

पता नही क्यों, एक मन हो रहा है कि एक बार उसकी बात सुन लूँ, पर फिर उसकी पिछली हरकते याद आती है. क्या पता ये उसकी कोई चाल हो, उस पर विश्वास

करना मुश्किल है.


raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 02 Nov 2014 22:40

गतांक से आगे ...................

डेट 7-02-09

पीछले 5 दीनो से देख रही हूँ, बिल्लू रोज सुबह मुझे ऑफीस जाते वक्त मेरे फ्लॅट के बाहर मिल जाता है, और जब मैं वापस आती हूँ तो भी मुझे वही मिलता है. उसके चेहरे पर ऐसे भाव रहते है, जैसे की वो बहुत इनोसेंट हो, लगता ही नही है कि उसी ने मुझे बर्बाद किया है. बिल्लू का ये दूसरा ही रूप देख रही हूँ. पता नही क्या राज है. मैं अब दीप्ति के फोन का इंतेज़ार कर रही हूँ. कल उसने बताया था कि बस एक दौ दिन की बात है सचाई सामने आ जाएगी. रोज मुझे ऑफीस से आते ही घर के अंदर दरवाजे के नीचे बिल्लू की लीखी चिट मिलती है. रोज यही लीखा होता है कि “आज फिर मैं गेट वे ऑफ इंडिया पर तुम्हारा इंतेज़ार करूँगा, हो सके तो आ जाओ”

पर मैं उस से मिलने कैसे चली जाउ, जो उसने मेरे साथ किया है उसे मैं कभी नही भुला सकती. और क्या पता वो मुझे कौन सी कहानी शुनाएगा. बातें बनाने में तो वो एक्सपर्ट है ही. क्या पता कोई नयी चाल चल रहा हो.

इश्लीए मैं बिल्लू को इग्नोर करके अपने काम पर ध्यान दे रही हूँ.

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रात के 10 बज रहे है. अभी थोड़ी देर पहले पापा से फोन पर लंबी बात की.

“बेटे सिधार्थ का फोन आया था, तुमने बताया नही कि वो वही मुंबई में है, बहुत अछा लड़का है” ---- पापा ने कहा

“जी पापा मुझे ध्यान ही नही रहा, सिधार्थ हमारी कंपनी का सीए है, अक्सर ऑफीस में उस से मुलाकात हो जाती है, पर उसने आपको क्यो फोन किया” ----- मैने हैरानी में पूछा.

“बेटा, वो तुमसे शादी करना चाहता है, मुझ से कह रहा था कि आप मान जाओ तो ऋतु भी मान जाएगी. मैं तो पहले भी तुम लोगो के साथ ही था, बस उसके पापा की इज़ाज़त के बिना कुछ नही होने देना चाहता था. अछा लड़का है, उसके साथ तुम जींदगी की नयी शुरूवात कर सकती हो, बाकी सब कुछ तुम्हारे उपर है, मैं तुम्हे कुछ नही कहूँगा, जैसा तुम्हे अछा लगे करो, मैं तुम्हारे साथ हूँ.” ---- पापा ने कहा

आज तक मैने पापा की बात नही टाली है, इश्लीए मैने उन्हे कुछ नही कहा कि मैं क्या चाहती हूँ. मैं सोच रही हूँ कि अब सिधार्थ से ही बात करूँगी.

डेट : 8-02-09

आज मन बहुत उदास है चिंटू का बिर्थडे है और मैं उसके पास नही हूँ, पर क्या करूँ उस से मिलने भी नही जा सकती. नयी नयी नौकरी जाय्न की है, और फिर अभी काम भी ज़्यादा है. सुबह का वक्त है सोच रही हूँ कि मंदिर चली जाउ. शायद मन को कुछ सकुन मिले. वैसे भी आज सनडे है और मेरे पास काफ़ी वक्त है

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11:30 एम (8-02-09)

मंदिर में घुसते ही मुझे एक अनोखा सा सकुन मिला. मंदिर में बहुत प्यारा भजन चल रहा था.

♫♪♫….. हरे कृष्णा… हरे कृषणे…..कृष्णा कृष्णा….हरे.. हरे.. हरे रामा…हरे रामा… रामा रामा.. हरे…हरे....♫♪♫

किसी ने सच ही कहा है कि जब आप भगवान के पास हाथ जोड़ कर जाते है तो भगवान आपको गले लगा लेते है. कुछ ऐसा ही अहसाश मुझे हो रहा था.

ये भजन मेरी अन्तेर आत्मा में उतरता चला गया. बहुत दीनो बाद मन को कुछ शांति मिली. पर ये शांति ज़्यादा देर नही रह पाई.

मैं भगवान के आगे आँखे बंद करके खड़ी थी और मन ही मन चिंटू के लिए लंबी उमर की कामना कर रही थी. अपने लिए मैं क्या मांगती बस यही दुवा कर रही थी कि हे भगवान मुझे हमेशा आछे रास्ते पर रखना. मुझे इतनी शक्ति देना कि जब भी मेरे सामने दौ रास्ते आयें तो मैं सही रास्ते का चुनाव कर सकूँ.

सभी कुछ अछा चल रहा था आँखे बंद करके में अंदर ही अंदर खो गयी थी और हरे कृष्णा हरे रामा भजन मेरे कानो में गूँज रहा था.

अचानक मुझे एक आवाज़ शुनाई दी

“भगवान मुझे आपसे कुछ नही चाहिए, वैसे भी जो था वो तो आपने पहले ही छीन लिया है, अगर मुझे कुछ देने को बचा हो तो वो इस देवी को दे दो. मैं ज़्यादा दिन नही जीना चाहता, मेरी उमर आप इस देवी को लगा दो. और ये देवी आपसे जो भी मांगती है दे दो भगवान मैं इस देवी को बहुत प्यार करता हूँ…”

मैने हैरानी में आँखे खोल कर देखा और चोंक गयी..

बिल्लू मेरे पास आँखे बंद करके भगवान के आगे हाथ जोड़े खड़ा था. मैने मन ही मन में सोचा कि इसकी हिम्मत कैसे हो गयी यहा आने की और ऐसे मेरे साथ खड़े होने की.

मैने पुजारी से परसाद लिया और झट से मंदिर से बाहर आ गयी.

“ऋतु रुक जाओ, प्लीज़…. एक बार मेरी बात तो सुन लो, मैं बस तुम्हे कुछ बताना चाहता हूँ, और तो कुछ नही चाहता, प्लीज़….” ---- बिल्लू ने मेरे पीछे आते हुवे कहा.

मैं रुक गयी और पीछे मूड कर उसे कहा, “बिल्लू अगर तुम में ज़रा सी भी शरम बाकी है तो यहा से चले जाओ. और मुझे तुमसे कुछ नही सुन-ना. वैसे भी मुझे काफ़ी कुछ पता चल गया है. मेरा पीछा छ्चोड़ दो और यहा से दफ़ा हो जाओ.”

मंदिर मेरे फ्लॅट के नज़दीक ही था, इश्लीए तेज़ी से चल कर मैं अपने घर आ गयी. मुझे बहुत बुरा लग रहा था कि वो मेरे पीछे मंदिर तक आ गया. पता नही बिल्लू ऐसा क्यो कर रहा है ?

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रात के 11 बजने को है और मन बहुत बेचन हो रहा है. ये बेचानी सिधार्थ के कारण है. समझ नही आता की उसे कैसे सम्झाउ.

जैसे ही मैं मंदिर से आई थी सिधार्थ घर आ गया था.

“ऋतु मैं बिना बताए आ गया, तुम बुरा तो नही मानोगी” ---- सिधार्थ ने हंसते हुवे पूछा.

“नही कोई बात नही, बैठो मैं कॉफी बनाती हूँ” --- मैने कहा.

मैं खुद उस से मिलना चाहती थी. अब जब उसने पापा से बात कर ली थी तो उसे सब कुछ बताना ज़रूरी हो गया था.

“ऋतु, मैने कल तुम्हारे पापा से बात की थी, शायद उन्होने तुम्हे बताया होगा. वो तो तैयार है, अब बस तुम्हारे हाँ कहने की देर है, जो सपना हम पहले पूरा नही कर पाए थे वो अब कर सकते है. तुम बताओ, क्या मुझ से शादी करोगी” ? --- सिधार्थ ने कॉफी पीते हुवे पूछा.

“ह्म्म…. सिधार्थ आइ रेस्पेक्ट यू ए लॉट. यू आर रियल जेन्तल्मेन. एनी वोमेन वुड लव टू मॅरी यू. बट..” ---- मैने कहा

“बट क्या, वो वोमेन तुम क्यो नही हो सकती ? आख़िर तुम क्यो मुझ से शादी नही करना चाहती ? बहाना बना रही हो है ना, तुम्हे शायद अब मैं अछा नही लगता” ? --- सिधार्थ ने एमोशनल टोन में कहा.

“ऐसी बात नही है सिधार्थ, मेरी जींदगी उलझी हुई है, मैं तुम्हे कैसे सम्झाउ” ---- मैने कहा.

“मुझे मोका तो दो मैं तुम्हारी हर उलझन दूर कर दूँगा, पर ऐसे बहाना मत बनाओ. मैं तुम्हे बहुत प्यार करता हूँ और तुम मुझे सता रही हो” ---- सिधार्थ ने कहा.

“मैं तुम्हे सता नही रही हूँ सिधार्थ, मैं तुम्हे कैसे बताउ, अछा रूको मैं तुम्हे कुछ देती हूँ” --- मैने सिधार्थ से कहा.


raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 02 Nov 2014 22:41

“क्या ऋतु” ? ---- सिधार्थ ने पूछा.

मैं अपने बेडरूम में गयी और अपनी डाइयरी ले आई. मैं सिधार्थ को अपने मूह से सब कुछ नही बता सकती थी. इश्लीए सिधार्थ को अपनी डाइयरी देने का फ़ैसला किया.

“ये लो सिधार्थ तुम इसे पढ़ लो, तुम खुद समझ जाओगे कि आज मैं किस हालात में हूँ” ---- मैने सिधार्थ को अपनी डाइयरी देते हुवे कहा.

“क्या है इस डाइयरी में ऋतु, तुम खुद क्यो नही बता देती” ? ---- सिधार्थ ने पूछा.

“तुम खुद पढ़ लो सिधार्थ, तब तक मैं लंच बनाती हूँ” ----- मैने कहा

“वाउ…. क्या तुम मुझे अपने हाथ का खाना खिलाओगी, आज तो मज़ा आ जाएगा, बहुत दीनो से मैने घर का खाना नही खाया, तुम्हे तो पता ही है, मैं भी तुम्हारी तरह यहा मुंबई में अकेला रह रहा हूँ, अक्सर बाहर ही खाना पड़ता है” ----- सिधार्थ ने मुश्कूराते हुवे कहा.

“हाँ सिधार्थ हम दोनो साथ लंच करेंगे. और हाँ इस डाइयरी में लीखी कहानी हो सकता है तुम्हे भद्दी लगे. दर-असल मैने कुछ नही छुपाया. जो कुछ भी मेरे साथ पीछले दीनो हुवा है सब कुछ सच सच लीख दिया है ” --- मैने कहा.

“ठीक है मैं पढ़ता हूँ तुम जल्दी से लंच बनाओ मैं खाना खाने के लिए मरा जा रहा हूँ” सिधार्थ ने कहा.

मैं किचन में खाना बनाने लगी और सिधार्थ मेरी डाइयरी पढ़ने में बिज़ी हो गया.

जैसे ही मैं लंच बना कर किचन से बाहर आई तो मैने देखा कि वो डाइयरी को एक तरफ रख कर चुपचाप बैठा है.

मैने पूछा “लंच तैयार है सिधार्थ क्या लंच करें”

“ऋतु ये सब कैसे हो गया, मुझे बिल्कुल विश्वास नही हो रहा. मैं समझ नही पा रहा हूँ कि कैसे रिक्ट करूँ” ---- सिधार्थ ने मेरी ओर देख कर कहा.

“लंच करते है सिधार्थ, मैं इस बारे में कोई बात नही कर पाउन्गि. हां इतना ज़रूर कहूँगी कि इस डाइयरी की एक एक बात सच है. सच के अलावा मैने इस में कुछ नही लीखा.” --- मैने कहा.

“ऋतु अछा किया तुमने मुझे ये डाइयरी दे दी. मेरे दिल में तुम्हारे लिए सम्मान और बढ़ गया है. मुझे अछा लगा कि तुमने संजय को सब कुछ सच सच बता दिया था. ” ---- सिधार्थ ने कहा.

“पर सच बताने में मैने देर कर दी थी सिधार्थ. ” ---- मैने सिधार्थ से कहा.

“ऋतु, अगर तुम सोचती हो कि इस डाइयरी में लीखी बाते हमारी शादी में रुकावट है तो तुम ग़लत हो. हां मुझे बुरा लगा, बल्कि बहुत बुरा लगा, पर जैसे जैसे मैं पढ़ता गया मुझे ये भी लगा कि तुम एक अछी इंशान हो जिसमे कि आछे बुरे की समझ बाकी है. तुम्हे अपनी ग़लती का अहसाश है, और क्या चाहिए. मैं तुमसे शादी करने के लिए तैयार हूँ. मुझे इस डाइयरी से कोई मतलब नही है. तुम इसमें आग लगा दो और सब कुछ भूल कर मेरी जींदगी में आ जाओ. हम दौनो नयी शुरूवात करते है” सिधार्थ ने कहा.

ऐसा लग रहा था जैसे की सिधार्थ मेरे प्यार में अँधा हो गया है

“ओह नो सिधार्थ ये डाइयरी तुम्हे देने का ये मतलब नही था. तुम समझते क्यो नही हो. मैं अभी बहुत उलझन में हूँ” ----- मैने कहा.

“ऋतु मैं तुम्हे अभी शादी करने को नही कह रहा हूँ. अब जब मैने ये डाइयरी पढ़ ली है तो मैं समझ सकता हूँ. तुम आराम से अपने काम पर ध्यान दा. और रही उस बिल्लू की बात मुझे दिखाओ कि वो कौन है, उसकी अकल मैं ठीकाने लगाता हूँ” ------ सिधार्थ ने कहा.

मैने अपने फ्लॅट की सड़क की तरफ वाली खिड़की से बाहर झाँक कर देखा. पर बिल्लू वाहा नही दीखा.

“अभी वो यहा नही है. पर जब भी मैं सुबह ऑफीस जाती हूँ और जब शाम को वापस आती हूँ तो वो आजकल मेरे फ्लॅट के सामने सड़क पर मिलता है” ---- मैने कहा

“तुम चिंता मत करो मैं कल सुबह 9 बजे आ जाउन्गा. तुम कंपनी की कार में मत जाना, हम साथ चलेंगे, ठीक है. मैं देखना चाहता हूँ कि ये बिल्लू आख़िर क्या बला है” --- सिधार्थ ने कहा.

फिर हम दोनो ने लंच किया.

लंच करने के बाद सिधार्थ ने कहा, “तुम सोच लो ऋतु, तुम्हारे पास बहुत वक्त है, पर मैं शादी तुम से ही करूँगा, आइ लव यू फ्रॉम दा बॉटम ऑफ माइ हार्ट. बड़े से बड़ा तूफान भी मेरे प्यार को नही हिला सकता. ये तुम्हारी डाइयरी भी नही. आइ विल वेट फॉर यू. अब मैं चलता हूँ, किसी क्लाइंट के पास जाना है. कल सुबह मिलते है ठीक है”


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