कामुक-कहानियाँ शादी सुहागरात और compleet

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raj..
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Re: कामुक-कहानियाँ शादी सुहागरात और हनीमून

Unread post by raj.. » 11 Dec 2014 08:44

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गतान्क से आगे…………………………………..

रीमा तो अपने जीजू के साथ मगन थी और अंजलि संजय से लगी हुई थी. लेकिन रजनी...

मेरे नेंदोई वो सुबह की गाड़ी से वापस चले गये थे.

सीढ़ी से उतरते समय नीचे सोनू मिला. मेरे मन में एक बात कौंधी,

हे तू रजनी को...वो बेचारी अकेली है उस का ख्याल क्यों नही रखता.

पर वो...गुड्डी...वो ... वो सोच में पड़ गया.

अर्रे तूने गोविंदा की पिक्चरे नही देखी क्या, एक साथ दो दो...तो तू किस हीरो से कम है.

मन तो उसका भी कर रहा था. मेने और पलिता लगाया.

अर्रे तेरे ही शहर में अगले साल वो मेडिकल की कोचिंग जाय्न करना वाली है, तेन्थ के बाद. एक साल से भी काम समय है. एलेवेन्थ, ट्वेल्फ्त वहीं से करेगी कोचिंग के साथ और अकेले रहेगी. तू उसका लोकल गार्डियन बन के रहेगा.पूरे दो साल...सोच वो एलेवेन्थ, ट्वेल्थ में होगी अकेले, तेरे तो मज़े हो जाएँगे, पटा ले.... माल है.

सच्ची कह रही हो, वो कोचिंग के लिए आ रही है. सच में ए-वन माल है...

लेकिन कहीं गुड्डी ने देख लिया ना तो और जलेगी. फिर दो के चक्कर में एक जो पट रही है वो भी ना हाथ से ...

अर्रे जलेगी तो और जल्दी पटेगी. बस तू देख के आ गुड्डी कहाँ हैं, आधे घंटे तक मे उसे उलझा के रखूँगी तब तक तू उसे चारा डाल. वो शायद किचन में ही होगी.

बस तुम उसको आधे घंटे तक बिज़ी रखना, तब तो मे चारा क्या चिड़िया को पूरा चुग्गा खिला दूँगा, बस देखती जाओ. और वो ये जा, वो जा.

पीछे से सीढ़ियो पे आवाज़ हुई. अंजलि थी, लेकिन बड़ी जल्दी में...मेने जब सामने देखा तो संजय था.

उसके पीछे से रजनी चली आ रही थी, अकेले. मुझे देख के उस का चेहरा खिल उठा. मेने मुस्करा के उस से पूछा, हे सोचा क्या.... वो समझ नही पर, बोली क्या भाभी. मेने उसे याद दिलाया, मेने बोला था ना, 'तेरे भैया की प्यास मे बुझाती हूँ और मेरे भैया की तुम बुझा देना, ' तो तूने बोला था कि सोचूँगी. तो सोचा क्या.

खिलखिला के वो जा रही अंजलि और संजय की ओर इशारे से बोली,

भाभी आप का एक भाई तो बुक हो गया.

तब तक सोनू किचन की ओर से लौट के आ गया. उसने मुझे इशारे से बताया कि गुड्डी किचन में ही है. सोनू टी शर्ट और जीन्स में बहुत स्मार्ट लग रहा था. रजनी उसे एक टक देख रही थी. सोनू की ओर इशारा करके मे बोली,

इस के बारे में क्या इरादा है.

ठीक लग रहा है, ट्राइ कर के देख सकती हूँ...देखूँगी. वो अदा से बोली.

तब तक सोनू पास आ गया था. मेने दोनों से कहा,

हे तुम ट्राइ करो और तुम अपने माल का ख्याल करो...मे तो चली किचन में. मेरी अच्छि ढूढ़नी हो रही होगी.

रजनी सोनू के साथ गयी, सीढ़ियों से कस के हंसते हुए रीमा उनके साथ उतर रही थी. और मे किचन में जा पहुँची.

किचन में तो घमासान मचा था. मेरी जेठानी, गुड्डी के साथ मेरी मन्झलि ननद भी...और वो मुझे देख के ( और शायद इसीलिए और ) अनदेखा करते हुए बोल रही थीं,

कितना काम बचा हुआ है. मुझे अभी सारी पॅकिंग करनी है, 7 बजे ट्रेन है. उसके बाद रजनी लोगों की भी ट्रेन साढ़े आठ बजे है. रास्ते के लिए भी खाना बना के पॅक होना है. फिर सभी लोगों के विदाई का समान...उपर से पिक्चर का अलग से प्रोग्राम बना लिया...दुल्हन के उपर ज़िम्मेदारी होती है. वो कुछ नही, बस बछेड़ियों की तरह...लड़कियो के साथ कुदक्कड़ ...मची हुई है. और करें कल की छोकरि से शादी...मेरा क्या काम काज में आउन्गि...पर घर की ज़िम्मेदारी.

मेरी जेठानी ने आँख के इशारे से मना किया कि मे बुरा ना मानूं. मे क्यों बुरा मानती. जैसे क्लास में कोई शरारती बच्चा देर से आए और चुप चाप बैठ के अपने काम करने लगे मे भी काम में लग गयी. मेने चारो ओर देखा, काम फैला पड़ा था. कुछ देर बाद मेने हिम्मत कर के मन्झलि ननद जी से कहा कि हम लोग किचन के काम सम्हाल लेंगे वो जाके पॅकिंग कर लें.

उन्होने हम लोगों की ओर देखा और भूंभूनाते हुए चली गयीं.

हम सब ने चैन की सांस ली यहाँ तक कि किचन में काम करने वाले महाराज और उनका साथ दे रहे रामू काका ने भी.

मेने जेठानी जी से समझ लिया कि क्या बनाना है. पता चला कि परेशानी पॅक किए जाने वाले खाने की थी. मांझली ननद जी को कुछ और पसंद था, उनके बच्चे को कुछ और, फिर जेठानी जी ने सोचा था कि जो इस समय सब्जी बन रही है वही कुछ उनके लिए पॅक कर दी जाए जो उनको सख़्त नागवार गुज़रा. लड़के की शादी में लड़कियो की विदाई भी पूरी दी जाती है, उसका भी हिसाब किताब सेट होना था, पॅकिंग होनी थी. मेने कहा 'दीदी, ऐसा है आप जा के ननद जी लोगों की जो विदाई है उसका इंतज़ाम करें मे यहाँ सम्हाल लूँगीं.' वो अचरज से बोली, अकेले. मेने हंस के गुड्डी की पीठ पे हाथ फेराते हुए कहा, ये है ना मेरी सहेली. काम करने के लिए ये काफ़ी है, मे तो इसका सिर्फ़ साथ दूँगी.

वो भी चली गयीं, अब बचे सिर्फ़ मे और गुड्डी.

परेशानी सिर्फ़ यही थी...टू मेनी कुक्स ...इन्स्ट्रक्षन देने वाले कयि और काम करने वाले कम...

मेने देखा एक स्टोव रखा हुआ था, गुड्डी से मेने बोला उसे जलाने को और शाम को ले जाने वाली सब्जी उस पे चढ़वा दी. फिर मेरी नज़र माइक्रोवे ओवन पे पड़ी. फिर मेने पूछा, ननद जी के बच्चो के लिए कौन सी सब्जी बनाने के लिए वो बोल रही थीं. वो कटी रखी थी. उसे मेने खुद बना के ओवन में रख दिया और रामू को पॅक होने वाली पूड़ी के लिए आटा गूथने के लिए बोला. गुड्डी से मेने कहा कि ऐसा करते हैं कि स्टोव पे सब्जी जैसे ही हो जाएगी कड़ाही चढ़ा देंगे, पूड़ी के लिए.

अलमारी में मेने ढूँढा, अल्यूमिनियम फ़ॉल भी मिल गया पॅक करने को. वो भी मेने निकाल के समझा दिया कि ले जाने वाली पूड़ी इसमें पॅक करके कैस रोल में रख देंगें. दस मिनट में ही मे ओवेन से सब्जी उतार चुकी थी और चीज़ें रास्टेन पे थीं. गुड्डी को मेने सब समझा दिया और कहा कि वो यहाँ से हीले नही बस सब चीज़ें मेने जैसे बोली है, देखती रहे बस मे ज़रा दीदी के पास से होके आ रही हूँ कि उनकी विदाई वाली पॅकिंग कैसे चल रही है.

गुड्डी बोली, ' आप ने तो...अभी यहाँ कितना तूफान मचा हुआ था और बस दस मिनट में,

अर्रे कमाल तो सब तेरा है, काम तो तू कर रही है, बस तू देखती रहना हिलना नही और उस के गाल पे एक प्यार से चपत लगा के मे बाहर निकल आई.

मे देखना चाहती थी कि सोनू और रजनी का मामला कितने आगे बढ़ा.

सीढ़ी के नीचे एक कमरा था. उसमें शादी की मिठाइयाँ, बाकी सब समान रखा जाता था. उधर कोई आता जाता नही था. मेरा शक था कि वो दोनो उधर ही...और जब मे दरवाजे के पास पहुँची तो मेरा शक सही निकाला. अंदर से हल्की हल्की आवाज़ें आ रही थीं, दरवाजा उठंगा हुआ था. दबे पाँव ...पंजो के बल...मेने देखा, सोनू उसे छेड़ रहा था,

बच्ची, छोटी सी बच्ची...

हे, मे अंजलि दीदी से सिर्फ़ एक साल ही छोटी हूँ, और उन्हे देखो, संजय तो उनसे नही कहता कि ...और नई भाभी भी तो, तुम्हारी दीदी भी मुझसे मुश्किल से तीन साल... वो इतरा के बोली.

तू बच्ची नही है बड़ी हो गयी है. सोनू उससे एक दम सॅट के बैठा था और उसका एक हाथ उसके कंधे के उपर था. उसे और अपने पास खींच के वो बोला.

एक दम...मे टीनएजर हूँ और वो भी पिच्छले पूरे दो सालों से, बच्ची कतई नही हूँ.

' चलो मे मान लेता हूँ कि तुम टीनएजर हो...अगर एक क़िस्सी दे दो. सोनू ने उसे और चढ़ाया.

लेकिन वो गुड्डी की तरह आसानी से हत्थे चढ़ने वाली नही थी.

हे ...हे चलो...मे ऐसे मानने वाली नही हूँ वो झटक के बोली. पर सोनू भी...

तो कैसे मनोगी बोलो ना...ऐसे मनोगी...और उसने सीधे उसक होंठो पे जब तक वो संभली एक ..पच्चक से...क़िस्सी ले ली.

मुझे लगा कि रजनी अब गुस्सा हो के उठ जाएगी और कहीं वो सोनू को....

गुस्सा तो वो हुई पर...गुस्से से वो बोली, क्या करते हो जूठा कर दिया, अभी मे भाभी से शिकायत करती हूँ.

हे हे मे तो डर गया क्या शिकायत करोगी...दीदी से. चिढ़ाते हुए सोनू ने और छेड़ा.

मे कहूँगी ... कहूँगी की...कि तुमने मेरी...ले ...ले ली.

अर्रे ऐसा मत बोलना...वो समझेंगी कि उनकी इस प्यारी ननद की पता नही मेने क्या ले ली.

मे बोलूँगी सॉफ सॉफ डरती थोड़े ही हूँ कि तुमने मेरी...क़िस्सी ले ली.

अगर वो पूच्छें कि कैसे...ली. मुस्कराते हुए सोनू ने कहा.

अब रजनी के लिए भी मुस्कराहट दबानी मुश्किल हो रही थी.

अबकी बार उसने सोनू के होंठो पे एक झटक से क़िस्सी ली और बोली, ऐसे.

अब वो खिलखिला के हंस रही थी, जल तरंग की तरह.

फिर तो सोनू ने भी...पुच्च...पुच्च्पुचक...पुच्चि...पुच्च पुच्च.

अब वो जब रुके तो सोनू ने उसके कसी फ्रॉक से, झलक रहे टीन उभार को साइड से...उंगली के टिप से...हल्के से छूआ, दबाया.

मुझे लगा कि अब वो ज़रूर गुस्सा ...कहीं सोनू को. लेकिन गुस्से की आवाज़ में वो बोली भी और उसने सोनू का हाथ वहीं बूब्स के स्वेल के साइड में पकड़ लिया...लेकिन हटाया नही.

ये क्या करते हो.

तेरा दिल ढूँढ रहा हूँ...जब तुम इतनी प्यारी हो तो तुम्हारा दिल भी...

मेरा दिल ...ग़लत जगह ढूँढ रहे हो, थोड़ी देर पहले यहीं था लेकिन अब मेरे पास नही है.

कहाँ गया ...कौन ले गया... सोनू ने उसके चेहरे के पास अपने होंठ ले जाके पूछा.

एक पल के लिए उसने सोनू के हाथो पे रखा अपना हाथ हटा दिया. सोनू को मौका मिल गया,

उसने एक झटके में उसके रूई के फाहे जैसे मुलायम उरोजो पे अपने हाथ हल्के से दबा के पूछा,

कौन है वो चोर ...बताओ तो उसकी मे ऐसी की...

उभार पे रखे उसके हाथ पे अपने हाथ रख के वो हल्के से बोली,

हे उसकी बुराई ना करो...मे उसको बहुत प्या... फिर वो रुक गयी और बोली, वो...वो बहुत अच्छा है, यही मेरे पास ही है वो फिर ढेर सारी चाँदी की घंटियों की तरह, खनखना के हंस दी.

हँसी तो फँसी...चलो इन लोगों की गाड़ी तो पटरी पे चल निकली. मे दबे पाँवों से वहाँ से खिसकी और अपनी जेठानी के कमरे में जा पहुँची.

वो तीन साड़ियाँ ले के कुछ उधेड़ बुन में पड़ीं थीं. मेरे पूछने पे वो बोली,

अर्रे यार इसमें से कौन सी सारी वो मझली ननद जी की विदाई के लिए निकालू. एक उनके लिए है, एक उनकी देवरानी को देनी होगी और एक रजनी की मा के लिए.

अर्रे तो पूच्छ लीजिए ना, उनसे जो उन्हे पसंद होगा बता देंगी. बूढो की तरह मे बोली.

अर्रे यही फरक है नई बहू में...तू समझती नही. वो चालू हो जाएँगी...जो तुम्हे पसंद हो मेरा क्या है और बताएँगी भी नही.

मे मान गयी उन की बात. पल भर सोचती रही फिर बोली,

दीदी, ऐसा करते हैं आप तीनो साड़ियाँ उनके पास ले जाइए और उन्हे सब बात बता दीजिए.

लेकिन उन्हे अपने लिए सारी पसंद करना के लिए मत बोलिए. सिर्फ़ उनसे कहिए कि आपको उनकी देवरानी की पसंद नही मालूम...क्या वो हेल्प कर सकती हैं. जब वो सेलेक्ट हो जाएगी तो फिर पूच्छ लें कि रजनी की मम्मी के लिए कौन सी सारी ठीक रहेगी.

वो तुरंत चली गयी और लौट के आईं तो उनके चेहरे पे खुशी झलक रही थी,

तूने बहुत सही आइडिया दिया...दोनो उन्होने खुशी खुशी बता दिया.

यही तो दीदी...उन्हे खुद बोलना नही पड़ा कि उन्हे ये वाली चाहिए और उपर से ये भी हो गया कि हर काम उनसे पूच्छ पूच्छ के होता है. मे ने कहा लेकिन वो अभी भी थोड़ी परेशान लग रही थीं क्या बात है दीदी... वो बोली, अर्रे यार अभी मे सब मेहनत से लगा रही हूँ फिर कोई आएगा देखने इनको क्या दिया, उनको क्या दिया...मेरी सारी मेहनत बेकार हो जाएगी और फिर जलन अलग.

बात उनकी एक दम सही थी. मे फिर बोली,

दीदी ऐसा करते हैं ना...सब गिफ्ट रॅप कर देते हैं फिर कोई खोलेगा भी नही अर्रे मेरी बन्नो, गिफ्ट रॅप का समान कहाँ से मिलेगा. आइडिया तो तेरा सही है...पर मेरी निगाह तब तक मेरे रिसेप्षन में मिले गिफ्ट्स पे पड़ गयी थी. मेने सम्हल के उन्हे अनरॅप किया और फिर सब कपड़े समान को गिफ्ट रॅप करना शुरू कर दिया...और साथ सब पे नाम भी और डिज़ाइन भी...लेकिन मे इस तरह बैठी थी कि मेरी निगाह एक साथ किचन पे और जिस कमरे में रजनी सोनू थे साथ साथ थी.

क्रमशः…………………………….

raj..
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Re: कामुक-कहानियाँ शादी सुहागरात और हनीमून

Unread post by raj.. » 11 Dec 2014 08:45

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gataank se aage…………………………………..

Reema to apne jiju ke saath magan thi aur Anjali Sanjay se lagi huyi thi. lekin Rajni...

mere nendoyi wo subah ki gaadi se waapas chale gaye the.

seeddhi se utarte samay niche Sonu mila. mere maan mein ek baat kaundhi,

he tu Rajni ko...wo bechari akeli hai us ka khyal kyon nahi rakhta.

par wo...Guddi...wo ... wo soch mein pad gaya.

arre toone Govinda ki pikcharen nahi dekhin kya, ek saath do do...to tu kis hero se kam hai.

maan to uska bhi kar raha tha. mene aur palita lagaya.

arre tere hi sheher mein agle saal wo medical ki coaching join karna waali hai, tenth ke bad. ek saal se bhi kaam samay hai. eleventh, twelfth wahin se karegi coaching ke saath aur akele rahegi. tu uska local guardian ban ke rahega.poore do saal...soch wo eleventh, twelfth mein hogi akele, tere to majje ho jayenge, pata le...mast maal hai.

sachchi kah rahi ho, wo coaching ke liye a rahi hai. sach mein A-ONE maal hai...

lekin kahin Guddi ne dekh liya ne to aur jalegi. phir do ke chakkar mein ek jo pat rahi hai wo bhi ne hath se ...

arre jalegi to aur jaldi pategi. bas tu dekh ke a Guddi kahan hain, adhe ghante tak me use uljha ke rakhoongi thi tak tu use chara daal. wo shaayad kitchen mein hi hogi.

bas tum usko adhe ghante tak busy rakhne, thi to me chara kya chidiya ko poora chugga khila doonga, bas dekhti jao. aur wo ye ja, wo ja.

peeche se sidhiyon pe awaaj huyi. Anjali thi, lekin badi jaldi mein...mene jab saamne dekha to Sanjay tha.

uske peeche se Rajni chali a rahi thi, akele. mujhe dekh ke us ka chehara khil utha. mene muskara ke us se poocha, he socha kya.... wo samajh nahi pai, boli kya bhabhi. mene use yaad dilaya, mene bola tha ne, 'tere bhaiya ki pyaas me bujhati hoon aur mere bhaiya ki tum bujha dene, ' to toone bola tha ki sochungi. to socha kya.

khilkhila ke wo ja rahi Anjali aur Sanjay ki or ishare se boli,

bhabhi aap ka ek bhai to book ho gaya.

thi tak Sonu kitchen ki or se laut ke a gaya. usne mujhe ishare se bataya ki Guddi kitchen mein hi hai. Sonu T shirt aur jeans mein bahut smart lag raha tha. Rajni use ek tak dekh rahi thi. Sonu ki or ishara karke me boli,

is ke bare mein kya irada hai.

theek lag raha hai, try kar ke dekh sakti hoon...dekhoongi. wo ada se boli.

thi tak Sonu pas a gaya tha. mene donon se kaha,

he tum try karo aur tum apne maal ka khyal karo...me to chali kitchen mein. meri achchhi dhudhani ho rahi hogi.

Rajni Sonu ke saath gayi, sidhiyon se kas ke hanste huye Reema unke saath utar rahi thi. aur me kitchen mein ja pahunchi.

kitchen mein to ghamasan macha tha. meri jethani, Guddi ke saath meri manjhali nanad bhi...aur wo mujhe dekh ke ( aur shaayad isiliye aur ) andekha karte huye bol rahi thin,

kitne kaam bacha hua hai. mujhe abhi sari packing karni hai, 7 baje train hai. uske bad Rajni logon ki bhi train sadhe ath baje hai. raste ke liye bhi khane bane ke pack hone hai. phir sabh logon ke widayi ka saman...upar se picture ka alag se program bane liya...dulhan ke upar jimmedari hoti hai. wo kuch nahi, bas ba chediyon ki tarah...ladakyon ke saath kudakkad ...machi huyi hai. aur karen kal ki chhokari se shaadi...mera kya kaam kaj mein aungi...par ghar ki jimmedari.

meri jethani ne ankh ke ishare se manaa kiya ki me bura ne manoon. me kyon bura maanti. jaise class mein koi sharaarti bachcha der se aye aur chup chap baith ke apane kaam karna lage me bhi kaam mein lag gayi. mene charo or dekha, kaam phaila pada tha. kuch der bad mene himmat kar ke manaajhali nanad ji se kaha ki ham log kitchen ke kaam samhal lenge wo jake packing kar len.

unhone ham logon ki or dekha aur bhunbhunete huye chali gayin.

ham sabh ne chain ki sans li yahan tak ki kitchen mein kaam karna waale maharaj aur unka saath de rahe ramu kaka ne bhi.

mene jethani ji se samajh liya ki kya banane hai. pata chala ki pareshani pack kiye jane waale khane ki thi. manjhali nanad ji ko kuch aur pasand tha, unke bachche ko kuch aur, phir jethani ji ne socha tha ki jo is samay sabji ban rahi hai wahi kuch unke liye pack kar di jaye jo unko sakht negawar gujara. ladke ki shaadi mein ladakyon ki widayi bhi poori di jaati hai, uski bhi hisab kitaab set hone tha, packing hooni thi. mene kaha 'didi, aisa hai aap ja ke nanad ji logon ki jo widayi hai uska intajam karen me yahan samhal loongin.' wo acharaj se boli, akele. mene hans ke Guddi ki pith pe hath pheraate hue kaha, ye hai ne meri saheli. kaam karna ke liye ye kaphi hai, me to iska sirph saath doongi.

wo bhi chali gayin, abh bache sirph me aur Guddi.

pareshani sirph yahi thi...too many cooks ...instruction dene waale kayi aur kaam karna waale kaam...

mene dekha ek stow rakha hua tha, Guddi se mene bola use jalane ko aur sham ko le jane waali sabji us pe chadhawa di. phir meri najar microwawe owen pe padi. phir mene poocha, nanad ji ke bachchoon ke liye kaun si sabji banane ke liye wo bol rahi thin. wo kati rakhi thi. use mene khud bane ke owen mein rakh diya aur ramu ko pack hone waali poodi ke liye ata goothane ke liye bola. Guddi se mene kaha ki aisa karte hain ki stow pe sabji jaise hi ho jayegi kadahi chadha denge, poodi ke liye.

alamari mein mene dhoonda, aluminium foil bhi mil gaya pack karna ko. wo bhi mene nikal ke samajha diya ki le jane waali poodi isamen pack karke kais rol mein rakh dengen. das minat mein hi me oven se sabji utar choki thi aur cheezen rasten pe thin. Guddi ko mene sabh samajha diya aur kaha ki wo yahan se hile nahi bas sabh cheezen mene jaise boli hai, dekhti rahe bas me jara didi ke pas se hoke a rahi hoon ki unki widayi waali packing kaise chal rahi hai.

Guddi boli, ' aap ne to...abhi yahan kitne toophan macha hua tha aur bas das minat mein,

arre kamaal to sabh tera hai, kaam to tu kar rahi hai, bas tu dekhti rahane hilane nahi aur us ke gaal pe ek pyar se chapat laga ke me bahar nikal aayi.

me dekhane chahati thi ki Sonu aur Rajni ka mamala kitne age badha.

seedhi ke niche ek kamara tha. usamen shaadi ki mithaiyan, baaki sabh saman rakha jata tha. udhar koyi ata jata nahi tha. mera shak tha ki wo dono udhar hi...aur jab me darwaje ke pas pahunchi to mera shak sahi nikala. andar se halki halki awajen a rahi thin, darwaja uthanga hua tha. dabe panw ...panjo ke bal...mene dekha, Sonu use ched raha tha,

bachchi, choti si bachchi...

he, me Anjali didi se sirph ek saal hi choti hoon, aur unhe dekho, Sanjay to unse nahi kahata ki ...aur neyi bhabhi bhi to, tumhari didi bhi mujhse mushkil se teen saal... wo itra ke boli.

tu bachchi nahi hai badi ho gayi hai. Sonu usse ek dam sat ke baitha tha aur uska ek hath uske kandhe ke upar tha. use aur apne pas khinch ke wo bola.

ek dam...me teeneger hoon aur wo bhi pichhle poore do salon se, bachchi katai nahi hoon.

' chalo me maan leta hoon ki tum teeneger ho...agar ek kissi de do. Sonu ne use aur chadhaya.

lekin wo Guddi ki tarah asani se hatthe chadhne waali nahi thi.

he ...he chalo...me aise maanne waali nahi hoon wo jhatak ke boli. par Sonu bhi...

to kaise manogi bolo ne...aise manogi...aur usne seedhe usak hoonton pe jab tak wo samahali ek ..pachchak se...kissi le li.

mujhe laga ki Rajni abh gussa ho ke uth jayegi aur kahin wo Sonu ko....

gussa to wo huyi par...gusse se wo boli, kya karte ho jootha kar diya, abhi me bhabhi se shikayat karti hoon.

he he me to dar gaya kya shikayat karogi...didi se. chidhate hue Sonu ne aur cheda.

me kahoongi ... kahoongi ki...ki tumne meri...le ...le li.

arre aisa mat bolane...wo samajhengi ki unki is pyaari nanad ki pata nahi mene kya le li.

me boloongi saaf saaf daraati thode hi hoon ki tumne meri...kissi le li.

agar wo poochhen ki kaise...li. muskaraate hue Sonu ne kaha.

abh Rajni ke liye bhi muskarahat dabani mushkil ho rahi thi.

abaki baar usne Sonu ke hoonton pe ek jhatak se kissi li aur boli, aise.

abh wo khilkhila ke hans rahi thi, jal tarang ki tarah.

phir to Sonu ne bhi...puchch...puchchpuchak...puchchi...puchch puchch.

abh wo jab ruke to Sonu ne uske kasi frock se, jhalak rahe teen ubhaar ko side se...ungali ke tip se...halke se chhoa, dabaya.

mujhe laga ki abh wo jaroor gussa ...kahin Sonu ko. lekin gusse ki awaaj mein wo boli bhi aur usne Sonu ka hath wahin boobs ke swell ke side mein pakad liya...lekin hataya nahi.

ye kya karte ho.

tera dil dhoondh raha hoon...jab tum itni pyaari ho to tumhara dil bhi...

mera dil ...galat jagah dhoondh rahe ho, thodi der pehle yahin tha lekin abh mere pas nahi hai.

kahan gaya ...kaun le gaya... Sonu ne uske chehre ke pas apne honth le jake poocha.

ek pal ke liye usne Sonu ke hathoon pe rakha apane hath hata diya. Sonu ko mauka mil gaya,

usne ek jhatake mein uske ruyi ke phahe jaise mulayam urojon pe apane hath halke se daba ke poocha,

kaun hai wo chor ...batao to uski me aisi ki...

ubhaar pe rakhe uske hath pe apane hath rakh ke wo halke se boli,

he uski burai ne karo...me usko bahut pya... phir wo ruk gayi aur boli, wo...wo bahut achcha hai, yahi mere pas hi hai wo phir dher sari chandi ki ghantiyon ki tarah, khankhane ke hans di.

hansi to phansi...chalo in logon ki gaadi to patari pe chal nikali. me dabe panwon se wahan se khisaki aur apni jethani ke kamare mein ja pahunchi.

wo teen sareeyan le ke kuch udhed bun mein padin thin. mere poochane pe wo boli,

arre yaar isamen se kaun si saree wo majhali nanad ji ki widayi ke liye nikaloon. ek unke liye hai, ek unki dewarani ko deni hogi aur ek Rajni ki maa ke liye.

arre to poochh lijiye ne, unse jo unhe pasand hoga bata dengi. buddho ki tarah me boli.

arre yahi pharak hai neyi baho mein...tu samajhati nahi. wo chaloo ho jayengi...jo tumhe pasand ho mera kya hai aur batayengi bhi nahi.

me maan gayi un ki baat. pal bhar sochati rahi phir boli,

didi, aisa karte hain aap tino sareeyan unke pas le jaiye aur unhe sabh baat bata dijiye.

lekin unhe apne liye saree pasand karna ke liye mat boliye. sirph unse kahiye ki aapko unki dewarani ki pasand nahi maloom...kya wo help kar sakti hain. jab wo select ho jayegi to phir poochh len ki Rajni ki mummy ke liye kaun si saree theek rahegi.

wo turant chali gayi aur laut ke ain to unke chehre pe khushi jhalak rahi thi,

toone bahut sahi idea diya...dono unhone khushi khushi bata diya.

yahi to didi...unhe khud bolane nahi pada ki unhe ye waali chahiye aur upar se ye bhi ho gaya ki har kaam unse poochh poochh ke hota hai. me ne kaha lekin wo abhi bhi thodi pareshan lag rahi thin kya baat hai didi... wo boli, arre yaar abhi me sabh mehanet se laga rahi hoon phir koyi ayega dekhne inko kya diya, unko kya diya...meri sari mehanet bekar ho jayegi aur phir jalan alag.

baat unki ek dam sahi thi. me phir boli,

didi aisa karte hain ne...sabh gift rap kar dete hain phir koyi kholega bhi nahi arre meri banno, gift rap ka samaan kahan se milega. idea to tera sahi hai...par meri nigah thi tak mere reception mein mile gifts pe pad gayi thi. mene samhal ke unhe unrap kiya aur phir sabh kapde saman ko gift rap karna shuru kar diya...aur saath sabh pe naam bhi aur design bhi...lekin me is tarah baithi thi ki meri nigah ek saath kitchen pe aur jis kamare mein Rajni Sonu the saath saath thi.

kramashah…………………………….


raj..
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Re: कामुक-कहानियाँ शादी सुहागरात और हनीमून

Unread post by raj.. » 13 Dec 2014 15:21

शादी सुहागरात और हनीमून--39

गतान्क से आगे…………………………………..

तभी मेने देखा कि सोनू...किचन के दरवाजे पे...और किचन के अंदर वो घुसा...गुड्डी के साथ कुछ मीठी मीठी बातें...फिर गुड्डी ने उसे पानी दिया और वो वापस...उसी ओर जहाँ रजनी थी.

हे तुम यहाँ हो और किचन में... सहसा उन्हे याद आया.

अर्रे है ना वो गुड्डी रानी... मे पॅक करते हुए बोली.

अर्रे वो बच्ची है...तुम चलो. अब हो तो गया. मे कर लूँगी, थोड़ा ही तो बचा है, अगर किचन में कुछ गड़बड़ हुआ ना तो ... मैं किचन की ओर चल दी.

वहाँ वास्तव में गड़बड़ हो गया था.

सबसे बड़ी गड़बड़ की बात ये थी कि सब ठीक चल रहा था. गुड्डी ने सब्जी बना दी थी. पूड़ी छन रही थी और दस - पंद्रह मिनट में सब काम ख़तम होने वाला था.

पर मे तो चाहती थी कि कम से कम आधे घंटे और...गुड्डी किचन में ही रहे.

मेने चारों ओर देखा फिर मुझे आइडिया आया, हे स्वीटडिश तो कुछ बनाई नही.

मिठाई रखी है काफ़ी...महाराज ने आइडिया दिया. लेकिन उसकी बात बीच में काट के मे बोली नही कुछ फ्रेश होना चाहिए. तब तक मुझे दलिया में रखी गाजर दिख गयी. मेने गुड्डी की ओर देख के कहा, हे सोनू को गाजर का हलवा बहुत पसंद है. गुड्डी एक दम से बोली मुझे भी गाजर बहुत पसंद है और मे गाजर का हलवा भी बहुत अच्छा बनाती हूँ. तब तो अब पक्का हो गया गाजर का हलवा बनाते हैं. महाराज बोला, उसमें तो बहुत टाइम लगेगा, काटने, फिर...तब तक दुलारी वहाँ आई. वो बोली अर्रे फ्रिड्ज में ढेर सारी गाजर कटी रखी है पहले मिक्स सब्जी बनाने वाली थी लेकिन बाद में प्रोग्राम बदल गया. अर्रे तुम...तुम्हारे बिना कहाँ काम चलता है ज़रा सा ले आओ ना मेरी अच्छि...मेने मस्का लगाया. थोड़ी ही देर में दुलारी महाराज और रामू ने मिल के सारी गाजर...तब तक मेने चाय चढ़ाई और उन लोगों को भी दी. सब खुश. हलवा बनाने के लिए जब मेने कढ़ाई चढ़ाई तो उन लोगों से कहा कि आप लोगों ने आज बहुत मेहनत की. थोड़ी देर आराम कर लीजिए खाने लगाने के पहले मे बुला लूँगी. हलवा हम दोनो मिल के बना लेंगें महाराज और रामू खुशी खुशी चाय ले के बाहर चले गये.

हलवा बनाने के साथ गुड्डी खुश होके गुन गुना रही थी...

हमें तुम से प्यार इतना कि हम नही जानते मगर रह नही सकते तुम्हारे बिना...

अर्रे कौन है जिसके बिना रहना मुश्किल हो रहा है, ज़रा हम भी तो जाने...उस के गाल पे चिकोटी काट के मेने पूछा.

वो बिचारी शर्मा गयी.

अच्छा चलो, शरमाओ मत . मत बताओ लेकिन ये तो पक्का लग रहा है, कोई है. है ना...चलो पर मे अपनी ओर से दो तीन टिप्स दे देती हूँ, काम आएँगें. पहली टिप तो ये की शरमाना छोड़ो....अगर दिल दिया है तो बिल भी दे दे और जल्दी. क्योंकि दिल देने वाली तो बहुत मिल जाती हैं लेकिन बिल देने वाली कम मिलती हैं. किसने सचमुच का दिल दिया या कौन डाइयलोग मार रही है कौन जानता है. लेकिन लड़कों को असल में तो बिल चाहिए और अगर जिसके लिए तुम ये गा रही हो ना उसको अगर बिल दे दिया तो पक्का विश्वास हो जाएगा उसको....कि ये चाहती है मुझको और मेरे लिए कुछ भी कर सकती है, सिर्फ़ ज़बान से नही. फिर तो वो उसका एक दम दीवाना हो जाएगा क्योंकि एक तो उसका पक्का विश्वास हो जाएगा और दूसरा एक बार में उसका मन थोड़े ही भरने वाला है. एक बार स्वाद लग गया तो फिर तो वो बार बार चक्कर काटेगा. दूसरी बात ये कि बात ये सिर्फ़ लड़कों की नही है यार, मज़ा तो हम लड़कियो को भी खूब आता है.

अब उसकी तरफ मेने देखा तो मेरी निगाह एक दम बदल गयी थी. गुलाबी कुर्ते में, छलक्ते हुए उसके उभार, वो मस्त गदराई चून्चिया मेने कस के उसकी चून्चि थाम के अपनी बात जारी रखी,

जब वो तेरी इन मतवाली चून्चियो को पकड़ के पेलेगा ना कस के एक बार में अपना तो वो मज़ा आएगा, मे बता नही सकती. पिछले 4 दिनों का जो मेरा एक्सपीरियेन्स है ना बस हर दम मन करता है कि पर दर्द तो नही होगा. वो मुझे टोक के बोली, नही थोड़ा बहुत होगा... तो सह लेना सभी सहते हैं आख़िर मेने भी सहा ही. बस ज़रा सा चिंटी काटने जैसे उस के बाद तो वो मज़ा आता है ने जब वो रगड़ता हुआ अंदर घुसता है . उईइ दर्द होता है उस का भी अलग ही मज़ा है. एक बार अंदर ले लेगी ना तो पूछून्गि रानी कि कैसे लगता है. तब तुम खुद उस के पीछे पड़ी रहेगी.

तब तक पता नही कैसे वीर्य का एक बड़ा सा कतरा, पता नही कैसे ( रजनी और अंजलि, हम लोगों की चुदाई ख़तम होते ही आ पहुँची थी. उनका सारा का सारा वीर्य मेरी चूत रानी के पेट में ही था और उन सबों के होते हुए मे पैंटी भी नही पहन पाई, इस लिए उसी कारण से एक बूँद सरकते हुए ) गुड्डी की निगाह सीधे वहीं थी. वो मुस्कराते हुए बोली,

क्यो दिन दहाड़े ही ओर क्या थोड़ी सी पेट पूजा कहीं भी कभी भी..मे भी हंस के बोली.

इस काम में न कोई जगह देखता है ना मौका. बस 20 30 मिनट का टाइम मिल जाय बस. करने वाले तो कार में, बाथ रूम में, पिक्चर हॉल में कहीं भी कर लेते हैं. एक बात ओर मौका मिल जाए तो छोड़ना नही चाहिए, फिर कब हाथ आए कौन जाने. ओर जब एक बार घर लौट जाएगी ना तो वहाँ तो इतने बंधन रहते हैं, इस लिए मेरी मन मौका मिलते ही इस सहेली की सील तुड़वा ले वरना बैठी रहेगी..

ये कह के मेने उस की सलवार के बीच, सीधे उस की चुन मुनिया पकड़ के दबा दी. उस की चूत की पुखुड़ियाँ जिस तरह से उभरी थीं, मे समझ गयी यह पक्की चुदासि है.

हल्के से मसलते हुए मे बोली, अब कब तक इसे बंद किए किए फ़िरेगी, ज़रा इससे भी चारा वारा डाल.

उसे तो अच्छा लग ही रहा था मुझे एक अलग ढंग का मज़ा आरहा था. सामने एक मोटी, लंबी लाल गाजर दिख गयी, उसे हाथ में लेके मे बोली, क्यों तुझे गाजर पसंद है ना.

वो बोली हां तो मे उसके जाँघो के बीच लगा के बोली, अर्रे मे इस मुँह के लिए पूच्छ रही हूँ. मेरा दूसरा हाथ उसके उभार पे था.

और वो शर्मा गयी. हंस के गाजर की टिप अपने होंठो के बीच लगा ली ओर कहा सच में तुम्हे तो असली में मिल रहा है, लेकिन मैने ये खूब लंबा और मोटा. उसको नापते हुए मे बोली.

वो भी चहकने लगी थी, बोली. क्यों उनका भी इतना बड़ा है.

हंस के मेने कहा, एक दम देख ये पूरे बलिश्त भर का है ओर उनका भी पूरे बित्ते भर का गाजर के चौड़े सिरे की ओर इशारा करके कहा ओर मोटा इससे भी ज़्यादा.

अब उसको दिखाते हुए मे बोली, मेरी एक सहेली है, पूरी वेजिटेरियन. उसकी सलाह तेरे काम आ सकती है. उसके हिसाब से शुरू सफेद पतले बैगान से करना चाहिए, चूत खूब फैला के वो उंगली ट्राइ करती थी लेकिन उसमें उसको वो मज़ा नही आया, कॅंडल टूट-ते टूट-ते बची, तो फिर वो सब्जियों पे. गाजर भी उस के हिसाब से अच्छि है क्योंकि एक ओर से एक दम पतली होती है, इस लिए तुम्हारी उमर की लड़कियो के लिए ठीक होती है. उसके बाद उसने ककड़ी ट्राइ किया ओर अब तो वो मोटे बैगन भी आसानी से.. और मेरी एक दूर की भाभी हैं वो तो सारी सब्जियाँ खास कर सलाद पूरी, गाजर मूली पहले अंदर लेती हैं फिर भाई साहब को खिलाती हैं.

फिर मेने वो मोटी गाजर उसकी सलवार के बीच में लगा के कस के रगाड़ि और हंस के कहा देख, मौके का फयादा ले लेना चाहिए. हम लड़कियो में यही कमज़ोरी होती है, पूरी ज़िंदगी ऐसे ही गुजर जाती है, फिर सोचती हैं वो लड़का मिला था लिफ्ट दे रहा था, इतनी बिनति कर रहा था. अगर ज़रा सा उसका मन रख लेती तो क्या बिगड़ जाता. झोका निकल जाने पे बस हाथ मलना फिर उमर भी धीरे धीरे पतंग की डोर की तरह ..ओर लड़के भी जवान छोकरियो की ओर. फिर शादी भी अगर देर से हुई तो फिर सास बच्चे के लिए हल्ला करेगी ओर उसके बाद बस बालो की तरह उमर सरक जाती है.

हां आप एक दम सही कह रही हैं. वो एकदम मेरी बात मान गयी. मकसद तो मेरा सिर्फ़ उसे अटकाने था, जब तक सोनू और रजनी का सीन चल रहा था, लेकिन लगे हाथ वो गरम भी हो गयी थी. उसे सोनू के साथ सोने के लिए मेने राज़ी भी कर लिया. उसके बाद मेने उसे अपनी चुदाई के बारे में खूब खुल के लंड बुर का ही इस्तेमाल करते हुए बताया. गुड्डी अच्छि ख़ासी गरम हो गयी.

साथ साथ मेरी उंगालियाँ उसके निपल्स - चूत को भी सलवार के उपर से रगड़ रहे थे. हलवा लगभग बनने वाला ही था. काजू किशमिश और ढेर सारे ड्राइ फ्रूट्स भी डाल दिए. तब तक महाराज और रामू भी आ गये. मेने उन से टेबल लगाने के लिए कहा और गुड्डी को बोला ज़रा मे टेबल का इंतज़ाम देख के आती हूँ, तुम इसे चलाती रहना और जब बन जाए तो उतार लेना. लेकिन मेरे आने से पहले कहीं हिलना नही. निकलने के पहले मेने उस के कान में बोला, हां एक बात और, उस समय ये ध्यान रखना की टाँगे एक दम चौड़ी, अच्छि तराहा फैली खुली रहे ना ज़रा भी सिकोड़ना मत.

मे उधर चल पड़ी जहाँ सोनू और रजनी थे. बाहर से ही मे कान लगा के खड़ी थी. कमरे के अंदर से क़िस्सी की आवाज़ें सुनाई पड़ रही थीं - मेने ध्यान से देखा, रजनी सोनू की गोद में थी और सोनू का एक हाथ सीधे उसके टीन बूब्स पे, एक उभारो के उपर से और दूसरा फ्रॉक के उपर से ही हल्के हल्के...उपर वाला हाथ सरक के कुछ ही देर मे उसकी गोरी चिकनी जांघून पे...उसकी जंघे सहम के अपने आप चिपक गयीं. पर सोनू की शैतान उंगालिया कहाँ मानने वाली, फ्रॉक हटा के वो और उपर घुस गयीं.

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