जुली को मिल गई मूली compleet

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raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 09 Nov 2014 20:47

वो अपनी कुर्सी पर बैठे बैठे थोड़ा पीछे हुए तो मुझे उनके शॉर्ट के अंदर उनके लंबे लौडे के खड़े हो कर सख़्त होने का अहसास हुआ. उनके शॉर्ट के उपर से उनके खड़े लौडे का मूह, सूपड़ा बाहर झाँक रहा था. उन्होने मेरी तरफ देखा पर मैं तो बस एक तक उनके शॉर्ट मे खड़े लौडे को ही ताक रही थी.

मैं बोली ” मुझे पता है कि आप मुझे चोद्ना चाहते हैं. पर आज के इस खेल मे हम एक दूसरे को टच भी नही करेंगे. सिर्फ़ एक दूसरे को देखेंगे.” मैने उनको आज के खेल का नियम बताया. वो पूरी तरह शायद समझ नही पाए कि मैं क्या कहना चाहती हूँ पर ये मेरी खुसकिस्मती है कि वो मेरी हर बात पर राज़ी हो जाते हैं. वो इतना तो समझ ही गये थे कि आज कुछ नया होने वाला है. वो खड़े हुए और उन्होने अपना टी शर्ट उतारा और अपना शॉर्ट भी उतार दिया. अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगे खड़े थे.

” आप का लॉडा कितना सुंदर है, कितना शानदार है, मैं जब भी इस को देखती हूँ, पागल हो जाती हूँ.” मैने फिर एक बार उनको कहा जो मैं कई बार कह चुकी हूँ.

मैने उनको बिस्तर के एक किनारे पर बैठने को कहा और मैं बिस्तर के दूसरे किनारे पर बैठ गई. वो नंगे चलते हुए बिस्तर के पास आए और मेरे सामने बिस्तर के दूसरे किनारे बैठ गये. हम दोनो आमने सामने, एक दूसरे की तरफ मूह कर के बैठे थे. उनका तन्तनाता हुआ लॉडा सीधा खड़ा था और उपर की ओर मूह कर के नाच रहा था. मैने अपनी टी शर्ट उतारी और उनको अपनी खूबसूरत, गोल गोल, गोरी गोरी चुचियों के दर्शन कराए. मेरी दोनो निप्पल तनी हुई थी.

अब मैने उनको बताना शुरू किया कि अंजू क्यों आई थी.

“अंजू मुझ से जान ना चाहती थी कि सही तरीके से चूत मे उंगली कैसे की जाती. औरत या लड़की कैसे सही तरीके से हस्त मैथून कर सकती है. मैने उस से कहा कि वो पहले मुझे अपनी चूत मे उंगली कर के बताए कि वो हमेशा कैसे अपनी चूत मे उंगली करती है. उसने अपने कपड़े उतारे और बिस्तर पर बैठ गई. फिर उसने उल्टे सीधे ढंग से अपनी चूत को अपनी उंगलियों से रगड़ना शुरू किया. वो बस अपनी चूत को रगड़ रही थी, लेकिन उस जगह से नही, और उस तरीके से नही जैसे एक औरत को हस्त मैथून करते वक़्त पूरा मज़ा लेने के लिए अपनी चूत को रगड़ना चाहिए. उस को खुद को पता नही था कि वो क्या कर रही है. मैने उस को रुकने को कहा. मैने खुद अपने कपड़े उतारे और नंगी हो कर अंजू की बगल मे लेट गई. मैने उसको ध्यान से देखने को कहा कि मैं कैसे अपनी चूत मे उंगली करती हूँ, कैसे उसको रगड़ती हूँ ताकि वो अच्छी तरह से सीख जाए.”

उन को ये बताते हुए मैने एक बार अपने पति के तन्तनाते हुए, सख़्त, लंबे और मोटे लौडे को देखा. मैं अपनी पीठ टिका कर, सहारा ले कर बैठ गई. मैने अपना एक पैर पलंग के नीचे रखा और अपना दूसरा पैर पलंग पर लंबा किया और अब मेरा पलंग के उपर वाला पैर उनके पैर के नीचे था. उन्होने मेरी फुददी को देखा जो अब पूरी तरह उनकी आँखों के सामने थी. जैसे दिल धड़कता है, वैसे ही उनका लॉडा धड़क रहा था. हमेशा की तरह वो लोहे के डंडे जैसा सख़्त था. वो भी अब मुझे हस्त मैथून करते हुए, अपनी चूत मे उंगली करते हुए फिर से वही देखने को पूरी तरह तय्यार थे. मैं उनको फिर से वही दिखाने जा रही थी जो उन्होने कल समुंदर किनारे मुझे करते हुए छुप छुप कर देखा था.

मैने फिर से उनको अंजू के बारे मे बताना शुरू किया.

” मैने अंजू से कहा कि वो किसी तरह की जल्दबाज़ी ना करे. चूत को पूरी तरह गरम होने दे. फिर उसने मुझे देखते हुए, जैसा मैं अपनी चूत के साथ कर रही थी, उसने भी अपना हाथ धीरे धीरे अपनी जांघों पर फिराया और धीरे धीरे अपना हाथ अपनी चूत की तरफ ले जाने लगी. उसकी साँसे तेज होने लगी थी. फिर मैने उसको अपनी चूत पर कर के बताया कि पहले वो अपना हाथ धीरे धीरे अपनी चूत के बाहरी भाग पर फिराए और फिर जब चूत से रस निकलना शुरू हो जाए तो अपनी उंगली चूत के होठों के बीच घुमाए. फिर मैने उस को दिखा कर बताया कि कैसे चूत का मूह खोल कर, अपनी उंगली से चूत के दाने को रगड़ना चाहिए, मसलना चाहिए. मैने उसको बताया कि इस तरह धीरे धीरे शुरुआत करने पर उस को पूरा मज़ा आएगा. उसको दिखाते हुए मैने अपनी फुददी को अपनी उंगलियों की मदद से खोला और अपनी बीच की उंगली अपनी चूत मे, चूत के दाने को रगड़ती हुई उपर नीचे घुमाई. उस को बताते बताते मेरी चूत भी बहुत गरम हो गई थी, बहुत गीली हो गई थी. मैने उसको ये भी बताया कि अगर चूत पूरी तरह गीली नही हुई हो तो अपनी उंगली मूह मे ले कर गीली करनी चाहिए और और फिर उसको अपने चूत मे डालनी चाहिए ताकि चूत मे गीली उंगली आराम से घूम सके.”

raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 10 Nov 2014 22:08

अपने पति को ये बताते हुए मैने अपनी उंगलियों की मदद से अपनी चूत के होंठ खोले और अपनी चूत के बीच मे अपनी उंगली घुमाई. मेरी चूत गरम हो चुकी थी और काफ़ी गीली भी हो चुकी थी. मैने उनको भी वही दिखाया जो मैने अंजू को दिखाया था. मेरी चूत और उंगलिया अपनी चूत से निकले रस की वजह से काफ़ी गीली थी और जब मैं अपनी गीली चूत अपनी उंगलियों से रगड़ रही थी तो रगड़ने से निकलने वाली आवाज़ मैने सॉफ सॉफ सुनी.

सुनते हुए और मुझे देखते हुए उन्होने अपने हाथ से अपने खड़े हुए लंबे लौडे को पकड़ लिया. मैने ध्यान से देखा, उनका लॉडा इतना लंबा है की मेरी हथेली तो बहुत ही कम पड़ती है, पर उनकी बड़ी हथेली भी कम पड़ रही थी और उनके लंड का काफ़ी भाग उनके हाथ की पकड़ से बाहर था. मैने सोचा था कि अब वो अपने लौडे को हिलाना शुरू करेंगे, मूठ मारना शुरू करेंगे. पर उन्होने जैसे मेरी आँखों मे पढ़ लिया. उन्होने कहा कि वो पहले मुझे हस्त मैथून करते हुए, अपनी चूत मे उंगली करते हुए देखना चाहते हैं. मैने ध्यान से देखा कि उनके लंड के सुपाडे पर पानी की एक बूँद चमक रही थी जो अब उनके हाथ पर गिर गई थी.

मैने उनको आगे की बात बताई. मैं उनको बताती जा रही थी की मैने अंजू को क्या बताया, क्या दिखाया, उसके साथ क्या किया और अपनी चूत के साथ क्या किया. और ये सब बताते हुए मैं से सब अपनी चूत पर कर के उनको दिखा रही थी.

” फिर मैने अंजू को दिखाया कि जब उंगली गीली हो जाती है तो कैसे उसको अपनी चूत मे घुमाना आसान हो जाता है. मैने उसको ये भी अपनी चूत पर कर के दिखाया कि कैसे अपनी उंगली अपनी चूत मे डाली जाती है जैसे कोई छ्होटा लंड चूत मे जाता है.” मैं अपने पति को बता रही थी और साथ ही वैसा ही कर रही थी.

मैने अपनी उंगली से अपनी चूत के दाने को सहलाया और उसके बाद अपनी उंगली अपनी चूत के अंदर घुसा दी. जैसे ही मेरी उंगली मेरी चूत के अंदर गई, मेरी गंद अपने आप ही गोल गोल, आगे पीछे हिलने लगी जैसे सचमुच मुझे कोई मेरी चूत मे लॉडा डाल कर चोद रहा है. उनके तने हुए लौडे की तरह, मेरी दोनो निप्पल भी तन कर खड़ी थी. मैने महसूस किया की इतना देखने के बाद मेरे पति तुरंत ही अपना लॉडा मेरी चूत मे घुसा कर मुझे जल्दी से जल्दी चोद्ना चाहते हैं. लेकिन मेरा खेल तो कुछ और ही था. मैं उनको सताना चाहती थी, उनको मूठ मारते हुए देखना चाहती थी. मुझे ऐसा करने मे बहुत मज़ा आ रहा था.

मुझे यकीन था कि मेरे पति को भी बहुत मज़ा आ रहा होगा. उनके लिए भी ये ये पहला अनुभव था. मैं खुश थी की बंद दरवाजे के पीछे हम आज एक नया खेल खेल रहे थे. मैने देखा कि उनके खड़े हुए लौडे के मूह से चुदाई के पहले का पानी निकलता जा रहा था और उनके लंड का सूपड़ा पूरा गीला हो चुका था. मेरी खुद की साँसे अपनी चूत मे उंगली करने की वजह से तेज हो रही थी. उनका खड़ा हुआ लॉडा तो जैसे नाच रहा था और मैं जानती थी कि उन्होने बड़ी मुश्किल से अपने आप को मुझे चोद्ने से रोक रखा होगा.

मैने आगे बताया “फिर अंजू मेरी बगल मे बिस्तर पर लेट गई और वही करने लगी जो मैने उसको दिखाया था और जो मैं कर रही थी. और अंजू के मूह से सेक्सी आवाज़ें निकालने लगी जो इस बात का सबूत था कि उसको अब हस्त मैथून का पूरा पूरा मज़ा आने लगा था.”

उनको बताते हुए मैं अपनी चूत के अंदर अपनी उंगली डाल रही थी और फिर से बाहर निकाल रही थी. वो मुझे बहुत ध्यान से देख रहे थे. मुझे मज़ा आरहा था तो मेरा सिर पीछे की ओर हो रहा था और मेरी आँखें बार बार बंद हो रही थी. अब मैने अपनी दो उंगलियाँ अपनी चूत मे डाल कर अपनी चूत को चोद्ना शुरू कर दिया था. मेरा दूसरा हाथ भी मेरी चूत तक आया और मैं अपने दूसरे हाथ की उंगली से अपनी चूत के दाने को मसल्ने लगी. एक हाथ की दो उंगलियों से मैं अपनी चूत चोद रही थी और दूसरे हाथ से अपनी चूत का दाना मसल रही थी. मेरी चूत तो गीली थी ही, मेरे दोनो हाथों की उंगलियाँ भी मेरे चूत रस से गीलो हो गई. मैने अब बोलना बंद किया और अपना पूरा ध्यान अपनी चूत को चोद्ने मे, हस्त मैथून करने मे, अपनी चूत मे उंगली अंदर बाहर करने और अपनी चूत का दाना रगड़ने मे लगा दिया.

मैने अपना पैर जो उनके पैर के नीचे दबा था, निकाला और अपना घुटना मोड़ कर, उपर कर के, अपने पैर को और भी चौड़ा किया ताकि मेरी फुददी उनको और भी सॉफ सॉफ नज़र आए. मेरी साँसें तो पहले से ही तेज तेज चल रही थी और अब तो मेरे मूह से चुदाई की सेक्सी आवाज़ें भी निकलने लगी थी.

मैं अपनी पूरी ताक़त से, अपनी दो उंगलियाँ अपनी चूत मे जितना हो सकता था, उतनी अंदर डाल रही थी और वापस बाहर निकाल रही थी, बिल्कुल उसी तरह, जैसे लॉडा चूत मे आता जाता है. मेरे दूसरे हाथ की उंगलियाँ भी अपना काम बराबर करती जा रही थी. मैं खुद ही अपनी उंगलियों से अपनी खुद की चूत चोद रही थी और मैं झड़ने के करीब पहुँच चुकी थी. मेरी उंगलियों की रफ़्तार बढ़ चुकी थी और वो मेरी चूत मे तेज़ी से, जल्दी जल्दी अंदर बाहर होने लगी थी.

अचानक, मैने अपना हाथ अपनी चूत के दाने से हटाया और अपनी गीली उंगलियों से अपनी चुचि की निप्पल को मसल्ने लगी. मेरी निप्पल मेरी चूत के रस से गीली हो गई थी और………… और…………. मैं एक झटके के साथ झाड़ गई. मैने तुरंत ही अपनी दोनो उंगलियाँ अपनी चूत से निकाली और अपनी चूत पूरी तरह अपनी पति की आँखों के सामने कर दी. मुझे पूरा यकीन है कि उन्होने मेरी झड़ती चूत को फड़फदते हुए ज़रूर देखा होगा.

मैं अपने दोनो हाथों से अपनी दोनो चुचियाँ रगड़ रही थी जिसकी वजह से मेरी दोनो चुचियाँ लाल लाल हो गई थी. जब मेरा झड़ना ख़तम हुआ और मेरी साँसें काबू मे आई तो मैने उनकी तरफ देखा. उनका लॉडा तो जैसे तन्तना रहा था, चोद्ने के लिए बेताब हो रहा था और जैसे नाच रहा था. मैने अपने नीचे की तरफ देखा तो पाया कि मेरी चूत से इतना रस निकला था कि मेरी गंद के पास गीला धब्बा सा बन गया था. ये घटना इतनी शानदार, इतनी सेक्सी और इतनी मज़ेदार थी की मुझे हमेशा याद रहेगी.

फिर मैं उन से बोली ” अब आप की बारी है. मैने अंजू को जो बताया और जो कर के दिखाया, वो सब आप को भी दिखा दिया. मेरे ख़याल से अब अंजू सही तरीके से हस्त मैथून करना, अपनी चूत मे उंगली करना सीख गई है और वो अब हर रात अपनी चूत मे सही तरीके से उंगली कर के पूरा पूरा मज़ा लेगी जो उसको पहले नही मिलता था. अब आप मुझे अपना लॉडा पकड़ कर, हिला हिला कर, मूठ मार कर दिखाओ.”

raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 10 Nov 2014 22:08

मुझे पता था कि इतनी देर तक मुझे अपनी चूत मे उंगली करते हुए देखने के बाद उनका लंड भी जल्दी से जल्दी अपना पानी निकालने को बेताब था. मैं खुश थी कि मेरे पति ने फिर एक बार अपनी सेक्सी पत्नी को अपनी चूत मे उंगली कर के हस्त मैथून करते हुए देखने का मज़ा लिया है, दो दिनो मे दो बार ! वैसे तो मैने उन से पूरी तरह चुद्वाने के बाद, उनको मूठ मारते हुए कई बार देखा है जब वो अपना लॉडा पकड़ कर, हिला हिला कर, मूठ मार कर मेरी चुचियों पर, मेरे पेट पर और मेरे मूह मे अपने लंड का पानी निकालते हैं. लेकिन आज वो मौका था बाब मैं उन से चुडवाए बिना, उनके सामने बैठ कर, उनको शुरू से मूठ मारते हुए देखूँगी. मैं जानती थी कि ये खेल हम दोनो के लिए कितना मज़ेदार है. पति पत्नी दोनो नंगे, एक बंद कमरे मे, आमने सामने बैठे है, पर पति अपनी पत्नी को चोद नही रहा है, पत्नी अपने पति से चुद्वा नही रही है. दोनो, एक दूसरे को मूठ मार कर, हस्त मैथून कर के दिखाने का मज़ा ले रहे हैं.

“मैने कभी भी, किसी को भी आज तक अपना लंड पकड़ कर शुरू से आख़िर तक मूठ मारते हुए नही देखा है. मैं आज आप को देखना चाहती हूँ. वैसे आप को कैसा लगा मुझे मेरी चूत मे उंगली करते हुए देखने मे ?” मैने कहा.

वो बोले “बहुत अच्छा, बहुत सेक्सी. मैं बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो गया हूँ. कल की तरह आज भी तुम्हारा अपनी चूत मे उंगली करना ला-जवाब था.”

“तो फिर देर किस बात की. मुझे भी वही मज़ा लेने दो जो आप ने लिया है.” मैने कहा.

इतना सुनते ही उन्होने अपना मचलता हुआ, फड़फदता हुआ, तनटनाता हुआ लंबा, मोटा और सख़्त लॉडा अपने हाथ मे पकड़ा और उस से निकलता हुआ पानी लौडे के सूपदे के उपर मला. मैं बहुत ध्यान से देख रही थी कि वो क्या क्या करते हैं. और फिर उन्होने अपना लॉडा अपनी हथेली के बीच मे टाइट पकड़ कर उसको धीरे धीरे हिलाना शुरू किया. वो अपने हाथ से अपना लंड पकड़ कर आगे पीछे करने लगे जैसे उनका हाथ मेरी चूत का काम कर रहा हो.

मेरे पैर अभी भी चौड़े थे और उनको मेरी गीली चूत के दर्शन हो रहे थे. उन्होने अपने पैर ज़मीन पर रखे और ज़ोर ज़ोर से, जल्दी जल्दी अपना लॉडा पकड़ कर हिलाने लगे, आगे पीछे करने लगे, मूठ मारने लगे. मैने देखा की उनके लौडे से निकला चुदाई के पहले का पानी उन के लंड पर कुछ सुख गया है और उनको मूठ मारने मे कुछ परेशानी हो रही है.

“क्या बात है?” मैने पुचछा.

“मुझे कुछ क्रीम या ऐसा ही कुछ चाहिए, लौडे को चिकना बनाना है.” वो बोले.

“रूको ज़रा” मैने कहा और उठ कर ड्रॉयर से एक वॅसलीन की डिब्बी निकाली. मैने डिब्बी का ढक्कन खोला, अपनी उंगलियों से थोड़ी वॅसलीन निकाली और उनके लौडे पर लगाई. मुझे पक्का पता था कि मेरी उंगलियों ने उनके लौडे को टच करके उनके अंदर चुदाई की आग को और भी भड़का दिया था. मैने जल्दी से उनके लौडे से अपना हाथ हटा लिया. हालाँकि मैने अपने आप को उनका लॉडा पकड़ कर मूठ मारने से रोक लिया था पर मैं अपने मन मे चाहती थी कि उनके तने हुए लौडे को पकड़ कर, हिला हिला कर उनके लंड का पानी निकाल दूं. पर आज मैं ये सब उनको खुद की करते हुए देखना चाहती थी. मैं ये ज़रूर देखना चाहती थी कि मैं जब उनसे दूर होती हूँ तो वो कैसे अपने लौडे को हिला हिला कर मूठ म्मार कर पानी निकालते हैं. मैं ये भी देखना चाहती कि मर्द लोग कैसे किसी लड़की को दिमाग़ मे रख कर मूठ मारते हैं.

मैने अपने आप को रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन रोक नही सकी. उनका तना हुआ, खूबसूरत लॉडा मुझे मज़बूर कर रहा था. आख़िर मैने अपने हाथ मे उनके खड़े हुए लौडे का मूह, सूपड़ा पकड़ ही लिया. फिर मैं उनके लंड के सूपदे पर हाथ फिराने लगी, अपना हाथ उपर नीचे करने लगी तो उन्होने अपनी गंद आगे पीछे करनी शुरू करदी और उनका लॉडा मेरे हाथ को ही चोद्ने लगा. लेकिन मैने अपने आप पर काबू किया और वापस अपनी जगह पर आ कर बैठ गई. मैने उन से कहा ” आप ने तो मुझे दो दिनो मे दो बार हस्त मैथून करते हुए देखा है, पर मैने आप को कभी भी पूरा हस्त मैथून करते हुए नही देखा है. जो मज़ा आप ने लिया है, अब वो मज़ा मुझे भी तो मिलना चाहिए.”

अब उन्होने अपने एक हाथ से अपना खड़ा लंड पकड़ा और एक हाथ से अपने लंड के नीचे लटकती गोलियों को पकड़ा. मैने महसूस किया कि वो मेरे लिए अपना हाथ धीरे धीरे घुमा रहे थे ताकि मैं पूरी तरह से उनके लौडे को मूठ मरवाते हुए देख सकूँ. मुझे सचमुच बहुत अच्छा लग रहा था अपने पति को अपने सामने बैठा कर, उनको मूठ मारता हुआ देखा कर. वो एक हाथ से अपना लॉडा पकड़ कर हिलाने लगे और उनकी हिलने की, हाथ के लौडे पर आगे पीछे करने की, मूठ मारने की रफ़्तार धीरे धीरे बढ़ती गई. अपने दूसरे हाथ से वो लगातार अपने लंड के नीचे की गोलियो को मसल रहे थे. इतनी देर तक मुझे अपनी चूत मे उंगली करते हुए देखने के कारण वो बहुत गरम हो चुके थे और इसी जोश की वजह से उनकी गंद भी उत्तेजना के मारे आगे पीछे होने लगी थी. उनका पूरा लॉडा वॅसलीन मे लिपटा हुआ होने की वजह से उनका हाथ बड़े आराम से, तेज़ी से उनके अपने लंड पर घूम रहा था. मैने देखा कि उनके लौडे पर लगाई गई वॅसलीन बह कर अब उनके लंड के नीचे लटकती गोलियों की थैली को भी गीला कर दिया है.

उनके मूठ मारने की रफ़्तार बढ़ती ही जा रही थी और मैने अपनी चूत मे फिर से खुजली महसूस की. मैने कोई देर नही की. मैने तुरंत ही अपनी पहले से ही गीली फुददी मे अपनी उंगली डाली और अपनी खुद की चूत को फिर से एक बार अपनी उंगली से चोद्ना शुरू कर दिया. उनको भी मेरा ये काम बहुत पसंद आया. अब हम दोनो पति पत्नी, एक बंद कमरे मे, साथ साथ, नंगे हो कर, आमने सामने बैठ कर हस्त मैथून कर रहे थे, वो अपने लौडे पर मूठ मार रहे थे और मैं अपनी चूत मे उंगली कर रही थी. क्या शानदार नज़ारा था. अक्सर नंगे पति पत्नी बंद कमरे मे होते है तो चुदाई का खेल होता है पर हमारे बीच मे एक दूसरे को हस्त मैथून करते हुए देखने का खेल हो रहा था. मैने तो शुरू से अपनी चूत को अपनी उंगली से तेज़ी से चोद्ना चालू कर दिया.

मैने देखा कि उनका लॉडा बहुत ही सख़्त हो चला है और उनका सूपड़ा भी काफ़ी फूल गया है. मुझे पता लग गया था कि ये निशानी है कि लंड से पानी निकलने मे अब ज़्यादा वक़्त नही है. वो अपनी आँखें बंद किए, लगातार अपने लौडे को पकड़ कर तूफ़ानी रफ़्तार से मूठ मार रहे थे. उनकी गंद तो ऐसे हिल रही थी जैसे वो किसी को चोद रहे हो. मैने भी अपनी चूत मे अपनी उंगली की रफ़्तार बढ़ा दी. उनका लंड तो तेज़ी से उनके हाथ को चोद ही रहा था. अचानक मुझे एक शरारत सूझी.

मैने एक हाथ से उनके लंड के नीचे की गोलियाँ पकड़ी और और उनसे पूछा” झड़ने मे कितनी देर है?”

” जल्दी ही पानी आने वाला है.” वो अपनी साँसों पर काबू करते हुए बोले.

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