Hindi Sex Stories By raj sharma
Re: Hindi Sex Stories By raj sharma
मुझे छ्चोड़ कर मत जाना…आआआहह….ऊऊहह माआअ…कितना मज़ा है तगड़े लंड से चुद का….चोदो जानू चोदो…मैं तुमको अपनी कुँवारी नंद की चूत भी दिल्वाउन्गि..तुम भी देखना सिंधी माल कितना गरम होता हैं…लेकिन उनके पति इतना मस्त चोद ही नही पाते..आआहह मेरे राजा…मेरे जानू…मैं तो तुम्हारी चुड़दकड़ आंटी बनूँगी..आआहह
करीब 35 मिनट के बाद मैं झाड़ गया उसकी बूर मे ही पानी छोड़ दिया उसकी पर्मिशन लेके तब उस दोरान वो 3 बार झाड़ गयी थी, फिर उसकी गंद भी मारी……
दूसरे दिन सुबह 9 बजे मैं नींद मे था तभी मुझे एहसास हुआ कि कोई मेरे लंड को पकड़ कर उपर नीचे कर रहा है..मैने आँख खोली तो देखा वो ऐसी थी जो बहुत प्यार से मेरे लंड को पकड़ कर धीरे धीरे हिला रही है.. मेरा लंड उसके नाज़ुक हाथो का स्पर्श पा कर एकदम टाइट हो गया था.
तभी मैने उसको अपने उपर खींच लिया..वो डर गयी..तब मैने उसकी चुचियो को दबाते हुए पूछा मेरी मस्त चूत ये क्या कर रही थी..तो जो उसने कहा वो सुन कर मैं आश्चर्य मे पड़ गया, उसने बताया कि उसने मेरी और अपनी भाभी की चुदाई कल देख ली थी.
और अब उसको जब बर्दाश्त नही हुआ तो वो मेरे पास आ गयी चुदने के लिए. क्या बताउ दोस्तो उस को चुदासि देख कर मेरा बहुत बुरा हाल हो गया. मैने उसके सारे कपड़े उतार दिए. क्या लग रही थी…छ्होटी छ्होटी चुचियाँ..उस पर हल्के भूरे रंग के निप्पल्स, 2 इंच की चिकनी और सुनहरे रेशमी लेकिन छोटे बालो वाली अनचुदी बूर…मैं तो पागल हो गया.
एक तो 18 साल की माल, और सिंधी..मैने उसकी बूर को 3 बार चोदा…अब तो नंद और भाभी दोनो एक साथ चुदवाति हैं..मेरी तो मौज ही मौज हैं.
समाप्त
Re: Hindi Sex Stories By raj sharma
कामुक-कहानियाँ
चूत मे भी आग लगती है
सब से पहले मैं अपने शरीर के बारे मे बता दूं. मेरा रंग सांवला और मेरी हाइट कम है. मगर मेरे मम्मे बहुत भारी भारी. पतली कमर के नीचे फिर से भारी चूतड़.
इस तरह मेरा बदन तो सब को सेक्सी लगता था मगर कोई मुझ से दोस्ती नहीं करना चाहता था. जब मैं जवान हुई तब तक मेरे माँ बाप मर चुके थे.
मैं अपनी एक दीदी और जीजा जी के साथ रहती थी. मेरी शादी के बारे मे कोई सोचने वाला ही नहीं था. यह सोच सोच के मैं दुखी होती और मेरी चूत गरम होती रहती. मेरी चूत तब कुच्छ ज़्यादा ही गर्मी दिखाने लगी थी. 19 साल की होते होते मैं चुदने के लिए बेताब रहती थी.
यहाँ तक मेरे जीजा जी ने कई बार मेरे मम्मो पर हाथ डाल कर मुझे अपनी ओर घसीटा था. वैसे तो मैं भी सेक्स चाहती थी मगर दीदी का घर बर्बाद नहीं कर सकती थी. इस लिए जीजा जी को झटक देती थी.
सेक्स के लिए मेरे पहले दो प्रयास विफल रहे. मैं ने सब से पहले गली के लड़के को इशारे कर कर के अपने कमरे तक बुलाया. फिर हम नंगे होने लगे. इस लड़के के सामने जैसे ही मेरे भरे भरे मम्मे और गांद आई उसके के लंड ने पानी छ्चोड़ दिया और ठंडा पड़ गया. फिर मेरे तमाम प्रयास के बाद खड़ा नहीं हुआ. आअख़िर मे मुझे उस लड़के की गांद पे लात मारके भगा देना पड़ा.
दूसरा लड़का कॉलेज से पकड़ के लाई. हम दोनो जल्दी मे थे. झट से नंगे हुए और बिस्तर मे कूद पड़े. मुझे लगा आज सब ठीक होगा. हमने झट पट एक दूसरे के कपड़े उतारे और बिस्तर पे लेट गये. मगर जैसे ही उस लड़के के लंड ने मेरी तड़प्ती चूत के होंठ च्छुए उस का भी माल झड़ने लगा. मेरी चूत गरम गरम माल मे नहा तो ली मगर चुद नहीं पाई. अब मैं और ज़्यादा डेस्परेट हो गयी. क्या चुदाई मेरे नसीब मे नहीं थी?
मगर ईश्वर ने मेरे लिए एक मस्त लंड का इंटेज़ाम कर रखा था और वो मुझे जल्दी ही मिल गया वो भी घर बैठे.
'राज शर्मा' मेरे जीजा जी के बड़े भाई का बेटा था. यह लोग गाओं मे रहते थे और 'राज शर्मा' का सेलेक्षन इंजिनियरिंग मे हो गया, उसी शहर मे जिस मे मैं और मेरी दीदी रहते थे. मेरे जीजा जी पोलीस मे थे इस लिए बाहर पोस्टेड थे. शनिवार और इतवार को घर आते थे.
इन दोनो दिन दीदी और जीजा जी कमरे मे बंद रहते और सोमवार की सुबह सारे कमरे मे जगह जगह दीदी के कपड़े बिखरे होते.
'राज' जब शहर आया तो यह डिसाइड किया गया कि वो हमारे साथ ही रहेगा. 'राज' के बारे मे मैं पहले भी थोड़ा थोड़ा सुन चुकी थी. यह सुना था कि वो गाओं मैं अपनी एक विधवा चाची के साथ खूब ऐश कर चुक्का था और चाची को एक दो बार पेट भी गिरवाना पड़ा था.
हमारे घर मे नीचे की मंज़िल मे एक ड्रॉयिंग रूम, एक बेडरूम और एक किचन थी. और ऊपेर दो कमरे और एक बाथरूम. मैं ऊपेर रहती और दीदी नीचे. "राज' के आते ही उस को ऊपेर वाला दूसरा कमरा मिल गया. यह दोनो कमरे बाथरूम के रास्ते से जुड़ सकते थे. हमारे मज़े के लिए पूरी सेट्लिंग थी.
राज के आते ही मैं ने उस को पटाने के हथकंडे स्टार्ट कर दिए.
उस के सामने (जब दीदी ना हो) तो मैं अपने बूब्स पे दुपट्टा नहीं डालती थी और जब वो पीछे से देखे तब अपने चूतदों को ज़्यादा मटका मटका के चलती थी. यह दो दिन चला. तीसरे दिन मैं ने 'राज' को बताया के मुझे स्टॅटिस्टिक्स बिल्कुल समझ नहीं आती (मैं एकनॉमिक्स मे एम ए कर रही थी प्राइवेट्ली). राज बोला के वो मुझे समझा देगा. हमने शाम को ही स्टॅटिस्टिक्स पढ़ने का कार्यक्रम बना डाला. (मेरा कार्यक्रम तो कुछ और ही था…..)
चूत मे भी आग लगती है
सब से पहले मैं अपने शरीर के बारे मे बता दूं. मेरा रंग सांवला और मेरी हाइट कम है. मगर मेरे मम्मे बहुत भारी भारी. पतली कमर के नीचे फिर से भारी चूतड़.
इस तरह मेरा बदन तो सब को सेक्सी लगता था मगर कोई मुझ से दोस्ती नहीं करना चाहता था. जब मैं जवान हुई तब तक मेरे माँ बाप मर चुके थे.
मैं अपनी एक दीदी और जीजा जी के साथ रहती थी. मेरी शादी के बारे मे कोई सोचने वाला ही नहीं था. यह सोच सोच के मैं दुखी होती और मेरी चूत गरम होती रहती. मेरी चूत तब कुच्छ ज़्यादा ही गर्मी दिखाने लगी थी. 19 साल की होते होते मैं चुदने के लिए बेताब रहती थी.
यहाँ तक मेरे जीजा जी ने कई बार मेरे मम्मो पर हाथ डाल कर मुझे अपनी ओर घसीटा था. वैसे तो मैं भी सेक्स चाहती थी मगर दीदी का घर बर्बाद नहीं कर सकती थी. इस लिए जीजा जी को झटक देती थी.
सेक्स के लिए मेरे पहले दो प्रयास विफल रहे. मैं ने सब से पहले गली के लड़के को इशारे कर कर के अपने कमरे तक बुलाया. फिर हम नंगे होने लगे. इस लड़के के सामने जैसे ही मेरे भरे भरे मम्मे और गांद आई उसके के लंड ने पानी छ्चोड़ दिया और ठंडा पड़ गया. फिर मेरे तमाम प्रयास के बाद खड़ा नहीं हुआ. आअख़िर मे मुझे उस लड़के की गांद पे लात मारके भगा देना पड़ा.
दूसरा लड़का कॉलेज से पकड़ के लाई. हम दोनो जल्दी मे थे. झट से नंगे हुए और बिस्तर मे कूद पड़े. मुझे लगा आज सब ठीक होगा. हमने झट पट एक दूसरे के कपड़े उतारे और बिस्तर पे लेट गये. मगर जैसे ही उस लड़के के लंड ने मेरी तड़प्ती चूत के होंठ च्छुए उस का भी माल झड़ने लगा. मेरी चूत गरम गरम माल मे नहा तो ली मगर चुद नहीं पाई. अब मैं और ज़्यादा डेस्परेट हो गयी. क्या चुदाई मेरे नसीब मे नहीं थी?
मगर ईश्वर ने मेरे लिए एक मस्त लंड का इंटेज़ाम कर रखा था और वो मुझे जल्दी ही मिल गया वो भी घर बैठे.
'राज शर्मा' मेरे जीजा जी के बड़े भाई का बेटा था. यह लोग गाओं मे रहते थे और 'राज शर्मा' का सेलेक्षन इंजिनियरिंग मे हो गया, उसी शहर मे जिस मे मैं और मेरी दीदी रहते थे. मेरे जीजा जी पोलीस मे थे इस लिए बाहर पोस्टेड थे. शनिवार और इतवार को घर आते थे.
इन दोनो दिन दीदी और जीजा जी कमरे मे बंद रहते और सोमवार की सुबह सारे कमरे मे जगह जगह दीदी के कपड़े बिखरे होते.
'राज' जब शहर आया तो यह डिसाइड किया गया कि वो हमारे साथ ही रहेगा. 'राज' के बारे मे मैं पहले भी थोड़ा थोड़ा सुन चुकी थी. यह सुना था कि वो गाओं मैं अपनी एक विधवा चाची के साथ खूब ऐश कर चुक्का था और चाची को एक दो बार पेट भी गिरवाना पड़ा था.
हमारे घर मे नीचे की मंज़िल मे एक ड्रॉयिंग रूम, एक बेडरूम और एक किचन थी. और ऊपेर दो कमरे और एक बाथरूम. मैं ऊपेर रहती और दीदी नीचे. "राज' के आते ही उस को ऊपेर वाला दूसरा कमरा मिल गया. यह दोनो कमरे बाथरूम के रास्ते से जुड़ सकते थे. हमारे मज़े के लिए पूरी सेट्लिंग थी.
राज के आते ही मैं ने उस को पटाने के हथकंडे स्टार्ट कर दिए.
उस के सामने (जब दीदी ना हो) तो मैं अपने बूब्स पे दुपट्टा नहीं डालती थी और जब वो पीछे से देखे तब अपने चूतदों को ज़्यादा मटका मटका के चलती थी. यह दो दिन चला. तीसरे दिन मैं ने 'राज' को बताया के मुझे स्टॅटिस्टिक्स बिल्कुल समझ नहीं आती (मैं एकनॉमिक्स मे एम ए कर रही थी प्राइवेट्ली). राज बोला के वो मुझे समझा देगा. हमने शाम को ही स्टॅटिस्टिक्स पढ़ने का कार्यक्रम बना डाला. (मेरा कार्यक्रम तो कुछ और ही था…..)
Re: Hindi Sex Stories By raj sharma
शाम से पहले मैं अपने शरीर को "राज' की मस्ती के लिए पूरा तैय्यार किया. अपनी चूत के बाल शेव किए. अंडर आर्म्स को क्लीन किया और अच्छा सा स्प्रे लगाया.
शाम को एक टाइट सी ड्रेस पहन कर मैं "राज' के कमरे मे पहुँच गयी. दीदी पड़ोसन मे गप्पें लगाने गयी हुईं थी.
राज और मैं टेबल पर बैठ गये. मेरे मम्मे ड्रेस फाड़ के बाहर आने वाले थे.
और दिल धधक धधक के छाती से बाहर आने वाला था. जब "राज' पढ़ा रहा था तब मेरा ध्यान कहीं और था. मैं ने अपने पैर से चप्पल उतार के उस के पैर पे दबाया. यह मेरी ज़िंदगी का सब से बड़ा इम्तिहान था. क्या होगा "राज' पर इस का रिक्षन?
राज ने भी मेरी जांघों मे हाथ डाल दिया. हे भगवान तू महान हैं. मुझे मेरा यार मिल गया.
फिर तो मैं ने भी राज को पूरा आगे बढ़ने दिया.
राज ने मुझे अपनी बाँहो मे भर लिया. फिर उस ने मुझे उठा लिया और बिस्तर मे पटक दिया. और मेरे कपड़े बदन से अलग होने लगे. मुझे उन की कोई ज़रूरत नहीं थी. मैं भी राज की पॅंट उतार कर उस के लंड को मलने लगी और उस को चुम्मे की बारिश कर दी.
फिर राज की जीभ मेरे मुँह मे धँस गयी. यह मेरे लिए बड़ा मस्त चुम्मा था. किसी मर्द ने इतना क्लोज़ चुम्मा नहीं दिया था मुझे. मेरी जीभ भी उस के मुँह को टटोलने लगी हम मस्त हो चले थे.
अब तक राज ने मेरी ब्रा तक उतार दी थी और मैं अब सिरफ़ एक पॅंटी मे थी. राज मेरी चूचियो को देख कर पागल हो गया. उन्हे कस के मसलता और फिर चूस्ता और काट भी डाला. मैं ने उस की छाती और कान काट डाले.
अब राज के हाथ मेरी पॅंटी मे घुस गये थे. और उस की उंगलियाँ मेरी चूत के होठ पर मस्ती का जादू दे रही थी.
मैं ने भी उस का लंड बाहर निकाल लिया और उस को चूम चूम के इतना मस्त कर दिया के राज के मुँह से सस्स, ससस्स, सस्सस्स निकलने लगी. जब राज की उंगली मेरे दाने (क्लिट्टी) को परेशान करती तो मेरी भी सिसकारी निकल जाती. मैं उस को रोकने की कोई कोशिश नहीं कर रही थी. थोड़ी देर मैं मेरी चूत का दाना बड़ा और गीला हो गया और उस की उंगली को एंजाय करने लगा.
अब राज मुझे चोदने को अधीर हो चला था. मैं भी बेताब थी. मैं चूत की तरफ उस के लंड को खींचा. राज ने मेरी टांगे अपने कंधे पे रखी और अपने लंड की टिप मेरी चूत से मिला दी.
मैं ने सोचा हे भगवान अब कुच्छ गड़बड़ ना हो. आज मुझे चुद लेने देना. भगवान ने मेरी प्रार्थना सुन ली और राज ने अपने लंड पे प्रेशर बढ़ा दिया. मेरी चूत के होंठ इतने खुल चुके थे के उस का सुपरा आसानी से मेरी चूत के होठों मे समा गया.
फिर राज ने फाइनल झटका दिया और दर्द की एक लहर मेरी चूत को पार कर गयी. साथ ही मैं लड़की से औरत बन गयी. दर्द की किस को चिंता थी. मैने राज के लंड को पूरा अंदर लिया और टांगे और फैला कर उस मस्त कर दिया.