गन्ने की मिठास compleet

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rajaarkey
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Re: गन्ने की मिठास

Unread post by rajaarkey » 06 Nov 2014 17:52

गन्ने की मिठास--41end

गतान्क से आगे......................

हरिया- चलो बहुत हुआ का दिन भर इसी मे लगे रहोगे और फिर हरिया ने मेरी ओर देखते हुए कहा चल बे

लोंडे एक बार हमे इसकी बुर चाट कर तो दिखा, मैं रति की चूत मे लंड डाले हुए बैठा था और मैने लंड बाहर

खींच कर रति की चूत को चूमते हुए उसकी रसीली चूत को फैला फैला कर चाटना शुरू कर दिया और मम्मी

आह आह आह राज ओह बेटे बहुत अच्छा लग रहा है सीयी आह ओह राज्ज्जज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज

मैं उनकी जाँघो को भी बीच बीच मे दबा दबा कर चूम रहा था और फिर अपना मूह पाव रोटी सी फूली छूट

से लगा कर उसकी फांको को फैला कर उसे चाटने लगा, ऐसा लग रहा था कि रति झाड़ जाएगी तभी मैने फिर से रति

की चूत मे अपना लंड पेल दिया और उसे खूब तेज तेज चोदना शुरू कर दिया और रति फिर से मुझे उसी तरह

चूमने लगी,

मेरे धक्के की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी और मम्मी ने नीचे से अपनी कमर उठा उठा कर मेरे

लंड पर मारना शुरू कर दिया, उनकी चूत के धक्के इतने तगड़े थे कि जब मैं धक्का मारता और उधर से वह

धक्का मारती तब अगर हमारे धक्के एक ही समय पर आमने सामने से पड़ते तब दोनो कस कर एक दूसरे से

चिपकते हुए खूब कस कस कर एक दूसरे की चूत और लंड को चिपका लेते,

अब रति से नही रहा गया और उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और उसकी बुर खूब चिकनी हो गई मेरा लंड सतसट

फिसल फिसल कर उसकी चूत मे जाने लगा और मैने जैसे ही उसकी गंद को दबोचते हुए कस कस कर 8-10 धक्के

मारे कि रति एक दम से मुझसे कस कर चिपक गई और उसकी चूत की गहराई मे मेरे लंड ने पानी छ्चोड़ना शुरू

कर दिया,

रति की चूत ने कस कर मेरे लंड को पकड़ लिया और मैने भी खूब गहराई तक अपने लंड को डाल दिया,

हम दोनो अभी थक कर आँखे बंद करके साँसे ले ही रहे थे कि हरिया ने बंदूक तानते हुए कहा बहुत

बढ़िया चुदाई करते हो तुम दोनो पर यह बताओ वहाँ शहर मे मोका नही मिलता होगा तुम दोनो को इसलिए गाँव

की हरियाली मे और गन्नो की मिठास के बीच चुदाई करने चले आते हो है ना,

राज- अरे ऐसा नही है डाकू भाई साहेब,

हरिया- गुस्से से राज के गले पर बंदूक लगा कर, चुप कर लोंडे नही तो यही ढेर कर दूँगा जितना पुच्छे उतना

ही बोल समझे, फिर हरिया एक दम से हस्ते हुए मेरी पीठ पर हाथ मार कर

हरिया- पर यार लोंडे तुझे मैं मानता हू साले क्या माल फसाया है 40-45 की होगी लेकिन यह बहुत गबरू जवान,

साले तूने आख़िर ऐसे जोरदार चोदने लायक माल को फसाया कैसे,

हरिया की बात सुन कर रति एक टक हरिया को देखने लगी और फिर खड़ी होकर अपने कपड़े उठाने लगी तभी हरिया

ने बंदूक से उसके कपड़े अपनी और खिच कर हस्ते हुए कहा,

हरिया- अरे मेडम साहिबा कहाँ चली,

रति- तुमने जैसा कहा हमने कर दिया अब हमे जाने दो,

हरिया- अरे वाह ऐसे कैसे जाने दे अभी तो हमने कुच्छ कहा ही नही और तुम जाने की बात कर रही हो अभी एक काम

और तुम्हे करना होगा रानी उसके बाद ही तुम यहाँ से जा सकोगी,

रति- कौन सा काम

हरिया- अभी तो तुम्हे इस लोंडे से हमारे सामने अपनी गंद मरवाना पड़ेगी,

रति- नही मैं यह नही करूँगी,

हरिया- देखो रानी तुम्हे नंगी देख कर भी हम तुम्हे चोद नही रहे है जानती हो क्यो, क्यो कि तुम इस लोंडे की

मोहब्बत हो और हम तुम्हे इसके सामने चोद कर इसके प्यार को गाली नही देना चाहते क्योकि हम खुद एक बहुत

बड़े दिलजले है,

अब अगर तुम इससे अपनी गंद नही मर्वओगि तो फिर ठीक है मैं और मेरा चेला दोनो और चोद

लेते है तुम्हे,

मैं बहुत देर से मम्मी को नंगी खड़ी देख रहा था और हरिया से बात करते हुए उन्होने जब अपनी गुदाज गंद

मेरी तरफ की तो मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं धीरे से मम्मी के करीब गया और उनकी गंद से अपने खड़े

लंड को सटाते हुए उनके गोरे गालो को चूम कर कहा ,

राज- मम्मी जो यह कह रहे है वह कभी मत करना,

मम्मी की गंद मे सीधे मेरा खड़ा लंड चुभने लगा और मैने उनके मोटे मोटे दूध को पिछे से खड़े

होकर पकड़ लिया और मम्मी एक दम से सिहर गई और मैने धीरे से अपनी उंगली से मम्मी की मोटी गंद की गुदा

को सहलाते हुए फिर से पूछा मम्मी अब बताओ क्या तुम मुझसे गंद मर्वओगि,

रति- आह आहह ओह बेटे क्या कर रहा है आह सीईईईई ओह बेटे

राज- मम्मी मुझसे चुद्वओगि क्या,

रति- आह आह हाँ बेटे हाँ खूब कस कर चुदवाउंगी तुझसे तभी मैने मम्मी की चूत पर हाथ ले जाकर उनकी चूत

को कस कर दबोच लिया और इतने मे रामू चुपके से मेरे पास आ गया और अपनी जेब से तेल की शीशी निकाल कर बहुत

सारा तेल उसने मेरे हाथ मे डाल दिया और मैने वह तेल तुरंत अपने लंड पर लगा लिया और फिर पिछे से मम्मी

की चूत की फांको और गंद के छेद मे खूब तेल लगा लगा कर अपनी उंगली मम्मी की गंद मे दबाने लगा और

मेरी उंगली बहुत कसी कसी उनकी गुदाज गुदा मे घुसने लगी, रति बहुत ज़ोर ज़ोर से सीसीया रही थी और अपने एक हाथ

को मेरे हाथ से पकड़े अपने मोटे मोटे बोबे दब्वा रही थी और दूसरे हाथ को मेरे हाथ पर चूत के उपर से

दबा रही थी और मैं उसकी चूत को और भी कस कर पकड़े हुए था,

rajaarkey
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Re: गन्ने की मिठास

Unread post by rajaarkey » 06 Nov 2014 17:53

तभी मैने धीरे से एक हाथ से अपने मस्त मोटे लंड को पकड़ा और मम्मी की गंद के छेद से लगा कर

मम्मी की कमर के आस पास हाथ लेजाकार उनकी कमर को मजबूती से थम लिया और कस कर एक धक्का जब मैने

रति की मोटी गंद मे मारा तो रति के मूह से ऊऊहह मम्मी मर गई रे जैसी आवाज़ निकल पड़ी और

मेरा लोडा आधे से ज़यादा उनकी गंद के छेद को फैलाए अंदर फसा हुआ था चिकनाई बहुत होने की वजह से

मेरा लंड बड़े आराम से फसा हुआ था और मैं उनके दूध को कस कस कर दबा रहा था,

रति- ओह राज तेरा बहुत मोटा है

राज- मैं धीरे धीरे उनकी गंद मे धक्का लगाता हुआ उनके बोबे दबाते हुए उनके गालो को चूम कर, तुम्हारे

चूतड़ भी तो इतने भारी है कि इन्हे मेरे जैसे तगड़े लंड की ही ज़रूरत थी है ना,

रति- हाँ बेटे तू सच कह रहा है थोड़ा तेज तेज कर ना बहुत अच्छा लग रहा है, हाँ ऐसे ही आह ओह सीईईई आह आह

मेरे धक्को की रफ़्तार बढ़ने लगी और अब मेरा लंड रति की गंद मे सटा सॅट जाने लगा था और मैं एक हाथ से

रति की बुर को सहलाते हुए उसे दोहरे मज़े दे रहा था, उसकी मोटी गंद की कसावट से मेरे लंड मे बहुत जोश

भर गया और मैं खूब कस कस कर उसकी गंद मारने लगा, वह भी मेरे धक्को के जवाब मे अपनी गंद कस कर

मेरे लोदे पर मारती और मेरे आंड पूरी तरह उछल जाते और फिर मैं उसकी गंद मे धक्के मारता और थपक की

आवाज़ गुज़्ने लगती,

हम दोनो पूरी मस्ती मे एक दूसरे को धक्के मार रहे थे और फिर मैने रति को कस कर

पकड़ लिया और खूब गहरे और कस कस कर धक्के उसके दूध दबाते हुए उसकी मस्त गंद मे देना शुरू कर

दिया और एक हाथ से खूब उसकी चूत को सहलाते हुए उसकी गंद चोदने लगा,

रति के चूतादो को मसल्ते मसल्ते मैने उन्हे लाल कर दिया था और उसकी गुदा मस्त तरीके से मेरे लंड को ले रही

थी अब तो यह स्थिति बन चुकी थी की कभी कभी मेरा लंड सॅट से बाहर आ जाता और रति की गंद एक दम से सिकुड़ने

लगती और मैं अपने सूपदे को फिर से गुदा मे रख कर कॅच्च से पेलता और मेरा लंड फिर से उसकी गुदा को

फैलाता हुआ अंदर तक समा जाता , मम्मी फिर से एक जोरदार सिसकारी के साथ ओह बेटे करते हुए कराहने लगती है

और मैं खूब उनकी मोटी गंद दबोच दबोच कर उन्हे ठोकने लगता हू,

करीब आधे घंटे की मस्त ठुकाई के बाद रति की चूत ने पानी छ्चोड़ दिया और वह धम से ज़मीन पर लुढ़क गई

और उधर जब मैने हरिया और रामू को देखा तो उन्होने खड़े खड़े ही अपने लंड रति की गुदाज गंद और फूली

हुई रसीली चूत को देख कर हिला डाला और सारा पानी निकाल कर किसी भूखे प्यासे कुत्तो की तरह हाफने लगे,

मैं तोपूरी तरह मस्त हो चुका था और मैने रामू और हरिया को इशारा किया और वह दोनो वहाँ से खिसक लिए और फिर

मैने मम्मी को पास जाकर चूमते हुए कहा मम्मी उठो डाकू भाग गये,

रति एक दम से उठ कर इधर उधर देखते हुए खुश होती हुई एक दम से मेरे लंड को देख कर खुद की हालत को

महसूस करते हुए शर्मा गई और उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान भी आ गई उनकी मुस्कान देख कर जैसे ही

उनकी नज़रे मुझसे फिर से मिली मैने उनके रसीले होंठो को चूम लिया और वह मुझसे एक दम से लिपट गई मैने

उन्हे खूब कस कर अपने साथ दबोच लिया और चूमते हुए कहा

राज- मम्मी अब बाकी घर पर कर लेना अब यहाँ से चलो,

रति- मुस्कुरा कर मुझे मारती है और मैं उठ कर उन्हे उनके कपड़े फेक कर दे देता हू और वह जल्दी से उठ कर

अपने कपड़े मुस्कुराते हुए मुझ देखते हुए पहनने लगती है, वहाँ से हम अपनी बाइक के पास आते है और

फिर मैं बाइक उठा कर मम्मी को पिछे बैठा कर वापस घर की ओर चल देता हू, मम्मी गाड़ी मे पिछे

बैठ कर अपने बालो को बाँधती हुई काफ़ी हस्मुख लग रही थी और बीच बीच मे मेरी कमर मे हाथ डाल कर

मुझसे चिपक जाती थी,

जब हम घर पहुचे तो हमने देखा संगीता नही थी हमने दूसरी की से ताला खोला और अंदर जाकर गेट बंद

करके एक दूसरे से कस कर लिपट गये और एक दूसरे को चूमते हुए सोफे पर जा गिरे और फिर वह सिलसिला जो वहाँ

घटा वह अपनी रफ़्तार के साथ चल पड़ा जो बस चलता ही रहा और जिंदगी गुजरती रही,

कुच्छ ही समय मे हरिया और रामू के गाँव की साइट का काम ख़तम हो गया और फिर एक नई साइट और एक नई मंज़िल की ओर मैं फिर निकल पड़ा

और रामू और हरिया के खेतो के गन्नो की मिठास हमेशा मेरे घर मे रति और सपना के साथ बनी रही और उन

गन्नो की मिठास ने जिंदगी मे भी मिठास भर दी, तो दोस्तो कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना फिर मिलेंगे नई स्टोरी के साथ तब तक के लिए अलविदा

समाप्त

दा एंड


rajaarkey
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Re: गन्ने की मिठास

Unread post by rajaarkey » 06 Nov 2014 18:00

GANNE KI MITHAS--41

gataank se aage......................

hariya- chalo bahut hua ka din bhar isi mai lage rahoge aur phir hariya ne meri aur dekhte huye kaha chal be

londe ek bar hame iski bur chat kar to dikha, mai rati ki chut mai land dale huye betha tha aur maine land bahar

khinch kar rati ki chut ko chumte huye uski rasili chut ko phaila phaila kar chatna shuru kar diya aur mummy

aah aah aah raj oh bete bahut achcha lag raha hai siii aah oh rajjjjjjjjjjjj

mai unki jangho ko bhi beech beech mai daba daba kar chum raha tha aur phir apna muh pav roti si phuli chut

se laga kar uski fanko ko phaila kar use chatne laga, aisa lag raha tha ki rati jhad jayegi tabhi maine phir se rati

ki chut mai apna land pel diya aur use khub tej tej chodna shuru kar diya aur rati phir se mujhe usi tarah

chumne lagi,

mere dhakke ki speed badhti hi ja rahi thi aur mummy ne niche se apni kamar utha utha kar mere

land par marna shuru kar diya, unki chut ke dhakke itne tagde the ki jab mai dhakka marta aur udhar se vah

dhakka marti tab agar hamare dhakke ek hi samay par aamne samne se padte tab dono kas kar ek dusre se

chipkate huye khub kas kas kar ek dusre ki chut aur land ko chipka lete,

ab rati se nahi raha gaya aur usne mujhe kas kar pakad liya aur uski bur khub chikni ho gai mera land satasat

phisal phisal kar uski chut mai jane laga aur maine jaise hi uski gand ko dabochte huye kas kas kar 8-10 dhakke

mare ki rati ek dam se mujhse kas kar chipak gai aur uski chut ki gahrai mai mere land ne pani chhodna shuru

kar diya,

rati ki chut ne kas mar mere land ko pakad liya aur maine bhi khub gahrai tak apne land ko dal diya,

hum dono abhi thak kar aankhe band karke sanse le hi rahe the ki hariya ne banduk tante huye kaha bahut

badhiya chudai karte ho tum dono par yah batao vaha shahar mai moka nahi milta hoga tum dono ko isliye ganv

ki hariyali mai aur ganno ki mithas ke beech chudai karne chale aate ho hai na,

raj- are aisa nahi hai daku bhai saheb,

hariya- gusse se raj ke gale mai banduk laga kar, chup kar londe nahi to yahi dher kar dunga jitna puchhe utna

hi bol samjhe, phir hariya ek dam se haste huye meri pith par hath mar kar

hariya- par yaar londe tujhe mai manta hu sale kya mal fasaya hai 40-45 ki hogi lekin yah bahut gabru jawan,

sale tune aakhir aise jordar chodne layak mal ko fasaya kaise,

hariya ki bat sun kar rati ek tak hariya ko dekhne lagi aur phir khadi hokar apne kapde uthane lagi tabhi hariya

ne banduk se uske kapde apni aur khich kar haste huye kaha,

hariya- are madam sahiba kaha chali,

rati- tumne jaisa kaha hamne kar diya ab hame jane do,

hariya- are wah aise kaise jane de abhi to hamne kuchh kaha hi nahi aur tum jane ki bat kar rahi ho abhi ek kam

aur tumhe karna hoga rani uske bad hi tum yaha se ja sakogi,

rati- kaun sa kam

hariya- abhi to tumhe is londe se hamare samne apni gand marwana padegi,

rati- nahi mai yah nahi karungi,

hariya- dekho rani tumhe nangi dekh kar bhi hum tumhe chod nahi rahe hai janti ho kyo, kyo ki tum is londe ki

mohabbat ho aur hum tumhe iske samne chod kar iske pyar ko gali nahi dena chahte kyoki hum khud ek bahut

bade diljale hai,

ab agar tum isse apni gand nahi marwaogi to phir thik hai mai aur mera chela dono aur chod

lete hai tumhe,

mai bahut der se mummy ko nangi khadi dekh raha tha aur hariya se bat karte huye unhone jab apni gudaj gand

meri taraf ki to mera land khada ho gaya aur mai dhire se mummy ke karib gaya aur unki gand se apne khade

land ko satate huye unke gore galo ko chum kar kaha ,

raj- mummy jo yah kah rahe hai vah kabhi mat karna,

mummy ki gand mai sidhe mera khada land chubhne laga aur maine unke mote mote doodh ko pichhe se khade

hokar pakad liya aur mummy ek dam se sihar gai aur maine dhire se apni ungli se mummy ki moti gand ki guda

ko sahlate huye phir se puccha mummy ab batao kya tum mujhse gand marwaogi,

rati- aah ahh oh bete kya kar raha hai aah siiiiii oh bete

raj- mummy mujhse chudwaogi kya,

rati- aah aah ha bete ha khub kas kar chudwaungi tujhse tabhi maine mummy ki chut par hath le jakar unki chut

ko kas kar daboch liya aur itne mai ramu chupke se mere pas aa gaya aur apni jeb se tel ki shishi nikal kar bahut

sara tel usne mere hath mai dal diya aur maine vah tel turant apne land par laga liya aur phir pichhe se mummy

ki chut ki fanko aur gand ke chhed mai khub tel laga laga kar apni ungli mummy ki gand mai dabane laga aur

meri ungli bahut kasi kasi unki gudaj guda mai ghusne lagi, rati bahut jor jor se sisiya rahi thi aur apne ek hath

ko mere hath se pakde apne mote mote bobe dabwa rahi thi aur dusre hath ko mere hath par chut ke upar se

daba rahi thi aur mai uski chut ko aur bhi kas kar pakde huye tha,


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