गहरी चाल compleet

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rajaarkey
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Re: गहरी चाल

Unread post by rajaarkey » 09 Nov 2014 09:06

गहरी चाल पार्ट--37

"जीत..",कामिनी अदालत के अहाते मे अब्दुल पाशा & टोनी के साथ अपनी कार से उतरते षत्रुजीत सिंग के पास पहुँची,"..मुझे तुमसे अकेले मे कुच्छ बात करनी है.",शत्रुजीत ने पाशा & टोनी की तरफ देखा तो वो उसका इशारा समझ कर वाहा से हट गये.

"अब कहने को क्या बाकी रहा है,कामिनी."

"बहुत कुच्छ,जीत.वो सब 1 नाटक था."

"क्या?!"

"हां,जीत..",कामिनी उसे अदालत के अंदर ले जा रही थी,"..तुम 1 शातिर इंसान की गहरी चाल के शिकार हुए हो."

"सॉफ-2 बोलो कामिनी,पहेलियाँ मत बुझाओ.",शत्रुजीत की आवाज़ मे परेशानी,बेसब्री & चिंता के भाव घुले हुए थे.

"बस थोड़ा सब्र रखो,जीत & अपने केस की पैरवी खुद करने की बात दिमाग़ से निकाल दो."

"तुम्हे ये बात कैसे पता चली?",शत्रुजीत चौंका.

"थोड़ी देर मे तुम्हे सब मालूम चल जाएगा,बस मुझ पे भरोसा रखो,मेरी जान.",दोनो उस कमरे मे आ गये थे जहा सुनवाई शुरू होने से पहले मुलज़िम बैठते थे.कमरा बिल्कुल खाली था & कामिनी ने मौका पाके जल्दी से उसके होंठो पे 1 किस ठोंक दी.

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जड्ज रस्टों कवास के कोर्टरूम मे दाखिल होते ही सभी मौजूद लोग उठ के खड़े हो गये,"प्लीज़ बी सीटेड.",कवास अपनी सीट पे बैठ गये.

"मैं देख रहा हू कि आप सभी लोगो को चेहरो पे हैरानी के भाव हैं..",दोनो केसस से जुड़े लोगो को हैरत हो रही थी की आख़िर उन्हे 1 साथ 1 ही कोर्टरूम मे क्यू बिठाया गया है,"..पर दोनो तरफ के वकिलो की गुज़ारिश पे ऐसा किया गया है..आप मे से कोई ये ना सोचे की अदालत इस से किसी 1 पक्ष की तरफ़दारी कर रही है.अदालत सिर्फ़ इंसाफ़ की तरफ़दारी कर रही है..क्या किसी के मन मे कोई शुभहा है?"

जवाब मे खामोशी च्छाई रही.कामिनी थोड़ा परेशान थी,जगबीर ठुकराल अभी तक नही आया था..कही उसे पता तो नही चल गया.जड्ज ने केस से जुड़े लोगो को ही कोर्टरूम मे बैठने की इजाज़त दी थी,बाकी लोगो को बाहर कर दरवाज़े बंद किए जा रहे थे कि तभी 1 गार्ड ने ठुकराल को अंदर का रास्ता दिखाया.अंदर घुसते ही ठुकराल कामिनी की तरफ देख के मुस्कुराया फिर झुक के जड्ज का अभिवादन किया & 1 बेंच के किनारे बैठ गया.

"अदालत की करवाई शुरू की जाय."

"मिलर्ड!",कामिनी खड़ी हुई,"..मैं सबसे पहले मिस्टर.जगबीर ठुकराल को कटघरे मे बुलाना चाहती हू."

"इजाज़त है."

ठुकराल कटघरे मे आया & कसम खाई,"मिस्टर.ठुकराल,मैं सीधे मुद्दे पे आती हू..क्या आपकी शत्रुजीत सिंग से कोई दुश्मनी है?"

"जी नही..",ठुकराल मुस्कुराया,"..ये लोगो की ग़लतफहमी है..हम राजनीति के मैदान मे 1 ही पार्टी मे हैं & 1 ही क्षेत्र के..मेरी जगह शत्रुजीत जी को चुनाव का टिकेट मिल गया तो लोगो ने ये कहानी बना दी है."

"यानी की आपका जवाब है नही?"

"जी बिल्कुल."

"तो फिर आपने शत्रुजीत जी के घर मे अपना 1 भेदिया..1 जासूस क्यू घुसा रखा है?",अदालत मे लोगो की ख़ुसरपुसर का शोर उठा & ठुकराल के चेहरे का तो रंग ही बदल गया.उसने 1 बार जड्ज के सामने बैठे लोगो की भीड़ पे नज़र डाली तो उसे ख़तरे का अंदेशा हुआ..वो समझ गया की उसे फँसाया गया है..मगर अब किया क्या जा सकता था?

"ऑर्डर,ऑर्डर!"

"वकील साहिबा,आप क्या बेबुनियाद बकवास कर रही हैं!",उसने कामिनी की तरफ 1 नफ़रत भरी निगाह डाली.

"मिस्टर.ठुकराल,आप अदालत मे खड़े हैं..अपनी भाषा का ख़याल रखिए.",जड्ज कवास की भारी आवाज़ गूँजी.

"माफ़ कीजिएगा,मिलर्ड,मगर मुझपे झूठा इल्ज़ाम लगाया जा रहा है."

"युवर ऑनर!मैं इल्ज़ाम को साबित करने के लिए 1 और गवाह को बुलाना चाहती हू."

"इजाज़त है."

टोनी के कटघरे मे आते ही ठुकराल के चेहरे पे गुस्से के साथ-2 परेशानी भी झलकने लगी.जैसे-2 टोनी ने अपनी कहानी सुनाई उसके माथे पे पसीने की बूंदे छल्छलाने लगी,ये आदमी झूठ बोल रहा है."

"नही,मिलर्ड,मैं बिल्कुल सच कह रहा हू..इस आदमी के चलते मैं शत्रुजीत साहब के घर मे जासूस बन के धोखे से घुसा..मुझे माफ़ करना,सर.",उसने शत्रुजीत को हाथ जोड़े जोकि सब कुच्छ देखते हुए बड़ी मुश्किल से अपनी हैरानी छुपाये हुए था,"..& मिलर्ड,इन्होने ही मेरे बेटे की स्कूल फीस भरी है वो भी चेक से."

"जी युवर ऑनर,ये हैं वो काग़ज़ात जो ये साबित करते हैं कि मिस्टर.ठुकराल ने टोनी को उसके बेटे के दाखिले & पैसो का लालच दिया & उस से ये काम करवाया."

"मिलर्ड..",विकास खड़ा हुआ,"..ये सारी बाते ठीक हैं मगर इस से ये कहा साबित होते है कि नंदिता जी का खून शत्रुजीत सिंग ने नही किया है."

जड्ज कवास ने कामिनी की ओर देखा,"मैं सभी बातो का खुलासा करूँगी,मिलर्ड & आपको ये भी बताउन्गि की कैसे दोनो केसस 1 ही दिमाग की उपज थे जिसका सिर्फ़ 1 मक़सद था शत्रुजीत जी की बर्बादी..अब मुझे इन दोनो गवाहॉ से कुच्छ नही पुच्छना है."

ठुकराल आँखो से अंगारे बरसता कभी कामिनी को कभी टोनी को घूरते हुए अपनी जगह पे बैठ गया.टोनी भी उसे खा जाने वाली निगाहो से देखा रहा था.

"मिलर्ड,अब मैं जयंत पुराणिक मर्डर केस के सिलसिले मे कुच्छ बाते अदालत को बताना चाहती हू & इसके लिए सबसे पहले मुलज़िम करण मेहरा को कटघरे मे बुलाना चाहती हू."

"इजाज़त है."

"करण,क़त्ल से पहले तुमने कितनी शराब पी थी?"

"2 पेग विस्की."

"पीते वक़्त तुम्हे कैसा लगा?"

अदालत मे हँसी की 1 लहर दौड़ गयी,"ऑर्डर,ऑर्डर."

"मुझे विस्की का स्वाद थोड़ा अजीब लाग."

"तो तुमने क्या किया?"

"मैने बारटेंडर विकी से बोला मगर उसने कहा की ऐसा कुच्छ नही है बाकी लोगो ने भी पी है..हो सकता है मुझे वहाँ हो रहा हो."

"विस्की पी लेने के बाद तुम्हे कैसा महसूस हो रहा था?"

"मुझे लग रहा था की मुझे चढ़ गयी है जबकि आमतौर पे मैं 2 पेग के बाद पूरे होश मे रहता हू..मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था & मैं शीना से घर लौटने को कहने वाला था की फिर वो हादसा हो गया."

rajaarkey
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Re: गहरी चाल

Unread post by rajaarkey » 09 Nov 2014 09:07

"मिलर्ड,इस पॉइंट पे गौर कीजिए,मुलज़िम ने उतनी ही शराब पी जितनी की वो आमतौर पे पीता था मगर उसे नशा ज़्यादा हुआ,साथ ही शराब का स्वाद भी अजीब लगा..ये फोरेन्सिक रिपोर्ट है जिसमे करण के खून मे शराब की मात्रा के बारे मे लिखा है & साथ ही ये है सिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर की साइंड रिपोर्ट जिसमे 2 पेग विस्की के बाद करण जैसे इंसान के खून मे शराब की मात्रा के बारे मे लिखा है..दोनो को मिलाने से सॉफ ज़ाहिर है की करण की विस्की से छेड़-छाड़ कर उसे जान बुझ के ज़्यादा नशा करवाया गया था.",कोर्ट पीओन ने जड्ज को दोनो काग़ज़ात थमाए.

"मिलर्ड..",विकास फिर खड़ा हुआ,"..वकील साहिबा क्या साबित करना चाहती हैं?..अगर मुलज़िम को धोखे से शराब पिलाई भी गयी तो भी सीक्ट्व फुटेज से सॉफ ज़ाहिर है की पुराणिक जी पे गोली उसी ने चलाई थी."

"युवर ऑनर,मैं उस मुद्दे पे भी आऊँगी मगर उस से पहले मैं ज़रा उस रोज़ मिस्टर.पुराणिक के साथ गये त्रिवेणी ग्रूप के उन 3 लोगो से कुच्छ पुच्छने की इजाज़त चाहती हू."

"इजाज़त है."

कामिनी को तीनो से बात करने की ज़रूरत ही नही पड़ी क्यूकी सबसे पहले गवाह ने ही उसका काम कर दिया,"मिस्टर जुनेजा,आप त्रिवेणी ग्रूप के किस प्रॉजेक्ट पे काम कर रहे थे?"

"जी,माहरॉशट्रे कोस्ट पे महलन नाम की जगह पे सेज़ बन रहा है,उसी मे."

"आपका काम क्या है एग्ज़ॅक्ट्ली?"

"मैं इन्वेंटरी सूपरवाइज़र हू."

"थोड़ा तफ़सील से बताएँ."

"साइट पे सारे कन्स्ट्रक्षन मेटीरियल्स & बाकी ज़रूरत के समान को मँगवाने & उसके रख-रखाव की ज़िम्मेदारी मेरी है."

"ये समान वाहा कैसे आता है."

"ट्रक्स से."

"तो ये ट्रक्स भी आप ही को रिपोर्ट करते होंगे."

"सीधे नही,पहले करीम को..",उसने अपने दूसरे साथी की ओर इशारा किया,"..ये ट्रक्स का इंचार्ज है..फिर ये मुझे."

"वो समान रखा कहा जाता है?"

"वेर्हाउसस & स्टोर्स मे."

"उनका इंचार्ज कौन है?"

"भूषण.",उसने तीसरे साथी की ओर इशारा किया.

"पॉइंट नोट कीजिए,मिलर्ड की तीनो क्या काम करते थे & उसके साथ-2 इन काग़ज़ो पे भी 1 नज़र डालिए.",उसके कहने पे मुकुल ने पुराणिक के पहुँचवाए हुए काग़ज़ो का पुलिंदा कोर्ट पेओन के हाथ सौंप दिया.

"सर,इन काग़ज़ो को देख कर & पुराणिक जी का मेरे नाम खत पढ़ कर आपको सारी साज़िश समझ आ जाएगी मगर मैं सरकारी वकील साहब & यहा मौजूद बाकी लोगो के लिए इतना बता दू की ये तीनो 1 बहुत गंदे धन्दे मे लगे हुए थे.महलन के कोस्ट पे दूसरे मुल्क से आने वाली हेरोइन ड्रग उतरती है जिसे ये अपने ट्रको मे डाल कर बोम्बे के बाहर तक पहुँचाते हैं जहा से ये पूरे देश मे फैला दी जाती है.."

"सर,महलन से कुच्छ दूरी पे बुक्शिटे की खदाने हैं जहा से निकले हुए ओर को उन ट्रक्स से,जोकि सेज़ के लिए सप्लाइस लेके आते हैं,वापस बॉमबे के पास त्रिवेणी ग्रूप के प्लांट मे भेजा जाता है.बस उन्ही ट्रक्स मे ओर के साथ-2 ये ड्रग्स भी चले जाते थे."

"य-ये..सब..झ-झूठ है..",अनेजा का बदन पसीने से भीग गया था.जड्ज कोई 15 मिनिट तक काग़ज़ो को देखते रहे,"ऑफीसर..",उन्होने कोर्ट मे मौजूद पोलीस ऑफीसर को तलब किया.

"सर."

"इन तीनो को हिरासत मे लीजिए & अदालत ये हुक्म देती है की इन सबूतो के आधार पे इन तीनो के खिलाफ मुकद्दमा चलाया जाए & इस मामले की पूरी छानबीन की जाए."

"सर.",उस अफ़सर ने तीनो को हिरासत मे ले लिया.

"मिलर्ड..वकील साहिबा ने मुल्क की अवाम को बर्बाद करने के इस गलीज़ काम का पर्दाफाश करके क़ाबिले तारीफ काम किया है मगर हम यहा पुराणिक साहब के क़त्ल के केस पे बहस कर रहे हैं नकी महलन मे हो रही ड्रग रन्निंग की."

"हूँ,कामिनी जी हम मुद्दे से थोड़ा भटक रहे हैं."

"मिलर्ड,ये मुद्दे से जुड़ी हुई ही बात है.मिस्टर.पुराणिक को सारी बात का पता चल गया था इसलिए उनका मुँह बंद करने के लिए ये चाल चली गयी थी.अब मैं शीना जी से कुच्छ सवाल करना चाहती हू & फिर अदालत के सामने सारी सॉफ हो जाएँगी.",जड्ज ने उसे आगे बढ़ने का इशारा किया.

"शीना जी,आप क्या करती हैं?"

"मैं पढ़ती हू..एमबीए कर रही हू."

"कहा से?"

"लंडन के 1 कॉलेज से."

"तो आपने उसके पहले की भी पढ़ाई लंडन से ही की है?"

"नही..उसके पहले तो मैं आवंतिपुर मे रहती थी & वही के ए.पी.कॉलेज से पढ़ाई की है."

"अच्छा..तो फिर आप लंडन कैसे चली गयी?"

"मुझे एमबीए तो करना ही था,फिर मेरी बुआ वही रहती थी..इसलिए वाहा चली गयी."

"सिर्फ़ यही बात थी कि कोई और भी वजह थी?"

"जी..",शीना के माथे पे शिकन पड़ गयी,"..और क्या वजह हो सकती है?"

"सच बताइए आप दिल से लंडन जाना चाहती थी?"

"ऑफ कोर्स.",शीना अब परेशान दिख रही थी.

"अदालत मे झूठ बोलना भी गुनाह है शीना जी & किसी का क़त्ल करना भी."

"आप कहना क्या चाहती हैं!"

"आप सिर्फ़ इतना बता दीजिए की आप आवंतिपुर से लंडन क्यू गयी थी?"

"कहा ना..!पढ़ाई के लिए."

"झूठ!शीना जी,ये बताइए की आप किसी समीर नाम के लड़के को जानती हैं?"

"नही..",शीना ने कामिनी से नज़रे चुरा ली.

"मेरी तरफ देख के बोलिए!",कामिनी की आवाज़ सख़्त हो गयी.

"नही!",शीना उसके तरफ देख के चीखी.

"तो फिर हर रोज़ उस से फोन पे लंबी-2 बाते क्यू करती थी?",कामिनी की भी आवाज़ ऊँची हो गयी.कोर्ट मे बिल्कुल सन्नाटा था & सभी लोग दम साधे ये जिरह देख रहे थे.

"क्या सबूत है आपके पास?"

"ये कॉल डीटेल्स..",कामिनी ने काग़ज़ जड्ज को थमा दिए,"..अब ये नंबर तो आप ही का है ना."

"मिलर्ड,शीना जब ए.पी.कॉलेज मे पढ़ती थी तब इन्हे & समीर नाम के 1 लड़के को 1 दूसरे से प्यार हो गया मगर इनके घरवाले इस रिश्ते के सख़्त खिलाफ था लेकिन ये दोनो 1 दूसरे को दीवानगी की हद तक चाहते थे.घरवाली की बंदिशे बढ़ी तो शीना समीर के साथ भाग गयी."

"..इनके पिता ने इन्हे ढूंड निकाला & जब समीर के घरवालो को इस बात का पता चला तो उन्होने भी उसे खूब लताड़ा.नतीजा ये हुआ की दोनो को अलग कर दिया गया,उसके बाद समीर को कभी आवंतिपुर मे नही देखा गया & शीना को लंडन रवाना कर दिया गया.वक़्त के साथ दोनो के घरवालो ने सोचा की उनकी मोहब्बत की आग ठंडी पड़ गयी है..",शीना अब हाथो मे चेहरा च्छुपाए सूबक

रही थी & करण बस माथे पे हाथ रखे सब सुन रहा था.

"..मगर ऐसा नही था वो आग बस रख के नीचे दबी हुई थी..घरवालो को बस रख दिख रही नीचे सुलगते शोले नही..इन्ही शोलो ने पुराणिक जी की जान ली & बेगुनाह करण को सलाखो के पीछे पहुँचाया."

"मगर युवर ऑनर,बात अभी भी वही की वही है..",विकास बीच मे बोला,"..सीक्ट्व फुटेज मे सॉफ दिखता है की क़त्ल करण ने किया है."

"जी,हां..आप सही कह रहे हैं..मगर ज़रा 1 नज़र इस फुटेज पे डालिए..",कामिनी के इशारे पे मुकुल ने 1 कोने मे रखी मेज़ पे से कपड़ा हटाया & 1 कंप्यूटर को नुमाया किया,फिर उसने उस पाँचवे कमेरे की फुटेज चला दी जिसे देखते ही कोर्ट मे बैठे सभी लोगो-जड्ज कवास के भी गले से बस हैरत भरी आवाज़े निकल गयी.

ये कॅमरा बार के पीछे लगा था & इस से पहली फुटेज से बिल्कुल उल्टा आंगल दिख रहा था.सॉफ दिख रहा था की जॅकेट थमाते हुए शीना ने गन करण के हाथो से च्छुआ दी जिसने उसे फ़ौरन हाथ मे थामा & सामने तान दी.गन देख पुराणिक के साथ के तीनो लोग बस ज़रा से पीछे हुए & शीना गन खींचने की कोशिश करने लगी.ऐसा करते हुए उसने करण की जॅकेट दोनो के हाथो पे कर दी इस से पहली फुटेज को बस केरेन का बंदूक थामे हाथ दिख रहा था बाँह नही.

rajaarkey
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Re: गहरी चाल

Unread post by rajaarkey » 09 Nov 2014 09:08

इस नयी फुटेज मे सॉफ नज़र आ रहा था कि करण के पिस्टल थामे हाथ & ट्रिग्गर पे रखी उंगली के उपर शीना ने अपनी उंगली रख के दबा दिया जिस वजह से गोली चली जोकि सीधा पुराणिक के सीने के पार हो गयी.

"ये उस केमरे की फुटेज है जिसे की उस रात के बाद हटा दिया गया & इस फुटेज को भी डेटबेस से डेलीट कर दिया गया था जिसे हमने बड़ी जद्दोजहद के बाद खोज ही लिया.अब मैं ज़रा पब के बारटेंडर विकी को बुलाना चाहती हू."

"शीना को हिरासत मे ले लिया जाए & विकी को बुलाया जाए."

"विकी,आपने सब कुच्छ देख लिया & सुन लिया है,अब बिना डरे ये बताओ की क्या तुमने करण की ड्रिंक के साथ छेड़खानी की थी?"

"ज-जी,हां."

"क्यू?"

"हमारे मॅनेजर साहब ने कहा था.",जब मॅनेजर को तलब किया गया तो उसने पब के मालिक ठुकराल का नाम ले लिया जिसपे ठुकराल शोर मचाने लगा.जड्ज ने उसे फटकार लगाई & कामिनी को करवाई आगे बढ़ाने को कहा.

"युवर ऑनर,पुराणिक जी के क़त्ल की गुत्थी तो सुलझ गयी अब हम नादिता जी के क़त्ल की ओर ध्यान देते हैं.अभी तक की बातो से ये तो साबित हो गया है की शतरंज के इस खेल की ऐसी गहरी चाल के पीछे जगबीर ठुकराल का हाथ था मगर ये इस बिसात के राजा हैं & शीना,अनेजा,टोनी सब प्यादे.."

"..लेकिन जैसा की हम जानते हैं,मिलर्ड की शतरंज के खेल का सबसे ताक़तवर मोहरा होता है वज़ीर & इस खेल मे वज़ीर है समीर जिसका पूरा नाम है-समीर अब्दुल पाशा."

"कामिनी!..ये क्या बक रही हो!",शत्रुजीत चीखा.

"ऑर्डर,ऑर्डर!..मिस्टर.सिंग बैठ जाइए."

अदालत मे सभी हैरानी से मुँह बाए कामिनी की ओर देख रहे था-पाशा..शत्रुजीत का भाई..बल्कि उस से भी कही ज़्यादा..वो!

"युवर ऑनर,मुझे मिस्टर.पाशा को कटघरे मे बुलाने की इजाज़त दीजिए."

"इजाज़त है."

सफेद कमीज़ & नीली जीन्स पहने वो लंबा-चौड़ा शख्स धीमे कदमो से कटघर मे आ खड़ा हुआ.उसकी आँखे अभी भी वैसे ही ठंडी थी,"मिलर्ड,प्लीज़ इनस्पेक्टर को कहिए कि इनकी तलाशी लें,इनसे 1 आख़िरी सबूत की बरामदगी का मुझे पूरा यकीन है."

इस से पहले की इनस्पेक्टर वाहा आता पशा ने अपना दाया हाथ खड़ा कर उसे रोक दिया & बाए से अपनी पिच्छली जेब से अपना बटुआ निकाल के उसके काय्न पॉकेट से नंदिता के कमरे की वो तीसरी चाभी कामिनी को दे दी.आज पहली बार कामिनी को उन ठंडी आँखो मे देखते हुए कोई डर नही लग रहा था,"थॅंक्स."

"मिलर्ड,शत्रुजीत जी के घर & उस कमरे जहा नंदिता जी का खून हुआ,सभी मे 1 अमेरिकन कंपनी के कस्टमिस्ड ताले लगे हुए हैं जिनकी चाभीया अगर गुम हो जाए तो सीधे उस कंपनी से ही मिलती हैं.ऐसी ही 1 ड्यूप्लिकेट चाभी नंदिता जी ने बनवाई थी ये है उसकी रसीद..",कामिनी ने उसे कोर्ट पेओन को थमाया,"..मिलर्ड,मैने जब छानबीन की तो पाया की दोनो चाभियाँ घर मे मौजूद थी तो आख़िर नंदिता जी ने ये तीसरी चाभी क्यू बनवाई?'

"..फिर मुझे उनके ड्रेसिंग टेबल से ये लिपस्टिक मिली जिसका निचला हिस्सा 1 पेन ड्राइव है & इस ड्राइव मे कुच्छ वीडियोस जिन्हे मैं चाहती हू की केवल आप ही देखें.",कामिनी ने अपना लॅपटॉप जड्ज को दिया साथ ही पेन ड्राइव भी,"..मैं अदला-.."

"जड्ज साहब..",कामिनी की बात काटते हुए पाशा की आवाज़ गूँजी,"..मैं अपना बयान देना चाहता हू.".जड्ज ने लॅपटॉप स्क्रीन से नज़रे उठाई.उन सभी वीडियो फाइल्स मे नंदिता & पाशा की 1 साथ चुदाई करते हुए की फिल्म्स थी जिन्हे नंदिता ने 1 कॅमरा छुपा के शूट किया था.हर वीडियो के शुरू मे कॅमरा सेट करती नंदिता नज़र आती & फिर कोई थोड़ी देर बाद पाशा आता & दोनो 1 दूसरे के आगोश मे समा हमबिस्तर होने लगते.अब नंदिता ने ये वीडियोस क्यू रखे थे ये तो वोही जाने!

"ठीक है..तुम ये बयान अपनी मर्ज़ी से दे रहे हो?"

"हां."

"तुमपे कोई दबाव तो नही है?"

"नही."

"ठीक है बयान दो.",जड्ज ने बयान दर्ज करने का हुक्म दिया & पाशा की ओर देखने लगे.

"नंदिता भाभी & मैं कब 1 दूसरे के करीब आ गये मुझे पता नही..उन्हे जहा प्यार चाहिए था वही मुझे बस जिस्मानी खुशी..वो तो यही समझती थी की मैं भी उनसे प्यार करता हू..मगर मैं उनसे कैसे प्यार करता मेरा दिल तो शीना के पास था!1 कमज़ोर लम्हे मे मैने & नंदिता भाभी ने सारी हदें तोड़ दी थी लेकिन मैं दिलोजान से बस शीना को चाहता था..",शत्रुजीत की आँखो मे दुख दिख रहा था & शीना बस सूबके जा रही थी.

"..शीना & मुझे जुदा करते वक़्त बाबा यानी अमरजीत जी ने मुझे बहुत लताड़ा था & उनकी मौत के बाद मुझे ये पता चला कि उन्होने बस नाम के लिए मुझे बेटे का दर्जा दिया हुआ था..उनकी वसीयत मे मेरा कोई ज़िक्र नही था..इतने बरस इस परिवार के साथ रहते हुए मैं खुद को भाई के जैसा ही घर का बेटा समझने लगा था & कुच्छ ना मिलने की वजह से मेरे दिल मे ये ख़याल पैदा हुआ की मेरे साथ नाइंसाफी हुई है & मेरी हैसियत बस 1 नौकर की है.."

"..उस दिन से मेरे अंदर ही अंदर कुच्छ सुलगने लगा था..शीना को तो कभी नही भुला हम फोन से 1 दूसरे से बाते करते थे मगर वक़्त के साथ-2 नंदिता भाभी मुझ से दिल से मोहब्बत करने लगी थी..वो भाई को छ्चोड़ मुझसे शादी करना चाहती थी..मैं बात को टाल रहा था मगर 1 दिन भाई ने उनके सामने तलाक़ की बात रख दी तो उन्हे लगा मानो उन्हे मुँह माँगी मुराद मिल गयी.."

"..मगर मैं ऐसा नही चाहता था..इस से पहले करीम मुझे मिला-ये & मैं आफ्गानिस्तान के 1 ही कबीले के हैं..",उसने उन तीन मे से 1 की ओर इशारा किया,"..करीम ने मुझे बाते की सिविल वॉर & वाहा के हालात के चलते हमारे कबीले को कितनी मुश्किले & ज़िल्लत उठानी पड़ी थी & उसका बदला लेने के लिए अब वाहा हमारे भाई पैसे इकट्ठा कर रहे हैं.."

"..ये ड्रग रन्निंग उसी का हिस्सा थी..परिवार से बेरूख़ी तो दिल मे पहले से ही थी..करीम मुझे अपने भाई जैसे लगने लगा & मैने भी अपने कबीले की मदद करने की ठान ली,मगर अंकल जे को इस बात का पता चल गया.उन्ही दीनो टोनी सामने आया..भाई ने इसके बारे मे मुझे पता करने को कहा & मैने फ़ौरन पता लगा लिया कि ये बेवकूफ़ किसके लिए काम करता है & मैने ठुकराल से इस बारे मे आमने-सामने बात करने की सोची.मैं सीधे उसके घर पहुँच गया & उसे सब बता दिया.."

"..मैने सोचा था कि ये डरेगा,घबराएगा..मगर नही..ये मुस्कुराता रहा & फिर इसने मेरी दुखती रग पे हाथ रख दिया..& मुझे खुद से मिल जाने को कहा..इसने अपनी बात ऐसे कही की मुझे उसमे काफ़ी दम लगा..फिर अंकल जे अगर ड्रग्स वाली बात सामने ले आते तो मेरी बर्बादी तो तय थी..मैने इस से हाथ मिला लिया..हम दोनो ने मिलके सारा प्लान बनाया..टोनी हमारे किसी काम का नही था मगर उसे अब हटा देते तो भाई को शक़ होता..इसलिए हमने इसे रहने दिया & दोनो क़त्लो को अंजाम दिया."

"समीर अब्दुल पाशा,तुमने नंदिता सिंग का खून कैसे & क्यू किया?"

"मुझे बस शीना चाहिए थी.जब तलाक़ की बात उठी तो मैने नंदिता भाभी के दिमाग़ मे ये बात डाल दी की भाई की तलाक़ की बात अगर वो खुशी से मान जाती है तो भाई उसे बेवकूफ़ बना देंगे & बड़े कम पैसे देंगे.उन्हे तो पैसो का लालच नही था मगर मैने उन्हे कहा की ये पैसो की नही नाइंसाफी की बात है इसलिए वो भाई से इस बात पे झगड़ने लगी थी.इस से हमने भाई पे शक़ डालने की वजह पैदा कर दी थी & उनके क़त्ल से मेरा रास्ता भी सॉफ हो जाता & अगर सब कुच्छ ठीक से हो जाता तो त्रिवेणी ग्रूप पे सिर्फ़ मेरा हक़ होता.."

"..उस रोज़ जब तीनो अंकल जे को लेके निकल गये तो मैं,जहा हम बैठे थे,उसकी कमरे के बाथरूम मे फ्रेश होने के बहाने गया,वाहा 1 खिड़की है जिसमे 1 ग्रिल है जो पेंच पे कसा हुआ है.टोनी ने उसे निकाल के रखा था & वो वाहा की निगरानी कर रहा था..मैं उस खिड़की के रास्ते बाहर आया & फिर नीचे से 1 सीढ़ी लगाके बाल्कनी पे चढ़ गया,फिर चाभी खोल के भाभी के कमरे मे घुसा,वो सो रही थी.मैने उन्हे उठाया & कहा की कुच्छ पेपर्स लेने आया हू.."

"..भाई ने मुझपे हमेशा भरोसा किया था..मैं बेरोक टोक उनके कमरे मे आता-जाता था..इसलिए भाभी को कुच्छ अजीब नही लगा.मैने अलमारी खोली & गन निकली & अपने कपड़ो मे छुपा ली,फिर भाभी को बहाने से कुर्सी पे बिठाया & गोली मार दी.फिर गन को वही गिराया,लाइट बंद की & दरवाज़ा लॉक कर उसी रास्ते वापस हो गया.इस सब मे बमुश्किल 7-8 मिनिट लगे होंगे..भाई को ज़रा भी शक़ नही हुआ."

अदालत मे खामोशी च्छाई हुई थी,पाशा,शत्रुजीत,करण,शीना सभी सर झुकाए बैठे थे.शत्रुजीत & करण के चेहरे पे अपने माथे पे लगे इल्ज़ाम के मिटने की कोई खुशी नही झलक रही थी.काफ़ी देर तक सोचने के बाद जड्ज कवास ने फ़ैसला सुनाना शुरू किया,"..आज अदालत ने 1 ऐसा कदम उठाया था जोकि शायद ही पहले कभी उठाया गया हो-2 केसस की सुनवाई 1 साथ की गयी & मुझे खुशी है की 1 बार फिर इंसाफ़ की जीत हुई.डिफेन्स लॉयर ने काफ़ी पुख़्ता सबूत पेश किए हैं & फिर समीर अब्दुल पाशा के इक़बालिया बयान ने अदालत का काम और आसान कर दिया.."

"..टोनी भी इस साज़िश मे शामिल था मगर उसपे धोखाधड़ी मे साथ देने से ज़्यादा का जुर्म साबित नही होता.उसकी सज़ा है 1 साल की क़ैद.."

"..अदालत इस नतीजे पे पहुँची है की इस पूरी साज़िश के पीछे जगबीर ठुकराल का हाथ था जिसने बिना कारण 1 मासूम शहरी को बर्बाद करना चाहा & इस चक्कर मे 2 निर्दोष लोगो की जाने भी गयी.अदालत जगबीर ठुकराल को 14 साल की उम्र क़ैद की सज़ा सुनाती है..शीना ने अपने प्रेमी के बहकावे मे आके ना केवल 1 खून किया बल्कि 1 मासूम को भी उसमे फँसाने की कोशिश की..चूकि उसने ये जुर्म बहकावे मे किया था नकी खुद साज़िश रच कर अदालत उसे भी 14 साल की उम्र क़ैद की सज़ा सुनाती है.."

"..समीर अब्दुल पाशा ने जिस थाली मे खाया उसी मे छेद किया..अपने मुंहबोले भाई की बीवी से नाजायज़ ताल्लुक़ात बनाए & फिर मतलब के लिए उसका क़त्ल भी किया..इस घिनोने जुर्म के लिए उसे सज़ा-ए-मौत दी जाती है..टू बी हॅंग्ड टिल देअथ.",जड्ज कवास ने कलाम की निब तोड़ दी.

जगबीर ठुकराल का खेल ख़त्म हो चुका था.वो सर झुकाए बैठा फ़ैसला सुन रहा था.आज तक उसने औरत को केवल 1 खिलोना समझा था & उनके जिस्मो से बस खेलता आया था मगर आज 1 खिलोने ने उसे ही खिलोना बना दिया था.उसने सर उठाया & नफ़रत से लोगो की बधाइया कबुलति कामिनी को देखा..इसी धोखेबाज़ ने उसे बर्बाद किया था..वो इसे नही छ्चोड़ेगा..उसने नज़र घुमाई & बगल मे खड़े इनस्पेक्टर की ओर देखा जोकि किसी से बाते करने मे मशगूल था,उस इनस्पेक्टर को ही उसे अरेस्ट करने का हुक्म मिला था.उसने उसकी कमर पे होल्सटर मे रखे रेवोल्वेर को देखा & 1 ही झटके मे उसे निकाल के खड़ा हो गया.

"आए...!",इनस्पेक्टर चिल्लाया तो सभी की गर्दन उधर ही घूम गयी....कामिनी की भी जोकि शत्रुजीत के साथ खड़ी थी.

"हॅट..",ठुकराल ने इनस्पेक्टर को धकेला & गन लहराई,"..कामिनी..हराम्जादि!मुझे बर्बाद करके खुद मज़े से रहेगी ....नही!",उसने रेवोल्वेर तान के ट्रिग्गर दबा दिया.कामिनी ने डर से आँखे बंद कर ली & ज़ोर से चीखी मगर उसे गोली नही लगी क्यूकी उसके ठीक सामने ढाल बनके पाशा आ गया था.

"बेटा!",शत्ृजीत ने गिरते हुए पाशा को पीछे से थाम लिया.ठीक उसी वक़्त 1 कॉन्स्टेबल ने अपनी राइफल से गोली चलाई जोकि सीधा ठुकराल की खोपड़ी मे लगी.शैतान & हवस के पुजारी जगबीर ठुकराल का खेल हमेशा-2 के लिए ख़त्म हो गया था.

क्रमशः.................................


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