गतान्क से आगे.............
डेट : 9-08-09
3:00 पीयेम
आज सनडे है और हम दोनो घर पर ही हैं. अभी अभी लंच किया है. ऋतु बहुत अछा खाना बनाती है. डर लगता है कि कहीं मैं खा खा कर मोटा ना हो जाउ. पर वो इतने प्यार से डाल डाल कर देती है कि मैं खाता चला जाता हूँ.
आज ऋतु ने बहुत सारे आइटम बनाए थे, जीशके कारण बहुत थक गयी थी, इश्लीए बेडरूम में जा कर सो गयी. मुझे कह रही थी कि बस यू ही लेट रहीं हूँ. पर अभी मैने देखा तो पाया कि वो सोई हुई है.
पहली बार आज उशे शोते हुवे देखा है. नही तो वो रात को तो अलग शोती ही है, दोपहर को भी अपने बेडरूम की कुण्डी लगा कर शोती है. आज ग़लती से कुण्डी खुली रह गयी शायद, क्योंकि उशे पता ही नही होगा कि नींद आ जाएगी
जो भी है मुझे उशे शोते हुवे देखना बहुत अछा लग रहा है. बिल्कुल एक मासूम बच्चे की तरह पाँव सिकोड कर शो रही है. उशे बिल्कुल होश नही है की मैं उशके सामने बैठा हूँ वरना अभी उठ जाती. मैं चुपचाप उशके सामने कुर्सी पर बैठ कर ये डाइयरी लीख रहा हूँ. उशके करीब होने का बहुत प्यारा अहसाश हो रहा है मुझे
मुझे बिल्कुल नही पता कि प्यार क्या है. मेरे लिए इश् शब्द को डिफाइन करना बहुत मुश्किल काम है. मेरी जींदगी में ये बहुत अजीब हालात में आया है. हां लोग कहते हैं कि प्यार का दूसरा नाम भगवान है. पता नही कि लोग इस बात पर विश्वास करते है या नही, हां पर मुझे पूरा यकीन है कि भगवान का दूष्रा नाम ऋतु है. वही मेरा सब कुछ है, वही मेरे लिए भगवान है और हमेशा रहेगी.
8 मार्च को मुंबई से बहुत दुखी मन से गया था. पता नही था कि वापिस आउन्गा या नही. मुझे लगने लगा था कि मैं बेवजह ऋतु पर अपना प्यार थोप रहा हूँ. पहले उस पर अपनी हवश थोपी थी अब प्यार भी थोपूँगा तो प्यार और हवश में क्या अन्तेर रह जाएगा.
मुंबई वापिस आने का सोचा नही था, पर ऋतु को एक बार देखने के लिए मैं फिर से मुंबई खींचा चला आया. 28 जून को शाम के कोई 5 बजे मैं मुंबई पहुँच गया.
मुंबई में पाँव रखते ही मेरे तन बदन में एक अजीब सी बेचैनी होने लगी. जल्द से जल्द ऋतु को देखना चाहता था. पर मैं दुबारा ऋतु को कोई परेशानी भी नही देना चाहता था. इश्लीए सोच रहा था कि कैसे उशे बिना परेशान किए एक बार देखा जाए.
मैं ऋतु के घर के सामने पहुँच गया. थोड़ी देर तक ऋतु की खिड़की को देखता रहा. दिल बस ऋतु को एक बार देखने के लिए तरस रहा था. मैं सोच रहा था कि पता नही कैसी होगी मेरी ऋतु. एक घंटा हो गया. ऋतु खिड़की में नही आई. मैने सोचा चलो गेट वे ऑफ इंडिया पर घूम आता हूँ. बाद में ट्राइ करूँगा. क्या पता वो कहीं गयी हुई हो.
मैं गेट वे ऑफ इंडिया पहुँच कर उशी जगह खड़ा हो गया जहाँ मैं ऋतु के गले लग कर बेहोश हुवा था.
उस पल को मैं कभी नही भुला पाया. बल्कि वो अहसाश अभी तक मेरे साथ है. ऋतु से शादी हो चुकी है, पर अभी तक हम गले भी नही मिले हैं. बहुत सारे कारण हैं इस बात के.
खैर मैं उशी अहसाश को दुबारा पाना चाहता था, इश्लीए वाहा झुक कर मैने उस ज़मीन को चूम लिया जहाँ ऋतु खड़ी हुई थी.
जी हाँ, प्यार आपसे बहुत कुछ अजीब करवा देता है. सभी लोग देख रहे थे कि मैं क्या कर रहा हूँ. पर मुझे लोगो से कोई मतलब नही था. मुझे तो उस अहसाश को दुबारा जीना था. और फिर मैं खड़ा हो कर समुंदर की तरफ घूम कर बिल्कुल वैसे ही खड़ा हो गया जैसे उस दिन खड़ा था. बिल्कुल उशी दिन की तरह मैं समुंदर को देखते देखते उष्की विशालता में खो गया.
वक्त जैसे खुद को दोहरा रहा था. मुझे बिल्कुल यकीन नही था कि भगवान मुझे ऋतु से बिल्कुल उसी दिन की तरह मिलवाएँगे.
मैं तो समुंदर में खो चुका था, अचानक मुझे मेरे पीछे से आवाज़ आई
“तुम खुद को समझते क्या हो, बिल्लू”
मैं झट से घूम गया और मैने जो देखा उस पर विश्वास करना मुश्किल था.
ऋतु एक छोटे बच्चे की तरह आँखो में आन्शु ले कर मेरे सामने खड़ी थी. ऐसा लग रहा था जैसे कि किशी बच्चे का खिलोना खो गया हो और वो उशके लिए रो रहा हो.
मैं इतना हैरान था कि कुछ नही कह पाया बस आँखे फाड़ कर ऋतु को देखता रहा.
“कहाँ चले गये थे तुम” ---- ऋतु ने रोते हुवे पूछा.
मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि क्या करूँ. मैने कभी ऋतु को ऐसी हालत में नही देखा था
मैने ऋतु के कंधे की और हाथ बढ़ाया और कहा, “ऋतु प्लीज़ चुप हो जाओ”
फिर कुछ इस तरीके से ऋतु ने अपने प्यार का इज़हार किया कि मेरी आँखे भर आई.
“मुझे छूने की कोशिश भी मत करना, तुम्हे प्यार करने का ये मतलब नही है कि तुम मेरे शरीर से खेलोगे” ऋतु ने कहा… और कह कर पीछे की ओर हट गयी.
“नहीं ऋतु तुम मुझे ग़लत समझ रही हो, मैं तुम्हारे शरीर का भूका नहीं हूँ, वो बिल्लू जो तुम्हारे शरीर का भूका था कब का मर चुका है, आज तुम्हारे सामने जो खड़ा है वो जतिन है. मैं तो बस तुम्हे चुप कराने की कोशिश कर रहा था. देखो चुप हो जाओ, लोग हमें ही देख रहे हैं” --- मैने भावुक हो कर कहा.
“तुम मेरे फ्लॅट के सामने से मुझ से मिले बिना निकल गये, तुम्हे शरम नही आई, कैसा प्यार है तुम्हारा” --- ऋतु ने कहा.
“नहीं ऋतु ऐसी बात नही है, मैं तो तुम्हारे घर के सामने एक घंटा खड़ा रहा था. तुम खिड़की में नही दीखी तो थोड़ी देर यहा घूमने चला आया. उस दिन की याद ताज़ा कर रहा था जिस दिन तुमने मुझे गले लगाया था. मैं अभी थोड़ी देर में वापिस आने वाला था” ---- मैने ऋतु की आँखो में देख कर कहा.
“सच बोल रहे हो” --- ऋतु ने अपनी आँखो से आंशु पोंछते हुवे कहा.
ऋतु के चेहरे पर प्यारी सी मासूमियत थी
“हां ऋतु मैं यहा तुम्हारे लिए ही तो आया हूँ, वरना यहा मेरा और कौन है” --- मैने कहा.
ऋतु थोड़ी शांत हुई और बोली, “मैं जब खिड़की में आई तो तुम्हे बस जाते हुवे देखा. तुम्हे नही पता कि मेरे दिल पर क्या बीती, भाग कर आई हूँ मैं यहा”
“ऋतु मुझे यकीन नही था कि तुम मुझे इतने प्यार से मिलॉगी, मैं तो बस तुम्हे एक बार देखने आया था, डू यू लव मी” ? ----- मैने पूछा.
“बिल्लू पहले तुम ये बताओ कि तुम थे कहाँ, कविता को देखने भी नही आए, क्या मेरी बात इतनी बुरी लग गयी थी. मेरा तो चलो कुछ नही पर कविता ?? कैसे भूल गये अपनी दीदी को तुम. तुम्हारा बहुत इंतज़ार किया,तुम नही आए तो तुम्हारे बिना ही कविता का अंतिम संस्कार करना पड़ा. क्यों किया ये सब ?” ----- ऋतु ने भावुक हो कर पूछा.
“ऋतु सब कुछ बताता हूँ, पर मुझे बिल्लू मत कहो. बिल्लू अब मर चुका है. मेरा नाम जतिन है. शरम आती है मुझे तुम्हारे मूह से बिल्लू शुन कर. तुम मेरी बात समझ सकती हो… हैं ना” --- मैने कहा.
“मुझे पता है तुम्हारा नाम जतिन है, मैने तुम्हारी पूरी इनक़ुआरी करवा रखी है, अछा नाम है. तुम्हे पता है जतिन का मतलब क्या है, जतिन मीन्स सगे ओर मुनि. पर तुम तो कुछ और ही हो” ---- ऋतु ने कहा
छोटी सी भूल compleet
Re: छोटी सी भूल
“मुझे पता है जतिन का मतलब क्या है ऋतु, और इस नाम के गुण बचपन से मेरे अंदर हैं” --- मैने कहा.
“अछा चलो छ्चोड़ो, मुझे अब ये बताओ की तुम कौन सी दुनिया में चले गये थे कि अपनी दीदी को भी देखने नही आए” --- ऋतु ने गंभीर हो कर कहा.
“ठीक है ऋतु तुम्हे आज सब कुछ बताउन्गा, ये भी बताउन्गा की मैं कहाँ था और अपनी जींदगी के बारे में भी बताउन्गा, चलो किशी रेस्टोरेंट में चलते हैं, बात लंबी है, यहाँ खड़े खड़े थक जाएँगे” --- मैने कहा.
“ठीक है मैं शुन-ना चाहती हूँ बिल्लू….म्म मतलब जातीं…… सॉरी आगे से तुम्हे बस जतिन ही कहूँगी, लेकिन यहीं बात करेंगे, रेस्टोरेंट जाने में वक्त लगेगा, मैं और इंतेज़ार नही कर सकती” --- ऋतु ने कहा.
“पहली बार मेरी जान इतने प्यार से मिली है, रेस्टोरेंट तो तुम्हे ले जाना ही पड़ेगा, चलो ना प्लीज़ आराम से बात करेंगे” --- मैने कहा
“क्या मैं तुम्हारी जान हूँ जतिन” --- ऋतु ने मेरी ओर देख कर पूछा.
“हां ऋतु, यू आर माइ लाइफ, इनफॅक्ट यू आर माइ गॉड, तभी तो मैं आज फिर यहाँ खींचा चला आया, और भगवान का चमत्कार देखो आज तुम मेरे शामने आँखो में प्यार ले कर खड़ी हो. वी आर इन लव, हैं ना ऋतु” ---- मैने कहा
“तुम मुझे पहले ये बताओ कि कहाँ थे तुम? , बाकी की बाते बाद में करेंगे. थोड़ी देर खड़े रह कर तक नही जाएँगे, जल्दी बताओ, कहाँ थे” ---- ऋतु ने कहा.
मैने फिर ऋतु को रेस्टोरेंट के लिए इन्सिस्ट नही किया. हम दोनो वहीं दीवार के साथ एक दूसरे की और मूह करके खड़े हो गये.
“ऋतु मैं 8 मार्च को बहुत दुखी मन से तुम्हारे घर से चला था. अगले दिन की देल्ही की टिकेट बुक करवा रखी थी. पर किशमत को कुछ और ही मंजूर था. मैं देल्ही जाने की बजाए पुणे पहुँच गया” ---- मैने कहा
“पुणे !! पुणे क्या करने गये थे” ---- ऋतु ने पूछा
ये एक अलग ही कहानी है. बचपन से मैं थोड़ा स्पिरिचुयल रहा हूँ. अक्सर शांत जगह देख कर मैं आँखे बंद करके बैठ जाता था. तुम्हे ये बात थोड़ी अजीब लगेगी लेकिन ये सच है.
एक बार स्कूल में हिस्टरी के टीचर ने भगवान बुद्ध की कहानी शुनाई थी. उस कहानी की कुछ ख़ास पंक्तियाँ मुझे आज तक याद हैं.
कहानी के अनुशार भगवान बुद्ध को बोध्वृक्षा के नीचे एंलीगटेनमेंट हुई थी. मेरे मन में बचपन से ये सवाल बार बार आया है कि क्या है ये एनलाइटनमेंट.
पता तो कुछ था नहीं. मैं अक्सर शांत जगह देख कर चुपचाप आँखे बंद करके बैठ जाया करता था. क्योंकि मैने शुना था कि भगवान बुद्ध भी आँखे बंद करके बैठा करते थे. पर कभी कुछ ख़ास अहसाश नही हुवा.
जब भी आँखे बंद करता था तो बस अंधेरा ही दीखता था. वैसे बचपन में इतना कुछ पता भी नही था मेडिटेशन के बारे में. लेकिन पता नहीं क्यों मैं फिर भी कुछ ना कुछ ट्राइ करता रहता था
दीदी जब मुझे कभी ऐसी हालत में देखती थी तो कहती थी, “जतिन क्या कोई झोलाचाप बाबा बन-ने का इरादा है, चलो पढ़ाई करो”
दीदी अक्सर मुझे जतिन कह कर ही बुलाती थी. वैसे हर कोई मुझे बचपन से बिल्लू कह कर ही बुलाता है
मैने ओशो की मॅडिटेशन प्रॅक्टिसस के बारे में काफ़ी शुन रखा था. पर कभी किशी जगह जा कर ट्राइ नही किया था.
जब मैं उस दिन तुम्हारे घर से निकला था तो मन बहुत ज़्यादा उदास था. देल्ही जाने का बिल्कुल मन नही था. और मैं मुंबई में रुक कर तुम्हे और ज़्यादा परेशान नही करना चाहता था.
पुणे में जो ओशो आश्रम है उशके बारे में काफ़ी शुन रखा था. मन में अचानक एक विचार आया की चलो पुणे चलता हूँ और कुछ मॅडिटेशन सीखता हूँ, शायद दुखी मन को कुछ शांति मिल जाए.
मैने जींदगी में तुम्हे बर्बाद करने के अलावा कोई बुरा काम नही किया. पर तुम्हे बर्बाद करना ही मेरा सबसे बड़ा पाप बन गया. अगर उस वक्त तुम मुझे अपना लेती तो मेरे दिल का बोझ हल्का हो जाता, पर ऐसा हो नही पाया. तुम्हे पाने की उम्मीद खो चुका था. ऐसे में मेडिटेशन में मुझे रोशनी की एक किरण नज़र आ रही थी.
मैने शुन रखा था कि मेडिटेशन में इंशान मर कर एक नया जनम लेता है. और इस तरह मैं अपने अंदर के उस बिल्लू को मारने निकल पड़ा जिशे तुम जानती थी
और इस तरह में पुणे पहुँच गया
मेरा एक कॉलेज का फ्रेंड, मदन पुणे में एक कॉल सेंटर में लगा है. मुझे भी उसने वही लगवा दिया. मदन भी ओशो के आश्रम जाता रहता था. मैने 4-5 बार आश्रम जा कर डाइनमिक मेडिटेशन सीख ली. उशके बाद में मदन के घर पर रोज सुबह डाइनमिक मेडिटेशन करने लगा.
डाइनमिक मेडिटेशन का 3 महीने का एक पूरा कंप्लीट साइकल होता है. इशे पूरा कर लिया जाए तो इंशान को कुछ बहुत गहरे अहसाश होते हैं. उनको शब्दो में नही कहा जा सकता.
पूरे 3 महीने मैने ये मेडिटेशन की. कभी मदन के घर पर और कभी आश्रम पर. इस मेडैटेशन ने मेरी जींदगी बदल दी. मैं बिल्लू से जतिन बन गया. पहले बस नाम का जतिन था. इस मेडिटेशन के बाद सच में जतिन बन गया.
“ह्म्म…. तो तुम मेडिटेशन सीख रहे थे, इश्लीए अपनी दीदी को देखने नही आए, मुझे ये सब शुन कर बिल्कुल अछा नही लग रहा जतिन. कुछ काम ऐसे होते हैं जिन्हे आप कभी नही टाल सकते. तुम अपनी दीदी को भुला कर आत्मा परमात्मा के चक्कर में पड़ गये, क्या तुम्हे नही लगता कि तुमने बहुत ग़लत किया है, और तुम मेडिटेशन सीखने भी कहाँ गये,….एक सेक्स गुरु के अशरम में, लगता है तुम खुद को धोका दे रहे हो” ऋतु ने कहा
“ऐसी बात नही है मैं दीदी को उस हालत में टीवी पर ही नही देख पाया तो वाहा जा कर कैसे देख लेता. मेरे अंदर इतनी हिम्मत नही थी ऋतु. मैने तो इस बात को ही स्वीकार नही किया कि वो मेरी दीदी ही थी. हां पर आज बात दूसरी है. आज मैं बहुत शांत हूँ. 3 महीने जो मैने मेडिटेशन की है, उसने मेरी जींदगी बदल दी है. वैसे काफ़ी हद तक तो तुम्हारे प्यार में मैं बदल ही चुका था, बाकी का काम इस ने कर दिया और इस तरह बिल्लू मारा गया. और हां ओशो पर सेक्स गुरु का ठप्पा वो लोग लगाते हैं जो सेक्स में उपर से नीचे तक डूबे हुवे हैं, मैने ओशो को खूब पढ़ा है उन्होने कभी सेक्स को प्रमोट नही किया” ---- मैने कहा.
“मुझे लगा संजय ने तुम्हारे साथ कुछ ऐसा वैसा कर दिया. वो उस दिन जिस दिन तुम आखरी बार लेटर डालने आए थे, तुम्हारे पीछे ही गया था. उसने मुझे बताया था कि उसने तुम्हारे टुकड़े टुकड़े करके मुंबई के नालो में बहा दिए. मैं ये शुन कर सोच बैठी थी की अब तुम इस दुनिया में नही हो” ---- ऋतु ने कहा
“ऋतु इंशान फ्रस्ट्रेशन में काफ़ी कुछ बोल जाता है. संजय ने यू ही तुम्हे परेशान करने के लिए बोल दिया होगा. दिस ईज़ नॅचुरल टेंडंसी ऑफ फ्रस्टरेटेड पर्सन” ---------- मैने कहा
“पर मुझे लगता है कि तुम्हे एक बार तो कविता के लिए आना चाहिए था” --- ऋतु ने कहा
“ये बात मैं अब समझ रहा हूँ, पर पहले हिम्मत नही थी. मेरे दिल में जो दीदी की एक शुनदर तस्वीर थी उसे हटा कर मैं एक कंकाल वाहा नही बिठाना चाहता था” ---- मैने कहा
फिर हम थोड़ी देर शांत खड़े रहे. मेरी नज़र ऋतु के चेहरे पर गयी तो वहीं जा कर टिक गयी. मैं ऋतु को प्यार से देखने लगा. पहली बार वो दिल में प्यार ले कर मेरे पास खड़ी थी. बहुत प्यारा अहसाश हो रहा था मुझे उस वक्त
“क्या देख रहे हो” ---- ऋतु ने पूछा
“अपनी जान को देख रहा हूँ की कैसी है मेरी जान, बहुत प्यारी लग रही हो, आइ लव यू” --- मैने कहा.
“जतिन मुझे माफ़ करदो मैने उस दिन मंदिर के बाहर तुम्हे ना जाने क्या क्या बोल दिया था” ---- ऋतु ने कहा
“आइ लव यू ऋतु” ----- मैने कहा
“जतिन मैं कह रही थी कि मुझे माफ़ करदो मैने उस दिन मंदिर के बाहर तुम्हे ना जाने क्या क्या बोल दिया था” ----- ऋतु ने कहा
मैं इतना भावुक हो रहा था कि मुझे कुछ नही शुन रहा था. मैने फिर अपने प्यार का इज़हार किया
“आइ लव यू ऋतु, दो यू लव मी” ? ---- मैने पूछा
“तुम्हे मेरी आँखो में क्या नज़र आ रहा है, जतिन” ----- ऋतु ने बड़े प्यार से मेरी आँखो में देख कर पूछा.
“प्यार नज़र आ रहा है, इस समुंदर से भी गहरा प्यार नज़र आ रहा है, जीशके किनारे हम खड़े हैं, ऐसा कैसे हो गया ऋतु” ---- मैने भावुक हो कर पूछा
“अछा चलो छ्चोड़ो, मुझे अब ये बताओ की तुम कौन सी दुनिया में चले गये थे कि अपनी दीदी को भी देखने नही आए” --- ऋतु ने गंभीर हो कर कहा.
“ठीक है ऋतु तुम्हे आज सब कुछ बताउन्गा, ये भी बताउन्गा की मैं कहाँ था और अपनी जींदगी के बारे में भी बताउन्गा, चलो किशी रेस्टोरेंट में चलते हैं, बात लंबी है, यहाँ खड़े खड़े थक जाएँगे” --- मैने कहा.
“ठीक है मैं शुन-ना चाहती हूँ बिल्लू….म्म मतलब जातीं…… सॉरी आगे से तुम्हे बस जतिन ही कहूँगी, लेकिन यहीं बात करेंगे, रेस्टोरेंट जाने में वक्त लगेगा, मैं और इंतेज़ार नही कर सकती” --- ऋतु ने कहा.
“पहली बार मेरी जान इतने प्यार से मिली है, रेस्टोरेंट तो तुम्हे ले जाना ही पड़ेगा, चलो ना प्लीज़ आराम से बात करेंगे” --- मैने कहा
“क्या मैं तुम्हारी जान हूँ जतिन” --- ऋतु ने मेरी ओर देख कर पूछा.
“हां ऋतु, यू आर माइ लाइफ, इनफॅक्ट यू आर माइ गॉड, तभी तो मैं आज फिर यहाँ खींचा चला आया, और भगवान का चमत्कार देखो आज तुम मेरे शामने आँखो में प्यार ले कर खड़ी हो. वी आर इन लव, हैं ना ऋतु” ---- मैने कहा
“तुम मुझे पहले ये बताओ कि कहाँ थे तुम? , बाकी की बाते बाद में करेंगे. थोड़ी देर खड़े रह कर तक नही जाएँगे, जल्दी बताओ, कहाँ थे” ---- ऋतु ने कहा.
मैने फिर ऋतु को रेस्टोरेंट के लिए इन्सिस्ट नही किया. हम दोनो वहीं दीवार के साथ एक दूसरे की और मूह करके खड़े हो गये.
“ऋतु मैं 8 मार्च को बहुत दुखी मन से तुम्हारे घर से चला था. अगले दिन की देल्ही की टिकेट बुक करवा रखी थी. पर किशमत को कुछ और ही मंजूर था. मैं देल्ही जाने की बजाए पुणे पहुँच गया” ---- मैने कहा
“पुणे !! पुणे क्या करने गये थे” ---- ऋतु ने पूछा
ये एक अलग ही कहानी है. बचपन से मैं थोड़ा स्पिरिचुयल रहा हूँ. अक्सर शांत जगह देख कर मैं आँखे बंद करके बैठ जाता था. तुम्हे ये बात थोड़ी अजीब लगेगी लेकिन ये सच है.
एक बार स्कूल में हिस्टरी के टीचर ने भगवान बुद्ध की कहानी शुनाई थी. उस कहानी की कुछ ख़ास पंक्तियाँ मुझे आज तक याद हैं.
कहानी के अनुशार भगवान बुद्ध को बोध्वृक्षा के नीचे एंलीगटेनमेंट हुई थी. मेरे मन में बचपन से ये सवाल बार बार आया है कि क्या है ये एनलाइटनमेंट.
पता तो कुछ था नहीं. मैं अक्सर शांत जगह देख कर चुपचाप आँखे बंद करके बैठ जाया करता था. क्योंकि मैने शुना था कि भगवान बुद्ध भी आँखे बंद करके बैठा करते थे. पर कभी कुछ ख़ास अहसाश नही हुवा.
जब भी आँखे बंद करता था तो बस अंधेरा ही दीखता था. वैसे बचपन में इतना कुछ पता भी नही था मेडिटेशन के बारे में. लेकिन पता नहीं क्यों मैं फिर भी कुछ ना कुछ ट्राइ करता रहता था
दीदी जब मुझे कभी ऐसी हालत में देखती थी तो कहती थी, “जतिन क्या कोई झोलाचाप बाबा बन-ने का इरादा है, चलो पढ़ाई करो”
दीदी अक्सर मुझे जतिन कह कर ही बुलाती थी. वैसे हर कोई मुझे बचपन से बिल्लू कह कर ही बुलाता है
मैने ओशो की मॅडिटेशन प्रॅक्टिसस के बारे में काफ़ी शुन रखा था. पर कभी किशी जगह जा कर ट्राइ नही किया था.
जब मैं उस दिन तुम्हारे घर से निकला था तो मन बहुत ज़्यादा उदास था. देल्ही जाने का बिल्कुल मन नही था. और मैं मुंबई में रुक कर तुम्हे और ज़्यादा परेशान नही करना चाहता था.
पुणे में जो ओशो आश्रम है उशके बारे में काफ़ी शुन रखा था. मन में अचानक एक विचार आया की चलो पुणे चलता हूँ और कुछ मॅडिटेशन सीखता हूँ, शायद दुखी मन को कुछ शांति मिल जाए.
मैने जींदगी में तुम्हे बर्बाद करने के अलावा कोई बुरा काम नही किया. पर तुम्हे बर्बाद करना ही मेरा सबसे बड़ा पाप बन गया. अगर उस वक्त तुम मुझे अपना लेती तो मेरे दिल का बोझ हल्का हो जाता, पर ऐसा हो नही पाया. तुम्हे पाने की उम्मीद खो चुका था. ऐसे में मेडिटेशन में मुझे रोशनी की एक किरण नज़र आ रही थी.
मैने शुन रखा था कि मेडिटेशन में इंशान मर कर एक नया जनम लेता है. और इस तरह मैं अपने अंदर के उस बिल्लू को मारने निकल पड़ा जिशे तुम जानती थी
और इस तरह में पुणे पहुँच गया
मेरा एक कॉलेज का फ्रेंड, मदन पुणे में एक कॉल सेंटर में लगा है. मुझे भी उसने वही लगवा दिया. मदन भी ओशो के आश्रम जाता रहता था. मैने 4-5 बार आश्रम जा कर डाइनमिक मेडिटेशन सीख ली. उशके बाद में मदन के घर पर रोज सुबह डाइनमिक मेडिटेशन करने लगा.
डाइनमिक मेडिटेशन का 3 महीने का एक पूरा कंप्लीट साइकल होता है. इशे पूरा कर लिया जाए तो इंशान को कुछ बहुत गहरे अहसाश होते हैं. उनको शब्दो में नही कहा जा सकता.
पूरे 3 महीने मैने ये मेडिटेशन की. कभी मदन के घर पर और कभी आश्रम पर. इस मेडैटेशन ने मेरी जींदगी बदल दी. मैं बिल्लू से जतिन बन गया. पहले बस नाम का जतिन था. इस मेडिटेशन के बाद सच में जतिन बन गया.
“ह्म्म…. तो तुम मेडिटेशन सीख रहे थे, इश्लीए अपनी दीदी को देखने नही आए, मुझे ये सब शुन कर बिल्कुल अछा नही लग रहा जतिन. कुछ काम ऐसे होते हैं जिन्हे आप कभी नही टाल सकते. तुम अपनी दीदी को भुला कर आत्मा परमात्मा के चक्कर में पड़ गये, क्या तुम्हे नही लगता कि तुमने बहुत ग़लत किया है, और तुम मेडिटेशन सीखने भी कहाँ गये,….एक सेक्स गुरु के अशरम में, लगता है तुम खुद को धोका दे रहे हो” ऋतु ने कहा
“ऐसी बात नही है मैं दीदी को उस हालत में टीवी पर ही नही देख पाया तो वाहा जा कर कैसे देख लेता. मेरे अंदर इतनी हिम्मत नही थी ऋतु. मैने तो इस बात को ही स्वीकार नही किया कि वो मेरी दीदी ही थी. हां पर आज बात दूसरी है. आज मैं बहुत शांत हूँ. 3 महीने जो मैने मेडिटेशन की है, उसने मेरी जींदगी बदल दी है. वैसे काफ़ी हद तक तो तुम्हारे प्यार में मैं बदल ही चुका था, बाकी का काम इस ने कर दिया और इस तरह बिल्लू मारा गया. और हां ओशो पर सेक्स गुरु का ठप्पा वो लोग लगाते हैं जो सेक्स में उपर से नीचे तक डूबे हुवे हैं, मैने ओशो को खूब पढ़ा है उन्होने कभी सेक्स को प्रमोट नही किया” ---- मैने कहा.
“मुझे लगा संजय ने तुम्हारे साथ कुछ ऐसा वैसा कर दिया. वो उस दिन जिस दिन तुम आखरी बार लेटर डालने आए थे, तुम्हारे पीछे ही गया था. उसने मुझे बताया था कि उसने तुम्हारे टुकड़े टुकड़े करके मुंबई के नालो में बहा दिए. मैं ये शुन कर सोच बैठी थी की अब तुम इस दुनिया में नही हो” ---- ऋतु ने कहा
“ऋतु इंशान फ्रस्ट्रेशन में काफ़ी कुछ बोल जाता है. संजय ने यू ही तुम्हे परेशान करने के लिए बोल दिया होगा. दिस ईज़ नॅचुरल टेंडंसी ऑफ फ्रस्टरेटेड पर्सन” ---------- मैने कहा
“पर मुझे लगता है कि तुम्हे एक बार तो कविता के लिए आना चाहिए था” --- ऋतु ने कहा
“ये बात मैं अब समझ रहा हूँ, पर पहले हिम्मत नही थी. मेरे दिल में जो दीदी की एक शुनदर तस्वीर थी उसे हटा कर मैं एक कंकाल वाहा नही बिठाना चाहता था” ---- मैने कहा
फिर हम थोड़ी देर शांत खड़े रहे. मेरी नज़र ऋतु के चेहरे पर गयी तो वहीं जा कर टिक गयी. मैं ऋतु को प्यार से देखने लगा. पहली बार वो दिल में प्यार ले कर मेरे पास खड़ी थी. बहुत प्यारा अहसाश हो रहा था मुझे उस वक्त
“क्या देख रहे हो” ---- ऋतु ने पूछा
“अपनी जान को देख रहा हूँ की कैसी है मेरी जान, बहुत प्यारी लग रही हो, आइ लव यू” --- मैने कहा.
“जतिन मुझे माफ़ करदो मैने उस दिन मंदिर के बाहर तुम्हे ना जाने क्या क्या बोल दिया था” ---- ऋतु ने कहा
“आइ लव यू ऋतु” ----- मैने कहा
“जतिन मैं कह रही थी कि मुझे माफ़ करदो मैने उस दिन मंदिर के बाहर तुम्हे ना जाने क्या क्या बोल दिया था” ----- ऋतु ने कहा
मैं इतना भावुक हो रहा था कि मुझे कुछ नही शुन रहा था. मैने फिर अपने प्यार का इज़हार किया
“आइ लव यू ऋतु, दो यू लव मी” ? ---- मैने पूछा
“तुम्हे मेरी आँखो में क्या नज़र आ रहा है, जतिन” ----- ऋतु ने बड़े प्यार से मेरी आँखो में देख कर पूछा.
“प्यार नज़र आ रहा है, इस समुंदर से भी गहरा प्यार नज़र आ रहा है, जीशके किनारे हम खड़े हैं, ऐसा कैसे हो गया ऋतु” ---- मैने भावुक हो कर पूछा
Re: छोटी सी भूल
“पता नही जतिन, मैं खुद हैरान हूँ कि में कैसे तुम्हे प्यार कर सकती हूँ, पर जो भी है ये सच है कि आइ लव यू, क्या तुम्हे पता है कि तुम मुझे क्यों प्यार करते हो” ---- ऋतु ने पूछा
मैने कहा, “नही पता, बस इतना पता है कि तुम्हारे बिना जी नही सकता, मेडिटेशन में बहुत गहरे अहसाश पा कर भी तुम्हे भुला नही पाया. अभी कुछ दीनो पहले मेरे साथ कुछ अजीब हुवा. में डाइनमिक मेडिटेशन करने के बाद शांति से आँख बंद करके बैठ गया, पता है मुझे अपने अंदर क्या दीखाई दिया”
“क्या दीखाई दिया जतिन” ---- ऋतु ने पूछा
“मुझे तुम दीखाई दी ऋतु, बड़े प्यार से मुश्कुरा रही थी. उष दिन मैने डिसाइड किया कि डाइनमिक मेडिटेशन ख़तम करके तुम्हे देखने मुंबई आउन्गा. और देखो आज मैं आ गया. पर आज पता चला कि वो भगवान का संकेत था कि जाओ, तुम्हारा प्यार तुम्हे बुला रहा है. देखो आज तुम आँखो में प्यार ले कर मेरे सामने खड़ी हो, लगता है मुझे सब कुछ मिल गया. आइ लव यू ऋतु, आइ रेआली लव यू आ लॉट” ---- मैने भावुक हो कर कहा
आखरी की लाइन्स बोलते हुवे मेरी आँखो में आंशु उतर आए.
“तुम्हारे इशी प्यार ने मेरे मन में प्यार जगाया है, वरना तो मैं तुमसे बहुत नफ़रत करती थी” ---- ऋतु ने भी भावुक हो कर कहा
मैने देखा की ऋतु की भी बोलते बोलते आँखे भर आई थी.
लव ईज़ रियली आ वेरी वोंडरफुल्ल गिफ्ट ऑफ गॉड. उस वक्त मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं चाँद पर पहुँच गया हूँ. खुद को बहुत हल्का महसूष कर रहा था.
मैने ऋतु के कंधे की ओर हाथ बढ़ाया
“नहीं, मुझे छूना मत, मैने कहा ना मेरे प्यार का ये मतलब नहीं है कि तुम मेरे शरीर से खेलोगे” ----- ऋतु ने मेरी आँखो में देख कर कहा
मैने अपना हाथ वापिस खींच लिया. मैं बस उशे छू कर कहना चाहता था कि तुम मेरी जींदगी हो. पर उसकी बात मुझे बिल्कुल बुरी नही लगी. वैसे भी जो आपकी जान हो उसकी बात क्या कभी बुरी लगती है.
“ऋतु मुझ से शादी करोगी” ------- मैने बहुत भावुक हो कर पूछा
ऋतु थोड़ी देर तक मुझे देखती रही और फिर अपनी नज़रे झुका ली. मैं बड़ी बेसब्री से उशके जवाब का इंतेज़ार कर रहा था.
“जतिन मैं आज तुम्हारे लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ, प्यार जो हो गया है तुमसे, पर एक बात से परेशान हूँ कि हमारी शादी का आधार क्या होगा” ---- ऋतु ने पूछा
“क्या इस प्यार के बाद किशी आधार की ज़रूरत रह गयी है ऋतु, ये अपने आप में सबसे बड़ा आधार है” ---- मैने कहा
“क्या लोग ये नही समझेंगे कि हमारी शादी का आधार हवश है” ---- ऋतु ने कहा
“क्या तुम्हे आज भी वो सब कुछ याद है जो हमने हवश में डूब कर किया था” ---- मैने पूछा
“नहीं मैं तो उशे बहुत पहले भुला चुकी हूँ, तभी तो तुम्हे बार बार कह रहीं हूँ कि मुझे छूना मत, मैं उस पाप को एक पल को भी याद नही करना चाहती” ---- ऋतु ने कहा
“मैं भी आज वो सब कुछ भुला चुका हूँ ऋतु. तभी मैने कहा कि वो बिल्लू मर चुका है. आज बस इस दिल में प्यार है.पीछले दीनो मैने कुछ याद किया तो वो दिन था जिस दिन तुमने मुझे यहा गले लगाया था. मैं भी उस पाप को याद नही करना चाहता. हम दोनो इस जींदगी में बहुत नीचे गिरे थे. आज बड़ी मुश्किल से संभलें हैं. यहा से हमें एक नयी शुरूवात करनी है. हमारी शादी का आधार ये प्यार है ऋतु और कुछ नहीं. तुम कहोगी तो मैं तुम्हे जींदगी भर नही छुउंगा, आज मेरे दिल में बस प्यार है, हवश को मैं बहुत पीछे छ्चोड़ चुका हूँ” ------ मैने कहा
“तुम्हारी बाते मेरे दिल को छू रही हैं जतिन, पर बहुत मुश्किलें हैं हमारी शादी में. मैं समझ नही पा रहीं हूँ कि अपने पापा को क्या कहूँगी. मैने आज तक उनकी बात नही टाली है. पापा मुझे सिधार्थ के साथ शादी करने को कह रहे थे. मैने उन्हे कह दिया था कि मैं सिधार्थ से शादी नही करूँगी और अपनी जींदगी का सफ़र अकेले तैय करूँगी. अब उन्हे किस मूह से कहूँगी क़ि मैं शादी करना चाहती हूँ, वो भी उस इंशान से जीशके कारण मेरी पहली शादी टूटी है. वो यही समझेंगे कि मैं हवश में आँधी हो गयी हूँ. उन्हे कैसे समझावँगी ये प्यार जो हमें खुद भी अभी तक समझ नही आया है. चलो हम तो फिर भी समझ ही रहे हैं, ये दुनिया कभी नही समझेगी जतिन. अब तुम ही बताओ कि क्या करूँ मैं” ------- ऋतु ने मेरी आँखो में देख कर कहा
ये शुन कर मेरी आँखे नम हो गयी. मैने कहा, “ तो इसका मतलब तुम मुझ से शादी नही करोगी, हैं ना, क्योंकि इस दुनिया को ये प्यार समझ नही आएगा. तुम मुझे ये बताओ कि आज तक किस का प्यार इस दुनिया को समझ आया है, जो हमारा आएगा. अगर सब लोग ऐसा सोचेंगे तो कोई प्यार को अंजाम तक ले जाने की हिम्मत नही करेगा. बड़ा दुख हुवा तुम्हारे मूह से ये सब सुन कर. पर चलो छ्चोड़ो”
“नहीं जतिन तुम मुझे ग़लत समझ रहे हो, मैने कहा ना कि मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करूँगी, तुम्हे प्यार जो किया है, मैं तो बस अपनी दुविधा तुम्हे बता रही थी. प्लीज़ डॉन’ट माइंड. आइ लव यू. मैं तुम्हारी हूँ जतिन. प्लीज़ डॉन’ट टेक मी रॉंग” ----- ऋतु ने कहा
“क्या सच कह रही हो ऋतु ? प्लीज़ मैं तुम्हारे लिए बहुत एमोशनल हूँ, मुझे सॉफ सॉफ कह दो कि क्या तुम मुझ से शादी करोगी. मैं सच जान-ना चाहता हूँ. आइ डॉन’ट वांत टू फोर्स यू इंटो एनी थिंग नाउ. जो भी मन में हो बोल दो” मैने कहा
“बताओ कब करनी है शादी जतिन, मैं तैयार हूँ. मैं बस अपनी क्न्सर्न बता रही थी. मेरे लिए अपने घर वालो को समझाना मुश्किल होगा. ख़ासकर मेरे पापा ये बात नही समझेंगे. पर ये जींदगी मेरी है. तुम्हे अपना दिल दिया है. अब इस प्यार के लिए मैं किशी भी अंजाम तक जाने को तैयार हूँ. पता है तुम यहा नही थे तो मैं हर पल तुम्हे देखने के लिए तरसती थी. हर तरफ मेरी नज़रे तुम्हे ढून्दटी थी. आज भी जब खिड़की से तुम्हे जाते हुवे देखा तो भाग कर तुमसे मिलने यहा चली आई. जीतना तुम मुझे प्यार करते हो उतना ही मैं भी करती हूँ. जल्दी से डेट डिसाइड कर लो मैं तैयार हूँ. पर याद रखना शादी कोई खेल नही है. बहुत बड़ी ज़ीम्मेदारी होती है शादी के बाद. क्या तुम्हे यकीन है कि तुम ये ज़ीम्मेदारी नीभा पाओगे” ---- ऋतु ने कहा.
“बिल्कुल ऋतु मैने तो अपने परिवार के लिए बहुत कुछ सोच रखा है. मैं उमर में तुमसे छ्होटा सही पर तज़ुर्बें में तुमसे कहीं आगे हूँ. बहुत कुछ सीखा है इस छ्होटी से जींदगी में. तुम चिंता मत करो मैं एक पति के सारे फ़र्ज़ निभावँगा.” ---- मैने कहा
“पर जतिन, मुझे खुद पर यकीन नहीं है कि मैं एक पत्नी के सारे फ़र्ज़ निभा पाउन्गि या नही. मुझे एक मोका देना जतिन. मैं पूरी कोशिस करूँगी” ---- ऋतु ने कहा
ऋतु ने ये बात मेरी आँखो में देख कर कुछ इस तरह कही की मैं मदहोश हो गया.
मन कर रहा था कि ऋतु को गले लगा लूँ. पर मैं जानता था की वो ऐसा हारगीज़ नही करने देगी.
कुछ ना कुछ करने का मेरा मन तो था, जिस से की अपने दिल की भावनाओ को दीखा सकूँ.
मैने अपने अंगूठे को दांतो से चीर दिया और उसमें से जो खून निकला उसे झट से ऋतु की माँग में भर दिया
“जतिन ये क्या किया, पागल हो गये हो क्या” ? ऋतु ने थोड़ा गुस्से में कहा.
“मिटा दो अगर चाहो तो, पर तुम अब मेरी पत्नी हो, मुझे इस दुनिया से कोई मतलब नही है” ----- मैने कहा
“मैं इसे मिटाने को नही कह रहीं हूँ, मैं तो ये कह रही थी कि ये अंगूठा चीरने की क्या ज़रूरत थी तुम्हे. मैं वैसे भी अब तुम्हारी ही हूँ” ---- ऋतु ने भावुक हो कर कहा
“बस तुम्हे गले लगाना चाह रहा था. समझ नही आ रहा था कि कैसे अपने दिल की भावना को तुम्हे दीखाउ. इश्लीए अपने खून से तुम्हारी माँग भर दी” ---- मैने कहा
उस वक्त हम थोड़ी देर बिना कुछ कहे खड़े रहे. हम दोनो की आँखो में आंशु थे. कुछ नही पता था कि हमारे रिस्ते का मतलब क्या है, पर हम दोनो एक दूसरे के साथ चलने को तैयार थे. प्यार भी अजीब चीज़ है. इश्को समझना सच में बहुत मुश्किल काम है.
कब रात के 9 बज गये पता ही नही चला.
“चलें अब जतिन, काफ़ी अंधेरा हो गया है, मुझे अंधेरे से डर लगता है” ----- ऋतु ने कहा
और इस तरह हमारी खामोसी टूटी.
मैने कहा, “नही पता, बस इतना पता है कि तुम्हारे बिना जी नही सकता, मेडिटेशन में बहुत गहरे अहसाश पा कर भी तुम्हे भुला नही पाया. अभी कुछ दीनो पहले मेरे साथ कुछ अजीब हुवा. में डाइनमिक मेडिटेशन करने के बाद शांति से आँख बंद करके बैठ गया, पता है मुझे अपने अंदर क्या दीखाई दिया”
“क्या दीखाई दिया जतिन” ---- ऋतु ने पूछा
“मुझे तुम दीखाई दी ऋतु, बड़े प्यार से मुश्कुरा रही थी. उष दिन मैने डिसाइड किया कि डाइनमिक मेडिटेशन ख़तम करके तुम्हे देखने मुंबई आउन्गा. और देखो आज मैं आ गया. पर आज पता चला कि वो भगवान का संकेत था कि जाओ, तुम्हारा प्यार तुम्हे बुला रहा है. देखो आज तुम आँखो में प्यार ले कर मेरे सामने खड़ी हो, लगता है मुझे सब कुछ मिल गया. आइ लव यू ऋतु, आइ रेआली लव यू आ लॉट” ---- मैने भावुक हो कर कहा
आखरी की लाइन्स बोलते हुवे मेरी आँखो में आंशु उतर आए.
“तुम्हारे इशी प्यार ने मेरे मन में प्यार जगाया है, वरना तो मैं तुमसे बहुत नफ़रत करती थी” ---- ऋतु ने भी भावुक हो कर कहा
मैने देखा की ऋतु की भी बोलते बोलते आँखे भर आई थी.
लव ईज़ रियली आ वेरी वोंडरफुल्ल गिफ्ट ऑफ गॉड. उस वक्त मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं चाँद पर पहुँच गया हूँ. खुद को बहुत हल्का महसूष कर रहा था.
मैने ऋतु के कंधे की ओर हाथ बढ़ाया
“नहीं, मुझे छूना मत, मैने कहा ना मेरे प्यार का ये मतलब नहीं है कि तुम मेरे शरीर से खेलोगे” ----- ऋतु ने मेरी आँखो में देख कर कहा
मैने अपना हाथ वापिस खींच लिया. मैं बस उशे छू कर कहना चाहता था कि तुम मेरी जींदगी हो. पर उसकी बात मुझे बिल्कुल बुरी नही लगी. वैसे भी जो आपकी जान हो उसकी बात क्या कभी बुरी लगती है.
“ऋतु मुझ से शादी करोगी” ------- मैने बहुत भावुक हो कर पूछा
ऋतु थोड़ी देर तक मुझे देखती रही और फिर अपनी नज़रे झुका ली. मैं बड़ी बेसब्री से उशके जवाब का इंतेज़ार कर रहा था.
“जतिन मैं आज तुम्हारे लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ, प्यार जो हो गया है तुमसे, पर एक बात से परेशान हूँ कि हमारी शादी का आधार क्या होगा” ---- ऋतु ने पूछा
“क्या इस प्यार के बाद किशी आधार की ज़रूरत रह गयी है ऋतु, ये अपने आप में सबसे बड़ा आधार है” ---- मैने कहा
“क्या लोग ये नही समझेंगे कि हमारी शादी का आधार हवश है” ---- ऋतु ने कहा
“क्या तुम्हे आज भी वो सब कुछ याद है जो हमने हवश में डूब कर किया था” ---- मैने पूछा
“नहीं मैं तो उशे बहुत पहले भुला चुकी हूँ, तभी तो तुम्हे बार बार कह रहीं हूँ कि मुझे छूना मत, मैं उस पाप को एक पल को भी याद नही करना चाहती” ---- ऋतु ने कहा
“मैं भी आज वो सब कुछ भुला चुका हूँ ऋतु. तभी मैने कहा कि वो बिल्लू मर चुका है. आज बस इस दिल में प्यार है.पीछले दीनो मैने कुछ याद किया तो वो दिन था जिस दिन तुमने मुझे यहा गले लगाया था. मैं भी उस पाप को याद नही करना चाहता. हम दोनो इस जींदगी में बहुत नीचे गिरे थे. आज बड़ी मुश्किल से संभलें हैं. यहा से हमें एक नयी शुरूवात करनी है. हमारी शादी का आधार ये प्यार है ऋतु और कुछ नहीं. तुम कहोगी तो मैं तुम्हे जींदगी भर नही छुउंगा, आज मेरे दिल में बस प्यार है, हवश को मैं बहुत पीछे छ्चोड़ चुका हूँ” ------ मैने कहा
“तुम्हारी बाते मेरे दिल को छू रही हैं जतिन, पर बहुत मुश्किलें हैं हमारी शादी में. मैं समझ नही पा रहीं हूँ कि अपने पापा को क्या कहूँगी. मैने आज तक उनकी बात नही टाली है. पापा मुझे सिधार्थ के साथ शादी करने को कह रहे थे. मैने उन्हे कह दिया था कि मैं सिधार्थ से शादी नही करूँगी और अपनी जींदगी का सफ़र अकेले तैय करूँगी. अब उन्हे किस मूह से कहूँगी क़ि मैं शादी करना चाहती हूँ, वो भी उस इंशान से जीशके कारण मेरी पहली शादी टूटी है. वो यही समझेंगे कि मैं हवश में आँधी हो गयी हूँ. उन्हे कैसे समझावँगी ये प्यार जो हमें खुद भी अभी तक समझ नही आया है. चलो हम तो फिर भी समझ ही रहे हैं, ये दुनिया कभी नही समझेगी जतिन. अब तुम ही बताओ कि क्या करूँ मैं” ------- ऋतु ने मेरी आँखो में देख कर कहा
ये शुन कर मेरी आँखे नम हो गयी. मैने कहा, “ तो इसका मतलब तुम मुझ से शादी नही करोगी, हैं ना, क्योंकि इस दुनिया को ये प्यार समझ नही आएगा. तुम मुझे ये बताओ कि आज तक किस का प्यार इस दुनिया को समझ आया है, जो हमारा आएगा. अगर सब लोग ऐसा सोचेंगे तो कोई प्यार को अंजाम तक ले जाने की हिम्मत नही करेगा. बड़ा दुख हुवा तुम्हारे मूह से ये सब सुन कर. पर चलो छ्चोड़ो”
“नहीं जतिन तुम मुझे ग़लत समझ रहे हो, मैने कहा ना कि मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करूँगी, तुम्हे प्यार जो किया है, मैं तो बस अपनी दुविधा तुम्हे बता रही थी. प्लीज़ डॉन’ट माइंड. आइ लव यू. मैं तुम्हारी हूँ जतिन. प्लीज़ डॉन’ट टेक मी रॉंग” ----- ऋतु ने कहा
“क्या सच कह रही हो ऋतु ? प्लीज़ मैं तुम्हारे लिए बहुत एमोशनल हूँ, मुझे सॉफ सॉफ कह दो कि क्या तुम मुझ से शादी करोगी. मैं सच जान-ना चाहता हूँ. आइ डॉन’ट वांत टू फोर्स यू इंटो एनी थिंग नाउ. जो भी मन में हो बोल दो” मैने कहा
“बताओ कब करनी है शादी जतिन, मैं तैयार हूँ. मैं बस अपनी क्न्सर्न बता रही थी. मेरे लिए अपने घर वालो को समझाना मुश्किल होगा. ख़ासकर मेरे पापा ये बात नही समझेंगे. पर ये जींदगी मेरी है. तुम्हे अपना दिल दिया है. अब इस प्यार के लिए मैं किशी भी अंजाम तक जाने को तैयार हूँ. पता है तुम यहा नही थे तो मैं हर पल तुम्हे देखने के लिए तरसती थी. हर तरफ मेरी नज़रे तुम्हे ढून्दटी थी. आज भी जब खिड़की से तुम्हे जाते हुवे देखा तो भाग कर तुमसे मिलने यहा चली आई. जीतना तुम मुझे प्यार करते हो उतना ही मैं भी करती हूँ. जल्दी से डेट डिसाइड कर लो मैं तैयार हूँ. पर याद रखना शादी कोई खेल नही है. बहुत बड़ी ज़ीम्मेदारी होती है शादी के बाद. क्या तुम्हे यकीन है कि तुम ये ज़ीम्मेदारी नीभा पाओगे” ---- ऋतु ने कहा.
“बिल्कुल ऋतु मैने तो अपने परिवार के लिए बहुत कुछ सोच रखा है. मैं उमर में तुमसे छ्होटा सही पर तज़ुर्बें में तुमसे कहीं आगे हूँ. बहुत कुछ सीखा है इस छ्होटी से जींदगी में. तुम चिंता मत करो मैं एक पति के सारे फ़र्ज़ निभावँगा.” ---- मैने कहा
“पर जतिन, मुझे खुद पर यकीन नहीं है कि मैं एक पत्नी के सारे फ़र्ज़ निभा पाउन्गि या नही. मुझे एक मोका देना जतिन. मैं पूरी कोशिस करूँगी” ---- ऋतु ने कहा
ऋतु ने ये बात मेरी आँखो में देख कर कुछ इस तरह कही की मैं मदहोश हो गया.
मन कर रहा था कि ऋतु को गले लगा लूँ. पर मैं जानता था की वो ऐसा हारगीज़ नही करने देगी.
कुछ ना कुछ करने का मेरा मन तो था, जिस से की अपने दिल की भावनाओ को दीखा सकूँ.
मैने अपने अंगूठे को दांतो से चीर दिया और उसमें से जो खून निकला उसे झट से ऋतु की माँग में भर दिया
“जतिन ये क्या किया, पागल हो गये हो क्या” ? ऋतु ने थोड़ा गुस्से में कहा.
“मिटा दो अगर चाहो तो, पर तुम अब मेरी पत्नी हो, मुझे इस दुनिया से कोई मतलब नही है” ----- मैने कहा
“मैं इसे मिटाने को नही कह रहीं हूँ, मैं तो ये कह रही थी कि ये अंगूठा चीरने की क्या ज़रूरत थी तुम्हे. मैं वैसे भी अब तुम्हारी ही हूँ” ---- ऋतु ने भावुक हो कर कहा
“बस तुम्हे गले लगाना चाह रहा था. समझ नही आ रहा था कि कैसे अपने दिल की भावना को तुम्हे दीखाउ. इश्लीए अपने खून से तुम्हारी माँग भर दी” ---- मैने कहा
उस वक्त हम थोड़ी देर बिना कुछ कहे खड़े रहे. हम दोनो की आँखो में आंशु थे. कुछ नही पता था कि हमारे रिस्ते का मतलब क्या है, पर हम दोनो एक दूसरे के साथ चलने को तैयार थे. प्यार भी अजीब चीज़ है. इश्को समझना सच में बहुत मुश्किल काम है.
कब रात के 9 बज गये पता ही नही चला.
“चलें अब जतिन, काफ़ी अंधेरा हो गया है, मुझे अंधेरे से डर लगता है” ----- ऋतु ने कहा
और इस तरह हमारी खामोसी टूटी.