“ठीक है चलते हैं, अब मुझे शादी का इंतज़ाम भी करना है, काफ़ी कुछ सोचना पड़ेगा. चलो सब मॅनेज हो जाएगा, हमारा प्यार हमारे साथ है ना. फिलहाल चलते हैं” ---- मैने कहा
“हां चलो बाकी की बातें बाद में करेंगे” --- ऋतु ने कहा
“रूको पहले इस जगह का धन्यवाद करते हैं. इस जगह ने हमारे प्यार के फूल को खीलते हुवे देखा है. यहा हम चारो तरफ अपने प्यार की खुसबू छ्चोड़ कर जा रहें हैं. चलो आँखे बंद करके इस जगह का सुक्रिया करें और भगवान से दुवा करें की यहा जो भी आए मन में प्यार और शांति ले कर जाए” ---- मैने कहा
“तुम तो कोई फिलॉसफर बन कर लोटे हो. ये क्या मेडिटेशन का असर है, या फिर कुछ और जो मैं नही जानती” ----- ऋतु ने कहा
“मुझे नही पता किशका असर है, हां पर तुम्हारे प्यार का बहुत गहरा असर है मुझ पर. आज बहुत ज़्यादा खुस हूँ. आज तुम्हे आखरी बार देखने आया था और देखो तुम हमेशा के लिए मेरी हो गयी. मेरी जान आज मेरी पत्नी बन गयी” -------- मैने कहा
ऋतु ने कुछ नही कहा और नज़रे झुका कर मुश्कुरा दी. बहुत प्यारी लगती है ऋतु ऐसे नज़रे झुका कर मुश्कूराते हुवे. उस वक्त मैं बहुत खुस था कि ऋतु अब मेरी जींदगी में आ गयी है.
“चलो अब आँखे बंद करके प्रेयर करें, फिर चलते हैं” --- मैने ऋतु से कहा
हम दोनो ने आँखे बंद करके मन ही मन प्रेयर की और फिर साथ साथ ऋतु के घर की ओर चल पड़े.
हम दोनो रास्ते भर अपने खायलो में खोए रहे और एक दूसरे से कुछ नही कहा. बस चलते चलते एक दूसरे की तरफ देख कर मुश्कुरा देते थे.
ऋतु का फ्लॅट कब आ गया पता ही नही चला. मैं मन ही मन दुवा कर रहा था की ऋतु का घर थोड़ी देर और ना आए और हम यू ही साथ साथ चलते रहें. पर घर काफ़ी नज़दीक था. हम बहुत जल्दी वहाँ पहुँच गये.
“ठीक है ऋतु तुम्हारा घर आ गया, अब तुम जाओ, मैं चलता हूँ” ---- मैने कहा
“कहाँ जाओगे, जतिन” ? --- ऋतु ने पूछा
“तुम मेरी चिंता मत करो, मैं चला जाउन्गा, बहुत ठीकाने हैं रुकने के मेरे पास, और फिर होटेल तो है ही” ---- मैने कहा
“क्या तुम होटेल में रुकोगे ?? , ये घर अब तुम्हारा है जतिन, 3 बेडरूम हैं घर में. मुझे अछा लगेगा अगर तुम मेरे साथ रहोगे तो” ---- ऋतु ने कहा
ये शुन कर दिल बहुत भावुक हो गया. इतना प्यार और सम्मान दे रही थी ऋतु कि दिल थामे नही थम रहा था. लग रहा था कि मैं रो पड़ूँगा.
मैने मन ही मन सोचा कि ऋतु का मन वाकाई में उशके शरीर से भी ज़्यादा शुनदर है. वैसे मुझे ये बात हमेशा से पता थी कि वो एक अच्छी इंशान है.
मैने कहा, “नही ऋतु समझा करो, किशी ने देख लिया तो बेवजह बदनामी होगी. अब बस शादी करने के बाद ही इस घर में घुसूंगा. और वैसे भी मैं बहुत भावुक हो रहा हूँ तुम्हारे लिए. तुम्हारे साथ रुक गया तो कहीं बहक ना जाउ”
“तुम्हारी टांगे तोड़ दूँगी तुम बहक कर तो दीखाओ, अब मैं वो ऋतु नहीं हूँ जो तुम्हारे बहकावे में आ जाउन्गि” --- ऋतु ने कहा
“पता है, अब तुम झाँसी की रानी बन चुकी हो. मुझे तो खुद तुमसे डर लगने लगा है….हहहे... पता नही कब तलवार से मुझे काट डालो. एक बात बताओ क्या तुम्हे बंदूक चलानी आती है” ---- मैने पूछा
“नहीं… क्यों क्या हुवा” ---- ऋतु ने पूछा
“सुकर है, वरना तो उस दिन जंगल में तुम मेरा भेजा उड़ा देती. मैने सोचा भी नही था कि तुम पिस्टल ले कर फाइयर भी कर सकती हो. मेरी टाँग से गोली छू कर निकल गयी वरना जींदगी भर लंगड़ा कर चलना पड़ता” ---- मैने कहा
“सॉरी जतिन उस वक्त हालात ही कुछ ऐसे थे. मुझे तुम से इतनी नफ़रत थी की तुम्हे मार देना चाहती थी. हां पर आज तुम्हे बहुत प्यार करती हूँ. तुम आओ तो सही. हम अलग अलग बेडरूम में शोएंगे. अब तुम मेरे पति हो जतिन. मेरी माँग अपने खून से क्या मज़ाक में भरी थी तुमने” ---- ऋतु ने कहा
“अब ऐसी बाते मत करो मैं रो पड़ूँगा, क्यों इतना प्यार दे रही हो. संभालना मुश्किल हो रहा है. मैं समझ सकता हूँ कि तुम्हे मेरी चिंता है. डॉन’ट वरी अबौट मी जान, आइ विल बी फाइन. अभी जाने दो. शादी के बारे में भी प्लॅनिंग करनी है. बहुत जल्दी में तुम्हे सब कुछ फाइनल करके बता दूँगा. नाउ यू गो आंड टेक केर. हन अपना मोबाइल नंबर दे दो कुछ काम हुवा तो फोन करूँगा” ---- मैने कहा
“ठीक है जतिन, जैसा तुम ठीक समझो, अपना ख्याल रखना और फिर से कहीं गायब मत हो जाना” ---- ऋतु ने कहा
मैने ऋतु से मोबाइल नंबर ले लिया.
ऋतु गुड नाइट कह कर घर में चली गयी. मैं उशे जाते हुवे देखता रहा.
घर में जाते ही वो खिड़की में आ गयी. मैने उसे बाइ किया और चल पड़ा.
जाते हुवे में बार बार खिड़की की ओर देख रहा था. ऋतु के चेहरे पर बहुत प्यारे भाव थे. मुझे हमारे बीच एक प्यारा सा रिस्ता बनता नज़र आ रहा था
पुणे से चलते वक्त मदन ने मुझे अपने एक फ्रेंड, दिनेश का नंबर दिया था. उस दिन मैं दिनेश से फोन पर बात करके उशके घर की लोकेशन पूछ कर उशके घर चला गया.
3-4 दिन मैं ऋतु से नही मिल पाया. मुझे चिंता हो रही थी कि पहले कुछ काम तो मिल जाए यहा मुंबई में. ऐसे खाली पीली शादी का क्या फ़ायडा. पुणे में कॉल सेंटर का एक्सपीरियेन्स हो गया था. दिनेश ने मुझे कुछ कॉल सेंटर्स के नाम बताए और मैने एक जगह जा कर जाय्न कर लिया. कॉल सेंटर कोलाबा के नज़दीक ही था.
फिर मैने शादी के बारे में सोचना शुरू किया.
28 जून के बाद, एक बार भी ऋतु से मिलने नही जा सका. मैं सब कुछ फाइनल करके ही ऋतु से मिलना चाहता था.
मैने एक पंडित से शादी की डेट निकलवाई. 12 जुलाइ को सूभ महुरत बैठ रहा था.
मैने उशी मंदिर में शादी का इंतज़ाम किया जहाँ ऋतु अक्सर जाया करती थी. पुजारी को मुश्किल से पैसे दे कर पटाया कि चिंता की कोई बात नही है, शादी मंदिर में करने की इच्छा है इश्लीए कर रहे हैं. घर वालो का कोई विरोध नही है.
5 जुलाइ को मैं शाम को ऋतु से मिलने गया.
मैने ऋतु के घर की बेल बजाई
ऋतु ने दरवाजा खोला और एक प्यारी सी हँसी से मेरा स्वागत किया और बोली, “तो मिल गया जनाब को मेरे लिए वक्त, थे कहाँ आप इतने दीनो से?”
मैने कहा, “चलो गेट वे ऑफ इंडिया पर घूमते हुवे बात करेंगे, बहुत ज़रूरी बात करनी है तुम से”
“तुमने क्या इस घर में ना आने की कसम खा रखी है, तुम्हारी पत्नी हूँ मैं कोई गैर नहीं हूँ, तुम उस खून का मतलब नही जानते शायद पर मुझे पता है. आओ ना मैं कॉफी बना रही थी. आओ दोनो साथ साथ पीएँगे” ---- ऋतु ने कहा
ऋतु ने इतने प्यार से बुलाया कि मैं खुद को रोक नही पाया और घर के अंदर आ गया
मैने चारो और देख कर कहा, “बहुत प्यारा घर है तुम्हारा ऋतु”
“तुम्हारा नही हमारा जतिन, ये हमारा घर है” --- ऋतु ने किचन की ओर जाते हुवे कहा
“तुम बैठो मैं कॉफी ले कर आ रहीं हूँ” --- ऋतु ने किचन के अंदर से आवाज़ लगाई
मैं कुर्सी पर बैठ गया.
ऋतु कॉफी ले कर आई. उशके चेहरे पर अजीब सी चमक थी.
मैने पूछा, “ क्या बात है, इतनी खुस क्यों हो”
“आज तुम पहली बार घर जो आए हो, बहुत खुस हूँ” ---- ऋतु ने कहा
“ऋतु हम 12 जुलाइ को शादी कर रहें हैं” --- मैने कहा
“क्या इतनी जल्दी, कैसे मॅनेज होगा सब कुछ” --- ऋतु ने हैरान हो कर पूछा
“अरे हम मंदिर में शादी कर रहें हैं, इसमें क्या मॅनेज करना है. जहाँ तुम हर सनडे जाती हो ना वहीं शादी करेंगे, मैने सारा इंतज़ाम कर लिया है. और हां मैने एक कॉल सेंटर जाय्न कर लिया है. अब मैं पति बन-ने के लिए तैयार हूँ” ----- मैने कहा
छोटी सी भूल compleet
Re: छोटी सी भूल
“मैने तो अभी तक घर पर भी बात नहीं की इस बारे में, समझ नही आ रहा कि कैसे बात करूँ मैं” --- ऋतु ने कहा
“कर लो ऋतु, एक बार उन्हे बता दो, फिर देखते हैं कि क्या होता है, और हां में निकलता हूँ, मुझे कॉल सेंटर जाना है” ---- मैने कहा
“क्या आज तुम्हारी छुट्टी नही है जतिन” ---- ऋतु ने पूछा
“छुट्टी थी पर कोई एमर्जेन्सी आ गयी होगी मुझे अभी थोड़ी देर पहले फोन करके बुलाया है. और हां अपने घर बात कर लो. जिसे इन्वाइट करना है कर लो हम हर हाल में 12 को शादी कर रहें हैं.. ओके… बाइ” ---- मैने कहा और चल पड़ा
“तुम कहाँ रुके हो जतिन” --- ऋतु ने पूछा
मैने कहा, “एक दोस्त के यहा रुका हूँ, तुम चिंता मत करो..बाइ”
“तुम अब यहीं आ जाओ, क्यों यहा वाहा रह रहे हो” --- ऋतु ने कहा
“ऋतु 12 के बाद यहीं तुम्हारे साथ ही रहूँगा, मैं भी तुमसे दूर नहीं रहना चाहता, तभी तो इतनी जल्दी की डेट निकलवाई है शादी की मैने” --- मैने कहा
“ओके जी, जैसा आपको सही लगे, बाइ अपना ख्याल रखना” --- ऋतु ने कहा
मैने पीछे मूड कर देखा, ऋतु की आँखो में बहुत ज़्यादा प्यार था. मैं वाहा से जाना नही चाहता था पर फिर भी मुझे जाना पड़ा.
और फिर वो दिन आ गया जिस दिन हमारी शादी हुई.
12 जुलाइ को शादी का शाम 6 बजे का मुहूरत था.
मैं तैयार हो कर 5 बजे ही ऋतु के घर पहुँच गया.
मैने बेल बजाई
दरवाजा खुला तो वाहा किसी दूसरी औरत को पा कर मैं चोंक गया. बाद में पता चला कि वो दीप्ति थी
“आओ जीजा जी, आपका स्वागत है, ऋतु तैयार हो रही है, आओ बैठो” ---- डिप्टी ने कहा
मैं अंदर आ गया.
अंदर घुसते ही एक 31-32 साल के आदमी ने मुझ से हाथ मिलाया और बोला, “वेलकम डियर, तो आज आप से मुलाकात हो ही गयी”
बाद में पता चला कि वो मनीष था
मैं मनीष और दीप्ति को जानता नही था इश्लीए उन से ज़्यादा बात नही की और चुपचाप एक तरफ बैठ गया.
कोई 15 मिनूट बाद दीप्ति ने मुझे कहा, “जीजा जी आप अंदर जाओ, ऋतु आपको बुला रही है”
मैं खड़ा हुवा और ऋतु के बेडरूम में घुस्स गया
अंदर जो देखा वो अन्बिलीवबल था.
ऋतु लाल सारी में लीपटि मेरे सामने खड़ी थी. बहुत ज़्यादा प्यारी लग रही थी. मन कर रहा था की उसे बाहों में भर लूँ
“देख क्या रहे हो, बताओ कैसी लग रहीं हूँ” --- ऋतु ने पूछा
“बहुत प्यारी लग रही हो जान बस पूछो मत” --- मैने ऋतु की ओर बढ़ते हुवे कहा
“मुझे छूना मत….” ---- ऋतु ने कहा
मैने ऋतु को बीच में ही टोक दिया और बोला,“हां हां मुझे याद है तुम मुझे प्यार करती हो तो इश्का मतलब ये नही है कि मैं तुम्हारे शरीर से खेलूँगा. ये मुझे रात गया है. मैं तो बस तुम्हे नज़दीक से देखना चाह रहा था”
“ये सारी कैसी लग रही है” --- ऋतु ने पूछा
“अच्छी लग रही है, बल्कि बहुत अच्छी लग रही है” --- मैने कहा
“अरे ये तुम्हारी लाई हुई सारी है, पहचान क्यों नही रहे हो तुम” --- ऋतु ने थोड़ा गुस्से में कहा
“ओह्ह हां ऋतु मुझे लग तो रहा था पर समझ नही आ रहा था कि ये तुम्हारे पास कैसे आई, मुझे लगा तुम भी वैसी ही सारी ले आई हो” ---- मैने कहा
“मैने तुम्हारी टॅक्सी का शीसा तोड़ कर निकाल ली थी. अछा हुवा टाइम से निकाल ली. बाद में तो वो टॅक्सी यहा से गायब ही हो गयी” --- ऋतु ने कहा
“अछा किया ऋतु, आज तुमने दिल को एक और ख़ुसी दे दी. मेरी लाई हुई सारी तुमने पहन ली और मुझे क्या चाहिए. मुझे तो लगता था कि ये सस्ती सारी है” --- मैने कहा
“सस्ती सारी नही है ये, बहुत कीमती है मेरे लिए. दिल से लगा कर रखा है मैने इसे. और देखो कितनी प्यारी लग रही है मुझ पर. लग रहीं हूँ ना तुम्हारी दुल्हन मैं” ---- ऋतु ने कहा
ऋतु की बात शुन कर मेरी आँखो में आंशु भर आए. जब इतना प्यार मिले तो कोई भी रो देगा.
“क्या हुवा जतिन, ये आँखे क्यों भर आई हैं तुम्हारी” --- ऋतु ने पूछा
“कुछ नही बस ख़ुसी के आंशु हैं, तुम जल्दी तैयार हो कर बाहर आ जाओ, हम मंदिर के लिए लेट हो रहे हैं” ----- मैने कहा और दरवाजे की ओर मूड गया
“रूको तो जतिन,…….. आइ लव यू” ---- ऋतु ने पीछे से कहा
मैने कहा, “आइ लव यू टू ऋतु, जल्दी करो हम लेट हो रहें हैं”
“ठीक है, बस 10 मिनूट में आ रहीं हूँ” --- ऋतु ने कहा
ऋतु के घर से कोई नही आया. मैने पुणे से मदन को भी इन्वाइट कर लिया था. वो सीधा मंदिर पहुँच गया.
बहुत एमोशनल पल था वो मेरे लिए जब मैं ऋतु के साथ 7 फेरे ले रहा था. एक एक कदम मैं बहुत भावुक हो कर रख रहा था. ऋतु खामोसी से चल रही थी. उपर से मंदिर का माहॉल. बहुत पेअसेफुल्ल एन्वाइरन्मेंट में हमारी शादी हो रही थी. भगवान को ये शादी मंजूर थी तभी भगवान के मंदिर में ही उन्ही के सामने ये शादी हो रही थी.
जैसे ही पूरा प्रोसेस ख़तम हुवा, ऋतु ने मेरी ओर देखा और बोली, “अब तो रहोगे ना मेरे साथ हमारे घर में”
मैं बस मुश्कुरा दिया और आँखे झपका कर हां का इशारा किया
तभी ऋतु का मोबाइल बज उठा.
उसने फोन उठाया और मैने देखा कि वो किसी गहरी चिंता में खो गयी.
मैने पूछा, “क्या बात है ऋतु”
“पापा तुमसे बात करना चाहते हैं जतिन, प्लीज़ चुपचाप सब कुछ शुन लेना वो बहुत गुस्से में हैं” ---- ऋतु ने कहा
“ठीक है लाओ फोन मुझे दो” --- मैने कहा
मैने फोन कान पर लगा कर हेलो बोला ही था कि उधर से गुस्से की बोच्चार हो गयी, “मेरी बात कान खोल कर शुन लड़के, शादी तो तूने ऋतु से कर ली पर मैं तुझे कुछ नही दूँगा. ऋतु को भी अपनी जायदाद से बेदखल करता हूँ. तू यहा मेरे घर में घुसने की हिम्मत मत करना. और हां ऋतु को कुछ नुकसान पहुँचाया ना तो तेरी बोटी बोटी करके कुत्तो को खिला दूँगा, नीच कहीं का”
बस इतना कह कर ऋतु के पापा ने फोन काट दिया
“क्या कह रहे थे पापा जतिन” --- ऋतु ने पूछा
“कुछ नही आशीर्वाद दे रहे थे कि तुम दोनो सदा खुस रहना” --- मैने कहा
“झूठ बोल रहे हो…. हैं ना, ये आशीर्वाद उन्होने मुझे भी दिया है” ----- ऋतु ने कहा
“ऋतु बडो के मूह से निकला हर बोल आशीर्वाद ही है, तुम चिंता मत करो वक्त के साथ सब कुछ ठीक हो जाएगा. जिस भगवान ने ये रिस्ता बनाया है, वही भगवान इस रिस्ते की लाज़ भी रखेगा. चलो अब चलते हैं” ---- मैने कहा
हम चले ही थे कि सिधार्थ वाहा आ गया
“कंग्रॅजुलेशन टू बोथ ऑफ यू. मुझे लग ही रहा था कि तुम दोनो का गहरा प्यार है. ऑल दा बेस्ट. ऋतु हमेशा खुस रहना” --- सिधार्थ ने कहा
मैने देखा की ऋतु ने सिधार्थ से ठीक से बात नही की. कारण आज डाइयरी पढ़ कर पता चला की ऐसा क्यों था.
मंदिर घर के नज़दीक ही था पर फिर भी मैने एक कार अरेंज कर रखी थी घर तक जाने के लिए.
हम दोनो सभी को बाइ करके कार में बैठ गये. दिल में अजीब सा मीठा मीठा अहसास हो रहा था. मैं अपनी दुल्हन के साथ बैठा था. ऋतु ने मेरी और देखा और मैने उसकी और देखा. हमनें आँखो ही आँखो में अपने प्यार का इज़हार किया. पर ऋतु के चेहरे पर एक दर्द भारी मुश्कान थी
कोई 5 मिनूट में हम घर पहुँच गये.
घर आते ही ऋतु बेडरूम में घुस गयी और बेड पर गिर कर रोने लगी.
मैने दरवाजा खड़काया तो वो झट से उठ गयी और अपने आंशु पूछने लगी
मैं उशके करीब आ गया. ऋतु की आँखे लाल हो रखी थी
“क्या बात है ऋतु, क्या मुझ से कोई ग़लती हुई है” --- मैने पूछा
“नही जतिन तुम्हारी कोई ग़लती नही है, पापा ने मुझे पहली बार इतनी बुरी तरह से डांटा है. ऐसा लग रहा था कि वो मुझे ग़लत समझ रहे हैं. उन्हे शायद लगता है कि मैने ये शादी अपने जिस्म की आग बुझाने के लिए की है. उन्होने ऐसा कहा नही पर जैसे वो मुझे डाँट रहे थे उस से यही लग रहा था. उन्होने ये तक कह दिया कि चिंटू को अब भूल जाओ, मैं तुम पापियों के पास उसे नहीं भेजूँगा. मैं अपने बेटे से कैसे दूर रहूंगी जतिन, पता नही क्या होगा. मैं बहुत दुखी हूँ. आइ आम वेरी सॉरी जतिन, मैं अभी तुमसे कोई बात नही कर पाउन्गि. मेरा मन था कि हम मंदिर से आ कर ढेर सारी बाते करेंगे पर मेरा दिल अभी बहुत भारी हो रहा है. प्लीज़ मुझे ग़लत मत समझना. मैं थोड़ी देर लेट रहीं हूँ, तुम भी दूसरे कमरे में आराम कर लो” ---- ऋतु ने भावुक हो कर कहा
“ठीक है ऋतु तुम आराम करो, मेरी चिंता मत करो, मैं भी आराम कर लेटा हूँ” --- मैने कहा.
कोई एक घंटे बाद ऋतु मेरे कमरे में आई.
मैं आँखे बंद करके बिस्तर पर लेटा हुवा था.
“शो रहे हो क्या जतिन” ऋतु ने पूछा
मैं झट से उठ गया और उठ कर बैठ गया
मेरी दुल्हन आँखो में प्यार लेकर मेरे सामने खड़ी थी.
“नही जान बस आँखे बंद करके लेटा हुवा था. कैसी हो तुम” ---- मैने कहा
क्रमशः........................
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“कर लो ऋतु, एक बार उन्हे बता दो, फिर देखते हैं कि क्या होता है, और हां में निकलता हूँ, मुझे कॉल सेंटर जाना है” ---- मैने कहा
“क्या आज तुम्हारी छुट्टी नही है जतिन” ---- ऋतु ने पूछा
“छुट्टी थी पर कोई एमर्जेन्सी आ गयी होगी मुझे अभी थोड़ी देर पहले फोन करके बुलाया है. और हां अपने घर बात कर लो. जिसे इन्वाइट करना है कर लो हम हर हाल में 12 को शादी कर रहें हैं.. ओके… बाइ” ---- मैने कहा और चल पड़ा
“तुम कहाँ रुके हो जतिन” --- ऋतु ने पूछा
मैने कहा, “एक दोस्त के यहा रुका हूँ, तुम चिंता मत करो..बाइ”
“तुम अब यहीं आ जाओ, क्यों यहा वाहा रह रहे हो” --- ऋतु ने कहा
“ऋतु 12 के बाद यहीं तुम्हारे साथ ही रहूँगा, मैं भी तुमसे दूर नहीं रहना चाहता, तभी तो इतनी जल्दी की डेट निकलवाई है शादी की मैने” --- मैने कहा
“ओके जी, जैसा आपको सही लगे, बाइ अपना ख्याल रखना” --- ऋतु ने कहा
मैने पीछे मूड कर देखा, ऋतु की आँखो में बहुत ज़्यादा प्यार था. मैं वाहा से जाना नही चाहता था पर फिर भी मुझे जाना पड़ा.
और फिर वो दिन आ गया जिस दिन हमारी शादी हुई.
12 जुलाइ को शादी का शाम 6 बजे का मुहूरत था.
मैं तैयार हो कर 5 बजे ही ऋतु के घर पहुँच गया.
मैने बेल बजाई
दरवाजा खुला तो वाहा किसी दूसरी औरत को पा कर मैं चोंक गया. बाद में पता चला कि वो दीप्ति थी
“आओ जीजा जी, आपका स्वागत है, ऋतु तैयार हो रही है, आओ बैठो” ---- डिप्टी ने कहा
मैं अंदर आ गया.
अंदर घुसते ही एक 31-32 साल के आदमी ने मुझ से हाथ मिलाया और बोला, “वेलकम डियर, तो आज आप से मुलाकात हो ही गयी”
बाद में पता चला कि वो मनीष था
मैं मनीष और दीप्ति को जानता नही था इश्लीए उन से ज़्यादा बात नही की और चुपचाप एक तरफ बैठ गया.
कोई 15 मिनूट बाद दीप्ति ने मुझे कहा, “जीजा जी आप अंदर जाओ, ऋतु आपको बुला रही है”
मैं खड़ा हुवा और ऋतु के बेडरूम में घुस्स गया
अंदर जो देखा वो अन्बिलीवबल था.
ऋतु लाल सारी में लीपटि मेरे सामने खड़ी थी. बहुत ज़्यादा प्यारी लग रही थी. मन कर रहा था की उसे बाहों में भर लूँ
“देख क्या रहे हो, बताओ कैसी लग रहीं हूँ” --- ऋतु ने पूछा
“बहुत प्यारी लग रही हो जान बस पूछो मत” --- मैने ऋतु की ओर बढ़ते हुवे कहा
“मुझे छूना मत….” ---- ऋतु ने कहा
मैने ऋतु को बीच में ही टोक दिया और बोला,“हां हां मुझे याद है तुम मुझे प्यार करती हो तो इश्का मतलब ये नही है कि मैं तुम्हारे शरीर से खेलूँगा. ये मुझे रात गया है. मैं तो बस तुम्हे नज़दीक से देखना चाह रहा था”
“ये सारी कैसी लग रही है” --- ऋतु ने पूछा
“अच्छी लग रही है, बल्कि बहुत अच्छी लग रही है” --- मैने कहा
“अरे ये तुम्हारी लाई हुई सारी है, पहचान क्यों नही रहे हो तुम” --- ऋतु ने थोड़ा गुस्से में कहा
“ओह्ह हां ऋतु मुझे लग तो रहा था पर समझ नही आ रहा था कि ये तुम्हारे पास कैसे आई, मुझे लगा तुम भी वैसी ही सारी ले आई हो” ---- मैने कहा
“मैने तुम्हारी टॅक्सी का शीसा तोड़ कर निकाल ली थी. अछा हुवा टाइम से निकाल ली. बाद में तो वो टॅक्सी यहा से गायब ही हो गयी” --- ऋतु ने कहा
“अछा किया ऋतु, आज तुमने दिल को एक और ख़ुसी दे दी. मेरी लाई हुई सारी तुमने पहन ली और मुझे क्या चाहिए. मुझे तो लगता था कि ये सस्ती सारी है” --- मैने कहा
“सस्ती सारी नही है ये, बहुत कीमती है मेरे लिए. दिल से लगा कर रखा है मैने इसे. और देखो कितनी प्यारी लग रही है मुझ पर. लग रहीं हूँ ना तुम्हारी दुल्हन मैं” ---- ऋतु ने कहा
ऋतु की बात शुन कर मेरी आँखो में आंशु भर आए. जब इतना प्यार मिले तो कोई भी रो देगा.
“क्या हुवा जतिन, ये आँखे क्यों भर आई हैं तुम्हारी” --- ऋतु ने पूछा
“कुछ नही बस ख़ुसी के आंशु हैं, तुम जल्दी तैयार हो कर बाहर आ जाओ, हम मंदिर के लिए लेट हो रहे हैं” ----- मैने कहा और दरवाजे की ओर मूड गया
“रूको तो जतिन,…….. आइ लव यू” ---- ऋतु ने पीछे से कहा
मैने कहा, “आइ लव यू टू ऋतु, जल्दी करो हम लेट हो रहें हैं”
“ठीक है, बस 10 मिनूट में आ रहीं हूँ” --- ऋतु ने कहा
ऋतु के घर से कोई नही आया. मैने पुणे से मदन को भी इन्वाइट कर लिया था. वो सीधा मंदिर पहुँच गया.
बहुत एमोशनल पल था वो मेरे लिए जब मैं ऋतु के साथ 7 फेरे ले रहा था. एक एक कदम मैं बहुत भावुक हो कर रख रहा था. ऋतु खामोसी से चल रही थी. उपर से मंदिर का माहॉल. बहुत पेअसेफुल्ल एन्वाइरन्मेंट में हमारी शादी हो रही थी. भगवान को ये शादी मंजूर थी तभी भगवान के मंदिर में ही उन्ही के सामने ये शादी हो रही थी.
जैसे ही पूरा प्रोसेस ख़तम हुवा, ऋतु ने मेरी ओर देखा और बोली, “अब तो रहोगे ना मेरे साथ हमारे घर में”
मैं बस मुश्कुरा दिया और आँखे झपका कर हां का इशारा किया
तभी ऋतु का मोबाइल बज उठा.
उसने फोन उठाया और मैने देखा कि वो किसी गहरी चिंता में खो गयी.
मैने पूछा, “क्या बात है ऋतु”
“पापा तुमसे बात करना चाहते हैं जतिन, प्लीज़ चुपचाप सब कुछ शुन लेना वो बहुत गुस्से में हैं” ---- ऋतु ने कहा
“ठीक है लाओ फोन मुझे दो” --- मैने कहा
मैने फोन कान पर लगा कर हेलो बोला ही था कि उधर से गुस्से की बोच्चार हो गयी, “मेरी बात कान खोल कर शुन लड़के, शादी तो तूने ऋतु से कर ली पर मैं तुझे कुछ नही दूँगा. ऋतु को भी अपनी जायदाद से बेदखल करता हूँ. तू यहा मेरे घर में घुसने की हिम्मत मत करना. और हां ऋतु को कुछ नुकसान पहुँचाया ना तो तेरी बोटी बोटी करके कुत्तो को खिला दूँगा, नीच कहीं का”
बस इतना कह कर ऋतु के पापा ने फोन काट दिया
“क्या कह रहे थे पापा जतिन” --- ऋतु ने पूछा
“कुछ नही आशीर्वाद दे रहे थे कि तुम दोनो सदा खुस रहना” --- मैने कहा
“झूठ बोल रहे हो…. हैं ना, ये आशीर्वाद उन्होने मुझे भी दिया है” ----- ऋतु ने कहा
“ऋतु बडो के मूह से निकला हर बोल आशीर्वाद ही है, तुम चिंता मत करो वक्त के साथ सब कुछ ठीक हो जाएगा. जिस भगवान ने ये रिस्ता बनाया है, वही भगवान इस रिस्ते की लाज़ भी रखेगा. चलो अब चलते हैं” ---- मैने कहा
हम चले ही थे कि सिधार्थ वाहा आ गया
“कंग्रॅजुलेशन टू बोथ ऑफ यू. मुझे लग ही रहा था कि तुम दोनो का गहरा प्यार है. ऑल दा बेस्ट. ऋतु हमेशा खुस रहना” --- सिधार्थ ने कहा
मैने देखा की ऋतु ने सिधार्थ से ठीक से बात नही की. कारण आज डाइयरी पढ़ कर पता चला की ऐसा क्यों था.
मंदिर घर के नज़दीक ही था पर फिर भी मैने एक कार अरेंज कर रखी थी घर तक जाने के लिए.
हम दोनो सभी को बाइ करके कार में बैठ गये. दिल में अजीब सा मीठा मीठा अहसास हो रहा था. मैं अपनी दुल्हन के साथ बैठा था. ऋतु ने मेरी और देखा और मैने उसकी और देखा. हमनें आँखो ही आँखो में अपने प्यार का इज़हार किया. पर ऋतु के चेहरे पर एक दर्द भारी मुश्कान थी
कोई 5 मिनूट में हम घर पहुँच गये.
घर आते ही ऋतु बेडरूम में घुस गयी और बेड पर गिर कर रोने लगी.
मैने दरवाजा खड़काया तो वो झट से उठ गयी और अपने आंशु पूछने लगी
मैं उशके करीब आ गया. ऋतु की आँखे लाल हो रखी थी
“क्या बात है ऋतु, क्या मुझ से कोई ग़लती हुई है” --- मैने पूछा
“नही जतिन तुम्हारी कोई ग़लती नही है, पापा ने मुझे पहली बार इतनी बुरी तरह से डांटा है. ऐसा लग रहा था कि वो मुझे ग़लत समझ रहे हैं. उन्हे शायद लगता है कि मैने ये शादी अपने जिस्म की आग बुझाने के लिए की है. उन्होने ऐसा कहा नही पर जैसे वो मुझे डाँट रहे थे उस से यही लग रहा था. उन्होने ये तक कह दिया कि चिंटू को अब भूल जाओ, मैं तुम पापियों के पास उसे नहीं भेजूँगा. मैं अपने बेटे से कैसे दूर रहूंगी जतिन, पता नही क्या होगा. मैं बहुत दुखी हूँ. आइ आम वेरी सॉरी जतिन, मैं अभी तुमसे कोई बात नही कर पाउन्गि. मेरा मन था कि हम मंदिर से आ कर ढेर सारी बाते करेंगे पर मेरा दिल अभी बहुत भारी हो रहा है. प्लीज़ मुझे ग़लत मत समझना. मैं थोड़ी देर लेट रहीं हूँ, तुम भी दूसरे कमरे में आराम कर लो” ---- ऋतु ने भावुक हो कर कहा
“ठीक है ऋतु तुम आराम करो, मेरी चिंता मत करो, मैं भी आराम कर लेटा हूँ” --- मैने कहा.
कोई एक घंटे बाद ऋतु मेरे कमरे में आई.
मैं आँखे बंद करके बिस्तर पर लेटा हुवा था.
“शो रहे हो क्या जतिन” ऋतु ने पूछा
मैं झट से उठ गया और उठ कर बैठ गया
मेरी दुल्हन आँखो में प्यार लेकर मेरे सामने खड़ी थी.
“नही जान बस आँखे बंद करके लेटा हुवा था. कैसी हो तुम” ---- मैने कहा
क्रमशः........................
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Re: छोटी सी भूल
गतान्क से आगे..................
“तुम्हे बहुत बुरा लग रहा होगा कि मैने तुम्हे यहाँ दूसरे कमरे में लेटा दिया. जतिन मेरे दिल के ज़ख़्म अभी हरे हैं. मुझे थोड़ा वक्त दो, मैं पूरी कोशिश करूँगी कि मैं एक अची पत्नी बन पाउ. प्लीज़ मुझे ग़लत मत समझना. मैं तुम्हे बहुत प्यार करती हूँ. तुम चाहो तो मेरे पास आ जाना, तुम्हे रोकूंगी नहीं. पर मुझे थोड़ा वक्त चाहिए इस नयी जींदगी में अड्जस्ट होने के लिए. सब कुछ इतनी जल्दी हो गया है कि मैं हैरान हूँ. प्लीज़ मुझे समझने की कोशिश करना” ------- ऋतु ने एमोशनल हो कर कहा
“मैं समझ सकता हूँ जान, मेरे कारण ही तो तुम्हे ज़ख़्म मिले हैं. तुम चिंता मत करो. हम प्यार से एक साथ रहेंगे. रही बात तुम्हारे पास आने की तो मुझे कोई जल्दी नही है. तुम अब मेरी पत्नी हो. पूरी जींदगी पड़ी है पास आने के लिए. तुम अब सो जाओ, तुम्हारी आँखे लाल हो रही हैं” ---- मैने कहा
और इस तरह से हमारी शादी शुदा जींदगी की शुरूवात हुई. आज लगभग एक महीना हो गया शादी को. हम हंसते बोलते हैं. अच्छे दोस्त की तरह एक छत के नीचे रहते हैं. बैठ कर घंटो बाते करते रहते हैं. जब ऋतु बोलती है तो मैं प्यार से उशके चेहरे को देखते हुवे उसकी बात सुनता हूँ. जींदगी बहुत प्यारी और हसीन बन गयी है. हां ये और भी ज़्यादा हसीन हो सकती है अगर हम दोनो एक नॉर्मल हज़्बेंड वाइफ की तरह रह पायें तो. पर मुझे इस बात का कोई गम नहीं है.
ऋतु मेरा पूरा ध्यान रखती है. उसे भी अपने ऑफीस जाना होता है पर फिर भी उसे पहले मुझे ब्रेकफास्ट देने की चिंता रहती है. कभी कभी खुद ब्रेकफास्ट करने का टाइम उशके पास नही होता पर मुझे खीला कर ही ऑफीस जाती है. उसकी मेरे प्रति डेडैकेशन देख कर आँखे भर आती हैं.
कभी शाम को वक्त होता है तो हम दोनो गेट वे ऑफ इंडिया पर घूम आते है और खूब मस्ती करते हैं. आइस-क्रीम खाते खाते हम दूर तक निकल जाते हैं
हमारी जींदगी में सेक्स नही है पर प्यार चारो और बीखरा पड़ा है. हम दोनो अपनी प्यार से भारी दुनिया में बहुत खुस हैं.
---------------
आज ये डाइयरी पढ़ी तो ये अहसाश और गहरा हो गया कि कितना बड़ा पाप किया था मैने. एक मासूम से फूल को मैने बड़ी बेरहमी से कुचला था. सुकर है वो फूल आज मेरी जींदगी में है और मेरे पास मोका है उसे फिर से खीलने देने का. मैं अपनी पूरी कोशिश करूँगा की अब मेरे कारण ऋतु को कोई भी दुख या तकलीफ़ ना हो. जिस प्यार से वो मेरा ध्यान रखती है उतने ही प्यार से मैं भी उसका ध्यान रखूँगा.
आज ये बात समझ में आ रही है कि क्यों ऋतु मुझे उशके शरीर को छूने से माना करती है. जितना ज़ुल्म उसने सहा है, उसकी जगह कोई और होता तो मर जाता. दुख बस इस बात का है की ये सब मेरे कारण हुवा. मन कर रहा है कि ऋतु के कदमो में गिर जाउ और उस से फिर एक बार माफी मांगू. पर वो उठ जाएगी और मुझे यहा अपने पास देख कर परेशान होगी. कुछ कहेगी नही मुझे, हां मन ही मन उदास ज़रूर हो जाएगी और मुझ से सॉरी फील करेगी कि वो मुझ से दूर दूर रहती है.
कल ऋतु ने मुझ से बड़े प्यार से पूछा था
“जतिन तुम मुझ से नाराज़ होंगे ना”
मैने कहा, “क्यों ऐसा क्यों कह रही हो तुम ऋतु”
ऋतु की आँखे भर आई और वो रोते हुवे बोली, “मैं तुम्हारी पत्नी हूँ और जब से शादी हुई है मैं रोज तुम से अलग सो रहीं हूँ, मैं क्या करूँ जतिन मुझे कुछ समझ नही आता. जब भी तुम्हे अपने पास बुलाने का सोचती हूँ तो वही सब पुरानी बाते मन में घूमने लगती हैं. एक अंधेरा मानो मुझे घेर लेता है. मैं तुम्हारी जींदगी बर्बाद कर रहीं हूँ.. है ना”
“नही ऋतु ऐसा क्यों कह रही हो, जींदगी तो मैने तुम्हारी बर्बाद की थी. तुमने तो मुझे अपना कर मेरी जींदगी पर एक अहसान किया है. मुझे जींदगी भर तुम्हारे शरीर को छूने का मोका ना भी मिले मुझे कोई गम नही होगा. मुझे आज बस ये ख़ुसी है कि मैं तुम्हारा पति बन के तुम्हारे साथ हूँ. मुझे तुमसे कुछ और नही चाहिए जान, तुम मुझे इतना प्यार दे रही हो वो क्या कम है. सेक्स के लिए ये शादी नही की थी मैने, प्यार के लिए की थी. हम बस आराम से अपनी इस शादी शुदा जींदगी में आगे बढ़ते हैं, जो भी होगा अछा होगा. आइ लव यू” ---- मैने ऋतु को समझाते हुवे कहा
“लेकिन फिर भी जतिन मैं बहुत दुखी हूँ कि एक पत्नी के रूप में मैं फैल हो रहीं हूँ, ऐसा नही है कि मैं कोशिश नही कर रही हूँ. बहुत कोशिश कर रही हूँ. पर मेरी आत्मा तक अंधेरा भरा है. आज तुम्हारे लिए दिल में नफ़रत नही है फिर भी मेरा ये शरीर उस सब के लिए तैयार नही है जीशके लिए एक पत्नी को होना चाहिए. उपर से मेरे पापा की डाँट ने मुझे और ज़्यादा असहाय बना दिया है” --- ऋतु ने कहा
“तो ज़म्मेदार कौन है इस सब के लिए. मैं ही तो ज़म्मेदार हूँ ना, मैं तुम्हारी हालत नही समझूंगा तो और कौन समझेगा. तुम ज़बरदस्ती कुछ कोशिश मत करो. हमारी किशमत में एक हसीन हज़्बेंड वाइफ का रिस्ता रहा तो वो ज़रूर आएगा. ये प्यार सेक्स से कहीं ज़्यादा कीमती है जान, किसी बात की चिंता मत करो और सो जाओ” ---- मैने कहा
इस तरह बड़ी मुश्किल से कल मैने ऋतु को समझा बुझा कर सुलाया था
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ऋतु मेरे सामने पड़ी है और मैं उशके सामने बैठा हुवा ये डाइयरी लीख रहा हूँ. पर अब तक मैने या तो उशके चेहरे को देखा है या फिर उशके कदमो को. उशके शरीर का कोई और अंग मुझे जैसे दीखाई नही दे रहा है. इस प्यार ने मेरे अंदर की हवश को ख़तम करके रख दिया है. मैं बस ऋतु को एक बार गले लगा कर प्यार से कहना चाहता हूँ, “ऋतु मैने तुम्हारे हर दुख को महसूष किया है. तुम्हारे सभी दुखो के लिए मैं ज़म्मेदार हूँ. मुझे जो सज़ा देनी हो दे दो पर इस दुख को जल्द से जल्द भुला दो. हसीन प्यार की एक हसीन जींदगी हमारा इंतेज़ार कर रही है. मैने ही तुम्हे ये दुख दिए हैं अब मैं ही तुम्हे एक हसीन सफ़र पर ले जाना चाहता हूँ. प्लीज़ मेरे साथ चलो”
डेट : 22-08-09
कल जो हुवा उसकी महक अभी तक फ़ीज़ा में फैली हुई है. चारो और रंग बीरंगे फूल खिल आए हैं. मेरी और ऋतु की जींदगी को जैसे पंख लग गये हैं. हम दोनो बहुत उँचे उड़ रहें हैं. अभी तक कल का अहसाश बाकी है. बहुत दर्दनाक वक्त था कल हम दोनो के लिए पर उशके अहसाश बहुत प्यारे थे.
कल मैं अपना मोबाइल घर ही भूल गया. शाम को कॉल सेंटर में काफ़ी बिज़ी था. मैं कोई 12 बजे फ्री हुवा. में ऋतु को इनफॉर्म भी नही कर पाया कि आने में थोड़ी देर हो जाएगी.
मैने रात के 12 बजे घर की बेल बजाई
“तुम्हे बहुत बुरा लग रहा होगा कि मैने तुम्हे यहाँ दूसरे कमरे में लेटा दिया. जतिन मेरे दिल के ज़ख़्म अभी हरे हैं. मुझे थोड़ा वक्त दो, मैं पूरी कोशिश करूँगी कि मैं एक अची पत्नी बन पाउ. प्लीज़ मुझे ग़लत मत समझना. मैं तुम्हे बहुत प्यार करती हूँ. तुम चाहो तो मेरे पास आ जाना, तुम्हे रोकूंगी नहीं. पर मुझे थोड़ा वक्त चाहिए इस नयी जींदगी में अड्जस्ट होने के लिए. सब कुछ इतनी जल्दी हो गया है कि मैं हैरान हूँ. प्लीज़ मुझे समझने की कोशिश करना” ------- ऋतु ने एमोशनल हो कर कहा
“मैं समझ सकता हूँ जान, मेरे कारण ही तो तुम्हे ज़ख़्म मिले हैं. तुम चिंता मत करो. हम प्यार से एक साथ रहेंगे. रही बात तुम्हारे पास आने की तो मुझे कोई जल्दी नही है. तुम अब मेरी पत्नी हो. पूरी जींदगी पड़ी है पास आने के लिए. तुम अब सो जाओ, तुम्हारी आँखे लाल हो रही हैं” ---- मैने कहा
और इस तरह से हमारी शादी शुदा जींदगी की शुरूवात हुई. आज लगभग एक महीना हो गया शादी को. हम हंसते बोलते हैं. अच्छे दोस्त की तरह एक छत के नीचे रहते हैं. बैठ कर घंटो बाते करते रहते हैं. जब ऋतु बोलती है तो मैं प्यार से उशके चेहरे को देखते हुवे उसकी बात सुनता हूँ. जींदगी बहुत प्यारी और हसीन बन गयी है. हां ये और भी ज़्यादा हसीन हो सकती है अगर हम दोनो एक नॉर्मल हज़्बेंड वाइफ की तरह रह पायें तो. पर मुझे इस बात का कोई गम नहीं है.
ऋतु मेरा पूरा ध्यान रखती है. उसे भी अपने ऑफीस जाना होता है पर फिर भी उसे पहले मुझे ब्रेकफास्ट देने की चिंता रहती है. कभी कभी खुद ब्रेकफास्ट करने का टाइम उशके पास नही होता पर मुझे खीला कर ही ऑफीस जाती है. उसकी मेरे प्रति डेडैकेशन देख कर आँखे भर आती हैं.
कभी शाम को वक्त होता है तो हम दोनो गेट वे ऑफ इंडिया पर घूम आते है और खूब मस्ती करते हैं. आइस-क्रीम खाते खाते हम दूर तक निकल जाते हैं
हमारी जींदगी में सेक्स नही है पर प्यार चारो और बीखरा पड़ा है. हम दोनो अपनी प्यार से भारी दुनिया में बहुत खुस हैं.
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आज ये डाइयरी पढ़ी तो ये अहसाश और गहरा हो गया कि कितना बड़ा पाप किया था मैने. एक मासूम से फूल को मैने बड़ी बेरहमी से कुचला था. सुकर है वो फूल आज मेरी जींदगी में है और मेरे पास मोका है उसे फिर से खीलने देने का. मैं अपनी पूरी कोशिश करूँगा की अब मेरे कारण ऋतु को कोई भी दुख या तकलीफ़ ना हो. जिस प्यार से वो मेरा ध्यान रखती है उतने ही प्यार से मैं भी उसका ध्यान रखूँगा.
आज ये बात समझ में आ रही है कि क्यों ऋतु मुझे उशके शरीर को छूने से माना करती है. जितना ज़ुल्म उसने सहा है, उसकी जगह कोई और होता तो मर जाता. दुख बस इस बात का है की ये सब मेरे कारण हुवा. मन कर रहा है कि ऋतु के कदमो में गिर जाउ और उस से फिर एक बार माफी मांगू. पर वो उठ जाएगी और मुझे यहा अपने पास देख कर परेशान होगी. कुछ कहेगी नही मुझे, हां मन ही मन उदास ज़रूर हो जाएगी और मुझ से सॉरी फील करेगी कि वो मुझ से दूर दूर रहती है.
कल ऋतु ने मुझ से बड़े प्यार से पूछा था
“जतिन तुम मुझ से नाराज़ होंगे ना”
मैने कहा, “क्यों ऐसा क्यों कह रही हो तुम ऋतु”
ऋतु की आँखे भर आई और वो रोते हुवे बोली, “मैं तुम्हारी पत्नी हूँ और जब से शादी हुई है मैं रोज तुम से अलग सो रहीं हूँ, मैं क्या करूँ जतिन मुझे कुछ समझ नही आता. जब भी तुम्हे अपने पास बुलाने का सोचती हूँ तो वही सब पुरानी बाते मन में घूमने लगती हैं. एक अंधेरा मानो मुझे घेर लेता है. मैं तुम्हारी जींदगी बर्बाद कर रहीं हूँ.. है ना”
“नही ऋतु ऐसा क्यों कह रही हो, जींदगी तो मैने तुम्हारी बर्बाद की थी. तुमने तो मुझे अपना कर मेरी जींदगी पर एक अहसान किया है. मुझे जींदगी भर तुम्हारे शरीर को छूने का मोका ना भी मिले मुझे कोई गम नही होगा. मुझे आज बस ये ख़ुसी है कि मैं तुम्हारा पति बन के तुम्हारे साथ हूँ. मुझे तुमसे कुछ और नही चाहिए जान, तुम मुझे इतना प्यार दे रही हो वो क्या कम है. सेक्स के लिए ये शादी नही की थी मैने, प्यार के लिए की थी. हम बस आराम से अपनी इस शादी शुदा जींदगी में आगे बढ़ते हैं, जो भी होगा अछा होगा. आइ लव यू” ---- मैने ऋतु को समझाते हुवे कहा
“लेकिन फिर भी जतिन मैं बहुत दुखी हूँ कि एक पत्नी के रूप में मैं फैल हो रहीं हूँ, ऐसा नही है कि मैं कोशिश नही कर रही हूँ. बहुत कोशिश कर रही हूँ. पर मेरी आत्मा तक अंधेरा भरा है. आज तुम्हारे लिए दिल में नफ़रत नही है फिर भी मेरा ये शरीर उस सब के लिए तैयार नही है जीशके लिए एक पत्नी को होना चाहिए. उपर से मेरे पापा की डाँट ने मुझे और ज़्यादा असहाय बना दिया है” --- ऋतु ने कहा
“तो ज़म्मेदार कौन है इस सब के लिए. मैं ही तो ज़म्मेदार हूँ ना, मैं तुम्हारी हालत नही समझूंगा तो और कौन समझेगा. तुम ज़बरदस्ती कुछ कोशिश मत करो. हमारी किशमत में एक हसीन हज़्बेंड वाइफ का रिस्ता रहा तो वो ज़रूर आएगा. ये प्यार सेक्स से कहीं ज़्यादा कीमती है जान, किसी बात की चिंता मत करो और सो जाओ” ---- मैने कहा
इस तरह बड़ी मुश्किल से कल मैने ऋतु को समझा बुझा कर सुलाया था
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ऋतु मेरे सामने पड़ी है और मैं उशके सामने बैठा हुवा ये डाइयरी लीख रहा हूँ. पर अब तक मैने या तो उशके चेहरे को देखा है या फिर उशके कदमो को. उशके शरीर का कोई और अंग मुझे जैसे दीखाई नही दे रहा है. इस प्यार ने मेरे अंदर की हवश को ख़तम करके रख दिया है. मैं बस ऋतु को एक बार गले लगा कर प्यार से कहना चाहता हूँ, “ऋतु मैने तुम्हारे हर दुख को महसूष किया है. तुम्हारे सभी दुखो के लिए मैं ज़म्मेदार हूँ. मुझे जो सज़ा देनी हो दे दो पर इस दुख को जल्द से जल्द भुला दो. हसीन प्यार की एक हसीन जींदगी हमारा इंतेज़ार कर रही है. मैने ही तुम्हे ये दुख दिए हैं अब मैं ही तुम्हे एक हसीन सफ़र पर ले जाना चाहता हूँ. प्लीज़ मेरे साथ चलो”
डेट : 22-08-09
कल जो हुवा उसकी महक अभी तक फ़ीज़ा में फैली हुई है. चारो और रंग बीरंगे फूल खिल आए हैं. मेरी और ऋतु की जींदगी को जैसे पंख लग गये हैं. हम दोनो बहुत उँचे उड़ रहें हैं. अभी तक कल का अहसाश बाकी है. बहुत दर्दनाक वक्त था कल हम दोनो के लिए पर उशके अहसाश बहुत प्यारे थे.
कल मैं अपना मोबाइल घर ही भूल गया. शाम को कॉल सेंटर में काफ़ी बिज़ी था. मैं कोई 12 बजे फ्री हुवा. में ऋतु को इनफॉर्म भी नही कर पाया कि आने में थोड़ी देर हो जाएगी.
मैने रात के 12 बजे घर की बेल बजाई