छोटी सी भूल compleet

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raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 02 Nov 2014 22:59

ऋतु ने दरवाजा खोला. उशके चेहरे पर चिंता और परेशानी सॉफ दीखाई दे रही थी.

मैने दरवाजा बंद किया और पूछा, “कैसी हो जान”

ऋतु मेरे गले लग गयी और रोते हुवे बोली, “कहाँ रह गये थे तुम, मुझे बहुत चिंता हो रही थी, फोन भी नही किया तुमने”

“ऋतु तुम मेरे गले लग कर खड़ी हुई हो. तुम्हे प्यार करने का ये मतलब नहीं है कि तुम मेरे शरीर से खेलोगी, चलो हटो” ---- मैने हंसते हुवे कहा

ऋतु हट गयी और बोली, “सॉरी ग़लती हो गयी, पर तुम क्या एक फोन नही कर सकते थे, मुझे अपनी जान कहते हो पर तुम्हे मेरी कोई चिंता नही है”

“सॉरी जान बहुत बिज़ी था, ध्यान ही नही रहा कि कब 12 बज गये, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो” ---- मैने ऋतु के कंधे की और हाथ बढ़ा कर कहा

पर वो पीछे हट गयी और बोली, “चलो हाथ धो लो मैं खाना लगाती हूँ”

ऋतु किचन में चली गयी. बहुत नाराज़ लग रही थी. जब आपका प्यार नाराज़ हो तो कुछ अछा नही लगता. मैने पहली बार उसे ऐसे नाराज़ होते हुवे देखा था.

ऋतु किचन में मेरे लिए खाना गरम कर रही थी.

मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि कैसे मनाउ मैं ऋतु को. में किचन के डोर में खड़ा खड़ा ऋतु को देखता रहा. उशके नज़दीक जाने की हिम्मत नही हो रही थी

पर फिर भी मुझ से रहा नही गया और मैने ऋतु को पीछे से बाहों में भर लिया और कहा, “सॉरी जान आगे से ऐसा नही होगा. आगे से कभी लेट हुवा तो तुरंत तुम्हे फोन करके बताउन्गा, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो”

“तुम्हारी मर्ज़ी है जतिन, मुझे तो बस तुम्हारी चिंता हो रही थी. बुरे बुरे ख्याल आ रहे थे कि पता नहीं तुम कहाँ रह गये” ---- ऋतु ने कहा

अजीब बात थी ऋतु ने मुझे हटने को नही कहा. मैने फिर मेरी जान को बहुत अच्छे से अपनी बाहों में दबोच लिया

मैने कहा, “ऋतु मैं तुम्हे बाहों में भर कर खड़ा हूँ, तुम मुझे डाँट कर हटा क्यों नही रही हो, मुझे डाँट कर वही डाइलॉग बोलो ना शरीर से खेलने वाला…. प्लीज़”

“तुम मेरे पति हो, अब क्या ये भी बताना पड़ेगा तुम्हे, मैं चाहे चाहूं या ना चाहूं तुम मेरे साथ कुछ भी कर सकते हो, तुम्हारा मुझ पर पूरा अधिकार है” --- ऋतु ने कहा

मैं तुरंत हट गया और बोला, “तुम्हारी मर्ज़ी के बिना मैं कभी कुछ नही करूँगा जान, अपने प्यार को मैं कभी दुख नही दूँगा”

ऋतु घूम कर मेरे गले लग गयी और बोली, “जतिन आइ लव यू…. मुझे ऐसे मत सताया करो. पता है दिल बहुत भारी हो रहा था. एक फोन भी नही कर सके तुम. इतना बिज़ी कोई नही होता, मैं 6 बजे से आँखे बिछाए बैठी हूँ. एक एक मिनूट बहुत मुश्किल से बीता है मेरा”

शादी के बाद पहली बार हम ऐसे गले लग कर खड़े थे. वक्त मानो ठहर गया था. मुझे बहुत अछा लग रहा था खुद को ऋतु के इतने करीब पा कर. मुझे ये अहसाश हो रहा था की शायद ऋतु अब उस सफ़र पर चलने के लिए तैयार है जो कि एक पति, पत्नी का होता है.

मैने ऋतु के चेहरे को अपने हाथो में थाम लिया

उसने अपनी आँखे बंद कर ली.

मैने आगे बढ़ कर ऋतु के होंटो पर अपने होन्ट टीका दिए.

और फिर मेरे और ऋतु के होंटो के बीच वो किस हुई जीशकि मैने सपने में भी कल्पना नही की थी.

हमारे होन्ट क्या जुड़े, ऐसा लग रहा था जैसे की हम दोनो की आत्मा जुड़ गयी हो और जुड़ कर एक हो गयी हो. बहुत प्यारा अहसाश हो रहा था मुझे ऋतु को किस करते हुवे. जिस तरह मैं ऋतु के होंटो को अपने होंटो में दबाता था उशी तरह ऋतु भी मेरे होंटो को अपने होंटो में दबाने की कोशिश करती थी. मेरे होंटो की हर एक मूव्मेंट का जवाब ऋतु अपने होंटो की सिमिलर मूव्मेंट से दे रही थी. कोई 15 मिनूट हम यू ही किचन में खड़े खड़े एक दूसरे को बेतहासा किस करते रहे. हमारी साँसे भी तेज तेज चलने लगी थी.

ऐसी किस के बाद मुझे बिल्कुल विश्वास हो गया कि एक आदमी और औरत के बीच किस प्यार का इज़हार करने का सबसे प्यारा तरीका है. एक दूसरे को किस करते करते मैं और ऋतु प्यार की उस गहराई तक पहुँच गये जिसकी हमने कल्पना भी नही की थी.

जिस तरह हम एक दूसरे को किस कर रहे थे, उस से ऐसा लग रहा था कि हम एक दूसरे के लिए जन्मो से प्यासे हैं.

ऋतु अचानक हट गयी और बोली, “चलो खाना खा लो, तुम्हे भूक लगी होगी”

“नहीं आज भूक नहीं है” --- मैने कहा और कह कर फिर से ऋतु के होंटो को अपने होंटो में दबा लिया.

हम फिर से उस प्यारी सी किस में खो गये. मेरे लिए खुद को संभालना मुश्किल हो रहा था.

मैने ऋतु को अपनी गोदी में उठा लिया और उसके बेडरूम की तरफ चल पड़ा

“जतिन ये क्या कर रहे हो, खाना ठंडा हो रहा है” --- ऋतु ने कहा

“हो जाने दो ठंडा, आज हमारी सुहाग्रात है जान, भूल जाओ सब कुछ और इस पल में खो जाओ” ---- मैने कहा

ऋतु ने आँखे बंद कर ली

मैने ऋतु को बेडरूम में ला कर प्यार से बेड पर लेटा दिया.

मैने उशके चेहरे पर सिकन देखी. शायद वो फिर से कुछ बुरा महसूष कर रही थी.

मुझ से देखा नही गया और मैने कहा, “चलो ऋतु खाना खाते हैं”

“नहीं जतिन प्लीज़ मुझे छ्चोड़ कर मत जाओ, मुझे बाहों में भर लो प्लीज़” ---- ऋतु ने रोते हुवे कहा.

मैं बहुत भावुक हो गया और उसे अपनी बाहों में भर लिया.

“क्या बात है जान रो क्यों रही हो मैं तुम्हारे पास ही तो हूँ” ---- मैने कहा

“जतिन जब भगवान को हमारे दिल में ये प्यार का फूल ही खिलाना था तो हमें इतने लंबे रास्ते से क्यों घुमाया की हम घूम घूम कर थक जायें, और इस प्यार के फूल की खुसबु तक को महसूष ना कर पायें” ---- ऋतु ने पूछा

“पता नही ऋतु, हम दोनो इस विशाल दुनिया के आगे बहुत छ्होटे हैं. हमें बस इतना पता है कि हमें प्यार है. पूरी कहानी तो बस भगवान ही जानते हैं. क्या पता हमारा जन्मो का रिस्ता हो. इस जनम में ग़लती से तुम संजय की पत्नी बन गयी और फिर भगवान ने इस ग़लती को सुधार दिया. कुछ भी हो सकता है जान. ये दुनिया बहुत अनोखी है और रहाशयों से भरी है. हम जानते ही कितना हैं इस दुनिया को” --- मैने कहा

इतने प्यार में जब पति पत्नी एक दूसरे के गले लगे हों तो उनके बीच एक खूबसूरत सेक्स की संभावना बन जाती है. ऐसा ही कुछ मेरे और ऋतु के बीच हो रहा था.

पति होने के नाते मुझे एक कोशिश करने की ज़रूरत थी. पर मुझे बस ऋतु का डर था. मैं उसे कोई दुख नही देना चाहता था. वो बहुत एमोशनल हो कर मुझ से लीपटि हुई थी. मैं उस के इतने करीब होने के कारण बहकता जा रहा था.

और फिर बिना सोचे समझे मैने एक कोशिश की. वैसे भी प्यार सोच समझ कर नही होता.

मैने ऋतु के उभारो को थाम लिया और उन्हे प्यार से दबाते हुवे कहा, “जान तुम्हे प्यार कर रहा हूँ, जब भी कुछ बुरा लगे तो मुझे रोक देना, मैं तुरंत रुक जाउन्गा”

ऋतु ने कुछ नही कहा और अपनी आँखे बंद कर ली

थोड़ी देर तक मैं ऋतु के उभारो को प्यार से मसलता रहा

मैने ऋतु के चेहरे को ध्यान से देखा तो पाया कि वो शांति से आँखे बंद करके उस पल में खोने की कोशिश कर रही है. वो कोशिश ही कर रही थी क्योंकि कभी उशके चेहरे पर सिकन होती थी और कभी शांति. वो किसी कसम-कस में दीख रही थी.

मैने बहुत प्यार से धीरे से ऋतु की कमीज़ को उपर सरका कर उशके उभारो को थाम लिया.

ऋतु ने ब्रा नही पहनी थी. शायद रात को शोते वक्त वो नही पहनती होगी. मुझे अपनी पत्नी के बारे में पता ही कितना है.

मैने ऋतु के एक निपल को मूह में ले लिया और प्यार से चूसने लगा.

मैने नज़रे उठा कर ऋतु के चेहरे को देखा. कुछ क्लियर नही हो रहा था कि उशे कैसा लग रहा है.

मैने पूछा, “ जान क्या मैं हट जाउ”

“नहीं जतिन आज मुझे ये सब फेस करना ही होगा, वरना मैं कभी नही कर पाउन्गि. मैं तुम्हारी पत्नी हूँ. तुम मेरी परवाह किए बिना जो मन में आए करो” --- ऋतु ने कहा

“ये क्या कह रही हो जान, ऐसा नही कर सकता मैं जान, चलो किसी और दिन ट्राइ करेंगे” ---- मैने कहा

“तुम जब मेरे उभारो को चूम रहे थे तो तुम्हारे मन में क्या था जतिन, हवश या प्यार” ----- ऋतु ने पूछा

“प्यार था जान, हवश को तो मैं कब का त्याग चुका हूँ” ---- मैने कहा

raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 02 Nov 2014 23:00

“तो फिर ये प्यार जारी रखो जतिन, तुम्हारा प्यार ही मेरे उन घाव को भर सकता है जो तुम्हारी हवश ने कभी मेरे शरीर को दिए थे. आज मुझे तुम्हारी पत्नी होने का वो अहसाश दे दो जो हर पत्नी का सपना होता है. मुझे प्यार करो जतिन….बस प्यार करो” ---- ऋतु ने कहा

मैने ऋतु के दूसरे निपल को होंटो में दबा लिया और उशे बेतहासा चूसने लगा.

पर फिर भी ऋतु के चेहरे के भाव यही जतला रहे थे कि वो किशी कॉन्फ्लिक्ट में है

मैने ऋतु की कमीज़ उतार कर एक तरफ रख दी और उशके दोनो उभारो को थाम कर प्यार से मसालने लगा.

पर ऋतु जैसे एक लाश की तरह मेरे नीचे पड़ी थी. ये सोच कर मेरी आँखे भर आई कि हे भगवान क्या हाल कर दिया है मैने अपनी जान का. मुझ से ये सब देखा नही गया और मैने ऋतु के कदमो को थाम कर कहा, “जान मुझे माफ़ कर दो, मुझे तुमसे कुछ नही चाहिए”

मैने ऋतु को देखा तो वो भी रो रही थी.

मैं उठ कर उशके चेहरे के पास आया और उशके आंशु पुंछ कर बोला, “कोई ज़रूरत नही है ये सब करने की हमें जान, हमारा प्यार काफ़ी है हम दोनो के लिए”

“आइ आम सॉरी जतिन, मैं इस लिए कह रही थी कि मुझे एक मोका दो, मैं एक जींदा लाश बन चुकी हूँ” ---- ऋतु ने रोते हुवे कहा

“बस जान प्लीज़… ऐसी बाते मत करो वरना मैं मर जाउन्गा. तुम्हारी इस हालत के लिए मैं ही ज़म्मेदार हूँ” ---- मैने कहा

“नहीं जतिन, तुम ही नही, मैं खुद भी ज़म्मेदार हूँ. पहले तो जो हुवा सो हुवा, पर मेरा जो रेप करने की कोशिस की गयी और मुझे जिस तरह बार बार जलील किया गया उसने तो मुझे पूरा ख़तम कर दिया है. आइ आम वेरी सॉरी जतिन तुम्हे प्यार तो करती हूँ पर तुम्हे कुछ देने के लिए मेरे पास नही है,वरना तो जिस दिन शादी हुई थी उसी रात खुद को तुम्हारे कदमो में बिछा देती मैं. इश्लीए तुम्हे कहती थी कि मुझे मोका देना, में पत्नी का फ़र्ज़ निभाने की कोशिश करूँगी.” --- ऋतु ने रोते हुवे कहा

“बस ऋतु, प्लीज़ मेरी जान लोगि क्या अब” ---- मैने कहा

मैं ऋतु के साथ बेड पर लेट गया और उशे बाहों में भर लिया. बहुत देर तक हम चुपचाप पड़े रहे और कुछ नही बोले. कब हमें नींद आ गयी पता ही नही चला. जब मेरी आँख खुली तो पाया कि सुबह के 4 बज रहें हैं. कमरे की लाइट जली हुई थी. ऋतु मेरे साथ ही पाँव सिकोड कर लटी हुई थी. बहुत प्यारा अहसाश था वो मेरे लिए. हम शादी के बाद पहली बार एक साथ सो रहे थे और हमें ये पता भी नही था.

ऋतु का मूह मेरी तरफ ही था. वो सिर्फ़ सलवार में थी. उशके उभार मेरी आँखो के बिकलूल सामने थे. वो बिल्कुल एक मासूम बचे की तरह सो रही थी.

मैने ऋतु को बाहों में भर लिया और वो हड़बड़ा कर उठ गयी.

“ओह्ह…. तुमने मुझे डरा दिया” --- ऋतु ने कहा

“तुम बहुत प्यार से सो रही थी, रहा नही गया और तुम्हे बाहों में भर लिया, आइ लव यू जान” ----- मैने कहा

“आइ लव यू टू जतिन, क्या टाइम हुवा है” ---- ऋतु ने पूछा

“पूरे 4 बजे हैं जान, कब नींद आ गयी पता ही नही चला. हम एक साथ सो रहे थे और हमें इस बात का अहसास भी नही था. तुम्हे कैसा लग रहा है जान” ---- मैने पूछा

“अछा लग रहा है जतिन, वो कौन सी पत्नी होगी जो अपने पति के साथ सो कर खुद को ख़ुसनसीब नही समझेगी” ---- ऋतु ने कहा

और हम फिर से गले लग कर सो गये.

डेट : 23-08-09

6:00 पीयेम

कल का पूरा दिन हमारे प्यार की खुसबु से महकता रहा. 21 की रात को मेरे और ऋतु के बीच सेक्स नही हुवा पर सेक्स से बढ़ कर हमारे बीच इतना प्यार हुवा कि उसकी महक हमारे साथ जींदगी भर रहेगी.

कल सुबह जब में उठा तो ऋतु बेड पर नही थी.

मैं फॉरन उठ कर बाहर आ गया. मैने देखा की वो नहा धो कर अपने छोटे से मंदिर में पूजा कर रही थी. मैं भी उशके साथ जा कर आँख मीच कर खड़ा हो गया.

“अरे तुम कब उठे” --- ऋतु ने पूछा

मैने कहा, “अभी अभी उठ कर आया हूँ”

ऋतु ने अचानक नीचे झुक कर मेरे पाँव छू लिए

मैने कहा, “अरे ये क्या कर रही हो तुम”

“कुछ नही ये तो एक पत्नी का धरम है” ---- ऋतु ने कहा

मैने उसे बाहों में भर लिया और कहा, “तुम्हे पा कर मुझे सब कुछ मिल गया जान मुझे और कुछ नही चाहिए. आइ लव यू”

“मैं खुद को तुम्हारे कदमो में बिछा दूँगी जतिन, बस थोड़ा सा वक्त और दो मुझे. मैं पूरी कोशिश कर रहीं हूँ. चलो अब फ्रेश हो जाओ, मैं ब्रेकफास्ट बनाती हूँ” ----- ऋतु ने कहा

ऑफीस में भी हम एक दूसरे से फोन पर बात करते रहे.ऐसा लग रहा था जैसे की नया नया प्यार हुवा है हम दोनो को. और ये था भी सच. जैसा प्यार हम अब देख रहे थे वो बिल्कुल नया था. ये प्यार एक पति पत्नी का था. ऑफीस में कयि बार मेरी आँखे तक भर आई ऋतु को सोच कर

ऋतु ने पूछा, “आज शाम को क्या खाना पसंद करोगे”

मैने कहा, “कल रात हमने क्या खाया था”

“रात तो हम दोनो भूके सो गये थे” ---- ऋतु ने कहा

“भूके नही सोए थे, हमने पेट भर के प्यार खाया था, आज शाम को भी वही खाउन्गा ठीक है… तेयार रहना मेरी बाहों में आने के लिए” ---- मैने कहा

“तुम पागल हो गये हो जतिन” ---- ऋतु ने कहा

“बिल्कुल हो गया हूँ पागल, जीशकि तुम्हारे जैसी पत्नी हो वो ख़ुसी से पागल हो जाएगा” ---- मैने कहा

“बस मस्का मत लगाओ, मैं अब फोन काट रहीं हूँ, इंपॉर्टेंट मीटिंग में जाना है… बाइ शाम को मिलते है” ---- ऋतु ने कहा और फोन काट दिया

मैं ऋतु से पहले घर पहुँच गया

मैने पूरे घर को सज़ा दिया. ऋतु के बेडरूम को जहाँ हम दोनो पिछली रात सोए थे मैने फूलो से सज़ा दिया. उस बेड को फूलो से ढक दिया जहाँ हमारा पिछली रात प्यार महका था.

ऋतु जब घर आई तो हैरान रह गयी


raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 02 Nov 2014 23:01

“अरे तुम आज मुझ से पहले आ गये और ये क्या कर रखा है, माइ गॉड कितना प्यारा सजाया है घर को, क्या कोई पार्टी करने वाले हो आज” ---- ऋतु ने हैरानी में कहा

“हाँ आज हम अपने प्यार को सेलेब्रेट करेंगे, प्यार की ही बात करेंगे, प्यार को ही खाएँगे और प्यार को ही पीएँगे. इस पार्टी में हुमारे शिवा और कोई नही आएगा” ---- मैने कहा

“तुम सच में पागल हो गये हो जतिन” ---- ऋतु ने हंसते हुवे कहा

“तो क्या हुवा इस पागल को तुम प्यार तो करती हो ना” ---- मैने कहा

ऋतु मेरे गले लग गयी और बोली, “आइ लव यू जतिन”

मैने ऋतु को गोदी में उठा लिया और बेडरूम में ले आया.

बेडरूम को देख कर वो बोली, “वाउ, ये फूलो की बरसात किशणे कर दी”

मैने कहा, “मेडम मेरे अलावा यहा कोई और भी है क्या ?, इतनी मेहनत से सजाया है मैने और तुम कह रही हो किशणे कर दी”

“सॉरी जतिन मज़ाक कर रही थी, मुझे पता है, ये पागल पन तुम ही कर सकते हो” --- ऋतु ने कहा

मैने कहा, “जान कल के प्यार की महक आज मुझे हर तरफ महसूस हो रही थी. कल रात तुम्हारे इतने करीब था मैं, मुझे विश्वास ही नही हो रहा. अपने दिल की फीलिंग्स दीखाने के लिए मैने ये रूम फूलो से सज़ा दिया है. फूलो की जो महक इस कमरे में है, वैसी ही महक मेरे दिल में है”

“तुम दीवाने हो गये हो जतिन, अब मुझे यू ही उठाए रखोगे या फिर नीचे भी उतारोगे” ---- ऋतु ने हंसते हुवे कहा

मैने ऋतु को प्यार से फूलो की सेज़ पर लेटा दिया और खुद भी उशके साथ लेट गया

मैने पूछा, “अब हम साथ साथ सोएंगे ना जान”

“ह्म्म… तुमसे प्यार करने का ये मतलब नही है कि तुम मेरे शरीर से खेलोगे” --- ऋतु ने हंसते हुवे कहा कहा

“जान सच कह रहा हूँ कल बहुत अछा लगा मुझे. तुम्हारे करीब होने का बहुत प्यारा अहसाश था मेरे लिए” ---- मैने कहा

“मुझे भी अछा लगा जतिन, मैं आज पूरा दिन ऑफीस में तुम्हे सोचती रही. मेरा शरीर मेरे बस में नही है, पर मेरा प्यार तुम्हारे कदमो में हर पल हाज़िर है” --- ऋतु ने कहा

“जान एक बात कहूँ” --- मैने पूछा

“हां कहो” ---- ऋतु ने जवाब दिया

“हमारा एक प्यारा सा रिस्ता बन गया है. इस रिस्ते का आधार प्यार है, हम प्यार में खोए रहते हैं जो होगा अछा होगा. तुम किसी बात की चिंता मत करो” --- मैने कहा

“हां जतिन मुझे पता है, मुझे बस ये दुख रहता है कि मैं तुम्हे एक पत्नी का सुख नही दे पा रही” ------ ऋतु ने कहा

“कौन कहता है तुम पत्नी का सुख नही दे रही हो. मेरा इतना ख्याल रखती हो. अछा अछा खाना खिलाती हो. और कल मुझे इतनी प्यारी किस दी थी. अभी तक मेरे होन्ट फदाक रहें हैं” ----- मैने कहा

“वो सिर्फ़ किस नही थी जतिन, वो मेरा प्यार था, काश तुम्हे ये शरीर भी दे पाती, पर ये मेरे बस में नही है” ---- ऋतु ने भावुक हो कर कहा

“पता है जान, वो तुम्हारा प्यार था, वरना तो तुम मेरे नज़दीक कहाँ आती हो… तुम्हारा प्यार मुझे मेरी आत्मा तक महसूष हुवा था. ऐसा लग रहा था कि हम एक हो गये हैं” ---- मैने कहा

हम एक दूसरे की आँखो में बड़े प्यार से देख रहे थे. देखते देखते कब हमारे होन्ट मिल गये पता ही नही चला.

बहुत देर तक हम किस करते रहे

अचानक मुझे ऋतु की डाइयरी में लीखी बाते याद आ गयी और मेरे होंटो की मूव्मेंट रुक गयी

ऋतु को शायद कुछ महसूष हुवा और उसने मेरे होंटो से अपने होन्ट हटा कर पूछा, “क्या हुवा जतिन”

“एक बात सोच रहा था जान” ---- मैने कहा

“बोलो क्या बात है, जातीं” ---- ऋतु ने पूछा

मैने ऋतु के चेहरे पर प्यार से हाथ रखा और कहा, “ जान मैने तुम्हारी डाइयरी पढ़ ली है”

“क्या ?? तुमने डाइयरी पढ़ ली, बुरा लगा होगा ना तुम्हे ? मैने तो उस में तुम्हे खूब बुरा भला कह रखा है” ---- ऋतु ने कहा

“कुछ बुरा नही लगा जान, मैं पहले उसी लायक था. बुरा लगा तो बस ये कि मेरे कारण तुम्हे कितना कुछ सहना पड़ा. मुझे ऐसा लगता है कि

तुम खुद को उस पाप के लिए माफ़ नही कर पा रही हो जो कि मैने तुम पर थोपा था” --- मैने कहा

“मैं क्या करूँ जतिन, अब जब तुम डाइयरी पढ़ ही चुके हो तो समझ सकते हो कि सेक्स नाम से मुझे कितनी नफ़रत हो गयी है, पर मेरा यकीन करो मैं एक अछी पत्नी बन-ने की पूरी कोशिश कर रहीं हूँ” --- ऋतु ने कहा

“ऋतु वो सब तो ठीक है, पर जब तक तुम खुद को माफ़ नही करोगी, तब तक यू ही परेशान रहोगी. अपनी ग़लती को मान-ना अलग बात है पर हम हमेशा उस ग़लती को सर पर ढो कर नही चल सकते. आज जींदगी एक खूबसूरत मोड़ पर है. चारो और हमारे प्यार की महक फैली हुई है. सब कुछ भुला कर इस प्यार की महक में खो जाओ. शांति से अपने चारो और देखो एक हसीन जींदगी हमारा इंतेज़ार कर रही है” ---- मैने कहा

“मैं समझ रहीं हूँ जतिन. जब से तुमसे शादी हुई है, मैने खुद इस प्यार की महक को अपने चारो और महसूष किया है. मेरा यकीन करो मैं खुद को इस प्यार पर लूटा देना चाहती हूँ. कल जब तुम मुझे गोदी में उठा कर बड़े प्यार से यहा बेडरूम में लाए थे तो मैं मन ही मन खुद को तुम्हारे लिए तैयार कर रही थी. मैं सोच रही थी कि तुम्हारे कदमो में आज अपना प्यार बिछा दूँगी. पर ना जाने क्यों उसी वक्त पापा की कही बाते जो उन्होने शादी वाले दिन फोन पर कही थी मेरे कानो में गूंजने लगी. याद है ना तुम्हे की वो कह रहे थे की वो चिंटू को हम पापियों के पास नही भेजेंगे. इश्लीए मेरा शरीर जाकड़ गया और मैं ज़ींदा लाश बन कर रह गयी. जतिन मैं तुम्हारी पत्नी होने के साथ साथ एक मा भी हूँ. मुझे अपने बेटे की बहुत याद आती है.” ------ ऋतु ने बड़े ही भावुक अंदाज़ में कहा

मैने आगे बढ़ कर ऋतु के माथे को चूम लिया और कहा, “ओह्ह जान, मुझे भी चिंटू की चिंता है. मुझे नही पता था क़ि तुम उसे ले कर इतना परेशान होगी”

ऋतु रोते हुवे मेरे गले लग गयी और भारी मन से बोली, “जतिन, मैं रोज पापा का फोन ट्राइ करती हूँ, पर वो मेरा फोन काट देते हैं. मम्मी और सोनू भी मुझ से कोई बात नही कर रहे. समझ नही आता कि मैं क्या करूँ, क्या नहीं. मैं कैसे अपने बेटे से मिलूं”

“ह्म्म….. ऐसा करते हैं हम देल्ही चलते हैं. उशे खुद यहा ले कर आएँगे” ------- मैने प्यार से कहा

“नहीं जतिन अपने घर वालो का सामना करने की हिम्मत मुझ में नही है, वो मुझे बहुत ग़लत समझ रहें हैं” ----- ऋतु ने कहा

“जींदगी में इस बात से फरक नही पड़ता कि लोग आपको क्या समझते हैं, फरक पड़ता है तो इस बात से कि आप खुद को क्या समझते हैं. इस प्यार की लाज़ रखो जान और सर उँचा रख कर आगे बढ़ो. तुम्हारा ऐसा बिहेवियर इस प्यार का अपमान है” ---- मैने कहा

“तो तुम ही बताओ कि क्या करूँ मैं” --- ऋतु ने पूछा

“जाओ और अपने बेटे को अपने साथ ले आओ” ---- मैने कहा

“क्या तुम मेरे साथ चलोगे” ----- ऋतु ने पूछा

“क्यों नही जान, मैने अभी कहा तो था की, देल्ही चलते हैं, चिंटू अब मेरा बेटा है. मैं अभी फ्लाइट बुक क्रा कर आता हूँ ” ---- मैने कहा

“अरे रूको मेरा क्रेडिट कार्ड कब काम आएगा, यही लॅपटॉप से बुक कर लेंगे” ---- ऋतु ने कहा

“नहीं तुम अपना क्रेडिट कार्ड अपने पास रखो अपना घर मैं खुद संभालूँगा, 10 मिनूट लगेंगे अभी टिकेट ले कर आता हूँ” --- मैने कहा

“तुम मेरा कोई खर्चा नही होने देते, मेरा पैसा भी तो तुम्हारा ही है” ---- ऋतु ने कहा

“वो तो ठीक है जान लेकिन मैं अपने परिवार की सारी ज़िम्मेदारी खुद उठाना चाहता हूँ” ---- मैने कहा

“ठीक है मैं डिन्नर तैयार करती हूँ, जल्दी आना, हम खाना खा कर ढेर सारी बाते करेंगे” --- ऋतु ने कहा

मैं टिकेट ले आया. सुबह 7:30 की फ्लाइट थी.

हम दोनो रात भर बाते करते रहे. मन में यही सवाल था कि ऋतु के घर जब हम जाएँगे तो उशके पेरेंट्स कैसे रिक्ट करेंगे. बाते करते करते हम पिछली रात की तरह एक दूसरे की बाहों में सो गये.


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