----------------
डेट : 23-08-09
अभी शाम के 6 बजे हैं. हम सुबह 10 बजे देल्ही पहुँच गये थे. अभी मैं लक्ष्मीनगर अपने घर पर हूँ. ऋतु को सुबह कारोल बाग उसके घर छ्चोड़ आया था.
जैसे ही हम ऋतु के घर पहुँचे, जैसी की हमें उम्मीद थी, किशी ने हमारा स्वागत नही किया.
हम घर के दरवाजे पर ही रुक गये.
ऋतु के पापा आग बाबूला हो कर हमारे पास आए.
उन्होने ऋतु को कुछ नही कहा और मेरी और देख कर बोले, “कहा था ना मैने कि इस घर में कदम मत रखना, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहाँ आने की, दफ़ा हो जाओ यहाँ से, वरना ज़ूते मार कर यहाँ से निकालूँगा”
मैने कहा, “देखिए, ऋतु अपने बेटे के लिए परेशान है, और मैं इसका पति होने के नाते यहाँ खड़ा हूँ, आप प्लीज़ गुस्सा मत किज़िइ और एक बार ऋतु की बात सुन लिज़िइ, ये आपकी बहुत इज़्ज़त करती है, इश्लीए यहाँ आई है”
इतना सुनते ही ऋतु के पापा ने मेरे मूह पर एक थप्पड़ जड़ दिया और बोले, “बकवास बंद कर और फॉरन यहाँ से दफ़ा हो जा”
तभी ऋतु का छ्होटा भाई भी वहाँ आ गया
उशके आने की तो कोई चिंता नही थी पर वो हाथ में एक हॉकी ले कर आ रहा था. एक वाय्लेंट माहॉल बनता नज़र आ रहा था. यही मैं नही चाहता था. हम तो शांति से बात को सुलझाना चाहते थे.
“साले तेरी हिम्मत कैसे हुई यहाँ घुस्सने की” --- उसने हॉकी को मुझे दीखाते हुवे कहा
“देखो भाई, मैं यहाँ कोई लड़ाई झगड़ा करने नही आया हूँ, मेरी पत्नी अपने बेटे के लिए परेशान है और मुझे लगता है कि एक मा को बेटे से जुदा नही करना चाहिए” ---- मैने कहा
लेकिन सोनू(ऋतु का भाई) को जैसे कुछ समझ नही आया और उसने हॉकी घुमा कर मेरे पेट में दे मारी.
वार इतनी ज़ोर का था कि मैं लड़खड़ा कर गिर गया. पर जल्दी ही उठ गया. मुझे हर हाल में ऋतु के साथ रहना था
ऋतु ये सब देख कर रोने लगी और बोली, “पापा प्लीज़ हमारी बात तो सुनो”
“चुप करो तुम ऋतु, तुमसे मैं कोई बात नही करना चाहता” ---- ऋतु के पापा ने कहा
सोनू ने हॉकी मेरे सर पर मारने की कोशिश की पर मैने उसकी हॉकी उशके हाथ से छीन ली
“देखो मुन्ना हॉकी से मैं बहुत खेल चुका हूँ, बात आज प्यार की है और मैने अपनी जींदगी में यही सीखा है कि खून ख़राबे से कुछ हाँसिल नही होता, मेरी बात मत सुनो, मैं जा रहा हूँ, पर एक बार ऋतु की बात सुन लो. एक मा अपने बेटे के लिए यहाँ आई है” --- मैने कहा
सोनू मेरी बात सुन कर चुपचाप वहीं खड़ा हो गया पर वो मेरी और बड़े गुस्से से देख रहा था
मैने ऋतु के कानो में कहा, “जान तुम यहीं रूको, मैं चलता हूँ, मेरे यहाँ रहने से शांति का माहॉल नही बन पाएगा. तुम मेरे जाने के बाद शांति से कॉन्फिडेंट्ली बात करना. मैं लक्ष्मीनगर अपने घर जा रहा हूँ, कोई बात हो तो फोन कर देना”
“नहीं प्लीज़ मुझे अकेला छ्चोड़ कर मत जाओ, मुझे बहुत डर लग रहा है” ----- ऋतु ने कहा
“डरने की क्या बात है जान, तुम्हारे पापा तुम्हे बहुत प्यार करते हैं तभी इतना गुस्सा हो रहे हैं. तुम आराम से अंदर जाओ, मेरे यहाँ रहने से बात चीत का माहॉल नही बन पाएगा. मैं चलता हूँ, ठीक है, डॉन’ट वरी अबौट एनितिंग, कीप फैथ इन गॉड आंड इन दिस लव” ----- मैने कहा
सोनू को हमारी बाते सुन गयी थी वो बोला, “हाँ…हाँ जल्दी से यहाँ से दफ़ा हो जाओ वरना यहाँ से तुम्हारी लाश जाएगी”
“ठीक है जतिन, अपना ख्याल रखना, मैं तुम्हे बाद में फोन करूँगी” ---- ऋतु ने धीरे से कहा
मैं घर से बाहर आ गया और ऋतु अंदर की ओर चल पड़ी. उशके पापा चुपचाप उसे देख रहे थे.
डेट : 24-08-09
2:00 पीयेम
कल शाम को मैं बहुत बेचैन था. ऋतु के करीब रहने की इतनी आदत हो गयी है कि एक एक पल उशके बिना मुश्किल से बीत रहा था. फिर मुझे उसकी चिंता भी हो रही थी कि वो कैसी है. सुबह जब मैं उसे उशके घर छ्चोड़ कर घर से बाहर निकला था तो उसने बड़े प्यार से पीछे मूड कर मेरी ओर देखा था. अभी तक वो मोमेंट मेरी आँखो में घूम रही है. अजीब होता है ये प्यार भी, हर वक्त दिल को बेचैन रखता है.
सुबह से शाम हो गयी पर ऋतु का कोई फोन नही आया. मैं उसका फोन ट्राइ कर रहा था तो बार बार स्विच्ड ऑफ आ रहा था. दिल बहुत बेचैन हो रहा था. मैं उशके घर जाना चाहता था, पर ये सोच कर रुक गया कि कहीं कोई लड़ाई झगड़ा ना हो जाए और बनी बनाई बात बिगड़ जाए.
कोई 8:30 बजे ऋतु का फोन आया
“कहा थी तुम मुझे कितनी चिंता हो रही थी” --- मैने पूछा
“सॉरी जतिन, फोन की बेतटेरी ख़तम हो गयी थी, और मैं यहाँ बातो में उलझी हुई थी, तुम ठीक तो हो. सोनू ने बड़ी ज़ोर से हॉकी मारी थी ना. आइ आम सॉरी फॉर दट जतिन” ----- ऋतु ने कहा
मैने कहा, “मैं अपने घर पर हूँ, जान तुम मेरी चिंता मत करो और बताओ कि क्या हुवा”
“जतिन, सब ठीक है, चिंता की कोई बात नही है, अभी मैं बिज़ी हूँ, कोई एक घंटे मैं तुम्हे फोन करती हूँ, ठीक है, मेरा वेट करना आराम से बात करेंगे….ओके” ----- ऋतु ने कहा
मैने कहा, “ठीक है जान, तुम चिंता मत करो, आराम से फोन करना”
“ठीक है फिर मैं थोड़ी देर में आती हूँ”
----- ऋतु ने कहा
ये कह कर ऋतु ने फोन काट दिया
और फिर जींदगी का वो खूबसूरत लम्हा आया जिसकी याद जींदगी भर मेरे साथ रहेगी. मैं शायद सब कुछ भूल जाउ पर वो लम्हा कभी नही भुला पाउन्गा
कोई 9:30 पर मेरे घर की बेल बाजी
मैने दरवाजा खोला तो, ख़ुसी के मारे मेरी आँखे भर आई
मेरे सामने मेरी दुल्हन खड़ी थी, और बड़े प्यार से मेरी ओर मुश्कुरा रही थी.
“क्या बात है पति देव, अंदर नही आने दोगे क्या” ----- ऋतु ने पूछा
“तुम यहाँ कैसे पहुँच गयी जान, तुम तो कह रही थी कि मैं एक घंटे बाद फोन करूँगी” ---- मैने ख़ुसी में झूम कर पूछा
“सारी बात यही करोगे या फिर अंदर भी बुलाओगे” ---- ऋतु ने पूछा
“रूको तुम पहली बार घर आई हो, और मैं अपनी दुल्हन को पूरे रीति रिवाज़ से घर में परवेश करवँगा”
मैं इतना खुस था कि मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि मैं क्या करूँ. मैने पूरा घर छान मारा पर सवागत करने के लिए कुछ नही मिला. बहुत दीनो बाद घर आया था, इश्लीए कुछ मिलना मुश्किल था.
मैं वापस दरवाजे पर आ गया. शायद ऋतु मेरी उलझन समझ गयी और बोली, “क्या बात है जतिन, तुम किशी बात की चिंता मत करो, मैं आ रही हूँ”
मैने कहा,“ नही रूको तो”
मैं ऋतु के पास आ गया और बोला, “जान घर में तुम्हारे स्वागत के लिए कुछ नही है, लेकिन में तुम्हारे कदमो में अपना दिल बिछा रहा हूँ, तुम मेरे दिल पर पाँव रख कर घर में परवेश करो”
ये कह कर मैं ऋतु के कदमो में लेट गया
“जतिन ये क्या कर रहे हो तुम, इस सब की कोई ज़रूरत नही है, चलो उठो यहा से” ---- ऋतु ने झुक कर मुझे उठाते हुवे कहा
“नहीं जान मेरी जींदगी का ये खूबसूरत अहसाश मुझ से मत छीनो, मैं ये दिन यादगार बनाना चाहता हूँ” ----- मैने कहा
“तुम नही मानोगे” ---- ऋतु ने कहा और मुश्कूराते हुवे मेरे दिल पर हल्का सा पाँव रख कर घर में दाखिल हो गयी
“हां तो पति देव अब उठो और ये दरवाजा बंद कर लो” ---- ऋतु ने कहा
“तुम तो बहुत हल्की हो जान, दिल पर कुछ असर ही नही हुवा” ---- मैने कहा
“ये तुम्हे अभी पता चला, रोज मुझे गोदी में उठा कर घूमते हो, तब ये अहसाश नही हुवा क्या” --- ऋतु ने मुश्कुरा कर पूछा
मैने उठ कर दरवाजा बंद किया और ऋतु को बाहों में भर कर कहा, “तुमने आज मुझे बहुत बड़ा गिफ्ट दिया है, यहाँ आकर, पता है मैं तुम्हे बहुत मिस कर रहा था”
“मैं भी तुम्हे मिस कर रही थी जतिन” ---- ऋतु ने कहा
“अछा बताओ तो सही कि क्या हुवा घर पर और चिंटू कहाँ है” ----- मैने पूछा
“जतिन पापा ने मुझ से कोई बात नही की हां मैने मम्मी और सोनू को सब कुछ समझा दिया है. मम्मी कह रही थी कि वो खुद पापा को समझा लेंगी उशके बाद शांति से चिंटू को ले जाना. सोनू ही मुझे अपनी कार में यहाँ तक छ्चोड़ कर गया है, वो सॉरी महसूष कर रहा था, कह रहा था कि बाद में शांति से तुमसे मिलेगा. बस अब पापा की बात है, इश्लीए मैने चिंटू को अभी लाने की ज़िद नहीं की. मैं भी यही चाहती हूँ कि सब शांति से हो जाए. मैं खुस हूँ कि मम्मी और सोनू अब मेरे साथ हैं. पापा मुझे बहुत प्यार करते हैं, मुझे यकीन है कि वो भी जल्दी ही समझ जाएँगे. अब लगता है कि मेरी जींदगी में शांति है और सब कुछ ठीक होने वाला है”
“ये तो बहुत अछा हुवा जान, बहुत तस्सली मिली है दिल को ये सुन कर, फिर हम कल शाम को वापस चलते हैं” ----- मैने कहा
“हां कल एरपोर्ट पर ही टिकेट ले लेंगे” ---- ऋतु ने कहा
“पर तुम अभी कैसे आ गयी, किसी ने तुम्हे रोका नहीं” ------ मैने पूछा
“मम्मी रोक रही थी. पर मुझे तुम्हारी चिंता हो रही थी. देखना चाहती थी की तुम ठीक तो हो. तुमने कुछ खाया की नहीं” ---- ऋतु ने कहा
“हां जान मैने खा लिया है, अभी बाहर से खा कर आया था” ---- मैने कहा
“जतिन ये घर तो अछा है” ----- ऋतु ने कहा
“हां मम्मी पापा बस यही घर छ्चोड़ गये थे. इशके अलावा मेरे पास कुछ नही है. सोच रहा हूँ इसे बेच कर मुंबई में ही कुछ खरीद लूँ” ---- मैने कहा
“अरे नही बेचने की क्या ज़रूरत है, कभी हम देल्ही आए तो कहाँ ठहरेंगे, मुंबई में है तो हमारा घर” ---- ऋतु ने कहा
“ठीक है बाद में बात करेंगे, पहले ये बताओ कि क्या सेवा करूँ अपनी बीवी की मैं” ---- मैने पूछा
“मुझे लेट-ने का मन हो रहा है जतिन, सुबह से बैठे बैठे थक गयीं हूँ” ---- ऋतु ने कहा
मैने ऋतु को गोदी में उठा लिया और सीढ़ियों की तरफ चल पड़ा
“ये कहाँ ले जा रहे हो जतिन” ---- ऋतु ने पूछा
“छत पर ले जा रहा हूँ जान, आज चाँदनी रात है, मैने छत पर अपना बिस्तर लगा रखा है, हम आज खुले आसमान के नीचे चाँदनी रात में शोएंगे” ---- मैने कहा
“जतिन रूको तो मुझे नीचे उतारो, मुझे ले कर कैसे चढ़ोगे तुम” ---- ऋतु ने कहा
“चढ़ जाउन्गा जान, तुम में बोझ ही कहाँ है” ---- मैने कहा
“मैने ऋतु को ज़मीन पर बीचे बिस्तर पर लेटा दिया और बोला, “तुम आराम से लेटो मैं पानी की बॉटल ले कर आता हूँ, रात को पानी की प्यास लगेगी तो काम आएगा” ----- मैने कहा
“जतिन ये बिस्तर तो छ्होटा है, हम एक साथ इस पर कैसे लटेंगे” ----- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा
“लेट जाएँगे जान, हम एक दूसरे की बाहों में होंगे तो ये बिस्तर तुम्हे बड़ा लगेगा,” ---- मैने हंसते हुवे कहा
“तुम पागल हो” ---- ऋतु ने कहा
“हां तुम्हारे प्यार में पागल हूँ. वैसे ये बिसतर मैने अपने लिए लगाया था, अब तुम आ गयी हो तो हम दोनो इसी पर शोएंगे ” --- मैने कहा और पानी लेने के लिए चल पड़ा
मैने पीछे मूड कर देखा तो ऋतु मुश्कुरा रही थी
मैं वापस आया तो देखा की ऋतु आँखे बंद करके लटी हुई है
चाँदनी रात में ऋतु इतनी प्यारी लग रही थी कि मन कर रहा था कि उसे बस देखता रहूं. उसकी प्यारी सूरत के आगे चाँदनी फीकी लग रही थी
मैं चुपचाप ऋतु के बाईं ओर लेट गया.
उसकी प्यारी सी सूरत पर हल्की सी मुश्कान उभर आई. उसे पता चल गया था कि मैं उशके पास लेट गया हूँ.
अपनी दुल्हन के साथ चाँदनी रात में कोई भी बहक जाएगा. मेरे लिए खुद को थामना मुश्किल हो रहा था. उपर से ऋतु के चेहरे पर इतनी प्यारी मुश्कान थी कि दिल थामे नही थम रहा था.
मैने अपना दायां हाथ हल्के से ऋतु के उभार पर रख दिया और उसे महसूस करने लगा. ऋतु की साँसे तेज होने लगी.
“जतिन हट जाओ, तुम्हे प्यार करने का ये मतलब नहीं है कि तुम मेरे शरीर से खेलोगे” ---- ऋतु ने आँखे बंद रखते हुवे कहा.
ये कह कर उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुश्कान उभर आई
“अछा तो तुम्हे प्यार करने का क्या ये मतलब है कि मैं तुमसे हमेशा दूर रहूँगा. वैसे तुम ही बताओ कि तुम्हे प्यार करने का क्या मतलब है” ---- मैने भी हंसते हुवे कहा
“मुझे नही पता” ---- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा
मैने ऋतु के होंटो पर अपने होन्ट टीका दिए. ऐसा लगा जैसे 2 फड़कते हुवे अंगारे टकरा गये हों
हम थोड़ी देर तक पॅशनेट्ली किस करते रहे
फिर मैने ऋतु की कमीज़ को उपर सरका कर ऋतु के उभारो को थाम लिया
“पागल हो गये हो क्या, कोई देख लेगा यहाँ जतिन” --- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा
“चारो तरफ उँची दीवार है ऋतु, हम दुनिया की नज़रो से दूर इश् चाँदनी रात में बिल्कुल तन्हा हैं” ---- मैने कहा
ऋतु के उभार उसकी ब्रा में क़ैद पंछी की तरह लग रहे थे. मैने ऋतु के कान में कहा, “जान ये सोते वक्त आज ब्रा क्यों पहन रखी है, उतार दो ना और आज़ाद कर दो इन फूलों को”
ऋतु ने कोई जवाब नही दिया.
मैं समझ रहा था कि ऋतु के लिए ये करना मुश्किल होगा, क्योंकि वो शायद अभी भी पूरी तरह सेक्स के लिए तैयार नही थी. पर मेरा मकसद प्यार के सागर में सेक्स को इस तरह डुबोना था कि ऋतु नॅचुरली प्यार में सेक्स का आनंद ले पाए.
मैने प्यार से कहा, “ ऋतु आओ हम आज प्यार के एक लंबे सफ़र पर चलते हैं. चाँद तक पहुँचने की कोशिश करेंगे देखते है क्या होता है”
ऋतु ने कहा, “जतिन, अगर मैं ना चल पाई तो और लड़खड़ा कर गिर गयी तो”
“तो मैं तुम्हे अपनी बाहों में थाम लूँगा जान, मैं हूँ ना. मैं तुम्हे अपनी गोदी में ले कर चलूँगा” ----- मैने ऋतु के गाल को छू कर कहा
क्रमशः........................
..
छोटी सी भूल compleet
Re: छोटी सी भूल
गतान्क से आगे..................
“जतिन तुम मुझे हर वक्त गोदी में उठा कर घूमते हो, थक जाओगे” --- ऋतु ने कहा
“नहीं जान जब बात तुम्हारी है तो मैं कभी नही थ्कुगा, मैं तुम्हे मंज़िल तक ले जा कर ही छ्चोड़ूँगा” --- मैने कहा
“बस बस ऐसी बाते मत करो मैं रो पड़ूँगी, चलो मैं तैयार हूँ तुम्हारे साथ चलने के लिए” ----- ऋतु ने कहा
“ठीक है फिर अब ये ब्रा उतारने दो बेवजह परेशान कर रही है” ----- मैने ऋतु की आँखो में देख कर कहा
“तुम्हे यकीन है हमें यहाँ कोई नही देखेगा” ---- ऋतु ने पूछा
“हां जान तुम खुद देख लो चारो तरफ उँची दीवार है, और मैं क्या अपनी पत्नी की इज़्ज़त से खेलूँगा” ----- मैने कहा
ऋतु ने चारो तरफ नज़रे घुमा कर देखा और बोली, “यकीन नही होता कि इतनी प्यारी चाँदनी रात में हम तन्हा हैं, जतिन ये खवाब है या हक़ीकत”
“यही तो इस घर की ख़ास बात है, वरना और यहाँ कुछ नही है. मैं तो बचपन से गर्मियों में यहीं उपर छत पर ही सोता आया हूँ” ---- मैने कहा
“मुझे भी चाँदनी रात में लेट-ना अछा लगता है, पर ये रात तो कुछ ख़ास ही है” ---- ऋतु ने कहा
“पता है क्यों ख़ास है ये रात ऋतु” ---- मैने पूछा
“क्यों जतिन” ? ---- ऋतु ने पूछा
“क्योंकि मेरी शुनदर पत्नी मेरी बाहों में है” ---- मैने कहा
“तुम एक दम पागल हो जतिन” ---- ऋतु ने हंसते हुवे कहा
“अब चलें अपने प्यारे सफ़र पर जान” --- मैने पूछा
“मुझे डर लग रहा है जतिन, पता नही मैं ठीक से तुम्हारा साथ दे पाउन्गि या नहीं” ---- ऋतु ने कहा
मुझे ऋतु की बात सुन कर उस पर इतना प्यार आया कि मैने उशके होंटो को चूम लिया और बोला, “डरने की क्या बात है ऋतु, ये तो एक प्यारा सफ़र है, चलो प्यार से चलते है. ये मत सोचो की हमें कहीं पहुँचना है. हम बस चलेंगे और देखेंगे कि ये प्यार का सफ़र कैसा है…ओके… चलो अब थोडा उपर उठो मुझे ये ब्रा उतारने दो”
“तुम कितने बदल गये हो जतिन” ---- ऋतु ने कहा
“सब तुम्हारे प्यार का असर है, मेडिटेशन भी मैने तुम्हारे प्यार में डूब कर ही की थी, अब उठो ना ये ब्रा मुझे परेशान कर रही है”
“ठीक है बाबा ये लो” ---- ऋतु ने कहा और कह कर थोड़ा उपर हो गयी
मैने ऋतु की ब्रा उतार कर एक तरफ रख दी
ऋतु के उभारो को देख कर मेरे मूह से निकल गया, “ओह्ह माइ गॉड, कितने प्यारे लग रहें हैं ये चाँदनी रात में, इनकी शुनदरता के आगे तो चाँद भी शर्मा जाएगा”
“चुप करो, बदमाश कहीं के” ---- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा
“नहीं ऋतु ये सच है, तुम्हारे उभारो की चमक के आगे चाँद भी फीका पड़ गया है” ----- मैने कहा
मेरे लिए वो पल बहुत ही प्यारा था. मन कर रहा था कि बस ऋतु के उभारो को देखता रहूं.
कब मदहोश हो कर मैने ऋतु के बायें उभार के निपल को होंटो में दबा लिया पता ही नही चला
जैसे ही मैने निपल को होंटो में दबाया, ऋतु के मूह से हल्की सी आवाज़ निकली, आअहह…. ऐसा लगा मानो मैने सितार के तार छेड़ दियें हों और उसमें से प्यार भरा मीठा सा संगीत निकल पड़ा हो
उस वक्त मुझे विश्वास हो गया कि ऋतु मेरे साथ प्यार के सफ़र पर चलने के लिए तैयार है. फिर मैने ठान लिया कि आज अपनी जान को प्यार की उस गहराई में ले जाउन्गा जो उस ने सपने में भी नही सोची होगी. मैं ऋतु को प्यार का स्पेशल गिफ्ट देना चाहता था
मैने ऋतु के दोनो उभारो को हाथो में थाम लिया और उन्हे थोड़ा ज़ोर से मसालने लगा.
ऋतु की साँसे फूलने लगी
“आआहह जतिन, रुक जाओ…….” ऋतु ने हांपते हुवे कहा
“क्या हुवा जान अछा नही लग रहा क्या” ----- मैने पूछा
“नहीं ऐसी बात नही है, इतनी ज़ोर से क्यों दबा रहे हो” ----- ऋतु ने हल्की से आवाज़ में पूछा
“इन फूलों पर थोड़ा ज़ोर आजमाना ज़रूरी है, वरना ये खिल नहीं पाएँगे, देखो ज़ोर से मसालने पर कैसे तन गये हैं, पहले से भी बड़े नज़र आ रहें हैं” ----- मैने हंसते हुवे कहा
“तुम क्या कामसुत्रा में एक्सपर्ट हो” --- ऋतु ने पूछा
“नहीं, तुम से प्यार करने में एक्सपर्ट हूँ” ---- मैने कहा
ये कह कर मैने ऋतु के उभारो पर अपने होंटो से प्यार बरसाना शुरू कर दिया. मैं बार बार ऋतु के निपल्स को चूस रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे कि ऋतु के उभारो में प्रेम रस भरा हो और मैं ऋतु के निपल्स से प्रेम रस पी रहा हूँ
“क्या तुमने इन उभारो में मेरे लिए प्यार भर लिया है ऋतु” ---- मैने पूछा
“कैसी बात करते हो जतिन, मुझे शरम आ रही है, प्लीज़ ……. मुझे ऐसे मत छेड़ो” ----- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा
“नहीं ऋतु छेड़ नही रहा हूँ, बस तुम्हारी झीज़ाक दूर कर रहा हूँ, अब तुम मेरी पत्नी हो और हमारा बहुत प्यारा रिस्ता बन गया है. प्यारी प्यारी बाते तो हम कर ही सकते हैं” ---- मैने कहा
“वो तो ठीक है, पर अभी नहीं, अभी मुझे…..” ---- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा
ऋतु के चेहरे पर शरम के साथ साथ जो प्यारी सी हँसी थी उस से ये सॉफ पता चल रहा था कि वो मेरे प्यार में डूब चुकी है. मैं खुद ऐसा ही चाहता था. बड़ी मुश्किल से पाया था मैने वो पल ऋतु के साथ. मेरा प्यार ऋतु पर असर करने लगा था.
उभारो को मसालते हुवे मैं ऋतु के शरीर को किस करता हुवा उसकी नाभि तक पहुँच गया और उशके चारो और उसे चूमने लगा.
ऋतु मेरे नीचे थीरक्ने लगी, जैसे की वो बर्दास्त नही कर पा रही हो. पर मुझे ऋतु को बे-इंतहा प्यार देना था.
ऋतु की नाभि को किस करते करते मैं और नीचे की तरफ सरकने लगा.
अब मेरे होन्ट ऋतु की सलवार के नाडे के उपर थे
मैने नाडे को चूम लिया और उसे दांतो में दबा कर खींचने लगा
“ओह्ह जतिन आअहह…. रुक जाओ” --- ऋतु ने आहें भरते हुवे कहा
“क्या हुवा ऋतु” --- मैने गर्दन उठा कर पूछा
“थोड़ी देर रुक जाओ जतिन, मेरी साँसे फूल रहीं हैं” ---- ऋतु ने हांपते हुवे कहा
“नहीं जान यहाँ रुकना ठीक नही है, प्यार की आग बहुत भड़क चुकी है, यहाँ रुके तो ये आग हमें झुलसा देगी. हमें आयेज बढ़ना होगा” ----- मैने कहा
“थोड़ी देर रूको तो जतिन” ----- ऋतु ने फिर कहा
मैने उपर आ कर ऋतु के होंटो को अपने होंटो में ले लिया और एक बहुत गहरी किस की
ऋतु की सांसो की गर्मी मुझे मेरे होंटो पर महसूष हो रही थी.
मैं जल्दी ही नीचे पहुँच गया, अब इंतेज़ार करना मुश्किल हो रहा था, ऋतु के चेहरे से लग रहा था कि वो अब खुद को थाम नही पा रही. मैं वक्त बर्बाद नही करना चाहता था.
मैने ऋतु के नाडे को खोल कर सलवार नीचे सरका दी और बोला, “वाउ कितनी प्यारी पॅंटी है, काला रंग मुझे बहुत पसंद है”
“जतिन तुम मुझे हर वक्त गोदी में उठा कर घूमते हो, थक जाओगे” --- ऋतु ने कहा
“नहीं जान जब बात तुम्हारी है तो मैं कभी नही थ्कुगा, मैं तुम्हे मंज़िल तक ले जा कर ही छ्चोड़ूँगा” --- मैने कहा
“बस बस ऐसी बाते मत करो मैं रो पड़ूँगी, चलो मैं तैयार हूँ तुम्हारे साथ चलने के लिए” ----- ऋतु ने कहा
“ठीक है फिर अब ये ब्रा उतारने दो बेवजह परेशान कर रही है” ----- मैने ऋतु की आँखो में देख कर कहा
“तुम्हे यकीन है हमें यहाँ कोई नही देखेगा” ---- ऋतु ने पूछा
“हां जान तुम खुद देख लो चारो तरफ उँची दीवार है, और मैं क्या अपनी पत्नी की इज़्ज़त से खेलूँगा” ----- मैने कहा
ऋतु ने चारो तरफ नज़रे घुमा कर देखा और बोली, “यकीन नही होता कि इतनी प्यारी चाँदनी रात में हम तन्हा हैं, जतिन ये खवाब है या हक़ीकत”
“यही तो इस घर की ख़ास बात है, वरना और यहाँ कुछ नही है. मैं तो बचपन से गर्मियों में यहीं उपर छत पर ही सोता आया हूँ” ---- मैने कहा
“मुझे भी चाँदनी रात में लेट-ना अछा लगता है, पर ये रात तो कुछ ख़ास ही है” ---- ऋतु ने कहा
“पता है क्यों ख़ास है ये रात ऋतु” ---- मैने पूछा
“क्यों जतिन” ? ---- ऋतु ने पूछा
“क्योंकि मेरी शुनदर पत्नी मेरी बाहों में है” ---- मैने कहा
“तुम एक दम पागल हो जतिन” ---- ऋतु ने हंसते हुवे कहा
“अब चलें अपने प्यारे सफ़र पर जान” --- मैने पूछा
“मुझे डर लग रहा है जतिन, पता नही मैं ठीक से तुम्हारा साथ दे पाउन्गि या नहीं” ---- ऋतु ने कहा
मुझे ऋतु की बात सुन कर उस पर इतना प्यार आया कि मैने उशके होंटो को चूम लिया और बोला, “डरने की क्या बात है ऋतु, ये तो एक प्यारा सफ़र है, चलो प्यार से चलते है. ये मत सोचो की हमें कहीं पहुँचना है. हम बस चलेंगे और देखेंगे कि ये प्यार का सफ़र कैसा है…ओके… चलो अब थोडा उपर उठो मुझे ये ब्रा उतारने दो”
“तुम कितने बदल गये हो जतिन” ---- ऋतु ने कहा
“सब तुम्हारे प्यार का असर है, मेडिटेशन भी मैने तुम्हारे प्यार में डूब कर ही की थी, अब उठो ना ये ब्रा मुझे परेशान कर रही है”
“ठीक है बाबा ये लो” ---- ऋतु ने कहा और कह कर थोड़ा उपर हो गयी
मैने ऋतु की ब्रा उतार कर एक तरफ रख दी
ऋतु के उभारो को देख कर मेरे मूह से निकल गया, “ओह्ह माइ गॉड, कितने प्यारे लग रहें हैं ये चाँदनी रात में, इनकी शुनदरता के आगे तो चाँद भी शर्मा जाएगा”
“चुप करो, बदमाश कहीं के” ---- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा
“नहीं ऋतु ये सच है, तुम्हारे उभारो की चमक के आगे चाँद भी फीका पड़ गया है” ----- मैने कहा
मेरे लिए वो पल बहुत ही प्यारा था. मन कर रहा था कि बस ऋतु के उभारो को देखता रहूं.
कब मदहोश हो कर मैने ऋतु के बायें उभार के निपल को होंटो में दबा लिया पता ही नही चला
जैसे ही मैने निपल को होंटो में दबाया, ऋतु के मूह से हल्की सी आवाज़ निकली, आअहह…. ऐसा लगा मानो मैने सितार के तार छेड़ दियें हों और उसमें से प्यार भरा मीठा सा संगीत निकल पड़ा हो
उस वक्त मुझे विश्वास हो गया कि ऋतु मेरे साथ प्यार के सफ़र पर चलने के लिए तैयार है. फिर मैने ठान लिया कि आज अपनी जान को प्यार की उस गहराई में ले जाउन्गा जो उस ने सपने में भी नही सोची होगी. मैं ऋतु को प्यार का स्पेशल गिफ्ट देना चाहता था
मैने ऋतु के दोनो उभारो को हाथो में थाम लिया और उन्हे थोड़ा ज़ोर से मसालने लगा.
ऋतु की साँसे फूलने लगी
“आआहह जतिन, रुक जाओ…….” ऋतु ने हांपते हुवे कहा
“क्या हुवा जान अछा नही लग रहा क्या” ----- मैने पूछा
“नहीं ऐसी बात नही है, इतनी ज़ोर से क्यों दबा रहे हो” ----- ऋतु ने हल्की से आवाज़ में पूछा
“इन फूलों पर थोड़ा ज़ोर आजमाना ज़रूरी है, वरना ये खिल नहीं पाएँगे, देखो ज़ोर से मसालने पर कैसे तन गये हैं, पहले से भी बड़े नज़र आ रहें हैं” ----- मैने हंसते हुवे कहा
“तुम क्या कामसुत्रा में एक्सपर्ट हो” --- ऋतु ने पूछा
“नहीं, तुम से प्यार करने में एक्सपर्ट हूँ” ---- मैने कहा
ये कह कर मैने ऋतु के उभारो पर अपने होंटो से प्यार बरसाना शुरू कर दिया. मैं बार बार ऋतु के निपल्स को चूस रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे कि ऋतु के उभारो में प्रेम रस भरा हो और मैं ऋतु के निपल्स से प्रेम रस पी रहा हूँ
“क्या तुमने इन उभारो में मेरे लिए प्यार भर लिया है ऋतु” ---- मैने पूछा
“कैसी बात करते हो जतिन, मुझे शरम आ रही है, प्लीज़ ……. मुझे ऐसे मत छेड़ो” ----- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा
“नहीं ऋतु छेड़ नही रहा हूँ, बस तुम्हारी झीज़ाक दूर कर रहा हूँ, अब तुम मेरी पत्नी हो और हमारा बहुत प्यारा रिस्ता बन गया है. प्यारी प्यारी बाते तो हम कर ही सकते हैं” ---- मैने कहा
“वो तो ठीक है, पर अभी नहीं, अभी मुझे…..” ---- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा
ऋतु के चेहरे पर शरम के साथ साथ जो प्यारी सी हँसी थी उस से ये सॉफ पता चल रहा था कि वो मेरे प्यार में डूब चुकी है. मैं खुद ऐसा ही चाहता था. बड़ी मुश्किल से पाया था मैने वो पल ऋतु के साथ. मेरा प्यार ऋतु पर असर करने लगा था.
उभारो को मसालते हुवे मैं ऋतु के शरीर को किस करता हुवा उसकी नाभि तक पहुँच गया और उशके चारो और उसे चूमने लगा.
ऋतु मेरे नीचे थीरक्ने लगी, जैसे की वो बर्दास्त नही कर पा रही हो. पर मुझे ऋतु को बे-इंतहा प्यार देना था.
ऋतु की नाभि को किस करते करते मैं और नीचे की तरफ सरकने लगा.
अब मेरे होन्ट ऋतु की सलवार के नाडे के उपर थे
मैने नाडे को चूम लिया और उसे दांतो में दबा कर खींचने लगा
“ओह्ह जतिन आअहह…. रुक जाओ” --- ऋतु ने आहें भरते हुवे कहा
“क्या हुवा ऋतु” --- मैने गर्दन उठा कर पूछा
“थोड़ी देर रुक जाओ जतिन, मेरी साँसे फूल रहीं हैं” ---- ऋतु ने हांपते हुवे कहा
“नहीं जान यहाँ रुकना ठीक नही है, प्यार की आग बहुत भड़क चुकी है, यहाँ रुके तो ये आग हमें झुलसा देगी. हमें आयेज बढ़ना होगा” ----- मैने कहा
“थोड़ी देर रूको तो जतिन” ----- ऋतु ने फिर कहा
मैने उपर आ कर ऋतु के होंटो को अपने होंटो में ले लिया और एक बहुत गहरी किस की
ऋतु की सांसो की गर्मी मुझे मेरे होंटो पर महसूष हो रही थी.
मैं जल्दी ही नीचे पहुँच गया, अब इंतेज़ार करना मुश्किल हो रहा था, ऋतु के चेहरे से लग रहा था कि वो अब खुद को थाम नही पा रही. मैं वक्त बर्बाद नही करना चाहता था.
मैने ऋतु के नाडे को खोल कर सलवार नीचे सरका दी और बोला, “वाउ कितनी प्यारी पॅंटी है, काला रंग मुझे बहुत पसंद है”
Re: छोटी सी भूल
“ओह्ह जतिन बाते मत करो….” ---- ऋतु ने कहा
मैने धीरे से पॅंटी नीचे सरका दी
चाँदनी रात में ऋतु की योनि इतनी प्यारी लग रही थी कि मुझ से रहा नही गया और मैने उसकी पंखुड़ियों को चूम लिया और चूम कर उन्हे होंटो में ले कर चूसने लगा.
“आआहह………ऊओह….. जतिन” ---- ऋतु आहें भरते हुवे गर्दन दायें बायें घुमा रही थी
“कैसा लग रहा है जान” ---- मैने पूछा
“आआहह….बर्दास्त नहीं हो रहा जतिन, प्लीज़ थोड़ी देर हट जाओ” ----- ऋतु ने आहें भरते हुवे कहा
मैने ऋतु की योनि को फैला कर अपनी जीभ ऋतु की योनि में डाल दी और जितनी हो सके उतनी अंदर सरका दी
“ओह्ह नो….. तुम आज मुझे मार डालोगे” ---- ऋतु ने अपनी टांगे पटकते हुवे कहा
पर मैने रुकना ठीक नही समझा, क्योंकि मुझे ऋतु को प्यार की और ज़्यादा गहराई में ले जाना था. मैं ऋतु की योनि में अपनी जीभ रगड़ता रहा और ऋतु आआहह..ऊहह करके आहें भरती रही.
चाँदनी रात में हम दोनो का प्यार एक अलग ही उँचाई छू रहा था.
मैने अब और इंतेज़ार करना ठीक नही समझा, ऋतु की साँसे बहुत तेज चल रही थी. हमारे मिलन का सही वक्त आ गया था.
मैं सलवार को उतारने लगा तो ऋतु बोली, “जतिन, रूको इसे उतारना ज़रूरी है क्या, हम खुले आसमान के नीचे हैं”
मैं समझ गया था कि ऋतु झीजक रही है. मैने जल्दी से सलवार उतार कर एक तरफ रख दी और फिर पॅंटी भी धीरे धीरे नीचे सरका कर उतार दी.
मैं खुद इतना बहक चुका था कि एक पल भी रुकना मुश्किल हो रहा था.
मैने जल्दी से अपने कपड़े उतार कर एक तरफ फैंक दिए और ऋतु के उपर आ गया.
जैसे ही मैं ऋतु के उपर आया मेरा लिंग ऋतु की योनि से टकरा गया.
“आआहह….” ---- ऋतु के मूह से निकला
ऋतु ने अपना चेहरा अपने हाथो में ढक लिया
मैने उसके हाथो को हटाया और उशके होंटो को अपने होंटो में ले लिया.
मैने पूछा, “जान अब हम इस सफ़र के आखरी पड़ाव पर हैं. क्या तुम फाइनल राइड के लिए तैयार हो, मैं अपना लिंग तुम्हारी योनि में डालने जा रहा हूँ”
“ओह्ह जतिन,……. प्लीज़ मुझ से कुछ मत पूछो, मेरे लिए कुछ भी कहना मुश्किल है,…… आइ लव यू. ले चलो मुझे जहाँ ले चलना है, मैं तुम्हारी पत्नी हूँ, हर कदम पर तुम्हारे साथ रहूंगी” ----- ऋतु ने आहें भरते हुवे भावुक अंदाज में कहा
“ओके जान फस्तेन यौर सीट बेल्ट आइ आम गोयिंग टू टेक यू टू दा मून” ---- मैने कहा
“ले चलो जतिन जहाँ ले चलना है, मुझे पूरा यकीन है कि तुम मुझे गिरने नही दोगे” ---- ऋतु ने प्यार से कहा
मैने अपने लिंग को अपने दायें हाथ में पकड़ा और ऋतु की योनि पर लगा दिया.
एक पल के लिए मेरे लिंग और ऋतु की योनि के बीच बहुत प्यारी किस हुई. मन कर रहा था कि उसी पोज़िशन में रुका रहूं.
पर किसी अंजान शक्ति ने मुझे आगे ढकैयल दिया और मेरा लिंग लगभज् आधा ऋतु की योनि में समा गया
“आआअहह…… जतिन….. आइ लव यू” ---- ऋतु ने आहें भरते हुवे कहा
“ई लव यू टू जान” ------ मैने कहा
और ये कह कर मैने एक झटके में अपने लिंग को ऋतु की योनि में धकैल दिया. सब कुछ प्यार की मदहोशी में हो रहा था
ऋतु ने मुझे बाहों में भर लिया और अपने नाख़ून मेरी पीठ पर गढ़ा दिए. मुझे हल्का सा दर्द हुवा पर वो दर्द इतना प्यारा था कि मैं कह नही सकता. इस से सॉफ पता चल रहा था कि ऋतु उस पल को बहुत ज़्यादा एंजाय कर रही है. ये मेरे प्यार की जीत थी
मैने धीरे से पॅंटी नीचे सरका दी
चाँदनी रात में ऋतु की योनि इतनी प्यारी लग रही थी कि मुझ से रहा नही गया और मैने उसकी पंखुड़ियों को चूम लिया और चूम कर उन्हे होंटो में ले कर चूसने लगा.
“आआहह………ऊओह….. जतिन” ---- ऋतु आहें भरते हुवे गर्दन दायें बायें घुमा रही थी
“कैसा लग रहा है जान” ---- मैने पूछा
“आआहह….बर्दास्त नहीं हो रहा जतिन, प्लीज़ थोड़ी देर हट जाओ” ----- ऋतु ने आहें भरते हुवे कहा
मैने ऋतु की योनि को फैला कर अपनी जीभ ऋतु की योनि में डाल दी और जितनी हो सके उतनी अंदर सरका दी
“ओह्ह नो….. तुम आज मुझे मार डालोगे” ---- ऋतु ने अपनी टांगे पटकते हुवे कहा
पर मैने रुकना ठीक नही समझा, क्योंकि मुझे ऋतु को प्यार की और ज़्यादा गहराई में ले जाना था. मैं ऋतु की योनि में अपनी जीभ रगड़ता रहा और ऋतु आआहह..ऊहह करके आहें भरती रही.
चाँदनी रात में हम दोनो का प्यार एक अलग ही उँचाई छू रहा था.
मैने अब और इंतेज़ार करना ठीक नही समझा, ऋतु की साँसे बहुत तेज चल रही थी. हमारे मिलन का सही वक्त आ गया था.
मैं सलवार को उतारने लगा तो ऋतु बोली, “जतिन, रूको इसे उतारना ज़रूरी है क्या, हम खुले आसमान के नीचे हैं”
मैं समझ गया था कि ऋतु झीजक रही है. मैने जल्दी से सलवार उतार कर एक तरफ रख दी और फिर पॅंटी भी धीरे धीरे नीचे सरका कर उतार दी.
मैं खुद इतना बहक चुका था कि एक पल भी रुकना मुश्किल हो रहा था.
मैने जल्दी से अपने कपड़े उतार कर एक तरफ फैंक दिए और ऋतु के उपर आ गया.
जैसे ही मैं ऋतु के उपर आया मेरा लिंग ऋतु की योनि से टकरा गया.
“आआहह….” ---- ऋतु के मूह से निकला
ऋतु ने अपना चेहरा अपने हाथो में ढक लिया
मैने उसके हाथो को हटाया और उशके होंटो को अपने होंटो में ले लिया.
मैने पूछा, “जान अब हम इस सफ़र के आखरी पड़ाव पर हैं. क्या तुम फाइनल राइड के लिए तैयार हो, मैं अपना लिंग तुम्हारी योनि में डालने जा रहा हूँ”
“ओह्ह जतिन,……. प्लीज़ मुझ से कुछ मत पूछो, मेरे लिए कुछ भी कहना मुश्किल है,…… आइ लव यू. ले चलो मुझे जहाँ ले चलना है, मैं तुम्हारी पत्नी हूँ, हर कदम पर तुम्हारे साथ रहूंगी” ----- ऋतु ने आहें भरते हुवे भावुक अंदाज में कहा
“ओके जान फस्तेन यौर सीट बेल्ट आइ आम गोयिंग टू टेक यू टू दा मून” ---- मैने कहा
“ले चलो जतिन जहाँ ले चलना है, मुझे पूरा यकीन है कि तुम मुझे गिरने नही दोगे” ---- ऋतु ने प्यार से कहा
मैने अपने लिंग को अपने दायें हाथ में पकड़ा और ऋतु की योनि पर लगा दिया.
एक पल के लिए मेरे लिंग और ऋतु की योनि के बीच बहुत प्यारी किस हुई. मन कर रहा था कि उसी पोज़िशन में रुका रहूं.
पर किसी अंजान शक्ति ने मुझे आगे ढकैयल दिया और मेरा लिंग लगभज् आधा ऋतु की योनि में समा गया
“आआअहह…… जतिन….. आइ लव यू” ---- ऋतु ने आहें भरते हुवे कहा
“ई लव यू टू जान” ------ मैने कहा
और ये कह कर मैने एक झटके में अपने लिंग को ऋतु की योनि में धकैल दिया. सब कुछ प्यार की मदहोशी में हो रहा था
ऋतु ने मुझे बाहों में भर लिया और अपने नाख़ून मेरी पीठ पर गढ़ा दिए. मुझे हल्का सा दर्द हुवा पर वो दर्द इतना प्यारा था कि मैं कह नही सकता. इस से सॉफ पता चल रहा था कि ऋतु उस पल को बहुत ज़्यादा एंजाय कर रही है. ये मेरे प्यार की जीत थी