छोटी सी भूल compleet

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raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 31 Oct 2014 09:03

मुझे ध्यान आया कि संजय ने जब पहली बार वाहा डाला था तो उसने भी अपने लिंग पर थूक लगाया था. पर बाद मे वो, इसके लिए लूब्रिकॅंट ले आया थे.

मैने पूछा एक मिनूट क्या मतलब, तुम क्या करने जा रहे हो.

वो बोला, कुछ नही अपने लिंग को थोड़ा सॉफ कर रहा हू, तेरी गांद इतनी गोरी है, और ये इतना काला इसे थूक से रगड़ के चमका रहा हू.

इस-से पहले कि, मैं कुछ और बोल पाती उसने मेरे नितंबो को फैलाया और अपना लिंग मेरे गुदा द्वार पर रख दिया.

मैं काँप उठी, मैं इस सब के लिए तैयार नही थी. घबरा कर वाहा से आगे बढ़ गयी.

उसका लिंग मेरे नितंबो से निकल कर हवा मे झूल गया.

मैं अब बिल्कुल सॉफ सॉफ समझ चुकी थी कि वो अब मेरी…………………………… और मैं ऐसा करने के लिए बिल्कुल भी तैयार नही थी.

वो बोला, क्या हुवा, आ ना.

मैने कहा, ये क्या बदतमीज़ी है, तुम तो वो करने जा रहे हो, बात सिर्फ़ महसूस करने की थी.

वो बोला, पागल मत बन आजा तुझे अछा लगेगा.

मैं ये बाते सुन कर काँप गयी और मुझे वो सपना याद आ गया. मैं कितने करीब थी उस सपने के आज.

मैने कहा, नही बिल्लू, मैं ये सब नही कर सकती, मैं अपने पति को क्या जवाब दूँगी.

वो बोला, अरे उसे, कुछ पता नही चलेगा. तू चिंता मत कर, आजा मुझे करने दे.

मेरी आँखो के सामने, उसका लिंग हवा मे झूलता हुवा सॉफ दिख रहा था.

मैं सोचने लगी कि, अगर मैं मान भी जा-ऊँ तो भी ये इतना बड़ा अंदर कैसे जाएगा.

मुझे वो दिन याद आ गया जब संजय ने पहली बार वाहा डाला था. संजय का बिल्लू से छोटा था, पर फिर भी मेरी जान निकल गयी थी उनका अपने वाहा अंदर लेने मे.

वो मेरे पास आया और बोला, ऋतु एक बात कहु ?

मैने कहा, कुछ भी कहो पर मैं वो नही करूँगी.

वो बोला सुनो तो सही.

मैने कहा, बोलो क्या बोलना है ?

वो बोला, तेरी गांद बहुत सेक्सी है, मुझे लगता है कि इसे सेक्स का भरपूर मज़ा मिलना चाहिए.

मैं बोली चुप करो.

वो बोला, नही मैं सच कह रहा हू, तेरी गांद जैसी हॉट गांद मैने आज तक नही देखी, इसका सब कुछ पर्फेक्ट है.

ऐसी बाते सुन कर कोन नही शरमाएगा और मैने अपना चेहरा अपने हाथो मे छिपा लिया और बोली, बस करो मुझे शरम आ रही है.

वो फिर बोला,जब तुझे पहली बार देखा था तो यही सोचा था कि इसे तो किसी अगले जनम मे ही पाया जा सकता है, इस जनम मे तो मुझ ग़रीब की दाल नही गलेगी, और सच पूछो तो मुझे तेरा, मेरे इतने करीब आना सपना सा लगता है.

मैं बड़ी एमोशनल हो कर सब सुन रही थी.

मैं बोली, बिल्लू बस करो मैं बहक रही हू.

वो बोला, अगर बहक जाओ तो अछा है, इस ग़रीब का भरम टूट जाएगा कि तुझे सिर्फ़ अगले जनम मे ही पाया जा सकता है.

मैं बोली, प्लीज़ बस करो अब, मुझे कुछ-कुछ हो रहा है, मैं जा रही हू.

वो बोला, क्या तू मेरा ये भरम तोड़ॉगी कि तुझे सिर्फ़ अगले जनम मे पाया जा सकता है.

मैं सोच रही थी कि क्या जवाब दू इस बात का.

मेरे पास कोई जवाब नही था.

इतनी तारीफ़ मैने आज तक किसी और से तो क्या अपने पति से भी नही सुनी थी.

वह मेरे पीछे आ गया और बोला, ले मैं अपना भरम तोड़ने की एक कोशिस करता हू, अब मेरी जीत तेरे हाथ है.

अब तक उसके लिंग से, थूक सुख चुका था, और मेरे वाहा जो उसने थूक लगाया था वो भी गायब हो चुका था.

उसने मेरे नितंबो को फैलाया और मेरे गुदा द्वार पर, ढेर सारा थूक लगा दिया.

मैं कुछ भी कह पाने की स्थिति मे नही थी.

कहती भी तो क्या कहती ?

मेरे सरीर मे बीजली की तेज़ी से लहरे उठने लगी.

मैने पीछे मूड कर देखा तो, वो अपने लिंग पर फिर से थूक लगा रहा था.

उसने मेरी आँखो मे देखा और बोला, प्लीज़ थोडा सा झुक जा.

मैं शर्मा गयी, और उसके लिए मदहोश हो कर झुक गयी

झुक कर मैने एक हाथ से एक मजबूत झाड़ी को थाम लिया.

मेरी सारी मर्यादाओ की उन झाड़ियो मे धज़िया उड़ गयी.

मेरा दीमाग अब काम करना बंद कर चुका था.

उसने अपने दोनो हाथो से, मेरे नितंबो को फैलाया और अपना लिंग मेरे गुदा द्वार पर टीका दिया.

अब बस एक हल्के से धक्के की देर थी और वो मेरे अंदर होता.

वो बोला, जब तक तुम डालने को नही कहोगी मैं नही डालूँगा.

raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 31 Oct 2014 09:03

मैं अजीब प्रॉब्लम मे फस गयी.

मैने कहा प्लीज़ जो करना है कर लो, मैं कुछ नही बोल सकती.

वो बोला, मेरा भरम टूटने के लिए ये ज़रूरी है.

वो अपना लिंग वाहा टीकाए खड़ा रहा और मैं खामोसी से झुकी रही.

वो बोला, प्लीज़ बोल ना क्या करू, हटा लू या डाल दू.

मैं आज तक अपने पति को भी ऐसी बाते नही बोल पाई थी, इसलिए बड़ी परेशान हालत मे थी.

वो फिर बोला, प्लीज़ बोल ना क्या करू.

मैं बोल पड़ी, डाल दो.

वो बोला, क्या कहा ? फिर से कहो.

मैने शरमाते हुवे कहा, डाल दो.

और वक्त मानो थम गया.

उसने एक हल्का सा धक्का मारा और उसका लिंग एक इंच अंदर सरक गया.

मैं दर्द से चीन्ख उठी….आआययययीीईईईईईईईई. और बोली, ज़रा धीरे से.

वो वही रुक गया.

वो बोला, मैं धीरे-धीरे पूरा डालूँगा तू चिंता मत करना दर्द नही होने दूँगा.

वह बहुत धीरे-धीरे मेरे गुदा द्वार मे अपना लिंग सरकने लगा.

मैं ये देख रही थी कि, बिल्लू अपने शब्दो का पक्का है.

मुझे दर्द तो बहुत हो रहा था पर मैं चुपचाप वाहा झुके हुवे सब झेल रही थी.

मैं चिल्ला कर पड़ोसियो को नही सुना सकती थी.

धीरे, धीरे उसने अपना पूरा लिंग मेरे अंदर सरका दिया और बोला, अहह , तूने आख़िर मेरा भरम तोड़ ही दिया. तू सच मे सुंदर ही नही एक अछी इंसान भी है.

मैं हैरान थी क़ि उसका इतना लंबा लिंग पूरा मेरी गुदा मे समा चुका है.

मैं उसके जाल मे पूरी तरह फस चुकी थी.

मुझे वाहा झुके, झुके ये ख्याल आ रहा था कि आख़िर इस बिल्लू ने मेरी ……………… मैं अपनी मर्यादाओ की बात हार चुकी थी.

उसने पूछा, क्या अब मैं मारु.

मैं शरम से लाल हो कर बेचन हो गयी.

वो बोला, मैने अब तुझे पा लिया है, तू चाहे तो मैं बाहर निकाल सकता हू, बता निकल लू, या फिर, तेरी सेक्सी गांद मारना सुरू कर दू.

मैं हैरान थी कि हे भगवान ये मुझ से क्या पूछ रहा है, मैं कैसे जवाब दूँगी.

वो बोला, जब तक तू नही बोलेगी मैं आगे नही बढ़ुंगा.

मैं अपने अंदर उसका लिंग लिए, चुपचाप झुकी रही.

वो फिर बोला, बोल ना क्या करू.

मैं पहले भी देख चुकी थी कि ये सुने बगैर नही मानेगा.

मैं सोच रही थी कि जब इसने पूरा मेरे अंदर डाल ही दिया है, तो अब क्या रह गया है.

उसने फिर पूछा बोल ना मारु या नही.

मैने कहा “मार लो”

वो जैसे ये सुन कर पागल हो गया और बोला, थॅंकआइयू.

उसने अपना पूरा लिंग बाहर की ओर खींचा और इस-से पहले कि वो पूरा बाहर निकल पाता, उसे फिर से मेरे अंदर धकेल दिया.

मेरी साँसे थम गयी और मेरी आँखो के आगे अंधेरा छा गया. बहुत ही अछा सा अहसास हो रहा था.

वो बार-बार उसे बाहर की और खींचता और बार-बार अंदर धकेल्ता.

मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था. उसका लंबा लिंग मेरे नितंबो की हर गहराई तक पहुँच रहा था.

मैं सोच रही थी कि ऐसा मज़ा तो संजय के साथ भी नही आया, ये बिल्लू चीज़ क्या है.

और मैं अचानक ये बाते सोच कर खुद पर शर्मिंदा हो गयी और मैने सॉरी महसूस किया कि कम से कम मुझे संजय के साथ कुछ कंपेर नही करना चाहिए. आख़िर उनकी क्या ग़लती है ? उन्होने तो अब तक मुझे दुनिया की हर ख़ुसी दी थी.

raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 31 Oct 2014 09:04

अचानक मैने महसूस किया कि बिल्लू की स्पीड बढ़ गयी है.

उसके धक्को की स्पीड बढ़ते ही मेरा मज़ा भी काई गुना बढ़ गया.

मैं हैरान थी कि मैं कैसे उसके हर धक्के का मज़ा ले रही हू. अभी कल तक तो मैं उसे भुला देना चाहती थी

बिल्लू ने पूछा, कैसा लग रहा है.

मैने कहा, बहुत अछा.

वो ये सुन कर ज़ोर से हंस पड़ा और बोला, मुझे तेरे से भी ज़्यादा मज़ा आ रहा है. ऐसी सुंदर गांद रोज कहा मिलती है.

मैं ये सुन कर शरम से लाल हो गयी.

मैने अचानक महसूस किया कि मेरी योनि से नादिया बह निकली है और उसका पानी मेरी टाँगो तक आ गया है.

वो बोला, बता कितनी देर तक मारु. तू जितना कहेगी, मैं मारता रहूँगा.

मैं शर्मा गयी और उस से पूछा, टाइम क्या हुवा है. वो बोला 3:30.

ये सुनते ही, मेरे पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गयी.

संजय 3 बजे घर आने वाले थे. और चिंटू की स्कूल बस भी आने वाली होगी (चिंटू वैसे 2 बजे तक घर आ जाता था, आज उनके स्कूल से बचो को पिक्निक पर ले गये थे. 4 बजे तक लोटने का प्लान था.)

मैं होश मे आई और बोली, जल्दी ख़तम कर दो, मेरे पति घर आ चुके होंगे और मुझे ढूंड रहे होंगे.

वो बोला, अरे ये तो मुझे भी ध्यान नही रहा.

उसने अपने धक्को की स्पीड और तेज कर दी.

मैं फिर से आनंद के अताह सागर मे डूब गयी.

वो चीन्ख उठा, आआहह………….. और ढेर सारा गरम, गरम पानी मेरी गुदा मे डाल दिया.

वो बोला, ऐसा मज़ा आज तक नही आया, थॅंकआइयू, वेरी मच.

मैने शरमाते हुवे कहा, प्लीज़ अब निकाल लो मुझे जल्दी जाना है.

वो बोला, ओह हा, सॉरी मैं फिर से भूल गया.

उसने धीरे से अपना लिंग बाहर निकाल लिया, और मैं सीधी खड़ी हो गयी.

मेरे पाँव लड़खड़ा रहे थे. मुझे भी ऐसा मज़ा कभी नही आया था. मुझे अपनी गुदा मे अब हल्का हल्का दर्द हो रहा था.

मैने अपनी सलवार पहनी और बिल्लू से कहा, मैं चलती हू.

वो बोला, रुक तो.

मैने कहा, अभी बिल्कुल वक्त नही है. संजय मुझे ढूंड रहे होंगे.

मैं कपड़े पहन कर झाड़ियो से निकली और खिड़की के नीचे से थोडा झुक कर चलने लगी.

मुझे डर था कि अगर संजय घर मे हुवे तो कही मुझे खिड़की से यहा ना देख ले.

मैने पीछे मूड कर देखा तो पाया कि वो उन झाड़ियो से मुझे ऐसे जाते हुवे देख कर मुस्कुरा रहा था.

घर पहुँच कर मैने पाया कि संजय टीवी देख रहे है.

मुझे देखते ही वो बोले, कहा थी तुम ?

मैने डरते, डरते कहा वो मेरे कॉलेज की एक फ्रेंड आई थी उसी के साथ मार्केट चली गयी थी सॉरी लेट हो गयी.

संजय बोले, तुम खाना भी बना कर नही गयी.

मैं खुद पर बहुत ज़्यादा शर्मिंदा हो गयी और आज के दिन को कोसने लगी,

मैने कहा, मैं अभी कुछ बनाती हू. वो बोले कोई बात नही मैं बाहर खा लूँगा, तुम चिंता मत करो, मैं अब लेट हो रहा हू.

उन्होने मेरे चेहरे पर हाथ रखा और बोले, बाइ शाम को मिलते है.

मेरी आँखो मे आँसू आने को हो गये, कि मैं संजय को धोका दे रही हू और ये मुझे इतना प्यार करते है.

मैं संजय के जाने के बाद फॉरन बाथरूम मे चली गयी और नहाने लगी.

नहा कर मैने कपड़े चेंज किए और वो कपड़े अख़बार मे लपेटे कर कूड़ेदान मे डाल दिए.

मैं आज की कोई याद रखना नही चाहती थी.

वक्त जैसे खुद को दोहरा रहा था.

मैं खिड़की मे आई तो पाया बिल्लू अभी भी वही है.

वो मुझे देख कर खिड़की के पास आने लगा और मैने गुस्से मे खिड़की बंद कर दी और अपने बेडरूम मे आकर अपनी किस्मत पर रोने लगी. आज मेरा सब कुछ लूट चुका था.

मैने खुद को संभाला, और फ़ैसला किया कि, ये पहली और आखरी बार था, अब मैं बिल्लू को कभी कोई मोका नही दूँगी.


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