गतान्क से आगे......
जब हम लोग थोड़ा आराम करने के बाद उठे तो सबने थोड़ा चाइ नाश्ता किया. नाश्ता करने के बाद रवि ने कहा, "चलो थोड़ा घूम आते हैं जिससे हम इस महॉल से वाकिफ़ हो जाएँगे."
जिस होटेल में हम रुके थे वहाँ हर प्रकार सुख सुविधा थी. टेन्निस कोर्ट बना हुआ था, जिम था, सन बाथ, और ढेर सारी दुकाने शॉपिंग के लिए. जो कुछ भी किसी को चाहिए वहाँ उपलब्ध था. एक बार था जो 24 घंटे खुला रहता था.
घूमते घूमते हम होटेल के स्विम्मिंग पूल के पास आ गये. वहाँ काफ़ी भीड़ थी और कई लोग पूल मे तेर रहे थे. राज और रश्मि भी अपने कपड़े उतार पानी मे उत्तर गये. रवि ने मेरी तरफ देखा तो मेने भी अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए. में भी अपनी ब्रा और पॅंटी पहने पानी मे कूद पड़ी.
रवि बार की तरफ चला गया. जब वो हम सभी के लिए ड्रिंक्स लेकर लौटा तो मेने देखा कि औरतों की नज़र उसकी लंड वाले हिस्से पर टिकी हुई थी. उसका लंड खड़ा था और उसकी शॉर्ट्स पर से उसकी मोटाई झलक रही थी.
थोड़ी देर स्नान करने के बाद हम सब अपने पेंटहाउस मे आ गये. कपड़े बदलने के बाद हम सब रात के कहने के लिए तय्यार थे.
होटेल के रेस्टोरेंट मे हम सभी ने खाना खाया. खाना काफ़ी स्वादिष्ट था. खाना खाने के बाद हम लाउंजस मे बैठे कॉफी पी रहे थे. आख़िर हम सब कमरे मे लौट आए और सोने की तय्यारी करने लगे.
मैं और रवि एक बिस्तर पर थे और राज और रश्मि एक बिस्तर पर. उस रात रवि ने मुझे कई बार कस कर चोदा और मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दिया. राज ने भी रश्मि की जम कर चुदाई की. जब वो तक कर सो गया तो रश्मि हमारे साथ हमारे बिस्तर पर आ गयी और मेरे उपर लेट अपनी चूत मेरे मुँह मे दे दी. हम 69 अवस्था मे एक दूसरे की चूत चूस रहे थे. तभी रवि ने अपना लंड मेरी गांद मे डाल कर धक्के लगाने लगा. तभी राज भी उठ गया और उसने अपना लंड रश्मि की गंद मे डाल दिया. आख़िर हम सब तक कर सो गये.
हनिमून का पहला दिन
मुझे पहली बार पता चला कि जब किसी मर्द लंड पेशाब से भरा हो तो वो चुदाई कैसे करता है. रवि का लंड खूटे की तरह तना था और वो मेरी चूत मे घुसकर कस के धक्के मार रहा था. मैं उसके धक्कों को सहन नही कर पा रही थी, मेने उसे रुकने को कहा. रवि ने अपना लंड बाहर निकाला और बाथरूम मे पिशाब करने चला गया.
जब वो बाथरूम से बाहर आया तो उसने अपना लंड मेरे मुँह के सामने कर दिया, "प्रीति इसे चूसो ना देखो कितना भूका है ये."
मेने उसका लंड अपने मुँह मे ले लिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी रवि ने अपना हाथ मेरे सिर पर रख दिया और अपने लंड को अंदर तक घुसा दिया. अब वो मेरे मुँह मे धक्के लगा रहा था, "ओह हाआाआअँ चूऊसो ईसीई ओह आआआ ओह प्रीति कितना अच्छा लंड चूसती हो तुम ओह मेरा छूटाआआ." कहकर उसने अपने वीर्य की पिचकारी मेरे मुँह मे छोड़ दी. मैं उसका सारा वीर्य पी गयी.
फिर हम सब स्नान करने के बाद नीचे रेस्टोरेंट मे नाश्ता करने चले गये. नाश्ते के बाद हमने साइटसीयिंग का प्रोग्राम बनाया हुआ था. पूरे दिन मनाली की सैर करने के बाद हम जब शाम को होटेल पहुँचे. घूमते घूमते हमारी दोस्ती कई लोगो से हो गयी थी.
हमारी दोस्ती दो ऐसी लड़कियों से हुई जो घूमने आई हुई थी. उनकी हरकतों को देख कर में समझ गयी वो लेज़्बीयन है. उनका नाम रीता और अनीता था. हमारी जान पहचान एक जोड़े विनोद और शीला से हुई जो हनिमून मनाने आए थे.
जब इन चारों को मालूम हुआ कि हम चारों एक ही कमरे में रहकर साथ साथ चुदाई करते है तो उन्हे विश्वास नही हुआ. हम सब लोगों ने मिलकर रात का खाना साथ साथ खाया. जब रात हुई तो रवि ने पूछा, "रात का क्या प्रोग्राम है."
पता नही मेरी बहू रश्मि के मन में क्या था, "राज आज में और प्रीति रीता और नीता के साथ उनके कमरे में सोएंगे."
राज कोई जवाब देता उससे पहले रवि ने कहा, "हमे कोई आपत्ति नही है, हम भी शायद आज की रात विनोद और शीला के साथ गुजरेंगे."
शायद रवि की विनोद और शीला से कुछ बात हो चुकी थी. उन्होने मेरी और रश्मि की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए अपना हाथ हिला दिया.
जब सब लोग तक गये थे तो एक बार की लिए सब अपने अपने कमरे में चले गये कपड़े बदलने के लिए.
जब में अपने कमरे में रश्मि के साथ पहुँची तो उसने अपने कपड़े उतार दिए. फिर रश्मि ने एक छोटी सी शॉर्ट और टीशर्ट पहन ली बिना ब्रा और अंडरवेर के, "क्या इतना ही पहनोगी रात को उन लड़कियों की पार्टी मे जाने के लिए." मेने हंसते हुए पूछा.
"एक बार उनके कमरे में पहुँचेंगे तो शायद ये भी बदन पर नही रहेंगे, हम वहाँ चुदाई के लिए जा रहे है ना कि रात का खाना खाने के लिए." रश्मि अपनी चुचियों को मसल्ते हुए बोली.
मेने रश्मि की तरह शॉर्ट्स और टीशर्ट पहन ली. मुझे अस्चर्य हो रहा था कि मैं रश्मि के साथ जाने को कैसे तय्यार हो गयी. आज तक मेने रश्मि के सिवा किसी और औरत के साथ सेक्स का मज़ा नही लिया था. पर आने वाली रात के बारे में सोच कर ही मेरे शरीर मे सुरसुरी दौड़ रही थी.
"तुम दोनो ने क्या प्रोग्राम बनाया है." रश्मि ने राज और रवि से पूछा.
"हम दोनो विनोद और शीला के रूम मे जा रहे है. शीला ने कभी तीन मर्दों से एक साथ नही चुडवाया है और वो इसका मज़ा लेना चाहती है." राज ने हंसते हुए कहा.
"म्म्म्ममम अछा है मज़े करो." रश्मि ने कहा.
हम चारों अपने रूम से निकले और अपने अपने स्थान की ओर बढ़ गये.
मैं और मेरी बहू compleet
Re: मैं और मेरी बहू
जब हम उन लड़कियों के कमरे पे पहुँचे तो रीता ने दरवाज़ा खोला. वो पूरी तरह नंगी थी. कमरे मे आने के बाद मेने देखा की अनीता भी नंगी ही सोफे पर बैठी थी. रश्मि ने तुरंत अपनी शॉर्ट और टीशर्ट उतार कर कमरे के एक कौने मे फैंक दी. तीनो लड़कियाँ मेरी तरफ देख इस बात का इंतेज़ार कर रहीं थी कि में कब कपड़े उतारती हूँ. मेने रश्मि की नकल करते हुए अपने कपड़े उतार दिए.
मेने नंगी लड़कियों की ओर देखा. सब अपने आप में सुंदरता की मूरत थी. रीता के लंबे बदन की लड़की थी, सुडौल कमर लंबी टाँगे और भरे भरे चुतताड. अनीता उसके मुक़ाबले थोड़ी भरे बदन की थी, भारी भारी चुचियाँ और मसल जंघे. दोनो ने अपनी चूत के बालों को तराशा हुआ था जिससे उनकी चूत बड़ी प्यारी लग रही थी.
रीता और अनीता मेरे पास आई और बोली, "शरमाने की ज़रूरत नही है."
फिर उन्होने रश्मि को पकड़ कर बिस्तर पे बिठा दिया और खुद उसके अगल बगल बैठ गयी. फिर सब बातें करने लगे. ऊन्दोनो ने मुझे भी अपने बगल मे बीत लिया और बातें करने लगे. थोड़ी देर में ही बातों का विषय सेक्स पर आ गया.
रीता और अनीता बताने लगे कि किस तरह उन्हे मर्दों से ज़्यादा आपस मे सेक्स करने में मज़ा आता है. में समझ गयी कि ये दोनो लेज़्बीयन है. और इन्हे औरतों के साथ सेक्स में अच्छा लगता है. मेने आज तक रश्मि के अलावा किसी और औरत के साथ सेक्स नही किया था, और आज में एक नही तीन लड़कियों के साथ इस कमरे मे थी. तीन लड़कियों के साथ सेक्स का अनुभव ये सोच कर ही मेरे बदन मे एक सिरहन सी दौड़ गयी.
"तुम कितनी सेक्सी लगती हो?" कहकर रीता राशिम के बदन पर अपने हाथ फिराने लगी.
अनीता भी अब मेरे शरीर पर हाथ फिराने लगी. उसने मेरी चुचियों के भींचते हुए कहा, "क्या आपने कभी नकली लंड यानी डिल्डो का मज़ा लिया है?"
"नही हमने ये मज़ा आज तक नही लिया पर राज और रवि ने एक साथ हमे मज़ा ज़रूर दिया है." रश्मि ने जवाब दिया.
अनीता ने मुझे बिस्तर पर धकेल दिया और घूम कर मेरे उपर आ गयी. उसने अपनी चूत मेरे मुँह पर रखी और खुद मेरी टाँगो को फैला मेरी चूत को चूसने लगी. में भी अपने अंदर की उत्तेजना को रोक नही पाई और उसके चुतताड पकड़ अपनी जीभ उसकी चूत मे घुसा दी.
वही हाल रश्मि का था. रीता उसके उप्पर लेट उसकी चूत को चूस रही थी और रश्मि नीचे से अपनी जीभ रीता की चूत के अंदर घुसाए हुए थी.
अनिता अपनी जीभ को मेरी गांद के छेद तक ले जाती और फिर अपनी जीब को रगड़ते हुई मेरी चूत तक ले आती. जब वो अपनी नुकीली जीभ से मेरी गांद के छेद पे घूमती तो अजीब सी गुदगुदी और सनसनी मच जाती. मैं जोश मे ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत को चूस रही थी. हम दोनो की रफ़्तार बढ़ी हुई थी और मेरे सब्र का बाँध छूटने वाला था. मेने अपने हाथों से उसके सिर को अपनी चूत पर और दबा दिया और मेरी चूत ने तभी पानी छोड़ दिया. अनीता की चूत ने भी पानी छोड़ा तो मेरा मुँह पूरा का पूरा भर गया. बड़ी मुश्किल से में उसके पानी को गटक पाई.
अनीता मेरी चूत को इस तरह चूस रही थी जिससे एक बूँद भी अंदर ना रह जाए. रश्मि की भी यही हालत थी. अब रीता और अनीता ने अपनी जगह बदल ली. रीता नीचे लेट गयी और मुझे खुद के उप्पर कर लिया.
फ़र्क सिर्फ़ इतना था कि रीता मेरी चूत चूसने के साथ साथ मेरी गांद मे अपनी उंगली डाल अंदर बाहर कर रही थी. इस दोहरे मज़े ने मुझे और उत्तेजित कर दिया था. तभी मेने देखा की अनीता अपनी जांघों पर नकली लंड लपेटे मेरी गांद मे पीछे आ गयी है.
अनीता ने थोडा थूक अपनी उंगलियों पे लिया और मेरी गांद को चिकना करने लगी, वहीं रीता की जीब मेरी चूत मे खलबली मचाए हुए थी. अनिता ने अब डिल्डो को मेरी गांद के छेद पे रखा और धीरे धीरे अंदर घुसाने लगी.
में नही देख पा रही थी, पर लंड के घुसने से मुझे आससास हुआ कि नकली लंड रवि के लंड से भी मोटा है. वो मेरी गांद की दरारों को चीरता हुआ अंदर घुस रहा था और में दर्द से चिल्ला पड़ी, "उउउइईई माआर गयययी."
अनीता ने मेरी चीख पर ध्यान नही दिया और एक ही धक्के मे पूरा लंड मेरी गांद मे पेल दिया. रीता की जीभ मेरी गांद के छेद के पास से होती हुई मेरी चूत पर आती तो उस मज़े ने मेरा दर्द कम कर दिया. मैं भी अपनी गांद पीछे कर मज़े लेने लगी.
ये खेल पूरी रात चलता रहा. मेने भी अपनी कमर पर नकली लंड बाँध रश्मि की गांद की धुनाई की और अनीत और रीता उसकी चूत को साथ चूसी. ना जाने कब तक कर हम चारों सो गये.
दूसरे दिन की सुबह
सुबह हम उठे और अपने कमरे मे आ गये. राज और रवि गहरी नींद मे सोए हुए थे. मेने घड़ी मे समय देखा सुबह के 11.30 बज चुके थे. मेने उन दोनो को उठाया और तय्यार होने को कहा जिससे हम चारों नाश्ता कर सके.
तयार होते होते नाश्ते का समय निकल चुका था. हम चारों खाने की टेबल पर बैठे थे और एक दूसरे को अपनी रात के किस्से सुना रहे थे. राज और रवि बताने लगे कि किस तरह उन दोनो ने शीला की चूत चोदि.
राज ने कहा, "सबसे पहले मेने शीला की चूत चोदि फिर उसके पति विनोद ने. जब रवि ने अपना लंड उसकी चूत मे घुसाया तो उत्तेजना में इतना पागल हो गयी कि उछल उछल कर मज़े लेने लगी. वो तब तक चुदति रही जब तक रवि ने अपना वीर्य उसकी चूत मे नही छोड़ दिया."
राज ने फिर कहा, "फिर मेने अपनी जिंदगी की पहली कुँवारी गांद मारी. रवि और विनोद ने मिलकर उसे घोड़ी बना दिया और फिर विनोद ने उसकी गांद को वॅसलीन से एक दम चिकना कर दिया. रवि के मुक़ाबले मेरा लंड छोटा है इससे उसकी गांद को ज़्यादा दर्द नही हुआ."
"हां पहले तो वो थोड़ा चीखी थी फिर उसे भी मज़ा आने लगा. राज के बाद विनोद ने और फिर मेने उसकी गांद मारी. कसम से क्या कमसिन और कसी कसी गांद थी. मैं तो पागल ही हो गया था उसकी गांद मे लंड घुसा कर." रवि अपने लंड पर हाथ फेरते हुए बोला.
"शीला ने पहले कभी गांद नही मरवाई थी. और काफ़ी दिनो से वो ऐसा करना चाहती थी. जब राज के लंड ने उसकी गांद को थोड़ा ढीला कर दिया तो उसे इतना मज़ा आया कि वो मेरे और राज के लंड को ज़ोर ज़ोर से चूस्ति रही और उसका पति उसकी गांद मे अपना लंड डाले पेलता रहा." रवि ने कहा.
राज ने कहना शुरू किया "शीला का पति देखना चाहता था कि उसकी पत्नी तीन लंड को एक साथ कैसे लेती है, इसलिए रवि बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया. फिर शीला रवि की कमर के अगाल बगल टाँगे रख बैठ गयी और उसका लंड अपनी चूत मे डाल लिया. फिर मेने पीछे से अपना लंड उसकी गांद मे डाल दिया और विनोद सामने से उसके मुँह मे लंड दे दिया. वो अपना लंड चूसाते हुए पूरा नज़ारा देख रहा था."
मेने नंगी लड़कियों की ओर देखा. सब अपने आप में सुंदरता की मूरत थी. रीता के लंबे बदन की लड़की थी, सुडौल कमर लंबी टाँगे और भरे भरे चुतताड. अनीता उसके मुक़ाबले थोड़ी भरे बदन की थी, भारी भारी चुचियाँ और मसल जंघे. दोनो ने अपनी चूत के बालों को तराशा हुआ था जिससे उनकी चूत बड़ी प्यारी लग रही थी.
रीता और अनीता मेरे पास आई और बोली, "शरमाने की ज़रूरत नही है."
फिर उन्होने रश्मि को पकड़ कर बिस्तर पे बिठा दिया और खुद उसके अगल बगल बैठ गयी. फिर सब बातें करने लगे. ऊन्दोनो ने मुझे भी अपने बगल मे बीत लिया और बातें करने लगे. थोड़ी देर में ही बातों का विषय सेक्स पर आ गया.
रीता और अनीता बताने लगे कि किस तरह उन्हे मर्दों से ज़्यादा आपस मे सेक्स करने में मज़ा आता है. में समझ गयी कि ये दोनो लेज़्बीयन है. और इन्हे औरतों के साथ सेक्स में अच्छा लगता है. मेने आज तक रश्मि के अलावा किसी और औरत के साथ सेक्स नही किया था, और आज में एक नही तीन लड़कियों के साथ इस कमरे मे थी. तीन लड़कियों के साथ सेक्स का अनुभव ये सोच कर ही मेरे बदन मे एक सिरहन सी दौड़ गयी.
"तुम कितनी सेक्सी लगती हो?" कहकर रीता राशिम के बदन पर अपने हाथ फिराने लगी.
अनीता भी अब मेरे शरीर पर हाथ फिराने लगी. उसने मेरी चुचियों के भींचते हुए कहा, "क्या आपने कभी नकली लंड यानी डिल्डो का मज़ा लिया है?"
"नही हमने ये मज़ा आज तक नही लिया पर राज और रवि ने एक साथ हमे मज़ा ज़रूर दिया है." रश्मि ने जवाब दिया.
अनीता ने मुझे बिस्तर पर धकेल दिया और घूम कर मेरे उपर आ गयी. उसने अपनी चूत मेरे मुँह पर रखी और खुद मेरी टाँगो को फैला मेरी चूत को चूसने लगी. में भी अपने अंदर की उत्तेजना को रोक नही पाई और उसके चुतताड पकड़ अपनी जीभ उसकी चूत मे घुसा दी.
वही हाल रश्मि का था. रीता उसके उप्पर लेट उसकी चूत को चूस रही थी और रश्मि नीचे से अपनी जीभ रीता की चूत के अंदर घुसाए हुए थी.
अनिता अपनी जीभ को मेरी गांद के छेद तक ले जाती और फिर अपनी जीब को रगड़ते हुई मेरी चूत तक ले आती. जब वो अपनी नुकीली जीभ से मेरी गांद के छेद पे घूमती तो अजीब सी गुदगुदी और सनसनी मच जाती. मैं जोश मे ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत को चूस रही थी. हम दोनो की रफ़्तार बढ़ी हुई थी और मेरे सब्र का बाँध छूटने वाला था. मेने अपने हाथों से उसके सिर को अपनी चूत पर और दबा दिया और मेरी चूत ने तभी पानी छोड़ दिया. अनीता की चूत ने भी पानी छोड़ा तो मेरा मुँह पूरा का पूरा भर गया. बड़ी मुश्किल से में उसके पानी को गटक पाई.
अनीता मेरी चूत को इस तरह चूस रही थी जिससे एक बूँद भी अंदर ना रह जाए. रश्मि की भी यही हालत थी. अब रीता और अनीता ने अपनी जगह बदल ली. रीता नीचे लेट गयी और मुझे खुद के उप्पर कर लिया.
फ़र्क सिर्फ़ इतना था कि रीता मेरी चूत चूसने के साथ साथ मेरी गांद मे अपनी उंगली डाल अंदर बाहर कर रही थी. इस दोहरे मज़े ने मुझे और उत्तेजित कर दिया था. तभी मेने देखा की अनीता अपनी जांघों पर नकली लंड लपेटे मेरी गांद मे पीछे आ गयी है.
अनीता ने थोडा थूक अपनी उंगलियों पे लिया और मेरी गांद को चिकना करने लगी, वहीं रीता की जीब मेरी चूत मे खलबली मचाए हुए थी. अनिता ने अब डिल्डो को मेरी गांद के छेद पे रखा और धीरे धीरे अंदर घुसाने लगी.
में नही देख पा रही थी, पर लंड के घुसने से मुझे आससास हुआ कि नकली लंड रवि के लंड से भी मोटा है. वो मेरी गांद की दरारों को चीरता हुआ अंदर घुस रहा था और में दर्द से चिल्ला पड़ी, "उउउइईई माआर गयययी."
अनीता ने मेरी चीख पर ध्यान नही दिया और एक ही धक्के मे पूरा लंड मेरी गांद मे पेल दिया. रीता की जीभ मेरी गांद के छेद के पास से होती हुई मेरी चूत पर आती तो उस मज़े ने मेरा दर्द कम कर दिया. मैं भी अपनी गांद पीछे कर मज़े लेने लगी.
ये खेल पूरी रात चलता रहा. मेने भी अपनी कमर पर नकली लंड बाँध रश्मि की गांद की धुनाई की और अनीत और रीता उसकी चूत को साथ चूसी. ना जाने कब तक कर हम चारों सो गये.
दूसरे दिन की सुबह
सुबह हम उठे और अपने कमरे मे आ गये. राज और रवि गहरी नींद मे सोए हुए थे. मेने घड़ी मे समय देखा सुबह के 11.30 बज चुके थे. मेने उन दोनो को उठाया और तय्यार होने को कहा जिससे हम चारों नाश्ता कर सके.
तयार होते होते नाश्ते का समय निकल चुका था. हम चारों खाने की टेबल पर बैठे थे और एक दूसरे को अपनी रात के किस्से सुना रहे थे. राज और रवि बताने लगे कि किस तरह उन दोनो ने शीला की चूत चोदि.
राज ने कहा, "सबसे पहले मेने शीला की चूत चोदि फिर उसके पति विनोद ने. जब रवि ने अपना लंड उसकी चूत मे घुसाया तो उत्तेजना में इतना पागल हो गयी कि उछल उछल कर मज़े लेने लगी. वो तब तक चुदति रही जब तक रवि ने अपना वीर्य उसकी चूत मे नही छोड़ दिया."
राज ने फिर कहा, "फिर मेने अपनी जिंदगी की पहली कुँवारी गांद मारी. रवि और विनोद ने मिलकर उसे घोड़ी बना दिया और फिर विनोद ने उसकी गांद को वॅसलीन से एक दम चिकना कर दिया. रवि के मुक़ाबले मेरा लंड छोटा है इससे उसकी गांद को ज़्यादा दर्द नही हुआ."
"हां पहले तो वो थोड़ा चीखी थी फिर उसे भी मज़ा आने लगा. राज के बाद विनोद ने और फिर मेने उसकी गांद मारी. कसम से क्या कमसिन और कसी कसी गांद थी. मैं तो पागल ही हो गया था उसकी गांद मे लंड घुसा कर." रवि अपने लंड पर हाथ फेरते हुए बोला.
"शीला ने पहले कभी गांद नही मरवाई थी. और काफ़ी दिनो से वो ऐसा करना चाहती थी. जब राज के लंड ने उसकी गांद को थोड़ा ढीला कर दिया तो उसे इतना मज़ा आया कि वो मेरे और राज के लंड को ज़ोर ज़ोर से चूस्ति रही और उसका पति उसकी गांद मे अपना लंड डाले पेलता रहा." रवि ने कहा.
राज ने कहना शुरू किया "शीला का पति देखना चाहता था कि उसकी पत्नी तीन लंड को एक साथ कैसे लेती है, इसलिए रवि बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया. फिर शीला रवि की कमर के अगाल बगल टाँगे रख बैठ गयी और उसका लंड अपनी चूत मे डाल लिया. फिर मेने पीछे से अपना लंड उसकी गांद मे डाल दिया और विनोद सामने से उसके मुँह मे लंड दे दिया. वो अपना लंड चूसाते हुए पूरा नज़ारा देख रहा था."
Re: मैं और मेरी बहू
तभी रवि ने बताया कि वो नीचे से धक्के लगाते हुए उसकी चुचियों को ज़ोर ज़ोर से मसल रहा था. शीला को चुदाई के दौरान अपनी चुचियाँ रगड़वाने और मसलवाने मे बहोत ही मज़ा आता है, वो उछल उछल कर धक्के लगाती है."
फिर राज कहने लगा, "प्रीति तुम नही जानती जब रवि का लंड नीचे से उसकी चूत मे घुसता तो मुझे ऐसा लगता कि शीला की गांद के अंदर हल्की सी चमड़ी की दूसरी ओर से उसका लंड मेरे लंड से टकरा रहा है, इतना मज़ा आ रहा था कि तुरंत ही मेरा पानी उसकी गांद मे छूट गया."
रवि ने कहा, "शीला इतने जोश मे थी और इस कदर मेरे लंड पर उछल कर धक्के लगा रही थी कि मे एक बार तो डर गया कि कहीं उसके चोट ना आ जाए. जब उसकी चूत ने पानी छोड़ा तो उसका शरीर इतनी ज़ोर से कांपा और वो मेरे बदन पर लुढ़क गयी."
"विनोद खुद ये नज़ारा देख अपने आपको रोक नही पाया और उसने उसके मुँह मे अपना वीर्य उगल दिया." राज ने बताया.
"शीला लुढ़क कर मेरे बगल मे आ गयी थी. मेरा पानी अभी छूटा नही था और मैं एक बार फिर उसकी गांद मारना चाहता था. में उसकी गांद मे अपना लंड घुसा दिया. शायद उसकी हिम्मत टूट चुकी थी, वो बेजान सी पड़ी थी." रवि ने कहा.
"पर तुमने उसके चेहरे का ख़ौफ़ नही देखा जब तुम्हारा मोटा लंड उसकी गांद के चिथड़े उड़ा रहा था." राज ने बीच मे कहा.
दोनो की कहानी सुनकर मेने कहा, "बेचारी शीला! उसकी तो तुम दोनो ने जान ही निकाल दी होगी? आज सुबह तो वो चल भी नही पा रही होगी?"
"अब रहने भी दो प्रीति. क्या हम दोनो इस दौर से नही गुज़रे है. तुम कुछ ज़्यादा ही उसके बारे मे सोच रही हो?" रश्मि ने कहा. "वो ठीक होगी और ठीक हमारी तरह चल फिर रही होगी, तुम चिंता मत करो."
रवि और राज की कहानी ने हमारे बदन को गरमा दिया था, "चलो कमरे मे चलते है?" रश्मि खड़ी होते हुए बोली.
हम चारों कमरे में पहुँचे और एक बार फिर चुदाई का दौर शुरू हो गया. जब हम थक कर चूर हो गये तो सब मिलकर घूमने जाने का प्रोग्राम बनाने लगे. पता नही शाम और रात के लिए इन तीनो के दिल मे क्या था.
टू बी कंटिन्यूड…………..
फिर राज कहने लगा, "प्रीति तुम नही जानती जब रवि का लंड नीचे से उसकी चूत मे घुसता तो मुझे ऐसा लगता कि शीला की गांद के अंदर हल्की सी चमड़ी की दूसरी ओर से उसका लंड मेरे लंड से टकरा रहा है, इतना मज़ा आ रहा था कि तुरंत ही मेरा पानी उसकी गांद मे छूट गया."
रवि ने कहा, "शीला इतने जोश मे थी और इस कदर मेरे लंड पर उछल कर धक्के लगा रही थी कि मे एक बार तो डर गया कि कहीं उसके चोट ना आ जाए. जब उसकी चूत ने पानी छोड़ा तो उसका शरीर इतनी ज़ोर से कांपा और वो मेरे बदन पर लुढ़क गयी."
"विनोद खुद ये नज़ारा देख अपने आपको रोक नही पाया और उसने उसके मुँह मे अपना वीर्य उगल दिया." राज ने बताया.
"शीला लुढ़क कर मेरे बगल मे आ गयी थी. मेरा पानी अभी छूटा नही था और मैं एक बार फिर उसकी गांद मारना चाहता था. में उसकी गांद मे अपना लंड घुसा दिया. शायद उसकी हिम्मत टूट चुकी थी, वो बेजान सी पड़ी थी." रवि ने कहा.
"पर तुमने उसके चेहरे का ख़ौफ़ नही देखा जब तुम्हारा मोटा लंड उसकी गांद के चिथड़े उड़ा रहा था." राज ने बीच मे कहा.
दोनो की कहानी सुनकर मेने कहा, "बेचारी शीला! उसकी तो तुम दोनो ने जान ही निकाल दी होगी? आज सुबह तो वो चल भी नही पा रही होगी?"
"अब रहने भी दो प्रीति. क्या हम दोनो इस दौर से नही गुज़रे है. तुम कुछ ज़्यादा ही उसके बारे मे सोच रही हो?" रश्मि ने कहा. "वो ठीक होगी और ठीक हमारी तरह चल फिर रही होगी, तुम चिंता मत करो."
रवि और राज की कहानी ने हमारे बदन को गरमा दिया था, "चलो कमरे मे चलते है?" रश्मि खड़ी होते हुए बोली.
हम चारों कमरे में पहुँचे और एक बार फिर चुदाई का दौर शुरू हो गया. जब हम थक कर चूर हो गये तो सब मिलकर घूमने जाने का प्रोग्राम बनाने लगे. पता नही शाम और रात के लिए इन तीनो के दिल मे क्या था.
टू बी कंटिन्यूड…………..