raj sharma stories
मेरी बेकाबू जवानी--6
गतान्क से आगे......
मेने कॉलेज से आते ही देखा के मम्मी घर पे ही थी, मे कॉलेज आते समय मेहन्दी के पॅकेट लेके आई थी. सो मेने हाथ मूह धोके, मम्मी से कहा
“ मेरे हाथो और पैरो पे मेहन्दी रचानी है, मुझे अपने नये घर मे आके बहुत अच्छा लगा इस लिए” मम्मी ने कहा “ बेटी तुमने बहुत जल्दी यहा के महॉल को अपना बना दिया, मे बहुत खुस हू, मे तुम्हारे आज बढ़िया मेहन्दी रचा दूँगी, जैसे शादी मे रचा ते है, लेकिन तुम अभी छोटी हो, वरना मे तुम्हारे पति का नाम इस्पे लिख देती और तुम जब अपने पति से मिलो तो उसे अपना नाम कहा लिखा है वो ढूँढ ना पड़ता” मेने कहा “ मम्मी अभी तो शादी नही लेकिन तुम मेरे लेफ्ट हाथ पे “आर” बनाना और राइट हाथ पे “एस” बनाना, कुयंकि आर फॉर रियल और एस फॉर शमा याने के रियल शमा” मम्मी की इंग्लीश वीक थी सो उन्होने मुझे उसका मतलब नही पूछा और कहा “ हा ठीक है”. में अपने हाथो और पैरो मे मेहन्दी रचा ने के बाद अपने कमरे मे आके सो गयी और मेने मम्मी को बोला था कि मे रात को खाना नही खाउन्गी. मे ने घड़ी मे रात के 12 बजे का अलार्म लगा दिया था. मे ने सपने मे देखा कि कैसे अंकल मेरे हाथो की मेहन्दी को चूम रहे थे कि अलार्म बज गया और मेने अपने हाथो और पैरो को अच्छी तरह धो दिया. मेने अपने बालो मे मम्मी से तेल भी लगवाया था, क्यूंकी अंकल उन्हे हर वक़्त बहुत ज़ोर से खिच ते थे. मेने बाथरूम जाके अपने सारे बालो को अच्छे से धोके और मेरे पूरे जिस्म को साबुन से धो दिया. मेने सुबह के अपने बालो को गीला ही रहने दिया. फिर अपने हाथो की मेहन्दी को देखा और उसमे “आर” और “एस” को देख के मुस्करा रही थी, और सोच रही थी अगर राज अंकल मेरे पति बन जाए तो मुझे हर वक़्त अपने पास ही रख ते, क्यूंकी उनकी कॉलेज मे काफ़ी जान पहचान थी, सो मुझे कॉलेज भी जाना ना पड़े और मैं हर दिन उनकी बाहो मे ही लिपटी रहू. ये सब सोच के मेरी चूत मे गुद गुडी सी होने लगी.
डेट 23-जून-96. रात के ठीक 12:05 मिनट पे अपने भीगे बालो और हाथ – पैर मे लगाई हुई मेहन्दी को लेके अंकल के घर मे आ गयी और दरवाजा बंद करके अंकल के सामने खड़ी हो गयी. अंकल मुझे पूरी नंगी और मेरे भीगे बालो और मेरे हाथ-पैर मे लगाई हुई मेहन्दी को देख रहे थे. मुझे अपने जिस्म से लगाते हुए मेरे भीगे ने बालो मे हाथ घुमा के मुझे हल्के से चूम रहे थे. फिर अंकल ने मुझे एक बॅग दिया और कहा “ जया इस बॅग मे कुछ कपड़े है जो आज तुम्हे पहनने है और मेने हर कपड़े को कैसे और कहा पहनना वो इस कागज मे लिखा है.” मुझे आसन वाले रूम भेज दिया. मेने वाहा जाके बॅग को टेबल पे रखा के उस मे से सारे कपड़े निकाल दिए, वो सारे लाल रंग के थे, हर कपड़े पे नंबर लिखा था. फिर मेने उस कागज को पढ़ा उसमे हर नंबर के साथ कुछ लिखा था. सब से पहले नंबर पे चड्डी थी, मेने चड्डी देखी और कागज मे से पढ़ा “ जया ये तुम्हारी चूत को मेरे लंड को इस मे रख ने के लिए”, मेने उस चड्डी को देखा कि वो एक छोटी रस्सी जैसी थी, आगे मेरी चूत को ढक सके उतना ही कपड़ा था और बाकी सब एक पतली सी रस्सी जैसा था, उसमे लेफ्ट बाजू का भाग खुला था, वाहा मुझे रस्सी को बांधना था, मेने वैसे करके चड्डी को पहन लिया. अब दूसरे नांबेर पे लहँगा था, मेने देखा कि वो मखमल जैसा नरम था और कागज मे देख के पढ़ा “ जया ये तुम्हारे लंबे और नाज़ुक से पैरो को लिए”, मेने उसे पहन लिया. फिर नंबर था चोली का, उस कागज मे लिखा था “ जया ये तुम्हारे छोटे छोटे स्तनो के लिए”, मेने देखा कि उस चोली मे आगे की ओर बटन की जगह छोटी छोटी डोर थी , मेने उसे पहन ते हुए सभी डॉरो को एक दूसरे के साथ बाँध दिया, वो मेरे स्तनो पे दबाव बना रहे थे, वो बहुत टाइट थी. अब नंबर था पैरो की पायल का और उस के साथ लिखा था “ जया ये जब तुम पेहन्के चलोगि तो सारे घर मे एक संगीत जैसा बजने लगेगा”, वो सोने की पायल थी और उस पे बहुत सारे घुंगूरू थे, जब दोनो पायल पहन के मैं उस रूम मे चल रही थी तो रूम पायल को आवाज़ से गूँज उठा. अब नंबर था हाथ की चूड़ियो का और लिखा था “ जया ये तुम्हारे रेशम जैसे हाथो की कलाईयो के लिए”, मेने बारी बारी दोनो हाथो मे वो चूड़िया पहन ली और वो भी आवाज़ कर रही थी. अब नंबर था कान के झुमके और नाक की नथ्नि का और माँग टीके का और लिखा था “ जया ये तुम्हारे कान और नाक के लिए जिसे पह्न के तुम और भी खूबसूरत लगोगी, और ये माँग टीके को अपने सिर के बीच मे रखना” , मेने वो पहन लिए और माँग टीके को मेरे सिर मे बालो के साथ लगा दिया.. लास्ट मे बड़ी सी चुनरी थी और लिखा था “ जया इसे अपने सिर के उपर रख के तुम मेरे पास चली आना”, मैं उसे सिर पे डाल के हॉल मे अंकल के पास चली गयी. अंकल ने मुझे उन कपड़ो मे देखा और वो देख ते ही रह गये, मेने अंकल से पूछा “ राज अंकल ये सारे कपड़े तो एक लड़की जब उसकी शादी होती है उस वक़्त पहनती है”, अंकल ने बीच मे बोले “ हा जया मे आज तुमसे शादी करने वाला हू, मैं तुम्हारे मम्मी पापा से बात करके तुम्हारा हाथ माँगने वाला था, लेकिन इस समय मे ये सब मुमकिन नही है और तुम्हारी उमर भी अभी 18 साल नही हुई है , सो आज हम चुपके से शादी करके हमेशा के लिए एक दूसरे के हो जाएँगे”.
मैं अंकल की बात को समझ नही पाई और पूछा “ अंकल, हम शादी करके भी एक दूसरे के साथ नही रह सकते जब तक हम मेरे मम्मी पापा को ना बता दे “ अंकल ने कहा “ जया रानी इसलिए तो मेने इस घर की चावी दी है के आज के बाद तुम्हारा जब भी मन करे तुम यहा चली आना “ मेने शरमाते हुए कहा “ अंकल आप चाहते है कि मैं रोज सुबह, दोपहर और रात को आपके पास आऊ ताकि हम दोनो अपने जिस्म की प्यास को मिटा सके, तो यही ठीक है कि हम आज रात को ही शादी करले और किसी को पता भी नही चलेगा”. राज अंकल मेरी बात से खुस थे और उन्होने किचन से पंडित जी को बुलाया जो कि उनका दोस्त था. मैं पंडित को देख के बहुत खुस हो रही थी क्यूंकी आज मेरी सच मे राज अंकल से शादी होनी वाली थी. पंडित जी ने हॉल मे आते ही शादी का समान हॉल के बीच मे रख दिया, दो छोटे से तकिया पे मुझे और अंकल को बैठने को कहा. पंडित जी के सामने हम दोनो पैरो को मोड के बैठ गये. अंकल ने पंडित को पहले ही बता दिया था कि मेरी उमर कितनी है और क्यो मुझसे शादी करना चाहते थे और कुछ रुपेये देके उनका मूह बंद कर दिया था. पंडित जी ने सबसे पहले कुछ मंत्रो चार करके हवन कुंड मे कुछ डाला, पंडित जी ने हम दोनो को एक लकड़ी देके कहा “ आप दोनो इसे एक साथ अपने राइट हाथ से पकड़ लो और मैं जैसा कहु वैसा कीजये गा”, पंदिट जी ने कुछ मंत्रो को पढ़ के कहा “ अब आप दोनो इस थाली मे रखी सभी चीज़ो पर ये लकड़ी रख के इसे हवन कुंड के पास ले जाए”, हम दोनो ने उस लकड़ी को पकड़ के थाली मे रखी सभी चीज़ो मे रख के हवन के पास ले जाने लगे कि, तभी मेरे हाथ वाहा तक नही पहुच रहे थे, तो पंडित जी ने कहा “ बिटिया अगर कष्ट हो रहा हो तो अपने होने वाले पति की गोद मे बैठ जाओ”, मैं कई बार अंकल की गोद मे बैठी थी लेकिन पंडित जी के सामने मुझे शरम आ रही थी. राज अंकल बोले “ जया रानी बैठ जाओ क्यूंकी शादी के पूजन मे काफ़ी वक़्त लगता है और पंडित जी से शरमाओ मत”. मैं अपनी जगह से उठ के अंकल याने कि मेरे होने वाले पति राज शर्मा की गोद मे बैठ गयी, मेरे स्तन के बाजू मे से अंकल ने हाथ निकाल के मेरे हाथो को पकड़ लिया और हवन के पास ले गये. पंडित जी ने कहा “ बिटिया अभी से राज अंकल तुम्हारे होने वाले पति देव जी है, तो उन्हे हिंदू शास्त्रो के अनुसार नाम लेके नही बुलाते, तुम उन्हे सिर्फ़ पति जी ही कहना”, मेने हा मे सिर हिला दिया.
मेरी बेकाबू जवानी compleet
Re: मेरी बेकाबू जवानी
पंडित जी ने कहा “ अब मैं जो बोलू उसे आप दोनो बोलना”, और पंडित जी संस्कृत मे मंत्रो को पढ़ ने लगे. मे आज बहुत खुस थी कि मेरी शादी एक हिंदू आदमी से हो रही थी. पंडित जी बोले “ बिटिया इस चम्मच से उस थाली मे रखी दही को पी लो और अपने पति जी को भी पिलाओ.” मेने उस चम्मच से थाली मे रखे दही को लेके पहले पी लिया और अपने पति जी को भी पिला दिया. पंडित जी बोले “ बिटिया अब सिर्फ़ पति जी ही पूजा करेंगे और तुम उनकी गोद मे बैठे हुए दोनो हाथो को जोड़के अपने मन मे पति जी का चेहरा याद करो”. मैं हाथ जोड़के बैठी थी और पति जी को याद कर रही थी. पंडित जी बोले “ राज भाई अब आप ये गुलाब को लेके अपनी पत्नी के होंठो के पास रख के अपने होंठो को भी उस गुलाब पे रख दीजिए. पति जी ने गुलाब को मेरे होंठो के पास रख दिया और अपने होठ भी उसे पे रख दिए, वो गुलाब पानी मे भीगा हुवा था, और मेरे होंठो को पानी पानी कर रहा था, पंडित जी कुछ मंत्रो के बाद बोले “ राज भाई अब उसे इस हवन मे रख दीजिए और अपनी पत्नी के होंठो पे लगे पानी को अपने होंठो से पी लीजये ,” पति जी ने मेरे होंठो को चूम के पूरा पानी पी लिया. फिर और कुछ मंत्रो चार के पंडित जी ने हवन मे आग जला दी. पंडित जी बोले “ अब आप दोनो खड़े हो जाए”. फिर पंडित जी ने मेरी चुनरी को पति जी के कुर्ते के साथ बाँध दिया और हमे उस हवन के पास से गोल घुमा के कुछ मंत्रो चार करने लगे. इस तरह हम दोनो ने 7 बार हवन के गोल चक्कर लगाए. पंडित जी बोले “ राज भाई इस सिंदूर को अपनी होने वाली पत्नी के माथे पे लगा दीजिए.” पति जी ने मेरे माँग टीके को बाजू मे करके मेरी माँग सिंदूर से भर दी. पंडित जी बोले “ राज भाई अब ये मंगल सुत्र को अपनी होने वाली पत्नी के गले पहना दीजिए.” पति जी ने मेरे पीछे आके मेरे बालो को बाजू मे करके मेरे गले मे मंगल सुत्र को पहना दिया. पंडित जी बोले “ आज से तुम दोनो हिंदू शास्त्रो के अनुसार पति पत्नी हो गये, बिटिया आज से तुम राज भाई की पत्नी हो और इस घर की लक्ष्मी हो और आज से तुम्हारा हर सुख दुख का ख़याल वोही रखेंगे और तुम सिर्फ़ वोही करोगी जो तुम्हारे पति चाह ते हो और उनकी कोई भी बात का विरोध और गुस्सा नही करना”. फिर हमने पंडित जी के पैर च्छुए, पंडित जी हमे आशीर्वाद दे के चले गये. समय था रात के 01:00, ऐसा ही एक दिन था 01/05/1983 रात के 01:00 मेरा जन्म हुवा था, और ठीक आज से 13 साल बाद मेरा और एक जन्म हुवा है राज अंकल की पत्नी के रूप मे.
पति जी मुझे अपनी बाँहो मे उठा के, पहली बार मुझे उनके मास्टर बेडरूम मे लेके गये. मैं बेडरूम देख ते ही दंग रह गयी, उसमे एक आलीशान और बड़ा सा और मखमली गद्दे से बना हुवा बेड था, उसमे काफ़ी सारे नंगे लड़के लड़कियो के एक दूसरे को प्यार करते हुए तस्वीर थी, उसमे एसी भी था. मेने देखा कि पूरा बेड लाल गुलाबो से सज़ा हुवा था, हल्का सा संगीत बज रहा था, बहुत ही बढ़िया खुसबु आ रही थी. पति जी मुझे बेड के बीच मे बैठा ते हुए मेरे बाजू मे बैठ गये. पति जी ने कहा “ जया आज सच मे तुम एक रानी की तरह लग रही हो”.फिर पति जी ने मेरे होंठो को चूमते हुए कहा “ जया आज मे तुम्हारे साथ जो करूँगा उसे जिस्म की प्यास भुजाना कहते है और हम वही हर रोज करेंगे”. पति जी ने मेरे कान की बालिया चूमते हुए मेरे कान को हल्का सा काट दिया, मेरे गालो को चूमा. मेरे सिर पे रखी चुनरी को हाथो से उठा के उसे हवा मे उड़ा दिया, जो बेड के किनारे पे जा गिरी, और उनके सामने अब मैं सिर्फ़ चोली और लहँगे मे थी. वो मुझे बहुत कातिल नज़रो से देख रहे थे और मेरे बाजू मे बैठ के मेरे चेहरे को अपनी ओर करते हुए होंठो को चूमने लगे. मे नज़रे झुकाए बैठी थी और मेरे पूरे जिस्म मे ठंडी लहरे दौड़ रही थी. पति जी मेरे गले को चूमते हुए आगे की ओर आके मुझे पीठ के बल लिटा दिया और मेरे पेट को चूमने लगे, धीरे धीरे पति जी उपर आ रहे थे और मेरी चोली की डोर को अपने दांतो से खोल के उसे नंगा कर रहे थे. मे ये सब सहन नही कर पाई और मेने अपने हाथ पति जी के सिर पे रख के उनके बालो को खिच ने लगी, पति जी भी मेरे स्तनो को काट ने लगे. फिर पति जी ने लेटे हुए मुझे घुमा दिया और मे पेट के बल लेट गयी, और मेरी पीठ अब उनके सामने थी. पति ने जी मेरी चोली को पीछे से खीच के निकाल दिया, अब मेरी नंगी पीठ को चूमने लगे, अपने राइट हाथ मेरी छाती पे लाके स्तन को ज़ोर से दबा दिया और लेफ्ट हाथ से मेरे बालो को पकड़ के मेरी गर्दन पे काटने लगे. फिर पति जी ने मुझे छोड़ दिया और बाजू वाले टेबल से दूध ले के आए और हम दोनो ने उसे पी लिया. अब पति जी ने मुझे पीठ के बल लिटा के मेरे लहँगे को खोल के निकाल दिया और मेरे पैरो को चूमते हुए मेरी चड्डी के पास आए और मेरी चूत को अपने हाथो से दबाने लगे. फिर पति जी ने मेरी चड्डी निकाल दी और मेरी चूत को चाटने लगे और उनकी जीभ को अंदर डालने लगे. मे बहुत ज़्यादा रोमांचित हो गयी थी और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. अब पति जी मेरे पैरो के बीच मे आ गये और अपने लंड को मेरी चूत के मूह के पास रख दिया, और मुझे देख के बोले “ जया अब हम दोनो अपने जिस्म की प्यास को बुझाने के लिए मेरा ये लंड तुम्हारी चूत मे डाल के मज़े करेंगे, तुम्हे थोड़ा सा दर्द होगा, पहली बार हर लड़की को होता है, और हर लड़की की ज़िंदंगी मे पहले दर्द ही आता है और इसके बाद मे इतनी ख़ुसीया आती है कि उसकी ज़िंदंगी ही बदल जाती है.” ये सब बाते करते वक़्त पति जी ने अपना लंड कई बार मेरी चूत के मूह पर रखा था और अपने हाथो से चूत के मूह को खोलके लंड को चूत मे डाल ने की कोशिश कर रहे थे. मे अपने पति जी की बात को समझ रही थी कि कैसे मेरी ज़िंदंगी मे मेरे मम्मी पापा का सुख नही मिला और आज एक अंजान आदमी के साथ मेने शादी कर के उसके साथ अपने जीवन का हर सुख पाने के लिए आज अपने जिस्म को उनको समर्पित करके हमेशा के लिए उनकी पत्नी बन जाउन्गि. मैने आगे कुछ सोच के मेरी चूत मे एक ज़ोर का झटका लगाया और मे दर्द के काप उठी और अपने पैरो को छटपटाने लगी. पति जी ने मेरे होंठो को चूम के बंद कर दिया इस लिए मेरी मूह से सिर्फ़ उहह की आवाज़ निकल रही थी और मेरी आँखो मे आसू आ गये थे. मेने महसूस किया के पति जी का लंड मेरी चूत के मूह के थोड़ा अंदर घुस चुक्का था. फिर पति जी ने अपने लंड को बाहर निकाल के चूत के मूह पर रख दिया और मेने आँखो के इशारे से कहा बस और नही. पति जी ने मेरी बात को नज़र अंदाज करके होंठो को और ज़ोर से चूम ते हुए लंड को चूत के मूह मे डाल दिया, इस बार पति जी का लंड मेरी चूत मे पूरा घुस चुका था. मे ज़ोर ज़ोर से आहे भर रही थी और अपने हाथो से पति जी की पीठ को नाख़ून से ज़ोर से पकड़ लिया और अपने पैरो को पति जी की कमर पे रख के अपने आप को समर्पित कर दिया. फिर पति जी ने मुझे देखा और पूछा “ मेरी प्यारी पत्नी कैसा लग रहा है”, मेने कहा “ पति जी बहुत दुख रहा है और सहा नही जाता, लंड को निकाल दीजिए”, पति जी ने कहा “ पत्नी को अपने पति का हर दर्द बिना कुछ कहे सहना पड़ता है, पति जी की हर बात को अपने जीवन का उदेश्य मान के चलना है, ऐसे शिकायत नही करते”, मेने नज़र झुका के कहा “ पति जी मुझे माफ़ कर दीजिए, मुजसे ग़लती हो गयी, मैं पंडित जी की बात को भूल गयी थी, मेने पहले कभी इतना दर्द नही सहा है, लेकिन अब आप को कोई शिकायत का मौका नही दूँगी, आप जो चाहे करिए, आप हम दोनो की जिस्म की प्यास बुझा ने के लिए ही कर रहे हैं, जैसे मे दर्द सह रही हू वैसे आप को भी दर्द हो रहा होगा अपने लंड पर क्यूंकी वो इस छोटी सी चूत मे कैसे जा सकता है.” मेरी भोली सी बात को सुनके पति जी को यकीन हो गया थी अब मे कुछ नही कहूँगी और सब सहन कर लूँगी. पति जी ने फिर लंड को एक बार बाहर निकाला, तब मेने महसूस किया लंड बाहर निकाल ने के साथ पानी जैसा थोड़ा गढ़ा सा कुछ निकल रहा था. पति जी ने मेरे हाथ की उंगलियो को चूत के पास ले जाके चूत के मूह के पास रखा, मेरी उंगलिया गीली हो गयी और मेने उसे अपने चेहरे के पास ले जा के देखा कि मेरी सारी उंगलिया खून से लाल हो गयी थी. पति जी ने कहा “ किसी भी जवान लड़की की चूत मे जब लंड पहली बार जाता है तो चूत की झिल्ली टूट जाती है और वो उसे तोड़ने का हक सिर्फ़ उसके पति का ही होता है,क्यूंकी एक जवान लड़की की अमानत उस की चूत की झिल्ली ही होती है उसके पति के लिए और वो अपने पति से ये कहती है कि उसने अपने पति के सिवा कि सी और आदमी या मर्द या नौजवान को अपनी चूत मे लंड नही डाल ने दिया, जया आज तुमने मुझे सच मे मुझे पति जी का दर्जा दिया है, और आज से मैं ये कहता हू के मेरी पत्नी का जिस्म सिर्फ़ मेरा है और मैं उसकी किशी भी हद तब हिफ़ाज़त करूँगा.” मैने ये सब सुनके उनको अपने सही पति मान के उन्हे कहा “ हा पति जी आज से मेरा तन और मन सिर्फ़ आपका ही है, आप जैसा बोलेंगे, जैसा कहंगे और मेरे जीवन के हर पल मैं बस वोही करूँगी.” फिर पति जी मुझे बहुत दर्द देते हुए अपने लंड को मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगे, मैं हर एक धक्के को झेल के उन्हे खुस कर रही थी, कही वो नाराज़ ना हो जाए. मेने उनके पूरे आगे पीछे के बदन को नोच दिया था और वो खून से पूरा लाल हो गया था.उधर मेरी चूत की हालत भी बहुत खराब थी, वो पति जी हर धक्के के साथ खून के आसू रो रही थी. मैं जब कभी कभी आँख खोल के देखती के वो धक्के लगाते लगाते बहुत खुस हो रहे थे. पति जी ने मुझे कहा “ मेरी रानी इस कमरे मे कई बरस बाद एक मीठा सा संगीत बज रहा है, ये जो तुम्हारी पायल और चूड़िया है वो बहुत ही अच्छी आवाज़ कर रही है, ऐसे ही आवाज़ गूँजी थी जब मेने पहली बार अपनी पत्नी की चूत की झिल्ली तोड़ी थी, आज तो तुमने मुझे मेरी पत्नी की याद दिला दी और हा आज तुम ही मेरी पत्नी हो, इस लिए मेरी बीती हुई ज़िंदगी के बारे मे कुछ मत पूछना और बस अपने आने वाले कल के बारे मे ही सोचना, अब तुम्हारा सिर्फ़ एक ही कर्म, धर्म और कर्तव्य है अपने पति की हर बात को मान के उन्हे हर पल अपने जिस्म से नंगा लगा के रखना और अपनी चूत मे हमेशा के लिए मेरे लंड के लिए जगह बना के रखना चाहे दिन हो या रात.” मे उनकी हर बात को नज़रे झुका के सुन रही थी और मन ही मन सोच रही थी के हर वक़्त कैसे नंगा रह के उनके जिस्म से लगी रहूंगी और मेरी इस नाज़ुक सी चूत मे उनका मोटा लंड कैसे रख पाउन्गी. पति जी थोड़ा रुक रुक के मुझे चोद रहे थे, चोदना किसे कहते ये भी मुझे पति जी ने ही बताया. फिर एक पल मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और वो पति जी के लंड के आजू बाजू लग गया, इस तरह से पति का लंड मेरी चूत मे और भी जल्दी अंदर बाहर होने लगा और मेरी चूत मे और गहराई तक जाने लगा. लंड ज़्यादा अंदर जाते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गये और मे भी मस्ती से पति जी को चूम ने लगी, ये देख पति जी भी अपने लंड को जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगे और मेरी चूत मे पानी छोड़ दिया. पति जी का पानी मेरी पूरी चूत मे बहने लगा मानो कोई बाँध टूट के पानी जब बहुत ज़ोर से आता है वैसे ही उनके पानी ने मेरी चूत की हर जगह को भिगोना शुरू कर दिया.
क्रमशः........
पति जी मुझे अपनी बाँहो मे उठा के, पहली बार मुझे उनके मास्टर बेडरूम मे लेके गये. मैं बेडरूम देख ते ही दंग रह गयी, उसमे एक आलीशान और बड़ा सा और मखमली गद्दे से बना हुवा बेड था, उसमे काफ़ी सारे नंगे लड़के लड़कियो के एक दूसरे को प्यार करते हुए तस्वीर थी, उसमे एसी भी था. मेने देखा कि पूरा बेड लाल गुलाबो से सज़ा हुवा था, हल्का सा संगीत बज रहा था, बहुत ही बढ़िया खुसबु आ रही थी. पति जी मुझे बेड के बीच मे बैठा ते हुए मेरे बाजू मे बैठ गये. पति जी ने कहा “ जया आज सच मे तुम एक रानी की तरह लग रही हो”.फिर पति जी ने मेरे होंठो को चूमते हुए कहा “ जया आज मे तुम्हारे साथ जो करूँगा उसे जिस्म की प्यास भुजाना कहते है और हम वही हर रोज करेंगे”. पति जी ने मेरे कान की बालिया चूमते हुए मेरे कान को हल्का सा काट दिया, मेरे गालो को चूमा. मेरे सिर पे रखी चुनरी को हाथो से उठा के उसे हवा मे उड़ा दिया, जो बेड के किनारे पे जा गिरी, और उनके सामने अब मैं सिर्फ़ चोली और लहँगे मे थी. वो मुझे बहुत कातिल नज़रो से देख रहे थे और मेरे बाजू मे बैठ के मेरे चेहरे को अपनी ओर करते हुए होंठो को चूमने लगे. मे नज़रे झुकाए बैठी थी और मेरे पूरे जिस्म मे ठंडी लहरे दौड़ रही थी. पति जी मेरे गले को चूमते हुए आगे की ओर आके मुझे पीठ के बल लिटा दिया और मेरे पेट को चूमने लगे, धीरे धीरे पति जी उपर आ रहे थे और मेरी चोली की डोर को अपने दांतो से खोल के उसे नंगा कर रहे थे. मे ये सब सहन नही कर पाई और मेने अपने हाथ पति जी के सिर पे रख के उनके बालो को खिच ने लगी, पति जी भी मेरे स्तनो को काट ने लगे. फिर पति जी ने लेटे हुए मुझे घुमा दिया और मे पेट के बल लेट गयी, और मेरी पीठ अब उनके सामने थी. पति ने जी मेरी चोली को पीछे से खीच के निकाल दिया, अब मेरी नंगी पीठ को चूमने लगे, अपने राइट हाथ मेरी छाती पे लाके स्तन को ज़ोर से दबा दिया और लेफ्ट हाथ से मेरे बालो को पकड़ के मेरी गर्दन पे काटने लगे. फिर पति जी ने मुझे छोड़ दिया और बाजू वाले टेबल से दूध ले के आए और हम दोनो ने उसे पी लिया. अब पति जी ने मुझे पीठ के बल लिटा के मेरे लहँगे को खोल के निकाल दिया और मेरे पैरो को चूमते हुए मेरी चड्डी के पास आए और मेरी चूत को अपने हाथो से दबाने लगे. फिर पति जी ने मेरी चड्डी निकाल दी और मेरी चूत को चाटने लगे और उनकी जीभ को अंदर डालने लगे. मे बहुत ज़्यादा रोमांचित हो गयी थी और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. अब पति जी मेरे पैरो के बीच मे आ गये और अपने लंड को मेरी चूत के मूह के पास रख दिया, और मुझे देख के बोले “ जया अब हम दोनो अपने जिस्म की प्यास को बुझाने के लिए मेरा ये लंड तुम्हारी चूत मे डाल के मज़े करेंगे, तुम्हे थोड़ा सा दर्द होगा, पहली बार हर लड़की को होता है, और हर लड़की की ज़िंदंगी मे पहले दर्द ही आता है और इसके बाद मे इतनी ख़ुसीया आती है कि उसकी ज़िंदंगी ही बदल जाती है.” ये सब बाते करते वक़्त पति जी ने अपना लंड कई बार मेरी चूत के मूह पर रखा था और अपने हाथो से चूत के मूह को खोलके लंड को चूत मे डाल ने की कोशिश कर रहे थे. मे अपने पति जी की बात को समझ रही थी कि कैसे मेरी ज़िंदंगी मे मेरे मम्मी पापा का सुख नही मिला और आज एक अंजान आदमी के साथ मेने शादी कर के उसके साथ अपने जीवन का हर सुख पाने के लिए आज अपने जिस्म को उनको समर्पित करके हमेशा के लिए उनकी पत्नी बन जाउन्गि. मैने आगे कुछ सोच के मेरी चूत मे एक ज़ोर का झटका लगाया और मे दर्द के काप उठी और अपने पैरो को छटपटाने लगी. पति जी ने मेरे होंठो को चूम के बंद कर दिया इस लिए मेरी मूह से सिर्फ़ उहह की आवाज़ निकल रही थी और मेरी आँखो मे आसू आ गये थे. मेने महसूस किया के पति जी का लंड मेरी चूत के मूह के थोड़ा अंदर घुस चुक्का था. फिर पति जी ने अपने लंड को बाहर निकाल के चूत के मूह पर रख दिया और मेने आँखो के इशारे से कहा बस और नही. पति जी ने मेरी बात को नज़र अंदाज करके होंठो को और ज़ोर से चूम ते हुए लंड को चूत के मूह मे डाल दिया, इस बार पति जी का लंड मेरी चूत मे पूरा घुस चुका था. मे ज़ोर ज़ोर से आहे भर रही थी और अपने हाथो से पति जी की पीठ को नाख़ून से ज़ोर से पकड़ लिया और अपने पैरो को पति जी की कमर पे रख के अपने आप को समर्पित कर दिया. फिर पति जी ने मुझे देखा और पूछा “ मेरी प्यारी पत्नी कैसा लग रहा है”, मेने कहा “ पति जी बहुत दुख रहा है और सहा नही जाता, लंड को निकाल दीजिए”, पति जी ने कहा “ पत्नी को अपने पति का हर दर्द बिना कुछ कहे सहना पड़ता है, पति जी की हर बात को अपने जीवन का उदेश्य मान के चलना है, ऐसे शिकायत नही करते”, मेने नज़र झुका के कहा “ पति जी मुझे माफ़ कर दीजिए, मुजसे ग़लती हो गयी, मैं पंडित जी की बात को भूल गयी थी, मेने पहले कभी इतना दर्द नही सहा है, लेकिन अब आप को कोई शिकायत का मौका नही दूँगी, आप जो चाहे करिए, आप हम दोनो की जिस्म की प्यास बुझा ने के लिए ही कर रहे हैं, जैसे मे दर्द सह रही हू वैसे आप को भी दर्द हो रहा होगा अपने लंड पर क्यूंकी वो इस छोटी सी चूत मे कैसे जा सकता है.” मेरी भोली सी बात को सुनके पति जी को यकीन हो गया थी अब मे कुछ नही कहूँगी और सब सहन कर लूँगी. पति जी ने फिर लंड को एक बार बाहर निकाला, तब मेने महसूस किया लंड बाहर निकाल ने के साथ पानी जैसा थोड़ा गढ़ा सा कुछ निकल रहा था. पति जी ने मेरे हाथ की उंगलियो को चूत के पास ले जाके चूत के मूह के पास रखा, मेरी उंगलिया गीली हो गयी और मेने उसे अपने चेहरे के पास ले जा के देखा कि मेरी सारी उंगलिया खून से लाल हो गयी थी. पति जी ने कहा “ किसी भी जवान लड़की की चूत मे जब लंड पहली बार जाता है तो चूत की झिल्ली टूट जाती है और वो उसे तोड़ने का हक सिर्फ़ उसके पति का ही होता है,क्यूंकी एक जवान लड़की की अमानत उस की चूत की झिल्ली ही होती है उसके पति के लिए और वो अपने पति से ये कहती है कि उसने अपने पति के सिवा कि सी और आदमी या मर्द या नौजवान को अपनी चूत मे लंड नही डाल ने दिया, जया आज तुमने मुझे सच मे मुझे पति जी का दर्जा दिया है, और आज से मैं ये कहता हू के मेरी पत्नी का जिस्म सिर्फ़ मेरा है और मैं उसकी किशी भी हद तब हिफ़ाज़त करूँगा.” मैने ये सब सुनके उनको अपने सही पति मान के उन्हे कहा “ हा पति जी आज से मेरा तन और मन सिर्फ़ आपका ही है, आप जैसा बोलेंगे, जैसा कहंगे और मेरे जीवन के हर पल मैं बस वोही करूँगी.” फिर पति जी मुझे बहुत दर्द देते हुए अपने लंड को मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगे, मैं हर एक धक्के को झेल के उन्हे खुस कर रही थी, कही वो नाराज़ ना हो जाए. मेने उनके पूरे आगे पीछे के बदन को नोच दिया था और वो खून से पूरा लाल हो गया था.उधर मेरी चूत की हालत भी बहुत खराब थी, वो पति जी हर धक्के के साथ खून के आसू रो रही थी. मैं जब कभी कभी आँख खोल के देखती के वो धक्के लगाते लगाते बहुत खुस हो रहे थे. पति जी ने मुझे कहा “ मेरी रानी इस कमरे मे कई बरस बाद एक मीठा सा संगीत बज रहा है, ये जो तुम्हारी पायल और चूड़िया है वो बहुत ही अच्छी आवाज़ कर रही है, ऐसे ही आवाज़ गूँजी थी जब मेने पहली बार अपनी पत्नी की चूत की झिल्ली तोड़ी थी, आज तो तुमने मुझे मेरी पत्नी की याद दिला दी और हा आज तुम ही मेरी पत्नी हो, इस लिए मेरी बीती हुई ज़िंदगी के बारे मे कुछ मत पूछना और बस अपने आने वाले कल के बारे मे ही सोचना, अब तुम्हारा सिर्फ़ एक ही कर्म, धर्म और कर्तव्य है अपने पति की हर बात को मान के उन्हे हर पल अपने जिस्म से नंगा लगा के रखना और अपनी चूत मे हमेशा के लिए मेरे लंड के लिए जगह बना के रखना चाहे दिन हो या रात.” मे उनकी हर बात को नज़रे झुका के सुन रही थी और मन ही मन सोच रही थी के हर वक़्त कैसे नंगा रह के उनके जिस्म से लगी रहूंगी और मेरी इस नाज़ुक सी चूत मे उनका मोटा लंड कैसे रख पाउन्गी. पति जी थोड़ा रुक रुक के मुझे चोद रहे थे, चोदना किसे कहते ये भी मुझे पति जी ने ही बताया. फिर एक पल मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और वो पति जी के लंड के आजू बाजू लग गया, इस तरह से पति का लंड मेरी चूत मे और भी जल्दी अंदर बाहर होने लगा और मेरी चूत मे और गहराई तक जाने लगा. लंड ज़्यादा अंदर जाते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गये और मे भी मस्ती से पति जी को चूम ने लगी, ये देख पति जी भी अपने लंड को जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगे और मेरी चूत मे पानी छोड़ दिया. पति जी का पानी मेरी पूरी चूत मे बहने लगा मानो कोई बाँध टूट के पानी जब बहुत ज़ोर से आता है वैसे ही उनके पानी ने मेरी चूत की हर जगह को भिगोना शुरू कर दिया.
क्रमशः........
Re: मेरी बेकाबू जवानी
Meri Bekaabu jawaani--6
gataank se aage......
Mene college se aate hi dekha ke mummy ghar pe hi, me college aate samay mehndi ke packet leke aayi thi. So mene hath muh dhoke, mummy se kaha
“ mere hato aur pairo pe mehndi rachani hai, mujhe pane naye ghar me aake bahut achha laga is liye” Mummy ne kaha “ beti tumne bahut jaldi yaha ke mahol ko apna bana diya, me bhaut khus hu, me tumhe aaj badiya mehndi racha dungi, jaise shadi me racha te hai, lekin tum abhi choti ho, varna me tumhare pati ka nam ispe likh deti aur tum jab apne pati se milo to use apna nam kaha likha hai vo dhundh na padta” mene kaha “ mummy abhi to shadi nahi lekin tum mere left hath pe “R” banana aur right hath pe “S” banana, kuynki R for Real aur S for Shama yane ke Real Shama” mummy ki English weak thi so unhone mujhe uska matlab nahi pucha aur kaha “ ha thik hai”. Mene apne hatho aur pairo me mehndi racha ne ke bad apne kamare me aake so gayi aur mene mummy ko bola tha ki me rat ko khana nahi khaungi. Me ne ghadi me rat ke 12 baje ka aelaram rakha diya tha. Me ne sapno me dekha ki kaise uncle mere hatho ki mehndi ko chum rahe the ki aelaram baj gaya aur mene apne hatho aur pairo ko achhi tarah dho diya. Mene apne balo me mummy se tale bhi lagvaya tha, kyunki uncle unhe har waqt kahut zor se khich te the. Mene bathroom jake apne sare balo ko achhe se dhoke aur mere pure jism ko sabun se dho diya. Mene subah ki apne balo ko gila hi rahne diya. Phir apne hatho ki mehndi ko dekha aur usme “V” aur “U” ko dekh ke muskara rahi thi, aur soch rahi thi agar Raj Uncle mere pati ban jaye to mujhe har waqt apne pass hi rakh te, kyunki unki college me kafi jan pehchan thi, so mujhe college bhi jane na pade aur me har din unki baho me hi lipti rahu. Ye sab soch ke meri chut me gud gudi si hone lagi.
Date 23-jun-96. Rat ke thik 12:05 minat pe apne bhine balo aur hath – pair me lagayi hui mehndi ko leke uncle ke ghar me aa gayi aur darvaja band karke uncle ke samne khari ho gayi. Uncle ne mujhe puri nangi aur mere bhine balo aur mere hath-pair me lagayi hui mehndi ko dekh rahe the. Mujhe unke jism se lag ate hue mere bhi ne balo me hath gum eke mujhe halke chum rahe the. Phir uncle mujhe ek bag diya aur kaha “ Jayaa is bag me kuch kapde hai jo aaj tumhe pahane hai aur mene har kapade ko kaise aur kaha pahana vo is kagaj me likha hai.” Mujhe aasan vale room bhej diya. Mene vaha jake bag ko table pe rkha ke us me se sare kapade nikal diye, vo sare lal rang ke the, har kapade pe number likha tha. Phir mene us kagaj ko padha usme har number ke sath kuch likha tha. Sab se pahle number pe chaddi thi, mene chaddi dekhi aur kagaj me se padha “ Jayaa ye tumhare chut ko mere lund ko use me rakha ne ke liye”, mene us chaddi ko dekha ki vo ek choti rassi jaise thi, aage meri chut ko dhak sake utna hi kapada tha aur baki sab ek patli si rassi jaisa tha, usme left baju ka bhag khula tha, vaha mujhe rassi ko bandna tha, mene vaise karke chaddi ko pehan liya. Ab dusre namber pe lehnga tha, mene dekha ki vo makhamali jaisa naram tha aur kagaj me dekh ke padha “ Jayaa ye tymhari lambe aur najuk se pairo ko liye”, mene use pehan liya. Phir number tha choli ka, us kagaj me likha tha “ Jayaa ye tumhare chot chote stan ke liye”, mene dekha ki us choli me aage ki aur button ki jagah choti choti dor thi , mene use pehane te hue sabhi dork o ek dusre ke sath band diya, vo mere satn pe dabav bana rahe the, vo bahut tight thi. Ab number tha pairo ki payal ka aur us ke sath likha tha “ Jayaa ye jab tum pehanke chalogi ki sare ghar me ek sangit jaisa bajene lagega”, vo sone ki payal thi aur us pe bahut sare gugru re the, jab dono payal pehan ke me us room me chal rahi thi to room payal ko aavaj se gunj utha. Ab number tha hath ki chudiyo ka aur likha tha “ Jayaa ye tumhare resam jasi se hath ki kalaiyo ke liye”, mene bari bari dono hatho me vo chudiya pehan li aur vo bhi aavaj kar rahi thi. Ab number tha kanke jumke aur nak ki nathini ka aur mang tike ka aur likha tha “ Jayaa ye tumuhare kan aur nak ke liye jise pahne ke tum aur bhi khubsurat lagogi, aur ye mang tike ko apne sir ke bhich me rakhana” , mene vo pehan liye aur mang tike ko mere sir me balo ke sath laga diya.. Last me badi si chunri thi aur likha tha “ Jayaa ise apne sir ke upar rakha ke tum mere pass chli aana”, mene use sir pe dal ke hall me uncle ke pass chali gayi. Uncle ne us kapado me dekha aur vo dekha te hi raha gaye, mene uncle se pucha “ Raj uncle ye sare kapade to ek ladki jab usi shadi hoti hai us waqt pahanti hai”, uncle ne bich me bole “ Ha Jayaa me aaj tumse shadi karne vala hu, me tumhare mummy papa se bat karke tumhara hath mangne vala tha, lekin is samajh me ye sab mumkin nahi hai aur tumhari umar bhi abhi 18 sal nahi huyi hai , so aaj hum chupke se shadi karke hamesha ke liye ek dusre ke ho jayenge”.
Me uncle ki bat ko samajh nahi payi aur pucha “ Uncle, hum shadi karke bhi ek dusre ke sath nahi rah sakte ke jab tak hum mere mummy papa ko na bata de “ Uncle ne kaha “ Jayaa rani isliye to mene is ghar ki chavi di hai ke aaj ke bad tumhara jab bhi man kare tum yaha chali aana “ mene sharmate hue kaha “ uncle aap chahte hai ki main roj subah, dopahar aur rat ko aapke pass aake hum dono ki jism ki pyas ko mita sake, to yahi thik hai ki hum aaj rat ko hi shadi karle aur kisi ko pata bhi nahi chalega”. Raj uncle meri bat se khus the aur unhone kitchen se pandit ji ko bulaya jo ki unka doat tha. Mene pandit ko dekh ke bahut khus ho rahi thi kyunki aaj meri sach me Raj Uncle se shadi honi vali thi. Pandit ji ne hall me aate hi shadi ka saman hall ke bich me rakh diya, do chote se takiya pe mujhe aur uncle ko baithne ko kaha. Pndit ji ke samne hum dono pairo ko mode ke baith gaye. Uncle ne pandit ko pehale hi bata diya tha ki meri umar kitni hai aur kyo mujhe shadi karna chahte the aur kuch rupeye deke unka muh band kar diya tha. Pnadit sabse pahle kuch mantro char karke havan kound me kuch dala, pandit ji hum dono ko ek lakdi deke kaha “ aap dono is ek sath apne right hath se pakad ke me jaisa kahu vaisa kijye ga”, pndit ji ne kuch manto ko padh ke kaha “ ab aap dono is thli rakhe sabhi chijo par ye lakdi rakh ke ise havan kound ke pass le jaye”, hum dono ne us lakdi ko pakad ke thali me rakhi sabhi chijo me rakh ke havan ke pass le jane lage ki, tabhi mere hath vaha tab nahi pahuch rahe the, to pandit ji ne kaha “ bitiya agar kast ho raha ho to apne hone vale pati ki god me baith javo”, me kai bar uncle ki god me baithi thi lekin pandit ji ke samne mujhe sharam aa rahi thi. Raj uncle bole “ Jayaa rani baith javo kyunke shadi ki puaj me kafi waqt lagta hai aur pandit ji se sharmao mat”. Mene apni jagah se uth ke uncle yane ki mere hone vale pati ki god me baith gayi, mere stan ke baju me se uncle ne hath nikal ke mere hatho ko pakad liya aur havan ke pass le gaye. Pndit ji ne kaha “ bitiya abhi se Raj Uncle tumhare hone vale pati dev ji hai, to unhe hindu sastro ke anusar nam leke nahi bulate, tum unhe sirf pati ji hi kehana”, mene ha me sir hila diya. Pandit ji ne kaha “ ab me jo bolu use aap dono bolna”, aur unhone Sanskrit me mantro ko padha ne lage. Me aaj bahut khus thi ki meri shadi ek hindu aadmi se ho rahi thi. Pandit ji bole “ bitiya ye chammch se us thali me rakhe dahi ko pilo aur apne pati ji ko bhi pilao.” Mene us chammch ko thali me rakhe dahi ko leke pahle pi liya aur apne pati ji ko bhi pila diya. Pandit ji bole “ bitiya ab sirf pati ji hi puja karenge aur tum unki god me baithe hue dono hatho jodke apne manme pati ji ka chehara yad karo”. Me hath jodke baithi thi aur pati ji ko yad kar rahi thi. Pndit ji bole “ Raj bhai ab aap ye gulab ko leke apni patni ke hontho ke pass rakh ke apne hontho ko bhi us gulab pe rakh dijiye. Pati ji ne gulab ko mere hontho ke pass rakh diya aur apne hoth bhi use pe rakh diye, vo gulab pani me bhiga huva tha, aur mere hontho ko pani pani kar raha tha, pandit ji ne kuch mantro ke bad bole “ Raj bhai ab use is havan me rakh dijiye aur apni patni ke hontho pe lage pani ko apne hothe pi lijye ,” pati ji ne mere hontho ko chum ke pura pani pi liya. Phir aur kuch mantro char ke pandit ji ne havan me aag jala di. Pandit ji bole “ ab aap dono khade ho jaye”. Phir pandit ji ne meri churi ko pati ji ke kurte ke sath band diya aur hame us havan ke pass se gol guma ke kuch mantro char karne lage. Is tarah hum dono ne 7 bar havan ke paa gol chhkar lagaye. Pandit ji bole “ Raj bhai ye sindoor ko apni hone vali patni ke mathe pe laga dijiye.” Pati ji ne mere mang tike ko baju me karke meri mang sindoor se bhar di. Pandit ji bole “ Raj bhai ab ye mangal sutra ko apni hone vali patni ke gale pahana dijiye.” Pati ji mere piche aake mere balo ko baju me karke mere gale me mangal sutra ko pahana diya. Pandit ji bole “ Aaj se tum dono hindu sastro ke anusar pati patni ho gaye, bitiya aaj se tum Raj bhai ki patni ho aur is ghar ki lakshami aur aaj se tumhara har sukh dukh ka khayal vohi rakhenge aur tum sirf vohi karogi jo tumhare pati chah te ho aur unki koi bhi bat ka virodh aur gussa nahi karna”. Phir humne pndit ji ke pair chhue, pandit ji hame aashirvad de ke chale gaye. Samay tha rat ke 01:00, aisa hi ek din tha 01/051/1983 rate ke 01:00 mera janma huva tha, aur thik aaj 13 sal bad mera aur ek janma huva hai Raj Uncle ki patni ke rup me.
Pati ji ne mujhe apni baho me utha ke, pahli bar mujhe unke master bedroom me leke gaye. Me bedroom dekh te hi dang rah gayi, usme ek aalisan aur bada sa aur makhmali gadde se bana huva bed tha, usme kafi sari nange ladke ladkiyo ek dusre ko pyar karte hue tasvir thi, usme AC bhi tha. Mene dekha ki pura bed lal gulabo se saja huva tha, halka sa sangit baj raha tha, bhaut hi badiya khusbu aa rahi thi. Pati ji me mujhe bed ke bich me baitha te hue mere baju me baith gaye. Pati ji ne kaha “ Jayaa aaj sach me tum ek rani ki tarah lag rahi ho”.Phir Pati ji ne mere hontho ko chumte hue kaha “ Jayaa aaj me tumhare sath jo karunga use jism ki pyas bujana kehte hai aur hum vahi har roj karenge”. Pati ji ne mere kan ki baliya chumte hue mere kan ko halka sa kat diya, mere galo ko chama. Mere sir pe rakhi chunri ko hatho se utha ke use hava me uda diya, jo bed ke kinare pe ja ghiri, aur unke samne ab me sirf choli aur lehange me thi. Vo mujhe bahut katil najro se dekh rahe the aur mere baju me baith ke mere chehre ko apni aur karte hue hontho ko chumne lage. Me najre ju ka ye baithi thi aur mere pure jism me thadi lahre dor rahi thi. Pati ji mere gale ko chumte hue aage ki aur aake mujhe pith ke bal lita diya aur mere pet ko chumne lage, dhire dhire Pati ji upar aa rahe the aur meri choli kid or ko apne dato se khol ke use nanga kar rahe the. Me ye sab sahan nahi kar payi aur mene apne hath Pati ji ke sir pe rakh ke unke balo ko khich ne lagi, Pati ji bhi mere stank o kat ne lage. Phir Pati ji ne late hue mujhe guma diya aur me pet ke bal let gayi, aur meri pith ab unke samane thi. Pati ji meri choli ko piche se kich ke nikal diya, ab meri nangi pith ko chumne lage, apne right hath meri chaatee pe lake stan ko jor se daba diya aur left hath se mere balo ko pakad ke meri gardan pe katne lage. Phir Pati ji ne mujhe chod diya aur baju vale table se dudh le kea aaye aur hum dono ne use pi liya. Ab Pati ji ne mujhe pith ke bal lita ke mere lehange ko khol ke nukal diya aur mere pairo ko chumte hue meri chaddi ke pass aaye aur meri chut ko apne hatho se dabane lage. Phir Pati ji ne meri chaddi nikal di aur meri chut ko chatne lage aur unki jibh ko andar dalne lage. Me bhaut jyada romanchit ho gayi thi aur meri chut ne pani chod diya. Ab Pati ji mere pairo ke bich me aa gaye aur apne lund ko meri chut ke muh ke pass rakh diya, aur mujhe dekh ke bole “ Jayaa ab hum dono ko apne jism ki pyas ko bujane ke liye mera ye lund tumhari chut me dal ke maje karnge, tumhe thoda sa dard hoga, pehli bar har ladki ko hota hai, aur har ladki ki zindangi me pahle dard hi aata hai aur iske bad me intni khusiya aati hai ki uski zindangi hi balad jati hai.” Ye sab bate karte waqt pati ji ne apna lund kai bar meri chut ke muh par rakha tha aur apne hatho se chut ke muh ko kholke lund ko chut me dal ni ki koshish kar rahe the. Me apne pati ji ki bat ko samajh rahi thi ki kaise meri zindangi me mere mummy papa ka sukh nahi mila aur aaj ek anjan aadmi ke sath mene shadi kar ke uske sath apne jivan ka har sukh pane ke liye aaj apne jisk ko unko samrpit karke hamesh ke liye unki patni ban jaungi. Me aage kuch soch ki meri chut me ek jor ka jakta lala aur me dard ke kaap uthi aur apne pairo ko chatpatane lagi. Pati ji ne mere hontho ko chum ke band kar diya is liye meri muh se sirf uhhhh ki aavaj nikal rahi thi aur meri aankho me aasu aa gaye the. Mene mehsus kiya ke pati ji ka lund meri chut ke muh ke thoda andar ghus chukka tha. Phir pati ji ne apna lund ko bahar nikal ke chut ke muh par rakh diya aur mene aankho ke isare se kaha bus aur nahi. Pati ji ne meri bat ko nazar andaj karke hontho ko aur zor se chum te hue lund ko chut ke muh me dal diya, is bar pati ji ka lund meri chut me pura gush chuka tha. Me zor zor se aah bhar rahi thi aur apne hatho se pati ji ki pith ko nakhun se jor se pakad liya aur apne pairo ko pati ji ki kamar pe rakh ke apne aap ko samprit kar diya. Phir pati ji ne mujhe dekha aur pucha “ meri pyari patni kaisa lag raha hai”, mene kaha “ Pati ji bahut dukh raha hai aur saha nahi jata, lund ko nikal dijiye”, Pati ji ne kaha “ Panti ko apne pati ka har dard bina kuch kahe sahana padta hai, pati ji ki har bat ko apne jivan ka udeshya manke chalana hai, aise sikayat nahi karte”, mene najar juka ke kaha “ Pati ji mujhe maf kar dijiye, mujse galti ho gayi, me Pandit ji ki bat ko bhul gayi thi, mene pahle kabhi inta dard nahi saha hai, lekin ab aap ko koi sikayat ka mouka nahi dungi, aap jo cha he kariye, aap hum dono ki jism ki pyas buja ne ke liye hi kar rahe, jaise me dard saha rahi vaise aap ko bhi dard ho raha hoga apne lund par kyunki vo is choti si chut me kaise ja sakta hai.” Meri bholi si bat ko sunke pati ji ko yakin ho gaya thi ab me kuch nahi kahungi aur sab sahan kar lungi. Pati ji ne phir lund ko ek bar bahar nikala, tab mene mehasus kiya lund bahar nikal ne ke sath pani jaisa thoda gada sa kuch nikal raha tha. Pati ji ne mere hath ki ungliyo ko chut ke pass le jake chut ke muh ke pass rakha, meri ungliya gili ho gayi aur mene use apne chehre ke pass le ja ke dekha ki meri sari ungliya khun se lal ho gayi thi. Pati ji ne kaha “ Kisi bhi javan ladki ki chut me jab lund pehali bar jata hai to chut ki jalli tut jati hai aur vo use todne ka hak sirf uske pati ka hi hota hai,kyunki ek javan ladki ki amanat us ki chut ki jalli hi hoti hai uske pati ke liye aur vo apne pati se ye kahati hai ki usne apne pati ke siva ki si aur aadmi ya mard ya naujavan ko apni chut me lund nahi dal ne diya, Jayaa aaj tumne mujhe sach me mujhe pati ji ka darja diya hai, aur aaj se me ye kehta hu ke meri patni ka jism sirf mera hai aur me uski kishi bhi had tab hifajat karunga.” Me ye sab sunke unko apne sahi pati man ke unhe kaha “ Ha pati ji aaj se mera tan aur man sir aakpa hi hai, aap jaisa bolenge, jaisa kahnge aur mere jivan ke har pal me bas vohi karungi.” Phir pati ji ne mujhe bahut dard dete hue apne lund ko meri chut ke andar bahar karne lage, me har ek dhakke ko jel ke unhe khus kar rahi thi, kahi vo naraj na ho jaye. Mene unke pure aage piche ke badan ko noch diya tha uar vo khun se pura lal ho gaya tha.Udhar meri chut ki halat bhi bahut kharab thi, vo pati ji har dhakke ke sath khun ke aasu roh rahi thi. Me jab kabhi kabhi aankh khol ke dekhati ke vo dhakke lagate lagate bahut khus ho rahe the. Pati ji ne mujhe kaha “ Meri rani is kamare me kai baros bad ek mitha sa sangit baj raha hai, ye jo tumhari payal aur chudiya hai vo bhaut hi achhi aavaj kar rahi hai, aise hi aavaj gunji thi jab mene pehli bar apni patni ki chut ki jalli todi thi, aaj to tumne mujhe meri patni ki yad dila di aur ha aaj tum hi meri patni ho, is liye meri biti hyi zindagi ke bare me kuch mat puchna aur bas apne aane vale kal ke bare me hi sochna, ab tumhara sirf ek hi kam, dharm aur kartvay hai apne pati ki har bat ko man ke unhe har pal apne jism se nanga laga ke rakhna aur apni chut me hamesha ke liye mere lund ke liye jagah bana ke rakhana chahe din ho ya rat.” Me unki har bat ko najre zuka ke sun rahi thi aur man hi man soch rahi thi ke har waqt kaise nanga rahe ke unke jism se lagi rahungi aur meri is najuk si chut me unka mota lund kaise rakh paungi. Pati ji thoda ruk ruk ke mujhe chod rahe the, chodna kise kahte ye bhi mujhe pati ji ne hi bataya. Phir ek pal meri chut ne pani chod diya aur vo pati ji ke lund ke aaju baju lag gaya, is tarah se pati ja lund meri chut me aur bhi jaldi andar bahar hone laga aur meri chut me aur gehrai tak jane laga. Lund jyda andar jate hi mere rongte khade ho gayr aur me bhi masti se pati ji ko chum ne lagi, ye dekh pati ji ne bhi apne lund ko jaldi jaldi andar bahar karne lage aur meri chut me pani chod diya. Pati ji ka pani meri puri chut me behane laga mano koi bandh tut ke pani jab bahut jor se aata hai vaise hi unke pani ne meri chut ki har jagah ko bhigona shuru kar diya.
kramashah........