“सर यह रही वो लीव आंड लाइसेन्स अग्रीमेंट जो आपने बनाने को कही थी मिस ऋतु कुमार के नाम”
“गुड.. दिखाइए.”
“यह लीजिए सर”
“(पढ़ते हुए) गुड… थॅंक योउ वेरी मच.. मुझे पता हैं आप भरोसे के आदमी हैं और आपसे कहा हुआ काम हमेशा तसलीबक्ष होता हैं”
“थॅंक योउ सर… अब मैं चलूं?”
“ओक.. थॅंक योउ वेरी मच… सॉरी आपको सॅटर्डे को भी सुबह सुबह उठा दिया”
“नो प्राब्लम सर… आइ एम ऑल्वेज़ एट यूअर् सर्विस”
रूपक चला गया … उसका सॅटर्डे तो बर्बाद हो ही चुका था… फ्राइडे रात को यह सोच के की कल आराम से उठुगा, उसने मस्त दारू चढ़ाई और उसके बाद अपनी बीवी की 2 घंटे चूत मार के करीब 2 बजे सोया था… सुबह सुबह 7 बजे करण के फोन ने उसे उठा दिया था.
उधर फ्राइडे रात से ही ऋतु की सहेली पूजा का बुरा हाल था… ऋतु ने उसे कुछ बताया नही था की वो कहाँ है.. उसने अनगिनत बार ऋतु का फोन ट्राइ किया था लेकिन घंटी बजती रही और कोई रेस्पॉन्स नही था… ऋतु ने अपना फोन साइलेंट पे कर दिया था… उसे ख़याल ही नही रहा की पूजा को खबर कर दे.
जब भी ऋतु लेट होती थी वो पूजा को बता देती थी की ताकि वो चिंता ना करे. पूजा का हाल बुरा था… वो फ़िकरमंद थी… कहीं ऋतु पठानकोट तो नही चली गयी.,. कहीं उसके साथ कुछ बुरा तो नही हुआ.. वो जानती थी की यह शहर एक अकेली लड़की पे बहुत बेरहम हो सकता हैं. वो सोच रही थी की पठानकोट फोन करके ऋतु के पेरेंट्स को बताए की क्या हो रहा हैं.. उसने एक बार और फोन मिलने का सोचा की उमीद में की इस बार ऋतु उसका फोन उठा ले.
फोन का स्क्रीन फ्लश करने लगा.. आवाज़ तो आ नही रही थी क्यूकी फोन साइलेंट मोड़ पर था.. करण की नज़र उसपे पड़ गयी..उसने फोन उठाया और बेडरूम में चला गया. बेडरूम में ऋतु अब तक कपड़े पहन चुकी थी. करण ने फोन ऋतु के पास बेड पे फेंका और बोला
“तुम्हारा फोन आ रहा हैं” और बातरूम में चला गया
ऋतु ने देखा नंबर पूजा का हैं… तुरंत ही उसको एहसास हुआ की पूजा चिंतित होगी क्यूकी उसने खबर नही की थी थी की वो रात हॉस्टिल नही आएगी. आज तक वो कभी रात जो हॉस्टिल से बाहर नही रही थी. उसने डरते हुए फोन पिक किया.
“हेलो”
“हेलो ऋतु??? कहाँ हैं तू?? ”
“वो पूजा मैं एक फ्रेंड के घर पे रुक गयी थी.”
“अर्रे यह भी कोई तरीका हैं.. बताना तो था … तू जानती हैं मैं कितनी चिंतित थी.”
“सॉरी पूजा … वो एक दम दिमाग़ से निकल गया. ”
“ऐसे कैसे दिमाग़ से निकल गया .. तुझे पता हैं मैं कितना परेशान थी. कहाँ हैं तू अभी?? होस्टल कब आ रही हैं??”
“मैं अभी फ्रेंड के घर पे ही हूँ. जल्दी आ जाउन्गी तू चिंता ना कर. अच्छा अभी मैं फोन रखती हूँ. आकर बात करती हूँ”
“ओक बाइ”
“बाइ”
तभी बाथरूम से करण फ्रेश होकर बाहर आ गया.
“किसका फोन था”
“पूजा का मेरी रूम मेट हैं हॉस्टिल में”
“हैं नही थी…. जाकर अपना सामान लेकर आ जाओ”
“लेकिन करण मुझे अभी भी थोडा अजीब सा लग रहा हैं… इस फ्लॅट का किराया तो बहुत ज़्यादा होगा.”
“तुम फिकर मत करो.. आइ विल मेक शुवर की तुम्हे सबसे अच्छे क्लाइंट्स मिले और तुम्हारी सेल्स बाकी सबसे अच्छी हो.. ताकि तुम्हे हर महीने इतनी सॅलरी मिले की यह तो क्या तुम इसी अछा फ्लॅट अफोर्ड कर सको.”
Raj Sharma stories--रूम सर्विस compleet
Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस
करण ने फोन पे नाश्ता ऑर्डर किया. ऋतु इतनी देर में बाथरूम जाकर नहाने लगी… नहाते नहाते ऋतु बस यही सोचे जा रही थी की जो उसने किया क्या वो सही था,, बिना शादी के उसने करण से शारीरिक संबंध बनाए थे … यह बात उसके मा बाप को पता चल जाती तो वो तो बेचारे शरम के मारे डूब मरते … वो किसी को मूह दिखाने लायक ना रहती….
नहा के ऋतु ने वही कपड़े पहन लिए जो उसने कल रात को पहने हुए थे. इतनी देर में नाश्ता आ गया और ऋतु और करण ने मिलके नाश्ता किया. नाश्ते में सभी कुछ बहुत बढ़िया और स्वादिष्ट था… रात भर मेहनत करने के बाद भूख भी अच्छी लगी थी.. दोनो ने सारा नाश्ता ख़तम कर दिया..
नाश्ता ख़तम करने के बाद कारन ने ऋतु से कहा – “तुम्हे एक और चीज़ खानी हैं”
“अब मेरे पेट में बिकुल जगह नही हैं करण. मैं और कुछ नही खा सकती.”
“बस एक छोटी सी गोली” और उसने ई-पिल की गोली ऋतु की तरफ सरका दी.
ऋतु दो पल तो उस गोली को की घूरती रही. यह गोली उसको एहसास दिला रही थी की उसने जो किया रात को वो सही नही हैं… उसने अपनी वासना की आग में अपना कुँवारा पन जला दिया था… उसने वो गोली चुप चाप खा ली.
यह गोली मानो ऋतु को एहसास दिला रही हो की उसकी हरकतें किसी शरीफ खानदान की लड़की के लिए उचित नही. वो उठ कर बाथरूम में चली गयी और वहाँ जाकर रोने लगी. करण उसके पीछे पीछे बाथरूम में आया और उसकी आँखों से आँसू पोंछे. बिना कुछ कहे उसने ऋतु को अपनी बाहों में भर लिया जैसे की आश्वासन दे रहा हो की कुछ नही होगा .. मैं तुम्हारी हमेशा रक्षा करूँगा. ऋतु ने अपना मूह उसके सीने में छुपा लिया और आस्वस्त हो गयी. उसने कोई पाप नही किया था. वो करण से प्यार करती थी, और करण उससे. कम से कम वो तो ऐसा ही समझती थी.
ऋतु करण की गाड़ी में हॉस्टिल आई… वो रूम में घुसी तो पूजा उसे देखकर फॉरन चालू हो गयी.
“क्या करती हैं ऋतु.. मेरी तो जान ही सूख गयी थी..”
“ओह माइ डियर पूजा आराम से बैठो… तुम बेकार ही इतना नाराज़ थी”
ऋतु ने देखा कमरे के किनारे पड़ा हुआ एक छोटा सा केक, 2 कोल्ड्रींक्स, एक गुलाब का फूल और एक गिफ्ट. यह देखकर उसे पूजा की नाराज़गी समझ आई और उसके पास गयी…. पूजा ने दूसरी और मूह फेर लिया.
“सॉरी पूजा मुझे नही पता था तुम मेरा इंतेज़ार कर रही थी… और तुमने इतनी तैयारियाँ भी की थी.”
“कोई बात नही. कम से कम फोन तो उठा लेती.. सुबह जल्दबाज़ी में तुझे ठीक से विश भी नही कर पाई थी.”
“फोन साइलेंट पे था तो पता ही नही चला यार”
पूजा का प्यार देख के ऋतु की आँखें दबदबा गयी और उसने पूजा को गले लगा लिया.
“सॉरी पूजा मुझे माफ़ कर दो. मैने तुम्हारा बहुत दिल दुखाया हैं”
“कोई बात नही पगली… चल अपना केक तो काट ले”
नहा के ऋतु ने वही कपड़े पहन लिए जो उसने कल रात को पहने हुए थे. इतनी देर में नाश्ता आ गया और ऋतु और करण ने मिलके नाश्ता किया. नाश्ते में सभी कुछ बहुत बढ़िया और स्वादिष्ट था… रात भर मेहनत करने के बाद भूख भी अच्छी लगी थी.. दोनो ने सारा नाश्ता ख़तम कर दिया..
नाश्ता ख़तम करने के बाद कारन ने ऋतु से कहा – “तुम्हे एक और चीज़ खानी हैं”
“अब मेरे पेट में बिकुल जगह नही हैं करण. मैं और कुछ नही खा सकती.”
“बस एक छोटी सी गोली” और उसने ई-पिल की गोली ऋतु की तरफ सरका दी.
ऋतु दो पल तो उस गोली को की घूरती रही. यह गोली उसको एहसास दिला रही थी की उसने जो किया रात को वो सही नही हैं… उसने अपनी वासना की आग में अपना कुँवारा पन जला दिया था… उसने वो गोली चुप चाप खा ली.
यह गोली मानो ऋतु को एहसास दिला रही हो की उसकी हरकतें किसी शरीफ खानदान की लड़की के लिए उचित नही. वो उठ कर बाथरूम में चली गयी और वहाँ जाकर रोने लगी. करण उसके पीछे पीछे बाथरूम में आया और उसकी आँखों से आँसू पोंछे. बिना कुछ कहे उसने ऋतु को अपनी बाहों में भर लिया जैसे की आश्वासन दे रहा हो की कुछ नही होगा .. मैं तुम्हारी हमेशा रक्षा करूँगा. ऋतु ने अपना मूह उसके सीने में छुपा लिया और आस्वस्त हो गयी. उसने कोई पाप नही किया था. वो करण से प्यार करती थी, और करण उससे. कम से कम वो तो ऐसा ही समझती थी.
ऋतु करण की गाड़ी में हॉस्टिल आई… वो रूम में घुसी तो पूजा उसे देखकर फॉरन चालू हो गयी.
“क्या करती हैं ऋतु.. मेरी तो जान ही सूख गयी थी..”
“ओह माइ डियर पूजा आराम से बैठो… तुम बेकार ही इतना नाराज़ थी”
ऋतु ने देखा कमरे के किनारे पड़ा हुआ एक छोटा सा केक, 2 कोल्ड्रींक्स, एक गुलाब का फूल और एक गिफ्ट. यह देखकर उसे पूजा की नाराज़गी समझ आई और उसके पास गयी…. पूजा ने दूसरी और मूह फेर लिया.
“सॉरी पूजा मुझे नही पता था तुम मेरा इंतेज़ार कर रही थी… और तुमने इतनी तैयारियाँ भी की थी.”
“कोई बात नही. कम से कम फोन तो उठा लेती.. सुबह जल्दबाज़ी में तुझे ठीक से विश भी नही कर पाई थी.”
“फोन साइलेंट पे था तो पता ही नही चला यार”
पूजा का प्यार देख के ऋतु की आँखें दबदबा गयी और उसने पूजा को गले लगा लिया.
“सॉरी पूजा मुझे माफ़ कर दो. मैने तुम्हारा बहुत दिल दुखाया हैं”
“कोई बात नही पगली… चल अपना केक तो काट ले”
Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस
तभी पूजा की नज़रें पड़ी ऋतु की गर्दन पे जिसपे कल रात करण ने जी भर के चूमा था. ऋतु के गले पे हिक्केयस बन गये थे.. एक नही 3-4 और एक दो जगह दाँतों के निशान भी थे.
“यह तुम्हारी गर्दन पर निशान कैसे ऋतु”
“निशान कैसे निशान .. कुछ भी तो नही हैं” यह कहते हुए ऋतु ने दुपट्टा गले पे लप्पेट लिया. पूजा ने दुपट्टा हटाया और बारीकी से मुआीना किया निशानो का और समझ गयी.
“ऋतु… सच सच बता तू कल कहाँ थी” उसकी आवाज़ में एक कठोरता थी
“बताया तो एक फ्रेंड के घर पे थी”
“और यह निशान भी तुम्हारे फ्रेंड की बदौलत होंगे”
ऋतु चुप रही
“बोल ऋतु बोलती क्यू नही”
“पूजा तुम कुछ ज़्यादा ही सोचती हो. प्लीज़ माइंड युवर ओन बिज़्नेस.” ऋतु को यह बोलते हुए ही अपनी ग़लती का एहसास हुआ लेकिन तीर कमान से चूत चुक्का था और पूजा को घायल कर चुक्का था.
“ठीक कह रही हो ऋतु… मुझे क्या मतलब तुम रात को कहाँ जाती होई क्या करती हो… अंकल आंटी ने जब मुझे फोन पे कहा था की हमारी ऋतु का ख़याल रखना तो मुझे उन्हे तभी मना कर देना चाहिए थे. तुम बालिग हो, समझदार हो, अपने फ़ैसले खुद लेने की अकल हैं तुम में. ”
“सॉरी पूजा मेरा वो मतलब नही था”
“तो क्या मतलब था ऋतु. देख मुझे सब सच सच बता दे… क्या हुआ तेरे साथ.. कहाँ थी तू कल… क्सिके साथ थी??”
ऋतु ने सब कुछ सच सच पूजा को बता दिया. पूजा की आँखे फटी की फटी रह गयी.
“यह तूने क्या किया ऋतु. यह तूने क्या किया. क्या तू नही जानती की यह रईसजादे किसी से सच्चा प्यार नही करते. इनके लिए लड़कियाँ बस वासना की आग बुझाने का ज़रिया हैं. यह वादे तो बड़े बड़े करते हैं… प्यार के झूठे सपने दिखाते हैं…. भविष्या के सब्ज़ बाघ दिखाते हैं और कुछ ही दीनो में जब इनका मन भर जाता हैं एक लड़की से तो उसे इस्तेमाल की हुई चीज़ की तरह फेंक के दूसरी की और चले जाते हैं.”
“नही पूजा करण ऐसा नही हैं… वो मुझसे प्यार करता हैं”
“प्यार… अर्रे ऋतु प्यार नही… वो तेरे साथ बस सोना चाहता हैं”
“ऐसा नही हैं.. तुम बेवजह ही शक़ करती हो.”
“ऐसा नही हैं तो बोलो उसको की वो तुम्हे अपने पेरेंट्स से मिलवाए और तुम्हारे पेरेंट्स से जाकर तुम्हारा हाथ माँगे”
“ज़रूर करेगा वो मेरे लिए यह”
“मुझे समझ नही आ रहा की तेरी नादानी पे हसु या रोऊँ ऋतु… तू इतनी भोली हैं की उसकी चिकनी चुपड़ी बातों को सच समझ के उनपे यकीन कर बैठी और उस कामीने के चंगुल में फस गयी”
“पूजा. ज़ुबान संझल के बात करो करण के बारे में….. गाली गलोच करना ठीक नही”
“अच्छा गाली गलोच करना ठीक नही.. और जो तू करके आई हैं वो ठीक हैं… शादी से पहले पराए मर्द के साथ सोते हुए तुझे बिल्कुल शरम नही आई.”
“बस बहुत हुआ पूजा.. मैं बच्ची नही हूँ… मुझे अच्छे बुरे की तमीज़ हैं”
“ऋतु तुझे मेरी बातें उस दिन ध्यान आएँगेंगी जब वो तुझे अपना असली रंग दिखाएगा”
“बस पूजा दिस ईज़ दा लिमिट. मैं इस बारे में कोई बात नही करना चाहती. गाड़ी बाहर वेट कर रही हैं मैं बस अपना समान लेने आई हूँ. मैं गुरगाओं में एक फ्लॅट में मूव कर रही हूँ. तुमने मेरे किए जोभी ही किया हैं आजतक उसके लिए मैं हमेशा तुम्हारी शुक्रगुज़ार रहूंगी”
“यह क्या कह रही हो ऋतु… तुम शादी से पहले कैसे रह सकती हो उसके साथ”
“मैं वहाँ अकेले रहूंगी”
“यह तुम्हारी गर्दन पर निशान कैसे ऋतु”
“निशान कैसे निशान .. कुछ भी तो नही हैं” यह कहते हुए ऋतु ने दुपट्टा गले पे लप्पेट लिया. पूजा ने दुपट्टा हटाया और बारीकी से मुआीना किया निशानो का और समझ गयी.
“ऋतु… सच सच बता तू कल कहाँ थी” उसकी आवाज़ में एक कठोरता थी
“बताया तो एक फ्रेंड के घर पे थी”
“और यह निशान भी तुम्हारे फ्रेंड की बदौलत होंगे”
ऋतु चुप रही
“बोल ऋतु बोलती क्यू नही”
“पूजा तुम कुछ ज़्यादा ही सोचती हो. प्लीज़ माइंड युवर ओन बिज़्नेस.” ऋतु को यह बोलते हुए ही अपनी ग़लती का एहसास हुआ लेकिन तीर कमान से चूत चुक्का था और पूजा को घायल कर चुक्का था.
“ठीक कह रही हो ऋतु… मुझे क्या मतलब तुम रात को कहाँ जाती होई क्या करती हो… अंकल आंटी ने जब मुझे फोन पे कहा था की हमारी ऋतु का ख़याल रखना तो मुझे उन्हे तभी मना कर देना चाहिए थे. तुम बालिग हो, समझदार हो, अपने फ़ैसले खुद लेने की अकल हैं तुम में. ”
“सॉरी पूजा मेरा वो मतलब नही था”
“तो क्या मतलब था ऋतु. देख मुझे सब सच सच बता दे… क्या हुआ तेरे साथ.. कहाँ थी तू कल… क्सिके साथ थी??”
ऋतु ने सब कुछ सच सच पूजा को बता दिया. पूजा की आँखे फटी की फटी रह गयी.
“यह तूने क्या किया ऋतु. यह तूने क्या किया. क्या तू नही जानती की यह रईसजादे किसी से सच्चा प्यार नही करते. इनके लिए लड़कियाँ बस वासना की आग बुझाने का ज़रिया हैं. यह वादे तो बड़े बड़े करते हैं… प्यार के झूठे सपने दिखाते हैं…. भविष्या के सब्ज़ बाघ दिखाते हैं और कुछ ही दीनो में जब इनका मन भर जाता हैं एक लड़की से तो उसे इस्तेमाल की हुई चीज़ की तरह फेंक के दूसरी की और चले जाते हैं.”
“नही पूजा करण ऐसा नही हैं… वो मुझसे प्यार करता हैं”
“प्यार… अर्रे ऋतु प्यार नही… वो तेरे साथ बस सोना चाहता हैं”
“ऐसा नही हैं.. तुम बेवजह ही शक़ करती हो.”
“ऐसा नही हैं तो बोलो उसको की वो तुम्हे अपने पेरेंट्स से मिलवाए और तुम्हारे पेरेंट्स से जाकर तुम्हारा हाथ माँगे”
“ज़रूर करेगा वो मेरे लिए यह”
“मुझे समझ नही आ रहा की तेरी नादानी पे हसु या रोऊँ ऋतु… तू इतनी भोली हैं की उसकी चिकनी चुपड़ी बातों को सच समझ के उनपे यकीन कर बैठी और उस कामीने के चंगुल में फस गयी”
“पूजा. ज़ुबान संझल के बात करो करण के बारे में….. गाली गलोच करना ठीक नही”
“अच्छा गाली गलोच करना ठीक नही.. और जो तू करके आई हैं वो ठीक हैं… शादी से पहले पराए मर्द के साथ सोते हुए तुझे बिल्कुल शरम नही आई.”
“बस बहुत हुआ पूजा.. मैं बच्ची नही हूँ… मुझे अच्छे बुरे की तमीज़ हैं”
“ऋतु तुझे मेरी बातें उस दिन ध्यान आएँगेंगी जब वो तुझे अपना असली रंग दिखाएगा”
“बस पूजा दिस ईज़ दा लिमिट. मैं इस बारे में कोई बात नही करना चाहती. गाड़ी बाहर वेट कर रही हैं मैं बस अपना समान लेने आई हूँ. मैं गुरगाओं में एक फ्लॅट में मूव कर रही हूँ. तुमने मेरे किए जोभी ही किया हैं आजतक उसके लिए मैं हमेशा तुम्हारी शुक्रगुज़ार रहूंगी”
“यह क्या कह रही हो ऋतु… तुम शादी से पहले कैसे रह सकती हो उसके साथ”
“मैं वहाँ अकेले रहूंगी”