गाँव का राजा

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007
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Re: गाँव का राजा

Unread post by 007 » 08 Nov 2014 12:30

"ये हुई ना बात" कह कर उर्मिला देवी ने अपने पैर हटा लिए. राजू खड़ा हो गया और धीरे से अपनी हाफ पॅंट घुटनो के नीचे तक सरका दी. उर्मिला देवी को बड़ा मज़ा आ रहा था. लड़कों को जैसे स्ट्रीप टीज़ देखने में मज़ा आता है, आज उर्मिला देवी को अपने भाँझे के सौजन्या से वैसा ही स्ट्रीप टीज़ देखने को मिल रहा था. उसने कहा "पूरा पॅंट उतार ना, और अच्छे से दिखा". राजू ने अपना पूरा हाफ पॅंट उतार दिया और शरमाते-सकुचते सोफे पर बैठने लगा तो उर्मिला देवी ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर राजू का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और अपने पास खड़ा कर लिया और धीरे से उसकी आँखो में झाँकते हुए बोली "ज़रा अच्छे से देखने दे ना कैसी फिटिंग आई है". राजू ने अपने टी-शर्ट को अपने पेट पर चढ़ा रखा था और मामी बड़े प्यार से उसके उनड़ेवएअर की फिटिंग चेक कर रही थी. छ्होटा सा वी शेप का अंडरवेर था. एलास्टिक में हाथ लगा कर देखते हुए मामी बोली "हू फिटिंग तो ठीक लग रही है, ये नीला रंग भी तेरे उपर खूब अच्छा लग रहा है मगर थोड़ी टाइट लगती है"

"वो कैसे मामी, मुझे तो थोड़ा भी टाइट नही लग रहा", राजू का खड़ा लंड उनड़ेवएअर में एक दम से उभरा हुआ सीधा डंडे की शकल बना रहा था. उर्मिला देवी ने अपने हाथ को लंड की लंबाई पर फिराते हुए कहा, "तू खुद ही देख ले, पूरा पता चल रहा है कि तेरा औज़ार खड़ा हो गया है". लंड पर मामी का हाथ चलते ही मारे सनसनी के राजू की तो हालत खराब होने लगी, कांपति हुई आवाज़ में "ओह आहह" करके रह गया. उर्मिला देवी ने मुस्कुराते हुए पुचछा "हर समय ऐसे ही रहता है क्या"

"नेह्हियी मामी, हमेशा ऐसे नही रहता"

"और समय ढीला रहता है"

"हा मामी" .

"अच्छा, तब तो ठीक फिटिंग का है, मैं सोच रही थी की अगर हर समय ऐसे ही खड़ा रहता होगा तो तब तो तुझे थोड़ा और ढीला लेना चाहिए था, वैसे ये खड़ा क्यों है

"ओह, मुझे नही पता मामी."

"बहुत बड़ा दिख रहा है, पहसब तो नही लगी है तुझे"

"नही मामी"

"तब तो कोई और ही कारण होगा, वैसे वो सेल्स गर्ल भी हस रही थी जब मैने बोला की मेरे मुन्ना बेटे का थोड़ा ज़यादा ही बड़ा है" कह कर उर्मिला देवी ने लंड को अंडरवेर के उपर से कस कर दबाया. राजू के मुँह से एक सिसकारी निकल गई. उर्मिला देवी ने लंड को एक बार और दबा दिया और बोली "चल जा सोफे पर बैठ". राजू सीधे धरती पर आ गया. लंड पर मामी के कोमल हाथो का सपर्श जो मज़ा दे रहा था वो बड़ा अनूठा और अजूबा था. मन कर रहा था की मामी थोरी देर और लंड दबाती पर मन मार कर चुप चाप सोफे पर आ के बैठ गया और अपनी सांसो को ठीक करने लगा. उर्मिला देवी भी बड़ी सयानी औरत थी जानती थी कि लोंडे के मन में अगर एक बार तड़प जाग जाएगी तो फिर लौंडा खुद उसके चंगुल में फस जाएगा. कमसिन उमर के नौजवान छ्होकरे के मोटे लंड को खाने के चक्कर में वो मुन्ना को थोड़ा तड़पाना चाहती थी. उर्मिला देवी ने अभी भी अपनी नाइटी को अपने घुटनो से उपर तक उठाया हुआ था और अपने दोनो पैर फिर से सामने की टेबल पर रख लिए थे. राजू ने धीरे से अपने हाफ पॅंट को उठाया और पहन ने लगा. उर्मिला देवी तभी बोल पड़ी "क्यों पहन रहा है, घर में और कोई तो है नही, और मैने तो देख ही लिया है,"


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Re: गाँव का राजा

Unread post by 007 » 08 Nov 2014 12:31

गाँव का राजा पार्ट -4लेकर हाजिर हूँ दोस्तो कहानी कैसी है ये तो आप ही बताएँगे
"हाई नही मामी मुझे बड़ी शरम आ रही है"

तभी उर्मिला देवी ने फिर से अपनी चूत के उपर खुजली की. राजू का ध्यान भी मामी के हाथो के साथ उसी तरफ चला गया. उर्मिला देवी मुस्कुराती हुई बोली "अभी तक तो शायद केवल पॅंटी काट रही थी पर अब लगता है पॅंटी के अंदर भी खुजली हो रही है". राजू इसका मतलब नही समझा चुप-चाप मामी को घूरता रहा. उर्मिला देवी ने सोचा खुद ही कुच्छ करना पड़ेगा, लौंडा तो कुच्छ करेगा नही. अपनी नाइटी को और उपर सीधा जाँघो तक उठा कर उसके अंदर हाथ घुसा कर हल्के हल्के सहलाने लगी. और बोली "जा ज़रा पाउडर ले आ तो". राजू अंडरवेर में ही बेडरूम में जाने मे थोड़ा हिचका मगर मामी ने फिर से कहा "ले आ ज़रा सा लगा लेती हू".

राजू उठा और अपनी गांद मॅटकाते हुए पाउडर ले आया. उर्मिला देवी ने पाउडर ले लिया और थोड़ा सा पाउडर हाथो में ले कर अपनी हथेली को नाइटी में घुसा दिया. और पाउडर लगाने लगी. राजू तिर्छि निगाहों से अपने मामी हर्कतो को देख रहा था और सोच रहा था काश मामी उसको पाउडर लगाने को कहती. उर्मिला देवी शायद उसके मन की बात को स्मझ गई और बोली "राजू क्या सोच रहा है"

"कुच्छ नही मामी, मैं तो बस टी.वी. देख रहा हू"

"तू बस टी.वी. देखता ही रह जाएगा, तेरी उमर के लड़के ना जाने क्या-क्या कर लेते है, तुझे पता है दुनिया कितनी आगे निकल गई है"

"क्या मामी आप भी क्या बात करती हो मैं अपने क्लास का सबसे तेज़ बच्चा हू"

"तेरी तेज़ी तो मुझे कही भी देखने को नही मिली"

"क्या मतलब है आपका मामी"

"अभी तू कमसिन उमर का लड़का है तेरा मन तो करता होगा",

"क्या मन करता होगा मामी,"

"तान्क-झाँक करने का, अपनी चूत पर नाइटी के अंदर से हाथ चलाते हुए बोली "अब तो तेरा पूरा खड़ा होने लगा है"

"के मामी….."

"क्यों मन नही करता क्या, मैं जैसे ऐसे तेरे सामने पाउडर लगा रही हू तो तेरा मन करता होगा………….."

"धात मामी…….."

"मैं सब समझती हू… "तू शरमाता क्यों है, तेरी उमर में तो हर लड़का यही तमन्ना रखता है की कोई खोल के दिखा दे,,,,,,,,,,,,,,,,,तेरा भी मन करता होगा…………फिर बात बदलते बोली तेरे मामा होते तो उनसे पाउडर लगवा लेती"

फिर राजू के चेहरे की तरफ देखते हुए बोली "खोलने की बात सुनते ही सब समझ गया, कैसे चेहरा लाल हो गया है तेरा, मैं सब समझती हू तेरा हाल"

राजू का चेहरा और ज़यादा शरम से लाल हो गया और अपनी नज़रे झुकाते हुए बोला "आप बात ही ऐसी कर रही हो…..लाओ मैं पाउडर लगा देता हू"

"हाई, लगवा तो लू मगर तू कही बहक गया तो"

"हाई मामी मैं क्यों बहकुंगा"

"नही तेरी उमर कम है, देख के ही जब तेरा इतना खड़ा था तो हाथ लगा के क्या हाल हो जाएगा, फिर बदनामी………."

राजू का चेहरा खुशी से दमक उठा था, उसको स्मझ में आ गया था कि गाड़ी अब पटरी पर आ चुकी है बोला "आपकी कसम मामी किसी को भी नही बताउन्गा"

इस पर उर्मिला देवी ने राजू का हाथ पकड़ अपनी तरफ खींचा, राजू अब मामी के बगल में बैठ गया था. उर्मिला देवी ने अपने हाथो से उसके गाल को हल्का सा मसालते हुए कहा "हाई, बड़ी समझदारी दिखा रहा है पर है तो तू बच्चा ही ना कही बोल दिया तो"

" मामी…..नही किसी से नही………"

"खाली पाउडर ही लगाएगा या फिर…..देखेगा भी……..मैं तो समझती थी की तेरा मन करता होगा पर….."

"हाई मामी पर क्या……."

"ठीक है चल लगा दे पाउडर,"

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Re: गाँव का राजा

Unread post by 007 » 08 Nov 2014 12:31


उर्मिला देवी खड़ी हो गई और अपनी नाइटी को अपने कमर तक उठा लिया. राजू की नज़र भी उस तरफ घूम गई. मामी अपनी नाइटी को कमर तक उठा कर उसके सामने अपनी पॅंटी के एलास्टिक में हाथ लगा कर खड़ी थी. मामी की मोटी मोटी खंभे के जैसी सफेद खूबसूरत जंघे और उनके बीच कयामत बरपाति उनकी काली पॅंटीऔर काली पॅंटी को देख पाउडर का डिब्बा हाथ से छूट कर गिर गया और पाउडर लगाने की बात भी दिमाग़ से निकल गई. पॅंटी एक दम छ्होटी सी थी और मामी की चूत पर चिपकी हुई थी. राजू तो बिना बोले एक टक घूर घूर कर देखे जा रहा था. उर्मिला देवी चुप-चाप मुस्कुराते हुए अपनी नशीली जवानी का असर राजू पर होता हुआ देख रही थी. राजू का ध्यान तोड़ने की गरज से वो हस्ती हुई बोली "कैसी है मेरी पॅंटी की फिटिंग ठीक ठाक है ना". राजू एक दम से शर्मा गया. हकलाते हुए उसके मुँह से कुच्छ नही निकला. पर उमिला देवी वैसे ही हस्ते हुए बोली "कोई बात नही, शरमाता क्यों है, चल ठीक से देख कर बता कैसी फिटिंग आई है. राजू कुच्छ नही बोला और चुप चाप बैठा रहा. इस पर खुद उर्मिला देवी ने उसका हाथ पकड़ के खींच कर उठा दिया और बोली, "देख के बता ना, कही सच मुच में टाइट तो नही, अगर होगी तो कल चल के बदल लेंगे". राजू ने भी थोड़ी सी हिम्मत दिखाई और सीधा मामी के पैरो के पास घुटनो के बल खड़ा हो गया और बड़े ध्यान से देखने लगा. मामी की चूत पॅंटी में एक दम से उभरी हुई थी. चूत की दोनो फाँक के बीच में पॅंटी फस गई थी और चूत के च्छेद के पास थोड़ा सा गीलापन दिख रहा था.

राजू को इतने ध्यान से देखते हुए देख कर उर्मिला देवी ने हस्ते हुए कहा "क्यों फिट है या नही, ज़रा पिछे से भी देख के बता" कह कर उर्मिला देवी ने अपने मोटे मोटे गठिले चूतर राजू की आँखो के सामने कर दिए. पॅंटी का पिछे वाला भाग तो पतला सा स्टाइलिश पॅंटीस की तरह था. उसमे बस एक पतली सी कपड़े की लकीर सी थी जो की उर्मिला देवी के गांद की दरार में फसि हुई थी. गोरे-गोरे मैदे के जैसे गुदाज चूतरो को देख कर तो राजू के होश ही उड़ गये, बेशक्ता उसके मुँह से निकल गया "मामी पिछे से तो आपकी पॅंटी और भी छ्होटी है चूतर भी कवर नही कर पा रही". इस पर मामी ने हस्ते हुए कहा "अरे ये पॅंटी ऐसी ही होती है, पिछे की तरफ केवल एक पतला सा कपड़ा होता जो बीच में फस जाता है, देख मेरे चूतरो के बीच में फसा हुआ है ना"

"हा मामी, ये एक दम से बीच में घुस गया है"


"तू पिछे का छोड़ आगे का देख के बता ये तो ठीक है ना"

"मुझे तो मामी ये भी छ्होटा लग रहा है, साइड से थोड़े बहुत बॉल भी दिख रहे है, और आगे का कपड़ा भी कही फसा हुआ लग रहा है". इस पर उर्मिला देवी अपने हाथो से पॅंटी के जाँघो के बीच वाले भाग के किनारो को पकड़ा और थोड़ा फैलाते हुए बोली "वो उठने बैठने पर फस ही जाता है, अब देख मैने फैला दिया है, अब कैसा लग रहा है"

"अब थोड़ा ठीक लग रहा मामी, पर उपर से पता तो फिर भी चल रहा है"

"अर्रे तो इतने पास से देखेगा तो उपर से पता नही चलेगा क्या, मेरा तो फिर भी ठीक है तेरा तो सॉफ दिख जाता है".

"पर मामी, हम लोगो का तो खड़ा होता है ना आप लोगो का खड़ा नही होता"

"हा हमारे में छेद होता है, इसी से तो हर चीज़ इसके अंदर घुस जाती है". कह कर उर्मिला देवी खिलखिला कर हस्ने लगी. राजू ने भी थोड़ा सा शरमाने का नाटक किया. अब उसकी भी हिम्मत खुल चुकी थी. अब अगर उर्मिला देवी चुचि पकड़ाती तो आगे बढ़ कर पूरा चोद देता. उर्मिला देवी भी इस बात को समझ चुकी थी. ज़यादा नाटक छोड़ने की जगह अब सीधा खुल्लम खुल्लम बाते करने में दोनो की भलाई थी, ये बात अब दोनो समझ चुके थे. उर्मिला देवी ने इस पर राजू के गालो को अपने हाथो से मसल्ते हुए कहा "देखने से तो बड़ा भोला भाला लगता है मगर जानता सब है, कि किसका खड़ा होता है और किसका नही, लड़की मिल जाए तो सबसे पहले ............ बिगड़ गया है तू" कह कर उर्मिला देवी ने अपने नाइटी को जिसको उन्होने कमर तक उठा रखा था नीचे गिरा दिया.

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