रात के ठीक डूस बजे हम मोना को हमारे पति की पास ले गयी. सुमित
शेरवानी पहन कर ठीक किसी दूल्हे की तरह लग रहा था और अमित ने
शानदार सूट पहना हुआ था.
"कहिए हमारी दुल्हन कैसी लग रही है?" अनु ने मोना का घूँघट
थोड़ा उपर करते हुए पूछा.
"हे भगवान ऐसा लग रहा है जैसे की आसमान से कोई अप्सरा उत्तर
कर आ गयी हो," अपनी साँसे संभाले अमित मोना के पास आया. "मोना
तुम तो बहोत ही सुंदर लग रही हो."
"भाई अपने आप को संभलो." सुमित हंसते हुए बोला, ये मेरी दुल्हन
है, इसे हाथ भी मत लगाना."
फिर मेने और अनु ने मिलकर मोना की शादी सुमित के साथ नकली रूप
मे करा दी. फिर विदाई भी हुई और मोना इस कदर फूट फूट कर
रोई जैसे की सही मे उसकी बिदाई हो रही हो.
फिर हम मोना को उसके सुहागरात के कमरे मे ले गये जिसे हमने फूलों
और गुब्बारों से अछी तरह सजाया था और उसे पलंग पर बिठा दिए
जिसपर गुलाब की पंदखुड़िया बिछी हुई थी.
"सुमित अब तुम जा सकते हो? अनु ने कहा, "तुम्हारी दुल्हन तुम्हारा
इंतेज़ार कर रही है."
जैसे ही सुमित ने कमरे मे घुस कर दरवाज़ा बंद करने की कोशिश की
मेने चिल्ला पड़ी, "रुक जाओ, हम भी आ रहे है."
सुमित चौंक कर बोला, "तो क्या तुम हमारी सुहागरात देखना चाहती
हो?"
"और नही तो क्या? अनु ने जवाब दिया, "तुम्हे कोई ऐतराज़ है क्या?
"मुझे तो कोई ऐतराज़ नही है, लेकिन बेहतर होगा कि आप लोग आज रात
की दुल्हन से पूछ लें." सुमित ने कहा
"मोना प्लीज़ क्या हम देख सकते है?" मेने उससे आग्रह करते हुए
कहा, हम तो सिर्फ़ ये देखना चाहते है कि सुहागरात की रात ये तुमसे
ठीक से बर्ताव करता है कि नही और कहीं ये तुम्हारी गंद ना मार
दे."
"लड़किया तुम सब पागल हो गयी हो." अमित ने हमे बीच मे टोकते हुए
कहा, "सुहागरात को लोगों की आपस की और पर्सनल रात होती है,
में तो कहूँगा कि तुम सब इन्हे अकेला छोड़ दो.."
"थॅंक यू सर," मोना ने धीरे से कहा.
हमे अक्चा तो नही लगा लेकिन अमित का तर्क भी सही था, इसलिए हम
सब वहाँ से बाहर आ गये.
दूसरी सुबह हमने अमित से पूछा, "तो रात कैसी गुज़री?"
"ऑश में बता नही सकता, मोना वाकई मे लाजवाब है, नई नवेली
दुल्हन की तरह शरमाती रही. जब मेने उसके कपड़े उतारने चाहे तो
शर्मा कर सिमट गयी. जब उसकी चूत मे लंड घुसना चाहा तो ऐसे
शरमाई जैसे की पहली बार लंड ले रही है. जब लंड घुसा तो दर्द
से चिल्लई नही सिर्फ़ धीरे से फुसफुसा, "धीरे कीजिए ना दर्द हो
रहा है," सच में एक यादगार रात थी." अमित ने हमे बताया.
"और तुम क्या कहना चाहती हो मोना?" अनु ने पूछा.
"दीदी अब में अपनी नकली सुहागरात के बारे मे क्या कहूँ, आप तो सब
पहले से ही जानती है, आप तो सुहागरात मना भी चुकी हो." उसने
धीरे से कहा.
"शुक्रा है भगवान का इसे हक़ीकत का पता नही," मेने मन ही मन
कहा.
"फिर भी बताओ तुम्हे कैसा लगा?" अनु ने पूछा.
"श दीदी सही मे जन्नत का मज़ा आ गया, सुमित सर एक दम दूल्हे की
तरह मुझसे पेश आए. इतने प्यार से और अप्नत्व से इन्होने सब
किया," मोना ने बताया, "काश जिस दिन इन्होने पहली बार हमारी
कुँवारी चूत फाडी थी ऐसा ही प्यार और अप्नत्व दीखया होता."
"सॉरी मोना डार्लिंग," सुमित ने माफी माँगते हुए कहा, "तुम्हे तो पता
था कि उस दिन हालत और महॉल कैसा था."
"मुझे पता है, इसलिए कोई शिकायत नही है," मोना ने जवाब
दिया, "हां और इस बात की खुशी मुझे जिंदगी भर रहेगी कि नकली
ही सही मेने भी सुहागरात मनाई है."
मैं कुछ ज़्यादा ही एमोशनल हो रही थी इसलिए बात को बदलने के
लिए मेने मोना से फिर पूछा, "कहीं इन्होने तेरी गांद तो नही
मारी?
"ये तो मारना चाहते थे लेकिन मेने मना कर दिया." मोना ने हंसते
हुए कहा.
"कल नही मारी तो क्या हुआ, अब तो मार सकता हूँ," सुमित ने उसे बाहों
मे भरते हुए कहा.
"मना किसने किया है, स्वागत है आपका." मोना वहीं कुर्सी के सहारे
घोड़ी बनती हुई बोली.
"भैया इसकी गांद शाम तक का इंतेज़ार कर सकती है लेकिन ऑफीस
मे आने वाले हमारे ग्राहक हमारा इंतेज़ार नही करेंगे." अमित ने
कहा. "हमे तुरंत ऑफीस के लिए रवाना हो जाना चाहिए नही तो
लेट हो जाएँगे."
इसी तरह मस्ती और मज़े करते हुए समय गुज़रता गया. करीब तीन
महीने बाद मुझे सीमा दीदी का फोन आया ये बताने के लिए कि वो
दोनो शर्तें पूरी करने को तय्यार है.
"दीदी क्या कुँवारी चूत का इंतेज़ाम हो गया?" मेने पूछा.
"हां हो गया है." माला दीदी ने जवाब दिया.
"कौन हैं वो?" अनु ने पूछा.
"वो सब हम फोन पर नही बता सकते," सीमा दीदी ने हंसते हुए
अखा, "पर तुम्हारी जल्दी ही उनसे मुलाकात होगी."
उस दिन शाम को हमने ये खुश खबरी हमारे पतियों को सुनाई.
"वाउ क्या बात है, अब जल्दी से बताओ कि कब और कहाँ हमे मिलना
होगा उनसे?" अमित ने पूछा.
'आइ कान'ट टेल यू ऑन दा फोन,' मधु दीदी ने कहा, 'बट यू विल
मीट देम सून एनफ.' दट ईव्निंग, वी गेव दा गुड न्यूज़ टू अवर
हज़्बेंड्स.
'ग्रेट, वेन आंड वेर?' अमित इंक्वाइयर्ड.
"जीजू ने शिमला मे एक बुंगलोव किराए पर लिया है. वो चाहते है कि
हम इस महीने की 30 तारीख को वहाँ पहुँच जाएँ." मैने उन्हे बताया.
"शिमला ही क्यो, वो यहाँ भी आ सकते थे या फिर हमे अपने यहाँ
बुला लेते." सुमित ने कहा.
"मेने पूछा नही." मेने जवाब दिया, "होगा कोई कारण या फिर उनकी
मजबूरी, तुम कहो तो में उनसे पूछ सकती हूँ."
"नही इसकी कोई ज़रूरत नही है, बस उन्हे हमारा धन्यवाद देना और
कहना कि हम ठीक दिन पहुँच जाएँगे." अमित ने कहा
दो हफ्ते बाद जब हम हमारा शिमला जाने के प्रोग्राम की तय्यरी कर
रहे थे, अमित ने कहा, "देखो हमे ऑफीस का कोई ज़रूरी काम आ
गया और हम तुम दोनो के साथ नही जा पाएँगे, लेकिन हां हम ठीक
30 को वहाँ पहुँच जाएँगे सो तुम दोनो पहले चले जाओ और अपने
साथ मोना और रीमा को भी ले जाओ."
"तुम्हे लगता है कि इन्हे हमारे साथ ले जाना ठीक रहेगा." अनु ने
कहा, "वहाँ तुम हमारी बहनो की चुदाई भी करने वाले हो."
"इसमे क्या हर्ज़ है, कभी ना कभी तो इन दोनो को सब कुछ मालूम
पड़ने ही वाला है, तो क्यँ ना आज ही पड़ जाए." सुमित ने कहा, "और
याद है ना कि तुम्हारे प्यारे जीजू और जीजाजी हमे तोहफे मे कुँवारी
चूत देने वाले है तो हम भी इन दोनो को रिटर्न गिफ्ट मे उन्हे दे
देंगे."
"क्या मोना और रीमा को बुरा नही लगेगा कि तुमने अपने ही अंजान
रिश्तेदारों के हाथ मे उन्हे सोंपने दिया चुदवाने के लिए." मेने
अपनी चिंता जताई.
"अरे कुछ बुरा नही लगेगा, बल्कि वो दोनो तो खुश हो जाएँगी की
उन्हे दो नये लंड मिल गये चुद्वने के लिए, लेकिन तुमने फिर भी
अपनी चिंता जताई है इसलिए बेहतर होगा कि हम उसने पहले ही पूछ
लें" अमित ने कहा और उन्हे आवाज़ लगाई.
जब वो दोनो कमरे मे आई तो सुमित ने उन्हे सब कुछ विस्तार से समझा
दिया कि वो क्या और क्यों करना चाहते है.
"हम ये जानना चाहते है कि क्या तुम दोनो तय्यार हो?" अमित ने उन दोनो
से पूछा.
पहले तो दोनो ने शरम के मारे नज़रें झुका ली. "हम वही करेंगी
जो हमे दीदी कहेंगी," वो दोनो धीरे से बदबूदाई. लेकिन उनकी
आँखों की चमक ने बता दिया कि वो दोनो बहोत खुश थी.
"तुम दोनो बहोत शैतान हो?" मेने कहा, "तुम दोनो सब कुछ मुझे
पर ही क्यों डाल देती हो. मैं जानती हूँ कि दोनो नये लंड से
चुदवाने के ख़याल ने ही तुम्हारी चूत को गील कर दिया है, लाओ
में देखती हूँ कि तुम्हारी चूत गीली हुई है कि नही."
"नही दीदी नही....." कहकर वो दोनो वापस किचन मे भाग गयी.
"हम सब सफ़र कैसे करेंगे? क्या ट्रेन से." अनु ने पूछा.
"ट्रेन से सफ़र करने की कोई ज़रूरत नही है." सुमित ने
कहा, "ड्राइवर तुम सभी को क्वायलिस मे ले जाएगा और वहाँ छोड़ कर
वापस आ जाएगा. फिर हम उसके साथ तुम्हारे पास पहुँच जाएँगे."
"जिस सुबह हमे रवाना होना था सुमित ने हमसे कहा, "देवियों जब
तक हम ना कहे तुम दोनो अपने जीजू और जीजाजी से नही चुद्वओगि.'
"बिल्कुल नही में वादा करती हूँ." मैने कहा.
"में भी वादा करती हूँ." अनु ने पाने सिर पर हाथ रख कर कहा.
"और हां इन लंड की भूकियों पर भी नज़र रखना." अमित ने अखा.
"इसकी तुम चिंता मत करो, हम ध्यान रखेंगे." अनु ने कहा..
हम शाम को 6.00 बजे उस बुंगलोव पर पहुँच गये जो जीजाजी ने
किराए पर लिया था. बुंगलोव सहर से करीब एक घंटे के रास्ते पर
था.
एक दूसरे से मिलने के बाद हमारी बहने हमे बुंगलोव दीखाने लगी.
"ये हमारा बेडरूम है." मेने देखा कि उसमे चार पलंग थे.
"तो अब आप खुले आम सब कोई साथ साथ सोते हो?" मैने हंसते हुए
कहा.
"नही ऐसी कोई बात नही है," माला दीदी ने जवाब दिया, "असल मे इन
बंग्लॉ मे तीन ही बेडरूम है. और हर बेडरूम मे चार चार पलंग
है, तुम चारों को भी एक ही कमरे मे रहना होगा क्यों कि तीसरा
कमरा नौकरानियों का होगा."
"ओह दीदी हमे कोई प्राब्लम नही है" अनु ने मुस्कुराते हुए कहा.
"ओह... तो तुम लोग भी....." सीमा दीदी ने कहा, "कब से चल रहा
है ये सब?"
"दीदी यही कोई कुछ महीनो से." मेने जवाब दिया.
"चलो पहले कुछ चाइ नाश्ता कर लेते है फिर बात करते है."
माला दीदी ने कहा.
"तुम दोनो खुश तो हो ना?" सीमा दीदी ने कहा.
"हां दीदी," मेने कहा और फिर उन्हे सब कुछ विस्तार से बता दिया.
"तो ये मोना और रीमा है." दीदी ने पूछा.
"हां दीदी." अनु ने जवाब दिया
मर्दों की दुनिया compleet
Re: मर्दों की दुनिया
"तुम्हे इन्हे अपने साथ नही लाना चाहिए था, मुझे तो लगता है कि
तुम दोनो की तकलीफ़ की जड़ ये दोनो ही है." सीमा दीदी ने कहा.
"नही दीदी इसमे इनकी कोई ग़लती नही है, शायद ये तो होना ही था."
मेने जवाब दिया.
"बहुत सुंदर और प्यारी है दोनो." जीजू ने कहा.
"और चोदने मे भी मज़े दार होंगी में दावे से कह सकता हूँ."
जीजाजी ने कहा. "तुम क्या कहते हो अजय?"
"हां इनकी चूत मे लॉडा घुसाने मे मज़ा कुछ ख़ास ही आएगा."
"बहुत मज़ा आएगा." अनु हंसते हुए बोली, "हमारे पति देव ने इन्हे
ख़ास आप लोगों के लिए ही भेजा है. उन्होने कहा कि जब हमारे
आदर्निय जीजाजी लोग हमारे लिए कुँवारी चूत का इंतेआज़म कर
सकते है तो हम कम से कम उन्हे नई चूत तो तोहफे मे दे ही सकते
है."
"वो तो ठीक है, पर क्या ये दोनो तय्यार है?" जीजू ने पूछा.
"हां ये पूरा सहयोग देंगी, लंबा और मोटा लंड इन्हे पसंद है,"
मेने हंसते हुए कहा, "लेकिन आप दोनो को हमारे पति देव के आने का
इंतेज़ार करना होगा."
"बस हमारे बारे मे बहोट हो गया," मैने कहा, "दीदी वो दोनो
कुँवारियाँ कहाँ है?"
मर्दों की दुनिया पार्ट--8
एक मिनिट रूको." सीमा दीदी ने हंसते हुए कहा, फिर उन्होने घंटी
बजाई.
थोड़ी देर बाद एक 18 साल की नेपाली लड़की कमरे मे आई. वो इतनी
सुंदर तो नही थी लेकिन फिर भी उसके नाक नक्श काफ़ी कटीले थे.
रंग गोरा. 5"2 इंच लंबी और छोटी लेकिन नारंगी जैसे चुचियों.
"मेडम आपने बुलाया?" उसने कहा.
"हां सोना, ये मेरी बहने है. अनु और सूमी अपने पति के साथ कुछ
दिन हमारे यहाँ ही रहेंगी. ये दोनो इनकी नौकरणिया है मोना और
रीमा.
नौकरानियों को किचन मे ले जाकर इन्हे चाइ नाश्ता दो फिर इन्हे
अपना कमरा दीखा दो, ये तुम्हारे साथ रहेंगे.
"ठीक है मालकिन." सोना ने कहा.
"ज़रा टीना से कहना कि यहाँ चाइ दे जाए," माला दीदी ने उसे
हुकुम दिया.
"जैसा आप कहें मालकिन." कहकर वो हमारी नौकरानियों को साथ
लेकर कमरे से चली गयी.
"मेने इस लड़की को पहले कहीं देखा है." मेने अपने दीमाग पर ज़ोर
देते हुए कहा, "लेकिन याद नही आ रहा."
"तुमने इसे मेरी शादी मे देखा होगा," अनु ने कहा, "ये माला दीदी की
नौकरानी है."
"ऑश हाँ अब याद आया," मेने कहा, "लेकिन क्या इसे पता है कि इसे
यहाँ क्यों लाया गया है."
"हां इसे पता है कि इसे यहाँ इसकी चूत फादवाने के लिए लाया
गया है," माला दीदी ने कहा, "लेकिन ये समझती है कि इसकी कुँवारी
चूत विजय फड़ेगा."
"लेकिन इसे ऐसा क्यों लग रहा है इसकी चूत जीजाजी फाड़ेंगे." अनु
ने पूछा.
"ये एक लंबी कहानी है." माला दीदी ने कहा.
"दीदी प्लीज़ सुनाए ना." अनु ने कहा.
"अभी नही बाद मे सुनाउन्गि, पहले तुम दोनो टीना से मिल लो," सीमा
दीदी ने कहा, "वो अभी आती ही होगी."
तभी हमे एक मधुर आवाज़ सुनाई दी."मेडम प्लीज़ ज़रा दरवाज़ा खोल
दीजिए मेरे दोनो हाथ भरे हुए है."
"वो टीना ही होगी, ज़रूर चाइ लेकर आई होगी," माला दीदी ने
कहा, "सूमी ज़रा दरवाज़ा तो खोलना."
जब मेने दरवाज़ा खोला तो एक पल के लिए मेरी आँखे पथरा गयी.
टीना इतनी सुन्दर थी कि में क्या बताउ. कमरे मे हम सब मे वही
सबसे सुंदर थी. वो सोना की ही उम्र की होगी पर उससे उमर मे छोटी
दीख रही थी. गोल गोल मासूम आँखे, लंबे काले बाल इतना सुडौल
जिस्म की माँस नाम मात्र का भी उसके बदन पर नही था. बड़ी और
भारी भारी चुचिया, अगर उसे मौका मिले तो ज़रूर वर्ल्ड मिस
कॉंटेस्ट जीत सकती थी.
सीमा दीदी ने उससे हमारा परिचय कराया और उससे कहा की हमारे
पति कल आएँगे. उसने हम सभी को नमस्ते किया और चाइ देने के
बाद कमरे से चली गयी.
"सीमा दीदी तुम्हारी टीना तो बहोत ही सुन्दर है, कहाँ से मिल गयी
ये?" मेने पूछा.
"तुम्हारी शादी के बाद मेने अपनी पुरानी नौकरानी को निकाल दिया
था." सीमा दीदी ने जवाब दिया, "हर समय अपने दर्द के बारे मे ही
कहती रहती थी और सारा समय टी.वी देखती रहती थी."
"ये मिली कहाँ से" मेने फिर पूछा.
"दो दिन के बाद हमारे पड़ोसी ने इसे मेरे पास भेजा. में तो इसे
रखना ही नही चाहती थी कारण इसे कुछ भी नही आता था ना ही
खाना बनाना ना बचों की देखभाल करना," सीमा दीदी ने
कहा, "लेकिन तुम्हारे जीजू ने कहा की अगर कोई इसे काम पर नही
रखेगा तो इसे अनुभव कहाँ से आएगा," "लेकिन मुझे तो लगता है
कि तुम्हारे जीजू को इसकी सूरत और गाओं की कोरी चूत पसंद आ गयी
थी."
"दीदी ये इतनी सुंदर और प्यारी है कि मुझे तो डर लग रहा है कि
हमारे पति इसके लिए आपस मे झगड़ा ना करने लग जाए." अनु ने
खिलखिलते हुए कहा.
"झगड़ा करने से भी कुछ होने वाला नही है, क्योंकि टीना अपनी कोरी
चूत सुमित से ही फदवाएगी." सीमा दीदी ने खुलासा करते हुए कहा.
"सुमित ही क्यों अमित क्यों नही, वो तो दोनो से नही मिली है," अनु ने
थोड़ा जलन भरे स्वर मे कहा.
"इसके पीछे भी एक कहानी है," सीमा दीदी मुकुराते हुए बोली.
"फिर एक कहानी है, अछा चलिए बताइए क्या कहानी है?" मेने
कहा.
"वो तो में बता दूँगी लेकिन पहले माला से तो सुन ले कि सोना विजय
से ही क्यों चुदवाना चाहती है?" सीमा दीदी ने कहा.
"ये तुम्हारी शादी के एक हफ्ते बाद की बात है, जब हम घर
पहुँचे तो मेने देखा कि जब भी सोना कमरे मे होती थी तो विजय
उसे घूरता रहता था." माला दीदी ने कहानी सुनाते हुए कहा.
उस रात जब हम दोनो बिस्तर मे थे तो मेने विजय से कहा, "ये तुम
मर्दों को क्या हो जाता है जहाँ गोरी चॅम्डी देखी नही कि तुम लोगों
का लॉडा खड़ा हो जाता है."
"ऐसा कुछ नही है मेरी जान," विजय ने जवाब दिया, "ये गोरी चॅम्डी
के कारण खड़ा नही हो रहा है, बल्कि कोरी पहाड़ी लड़की की चूत
देख कर खड़ा हो रहा है, उपर से मेने आज तक किसी नेपाली लड़की
को नही चोदा है इसलिए खड़ा हो रहा है."
"क्या तुम उसे चोदना चाहते हो?" मेने विजय से सीधे सीधे पूछा.
"अरे मेरी जान मरा जा रहा हूँ उसे चोदने के लिए." उसने मेरा हाथ
अपने खड़े लंड पर रखते हुए कहा था, "देखो उसका नाम लेने से
लंड महाराज कैसे उछल रहे हैं."
"ठीक है में नही रोकती तुम्हे, जाओ और चोद दो उसे." मेने कहा.
"तुम्हे बुरा नही लगेगा ना," विजय ने मुझे बाहों मे भरते हुए कहा
था. "सच मे जान मे इसी लिए तुम्हे दुनिया की सबसे अच्छी बीवी कहा
करता हूँ."
"बस.... बस अब मस्का लगाना छोड़ो. " मेने मुस्कुराते हुए
कहा, "लेकिन एक ही शर्त पर तुम उसे चोद सकते हो."
"ठीक कहो क्या शर्त है?' विजय ने कहा.
"में देखना चाहती हूँ कि तुम उसकी कोरी चूत को कैसे फाड़ते हो?"
मेने कहा.
"अरे तुम अपनी बात करती हो, तो देख सकती हो." विजय ने कहा, "और
चाहो तो अपनी कुछ सहलेलियों को बुला सकती हो देखने के लिए."
"नही में ही काफ़ी हूँ," मेने उससे कहा, "में नही चाहती कि बाद
मे तुम मेरी सहलेलियों को भी छोड़ो."
"वैसे तुम्हारा ख़याल बुरा नही है, तुम्हारी कुछ सहेलियाँ तो सही
मे पटका है....." विजय ने मेरे उपर चढ़ अपने लंड को मेरी चूत
मे घुसाते हुए कहा था.
ऑश लड़कियों में बता नही सकती की वो रात कैसे थी, कई दीनो के
बाद विजय ने मेरी चूत इतनी कस कर मारी थी, उस रात उनका लॉडा
झड़ने का नाम ही नही ले रहा था. पता नही सोना का ख़याल था या
फिर मेरी सहेलियों का." मेने कहा.
"है दीदी कहीं जीजाजी ने सोना को चोद तो नही दिया?" अनु ने चिंता
करते हुए कहा.
"घबराव मत उन्होने अभी तक उसे चोदा नही है," मैने कहा, "वो
अभी भी कुँवारी है."
दूसरे दिन जब तुम्हारे जीजाजी काम पर से वापस आए तो मेने उन्हे
इशारा करते हुए कहा, "सोना किचन मे बर्तन धो रही है."
मेरा इशारा समझ तुम्हारे जीजाजी किचन मे गये और सोना को पीछे
से बाहों मे भर लिया, "सोना मे घर आ गया हूँ एक कप चाइ बना
दो." कहकर वो उसके गालों को चूमने लगे."
आगे की कहानी तुम्हारे जीजाजी की ज़ुबानी.
"श शाब, प्लीज़ ऐसा मत करिए, मेडम ने देख लिया तो ग़ज़ब हो
जाएगा," उसने फुसफुसते हुए कहा और मेरी पकड़ से छूटने की
कोशिश करने लाती.
"तुम्हारी मेडम कहाँ है?" मेने पूछा.
"अपने बेडरूम मे." सोना ने कहा.
"ठीक है चाइ वहीं लेकर आ जाओ." मेने उससे कहा.
कमरे मे पहुँच कर मेने माला को बताया कि किचन मे क्या हुआ
था. "ह्म्म्म तुमने ऐसा किया तो वो ना तो चिल्लाई ना ही तुम पर गुस्सा
हुई, सिर्फ़ तुम्हे मुझसे आगाह किया" माला ने कहा, "इसका मतलब समझते
हो?"
"हां बहोत अछी तरह से समझता हूँ," मेने हंसते हुए कहा, "इसका
मतलब है की तुम्हारी सहेलियों को मुफ़्त का प्राइवेट सेक्स शो देखने
को मिलने वाला है."
"हां मुझे भी ऐसा ही लगता है," माला भी हंसते हुए बोली.
"डार्लिंग में चाहता हूँ कि कल से में जब काम पर से वापस आयुं
तो तुम घर पर ना हो." मेने कहा.
"कहाँ जाउन्गि में?" माला ने पूछा.
"मुझे नही पता, शॉपिंग के लिए चली जाओ, या फिर सीमा के पास
चली जाओ बस तुम घर पर मत रहना." मैने कहा.
"सुझाव अक्चा है, शायद अजय भी तब ता घर पर आ चुका होगा."
माला ने हंसते हुए कहा.
तुम दोनो की तकलीफ़ की जड़ ये दोनो ही है." सीमा दीदी ने कहा.
"नही दीदी इसमे इनकी कोई ग़लती नही है, शायद ये तो होना ही था."
मेने जवाब दिया.
"बहुत सुंदर और प्यारी है दोनो." जीजू ने कहा.
"और चोदने मे भी मज़े दार होंगी में दावे से कह सकता हूँ."
जीजाजी ने कहा. "तुम क्या कहते हो अजय?"
"हां इनकी चूत मे लॉडा घुसाने मे मज़ा कुछ ख़ास ही आएगा."
"बहुत मज़ा आएगा." अनु हंसते हुए बोली, "हमारे पति देव ने इन्हे
ख़ास आप लोगों के लिए ही भेजा है. उन्होने कहा कि जब हमारे
आदर्निय जीजाजी लोग हमारे लिए कुँवारी चूत का इंतेआज़म कर
सकते है तो हम कम से कम उन्हे नई चूत तो तोहफे मे दे ही सकते
है."
"वो तो ठीक है, पर क्या ये दोनो तय्यार है?" जीजू ने पूछा.
"हां ये पूरा सहयोग देंगी, लंबा और मोटा लंड इन्हे पसंद है,"
मेने हंसते हुए कहा, "लेकिन आप दोनो को हमारे पति देव के आने का
इंतेज़ार करना होगा."
"बस हमारे बारे मे बहोट हो गया," मैने कहा, "दीदी वो दोनो
कुँवारियाँ कहाँ है?"
मर्दों की दुनिया पार्ट--8
एक मिनिट रूको." सीमा दीदी ने हंसते हुए कहा, फिर उन्होने घंटी
बजाई.
थोड़ी देर बाद एक 18 साल की नेपाली लड़की कमरे मे आई. वो इतनी
सुंदर तो नही थी लेकिन फिर भी उसके नाक नक्श काफ़ी कटीले थे.
रंग गोरा. 5"2 इंच लंबी और छोटी लेकिन नारंगी जैसे चुचियों.
"मेडम आपने बुलाया?" उसने कहा.
"हां सोना, ये मेरी बहने है. अनु और सूमी अपने पति के साथ कुछ
दिन हमारे यहाँ ही रहेंगी. ये दोनो इनकी नौकरणिया है मोना और
रीमा.
नौकरानियों को किचन मे ले जाकर इन्हे चाइ नाश्ता दो फिर इन्हे
अपना कमरा दीखा दो, ये तुम्हारे साथ रहेंगे.
"ठीक है मालकिन." सोना ने कहा.
"ज़रा टीना से कहना कि यहाँ चाइ दे जाए," माला दीदी ने उसे
हुकुम दिया.
"जैसा आप कहें मालकिन." कहकर वो हमारी नौकरानियों को साथ
लेकर कमरे से चली गयी.
"मेने इस लड़की को पहले कहीं देखा है." मेने अपने दीमाग पर ज़ोर
देते हुए कहा, "लेकिन याद नही आ रहा."
"तुमने इसे मेरी शादी मे देखा होगा," अनु ने कहा, "ये माला दीदी की
नौकरानी है."
"ऑश हाँ अब याद आया," मेने कहा, "लेकिन क्या इसे पता है कि इसे
यहाँ क्यों लाया गया है."
"हां इसे पता है कि इसे यहाँ इसकी चूत फादवाने के लिए लाया
गया है," माला दीदी ने कहा, "लेकिन ये समझती है कि इसकी कुँवारी
चूत विजय फड़ेगा."
"लेकिन इसे ऐसा क्यों लग रहा है इसकी चूत जीजाजी फाड़ेंगे." अनु
ने पूछा.
"ये एक लंबी कहानी है." माला दीदी ने कहा.
"दीदी प्लीज़ सुनाए ना." अनु ने कहा.
"अभी नही बाद मे सुनाउन्गि, पहले तुम दोनो टीना से मिल लो," सीमा
दीदी ने कहा, "वो अभी आती ही होगी."
तभी हमे एक मधुर आवाज़ सुनाई दी."मेडम प्लीज़ ज़रा दरवाज़ा खोल
दीजिए मेरे दोनो हाथ भरे हुए है."
"वो टीना ही होगी, ज़रूर चाइ लेकर आई होगी," माला दीदी ने
कहा, "सूमी ज़रा दरवाज़ा तो खोलना."
जब मेने दरवाज़ा खोला तो एक पल के लिए मेरी आँखे पथरा गयी.
टीना इतनी सुन्दर थी कि में क्या बताउ. कमरे मे हम सब मे वही
सबसे सुंदर थी. वो सोना की ही उम्र की होगी पर उससे उमर मे छोटी
दीख रही थी. गोल गोल मासूम आँखे, लंबे काले बाल इतना सुडौल
जिस्म की माँस नाम मात्र का भी उसके बदन पर नही था. बड़ी और
भारी भारी चुचिया, अगर उसे मौका मिले तो ज़रूर वर्ल्ड मिस
कॉंटेस्ट जीत सकती थी.
सीमा दीदी ने उससे हमारा परिचय कराया और उससे कहा की हमारे
पति कल आएँगे. उसने हम सभी को नमस्ते किया और चाइ देने के
बाद कमरे से चली गयी.
"सीमा दीदी तुम्हारी टीना तो बहोत ही सुन्दर है, कहाँ से मिल गयी
ये?" मेने पूछा.
"तुम्हारी शादी के बाद मेने अपनी पुरानी नौकरानी को निकाल दिया
था." सीमा दीदी ने जवाब दिया, "हर समय अपने दर्द के बारे मे ही
कहती रहती थी और सारा समय टी.वी देखती रहती थी."
"ये मिली कहाँ से" मेने फिर पूछा.
"दो दिन के बाद हमारे पड़ोसी ने इसे मेरे पास भेजा. में तो इसे
रखना ही नही चाहती थी कारण इसे कुछ भी नही आता था ना ही
खाना बनाना ना बचों की देखभाल करना," सीमा दीदी ने
कहा, "लेकिन तुम्हारे जीजू ने कहा की अगर कोई इसे काम पर नही
रखेगा तो इसे अनुभव कहाँ से आएगा," "लेकिन मुझे तो लगता है
कि तुम्हारे जीजू को इसकी सूरत और गाओं की कोरी चूत पसंद आ गयी
थी."
"दीदी ये इतनी सुंदर और प्यारी है कि मुझे तो डर लग रहा है कि
हमारे पति इसके लिए आपस मे झगड़ा ना करने लग जाए." अनु ने
खिलखिलते हुए कहा.
"झगड़ा करने से भी कुछ होने वाला नही है, क्योंकि टीना अपनी कोरी
चूत सुमित से ही फदवाएगी." सीमा दीदी ने खुलासा करते हुए कहा.
"सुमित ही क्यों अमित क्यों नही, वो तो दोनो से नही मिली है," अनु ने
थोड़ा जलन भरे स्वर मे कहा.
"इसके पीछे भी एक कहानी है," सीमा दीदी मुकुराते हुए बोली.
"फिर एक कहानी है, अछा चलिए बताइए क्या कहानी है?" मेने
कहा.
"वो तो में बता दूँगी लेकिन पहले माला से तो सुन ले कि सोना विजय
से ही क्यों चुदवाना चाहती है?" सीमा दीदी ने कहा.
"ये तुम्हारी शादी के एक हफ्ते बाद की बात है, जब हम घर
पहुँचे तो मेने देखा कि जब भी सोना कमरे मे होती थी तो विजय
उसे घूरता रहता था." माला दीदी ने कहानी सुनाते हुए कहा.
उस रात जब हम दोनो बिस्तर मे थे तो मेने विजय से कहा, "ये तुम
मर्दों को क्या हो जाता है जहाँ गोरी चॅम्डी देखी नही कि तुम लोगों
का लॉडा खड़ा हो जाता है."
"ऐसा कुछ नही है मेरी जान," विजय ने जवाब दिया, "ये गोरी चॅम्डी
के कारण खड़ा नही हो रहा है, बल्कि कोरी पहाड़ी लड़की की चूत
देख कर खड़ा हो रहा है, उपर से मेने आज तक किसी नेपाली लड़की
को नही चोदा है इसलिए खड़ा हो रहा है."
"क्या तुम उसे चोदना चाहते हो?" मेने विजय से सीधे सीधे पूछा.
"अरे मेरी जान मरा जा रहा हूँ उसे चोदने के लिए." उसने मेरा हाथ
अपने खड़े लंड पर रखते हुए कहा था, "देखो उसका नाम लेने से
लंड महाराज कैसे उछल रहे हैं."
"ठीक है में नही रोकती तुम्हे, जाओ और चोद दो उसे." मेने कहा.
"तुम्हे बुरा नही लगेगा ना," विजय ने मुझे बाहों मे भरते हुए कहा
था. "सच मे जान मे इसी लिए तुम्हे दुनिया की सबसे अच्छी बीवी कहा
करता हूँ."
"बस.... बस अब मस्का लगाना छोड़ो. " मेने मुस्कुराते हुए
कहा, "लेकिन एक ही शर्त पर तुम उसे चोद सकते हो."
"ठीक कहो क्या शर्त है?' विजय ने कहा.
"में देखना चाहती हूँ कि तुम उसकी कोरी चूत को कैसे फाड़ते हो?"
मेने कहा.
"अरे तुम अपनी बात करती हो, तो देख सकती हो." विजय ने कहा, "और
चाहो तो अपनी कुछ सहलेलियों को बुला सकती हो देखने के लिए."
"नही में ही काफ़ी हूँ," मेने उससे कहा, "में नही चाहती कि बाद
मे तुम मेरी सहलेलियों को भी छोड़ो."
"वैसे तुम्हारा ख़याल बुरा नही है, तुम्हारी कुछ सहेलियाँ तो सही
मे पटका है....." विजय ने मेरे उपर चढ़ अपने लंड को मेरी चूत
मे घुसाते हुए कहा था.
ऑश लड़कियों में बता नही सकती की वो रात कैसे थी, कई दीनो के
बाद विजय ने मेरी चूत इतनी कस कर मारी थी, उस रात उनका लॉडा
झड़ने का नाम ही नही ले रहा था. पता नही सोना का ख़याल था या
फिर मेरी सहेलियों का." मेने कहा.
"है दीदी कहीं जीजाजी ने सोना को चोद तो नही दिया?" अनु ने चिंता
करते हुए कहा.
"घबराव मत उन्होने अभी तक उसे चोदा नही है," मैने कहा, "वो
अभी भी कुँवारी है."
दूसरे दिन जब तुम्हारे जीजाजी काम पर से वापस आए तो मेने उन्हे
इशारा करते हुए कहा, "सोना किचन मे बर्तन धो रही है."
मेरा इशारा समझ तुम्हारे जीजाजी किचन मे गये और सोना को पीछे
से बाहों मे भर लिया, "सोना मे घर आ गया हूँ एक कप चाइ बना
दो." कहकर वो उसके गालों को चूमने लगे."
आगे की कहानी तुम्हारे जीजाजी की ज़ुबानी.
"श शाब, प्लीज़ ऐसा मत करिए, मेडम ने देख लिया तो ग़ज़ब हो
जाएगा," उसने फुसफुसते हुए कहा और मेरी पकड़ से छूटने की
कोशिश करने लाती.
"तुम्हारी मेडम कहाँ है?" मेने पूछा.
"अपने बेडरूम मे." सोना ने कहा.
"ठीक है चाइ वहीं लेकर आ जाओ." मेने उससे कहा.
कमरे मे पहुँच कर मेने माला को बताया कि किचन मे क्या हुआ
था. "ह्म्म्म तुमने ऐसा किया तो वो ना तो चिल्लाई ना ही तुम पर गुस्सा
हुई, सिर्फ़ तुम्हे मुझसे आगाह किया" माला ने कहा, "इसका मतलब समझते
हो?"
"हां बहोत अछी तरह से समझता हूँ," मेने हंसते हुए कहा, "इसका
मतलब है की तुम्हारी सहेलियों को मुफ़्त का प्राइवेट सेक्स शो देखने
को मिलने वाला है."
"हां मुझे भी ऐसा ही लगता है," माला भी हंसते हुए बोली.
"डार्लिंग में चाहता हूँ कि कल से में जब काम पर से वापस आयुं
तो तुम घर पर ना हो." मेने कहा.
"कहाँ जाउन्गि में?" माला ने पूछा.
"मुझे नही पता, शॉपिंग के लिए चली जाओ, या फिर सीमा के पास
चली जाओ बस तुम घर पर मत रहना." मैने कहा.
"सुझाव अक्चा है, शायद अजय भी तब ता घर पर आ चुका होगा."
माला ने हंसते हुए कहा.
Re: मर्दों की दुनिया
दूसरे दिन जब में घर पहुँचा तो मेने सोना से पूछा, "माला
कहाँ है?" तो उसने कहा की अभी अभी बाहर गयी है. मेने उसे
तुरंत बाहों मे भर लिया और उसके गालों को चूमने लगा
"श सहब मत करिए ना.." सोना ने विरोध किया, लेकिन ना तो उसने
अपने आप को मुझसे छुड़ाया और ना ही कुछ कहा.
थोड़ी देर उसे चूमने के बाद मेने कहा, "में हॉल मे बैठा हूँ,
चाइ वहीं ले आना."
सोना ने चाइ हॉल मे लाकर मुझे दे दी. में चाइ की सीप लेने लगा.
की तभी उसने पूछा, "साबजी चाइ कैसी बनी है?"
"बहुत अछी बनी है." मेने कहा और सुबह का अख़बार पढ़ने लगा.
वैसे में चाहता तो उसके साथ और आगे भी बढ़ सकता था लेकिन
कहीं वो डर ना जाए इसलिए मेने धीरे धीरे ही आगे बढ़ना उचित
समझा.
थोड़े दिन टोमें उसके गालों को ही चूमते रहा फिर एक दिन मेने
उसके होठों को चूम लिया, "ऑश साब आपको ऐसा नही करना चाहिए
था?" उसने शरमाते हुए कहा लेकिन विरोध नही किया.
में सिर्फ़ हंस कर रह गया और हॉल मे बैठ कर अपनी चाइ का
इंतेज़ार करने लगा. चाइ का सीप लेते ही उसने पूछा, "साब चाइ कैसी
बनी है?" जैसी कि हर रोज़ पूछती है.
"ह्म्म आज कुछ मीठी ज़्यादा है, कितनी चमच शक्कर डाली थी?'
मेने पूछा.
"एक चमच जैसे हर रोज़ डालती हूँ." उसने जवाब दिया.
"ह्म्म फिर तुम्हारे होठों की मीठास होगी." मेने अपने होठों पर जीभ
फिराते हुए कहा.
"ऑश" कहकर वो शरमाती हुई किचन मे भाग गयी. में भी उसके
पीछे पीछे किचन मे आ गया और उसे बाहों मे भरते हुए
बोला, "सोना एक बार और तुम्हारे होठों की मीठास लेने दो ना?" और
मेने उसके होठों को चूम लिया.
पहले तो उसने हल्का विरोध किया लेकिन फिर उसने मुझे चूमने दिया.
मेने भी इस बार उसके होठों को चूमते हुए अपनी जीब उसके मुँह डाल
दी और वो भी मेरे होठों को चूसने लगी.
थोड़ी देर बाद हम जब अलग हुए तो हमारी साँसे तेज हो गयी
थी. "होठों को चूसना अक्चा लगता है ना?" मेने पूछा.
"हां बहोत अक्चा लगता है." उसने शरमाते हुए कहा.
चूमा चॅटी अब रोज़ ही होने लगी. माला घर मे होती तो भी हम
मौका देख एक दूसरे को चूम लेते. अब मुझे उसकी चुचियों की ओर
बढ़ना था. फिर एक दिन मेने एक प्लान बनाया और माला को अपना प्लान
समझाया.
"अरे मेरे चुड़क्कड़ राजा चिंता मत करो में सब इंतेज़ाम कर
दूँगी," माला ने कहा, "कल तुम्हे सोना की चुचियाँ मिल जाएँगी. "
दूसरे दिन जब सोना ने मुझे चाइ दी तो मेने कहा, "सोना आज चाइ
कुछ ज़्यादा कड़क लग रही है, थोड़ा दूध तो लेकर आना.
"साबजी मेने चाइ तो रोज़ की तरह ही बनाई थी पता नही कैसे
कड़क हो गयी, अब दूध तो और नही है." सोना ने कहा.
"तो क्या हुआ तू अपना दूध ही ले आ." मेने उसकी कड़क चुचियों को
घूरते हुए कहा.
"अपना दूध?" एक बार तो उसकी समझ मे नही आया, लेकिन जब समझ
आया तो शर्मा कर बोली, "धात्ट...... आप मज़ाक कर रहे हैं, मेरे
मे दूध नही आता."
"ऑश. ज़रा देखने दो दूध आता है कि नही." कहकर मेने उसे
खींच कर अपनी गोद मे बिठा लिया.
"ऑश... साबजी प्लीज़ मुझे जाने दो? वो गिड़गिडाई लेकिन मेरी गोद
से उठने की कोशिश नही की.
मेने उसे चूमते हुए उसके ब्लाउस के बटन खोलने शुरू कार दिए.
"ऑश शाआब प्लीज़ ऐसा मत करिए... कोई आ जाएगा," उसने कहा.
मेने उसके ब्लाउस के बटन खोल उसकी ब्रा को उपर करते हुए उसकी
चुचियों को नंगा कर दिया.
"ऑश सोना तुम्हारी चुचि तो बड़ी मस्त है..." कहकर में उन्हे
भींचने और मसल्ने लगा.
"उम्म्म कहाँ आक्ची है... कितनी छोटी है....." उसने मुँह बनाते
हुए कहा,
"अरे छोटी है तो क्या हुआ.... सही मे बड़ी मस्त और मुलायम है..."
में उसकी चुचि को पकड़े उसके निपल को मुँह मे लिया और चूसने
लगा.
'"ऑश साआबजी ये क्या कर रहे हो.... ओह" वो सिसकने लगी, उसे
भी मस्ती आने लगी.
सोना ने अपनी आँखे बंद कर ली थी और मस्त होकर अपनी चुचि
चोस्वा रही थी, तभी मेने अपना हाथ नीचे बढ़ाते हुए उसकी चूत
को सारी के उपर से सहलाने लगा.
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, "ऑश सब्जी नही मुझे कुछ होता
है...."
"अरे करने दे तुझे अक्चा लगेगा.....ज़रा दबाने दे......" में उसके
कान मे धीरे से बोला.
हिचकिचाते हुए उसने मेरा हाथ छोड़ दिया और में उसकी चूत को
दबाने लगा. थोड़ी ही देर मे वो मस्त होकर अपनी कमर को उपर कर
अपनी चूत मेरे हाथ पर दबाने लगी.
"ऑश शाआब ओह......शाआबजििइई" वो जोरों से सिसक रही थी.
जब मुझे लगा की उसकी चूत पानी छोड़ने वाली है मेने अपना हाथ
उसकी सारी के अंदर डाल दिया. अब में उसकी नंगी चूत को अपने हाथ
से भींच रहा था और मसल रहा था.
"श आआआआः... साआभी क्या कर र्म हूऊओ." सिसकते हुए उसकी चूत
ने पानी छोड़ दिया.
"क्या मज़ा आया?" मैने पूछा.
"ऑश हा ऑश हाआँ बहोत मज़ा आया."
"लाओ एक बार फिर करने दो..." मेने कहा और एक बार फिर उसकी चूत
का पानी छुड़ा दिया.
कुछ दीनो तक में इसी तरह उसकी चूत को दबा मसल उसका पानी
छुड़ाता रहा, एक दिन मेने उससे पूछा, "सोना क्या और मज़ा लेना
चाहोगी?"
"हां साबजी." उसने कहा.
"फिर तो तुम्हे इन्हे सॉफ करना होगा." मेने उसकी चूत के बालों को
पकड़ते हुए कहा.
"इन बालों से क्या परेशानी है, आअप करना क्या चाहते है? उसने
भोलेपन मे पूछा.
"इसलिए की में तुम्हारी चूत चाटूँगा और उसे मुँह मे भर
चूसुन्गा." मेने कहा, "तुम्हे बहोत मज़ा आएगा."
"छी... वो जगह गंदी उसे भी कोई चूसा जाता है." उसने जवाब
दिया.
"वो सब मुझे सोचने दो... तुम सिर्फ़ मस्ती की चिंता करो जो तुम्हे
मिलने वाली है." मेने उसे समझाते हुए कहा.
"क्या तुम ऐसे ही नही कर सकते?" उसने पूछा.
कहाँ है?" तो उसने कहा की अभी अभी बाहर गयी है. मेने उसे
तुरंत बाहों मे भर लिया और उसके गालों को चूमने लगा
"श सहब मत करिए ना.." सोना ने विरोध किया, लेकिन ना तो उसने
अपने आप को मुझसे छुड़ाया और ना ही कुछ कहा.
थोड़ी देर उसे चूमने के बाद मेने कहा, "में हॉल मे बैठा हूँ,
चाइ वहीं ले आना."
सोना ने चाइ हॉल मे लाकर मुझे दे दी. में चाइ की सीप लेने लगा.
की तभी उसने पूछा, "साबजी चाइ कैसी बनी है?"
"बहुत अछी बनी है." मेने कहा और सुबह का अख़बार पढ़ने लगा.
वैसे में चाहता तो उसके साथ और आगे भी बढ़ सकता था लेकिन
कहीं वो डर ना जाए इसलिए मेने धीरे धीरे ही आगे बढ़ना उचित
समझा.
थोड़े दिन टोमें उसके गालों को ही चूमते रहा फिर एक दिन मेने
उसके होठों को चूम लिया, "ऑश साब आपको ऐसा नही करना चाहिए
था?" उसने शरमाते हुए कहा लेकिन विरोध नही किया.
में सिर्फ़ हंस कर रह गया और हॉल मे बैठ कर अपनी चाइ का
इंतेज़ार करने लगा. चाइ का सीप लेते ही उसने पूछा, "साब चाइ कैसी
बनी है?" जैसी कि हर रोज़ पूछती है.
"ह्म्म आज कुछ मीठी ज़्यादा है, कितनी चमच शक्कर डाली थी?'
मेने पूछा.
"एक चमच जैसे हर रोज़ डालती हूँ." उसने जवाब दिया.
"ह्म्म फिर तुम्हारे होठों की मीठास होगी." मेने अपने होठों पर जीभ
फिराते हुए कहा.
"ऑश" कहकर वो शरमाती हुई किचन मे भाग गयी. में भी उसके
पीछे पीछे किचन मे आ गया और उसे बाहों मे भरते हुए
बोला, "सोना एक बार और तुम्हारे होठों की मीठास लेने दो ना?" और
मेने उसके होठों को चूम लिया.
पहले तो उसने हल्का विरोध किया लेकिन फिर उसने मुझे चूमने दिया.
मेने भी इस बार उसके होठों को चूमते हुए अपनी जीब उसके मुँह डाल
दी और वो भी मेरे होठों को चूसने लगी.
थोड़ी देर बाद हम जब अलग हुए तो हमारी साँसे तेज हो गयी
थी. "होठों को चूसना अक्चा लगता है ना?" मेने पूछा.
"हां बहोत अक्चा लगता है." उसने शरमाते हुए कहा.
चूमा चॅटी अब रोज़ ही होने लगी. माला घर मे होती तो भी हम
मौका देख एक दूसरे को चूम लेते. अब मुझे उसकी चुचियों की ओर
बढ़ना था. फिर एक दिन मेने एक प्लान बनाया और माला को अपना प्लान
समझाया.
"अरे मेरे चुड़क्कड़ राजा चिंता मत करो में सब इंतेज़ाम कर
दूँगी," माला ने कहा, "कल तुम्हे सोना की चुचियाँ मिल जाएँगी. "
दूसरे दिन जब सोना ने मुझे चाइ दी तो मेने कहा, "सोना आज चाइ
कुछ ज़्यादा कड़क लग रही है, थोड़ा दूध तो लेकर आना.
"साबजी मेने चाइ तो रोज़ की तरह ही बनाई थी पता नही कैसे
कड़क हो गयी, अब दूध तो और नही है." सोना ने कहा.
"तो क्या हुआ तू अपना दूध ही ले आ." मेने उसकी कड़क चुचियों को
घूरते हुए कहा.
"अपना दूध?" एक बार तो उसकी समझ मे नही आया, लेकिन जब समझ
आया तो शर्मा कर बोली, "धात्ट...... आप मज़ाक कर रहे हैं, मेरे
मे दूध नही आता."
"ऑश. ज़रा देखने दो दूध आता है कि नही." कहकर मेने उसे
खींच कर अपनी गोद मे बिठा लिया.
"ऑश... साबजी प्लीज़ मुझे जाने दो? वो गिड़गिडाई लेकिन मेरी गोद
से उठने की कोशिश नही की.
मेने उसे चूमते हुए उसके ब्लाउस के बटन खोलने शुरू कार दिए.
"ऑश शाआब प्लीज़ ऐसा मत करिए... कोई आ जाएगा," उसने कहा.
मेने उसके ब्लाउस के बटन खोल उसकी ब्रा को उपर करते हुए उसकी
चुचियों को नंगा कर दिया.
"ऑश सोना तुम्हारी चुचि तो बड़ी मस्त है..." कहकर में उन्हे
भींचने और मसल्ने लगा.
"उम्म्म कहाँ आक्ची है... कितनी छोटी है....." उसने मुँह बनाते
हुए कहा,
"अरे छोटी है तो क्या हुआ.... सही मे बड़ी मस्त और मुलायम है..."
में उसकी चुचि को पकड़े उसके निपल को मुँह मे लिया और चूसने
लगा.
'"ऑश साआबजी ये क्या कर रहे हो.... ओह" वो सिसकने लगी, उसे
भी मस्ती आने लगी.
सोना ने अपनी आँखे बंद कर ली थी और मस्त होकर अपनी चुचि
चोस्वा रही थी, तभी मेने अपना हाथ नीचे बढ़ाते हुए उसकी चूत
को सारी के उपर से सहलाने लगा.
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, "ऑश सब्जी नही मुझे कुछ होता
है...."
"अरे करने दे तुझे अक्चा लगेगा.....ज़रा दबाने दे......" में उसके
कान मे धीरे से बोला.
हिचकिचाते हुए उसने मेरा हाथ छोड़ दिया और में उसकी चूत को
दबाने लगा. थोड़ी ही देर मे वो मस्त होकर अपनी कमर को उपर कर
अपनी चूत मेरे हाथ पर दबाने लगी.
"ऑश शाआब ओह......शाआबजििइई" वो जोरों से सिसक रही थी.
जब मुझे लगा की उसकी चूत पानी छोड़ने वाली है मेने अपना हाथ
उसकी सारी के अंदर डाल दिया. अब में उसकी नंगी चूत को अपने हाथ
से भींच रहा था और मसल रहा था.
"श आआआआः... साआभी क्या कर र्म हूऊओ." सिसकते हुए उसकी चूत
ने पानी छोड़ दिया.
"क्या मज़ा आया?" मैने पूछा.
"ऑश हा ऑश हाआँ बहोत मज़ा आया."
"लाओ एक बार फिर करने दो..." मेने कहा और एक बार फिर उसकी चूत
का पानी छुड़ा दिया.
कुछ दीनो तक में इसी तरह उसकी चूत को दबा मसल उसका पानी
छुड़ाता रहा, एक दिन मेने उससे पूछा, "सोना क्या और मज़ा लेना
चाहोगी?"
"हां साबजी." उसने कहा.
"फिर तो तुम्हे इन्हे सॉफ करना होगा." मेने उसकी चूत के बालों को
पकड़ते हुए कहा.
"इन बालों से क्या परेशानी है, आअप करना क्या चाहते है? उसने
भोलेपन मे पूछा.
"इसलिए की में तुम्हारी चूत चाटूँगा और उसे मुँह मे भर
चूसुन्गा." मेने कहा, "तुम्हे बहोत मज़ा आएगा."
"छी... वो जगह गंदी उसे भी कोई चूसा जाता है." उसने जवाब
दिया.
"वो सब मुझे सोचने दो... तुम सिर्फ़ मस्ती की चिंता करो जो तुम्हे
मिलने वाली है." मेने उसे समझाते हुए कहा.
"क्या तुम ऐसे ही नही कर सकते?" उसने पूछा.