hindi sex story - किस्से कच्ची उम्र के.....!!!!
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भाग 16
उस दिन के बाद चंदू और सुमन के चुदाई का सिलसिला सुरु हो चूका था। चंदू जैसे मौका मिलता वैसे कभी दोपहर में तो कभी रात को आके सुमन की चूत और गांड चोद देता। सुमन हर 4 5 वे दिन मिलने वाली चुदाई की वजह से बहोत खुश थी। लेकिन उनकी ये चोरी कभी ना कभी तो पकडी जाने ही वाली थी। और हुआ भी ऐसेही।
एक रात करीब 1 बजे माधवी मोबाइल में वीडियो देख के चूत में उंगली कर रही थी। जब उसका काम हुआ तो वो बाथरूम जाने के लिए बाहर गयी। जब वो अपना काम निपटा के बाहर आयी तो उसने देखा की सुमन पीछे का दरवाजा खोल के किसी को अंदर ले रही थी। माधवी ने देखा की वो कोई चंदू था। माधवी को यकीं नहीं हो रहा था अपनी आँखों पे। वो थोडा छुपके देखने लगी। चंदू और सुमन जल्दी जल्दी सुमन के कमरे में चले गये। माधवी का दिल बहोत जोरो से धड़कने लगा। वो क्या करे उसे कुछ समझ नहीं रहा था। वो अपने कमरे में जाके सोचने लगी की वो क्या करे?? बाबा को बता दे? नहीं बाबा को बता दिया तो वो बुआ को बहोत पिटेंगे। उसने बहोत सोचने के बाद ये तय किया की वो खुद सुमन से बात करेगी। और वैसे भी वो नेट पे सेक्स से रिलेटेड इतनी बाते पढ़ने और देखने के बाद वो इतनी समझदार तो हो गयी थी की ये बात वो समझ गयी की सुमन ऐसा क्यू कर रही है।
वो रूम में इधर से उधर घूम रही थी। वो सोच रही थी की वो दोनों क्या कर रहे होंगे? जाके देखु या नहीं?? ऐसेही आधा घंटा गुजर गया। आखिर माधवी से रहा नहीं गया। वो धीरे धीरे सुमन के कमरे की और चली गयी। कमरे का दरवाजा थोडा खुल्ला था। उसने अंदर देखा तो सुमन और चंदू वहा नहीं थे। सुमन का बेटा सो रहा था। माधवी को पता चल गया की वो दोनों छत की तरफ होंगे क्यू की ऊपर जाने वाली सीढिया सुमन के कमरे के बाजु में थी। वो बिना आवाज किये सीढ़ियों की तरफ बढ़ने लगी। छत पे खुलने वाले दरवाजे के पास आके वो रुक गयी। उसने देखा की सुमन निचे पैर ऊपर करके लेटी हुई है और चंदू उसकी चूत में लंड डाल के उसे चोद रहा
माधवी ये देख के पसीना पसीना हो गयी। दोनों नंगे थे।चांदनी रात होने की वजह से उसे सब साफ दिखाई दे रहा था। वो दोनों पूरी तरह से चुदाई के आंनद में खोये हुए थे। उनका बिलकुल भी ध्यान नहीं था । माधवी पहली बार सचमुच की चुदाई देख रही थी। और ये मोबाइल पे से कही जादा हॉट थी। उसने थोड़ी देर पहले ही अपनी चूत को उंगली से रगड़ पानी निकाला था। पर सामने का सिन देख के उसका हाथ अपने आप ही अपनी चूत पे चला गया
उपर से उनकी बाते आग में घी डालने का काम कर रही थी।
सुमन:-अह्ह्ह्ह्ह चंदू उफ्फ्फ ये तेरा छत पे आके चुदाई करने का आईडिया कमाल का है। उफ्फ्फ्फ्फ़ बहोत मजा आ रहा है ऐसे खुले में लंड लेने के।
चंदू:- अह्ह्ह्ह हा ऐसे मौसम में खुले में चुदाई का मजा ही कुछ और होता है।
सुमन:- अह्ह्ह्ह स्सस्सधीरे कर जालिम उफ्फ्फ्फ़ तेरा इतना लंबा लंड है सीधे पेट के अंदर धक्के लगते है।
चंदू:- अह्ह्ह्ह साली अभी तक नखरे करती है...कितनी बार चोद चूका हु..अभी तक पूरी खुल गयी है तेरी चूत स्सस्सस्स
सुमन:- अह्ह्ह्ह उम्म्म्म ऐसेही बोल रही हु रे उफ्फ्फ्फ्फ़ चोद अह्ह्ह और तेज अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह
चंदू:- अह्ह्ह्ह अब तू ऊपर से आजा स्स्स्स्स्
चंदू निचे लेट जाता है। सुमन उसके ऊपर आके अपनी चूत में उसका लंड लेके अपनी गांड ऊपर निचे हिलाके लंड को अंदर बाहर करने लगती
ये वो पल था जब माधवी चंदू का पूरा लंड देखती है। चंदू का लंड देख के माधवी के चूत में पानी बाढ़। सी आ जाती है।उसका लंड सुमन की चूत के रस से भीगा हुआ था।इस वजह से वो उसके ऊपर चांदनी पड़ने से वो चमक रहा था। उसका लंड देख माधवी और भी उत्तेजित हो जाती है।
और अब सुमन की चूत में अंदर बाहर हो रहा लंड देख के तो पागल सी हो जाती है। उसके पाँव थर थर कापने लगे थे। वो पसीना पसीना हो चुकी थी। उससे अब वो सब देखा नहीं जा रहा था। ऊपर से चूत भी बहोत गीली हो गयी थी। वो वह से चुपचाप निकल गयी और अपने कमरे जाके बेड पर लेट गयी।वो बहोत गरम हो चुकी थी। उसकी आँखों के सामने चूत में अंदर बाहर हो रहा लंड ही घूम रहा था। असली चुदाई क्या होती है वो आज पहली बार देख रही थी।सागर और प्रियंका को भी उसने देखा था मगर ये कुछ जादा ही था। वो वापस से अपनी चूत सहलाने लगी। और तब तक सहलाती रही जबतक वो शांत नहीं हुई।*
दूसरे दिन उसे सुमन से बात करनी थी मगर मौका ही नहीं मिला। वो स्कूल चली गयी। शाम को जब वो वापस लौटी तो उसे मौका मिल ही गया।
वो सुमन को अपने कमरे में लेके गयी और उसे पूछने लगी। जब माधवी ने उसे बताया की कल रात को उसने चंदू को और उसे चुदाई करते देख लिया है तो उसके पैरो तले जमीन खिसक गयी। उसके चेहरे का रंग सफ़ेद पड़ गया। वो बहोत घबरा गयी। वो माधवी से हाथ जोड़ के बिनती करने लगी की जसवंत को कुछ ना बताय। जब माधवी ने उसकी हालात देखि तो उसे उसपे दया आने लगी।
माधवी:- ठीक है बुआ मैं नहीं बताउंगी किसीको लेकिन आपको ऐसा करने की क्या जरुरत थी??
सुमन:- तो क्या करती मैं तुम्हारे फूफा साल में एक बार घर आते है। मेरी भावनाओ को कण्ट्रोल करना मुश्किल हो गया था। ऐसे में चंदू ने मेरी भावनाओ को भड़का दिया तो मैं फिसल गयी और फिर फिसलती चली गयी। तू ही बता ...तू भी तो अब जवान हो गयी है...तुझे भी लगता होगा की कोई प्यार करनेवाला हो...
माधवी:- न..नहीं..मु..मुझे ऐसा कुछ नहीं लगता..
सुमन:- मुझे पता है मैं भी तुम्हारि उम्र से गुजर चुकी हु...
माधवी:-वो सब छोडो..लेकिन क्या अब भी चंदू चाचा के साथ ये सब ऐसे ही सुरु रखने वाली हो??
सुमन:- देख माधवी अगर तू इसमें मेरा साथ दोगी तो तुम्हारा बहोत अहसान होगा मुझपे।
माधवी:- बुआ आप ये कैसी बाते कर रहे हो??
सुमन:- देख माधवी मैं यहाँ अब कुछ महीने ही हु..उसके बाद तो मैं चली जाउंगी तब तक मुझे थोडा सुख मिल रहा है..तो प्लीज तू किसीको मत बताना...
माधवी:- लेकिन बुआ ये गलत है..
सुमन:- मैं अब सही गलत के बारे में सोचना नहीं चाहती.....
माधवी:- लेकिन मैं कैसे आप का साथ दू??
सुमन:- बस किसीको मत बताना....बाकि मैं संभाल लुंगी..
माधवी:-बुआ देखो मैं ये किसीको नहीं बताउंगी लेकिन फिर भी आपसे एक बात कहना चाहती हु की अगर बाबा को पता चल गया तो वो आपको जान से मार देंगे..बाकि आपकी मर्जी।
माधवी को अपने दिल।के किसी कोने में लग रहा था की सुमन अपने जिस्म के हाथो मजबूर है..इसीलिए उसने उससे किसी को नहीं बताने को वादा किया था।
माधवी ने जब ये बात प्रियंका को बताई तो प्रियंका को भी पहले झटका लगा। लेकिन एक औरत अपने जिस्म की प्यास के आगे कैसे मजबूर हो जाती है ये वो भलीभांति जानती थी इसलिए उसने माधवी कहा की सुमन बुआ को जो करना है करने दो। माधवी को जब प्रियंका के तरफ से भी ऐसा जवाब मिला तो वो भी सुमन बुआ के इस फैसले के प्रति थोड़ी सहज हो गयी। और सुमन के साथ उसका व्यवहार पहले जैसा हो गया ...या शायद अब उनके रिश्ते में एक खुलापन आ गया था। अब वो एकदूसरे से खुलके मजाक करने लगे थे। माधवी को भी सुमन से उसकी चुदाई के किस्से सुनने मिलने लगे थे। कुलमिलाके सुमन अब खुलके मजे कर रही थी।
लेकिन यहाँ प्रभा की गाडी किसी पैसेंजर ट्रेन की तरह चल रही थी। कभी लगता की रफ़्तार पकड़ चुकी है तो कभी एक ही जगह पे घण्टो खड़ी है।
ऐसे तो सागर और प्रभा के बिच की दुरिया काफी कम हो गयी थी। लेकिन प्रभा के इस जिद्द की वजह से की पहला कदम सागर बढ़ाये उन दोनों में अब तक कुछ हो नहीं पाया था। भले ही अब वो एकदूसरे को ग्रीन सिग्नल पे सग्नल दिए जा रहे थे पर बात नहीं बन रही थी। प्रभा हमेशा उसे उसे छूने को उकसाती रहती और जब उसका लंड खड़ा हो जाता तो उसे छु भी लेती लेकिन सागर इस असमंजस में रहता किनये जानबुज के था या गलती से...इसलिए ओ आगे नहीं बढ़ रहा था।
लेकिन वो प्रभा को छूने का या उसके जिस्म को देखने का एक मौका भी नहीं छोड़ता। कभी प्रभा की कमर को छु लेता तो कभी उसकी चुचियो...कभी कभी उसकी गांड को...प्रभा कोंसब समझ आ जाता लेकिन वो ऐसे दिखाती की कुछ हुआ ही नहीं। दोनों के ""कुछ हुआ ही नहीं"" वाले व्यवहार की वजह से ही उनकी सेक्स एक्सप्रेस स्टेशन पे ही खड़ी थी।
ऐसेही एक डेढ़ महीना गुजर गया था। प्रभा को अब कण्ट्रोल नहीं हो रहा था। और ऊपर से रोज रोज के एकदूसरे को छूने से उसकिं प्यास अब बहोत जादा बढ़ चुकी थी। उसने अब ये तय कर लिया था की वो अब ऐसा कुछ बड़ा करेगी जिससे सागर उसेपे चढ़ने से खुद को रोक ही नहीं पाये।
एक दिन शाम को सागर जब कॉलेज से लौटा तो उसने देखा की प्रभा हॉल में सोफे पे बैठी है और उसने अपने दोनों हाथो की उंगलियो में कुछ क्रीम लगा राखी है। सागर ये देख के थोडा चिंतित हो जाता है।
सागर:- क्या हुआ माँ?? ये उंगिलियो में क्रीम क्यू लगा राखी है??
प्रभा:- अरे कुछ नहीं वो दूध गरम करने रखा था वो उबाल रहा था जल्दी जल्दी में उसका बर्तन उठा लिया उससे उंगलिया जल गयी।
सागर:- तो चलो डॉ को दिखा आते है।
प्रभा:- मैं जाके आ गयी...बहोत जलन हो रही थी...डॉ ने ये क्रीम दी है और बोला है की 24 घंटे तक कोई काम नहीं करना...नहीं तो जलन बढ़ जायेगी क्यू की बहोत अंदर तक जल गयी है।
सागर:- ओह्ह माँ...आप भी न थोडा ध्यान से उठाती...कोई कपडा ले लेती...
प्रभा:- अरे जल्दी जल्दी में हो गया...सॉरी बेटा आज मैं खाना नहीं बना पाऊँगी...
सागर:- कोई बात नहीं...मैं बाहर से ले आऊंगा...
प्रभा:- हा यही ठीक रहेगा...
सागर रात को खाना बाहर से ले आया। उसने अपने हाथो से प्रभा को खाना खिलाया...वो प्रभा का बहोत अच्छेसे ख्याल रख रहा था। प्रभा भी दर्द और जलन का ऐसा नाटक कर रही थी की सागर को शक भी नहीं हुआ।
जब सोने का समय आया तो प्रभा ने सागर को आवाज दी....
सागर प्रभा के रूम में जाता है...
सागर:- हा क्या हुआ माँ??
प्रभा:-वो थोडा काम था...लेकिन कैसे कहु बड़ा अजीब सा लग रहा है...
सागर:- बोलो क्या कम है? अजीब की क्या बात है?? अब मेरे अलावा यहॉ कोई नहीं जो आपका कम कर सके...
प्रभा:- वो ..मैं..नहीं ठीक है जाओ तुम...
सागर:- अरे माँ बोलो भी...अब इतना भी क्या??
प्रभा:- वो..क्या है की..मुझे ..वो..मेरी ब्रा निकालनी है मुझे उसके बगैर नींद नहीं आएगी...और मुझे डॉ ने मना किया है तो...ऐसा बोल के प्रभा निचे देखने लगती है।
सागर ये सुनके थोडा चौक जाता है लेकिन प्रभा की हालत ही कुछ ऐसी थी की वो मज़बूरी में उसे ऐसा बोल रही थी।सागर को भी ये थोडा अजीब लग रहा था।
सागर:- माँ मैं कैसे?? सो जाओ ना आज के दिन...
प्रभा:- अरे मैं एक घंटे से सोने की कोशिस कर रही हु...पर आदत नहीं है ना..
सागर:-मैं बाजू वाली आंटी को ले आता हु...
प्रभा:- अरे नहीं पागल टाइम देख कितना हुआ है...ठीक है रहने दे...मैं सोने की कोशिस करती हु...जा तू सो जा...मुझे नींद आयी तो ठीक नहीं तो क्या कर सकते है।
सागर:- अरे नहीं माँ...मैं कर देता हु।
मन ही मन सागर भी खुश हो रहा था लेकिन थोडा नाटक कर रहा था। प्रभा की मदत के बहाने से आज उसे मौका मिल।रहा था। आजतक जिन चुचियो को वो सिर्फ दूर से देख रहा था आज नजदीक से देखने का मौका मिलने वाला था। सिर्फ देखने का ही नह थोडा बहोत छूने का भी।
सागर:- हा बोलो माँ क्या करू??
प्रभा:- ये साडी का पल्लू हटा दे..
सागर प्रभा के कहे अनुसार साडी का पल्लू हटा दिया। उसेने दखे की प्रभा की बड़ी बड़ी चुचिया ब्लाउज में कसी हुई थी।उसकी उभरी हुई चुचियो को देख सागर की आँखे फटी की फटी रह गयी। उसका लंड धीरे धीरे हरकत में आने लगा था।
प्रभा ने उसकी और देखा उसे अपनी चुचियो इसतरह देखते हुए देख उसे अपना प्लान पूरा होता नजर आने लगा था।
प्रभा:- क्या हुआ। सागर??
सागर:- कुछ नहीं..कुछ नहीं...सागर थोडा हड़बड़ाता हुआ बोला।
प्रभा:-तो फिर बटन खोल दे ना...प्रभा ने मस्तीभरी अदा से कहा।
सागर ने ब्लाउज का ऊपर का बटन को उंगली से पकड़ा और खोलने लगा। प्रभा का ब्लाउज डीप नेक का था। उसका ऊपर का बटन बिलकुल उसके चुचियो की बिच की दरार जहा सुरु होती है वाही पे था। सागर की उंगलियो का कुछ हिस्सा वहा छु गया। प्रभा के पुरे शरीर में सुरसुरी सी दौड़ गयी। सागर का हाल भी कुछ ऐसा ही था। उसने पहले भी बहोत बार प्रभा की चुचियो को छुआ था मगर ये पहली बार था की वो उसका स्किन टू स्किन हुआ था। उसके हाथ कापने लगे थे।उसकी नजरे लगातार ब्लाउज से दिखती प्रभा की चुचियो पे थी। प्रभा ये सब देख रही थी। सागर ने ऊपर का बटन खोल दिया था। फिर बिच का बटन खोलने लगा। लेकिन इस बार बटन खोलने के लिए *उसने अपने दोनों हाथ पुरे इस्तमाल।किये। उसने अपनी हथेलिया पूरी तरह से प्रभा की चुचियो से चिपका दी थी। ये देख प्रभा की आह निकल गयी लेकिन उसने उसे दबा लिया। जैसे ही उसने आखरी बटन खोला और ब्लाउज को अलग किया उसकी आँखों के सामने प्रभा की आधी नंगी चुचिया थी। प्रभा की सफ़ेद रंग की ब्रा बहोत ही सेक्सी थी। ब्रा ने सिर्फ अब प्रभा के निप्प्ल्स और निचला हिस्सा ढका हुआ था। गोरी गोरी और एकदम कसी हुई चुचिया देख के सागर के होश उड़ गये। उसकी नजरे एक पल के लिए भी वो उनसे हटा नहीं पा रहा था। उसे इस। बात का भी ध्यान नहीं था की प्रभा उसे देख रही थी। उसका लंड अब अपने असली अवतार में आ गया था। प्रभा उसे देख रही थी और खुश हो रही थी।
प्रभा:- क्या हुआ सागर??*
सागर:- हा..क्या??
सागर चौकते हुए प्रभा की तरफ देख के बोला।
प्रभा:- पीछे से ब्रा खोल दे और मेरे हाथो से निकाल दे फिर टॉवल लपेट देना...मैं ऐसेही टॉवल लपेट के सो जाउंगी।
सागर:- ठीक है....
सागर प्रभा के पीछे गया और उसने ब्रा के हुक खोल दिए। प्रभा गोरी चिकनी नंगी पीठ देख सागर हैरान था। उसकी स्किन किसी 22 25 साल की लड़की की तरह चमक रही थी। सागर ने टॉवल लिया और लपेट दिया। *जब वो टॉवल का आखरी हिस्सा दबाने के लिए प्रभा के सामने आया तो प्रभा ने *अपनी चुचिया ऊपर की और उठाते हुए उसे इशारे से कहा की यहाँ दबा दे।
सागर ने वो हिस्सा बिलकुल चुचियो के बिच वाली दरार में फसा दिया। फसाते वक़्त उसने जीतना हो सके उतना अंदर तक हाथ डालके *चुचियो को छुआ। प्रभा अब मदमस्त हो चुकी थी। उसकी चूत में पानी के फवारे छूटने लगे थे।
प्रभा:- ये ब्रा को निचे खीच ले...
सागर ने देखा ब्रा की स्ट्रिप निचे लटक रही थी उसने वो झटके से खीच ली।और उसने वो ब्रा साइड में रख दी।
सागर:- माँ तुमने फिर से ब्लाउज क्यू नहीं पहना?
प्रभा:-ठीक है ना मैं अब सो जाउंगी ऐसेही...प्रभा जानती थी सागर ऐसे क्यू पूछ रहा है...वो ब्लाउज पहनाते हुए फिर से उसकी चुचियो को छूना चाहता है। लेकिन प्रभा के दिमाग में कुछ और ही था।
सागर:-ठीक है माँ...अब तुम सो जाओ...
प्रभा:- सागर एक और काम है...
सागर ये सुनके रुक गया और ख़ुशी खशी पूछने लगा....
सागर:- हा बोलो...
प्रभा:- वो मुझे न बहोत देर से बाथरूम जाना था...
सागर:- तो चलो मैं दरवाजा खोल देता हु...
प्रभा:- बात वो नहीं है...मैंने अंदर निक्कर पहनी है। अगर पहनी नहीं होती तो कोई प्रॉब्लम नहीं थी।क्या तुम उसे उतार दोगे?
उफ्फ्फ्फ्फ़ सागर को ये सुनके चक्कर सा आने लगा। उसकी माँ उसे उसे खुद ही उसकी निक्कर उतारने को कह रही थी।सागर ने खुद को संभाला।
सागर:- ठीक है माँ जैसा आप कहो...
सागर निचे *घुटनो पे बैठ गया और साडी के अंदर हाथ डालने लगा। प्रभा की चिकनी सुडोल जांघो के ऊपर से हाथ घुमाते हुए उसकी निक्कर तलाशने लगा। प्रभा ने आज जानबुज के पतली स्ट्रिप वाली पॅंटी पहनी थी। सागर का हाथ उसकी जांघ और गांड के करीब घूम रहा था। प्रभा ये सब सहन नहीं कर पा रही थी। वो अपना निचला होठ दातो में दबा के आँखे बंद कर अपनी सिसकिया दबा रही थी। सागर भी मजे ले रहा था। उसने सोचा की कही प्रभा को शक ना हो जाय की वो जानबुज के उसकी जान्घो को सहला रहा है तो उसने आखिर निक्कर को पकड़ के निचे करने लगा और फिर प्रभा के पैरो से निकाल लिया। और बाजू में रख दी।
प्रभा:- थैंक यू..और सॉरी मैं तुम्हे ये सब करने को कह रही हु।
सागर:-माँ हम दोनों ही तो है यहाँ एकदूसरे का ख्याल रखने के लिए। आप बेझिझक मुझसे कह सकती हो।
सागर ने बाथरूम का दरवाजा खोला और प्रभा अंदर चली गयी। सागर वापस बेड के पास आया उसने प्रभा की निक्कर उठाई और देखने लगा। उसने देखा की प्रभा की पॅंटी चूत वाली जगह बहोत गीली थी। उसने उसे हाथ लगाया वो चिपचिपा सा पानी था।
सागर:-(मन में) उफ्फ्फ ये तो माँ की चूत का रस है। उफ्फ्फ्फ़ तो क्या माँ मेरे छूने से उत्तेजित हो गयी थी? देखु तो सही कैसी टेस्ट है...उम्म्म स्मेल तो बहोत अच्छी आ रही है...स्स्स्स्स् अह्ह्ह ...वो उसे जुबान से चाटने लगा...उम्म्म बहोत मस्त है यार अह्ह्ह्ह्ह मेरा लंड तो धड़ धड़ उड़ने लगा है अह्ह्ह्ह्ह वो अपना लंड मसलने लगा।
प्रभा बाथरूम का दरवाजा थोडा खोल के देख रही थी। उसे अपनि निकर को चाटते हुए देख उसे ऐसा लगा जैसे वो उसकी चूत चाट रहा था।
प्रभा ने सोचा अब सागर पूरी तरह से उत्तेजित हो चूका है अब वो उसे जल्द ही चोद देगा। लोहा अब बहोत गरम हो चूका है अब बस आखरी हतोडा मारने की देरी है।
*प्रभा ने अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और दरवाजा को खटखटाया। सागर ने झट से पैंटी रख दी और दरवाजा खोल दिया।*
सागर:- ठीक है माँ अब आप सो जाओ मैं जाता हु।
प्रभा:- ठीक है...अगर कुछ लगा तो मैं फ़ोन करुँगी।
सागर:- ठीक है...
सागर अभी रूम के दरवाजे तक पहुंचा था की प्रभा ने उसे फिर से आवाज दे के रोक लिया।
प्रभा:- अरे सुन ना..एक और काम कर दे...
सागर पलट के वापस आया।
सागर:- हो बोलो...
प्रभा:-ये साडी निकाल दे ना...बड़ा अजीब लग रहा है ये टॉवल और साडी...
सागर:- ठीक है माँ...
सागर प्रभा के पास जाता है और निचे बैठ जाता है। जहा प्रभा ने साडी बाँध रखी थी वह हाथ अंदर डाला और साडी निकालने लगा। प्रभा ने साडी एकदम *नाभि के निचे चूत से थोडा ऊपर बाँध रखी थी। सागर ने जब हाथ अंदर डाला तो उसके हाथ को प्रभा के चूत के बाल लग रहे थे।
सागर ने जैसे ही साडी खोली वैसे ही प्रभा का पेटीकोट भी निचे गिर गया और सागर के आँखों के सामने उसके माँ की नंगी चूत आ जाती है जो सिर्फ कुछ इंच ही उससे दूर थी। एकदम गोरी चूत थी उसके माँ की। उसपे छोटे छोटे बाल थे। प्रभा ने कुछ दिनों पहले ही शेव किये थे। वो उस खूबसूरत चूत को देखता ही रह गया। प्रभा भी थोड़ी देर वैसेही खड़ी होके सागर के रिएक्शन का इंतजार कर रही थी। फिर वो पलट गयी।
प्रभा:- उफ्फ्फ्फ़ पागल ये क्या किया तूने पेटीकोट खोलने नहीं बोला था।
सागर:- वो..मैं..मैं...मैंने नहीं खोला....वो तो अपने आप गिर गया...
प्रभा:- ठीक है अब वापस उठा के बांध दे...
सागर साडी को अलग करके पेटीकोट ऊपर चढाने लगा। प्रभा के पल्टनेसे उसकी गांड सागर की तरफ हो गयी थी। सागर प्रभा की वो मांसल चिकनी गांड देख के पागल सा हो रहा था। उसे एक पल।केलिए लगा की उसे छूले ...चुमले...लेकिन बड़ी मुश्किल से उसने अपने आप को रोक रखा था।
प्रभा चाहती थी की वो उसे छुए इसीलिए उसने ये सब किया था लेकिन सागर की हिम्मत नहीं हो पा रही थी।
सागर ने पेटीकोट फिरसे प्रभा की कमर तक बाँध दिया और बिनकुछ बोले कमरे से निकल गया।
*सागर अपने कमरे में जाके बेड पे लेट गया। उसका लंड हद से जादा फुफनकार रहा था। उसने अपना लंड बाहर निकाला और जो हुआ जो देखा उसके बारे में सोच सोच के मुठ मारने लगा। थोड़ी देर में झड़ गया। लेकिन उसका लंड अभी भी खड़ा ही था।
इधर प्रभा सागर के ऐसे चले जाने से दुखी थी। उसे लगा था की सागर आज उसकी चुदाई जरूर कर देगा मगर ऐसा हो नहीं पाया......
उस दिन के बाद चंदू और सुमन के चुदाई का सिलसिला सुरु हो चूका था। चंदू जैसे मौका मिलता वैसे कभी दोपहर में तो कभी रात को आके सुमन की चूत और गांड चोद देता। सुमन हर 4 5 वे दिन मिलने वाली चुदाई की वजह से बहोत खुश थी। लेकिन उनकी ये चोरी कभी ना कभी तो पकडी जाने ही वाली थी। और हुआ भी ऐसेही।
एक रात करीब 1 बजे माधवी मोबाइल में वीडियो देख के चूत में उंगली कर रही थी। जब उसका काम हुआ तो वो बाथरूम जाने के लिए बाहर गयी। जब वो अपना काम निपटा के बाहर आयी तो उसने देखा की सुमन पीछे का दरवाजा खोल के किसी को अंदर ले रही थी। माधवी ने देखा की वो कोई चंदू था। माधवी को यकीं नहीं हो रहा था अपनी आँखों पे। वो थोडा छुपके देखने लगी। चंदू और सुमन जल्दी जल्दी सुमन के कमरे में चले गये। माधवी का दिल बहोत जोरो से धड़कने लगा। वो क्या करे उसे कुछ समझ नहीं रहा था। वो अपने कमरे में जाके सोचने लगी की वो क्या करे?? बाबा को बता दे? नहीं बाबा को बता दिया तो वो बुआ को बहोत पिटेंगे। उसने बहोत सोचने के बाद ये तय किया की वो खुद सुमन से बात करेगी। और वैसे भी वो नेट पे सेक्स से रिलेटेड इतनी बाते पढ़ने और देखने के बाद वो इतनी समझदार तो हो गयी थी की ये बात वो समझ गयी की सुमन ऐसा क्यू कर रही है।
वो रूम में इधर से उधर घूम रही थी। वो सोच रही थी की वो दोनों क्या कर रहे होंगे? जाके देखु या नहीं?? ऐसेही आधा घंटा गुजर गया। आखिर माधवी से रहा नहीं गया। वो धीरे धीरे सुमन के कमरे की और चली गयी। कमरे का दरवाजा थोडा खुल्ला था। उसने अंदर देखा तो सुमन और चंदू वहा नहीं थे। सुमन का बेटा सो रहा था। माधवी को पता चल गया की वो दोनों छत की तरफ होंगे क्यू की ऊपर जाने वाली सीढिया सुमन के कमरे के बाजु में थी। वो बिना आवाज किये सीढ़ियों की तरफ बढ़ने लगी। छत पे खुलने वाले दरवाजे के पास आके वो रुक गयी। उसने देखा की सुमन निचे पैर ऊपर करके लेटी हुई है और चंदू उसकी चूत में लंड डाल के उसे चोद रहा
माधवी ये देख के पसीना पसीना हो गयी। दोनों नंगे थे।चांदनी रात होने की वजह से उसे सब साफ दिखाई दे रहा था। वो दोनों पूरी तरह से चुदाई के आंनद में खोये हुए थे। उनका बिलकुल भी ध्यान नहीं था । माधवी पहली बार सचमुच की चुदाई देख रही थी। और ये मोबाइल पे से कही जादा हॉट थी। उसने थोड़ी देर पहले ही अपनी चूत को उंगली से रगड़ पानी निकाला था। पर सामने का सिन देख के उसका हाथ अपने आप ही अपनी चूत पे चला गया
उपर से उनकी बाते आग में घी डालने का काम कर रही थी।
सुमन:-अह्ह्ह्ह्ह चंदू उफ्फ्फ ये तेरा छत पे आके चुदाई करने का आईडिया कमाल का है। उफ्फ्फ्फ्फ़ बहोत मजा आ रहा है ऐसे खुले में लंड लेने के।
चंदू:- अह्ह्ह्ह हा ऐसे मौसम में खुले में चुदाई का मजा ही कुछ और होता है।
सुमन:- अह्ह्ह्ह स्सस्सधीरे कर जालिम उफ्फ्फ्फ़ तेरा इतना लंबा लंड है सीधे पेट के अंदर धक्के लगते है।
चंदू:- अह्ह्ह्ह साली अभी तक नखरे करती है...कितनी बार चोद चूका हु..अभी तक पूरी खुल गयी है तेरी चूत स्सस्सस्स
सुमन:- अह्ह्ह्ह उम्म्म्म ऐसेही बोल रही हु रे उफ्फ्फ्फ्फ़ चोद अह्ह्ह और तेज अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह
चंदू:- अह्ह्ह्ह अब तू ऊपर से आजा स्स्स्स्स्
चंदू निचे लेट जाता है। सुमन उसके ऊपर आके अपनी चूत में उसका लंड लेके अपनी गांड ऊपर निचे हिलाके लंड को अंदर बाहर करने लगती
ये वो पल था जब माधवी चंदू का पूरा लंड देखती है। चंदू का लंड देख के माधवी के चूत में पानी बाढ़। सी आ जाती है।उसका लंड सुमन की चूत के रस से भीगा हुआ था।इस वजह से वो उसके ऊपर चांदनी पड़ने से वो चमक रहा था। उसका लंड देख माधवी और भी उत्तेजित हो जाती है।
और अब सुमन की चूत में अंदर बाहर हो रहा लंड देख के तो पागल सी हो जाती है। उसके पाँव थर थर कापने लगे थे। वो पसीना पसीना हो चुकी थी। उससे अब वो सब देखा नहीं जा रहा था। ऊपर से चूत भी बहोत गीली हो गयी थी। वो वह से चुपचाप निकल गयी और अपने कमरे जाके बेड पर लेट गयी।वो बहोत गरम हो चुकी थी। उसकी आँखों के सामने चूत में अंदर बाहर हो रहा लंड ही घूम रहा था। असली चुदाई क्या होती है वो आज पहली बार देख रही थी।सागर और प्रियंका को भी उसने देखा था मगर ये कुछ जादा ही था। वो वापस से अपनी चूत सहलाने लगी। और तब तक सहलाती रही जबतक वो शांत नहीं हुई।*
दूसरे दिन उसे सुमन से बात करनी थी मगर मौका ही नहीं मिला। वो स्कूल चली गयी। शाम को जब वो वापस लौटी तो उसे मौका मिल ही गया।
वो सुमन को अपने कमरे में लेके गयी और उसे पूछने लगी। जब माधवी ने उसे बताया की कल रात को उसने चंदू को और उसे चुदाई करते देख लिया है तो उसके पैरो तले जमीन खिसक गयी। उसके चेहरे का रंग सफ़ेद पड़ गया। वो बहोत घबरा गयी। वो माधवी से हाथ जोड़ के बिनती करने लगी की जसवंत को कुछ ना बताय। जब माधवी ने उसकी हालात देखि तो उसे उसपे दया आने लगी।
माधवी:- ठीक है बुआ मैं नहीं बताउंगी किसीको लेकिन आपको ऐसा करने की क्या जरुरत थी??
सुमन:- तो क्या करती मैं तुम्हारे फूफा साल में एक बार घर आते है। मेरी भावनाओ को कण्ट्रोल करना मुश्किल हो गया था। ऐसे में चंदू ने मेरी भावनाओ को भड़का दिया तो मैं फिसल गयी और फिर फिसलती चली गयी। तू ही बता ...तू भी तो अब जवान हो गयी है...तुझे भी लगता होगा की कोई प्यार करनेवाला हो...
माधवी:- न..नहीं..मु..मुझे ऐसा कुछ नहीं लगता..
सुमन:- मुझे पता है मैं भी तुम्हारि उम्र से गुजर चुकी हु...
माधवी:-वो सब छोडो..लेकिन क्या अब भी चंदू चाचा के साथ ये सब ऐसे ही सुरु रखने वाली हो??
सुमन:- देख माधवी अगर तू इसमें मेरा साथ दोगी तो तुम्हारा बहोत अहसान होगा मुझपे।
माधवी:- बुआ आप ये कैसी बाते कर रहे हो??
सुमन:- देख माधवी मैं यहाँ अब कुछ महीने ही हु..उसके बाद तो मैं चली जाउंगी तब तक मुझे थोडा सुख मिल रहा है..तो प्लीज तू किसीको मत बताना...
माधवी:- लेकिन बुआ ये गलत है..
सुमन:- मैं अब सही गलत के बारे में सोचना नहीं चाहती.....
माधवी:- लेकिन मैं कैसे आप का साथ दू??
सुमन:- बस किसीको मत बताना....बाकि मैं संभाल लुंगी..
माधवी:-बुआ देखो मैं ये किसीको नहीं बताउंगी लेकिन फिर भी आपसे एक बात कहना चाहती हु की अगर बाबा को पता चल गया तो वो आपको जान से मार देंगे..बाकि आपकी मर्जी।
माधवी को अपने दिल।के किसी कोने में लग रहा था की सुमन अपने जिस्म के हाथो मजबूर है..इसीलिए उसने उससे किसी को नहीं बताने को वादा किया था।
माधवी ने जब ये बात प्रियंका को बताई तो प्रियंका को भी पहले झटका लगा। लेकिन एक औरत अपने जिस्म की प्यास के आगे कैसे मजबूर हो जाती है ये वो भलीभांति जानती थी इसलिए उसने माधवी कहा की सुमन बुआ को जो करना है करने दो। माधवी को जब प्रियंका के तरफ से भी ऐसा जवाब मिला तो वो भी सुमन बुआ के इस फैसले के प्रति थोड़ी सहज हो गयी। और सुमन के साथ उसका व्यवहार पहले जैसा हो गया ...या शायद अब उनके रिश्ते में एक खुलापन आ गया था। अब वो एकदूसरे से खुलके मजाक करने लगे थे। माधवी को भी सुमन से उसकी चुदाई के किस्से सुनने मिलने लगे थे। कुलमिलाके सुमन अब खुलके मजे कर रही थी।
लेकिन यहाँ प्रभा की गाडी किसी पैसेंजर ट्रेन की तरह चल रही थी। कभी लगता की रफ़्तार पकड़ चुकी है तो कभी एक ही जगह पे घण्टो खड़ी है।
ऐसे तो सागर और प्रभा के बिच की दुरिया काफी कम हो गयी थी। लेकिन प्रभा के इस जिद्द की वजह से की पहला कदम सागर बढ़ाये उन दोनों में अब तक कुछ हो नहीं पाया था। भले ही अब वो एकदूसरे को ग्रीन सिग्नल पे सग्नल दिए जा रहे थे पर बात नहीं बन रही थी। प्रभा हमेशा उसे उसे छूने को उकसाती रहती और जब उसका लंड खड़ा हो जाता तो उसे छु भी लेती लेकिन सागर इस असमंजस में रहता किनये जानबुज के था या गलती से...इसलिए ओ आगे नहीं बढ़ रहा था।
लेकिन वो प्रभा को छूने का या उसके जिस्म को देखने का एक मौका भी नहीं छोड़ता। कभी प्रभा की कमर को छु लेता तो कभी उसकी चुचियो...कभी कभी उसकी गांड को...प्रभा कोंसब समझ आ जाता लेकिन वो ऐसे दिखाती की कुछ हुआ ही नहीं। दोनों के ""कुछ हुआ ही नहीं"" वाले व्यवहार की वजह से ही उनकी सेक्स एक्सप्रेस स्टेशन पे ही खड़ी थी।
ऐसेही एक डेढ़ महीना गुजर गया था। प्रभा को अब कण्ट्रोल नहीं हो रहा था। और ऊपर से रोज रोज के एकदूसरे को छूने से उसकिं प्यास अब बहोत जादा बढ़ चुकी थी। उसने अब ये तय कर लिया था की वो अब ऐसा कुछ बड़ा करेगी जिससे सागर उसेपे चढ़ने से खुद को रोक ही नहीं पाये।
एक दिन शाम को सागर जब कॉलेज से लौटा तो उसने देखा की प्रभा हॉल में सोफे पे बैठी है और उसने अपने दोनों हाथो की उंगलियो में कुछ क्रीम लगा राखी है। सागर ये देख के थोडा चिंतित हो जाता है।
सागर:- क्या हुआ माँ?? ये उंगिलियो में क्रीम क्यू लगा राखी है??
प्रभा:- अरे कुछ नहीं वो दूध गरम करने रखा था वो उबाल रहा था जल्दी जल्दी में उसका बर्तन उठा लिया उससे उंगलिया जल गयी।
सागर:- तो चलो डॉ को दिखा आते है।
प्रभा:- मैं जाके आ गयी...बहोत जलन हो रही थी...डॉ ने ये क्रीम दी है और बोला है की 24 घंटे तक कोई काम नहीं करना...नहीं तो जलन बढ़ जायेगी क्यू की बहोत अंदर तक जल गयी है।
सागर:- ओह्ह माँ...आप भी न थोडा ध्यान से उठाती...कोई कपडा ले लेती...
प्रभा:- अरे जल्दी जल्दी में हो गया...सॉरी बेटा आज मैं खाना नहीं बना पाऊँगी...
सागर:- कोई बात नहीं...मैं बाहर से ले आऊंगा...
प्रभा:- हा यही ठीक रहेगा...
सागर रात को खाना बाहर से ले आया। उसने अपने हाथो से प्रभा को खाना खिलाया...वो प्रभा का बहोत अच्छेसे ख्याल रख रहा था। प्रभा भी दर्द और जलन का ऐसा नाटक कर रही थी की सागर को शक भी नहीं हुआ।
जब सोने का समय आया तो प्रभा ने सागर को आवाज दी....
सागर प्रभा के रूम में जाता है...
सागर:- हा क्या हुआ माँ??
प्रभा:-वो थोडा काम था...लेकिन कैसे कहु बड़ा अजीब सा लग रहा है...
सागर:- बोलो क्या कम है? अजीब की क्या बात है?? अब मेरे अलावा यहॉ कोई नहीं जो आपका कम कर सके...
प्रभा:- वो ..मैं..नहीं ठीक है जाओ तुम...
सागर:- अरे माँ बोलो भी...अब इतना भी क्या??
प्रभा:- वो..क्या है की..मुझे ..वो..मेरी ब्रा निकालनी है मुझे उसके बगैर नींद नहीं आएगी...और मुझे डॉ ने मना किया है तो...ऐसा बोल के प्रभा निचे देखने लगती है।
सागर ये सुनके थोडा चौक जाता है लेकिन प्रभा की हालत ही कुछ ऐसी थी की वो मज़बूरी में उसे ऐसा बोल रही थी।सागर को भी ये थोडा अजीब लग रहा था।
सागर:- माँ मैं कैसे?? सो जाओ ना आज के दिन...
प्रभा:- अरे मैं एक घंटे से सोने की कोशिस कर रही हु...पर आदत नहीं है ना..
सागर:-मैं बाजू वाली आंटी को ले आता हु...
प्रभा:- अरे नहीं पागल टाइम देख कितना हुआ है...ठीक है रहने दे...मैं सोने की कोशिस करती हु...जा तू सो जा...मुझे नींद आयी तो ठीक नहीं तो क्या कर सकते है।
सागर:- अरे नहीं माँ...मैं कर देता हु।
मन ही मन सागर भी खुश हो रहा था लेकिन थोडा नाटक कर रहा था। प्रभा की मदत के बहाने से आज उसे मौका मिल।रहा था। आजतक जिन चुचियो को वो सिर्फ दूर से देख रहा था आज नजदीक से देखने का मौका मिलने वाला था। सिर्फ देखने का ही नह थोडा बहोत छूने का भी।
सागर:- हा बोलो माँ क्या करू??
प्रभा:- ये साडी का पल्लू हटा दे..
सागर प्रभा के कहे अनुसार साडी का पल्लू हटा दिया। उसेने दखे की प्रभा की बड़ी बड़ी चुचिया ब्लाउज में कसी हुई थी।उसकी उभरी हुई चुचियो को देख सागर की आँखे फटी की फटी रह गयी। उसका लंड धीरे धीरे हरकत में आने लगा था।
प्रभा ने उसकी और देखा उसे अपनी चुचियो इसतरह देखते हुए देख उसे अपना प्लान पूरा होता नजर आने लगा था।
प्रभा:- क्या हुआ। सागर??
सागर:- कुछ नहीं..कुछ नहीं...सागर थोडा हड़बड़ाता हुआ बोला।
प्रभा:-तो फिर बटन खोल दे ना...प्रभा ने मस्तीभरी अदा से कहा।
सागर ने ब्लाउज का ऊपर का बटन को उंगली से पकड़ा और खोलने लगा। प्रभा का ब्लाउज डीप नेक का था। उसका ऊपर का बटन बिलकुल उसके चुचियो की बिच की दरार जहा सुरु होती है वाही पे था। सागर की उंगलियो का कुछ हिस्सा वहा छु गया। प्रभा के पुरे शरीर में सुरसुरी सी दौड़ गयी। सागर का हाल भी कुछ ऐसा ही था। उसने पहले भी बहोत बार प्रभा की चुचियो को छुआ था मगर ये पहली बार था की वो उसका स्किन टू स्किन हुआ था। उसके हाथ कापने लगे थे।उसकी नजरे लगातार ब्लाउज से दिखती प्रभा की चुचियो पे थी। प्रभा ये सब देख रही थी। सागर ने ऊपर का बटन खोल दिया था। फिर बिच का बटन खोलने लगा। लेकिन इस बार बटन खोलने के लिए *उसने अपने दोनों हाथ पुरे इस्तमाल।किये। उसने अपनी हथेलिया पूरी तरह से प्रभा की चुचियो से चिपका दी थी। ये देख प्रभा की आह निकल गयी लेकिन उसने उसे दबा लिया। जैसे ही उसने आखरी बटन खोला और ब्लाउज को अलग किया उसकी आँखों के सामने प्रभा की आधी नंगी चुचिया थी। प्रभा की सफ़ेद रंग की ब्रा बहोत ही सेक्सी थी। ब्रा ने सिर्फ अब प्रभा के निप्प्ल्स और निचला हिस्सा ढका हुआ था। गोरी गोरी और एकदम कसी हुई चुचिया देख के सागर के होश उड़ गये। उसकी नजरे एक पल के लिए भी वो उनसे हटा नहीं पा रहा था। उसे इस। बात का भी ध्यान नहीं था की प्रभा उसे देख रही थी। उसका लंड अब अपने असली अवतार में आ गया था। प्रभा उसे देख रही थी और खुश हो रही थी।
प्रभा:- क्या हुआ सागर??*
सागर:- हा..क्या??
सागर चौकते हुए प्रभा की तरफ देख के बोला।
प्रभा:- पीछे से ब्रा खोल दे और मेरे हाथो से निकाल दे फिर टॉवल लपेट देना...मैं ऐसेही टॉवल लपेट के सो जाउंगी।
सागर:- ठीक है....
सागर प्रभा के पीछे गया और उसने ब्रा के हुक खोल दिए। प्रभा गोरी चिकनी नंगी पीठ देख सागर हैरान था। उसकी स्किन किसी 22 25 साल की लड़की की तरह चमक रही थी। सागर ने टॉवल लिया और लपेट दिया। *जब वो टॉवल का आखरी हिस्सा दबाने के लिए प्रभा के सामने आया तो प्रभा ने *अपनी चुचिया ऊपर की और उठाते हुए उसे इशारे से कहा की यहाँ दबा दे।
सागर ने वो हिस्सा बिलकुल चुचियो के बिच वाली दरार में फसा दिया। फसाते वक़्त उसने जीतना हो सके उतना अंदर तक हाथ डालके *चुचियो को छुआ। प्रभा अब मदमस्त हो चुकी थी। उसकी चूत में पानी के फवारे छूटने लगे थे।
प्रभा:- ये ब्रा को निचे खीच ले...
सागर ने देखा ब्रा की स्ट्रिप निचे लटक रही थी उसने वो झटके से खीच ली।और उसने वो ब्रा साइड में रख दी।
सागर:- माँ तुमने फिर से ब्लाउज क्यू नहीं पहना?
प्रभा:-ठीक है ना मैं अब सो जाउंगी ऐसेही...प्रभा जानती थी सागर ऐसे क्यू पूछ रहा है...वो ब्लाउज पहनाते हुए फिर से उसकी चुचियो को छूना चाहता है। लेकिन प्रभा के दिमाग में कुछ और ही था।
सागर:-ठीक है माँ...अब तुम सो जाओ...
प्रभा:- सागर एक और काम है...
सागर ये सुनके रुक गया और ख़ुशी खशी पूछने लगा....
सागर:- हा बोलो...
प्रभा:- वो मुझे न बहोत देर से बाथरूम जाना था...
सागर:- तो चलो मैं दरवाजा खोल देता हु...
प्रभा:- बात वो नहीं है...मैंने अंदर निक्कर पहनी है। अगर पहनी नहीं होती तो कोई प्रॉब्लम नहीं थी।क्या तुम उसे उतार दोगे?
उफ्फ्फ्फ्फ़ सागर को ये सुनके चक्कर सा आने लगा। उसकी माँ उसे उसे खुद ही उसकी निक्कर उतारने को कह रही थी।सागर ने खुद को संभाला।
सागर:- ठीक है माँ जैसा आप कहो...
सागर निचे *घुटनो पे बैठ गया और साडी के अंदर हाथ डालने लगा। प्रभा की चिकनी सुडोल जांघो के ऊपर से हाथ घुमाते हुए उसकी निक्कर तलाशने लगा। प्रभा ने आज जानबुज के पतली स्ट्रिप वाली पॅंटी पहनी थी। सागर का हाथ उसकी जांघ और गांड के करीब घूम रहा था। प्रभा ये सब सहन नहीं कर पा रही थी। वो अपना निचला होठ दातो में दबा के आँखे बंद कर अपनी सिसकिया दबा रही थी। सागर भी मजे ले रहा था। उसने सोचा की कही प्रभा को शक ना हो जाय की वो जानबुज के उसकी जान्घो को सहला रहा है तो उसने आखिर निक्कर को पकड़ के निचे करने लगा और फिर प्रभा के पैरो से निकाल लिया। और बाजू में रख दी।
प्रभा:- थैंक यू..और सॉरी मैं तुम्हे ये सब करने को कह रही हु।
सागर:-माँ हम दोनों ही तो है यहाँ एकदूसरे का ख्याल रखने के लिए। आप बेझिझक मुझसे कह सकती हो।
सागर ने बाथरूम का दरवाजा खोला और प्रभा अंदर चली गयी। सागर वापस बेड के पास आया उसने प्रभा की निक्कर उठाई और देखने लगा। उसने देखा की प्रभा की पॅंटी चूत वाली जगह बहोत गीली थी। उसने उसे हाथ लगाया वो चिपचिपा सा पानी था।
सागर:-(मन में) उफ्फ्फ ये तो माँ की चूत का रस है। उफ्फ्फ्फ़ तो क्या माँ मेरे छूने से उत्तेजित हो गयी थी? देखु तो सही कैसी टेस्ट है...उम्म्म स्मेल तो बहोत अच्छी आ रही है...स्स्स्स्स् अह्ह्ह ...वो उसे जुबान से चाटने लगा...उम्म्म बहोत मस्त है यार अह्ह्ह्ह्ह मेरा लंड तो धड़ धड़ उड़ने लगा है अह्ह्ह्ह्ह वो अपना लंड मसलने लगा।
प्रभा बाथरूम का दरवाजा थोडा खोल के देख रही थी। उसे अपनि निकर को चाटते हुए देख उसे ऐसा लगा जैसे वो उसकी चूत चाट रहा था।
प्रभा ने सोचा अब सागर पूरी तरह से उत्तेजित हो चूका है अब वो उसे जल्द ही चोद देगा। लोहा अब बहोत गरम हो चूका है अब बस आखरी हतोडा मारने की देरी है।
*प्रभा ने अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और दरवाजा को खटखटाया। सागर ने झट से पैंटी रख दी और दरवाजा खोल दिया।*
सागर:- ठीक है माँ अब आप सो जाओ मैं जाता हु।
प्रभा:- ठीक है...अगर कुछ लगा तो मैं फ़ोन करुँगी।
सागर:- ठीक है...
सागर अभी रूम के दरवाजे तक पहुंचा था की प्रभा ने उसे फिर से आवाज दे के रोक लिया।
प्रभा:- अरे सुन ना..एक और काम कर दे...
सागर पलट के वापस आया।
सागर:- हो बोलो...
प्रभा:-ये साडी निकाल दे ना...बड़ा अजीब लग रहा है ये टॉवल और साडी...
सागर:- ठीक है माँ...
सागर प्रभा के पास जाता है और निचे बैठ जाता है। जहा प्रभा ने साडी बाँध रखी थी वह हाथ अंदर डाला और साडी निकालने लगा। प्रभा ने साडी एकदम *नाभि के निचे चूत से थोडा ऊपर बाँध रखी थी। सागर ने जब हाथ अंदर डाला तो उसके हाथ को प्रभा के चूत के बाल लग रहे थे।
सागर ने जैसे ही साडी खोली वैसे ही प्रभा का पेटीकोट भी निचे गिर गया और सागर के आँखों के सामने उसके माँ की नंगी चूत आ जाती है जो सिर्फ कुछ इंच ही उससे दूर थी। एकदम गोरी चूत थी उसके माँ की। उसपे छोटे छोटे बाल थे। प्रभा ने कुछ दिनों पहले ही शेव किये थे। वो उस खूबसूरत चूत को देखता ही रह गया। प्रभा भी थोड़ी देर वैसेही खड़ी होके सागर के रिएक्शन का इंतजार कर रही थी। फिर वो पलट गयी।
प्रभा:- उफ्फ्फ्फ़ पागल ये क्या किया तूने पेटीकोट खोलने नहीं बोला था।
सागर:- वो..मैं..मैं...मैंने नहीं खोला....वो तो अपने आप गिर गया...
प्रभा:- ठीक है अब वापस उठा के बांध दे...
सागर साडी को अलग करके पेटीकोट ऊपर चढाने लगा। प्रभा के पल्टनेसे उसकी गांड सागर की तरफ हो गयी थी। सागर प्रभा की वो मांसल चिकनी गांड देख के पागल सा हो रहा था। उसे एक पल।केलिए लगा की उसे छूले ...चुमले...लेकिन बड़ी मुश्किल से उसने अपने आप को रोक रखा था।
प्रभा चाहती थी की वो उसे छुए इसीलिए उसने ये सब किया था लेकिन सागर की हिम्मत नहीं हो पा रही थी।
सागर ने पेटीकोट फिरसे प्रभा की कमर तक बाँध दिया और बिनकुछ बोले कमरे से निकल गया।
*सागर अपने कमरे में जाके बेड पे लेट गया। उसका लंड हद से जादा फुफनकार रहा था। उसने अपना लंड बाहर निकाला और जो हुआ जो देखा उसके बारे में सोच सोच के मुठ मारने लगा। थोड़ी देर में झड़ गया। लेकिन उसका लंड अभी भी खड़ा ही था।
इधर प्रभा सागर के ऐसे चले जाने से दुखी थी। उसे लगा था की सागर आज उसकी चुदाई जरूर कर देगा मगर ऐसा हो नहीं पाया......
Re: hindi sex story - किस्से कच्ची उम्र के.....!!!!
भाग 17
सागर बेड पे लेटे लेटे कुछ सोच रहा था। उतने में प्रियंका का फ़ोन आ गया। सागर का मुड़ आज उससे बात करनेका बिलकुल भी नहीं था। लेकिन प्रियंका ने जब उसे सुमन बुआ और चंदू के बारे में बताया तो वो भी हैरान रह गया। प्रियंका ने उसे माधवी ने जो जो बताया वो सब उसने सागर को बता दिया। प्रियंका ने उससे कहा की वो 4 5 दिन से सोच रही थी की बता दू लेकिन हिम्मत नहीं हुई। लेकिन आज मुझसे रहा ही नहीं गया। थोड़ी देर उन्होंने ऐसेही बाते की और फिर फ़ोन काट दिया।
सागर बहोत गहरी सोच में डूबा था।*
सागर:- आज एक बात का यक़ीन हो गया की अगर औरत को घर में चुदाई का सुख ना मिले तो वो बाहर जाती ही है। मिना चाची लेलो या सुमन बुआ दोनों ही चुदाई की प्यासी थी और उनके कदम आखिर बहक ही गए। माँ भी तो बाबा से खुश नहीं है वो भी कही बाहर जाके किसी के साथ कुछ कर ना ले।*
उसे प्रभा का खयाल आते ही आज जो जो हुआ था सब याद आने लगा।सागर:- आज माँ को इतने करीब से देख के मजा ही आ गया। बहोत सेक्सी है यार...मैंने खुद को कैसे कण्ट्रोल किया मुझे ही पता...लेकिन अगर वो ये सब जानबुज के कर रही हो तो?? कही वो मुझे उकसा तो नहीं रही थी? हा यार यक़ीनन वो मुझसे चुदना चाहती है तभी तो वो मुझे अपना जिस्म दिखा रही थी। वरना वो ये सब क्यू करती और मैं बेवकूफ की तरह वहा से भाग आया। जब से उन्होंने मुझे चाची को चोदते देखा है तब से ही वो थोडा बदला बदला सा व्यव्हार कर रही है। शायद मेरा लंड देख के ही वो मुझसे चुदना चाहती हो...कही मेरी तरफ से कोई रेसपोंस नहीं आते देख वो कही बाहर किसी से .....नहीं मैं ऐसा होने नहीं दूंगा।*वो मन ही मन कुछ सोचते हुए सो गया।
दूसरे दिन सुबह जब वो उठा तो उसने देखा की प्रभा उठ चुकी थी और किचन में थी। वो ये देख के थोडा दुखी हुआ की प्रभा अब ठीक है और उसे उसके नजदीक जाने का कोई मौका नहीं मिलने वाला था।
सागर:- अरे ये क्या माँ...आपको आराम करना चाहिए था।
प्रभा:- अरे वो कल की क्रीम और दवाइयो से आराम हो गया है...अब जलन नहीं है जादा।
सागर:- अरे माँ फिर भी आज शाम तक कोइं काम नहीं करना चाहिए था...
प्रभा:- कोई बात नहीं...तू बैठ मैं नास्ता देती हु।प्रभा सब समझ रही थी सागर ऐसा क्यू कह रहा है। उसे भी अब लगने लगा की शायद उसे शाम तक अपना नाटक जारी रखना चाहिए था।*वो सागर को नास्ता दे रही थी। सागर हमेशा की तरह अपनी माँ की बड़ी बड़ी चुचिया निहार रहा था।प्रभा ने उसे ऐसे करते देखा। उसे एक शरारत सूझी।
प्रभा:- दूध पियेगा क्या??प्रभा ने जब ये सवाल।किया उस वक़्त सागर बड़ी गौर से उसकी चुचिया देख रहा था।
।सागर:- अ..आ..क्या?प्रभा:- वो चाय पाउडर खत्म हो गयी है...इसलिए पूछ रही हु...तुझे क्या लगा??
सागर:- कुछ नहीं ...आपने एकदम।से पूछा तो सोच में पड़ गया..
प्रभा:- किस सोच में??
सागर:-यही की दूध छोड़े तो ज़माना हो गया मुझे..
.प्रभा:-हा पता है...पहले कितना पिता था तू...अब तो बस देखते ही रहता है...पिता बिलकुल भी नहीं।सागर को थोडा दुविधा में था। वो जो प्रभा किस बारे में बात कर रही है सच्चे वाले दूध के बारे में या अपनी चुचियो वाले दूध के बारे में...लेकिन उसने सोचा प्रभा किसी भी बारे में बात कर रही हो वो भी अब खुलके बात करेगा और ऐसेही बातो बातो में प्रभा के मन की बात को उसके जुबा पे लाके ही छोड़ेगा।
सागर:-ठीक है पिला दो आज...देखु तो सही जो दूध बचपन पिता था अब उसकी टेस्ट कैसी है?
प्रभा:- तुझे क्या लगता है? अब टेस्ट बदल गयी होगी?
सागर:- वो तो पिने के बाद ही पता चलेगा...
प्रभा:- हा वो भी है...लेकिन दूध पियेगा या जूस?? प्रभा धीरे से और एकदम सेक्सी अदा से साड़ी के ऊपर से अपनी चूत को दबाती हुई बोली।
सागर :- सोचते हुए...उम्मम दोनों पिऊंगा...
प्रभा और सागर इससे आगे कुछ बोल पाते..उतने में ही प्रभा के मोबाइल पे माधवी का फ़ोन आने लगा। प्रभा और माधवी फ़ोन पे बाते करने लगे और सागर नाश्ता करके कॉलेज के लिए तैयार होने चला गया।
शाम को जब सागर घर लौटा तो फ्रेश होके हॉल में टीवी देखने लगा। प्रभा ने उसके लिए चाय बनाई और उसे देदी।
सागर:- अरे माँ दूध नहीं पिलाओगी क्या??
प्रभा:- मुझे लगा तुम चाय पिओगे ...
सागर:-नहीं सुबह दूध पिया तो मुझे बड़ा पसंद आया....सोच रहा हु अब रोज ही पिऊ...आप भी पीना सुरु कर दो...
प्रभा:- हा लेकिन मुझे तो सिर्फ मलाई वाला दूध पसंद है।
सागर ये सुनके अब समझ गया की प्रभा कोनसे मलाई वाले दूध की बात कर रही है।
सागर:- ऐसी क्या खास बात होती है उसमे?
प्रभा:-बहोत टेस्टी होता है...गरम गरम मलाई वाले दूध की बात ही कुछ और। होती है।
सागर:-ओह्ह्ह ऐसा क्या?? ठीक है आज आपकी ये इच्छा जरूर पूरी करूँगा।
सागर हलके से अपने जांघ पे रखा हाथ लंड को छूते हुए अपने बालो को ठीक करते हुए बोला।
प्रभा ने ये सब देखा मन ही मन उसे रिवाइंड किया तो देखा की वो अपने लंड के दूध की बात कर रहा था। प्रभा को अब यकीं हो गया की आज उसकी इच्छा जरूर पूरी हो जायेगी।
प्रभा:- सच में?*
सागर:- हा...
प्रभा ने सागर की तरफ देखा और एक सेक्सी स्माइल दी सागर भी उसकी तरफ देख *के स्माइल कर रहा था। अब सागर को पूरी तरह से यकीं हो गया था की प्रभा उससे चुदवाने के लिए तैयार बैठी है। प्रभा भी आज यही सोच रही थी की अगर सागर कदम आगे नहीं बढ़ाएगा तो वो आज वो अपने कदम आगे बढ़ाएगी। चाहे सागर उसके बारे में जो सोचे।
प्रभा ये सब सोचते सोचते खाना बनाने लगी। उसे किचन में कुछ सामन खत्म हो गया था।
प्रभा:- तू बाहर जा रहा है क्या??
सागर:-नहीं क्यू??
प्रभा:- किचन में थोडा सामान लाना था।
सागर:- ठीक है चलो ...
प्रभा:- नहीं ...मैं तुझे लिस्ट बना देती हु तू लेके आजा।
सागर:- ठीक है।
प्रभा ने सागर को लिस्ट बना दी। सागर मार्केट जाके सब सामान ले आया। जब वो मार्केट गया था तब उसने एक कपडे के दुकान में एक ड्रेस देखि। लॉन्ग स्कर्ट और टॉप। उसे वो बहोत पसंद आ गयी। उसने वो ड्रेस प्रियंका के लिए खरीद ली।
घर आके उसने सामान प्रभा को दे दिया। और वो जो ड्रेस लाया था वो उसने सोफे के पास रख दी।और वो उसे उठाना भूल गया।*
वो अपने कमरे में जाके सोचने लगा की क्या करे कैसे करे?? उसे कुछ सूझ नहीं रहा था। थोड़ी देर बाद प्रभा ने उसे खाना खाने के लिए आवाज दी। वो खाना खाने के बाद टीवी देखने लगा। प्रभा भी सब समेट के सोफे पे आके बैठ गयी और टीवी देखने लगी। वो कुछ बात कर पाती उसे वो ड्रेस वाला बॉक्स दिखाई दिया। प्रभा ने वो ड्रेस निकाला और देखने लगी।
प्रभा:- ये किसका है सागर?? तू लेके आया क्या??
सागर प्रभा के होतो में वो ड्रेस देख के थोडा चौक गया। और अपनी बेवकूफी पे मन ही मन गुस्सा करने लगा।लेकिन अगले ही पल वो संभला और...
सागर:- अरे माँ वो मैं माधवी के लिए लाया हु...मुझे अच्छा लगा तो खरीद लिया।
प्रभा:- ह्म्म्म्म सच में अच्छा है। पहले तो मैं चौक गयी की कही तू मेरे लिए तो नहीं लाया।
सागर:- हा हा हा नहीं माँ...लेकिन आप पे भी अच्छा लगेगा। आप देखो ना पहनके।
प्रभा:- कुछ भी क्या?अब इस उम्र में ऐसे कपडे पहनूँगी??
सागर:- अरे माँ आजकल तो सभी पहनते है। और आप तो ऐसे भी बहोत खूबसूरत और जवान लगती हो।
प्रभा:- चुप कर शैतान...
सागर:- सच में माँ...आप और माधवी ये ड्रेस 0अहाँके साथ में बाहर निकलोगी तो आपको माँ। बेटी नहीं बहन कहेंगे।
प्रभा:- बस कर...कुछ भी बोलता है। लोग पागल ही है ना जो मुझे देख के मेरी उम्र उन्हें पता नहीं चलेगी।
सागर:- नहीं माँ मैं भी हैरान था जब मैंने आपको कल देखा....
सागर के मुह से अचानक नुकल गया।
प्रभा:-क्या???? बदमाश हो गया है तू बहोत...
सागर ने सोचा अब बात निकल ही गयी है तो अब रुकना नहीं है।
सागर:-सच में आपकी स्किन कितनी मुलायम है..आपकी फिगर भी कितनी अच्छी है...बिलकुल किसी हेरोइन की तरह..
प्रभा:- अच्छा?? कोई मिला नहीं क्या सुबह से तुझे?
सागर प्रभा के पास सरक गया और उसके हाथो पे हाथ रख दिया।
सागर:- सच में माँ...आपको यकीं नहीं आता न तो बस एक बार ये ड्रेस पहनो और फिर देखो।
प्रभा को सागर का ऐसे जिद्द करना अच्छा लग रहा था। उसके मुह से अपनी तारीफ सुन के वो खुश हो रही थी।
प्रभा:- नहीं मुझे नहीं पहनना..
सागर:-एक बार प्लीज...मेरे लिए...
प्रभा:- देख मुझे ये अच्छा नहीं लग रहा।
सागर:- नहीं नहीं प्लीज एक बार मुझे ये पहनके दिखाओ..
प्रभा ने भी अब हार मान ली।
प्रभा:- ठीक है...आती हु पहनके।
प्रभा वो ड्रेस लेके अंदर जाने लगी। सागर मन ही मन खुश हो रहा था की ये ड्रेस लाना उसके लिए फायदेमंद रहा। ऐसेही अब वो प्रभा की तारीफ करता रहेगा और फिर उसे.....ये सोच के सागर अपने आधे खड़े लंड को। सहलाने लगा...उसी वक़्त प्रभा ने उसे पलट के देखा। उसे अपना लंड सहलाते देख प्रभा भी उत्तेजित होने लगी थी।*
वो अंदर गयी और उसने अपने सारे कपडे निकाल दिए। ब्रा और निक्कर भी। फिर उसन टॉप पहना वो थोडा टाइट हो रहा था। प्रभा की चुचिया उसमे समां नहीं रही थी। उत्तेजित होने की वजह से उसके निप्प्ल्स कड़क हो चुके थे। उस टॉप में से वो साफ़ दिखाई दे रहे थे। उसने जानबुज के ब्रा निकाल ली थी। फिर उसने स्कर्ट पहना। और खुद को आईने में देखा। वो सच में कमाल लग रही थी।
फिर वो शरमाते हुए बाहर आयी और सागर के सामने कड़ी हो गयी।सागर ने उसे जब देखा तो बस देखते हि रह गया। प्रभा सच बहोत सेक्सी लग रही थी। सागर उसे ऊपर से निचे तक बस निहारता ही रह गया........
सागर बेड पे लेटे लेटे कुछ सोच रहा था। उतने में प्रियंका का फ़ोन आ गया। सागर का मुड़ आज उससे बात करनेका बिलकुल भी नहीं था। लेकिन प्रियंका ने जब उसे सुमन बुआ और चंदू के बारे में बताया तो वो भी हैरान रह गया। प्रियंका ने उसे माधवी ने जो जो बताया वो सब उसने सागर को बता दिया। प्रियंका ने उससे कहा की वो 4 5 दिन से सोच रही थी की बता दू लेकिन हिम्मत नहीं हुई। लेकिन आज मुझसे रहा ही नहीं गया। थोड़ी देर उन्होंने ऐसेही बाते की और फिर फ़ोन काट दिया।
सागर बहोत गहरी सोच में डूबा था।*
सागर:- आज एक बात का यक़ीन हो गया की अगर औरत को घर में चुदाई का सुख ना मिले तो वो बाहर जाती ही है। मिना चाची लेलो या सुमन बुआ दोनों ही चुदाई की प्यासी थी और उनके कदम आखिर बहक ही गए। माँ भी तो बाबा से खुश नहीं है वो भी कही बाहर जाके किसी के साथ कुछ कर ना ले।*
उसे प्रभा का खयाल आते ही आज जो जो हुआ था सब याद आने लगा।सागर:- आज माँ को इतने करीब से देख के मजा ही आ गया। बहोत सेक्सी है यार...मैंने खुद को कैसे कण्ट्रोल किया मुझे ही पता...लेकिन अगर वो ये सब जानबुज के कर रही हो तो?? कही वो मुझे उकसा तो नहीं रही थी? हा यार यक़ीनन वो मुझसे चुदना चाहती है तभी तो वो मुझे अपना जिस्म दिखा रही थी। वरना वो ये सब क्यू करती और मैं बेवकूफ की तरह वहा से भाग आया। जब से उन्होंने मुझे चाची को चोदते देखा है तब से ही वो थोडा बदला बदला सा व्यव्हार कर रही है। शायद मेरा लंड देख के ही वो मुझसे चुदना चाहती हो...कही मेरी तरफ से कोई रेसपोंस नहीं आते देख वो कही बाहर किसी से .....नहीं मैं ऐसा होने नहीं दूंगा।*वो मन ही मन कुछ सोचते हुए सो गया।
दूसरे दिन सुबह जब वो उठा तो उसने देखा की प्रभा उठ चुकी थी और किचन में थी। वो ये देख के थोडा दुखी हुआ की प्रभा अब ठीक है और उसे उसके नजदीक जाने का कोई मौका नहीं मिलने वाला था।
सागर:- अरे ये क्या माँ...आपको आराम करना चाहिए था।
प्रभा:- अरे वो कल की क्रीम और दवाइयो से आराम हो गया है...अब जलन नहीं है जादा।
सागर:- अरे माँ फिर भी आज शाम तक कोइं काम नहीं करना चाहिए था...
प्रभा:- कोई बात नहीं...तू बैठ मैं नास्ता देती हु।प्रभा सब समझ रही थी सागर ऐसा क्यू कह रहा है। उसे भी अब लगने लगा की शायद उसे शाम तक अपना नाटक जारी रखना चाहिए था।*वो सागर को नास्ता दे रही थी। सागर हमेशा की तरह अपनी माँ की बड़ी बड़ी चुचिया निहार रहा था।प्रभा ने उसे ऐसे करते देखा। उसे एक शरारत सूझी।
प्रभा:- दूध पियेगा क्या??प्रभा ने जब ये सवाल।किया उस वक़्त सागर बड़ी गौर से उसकी चुचिया देख रहा था।
।सागर:- अ..आ..क्या?प्रभा:- वो चाय पाउडर खत्म हो गयी है...इसलिए पूछ रही हु...तुझे क्या लगा??
सागर:- कुछ नहीं ...आपने एकदम।से पूछा तो सोच में पड़ गया..
प्रभा:- किस सोच में??
सागर:-यही की दूध छोड़े तो ज़माना हो गया मुझे..
.प्रभा:-हा पता है...पहले कितना पिता था तू...अब तो बस देखते ही रहता है...पिता बिलकुल भी नहीं।सागर को थोडा दुविधा में था। वो जो प्रभा किस बारे में बात कर रही है सच्चे वाले दूध के बारे में या अपनी चुचियो वाले दूध के बारे में...लेकिन उसने सोचा प्रभा किसी भी बारे में बात कर रही हो वो भी अब खुलके बात करेगा और ऐसेही बातो बातो में प्रभा के मन की बात को उसके जुबा पे लाके ही छोड़ेगा।
सागर:-ठीक है पिला दो आज...देखु तो सही जो दूध बचपन पिता था अब उसकी टेस्ट कैसी है?
प्रभा:- तुझे क्या लगता है? अब टेस्ट बदल गयी होगी?
सागर:- वो तो पिने के बाद ही पता चलेगा...
प्रभा:- हा वो भी है...लेकिन दूध पियेगा या जूस?? प्रभा धीरे से और एकदम सेक्सी अदा से साड़ी के ऊपर से अपनी चूत को दबाती हुई बोली।
सागर :- सोचते हुए...उम्मम दोनों पिऊंगा...
प्रभा और सागर इससे आगे कुछ बोल पाते..उतने में ही प्रभा के मोबाइल पे माधवी का फ़ोन आने लगा। प्रभा और माधवी फ़ोन पे बाते करने लगे और सागर नाश्ता करके कॉलेज के लिए तैयार होने चला गया।
शाम को जब सागर घर लौटा तो फ्रेश होके हॉल में टीवी देखने लगा। प्रभा ने उसके लिए चाय बनाई और उसे देदी।
सागर:- अरे माँ दूध नहीं पिलाओगी क्या??
प्रभा:- मुझे लगा तुम चाय पिओगे ...
सागर:-नहीं सुबह दूध पिया तो मुझे बड़ा पसंद आया....सोच रहा हु अब रोज ही पिऊ...आप भी पीना सुरु कर दो...
प्रभा:- हा लेकिन मुझे तो सिर्फ मलाई वाला दूध पसंद है।
सागर ये सुनके अब समझ गया की प्रभा कोनसे मलाई वाले दूध की बात कर रही है।
सागर:- ऐसी क्या खास बात होती है उसमे?
प्रभा:-बहोत टेस्टी होता है...गरम गरम मलाई वाले दूध की बात ही कुछ और। होती है।
सागर:-ओह्ह्ह ऐसा क्या?? ठीक है आज आपकी ये इच्छा जरूर पूरी करूँगा।
सागर हलके से अपने जांघ पे रखा हाथ लंड को छूते हुए अपने बालो को ठीक करते हुए बोला।
प्रभा ने ये सब देखा मन ही मन उसे रिवाइंड किया तो देखा की वो अपने लंड के दूध की बात कर रहा था। प्रभा को अब यकीं हो गया की आज उसकी इच्छा जरूर पूरी हो जायेगी।
प्रभा:- सच में?*
सागर:- हा...
प्रभा ने सागर की तरफ देखा और एक सेक्सी स्माइल दी सागर भी उसकी तरफ देख *के स्माइल कर रहा था। अब सागर को पूरी तरह से यकीं हो गया था की प्रभा उससे चुदवाने के लिए तैयार बैठी है। प्रभा भी आज यही सोच रही थी की अगर सागर कदम आगे नहीं बढ़ाएगा तो वो आज वो अपने कदम आगे बढ़ाएगी। चाहे सागर उसके बारे में जो सोचे।
प्रभा ये सब सोचते सोचते खाना बनाने लगी। उसे किचन में कुछ सामन खत्म हो गया था।
प्रभा:- तू बाहर जा रहा है क्या??
सागर:-नहीं क्यू??
प्रभा:- किचन में थोडा सामान लाना था।
सागर:- ठीक है चलो ...
प्रभा:- नहीं ...मैं तुझे लिस्ट बना देती हु तू लेके आजा।
सागर:- ठीक है।
प्रभा ने सागर को लिस्ट बना दी। सागर मार्केट जाके सब सामान ले आया। जब वो मार्केट गया था तब उसने एक कपडे के दुकान में एक ड्रेस देखि। लॉन्ग स्कर्ट और टॉप। उसे वो बहोत पसंद आ गयी। उसने वो ड्रेस प्रियंका के लिए खरीद ली।
घर आके उसने सामान प्रभा को दे दिया। और वो जो ड्रेस लाया था वो उसने सोफे के पास रख दी।और वो उसे उठाना भूल गया।*
वो अपने कमरे में जाके सोचने लगा की क्या करे कैसे करे?? उसे कुछ सूझ नहीं रहा था। थोड़ी देर बाद प्रभा ने उसे खाना खाने के लिए आवाज दी। वो खाना खाने के बाद टीवी देखने लगा। प्रभा भी सब समेट के सोफे पे आके बैठ गयी और टीवी देखने लगी। वो कुछ बात कर पाती उसे वो ड्रेस वाला बॉक्स दिखाई दिया। प्रभा ने वो ड्रेस निकाला और देखने लगी।
प्रभा:- ये किसका है सागर?? तू लेके आया क्या??
सागर प्रभा के होतो में वो ड्रेस देख के थोडा चौक गया। और अपनी बेवकूफी पे मन ही मन गुस्सा करने लगा।लेकिन अगले ही पल वो संभला और...
सागर:- अरे माँ वो मैं माधवी के लिए लाया हु...मुझे अच्छा लगा तो खरीद लिया।
प्रभा:- ह्म्म्म्म सच में अच्छा है। पहले तो मैं चौक गयी की कही तू मेरे लिए तो नहीं लाया।
सागर:- हा हा हा नहीं माँ...लेकिन आप पे भी अच्छा लगेगा। आप देखो ना पहनके।
प्रभा:- कुछ भी क्या?अब इस उम्र में ऐसे कपडे पहनूँगी??
सागर:- अरे माँ आजकल तो सभी पहनते है। और आप तो ऐसे भी बहोत खूबसूरत और जवान लगती हो।
प्रभा:- चुप कर शैतान...
सागर:- सच में माँ...आप और माधवी ये ड्रेस 0अहाँके साथ में बाहर निकलोगी तो आपको माँ। बेटी नहीं बहन कहेंगे।
प्रभा:- बस कर...कुछ भी बोलता है। लोग पागल ही है ना जो मुझे देख के मेरी उम्र उन्हें पता नहीं चलेगी।
सागर:- नहीं माँ मैं भी हैरान था जब मैंने आपको कल देखा....
सागर के मुह से अचानक नुकल गया।
प्रभा:-क्या???? बदमाश हो गया है तू बहोत...
सागर ने सोचा अब बात निकल ही गयी है तो अब रुकना नहीं है।
सागर:-सच में आपकी स्किन कितनी मुलायम है..आपकी फिगर भी कितनी अच्छी है...बिलकुल किसी हेरोइन की तरह..
प्रभा:- अच्छा?? कोई मिला नहीं क्या सुबह से तुझे?
सागर प्रभा के पास सरक गया और उसके हाथो पे हाथ रख दिया।
सागर:- सच में माँ...आपको यकीं नहीं आता न तो बस एक बार ये ड्रेस पहनो और फिर देखो।
प्रभा को सागर का ऐसे जिद्द करना अच्छा लग रहा था। उसके मुह से अपनी तारीफ सुन के वो खुश हो रही थी।
प्रभा:- नहीं मुझे नहीं पहनना..
सागर:-एक बार प्लीज...मेरे लिए...
प्रभा:- देख मुझे ये अच्छा नहीं लग रहा।
सागर:- नहीं नहीं प्लीज एक बार मुझे ये पहनके दिखाओ..
प्रभा ने भी अब हार मान ली।
प्रभा:- ठीक है...आती हु पहनके।
प्रभा वो ड्रेस लेके अंदर जाने लगी। सागर मन ही मन खुश हो रहा था की ये ड्रेस लाना उसके लिए फायदेमंद रहा। ऐसेही अब वो प्रभा की तारीफ करता रहेगा और फिर उसे.....ये सोच के सागर अपने आधे खड़े लंड को। सहलाने लगा...उसी वक़्त प्रभा ने उसे पलट के देखा। उसे अपना लंड सहलाते देख प्रभा भी उत्तेजित होने लगी थी।*
वो अंदर गयी और उसने अपने सारे कपडे निकाल दिए। ब्रा और निक्कर भी। फिर उसन टॉप पहना वो थोडा टाइट हो रहा था। प्रभा की चुचिया उसमे समां नहीं रही थी। उत्तेजित होने की वजह से उसके निप्प्ल्स कड़क हो चुके थे। उस टॉप में से वो साफ़ दिखाई दे रहे थे। उसने जानबुज के ब्रा निकाल ली थी। फिर उसने स्कर्ट पहना। और खुद को आईने में देखा। वो सच में कमाल लग रही थी।
फिर वो शरमाते हुए बाहर आयी और सागर के सामने कड़ी हो गयी।सागर ने उसे जब देखा तो बस देखते हि रह गया। प्रभा सच बहोत सेक्सी लग रही थी। सागर उसे ऊपर से निचे तक बस निहारता ही रह गया........
Re: hindi sex story - किस्से कच्ची उम्र के.....!!!!
भाग 18
सागर को अपनी तरफ ऐसे देखते देख प्रभा को बड़ी शर्म सी आ रही थी। उसका दिल बहोत जोर जोर से धड़क रहा था। सागर अभी भी उसे बस देखते ही जा रहा था। प्रभा उस ड्रेस में बला की खूबसूरत लग रही थी। ऊपर से वो टॉप उसके बदन चिपक सा गया था।उसकी बड़ी बड़ी चुचिया और उसके पॉइंटेड निप्प्ल्स को देख सागर के होश उड़ गए थे।
प्रभा:- क्या हुआ?? कुछ बोलेगा भी??
सागर प्रभा के ऐसे पूछने पर होश में आया।
सागर:-वाओ माँ आपको बता नहीं सकता की आप कितनी अच्छी लग रही हो इस ड्रेस में। बिलकुल कॉलेज गर्ल लग रही हो आप।
प्रभा:- कुछ भी मैंने देखा है खुदको आईने में...इतनी भी अछि नहीं लग रही।
सागर:- सच में ...बहोत सेक्सी और हॉट लग रही हो।
प्रभा:-चुप कर बदमाश अपनी माँ को सेक्सी बोल रहा है।
सागर उठ के उसके नजदीक जाता है।
सागर:- अरे आप दिख रहि हो ईसिलिये बोल रहा हु। आपकी फ़ोटो ले लेता हु।
प्रभा:- नहीं पागल हो गए हो क्या??माधवी या तेरे बाबा ने देख लिया तो वो क्या सोचेंगे।
सागर:- कुछ नहीं होगा...
सागर फ़ोटो लेने के लिए मोबाइल उठाता है लेकिन प्रभा आगे बढ़ के उसका हाथ पकड़ लेती है। प्रभा ने सागर का वोही हाथ पकड़ा था जिसमे मोबाइल था।
प्रभा:- देख तू ऐसा मत कर..तूने जिद्द कि ईसलिये ये ड्रेस मैंने पहनी है और तू है की....
उनदोनो में मोबाइल को लेके झपटा झपटी चल रही थी। उसीका फायदा उठाते हुए प्रभा सागर से एकदम चिपक सी गयी थी। सागर भी प्रभा को अपने इतने करीब पा के उत्तेजित हो रहा था और अपना हाथ थोडा ऊपर करके पीछे ले जा रहा था। उसने मौके का फायदा उठाते हुए प्रभा के कमर में हाथ डाल दिया। उसने ऐसा करते ही प्रभा सिर्फ उससे मोबाइल छीनने का नाटक कर रही थी। सागर भी ये सब जानता था। उसने प्रभा की कमर पकड़ के थोडा आगे हुआ और उसने अपना खड़ा लंड प्रभा की चूत पे लगा दिया। प्रभा उसके लंड का अहसास अपनी चूत पे हो रहा था।उसकी आँखों में नशा सा उतरने लगा। सागर लगातार उसके चेहरे के हावभाव देख रहा था। सागर प्रभा का नशीला होता हुआ चेहरा देख खुश हो रहा था और अपना लंड उसकी चूत से और चिपकाने लगा। प्रभा पहली बार सागर के लंड को अपनी चूत के इतने करीब पा कर उत्तेजना से मरी जा रही थी। उसे सागर के साथ चल रहे इस खेल में बहोत मजा आ रहा था।
प्रभा:- सुन ना प्लीज मत निकाल ना फ़ोटो...प्रभा की आवाज भारी होने लगी थी।
सागर :- ठीक है आप शांत हो जाओ...आप हाथ छोडो मेरा...प्रभा ने हाथ छोड़ दिया ।
सागर:- मैं ये मोबाइल यहाँ रख देता हु। सागर ने खड़े खड़े ही मोबाइल सोफे पे फेक दिया और अपने दोनों हाथ प्रभा के कमर पे रख *दिए।
सागर:- अगर आप को किसी को नहीं दिखानी तो मैं एक काम करता हु ...फ़ोटो कंप्यूटर में दाल देता हु और मोबाइल से डिलीट कर दूंगा।
प्रभा ने देखा की सागर ने उसे कमर से जकड लिया है और उसका एक हाथ धीरे धीरे उसकी गांड की तरफ बढ़ रहा है तो वो भी अपने हाथ सागर के गले में डाल देती है और अपनी कमर आगे की और कर देती है। वो लगबघ सागर के गले से झूल रही थी।
प्रभा:- नहीं न प्लीज...माधवी देख लेगी।
सागर:- नहीं देखेगी मैं छुपा दूंगा।
प्रभा अब धीरे धीरे अपने पैर अलग कर रही थी। दोनों की हाइट सेम होने से उनके गुप्तांग एकदूसरे से एकदम परफेक्ट जगह पे छु रहे थे।सागर को ये समझ आ रहा था की प्रभा अपने पैर अलग कर रही है।
प्रभा:- देख मैंने तेरी ये बात मानी तू मेरी ये बात मान ले....वो। दोनों जानते थे की ये फ़ोटो लेने की और नहीं लेने की बहस सिर्फ और सिर्फ दिखावा थी। वो दोनों हि ईकदुसरे से ऐसेही चिपके हुए रहना चाहते थे।
सागर:- माँ आप इतनी खूबसूरत लग रही हो इस ड्रेस में मैं ये मिस नहीं करना चाहता।
प्रभा ने अपने पैर अब लगबघ अलग कर लिए थे।सागर ने उसे कमर पकड़ रखा था और प्रभा पैर फैलाये उसके गले में झूल रही थी। वो दोनों ऐसी पोजीशन में थे जैसे सागर उसे खड़े खड़े चोद रहा हो। अगर उनके बिच ये कपडे नहीं होते तो सागर का लंड अब तक प्रभा को चूत को गहराइयो में खो गया होता।
ये सब प्रभा के बर्दास्त के बाहर हो रहा था।
प्रभा:- छोटे बच्चे जैसी जिद मत कर...
सागर:- वो तो आप कर रही हो...और सच कहु तो अगर दो चोटी बना लो तो एकदम बच्ची ही लगोगी आप...
प्रभा:-हट शैतान...बस इतना ही रह गया था अब....बोलता है की बच्ची लगूंगी...पागल कही का।
सागर:-सच में...आप इतनी क्यूट लगोगी की कोई भी आपको गोद में उठाने को तड़प उठेगा...कोई क्या मैं ही उठाऊंगा...
प्रभा:- हा हा हा...अब कुछ जादा ही हो गया...तू रहने दे मुझे गोद में उठाना तेरे बस का नहीं...
सागर:- हा क्या?? रुक जाओ अभी दिखाता हु...
प्रभा का ऐसा बोलना सागर ने चैलेंज की तरह लिया। और वो प्रभा को उठाने की कोशिस करने लगा। प्रभा उसे मना कर रही थी मगर सागर मान नहीं रहा था। और उस खीचा तानी में प्रभा का बैलेंस बिघाड गया और वो निचे गिरने लगी। निचे गिरते हुए उसने सागर को सहारे के लिए पकड़ा तो सागर का भी बैलेंस बिघाड गया और *प्रभा के ऊपर जा गिरा। निचे गिरते वक़्त प्रभा का स्कर्ट फॅन की हवा से ऊपर उड़ गया था। और सागर प्रभा के ऊपर होने से उसे वो दिखाई नहीं दिया। उसका चेहरा प्रभा के चुचियो के बिच दब गया।सागर ने खुद को संभाला और कोहनी का सहारा लेके ऊपर हुआ लेकिन उठा नहीं उल्टा मौके का फायदा उठाते हुए अपना लंड प्रभा की चूत से सटा दिया। प्रभा भी इस मौके का फायदा उठाते हुए अपने पैर फैलाके अपने घुटने मोड़ लिए। प्रभा को ये पता था की इसका स्कर्ट ऊपर उठ चूका है और सागर का लंड उसकी नंगी चूत पे था।
सागर:- ओह्ह सॉरी माँ...आपको लगी तो नहीं।
प्रभा:- नहीं...पागल मैंने तुझे पहले ही कहा था..तेरे बस का नहीं...और निचे से अपनी गांड धीरे से उठाके सागर को इशारा सा दिया। सागर को वो समझ आ गया। उसने भी अपना लंड का दबाव डाला।
सागर:- आपने ठीक उठाने नहीं दिया।
प्रभा:- हा रहने दे...इतनेसे तेरा ये हाल हो गया आगे क्या करेगा क्या पता??
सागर:- आगे की चिंता मत करो आप...
प्रभा:- ठीक है...देखती हु। चल उठ अब...
सागर:- क्यू? रहने दो ना ऐसेही...अच्छा लग रहा है.....सागर प्रभा की आखो में देखते हुए अपने होठ उसके ओठो के पास ले जाते हुए धीरे से और बहोत ही सेक्सी अंदाज में बोला।
प्रभा:-अह्ह्ह क्या अच्छा लग रहा है?? प्रभा ने एकदम नशीले अंदाज में पूछा। मुझे इस्तरह अपने निचे दबाके??
सागर:-नहीं...ऐसे आपके करीब आके।
प्रभा:- ऐसे अपने बीवी के करीब जाना मेरे नहीं...चल उठ।
सागर:- बीवी के जब जाऊंगा तब जाऊंगा....फ़िलहाल तो मुझे आपके साथ ऐसही रहना है।
प्रभा:-कैसे रहना है....प्रभा ने अपना एक हाथ उसकी कमर पे और दूसरा उसके बालो में डाल के सहलाते हुए पूछा।
सागर:- प्रभा की आँखों देखते हुए उसके होठो एक हल्का सा किस किया....ऐसे रहना है।
सागर ने जैसे ही उसे किस किया प्रभा की आँखे बंद हो गयी।*
प्रभा:- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स ...(अआँखे खोलते हुए) *बस ऐसेही??
सागर ने देखा की प्रभा को कोई ऐतराज नहीं है तो उसकी हिम्मत और बढ़ गयी।
सागर ने अब प्रभा को फिरसे किस करने लगा। प्रभा भी अब इस मौके को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहती थी। वो भी उसे धीरे धीरे किस करने लगी। दोनों भी पिछले एक घंटे से चले आ रहे इस खेल की वजह से इतने गरम चुके थे की अब उनके लिए रुकना नहीं हों रहा था। सागर के किस करने का अंदाज प्रभा को बहोत अच्छा लग रहा था। वो धीरे धीरे एकदूसरे के होठो को चूस रहे थे। दोनों की आँखे बंद थी। प्रभा ने उसके बाल कभी उसकी पीठ को सहला रही थी। निचे से अपनी गांड उठा के सागर के लंड पे अपनी चूत रगड़ रही थी। सागर भी अब उसे किस करते हुए उसकी बड़ी बड़ी चुचिया दबाने लगा था।
सागर:- (किस करते हुए मन में) उफ्फ्फ्फ़ क्या मस्त चुचिया है अह्ह्ह्ह्ह्ह नरम नरम अह्ह्ह्ह्ह मजा आ रहा है बहोत उफ्फ्फ्फ्फ़ ....
प्रभा:-(मन में) अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स आज कितने दिनों बाद मेरी इच्छा पूरी होगी उफ्फ्फ्फ्फ्फ आज सागर का 10 11 इंच का लंड मेरी चूत को फाड़ेगा अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् उफ्फ्फ्फ़ अब बर्दास्त नहीं हो रहा है अह्ह्ह्ह्ह
जब उनका चूमने का सिलसिला खत्म हुआ वो एकदूसरे को गले लगा लिया। उनकी सांसे बहोत जोर जोर से चल रही थी। सागर अब प्रभा को गले पे चूम रहा था। उसके कानो को धीरे से काट रहा था। प्रभा बस आँखे बाद कर के सागर के एक एक हरकत का मजा ले रही थी। उसके मुह से लगातार अह्ह्ह्ह्ह उस्स्सस्सस्स उफ्फ्फ्फ़ स्सस्सस्सस उम्म्म्म्म्म्म्म निकल।रहा था।
सागर थोडा सांस लेने के लिए रुका। उसने देखा प्रभा आँखे बंद करके जोर जोर से साँसे ले रही थी।
सागर:- स्स्स्स्स् उफ्फ्फ्फ़ ऐसे भी रहना चाहता हु मैं आपके साथ...
प्रभा ने अपनी आँखे खोली....उसकी आँखे उत्तेजना से लाल लाल हो चुकी थी।
प्रभा:- और .....प्रभा सिर्फ इतना ही कह पायी...उसकी आवाज काँप।रही थी। पूरा बदन गरम हो चूका था।
सागर प्रभा की आँखों में देखते हुए अपना हाथ निचे प्रभा की जांघो पे गया। उसने देखा की प्रभा का स्कर्ट पहले ही ऊपर था। उसने प्रभा की जांघो को सहलाते हुए अपना हाथ उसकी चूत पे ले गया। जैसे ही उसका हाथ प्रभा की चूत को छुआ प्रभा के मुह से आआआआअह्हह्हह निकल गयी और उसका मुह वैसेही खुला रह गया। सागर ने देखा की प्रभा की चूत बहोत जादा गीली थी। उसका लंड भी बहोत देर से खड़ा था। उसे पता था की अब वो वक़्त आ चूका है जिसका सिर्फ उसे ही नहीं प्रभा को भी इन्तजार था।उन दोनों के बिचबके रिश्ते को भुला के एक नए रिश्ते का आगाज करना। सागर प्रभा की चूत को सहला रहा था। और प्रभा के चेहरे को देख रहा था।।प्रभा मदमस्त हो चुकी थी। वो आँखे बंद कर के आहे भर रही थी।
सागर ने अपना हाथ प्रभा की चूत से हटाया और अपना पैंट अंडरवियर के साथ लेटे लेटे ही निचे कर दिया। और अपनी कमर को थोडा ऊपर उठा के एक हाथ से अपना लंड प्रभा की गीली चूत पे ले गया और रगड़ने लगा। प्रभा को जैसे ही सागर के लंड का अहसास अपनी चूत पे हुआ उसकी धड़कने रुक सी गयी। जिस पल का वो बेसब्री से इन्तजार कर रही थी वो आखिर आ ही गया।उसने आँखे खोली और सागर की तरफ देखा। वो भी प्रभा को देख रहा था।
प्रभा:- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् सागर अह्ह्ह्ह क्या हम ये सही कर रहे है??
सागर:- उम्म्म्म्म स्स्स्स्स् मुझे नहीं पता माँ क्या सही क्या गलत....बस मुझे सिर्फ इतना पता है की *मैं ये करना चाहता हु....अब मैं नहीं रुक सकता....क्या आप नहीं चाहती??
प्रभा:-अह्ह्ह स्स्स्स चाहती तो हु...वर्ना तुम्हे कब का रोक लेती....लेकिन....
सागर:- लेकिन क्या?? ये गलत है हमें ये नहीं करना चाहिए ...ये वो..मुझे कुछ नहीं पता...मैं सिर्फ इतना समजता हु की आप औरत हो और मैं मर्द...बस बाकि मैं कुछ नहीं सोचना चाहता...
प्रभा:- अह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् फिर इन्तजार किस बात का कर रहे हो?? प्रभा ने बहोत ही जादा सेक्सी अंदाज में कहा।
सागर ये सुनके पागल सा हो गया। उसने धीरे से अपना लंड प्रभा की चूत के मुह पे रखा और धीरे धीरे अंदर सरकाने लगा। प्रभा की चूत बहोत गीली थी। सागर को अपना लंड अंदर डालने में कोई परेशानी नहीं हों रहि थी लेकिन प्रभा को इतने मोटे और लंबे लंड से चुदने की आदत नहीं थी। उसे थोडा दर्द हो रहा था। वो अह्ह्ह्ह्ह किये जा रही थी। सागर ने आधा लंड अंदर दाल दिया था। वो थोडा रुक के प्रभा की आँखों में देख रहा था।
सागर:- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स अह्ह्ह्ह उम्म्म्म कितना अच्छा लग रहा उफ्फ्फ्फ्फ़
प्रभा कुछ बोलने के मुड़ में नहीं थी। कई दिनों से जिस लंड से चुदने की उसकी चाहत थी आज वो पूरी हो रही थी। वो बस उसकी चूत में जाते उस लंड के बारे में ही सोच रही थी। सागर ने धीरे धीरे पूरा लंड अंदर डाल दिया था। प्रभा को दर्द भरे एक अजिबसे सुख की अनुभूति हो रही थी। सागर को प्रभा की चूत में लंड डाल के बहोत मजा आ रहा था।चूत के अंदर की गर्माहट और उसकी कसावट का मजा ले रहा था। जो मजा उसे मीना को चोदने के बाद भी नहीं आया था वो मजा उसे सिर्फ अपना लंड प्रभा की चूत में डालने भर से आ रहा था।वो ऐसेही थोड़ी देर पड़ा रहा और प्रभा को गर्दन पे गालो पे होठो पे बड़े ही प्यार से किस कर रहा था। प्रभा अपने हाथ सागर की गांड पे ले गयी और निचे से अपनी गांड उठा *के उसे चोदने का इशारा करने लगी। सागर को समझ आ गया की प्रभा क्या चाहती है। वो धीरे धीरे अपना लंड बाहर निकाला और फिर धीरे से वापस अंदर डाल दिया।प्रभा के मुह से हलकी सी अह्ह्ह निकली। सागर वापस उसी अंदाज में अपना लंड आगे पीछे करते हुए प्रभा को चोदने लगा। प्रभा को एक अलग ही सुख मिल रहा था। उसकी आँखे पूरी तरह से बंद भी नहीं हो रही थी और पूरी तरह से खुल भी नहीं रही थी।
सागर भी अब उस गीली चिकनी और टाइट चूत को मजे से चोद रहा था। वो दोनों अपने। इस पहले मिलन का भरपूर आनंद उठा रहे थे।
सागर की स्पीड अब बढ़ गयी थी।स्पीड के साथ साथ सागर अब उसकी चुचिया भी दबाने लग गया था। प्रभा सागर के हर धक्के के साथ अह्ह्ह्ह कर उठती।
सागर:-उफ्फ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स माँ बहोत अच्छा लग रहा है अह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्सस*
प्रभा:- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् उम्म्म्म्म मुझे भी अह्ह्ह्ह्ह्ह उईईईईई माँ अह्ह्ह धीरे धीरे कर उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़
ये पहली बार था जब प्रभा कुछ बोल पा रही थी।*
सागर:- अह्ह्ह्ह्ह्ह इतना धीरे ठीक है ना??
प्रभा:- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स हा ठीक है उफ्फ्फ्फ्फ्फ
प्रभा अब बहोत ऊटेजित हो चुकी थी।सागर भी अब झड़ने के करीब था। मगर वो खुद को रोक रहा था। क्यू की उसे प्रभा को ऐसेही काफी देर तक चोदने की चाह थी क्यू की उसको बहोत मजा आ रहा था।
सागर:-उफ्फ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह स्सस्सस्स*
प्रभा:- अह्ह्ह्ह्ह्ह हा हा ऐसेही उफ्फ्फ्फ्फ्फ ऐसा लग रहा है स्सस्सस्स जैसे पहली बार मैं ये कर रही हु अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह जोर से अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह थोडा और अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
सागर:- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स उफ्फ्फ्फ्फ्फ*
सागर अब बहोत तेज अपना लंड प्रभा की चूत में अंदर बाहर कर रहा था। प्रभा भी अपनी गांड उचका उचका के सागर का लंड अपनी चूत में ले रही थी। वो दोनों भी अब अपने मंजिल के करीब थे।
सागर:- अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह माँ स्स्स्स्स्स्स्स माँ। ऊम्मम्म। आपको चोदने में बहोत मजा आ रहा है अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्सस्सस्सस्सस्स
सागर उत्तेजना के मारे बोल पड़ा। प्रभा उसके मुह से चोदना सुन के सिहर सी उठी। चूत में अंदर बाहर होता मोटा लंबा लंड और सागर के मुह से ऐसी बाते उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ वो सातवे आसमान में थी।*
प्रभा:- अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मुझे बहोत मजा आ रहा सागर उफ्फ्फ्फ्फ्फ अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स जोर से और आआआआआअ और अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्*
प्रभा झड़ चुकी थी।*
सागर:- अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह हा अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ़ मेरा होने वाला है अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्
सागर ने भी आखरी धक्का प्रभा की चूत में लगाया और अपना लंड दबा के वो अंदर ही झड़ने लगा। वो फच फच प्रभा की चूत में पिचकारी मारे जा रहा था। प्रभा को सागर के लंड से निकलते गरम वीर्य का अहसास हो रहा था। सागर के लंड से उड़ती हर पिचकारी उसके चूत में वो साफ़ साफ़ महसूस कर पा रही थी।
दोनों भी जोर जोर से साँसे लेते हुए एकदूसरे को बाहो में जकड के ऐसेही पड़े रहे। प्रभा सागर के उस मोटे लंबे लंड से चुदावाके किसी स्वर्ग सी अनुभूति हो रही थी।
वो उस पल को अपने ज़हन में हमेशा के लिए कैद करके रखना चाहती थी।
दोस्तों अभी रात सुरु हुई है। आगे आगे देखिये क्या क्या होता है। *
सागर को अपनी तरफ ऐसे देखते देख प्रभा को बड़ी शर्म सी आ रही थी। उसका दिल बहोत जोर जोर से धड़क रहा था। सागर अभी भी उसे बस देखते ही जा रहा था। प्रभा उस ड्रेस में बला की खूबसूरत लग रही थी। ऊपर से वो टॉप उसके बदन चिपक सा गया था।उसकी बड़ी बड़ी चुचिया और उसके पॉइंटेड निप्प्ल्स को देख सागर के होश उड़ गए थे।
प्रभा:- क्या हुआ?? कुछ बोलेगा भी??
सागर प्रभा के ऐसे पूछने पर होश में आया।
सागर:-वाओ माँ आपको बता नहीं सकता की आप कितनी अच्छी लग रही हो इस ड्रेस में। बिलकुल कॉलेज गर्ल लग रही हो आप।
प्रभा:- कुछ भी मैंने देखा है खुदको आईने में...इतनी भी अछि नहीं लग रही।
सागर:- सच में ...बहोत सेक्सी और हॉट लग रही हो।
प्रभा:-चुप कर बदमाश अपनी माँ को सेक्सी बोल रहा है।
सागर उठ के उसके नजदीक जाता है।
सागर:- अरे आप दिख रहि हो ईसिलिये बोल रहा हु। आपकी फ़ोटो ले लेता हु।
प्रभा:- नहीं पागल हो गए हो क्या??माधवी या तेरे बाबा ने देख लिया तो वो क्या सोचेंगे।
सागर:- कुछ नहीं होगा...
सागर फ़ोटो लेने के लिए मोबाइल उठाता है लेकिन प्रभा आगे बढ़ के उसका हाथ पकड़ लेती है। प्रभा ने सागर का वोही हाथ पकड़ा था जिसमे मोबाइल था।
प्रभा:- देख तू ऐसा मत कर..तूने जिद्द कि ईसलिये ये ड्रेस मैंने पहनी है और तू है की....
उनदोनो में मोबाइल को लेके झपटा झपटी चल रही थी। उसीका फायदा उठाते हुए प्रभा सागर से एकदम चिपक सी गयी थी। सागर भी प्रभा को अपने इतने करीब पा के उत्तेजित हो रहा था और अपना हाथ थोडा ऊपर करके पीछे ले जा रहा था। उसने मौके का फायदा उठाते हुए प्रभा के कमर में हाथ डाल दिया। उसने ऐसा करते ही प्रभा सिर्फ उससे मोबाइल छीनने का नाटक कर रही थी। सागर भी ये सब जानता था। उसने प्रभा की कमर पकड़ के थोडा आगे हुआ और उसने अपना खड़ा लंड प्रभा की चूत पे लगा दिया। प्रभा उसके लंड का अहसास अपनी चूत पे हो रहा था।उसकी आँखों में नशा सा उतरने लगा। सागर लगातार उसके चेहरे के हावभाव देख रहा था। सागर प्रभा का नशीला होता हुआ चेहरा देख खुश हो रहा था और अपना लंड उसकी चूत से और चिपकाने लगा। प्रभा पहली बार सागर के लंड को अपनी चूत के इतने करीब पा कर उत्तेजना से मरी जा रही थी। उसे सागर के साथ चल रहे इस खेल में बहोत मजा आ रहा था।
प्रभा:- सुन ना प्लीज मत निकाल ना फ़ोटो...प्रभा की आवाज भारी होने लगी थी।
सागर :- ठीक है आप शांत हो जाओ...आप हाथ छोडो मेरा...प्रभा ने हाथ छोड़ दिया ।
सागर:- मैं ये मोबाइल यहाँ रख देता हु। सागर ने खड़े खड़े ही मोबाइल सोफे पे फेक दिया और अपने दोनों हाथ प्रभा के कमर पे रख *दिए।
सागर:- अगर आप को किसी को नहीं दिखानी तो मैं एक काम करता हु ...फ़ोटो कंप्यूटर में दाल देता हु और मोबाइल से डिलीट कर दूंगा।
प्रभा ने देखा की सागर ने उसे कमर से जकड लिया है और उसका एक हाथ धीरे धीरे उसकी गांड की तरफ बढ़ रहा है तो वो भी अपने हाथ सागर के गले में डाल देती है और अपनी कमर आगे की और कर देती है। वो लगबघ सागर के गले से झूल रही थी।
प्रभा:- नहीं न प्लीज...माधवी देख लेगी।
सागर:- नहीं देखेगी मैं छुपा दूंगा।
प्रभा अब धीरे धीरे अपने पैर अलग कर रही थी। दोनों की हाइट सेम होने से उनके गुप्तांग एकदूसरे से एकदम परफेक्ट जगह पे छु रहे थे।सागर को ये समझ आ रहा था की प्रभा अपने पैर अलग कर रही है।
प्रभा:- देख मैंने तेरी ये बात मानी तू मेरी ये बात मान ले....वो। दोनों जानते थे की ये फ़ोटो लेने की और नहीं लेने की बहस सिर्फ और सिर्फ दिखावा थी। वो दोनों हि ईकदुसरे से ऐसेही चिपके हुए रहना चाहते थे।
सागर:- माँ आप इतनी खूबसूरत लग रही हो इस ड्रेस में मैं ये मिस नहीं करना चाहता।
प्रभा ने अपने पैर अब लगबघ अलग कर लिए थे।सागर ने उसे कमर पकड़ रखा था और प्रभा पैर फैलाये उसके गले में झूल रही थी। वो दोनों ऐसी पोजीशन में थे जैसे सागर उसे खड़े खड़े चोद रहा हो। अगर उनके बिच ये कपडे नहीं होते तो सागर का लंड अब तक प्रभा को चूत को गहराइयो में खो गया होता।
ये सब प्रभा के बर्दास्त के बाहर हो रहा था।
प्रभा:- छोटे बच्चे जैसी जिद मत कर...
सागर:- वो तो आप कर रही हो...और सच कहु तो अगर दो चोटी बना लो तो एकदम बच्ची ही लगोगी आप...
प्रभा:-हट शैतान...बस इतना ही रह गया था अब....बोलता है की बच्ची लगूंगी...पागल कही का।
सागर:-सच में...आप इतनी क्यूट लगोगी की कोई भी आपको गोद में उठाने को तड़प उठेगा...कोई क्या मैं ही उठाऊंगा...
प्रभा:- हा हा हा...अब कुछ जादा ही हो गया...तू रहने दे मुझे गोद में उठाना तेरे बस का नहीं...
सागर:- हा क्या?? रुक जाओ अभी दिखाता हु...
प्रभा का ऐसा बोलना सागर ने चैलेंज की तरह लिया। और वो प्रभा को उठाने की कोशिस करने लगा। प्रभा उसे मना कर रही थी मगर सागर मान नहीं रहा था। और उस खीचा तानी में प्रभा का बैलेंस बिघाड गया और वो निचे गिरने लगी। निचे गिरते हुए उसने सागर को सहारे के लिए पकड़ा तो सागर का भी बैलेंस बिघाड गया और *प्रभा के ऊपर जा गिरा। निचे गिरते वक़्त प्रभा का स्कर्ट फॅन की हवा से ऊपर उड़ गया था। और सागर प्रभा के ऊपर होने से उसे वो दिखाई नहीं दिया। उसका चेहरा प्रभा के चुचियो के बिच दब गया।सागर ने खुद को संभाला और कोहनी का सहारा लेके ऊपर हुआ लेकिन उठा नहीं उल्टा मौके का फायदा उठाते हुए अपना लंड प्रभा की चूत से सटा दिया। प्रभा भी इस मौके का फायदा उठाते हुए अपने पैर फैलाके अपने घुटने मोड़ लिए। प्रभा को ये पता था की इसका स्कर्ट ऊपर उठ चूका है और सागर का लंड उसकी नंगी चूत पे था।
सागर:- ओह्ह सॉरी माँ...आपको लगी तो नहीं।
प्रभा:- नहीं...पागल मैंने तुझे पहले ही कहा था..तेरे बस का नहीं...और निचे से अपनी गांड धीरे से उठाके सागर को इशारा सा दिया। सागर को वो समझ आ गया। उसने भी अपना लंड का दबाव डाला।
सागर:- आपने ठीक उठाने नहीं दिया।
प्रभा:- हा रहने दे...इतनेसे तेरा ये हाल हो गया आगे क्या करेगा क्या पता??
सागर:- आगे की चिंता मत करो आप...
प्रभा:- ठीक है...देखती हु। चल उठ अब...
सागर:- क्यू? रहने दो ना ऐसेही...अच्छा लग रहा है.....सागर प्रभा की आखो में देखते हुए अपने होठ उसके ओठो के पास ले जाते हुए धीरे से और बहोत ही सेक्सी अंदाज में बोला।
प्रभा:-अह्ह्ह क्या अच्छा लग रहा है?? प्रभा ने एकदम नशीले अंदाज में पूछा। मुझे इस्तरह अपने निचे दबाके??
सागर:-नहीं...ऐसे आपके करीब आके।
प्रभा:- ऐसे अपने बीवी के करीब जाना मेरे नहीं...चल उठ।
सागर:- बीवी के जब जाऊंगा तब जाऊंगा....फ़िलहाल तो मुझे आपके साथ ऐसही रहना है।
प्रभा:-कैसे रहना है....प्रभा ने अपना एक हाथ उसकी कमर पे और दूसरा उसके बालो में डाल के सहलाते हुए पूछा।
सागर:- प्रभा की आँखों देखते हुए उसके होठो एक हल्का सा किस किया....ऐसे रहना है।
सागर ने जैसे ही उसे किस किया प्रभा की आँखे बंद हो गयी।*
प्रभा:- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स ...(अआँखे खोलते हुए) *बस ऐसेही??
सागर ने देखा की प्रभा को कोई ऐतराज नहीं है तो उसकी हिम्मत और बढ़ गयी।
सागर ने अब प्रभा को फिरसे किस करने लगा। प्रभा भी अब इस मौके को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहती थी। वो भी उसे धीरे धीरे किस करने लगी। दोनों भी पिछले एक घंटे से चले आ रहे इस खेल की वजह से इतने गरम चुके थे की अब उनके लिए रुकना नहीं हों रहा था। सागर के किस करने का अंदाज प्रभा को बहोत अच्छा लग रहा था। वो धीरे धीरे एकदूसरे के होठो को चूस रहे थे। दोनों की आँखे बंद थी। प्रभा ने उसके बाल कभी उसकी पीठ को सहला रही थी। निचे से अपनी गांड उठा के सागर के लंड पे अपनी चूत रगड़ रही थी। सागर भी अब उसे किस करते हुए उसकी बड़ी बड़ी चुचिया दबाने लगा था।
सागर:- (किस करते हुए मन में) उफ्फ्फ्फ़ क्या मस्त चुचिया है अह्ह्ह्ह्ह्ह नरम नरम अह्ह्ह्ह्ह मजा आ रहा है बहोत उफ्फ्फ्फ्फ़ ....
प्रभा:-(मन में) अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स आज कितने दिनों बाद मेरी इच्छा पूरी होगी उफ्फ्फ्फ्फ्फ आज सागर का 10 11 इंच का लंड मेरी चूत को फाड़ेगा अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् उफ्फ्फ्फ़ अब बर्दास्त नहीं हो रहा है अह्ह्ह्ह्ह
जब उनका चूमने का सिलसिला खत्म हुआ वो एकदूसरे को गले लगा लिया। उनकी सांसे बहोत जोर जोर से चल रही थी। सागर अब प्रभा को गले पे चूम रहा था। उसके कानो को धीरे से काट रहा था। प्रभा बस आँखे बाद कर के सागर के एक एक हरकत का मजा ले रही थी। उसके मुह से लगातार अह्ह्ह्ह्ह उस्स्सस्सस्स उफ्फ्फ्फ़ स्सस्सस्सस उम्म्म्म्म्म्म्म निकल।रहा था।
सागर थोडा सांस लेने के लिए रुका। उसने देखा प्रभा आँखे बंद करके जोर जोर से साँसे ले रही थी।
सागर:- स्स्स्स्स् उफ्फ्फ्फ़ ऐसे भी रहना चाहता हु मैं आपके साथ...
प्रभा ने अपनी आँखे खोली....उसकी आँखे उत्तेजना से लाल लाल हो चुकी थी।
प्रभा:- और .....प्रभा सिर्फ इतना ही कह पायी...उसकी आवाज काँप।रही थी। पूरा बदन गरम हो चूका था।
सागर प्रभा की आँखों में देखते हुए अपना हाथ निचे प्रभा की जांघो पे गया। उसने देखा की प्रभा का स्कर्ट पहले ही ऊपर था। उसने प्रभा की जांघो को सहलाते हुए अपना हाथ उसकी चूत पे ले गया। जैसे ही उसका हाथ प्रभा की चूत को छुआ प्रभा के मुह से आआआआअह्हह्हह निकल गयी और उसका मुह वैसेही खुला रह गया। सागर ने देखा की प्रभा की चूत बहोत जादा गीली थी। उसका लंड भी बहोत देर से खड़ा था। उसे पता था की अब वो वक़्त आ चूका है जिसका सिर्फ उसे ही नहीं प्रभा को भी इन्तजार था।उन दोनों के बिचबके रिश्ते को भुला के एक नए रिश्ते का आगाज करना। सागर प्रभा की चूत को सहला रहा था। और प्रभा के चेहरे को देख रहा था।।प्रभा मदमस्त हो चुकी थी। वो आँखे बंद कर के आहे भर रही थी।
सागर ने अपना हाथ प्रभा की चूत से हटाया और अपना पैंट अंडरवियर के साथ लेटे लेटे ही निचे कर दिया। और अपनी कमर को थोडा ऊपर उठा के एक हाथ से अपना लंड प्रभा की गीली चूत पे ले गया और रगड़ने लगा। प्रभा को जैसे ही सागर के लंड का अहसास अपनी चूत पे हुआ उसकी धड़कने रुक सी गयी। जिस पल का वो बेसब्री से इन्तजार कर रही थी वो आखिर आ ही गया।उसने आँखे खोली और सागर की तरफ देखा। वो भी प्रभा को देख रहा था।
प्रभा:- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् सागर अह्ह्ह्ह क्या हम ये सही कर रहे है??
सागर:- उम्म्म्म्म स्स्स्स्स् मुझे नहीं पता माँ क्या सही क्या गलत....बस मुझे सिर्फ इतना पता है की *मैं ये करना चाहता हु....अब मैं नहीं रुक सकता....क्या आप नहीं चाहती??
प्रभा:-अह्ह्ह स्स्स्स चाहती तो हु...वर्ना तुम्हे कब का रोक लेती....लेकिन....
सागर:- लेकिन क्या?? ये गलत है हमें ये नहीं करना चाहिए ...ये वो..मुझे कुछ नहीं पता...मैं सिर्फ इतना समजता हु की आप औरत हो और मैं मर्द...बस बाकि मैं कुछ नहीं सोचना चाहता...
प्रभा:- अह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् फिर इन्तजार किस बात का कर रहे हो?? प्रभा ने बहोत ही जादा सेक्सी अंदाज में कहा।
सागर ये सुनके पागल सा हो गया। उसने धीरे से अपना लंड प्रभा की चूत के मुह पे रखा और धीरे धीरे अंदर सरकाने लगा। प्रभा की चूत बहोत गीली थी। सागर को अपना लंड अंदर डालने में कोई परेशानी नहीं हों रहि थी लेकिन प्रभा को इतने मोटे और लंबे लंड से चुदने की आदत नहीं थी। उसे थोडा दर्द हो रहा था। वो अह्ह्ह्ह्ह किये जा रही थी। सागर ने आधा लंड अंदर दाल दिया था। वो थोडा रुक के प्रभा की आँखों में देख रहा था।
सागर:- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स अह्ह्ह्ह उम्म्म्म कितना अच्छा लग रहा उफ्फ्फ्फ्फ़
प्रभा कुछ बोलने के मुड़ में नहीं थी। कई दिनों से जिस लंड से चुदने की उसकी चाहत थी आज वो पूरी हो रही थी। वो बस उसकी चूत में जाते उस लंड के बारे में ही सोच रही थी। सागर ने धीरे धीरे पूरा लंड अंदर डाल दिया था। प्रभा को दर्द भरे एक अजिबसे सुख की अनुभूति हो रही थी। सागर को प्रभा की चूत में लंड डाल के बहोत मजा आ रहा था।चूत के अंदर की गर्माहट और उसकी कसावट का मजा ले रहा था। जो मजा उसे मीना को चोदने के बाद भी नहीं आया था वो मजा उसे सिर्फ अपना लंड प्रभा की चूत में डालने भर से आ रहा था।वो ऐसेही थोड़ी देर पड़ा रहा और प्रभा को गर्दन पे गालो पे होठो पे बड़े ही प्यार से किस कर रहा था। प्रभा अपने हाथ सागर की गांड पे ले गयी और निचे से अपनी गांड उठा *के उसे चोदने का इशारा करने लगी। सागर को समझ आ गया की प्रभा क्या चाहती है। वो धीरे धीरे अपना लंड बाहर निकाला और फिर धीरे से वापस अंदर डाल दिया।प्रभा के मुह से हलकी सी अह्ह्ह निकली। सागर वापस उसी अंदाज में अपना लंड आगे पीछे करते हुए प्रभा को चोदने लगा। प्रभा को एक अलग ही सुख मिल रहा था। उसकी आँखे पूरी तरह से बंद भी नहीं हो रही थी और पूरी तरह से खुल भी नहीं रही थी।
सागर भी अब उस गीली चिकनी और टाइट चूत को मजे से चोद रहा था। वो दोनों अपने। इस पहले मिलन का भरपूर आनंद उठा रहे थे।
सागर की स्पीड अब बढ़ गयी थी।स्पीड के साथ साथ सागर अब उसकी चुचिया भी दबाने लग गया था। प्रभा सागर के हर धक्के के साथ अह्ह्ह्ह कर उठती।
सागर:-उफ्फ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स माँ बहोत अच्छा लग रहा है अह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्सस*
प्रभा:- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स् उम्म्म्म्म मुझे भी अह्ह्ह्ह्ह्ह उईईईईई माँ अह्ह्ह धीरे धीरे कर उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़
ये पहली बार था जब प्रभा कुछ बोल पा रही थी।*
सागर:- अह्ह्ह्ह्ह्ह इतना धीरे ठीक है ना??
प्रभा:- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स हा ठीक है उफ्फ्फ्फ्फ्फ
प्रभा अब बहोत ऊटेजित हो चुकी थी।सागर भी अब झड़ने के करीब था। मगर वो खुद को रोक रहा था। क्यू की उसे प्रभा को ऐसेही काफी देर तक चोदने की चाह थी क्यू की उसको बहोत मजा आ रहा था।
सागर:-उफ्फ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह स्सस्सस्स*
प्रभा:- अह्ह्ह्ह्ह्ह हा हा ऐसेही उफ्फ्फ्फ्फ्फ ऐसा लग रहा है स्सस्सस्स जैसे पहली बार मैं ये कर रही हु अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह जोर से अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह थोडा और अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
सागर:- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स उफ्फ्फ्फ्फ्फ*
सागर अब बहोत तेज अपना लंड प्रभा की चूत में अंदर बाहर कर रहा था। प्रभा भी अपनी गांड उचका उचका के सागर का लंड अपनी चूत में ले रही थी। वो दोनों भी अब अपने मंजिल के करीब थे।
सागर:- अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह माँ स्स्स्स्स्स्स्स माँ। ऊम्मम्म। आपको चोदने में बहोत मजा आ रहा है अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्सस्सस्सस्सस्स
सागर उत्तेजना के मारे बोल पड़ा। प्रभा उसके मुह से चोदना सुन के सिहर सी उठी। चूत में अंदर बाहर होता मोटा लंबा लंड और सागर के मुह से ऐसी बाते उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ वो सातवे आसमान में थी।*
प्रभा:- अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मुझे बहोत मजा आ रहा सागर उफ्फ्फ्फ्फ्फ अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स जोर से और आआआआआअ और अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्*
प्रभा झड़ चुकी थी।*
सागर:- अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह हा अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ़ मेरा होने वाला है अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्
सागर ने भी आखरी धक्का प्रभा की चूत में लगाया और अपना लंड दबा के वो अंदर ही झड़ने लगा। वो फच फच प्रभा की चूत में पिचकारी मारे जा रहा था। प्रभा को सागर के लंड से निकलते गरम वीर्य का अहसास हो रहा था। सागर के लंड से उड़ती हर पिचकारी उसके चूत में वो साफ़ साफ़ महसूस कर पा रही थी।
दोनों भी जोर जोर से साँसे लेते हुए एकदूसरे को बाहो में जकड के ऐसेही पड़े रहे। प्रभा सागर के उस मोटे लंबे लंड से चुदावाके किसी स्वर्ग सी अनुभूति हो रही थी।
वो उस पल को अपने ज़हन में हमेशा के लिए कैद करके रखना चाहती थी।
दोस्तों अभी रात सुरु हुई है। आगे आगे देखिये क्या क्या होता है। *