गाँव के रंग सास, ससुर, और बहु के संग - 4
लेखिका: तृष्णा
भाभी की अगली चिट्ठी अगले ही दिन आ गयी. आजकल मेरे जीवन मे यही एक मनोरंजन का साधन था. अपने कमरे मे छुपकर मैं उसकी चिट्ठी पढ़ने लगी.
**********************************************************************
मेरी प्यारी वीणा,
आशा है तुम्हे मेरी चिट्ठियां पढ़ने मे बहुत मज़ा आ रहा है. मुझे तो लिखने मे बहुत ही मज़ा आता है.
कल सुबह तो गज़ब ही हो गया. जिस बात की हम सब ने सिर्फ़ योजना बनाई थी वह सफल हो गयी. अब लगता है हमारे बाकी सब कर्यक्रम आसानी से पूरे होने वाले हैं!
नाश्ते के बाद रोज़ की तरह गुलाबी गरम पानी लेकर तुम्हारे बलराम भैया के कमरे मे गयी. उसने बहुत प्यार से उनका पाँव गीले कपड़े से सेंका.
हैरत की बात यह है की तुम्हारे भैया ने गुलाबी का बलात्कार करने की कोशिश की थी और अब मौका पाते ही उसे जगह जगह पर हाथ लगाते हैं. पर गुलाबी फिर भी उनके पास जाती है उनकी सेवा करने के लिये. मेरे समझाने का शायद कुछ असर हुआ है क्योंकि आज जब मैं दोनो को बाहर से देख रही थी, गुलाबी उनसे काफ़ी खुलकर बात कर रही थी.
"गुलाबी, बहुत सुन्दर लग रही है आज तु?" मेरे उन्होने कहा.
"नही बड़े भैया, हम तो एक नौकरानी हैं." गुलाबी शरमाकर बोली.
"तो क्या नौकरानी लोग सुन्दर नही होते?" उन्होने कहा, "बहुत कटीली जवानी है तेरी, गुलाबी. क्या सुन्दर तेरी कजरारी आंखें हैं. और कितने लुभावने तेरे जोबन हैं. रामु तो तुझे पाकर बहुत खुश होगा?"
"बड़े भैया, ऊ तो न जाने कब से घर पर ही नही हैं." गुलाबी आंखे नीची कर के बोली.
"तो मरद के बिना कैसे सम्भालती है अपनी जवानी को तु?" मेरे पति ने पूछा.
"आप भी क्या कहते हैं, बड़े भैया!" गुलाबी बोली, पर उसकी आवाज़ मे एक कसक थी.
"हर औरत को मर्द की ज़रूरत होती है. है कि नही?" उन्होने पूछा.
"होती है, बड़े भैया." गुलाबी मुस्कुराकर बोली. लग रहा था उसकी लाज काफ़ी कम हो गयी थी.
"और मर्द को तो बहुत ही ज़रूरत होती है जवान औरत की."
"क्यों, भाभी जो हैं आपके लिये." गुलाबी बोली.
"कहाँ रे!" मेरे वह एक ठंडी आह भरकर बोले, "वह तो मेरे पास आती ही नही. जबसे आयी है मेरे साथ सोती भी नही."
"हाय राम! फिर आप कैसे सोते हैं?"
"नींद नही आती है, गुलाबी. 10-15 दिनों से किसी औरत के साथ मिलन नही हुआ है ना." मेरे वह बोले.
मेरे उनके मुंह से चुदाई के बातें सुनकर गुलाबी की आंखें चमक रही थी, पर वह कुछ नही बोली.
"क्यों, गुलाबी, तुझे रात को नींद आती है?" तुम्हारे भैया ने पूछा.
"नही आती." गुलाबी थोड़ा नखरा करके बोली.
"मैं तेरा दर्द समझ सकता हूँ." वह बोले, "तेरा भी तो किसी मर्द के साथ 10-15 दिनों से मिलन नही हुआ है."
"कैसी बातें करते हैं आप, बड़े भैया!" गुलाबी बोली, "हम काहे किसी और मरद के साथ मिलन करें? मेरा मरद तो आने ही वाला है."
"रामु तो जाने कब आयेगा. तु तब तक कैसे जियेगी?"
गुलाबी कुछ न बोली.
मेरे उन्होने कहा, "गुलाबी, मेरे पाँव का दर्द तो अब चला ही गया है. ज़रा मेरे कंधे दबा दे ना. बैठे-बैठे बहुत थक जाता हूँ."
गुलाबी आना-कानी किये बगैर तुम्हारे भैया के बगल मे जा बैठी और उनके दायें कंधे को अपने कोमल हाथों से दबाने लगी.
"आह! कितना अच्छा दबा रही है तु!" वह बोले, "ठीक से बैठ ना मेरे पास! मुझसे संकोच कर रही है क्या?"
गुलाबी और थोड़ा करीब होकर बैठी. अब तुम्हारे भैया ने अपना हाथ उसके जांघ पर रखा और घाघरे के ऊपर से सहलाने लगे.
जब गुलाबी ने कुछ नही कहा तो उन्होने उसके घाघरे के नीचे हाथ डालकर उसके नंगे जांघ को सहलाना शुरु किया. गुलाबी सिहर उठी, पर उसने कुछ नही कहा.
हिम्मत बढ़ाकर, तुम्हारे भैया ने दूसरे हाथ को गुलाबी के एक चूची पर रखा और कहा, "गुलाबी, जब कोई मरद तेरे जांघों को सहालत है तुझे मज़ा आता है?"
गुलाबी ने हाँ मे सर हिलाया और उनके कंधे को दबाती रही.
"और मैं जो तेरे जोबन को दबा रहा हूँ, तुझे मज़ा आ रहा है?" कहकर उन्होने गुलाबी के चूची को प्यार से दबाया.
गुलाबी गनगना उठी और उसने हाँ मे सर हिलाया.
मेरे वह समझ गये के लड़की अब पटने ही वाली है. अपना दायाँ हाथ गुलाबी के घाघरे के और अन्दर ले जाकर उन्होने उसके नंगी चूत को छुआ. गुलाबी का सारा शरीर कांप उठा.
धीरे धीरे वह गुलाबी की चूत को सहलाने लगे और बोले, "गुलाबी, तु चड्डी नही पहनती है?"
"नही, बड़े भैया. मेरा मरद मना करता है." गुलाबी अपनी उखड़ी सांसों के बीच बोली.
"क्यों? तेरा मरद तुझे कभी भी कहीं भी चोदता है क्या?"
उनकी अश्लील भाषा को नज़र-अंदाज़ करके गुलाबी ने हाँ मे सर हिलाया.
"कहाँ कहाँ चोदा है रे तुझे रामु ने?" उन्होने पूछा.
बायाँ हाथ चूची दबाये जा रहा था. दायाँ हाथ चूत सहलाये जा रहा था. मेरे उनका लौड़ा खड़ा हो गया था. वे आजकल लुंगी के नीचे चड्डी नही पहन रहे थे, इसलिये लौड़ा तम्बू बनाये खड़ा था.
"कमरे मे." गुलाबी बोली. फिर थोड़ा रुक कर बोली, "खेत मे भी."
"बहुत गरम औरत है रे तु, गुलाबी." मेरे वह बोले, "खेत मे भी चुदाई है? अच्छा यह बता, उस दिन जब मैने तुझे खेत मे प्यार किया था तब तु भाग क्यों गयी थी?"
गुलाबी सर झुकये बैठी रही. उसने कोई जवाब नही दिया.
मेरे उन्होने एक हाथ से अपना लौड़ा पकड़कर हिलाया और गुलाबी से बोले, "देख गुलाबी, तेरी जवानी ने मेरा क्या हाल कर दिया है."
गुलाबी ने पीछे मुड़कर उनके लुंगी मे ढके खड़े लन्ड को देखा और मुस्कुरा दी.
"हाथ लगा के देख ना." मेरे वह बोले, "डर मत."
गुलाबी ने एक कांपते हाथ से उनके लौड़े को पकड़ा और थोड़ा हिलाकर बोली, "बहुत मोटा है, बड़े भैया." उसकी आंखें वासना से लाल हो उठी थी. मेरे वह मज़े मे कसमसा रहे थे.
"तु रामु का लन्ड चूसती है?" उन्होने पूछा.
गुलाबी ने नही मे सर हिलाया.
"मेरा लन्ड चूसेगी?"
"नही, बड़े भैया." गुलाबी नखरा करके बोली. पर वह अपने छोटे से कोमल हाथ से तुम्हारे भैया के लन्ड को हिलाती रही. उसकी सांसें तेज चल रही थी और उसकी जवान चूचियां चोली मे ऊपर-नीचे हो रही थी.
तुम्हारे भैया बोले, "अच्छा ठीक है. तु मेरे पास आ."
गुलाबी उनकी तरफ़ मुड़कर बैठी तो उन्होने अपना हाथ उसकी चोली मे घुसा दिया और उसकी चूची को मसलने लगे. दूसरे हाथ से फिर उसकी चूत सहलाने लगे. गुलाबी आंखें बंद करके मज़ा ले रही थी. मैं हैरान थी कि मेरे समझाने से कितनी जल्दी यह लड़की पराये मर्द के चुदवाने को तैयार हो गयी थी.