चुदसी आंटी और गान्डू दोस्त sex hindi long story

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Re: चुदसी आंटी और गान्डू दोस्त sex hindi long story

Unread post by sexy » 19 Aug 2015 13:00

“जैसा मेरा लूंबा तगड़ा शरीर है उसी अनुपात में हुल्लाबी लॅंड है, उसे झेलना हल्की फुल्की लड़की के बस की बात नहीं है. इसलिए मेरी लड़कियों में ज़्यादा दिलचस्पी भी नहीं है. मुझे तो मेरे जैसी ही लंबी, तगड़ी, मस्त और बेबाकहनेली खाई हुई औरात चाहिए. आंटी तुम ठीक मेरे सपनों की रानी जैसी हो. बिल्कुल मेरे जैसी गातीली, मज़े लेने की शौकीन, खुल के बात करने वाली हो. किसी नही लड़की को चोद डून तो लेने के देने प़ड़ जाएँगे; साली की एक बार में ही फॅट के भोसड़ा बन जाएगी. मुझे तो ठीक तुम जैसी ही औरात चाहिए थी.” मेने भी मज़े लेते हुए कहा.

“तो तू मेरी इस 15 साल से बिना चुदी चुत का भोसड़ा बना देगा. ना बाबा मुझे तुमसे नहीं चुदयाना.” आंटी ने इठलाते हुए कहा.

“अरे मेरी प्यारी माते जैसा तुम्हारा लूंबा चोदा शरीर है उसी अनुपात में तुम्हारी चुत भी तो बड़ी सारी होगी; बल्कि चुत नहीं तेरा तो माल्पूवे सा फुड़दा है फुड़दा. फिर तुम तो मेरी जान हो. तुम्हारी चुत को में बहुत प्यार से लूँगा. चिंता मत करो मेरी राधा डार्लिंग, खूब प्यार से तुम्हें मज़े ले ले के धीरे धीरे चोदूँगा. पहली ही बार में तेरी फाड़ दूँगा तो मुझे तेरे से और आयेज मज़ा नहीं लेना है क्या?” मेने आंटी की जवानी के चटकारे लेते हुए कहा.

“हाय; ऐसी खुली खुली बातें मेने आज से पहले ना तो कभी सुनी और ना ही कभी कही. तुम्हारी सुहागन बन के मुझे तो मेरे मन की मुराद मिल गई. ऐसी बातें करने में तो काम से भी ज़्यादा मज़ा आता है. ऐसी ही खुली खुली बातें करते हुए मेरी इस तड़पाती जवानी को खुल के भोगो मेरे राजा.” आंटी ने कहा.

“में जानता था की तुम्हें असली खुशी में तुम्हारा सुहाग यानी की तुम्हारा पाती, सैंया, साजन, बालम बन के ही दे सकता था. अब लोगों के सामने तो हम आंटी बेटे रहेंगे और रात में खुल के रंगरेलियाँ मनाएँगे. जवानी के नये नये खेल खेलेंगे. क्यों मेरी रानी तैयार हो ना मेरे से खुल के मज़े लेने के लिए. कहीं कोई दर तो मन में नहीं है ना.” मेने खुला आमंत्रण दिया.

आंटी: “नहीं मेरे राजा मुझे ना तो कोई दर है और ना ही कोई शंका. में तुझसे मस्त होके चूड़ने के लिए पूरी तैयार हूँ. मेरी चुत गीली होती जा रही है. अब मुझसे और बर्दास्त नहीं हो रहा है. आपनी माकी तरसती योनि का आपने विशाल लंड से मंथन करो. जिस प्रकार बिल्कुल खुल्ली बातें कर रहे हो उसी प्रकार बिल्कुल खुल के आपने मनचाहे ढंग से मेरी जवानी को भोगो, मेरे यौवन का स्वाद चाखो, देखो मेरी गीली होती जा रही चुत में अब आपना मस्त लंड डाल दो.”

में बेड पर से खड़ा हो गया और आंटी को भी हाथ पकड़ के मेरे सामने खड़ा कर लिया. आंटी को मेने आगोश में ले लिया. आंटी की खड़ी चूचियाँ मेरे सीने में चुभने लगी. आंटी के तपते होंठों पर मेने आपने होंठ रख दिए. आंटी के अमृत भरे होंठों का रास्पान करते करते मेने पीछे दोनों हथेलियाँ आंटी के उभरे विशाल नितंबों पर जमा डी. आंटी के गुदाज चुततादों को ओसंते हुए में आंटी के पेल्विस को आपने पेल्विस पर दबाने लगा.

“अब इस सौंदर्या की प्रातिमा को आपने हाथों से धीरे धीरे निर्वस्त्रा करूँगा. तुम्हारे नंगे जिस्म को जी भर के देखूँगा, तुम्हारे काम अंगों को छ्छूऊंगा, उन्हें प्यार करूँगा.” चुंबन के बाद आंटी की ठुड्डी को उपर उठाते मेने कहा और एक एक करके पहले माके गहने उतार दिए. फिर माका ब्लाउस खोला और उसके बाद उसके घाघरे का नाडा खींच दिया. नाडा ढीला होते ही भारी घाघरा नीचे गिर पड़ा. अब आंटी उसी मॉडर्न हल्के गुलाबी रंग की पेंटी ओर ब्रा में थी जो उस दिन मुझे सप्लाइयर ने दी थी.

5‚10” लूंबे और च्चारहरे शरीर की मालिका सृिमती राधा देवी यानी की मेरी पूज्या आंटी पेंटी ओर ब्रा में खड़ी मंद मंद मुस्करा रही थी. विशाल जांघों ओर पिच्चे उभरे हुए नितंबों से पेंटी पूरी सती हुई थी. आंटी की फूली चुत का उभर स्पस्त नज़र आ रहा था. सीने पर दो बड़े कलश बड़े ही तरीके से रखे हुए थे. मेने ब्रा के उपर से आंटी के भरे भरे मुम्मों को हल्के से सहलाया और ब्रा के स्ट्रॅप खोल दिए और ब्रा भी शरीर से अलग कर डी. वा आंटी के उरोज बिल्कुल शेप में थे. गुलाबी चूचुक तने हुए ओर काफ़ी बड़े थे.

“हाय मम्मी तुम्हारे अंगूर के दाने तो बड़े मस्त हैं.” यह कह कर मेने मुँह नीचे कर दाएँ चूचुक को आपने मुँह में भर लिया और चूचुक को चुभलाने लगा. तभी आंटी मेरे सर के पिच्चे हाथ रख कर मेरे सर को आपनी चुचि पर दबाने लगी तथा दूसरे हाथ से आपनी चुचि मानो मेरे मुँह में ठूँसने लगी. मुझे आंटी का यह खुलापन और उसकी अदा बहुत ही पसंद आई. कुच्छ देर चुचि चूसने के बाद में बेड पर बैठ गया और आंटी की पेंटी में उंगलियाँ डालने लगा. मेने सर उपर उठाते हुए आंटी की आँखों में देखा. आंटी ने आँखों के इशारे से हामी भर दी. मेने वैसे ही आंटी की आँखों में देखते देखते पेंटी नीचे सरका दी ओर आंटी की टाँगों से निकल कर सोफे पर उच्छल दी. अब आंटी मेरे सामने मोतेर्जात नंगी खड़ी थी.

मेने आंटी के चेहरे से आँखें हटा कर आंटी की चुत पर केंद्रित कर डी. मेरी आंटी की चुत बहुत ही गड्राई हुई और घने काले बालों से भाराती थी. आंटी की झाँट के बाल घुंघराले और लूंबे थे. आंटी ने शायद ही कभी आपनी झांतों की सफाई की हो. में ऐसी फूली फूली झांतदार चुत देख मस्त हो गया. आंटी की जांघें बहुत ही चौड़ी और दूधिया रंगत लिए थी. मेने आंटी की चिकनी मरमरी जाँघ पर हाथ रख दिया और हल्के हल्के उस पर फिसलाने लगा. तभी आंटी ने टाँगें थोड़ी चौड़ी कर डी और मेरी आँखों के सामने आंटी की चुत की लाल फाँक कौंध गयी.

“हाय मेरे विजय राजा तुझे आपनी आंटी की चुत कैसी लगी? लो जी भर के देखो इसे, चोदी कर कर के देखो और बताओ तुझे पसंद आई.” आंटी ने हंसते हुए पूछा.

“हाय क्या प्यारी चुत है. जितनी प्यारी यह तेरी चीज़ है उतने ही प्यार से इसे मेरे सामने पेश करो. इसे पूरी सज़ा के पूरी च्चता के साथ मुझे सौंपो तब मेरी पसंद नापसंद पुच्च्ो. खूब बोल बोल के पूरी कमतूर होके मुझे इसे भोगने के लिए कहो मेरी जान.” यह कह कर में बिस्तर पर लेट गया. आंटी मेरा मतलब समझ गई और बिस्तर पर आ गई. आंटी ने मेरी च्चती के दोनों ओर आपने घुटने टेक लिए और घुटनों को जितना फैला सकती थी फैला ली. मेने भी आपने घुटने मोड़ लिए और पिच्चे आंटी के पीठ टिकने के लिए उनका सपोर्ट बना दिया. आंटी ने उन पर आपनी पीठ टीका डी और चुत मेरी ओर आयेज सरकाते हुए आपने दोनों हाथों से जितना चिदोर सकती थी उतनी चिदोर डी. आंटी की चुत का लाल च्छेद पूरा फैला हुवा मुझे आमंत्रण दे रहा था. आंटी की चुत से विदेशी सेंट की मीठी खुश्बू आ रही थी.

“लो मेरे साजन तेरी सेवा में मेरा सबसे खाश और प्राइवेट अंग पेश है, इसे ठीक से अंदर तक देखो. भीतर झाँक के देखो, इसकी ललाई देखो, इसकी चिकनाहट देखो. आपनी रानी की इस सबसे प्यारी डिश का चटखारे लेले कर स्वाद लो.” आंटी ने खनकती और थरथराती आवाज़ में कहा. में पागल हो उठा. मेने आपने दोनों होंठ लगभग आंटी के खुले चुत के च्छेद में ठूंस दिए. आंटी के लसलासे च्छेद में मेने 2-3 बार आपने होंठ घुमाए और फिर जीभ निकाल कर आंटी की चुत की अंदरूणई दीवारों पर फिरने लगा. आंटी की चुत का अंदरूणई भाग लसलसा और हल्का नमकीन था. चुत की नॅचुरल खुश्बू विदेशी सेंट से मिली हुई बहुत ही मादक थी. में आंटी की चुत पर मुँह दबा कर चुत को बेठहाशा छाते जा रहा था. मेरी जीभ की नोक किसी कड़ी गुठलीनुमा चीज़ से टकरा रही थी. जब भी में उस पर जीभ फिराता आंटी के शरीर में कंपन अनुभव होता. तभी आंटी ने उठ कर ठीक मेरे चेहरे पर आसान जमा लिया और ज़ोर ज़ोर से मेरे चेहरे पर आपनीी चुत दबाने लगी. मैने आंटी के फूले चुततादों पर आपनी मुत्ठियाँ कस ली और आंटी की चुत में गहराई तक जीभ घुसा कर मेरी मस्त आंटी की चुत का स्वाद लेने लगा.

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Re: चुदसी आंटी और गान्डू दोस्त sex hindi long story

Unread post by sexy » 19 Aug 2015 13:01

में कई देर तक आपनी मस्त माकी चुत में पूरी जीभ घुसा कर चाट्ता रहा. थोड़ी देर बाद में बिस्तर से खड़ा हो गया और एक एक करके आपने कपड़े खोलने लगा. कुच्छ ही पल में में भी आंटी की तरह पूरा मोतेर्जात नंगा था. आंटी बिस्तर पर बैठ गई थी. मेरा 11 इंच का लंड लोहे की रोड की तरह टन कर खड़ा था. बड़ा सा गुलाबी रंग का सुपरा एक दम चमक रहा था. मेने एक पाँव आंटी के बगल में बिस्तर पर रखा और आपना लंड हाथ से पकड़ कर आंटी के चेहरे से टकराने लगा.

में: “आंटी मुझे पता है की पिच्छले 15 साल से तू इसके लिए तरस रही थी, पर वहाँ गाँव में हर किसी का यह माँगते तो नहीं फिर सकती थी ना. मेने तुझे सिनिमा दिखाए, अच्छे रेस्टोरेंट्स में खाना खिलाया, पार्कोन की शायर कराई, तुझे बेऔती पार्लर में लेजा सजाया, मॉडर्न ड्रेसस पहनाई पर उन सब से तेरी तरसती चुत की तो प्यास नहीं बुझ सकती थी ना. तेरे जैसी तगड़ी चुत वाली तगड़ी औरात को तो मेरे जैसा तगड़ा लॅंड चाहिए. जब तुम्हारी हर खुशी का ध्यान रख रहा हूँ तो फिर तेरे लिए ऐसे लंड की कमी क्यों रखूं जो की मुझे कहीं से खरीद के नहीं लाना है. ले ठीक से देख इसे और मज़ा कर.” आंटी ने हाथ बढ़ा कर मेरे लंड को मुट्ठी में ले लिया. लंड के सुपरे को आंटी आपने होंठों पर फिरने लगी. दूसरे हाथ से आंटी मेरे अंडकोषों को मसल रही थी. तभी माने गप्प से मेरा आधा लंड आपने मुख में भर लिया और उसे आपने थूक से तार करने लगी. आंटी अत्यंत कमतूर हो मेरे लंड पर जीभ फिरा रही थी.

“वा! क्या शानदार शाही लंड है. ऐसे लंड पर तो में बलि बलि ज़ाऊ. आज से तो में तेरे लंड की दासी हो गई. अब ओर मत तड़पाव, इस मस्तने लंड से मेरी प्यासी चुत की पयश बुझा दो. इस लंड को मेरी चुत में पूरा उतार दो मेरे साजन, मेरी योनि का आपने विशाल लंड से मंथन करो. आपनी तड़पाती आंटी की जवानी को खुल के भोगो. आपने लिंग के रस से मेरी योनि को सींच दो. आओ मेरे प्यारे आओ. मेरे उपर आ जाओ और मेरी खुशी खुशी लो. में तुम्हें देने के लिए बहुत आतुर हूँ” आंटी तड़प तड़प कह रही थी.

“हन मेरी राधा रानी में तेरा दीवाना हूँ, तेरी चुत का रसिया हूँ. जब से तू यहाँ आई है तब से में तुझ पर फिदा हूँ. सोते जागते में हरदम तेरी मस्ठानी चुत का ही ख्वाब देखा कराता था. अब जब मेरे सामने तेरी यह चुत नंगी पड़ी है तो में इसे मनचाहे ढंग से चोदूँगा. तेरी यह बड़ी सी फूली हुई पावरोती सी चुत ठीक मेरे लंड की साइज़ की है. सचमुच में तेरी चुत बहुत मस्त है. क्या झांतदार शानदार चुत है. इतने दिन इतनी मस्त और मेरी पसंद्दिदा चीज़ च्छुपाए तू मेरे सामने फिराती रहती थी. क्या तेरे मन में मेरे लंड का ज़रा भी ख़याल नहीं आया की आपनी चुत नंगी कर के मेरे सामने आ जाती. क्या में समझता नहीं की माकी चुत में चुदवाने की खाज चल रही है? जब में तेरे सारे शौक पुर करने के लिए मारा जा रहा हूँ तो क्या तेरा चुदवाने का शौक पूरा नहीं कराता. अब तो में तुझे तडपा तडपा तेरी जवानी को भोगुंगा.” यह कह मेने आंटी को लिटा दिया और आंटी की गान्ड के नीचे एक बड़ा सा तकिया लगा दिया ताकि चुत उभर जाय.

आंटी: “हन मेरे वीजू प्यारे लो अब तो तेरे सामने यह मातृ अंग खुला पड़ा है, लो अब आपनी इस जन्मस्थली का खुल के उपभोग करो. आपने विशाल लिंग से मेरी योनि का भेदन करो. हाँ मेरे स्वामी आपनी इस प्यासी चरणों की दासी को आपना वीर्या दान दो, मेरी वर्सों से सुखी पड़ी इस बावड़ि में आपने रस का नाला बहा दो और इसे लबालब भर्डो.”

में: “हन मेरी रानी में तेरी टाँगों के बीच तेरी लेने आ रहा हूँ.” में आंटी की टाँगों के बीच आ गया और आंटी की चुत के च्छेद पर आपने लंड का सुपरा रख दिया. आंटी की चुत पूरी लसलासी थी. थोड़ा सा ज़ोर लगते ही सुपरा ‘पच‚ करके अंदर फिसल गया. अब में आंटी के उपर पूरा झुक गया और आंटी को होंठों को आपने होंठों में ले लिया. 4-5 बार केवल सुपरा अंदर डालता और पूरा बाहर निकल लेता. इसके बाद सुपरा अंदर डालने के बाद मेने लंड का दबाव आंटी की चुत में बढ़ाया. में दबाव बहुत धीरे धीरे दे रहा था . अगले 2-3 मिनिट में मेरा आधा लंड आंटी की चुत में समा चुका था. उधर आंटी के होंठ मेरे होंठों में थे. नीचे आंटी कसमसा रही थी. अब में चुत में आधा के करीब लंड डालता और वापस निकाल लेता. कई बार ऐसा करने से चुत अंदर से अच्छी तरह से गीली हो गई. इसके बाद आधा लंड डालने के बाद मेने चुत में दबाव बनाए रखा और मेरा लंड चुत में धीरे धीरे सरकने लगा. आंटी का शरीर नीचे अकड़ रहा था. अब आंटी के होंठ छोड़ कर मेरे हाथ आंटी की चूचियों को गूँध रहे थे.

आंटी: “तूने तो आपने हल्लाबी लॉड से आज मुझे 18 साल की कंवारी कन्या बना दिया है. इतना मज़ा तो में जब जिंदगी में पहली बार चुदी थी तब भी नहीं आया था. तुम्हारा यह मोटा सोता तो मेरी चुत में पूरा एडस गया है. आपनी आंटी में धीरे धीरे पेलो और आहिस्ते आहिस्ते मेरा पूरा मज़ा लो.”

में: “हन मेरी राधा प्यारी देखो कितने आराम से तुझे चोद रहा हूँ. में तेरा बहुत शुकरा गुज़ार हूँ की तूने इतने साल से मेरे लिए आपनी यह मस्त चुत बचा के न्यू एअर. जितना मज़ा मुझे तेरे साथ आ रहा है उतना मज़ा मुझे कोई लड़की दे ही नहीं सकती थी. अब में बिल्कुल शादी नहीं करूँगा. अब से तू ही मेरी बीवी है, मेरे घरवाली है. दुनिया की नज़रों में तू भले ही मेरी आंटी बने रहना, उससे मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता पर जब भी मौका मिले यूँ ही मस्त हो छुड़ाते रहना.” अब मेरा लंड माकी चुत में जड़ तक अंदर घुसने में बिल्कुल थोड़ा सा बाकी रह गया तो मेने चुत में लंड के हल्के धक्के देने प्रारंभ कर दिए. आंटी हाय हाय करने लगी. मेरा लंड आंटी की चुत में जड़ तक अंदर बाहर होने लगा था. धीरे धीरे में धक्कोन की बढ़ता बढ़ाता गया. लंड ‘फ़च्छ‚ फ़च्छ‚ कराता चुत से अंदर बाहर हो रहा था.

अब आंटी ने दोनों हाथ मेरी कमर में जाकड़ दिए और धक्कोन में मेरा साथ देने लग गई. आंटी की हाय हाय सिसकारियों में बदल गई. आंटी की आँखें मूंद गई और वा मुझसे चुदाई का स्वर्गिया आनंद लेने लगी. में आंटी को बेठहाशा चोदे जा रहा था. अब पौन के करीब लंड चुत से बाहर निकालता और एक करारा शॉट लगा के जड़ तक वापस पेल देता. उदार आंटी भी मस्त हो आपनी भारी गान्ड उपर उच्छाल उच्छाल मेरे धक्कोन से ताल मिलाने लगी. माने मुझे कस के आपने से चिपका लिया और मेरे होन्नत आपने होंठों में कस उन्हे चूसने लगी, मेरे मुख के अंदर आपनी जीभ डालने लगी. माकी यह मस्ती देख में और जोश में आ गया और में हाथों के बाल उपर उठ बहुत ही प्रचंड तरीके से आपना लंड उस प्यासी चुत में दनादन पेलने लगा.

“आंटी कैसा लग रहा है. क्यों त्रिलोकी दिख रही है या नहीं? क्या आजसे पहले किसीने तेरी ऐसी चुदाई की थी?” मेने पूछा.

“अरे मत पूच्छ. आज जैसा आनंद तो मुझे जीवन में आज तक नहीं मिला. तुम बहुत ही प्यार से चोद रहे हो. मुझे दर्द महसूस तक नहीं होने दिया और 11 इंच का हल्लाबी लॅंड पूरा का पूरा मेरी चुत में उतार दिया.” आंटी ने कहा. अब में पुर जोश में आ चुका था और ज़ोर ज़ोर से हुमच हुमच कर लंड पेलने लगा. आंटी भी नीचे से धक्कोन का जबाब दे रही थी.

में: “देख तुझे कैसे कस के चोद रहा हूँ. ले ये मेरा धक्का झेल. बड़ी मस्त औरात है तू. तू तो सिर्फ़ मेरे से चूड़ने के लिए ही बनी है. तुझ जैसी चुद़दकड़ और सेक्सी औरात को तो दिन रात नंगी करके ही रखना चाहिए और जब भी लंड खड़ा हो जाय तो तेरे किसी भी च्छेद में पेल देना चाहिए. बहुत गरम है तेरी चुत और तेरे में भी बहुत गर्मी है. आज में तेरी सारी गर्मी झाड़ दूँगा. राधा तू बहुत ही करारा माल है, गाँव का खालिश माल है. इस उमर में भी तू एक लौंडिया की तरह कड़क है.” में अनाप सनाप बकते हुए आपनी मस्त माको चोदे जा रहा था. करीब 10 मिनिट तक यह चुदाई चली की आंटी ने मुझे बुरी तरह से जाकड़ लिया. आंटी की आँखें लाल हो गई, वा हाँफने लग गई और ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी. फिर उसका शरीर एक बार ऐंठा और वा कुच्छ ढीली पड़ने लगी.

आंटी: “हाय विजय बेटे चोद आपनी माको. हाँ में बहुत गरम हूँ, मेरी सारी गर्मी झाड़ दे. देख मेरी चुत से रस बहने लग गया. हाय खूब कस कस के चोद मुझे. में तेरा डंडा पिलवाते पिलवाते झड़ना चाहती हूँ. में इतनी कमजोर क्यों होती जा रही हूँ. तूने तो एक ही चुदाई में मुझे ढीली कर दिया. मेरे पर ऐसे ही चढ़ा रह, मुझे आपने नीचे दबोचे रख. में पूर्ण तृप्त हो गई.” तभी मेरे लंड से ज़ोर से ज्वालामुखी फॅट पड़ा. लंड से पिघला लावा आंटी की चुत में बहने लगा. में बहुत तेज़ी से हम दोनों के रस से सराबोर चुत में फ़चाक फ़चाक करके धक्के मार रहा था. धीरे धीरे आंटी के साथ में भी शीतल पड़ता गया.

हम दोनो एक दूसरे से एकदम चिपक गये और कई देर उसी मुद्रा में पूर्ण तृप्त हो पड़े रहे. कुच्छ देर बाद आंटी उठी. सोफे से उसने सारे कपड़े लिए और नंगी ही आपने कमरे में चली गई. कुच्छ देर बाद में भी उठा. बाथरूम में जा हाथ मुँह धोया और नाइट ड्रेस पहन कर सो गया. आज बहुत अच्छी नींद आई. सोने के बाद एक बार नींद लगी तो सुबह ही खुली. ऑफीस जाते वक़्त आंटी ने नास्टा दिया पर वा रोज की तरह बिल्कुल सामानया थी.
शाम को ठीक समय पर में घर पर आ गया. रोज की ही तरह हमने डिन्नर लिया. आज आंटी फिर नहाने चली गई. मेने भी बहुत तबीयत से शवर का मज़ा लिया और सोफे पर बैठ कर माका इंतज़ार करने लगा. जब आंटी मेरे रूम में आई तो आज वा सेक्सी ओपन नाइट गाउन में थी. गाउन के स्ट्रॅप्स उसने आयेज पेट पर बाँध रखे थे. चल कर आते समय उसकी भारी चूचियाँ गाउन में उच्छल रही थी.

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Re: चुदसी आंटी और गान्डू दोस्त sex hindi long story

Unread post by sexy » 19 Aug 2015 13:01

आंटी मेरे लंड के उपर झुकी हुई धीरे धीरे मेरे 11″ के मोटे लॉड को आपने हलाक में ले रही थी. वा मुख में जमा हुए थूक से मेरे लंड को चिकना कर रही थी और आपना मुख उपर नीचे करते हुए पक्की लूंदखोर औरात की तरह मेरा लंड चूज़ जा रही थी. अब लगभग मेरा पूरा लंड वा आपने मुख में ले चूसने लगी थी. माके इस प्रकार लंड चूसने से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. में पहले से ही आंटी की चुत आपने चेहरे पर दबाते हुए पूरी जीभ उसके अंदर डाल चाट रहा था और साथ ही माकी गान्ड आपनी इंडेक्स फिंगर से मार रहा था. माके इस प्रकार जोश में भर लंड चूसने से मुझे भी जोश आ गया और मेरी अंगुल की बढ़ता उसकी गान्ड में बढ़ गई.

मेरी देखा देखी माने भी मेरा लंड चूस्टे चूस्टे मेरी गान्ड दोनो हाथों से कुच्छ उपर उठा ली जिससे माको मेरी गान्ड का च्छेद भली भाँति दिखने लगा. उसने ढेर सारा थूक आपने मुख से निकाला और आपनी 2-3 अंगुल में ले मेरे गान्ड के च्छेद पर चुप़ड़ दिया. तभी माने शरारात से अचानक मेरी गान्ड में आपनी एक अंगुल ज़ोर्से घुसेड डी. में इस आप्रात्याशित हमले के लिए बिल्कुल तैयार नहीं था और ज़ोर से चिहुनक पड़ा. तभी माने आपनी अंगुल कुच्छ बाहर लेके वापस ज़ोर से मेरी गान्ड में पूरी घुसेड दी. हालाँकि में खुद तो मुन्ना की गान्ड पहले ही मार चुका था पर मेरी खुद की गान्ड अब तक बिल्कुल कुँवारी थी. मुझे यह भी नहीं याद पड़ता की कभी मेने खुद की भी अंगुल शौक से आपनी गान्ड में दी हो पर आज मेरी बिल्कुल कुँवारी गान्ड एक औरात के द्वारा मारी जा रही थी चाहे वा अंगुल से ही मारी जाय और वा औरात खुद मेरी आंटी थी. लेकिन इस घटना से में बहुत खुश हो गया की चलो माकी मस्त गान्ड मारने की राह आसान हो गई जिसे में कई देर से आपने चेहरे के ठीक सामने लहराते देख मारने की फिराक़ में था.

मेरी एक अंगुल माकी गान्ड में बड़ी आसानी से अंदर बाहर हो रही थी. तभी मेने अंगुल निकल ली और इस बार दो अंगुल थूक से अच्छी तरह तार कर धीरे धीरे बहुत यातन के साथ माकी गान्ड में पेलने लगा. में आंटी को ज़रा भी दर्द महसूस नहीं होने देना चाहता था क्योंकि कहीं वा आपनी गान्ड देने से माना ना कर दे. थोड़ी कोशिश के बाद मेरी दो अंगुल माकी गान्ड में जाने लगी. अब मुझे विश्वास हो गया की यह मेरा मूसल सा लंड आपनी गान्ड में भी लेलेगी.

“आंटी तुम्हारी गान्ड तो बड़ी मस्त है. लगता है इसको मरवाने की भी पूरी शौकीन हो. देखो कितने आराम से तुम्हारी गान्ड में आपनी अंगुलियों से मार रहा हूँ.” मेने आख़िर पूच्छ ही लिया.

“नहीं रे तेरा बाप मेरी चुत की प्यास तो ठीक से बुझा नहीं पता था भला वा मेरी गान्ड क्या माराता. कभी कभी में ही यूँ ही अंगुल कर लिया कराती थी.” आंटी बोली.

“तो इसका मतलब अभी तक तुम्हारी गान्ड कुँवारी है. आंटी जैसे तूने मुझे आपनी 15 साल से उँचुद़ी चुत का मज़ा दिया वैसे ही अब आपनी इस कुँवारी गान्ड का मज़ा देना. तुम्हारी चुत का तो उद्घाटन नहीं कर सका पर अब तुम्हारी कुँवारी गान्ड का उद्घाटन तो में ज़रूर करूँगा. हाय मेरी राधा रानी में तेरा बहुत शुकरा गुज़ार हूँ की तूने मेरे लिए अब तक आपनी गान्ड कुँवारी न्यू एअर. जब तुम मेरे सामने घर में काम करते करते झुक जाया कराती थी और तुम्हारी यह फूली फूली गान्ड उभर कर और बड़ी लगने लगती थी तो मेरा दिल कराता था की तुम्हारे पर सांड़ की तरह चढ़ ज़ाऊ और तेरी गान्ड में पूरा लंड एक झटके में पेल डून. अब ओर यह मस्त गान्ड कुँवारी रहनेवाली नहीं, इसे तो में ज़रूर लूँगा.” मेने आंटी की गान्ड में अंगुली से खोद कर कहा.

“क्या कहता है तू? तुम्हारा घोड़े जैसा हल्लबी लॅंड कल बड़ी मुश्किल से चुत में ले पाई भला यह गान्ड में कैसे जाएगा. यह तो मेरी गान्ड को फाड़ के रख देगा. नहीं बाबा मुझे नहीं मर्वानी तुमसे गान्ड.” आंटी ने पुरजोर विरोध किया.

“आंटी कल कितने प्यार से मैने तुम्हारी चुत ली थी ना. थोड़ा भी दर्द महसूस होने दिया था क्या? में उससे भी ज़्यादा संभाल कर और प्यार से तेरी गान्ड लूँगा. देखो अभी मेने पहले तेरी गान्ड में एक अंगुल दी थी और उसके बाद दो अंगुल और दोनो अंगुल देखो कितनी आसानी से अंदर बाहर हो रही है, देखना वैसे ही मेरा पूरा लंड तेरी गान्ड में आराम से चला जाएगा. तेरे जैसी लंबी चौड़ी बड़ी गान्ड वाली औरात की पूरी नंगी करके गान्ड भी नहीं मारी तो फिर क्या मज़ा. तेरे जैसी मस्त गान्ड वाली औरात आपने प्यारे को जब मस्त होके गान्ड देती है ना तो उसका यार बाग बाग हो जाता है. उसका प्यार उस औरात के प्राति सैकड़ों गुना बढ़ जाता है. ” मेने आंटी की गान्ड पर हाथ फेराते हुए कहा.

आंटी: “लेकिन मेने आज तक कभी मरवाई नहीं. ये तो मुझे पता है की शौकीन मर्दों को गान्ड मारने का भी शौक रहता है और आपना शौक पूरा करने के लिए चिकने लौंदों को खोजते रहते हैं. हम औरातों की गान्ड मर्दों के मुक़ाबले वैसी ही क़ुदराती भारी होती है तो ऐसे मर्द हमारी गान्डों पर भी लार टपकाते रहते हैं पर भला हम औरातों को इस में क्या मज़ा है.”

में: “आंटी तुम नहीं जानती. कई मर्द क़ुदराती तौर पर तो मर्द होते हैं पर उनके लक्षण औरातें जैसे होते हैं; जैसे औरातों जैसे नाज़ुक, दाढ़ी मूँछछ और च्चती पर बालों का ना होना, औरातों के जैसे शरमाना इत्यादि. वैसे मर्द मारनेवालों से ज़्यादा मराने को लालायित रहते हैं. उन्हें मराने में जब मज़ा आता है तो इसका मतलब गान्ड मराने का भी एक अनोखा मज़ा है जो मराने वाले ही जानते हैं. तो तुम यह बात छोड़ो की गान्ड मराने में तुम्हें मज़ा नहीं आएगा. जब तूने आज तक मराई ही नहीं तो तुम इसके मज़े को क्या जानो? एक बार मेरे से आपनी गान्ड मरके तो देखो. जैसे मेरे हल्लाबी लॉड से आपनी चुत का भोसड़ा बनवा के तुम मेरी रखेल बन गई हो वैसे ही कहीं गान्ड मरवके पक्की गन्दू ना बन जाओ और गान्ड मरवाने से पहले आपनी चुत मुझे छ्छूने भी ना दो.”

मेरी बात सुनके आंटी ने कुच्छ नहीं कहा. मौन को सहमति मानते हुए में उठा और मेरी आल्मिराह से कॉंडम का पॅकेट और वसलिने का जर ले आया जो कुच्छ दिन पहले में इसके छ्होटे बेटे की यानी की मेरे छ्होटे दोस्त मुन्ना की गान्ड मारने के लिए लाया था.

पॅकेट से कॉंडम निकल कर मेने लंड पर चढ़ा ली. आंटी को बेड पर घोड़िनुमा बना दिया और आंटी की गान्ड पर अंगुल में ढेर सारी वसलिने लेकर चुप़ड़ डी. 2-3 बार आंटी की गान्ड में अंगुल घुमा कर आंटी की गान्ड अंदर से पूरी चिकनी कर दी. फिर मेने आपना लंड अच्छे से चुप़ड़ लिया. आख़िर एक तगड़ी गाय पर जैसे सांड़ चढ़ता है वैसे ही में आंटी पर चढ़ गया. मेरा सूपड़ा बहुत ही फूला था जिसका मूंद आंटी की गान्ड में नहीं जा रहा था, नीचे आंटी भी कसमसा रही थी. मेने फिर थोड़ी वसलिने आंटी की गान्ड और मेरे लंड पर चुपड़ी. आंटी से कहा की वह बाहर की ओर ज़ोर लगाए. इस बार सूपड़ा अंदर समा ही गया. आंटी दर्द से च्चटपटाने लगी.

मेने लंड बाहर निकल लिया और आंटी का च्छेद रुपये का आकर का खुला सॉफ दिख रहा था जिसमें मेने अंगुल में ले वसलिने भर दी और आंटी पर फिर चढ़ बैठा. 2-3 बार केवल सूपड़ा अंदर डालता और पूरा लंड वापस बाहर निकल लेता. इसके बाद में सूपड़ा डाल गान्ड पर लंड का दबाव बढ़ने लगा. आंटी जैसे ही बाहर को ज़ोर लगती लंड धीरे धीरे आंटी की गान्ड में कुच्छ सरक जाता. आंटी की गान्ड बहुत ही कसी थी. फिर लंड पूरा निकल लिया और आंटी की गान्ड और मेरे लंड को फिर वसलिने से चुप़ड़ कर आंटी पर चढ़ गया. इस बार धीरे धीरे मेने लंड आंटी की गान्ड में पूरा उतार दिया.

“हाय आंटी तेरी गान्ड तो सोलह साल की कंवारी छ्छोकरी की चुत जैसे कसी हुई है. देखो कितने प्यार से मेने पूरा लॅंड तुम्हारी गान्ड में पेल दिया बताओ तुम्हें दर्द हुवा.” में आंटी की लटकती चूची दबाते हुए बोला. अब में आंटी की गान्ड से आधा के करीब लंड बाहर कर धीरे धीरे फिर भीतर सरकाने लगा था.

“पहली बार जब अंदर धुका था तो एक बार तो मेरी जान ही निकल गई थी. लेकिन अब जब अंदर जाता है तो गान्ड में एक मीठी मीठी सुरसुरी सी होती है. मारो मेरे राजा. आज तो तुमने मुझे एक नया मज़ा दिया है, एक नये स्वाद से अवगत कराया है.” आंटी ने मेरे चूची दबाते हाथ को पकड़ आपनी चुत पर रखते हुए कहा.

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