अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति compleet

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
007
Platinum Member
Posts: 948
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति

Unread post by 007 » 01 Nov 2014 15:27

अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति--पार्ट -८

दीप्ति सोफ़े पर लेट गयी और शोभा ने भी उसकी टांगों के बीच में जगह बनाते हुये उंगलियों से पैन्टी को सरका कर उतार दिया.काफ़ी मादक दृश्य था. दो जवान सैक्सी औरतें, एक सोफ़े पर साड़ी और पेटीकोट उठाये बैठी है और दूसरी उसकी टांगों के बीच में ब्लाऊज खोले बैठी मुहं को गदराई जांघों के बीच में दबाये तड़प रही है."दीदी, ये किया था आपके प्यारे बेटे ने मेरे साथ." कहते हुये शोभा ने दीप्ति की चूत के पास अपने होंठ रख दिये. दीप्ति के अन्दरूनी अंगों पर बहता पानी शोभा के भी गालों पर चुपड़ गया. इतना करने के बाद शोभा दीप्ति के गले से लिपट कर उसके कान में फ़ुसफ़ुसाई "इतना शरारती है अपना अजय"."बस इतना ही." दीप्ति शोभा के कन्धे पर होंठ रगड़ते हुये बोली."हाँ, इतना ही", शोभा ने अपने स्तनों पर चुभते दीप्ति के मन्गलसूत्र को एक तरफ़ हटाते हुये कहा. "ये सब उसने मुझे वहां से जाने से रोकने के लिये किया था. पता नहीं कहां से सीखा औरतों को इस तरह से वश में करना. शायद किसी ब्लू फ़िल्म में देखा होगा.""हाँ छोटी, देखा तो मैनें भी है. लेकिन उसके बाद क्या होता है मुझे कुछ पता नहीं. तुम्हारे भाईसाहब अपनी उन्गलियां तो चलाते थे मेरी चूत पर और मुझे काफ़ी मजा भी आता था लेकिन लन्ड से चुदाई तो अलग ही चीज़ है. अजय के लन्ड से चुदने के बाद से तो मुझे इन तरीकों का कभी ध्यान भी नहीं आया." दीप्ति बोली,"दीदी, मुझे पता है कि आगे अजय क्या करने वाला था." शोभा ने दुबारा से घुटने जमीन पर टिकाते हुये अपनी जीभ जेठानी की टांगों के जोड़ के पास घुसा दी. खुद की चूत में लगी आग के कारण उसे मालूम था की दीप्ति को अब क्या चाहिये. पहले तो शोभा ने जीभ को दीप्ति की मोटी मोटी जांघों पर नचाया फ़िर थूक से गीली हुई घुंघराली झांटों को एक तरफ़ करते हुये दीप्ति की रिसती योनि को पूरी लम्बाई में एक साथ चाटा."उई मां...छोटीईईईईई", दीप्ति ने गहरी सिसकी भरी. "क्या हुआ दीदी?" भोली बनते हुये शोभा ने पूछा जैसे कुछ जानती ही ना हो."तेरी जीभ.." दीप्ति का पूरा बदन कांप रहा था. उसकी गांड अपने आप ही शोभा के चेहरे पर ठीक वैसे ही झटके देने लगी जैसे लंड चुसाई के वक्त अजय अपनी कमर हिलाकर उसका मुहं चोदता था.शोभा ने महसूस किया की दीप्ति की चूत ने खुल कर उसकी जीभ के लिये ज्यादा जगह बना ली थी. दीप्ति ने अपनी टांगें चौड़ा दी ताकि शोभा की जुबान ज्यादा से ज्यादा गहराई तक पहुंच सके. हालांकि चूत चाटने में शोभा को कोई अनुभव नहीं था पर रोज बाथरुम में नहाते वक्त अपनी चूत से खेलने के कारण उसे पता था कि दीप्ति को सबसे ज्यादा मजा कब आयेगा.शोभा ने जीभ को सिकोड़ कर थोड़ा नुकीला बनाय़ा और दीप्ति की चूत के ऊपरी हिस्से पर आहिस्ते से फ़िराया. दीप्ति के मुहं से घुटी हुई सी चीख निकली और उंगलियां शोभा के सिर पर जकड़ गयीं. दुबारा शोभा ने फ़िर से जीभ को उसी चिकने रास्ते पर फ़िराया तो वही हाल. दीप्ति फ़िर से होंठ दबा कर चीखी. अनजाने में ही सही शोभा का निशाना सही बैठ गया था. दीप्ति की अनछुयी क्लिट सर उठाने लगी. शोभा भी पूरे मनोयोग से दीप्ति के चोचले को चाटने चूसने लगी गई. इधर दीप्ति को चूत के साथ साथ अपने चूचों में भी दर्द महसूस होने लगा. बिचारे उसके स्तन अभी तक ब्रा और ब्लाउज की कैद में थे. दीप्ति ने शोभा के सिर से हाथ हटा ब्लाऊज के सारे हुक खींच कर तोड़ डाले. हुक टूटने की आवाज सुनकर शोभा ने सिर उठाय़ा और छोटी सी रेशमी ब्रा में जकड़े दीप्ति के दोनों कबूतरों को निहारा. दीप्ति की ब्रा का हुक पीछे पीठ पर था पर शोभा इन्तजार नहीं कर सकती थी. दोनों हाथों से खींच कर उसने दीप्ति की ब्रा को ऊपर सरकाया और तुरन्त ही आजाद हुये दोनों चूचों को दबोच लिया.दीप्ति ने किसी तरह खुद पर काबू करते हुये जल्दी से अपन ब्लाऊज बदन से अलग किया और फ़िर हाथ पीछे ले जाकर बाधा बन रही उस कमबख्त ब्रा को भी खोल कर निकाल फ़ैंका. दो सैकण्ड पहले ही शोभा की जीभ ने दीप्ति की चूत का साथ छोड़ा था ताकि वो उसके स्तनों को थाम सके परन्तु अब दीप्ति को चैन नहीं था. अपने चूचों पर शोभा के हाथ जहां उसे मस्त किये जा रहे थे वहीं चूत पर शोभा की जीभ का सुकून वो छोड़ना नहीं चाहती थी. मन में सोचा कि शोभा को भी ऐसे ही प्यार की जरुरत है पर इस वक्त वो अपने जिस्म के हाथों मजबूर हो स्वार्थी हो गयी थी.

007
Platinum Member
Posts: 948
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति

Unread post by 007 » 01 Nov 2014 15:27

दीप्ति ने पास ही पड़े एक कुशन को उठा अपने चुतड़ों के नीचे व्यवस्थित किया. इस प्रकार उसकी टपकती चूत और ज्यादा खुल गय़ी. शोभा भी दीप्ति का इशारा समझ कर वापिस अपने मनपसन्द काम में जुट गई. कुशन उठाते वक्त दीप्ति को अहसास हुआ कि इस समय दोनों कहां और किस अवस्था में हैं. घर के हॉल में बीचों बीच दोनों महिलायें नंगे जिस्मों को लिये वासना और प्यार से भरी हुई एक दूसरे कि बाहों में समाई थीं. किसी भी क्षण घर का कोई भी पुरुष यहां आकर उन दोनों को रंगे हाथों पकड़ सकता था. परंतु जीवन में पहली बार किसी दूसरी औरत के साथ संभोग के लिये इतना खतरा लेना अनुचित नहीं था.दीप्ति की खुली चूत शोभा के मुहं में फ़ुदक रही थी और शोभा की जीभ भी उसकी चूत के अन्दर नई नई गहराईयां नापने के साथ हर बार एक नई सनसनी पैदा कर रही थी. किसी मर्द के या कहे अजय के लन्ड से चुदते वक्त भी सिर्फ़ चूत की दीवारें ही रगड़ती थी. लेकिन शोभा की जीभ तो अन्दर कहीं गहरे में बच्चेदानी तक असर कर रही थी. पूरे शरीर में उठती आनन्ददायक पीड़ा ये सिद्ध करने के लिये काफ़ी थी कि किसी भी औरत के बदन को सिर्फ़ एक छोटे से बिन्दु से कैसे काबू में किया जा सकता है.कुछ ही क्षण में शोभा को अपनी जुबान पर दीप्ति की चूत का पानी महसूस हुआ. देखते ही देखते चूत में से झरना सा बह निकला. निश्चित तौर पर यहां पानी छोड़ने के मामले में दीप्ति उसे मात देती थी. हे भगवान, इस औरत का पानी पीकर तो किसी प्यासे की प्यास बुझ जाये. शोभा को अपनी चूत में आया खालीपन सता रहा था. परन्तु अभी दीप्ति का पूरी तरह से तृप्त होना जरूरी था ताकि वो फ़िर शोभा के साथ भी यही सब दोहरा सके. शायद दीदी को भी चूत में खालीपन महसूस हो रहा होगा. ऐसा सोच शोभा ने तुरन्त ही अपनी दो उन्गलियों को जोड़ कर उस तपती टपकती चूत में पैवस्त कर दिया.सही बात है भाई, एक औरत ही दूसरी औरत की जरुरत को समझ सकती है, दीप्ति शोभा के इस कारनामे से सांतवे आसमान पर पहुंच गई. उसके गले से घुटी घुटी आवाजें निकलने लगी और चूत ने शोभा की उन्गलियों को कसके जकड़ लिया. उधर शोभा के दिमाग में भी एक नई शरारत सूझी और उसने चूत के अन्दर एक उन्गली को हल्के से मोड़ लिया. अब कसी हुय़ चूत की दिवारों को इस उन्गली के नाखून से खुरचने लगी. हालांकि शोभा दीप्ति को और ज्यादा पीड़ा नहीं देना चाहती थी. कहीं ऐसा ना हो कि अत्यधिक आनन्द के मारे जोर से चीख पड़े और उनके पति जाग कर यहां आ जायें. दीप्ति भी होठों को दातों में दबाये ये सुख भरी तकलीफ़ सहन किये जा रही थी.अचानक से दीप्ति छूटी. सैक्स में इतने ऊंचे बिन्दु तक पहुंचने के बाद दीप्ति का शरीर उसके काबू में नहीं रह गया. रह रह कर नितम्ब अपने आप ही उछलने लगे मानो किसी काल्पनिक लन्ड को चोद रहे हो. शोभा पूरे यत्न से दीप्ति की चूत पर अपने मुहं की पकड़ बनाये रख रही थी. लेकिन दीप्ति कुछ क्षणों के लिये पागल हो चुकी थी. एक ही साथ हंसने और रोने लगी."हां शोभा हां. यहीं बस यहीं...और चाट ना प्लीज. उई मां. मैं गईईईई..आई लव यू डार्लिंग.." शोभा के बदन पर हाथ फ़िराते हुये दीप्ति कुछ भी बक रही थी. एक साथ आये कई आर्गेज्मों का नतीजा था ये. "कभी अजय भी मुझे इतना मजा नहीं दे पाया....आह आह.. बस.." दीप्ति ने शोभा को अपने ऊपर खींचा और उसका चेहरा अपने चेहरे के सामने किया. शोभा के गालों और होठों पर उसकी खुद की चूत का रस चुपड़ा हुआ था परन्तु इस सब से दीप्ति को कोई मतलब नहीं था. ये वक्त शोभा को धन्यवाद देने का था. दीप्ति ने शोभा को जोर से भींचा और अपने होठों को उसके होठों पर रख दिया. शोभा भी अपनी दीदी अपनी जेठानी के पहलू में समा गई. दीप्ति के स्तन उसके भारी भरे हुये स्तनों के नीचे दबे पड़े गुदगुदी कर रहे थे.

शोभा को सहलाते हुये दीप्ति पूछ बैठी, "क्या अजय ने ये सब किया था?"शोभा ने ना में सिर हिलाया। "अजय इतना आगे नहीं बढ़ पाया था. पता नहीं उसे ये सब मालूम भी है कि नहीं. उस रात तो हम दोनों पर बस चुदाई करने का भूत सवार था." थोड़ा रुक कर फ़िर से बोली "दीदी, आप ने भी तो नहीं बताया कि उसने आपके साथ क्या क्या किया?"दोनों औरतों के बीच एक नया रिश्ता कायम हो चुका था. दीप्ति थोड़ा सा शरमाई और शोभा के पूरे बदन पर हाथ फ़िराते हुये सोचने लगी कि कहां से शुरु करे."उसने मेरे साथ सैक्स किया या मैनें उसके साथ? पता नहीं. लेकिन मैं उसे वो सब देना चाहती थी जो एक मर्द एक औरत के बदन में ढूंढता है." दीप्ति के हाथों ने शोभा की सारी को पकड़ कर उसकी कमर पर इकट्ठा कर दिया. दोनों हाथों से शोभा की खुली हुई चिकनी गांड सहलाते हुये सोच रही थी कि अब उसे भी शोभा के प्यार का बदला चुकाना चाहिये.शोभा ने सिर उठा कर दीप्ति की आंखों में झांका और शरारती स्वर में पूछा "क्या आपने भी उसके तगड़े लन्ड को अपने भीतर समाया था?"दीप्ति ने धीरे से सिर हिलाया और शोभा को अपने ऊपर से हटने का इशारा दिया. शोभा अचंभित सी जब खड़ी हुई तो दीप्ति ने उसकी अधखुली साड़ी को खींच कर उसके शरीर से अलग कर दिया. उसके सामने खड़ी औरत के चूचें उत्तेजना के मारे पत्थर की तरह कठोर हो गये थे. दोनों निप्पल भी बिचारी तने रह कर दुख रहे होंगे. शोभा ने अपने बाल खोल दिये. उसका ये रुप क्या औरत क्या मर्द, सभी को पागल करने के लिये काफ़ी था. दीप्ति ने पेटीकोट के ऊपर से ही दोनों हथेलियों से शोभा की गांड को दबोचा. थोङा उचक कर उसके होठों को अपने होठों की गिरफ़्त में ले लिया और अपनी जीभ को उसके मुहं मे अन्दर बाहर करने लगी."लेट जाओ, मैं तुम्हारा बदला चुकाना चाहती हूँ. मैं भी तुम्हें जी भर के प्यार करना चाहती हूं." दीप्ति की इच्छा सुनकर शोभा टेबिल और सोफ़े के बीच में अपनी खुली हुई साड़ी को बिछा उसी पर लेट गय़ी. ""पता नहीं जितना तुम जानती हो उतना मैं कर पाऊंगी या नहीं लेकिन मुझे एक बार ट्राई करने दो" दीप्ति उसके ऊपर आती हुई बोली. पहले की भांति दीप्ति ने फ़िर से अपने स्तनों को शोभा के चेहरे के सामने नचाकर उसे सताना शुरु कर दिया. शोभा ने गर्दन उठा उसके स्तनों को होठों से छुने की असफ़ल कोशिश की तो दीप्ति खिलखिला कर हँस पड़ी. पीछे सरकते हुये दीप्ति अब शोभा की जांघों पर बैठ गय़ी और उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया. दोनों हाथों से पकड़ कर पहले पेटिकोट को पैंटी की इलास्टिक तक खींचा और फ़िर पैंटी को भी पेटीकोट के साथ ही उतारने लगी. शोभा ने तुरन्त ही कमर उठा कर दोनों वस्त्रों को अपने भारी नितम्बों से नीचे सरकाने में मदद की. पैन्टी चूत के पास पूरी गीली हो चुकी थी तो उतरते समय चप्प की आवाज के साथ सरकी. अब सिर्फ़ कन्धों पर झूलते खुले हुए ब्रा और ब्लाऊज के अलावा शोभा भी पूरी तरह नन्गी थी. दीप्ति ने प्यार से शोभा की नाभी के नीचे बाल रहित चिकने त्रिकोण को निहारा. अपने घर से निकलने से पहले शोभा ने अजय से पुनर्मिलन की क्षीण सी आस में अपनी झांटे कुमार के रेजर से साफ़ कर दी थीं. दीप्ति के मुहं में ढेर सारी लार आने लगी. हाय राम ये कैसी प्रतिक्रिया है? धीरे से दीप्ति ने शोभा की एक टांग को उठा कर टेबिल पर रख दिया और दूसरी को सोफ़े पर.

007
Platinum Member
Posts: 948
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति

Unread post by 007 » 01 Nov 2014 15:28

अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति--पार्ट -९

दीप्ति तो उन दो उठी हुई टांगों के बीच में घुस कर उस बिचारी चूत पर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी. दीप्ति का अनुभव भले ही कम था परन्तु तीव्र इच्छाशक्ति के कारण अपनी प्यारी देवरानी की चूत को जी भर के चाट सहला रही थी. अब किसी को प्यार करने के लिये कोई कायदा कानून तो होता नहीं भाई और फ़िर ये तो खेल ही अवैध संबंधों का चल रहा था.
दीप्ति के इस जोश भरे धावे को अपनी कोमल चूत पर सहना शोभा के लिये जरा मुश्किल हो रहा था. लेकिन दीप्ति जो जैसे जानवर हो गयी थी. बलपूर्वक शोभा को लिटाये रख कर क्या जांघ, क्या चूत, क्या पेड़ू सब जगह अपनी बेरहमी के निशान छोड़ रही थी.
"दीदी, जरा आराम से, प्लीज". शोभा ने याचना की.
पर दीप्ति के कान तो बन्द हो गये थे. मुहं से गुर्राहट का स्वर निकल रहा था और लपलपाती जीभ चूत के होंठों से रस पी रही थी. अपने दांतों का भी भरपूर इस्तेमाल कर रही थी लेटी पड़ी शोभा पर. पहले अन्दरुनी जांघ के चर्बीदार हिस्से को जी भर के खाया. फ़िर चूत के उभरे हुये होंठों को चबाया और तुरन्त ही घांव पर मरहम लगाने के उद्देश्य से अपनी लचीली जीभ को पूरा का पूरा उस गुलाबी सुरन्ग में घुसेड़ दिया. शोभा का दर्द और उत्तेजना के मारे बुरा हाल था. दीप्ति अगर ऐसे ही करती रही तो उसकी चूत अगले दो दिन तक किसी से चुदने के काबिल नहीं रहेगी. होंठों से थूक बहकर कान तक आ गया था. शोभा ने दोनों हाथों को ऊपर उठा, एक से टेबिल और दूसरे से सोफ़े का किनारा थाम लिया.
उधर दीप्ति भी तरक्की पर थी. शोभा ने तो दो उन्गलियाँ अन्दर डाली थी. दीप्ति ने एक साथ तीन उन्गलियां शोभा की नरम चूत में घुसेड़ दी. उन्गलियों के घर्षण के कारण एक बार के लिये शोभा की चूत में जलन मच गई और उसके मुहं से जोर से आह निकली. लेकिन दीप्ति ने इस सब की परवाह किये बगैर अपना हाथ आगे पीछे करना जारी रखा. शोभा का शरीर भी इस उन्गली चुदाई की ताल के साथ ऊपर नीचे होने लगा.
तभी दीप्ति को याद आया की कैसे छोटी ने उसकी क्लिट को चूसा था और फ़िर वो किस तरह से झड़ रही थी. उसे अपनी चूत पर वो बिन्दु भी अच्छे से याद था जो अकेला ही उसके नारी शरीर को थरथराने के लिये काफ़ी था. दीप्ति के होठों ने उसकी उन्गलियों का साथ पकड़ा और लगे शोभा कि चूत के मुहाँने को सहलाने. थोड़ी ही देर में उसे भी शोभा की चूत के ऊपर ठीक वैसा ही मटर के दाने जैसा हिस्सा मिल गया जो अब धीरे धीरे उभर कर काफ़ी बड़ा हो गया था. उन्गलियों से चूत चोदन जारी रख कर दीप्ति की जीभ उस छोटे से मांसपिण्ड पर सरकी. शोभा के मुहं से चीख फ़ूट पड़ी "दीदीईईईईईई, चुसो जोर से, मारो मेरी चूत.....", "माई गॉड, आप सच में, सच में...ओह्ह्ह मां".
"क्या सच में? हां? क्या? क्या हूं मैं? बोलो?" दीप्ति ने शोभा के ऊपर चढ़ते हुये अपना रस से सना मुखड़ा देवरानी के चेहरे के सामने किया. हरेक क्या-क्या के साथ अपनी उन्गलियां उसकी चूत में और गहरे तक मार रही थी.
"रंडी है आप दीदी, रंडीईईई...", "ओह दीदीईईई, और चूसो ना प्लीईईईज, मुझे आपकी पूरी जीभ चाहिये अपनी चूत में..." शोभा मस्ती में कराही.
"और मेरी उन्गलियां? ये नहीं चाहिये तुम्हें?" एक झटके में अपना हाथ शोभा की तड़पती चूत में से खींच लिया.
शोभा ने हाथ बढ़ा दीप्ति की कलाई को थाम लिया। "नहीं दीदी ऐसा मत करो. मुझे सब कुछ चाहिये. सब कुछ जो आप के पास है. मैं सब कुछ ले लूंगी अपने अन्दर. उससे भी ज्यादा. और ज्यादा...आह" कहते हुये शोभा ने वापिस अपनी जेठानी का हाथ अपनी उछलती चूत पर रख दिया. दीप्ति फ़िर से पुराने तरीके से शोभा की चूत मारने और चाटने लगी. परन्तु अब शोभा को और ज्यादा की चाह थी. वो उठ कर बैठ गय़ी. दीप्ति उसे बाहों में भरने के लिये बढ़ी तो शोभा ने उसे धक्का देकर नीचे लिटा दिया. और फ़िर दीप्ति के ऊपर आते हुये शोभा ने अपनी टपकती चूत दीप्ति के मुहं के ऊपर रख दी.

Post Reply