मैं बोली - " स्वागत है डार्लिंग तुम्हारे लंड का मेरी चूत मैं, पर धीरे से."
और उसने अपना लंबा लंड मेरी चूत पर दबाया. मैने फील किया कि उसके लंड का अगला भाग मेरी चूत मे घुस चुका है. मेरी चूत टाइट थी पर मैं जानती थी कि उसके दो - तीन जोरदार झटके उसके लंबे लंड को मेरी चूत मे पूरी तरह उतार देंगे. उसने अपना लंड थोड़ा सा बाहर निकाला और एक जोरदार धक्का लगाया. हालाँकि मेरी चूत पूरी तरह गीली थी, लेकिन मुझे थोड़ा सा दर्द हुआ उसके लंबे और मोटे लंड के कारण. मैं जानती थी कि ये तो थोड़ा सा दर्द है मगर मज़ा उस से कहीं ज़्यादा आने वाला है. उसने फिर अपना लंड थोड़ा सा बाहर निकाला और मेरी गंद पकड़ते हुए फिर एक जोरदार धक्का लगाया. मैने अपनी टाँगो के बीच मे हाथ डाल कर उसके लंड की पोज़िशन चेक की तो पता चला कि थोड़ा सा लंड ही मेरी चूत के बाहर था, बाकी का सारा लंड मेरी चूत खा चुकी थी. उस ने मेरी कमर और गंद पकड़ कर बिना लंड बाहर निकाले फिर एक धक्का लगाया और उसका पूरे का पूरा लंड मेरी चूत मे घुस चुका था. मुझे लग रहा था जैसे कि कोई गरम लोहे का डंडा मेरी चूत मे घुसा है. उस की गोलियाँ मेरे पैरों के बीच लटक रही थी. उस ने पूछा कि कैसा लग रहा है? चुदाई सुरू करें? मैं बहुत खुस हुई कि वो भी चाचा की तरह मेरा इतना ध्यान रख रहा है. मैने उस से कहा कि अब मत रूको. चोदो मुझे.
उसने अपना लंड फिर बाहर निकाला और अंदर डाला. धीरे धीरे वो अपना लंड मेरी चूत मे अंदर बाहर कर के मेरी चुदाई करने लगा. मेरी चूत से लगातार रस निकल रहा था जो उसके लंड को अंदर बाहर होने मे मदद कर रहा था. मैं घोड़ी बने हुए थी और वो खड़ा हुआ पीछे से मेरी गंद और कमर पकड़ कर मुझे चोद रहा था. मुझे मज़ा आना सुरू हो गया था और मैं भी अपनी गंद आगे पीछे करते हुए चुदाई मे उसका साथ दे रही थी. धीरे धीरे उस के चोद्ने की स्पीड बढ़ती गई और मैं भी उस के हिसाब से अपनी गंद हिला रही थी. मैं अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ने लगी और अपनी नंगी गंद से जल्दी जल्दी उस के लंड को अंदर बाहर करने की कोशिस करने लगी, ये देख कर उसने भी जल्दी जल्दी धक्के लगा कर मुझे चोद्ना सुरू क्या. मेरे मूह से आवाज़ें निकलने लगी........ ओह डियर........... आ ज़ोर से........ हां.......... ऐसे ही.............. हां............ ओह...... और ज़ोर से चोदो........ हां........ आहह.......
उसका लंड किसी मशीन की तरह मेरी चूत मे अंदर बाहर हो रहा था और मेरी चूत को जल्दी जल्दी चोद रहा था. क्यों कि मैं अपनी मंज़िल के बिल्कुल करीब थी, मेरा बदन अकड़ने लगा और.... और.... मैं मज़े के कारण चिल्ला ही पड़ी. मैं पहुँच गयी थी. झर गई थी. मुझे बहुत ही आनंद मिला था. मैने अपने पैर टाइट कर लिए थे और मेरी चूत के अंदर की दीवारें हिलने लगी थी. उसने अब धक्का लगाना बंद कर दिया था मगर उसका लंड मेरी चूत मे अंदर तक घुसा हुआ था. मुझे पता था कि उसके लंड का रस अभी निकलना बाकी था. थोड़ी देर बाद मैने फिर अपने पैर चौड़े कर के अपनी चूत के दरवाजे को उसके लिए खोला. मैं और एक बार चुद कर झरने के लिए तय्यार हो गई. उस ने एक बार फिर मेरी चूत की चुदाई करनी सुरू करदी थी. मेरी चूत अंदर से पूरी तरह गीली थी इस लिए उस को अपना लंड अंदर बाहर करने मे आसानी हो रही थी. धीरे धीरे करते हुए उस ने मेरी चूत चोद्ने की स्पीड बढ़ाई और हम दोनो गहरी चुदाई करने मे मगन थे. मैं ये जान कर बहुत ही खुस हुई कि मेरा प्रेमी भी चाचा की तरह चोद्ने मे बहुत मज़बूत है कि उसका लंड रस निकलने मे काफ़ी समय लगता है. मेरे लिए ये बहुत ही अच्छा था कि उसका एक बार निकलने तक मेरा काम दो बार तो हो ही जाएगा. एक लड़की और औरत को और क्या चाहिए, एक मज़बूत और बहुत देर तक चोद्ने वाला प्रेमी / पति. उस के ज़ोर ज़ोर से चोद्ने पर बाथरूम मे एक तरह का संगीत पैदा हो रहा था. जब उसका पेट चोद्ते हुए मेरी गंद पर टकराता था और उस का लंड मेरी चूत मे जल्दी जल्दी अंदर बाहर होता था तो सेक्सी आवाज़ें आ रही थी. मैं फिर से एक बार झरने के करीब थी और इस बार मैने उसके लंड के आगे के भाग को अपनी चूत के अंदर और कड़क फील किया. वो भी अपने लंड का रस मेरी चूत मे बरसाने के लिए तय्यार था. मेरी चूत मे हलचल मचने लगी, मेरा बदन अकड़ने लगा. वो भी नज़्ज़दीक था. हम दोनो के मूह से आनंद भरी आवाज़ें निकलने लगी.
जुलीईईई डार्लिंग....................
मैं भी बोली हां........ ओह ............. आहह..
और मैं पहुँच गयी. वो भी मेरे साथ ही पहुँच गया. मैं एक बार फिर बहुत ज़ोर से झर गयी थी और मैने उसके गरम लंड रस को अपनी चूत की गहराईयो मे तेज़ी से बरसता हुआ महसोस किया. वो मेरे उपर झुक गया और मुझे ज़ोर से पकड़ लिया. उसका लंबा लंड मेरी चूत के अंदर नाचता हुआ अपने प्यार का पानी बरसा रहा था. हम दोनो जैसे स्वर्ग की सैर कर रहे थे.
चोदने के बाद और नहाने के बाद हम बेडरूम मे आ गये. मैने मेरे प्रेमी को मेरे पापा का गाउन पहन ने को दिया जब की मैं अपने गाउन मे थी जिसके अंदर तक सब दिखता था. हम फिर से ड्रॉयिंग रूम मे आए और अपना खाना गरम करने के लिए माइक्रोवेव मे रखा. वो मेरी चुचियाँ, मेरी गंद और मेरी चूत बार बार देखता रहा जो की मेरे गाउन के अंदर से सॉफ सॉफ दिख रहे थे. मैं जानती थी कि मेरी चुचियाँ, मेरी चूत और मेरी गंद देख कर वो फिर से गरम हो रहा था. हम ने लंच किया और हम एक बार फिर नंगे ही बेड रूम मे पलंग पर लेटे हुए थे. दोनो गाउन मैने फिर से वापस रख दिए थे अपनी जगह पर. मैं नंगी ही उस के नंगे बदन पर उसकी बाहों मे थी और वो मुझको चूम रहा था. मैं जानती थी कि वो मुझे और चोद्ना चाहता है और सच्ची बात तो ये है कि मैं भी उस से एक बार और चुद्वाना चाहती थी.
कहानी को छ्होटी रखने के लिए बस इतना ही लिखूँगी कि एक बार फिर हमारे बीच चुदाई का खेल सुरू हो चुका था. इस बार मैने उसको चोदा क्यों की मैं उपर थी और वो नीचे. मैने उसको तब तक चोदा जब तक मैं झर नही गयी और फिर मेरे उपर आ कर उस ने मुझे तब तक चोदा जब तक मेरी चूत मे अपने लंड के प्रेम का पानी फिर से नही डाल दिया.
हम दोनो ने आज जम कर चुदाई की थी. मैने आज पहली बार अपने प्रेमी से चुद्वाया था और हम दोनो बहुत खुस थे.
हम ने अपने अपने कपड़े पहने, कारपेट और खाली लंच बॉक्स उठाया और वापस अपने घर की तरफ रवाना हुए.
वापस आते हुए रास्ते मे हम ने गंद मारने के बारे मे भी बात की. चाचा की तरह उस ने भी मुझे बताया कि गंद मरवाने मे लड़की को बहुत दर्द होता है, खास कर के जब लंड मोटा और लंबा हो. उस ने ये भी कहा कि गंद मारने और मरवाने मे इन्फेक्षन का भी ख़तरा होता है. लेकिन मैने फिर भी उस से कहा कि मैं एक बार ज़रूर गंद मरवाना चाहूँगी. वो हंस कर बोला, - “ठीक है जूली, मैं तुम्हारी कुँवारी गंद अपनी शादी के बाद मारूँगा." और उसी दिन मैने सोच लिया था कि अपनी सुहागरात को मैं अपनी कुँवारी गंद अपने हज़्बेंड को पेश करूँगी और उस से अपनी कुँवारी गंद मरवाउंगी.
मैं यहाँ आप लोगों की जानकारी के लिए बता दूं कि रमेश तब देल्ही मे एक एमएनसी मे मार्केटिंग मॅनेजर के तौर पर काम करने लगा था और हमारी सगाई दोनो के मा बाप की पर्मिशन से हो चुकी थी. जल्दी ही हमारी शादी होने वाली थी. ( ये कहानी लिखते समय हमारी शादी हो चुकी है.)
क्रमशः...............................
जुली को मिल गई मूली compleet
Re: जुली को मिल गई मूली
जूली को मिल गई मूली--8
गतान्क से आगे............................................
मैं, आप की जूली, हाज़िर हूँ अपना एक और हंगामा और चुदाई का कारनामा
जो तारीफ़ मुझे मिली है और जितने मेल मुझे रोज़ मिलते हैं, उस से मैं बहुत खुश हूँ के इतने लोगों ने मेरी चुदाई को, मेरे लिखने को सराहा है. मैंने ऐसा नहीं सोचा था की मैं इतनी फेमस हो जाऊंगी के कुछ लोग मुझ से जलने लग जायेंगे. जलने वाले जलते रहें, मैं परवाह नहीं करती. मेरा मानना है के प्यार और चुदाई सब सामाजिक बंधन से ऊपर है और जब दो प्यार करने वाले, चुदाई करने वाले राज़ी हो तो किसी को तकलीफ क्यों होती है, ये तो वो ही जाने जिन को तकलीफ होती है. नजदीकी रिश्तेदार से चुदवाना या चोदना कोई गुनाह नही है. अगर ये गुनाह होता तो बहुत से घरों में ये न हो रहा होता. फर्क सिर्फ इतना है के लोग छुप छुप के करतें है और चुप रहतें है, किसी को बताते नहीं, और मैंने सब आप को बताया है. बहुत से लोग है जिनकी मेल आती और वो मुझको चोदना चाहतें है और मेरी तरफ से ना का जवाब मिलने पर तिलमिला जातें है, खैर जलने वाले जलतें रहें तिलमिलाने वाले तिल्मिलातें रहें, मुझे फर्क नहीं पड़ता.
तो अब पेश है ----------- मेरी चुदाई की दास्तान का अगला भाग -
अपने प्रेमी का इंतज़ार कर रही थी. जैसा की मैंने पिछले भाग में लिखा था की मैं अपने चोदु चाचा के साथ इटली जाने वाली थी और मेरा प्रेमी रमेश भी देल्ली जाने वाला था क्यों की वहां उस की नौकरी लग गई थी.
कुछ दिनों के लिए अलग होने से पहले हम ने एक लम्बी ड्राइव पर जाने का फैसला किया था. आप तो जानतें है की इसका मतलब क्या है.
वो बरसात का मौसम था और रुक रुक कर बरसात हो रही थी. मैंने समय देखा तो उस वक़्त दोपहर के ३.३० बजे थे. रमेश के आने में अभी भी एक घंटे की देर थी. मैं तो चुदाई के लिए इतनी बेचैन थी की एक घंटे पहले ही तैयार हो गई थी. मैं जीन और टॉप पहने हुए थी. मैंने अपने आप को आईने में देखा. भगवान ने मुझे बहुत ही सुन्दर बनाया है. मेरा बदन सेक्सी और फिगर तो मर्दों की जान लेने वाला है. मेरा नाप ३४ - २६ - ३६ है. गोल चेहरा, गोरा रंग, काले बाल और नीली आँखें. मैंने देखा है की लोग, चाहे मर्द हो या औरत, मैं जब भी बाहर जाती हूँ, मुझको ही देखतें रहतें हैं. मुझे पता है की जब भी मैं चलती हूँ, मेरी गोल गोल गांड बहुत ही प्यारे सेक्सी अंदाज़ में मटकती है और मेरी तनी हुई चूचियां तो सोने पर सुहागा है जो किसी भी मर्द को पागल बना देने के काबिल है. और सब से खास बात, मैं हमेशा ही अच्छे, मेरे सेक्सी बदन को सूट करने वाले कपडे पहनती हूँ. मैं अपना बदन ज्यादा नहीं दिखाती, पर जितना भी दिखता है, आप समझ सकतें है की क्या होता होगा. मैं मन ही मन मुस्करा देती हूँ जब मर्द लोग चुदाई की भूख अपनी आँखों में लिए और लड़कियां, औरतें जलन से मुझको देखती हैं. मैं भगवान को हमेशा बहुत बहुत धन्यवाद देती हूँ की उस ने मुझे इतना सुन्दर बनाया और मैं हमेशा अपने शरीर का ध्यान रखती हूँ. मैं रोज़ योग करती हूँ और जरूरी कसरत करती हूँ ताकि मेरा बदन हमेशा ऐसा ही रहे. बहुत से लोग, मेरे परिवार वाले भी और दोस्त लोग कहतें हैं की मैं फिल्मों में काम कर सकती हूँ पर मुझे कोई इंटेरेस्ट नहीं है फ़िल्मी हीरोइन बनने में. मैं तो अपने चाचा की और अपने प्रेमी की असली हीरोइन हूँ.
खैर, मैं अपनी सुन्दरता का वर्णन ज्यादा न करके, असली कहानी पर आती हूँ.
रमेश के आने में अभी वक़्त था तो मैं टाइम पास करने के लिए अपने घर की छत पर आ गई. छत का एक भाग छप्पर बना कर कवर किया हुआ था ताकि बरसात और धूप से बच कर वहां बैठा जा सके. मैं एक कुर्सी पर बैठ गई और मैंने इधर उधर देखा. हमारा घर आस पास के सारे घरों से ऊंचा है और हमारी छत से हम दूर तक देख सकते थे. अचानक मेरी नजर पड़ोस के घर की तरफ गई. वो एक डॉक्टर का घर था. अपनी पत्नी के गुजर जाने के बाद डॉक्टर वहां अकेला रहता था. उस का लड़का विदेश में पढता था. डॉक्टर की उम्र उस समय करीब ४५/५० की होगी. वो २ बजे तक अपनी क्लिनिक में बैठता था जो की उस के घर के आगे के हिस्से में थी. एक सुन्दर और जवान औरत दिन में वहां आती थी जो की डॉक्टर के लिए खाना बनाती थी, घर का दूसरा काम करती थी. मैं हमेशा सोचती थी की वो औरत केवल डॉक्टर का घर ही नहीं संभालती थी, बल्कि डॉक्टर को भी संभालती थी. मतलब, वो औरत बिना पत्नी के डॉक्टर से जरूर ही चुदवाती होगी.
गतान्क से आगे............................................
मैं, आप की जूली, हाज़िर हूँ अपना एक और हंगामा और चुदाई का कारनामा
जो तारीफ़ मुझे मिली है और जितने मेल मुझे रोज़ मिलते हैं, उस से मैं बहुत खुश हूँ के इतने लोगों ने मेरी चुदाई को, मेरे लिखने को सराहा है. मैंने ऐसा नहीं सोचा था की मैं इतनी फेमस हो जाऊंगी के कुछ लोग मुझ से जलने लग जायेंगे. जलने वाले जलते रहें, मैं परवाह नहीं करती. मेरा मानना है के प्यार और चुदाई सब सामाजिक बंधन से ऊपर है और जब दो प्यार करने वाले, चुदाई करने वाले राज़ी हो तो किसी को तकलीफ क्यों होती है, ये तो वो ही जाने जिन को तकलीफ होती है. नजदीकी रिश्तेदार से चुदवाना या चोदना कोई गुनाह नही है. अगर ये गुनाह होता तो बहुत से घरों में ये न हो रहा होता. फर्क सिर्फ इतना है के लोग छुप छुप के करतें है और चुप रहतें है, किसी को बताते नहीं, और मैंने सब आप को बताया है. बहुत से लोग है जिनकी मेल आती और वो मुझको चोदना चाहतें है और मेरी तरफ से ना का जवाब मिलने पर तिलमिला जातें है, खैर जलने वाले जलतें रहें तिलमिलाने वाले तिल्मिलातें रहें, मुझे फर्क नहीं पड़ता.
तो अब पेश है ----------- मेरी चुदाई की दास्तान का अगला भाग -
अपने प्रेमी का इंतज़ार कर रही थी. जैसा की मैंने पिछले भाग में लिखा था की मैं अपने चोदु चाचा के साथ इटली जाने वाली थी और मेरा प्रेमी रमेश भी देल्ली जाने वाला था क्यों की वहां उस की नौकरी लग गई थी.
कुछ दिनों के लिए अलग होने से पहले हम ने एक लम्बी ड्राइव पर जाने का फैसला किया था. आप तो जानतें है की इसका मतलब क्या है.
वो बरसात का मौसम था और रुक रुक कर बरसात हो रही थी. मैंने समय देखा तो उस वक़्त दोपहर के ३.३० बजे थे. रमेश के आने में अभी भी एक घंटे की देर थी. मैं तो चुदाई के लिए इतनी बेचैन थी की एक घंटे पहले ही तैयार हो गई थी. मैं जीन और टॉप पहने हुए थी. मैंने अपने आप को आईने में देखा. भगवान ने मुझे बहुत ही सुन्दर बनाया है. मेरा बदन सेक्सी और फिगर तो मर्दों की जान लेने वाला है. मेरा नाप ३४ - २६ - ३६ है. गोल चेहरा, गोरा रंग, काले बाल और नीली आँखें. मैंने देखा है की लोग, चाहे मर्द हो या औरत, मैं जब भी बाहर जाती हूँ, मुझको ही देखतें रहतें हैं. मुझे पता है की जब भी मैं चलती हूँ, मेरी गोल गोल गांड बहुत ही प्यारे सेक्सी अंदाज़ में मटकती है और मेरी तनी हुई चूचियां तो सोने पर सुहागा है जो किसी भी मर्द को पागल बना देने के काबिल है. और सब से खास बात, मैं हमेशा ही अच्छे, मेरे सेक्सी बदन को सूट करने वाले कपडे पहनती हूँ. मैं अपना बदन ज्यादा नहीं दिखाती, पर जितना भी दिखता है, आप समझ सकतें है की क्या होता होगा. मैं मन ही मन मुस्करा देती हूँ जब मर्द लोग चुदाई की भूख अपनी आँखों में लिए और लड़कियां, औरतें जलन से मुझको देखती हैं. मैं भगवान को हमेशा बहुत बहुत धन्यवाद देती हूँ की उस ने मुझे इतना सुन्दर बनाया और मैं हमेशा अपने शरीर का ध्यान रखती हूँ. मैं रोज़ योग करती हूँ और जरूरी कसरत करती हूँ ताकि मेरा बदन हमेशा ऐसा ही रहे. बहुत से लोग, मेरे परिवार वाले भी और दोस्त लोग कहतें हैं की मैं फिल्मों में काम कर सकती हूँ पर मुझे कोई इंटेरेस्ट नहीं है फ़िल्मी हीरोइन बनने में. मैं तो अपने चाचा की और अपने प्रेमी की असली हीरोइन हूँ.
खैर, मैं अपनी सुन्दरता का वर्णन ज्यादा न करके, असली कहानी पर आती हूँ.
रमेश के आने में अभी वक़्त था तो मैं टाइम पास करने के लिए अपने घर की छत पर आ गई. छत का एक भाग छप्पर बना कर कवर किया हुआ था ताकि बरसात और धूप से बच कर वहां बैठा जा सके. मैं एक कुर्सी पर बैठ गई और मैंने इधर उधर देखा. हमारा घर आस पास के सारे घरों से ऊंचा है और हमारी छत से हम दूर तक देख सकते थे. अचानक मेरी नजर पड़ोस के घर की तरफ गई. वो एक डॉक्टर का घर था. अपनी पत्नी के गुजर जाने के बाद डॉक्टर वहां अकेला रहता था. उस का लड़का विदेश में पढता था. डॉक्टर की उम्र उस समय करीब ४५/५० की होगी. वो २ बजे तक अपनी क्लिनिक में बैठता था जो की उस के घर के आगे के हिस्से में थी. एक सुन्दर और जवान औरत दिन में वहां आती थी जो की डॉक्टर के लिए खाना बनाती थी, घर का दूसरा काम करती थी. मैं हमेशा सोचती थी की वो औरत केवल डॉक्टर का घर ही नहीं संभालती थी, बल्कि डॉक्टर को भी संभालती थी. मतलब, वो औरत बिना पत्नी के डॉक्टर से जरूर ही चुदवाती होगी.
Re: जुली को मिल गई मूली
मैंने दोनों को, डॉक्टर को और कामवाली औरत उनके घर के अन्दर के कमरे में देखा जिसका दरवाजा खुला था और मुझे सब साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था. डॉक्टर कुर्सी पर बैठा कुछ पढ़ रहा था और कामवाली कमरे की सफाई कर रही थी. डॉक्टर ने उसको कुछ कहा तो वो काम छोड़ कर आलमारी की तरफ गई और मैंने देखा की उस के हाथ में कुछ कपडे थे. उन कपड़ों को लेकर वो कमरे के अन्दर ही बाथरूम में चली गई. जब वो थोड़ी देर बाद वापस आई तो मैंने देखा की वो एक बहुत सुन्दर, गुलाबी रंग की ब्रा और चड्डी पहने हुए थी. शायद ये डॉक्टर की तरफ से कामवाली को तोहफा था और जरूर ही डॉक्टर ने उसको पहन कर दिखने को कहा था. वो एक टक उस को देख रहा था. जैसा की मैंने लिखा है की कामवाली सुन्दर थी, उस की भरी भरी चूचियां और भारी गांड उस गुलाबी रंग की ब्रा और चड्डी में बहुत सेक्सी लग रही थी. वो बातें कर रहे थे और वो डॉक्टर की तरफ बढ़ी. दोनों आपस में होठों का चुम्बन करने लगे और मेरा सोचना ठीक था की दोनों में चुदाई का रिश्ता था. मेरे लिए उन को देखना टाइम पास करने का अच्छा साधन था. वो दोनों अलग हुए और उस ने फिर से कमरे की सफाई करनी शुरू करदी. मैंने सोचा की शायद इतना ही होगा, पर मैं गलत थी. हलकी हलकी बरसात फिर से शुरू हो गई थी. वो अपनी सेक्सी कामवाली को ब्रा और चड्डी पहने काम करते देखता रहा और वो बातें करते रहे. जब वो उस के करीब से गुजरी तो डॉक्टर ने उस की भरी भरी चुचियों को दबा दिया. वो हंस पड़ी. अब डॉक्टर ने उस के पैरों के बीच हाथ डाल कर कुछ किया तो वो हवा में उछल पड़ी. जरूर डॉक्टर ने कामवाली की चूत में या गांड में ऊँगली की थी. वो उसकी तरफ देखती हुई फिर से हंस पड़ी. वो उस के पास आ कर खड़ी हुई तो डॉक्टर ने बैठे बैठे उस को कस कर पकड़ लिया. वो खड़ी थी वो प्यार से डॉक्टर के सिर के बालों में हाथ फिरा रही थी. डॉक्टर का सिर उस की भरी भरी चुचियों के बीच था और वो अपना चेहरा उस की चुचियों पर ब्रा के ऊपर से रगड़ रहा था. उस के हाथ उस की मोटी गांड को दबा रहे थे. उसने अपने हाथ से अभी अभी कामवाली को तोहफे में दी गई ब्रा की दोनों पट्टियाँ, बिना हुक खोले, उस के कंधे से नीचे करदी. कामवाली ने अपने हाथ नीचे करके ब्रा की पट्टियों से निकाल लिए और डॉक्टर ने उसकी ब्रा को नीचे पेट की तरफ करके उस की चुचियों को नंगा कर दिया. उस की गुलाबी ब्रा उसकी गुलाबी चड्डी से मिल रही थी और उस की बड़ी बड़ी चूचियां डॉक्टर के सामने थी डॉक्टर कामवाली की नंगी चुचियों पर अपना चेहरा रगड़ रहा था और उस ने उसकी एक निप्पल अपने मुंह में ले ली. उन लोगों की गर्मी मुझ में भी आने लगी. मेरी चूत में भी उन को देख कर हलचल मचने लगी. वो एक के बाद कामवाली की चूचियां और निप्पल किसी भूखे की तरह चूसता जा रहा था. कामवाली का सिर भी चूचियां चुसवाते हुए आनंद से आगे पीछे हिल रहा था. मैं उन को देख कर मज़ा ले रही थी और आप तो जानतें ही है के मैं कितनी सेक्सी हूँ और जो मैं देख रही थी वो मुझे उत्तेजित करने के लिए काफी था. मेरी जीन के अन्दर मेरी चड्डी गीली होने लगी और अपने आप ही मेरी उँगलियाँ मेरी जीन के ऊपर से ही जहाँ मेरी चूत थी, वहां पर फिरने लगी.
वो दोनों कुछ ऐसी पोजीसन में थे की मैं कामवाली का चेहरा नहीं देख पा रही थी. डॉक्टर कुर्सी पर दरवाजे की तरफ मुंह करके बैठा हुआ था और मैं डॉक्टर का मुंह और कामवाली की गांड देख पा रही थी. अब कामवाली नीचे बैठ गई थी और डॉक्टर ने अपनी पेंट की जिप खोली तो कामवाली ने अपने हाथ से उसका लौड़ा पकड़ कर बाहर निकाल लिया. मैं इतनी दूर थी, फिर भी मैंने साफ़ साफ़ देखा की डॉक्टर का लंड काफी बड़ा था और उस के चरों तरफ काले काले बाल थे. कामवाली अपने हाथों से उस की झांटों को पीछे कर रही थी ताकि वो उसके काम के बीच में न आयें. कामवाली ने डॉक्टर के काले और बड़े लौड़े को चूमा और उस को धीरे धीरे हिलाने लगी. डॉक्टर अपनी कुर्सी पर पीछे सिर टिका कर बैठ गया और अपने लंड पर कामवाली के कमाल का मज़ा लेने लगा. थोड़ी देर उसका लंड हिलाने के बाद उस ने लंड का सुपाडा अपने मुंह में ले कर कुछ देर टक चूसा. फिर, वो उस के लंड को पकड़ कर मुठिया मारने लगी जब की डॉक्टर के लौड़े का सुपाडा उस के मुंह में ही था. मुझे पता चल चुका था की वहां शायद लंड और चूत की चुदाई नहीं होने वाली है, सिर्फ हाथ का कमाल ही होगा.
मैंने भी अपनी जीन की जिप खोल ली और चड्डी के किनारे से अपनी बीच की ऊँगली, अपने पैर चौड़े करके अपनी चूत टक ले गई. मैंने जल्दी जल्दी अपनी ऊँगली अपनी चूत के दाने पर फिरानी चालू की ताकि मैं जल्दी से झड़ सकूँ. और वहां, कामवाली तेजी से, डॉक्टर का लौड़ा चूसते हुए मुठ मार रही थी. मेरी ऊँगली की रफ़्तार भी मेरी चूत में बढ़ गई थी.
मैंने देखा की डॉक्टर की गांड कुर्सी से ऊपर हो रही है और अचानक ही उस ने कामवाली का सिर पकड़ कर अपने लंड पर दबा लिया. जरूर की उस के लंड ने अपना पानी छोड़ दिया था. कामवाली मज़े से डॉक्टर के लंड रस को पी रही थी. मेरी चूत पर मेरी ऊँगली के काम से मैं भी अब झड़ने के करीब थी. मैंने अपनी ऊँगली तेजी से अपनी गीली फुद्दी पर हिलानी शुरू करदी और मैं भी अपनी मंजिल पर पहुँच गयी. मेरी चड्डी मेरे चूत रस से और भी गीली हो गई. मैंने एक शानदार काम, चूत में ऊँगली करने का ख़तम किया. मेरी आँखें आनंद और स्वयं संतुस्ती से बंद हो गई.
जब मैंने आँखें खोली तो देखा की कामवाली डॉक्टर का लंड, अपना मुंह, अपनी गर्दन और अपनी चूचियां कपडे से साफ़ कर रही थी. शायद डॉक्टर के लंड का पानी उस के बदन पर भी फ़ैल गया था.
तभी मैंने रमेश की नीली जेन को अपने घर की तरफ आने वाली सड़क पर देखा. बरसात अब रुक चुकी थी. मैं खड़ी हुई और अपने कमरे की तरफ दौड़ी. मैंने दूसरी चड्डी ली और अपनी गीली चूत टिश्यू पेपर से साफ़ करने के बाद उस को पहन लिया.
मैं जल्दी से अपने प्रेमी का स्वागत करने नीचे आई. वो अपनी कार पार्क करने के बाद घर के अन्दर आया तो मेरी माँ भी आ गई थी. हम सब ने साथ साथ शाम की चाय पी और हल्का नाश्ता किया. वो ज्यादातर मेरी माँ से ही बात करता रहा और करीब ५.०० बजे हम अपने बनाये हुए प्रोग्राम पर रवाना हुए.
वो दोनों कुछ ऐसी पोजीसन में थे की मैं कामवाली का चेहरा नहीं देख पा रही थी. डॉक्टर कुर्सी पर दरवाजे की तरफ मुंह करके बैठा हुआ था और मैं डॉक्टर का मुंह और कामवाली की गांड देख पा रही थी. अब कामवाली नीचे बैठ गई थी और डॉक्टर ने अपनी पेंट की जिप खोली तो कामवाली ने अपने हाथ से उसका लौड़ा पकड़ कर बाहर निकाल लिया. मैं इतनी दूर थी, फिर भी मैंने साफ़ साफ़ देखा की डॉक्टर का लंड काफी बड़ा था और उस के चरों तरफ काले काले बाल थे. कामवाली अपने हाथों से उस की झांटों को पीछे कर रही थी ताकि वो उसके काम के बीच में न आयें. कामवाली ने डॉक्टर के काले और बड़े लौड़े को चूमा और उस को धीरे धीरे हिलाने लगी. डॉक्टर अपनी कुर्सी पर पीछे सिर टिका कर बैठ गया और अपने लंड पर कामवाली के कमाल का मज़ा लेने लगा. थोड़ी देर उसका लंड हिलाने के बाद उस ने लंड का सुपाडा अपने मुंह में ले कर कुछ देर टक चूसा. फिर, वो उस के लंड को पकड़ कर मुठिया मारने लगी जब की डॉक्टर के लौड़े का सुपाडा उस के मुंह में ही था. मुझे पता चल चुका था की वहां शायद लंड और चूत की चुदाई नहीं होने वाली है, सिर्फ हाथ का कमाल ही होगा.
मैंने भी अपनी जीन की जिप खोल ली और चड्डी के किनारे से अपनी बीच की ऊँगली, अपने पैर चौड़े करके अपनी चूत टक ले गई. मैंने जल्दी जल्दी अपनी ऊँगली अपनी चूत के दाने पर फिरानी चालू की ताकि मैं जल्दी से झड़ सकूँ. और वहां, कामवाली तेजी से, डॉक्टर का लौड़ा चूसते हुए मुठ मार रही थी. मेरी ऊँगली की रफ़्तार भी मेरी चूत में बढ़ गई थी.
मैंने देखा की डॉक्टर की गांड कुर्सी से ऊपर हो रही है और अचानक ही उस ने कामवाली का सिर पकड़ कर अपने लंड पर दबा लिया. जरूर की उस के लंड ने अपना पानी छोड़ दिया था. कामवाली मज़े से डॉक्टर के लंड रस को पी रही थी. मेरी चूत पर मेरी ऊँगली के काम से मैं भी अब झड़ने के करीब थी. मैंने अपनी ऊँगली तेजी से अपनी गीली फुद्दी पर हिलानी शुरू करदी और मैं भी अपनी मंजिल पर पहुँच गयी. मेरी चड्डी मेरे चूत रस से और भी गीली हो गई. मैंने एक शानदार काम, चूत में ऊँगली करने का ख़तम किया. मेरी आँखें आनंद और स्वयं संतुस्ती से बंद हो गई.
जब मैंने आँखें खोली तो देखा की कामवाली डॉक्टर का लंड, अपना मुंह, अपनी गर्दन और अपनी चूचियां कपडे से साफ़ कर रही थी. शायद डॉक्टर के लंड का पानी उस के बदन पर भी फ़ैल गया था.
तभी मैंने रमेश की नीली जेन को अपने घर की तरफ आने वाली सड़क पर देखा. बरसात अब रुक चुकी थी. मैं खड़ी हुई और अपने कमरे की तरफ दौड़ी. मैंने दूसरी चड्डी ली और अपनी गीली चूत टिश्यू पेपर से साफ़ करने के बाद उस को पहन लिया.
मैं जल्दी से अपने प्रेमी का स्वागत करने नीचे आई. वो अपनी कार पार्क करने के बाद घर के अन्दर आया तो मेरी माँ भी आ गई थी. हम सब ने साथ साथ शाम की चाय पी और हल्का नाश्ता किया. वो ज्यादातर मेरी माँ से ही बात करता रहा और करीब ५.०० बजे हम अपने बनाये हुए प्रोग्राम पर रवाना हुए.