ऋतु ने समान बँधा और वहाँ से चल पड़ी. हॉस्टिल से बाहर आती ऋतु के हाथ से ड्राइवर ने सूटकेस लेकर गाड़ी की डिकी में डाल दिया. गाड़ी चल पड़ी स्वाती वर्किंग विमन’स हॉस्टिल से गुड़गाँव की उस हाइराइज़ बिल्डिंग कार्लटन एस्टेट की तरफ जहाँ 25थ फ्लोर पे ऋतु का नया फ्लॅट था.
ऋतु ने फ्लॅट में अपना सामान सेट कर दिया…. वो बहुत एग्ज़ाइटेड थी इस फ्लॅट में रहने में… एक तो फ्लॅट बहुत आलीशान था और दूसरे वो पहली बार इस तरहग अकेले रह रही थी… ऋतु किचन में गयी और देखा की किचन में खाने पीने की बहुत चीज़ें थी.. फ्रिड्ज में फल सब्ज़ियों से भरा हुआ था.. ऋतु ने अपने लिए लंच में थोड़ी सी खिचड़ी बनाई और सो गयी.. शाम को उसकी नींद खुली जब बेल बाजी. दरवाज़ा खोला तो बाहर करण था. वो अंदर आया और ऋतु से बोला
“फटाफट रेडी हो जाओ हुमको बाहर जाना हैं मार्केट तक”
“कुछ लेना हैं क्या?”
“हां कुछ चीज़ें लेनी हैं”
“मैं अभी तैयार होके आई”
ऋतु और करण निकल पड़े गुड़गाँवा में उद्योग विहार फेज़ 4 की तरफ जहाँ था सफ़दरजंग ह्युंडई का शोरुम. ऋतु को लगा की शायद करण को यहाँ काम होगा. कारण अंदर गया ही था की वहाँ का मॅनेजर आ गया.
“अर्रे करण साहिब आइए आइए वेलकम तो सफ़दरजंग ह्युंडई. कॅन आइ हेल्प यू सर?”
“मिस्टर बक्शी एक कार लेनी हैं ह्युंडई आइ10”
“ओक सर दिस वे प्लीज़ … कलर चूज़ कर लीजिए.. मॉडेल तो हमेशा की तरफ सबसे बेस्ट ही होगा. ”
“जी हां टॉप मॉडेल”
करण ऋतु की तरफ मुड़ा और प्यार से बोला. चलो अपना फेवोवरिट कलर चूज़ कर लो इन कार्स में से.
“मुझे गाड़ी नही चाहिए करण.”
“देखो ऋतु.. मैं तो चाहता हूँ कि तुम हमेशा मेरे साथ मेरी गाड़ी में ही घूमो लेकिन तुम्हे पता हैं की ऑफीस में लोग बातें करेंगे”
“हां लेकिन मैं गाड़ी का क्या करूँगी.”
“तुम घर से ऑफीस जाना और ऑफीस से घर और थोड़ा वक़्त हो तो हूमें भी घुमा देना अपनी गाड़ी में”
“लेकिन करण इस सब की क्या ज़रूरत हैं”
“अब बातें बंद करो और जल्दी से कलर चूज़ करो.”
ऋतु ने कलर चूज़ किया ‘ब्लशिंग रेड’. करण ने 1 लाख रुपये डाउन पेमेंट करवा दी और बाकी का पैसा एमी से देना तय हुआ. दोनो वहाँ से निकले और सीधा गये आंबियेन्स माल में. यहाँ उन्होने अनेक चीज़ों की शॉपिंग की, ऋतु के लिए. कपड़े, ज्यूयलरी, वॉचस, शू एक्सट्रा एक्सट्रा .
शॉपिंग करते करते रात हो गयी और दोनो ने एक शानदार रेस्टोरेंट में डिन्नर किया और फिर वापस आ गये फ्लॅट पे. वापस आके करण ने ऋतु को खीच कर अपने पास बिठा लिया सोफे पे और चालू हो गया. पहले उसके हाथ ऋतु के पूरे शरीर पे दौड़ने लगे और वो उसे चूमने लगा… कुछ देर तो ऋतु ने उसका साथ दिया… लेकिन
ऋतु के दिमाग़ में पूजा द्वारा कही गयी बात घर कर गयी थी – की करण उसे इस्तेमाल करके छोड़ देगा.
Raj Sharma stories--रूम सर्विस compleet
Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस
वो अपने सेल्फ़ डाउट में इतनी इन्वॉल्व्ड हो गयी की करण को लगा जैसे वो एक प्लास्टिक की गुड़िया के साथ हैं… उसने ऋतु से पूछा
“क्या हुआ डार्लिंग.. तुम्हारा ध्यान कहाँ हैं… क्या बात हैं”
“करण मैं एक बात को लेके परेशान हूँ”
“क्या बात हैं बेबी”
“यही की हम जो यह सब कर रहे हैं क्या यह सही हैं”
“आ हैं मतलब”
“देखो करण तुम मेरे जीवन में पहले लड़के हो और मैं चाहती हूँ की मैं तुम्हारी ज़िंदगी में आखरी लड़की हू”
“ओह.. यह बात.. क्या तुम्हे लगता हैं की मैं तुम्हे धोखा दे रहा हूँ???”
“ऐसी बात नही हैं करण.. वो बस मैं इस बात को लेके चिंतित हूँ की हम दोनो एक दूसरे को चाहते तो हैं लेकिन इस बंधन में रिश्ते की मोहर नही हैं”
“रिश्ते की मोहर??? किस ज़माने की बात कर रही हो ऋतु. हम लोग 21स्ट्रीट सेंचुरी में हैं. कल के बारे में तो मैं नही कह सकता लेकिन मेरा आज तुम हो. आइ लव यू आंड यही मेरी आज की हक़ीकत हैं. क्या तुम मेरी इस बात पे यकीन कर सकती हो”
“ओफ़कौर्स करण”
“तो आओ… शो मी हाउ मच यू लव मी!!”
ऋतु उठी और एक शॉपिंग बॅग लेके अंदर बेडरूम में चली गयी.
“वेट फॉर मी. मैं अभी आई”
“ओके ऋतु”
करण उठा और सामने बार से एक बॉटल स्म्र्नॉफ की निकाली और दो ड्रिंक बनाने लगा. उसने वोड्का में लाइम कॉर्डियल डाला और किचन से बर्फ और स्प्राइट की बॉटल ले आया. उसने जाम बनाए ही थे की ऋतु बेडरूम से निकल के छुपते छुपाते आई और आके उसने ड्रॉयिंग रूम की सभी लाइट्स बंद कर दी… अब ड्रॉयिंग रूम में सिर्फ़ किचन से आती हुई रोशनी आ रही थी.
करण अपना ग्लास लेके सोफे पे बैठ गया. तभी ऋतु ने रिमोट का एक बटन दबाया और म्यूज़िक प्लेयर पे एक सेक्सी सा रोमॅंटिक इन्स्ट्रुमेंटल म्यूज़िक बजने लगा. ऋतु ने दीवार के पीछे से एक टाँग बाहर निकली… टाँग पे कोई कपड़ा ना था… उसने ब्लॅक हाइ हील सॅंडल्ज़ पहने हुए थे विद रोमन स्ट्रॅप्स.
टाँग के बाद ऋतु ने अपना हाथ निकाला और उस हाथ पे भी कोई कपड़ा ना था बस एक घड़ी थी केनेत कोले की. धीरे धीरे उसका बाकी शरीर बाहर आया… कम रोशनी की वजह से ऋतु पूरी तरह से सॉफ सॉफ दिख तो नही रही थी लेकिन इसके बदन पर कुछ ख़ास कपड़े नही थे.
शाम को ही ऋतु और करण ने जो लाइनाये शॉपिंग की थी उसमें से एक सेक्सी सी ब्लॅक बोलोर की थॉंग पॅंटी और लेसी पुश अप ब्रा पहन कर ऋतु आई थी. ऋतु ने आँखें बंद की और उस म्यूज़िक की धुन पर हल्के हल्के हिलने लगी. करण का ड्रिंक उसके हाथ में ज़्यु का त्यु पड़ा था .. उसने उसमे से एक सीप भी नही लिया था. वो तो जैसे इस दृश्या को देख के असचर्यचकित रह गया था… उसका मूह खुला था… एक हाथ में वोड्का का ग्लास और दूसरे हाथ से वो अपना लंड सहला रहा था
ऋतु अपनी ही धुन में थी… करण को कम रोशनी में कुछ दिखाई नही दे रहा था.. वो उठा और जाकर लाइट ओन कर दी. लाइट ओन होते ही ऋतु जो की किसी और ही दुनिया में पहुच चुकी थी एक्दुम से सकते में आ गयी… और वापस बेडरूम की और भागी… लेकिन करण ने उसे पकड़ लिया… उसे वापस ड्रॉयिंग रूम में लेके आया और उसके साथ धीरे से म्यूज़िक पे इंटिमेट डॅन्स करने लगा.
ऋतु का राइट हाथ करण के लेफ्ट हॅंड में था और उसका लेफ्ट हॅंड करण के कंधे पे. करण का राइट हॅंड ऋतु की कमर में था और दोनो स्लो डॅन्स करने लगे. करण का हाथ ऋतु की कमर से सरक कर उसके अस्स पर गया. ऋतु ने जो थिंग पहनी थी उसकी पीछे का स्ट्रॅप इतना पतला था की उसकी अस्स क्रॅक में घुस चुक्का था. देखने वालो को शायद कहीं से देखके मिलता भी नही की वो स्ट्रॅप हैं कहाँ. करण उसके अस्स पर हाथ लगातार फिराए जा रहा था और गान्ड की दीवार को भी उंगली से नाप रहा था.
उधर ऋतु का हाथ करण के कंधे से सरक के उसकी छाती पर आ गया था और वो शर्ट के उपर से ही करण के निपल्स से खेलने लगी. करण के निपल्स ऋतु की तुलना में थे तो बहुत छोटे लेकिन सेन्सिटिव तो थे. ऋतु का हाथ थोड़ी देर निपल्स से खेलने के बाद नीचे करण के लंड पे चला गया.
“क्या हुआ डार्लिंग.. तुम्हारा ध्यान कहाँ हैं… क्या बात हैं”
“करण मैं एक बात को लेके परेशान हूँ”
“क्या बात हैं बेबी”
“यही की हम जो यह सब कर रहे हैं क्या यह सही हैं”
“आ हैं मतलब”
“देखो करण तुम मेरे जीवन में पहले लड़के हो और मैं चाहती हूँ की मैं तुम्हारी ज़िंदगी में आखरी लड़की हू”
“ओह.. यह बात.. क्या तुम्हे लगता हैं की मैं तुम्हे धोखा दे रहा हूँ???”
“ऐसी बात नही हैं करण.. वो बस मैं इस बात को लेके चिंतित हूँ की हम दोनो एक दूसरे को चाहते तो हैं लेकिन इस बंधन में रिश्ते की मोहर नही हैं”
“रिश्ते की मोहर??? किस ज़माने की बात कर रही हो ऋतु. हम लोग 21स्ट्रीट सेंचुरी में हैं. कल के बारे में तो मैं नही कह सकता लेकिन मेरा आज तुम हो. आइ लव यू आंड यही मेरी आज की हक़ीकत हैं. क्या तुम मेरी इस बात पे यकीन कर सकती हो”
“ओफ़कौर्स करण”
“तो आओ… शो मी हाउ मच यू लव मी!!”
ऋतु उठी और एक शॉपिंग बॅग लेके अंदर बेडरूम में चली गयी.
“वेट फॉर मी. मैं अभी आई”
“ओके ऋतु”
करण उठा और सामने बार से एक बॉटल स्म्र्नॉफ की निकाली और दो ड्रिंक बनाने लगा. उसने वोड्का में लाइम कॉर्डियल डाला और किचन से बर्फ और स्प्राइट की बॉटल ले आया. उसने जाम बनाए ही थे की ऋतु बेडरूम से निकल के छुपते छुपाते आई और आके उसने ड्रॉयिंग रूम की सभी लाइट्स बंद कर दी… अब ड्रॉयिंग रूम में सिर्फ़ किचन से आती हुई रोशनी आ रही थी.
करण अपना ग्लास लेके सोफे पे बैठ गया. तभी ऋतु ने रिमोट का एक बटन दबाया और म्यूज़िक प्लेयर पे एक सेक्सी सा रोमॅंटिक इन्स्ट्रुमेंटल म्यूज़िक बजने लगा. ऋतु ने दीवार के पीछे से एक टाँग बाहर निकली… टाँग पे कोई कपड़ा ना था… उसने ब्लॅक हाइ हील सॅंडल्ज़ पहने हुए थे विद रोमन स्ट्रॅप्स.
टाँग के बाद ऋतु ने अपना हाथ निकाला और उस हाथ पे भी कोई कपड़ा ना था बस एक घड़ी थी केनेत कोले की. धीरे धीरे उसका बाकी शरीर बाहर आया… कम रोशनी की वजह से ऋतु पूरी तरह से सॉफ सॉफ दिख तो नही रही थी लेकिन इसके बदन पर कुछ ख़ास कपड़े नही थे.
शाम को ही ऋतु और करण ने जो लाइनाये शॉपिंग की थी उसमें से एक सेक्सी सी ब्लॅक बोलोर की थॉंग पॅंटी और लेसी पुश अप ब्रा पहन कर ऋतु आई थी. ऋतु ने आँखें बंद की और उस म्यूज़िक की धुन पर हल्के हल्के हिलने लगी. करण का ड्रिंक उसके हाथ में ज़्यु का त्यु पड़ा था .. उसने उसमे से एक सीप भी नही लिया था. वो तो जैसे इस दृश्या को देख के असचर्यचकित रह गया था… उसका मूह खुला था… एक हाथ में वोड्का का ग्लास और दूसरे हाथ से वो अपना लंड सहला रहा था
ऋतु अपनी ही धुन में थी… करण को कम रोशनी में कुछ दिखाई नही दे रहा था.. वो उठा और जाकर लाइट ओन कर दी. लाइट ओन होते ही ऋतु जो की किसी और ही दुनिया में पहुच चुकी थी एक्दुम से सकते में आ गयी… और वापस बेडरूम की और भागी… लेकिन करण ने उसे पकड़ लिया… उसे वापस ड्रॉयिंग रूम में लेके आया और उसके साथ धीरे से म्यूज़िक पे इंटिमेट डॅन्स करने लगा.
ऋतु का राइट हाथ करण के लेफ्ट हॅंड में था और उसका लेफ्ट हॅंड करण के कंधे पे. करण का राइट हॅंड ऋतु की कमर में था और दोनो स्लो डॅन्स करने लगे. करण का हाथ ऋतु की कमर से सरक कर उसके अस्स पर गया. ऋतु ने जो थिंग पहनी थी उसकी पीछे का स्ट्रॅप इतना पतला था की उसकी अस्स क्रॅक में घुस चुक्का था. देखने वालो को शायद कहीं से देखके मिलता भी नही की वो स्ट्रॅप हैं कहाँ. करण उसके अस्स पर हाथ लगातार फिराए जा रहा था और गान्ड की दीवार को भी उंगली से नाप रहा था.
उधर ऋतु का हाथ करण के कंधे से सरक के उसकी छाती पर आ गया था और वो शर्ट के उपर से ही करण के निपल्स से खेलने लगी. करण के निपल्स ऋतु की तुलना में थे तो बहुत छोटे लेकिन सेन्सिटिव तो थे. ऋतु का हाथ थोड़ी देर निपल्स से खेलने के बाद नीचे करण के लंड पे चला गया.
Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस
करण का लंड पहले ही सेमी एरेक्ट था लेकिन अब पुर ज़ोर पे था. वो खुद अब तक ऋतु की गान्ड से ही खेल रहा था… उसने उसके अस्स के क्रॅक में से स्ट्रॅप निकाल के साइड में खींच दिया था और उस दरार में अपना हाथ उपर नीचे करे जा रहा था. उसने गान्ड के छेद के उपर ले जाकर अपनी उंगली टिकाई और उससे खेलने लगा… उंगली टिकाते की ऋतु थरथरा सी गयी..
आज करण के हाथ ऋतु की चूत से दूर बस उसकी गान्ड पे ही टीके हुए थे… 2 बार तो ऋतु की चूत में वो अपना लंड पेल चुक्का था… अब उसका ध्यान कहीं और था… जी हां आज वो ऋतु की गान्ड मारने के मूड में था.
करण ने एक हाथ से ऋतु के ब्रा का स्ट्रॅप उसके कंधे से उतार दिया.. दूसरे कंधे से भी उसने स्टरपनीचे कर दिया…. वैसे भी वो ब्लॅक लेसी ब्रा ऋतु के बूब्स को संभाल नही पा रही थी… उसके मम्मे जैसे ब्रा के कप्स से छलकने को तैयार थे…. धीरे से करण ने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए पीछे से.
ब्रा सरक के नीचे फर्श पर गिर गयी. ऋतु ने उसे पैर से सरका के साइड कर दिया … दोनो अभी भी डॅन्स की मुद्रा में थे … अब करण ने उसकी थॉंग्ज़ को कमर की दोनो तरफ से पकड़ा और नीचे कर दिया… और नीचे जाते जाते उसकी नाभि को चूमने लगा… ऋतु ने उसका मूह अपने पेट में दबा लिया… उसके बूब्स करण के सर उपर जाके टिक गये. और वो उनसे हल्का हल्का दबाव उसके सर पर बनाने लगी… इतनी अच्छी हेड मसाज शायद ही आज तक किसी को मिली हो
करण उपर आया तो ऋतु ने उसकी शर्ट के बटन खोल दिए… शर्ट उतारने के बाद ऋतु के हाथ अब उसकी जीन्स के बटन पे थे… जीन्स के साथ ही उसने करण का बॉक्सर्स भी नीचे कर दिया…
अंडरवेर से फ्री होते ही उसका लंड टान्न्न करके करके सामने था… तभी करण ने नीचे पड़ी जीन्स की जेब से एक छोटी सी ट्यूब निकाली. जेल्ली की. ऋतु समझ ही नही पाई की यह हैं क्या.
“यह क्या हैं करण”
“बेबी दिस ईज़ जेल्ली या ल्यूब्रिकेशन”
“लेकिन इसकी क्या ज़रूरत हैं.. तुम्हारा हाथ लगते ही मैं तो वैसे ही लूब्रिकेटेड हो जाती हूँ”
“आज ज़रूरत पड़ेगी जान… देखते जाओ.”
करण ने ऋतु को डाइनिंग टेबल के पास ले गया… उसने एक हाथ से डाइनिंग टेबल पर पड़ी फ्रूट ट्रे को सरका के गिरा दिया… नीचे फर्श पर सेब बिखर गये. करण ने ऋतु को उठा के डाइनिंग टेबल पे इस तरह लिटा दिया की ऋतु का बाकी शरीर डाइनिंग टेबल पे था और उसकी गान्ड टेबल से बाहर लटक रही थी… उसकी टाँगो को करण ने अपने कंधे पे उठा रखा था.
करण की एकटक नज़र ऋतु की गान्ड पे थी.. वो आज उसकी चूत की तरफ देख भी नही रहा था. उसने सोच रखा था की आज वो ऋतु के इस छेद को भी नही छोड़ेगा. उसने जेल्ली की ट्यूब का ढक्कन खोला और उसे दबाया. जेल्ली को अपने हाथ में लेके उसने अच्छे से अपने लंड पे लगाया. उसे जेल्ली में आछे से कोट कर दिया. उसने ट्यूब फिर से दबा के और जेल्ली निकाली और ऋतु के गान्ड के छेद पे लगा दी… उसकी उंगलियाँ तो पहले से ही जेल्ली से सनी हुई थी. उसने धीरे से एक उंगली छेद के सिरे पे टीका दी और अंदर घुसाने के लिए हल्का सा ज़ोर लगाया. उंगली फटाक से अंदर घुस गयी,..
“ऊई मा… यह क्या कर रहे हो करण”
“जेल वाली उंगली डाल रहा हूँ… क्या हुआ”
“लेकिन यह कहाँ डाल रहे हो बाबा…ठीक से डालो आगे”
“आगे नही … यह तो यहीं जाएगी…”
इतनी देर में करण अपनी उंगली से जेल की अछी ख़ासी मात्रा ऋतु की गान्ड में डाल चुक्का था. उसने अपने कड़क लंड को पकड़ा और छेद पे टीका दिया अपना सूपड़ा. एक ज़ोरदार धक्का मारा और लंड गान्ड के अंदर…
“करण यह क्या हैं… प्लीज़ निकालो इसे… यह मत करो… दर्द हो रहा हैं”
“ओह कमऑन ऋतु… ट्राइ टू रिलॅक्स”
“नही नही यह सब क्या कर रहे हो”
“क्या कर रहा हूँ… कुछ भी तो नही… यह तो आजकल कामन चीज़ हैं” करण अब लंड आगे पीछे करने लगा था
“आआअहह ……नही नही यह ठीक नही… प्लीज़ निकालो… दर्द हो रहा हैं…यह तो अन्नॅचुरल हैं” ऋतु को दर्द हो रहा था…. वो रिलॅक्स नही कर रही थी और इसी की वजह से दर्द और बढ़ रहा था
“अन नॅचुरल क्या होता हैं… ” करण लगातार चालू था
“आआआहह ओओओओईईईई माआआआ करण प्लीज़.”
“ऋतु प्लीज़ … ट्राइ टू रिलॅक्स…2 मिनट रूको… अभी सब ठीक हो जाएगा और तुम्हे इसमे चूत से ज़्यादा मज़ा आएगा.”
आज करण के हाथ ऋतु की चूत से दूर बस उसकी गान्ड पे ही टीके हुए थे… 2 बार तो ऋतु की चूत में वो अपना लंड पेल चुक्का था… अब उसका ध्यान कहीं और था… जी हां आज वो ऋतु की गान्ड मारने के मूड में था.
करण ने एक हाथ से ऋतु के ब्रा का स्ट्रॅप उसके कंधे से उतार दिया.. दूसरे कंधे से भी उसने स्टरपनीचे कर दिया…. वैसे भी वो ब्लॅक लेसी ब्रा ऋतु के बूब्स को संभाल नही पा रही थी… उसके मम्मे जैसे ब्रा के कप्स से छलकने को तैयार थे…. धीरे से करण ने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए पीछे से.
ब्रा सरक के नीचे फर्श पर गिर गयी. ऋतु ने उसे पैर से सरका के साइड कर दिया … दोनो अभी भी डॅन्स की मुद्रा में थे … अब करण ने उसकी थॉंग्ज़ को कमर की दोनो तरफ से पकड़ा और नीचे कर दिया… और नीचे जाते जाते उसकी नाभि को चूमने लगा… ऋतु ने उसका मूह अपने पेट में दबा लिया… उसके बूब्स करण के सर उपर जाके टिक गये. और वो उनसे हल्का हल्का दबाव उसके सर पर बनाने लगी… इतनी अच्छी हेड मसाज शायद ही आज तक किसी को मिली हो
करण उपर आया तो ऋतु ने उसकी शर्ट के बटन खोल दिए… शर्ट उतारने के बाद ऋतु के हाथ अब उसकी जीन्स के बटन पे थे… जीन्स के साथ ही उसने करण का बॉक्सर्स भी नीचे कर दिया…
अंडरवेर से फ्री होते ही उसका लंड टान्न्न करके करके सामने था… तभी करण ने नीचे पड़ी जीन्स की जेब से एक छोटी सी ट्यूब निकाली. जेल्ली की. ऋतु समझ ही नही पाई की यह हैं क्या.
“यह क्या हैं करण”
“बेबी दिस ईज़ जेल्ली या ल्यूब्रिकेशन”
“लेकिन इसकी क्या ज़रूरत हैं.. तुम्हारा हाथ लगते ही मैं तो वैसे ही लूब्रिकेटेड हो जाती हूँ”
“आज ज़रूरत पड़ेगी जान… देखते जाओ.”
करण ने ऋतु को डाइनिंग टेबल के पास ले गया… उसने एक हाथ से डाइनिंग टेबल पर पड़ी फ्रूट ट्रे को सरका के गिरा दिया… नीचे फर्श पर सेब बिखर गये. करण ने ऋतु को उठा के डाइनिंग टेबल पे इस तरह लिटा दिया की ऋतु का बाकी शरीर डाइनिंग टेबल पे था और उसकी गान्ड टेबल से बाहर लटक रही थी… उसकी टाँगो को करण ने अपने कंधे पे उठा रखा था.
करण की एकटक नज़र ऋतु की गान्ड पे थी.. वो आज उसकी चूत की तरफ देख भी नही रहा था. उसने सोच रखा था की आज वो ऋतु के इस छेद को भी नही छोड़ेगा. उसने जेल्ली की ट्यूब का ढक्कन खोला और उसे दबाया. जेल्ली को अपने हाथ में लेके उसने अच्छे से अपने लंड पे लगाया. उसे जेल्ली में आछे से कोट कर दिया. उसने ट्यूब फिर से दबा के और जेल्ली निकाली और ऋतु के गान्ड के छेद पे लगा दी… उसकी उंगलियाँ तो पहले से ही जेल्ली से सनी हुई थी. उसने धीरे से एक उंगली छेद के सिरे पे टीका दी और अंदर घुसाने के लिए हल्का सा ज़ोर लगाया. उंगली फटाक से अंदर घुस गयी,..
“ऊई मा… यह क्या कर रहे हो करण”
“जेल वाली उंगली डाल रहा हूँ… क्या हुआ”
“लेकिन यह कहाँ डाल रहे हो बाबा…ठीक से डालो आगे”
“आगे नही … यह तो यहीं जाएगी…”
इतनी देर में करण अपनी उंगली से जेल की अछी ख़ासी मात्रा ऋतु की गान्ड में डाल चुक्का था. उसने अपने कड़क लंड को पकड़ा और छेद पे टीका दिया अपना सूपड़ा. एक ज़ोरदार धक्का मारा और लंड गान्ड के अंदर…
“करण यह क्या हैं… प्लीज़ निकालो इसे… यह मत करो… दर्द हो रहा हैं”
“ओह कमऑन ऋतु… ट्राइ टू रिलॅक्स”
“नही नही यह सब क्या कर रहे हो”
“क्या कर रहा हूँ… कुछ भी तो नही… यह तो आजकल कामन चीज़ हैं” करण अब लंड आगे पीछे करने लगा था
“आआअहह ……नही नही यह ठीक नही… प्लीज़ निकालो… दर्द हो रहा हैं…यह तो अन्नॅचुरल हैं” ऋतु को दर्द हो रहा था…. वो रिलॅक्स नही कर रही थी और इसी की वजह से दर्द और बढ़ रहा था
“अन नॅचुरल क्या होता हैं… ” करण लगातार चालू था
“आआआहह ओओओओईईईई माआआआ करण प्लीज़.”
“ऋतु प्लीज़ … ट्राइ टू रिलॅक्स…2 मिनट रूको… अभी सब ठीक हो जाएगा और तुम्हे इसमे चूत से ज़्यादा मज़ा आएगा.”