कुँवारियों का शिकार compleet

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rajaarkey
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Re: कुँवारियों का शिकार

Unread post by rajaarkey » 07 Nov 2014 21:39

क्या बात है दोस्त बहुत अच्छी शायरी है शुभानल्लाह

मुद्दत हो गयी उन तनहाइयों को गुजरे ,
आज भी इन आँखों में वो खामोशियाँ क्यों है
चुन चुन कर जिसकी यादों को अपने जीवन से निकाला मैंने
मेरे दिल पर आज भी उसकी हुकूमत क्यों है
तोड़ दिया जिसने यकीं मोहब्बत से मेरा
वो शख्स आज भी मेरे प्यार के काबिल क्यों है
रास ना आये जिसको चाहत मेरी
आज भी वो मेरे दिन और रात में शामिल क्यों है
खत्म हो गया जो रिश्ता वो आज भी सांस ले रहा है
मेरे वर्तमान में जीवित वो आज भी मेरा अतीत क्यों है

rajaarkey
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Re: कुँवारियों का शिकार

Unread post by rajaarkey » 08 Nov 2014 14:37

कुँवारियों का शिकार--5

गतान्क से आगे..............

प्रिया की आँखें उत्तेजना के मारे लाल हो गयीं थी और पूरी खुल भी नही पा रही थी. उन आँखों में एक अजीब सी खुमारी नज़र आ रही थी और उनमें देखते मेरे दिल की धरकनें तेज़ हो रही थी. मैने अपना हाथ उसकी चूत पर रखा जो इस समय फूल कर कुप्पा हो रही थी. मेरे हाथ के कोमल स्पर्श से वो एक झटके से उछल पड़ी और उसके मुँह से एक ज़ोर की सिसकारी निकली. उसने कातर दृष्टि से मेरी तरफ देखा मानो कहना चाहती हो के अब और ना तडपाओ पर उसके मुँह से कोई शब्द नही निकले. उसके चेहरे के भाव और आँखे बहुत कुच्छ कह रही थी जिन्हे मैं अच्छी तरह समझ रहा था.

मैं तेज़ी से उठा और एक टवल दोहरा करके उसकी गांद के नीचे रख दिया और साइड टेबल से क्रीम की बॉटल उठा कर थोड़ी सी क्रीम उसकी चूत में और थोड़ी सी अपने लंड पर लगा दी. फिर मैने उसकी टाँगें उठा कर ऊपेर कर दी और उनके बीच में आ गया. मैने कहा के प्रिया अब तुम्हें हिम्मत से काम लेना होगा पहले पहल थोड़ा दर्द होगा जो तुम्हे सहना होगा और उसके बाद ही तुम्हे स्वर्ग का आनंद भी मिलेगा और मैं पूरी कोशिश करूँगा के दर्द कम से कम हो पर होगा ज़रूर, मेरी बात समझ रही हो ना.

प्रिया ने अधखुली आँखों से मेरी तरफ देखते हुए सहमति में अपनी गर्दन हिला दी. मैने उसकी टाँगें चौड़ी करते हुए अपने लंड को उसकी चूत पर टीका दिया और उस पर रगड़ने लगा. फिर थोड़ा सा दबाव डाला और मेरे लंड का सुपरा उसकी चूत के मुँह पर अटक गया. मैने अपना एक हाथ पूरा खोल कर उसके पेट के नीचे ऐसे रखा के मेरा अंगूठा उसके भग्नासे को दबा रहा था.

उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी और मैने एक छ्होटा पर ज़ोरदार धक्का लगाया. मेरे लंड का सुपरा उसकी चूत में घुस गया और वो तड़प उठी. मैने पूछा के दर्द बहुत ज़्यादा हो रहा है क्या. तो वो बोली के नही ज़्यादा तो नही पर हो रहा है. मैने महसूस किया कि मेरा लंड उसकी कुमारी झिल्ली को टच कर रहा है. मैने देर ना करते हुए एक और धक्का ज़ोर से लगाया. मेरा लंड उसकी कुमारी झिल्ली को फाड़ता हुआ तीन-चौथाई उसकी चूत में समा गया. उईईई…..माआआआ प्रिया की एक ज़ोरदार चीख निकली, हवा में उठी हुई उसकी टाँगें काँपने लगीं और उसकी आँखों से आँसू बहने लगे. मैने अपना लंड वहीं जाम कर दिया और उससे प्यार से समझाया और कहा के बस थोड़ी देर का ही दर्द और है उसके बाद तो बस मज़ा ही मज़ा और तुम्हे फिर कभी भी दर्द नही होगा.

वो रोते हुए बोली के यह क्या कम दर्द है मेरी तो जान ही निकल चली थी. मैने प्यार से उसे समझाया के हर लड़की को पहली बार चुदवाने में दर्द सहना ही पड़ता है और मैने तो बहुत प्यार से किया है, पूरा ख्याल रखा है और रुक भी गया हूँ. इस तरह मैने उससे बातों में उलझा लिया ताकि उसका ध्यान बॅट जाए. मेरे हाथ का अंगूठा लगातार उसके भग्नासे से खेल रहा था जिसके कारण उसकी उत्तेजना जो दर्द की अधिकता से ख़तम सी हो गयी थी, फिर बढ़ने लगी. जैसे ही मैने देखा के प्रिया के चेहरे पे दर्द के भाव नही हैं और उनकी जगह उत्तेजना ने ले ली है तो मैं धीरे धीरे अपना लंड अंदर बाहर करने लगा और हर 2-3 धक्कों के बाद अपना लंड थोड़ा सा और अंदर सरकाने लगा.

प्रिया भी अबतक नॉर्मल सी हो गयी थी और उसके दर्द का स्थान आनंद ने लेना शुरू कर दिया था. उसके चेहरे पर अब एक अर्ध मुस्कान खिल रही थी और आँसुओ में भीगा उसका मुस्कुराता चेहरा, अधकुली मदहोश आँखें मुझे पागल किए दे रहीं थी. पर मैं अपने पर काबू रखे प्यार से धक्के लगाता रहा और फिर मेरा लंड पूरा जड़ तक उसकी चूत में समा गया और उसकी बच्चेड़ानी के मुँह से जा टकराया. प्रिया चिहुनक गयी और हैरानी से मुझे देखने लगी.

प्रिया के लिए यह एक नया अहसास था. मैने प्यार से उसे बताया कि क्या हुआ है. उसने अपना सिर हिलाया जैसे वो समझ रही हो. अब मैने अपने दोनो हाथ उसके मम्मों पर रख दिए और उन्हे प्यार से मसल्ने लगा. कभी पूरे मम्मे को मुट्ठी में भर के हौले से दबाता कभी प्यार से सहलाता कभी निपल को चुटकी में लेकर प्यार से मस्सल देता. प्रिया की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी. उसने अब नीचे से हिलना भी शुरू कर दिया था.

प्रिया की चूत का कसाव मेरे लंड पर ऐसा था जैसे किसी बहुत चौड़े रब्बर बॅंड में मेरा लंड फँसा हुआ हो. उसकी चूत ने मेरे लंड को पूरी तरह से जकड़ा हुआ था. चूत की पहली चुदाई में ऐसे ही कसाव का मज़ा आता है जो मुझे बहुत पसंद है. प्रिया ने ह…उ..न, ह…उ…न की आवाज़ें निकाल कर मेरा ध्यान आकर्षित करने की चेष्टा की.

rajaarkey
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Re: कुँवारियों का शिकार

Unread post by rajaarkey » 08 Nov 2014 14:37

मैने उसकी तरफ देखा और पूछा के क्या है अब तो दर्द नही हो रहा. हालाँकि मैं जानता था कि अब प्रिया को दर्द नही हो रहा है, पर ऐसा मैने उसको खिजाने के लिए ही पूछा था. वो बोली के अब दर्द नही हो रहा है अब करो ना. मैने अंजान बनते हुए पूछा के और क्या करूँ. उसने जुंझलाते हुए कहा के वही जो करना है. मैने फिर कहा के क्या सॉफ सॉफ बोलो ना मुझे ऐसे नही समझ आ रहा है. यह सब मैं जानबूझ कर मज़े लेने के लिए कर रहा था. प्रिया के मम्मों का मसलना लगातार जारी था ताकि उसकी उत्तेजना में कमी ना होने पाए.

आख़िर प्रिया ने वो शब्द कह ही दिए जिसका मुझे इंतेज़ार था. प्रिया धीरे से बोली जम के चुदाई शुरू करो ना अब तो दर्द भी नही हो रहा है. मैने हंसते हुए कहा जो आग्या मेरी जान मैं तो यही सुनने का वेट कर रहा था.

मैने धीरे से अपने लंड को बाहर खींचा और फिर प्यार से अंदर कर दिया और धीरे धीरे अपनी गति बढ़ाते हुए यही रिपीट करने लगा. प्रिया की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी. मेरे आनंद की तो कोई सीमा ही नही थी. मुझे अपना लंड प्रिया की चूत के अंदर बाहर करने में जो आनंद आ रहा था वो शब्दों में नही बताया जा सकता. प्रिया की टाइट चूत का घर्षण मेरे जैसा अनुभवी व्यक्ति ही इतनी देर तक बर्दाश्त कर सकता था.

प्रिया अब पूरी तरह से चुदाई का आनंद ले रही थी. उसके चेहरे पर अब दर्द की जगह पूरी तरह मस्ती के भाव थे. अब मैने अपने धक्कों की लंबाई बढ़ा दी और पूरा लंड बाहर निकाल कर अंदर कर रहा था. केवल लंड का सुपरा ही अंदर रह जाता और में लंड को वापिस अंदर धकेल देता. में जब लंड को अंदर डालता तो प्रिया भी नीचे से गांद उठा कर लंड को अंदर लेने में जल्दी दिखा रही थी. प्रिया की साँसे भी तेज़ गति से चल रही थी. उसका मुँह आधा खुला हुआ था और वो आ……..ह, ह…..आ…..आ…..न, ह…..ओ…..ओ…..न की आवाज़ें निकाल रही थी.

इस बीच मेरा उसके मम्मों के साथ खिलवाड़ जारी था. क्या टाइट मम्मे थे. कभी मैं उसके मम्मों को दोनो हाथों में दबोच लेता, कभी एक को मुँह में लेकर चूसने लगता दूसरे की गोलाई हाथ से नापते हुए और कभी उसके निपल को दाँतों से हल्का हल्का काटने के कोशिश करता. इस सब में प्रिया को भी बहुत आनंद आ रहा था और वो बहुत उत्तेजित हो चुकी थी.

अचानक उसने अपने दोनो हाथ मेरी पीठ पर लपेट दिए और बोली यह क्या कर दिया है मुझको, मैं जैसे हवा में उड़ रही हूँ, जल्दी जल्दी ज़ोर ज़ोर से करो ना, मेरा दिल कर रहा है कि सारी उमर ऐसे ही चुदवाती रहूं और यह चुदाई ख़तम ही ना हो. मैं दिल ही दिल में बहुत खुश हुआ के वो अब खुल कर बिना किसी शरम के बोल रही थी. मुझे लड़कियों का ऐसे बोलना बहुत अच्छा लगता है. मैने कहा जान दिल तो मेरा भी यही चाहता है पर ऑल गुड थिंग्स ऑल्वेज़ कम टू आन एंड, इसका भी अंत अभी थोड़ी देर में हो जाएगा. वो बोली तो जल्दी करो ना बातें नही मुझको चोदो, मैं कही मज़ा आने से पहले कहीं मर ही ना जाऊं.

मैने हंसते हुए कहा के मेरी जान चुदवाते हुए कोई नही मरती, अभी तुम्हे मंज़िल पर पहुँचा देता हूँ. इसके बाद मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी और इतनी तेज़ी से लंबे-लंबे धक्के मारने शुरू किए के जैसे किसी मशीन का पिस्टन अंदर बाहर होता है. मेरा लंड अब तेज़ी से उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था. उसकी टाइट चूत का मेरे लंड के साथ घर्षण मुझे और उसको अत्यधिक मज़ा दे रहा था.

मैने अपने दोनो हाथ उसकी गांद के नीचे लगा दिए और कस के पकड़ लिया और पूरी ताक़त और तेज़ी से धक्के मारने लगा. उसकी साँसें उखड़ने लगीं और फिर उसके मुँह से एक तेज़ सिसकारी निकली और वो झार गयी. उसने एक ज़ोर की साँस ली और निढाल होकर अपना शरीर ढीला छोड़ दिया. उसकी चूत के पानी छोड़ने से मेरा लंड अब उसकी चूत में बहुत आसानी से अंदर बाहर होने लगा. उसके शरीर काकंपन ऐसे महसूस हो रहा था जैसे कोई वाइब्रटर लगा हो. 15-20 ज़ोरदार धक्के मारने के बाद मैं भी झाड़ गया और प्रिया से लिपट कर वहीं बेड पर ढेर हो गया.

प्रिया ने मेरी तरफ करवट ली और मुझे अपनी तरफ खींचा. मेरे करवट लेते ही उसने मुझे कस्स के पकड़ लिया और बोली के मुझे बाहों में ले लो पता नही मुझे क्या हो रहा है अभी भी मेरा शरीर काँप रहा है. मैने प्रिया को अपनी बाहों में जाकड़ लिया और उसके होंठ अपने होंठों में लेकर किस किया और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी. वो अपनी जीभ मेरी जीभ से लड़ाने लगी. उसके सख़्त मम्मे मेरी छाती में यूँ गढ़ रहे थे जैसे उस मे छेद कर देंगे. मैं प्यार से उसकी पीठ सहलाने लगा और उसको पूछा के कैसा लगा.

प्रिया बोली के आज तो उसको पिच्छली बार से भी डबल मज़ा आया बल्कि और भी ज़्यादा क्योंकि पिच्छली बार 2 बार का मिलाकर भी इतना मज़ा नही आया था जितना आज एक बार में ही आ गया. मैने कहा के हां जानू ऐसा ही होता है जब कोई एक्सपर्ट पूरा ध्यान रखकर प्यार से चुदाई करता है तो मज़ा ज़्यादा ही आता है. वो शोखी से बोली हांजी एक्सपर्ट तो तुम बहुत हो जो मुझको पूरी तरह से फसा भी लिया और चोद भी दिया और सभी कुच्छ मैने अपनी मर्ज़ी से किया. मैं केवल मुस्कुरा दिया क्योंकि कुच्छ कहने की ज़रूरत ही नही थी. सब कुच्छ तो प्रिया ने खुद ही कह दिया था.

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